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कृत्रिम उपग्रह पर निबंध

essay on artificial satellite in hindi

By विकास सिंह

essay on artificial satellite in hindi

कृत्रिम उपग्रह पर निबंध (essay on artificial satellite in hindi)

कृत्रिम उपग्रह मानव निर्मित वस्तु हैं जो सौर मंडल में पृथ्वी और अन्य ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। यह प्राकृतिक उपग्रहों या चंद्रमाओं से अलग है, और कक्षा ग्रहों, बौना ग्रहों और यहां तक ​​कि क्षुद्रग्रहों से भी भिन्न है। कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग पृथ्वी, अन्य ग्रहों का अध्ययन करने, हमें संवाद करने में मदद करने और यहां तक ​​कि दूर के ब्रह्मांड का निरीक्षण करने के लिए किया जाता है। उपग्रह में मनुष्य भी मौजूद हो सकते हैं, जैसे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और अंतरिक्ष शटल।

पहला कृत्रिम उपग्रह सोवियत स्पुतनिक 1 मिशन था, जिसे 1957 में लॉन्च किया गया था। तब से, दर्जनों देशों ने उपग्रह लॉन्च किए हैं, जिसमें 3,000 से अधिक वर्तमान में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं। अंतरिक्ष में कचरे के 8,000 से अधिक टुकड़े होने का अनुमान है; मृत उपग्रह या मलबे के टुकड़े पृथ्वी के आसपास तैर रहे हैं।

उपग्रहों को उनके मिशन के आधार पर विभिन्न कक्षाओं में लॉन्च किया जाता है। सबसे आम लोगों में से एक जियोसिंक्रोनस कक्षा है। यह वह जगह है जहाँ एक उपग्रह को पृथ्वी की परिक्रमा करने में 24 घंटे लगते हैं; पृथ्वी पर अपनी धुरी पर एक बार घूमने में उतना ही समय लगता है। यह उपग्रह को पृथ्वी पर एक ही स्थान पर रखता है, जिससे संचार और टेलीविजन प्रसारण में मदद मिलती है।

एक अन्य कक्षा निम्न-पृथ्वी की कक्षा है, जहाँ एक उपग्रह ग्रह से केवल कुछ सौ किलोमीटर ऊपर हो सकता है। यह उपग्रह को पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर रखता है, लेकिन फिर भी यह इतना करीब है कि यह अंतरिक्ष से ग्रह की सतह को देख सकता है या संचार की सुविधा प्रदान कर सकता है। यह वह ऊँचाई है जिस पर अंतरिक्ष यान उड़ता है, साथ ही हबल स्पेस टेलीस्कोप भी है।

कृत्रिम उपग्रहों में वैज्ञानिक अनुसंधान, मौसम अवलोकन, सैन्य सहायता, नेविगेशन, अर्थ इमेजिंग और संचार सहित कई मिशन हो सकते हैं। कुछ उपग्रह एक ही उद्देश्य को पूरा करते हैं, जबकि अन्य एक ही समय में कई कार्य करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। एक उपग्रह पर उपकरण को अंतरिक्ष के विकिरण और वैक्यूम में जीवित रहने के लिए कठोर बनाया जाता है।

उपग्रहों का निर्माण विभिन्न एयरोस्पेस कंपनियों द्वारा किया जाता है, जैसे बोइंग या लॉकहीड, और फिर केप कैनवेरल जैसी एक लॉन्च सुविधा को दिया जाता है। अंतरिक्ष में एक अतिरिक्त गति देने के लिए लॉन्च सुविधाएं पृथ्वी के भूमध्य रेखा के जितना संभव करीब हो सकती हैं। इससे रॉकेट कम ईंधन का उपयोग करते हैं या भारी पेलोड लॉन्च करते हैं।

उपग्रह की कक्षा की ऊँचाई यह परिभाषित करती है कि यह कक्षा में कितनी देर तक रुकेगी। कम परिक्रमा करने वाले उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल से ज्यादातर ऊपर हैं, लेकिन वे अभी भी वायुमंडल से प्रभावित हैं और उनकी कक्षा अंततः खराब हो जाती है और वे वापस वायुमंडल में गिर जाते हैं। उच्च कक्षाओं में परिक्रमा करने वाले अन्य उपग्रहों की संभावना लाखों वर्षों तक रहेगी।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Artificial Satellite Essay – कृत्रिम उपग्रह पर निबंध

Artificial satellite essay, कृत्रिम उपग्रह पर निबंध.

Hello students I have shared Artificial Satellite Essay Rashtrabhasha कृत्रिम उपग्रह पर निबंध in Hindi and English.

कृत्रिम उपग्रह पर निबंध Artificial satellite Essay

सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करनेवाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। हमारे सौर मंडल में नौ ग्रह हैं – बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्वति , यम ( प्लूटो ), शनि , युरेनस और नेप्ट्यून | चंद्रमा पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह है।

Astronomical bodies revolving around the Sun or any other star are called planets.   There are nine planets in our solar system – Mercury, Venus, Earth, Mars, Jupiter, Yama (Pluto), Saturn, Uranus and Neptune.   Moon is the only natural satellite of the Earth.

इन ग्रहों और उपग्रहों के बारे में जानने के लिए मनुष्य ने कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण किया। रूस ने 4 अक्टूबर 1957 को पहला कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा था। इसका नाम था ‘ स्पुतनिक ‘ 1 । इसके बाद अमेरिका ने भी ‘ एक्स्प्लोरर ‘ नाम का कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा। भारत का पहला उपग्रह 3 अप्रैल 1974 ईस्वी में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। इस उपग्रह का नाम ‘ आर्यभट्ट ‘ रखा गया जो भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। इसके बाद भारत का दूसरा उपग्रह ‘ भास्कर ‘ 1 अंतरिक्ष में छोड़ा गया। भास्कर भी प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। आगे भारत ने रोहिणी , एप्पल और भास्कर -2 उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजा। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली के अंदर ‘ इन्साट -1 ए ‘, ‘ इन्साट – 1 बी ‘ आदि उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए। इन उपग्रहों की सहायता से देश के संचार व्यवस्था को बहुत लाभ हुआ है।

To know about these planets and satellites man made artificial satellites.   Russia sent the first artificial satellite into space on 4 October 1957.   Its name was ‘Sputnik’.   After this America also sent an artificial satellite named ‘Explorer’ into space.   India’s first satellite was installed in space on 3 April 1974 AD.   This satellite was named ‘Aryabhatta’ who was a famous mathematician of India.   After this, India’s second satellite ‘Bhaskar’ 1 was launched into space.   Bhaskara was also a famous mathematician of ancient India.   Further, India also sent Rohini, Apple and Bhaskar-2 satellites into space.   After this, satellites ‘INSAT-1A’, ‘INSAT-1B’ etc. were released into space inside the Indian National Satellite System.   With the help of these satellites, the country’s communication system has benefited a lot.

कृत्रिम उपग्रहों को राकेटों की सहायता से अंतरिक्ष में भेजा जाता है। ये निश्चित ऊँचाई तक पहुँच कर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं । उपग्रह से संदेशों को प्राप्त करने के लिए एक रिसीवर होता है और इसकी शक्ति बढ़ाने के लिए ‘ एंपलीफायर ‘ ( प्रवर्धक ) होता है। इनकी ऊर्जा के लिए बैटरियाँ लगी होती हैं।

Artificial satellites are sent into space with the help of rockets.   They revolve around the earth after reaching a certain height.   There is a receiver to receive the messages from the satellite and an ‘amplifier’ to increase its power.   Batteries are used for their energy.

उपग्रहों के माध्यम से टेलीफोन , रेडियो और टेलीविज़न संदेश धरती के एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाते हैं। यह संदेश उपग्रह में लगाये गये एंटेना द्वारा ग्रहण किए जाते हैं और रिसीवर के माध्यम से भेज दिए जाते हैं । उपग्रह ‘ ट्रांसमीटर ‘ ( संकेत प्रसारक ) इन संदेशों को पृथ्वी के निश्चित भाग की ओर भेजता है और वहाँ लगा रिसीवर इन्हें प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार टेलीविज़न सिग्नल दूसरे देश या दूसरे स्थान पर प्राप्त कर लिया जाता है। उपग्रह द्वारा संसार के किसी भी एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

Telephone, radio and television messages are sent from one place to another on the earth through satellites.   These messages are received by the antennas installed in the satellite and sent through the receiver.   The satellite ‘transmitter’ (signal broadcaster) sends these messages towards a certain part of the earth and the receiver located there receives them.   In this way the television signal is received in another country or place.   Through satellite, communication can be easily established from any corner of the world to the other.

कृत्रिम उपग्रह आज के युग में किसी भी देश की प्रगति के सूचक हैं। इन उपग्रहों के माध्यम से पृथ्वी के बारे में अनेक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। जल , खनिज , मौसम आदि की जानकारियों के साथ – साथ दूसरे देशों में रक्षा कार्यों के लिए किये गये प्रयासों का भी पता लगाया जा सकता है ।

Artificial satellites are an indicator of the progress of any country in today’s era.   Many information about the earth is obtained through these satellites.   Along with information about water, minerals, weather etc., efforts made for defense work in other countries can also be traced.

उपग्रहों की सहायता से घर बैठे – बैठे देश के कहीं से भी टेलीविज़न कार्यक्रम देख सकते हैं और अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं । ‘ ऑनलाइन ‘ पढ़ाई भी कर सकते हैं । सचमुच , कृत्रिम उपग्रह वैज्ञानिक है चमत्कार है ।

With the help of satellites, sitting at home, you can watch television programs from anywhere in the country and talk to your relatives.   You can also study ‘online’.   Truly, the artificial satellite is a scientific miracle.

1 thought on “Artificial Satellite Essay – कृत्रिम उपग्रह पर निबंध”

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कृत्रिम उपग्रह | Artificial satellite in Hindi

कृत्रिम उपग्रह artificial satellite.

पृथ्वी तट के समीप (अर्थात् पृथ्वी तल से ऊँचाई पृथ्वी की त्रिज्या से कम हो (H<R) परिक्रमा करने वाले उपग्रह की कक्षीय चा 7.92 किमी/सेकेंड होती है।   अतः यदि हम किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से कुछ सौ किमी दूर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8.0 किमी/सेकेंड का पृथ्वी तल के समानांतर अर्थात् क्षैतिज वेग दें तो वह पिंड एक निश्चित कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करने लगता है , तब इस पिंड को कृत्रित उपग्रह कहते हैं।

इस कृत्रिम उपग्रह के वृत्ताकार पथ पर गति के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल , पृथ्वी द्वारा इस उपग्रह पर लगने वाला गुरूत्वाकर्षण बल है जिसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केंद्र की ओर होती है।

कृत्रिम उपग्रह आमतौर पर 7 प्रकार के होते हैं-

1. तुल्य कालिक अथवा भू-स्थिर उपग्रह geostationary satellite.

  • भू-स्थिर उपग्रह पृथ्वी स्थान विशेष के सापेक्ष स्थिर रहते हैं। इनकी गति की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है। इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन , टेलीविजन कार्यक्रमों आदि के संचार में होता है। यदि इस प्रकार के तीन उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिए जायें तो धु्रवीय क्षेत्रों के अलावा संपूर्ण पृथ्वीसे एक साथ संबंध स्थापित किया जा सकता   है।

2. भू-प्रक्षेपण उपग्रह (टोही उपग्रह) Terrestrial satellite

  • इन उपग्रहों के द्वारा पृथ्वी के भीतर छिपी प्राकृतिक संपदाओं का पता लगाया जाता है। भू-प्रक्षेपण उपग्रहों में कैमरे तथा इलेक्ट्रानिक उपकरण लगे होते हैं। जो पृथ्वी के विभिन्न भागों के चित्र लेते रहते हैं। इसलिए इन्हें ‘ टोही ‘ उपग्रह भी कहा जाता है। समुद्री लहरों एवं तूफानों का पता भी इन उपग्रहों द्वारा लगाया जा सकता है।

3. मेरीसैट उपग्रह Marissat Satellite

  • मैरीसैट उपग्रह का मुख्य उद्देश्य समुद्री जलपोतों के नाविकों को रेडियो संकेत उपलब्ध कराना है जिससे कि वे सही दिशा तथा दूर से जलपोतों की जानकारी प्राप्त कर सकें।

4. दूर-संवेदी उपग्रह Remote sensing satellite

  • दूर संवेदी उपग्रह की मदद से पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी भी वस्तु से उत्पन्न होने वाले या प्रतिबिम्बित होने वाले विकिरणों को प्रकाश एवं इन्फ्रारेड किरणो का उपयोग करने वाले सूक्ष्म कैमरों तथा इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा नीले-लाल , नीले-हरे तथा लगभग इन्फ्रारेड कणों के चित्रों के रूप में लिया जा सकता है। उपग्रह से प्राप्त इन रंगीन चित्रों को पृथ्वी तक प्राप्त करके उनके वास्तविक दिखने वाले चित्रों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार दूर संवेदी उपग्रहों द्वारा लिए गए चित्रों से खनिज सम्पदा , कृषि वानिकी , सागर सम्पदा आदि से संबंधित विषयों पर शीघ्रता से उपयोगी एवं सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

5. मौसमी उपग्रह Seasonal satellite

  • मौसम संबंधी जानकारी तथा वायुमण्डलीय परिस्थितियों का अध्ययन करने हेतु जो उपग्रह छोड़े गए हैं , उन्हें मौसमी उपग्रह कहते हैं। इन उपग्रहों का मुख्य उपयोग मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करने में किया जाता है।

6.   संचार उपग्रह  Communications satellite

  • संचार उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा 24 घंटे में करते हैं। इनकी मदद से पृथ्वी के दो भागों के बीच रेड़ियो , टेलीविजन तथा अन्य संकेतों को भेजा एवं ग्रहण किया जाता है।

7. वैज्ञानिक उपग्रह Scientific satellite

  • वैज्ञानिक उपग्रहों का उद्देश्य सूर्य द्वारा दी जा रही ऊर्जा , आयन मंडल में सूर्य के अस्त होने से होने वो परिवर्तन , मंगल , शुक्र , वृहस्पति आदि ग्रहों के चारों ओर के वातवरण आदि के विषयों में जानकारी प्राप्त करना है।

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essay on artificial satellite in hindi

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सेटेलाइट क्या है? इसके प्रकार, उपयोग और यह कैसे काम करता है? – satellite in hindi

आपने कई बार सेटेलाइट के बारे में पढ़ा या सुना होगा और अक्सर हम टीवी और अखबार इत्यादि में भारत व अन्य देशों के द्वारा सेटेलाइट लांच करने के बारे में सुनते व पढ़ते हैं। इन सेटेलाइट को दुनिया की अलग-अलग स्पेस एजेंसी द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है।

यह सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और इनके काम भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। आज के आधुनिक दुनिया में Satellite की मदद से हम अपनी जीवनशैली को और अधिक बेहतर बनाते हैं और चाहे सुरक्षा संबंधी कारण हो या मानव विकास जैसे मोबाइल सेवा बेहतर बनाना, कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाना, मौसम की जानकारी इत्यादि, इन सभी में सेटेलाइट का एक महत्वपूर्ण योगदान है।

विश्व के अलग-अलग अंतरिक्ष एजेंसियां जैसे नासा और इसरो इत्यादि, इन सभी सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करती हैं और इनका उपयोग होता है।

Note: संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम नासा है और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इसरो है।

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जब हम Satellite के बारे में सुनते वह पढ़ते हैं तो हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर यह “ सेटेलाइट क्या है? ” और “ सैटेलाइट कैसे काम करती है ?” इन सभी के बारे में हम यहां पर जानेंगे और इसके साथ साथ सैटेलाइट से संबंधित अन्य जानकारियां भी आपको यहां पर मिलेंगी।

Satellite meaning in Hindi – सेटेलाइट को हिंदी में उपग्रह कहते हैं। और मानव द्वारा निर्मित Satellite को कृत्रिम उपग्रह है कहा जाता है। चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह (सेटेलाइट) है परंतु यह एक प्राकृतिक उपग्रह है।

सेटेलाइट क्या है? Salellite kya hai?

Satellite meaning in hindi, Satellite in hindi

अंतरिक्ष में मौजूद वह वस्तु जो किसी ग्रह या तारे के चारों तरफ परिक्रमा करती है उसे सेटेलाइट या उपग्रह कहा जाता है। हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली Satellite की संख्या हजारों में है जो कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं परंतु पृथ्वी का एक प्राकृतिक सैटेलाइट भी मौजूद है जिसे हम चंद्रमा या चांद के नाम से जानते हैं।

इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में दूसरे ग्रहों के भी प्राकृतिक उपग्रह मौजूद हैं जो उन ग्रहों की परिक्रमा करते रहते हैं। मानव द्वारा निर्मित Satellite जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं वह समय-समय पर अलग-अलग जानकारी पृथ्वी पर भेजते रहते हैं जिससे हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती है।

यह सभी सैटेलाइट सिर्फ पृथ्वी की जानकारी नहीं लेती बल्कि कुछ सेटेलाइट दूसरे ग्रहों और ब्रह्मांड में मौजूद दूसरे स्टार और आकाशगंगा इत्यादि की जानकारी भी इकट्ठा करती हैं, जिसे पृथ्वी पर भेजा जाता है और वैज्ञानिकों द्वारा इस पर शोध की जाती है। इस प्रकार से मानव ने सौरमंडल और ब्रह्मांड को काफी तेजी से और अच्छे से समझा है और भविष्य ब्रह्मांड से संबंधित जानकारी भी इन्हीं Satellite की मदद से हमें मिलती रहेगी।

यह सभी Satellite अलग-अलग प्रकार की होती हैं जिनका कार्य अलग-अलग होता है जैसे कम्युनिकेशन, टीवी सिग्नल और फोन कॉल्स इत्यादि इन सैटेलाइट के कुछ कार्यों के अच्छे उदाहरण हैं।

ज़रूर पढ़ें: सौरमंडल किसे कहते हैं? परिभाषा, खोज और सभी ग्रह

Satellite कितने प्रकार की होती हैं?

सैटेलाइट को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है, जिनमें से सबसे पहला प्रकार प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित है।

  • प्राकृतिक उपग्रह (Natural satellites)
  • कृत्रिम उपग्रह (Man-made or artificial satellite)

Typres of satellite in hindi

 1. प्राकृतिक उपग्रह – Natural satellites

प्राकृतिक उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जो किसी ग्रह का चक्कर लगाते हैं और जिन्हें प्रकृति द्वारा ही निर्मित किया गया है। हमारा चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है और इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में भी ग्रहों के अलग-अलग चंद्रमा मौजूद हैं जो उनका चक्कर लगाते हैं।

2. कृत्रिम उपग्रह – Man-made/artificial satellite

कृत्रिम उपग्रह/मानव निर्मित उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जिन्हें मानव द्वारा बनाया गया है। इन उपग्रहों को किसी भी ग्रह के चक्कर लगाने के लिए डिजाइन किया जाता है और उनकी तयशुदा जगह पर छोड़ दिया जाता है जिसके पश्चात यह उपग्रह हमें लगातार सिग्नल भेजते रहते हैं और हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती हैं।

यह सेटेलाइट मुख्यतः 11 प्रकार के होते हैं:

  • Astronomical satellites – एस्टॉनोमिकल सैटेलाइट की मदद से ग्रहों की स्थिति और सौरमंडल व बाहरी ब्रह्मांड में मौजूद अंतरिक्ष वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। हमारे सौरमंडल में मौजूद किसी भी प्रकार की वस्तु की जानकारी एस्टॉनोमिकल सेटेलाइट्स द्वारा ली जाती है।
  • Bio satellites – बायो सेटेलाइट द्वारा अंतरिक्ष में जीवन की खोज की जाती है और इसके साथ-साथ इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में जीवित जीवो को ले जाने और उन पर अध्ययन करने के लिए किया जाता है
  • Communication satellites – इन सेटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है और आज के समय में इन सेटेलाइट्स को लो अर्थ आर्बिट में स्थापित करते हैं। ताकि अच्छी प्रकार से कम निकेशन किया जा सके।
  • Weather satellites – जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि वेदर सैटेलाइट वह सेटेलाइट होती हैं जिनसे हम पृथ्वी की जलवायु और मौसम की जानकारी प्राप्त करते हैं और किसी भी क्षेत्र में मौसम संबंधी जानकारी हमें वेदर सैटलाइट से ही प्राप्त होती हैं।
  • Killer satellites – किलर सेटेलाइट्स का उपयोग दुश्मन के हथियारों को ढूंढने और उन्हें खत्म करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट दुश्मन द्वारा स्थापित अंतरिक्ष में दूसरी Satellite को भी तबाह करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • Navigation satellites – नेवीगेशन सैटलाइट का उपयोग किसी भी इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जैसे मोबाइल इत्यादि की लोकेशन पता करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट अपने सिग्नल मोबाइल और जीपीएस संबंधित उपकरणों को अपना सिग्नल भेजती है जिससे उसकी लोकेशन का पता चल पाता है।
  • Earth observation satellites – अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट का उपयोग हमारी पृथ्वी पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है इसके साथ साथ पृथ्वी का मैप बनाना और पर्यावरण या मौसम पर निगरानी बनाए रखना भी इस सेटेलाइट द्वारा किया जाता है।
  • Solar power satellites – इस प्रकार की सेटेलाइट का उपयोग सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा ग्रहण करने और उसे इंस्टॉल करने के लिए किया जाता है ताकि इस ऊर्जा का उपयोग अलग-अलग प्रकार से किया जा सके।
  • स्पेस stations – स्पेस स्टेशन भी एक प्रकार का सेटेलाइट होता है जिसमें अलग-अलग छोटी-छोटी सेटेलाइट जुड़ी होती हैं और इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा रहने के लिए किया जाता है।
  • Miniaturised satellites – यह सेटेलाइट आकार में काफी छोटी होती हैं और इनका वजन भी काफी कम होता है। इन सभी सेटेलाइट का उपयोग भी अलग-अलग प्रकार की जानकारियां प्राप्त करने के लिए किया जाता है और इनका वजन 10 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक होता है।
  • Spacecraft – स्पेसक्राफ्ट एक प्रकार का जहाज होता है जिसे स्पेस में उड़ाया जाता है यह Orbit में घूमने के साथ-साथ Orbit से आगे जाकर वापस आने में ही सक्षम होता है और इसमें हवाई जहाज की तरह लैंडिंग सुविधाएं भी मौजूद होती हैं। जिसकी मदद से स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लैंड किया जा सकता है।

सैटेलाइट कैसे काम करता है?

Satellite एक self contained communication system होता है जिससे पृथ्वी से सिग्नल भेजा जाता है और रिस्पांस में सैटेलाइट द्वारा पृथ्वी पर वापस सिग्नल भेजा जाता है। इस प्रकार से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों द्वारा Satellite को कमांड दी जाती है और वह अपना कार्य करता है।

Satellite को कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि वह अंतरिक्ष के वातावरण को आसानी से सहन कर सके और अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन का उस पर कोई भी असर ना हो। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि सेटेलाइट वजन में हल्का होना चाहिए ताकि इसे आसानी से अंतरिक्ष में या पृथ्वी के Orbit में स्थापित किया जा सके।

किसी भी सेटेलाइट को स्थापित करने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च होता है इसीलिए लॉन्चिंग का खर्च कम करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इसे जितना मुमकिन हो उतना हल्का बनाया जाता है और सभी प्रकार के टेस्ट पहले से ही कर लिए जाते हैं क्योंकि अंतरिक्ष में इनकी मरम्मत करना संभव नहीं होता।

ज़रूर पढ़ें: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई

सेटेलाइट के मुख्य भाग

वैसे तो सैटेलाइट के कार्य के अनुसार अलग-अलग भाग हो सकते हैं परंतु कुछ ऐसे सैटेलाइट के पार्ट्स हैं जो लगभग सभी प्रकार की सेटेलाइट में मौजूद होते हैं जिनका विवरण यहां पर दिया गया। जैसा कि आप जानते हैं कि सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और उनका कार्य भी अलग-अलग हो सकता है इसीलिए उनके फंक्शन के आधार पर यह पार्ट्स अलग-अलग होते हैं।

सेटेलाइट के कुछ मुख्य भाग:

  • Antenna – किसी भी सेटेलाइट का एंटीना हुआ है भाग होता है जिससे पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिकों द्वारा या फिर किसी अन्य शोर से सिग्नल प्राप्त किया जाता है और वापिस उसे ट्रांसलेट कर दिया जाता है।
  • Command and data handling – सेटेलाइट का कमांड और डाटा हैंडलिंग सेंटर सेटेलाइट के फंक्शन पर निगरानी रखता है और यह निर्धारित करता है कि satellite को पृथ्वी से कमांड प्राप्त हो रही हैं और सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
  • Power – इस भाग से सूरज की किरणो से ऊर्जा प्राप्त करके बिजली में बदला जाता है, जिसका उपयोग satellite को ऊर्जा देना है।
  • Transporters – ट्रांसपोर्टर की मदद से पृथ्वी से प्राप्त होने वाली फ्रीक्वेंसी को डाउन लिंक फ्रीक्वेंसी में बदला जाता है और जब पृथ्वी पर सिग्नल भेजना होता है तो इन ट्रांसमिशन फ्रिकवेंसी को बढ़ाने का काम किया जाता है।
  • Guidance and stabilisation – गाइडेंस और स्टेबलाइजेशन द्वारा सेटेलाइट को उसके निर्धारित स्थान पर रखा जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि सेटेलाइट सही दिशा में जा रहा है या नहीं और यदि ऐसा नहीं है तो ट्रस्ट उसकी मदद से Satellite को सही दिशा में रखा जाता है।
  • Payload – सैटेलाइट द्वारा जानकारी प्राप्त करने के उपकरणों को इसमें लोड किया जाता है और जितने भी उपकरण सेटेलाइट में मौजूद होते हैं वह उस Satellite का टोटल पर लोड होता है।
  • Housing – हाउसिंग सेटेलाइट का वह भाग होता है जिसे अंतरिक्ष के वातावरण को सहन करने के लिए बनाया जाता है ताकि सैटेलाइट को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो सके।

Satellite अपने Orbit में कैसे टिका रहता है?

किसी भी सेटेलाइट को पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी तरफ खींच सकती है, और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण कोई भी सेटेलाइट बिना गति Orbit में स्थापित नहीं रह सकता। इसीलिए Orbit की ऊंचाई और सेटेलाइट के भाव की गणना करके सैटेलाइट की स्पीड निर्धारित की जाती है ताकि वह निरंतर पृथ्वी का चक्र लगाता रहे।

पृथ्वी के मुख्य तीन Orbit

  • Low Earth orbit
  • Polar orbit
  • Geostationary orbit

सेटेलाइट के उपयोग

  • टीवी सिग्नल को ट्रांसमिट करने के लिए सेटेलाइट का उपयोग किया जाता है और बिना Satellite के टीवी सिग्नल ट्रांसलेट करने पर बाधा उत्पन्न होती है इसीलिए इन सिग्नल को Satellite द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है।
  • नेविगेशन के लिए Satellite का उपयोग होता है और आपके फोन में मौजूद जीपीएस भी Satellite का इस्तेमाल करके ही आपके फोन की लोकेशन का पता लगाता है। आज के समय में कारों में भी जीपीएस मौजूद होता है जिससे आपको अपनी कार की लोकेशन और उसकी स्थिति ज्ञात होती है।
  • मौसम संबंधी जानकारी जैसे तूफान, बारिश, गर्मी इत्यादि Satellite द्वारा प्राप्त की जाती हैं। Satellite से प्राप्त हुई जानकारी से ही मौसम विभाग मौसम संबंधी भविष्यवाणी कर पाता है।
  • वायु प्रदूषण, जंगली आग, तेल रिसाव, समुंदर की लहर इत्यादि की जानकारी Earth Observation सैटेलाइट द्वारा की जाती है जिससे किसी भी प्रकार की आपदा से बचाव किया जाता है।
  • मोबाइल कम्युनिकेशन में Satellite का उपयोग किया जाता है और हमारा फोन इन सिग्नल के साथ कनेक्ट होता है जिससे आसानी से कम्युनिकेशन हो पाता है।
  • Satellite का उपयोग अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है जिससे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की रक्षा की जाती है।
  • Satellite की मदद से भूमि के अंदर मौजूद पानी और खनिज पदार्थों का पता लगाया जाता है।
  • इंटरनेट की मदद से दुनिया एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है और समुंदर में मौजूद फाइबर केबल इसमें हमारी मदद करते हैं परंतु आज के समय में इंटरनेट के लिए सैटेलाइट का भी उपयोग होना शुरू हो गया है।

Satellite को टकराने से कैसे रोका जाता है?

जब भी किसी स्पेस एजेंसी द्वारा Orbit में कोई Satellite छोड़ा जाता है तो वहां पर मौजूद लाखों Satellite से टकराने का डर बना रहता है। पृथ्वी की कक्षा में लाखों की संख्या में सेटेलाइट और सेटेलाइट के अलग-अलग भाग घूम रहे हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि जब भी कोई नई Satellite Orbit में स्थापित करनी हो तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह किसी ऐसी वस्तु से ना टकरा जाए जिससे पूरी Satellite तबाह हो जाए।

कुछ ऐसी एजेंसी में मौजूद है जो पृथ्वी के Orbit में घूम रही Satellite और उनके कबाड़ यानी कचरे पर नजर रखती हैं। जब भी कोई स्पेस एजेंसी Orbit में Satellite को स्थापित करती है तो इन एजेंसी की मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है और यदि भविष्य में भी किसी Satellite के टकराने काम है होता है तो इन एजेंसियों द्वारा स्पेस एजेंसी को अलर्ट भेजा जाता है जिससे इन Satellite को एक दूसरे के साथ टकराने और पृथ्वी के Orbit में मौजूद कचरे से टकराने से बजाया जाता है।

United State स्पेस surveillance network कैसी है जेंसी है जो इस प्रकार के खतरे से Satellite को बचाती है और यदि किसी दूसरी स्पेस एजेंसी का वह सैटेलाइट हो तो उन्हें अलग भी करती हैं।

भारतीय satellites

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने आज के समय में विश्व भर में अपना नाम बनाया है और अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ है। भारत ने सबसे पहले satellite सन 1975 में भेजा था, जिसका नाम आर्यभट्ट था और अभी तक भरत देश सैंकड़ों की संख्या में अपने satellite अंतरिक्ष में छोड़ चुका है।

भारत के satellites इसरो द्वारा भेजे जाते हैं, वहीं शुरुआरी समय में भारत को देशों की मदद लेनी पड़ती थी। भारत की स्पेस agency ISRO ने दुनिया भर में अपना नाम बनाया है और आज के समय में दूसरे देशों के satellites भी इसरो द्वारा भेजे जाते हैं।

Satellite संबंधित उपकरण

  • सेटेलाइट फोन
  • मोबाइल डिवाइस
  • जीपीएस डिवाइस
  • सैन्य उपकरण
  • टीवी डिश एंटीना

यह कुछ ऐसे उपकरण है जो सेटेलाइट से जुड़े होते हैं। इन उपकरणों को हम आम तौर पर कभी ना कभी देखते हैं। परंतु इसके अलावा भी सैकड़ों हजारों तरह के उपकरण मौजूद हैं, जो सैटेलाइट से संबंधित हैं।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निबंध (Artificial Intelligence Essay in Hindi)

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैसा कि शब्द से ही पता चलता है, बुद्धिमत्ता को कृत्रिम रूप से बनाया जाता है ताकि मशीनों को बुद्धिमत्ता के प्रसंग में, मनुष्यों की तरह व्यवहार करने के लिए बनाया जा सके। मशीनों को यदि बुद्धिमत्ता के आदेशों के साथ प्रक्रिया में लाया जाता है, तो वे 100 प्रतिशत परिणाम देते हैं, क्योंकि वे कुशल हैं। मानव मस्तिष्क उसी तरह की क्षमता के लिए सक्षम हो सकता है या संभव है कि नहीं भी हो सकता है क्योंकि यह उस दौरान मस्तिष्क के कार्य करने पर निर्भर करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता जिसे हम अंग्रेजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी कहते हैं उसका जन्म वर्ष 1950 में हुआ था। जॉन मैकार्थी पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसा कोई शब्द बनाने वाले पहले व्यक्ति थे, इसलिए उन्हें एआई (AI) का जनक माना जाता है। यह कंप्यूटर को एक इंसान के रूप में सोचने, समझने, और प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने की प्रक्रिया है साथ ही डेटा को इनपुट्स और कमांड के रूप में विकसित करके प्रदर्शन किया जाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बारे में और भी अधिक विस्तार से जानने के लिए हम यहाँ पर आपके लिए अलग अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध लेकर आये हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Artificial Intelligence in Hindi, Kritrim Buddhimatta par Nibandh Hindi mein)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निबंध – (250 – 300 शब्द).

हम कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटेलिजेंस वाले कंप्यूटर और मशीनें हैं जो हमारे काम को आसान बनाती हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह कंप्यूटर को इंसान की तरह सोचने और कार्य करने की क्षमता प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह कंप्यूटर को इनपुट और दिशा-निर्देश के रूप में डेटा देकर किया जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग

एआई के अनुप्रयोग विशाल और विविध हैं, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल और वित्त से लेकर परिवहन, मनोरंजन और बहुत कुछ शामिल हैं। जैसे की स्व चालित गाड़िया, एआई-पावर्ड असिस्टेंट, फेशियल रिकॉग्निशन, सिफ़ारिश प्रणाली, रोबोटिक्स आदि। आजकल सबसे लोकप्रिय एआई एप्लिकेशन चैटजीपीटी हैं, यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ताओं को प्रश्न टाइप करते ही उसका उत्तर दे देता है, यह बिलकुल एक इंसान जैसा उत्तर देता है। एआई फोटो जनरेटर, जो एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ताओं को प्रश्न टाइप करते ही मनमाफिक फोटो जेनेरेट कर देता है। ये बिलकुल ही अकल्पनीय सॉफ्टवेयर है। सोफिया, एक बहुत ही उन्नत ह्यूमनॉइड रोबोट है जो एक व्यक्ति की तरह कार्य और व्यवहार कर सकती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: दोस्त या दुश्मन

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को संदर्भ और इसके उपयोग के तरीके के आधार पर दोस्त और दुश्मन दोनों के रूप में देखा जा सकता है। एआई प्रौद्योगिकियां उबाऊ कामों को स्वचालित करके और अधिक कुशल बना सकती हैं। चूंकि एआई कुछ कार्यों को स्वचालित करना आसान बनाता है, इसलिए लोगों को नौकरी छूटने और संभावित बेरोजगारी की चिंता होती है, खासकर उन उद्योगों में जो मैन्युअल काम या बार-बार किए जाने वाले कार्यों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं। एआई सिस्टम को हैक किया जा सकता है या बदला जा सकता है, जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है और एआई-संचालित प्रौद्योगिकियों का गलत उपयोग भी हो सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने विभिन्न उद्योगों में क्रांति ला दी है और इसका तेजी से विकास जारी है। हालाँकि, इसके जिम्मेदार और लाभकारी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एआई से जुड़े नैतिक विचारों और संभावित जोखिमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान में हो रही प्रगति में से एक है, इसलिए इसे कंप्यूटर विज्ञान की ही एक शाखा के रूप में देखा जा सकता है। यह मशीनों की बुद्धिमत्ता है। आमतौर पर, हम इंसानों की बुद्धिमत्ता को ही समझते हैं, लेकिन जब इसी को मशीन द्वारा दर्शाया जाता है, तो उसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है।

एक मशीन तभी कार्य करती है जब उसे निर्देश दिया जाता है लेकिन अगर उसी मशीन में मानव जैसी सोच और विश्लेषण, समस्या को सुलझाने की क्षमता, आवाज पहचानने की क्षमता आदि को स्थापित कर दिया जाए, तो वही इसे स्मार्ट साबित करता है। मानवीय बुद्धिमत्ता कुछ संसाधित निर्देशों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। मशीनों के निर्देश के रूप में कई संसाधित कमांड हैं ताकि वे मनचाहे परिणाम दे सकें।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रकार

मुख्य रूप से दो प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता होती है, जो इस प्रकार से हैं :

  • संकुचित कृत्रिम बुद्धिमत्ता – ये सिर्फ एकल कार्य कर सकते हैं, उदाहरण – आवाज की पहचान करना।
  • सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता – इस तरह की बुद्धिमत्ता में मानव जैसे कार्यों को करने की क्षमता होती है। फिलहाल आज की तारीख तक, ऐसी कोई मशीन विकसित नहीं हुई है।
  • उत्कृष्ट कृत्रिम बुद्धिमत्ता – एआई एक इंसान से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखता है। हालाँकि इस पर अभी भी शोध जारी है।
  • प्रतिक्रियाशील मशीन – यह मशीन किसी परिस्थिति के प्रति तेजी से प्रतिक्रिया करती है। यह वर्तमान या भविष्य के उपयोग के लिए किसी भी डेटा को स्टोर करने में सक्षम नहीं है। यह फीड किए गए डेटा के अनुसार काम करता है।
  • सीमित स्मरणशक्ति – यह मशीन एक सीमित अवधि के लिए कम मात्रा में डेटा इक्कठा कर सकती है। इसके उदाहरण सेल्फ ड्राइविंग कार और वीडियो गेम हैं।
  • मन का सिद्धांत – ये ऐसी मशीनें हैं जो मानवीय भावनाओं को समझती हैं, ये काफी ज्यादा समझदार होती हैं। हालाँकि इस प्रकार की मशीनें अभी तक विकसित नहीं हुई हैं। इसलिए अवधारणा पूरी तरह से काल्पनिक है।
  • आत्म जागरूकता – इस प्रकार की मशीनें इंसानों की तुलना में बेहतर काम करने का गुण रखती हैं। ये दूसरी बात है कि आज की तारीख तक, ऐसी कोई मशीन विकसित नहीं की गई है। हालाँकि इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: मानव जाती के लिए खतरा

विकासशील तकनीक के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक वरदान साबित हो रही है। यह कार्यभार को कम करने के साथ-साथ इसे विशेष रूप से हल करके उक्त कार्य को और भी ज्यादा आसान बना सकता है। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक व्यक्ति अपने कार्य में कई तरह के लाभ उठा सकता है। चूंकि इस दुनिया में हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कई नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। यदि इस तकनीक का उपयोग नकारात्मक मानसिकता के साथ किया जाता है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सम्पूर्ण मानव जाति को नष्ट भी कर देगा। किसी भी तकनीक को विकसित करने का मतलब यह कभी नहीं होता है कि हमें काम करना बंद कर देना चाहिए, वे केवल हमारे काम को आसान बनाने के लिए हैं। लेकिन अगर हम इस बात को भूल जाते हैं तो हमारे हाथ निराशा के अलावा और कुछ भी नहीं लगेगा।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली कई मशीनें आज की तारीख में उपलब्ध हैं, जो हमारे काम को आसान बनाती हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस तमाम उपकरणों के विकास के कारण कम ज्ञान वाले लोगों को भी काफी मदद मिल जाती हैं। आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास का उपयोग किया जा सकता है।

निबंध 3 (600 शब्द) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता: एक विशेषाधिकार या नुकसान

मशीनें हमारे काम को सरल और आसान बनाती हैं, लेकिन अगर मशीनों में इंसान जैसी समस्याओं को सुलझाने और परिणाम देने की क्षमता आ जाती है तो यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहलाता है। यह कंप्यूटर विज्ञान की उन्नत शाखाओं में से एक है। मशीनों में मानव बुद्धिमत्ता की विभिन्न विशेषताओं को विकसित करने पर ध्यान देने की दिशा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को परिभाषित किया जा सकता है। इन विशेषताओं को विभिन्न डेटा, बुद्धिमत्तापूर्ण एल्गोरिदम के माध्यम से विकसित किया जा सकता है जिन्हें इनपुट के रूप में उपयोग किया जाना है। वर्तमान में हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ तमाम तरह के उपकरणों से घिरे हुए हैं, उदाहरण के लिए, एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, मोबाइल, बायोसेंसर, वीडियो गेम, आदि। व्यापाक रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास से मानव जाति को विभिन्न पहलुओं में लाभ होगा।

संकुचित , सामान्य और उत्तम कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है

संकुचित कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • यह एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता है जो कार्य विशिष्ट होती है यानी किसी एक काम को करने के लिए बना होना।
  • किसी एक कार्यक्रम को करने की क्षमता होना।
  • आमतौर पर यह व्यापक रूप से उपलब्ध है।
  • उदाहरण के लिए, आवाज पहचाना, चेहरा पहचाना, आदि।

सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता में मानवीय भावनाओं को समझने की क्षमता होती है जैसे- दुःख, सुख, क्रोध, आदि।
  • काम के वक़्त इंसान जितना बेहतर साबित होगा, हालाँकि इस तरह की बुद्धिमत्ता वाली मशीन को विकसित करने की कोशिशें जारी हैं।

उत्तम कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • एक प्रकार का कृत्रिम बुद्धिमत्ता जो समस्या-समाधान और अन्य कार्यों में मनुष्य से बेहतर प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।
  • इसपर शोध प्रक्रिया अभी भी जारी है। ऐसा कोई उपकरण आज तक विकसित नहीं हुआ है, फिलहाल यह काल्पनिक है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: एक विशेषाधिकार या नुकसान

मशीन में मानव बुद्धि को विकसित करने के लिए, कार्य को सरल बनाने के लिए, कंप्यूटर विज्ञान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में उन्नति की है। यह विशेष अधिकार या नुकसान के रूप में पहचान करने के लिए उपयोग के मानदंडों पर निर्भर करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमें अपने काम को आसान बनाने के लिए सहायता प्रदान करने में हमारी मदद कर रहा है,

  • यदि यह शिक्षा के साथ है, तो तेजी से सीखने के विभिन्न तरीकों के साथ ऊपर उठने में मदद करता है, बिना किसी गलती के अधिक मात्रा में डेटा संकलित करता है।
  • चिकित्सा क्षेत्र में, यह विभिन्न तरह के निदान के लिए डेटा व्याख्या की सुविधा प्रदान करता है, किसी तरह के प्रयास की उम्मीद किये बिना यह विभिन्न रोगियों का विवरण प्राप्त करना, आगे चलकर किसी भी बीमारी से संबंधित प्रश्नों या रोगियों की काउंसलिंग के बारे में चर्चा के लिए एक सामान्य मंच साबित करने में मदद करता है। रूटीन चेकअप की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ अन्य कई उपकरण भी उपलब्ध हैं।
  • यह दैनिक गतिविधियों में भी काफी उपयोगी है, आगे अनुसंधान और विकास क्षेत्र को बहुत मदद प्रदान करता है।

जिस तरह से हम अपने जीवन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लागू करते जा रहे हैं इससे यह तय होते जा रहा है कि यह एक विशेषाधिकार होगा या फिर नुकसान होगा।

सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जो कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से है और वह ये है कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। यह ई-कचरे को जन्म देता है जो सड़ने योग्य नहीं माना जाता है और अगर इसे डंप भी किया जाता है, तो यह तमाम तरह की विषाक्त भारी-भरकम धातुओं को छोड़ देगा, जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता ख़त्म हो जाएगी।

  • प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता मनुष्य में आलस्य का कारण बनती जा रही है। अलग-अलग बीमारियों को न्यौता देने के साथ-साथ आपके काम करने की क्षमता भी वक़्त के साथ कम होते जाती है। इसलिए किसी को इन उपायों पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए।
  • वह दिन दूर नहीं जब मशीन इंसानों से ज्यादा बेहतर हो जायेंगे।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जब उचित तरीके से उपयोग की जाती है, तो इसके अच्छे परिणाम आते हैं, लेकिन अगर मशीन को दिए गए निर्देश नकारात्मक या विध्वंसक हैं, तो इससे समुदाय को नुकसान हो सकता है।
  • प्रौद्योगिकियां दिन-प्रति-दिन आगे बढ़ती जा रही हैं, और इस तरह वह समय नजदीक होगा जब इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से किया गया हर कार्य मानव को विलुप्त होने की ओर ले जाएगा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि तकनीकी उन्नति, मानव जाति के विकास में एक सहायक रणनीति साबित हो रही है। आज इंसान चाँद पर बसने की योजना बना रहा है। जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्तर पर विकसित किया जाता है, तो उससे काफी अधिक तकनीकी सहायता मिलेगी। रोबोटिक्स जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता की एक विकासशील शाखा है, इसके उच्च योगदान हो सकते हैं। प्रशिक्षित रोबोट को परीक्षण और निगरानी गतिविधियों के लिए अलग-अलग नमूने प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। इसलिए कुल मिला जुला कर, यह कहा जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव जाति को लाभान्वित करने की दिशा में है यदि उसका उपयोग उचित और सकारात्मक तरीके से किया जाए।

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Satellite In Hindi | सेटेलाइट या उपग्रह क्या है व इसकी अन्य जानकारी

हैल्लो दोस्तों, आज Tech Karya हिन्दी ब्लॉग में, हम Satellite के बारे में बात करने है जिसमे बताएंगे कि, सैटेलाइट या उपग्रह क्या है (What is Satellite in Hindi) , सैटेलाइट कैसे काम करता है, सैटेलाइट के प्रकार, सैटेलाइट का उपयोग और सैटेलाइट का परिभाषा क्या है? इन सभी विषयों की जानकारी विस्तृतरूप से जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं कि, Satellite Kya Hota Hai ?

सैटेलाइट के बारे में आपने सुना होगा परंतु हो सकता है वास्तव में आप सैटेलाइट के बारे में बहुत कम जानते हों। हमारे दैनिक जीवन के वर्तमान समय मे Satellite का बहुत योगदान हैं जैसे टीवी, रेडियो, मोबाइल में GPS Navigation आदि सैटेलाइट की वजह से संभव हो पाता है व इन सभी डिवाइस को चलाने के लिए सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी प्रोवाइड करता है, आज के समय मे सारे उपकरण सैटेलाइट के माध्यम से ऑपरेट हो रहा है। भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट है जिसे 19 अप्रैल 1975 को लांच किया गया था इसे ISRO ने बनाया था, पर सेवियत संघ रूस के अंतरिक्ष संगठन के मदद से लांच किया गया था।

satellite kya hai hindi

सैटेलाइट विभिन्न प्रकार की क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करता हैं जैसे, दुनिया भर मे टेलीविजन कार्यक्रमों का प्रसारण, रिमोट फोन कॉल, मौसम की जानकारी, समाचार रिपोर्ट, ओला / उबेर टैक्सी बूकिंग, गूगल मैप, वाहन ट्रैकिंग, किसी स्थान या दुश्मन देश पर निगरानी करना, जीपीएस नेवीगेशन और भी बहुत कुछ, ये सभी विभिन्न तरह की जानकारी पाने हेतु सैटेलाइट की मदद से ही जाती हैं। इस पोस्ट मे चलिये जानते हैं की, सैटेलाइट क्या है, सैटेलाइट की विशेषताओं और इसके प्रकारों को समझते हैं।

Satellite Meaning in Hindi

Satellite ka hindi meaning : Satellite को हिंदी में ‘उपग्रह’ कहते है। ‘उपग्रह’ शब्द का अर्थ एक ऐसी वस्तु है जो पृथ्वी या अंतरिक्ष में किसी ग्रह पिंड के चारों ओर कक्षा में चक्कर लगाता है। उपग्रह दो प्रकार के होते है, पहला प्राकृतिक उपग्रह व दुसरा है, कृत्रिम उपग्रह ।

प्राकृतिक उपग्रह वह उपग्रह होते है जो मानव द्वारा निर्मित नहीं होते हैं, उदाहरण- चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है क्योंकि यह पृथ्वी की कक्षा में चारों ओर चक्कर लगाता है। कृत्रिम उपग्रह, यह मानव निर्मित उपग्रह होता है, जिसे विभिन्न देश के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान से लांच किया जाता है जो कि पृथ्वी के ऑर्बिटल में पृथ्वी का 24×7 चक्कर लगाता है। जैसे- Sputnik 1 , Rohini Satellites .

Satellite Definition in Hindi

Satellite वह वस्तु है जो प्राकृतिक रूप से या मानव द्वारा निर्मित होती हैं। जो वस्तु अंतरिक्ष में किसी अन्य बड़ी वस्तु (ग्रह) की परिक्रमा करती है, उसे उपग्रह कहते हैं। यह किसी भी ग्रह की कक्षा पथ में वृत्ताकार या अण्डाकार हो सकती है। बड़ी वस्तु अपने चारों ओर घूमने वाली सभी छोटी वस्तुओं को धारण करती हैं और उन्हें जीवन, प्रकाश, ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करती है। उदाहरण के लिए- पृथ्वी सुर्य का एक प्राकृतिक उपग्रह हैं क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा करती है।

  • जीपीएस क्या है? व इसकी पूरी जानकारी हिंदी में
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) क्या है?

सैटेलाइट क्या है (What is Satellite in Hindi)

सैटेलाइट को हम आसानी से समझ सकते है यह एक छोटा ऑब्जेक्ट होता हैं जो अपने से बड़े ऑब्जेक्ट के चारों तरफ अन्तरिक्ष मे 24×7 परिक्रमा करता है। हमारी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाले चंद्रमा को भी एक Satellite कह सकते हैं पर यह पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक सैटेलाइट है जो इंसान के कंट्रोल या फिर किसी टेक्नोलॉजी के हिसाब से नहीं चलता हैं पर चन्द्रमा के परिक्रमण के आधार पर मानव ने अपने इन्वेंशन मे कृत्रिम सैटेलाइट बनाया व उसे पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमण के लिए छोड़ा हैं जो कि वर्तमान मे मानव के विकास मे बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है व मानव जीवन की विकास की साधनों में से एक हैं।

मानव द्वारा निर्मित सैटेलाइट एक छोटे से टीवी के आकार से लेकर एक घर जितना बड़ा हो सकता है, साइज़ के अनुसार ही काम कि निर्भरता होता है। सैटेलाइट के दोनों तरफ सोलर पैनल लगे होता हैं जिससे सेटेलाइट को सूर्य किरण से ऊर्जा मिलता है व बिजली मे कन्वर्ट होता है, वहीं सेटेलाइट के मध्य मे ट्रांसमीटर व रिसीवर होता हैं जिसके माध्यम से सिग्नल को रिसीव या भेजने का काम किया जाता हैं, इसके साथ ही कुछ कण्ट्रोल मोटर भी लगे रहते हैं जिसके सहायता से धरती से मनुष्य सेटेलाइट को रिमोट द्वारा नियंत्रित कर सकते हैं व उसकी स्थिति को बदल सकते हैं, या फिर उपग्रह का एंगल भी बदलना होता हैं तो सारी चीजें इस कण्ट्रोल मोटर के माध्यम से करते हैं।

सैटेलाइट को विभिन्न कार्यों के लिए बनाया गया हैं, आपको वह ऑब्जेक्ट सेटेलाइट में देखने को आसानी से मिल जाता हैं जैसे उपग्रह को पृथ्वी पर चक्रवात की इमेज लेने के लिए बनाया गया है, सैटेलाइट में बड़े कैमरे भी लगे होते है जो समुद्र को पूरी तरह से कवर करता है या फिर स्कैनिंग के लिए बनाया गया होता हैं तब आपको उसमे स्कैनर देखने को मिल जायेंगे वह भी उच्च क्वालिटी का स्केनर, यह सब Satellite के वर्क में निर्भर करता हैं।

सैटेलाइट के प्रकार (Types of Satellite in Hindi)

सौरमंडल में पृथ्वी, चंद्रमा सहित बहुत सारे उपग्रह मौजूद हैं। इसलिए, अंतरिक्ष मे ग्रहों के अस्तित्व के आधार पर उपग्रहों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया हैं:

  • प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite)
  • कृत्रिम उपग्रह (Artificial Satellite)

प्राकृतिक उपग्रह ( Natural Satellite)

वह उपग्रह जो मानव निर्मित नहीं हैं, वो प्राकृतिक उपग्रह कहलाते हैं, उदाहरण के लिए- पृथ्वी, बृहस्पति, यूरेनस, शनि, नेपच्यून और मंगल जैसे ग्रह एक अपने एक निश्चित कक्षा में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं इसलिए इन सभी ग्रह को सूर्य का प्राकृतिक उपग्रह कहते है। चंद्रमा भी पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह हैं क्योंकि यह पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता हैं। प्राकृतिक उपग्रहों को चंद्रमा कहा जाता हैं।

गैलेक्सी में सूर्य अरबों सितारों में से अपनी एक अलग पहचान रखता है जो पूरे सौर मंडल को धारण करता है। यह सौर मंडल में केंद्रीय स्थान लेता है और ग्रहों को सभी संसाधन प्रदान करता है। सौर मंडल में कुल 218 से अधिक प्राकृतिक उपग्रह हैं। इन ग्रहों मे अधिकतर चंद्रमा होते हैं, जो बड़े व छोटे ग्रहों और अन्य सौर मंडल के ग्रह पिंडों की परिक्रमा करते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही ग्रह बहुत बड़े होते हैं तथा उनका आकार काफी गोलाकार होता है। जैसे- बृहस्पति और शनि ग्रह।

कृत्रिम उपग्रह Artificial Satellite

वह उपग्रह जो मानव निर्मित होती है, कृत्रिम उपग्रह कहलाती हैं। यह पृथ्वी और सौर मंडल के अन्य ग्रहों की परिक्रमा करती हैं। मानव निर्मित उपग्रह को रॉकेट द्वारा लॉन्च किए जाते हैं, जो पृथ्वी की सतह से लंबवत निकलते हैं इसके बाद ये अंतरिक्ष में पृथ्वी या अन्य ग्रहों की कक्षा में स्थापित हो जाते हैं। कृत्रिम उपग्रह को उपग्रह कहा जाता है।

कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग टेलीविजन प्रसारण, सूचनाएं एकत्र करने, लोगों को संचार करने में मदद करने, पृथ्वी या अन्य ग्रहों का अध्ययन करने और यहां तक ​​कि दूर के ब्रह्मांड को देखने के लिए भी किया जाता है। मनुष्यों द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित दुनिया का सबसे पहला उपग्रह स्पुतनिक 1 हैं जिसे 1957 में सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किया गया था। मानव द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कुछ कृत्रिम सैटेलाइट के नाम Sputnik 1, Rohini, Vanguard 2E, Luna 2, Ranger 6, Aryabhata, Bhaskara-1 और Chandrayaan-1 इत्यादि हैं।

सैटेलाइट कैसे काम करता है (How to Satellite Works)

आपके मन मे यह सवाल होगा कि सैटेलाइट कैसे काम करता है, ऐसे मे आप यह जान गए होंगे कि Satellite ka hindi meaning एवं उपग्रह क्या होता है, अब जानते हैं, सैटेलाइट अंतरिक्ष मे खुले ब्रम्हांड में कैसे टिके रहते हैं या कैसे काम करते है?

सैटेलाइट वास्तव में यह धरती पर गिरता नही या फिर यह अंतरिक्ष मे खो क्यों नही जाता है, इसका कारण बहुत ही सिंपल हैं जैसे अगर किसी भी चीज को अन्तरिक्ष में रखना हैं या उसे रहना पड़ता हैं तब उसे अपनी गति से अपने से बड़े किसी ऑब्जेक्ट का चक्कर लगाना होता है, साथ ही उसकी स्पीड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही सेटेलाइट अंतरिक्ष मे ठहरता है, इसी नियम के आधार पर वर्क करता है। इसमे एनर्जी के लिए सोलर पैनल लगे होते है जिससे सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है इस तरह से सैटेलाइट कार्य करता हैं।

मुख्यतः उपग्रहो को हम आज के समय मे कम्युनिकेशन के लिए काम मे लाते हैं इससे काफी आसानी से कम्युनिकेशन डेवेलप होता है, क्योंकि रेडियो व ग्राउंड वेब पृथ्वी मे पूरी तरह से कम्युनिकेशन में काम नहीं आता हैं इसलिए ज्यादातर सैटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के काम में लिया जा रहा हैं।

सैटेलाइट का उपयोग (Uses of Satellite in Hindi)

मिलिटरी सैटेलाइट: मिलिटरी सैटेलाइट का उपयोग दुश्मन देश की वस्तुओं की जासूसी, सर्वेक्षण और ट्रैक करने के लिए करते है। ये उपग्रह दुश्मन की वस्तु की उपस्थिति वाले जगह को स्कैन करते हैं और मेजबान देश को वहां की तस्वीरें और जानकारियां उपलब्ध कराते हैं।

मौसम का पूर्वानुमान: सेटेलाइट द्वारा पृथ्वी पर मौसम का पूर्वानुमान करने, जलवायु की स्थिति की निगरानी करने, तूफान, चक्रवात और अत्यधिक बारिश जैसी किसी भी मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी करने और आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद करती हैं।

नेविगेशन: सैटेलाइट की सहायता से नेविगेट करके एक स्थान से दूसरी स्थान तक आसानी से पहुँच सकते हैं और एक ही जगह बैठे एक स्थान से दूसरे स्थान तक की दूरी जान सकते हैं व उसके आस-पास कौन-कौन सी चीजें मौजूद हैं। नेविगेशन के लिए GPS लोकेटर का प्रयोग करते है जो सैटेलाइटों कनेक्ट होती हैं।

टेलीफोन: सैटेलाइट पृथ्वी के किसी भी कोने जगह पर किसी भी व्यक्ति के साथ वायरलेस टेलीफोन कनेक्टिविटी करने में मदद करता हैं तथा यह किसी भी मौसम में कार्य करता हैं।

DTH टेलिकास्टिंग या टेलीविजन: हम किसी भी केबल का प्रयोग किये बिना सैटेलाइट से लाइव टीवी कार्यक्रम देखे सकते हैं जैसे- टीवी कार्यक्रम, क्रिकेट का फुटेज सैटेलाइट सिग्नल द्वारा प्रसारित किया जाता हैं।

जलवायु व पर्यावरण निगरानी: सेटेलाइट द्वारा जलवायु परिवर्तन रिसर्च के बारे मे जानकारी प्राप्त करने के लिए बेहतरीन स्रोत हैं। उपग्रह समुद्र के तापमान की निगरानी करते हैं। उपग्रह ग्लेशियरों के बदलते आकार को माप सकते हैं, जो जमीन से इसके बारे में पता करना मुश्किल हैं।

संक्षेप में:

जैसा की आपने जाना की सेटेलाइट क्या है , सैटेलाइट कम्युनिकेशन ने इंडस्ट्रीज को बिज़नस मे बदलाव लाने मे बहुत मदद की हैं। सैटेलाइट टेक्नालजी का प्रयोग करके नए-नए मोबाइल एप्लिकेशन बनाए गए हैं जिसका इस्तेमाल हम नेविगेशन व अन्य जानकारीयां पाने के लिए करते हैं तथा यह स्टेकहोल्डरों को बिज़नस से जोड़ता हैं।

हमें उम्मीद है मेरे द्वारा दी गयी जानकारी Satellite ka hindi meaning , Upgrah kya hai तथा Satellite kaise kam karta hai इत्यादि आपके लिए उपयोगी व ज्ञानवर्धक साबित हुई होगी। अगर आपको ये पोस्ट Satellite kya hota hai अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें, ताकि उन सबको भी ये जानकारी मिल पायें। अगर इस पोस्ट से संबन्धित कोई भी सवाल व सुझाव हैं तो आप कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं, धन्यवाद!

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English Essay on “Artificial Satellites” Astronomy Essay, Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10, 12 Exam.

Artificial satellites.

An artificial satellite is a manufactured object that continuously orbits Earth or some other body in space. Most artificial satellites orbit Earth. People use them to study the universe, help forecast the weather, transfer telephone calls over the oceans, assist in the navigation of ships and, aircraft, monitor crops and other resources, and support military activities.

Artificial satellites also have orbited the moon, the sun, asteroids, and the planets Venus, Mars, and Jupiter. Such satellites mainly gather information about the bodies they orbit.

Piloted spacecraft in orbit, such as space capsules, space shuttle orbiters, and space stations, are also considered artificial satellites.

So, too, are orbiting pieces of “space junk,” such as burned-out rocket boosters and empty fuel tanks that have not fallen to Earth. But this article does not deal with these kinds of artificial satellites.

Artificial satellites differ from natural satellites, natural objects that orbit a planet. Earth’s moon is a natural satellite. The Soviet Union launched the first artificial satellite, Sputnik 1, in 1957. Since then, the United States and about 40 other countries have developed, launched, and operated satellites. Today about 3000 useful satellites and 6,000 pieces of space junk are orbiting Erath.

Satellite orbits have a variety of shapes. Some are circular, while others are highly elliptical (egg-shaped). Orbits also vary in altitude. Some circular orbits, for example, are just above the atmosphere at an altitude of about 155 miles (250 kilometers), while others are more than 20,000 miles (32,200 kilometers) above Earth. The greater the altitude, the longer period — the time it takes a satellite to completer one orbit.

A satellite remains in orbit because of a balance between the satellite’s velocity (the speed at which it would travel in a straight line) and the gravitational force between the satellite and Earth. Were it not for the pull of gravity, a satellite’s velocity would send it flying away from Earth in a straight line. But were it not for velocity gravity would pull a satellite back to Earth.

To help understand the balance between gravity and ve consider what happens when a small weight has attached a lock to a string and swung in a circle. If the string were to break, the weight would fly off in a  line. like gravity, however, the string acts keeping the weight in its orbit. The weight and string can also show the relationship between a satellite’s altitude and its orbital period. A long string is like a high altitude. The weight takes a relatively long time to complete one circle. A short string is like a low altitude. The weight has a relatively short orbital period. orbital period.

Many types of orbits exist, but most artificial satellites orbiting Earth travel in one of four types:

(1) high altitude, geosynchronous,

(2) medium-altitude,

(3) un-synchronous, polar; and

(4) low altitude. Most orbits of these four types are circular.

A high altitude, geosynchronous orbit lies above the equator at an altitude of about 22,300 miles (35,900 kilometers). A satellite this orbit travels around Earth’s axis at exactly the same time, d in the same direction, as Earth rotates about its axis. Thus, as seen from Earth, the satellite always appears at the same place in the sky overhead. To boost a satellite into this orbit requires a large, powerful launch vehicle.

A medium-altitude orbit has an altitude of about 12,400 miles (20,000 kilometers) and an orbital period of 12 hours. The orbit is outside Earth’s atmosphere and is thus very stable. Radio signals sent from a satellite at medium altitudes can be received over a large area of Earth’s surface. The stability and wide coverage of the orbit make it ideal for navigation satellites.

A sun-synchronous, polar orbit has a fairly low altitude and passes almost directly over the North and South poles. A slow drift of the orbit’s position is coordinated with Earth’s movement around the sun in such a way that the satellite always crosses the equator at the same local time on Earth. Because the satellite flies over all latitudes, its instruments can gather information on almost the entire surface of Earth. One example of this type of orbit is that of the TERRA Earth Observing System’s NOAA-H satellite. This satellite studies how natural cycles and human activities affect Earth’s climate. The altitude of its orbit is 438 miles (705 kilometers), and the orbital period is 99 minutes. When the satellite crosses the equator, the local time is always either 10:30 a.m. or 10:30 p.m.

A low-altitude orbit is just above Earth’s atmosphere, where there is almost no air to cause drag on the spacecraft and reduce its speed. Less energy is required to launch a satellite into this type of orbit than into any other orbit. Satellites that point toward deep space and provide scientific information generally operate in this type of orbit. The Hubble Space Telescope, for example, operates at an altitude of about 380 miles (610 kilometers), with an orbital period of 97 minutes.

Artificial satellites are classified according to their mission. There are six main types of artificial satellites:

(1) scientific research,

(2) weather,

(3) communications,

(4) navigation,

(5) Earth-observing, and

(6) military.

Scientific research satellites gather data for scientific analysis. These satellites are usually designed to perform one of three kinds of missions. (1) Some gather information about the composition and effects of the space near Earth. They may be placed in any of various orbits, depending on the type of measurements they are to make. (2) Other satellites record changes in Earth and its atmosphere. Many of them travel in sun-synchronous, polar orbits. (3) Still others observe planets, stars, and other distant objects. Most of these satellites operate in low altitude orbits. Scientific research satellites also orbit other planets, the moon, and the sun.

Weather satellites help scientists study weather patterns and forecast the weather. Weather satellites observe the atmospheric conditions over large areas.

Some weather satellites travel in a sun-synchronous, polar orbit, from which they make close, detailed observations of weather over the entire Earth. Their instruments measure cloud cover, temperature, air pressure, precipitation, and the chemical composition of the atmosphere. Because these satellites always observe Earth at the same local time of day, scientists can easily compare weather data collected under constant sunlight conditions. The network of weather satellites in these orbits also functions as a search and rescue system. They are equipped to detect distress signals from all commercial, and many private, planes and ships.

Other weather satellites are placed in high-altitude, geosynchronous orbits. From these orbits, they can always observe weather activity over nearly half the surface of Earth at the same time. These satellites photograph changing cloud formations. They also produce infrared images, which show the amount of heat corning from Earth and the clouds.

Communications satellites serve as relay stations, receiving radio signals from one location and transmitting them to another. A communications satellite can relay several television programs or many thousands of telephone calls at once. Communications satellites are usually put in a high altitude, geosynchronous orbit over a ground station. A ground station has a large dish antenna for transmitting and receiving radio, signals. Sometimes, a group of low orbit communications satellites arranged in a network called a constellation, work together by relaying information to each other and to users on the ground. Countries and commercial organizations, such as television broadcasters and telephone companies, use these satellites continuously. Navigation satellites enable operators of aircraft, ships, and land vehicles anywhere on Earth to determine their locations with great accuracy. Hikers and other people on foot can also use satellites for this purpose. The satellites send out radio signals that are picked up by a computerized -receiver carried on a vehicle or held in the hand.

Navigation satellites operate in networks, and signals from a network can reach receivers anywhere on Earth. ‘file receiver calculates its distance from at least three satellites whose signals it has received. It uses this information to determine its location.

Earth-observing satellites are used to map and monitor our planet’s resources and ever-changing chemical life cycles. They follow sun-synchronoUs, polar orbits. Under constant, consistent illumination from the sun, they take pictures in different colors of visible light and non-visible radiation. Computers on Earth combine and analyze the pictures. Scientists Earth-observing satellites to locate mineral deposits, to determine the location and size of freshwater supplies, to identify sources of pollution and study its effects, and to detect the spread of disease in crops and forests.

Military satellites include weather, communications, navigation, and Earth-observing satellites used for military purposes. Some military satellites — often called “spy satellites” — can detect the launch of missiles, the course of ships at sea, and the movement of military equipment on the ground.

Every satellite carries special instruments that enable it to perform its mission. For example, a satellite that studies the universe has a telescope. A satellite that helps forecast the weather carries cameras to track the movement of clouds.

In addition to such mission-specific instruments, all satellites have basic subsystems, groups of devices that help the instruments work together and keep the satellite operating. For example, a power subsystem generates, stores, and distributes a satellite’s electric power. This subsystem may include panels of solar cells that gather energy from the sun. Command and data handling subsystems consist of computers that gather and process data from the instruments and execute commands from Erath.

A satellite’s instruments and subsystems are designed, built, and tested individually Workers install them on the satellite one at a time until the satellite is complete. Then the satellite is tested under conditions like those that the satellite will encounter during launch and while in space. If the satellite passes all tests, it is ready to be launched.

Launching the satellite: Space shuttles carry some satellites into` space, but most satellites are launched by rockets that fall into the ocean after their fuel is spent. Many satellites require minoi ustments of their orbit before they begin to perform their function. Built-in rockets called thrusters make these adjustments. Once a satellite is placed into a stable orbit, it can remain there for a long time without further adjustment.

Most satellites operate are directed from a control center o Earth. Computers and human operators at the control center monitor the satellite’s position, send instructions to its computers and retrieve information that the satellite has gathered. The control center communicates with the satellite by radio. Ground’ stations within the satellite’s range send and receive the radio signals.

A satellite does not usually receive constant direction from its control center. It is like an orbiting robot. It controls its solar panels to keep them pointed toward the sun and keeps its antennas ready to receive commands. Its instruments automatically collect information.

Satellites in a high altitude, geosynchronous orbit are always in contact with Earth. Ground stations can contact satellites in low orbits as often as 12 times a day. During each contact, the satellite transmits information and receives instructions. Each contact must be completed during the time the satellite passes overhead — about 10 minutes.

If some part of a satellite breaks down, but the satellite remains capable of doing useful work, the satellite owner usually will continue to operate it. In some cases, ground controllers can repair or reprogram the satellite. In rare instances, space shuttle, crews have retrieved and repaired satellites in space. If the satellite can no longer perform usefully and cannot be repaired or reprogrammed, operators from the control center will send a signal to shut it off.

A satellite remains in orbit until its velocity decreases and gravitational force pulls it down into a relatively dense part of the atmosphere. A satellite slows down due to the occasional impact of air molecules in the upper atmosphere and the gentle pressure of the sun’s energy. When the gravitational force pulls the satellite down far enough into the atmosphere, the satellite rapidly compresses the air in front of it. This air becomes so hot that most or all of the satellite burns up.

In 1955, the United States and the Soviet Union announced plans to launch artificial satellites. On Oct. 4, 1957, the Soviet Union launched Sputnik 1, the first artificial satellite. It circled Earth once every 96 minutes and transmitted radio signals that could be received on Earth. On Nov. 3, 1957, the Soviets launched a second satellite, Sputnik 2. It carried a dog named Laika, the first animal to soar in space. The United States launched its first satellite, Explorer 1, on Jan. 31, 1958, and its second, Vanguard 1, on March 17, 1958.

In August 1960, the United States launched the first communications satellite’ Echo I. This satellite reflected radio signals back to Earth. In April 1960, the first weather satellite, Tiros I, sent pictures of clouds to Earth. The U.S. Navy developed the first navigation satellites. The Transit 1B navigation satellite first orbited in April 1960. By 1965, more than 100 satellites were being placed in orbit each year.

Since the 1970s, scientists have created new and more effective satellite instruments and have made use of computers and miniature electronic technology in satellite design and construction. In addition, more nations and some private businesses have begun to purchase and operate satellites. By the early 2000s, more than 40 countries owned satellites, and nearly 3,000 satellites were operating in orbit.

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