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Artificial Satellite Essay – कृत्रिम उपग्रह पर निबंध

Artificial satellite essay, कृत्रिम उपग्रह पर निबंध.

Hello students I have shared Artificial Satellite Essay Rashtrabhasha कृत्रिम उपग्रह पर निबंध in Hindi and English.

कृत्रिम उपग्रह पर निबंध Artificial satellite Essay

सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करनेवाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। हमारे सौर मंडल में नौ ग्रह हैं – बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्वति , यम ( प्लूटो ), शनि , युरेनस और नेप्ट्यून | चंद्रमा पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह है।

Astronomical bodies revolving around the Sun or any other star are called planets.   There are nine planets in our solar system – Mercury, Venus, Earth, Mars, Jupiter, Yama (Pluto), Saturn, Uranus and Neptune.   Moon is the only natural satellite of the Earth.

इन ग्रहों और उपग्रहों के बारे में जानने के लिए मनुष्य ने कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण किया। रूस ने 4 अक्टूबर 1957 को पहला कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा था। इसका नाम था ‘ स्पुतनिक ‘ 1 । इसके बाद अमेरिका ने भी ‘ एक्स्प्लोरर ‘ नाम का कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा। भारत का पहला उपग्रह 3 अप्रैल 1974 ईस्वी में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। इस उपग्रह का नाम ‘ आर्यभट्ट ‘ रखा गया जो भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। इसके बाद भारत का दूसरा उपग्रह ‘ भास्कर ‘ 1 अंतरिक्ष में छोड़ा गया। भास्कर भी प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। आगे भारत ने रोहिणी , एप्पल और भास्कर -2 उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजा। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली के अंदर ‘ इन्साट -1 ए ‘, ‘ इन्साट – 1 बी ‘ आदि उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए। इन उपग्रहों की सहायता से देश के संचार व्यवस्था को बहुत लाभ हुआ है।

To know about these planets and satellites man made artificial satellites.   Russia sent the first artificial satellite into space on 4 October 1957.   Its name was ‘Sputnik’.   After this America also sent an artificial satellite named ‘Explorer’ into space.   India’s first satellite was installed in space on 3 April 1974 AD.   This satellite was named ‘Aryabhatta’ who was a famous mathematician of India.   After this, India’s second satellite ‘Bhaskar’ 1 was launched into space.   Bhaskara was also a famous mathematician of ancient India.   Further, India also sent Rohini, Apple and Bhaskar-2 satellites into space.   After this, satellites ‘INSAT-1A’, ‘INSAT-1B’ etc. were released into space inside the Indian National Satellite System.   With the help of these satellites, the country’s communication system has benefited a lot.

कृत्रिम उपग्रहों को राकेटों की सहायता से अंतरिक्ष में भेजा जाता है। ये निश्चित ऊँचाई तक पहुँच कर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं । उपग्रह से संदेशों को प्राप्त करने के लिए एक रिसीवर होता है और इसकी शक्ति बढ़ाने के लिए ‘ एंपलीफायर ‘ ( प्रवर्धक ) होता है। इनकी ऊर्जा के लिए बैटरियाँ लगी होती हैं।

Artificial satellites are sent into space with the help of rockets.   They revolve around the earth after reaching a certain height.   There is a receiver to receive the messages from the satellite and an ‘amplifier’ to increase its power.   Batteries are used for their energy.

उपग्रहों के माध्यम से टेलीफोन , रेडियो और टेलीविज़न संदेश धरती के एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाते हैं। यह संदेश उपग्रह में लगाये गये एंटेना द्वारा ग्रहण किए जाते हैं और रिसीवर के माध्यम से भेज दिए जाते हैं । उपग्रह ‘ ट्रांसमीटर ‘ ( संकेत प्रसारक ) इन संदेशों को पृथ्वी के निश्चित भाग की ओर भेजता है और वहाँ लगा रिसीवर इन्हें प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार टेलीविज़न सिग्नल दूसरे देश या दूसरे स्थान पर प्राप्त कर लिया जाता है। उपग्रह द्वारा संसार के किसी भी एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

Telephone, radio and television messages are sent from one place to another on the earth through satellites.   These messages are received by the antennas installed in the satellite and sent through the receiver.   The satellite ‘transmitter’ (signal broadcaster) sends these messages towards a certain part of the earth and the receiver located there receives them.   In this way the television signal is received in another country or place.   Through satellite, communication can be easily established from any corner of the world to the other.

कृत्रिम उपग्रह आज के युग में किसी भी देश की प्रगति के सूचक हैं। इन उपग्रहों के माध्यम से पृथ्वी के बारे में अनेक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। जल , खनिज , मौसम आदि की जानकारियों के साथ – साथ दूसरे देशों में रक्षा कार्यों के लिए किये गये प्रयासों का भी पता लगाया जा सकता है ।

Artificial satellites are an indicator of the progress of any country in today’s era.   Many information about the earth is obtained through these satellites.   Along with information about water, minerals, weather etc., efforts made for defense work in other countries can also be traced.

उपग्रहों की सहायता से घर बैठे – बैठे देश के कहीं से भी टेलीविज़न कार्यक्रम देख सकते हैं और अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं । ‘ ऑनलाइन ‘ पढ़ाई भी कर सकते हैं । सचमुच , कृत्रिम उपग्रह वैज्ञानिक है चमत्कार है ।

With the help of satellites, sitting at home, you can watch television programs from anywhere in the country and talk to your relatives.   You can also study ‘online’.   Truly, the artificial satellite is a scientific miracle.

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कृत्रिम उपग्रह | Artificial satellite in Hindi

कृत्रिम उपग्रह artificial satellite.

पृथ्वी तट के समीप (अर्थात् पृथ्वी तल से ऊँचाई पृथ्वी की त्रिज्या से कम हो (H<R) परिक्रमा करने वाले उपग्रह की कक्षीय चा 7.92 किमी/सेकेंड होती है।   अतः यदि हम किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से कुछ सौ किमी दूर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8.0 किमी/सेकेंड का पृथ्वी तल के समानांतर अर्थात् क्षैतिज वेग दें तो वह पिंड एक निश्चित कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करने लगता है , तब इस पिंड को कृत्रित उपग्रह कहते हैं।

इस कृत्रिम उपग्रह के वृत्ताकार पथ पर गति के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल , पृथ्वी द्वारा इस उपग्रह पर लगने वाला गुरूत्वाकर्षण बल है जिसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केंद्र की ओर होती है।

कृत्रिम उपग्रह आमतौर पर 7 प्रकार के होते हैं-

1. तुल्य कालिक अथवा भू-स्थिर उपग्रह geostationary satellite.

  • भू-स्थिर उपग्रह पृथ्वी स्थान विशेष के सापेक्ष स्थिर रहते हैं। इनकी गति की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है। इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन , टेलीविजन कार्यक्रमों आदि के संचार में होता है। यदि इस प्रकार के तीन उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिए जायें तो धु्रवीय क्षेत्रों के अलावा संपूर्ण पृथ्वीसे एक साथ संबंध स्थापित किया जा सकता   है।

2. भू-प्रक्षेपण उपग्रह (टोही उपग्रह) Terrestrial satellite

  • इन उपग्रहों के द्वारा पृथ्वी के भीतर छिपी प्राकृतिक संपदाओं का पता लगाया जाता है। भू-प्रक्षेपण उपग्रहों में कैमरे तथा इलेक्ट्रानिक उपकरण लगे होते हैं। जो पृथ्वी के विभिन्न भागों के चित्र लेते रहते हैं। इसलिए इन्हें ‘ टोही ‘ उपग्रह भी कहा जाता है। समुद्री लहरों एवं तूफानों का पता भी इन उपग्रहों द्वारा लगाया जा सकता है।

3. मेरीसैट उपग्रह Marissat Satellite

  • मैरीसैट उपग्रह का मुख्य उद्देश्य समुद्री जलपोतों के नाविकों को रेडियो संकेत उपलब्ध कराना है जिससे कि वे सही दिशा तथा दूर से जलपोतों की जानकारी प्राप्त कर सकें।

4. दूर-संवेदी उपग्रह Remote sensing satellite

  • दूर संवेदी उपग्रह की मदद से पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी भी वस्तु से उत्पन्न होने वाले या प्रतिबिम्बित होने वाले विकिरणों को प्रकाश एवं इन्फ्रारेड किरणो का उपयोग करने वाले सूक्ष्म कैमरों तथा इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा नीले-लाल , नीले-हरे तथा लगभग इन्फ्रारेड कणों के चित्रों के रूप में लिया जा सकता है। उपग्रह से प्राप्त इन रंगीन चित्रों को पृथ्वी तक प्राप्त करके उनके वास्तविक दिखने वाले चित्रों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार दूर संवेदी उपग्रहों द्वारा लिए गए चित्रों से खनिज सम्पदा , कृषि वानिकी , सागर सम्पदा आदि से संबंधित विषयों पर शीघ्रता से उपयोगी एवं सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

5. मौसमी उपग्रह Seasonal satellite

  • मौसम संबंधी जानकारी तथा वायुमण्डलीय परिस्थितियों का अध्ययन करने हेतु जो उपग्रह छोड़े गए हैं , उन्हें मौसमी उपग्रह कहते हैं। इन उपग्रहों का मुख्य उपयोग मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करने में किया जाता है।

6.   संचार उपग्रह  Communications satellite

  • संचार उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा 24 घंटे में करते हैं। इनकी मदद से पृथ्वी के दो भागों के बीच रेड़ियो , टेलीविजन तथा अन्य संकेतों को भेजा एवं ग्रहण किया जाता है।

7. वैज्ञानिक उपग्रह Scientific satellite

  • वैज्ञानिक उपग्रहों का उद्देश्य सूर्य द्वारा दी जा रही ऊर्जा , आयन मंडल में सूर्य के अस्त होने से होने वो परिवर्तन , मंगल , शुक्र , वृहस्पति आदि ग्रहों के चारों ओर के वातवरण आदि के विषयों में जानकारी प्राप्त करना है।

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essay on artificial satellite in hindi

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सैटेलाइट क्या है और कैसे काम करता है? | Satellite in Hindi

Satellite क्या है (Satellite in Hindi). सैटेलाइट के बारे में तो आपने जरुर सुना होगा. टीवी न्यूज़ में अक्सर सैटेलाइट लॉन्च के बारे में सुनने को मिलता है, जिन्हें विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों जैसे नासा या इसरो के द्वारा लॉन्च किया जाता है. उस दौरान आपके मन में ये सवाल जरूर आए होंगे कि आखिर ये सैटेलाइट क्या हैं और अंतरिक्ष में कैसे उड़ते हैं और इनका काम क्या होता है?

आज इन्ही सवालों के जवाब के साथ आपको हिंदीवाइब पर यह खास लेख पढ़ने को मिलेगा. इस लेख में आपको सैटेलाइट क्या होता है, सैटेलाइट कैसे काम करता है, सैटेलाइट के प्रकार इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी. तो चलिए आगे बढ़ते हैं बिना किसी विलंब के और जानते हैं सैटेलाइट से जुड़ी पूरी जानकरी .

Satellite क्या है? – What is Satellite in Hindi

satellite-kya-hai

सैटेलाइट अंतरिक्ष में मौजूद उस वस्तु को कहते हैं जो किसी ग्रह या तारे के चारों तरफ परिक्रमा करती है. सैटेलाइट (उपग्रह) प्राकृतिक भी हो सकते हैं और कृत्रिम भी (manmade या artificial). जैसे चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ परिक्रमा करता है तो यह पृथ्वी का satellite है, और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है तो यह सूर्य का satellite है. इसी प्रकार International Space Station (ISS) एक artificial satellite है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है.

हमारे सौर मंडल में दर्जनों प्राकृतिक उपग्रह हैं जो किसी ग्रह की परिक्रमा करते हैं. वहीं हजारों की संख्या में artificial satellites हैं जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं. कुछ satellites पृथ्वी की फोटो लेते रहते हैं, जिससे मौसम वैज्ञानिकों को मौसम के बारे में जानकारी मिलती रहती है. जबकि कुछ सैटेलाइट्स दूसरे ग्रहों, सूर्य, ब्लैक होल्स और दूर स्थित आकाश गंगाओं की फोटो लेते रहते हैं. इन फोटो की मदद से वैज्ञानिकों को सौरमंडल और ब्रह्मांड को अच्छे से समझने में मदद मिलती है.

अन्य सैटेलाइट्स का इस्तेमाल मुख्य तौर पर communication के लिए किया जाता है, जैसे tv signals और phone calls को दुनियाभर में भेजना. इसके साथ ही 20 से अधिक satellites का एक ग्रुप है जिसका इस्तेमाल Global Positioning System (GPS) तैयार के लिए किया जाता है. GPS की मदद से satellites आपकी सटीक लोकेशन का पता लगा सकते हैं. 

Satellite कैसे काम करता है? 

जैसा की हम जानते हैं satellite एक self-contained communication system होता है, जो पृथ्वी से signal प्राप्त करता है और response में signal वापस पृथ्वी तक भेजता है. एक satellite को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह तय किए गए अपने operational life के दौरान अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण को सहन कर सके, जहां उसका सामना रेडिएशन और अत्यधिक तापमान से हो सकता है. इसके साथ ही सैटेलाइट हल्का होना चाहिए. क्योंकि लॉन्चिंग का खर्च satellite के वजन पर ही निर्भर करता है. इसलिए इन सभी मुश्किलों से निपटने के लिए satellite हल्के और मजबूत धातु से बना हुआ होना चाहिए. अंतरिक्ष में satellite के रखरखाव या मरम्मत (maintenance) की संभावना नहीं होती, इसलिए इसका 99.9% से अधिक विश्वसनीयता पर काम करना जरूरी होता है.

सैटेलाइट के parts इसके function के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ components लगभग सभी satellites के कॉमन पाए जाते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

Antenna : ऐन्टेना सिस्टम का इस्तेमाल पृथ्वी से signal प्राप्त करने और वापस ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है.

Command और Data Handling : इसे हम satellite का ऑपरेशनल हार्ट कह सकते हैं. Command और control systems सैटेलाइट के प्रत्येक पहलू पर निगरानी रखते हैं और ऑपरेशन के लिए पृथ्वी से command प्राप्त करते हैं.

Guidance और Stabilization : सैटेलाइट में लगे sensors कक्ष में satellite के स्थान की निगरानी करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि यह सही दिशा में जा रहा है. जरूरत पड़ने पर thrusters और अन्य उपकरण satellite की दिशा और स्थान को एडजस्ट करते हैं.

Housing : इसे मजबूत धातु से बनाया जाता है ताकि अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण को सहन कर सके और बिना नुकसान के काम किया जा सके.

Power : अधिकतर सैटेलाइट्स सोलर पैनल का इस्तेमाल कर सूर्य की किरणों को बिजली में बदलते हैं.

Transponders : अपलिंक और डाउनलिंक signal अलग-अलग frequencies पर आते-जाते हैं. Transponders अपलिंक की गई आवृत्तियों (frequencies) को डाउनलिंक आवृत्तियों में तब्दील करते हैं और फिर परिवर्तित ट्रांसमिशन को पृथ्वी पर भेजने के लिए बढ़ाते (amplfy) हैं.

Payload : जानकारियां इकट्ठा करने के लिए payload का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे camera या particle detector.

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Satellites इतने महत्वपूर्ण क्यों है?

Satellites किसी पक्षी की तरह धरती या दूसरे ग्रह के बड़े क्षेत्रों को एक बार में देख सकते हैं. यानी की satellites धरती पर मौजूद उपकरणों की बजाय अधिक और तुरंत डेटा एकत्रित कर सकते हैं. पृथ्वी से देखे जाने वाले किसी telescope की तुलना में satellite के जरिए अंतरिक्ष को बेहतर तरीके से देखा जा सकता है. क्योंकि satellite बादलों और वातावरण में मौजूद dust और molecules से ऊपर उड़ते हैं, जो पृथ्वी से देखने पर बाधा बनते हैं.

सैटेलाइट के आने से पहले signals को दूर तक भेजना संभव नहीं था. क्योंकि टीवी सिग्नल्स केवल एक सीधी रेखा में ट्रेवल कर सकते थे. इसलिए ये signals अंतरिक्ष में फीके पड़ जाते थे, बजाय पृथ्वी के वक्र (curve) को फॉलो करने के. साथ ही कभी-कभी पहाड़ और उंची इमारतें इन्हें ब्लॉक कर देती थी. दूर स्थित इलाकों में phone calls में भी दिक्कत होती थी. लंबी दूरी तक और पानी के नीचे telephone तार बिछाना मुश्किल और महंगा पड़ता था. अब सैटेलाइट के साथ Tv signals और phone calls को ऊपर satellite तक भेजा जाता है और फिर लगभग उसी समय सैटेलाइट इन signals को पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर भेज सकता है.

Satellite अंतरिक्ष में कैसे टिका रहता है?

satellites orbiting earth

अधिकतर satellites को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाता है. Satellite तभी पृथ्वी की परिक्रमा करता है जब उसकी स्पीड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण (gravity) खिंचाव की वजह से संतुलित (balanced) होती है. बिना इस संतुलन के satellite अंतरिक्ष में एक सीधी रेखा में उड़ सकता है. सैटेलाइट्स अलग-अलग ऊँचाइयों, स्पीड और रास्ते पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं.

मुख्य तौर पर satellites इन तीन orbits में परिक्रमा करते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

Low-Earth Orbit : यह ऑर्बिट धरातल से 160 से 2000 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है. इस ऑर्बिट में ही अधिकतर human missions को पूरा किया जाता है जो दूसरे ग्रहों से संबंधित नहीं होते. इसके अलावा International Space Station भी इसी ऑर्बिट में परिक्रमा करता है.

Geostationary Orbit : यह वह क्षेत्र है जिसकी ऊंचाई पृथ्वी की भूमध्य रेखा (equator) से 35,786 km ऊपर है. कम्युनिकेशन सैटेलाइट के इस्तेमाल के लिए यह बिल्कुल सही स्थान है. इस orbit में satellites पश्चिम से पूर्व दिशा में ट्रेवल करते हैं. यह उसी दिशा और गति के साथ घूमते हैं जिस गति और दिशा के साथ पृथ्वी घूमती है. पृथ्वी से देखने पर geostationary satellites हमेशा एक ही स्थान पर दिखाई देते हैं, क्योकिं ये पृथ्वी से ऊपर एक ही स्थान पर मौजूद रहते हैं.

Polar Orbit : पोलर ऑर्बिट low earth orbit का ही एक subtype है जिसकी ऊंचाई पृथ्वी के तल से 200 से 1000 किलोमीटर के बीच होती है. इस ऑर्बिट में satellites ध्रुव से ध्रुव (pole-to-pole) उत्तर दक्षिण दिशा में ट्रेवल करते हैं. उदाहरण के लिए मौसम सैटेलाइट और सैनिक परीक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले सैटेलाइट.

Artificial या Man Made Satellites कितने प्रकार के होते हैं? – Types of Satellites in Hindi

मुख्य तौर पर satellites दो प्रकार के होते हैं: प्राकृतिक और कृत्रिम सैटेलाइट्स. लेकिन बात करें कृत्रिम सैटेलाइट्स (artificial या manmade) की तो ये 11 प्रकार के होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. Astronomical Satellites : ये वे सैटेलाइट्स हैं जिनका इस्तेमाल दूर स्थित ग्रहों, ब्रह्मांड और अन्य बाहरी अंतरिक्ष वस्तुओं के अध्ययन के लिए किया जाता है. 

2. Bio Satellites : ये वे सैटेलाइट्स हैं जिनका इस्तेमाल अंतरिक्ष में जीवित जीवों को ले जाने के लिए किया जाता है. आमतौर पर वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए इनका इस्तेमाल होता है.

3. Communication Satellites : इन satellites का इस्तेमाल टेलीकम्यूनिकेशन उद्देश्यों के लिए किया जाता है. आधुनिक communication satellites आमतौर पर geostationary या geosynchronous orbit, molniya orbit या low-earth orbit का इस्तेमाल करते हैं.

4. Navigation Satellites : ये satellites सक्षम mobile receivers पर ट्रांसमिट किए गए रेडियो टाइम सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं जमीन पर उनकी सटीक लोकेशन का पता करने के लिए. उदाहरण के लिए Global Positioning System (GPS).

5. Weather Satellites : इनका इस्तेमाल पृथ्वी पर मौसम और जलवायु की निगरानी करने के लिए किया जाता है.

6. Earth Observation Satellites : इनका इस्तेमाल मैप बनाने के लिए, पर्यावरण पर निगरानी रखने और मौसम विज्ञान से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

7. Killer Satellites : ये वो satellites हैं जिनका इस्तेमाल दुश्मनों के हथियार, सैटेलाइट्स और अन्य अंतरिक्ष सम्पति तबाह करने के लिए किया जाता है.

8. Crewed Spacecraft : इन्हें spaceships भी कहा जाता है. ये बड़े satellites होते हैं जो मानव को orbit या इससे आगे छोड़ने और उन्हें वापस लाने में सक्षम होते हैं. इनमें प्रमुख लैंडिंग सुविधाएं मौजूद होती हैं और इनका इस्तेमाल ऑर्बिटल स्टेशन से आने-जाने के लिए किया जाता है.

9. Miniaturized Station : ये सैटेलाइट्स आकार में छोटे और कम वजन वाले होते हैं. वजन के हिसाब से उन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है: minisatellite (500-1000 Kg), microsatellite (100 Kg से कम) और nanosatellite (10 Kg से कम).

10. Space Based Solar Power Satellites : ये वो satellites हैं जिनका इस्तेमाल सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा लेने और उसे पृथ्वी या अन्य किसी जगह पर इस्तेमाल के लिए संचारित करने के लिए किया जाता है.

11. Space Stations : ये artificial orbital structure होते हैं जिनका निर्माण इंसानों के बाहरी अंतरिक्ष में ठहरने के लिए किया जाता है. अंतरिक्ष स्टेशनों को कुछ दिनों, हफ़्तों, महीनों या वर्षों की अवधि तक कक्षा (orbit) में रहने के लिए डिज़ाइन किया जाता है.

Satellites का उपयोग कहां-कहां किया जाता है?

satellite in hindi

सैटेलाइट्स का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:

  • सैटेलाइट्स का इस्तेमाल tv signals को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है. बिना सैटेलाइट टीवी सिग्नल एक ही दिशा में travel कर सकते हैं और इमारतों और पेड़ों से बाधित हो सकते हैं.
  • मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए भी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे स्थान जहां वायर पहुंचना संभव नहीं है, वहां satellites के जरिए आसानी से phone signals भेजे जा सकते हैं.
  • Navigation के लिए satellites का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए Global Positioning System (GPS) . जिसका इस्तेमाल mobile phones और कार में location पता करने के लिए किया जाता है.
  • मौसम वैज्ञानिक, मौसम का पता लगाने के लिए सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं. जो उन्हें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बारिश, तूफान इत्यादि के बारे में पहले ही जानकारी दे देते हैं.
  • जलवायु और पर्यावरण की निगरानी के लिए satellites का इस्तेमाल किया जाता है. इन सैटेलाइट्स की मदद से समुद्र, ग्लेशियर इत्यादि पर नजर रखी जा सकती है. इसके साथ ही सैटेलाइट के जरिए वैज्ञानिक वर्षा, वनस्पति आवरण और ग्रीन हाउस उत्सर्जन के लॉन्ग टर्म पैटर्न को निर्धारित कर सकते हैं.
  • Earth Observation Satellites के जरिए समुद्र और हवा की लहरों पर नजर रखी जा सकती है. साथ ही जंगली आग, तेल रिसाव और वायु जनित प्रदूषण के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.
  • सैन्य कार्यों के लिए भी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है जो दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रख सकता है और उनके सैन्य ठिकानों का पता लगा सकता है.
  • दूर स्थित ग्रह, ब्रह्मांड या अन्य अंतरिक्ष संबंधी चीजों का पता लगाने के लिए सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है.
  • सैटेलाइट्स के जरिए भूमिगत पानी और खनिज स्त्रोतों का पता लगाया जा सकता है. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर फैले बुनियादी ढांचे की निगरानी की जा सकती है, जैसे oil pipelines जिनमें रिसाव का पता लगाना है.

एक उपग्रह (satellite) को दूसरे उपग्रह से टकराने से कैसे रोका जाता है?

पृथ्वी की कक्षा में लगभग 5 लाख आर्टिफीशियल सैटेलाइट्स मौजूद हैं जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं. इनमें केवल कुछ ही satellites हैं जो उपयोग के लायक हैं. यानी कि अंतरिक्ष में बहुत सारा कबाड़ भी तैर रहा है.

ऐसे में जब भी कक्षा (orbit) में कोई satellite छोड़ा जाता है तो टकराव का जोखिम बहुत बढ़ जाता है. स्पेस एजेंसियां जब भी अंतरिक्ष में कुछ लॉन्च करती है तो वे सबसे पहले orbital रास्ते को लेकर विचार करती हैं.

कुछ एजेंसियां, जैसे कि United State Space Surveillance Network , कक्षीय कचरे पर पृथ्वी से नजर रखती हैं. यदि किसी भटके हुए टुकड़े का किसी जरुरी वस्तु से टकराने का खतरा होता है तो ये space agencies को अलर्ट करती हैं.

भारत के कितने सैटेलाइट्स हैं?

1975 में लॉन्च किए गए भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट से 2021 में श्री शक्ति सैट तक भारत 125 सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है. इनकी लिस्ट को आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं .

Satellite Phone क्या है?

Satellite phone वह फोन है जिसे दूसरे phone या telephone network से जोड़ने के लिए satellites का इस्तेमाल किया जाता है. यानी इसके लिए पृथ्वी पर मौजूद cell sites का इस्तेमाल नहीं किया जाता. 

इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इसका कोई सिमित दायरा नहीं है और इसे पृथ्वी के किसी भी स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है. सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल के दौरान सिग्नल सैटेलाइट फोन से निकलता है और सैटेलाइट तक जाता है. इसके बाद यह सिग्नल वापस पृथ्वी पर मौजूद दूसरे फोन में भेजा जाता है.

मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “ Satellite क्या है और कैसे काम करता है? ” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Satellite in Hindi से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.

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  • About Satellite in Hindi
  • Satellite Kya Hota Hai
  • Satellite Phone
  • Spacecraft Hindi
  • Uses of Satellite
  • उपग्रह क्या है
  • कृत्रिम उपग्रह

Rahul Chauhan

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इन पिंडों को कृत्रिम उपग्रह कहा जाता है.  कृत्रिम उपग्रह सामान्यत धरातल से उपर की ओर फेकी गई वस्तुएं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पुनः धरातल पर आ गिरती है.

लेकिन अगर राकेट द्वारा कृत्रिम उपग्रह को इतना वेग प्रदान किया जाए कि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल की सीमा को पार कर जाए तो उपग्रह पुनः लौटकर पृथ्वी पर नही आएगा.

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कृत्रिम उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलने के लिए 11.2 किलोमीटर प्रति सैकंड की गति की आवश्यकता होती है, जिसे उपग्रह की पलायन वेग या एस्केप स्पीड कहा जाता है.

कोई भी व्यक्ति इतनी तेज गति से वस्तु नही फेक सकता. परन्तु अब हमने ऐसे शक्तिशाली राकेट बना लिये है, जो ऐसा कर सकते है.

इन रोकेटों से अंतरिक्ष यान (Spaceship) भेजे जाते है. जो नीचे नही आते है. कृत्रिम उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए दिए गये वेग को उपग्रह का प्रक्षेपण वेग (satellite motion physics) कहा जाता है. विभिन्न उपग्रहों की उंचाई लगभग 6400 किलोमीटर से 36000 किलोमीटर तक होती है.

कृत्रिम उपग्रह किसे कहते है (What Is Artificial satellite)

यदि किसी पिंड को हम पलायन वेग से कुछ कम वेग (जैसे लगभग 8 किलोमीटर/प्रति सैकंड) से प्रक्षेपित करे तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर नही जाएगा, अपितु पृथ्वी के चारों ओर निश्चित कक्षा में चक्कर लगाने लगेगा.

कृत्रिम उपग्रह मानव द्वारा बनाया गया एक मशीनी पिंड है जिसे राकेट की सहायता से पृथ्वी की कक्षा में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की सीमा के अंदर स्थापित किया जाता है. चूँकि मानव निर्मित उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करता है इसलिए यह कृत्रिम उपग्रह कहलाता है.

कृत्रिम उपग्रह के चार उपयोग- uses of artificial satellites in hindi

  • उपग्रहों द्वारा टेलीफोन, टेलीविजन, रेडियों आदि की तरंगों का प्रसारण किया जाता है.
  • ये उपग्रह जासूसी, मौसम एवं पृथ्वी सम्बन्धी अन्य जानकारियाँ भी प्रदान करते है. कृत्रिम उपग्रह हमारे लिए बहुत उपयोगी है.
  • उपग्रहों की सहायता से तूफ़ान या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व जानकारी मिल जाती है, जिससे जान-माल को सुरक्षित स्थानों पर पहुचाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.
  • कृषि, वन और जल संसाधनों की व्यवस्था में भी कृत्रिम उपग्रह द्वारा प्राप्त जानकारियों काफी उपयोगी साबित हो रही है.

विश्व का पहला कृत्रिम उपग्रह व पहला अंतरिक्ष यात्री

विश्व का पहला उपग्रह 1957 में स्पुतनिक-1 (Sputnik) तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा अन्तरिक्ष में राकेट द्वारा पहुचाया गया. सोवियत संघ और अमेरिका के बिच तब अन्तरिक्ष अन्सुन्धान को लेकर एक होड़ सी लगी हुई थी.

सोवियत अन्तरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत पहले जीवित प्राणी को स्पुतनिक-2 में भेजा गया था. यह जीवित प्राणी ‘लाईका’ नामक कुतिया (Bitch) थी. हालांकि यह परिक्षण पूरी तरह सफल नही रहा.

चार साल बाद 1961 में सोवियत संघ ने पहला मानव सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में भेजा. यूरी गागरिन (Yuri Gagarin) अन्तरिक्ष याँ वोस्तोक 1 में अन्तरिक्ष की यात्रा करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति बने.

1969 में अमेरिका ने दुनिया को तब चौका दिया जब अपोलो 11 अन्तरिक्ष याँ से तीन यात्रियों को सफलता के साथ न सिर्फ अन्तरिक्ष की सैर करवाई, बल्कि बल्कि दो अन्तरिक्ष यात्रियों को चन्द्रमा की सतह पर भी उतारा. नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति बने जिसने चन्द्रमा की सतह पर पहला कदम रखा.

अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धि [कृत्रिम उपग्रह व अंतरिक्ष यात्री]

  • राकेश शर्मा (First Indian astronaut Rakesh Sharma)- भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने का गौरव भारतीय वायु सेना के राकेश शर्मा को मिला. राकेश शर्मा ने सोयुज टी 11 (Soyuz T XI) में दो अन्य सोवियत अन्तरिक्ष यात्रियों के साथ न सिर्फ अन्तरिक्ष की सैर की बल्कि सोयुज 7 स्पेस स्टेशन में लगभग आठ दिन रहकर कई वैज्ञानिक परीक्षण भी किये. इनका जन्म 1949 में पंजाब राज्य के पटियाला में हुआ था.
  • कल्पना चावला ( First Indian woman astronaut Kalpana Chawla ) – कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में वर्ष 1961 में हुआ. कल्पना चावला एक शोध वैज्ञानिक एवं प्रसिद्ध अन्तरिक्ष यात्री थी. वे अन्तरिक्ष में जाने वाली भारत में जन्मी पहली महिला एवं राकेश शर्मा के बाद दूसरी भारतीय थी. कोलम्बिया अन्तरिक्ष याँ के वापिस लौटते समय 2003 को हुई दुर्घटना में अपने छ अन्य सहयोगी सदस्यों के साथ कल्पना की भी मृत्यु हो गई. इसके अतिरिक्त भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स अन्तरिक्ष में सर्वाधिक समय बिताने वाली महिला है.

प्राकृतिक उपग्रह क्या है?

प्राकृतिक उपग्रह में प्राकृतिक नाम जुड़ा हुआ है, इस प्रकार कोई भी इंसान यह समझ सकता है कि जो उपग्रह प्रकृति के द्वारा बनाए गए हैं उसे प्राकृतिक उपग्रह कहा जाता है। इस प्रकार के उपग्रह पर किसी भी प्रकार से इंसानों का नियंत्रण नहीं होता है ना हीं इंसानों के द्वारा बनाए गए किसी मशीन का नियंत्रण प्राकृतिक उपग्रह पर होता है। 

प्राकृतिक उपग्रह परमानेंट होते हैं और इनके काम करने के तरीके में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है। अंतरिक्ष में दिखाई देने वाले धूमकेतु, ग्रह को प्राकृतिक उपग्रह कहा जा सकता है क्योंकि यह दोनों ही अंतरिक्ष में मौजूद तारों के चारों तरफ गोल गोल घूमते हैं।

प्राकृतिक उपग्रहों के प्रकार क्या है?

बता दे कि, सौरमंडल में मुख्य तौर पर दो प्रकार के उपग्रह देखे गए हैं जिन्हें उनकी कक्षा के अनुसार नियमित उपग्रह और अनियमित उपग्रह में बांटा गया है। इन दोनों की जानकारी नीचे आपको दी जा रही है।

नियमित उपग्रह

नियमित उपग्रह उन्हें कहां जाता है जो सूर्य के संबंध में एक ही अर्थ में होते हैं और किसी विशेष वस्तु के चारों तरफ गोल गोल घूमते हैं।

एग्जांपल के तौर पर देखा जाए तो जो चंद्रमा है यह पूरब दिशा से होकर के पश्चिम दिशा की ओर घूमता है। इसके अलावा यही सेम चीज हमारी पृथ्वी भी करती है।

अनियमित उपग्रह

जो भी अनियमित उपग्रह होते हैं उनकी कक्षा झुकी हुई होती है और यह अपने ग्रह से काफी लंबी दूरी पर विराजमान होते हैं। झुकी हुई होने के साथ ही साथ इनकी कक्षाएं अंडाकार होती हैं।

कृत्रिम उपग्रह कैसे काम करता हैं?

सामान्य व्यक्ति हमेशा यही सोचता है कि आखिर जो कृतिम उपग्रह धरती से आकाश में छोड़े जाते हैं वह आकाश में जाने के बाद कैसे वहां पर टिके हुए रहते हैं। इसके पीछे क्या लॉजिक है। अगर इस प्रश्न का आंसर देखा जाए तो आंसर बहुत ही आसान है।

जब किसी सैटेलाइट को या फिर ऑब्जेक्ट को धरती से बाहर अंतरिक्ष की कक्षा में छोड़ा जाता है तो वह ऑब्जेक्ट अपनी एक निश्चित गति में किसी बहुत बड़े ऑब्जेक्ट का लगातार चक्कर लगाते रहता है

और यही वह वजह है जिसके कारण उस ऑब्जेक्ट पर धरती के गुरुत्वाकर्षण के बल का नियम काम नहीं करता है और इसी कारण जो ऑब्जेक्ट पृथ्वी से वायुमंडल में छोड़ा जाता है वह पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने के बाद हवा में टिका हुआ रहता है।

भारतीय अन्तरिक्ष विभाग की स्थापना

आज के समय में हमारे भारत देश की इसरो संस्था किसी भी प्रकार के परिचय की मोहताज नहीं है परंतु जब इसकी स्थापना हुई थी तब शायद ही किसी ने यह सोचा था कि एक दिन यह संस्था भारत के लिए इतनी लाभदायक साबित होगी। 

विक्रम साराभाई वह इंसान है जिन्हें इसरो को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है क्योंकि इन्ही के प्रयासों के कारण साल 1969 में 15 अगस्त के दिन भारत में इसरो स्पेस एजेंसी की स्थापना की गई थी और इसलिए आज भी भारतीय किताबों में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक विक्रम भाई सारा भाई को पढ़ाया जाता है।

जब से इसरो संस्था स्थापित हुई है तब से ही इसने लगातार कई क्षेत्र में प्रगति हासिल की है और वर्तमान के समय में इसरो में इतने बड़े साइंटिस्ट काम कर रहे हैं.

कि यह इंडिया की सेटेलाइट को लांच कर ही रहे हैं साथ ही विदेशों की भी सेटेलाइट अपनी स्पेस एजेंसी से लांच कर रहे हैं जिसके कारण इसरो की ख्याति पूरी दुनिया भर में फैल रही है, साथ ही भारत को और इसरो संस्था को बड़ी मात्रा में इनकम भी प्राप्त हो रही है।

अभी तक इसरो ने श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यानमार, वियतनाम, फिलीपींस, थाईलैंड जैसे कई देशों की सेटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़ने का काम सफलतापूर्वक किया है जिसके बदले में इसरो को अरबों डॉलर की कमाई हुई है।

बता दें कि इसरो इंस्टिट्यूट का हेड क्वार्टर हमारे भारत देश के कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु शहर में स्थित है और यह एक इंडियन स्पेस एजेंसी है जिसका मुख्य काम है टेक्नोलॉजी को उपलब्ध करवाना।

इसरो को तब सबसे ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई थी जब साल 2014 में 24 सितंबर के दिन इसरो ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में एंट्री करवा दी थी।

इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के कारण भारत को और इसरो संस्था को पूरे दुनिया के कई देशों से बधाई मिली थी और तब से ही कई देश इसरो के साथ मिलकर के स्पेस की फील्ड में काम कर रहे हैं।

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली वस्तुएं

  • यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान का खिताब प्राप्त है।
  • रसिया ही वह देश है जिसने सबसे पहली बार अंतरिक्ष में सेटेलाइट को लांच किया था।
  • लाइका उस डॉग का नाम है जिसे अंतरिक्ष में जाने वाला पहला स्पेस डॉग कहा जाता है।
  • वेलेंटीना टैरेशकोवा अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला थी।
  • राकेश शर्मा पहले ऐसे इंडियन थे जो अंतरिक्ष में गए थे।
  • नील आर्म स्ट्रांग उस व्यक्ति का नाम है जिसने पहली बार चांद पर अपनी पहुंच बनाई थी।
  • यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका ही वह देश है जिसने पहली बार चंद्रमा पर आदमी भेजा था।
  • बिना ड्राइवर के मंगल की ग्रह पर स्पेस सैटेलाइट भेजने वाला पहला देश अमेरिका है।
  • हमारे भारत देश का पहला बिना ड्राइवर वाला विमान लक्ष्य था।
  • लूना- 10 ही उस स्पेसक्राफ्ट का नाम है जिसने पहली बार चंद्रमा की पूरी परिक्रमा कंप्लीट की थी।
  • वाइकिंग-1 ही उस स्पेसक्राफ्ट का नाम है जो सबसे पहली बार मंगल पर उतरने में कामयाब हुआ था।
  • ईगल उस स्पेसक्राफ्ट का नाम है जो ड्राइवर सहित पहली बार चंद्रमा पर उतरा था।
  • अपोलो- 11 उस स्पेसक्राफ्ट का नाम है जिसने सबसे पहली बार इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने का काम किया था।
  • कोलंबिया ही वह स्पेस शटल है जो पहली बार अंतरिक्ष में गया था।
  • कार्ल जी हैनिजे एक ऐसे अंतरिक्ष यात्री थे जिनकी उम्र सबसे ज्यादा थी।
  • गैरेमान ही उस अंतरिक्ष यात्री का नाम है जिसकी उमर सबसे कम है।

  • आर्यभट्ट पर निबंध
  • वर्तमान भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां
  • भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

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सेटेलाइट क्या है? इसके प्रकार, उपयोग और यह कैसे काम करता है? – satellite in hindi

आपने कई बार सेटेलाइट के बारे में पढ़ा या सुना होगा और अक्सर हम टीवी और अखबार इत्यादि में भारत व अन्य देशों के द्वारा सेटेलाइट लांच करने के बारे में सुनते व पढ़ते हैं। इन सेटेलाइट को दुनिया की अलग-अलग स्पेस एजेंसी द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है।

यह सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और इनके काम भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। आज के आधुनिक दुनिया में Satellite की मदद से हम अपनी जीवनशैली को और अधिक बेहतर बनाते हैं और चाहे सुरक्षा संबंधी कारण हो या मानव विकास जैसे मोबाइल सेवा बेहतर बनाना, कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाना, मौसम की जानकारी इत्यादि, इन सभी में सेटेलाइट का एक महत्वपूर्ण योगदान है।

विश्व के अलग-अलग अंतरिक्ष एजेंसियां जैसे नासा और इसरो इत्यादि, इन सभी सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करती हैं और इनका उपयोग होता है।

Note: संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम नासा है और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इसरो है।

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जब हम Satellite के बारे में सुनते वह पढ़ते हैं तो हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर यह “ सेटेलाइट क्या है? ” और “ सैटेलाइट कैसे काम करती है ?” इन सभी के बारे में हम यहां पर जानेंगे और इसके साथ साथ सैटेलाइट से संबंधित अन्य जानकारियां भी आपको यहां पर मिलेंगी।

Satellite meaning in Hindi – सेटेलाइट को हिंदी में उपग्रह कहते हैं। और मानव द्वारा निर्मित Satellite को कृत्रिम उपग्रह है कहा जाता है। चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह (सेटेलाइट) है परंतु यह एक प्राकृतिक उपग्रह है।

सेटेलाइट क्या है? Salellite kya hai?

Satellite meaning in hindi, Satellite in hindi

अंतरिक्ष में मौजूद वह वस्तु जो किसी ग्रह या तारे के चारों तरफ परिक्रमा करती है उसे सेटेलाइट या उपग्रह कहा जाता है। हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली Satellite की संख्या हजारों में है जो कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं परंतु पृथ्वी का एक प्राकृतिक सैटेलाइट भी मौजूद है जिसे हम चंद्रमा या चांद के नाम से जानते हैं।

इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में दूसरे ग्रहों के भी प्राकृतिक उपग्रह मौजूद हैं जो उन ग्रहों की परिक्रमा करते रहते हैं। मानव द्वारा निर्मित Satellite जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं वह समय-समय पर अलग-अलग जानकारी पृथ्वी पर भेजते रहते हैं जिससे हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती है।

यह सभी सैटेलाइट सिर्फ पृथ्वी की जानकारी नहीं लेती बल्कि कुछ सेटेलाइट दूसरे ग्रहों और ब्रह्मांड में मौजूद दूसरे स्टार और आकाशगंगा इत्यादि की जानकारी भी इकट्ठा करती हैं, जिसे पृथ्वी पर भेजा जाता है और वैज्ञानिकों द्वारा इस पर शोध की जाती है। इस प्रकार से मानव ने सौरमंडल और ब्रह्मांड को काफी तेजी से और अच्छे से समझा है और भविष्य ब्रह्मांड से संबंधित जानकारी भी इन्हीं Satellite की मदद से हमें मिलती रहेगी।

यह सभी Satellite अलग-अलग प्रकार की होती हैं जिनका कार्य अलग-अलग होता है जैसे कम्युनिकेशन, टीवी सिग्नल और फोन कॉल्स इत्यादि इन सैटेलाइट के कुछ कार्यों के अच्छे उदाहरण हैं।

ज़रूर पढ़ें: सौरमंडल किसे कहते हैं? परिभाषा, खोज और सभी ग्रह

Satellite कितने प्रकार की होती हैं?

सैटेलाइट को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है, जिनमें से सबसे पहला प्रकार प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित है।

  • प्राकृतिक उपग्रह (Natural satellites)
  • कृत्रिम उपग्रह (Man-made or artificial satellite)

Typres of satellite in hindi

 1. प्राकृतिक उपग्रह – Natural satellites

प्राकृतिक उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जो किसी ग्रह का चक्कर लगाते हैं और जिन्हें प्रकृति द्वारा ही निर्मित किया गया है। हमारा चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है और इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में भी ग्रहों के अलग-अलग चंद्रमा मौजूद हैं जो उनका चक्कर लगाते हैं।

2. कृत्रिम उपग्रह – Man-made/artificial satellite

कृत्रिम उपग्रह/मानव निर्मित उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जिन्हें मानव द्वारा बनाया गया है। इन उपग्रहों को किसी भी ग्रह के चक्कर लगाने के लिए डिजाइन किया जाता है और उनकी तयशुदा जगह पर छोड़ दिया जाता है जिसके पश्चात यह उपग्रह हमें लगातार सिग्नल भेजते रहते हैं और हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती हैं।

यह सेटेलाइट मुख्यतः 11 प्रकार के होते हैं:

  • Astronomical satellites – एस्टॉनोमिकल सैटेलाइट की मदद से ग्रहों की स्थिति और सौरमंडल व बाहरी ब्रह्मांड में मौजूद अंतरिक्ष वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। हमारे सौरमंडल में मौजूद किसी भी प्रकार की वस्तु की जानकारी एस्टॉनोमिकल सेटेलाइट्स द्वारा ली जाती है।
  • Bio satellites – बायो सेटेलाइट द्वारा अंतरिक्ष में जीवन की खोज की जाती है और इसके साथ-साथ इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में जीवित जीवो को ले जाने और उन पर अध्ययन करने के लिए किया जाता है
  • Communication satellites – इन सेटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है और आज के समय में इन सेटेलाइट्स को लो अर्थ आर्बिट में स्थापित करते हैं। ताकि अच्छी प्रकार से कम निकेशन किया जा सके।
  • Weather satellites – जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि वेदर सैटेलाइट वह सेटेलाइट होती हैं जिनसे हम पृथ्वी की जलवायु और मौसम की जानकारी प्राप्त करते हैं और किसी भी क्षेत्र में मौसम संबंधी जानकारी हमें वेदर सैटलाइट से ही प्राप्त होती हैं।
  • Killer satellites – किलर सेटेलाइट्स का उपयोग दुश्मन के हथियारों को ढूंढने और उन्हें खत्म करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट दुश्मन द्वारा स्थापित अंतरिक्ष में दूसरी Satellite को भी तबाह करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • Navigation satellites – नेवीगेशन सैटलाइट का उपयोग किसी भी इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जैसे मोबाइल इत्यादि की लोकेशन पता करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट अपने सिग्नल मोबाइल और जीपीएस संबंधित उपकरणों को अपना सिग्नल भेजती है जिससे उसकी लोकेशन का पता चल पाता है।
  • Earth observation satellites – अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट का उपयोग हमारी पृथ्वी पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है इसके साथ साथ पृथ्वी का मैप बनाना और पर्यावरण या मौसम पर निगरानी बनाए रखना भी इस सेटेलाइट द्वारा किया जाता है।
  • Solar power satellites – इस प्रकार की सेटेलाइट का उपयोग सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा ग्रहण करने और उसे इंस्टॉल करने के लिए किया जाता है ताकि इस ऊर्जा का उपयोग अलग-अलग प्रकार से किया जा सके।
  • स्पेस stations – स्पेस स्टेशन भी एक प्रकार का सेटेलाइट होता है जिसमें अलग-अलग छोटी-छोटी सेटेलाइट जुड़ी होती हैं और इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा रहने के लिए किया जाता है।
  • Miniaturised satellites – यह सेटेलाइट आकार में काफी छोटी होती हैं और इनका वजन भी काफी कम होता है। इन सभी सेटेलाइट का उपयोग भी अलग-अलग प्रकार की जानकारियां प्राप्त करने के लिए किया जाता है और इनका वजन 10 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक होता है।
  • Spacecraft – स्पेसक्राफ्ट एक प्रकार का जहाज होता है जिसे स्पेस में उड़ाया जाता है यह Orbit में घूमने के साथ-साथ Orbit से आगे जाकर वापस आने में ही सक्षम होता है और इसमें हवाई जहाज की तरह लैंडिंग सुविधाएं भी मौजूद होती हैं। जिसकी मदद से स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लैंड किया जा सकता है।

सैटेलाइट कैसे काम करता है?

Satellite एक self contained communication system होता है जिससे पृथ्वी से सिग्नल भेजा जाता है और रिस्पांस में सैटेलाइट द्वारा पृथ्वी पर वापस सिग्नल भेजा जाता है। इस प्रकार से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों द्वारा Satellite को कमांड दी जाती है और वह अपना कार्य करता है।

Satellite को कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि वह अंतरिक्ष के वातावरण को आसानी से सहन कर सके और अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन का उस पर कोई भी असर ना हो। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि सेटेलाइट वजन में हल्का होना चाहिए ताकि इसे आसानी से अंतरिक्ष में या पृथ्वी के Orbit में स्थापित किया जा सके।

किसी भी सेटेलाइट को स्थापित करने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च होता है इसीलिए लॉन्चिंग का खर्च कम करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इसे जितना मुमकिन हो उतना हल्का बनाया जाता है और सभी प्रकार के टेस्ट पहले से ही कर लिए जाते हैं क्योंकि अंतरिक्ष में इनकी मरम्मत करना संभव नहीं होता।

ज़रूर पढ़ें: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई

सेटेलाइट के मुख्य भाग

वैसे तो सैटेलाइट के कार्य के अनुसार अलग-अलग भाग हो सकते हैं परंतु कुछ ऐसे सैटेलाइट के पार्ट्स हैं जो लगभग सभी प्रकार की सेटेलाइट में मौजूद होते हैं जिनका विवरण यहां पर दिया गया। जैसा कि आप जानते हैं कि सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और उनका कार्य भी अलग-अलग हो सकता है इसीलिए उनके फंक्शन के आधार पर यह पार्ट्स अलग-अलग होते हैं।

सेटेलाइट के कुछ मुख्य भाग:

  • Antenna – किसी भी सेटेलाइट का एंटीना हुआ है भाग होता है जिससे पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिकों द्वारा या फिर किसी अन्य शोर से सिग्नल प्राप्त किया जाता है और वापिस उसे ट्रांसलेट कर दिया जाता है।
  • Command and data handling – सेटेलाइट का कमांड और डाटा हैंडलिंग सेंटर सेटेलाइट के फंक्शन पर निगरानी रखता है और यह निर्धारित करता है कि satellite को पृथ्वी से कमांड प्राप्त हो रही हैं और सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
  • Power – इस भाग से सूरज की किरणो से ऊर्जा प्राप्त करके बिजली में बदला जाता है, जिसका उपयोग satellite को ऊर्जा देना है।
  • Transporters – ट्रांसपोर्टर की मदद से पृथ्वी से प्राप्त होने वाली फ्रीक्वेंसी को डाउन लिंक फ्रीक्वेंसी में बदला जाता है और जब पृथ्वी पर सिग्नल भेजना होता है तो इन ट्रांसमिशन फ्रिकवेंसी को बढ़ाने का काम किया जाता है।
  • Guidance and stabilisation – गाइडेंस और स्टेबलाइजेशन द्वारा सेटेलाइट को उसके निर्धारित स्थान पर रखा जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि सेटेलाइट सही दिशा में जा रहा है या नहीं और यदि ऐसा नहीं है तो ट्रस्ट उसकी मदद से Satellite को सही दिशा में रखा जाता है।
  • Payload – सैटेलाइट द्वारा जानकारी प्राप्त करने के उपकरणों को इसमें लोड किया जाता है और जितने भी उपकरण सेटेलाइट में मौजूद होते हैं वह उस Satellite का टोटल पर लोड होता है।
  • Housing – हाउसिंग सेटेलाइट का वह भाग होता है जिसे अंतरिक्ष के वातावरण को सहन करने के लिए बनाया जाता है ताकि सैटेलाइट को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो सके।

Satellite अपने Orbit में कैसे टिका रहता है?

किसी भी सेटेलाइट को पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी तरफ खींच सकती है, और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण कोई भी सेटेलाइट बिना गति Orbit में स्थापित नहीं रह सकता। इसीलिए Orbit की ऊंचाई और सेटेलाइट के भाव की गणना करके सैटेलाइट की स्पीड निर्धारित की जाती है ताकि वह निरंतर पृथ्वी का चक्र लगाता रहे।

पृथ्वी के मुख्य तीन Orbit

  • Low Earth orbit
  • Polar orbit
  • Geostationary orbit

सेटेलाइट के उपयोग

  • टीवी सिग्नल को ट्रांसमिट करने के लिए सेटेलाइट का उपयोग किया जाता है और बिना Satellite के टीवी सिग्नल ट्रांसलेट करने पर बाधा उत्पन्न होती है इसीलिए इन सिग्नल को Satellite द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है।
  • नेविगेशन के लिए Satellite का उपयोग होता है और आपके फोन में मौजूद जीपीएस भी Satellite का इस्तेमाल करके ही आपके फोन की लोकेशन का पता लगाता है। आज के समय में कारों में भी जीपीएस मौजूद होता है जिससे आपको अपनी कार की लोकेशन और उसकी स्थिति ज्ञात होती है।
  • मौसम संबंधी जानकारी जैसे तूफान, बारिश, गर्मी इत्यादि Satellite द्वारा प्राप्त की जाती हैं। Satellite से प्राप्त हुई जानकारी से ही मौसम विभाग मौसम संबंधी भविष्यवाणी कर पाता है।
  • वायु प्रदूषण, जंगली आग, तेल रिसाव, समुंदर की लहर इत्यादि की जानकारी Earth Observation सैटेलाइट द्वारा की जाती है जिससे किसी भी प्रकार की आपदा से बचाव किया जाता है।
  • मोबाइल कम्युनिकेशन में Satellite का उपयोग किया जाता है और हमारा फोन इन सिग्नल के साथ कनेक्ट होता है जिससे आसानी से कम्युनिकेशन हो पाता है।
  • Satellite का उपयोग अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है जिससे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की रक्षा की जाती है।
  • Satellite की मदद से भूमि के अंदर मौजूद पानी और खनिज पदार्थों का पता लगाया जाता है।
  • इंटरनेट की मदद से दुनिया एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है और समुंदर में मौजूद फाइबर केबल इसमें हमारी मदद करते हैं परंतु आज के समय में इंटरनेट के लिए सैटेलाइट का भी उपयोग होना शुरू हो गया है।

Satellite को टकराने से कैसे रोका जाता है?

जब भी किसी स्पेस एजेंसी द्वारा Orbit में कोई Satellite छोड़ा जाता है तो वहां पर मौजूद लाखों Satellite से टकराने का डर बना रहता है। पृथ्वी की कक्षा में लाखों की संख्या में सेटेलाइट और सेटेलाइट के अलग-अलग भाग घूम रहे हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि जब भी कोई नई Satellite Orbit में स्थापित करनी हो तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह किसी ऐसी वस्तु से ना टकरा जाए जिससे पूरी Satellite तबाह हो जाए।

कुछ ऐसी एजेंसी में मौजूद है जो पृथ्वी के Orbit में घूम रही Satellite और उनके कबाड़ यानी कचरे पर नजर रखती हैं। जब भी कोई स्पेस एजेंसी Orbit में Satellite को स्थापित करती है तो इन एजेंसी की मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है और यदि भविष्य में भी किसी Satellite के टकराने काम है होता है तो इन एजेंसियों द्वारा स्पेस एजेंसी को अलर्ट भेजा जाता है जिससे इन Satellite को एक दूसरे के साथ टकराने और पृथ्वी के Orbit में मौजूद कचरे से टकराने से बजाया जाता है।

United State स्पेस surveillance network कैसी है जेंसी है जो इस प्रकार के खतरे से Satellite को बचाती है और यदि किसी दूसरी स्पेस एजेंसी का वह सैटेलाइट हो तो उन्हें अलग भी करती हैं।

भारतीय satellites

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने आज के समय में विश्व भर में अपना नाम बनाया है और अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ है। भारत ने सबसे पहले satellite सन 1975 में भेजा था, जिसका नाम आर्यभट्ट था और अभी तक भरत देश सैंकड़ों की संख्या में अपने satellite अंतरिक्ष में छोड़ चुका है।

भारत के satellites इसरो द्वारा भेजे जाते हैं, वहीं शुरुआरी समय में भारत को देशों की मदद लेनी पड़ती थी। भारत की स्पेस agency ISRO ने दुनिया भर में अपना नाम बनाया है और आज के समय में दूसरे देशों के satellites भी इसरो द्वारा भेजे जाते हैं।

Satellite संबंधित उपकरण

  • सेटेलाइट फोन
  • मोबाइल डिवाइस
  • जीपीएस डिवाइस
  • सैन्य उपकरण
  • टीवी डिश एंटीना

यह कुछ ऐसे उपकरण है जो सेटेलाइट से जुड़े होते हैं। इन उपकरणों को हम आम तौर पर कभी ना कभी देखते हैं। परंतु इसके अलावा भी सैकड़ों हजारों तरह के उपकरण मौजूद हैं, जो सैटेलाइट से संबंधित हैं।

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Satellite In Hindi | सेटेलाइट या उपग्रह क्या है व इसकी अन्य जानकारी

हैल्लो दोस्तों, आज Tech Karya हिन्दी ब्लॉग में, हम Satellite के बारे में बात करने है जिसमे बताएंगे कि, सैटेलाइट या उपग्रह क्या है (What is Satellite in Hindi) , सैटेलाइट कैसे काम करता है, सैटेलाइट के प्रकार, सैटेलाइट का उपयोग और सैटेलाइट का परिभाषा क्या है? इन सभी विषयों की जानकारी विस्तृतरूप से जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं कि, Satellite Kya Hota Hai ?

सैटेलाइट के बारे में आपने सुना होगा परंतु हो सकता है वास्तव में आप सैटेलाइट के बारे में बहुत कम जानते हों। हमारे दैनिक जीवन के वर्तमान समय मे Satellite का बहुत योगदान हैं जैसे टीवी, रेडियो, मोबाइल में GPS Navigation आदि सैटेलाइट की वजह से संभव हो पाता है व इन सभी डिवाइस को चलाने के लिए सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी प्रोवाइड करता है, आज के समय मे सारे उपकरण सैटेलाइट के माध्यम से ऑपरेट हो रहा है। भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट है जिसे 19 अप्रैल 1975 को लांच किया गया था इसे ISRO ने बनाया था, पर सेवियत संघ रूस के अंतरिक्ष संगठन के मदद से लांच किया गया था।

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सैटेलाइट विभिन्न प्रकार की क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करता हैं जैसे, दुनिया भर मे टेलीविजन कार्यक्रमों का प्रसारण, रिमोट फोन कॉल, मौसम की जानकारी, समाचार रिपोर्ट, ओला / उबेर टैक्सी बूकिंग, गूगल मैप, वाहन ट्रैकिंग, किसी स्थान या दुश्मन देश पर निगरानी करना, जीपीएस नेवीगेशन और भी बहुत कुछ, ये सभी विभिन्न तरह की जानकारी पाने हेतु सैटेलाइट की मदद से ही जाती हैं। इस पोस्ट मे चलिये जानते हैं की, सैटेलाइट क्या है, सैटेलाइट की विशेषताओं और इसके प्रकारों को समझते हैं।

Satellite Meaning in Hindi

Satellite ka hindi meaning : Satellite को हिंदी में ‘उपग्रह’ कहते है। ‘उपग्रह’ शब्द का अर्थ एक ऐसी वस्तु है जो पृथ्वी या अंतरिक्ष में किसी ग्रह पिंड के चारों ओर कक्षा में चक्कर लगाता है। उपग्रह दो प्रकार के होते है, पहला प्राकृतिक उपग्रह व दुसरा है, कृत्रिम उपग्रह ।

प्राकृतिक उपग्रह वह उपग्रह होते है जो मानव द्वारा निर्मित नहीं होते हैं, उदाहरण- चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है क्योंकि यह पृथ्वी की कक्षा में चारों ओर चक्कर लगाता है। कृत्रिम उपग्रह, यह मानव निर्मित उपग्रह होता है, जिसे विभिन्न देश के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान से लांच किया जाता है जो कि पृथ्वी के ऑर्बिटल में पृथ्वी का 24×7 चक्कर लगाता है। जैसे- Sputnik 1 , Rohini Satellites .

Satellite Definition in Hindi

Satellite वह वस्तु है जो प्राकृतिक रूप से या मानव द्वारा निर्मित होती हैं। जो वस्तु अंतरिक्ष में किसी अन्य बड़ी वस्तु (ग्रह) की परिक्रमा करती है, उसे उपग्रह कहते हैं। यह किसी भी ग्रह की कक्षा पथ में वृत्ताकार या अण्डाकार हो सकती है। बड़ी वस्तु अपने चारों ओर घूमने वाली सभी छोटी वस्तुओं को धारण करती हैं और उन्हें जीवन, प्रकाश, ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करती है। उदाहरण के लिए- पृथ्वी सुर्य का एक प्राकृतिक उपग्रह हैं क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा करती है।

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सैटेलाइट क्या है (What is Satellite in Hindi)

सैटेलाइट को हम आसानी से समझ सकते है यह एक छोटा ऑब्जेक्ट होता हैं जो अपने से बड़े ऑब्जेक्ट के चारों तरफ अन्तरिक्ष मे 24×7 परिक्रमा करता है। हमारी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाले चंद्रमा को भी एक Satellite कह सकते हैं पर यह पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक सैटेलाइट है जो इंसान के कंट्रोल या फिर किसी टेक्नोलॉजी के हिसाब से नहीं चलता हैं पर चन्द्रमा के परिक्रमण के आधार पर मानव ने अपने इन्वेंशन मे कृत्रिम सैटेलाइट बनाया व उसे पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमण के लिए छोड़ा हैं जो कि वर्तमान मे मानव के विकास मे बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है व मानव जीवन की विकास की साधनों में से एक हैं।

मानव द्वारा निर्मित सैटेलाइट एक छोटे से टीवी के आकार से लेकर एक घर जितना बड़ा हो सकता है, साइज़ के अनुसार ही काम कि निर्भरता होता है। सैटेलाइट के दोनों तरफ सोलर पैनल लगे होता हैं जिससे सेटेलाइट को सूर्य किरण से ऊर्जा मिलता है व बिजली मे कन्वर्ट होता है, वहीं सेटेलाइट के मध्य मे ट्रांसमीटर व रिसीवर होता हैं जिसके माध्यम से सिग्नल को रिसीव या भेजने का काम किया जाता हैं, इसके साथ ही कुछ कण्ट्रोल मोटर भी लगे रहते हैं जिसके सहायता से धरती से मनुष्य सेटेलाइट को रिमोट द्वारा नियंत्रित कर सकते हैं व उसकी स्थिति को बदल सकते हैं, या फिर उपग्रह का एंगल भी बदलना होता हैं तो सारी चीजें इस कण्ट्रोल मोटर के माध्यम से करते हैं।

सैटेलाइट को विभिन्न कार्यों के लिए बनाया गया हैं, आपको वह ऑब्जेक्ट सेटेलाइट में देखने को आसानी से मिल जाता हैं जैसे उपग्रह को पृथ्वी पर चक्रवात की इमेज लेने के लिए बनाया गया है, सैटेलाइट में बड़े कैमरे भी लगे होते है जो समुद्र को पूरी तरह से कवर करता है या फिर स्कैनिंग के लिए बनाया गया होता हैं तब आपको उसमे स्कैनर देखने को मिल जायेंगे वह भी उच्च क्वालिटी का स्केनर, यह सब Satellite के वर्क में निर्भर करता हैं।

सैटेलाइट के प्रकार (Types of Satellite in Hindi)

सौरमंडल में पृथ्वी, चंद्रमा सहित बहुत सारे उपग्रह मौजूद हैं। इसलिए, अंतरिक्ष मे ग्रहों के अस्तित्व के आधार पर उपग्रहों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया हैं:

  • प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite)
  • कृत्रिम उपग्रह (Artificial Satellite)

प्राकृतिक उपग्रह ( Natural Satellite)

वह उपग्रह जो मानव निर्मित नहीं हैं, वो प्राकृतिक उपग्रह कहलाते हैं, उदाहरण के लिए- पृथ्वी, बृहस्पति, यूरेनस, शनि, नेपच्यून और मंगल जैसे ग्रह एक अपने एक निश्चित कक्षा में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं इसलिए इन सभी ग्रह को सूर्य का प्राकृतिक उपग्रह कहते है। चंद्रमा भी पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह हैं क्योंकि यह पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता हैं। प्राकृतिक उपग्रहों को चंद्रमा कहा जाता हैं।

गैलेक्सी में सूर्य अरबों सितारों में से अपनी एक अलग पहचान रखता है जो पूरे सौर मंडल को धारण करता है। यह सौर मंडल में केंद्रीय स्थान लेता है और ग्रहों को सभी संसाधन प्रदान करता है। सौर मंडल में कुल 218 से अधिक प्राकृतिक उपग्रह हैं। इन ग्रहों मे अधिकतर चंद्रमा होते हैं, जो बड़े व छोटे ग्रहों और अन्य सौर मंडल के ग्रह पिंडों की परिक्रमा करते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही ग्रह बहुत बड़े होते हैं तथा उनका आकार काफी गोलाकार होता है। जैसे- बृहस्पति और शनि ग्रह।

कृत्रिम उपग्रह Artificial Satellite

वह उपग्रह जो मानव निर्मित होती है, कृत्रिम उपग्रह कहलाती हैं। यह पृथ्वी और सौर मंडल के अन्य ग्रहों की परिक्रमा करती हैं। मानव निर्मित उपग्रह को रॉकेट द्वारा लॉन्च किए जाते हैं, जो पृथ्वी की सतह से लंबवत निकलते हैं इसके बाद ये अंतरिक्ष में पृथ्वी या अन्य ग्रहों की कक्षा में स्थापित हो जाते हैं। कृत्रिम उपग्रह को उपग्रह कहा जाता है।

कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग टेलीविजन प्रसारण, सूचनाएं एकत्र करने, लोगों को संचार करने में मदद करने, पृथ्वी या अन्य ग्रहों का अध्ययन करने और यहां तक ​​कि दूर के ब्रह्मांड को देखने के लिए भी किया जाता है। मनुष्यों द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित दुनिया का सबसे पहला उपग्रह स्पुतनिक 1 हैं जिसे 1957 में सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किया गया था। मानव द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कुछ कृत्रिम सैटेलाइट के नाम Sputnik 1, Rohini, Vanguard 2E, Luna 2, Ranger 6, Aryabhata, Bhaskara-1 और Chandrayaan-1 इत्यादि हैं।

सैटेलाइट कैसे काम करता है (How to Satellite Works)

आपके मन मे यह सवाल होगा कि सैटेलाइट कैसे काम करता है, ऐसे मे आप यह जान गए होंगे कि Satellite ka hindi meaning एवं उपग्रह क्या होता है, अब जानते हैं, सैटेलाइट अंतरिक्ष मे खुले ब्रम्हांड में कैसे टिके रहते हैं या कैसे काम करते है?

सैटेलाइट वास्तव में यह धरती पर गिरता नही या फिर यह अंतरिक्ष मे खो क्यों नही जाता है, इसका कारण बहुत ही सिंपल हैं जैसे अगर किसी भी चीज को अन्तरिक्ष में रखना हैं या उसे रहना पड़ता हैं तब उसे अपनी गति से अपने से बड़े किसी ऑब्जेक्ट का चक्कर लगाना होता है, साथ ही उसकी स्पीड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही सेटेलाइट अंतरिक्ष मे ठहरता है, इसी नियम के आधार पर वर्क करता है। इसमे एनर्जी के लिए सोलर पैनल लगे होते है जिससे सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है इस तरह से सैटेलाइट कार्य करता हैं।

मुख्यतः उपग्रहो को हम आज के समय मे कम्युनिकेशन के लिए काम मे लाते हैं इससे काफी आसानी से कम्युनिकेशन डेवेलप होता है, क्योंकि रेडियो व ग्राउंड वेब पृथ्वी मे पूरी तरह से कम्युनिकेशन में काम नहीं आता हैं इसलिए ज्यादातर सैटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के काम में लिया जा रहा हैं।

सैटेलाइट का उपयोग (Uses of Satellite in Hindi)

मिलिटरी सैटेलाइट: मिलिटरी सैटेलाइट का उपयोग दुश्मन देश की वस्तुओं की जासूसी, सर्वेक्षण और ट्रैक करने के लिए करते है। ये उपग्रह दुश्मन की वस्तु की उपस्थिति वाले जगह को स्कैन करते हैं और मेजबान देश को वहां की तस्वीरें और जानकारियां उपलब्ध कराते हैं।

मौसम का पूर्वानुमान: सेटेलाइट द्वारा पृथ्वी पर मौसम का पूर्वानुमान करने, जलवायु की स्थिति की निगरानी करने, तूफान, चक्रवात और अत्यधिक बारिश जैसी किसी भी मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी करने और आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद करती हैं।

नेविगेशन: सैटेलाइट की सहायता से नेविगेट करके एक स्थान से दूसरी स्थान तक आसानी से पहुँच सकते हैं और एक ही जगह बैठे एक स्थान से दूसरे स्थान तक की दूरी जान सकते हैं व उसके आस-पास कौन-कौन सी चीजें मौजूद हैं। नेविगेशन के लिए GPS लोकेटर का प्रयोग करते है जो सैटेलाइटों कनेक्ट होती हैं।

टेलीफोन: सैटेलाइट पृथ्वी के किसी भी कोने जगह पर किसी भी व्यक्ति के साथ वायरलेस टेलीफोन कनेक्टिविटी करने में मदद करता हैं तथा यह किसी भी मौसम में कार्य करता हैं।

DTH टेलिकास्टिंग या टेलीविजन: हम किसी भी केबल का प्रयोग किये बिना सैटेलाइट से लाइव टीवी कार्यक्रम देखे सकते हैं जैसे- टीवी कार्यक्रम, क्रिकेट का फुटेज सैटेलाइट सिग्नल द्वारा प्रसारित किया जाता हैं।

जलवायु व पर्यावरण निगरानी: सेटेलाइट द्वारा जलवायु परिवर्तन रिसर्च के बारे मे जानकारी प्राप्त करने के लिए बेहतरीन स्रोत हैं। उपग्रह समुद्र के तापमान की निगरानी करते हैं। उपग्रह ग्लेशियरों के बदलते आकार को माप सकते हैं, जो जमीन से इसके बारे में पता करना मुश्किल हैं।

संक्षेप में:

जैसा की आपने जाना की सेटेलाइट क्या है , सैटेलाइट कम्युनिकेशन ने इंडस्ट्रीज को बिज़नस मे बदलाव लाने मे बहुत मदद की हैं। सैटेलाइट टेक्नालजी का प्रयोग करके नए-नए मोबाइल एप्लिकेशन बनाए गए हैं जिसका इस्तेमाल हम नेविगेशन व अन्य जानकारीयां पाने के लिए करते हैं तथा यह स्टेकहोल्डरों को बिज़नस से जोड़ता हैं।

हमें उम्मीद है मेरे द्वारा दी गयी जानकारी Satellite ka hindi meaning , Upgrah kya hai तथा Satellite kaise kam karta hai इत्यादि आपके लिए उपयोगी व ज्ञानवर्धक साबित हुई होगी। अगर आपको ये पोस्ट Satellite kya hota hai अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें, ताकि उन सबको भी ये जानकारी मिल पायें। अगर इस पोस्ट से संबन्धित कोई भी सवाल व सुझाव हैं तो आप कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं, धन्यवाद!

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दा इंडियन वायर

भारतीय सैटेलाइट/उपग्रहों की सूची, जानकारी

essay on artificial satellite in hindi

By अपूर्वा सिंह

भारतीय उपग्रह indian satellite in hindi

विषय-सूचि

सैटेलाइट क्या है? (what is satellite in hindi)

सैटेलाइट एक चंद्रमा, ग्रह या मशीन है जो ग्रह या तारे की कक्षा में होती है या उसके चारों और घूमती है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी एक उपग्रह है क्योंकि यह सूर्य की कक्षा में है और उसके चारों ओर परिक्रमा लगाती है। इसी तरह, चंद्रमा एक उपग्रह है क्योंकि यह पृथ्वी की परिक्रमा लगाता है।

आम तौर पर, “उपग्रह” शब्द एक मशीन को संदर्भित करता है जो अंतरिक्ष में लॉन्च होता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी या किसी अन्य शरीर के चारों ओर घूमता है।

पृथ्वी और चंद्रमा प्राकृतिक उपग्रहों के उदाहरण हैं। हजारों आर्टिफिशल, या मानव निर्मित, उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते हैं।

आर्टिफिशल सैटेलाइट मानव निर्मित होती हैं। यह प्राकृतिक सैटेलाइट या चंद्रमाओं, ऑर्बिट ग्रह, ड्वार्फ ग्रहों और यहां तक कि आस्टेरॉइड्स से भी अलग होती है। आर्टिफिशियल सैटेलाइट का उपयोग पृथ्वी, अन्य ग्रहों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, ताकि हमें संवाद करने में मदद मिल सके, और दूर ब्रह्मांड का निरीक्षण भी किया जा सके।

भारतीय उपग्रहों के नाम (names of indian satellites in hindi)

निम्नलिखित सभी सैटेलाइट भारतीय सरकार (इसरो, भारतीय रक्षा बल, अन्य सरकारी एजेंसियों) या निजी (शैक्षिक और अनुसंधान) इकाइयों द्वारा संचालित की गई हैं। ये सभी लॉन्च पूर्ण रूप से सफल हुए है।

1. 1975 से 1992 तक लॉन्च सभी सैटेलाइट (indian satellites-1)

2. 1933 से 2003 भारतीय उपग्रह तक (indian satellites list-2), 3. 2005 से 2011 तक लांच (indian artificial satellites-3), 4. 2011 से 2016 तक की सूची (list of indian satellites-4), इसरो के बारे में कुछ अनोखे तथ्य (facts about isro in hindi).

  • अपने पहले प्रयास में ही मंगल तक पहुंचने वाली इसरो एकमात्र अंतरिक्ष एजेंसी है।
  • इसरो के ‘चंद्रयान’ ने चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि करने में मदद की थी।
  • ‘मंगलयान’ पर हॉलीवुड की फिल्म ग्रेविटी और चंद्रयान II से कम लागत मूवी इंटरस्टेलर से कम खर्च हुए थे।
  • इसरो ने एक भी विफलता के बिना 100 से अधिक विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया है।
  • इसरो द्वारा एक ही लॉन्च में अधिकतम उपग्रहों (104 सैटेलाइट) को लॉन्च करने का विश्व रिकॉर्ड है। पिछला रिकॉर्ड रूस द्वारा 37 उपग्रहों को लॉन्च करने का था।
  • पीएसएलवी के 43 लॉन्च में से 41 ने इसे दुनिया में सबसे विश्वसनीय लॉन्च वाहनों में से एक बना दिया है।
  • इसरो ने स्वदेशी डिजाइन और क्रायोजेनिक इंजन विकसित किया है।

इस विषय से सम्बंधित आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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Antriksh mein sabse pehle konsa upgraha chhoda gaya tha?

jo satellites bharat antariksh mei chodta hai aa uske arts sabhi indi mmein bane hote hain yaa fir baahar se bhi aate hain?

Antriksh me total kitne artificial satellites Hain? In satellites me se kitne satellites Bharat ke dwara banaye gaye Hain?

Setellites ke signal lo isro Ya aur koi kaise catch karta hai???

Give me a answer…..

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अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगाते सैटलाइट क्या होते हैं? What is Satellite In Hindi

भविष्य में पृथ्वी के चक्कर लगा रहे होंगे 1 लाख सैटलाइट.

Photo of Aryan Mishra

क्या आपने कभी सोचा है कि आप किसी एक देश में बैठकर दूसरे देश में फोन कैसे लगा लेते हैं और आपकी बात कैसे हो जाती है? क्या आपने कभी यह सोचा है कि आप जो टीवी देखते हैं उसमें आपके फेवरेट सीरियल कैसे आते हैं? क्या आपके दिमाग में कभी यह सवाल आया है कि कैसे आप इंटरनेट का मजा घर बैठे उठा पाते हैं और कैसे वैज्ञानिक कई दिन पहले ही कई हफ्तों आगे तक के मौसम का ऐलान कर देते हैं? खैर यह हो आपको पता है कि इंसानों द्वारा बनाई गई कुछ सबसे आधुनिक और जरूरी चीजों में से एक ऐसी जीज है  सेटेलाइट (Satellite In Hindi) जिसे कहा जाता है। इनका हमारी जिंदगी में इतना बड़ा योगदान है लेकिन फिर भी उनके बारे में काफी कम ही लोग गहराई में जानते हैं।

आपने इस आर्टिकल को पढ़ना शुरू किया है इसका मतलब यह है कि आप इनके बारे में जानने में इंटरेस्टेड है और आज के इस आर्टिकल में हम आपको सेटेलाइट से जुड़ी हर जरूरी जानकारी बताने की पूरी कोशिश करेंगे। आइए सबसे पहले यह जानने से पहले शुरुआत करते हैं कि आखिर सेटेलाइट किसको कहते (Satellite In Hindi)  है।  तो अगर कोई भी छोटी चीज किसी बहुत बड़ी चीज का चक्कर लगाती है तो उसे सेटेलाइट कहा जाता है। जैसे चांद हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता है इसलिए वह एक सेटेलाइट है और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भी हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता है इसलिए वह भी एक सेटेलाइट है ।

विषय - सूची

दो प्रकार के होते हैं सैटेलाइट | Types Of Satellites In Hindi

सेटेलाइट के भी दो प्रकार होते हैं पहली होती है आर्टिफिशियल सैटेलाइट (Artificial Satellite) और दूसरी होती है नेचुरल सैटेलाइट (Natural Satellite) । आर्टिफिशियल सैटेलाइट ऐसी सेटेलाइट को बोलते हैं जो इंसानों द्वारा बनाई जाती है और अंतरिक्ष में भेजी जाती है फॉर एग्जांपल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन।

Types Of Satellite

दूसरी होती है नेचुरल सैटेलाइट जो इंसानों द्वारा नहीं बनाई जाती है और अंतरिक्ष में होने वाले अलग-अलग प्रोसेसेस की वजह से बन जाती है जैसे हमारा अपना चांद। हमारे सौर मंडल में बहुत ज्यादा मात्रा में सेटेलाइट है और लगभग हर ग्रह के पास अपना एक चांद तो है ही। सौर मंडल में सबसे ज्यादा नेचुरल सैटेलाइट शनि ग्रह (Saturn) की है और इसके पास करीब 82 चांद है। इसके अलावा भी 20 चांद ऐसे हैं जो अभी वैज्ञानिकों द्वारा कंफर्म नहीं किए गए हैं लेकिन भविष्य में अगर यह कंफर्म होते हैं तो शनि ग्रह के पास करीब 102 चांद होंगे।

Sputnik 1 मानवों द्वारा अंतरिक्ष में भेजी गई पहली सैटलाइट

हमारी पृथ्वी से अंतरिक्ष में सबसे पहली सेटेलाइट रूस के द्वारा भेजी गई थी जिसका नाम था Sputnik 1 । दरअसल जब सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लांच किया गया था तो इससे पहले अमेरिका भी एक बार सेटेलाइट (Satellite In Hindi) को लांच करने का ट्राई कर चुका था लेकिन वह फेल हो गया था। वेस्टर्न दुनिया के लोग सोचते थे कि रूस कभी भी अंतरिक्ष में कोई भी चीज नहीं भेज पाएगा लेकिन उसने इस पहली सेटेलाइट को अंतरिक्ष में भेज कर इतिहास रच दिया। यह सेटेलाइट 4 अक्टूबर 1957 को लांच की गई थी और इसका साइज एक फुटबॉल के बराबर था। इसके बाद नवंबर 3 1957 में रूस ने एक और सेटेलाइट लांच की जिसमें लाइका नाम की एक फीमेल डॉग भी मौजूद थी।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन – सबसे बड़ी मानव निर्मित सैटलाइट

अगर बात करें पृथ्वी के ऑर्बिट में मौजूद सबसे बड़ी आर्टिफिशियल सेटेलाइट के बारे में तो वह है हमारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जिसको बनाने में ही करीब 10 सालों का समय लगा था और इसमें कई सारे अलग-अलग देशों ने अपनी रिसर्च और फंडिंग दी थी ताकि इसके द्वारा की गई रिसर्च उन्हें भी मिल पाए। इसे 1998 से 2011 के बीच में बनाया गया था और ऐसा कहा जाता है कि 2024 तक यह काम करने लायक नहीं बचेगा और इसीलिए चाइना जैसे देश खुद का ही स्पेस स्टेशन बनाने में लगे हुए हैं।

जाने ISS से जुड़ी रोचक जानकारियाँ - International Space Station Facts In Hindi

हमारी पृथ्वी के ऑर्बिट में करीब 500000 आर्टिफिशियल सेटेलाइट्स है और इतनी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से इनके आपस में टकराने का खतरा भी बढ़ जाता है। दरअसल जब भी किसी सेटेलाइट को लांच किया जाता है तो इन सभी सेटेलाइट्स के ऑर्बिट को देखते हुए लांच किया जाता है और उसे इस तरह से कंट्रोल किया जाता है कि वह कहीं किसी और सेटेलाइट में जाकर ना टकरा जाए।

सैटलाइट और इनका खतरा

लेकिन फिर भी इतना ध्यान रखने के बाद कुछ ना कुछ ऐसी गलतियां हो ही जाती है जिससे सेटेलाइट आपस में टकराती है और उससे दिक्कतें और भी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि उनके द्वारा किए गए छोटे-छोटे पार्टिकल्स बाकी सेटेलाइट को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें भी क्रैश होने पर मजबूर कर सकते हैं। सबसे ज्यादा सेटेलाइट  (Satellite In Hindi)  के टकराव का कारण 2007 में चाइना के द्वारा किया गया एक एंटी सैटलाइट मिशन था जिसने अर्थ के औरबिट में काफी ज्यादा मात्रा में कूड़ा फैला दिया और उससे 2013 में रसिया की भी एक सेटेलाइट टूट गई। इसी साल 2 और सेटेलाइट्स Iridium 33 और कॉसमॉस 2251 भी आपस में टकरा गई जिससे अर्थ के ऑर्बिट में एक बड़ा सा debris(मालवा) का बादल बन गया।

Future threats to space missions- Space Debris.

सैटलाइट क्या काम करता है?

पृथ्वी पर सैटेलाइट का सबसे बड़ा इस्तेमाल कम्युनिकेशन और नेविगेशन में होता है। आपके घर में जो भी टीवी सीरियल या मूवी आपको दिखाई जाती है वह सब सेटेलाइट के द्वारा ही पॉसिबल हो पाता है। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) सेटेलाइट के एक बहुत बड़े नेटवर्क की वजह से काम कर पाता है जो अलग-अलग लोकेशन के डाटा को एक जगह इकट्ठा करके एक रियल टाइम मैप बनाती है। दरअसल जो भी चीज पृथ्वी के बाहर होती है उसका टाइम हमारी पृथ्वी के अंदर के टाइम से अलग चलता है इसलिए जीपीएस वाली इन सेटेलाइट को जल्दी-जल्दी रिपेयर भी किया जाता है ताकि समय और लोकेशन में ज्यादा बड़ा डिफरेंस ना दिखाई दे।

यह तो सेटेलाइट के काफी छोटे स्तर पर योग्य है लेकिन सबसे ज्यादा सेटेलाइट (Satellite In Hindi) का इस्तेमाल बाकी ग्रहों पर नजर रखने के लिए और उन पर खोजबीन करने के लिए किया जाता है। हम ऑलमोस्ट हर ग्रह पर सेटेलाइट भेज चुके हैं और इन्हीं से मिले हुए डाटा से हम अपनी बाकी की रिसर्च को कंटिन्यू कर पाते हैं। हम आपको यह तो बताना भूल ही गए कि हमारी भारत की पहली सेटेलाइट का नाम आर्यभट्ट था जो बहुत ही फेमस मैथमेटिशियन आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था जिन्होंने जीरो को इन्वेंट किया था।

सेटेलाइट्स का यूज़ वेदर रिपोर्ट बनाने में भी किया जाता है। यह सेटेलाइट्स पृथ्वी पर मौजूद हर तरह की हवा का डाटा वैज्ञानिकों को भेजती रहती है और जब पूरी पृथ्वी के डाटा को आपस में मिलाया जाता है तो यह पता चल जाता है कि किस एरिया में कैसा मौसम आने वाला है। सेटेलाइट की मदद से यह भी पता लगाया जाता है कि किस एरिया में सुनामी जैसी कोई बड़ी आपदा आने वाली है और वहां पर रहने वाले लोगों को इसी जानकारी के बूते पर बचा लिया जाता है।

भविष्य का सैटलाइट सिस्टम

अब तो एलॉन मुस्क और जैफ बेजॉस जैसे दुनिया के सबसे अमीर इंसान भी सेटेलाइट सिस्टम को बना रहे हैं। एलोन मस्क की कंपनी स्टार लिंक एक ऐसे नेटवर्क को पृथ्वी के ऑर्बिट में भेजना चाहती है जिससे कहीं भी इंटरनेट को एक्सेस किया जा सके। इसके लिए एलन मस्क सबसे पहले 12000 सेटेलाइट्स को अर्थ के ऑर्बिट में भेजेंगे जिससे यह सर्विस चालू हो पाएगी और जैसे-जैसे यह टेक्नोलॉजी और ज्यादा आगे बढ़ेगी वैसे वैसे करीब 42000 सेटेलाइट को पृथ्वी के ऑर्बिट में भेजा जाएगा।

Satellites in lower earth orbit.

एलोन मस्क का ऐसा इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी जगह है जहां पर इंटरनेट नहीं एक्सेस किया जा सकता जैसे रेगिस्तान के बीच में लेकिन अगर यह सेटेलाइट (Satellite In Hindi) का नेटवर्क होगा तो हम किसी भी जंगल और किसी भी रेगिस्तान में इंटरनेट को बहुत आसानी से यूज़ कर पाएंगे। यह शुरुआती दिनों में आम इंटरनेट से काफी ज्यादा महंगा होगा लेकिन इसकी स्पीड भी उतनी ही ज्यादा होगी। ऐसा कहा जाता है कि इतनी सारी सेटेलाइट लांच करने के बाद पृथ्वी का औरबिट बहुत ही ज्यादा भर जाएगा और इसके लिए हमें एक ऐसी टेक्नोलॉजी को भी डेवलप करना पड़ेगा जो अंतरिक्ष में मौजूद बेकार सेटेलाइट्स को कलेक्ट करके वापस से पृथ्वी पर ले आए या फिर उन्हें इस तरह से नष्ट करें कि वह दोबारा पृथ्वी के ऑर्बिट में ना आ सके। ‌

खैर यह था हमारा सेटेलाइट से जुड़ा हुआ आर्टिकल। आपको यह कैसा लगा हमें जरूर बताएं।

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Aryan Mishra

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निबंध (Artificial Intelligence Essay in Hindi)

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैसा कि शब्द से ही पता चलता है, बुद्धिमत्ता को कृत्रिम रूप से बनाया जाता है ताकि मशीनों को बुद्धिमत्ता के प्रसंग में, मनुष्यों की तरह व्यवहार करने के लिए बनाया जा सके। मशीनों को यदि बुद्धिमत्ता के आदेशों के साथ प्रक्रिया में लाया जाता है, तो वे 100 प्रतिशत परिणाम देते हैं, क्योंकि वे कुशल हैं। मानव मस्तिष्क उसी तरह की क्षमता के लिए सक्षम हो सकता है या संभव है कि नहीं भी हो सकता है क्योंकि यह उस दौरान मस्तिष्क के कार्य करने पर निर्भर करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता जिसे हम अंग्रेजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी कहते हैं उसका जन्म वर्ष 1950 में हुआ था। जॉन मैकार्थी पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसा कोई शब्द बनाने वाले पहले व्यक्ति थे, इसलिए उन्हें एआई (AI) का जनक माना जाता है। यह कंप्यूटर को एक इंसान के रूप में सोचने, समझने, और प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने की प्रक्रिया है साथ ही डेटा को इनपुट्स और कमांड के रूप में विकसित करके प्रदर्शन किया जाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बारे में और भी अधिक विस्तार से जानने के लिए हम यहाँ पर आपके लिए अलग अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध लेकर आये हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Artificial Intelligence in Hindi, Kritrim Buddhimatta par Nibandh Hindi mein)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निबंध – (250 – 300 शब्द).

हम कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटेलिजेंस वाले कंप्यूटर और मशीनें हैं जो हमारे काम को आसान बनाती हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह कंप्यूटर को इंसान की तरह सोचने और कार्य करने की क्षमता प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह कंप्यूटर को इनपुट और दिशा-निर्देश के रूप में डेटा देकर किया जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग

एआई के अनुप्रयोग विशाल और विविध हैं, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल और वित्त से लेकर परिवहन, मनोरंजन और बहुत कुछ शामिल हैं। जैसे की स्व चालित गाड़िया, एआई-पावर्ड असिस्टेंट, फेशियल रिकॉग्निशन, सिफ़ारिश प्रणाली, रोबोटिक्स आदि। आजकल सबसे लोकप्रिय एआई एप्लिकेशन चैटजीपीटी हैं, यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ताओं को प्रश्न टाइप करते ही उसका उत्तर दे देता है, यह बिलकुल एक इंसान जैसा उत्तर देता है। एआई फोटो जनरेटर, जो एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ताओं को प्रश्न टाइप करते ही मनमाफिक फोटो जेनेरेट कर देता है। ये बिलकुल ही अकल्पनीय सॉफ्टवेयर है। सोफिया, एक बहुत ही उन्नत ह्यूमनॉइड रोबोट है जो एक व्यक्ति की तरह कार्य और व्यवहार कर सकती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: दोस्त या दुश्मन

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को संदर्भ और इसके उपयोग के तरीके के आधार पर दोस्त और दुश्मन दोनों के रूप में देखा जा सकता है। एआई प्रौद्योगिकियां उबाऊ कामों को स्वचालित करके और अधिक कुशल बना सकती हैं। चूंकि एआई कुछ कार्यों को स्वचालित करना आसान बनाता है, इसलिए लोगों को नौकरी छूटने और संभावित बेरोजगारी की चिंता होती है, खासकर उन उद्योगों में जो मैन्युअल काम या बार-बार किए जाने वाले कार्यों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं। एआई सिस्टम को हैक किया जा सकता है या बदला जा सकता है, जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है और एआई-संचालित प्रौद्योगिकियों का गलत उपयोग भी हो सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने विभिन्न उद्योगों में क्रांति ला दी है और इसका तेजी से विकास जारी है। हालाँकि, इसके जिम्मेदार और लाभकारी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एआई से जुड़े नैतिक विचारों और संभावित जोखिमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान में हो रही प्रगति में से एक है, इसलिए इसे कंप्यूटर विज्ञान की ही एक शाखा के रूप में देखा जा सकता है। यह मशीनों की बुद्धिमत्ता है। आमतौर पर, हम इंसानों की बुद्धिमत्ता को ही समझते हैं, लेकिन जब इसी को मशीन द्वारा दर्शाया जाता है, तो उसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है।

एक मशीन तभी कार्य करती है जब उसे निर्देश दिया जाता है लेकिन अगर उसी मशीन में मानव जैसी सोच और विश्लेषण, समस्या को सुलझाने की क्षमता, आवाज पहचानने की क्षमता आदि को स्थापित कर दिया जाए, तो वही इसे स्मार्ट साबित करता है। मानवीय बुद्धिमत्ता कुछ संसाधित निर्देशों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। मशीनों के निर्देश के रूप में कई संसाधित कमांड हैं ताकि वे मनचाहे परिणाम दे सकें।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रकार

मुख्य रूप से दो प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता होती है, जो इस प्रकार से हैं :

  • संकुचित कृत्रिम बुद्धिमत्ता – ये सिर्फ एकल कार्य कर सकते हैं, उदाहरण – आवाज की पहचान करना।
  • सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता – इस तरह की बुद्धिमत्ता में मानव जैसे कार्यों को करने की क्षमता होती है। फिलहाल आज की तारीख तक, ऐसी कोई मशीन विकसित नहीं हुई है।
  • उत्कृष्ट कृत्रिम बुद्धिमत्ता – एआई एक इंसान से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखता है। हालाँकि इस पर अभी भी शोध जारी है।
  • प्रतिक्रियाशील मशीन – यह मशीन किसी परिस्थिति के प्रति तेजी से प्रतिक्रिया करती है। यह वर्तमान या भविष्य के उपयोग के लिए किसी भी डेटा को स्टोर करने में सक्षम नहीं है। यह फीड किए गए डेटा के अनुसार काम करता है।
  • सीमित स्मरणशक्ति – यह मशीन एक सीमित अवधि के लिए कम मात्रा में डेटा इक्कठा कर सकती है। इसके उदाहरण सेल्फ ड्राइविंग कार और वीडियो गेम हैं।
  • मन का सिद्धांत – ये ऐसी मशीनें हैं जो मानवीय भावनाओं को समझती हैं, ये काफी ज्यादा समझदार होती हैं। हालाँकि इस प्रकार की मशीनें अभी तक विकसित नहीं हुई हैं। इसलिए अवधारणा पूरी तरह से काल्पनिक है।
  • आत्म जागरूकता – इस प्रकार की मशीनें इंसानों की तुलना में बेहतर काम करने का गुण रखती हैं। ये दूसरी बात है कि आज की तारीख तक, ऐसी कोई मशीन विकसित नहीं की गई है। हालाँकि इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: मानव जाती के लिए खतरा

विकासशील तकनीक के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक वरदान साबित हो रही है। यह कार्यभार को कम करने के साथ-साथ इसे विशेष रूप से हल करके उक्त कार्य को और भी ज्यादा आसान बना सकता है। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक व्यक्ति अपने कार्य में कई तरह के लाभ उठा सकता है। चूंकि इस दुनिया में हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कई नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। यदि इस तकनीक का उपयोग नकारात्मक मानसिकता के साथ किया जाता है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सम्पूर्ण मानव जाति को नष्ट भी कर देगा। किसी भी तकनीक को विकसित करने का मतलब यह कभी नहीं होता है कि हमें काम करना बंद कर देना चाहिए, वे केवल हमारे काम को आसान बनाने के लिए हैं। लेकिन अगर हम इस बात को भूल जाते हैं तो हमारे हाथ निराशा के अलावा और कुछ भी नहीं लगेगा।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली कई मशीनें आज की तारीख में उपलब्ध हैं, जो हमारे काम को आसान बनाती हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस तमाम उपकरणों के विकास के कारण कम ज्ञान वाले लोगों को भी काफी मदद मिल जाती हैं। आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास का उपयोग किया जा सकता है।

निबंध 3 (600 शब्द) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता: एक विशेषाधिकार या नुकसान

मशीनें हमारे काम को सरल और आसान बनाती हैं, लेकिन अगर मशीनों में इंसान जैसी समस्याओं को सुलझाने और परिणाम देने की क्षमता आ जाती है तो यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहलाता है। यह कंप्यूटर विज्ञान की उन्नत शाखाओं में से एक है। मशीनों में मानव बुद्धिमत्ता की विभिन्न विशेषताओं को विकसित करने पर ध्यान देने की दिशा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को परिभाषित किया जा सकता है। इन विशेषताओं को विभिन्न डेटा, बुद्धिमत्तापूर्ण एल्गोरिदम के माध्यम से विकसित किया जा सकता है जिन्हें इनपुट के रूप में उपयोग किया जाना है। वर्तमान में हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ तमाम तरह के उपकरणों से घिरे हुए हैं, उदाहरण के लिए, एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, मोबाइल, बायोसेंसर, वीडियो गेम, आदि। व्यापाक रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास से मानव जाति को विभिन्न पहलुओं में लाभ होगा।

संकुचित , सामान्य और उत्तम कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है

संकुचित कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • यह एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता है जो कार्य विशिष्ट होती है यानी किसी एक काम को करने के लिए बना होना।
  • किसी एक कार्यक्रम को करने की क्षमता होना।
  • आमतौर पर यह व्यापक रूप से उपलब्ध है।
  • उदाहरण के लिए, आवाज पहचाना, चेहरा पहचाना, आदि।

सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता में मानवीय भावनाओं को समझने की क्षमता होती है जैसे- दुःख, सुख, क्रोध, आदि।
  • काम के वक़्त इंसान जितना बेहतर साबित होगा, हालाँकि इस तरह की बुद्धिमत्ता वाली मशीन को विकसित करने की कोशिशें जारी हैं।

उत्तम कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • एक प्रकार का कृत्रिम बुद्धिमत्ता जो समस्या-समाधान और अन्य कार्यों में मनुष्य से बेहतर प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।
  • इसपर शोध प्रक्रिया अभी भी जारी है। ऐसा कोई उपकरण आज तक विकसित नहीं हुआ है, फिलहाल यह काल्पनिक है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: एक विशेषाधिकार या नुकसान

मशीन में मानव बुद्धि को विकसित करने के लिए, कार्य को सरल बनाने के लिए, कंप्यूटर विज्ञान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में उन्नति की है। यह विशेष अधिकार या नुकसान के रूप में पहचान करने के लिए उपयोग के मानदंडों पर निर्भर करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमें अपने काम को आसान बनाने के लिए सहायता प्रदान करने में हमारी मदद कर रहा है,

  • यदि यह शिक्षा के साथ है, तो तेजी से सीखने के विभिन्न तरीकों के साथ ऊपर उठने में मदद करता है, बिना किसी गलती के अधिक मात्रा में डेटा संकलित करता है।
  • चिकित्सा क्षेत्र में, यह विभिन्न तरह के निदान के लिए डेटा व्याख्या की सुविधा प्रदान करता है, किसी तरह के प्रयास की उम्मीद किये बिना यह विभिन्न रोगियों का विवरण प्राप्त करना, आगे चलकर किसी भी बीमारी से संबंधित प्रश्नों या रोगियों की काउंसलिंग के बारे में चर्चा के लिए एक सामान्य मंच साबित करने में मदद करता है। रूटीन चेकअप की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ अन्य कई उपकरण भी उपलब्ध हैं।
  • यह दैनिक गतिविधियों में भी काफी उपयोगी है, आगे अनुसंधान और विकास क्षेत्र को बहुत मदद प्रदान करता है।

जिस तरह से हम अपने जीवन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लागू करते जा रहे हैं इससे यह तय होते जा रहा है कि यह एक विशेषाधिकार होगा या फिर नुकसान होगा।

सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जो कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से है और वह ये है कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। यह ई-कचरे को जन्म देता है जो सड़ने योग्य नहीं माना जाता है और अगर इसे डंप भी किया जाता है, तो यह तमाम तरह की विषाक्त भारी-भरकम धातुओं को छोड़ देगा, जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता ख़त्म हो जाएगी।

  • प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता मनुष्य में आलस्य का कारण बनती जा रही है। अलग-अलग बीमारियों को न्यौता देने के साथ-साथ आपके काम करने की क्षमता भी वक़्त के साथ कम होते जाती है। इसलिए किसी को इन उपायों पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए।
  • वह दिन दूर नहीं जब मशीन इंसानों से ज्यादा बेहतर हो जायेंगे।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जब उचित तरीके से उपयोग की जाती है, तो इसके अच्छे परिणाम आते हैं, लेकिन अगर मशीन को दिए गए निर्देश नकारात्मक या विध्वंसक हैं, तो इससे समुदाय को नुकसान हो सकता है।
  • प्रौद्योगिकियां दिन-प्रति-दिन आगे बढ़ती जा रही हैं, और इस तरह वह समय नजदीक होगा जब इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से किया गया हर कार्य मानव को विलुप्त होने की ओर ले जाएगा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि तकनीकी उन्नति, मानव जाति के विकास में एक सहायक रणनीति साबित हो रही है। आज इंसान चाँद पर बसने की योजना बना रहा है। जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्तर पर विकसित किया जाता है, तो उससे काफी अधिक तकनीकी सहायता मिलेगी। रोबोटिक्स जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता की एक विकासशील शाखा है, इसके उच्च योगदान हो सकते हैं। प्रशिक्षित रोबोट को परीक्षण और निगरानी गतिविधियों के लिए अलग-अलग नमूने प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। इसलिए कुल मिला जुला कर, यह कहा जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव जाति को लाभान्वित करने की दिशा में है यदि उसका उपयोग उचित और सकारात्मक तरीके से किया जाए।

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Essay On Artificial Satellites And Their Types

  • Post category: Essay
  • Reading time: 5 mins read

Artificial satellites are the most common kind of spacecraft that stay in space for many months or even for many years.

Satellites are used for different purpose like communication, observing the atmosphere from space and for defence or for military actions. The shape of a satellite can differ depending on the job it has to perform. Satellites can carry all kinds of equipment such as telescope, cameras and others necessary things.

The first artificial satellite to be launched into space was Sputnik – I by Russia. A month later Sputnik – II was launched with a dog called ‘Laika’. Laika became the first living creature to travel in space. It remained in orbit for seven days.

Communication satellite, environmental satellite and military satellite are the three kinds of satellites. Communication satellites are used to relay television signals, transmit telephone, telex and computer data. In 1962, America launched the first communication satellite Telstar’. This satellite relayed television pictures across the Atlantic Ocean. Soon International Tell Communication Satellites Organization was set up to provide universal communications. Today, more than 100 member nations own and operate the world’s largest commercial communication satellites belonging to Intelsat.

Environmental satellites are used for various purposes such as monitoring the weather, temperature of land and sea or determining the speed of ocean currents or winds. They are also useful to locate and determine minerals on land and the areas of high pollution. They are also used to monitor deforested areas. Environmental satellites are fitted with many different types of instruments so that images are sent back to the Earth. Some of them also have instruments that can identify chemicals in the atmosphere and monitor the greenhouse effect. In 1960s, USA launched Turos – I as the first weather satellite.

The primary use of military satellites is to monitor the enemy territory. Photographs can be taken of the enemy territory and targets can be decided that are to be attacked in future. Such satellites are used for dropping on radio communication of the enemy. Military satellites can also monitor enemy launch sites from where missiles are sent up. Thus, early warning of a missile attack can be given. The head of the country can connect with the Chief of the troop on the battlefield through such satellites. Modern spy satellites can electronically scan the ground from orbit and images can be transmitted to the Earth.

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essay on artificial satellite in hindi

Essay On Artificial Intelligence In Hindi

                      आज के इंटरनेट के जमाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) बहुत ही तेजी से काम कर रहा है| आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब होता है कृत्रिम बुद्धि इंटेलिजेंस जो इंसानों द्वारा बनाया गया है| मशीनों को बेहतर बनाने के सोचने व समझने की क्षमता को बढ़ाना ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाता है।

                      आज के इंटरनेट के जमाने में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस बहुत ही तेज़ी से काम कर रहा है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब होता है, कृत्रिम बुद्धि या एक ऐसा इंटेलिजेंस जो इंसानों द्वारा बनाया गया है और इस इंटेलीजेंस का इस्तेमाल व्यक्ति मशीन को बेहतर बनाने के लिए करते है। एक इंजीनियर के लिए मशीन में सोचना एक बहुत ही उन्नत रूप माना जाता है।, इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है जिसमें कम्प्यूटर सोच समझ कर इंसानों के तरह परिणाम निकाल सके। मशीनों की सोच आपको बिल्कुल इंसानों के सोच से मिलती जुलती मिलेगी। आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल देश और विदेश दोनों को विकाश की ओर ले जा रहा है। नई नई तकनीकों में से एक ये आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस बहुत ही अच्छा साबित रहा है, ये प्रोग्राम से हर व्यक्ति बहुत खुश है। ये आपके जीवन यापन को और भी आसान बनाता जा रहा है।

Table of Contents

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत (Introduction Of Artificial Intelligence in Hindi)

कृत्रिम बुद्धि की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी| लेकिन इसको पहचान और महत्व 1970 में मिली। आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन में कार्तिक के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है जो कि कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान अभियांत्रिकी को बनाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब है बनावटी तरीकों से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसके जरिए कंप्यूटर सिस्टम प्रोबोट सिस्टम तैयार किया जाता है। आपकी किसी भी तर्कों का उत्तर या मानव मस्तिष्क के तरह देता है। ब्रिटेन में इसके लिए एल्वी नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। फिर यूरोपी संग के देशों ने भी अस्प्रित नाम से कार्यक्रम की शुरुआत की ।

                  कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में पहली सफलता तब मिली जब 1957 में नेवल और साइमन द्वारा एक जनरल प्रोबलम सॉल्वर (जीपीएस) नामक नोबेल प्रोग्राम बनाया गया। इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाले बहुत सारे तकनीको का विकास किया, इसी प्रकार आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस को और बेहतर बनाते बनाते वर्तमान में इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे काम करता है (How Does Artificial Intelligence Work In Hindi)

                    आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस प्राकृतिक मनुष्य बुद्धि के जैसे ही मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है। कंप्यूटर विज्ञान के सर्वप्रिय कार्यक्रम में से एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी है, जो अपने पर्यावरण को देखकर तर्कों को देखकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) का प्रोग्राम बनाने के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एंड मशीन लर्निंग इन सब चीजों को सीखना पड़ेगा जिस से बेहतर और सुरक्षित आर्टिफिशियल प्रोग्राम बना पाएंगे। कोई व्यक्ति अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फील्ड में काम करना चाहता है तो उसे प्रोग्राम लैंग्वेज का नॉलैज होना जरुरी है। प्रोग्राम लैंग्वेज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में ही होता है अगर आप प्रोग्राम लैंग्वेज सीख जाते हैं तो तो आप एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बना सकते हैं।

                           आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हम बहुत सारे दूसरे क्षेत्रों में भी कर सकते हैं जैसे कि यदि हमें कोई प्रश्न पूछना है और हमें उसका उत्तर नहीं पता तो हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से उसका उत्तर बहुत ही आसानी से जान सकते हैं। अगर हमें कहीं जाना है और वहां का जगह का लोकेशन नहीं पता तो हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मदद से चुटकियों में वहां का लोकेशन पता कर अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।

आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के मदद से हम किसी भी प्रकार के प्रश्न का उत्तर जान सकते हैं चाहे वह गणित से जुड़े हो या विज्ञान से जुड़े हो या सामाजिक विज्ञान से जुड़े हैं। हमारे सभी प्रश्नों के उत्तर या हमें वीडियो एवं ऑडियो द्वारा बताता है। वर्तमान काल में सबसे ज्यादा फलदाई सिस्टम एप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा ही चलाया जा रहा है। इसकी कार्य क्षमता बहुत ही तीव्र गति से कार्य करती है जिस कारण हमें कठिन से कठिन प्रश्न का उत्तर चंद मिनटों में मिल जाता है इसी कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग दिन पर दिन भारत व अन्य देशों में बढ़ता जा रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि पहुंच भविष्य में (Future Of Artificial Intelligence In Hindi)

आज के प्रगतिशील वर्तमान में जहां हर चीज इतनी तेजी से विकसित हो रही है वही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) की पकड़ दिन पर दिन एक देश से दूसरे देश उसी गति से बढ़ती जा रही है। आज के समय में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हर क्षेत्र में अपनी पकड़ बना ली है, यदि आज के समय को देखकर भविष्य की बात की जाए तो कुछ ही सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने स्तर को उस ऊंचाई तक ले जाएगा जहां किसी अन्य को सिस्टम का पहुंच पाना नामुमकिन सा होगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है जिस कारण हर एक चीज के लिए लोग उसकी मदद लेने लग गए हैं और उसकी मदद से अपने सारे कार्यों को सफल करते जा रहे हैं इसी कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिन प्रतिदिन और ज्यादा तेजी से विकसित होता जा रहा है। वर्तमान में ही इसने अमेरिका यूरोप ईस्ट वेस्ट सभी देशों वह सभी कॉन्टिनेंट्स मैं अपनी पहुंच बना ली है और अपने उपयोग का एक साधन भी खोज लिया है|

आजकल लोग छोटी सी छोटी चीज के लिए भी डिजिटल तरीकों का सहायता लेने लगे हैं और हर डिजिटल तकनीक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होना बहुत जरूरी है। इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है। वर्तमान में इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में यह एक अलग स्तर पर पहुंच जाएगा। इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है आधारित युवकों में इसकी क्रेज बहुत ज्यादा है चाहे छोटा बच्चा हो युवक हो या फिर वृत्त ही क्यों ना हो वह सब अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गुलाम बन चुके हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व (Importance Of Artificial Intelligence In Hindi)

                          हर एक प्रगतिशील देश के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक अलग ही महत्व बन चुका है किसी भी क्षेत्र के बढ़ते हुए पहलू को आगे बढ़ाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहयोग रहा है। आधारित भारत के हर एक युवा पीढ़ी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर के एक अलग ही महत्वपूर्ण बन चुकी है। जहां हम देखते हैं आज के समय में हर तरफ हर कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) के मदद से अपने कार्यों को सक्षम व सफल बनाने की होड़ में लगा हुआ है।

जैसे कि यदि किसी को किसी प्रश्न का उत्तर चाहिए हो तो वह अपने पुस्तक को ना देख कर के सबसे पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेता है और उसकी मदद से वह उचित उत्तर पाने में सफल होता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युवा पीढ़ी के लिए उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है जितना किसी भी ठप ववसाय को चालू करने के लिए हो जाता है।

                         अविस्मरणीय आध्यात्मिकता के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। आजकल हर कोई अपनी छोटी-छोटी जागरूकता के हिसाब से अपने उन कार्य क्षमता को बढ़ावा व सफल बनाने में पूर्ण सहयोग दे रहा है जिससे वे अपने कार्य को कम से कम वह ज्यादा से ज्यादा स्पष्ट और उचित बना सकें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उनकी महत्वता को आगे बढ़ाते हुए युवाओं में अपने सर को ऊंचा कर रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खामिया (Flaws Of Artificial Intelligence In Hindi)

                   आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग जितना ज्यादा महत्वपूर्ण है उसका बचाव भी उतना ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। जिस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवों के द्वारा अपने सोचने व समझने की क्षमता को बढ़ाता जा रहा है आगे के समय में हो सकता है वह अपने सारे निर्णय खुद ले और मनुष्य के हर निर्णय में हस्ताक्षेप करें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य के लिए एक वरदान है परंतु किसी भी चीज का उपयोग हद से ज्यादा विनाशकारी होता है।

वर्तमान में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपना स्तर इतना ऊंचा कर चुकी है कि उसके उपयोग के बिना किसी का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है क्या पता आगे के समय में यही मनुष्य को अपना गुलाम बना ले। बढ़ती आबादी व बढ़ता उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपने क्षेत्र में उच्च स्तर पर पहुंचा चुका है जहां बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के मनुष्य कभी नहीं पहुंच सकता| माना जा रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग इतना ज्यादा विनाशकारी हो सकता है कि वह मनुष्य से विद्रोह में अपनी गतिविधियां दिखाना शुरू कर दे।

                                        आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा सिस्टम ऐप है जो अपने खुद के अंदर सोचने और समझने की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों द्वारा वर्तमान में इसके कृषि क्षेत्र औषधि क्षेत्र व चिकित्सा क्षेत्र में बदलाव आने के बहुत सारे संकेत लिखे गए हैं परंतु इसके लाभ की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने उपयोग के लिए ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट की मांग करता है जिस कारण डाटा हैकिंग व डिटेल हैकिंग की समस्याएं हो सकती है।

अधिक से अधिक इंटरनेट के लिए 5G का विकास करना जरूरी होता जा रहा है। 5G के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधों को काटने की आवश्यकता पड़ सकती है| 5G के और भी बहुत सारे खतरनाक असर देखे जा सकते हैं जैसे पक्षियों का विलुप्त होना, मनुष्य के मस्तिष्क पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। इन्हीं सब दुष्परिणामों के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खतरनाक व विनाशकारी साबित हो सकता है।

वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदाहरण (Present Examples Of Artificial Intelligence In Hindi)

                    वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई सारे उदाहरण देखे जा रहे हैं जैसे कि गूगल असिस्टेंट, गूगल ड्राइव, गूगल मैप, एलेक्सा, सीरी और रोबोट सोफिया आदि है। इसकी मदद से व्यक्ति अपने हर कठिन काम को आसानी से सफल बना सकता है। इन सबके अपने अपने निम्न लिखित कार्य है –

क. गूगल असिस्टेंट : गूगल असिस्टेंट एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जो आपके प्रश्नों का उत्तर माइक के सिस्टम मैं बोल कि वह सुन कर देती है। गूगल असिस्टेंट से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर ऐप से जानकारी ढूंढ कर उसे स्पष्ट रूप में जमा कर हमें देती है। इसके उपयोग से व्यक्ति उस ऐप के अंदर गए बिना ही बाहर से ही अपने अज्ञात प्रश्नों के उत्तर पा लेता है।

ख. गूगल ड्राइव : गूगल ड्राइव एक ऐसा गूगल असिस्टेंट है जो लिखित कार्यों के लिए उपयोग में आता है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा सेट किया गया एक सिस्टम है जिसमें व्यक्ति बिना कुछ टाइप किए माइक के बटन को दबाकर अपने सभी प्रश्नों व क्रियाओं को लिख सकता है जैसे कि यदि हमें किसी शब्द को लिखना हो तो हम बिना बटन का उपयोग किए बिना माइक के ऑप्शन में जाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदाहरण को पूर्ण तरीके से देख सकते हैं।

ग. गूगल मैप: गूगल मैप एक ऐसा ऐप सिस्टम है जिसमें व्यक्ति किसी भी लोकेशन को आसानी से खोजकर उसके सटीक रास्तों से होकर अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। गूगल मैप के मदद से व्यक्ति किसी भी जगह वह व्यक्ति का पता लगा सकता है।

घ. एलेक्सा: एलेक्सा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाया गया एक ऐसा मशीन है जिसमें व्यक्ति कुछ भी बोल कर उसका जवाब पा सकता है इसमें व्यक्ति गाने ऑडियो व न्यूज़ रिपोर्टिंग आदि भी सुन सकता है एलेक्सा की मदद से व्यक्ति घर के किसी भी कोने में बैठ कर उसका उपयोग कर सकता है।

ड. सीरी: सीरी आर्टिफिशियल असिस्टेंट निर्मित एक ऐसा ऐप है जो कि केवल एप्पल के प्रोडक्ट्स में ही उपलब्ध होता है यह भी बिल्कुल गूगल असिस्टेंट की तरह काम करता है सीरी में पूछे गए सारे सवालों के उत्तर गूगल द्वारा खोज कर बताए जाते है।

च. रोबोट सोफिया: रोबोट सोफिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) द्वारा बनाई गई इंसान जैसे दिखने बात करने और कार्य करने वाली एक रोबोट है। जोकि इंसानों के जैसे सोच समझ कर बात करती है। यह भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या बहुत अच्छा उदाहरण है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस घातक परिणाम देखते हुए निष्कर्ष को भलीभांति समझ सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (essay on artificial intelligence in hindi) के अधिक उपयोग से हमारे आने वाले भविष्य में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। बुद्धिमान व्यक्ति के लिए इसका कम से कम उपयोग ज्यादा बेहतर होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र के कार्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होगी इसलिए हमें इस को ज्यादा महत्व ना देते हुए केवल कठिन कार्य में उपयोग करना चाहिए।

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Artificial satellites.

An artificial satellite is a manufactured object that continuously orbits Earth or some other body in space. Most artificial satellites orbit Earth. People use them to study the universe, help forecast the weather, transfer telephone calls over the oceans, assist in the navigation of ships and, aircraft, monitor crops and other resources, and support military activities.

Artificial satellites also have orbited the moon, the sun, asteroids, and the planets Venus, Mars, and Jupiter. Such satellites mainly gather information about the bodies they orbit.

Piloted spacecraft in orbit, such as space capsules, space shuttle orbiters, and space stations, are also considered artificial satellites.

So, too, are orbiting pieces of “space junk,” such as burned-out rocket boosters and empty fuel tanks that have not fallen to Earth. But this article does not deal with these kinds of artificial satellites.

Artificial satellites differ from natural satellites, natural objects that orbit a planet. Earth’s moon is a natural satellite. The Soviet Union launched the first artificial satellite, Sputnik 1, in 1957. Since then, the United States and about 40 other countries have developed, launched, and operated satellites. Today about 3000 useful satellites and 6,000 pieces of space junk are orbiting Erath.

Satellite orbits have a variety of shapes. Some are circular, while others are highly elliptical (egg-shaped). Orbits also vary in altitude. Some circular orbits, for example, are just above the atmosphere at an altitude of about 155 miles (250 kilometers), while others are more than 20,000 miles (32,200 kilometers) above Earth. The greater the altitude, the longer period — the time it takes a satellite to completer one orbit.

A satellite remains in orbit because of a balance between the satellite’s velocity (the speed at which it would travel in a straight line) and the gravitational force between the satellite and Earth. Were it not for the pull of gravity, a satellite’s velocity would send it flying away from Earth in a straight line. But were it not for velocity gravity would pull a satellite back to Earth.

To help understand the balance between gravity and ve consider what happens when a small weight has attached a lock to a string and swung in a circle. If the string were to break, the weight would fly off in a  line. like gravity, however, the string acts keeping the weight in its orbit. The weight and string can also show the relationship between a satellite’s altitude and its orbital period. A long string is like a high altitude. The weight takes a relatively long time to complete one circle. A short string is like a low altitude. The weight has a relatively short orbital period. orbital period.

Many types of orbits exist, but most artificial satellites orbiting Earth travel in one of four types:

(1) high altitude, geosynchronous,

(2) medium-altitude,

(3) un-synchronous, polar; and

(4) low altitude. Most orbits of these four types are circular.

A high altitude, geosynchronous orbit lies above the equator at an altitude of about 22,300 miles (35,900 kilometers). A satellite this orbit travels around Earth’s axis at exactly the same time, d in the same direction, as Earth rotates about its axis. Thus, as seen from Earth, the satellite always appears at the same place in the sky overhead. To boost a satellite into this orbit requires a large, powerful launch vehicle.

A medium-altitude orbit has an altitude of about 12,400 miles (20,000 kilometers) and an orbital period of 12 hours. The orbit is outside Earth’s atmosphere and is thus very stable. Radio signals sent from a satellite at medium altitudes can be received over a large area of Earth’s surface. The stability and wide coverage of the orbit make it ideal for navigation satellites.

A sun-synchronous, polar orbit has a fairly low altitude and passes almost directly over the North and South poles. A slow drift of the orbit’s position is coordinated with Earth’s movement around the sun in such a way that the satellite always crosses the equator at the same local time on Earth. Because the satellite flies over all latitudes, its instruments can gather information on almost the entire surface of Earth. One example of this type of orbit is that of the TERRA Earth Observing System’s NOAA-H satellite. This satellite studies how natural cycles and human activities affect Earth’s climate. The altitude of its orbit is 438 miles (705 kilometers), and the orbital period is 99 minutes. When the satellite crosses the equator, the local time is always either 10:30 a.m. or 10:30 p.m.

A low-altitude orbit is just above Earth’s atmosphere, where there is almost no air to cause drag on the spacecraft and reduce its speed. Less energy is required to launch a satellite into this type of orbit than into any other orbit. Satellites that point toward deep space and provide scientific information generally operate in this type of orbit. The Hubble Space Telescope, for example, operates at an altitude of about 380 miles (610 kilometers), with an orbital period of 97 minutes.

Artificial satellites are classified according to their mission. There are six main types of artificial satellites:

(1) scientific research,

(2) weather,

(3) communications,

(4) navigation,

(5) Earth-observing, and

(6) military.

Scientific research satellites gather data for scientific analysis. These satellites are usually designed to perform one of three kinds of missions. (1) Some gather information about the composition and effects of the space near Earth. They may be placed in any of various orbits, depending on the type of measurements they are to make. (2) Other satellites record changes in Earth and its atmosphere. Many of them travel in sun-synchronous, polar orbits. (3) Still others observe planets, stars, and other distant objects. Most of these satellites operate in low altitude orbits. Scientific research satellites also orbit other planets, the moon, and the sun.

Weather satellites help scientists study weather patterns and forecast the weather. Weather satellites observe the atmospheric conditions over large areas.

Some weather satellites travel in a sun-synchronous, polar orbit, from which they make close, detailed observations of weather over the entire Earth. Their instruments measure cloud cover, temperature, air pressure, precipitation, and the chemical composition of the atmosphere. Because these satellites always observe Earth at the same local time of day, scientists can easily compare weather data collected under constant sunlight conditions. The network of weather satellites in these orbits also functions as a search and rescue system. They are equipped to detect distress signals from all commercial, and many private, planes and ships.

Other weather satellites are placed in high-altitude, geosynchronous orbits. From these orbits, they can always observe weather activity over nearly half the surface of Earth at the same time. These satellites photograph changing cloud formations. They also produce infrared images, which show the amount of heat corning from Earth and the clouds.

Communications satellites serve as relay stations, receiving radio signals from one location and transmitting them to another. A communications satellite can relay several television programs or many thousands of telephone calls at once. Communications satellites are usually put in a high altitude, geosynchronous orbit over a ground station. A ground station has a large dish antenna for transmitting and receiving radio, signals. Sometimes, a group of low orbit communications satellites arranged in a network called a constellation, work together by relaying information to each other and to users on the ground. Countries and commercial organizations, such as television broadcasters and telephone companies, use these satellites continuously. Navigation satellites enable operators of aircraft, ships, and land vehicles anywhere on Earth to determine their locations with great accuracy. Hikers and other people on foot can also use satellites for this purpose. The satellites send out radio signals that are picked up by a computerized -receiver carried on a vehicle or held in the hand.

Navigation satellites operate in networks, and signals from a network can reach receivers anywhere on Earth. ‘file receiver calculates its distance from at least three satellites whose signals it has received. It uses this information to determine its location.

Earth-observing satellites are used to map and monitor our planet’s resources and ever-changing chemical life cycles. They follow sun-synchronoUs, polar orbits. Under constant, consistent illumination from the sun, they take pictures in different colors of visible light and non-visible radiation. Computers on Earth combine and analyze the pictures. Scientists Earth-observing satellites to locate mineral deposits, to determine the location and size of freshwater supplies, to identify sources of pollution and study its effects, and to detect the spread of disease in crops and forests.

Military satellites include weather, communications, navigation, and Earth-observing satellites used for military purposes. Some military satellites — often called “spy satellites” — can detect the launch of missiles, the course of ships at sea, and the movement of military equipment on the ground.

Every satellite carries special instruments that enable it to perform its mission. For example, a satellite that studies the universe has a telescope. A satellite that helps forecast the weather carries cameras to track the movement of clouds.

In addition to such mission-specific instruments, all satellites have basic subsystems, groups of devices that help the instruments work together and keep the satellite operating. For example, a power subsystem generates, stores, and distributes a satellite’s electric power. This subsystem may include panels of solar cells that gather energy from the sun. Command and data handling subsystems consist of computers that gather and process data from the instruments and execute commands from Erath.

A satellite’s instruments and subsystems are designed, built, and tested individually Workers install them on the satellite one at a time until the satellite is complete. Then the satellite is tested under conditions like those that the satellite will encounter during launch and while in space. If the satellite passes all tests, it is ready to be launched.

Launching the satellite: Space shuttles carry some satellites into` space, but most satellites are launched by rockets that fall into the ocean after their fuel is spent. Many satellites require minoi ustments of their orbit before they begin to perform their function. Built-in rockets called thrusters make these adjustments. Once a satellite is placed into a stable orbit, it can remain there for a long time without further adjustment.

Most satellites operate are directed from a control center o Earth. Computers and human operators at the control center monitor the satellite’s position, send instructions to its computers and retrieve information that the satellite has gathered. The control center communicates with the satellite by radio. Ground’ stations within the satellite’s range send and receive the radio signals.

A satellite does not usually receive constant direction from its control center. It is like an orbiting robot. It controls its solar panels to keep them pointed toward the sun and keeps its antennas ready to receive commands. Its instruments automatically collect information.

Satellites in a high altitude, geosynchronous orbit are always in contact with Earth. Ground stations can contact satellites in low orbits as often as 12 times a day. During each contact, the satellite transmits information and receives instructions. Each contact must be completed during the time the satellite passes overhead — about 10 minutes.

If some part of a satellite breaks down, but the satellite remains capable of doing useful work, the satellite owner usually will continue to operate it. In some cases, ground controllers can repair or reprogram the satellite. In rare instances, space shuttle, crews have retrieved and repaired satellites in space. If the satellite can no longer perform usefully and cannot be repaired or reprogrammed, operators from the control center will send a signal to shut it off.

A satellite remains in orbit until its velocity decreases and gravitational force pulls it down into a relatively dense part of the atmosphere. A satellite slows down due to the occasional impact of air molecules in the upper atmosphere and the gentle pressure of the sun’s energy. When the gravitational force pulls the satellite down far enough into the atmosphere, the satellite rapidly compresses the air in front of it. This air becomes so hot that most or all of the satellite burns up.

In 1955, the United States and the Soviet Union announced plans to launch artificial satellites. On Oct. 4, 1957, the Soviet Union launched Sputnik 1, the first artificial satellite. It circled Earth once every 96 minutes and transmitted radio signals that could be received on Earth. On Nov. 3, 1957, the Soviets launched a second satellite, Sputnik 2. It carried a dog named Laika, the first animal to soar in space. The United States launched its first satellite, Explorer 1, on Jan. 31, 1958, and its second, Vanguard 1, on March 17, 1958.

In August 1960, the United States launched the first communications satellite’ Echo I. This satellite reflected radio signals back to Earth. In April 1960, the first weather satellite, Tiros I, sent pictures of clouds to Earth. The U.S. Navy developed the first navigation satellites. The Transit 1B navigation satellite first orbited in April 1960. By 1965, more than 100 satellites were being placed in orbit each year.

Since the 1970s, scientists have created new and more effective satellite instruments and have made use of computers and miniature electronic technology in satellite design and construction. In addition, more nations and some private businesses have begun to purchase and operate satellites. By the early 2000s, more than 40 countries owned satellites, and nearly 3,000 satellites were operating in orbit.

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