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  • होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: March 07, 2024 12:55 pm IST

  • होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in …
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होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  लिखना सीख सकते हैं। 

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व , होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

प्रस्तावना .

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi):  होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं। 

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं। 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें- 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली  का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव 

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां 

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

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होली पर निबंध (holi per nibandh) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त

होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) -  Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता तथा भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।

होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।

होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)

होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-

  • हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
  • खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
  • जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
  • होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
  • रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
  • रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!

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छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।

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होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।

होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।

होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना

विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।

आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।

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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।

होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।

फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।

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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।

होली अब विश्व प्रसिद्ध

राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।

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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास

होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।

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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

ये भी देखें :

1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।

2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।

4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।

6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।

8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।

9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।

10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।

उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!

हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।

देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्‌ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्‌ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्‌टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्‌ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2024 में कब है?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2024)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समापन होगा। 24 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2024 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 25 मार्च को मनाया जाएगा।

क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?

इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार होली के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगने वाला है। यह चंद्रग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 24 मिनट से दोपहर 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। लेकिन यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह चंद्रग्रहण उत्तर पूर्व एशिया, यूरोप, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, इटली आदि में दिखाई देगा।

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है।

  • बिहार बोर्ड 10वीं रिजल्ट
  • बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट

Frequently Asked Question (FAQs)

यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।

होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।

होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-

  • होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
  • रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
  • आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
  • पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
  • जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें। 
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।

साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।

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The role of geotechnical engineer in mining includes designing and determining the type of foundations, earthworks, and or pavement subgrades required for the intended man-made structures to be made. Geotechnical engineering jobs are involved in earthen and concrete dam construction projects, working under a range of normal and extreme loading conditions. 

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How fascinating it is to represent the whole world on just a piece of paper or a sphere. With the help of maps, we are able to represent the real world on a much smaller scale. Individuals who opt for a career as a cartographer are those who make maps. But, cartography is not just limited to maps, it is about a mixture of art , science , and technology. As a cartographer, not only you will create maps but use various geodetic surveys and remote sensing systems to measure, analyse, and create different maps for political, cultural or educational purposes.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Product Manager

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Operations manager.

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Bank Probationary Officer (PO)

Investment director.

An investment director is a person who helps corporations and individuals manage their finances. They can help them develop a strategy to achieve their goals, including paying off debts and investing in the future. In addition, he or she can help individuals make informed decisions.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

An expert in plumbing is aware of building regulations and safety standards and works to make sure these standards are upheld. Testing pipes for leakage using air pressure and other gauges, and also the ability to construct new pipe systems by cutting, fitting, measuring and threading pipes are some of the other more involved aspects of plumbing. Individuals in the plumber career path are self-employed or work for a small business employing less than ten people, though some might find working for larger entities or the government more desirable.

Construction Manager

Individuals who opt for a career as construction managers have a senior-level management role offered in construction firms. Responsibilities in the construction management career path are assigning tasks to workers, inspecting their work, and coordinating with other professionals including architects, subcontractors, and building services engineers.

Urban Planner

Urban Planning careers revolve around the idea of developing a plan to use the land optimally, without affecting the environment. Urban planning jobs are offered to those candidates who are skilled in making the right use of land to distribute the growing population, to create various communities. 

Urban planning careers come with the opportunity to make changes to the existing cities and towns. They identify various community needs and make short and long-term plans accordingly.

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Naval Architect

A Naval Architect is a professional who designs, produces and repairs safe and sea-worthy surfaces or underwater structures. A Naval Architect stays involved in creating and designing ships, ferries, submarines and yachts with implementation of various principles such as gravity, ideal hull form, buoyancy and stability. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Veterinary Doctor

Pathologist.

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Speech Therapist

Gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

Hospital Administrator

The hospital Administrator is in charge of organising and supervising the daily operations of medical services and facilities. This organising includes managing of organisation’s staff and its members in service, budgets, service reports, departmental reporting and taking reminders of patient care and services.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Videographer

Multimedia specialist.

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Linguistic meaning is related to language or Linguistics which is the study of languages. A career as a linguistic meaning, a profession that is based on the scientific study of language, and it's a very broad field with many specialities. Famous linguists work in academia, researching and teaching different areas of language, such as phonetics (sounds), syntax (word order) and semantics (meaning). 

Other researchers focus on specialities like computational linguistics, which seeks to better match human and computer language capacities, or applied linguistics, which is concerned with improving language education. Still, others work as language experts for the government, advertising companies, dictionary publishers and various other private enterprises. Some might work from home as freelance linguists. Philologist, phonologist, and dialectician are some of Linguist synonym. Linguists can study French , German , Italian . 

Public Relation Executive

Travel journalist.

The career of a travel journalist is full of passion, excitement and responsibility. Journalism as a career could be challenging at times, but if you're someone who has been genuinely enthusiastic about all this, then it is the best decision for you. Travel journalism jobs are all about insightful, artfully written, informative narratives designed to cover the travel industry. Travel Journalist is someone who explores, gathers and presents information as a news article.

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

Merchandiser.

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Metallurgical Engineer

A metallurgical engineer is a professional who studies and produces materials that bring power to our world. He or she extracts metals from ores and rocks and transforms them into alloys, high-purity metals and other materials used in developing infrastructure, transportation and healthcare equipment. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

ITSM Manager

Information security manager.

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

Business Intelligence Developer

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh

होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने होली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है इस Holi Par Nibandh की सहायता से हमने होली त्योहार को कैसे मनाया जाता है,

इसका इतिहास क्या है और वर्तमान में Holi को किस तरह से भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है इस पर हमने विस्तारपूर्वक निबंध लिखा है। यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग शब्द सीमा में लिखा है।

Holi Essay in Hindi

Get Some Essays on Holi in Hindi for students under 150, 300, 500 and 1500 words।

Short Holi Essay in Hindi 150 Words

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। Holi का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है।

यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसने पहले दिन होली दहन किया जाता है जिसमें लकड़ियां और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

Holi के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते है इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

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इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जिस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती कर लेते हैं और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है। भारत में नंदगांव, वृंदावन और बरसाने की होली बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

हिंदू धर्म का होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है

जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है इसलिए फिर वह वरदान पा कर इतना कुरुर हो गया कि वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था।

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था काफी समझाने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ रहा था तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से उसे मारने की कोशिश की,

होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान था इसलिए वह प्रहलाद को लेकर जलती आग की चिता पर बैठ गई थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलीका जलकर भस्म हो गई।

यह भी पढ़ें –  होली की शायरी – Happy Holi Shayari in Hindi

इसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया और होली त्यौहार का उदय हुआ। इसीलिए वर्तमान में लोग अब जगह जगह होली के दिन होलिका का दहन करते है। होलिका का दहन करने के लिए घास फूस और सूखी लकड़ियां साथ में गोबर की बहुत सारे कंडे इस्तेमाल में लिए जाते है।

होलिका दहन से पहले महिलाएं होली की पूजा करती है और इसके बाद होलिका दहन कर दिया जाता है। होली का दूसरा दिन मौज मस्ती का होता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाते है और एक दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रंग देते है।

वृंदावन में फूलों की होली भी खेली जाती है यह त्योहार सच में सौहार्द का त्यौहार है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने देश में भूलाकर दोस्ती कर लेते है।

Holi Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म को मानने वालों के अनुसार होली का त्यौहार हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।

इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग बनाते हैं वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी खुशी इस त्योहार को मनाते है इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है।

होली मनाने का कारण –

हिंदू धर्म में Holi मनाने का एक प्रमुख कारण है इसके पीछे एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो कि अपनी भक्ति और शक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था।

उसे देवताओं से एक वरदान मिला हुआ था जिसके अनुसार उसकी मृत्यु कभी नहीं हो सकती है।

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यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने को कहने लगा। प्रजा उसके क्रोध के कारण उसकी पूजा भी करने लगी लेकिन कुछ समय पश्चात ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया।

प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया अपने पिता हिरण्यकश्यप के लाख समझाने के बावजूद भी है भगवान विष्णु की ही पूजा करता था इसलिए हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर अपनी बहन होलिका को अपने ही बेटे को मारने का फरमान सुना दिया। होलिका को वरदान था कि वह किसी भी प्रकार की अग्नि उसे जला नहीं सकती।

होलीका प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

जिसके बाद यह माना गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है। इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली की मनाने की प्रक्रिया –

होली त्योहार की तैयारियां लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते हैं बाजारों में रंग बिरंगे गुलाल नए कपड़े और मिठाइयां बिकने को आ जाती है। बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है होली के पहले दिन संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है। सभी लोग होलिका दहन के बाद एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पूरे मोहल्ले भर में मिठाइयां बांटते है।

होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रूप में जाना जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग से रंगते है। और पूरे दिन भर रंगो से खेलते है। इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं और नई मिठाईयां खाते है।

उपसंहार –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से में एक और सीखने को मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है।

हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए।

Long Essay on Holi in Hindi 1500 Words

रूपरेखा –

भारत त्योहारों का देश है इसीलिए आप प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है इसलिए यहां पर बहुत त्योहार मनाए जाते है। होली का त्यौहार भी एनी त्योहारों में से एक है लेकिन यह त्यौहार अपनी एक अलग पहचान रखता है।

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता है जा रहा है होली के त्यौहार की कृष्ण की रासलीला में भी जिक्र किया गया है भगवान कृष्ण को भी होली का त्योहार बहुत अधिक प्रिय था। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है साथ ही यह मौज मस्ती का भी प्रतीक है।

होली कब मनाई जाती है –

होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस जोहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। इस वर्ष 2019 में होली का त्यौहार 20 मार्च 2019 को मनाया जाएगा ।

होली का इतिहास –

होली के त्यौहार का जिक्र है पुराने ग्रंथों में इसे भी देखने को मिलता है जो कि यह बतलाता है कि होली का त्यौहार बहुत बड़ा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही अच्छी और प्रसिद्ध कथा है।

पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया जिसके बाद ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को वरदान मांगने के लिए कहा तो विनय कश्यप ने वरदान में मांगा कि उसे ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से उसकी हत्या नहीं की जा सकती है।

हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह सोचने लगा कि वही इस सृष्टि का दाता है और वही सबसे बड़ा भगवान है। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा।

वह भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। प्रजा के कुछ लोगों ने भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।

समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम पहलाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था वह सुबह शाम की पूजा करता था। जैसे ही हिरण्यकश्यप को पता चला कि उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त है तो उसने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद में अपने पिता की एक बात ने सुनी।

हिरण्यकश्यप को इस बात को लेकर बहुत क्रोध आया और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और अपने ही बेटे को मारने को कहा। होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।

प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली कैसे मनाई जाती है –

होली का पर्व भारत के साथ साथ नेपाल अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भूटान कनाडा मॉरिशस जैसे देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है होली के त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पहले से ही होनी प्रारंभ हो जाती है। महीनों पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है और बाजार रंग बिरंगी रंगों से सजे जाते है।

Holi मनाने के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और खूब सारी मिठाइयां खरीदते है। होली के दिन एक जगह चिन्हित कर ली जाती है जहां पर होली जलाई जानी होती है वहां पर पूरे दिन भर लोग लकड़ियां और गोबर के कंडे इकट्ठे करते है शाम तक यह एक बड़े ढेर में बदल जाता है। इस ढेर के बीचो-बीच पहलाद के प्रतीक के रूप में एक लकड़ी लगाई जाती है।

संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं पहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

होलिका दहन होते समय कुछ लोग इसमें मीठे व्यंजन भी डालते हैं सब लोग अपनी प्रथा के अनुसार होलिका दहन में वस्तुएं डालते है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली का धुआं जिस दिशा की ओर जाता है उस दिशा में उस साल बहुत अच्छी फसल होती है। होलिका दहन के पश्चात सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है और खूब सारी मिठाइयां बांटते है।

धुलण्डी –

होली का दूसरा दिन जिसे धुलण्डी का नाम दिया गया है यह दिल मौज मस्ती का दिन होता है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे को रंग बिरंगी रंग लगाते है। सभी लोग एक दूसरे को ऐसे रंग देते हैं कि शाम होते-होते यह समझ ही नहीं आता है कि कौन सा व्यक्ति कौन है।

कुछ लोग इस दिन पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे लोगों की सेहत खराब हो जाती है तो हमें पक्के रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमेशा गुलाल से ही धुलण्डी खेलनी चाहिए। बच्चे जिन पार्टियों में पानी भर लेते हैं और पिचकारी उसे एक दूसरे के ऊपर रंग उड़ाते है।

सभी लोग अपनी-अपनी टोलियां बनाकर पूरे मोहल्ले भर में सभी को रंग लगाते फिरते हैं और एक बार आग लगाने के बाद उसे अपनी टोली में शामिल कर लेते हैं और ढोल नगाड़े बजाते हुए निकलते है। इस दिन लोग इतनी मौज मस्ती करते हैं कि सड़कों पर ही नाचने गाने लग जाते है।

भारत की प्रसिद्ध होली –

हमारे भारत देश में कुछ ऐसी जगह है जहां पर Holi का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है यहां की होली जो भी एक बार वे दूसरी बार यहां पर जरूर आना चाहता है इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं

वृंदावन की होली – यहां के लोग रंगों की वजह फूलों से होली खेलते हैं सभी लोग एक दूसरे पर रंग बिरंगे फूल उड़ाते है। भगवान श्री कृष्ण भी यहां पर होली खेला करते थे और वृंदावन भी उन्हीं की नगरी है इसीलिए लोगों में उत्साह है और बढ़ जाता है।

यहां की होली देखने कई विदेशों से पर्यटक आते हैं जो कि यहां पर आकर बहुत ही धूमधाम से होली खेलते है।

बरसाने की होली – यह माता राधा का जन्म स्थान है यहां पर भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंद गांव से बरसाने में होली खेलने आते थे। उसी तरह आज भी लोग नंद गांव से बरसाने में होली खेले जाते हैं यहां की होली इसलिए प्रमुख है क्योंकि यहां पर महिलाएं पुरुषों पर रंगो की वजह लकड़ी की लाठियों से उन्हें पीटती है।

यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इसीलिए यहां की होली को लठमार होली भी कहा जाता है। कुछ इसी तरह की होली हरियाणा राज्य में भी खेली जाती है जहां भाभी देवर पर लाठियां बरसाती है। इसमें किसी को चोट नहीं आती क्योंकि पुरुषों के पास बचाव के लिए ढाल होती है।

राजस्थान की होली – राजस्थान की होली हमारे देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर होली का त्यौहार आने से महीनों पहले ही ढप और चंग की ताल पर पौराणिक होली के प्रसिद्ध गीत गाए जाते है। यहां पर लोग मोहल्लों में इकट्ठा हो जाते हैं और पूरी रात रात भर गीत गाते हैं और नाचते है।

राजस्थान की होली जो भी एक बार देख लेता है उसका मन यहां पर आने काम दूसरी बात भी करता है।

होली के त्यौहार का महत्व –

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को अपनाते है।

सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी लड़ाई झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते है इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते है।

इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

वर्तमान में होली का रूप –

वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्योहार की जगह है नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं

आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है।

इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है

यह सब चीजें Holi के त्यौहार की छवि को खराब कर रहे है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष –

होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह दोस्ती का त्योहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं होता है।

वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषता के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके विचार विचार के प्रति बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Holi Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

20 thoughts on “होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi”

Very nice essay on holi

Thank you Rubi devi

needs imporvement but overall its ok

thank you Kenisha

ভালো খুব ভালো । Good very good essay. अच्छा है काफी अच्छा है निबन्ध।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदित्य दास, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Very good essay

thank you Mayank for appreciation.

Hey the full stop in hindi is | not this’.’

We have corrected all the mistakes, thank you Sparsh.

Write the fifty line essay on Holi in Hindi and English

We will soon write fifty lines essay on Holi

Very good essay. Super!

Thank you Charchit for appreciation.

bahut hi achha nibandh tha

Dhanyawad Aman ji aise hi website par aakar hamara manobal badhate rahe

bahut hi acha tyohar hai holi ka

Holi ka lekh aap ko pasand aaya hame bhut khushi hui, aise hi website par aate rahe, Dhanyawad.

बहुत ही अच्छा लेख है, एक लेख ऐसा ही मैंने लिखा है अगर आपको पसन्द आये तो ज़रूर बताइये ये रहा

प्रखर जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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होली पर निबंध 10 lines (Holi Essay in Hindi) 100,150, 200, 250, 300 शब्दों मे Long and Short Essay in Hindi

holi essay in hindi for 6th class

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

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  • Essays in Hindi /

Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

होली के बारे में, होली पर निबंध हिंदी में (holi essay in hindi) 10 लाइन, होली पर निबंध 150 शब्दों में, holi essay in hindi 200 शब्दों में, प्रस्तावना , होली मनाए जाने के पीछे कहानी , होली का वर्णन, हिंदुओं का पवित्र धार्मिक पर्व होली, होली से जुड़ी कथाएं, वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध, आज होली का रूप विकृत होना, holi essay in hindi for class 2, essay on holi in hindi class 4, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है होली, समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए है होली, होली का इतिहास क्या है.

रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार

होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Table of Contents

Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा। प्रजा के कुछ लोग भय वश उसकी पूजा भी करने लगे। समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई। प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा। भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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होली पर निबंध 2023 |Essay on Holi in Hindi for Students

Essay on Holi in Hindi: होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने और मनोरम व्यंजनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

 Essay on Holi in Hindi

होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के लिए है। लोग अपनी परेशानियों को भूल जाते हैं और भाईचारे का त्योहार मनाने के लिए इस त्योहार का आनंद लेते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और त्योहार की भावना में पड़ जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों के साथ खेलते हैं और त्योहार के सार में रंग पाने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।

Essay on Holi in Hindi | होली पर निबंध |1000 Words

हिंदू धर्म का मानना ​​है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन जिसका नाम होलिका था। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा पर भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद था। इस आशीर्वाद का मतलब कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया क्योंकि वह बहुत घमंडी हो गया था। उसने अपने राज्य को भगवान के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया, अपने पुत्र को नहीं बख्शा।

इसके बाद, सभी लोग अपने बेटे, प्रह्लाद को छोड़कर उसकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा आस्तिक था। उसकी अवज्ञा को देखकर, शैतान राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे गोद में अपने बेटे के साथ आग में बैठाया, जहां होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित निकल आए। यह इंगित करता है कि वह अपनी भक्ति के कारण अपने प्रभु द्वारा संरक्षित था। इस प्रकार, लोगों ने होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

होली का उत्सव (The Celebration of Holi )

 होली का उत्सव (The Celebration of Holi )

लोग उत्तर भारत में विशेष रूप से उत्साह और उत्साह के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में लकड़ी के ढेर को जला देते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करने वाली बुरी शक्तियों को जलाने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे होलिका के चारों ओर आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठते हैं और भगवान को पूजा अर्पित करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करते हुए पानी के रंगों को बिखेरते हैं। इसी तरह, वयस्क भी इस दिन बच्चे बन जाते हैं। वे एक दूसरे के चेहरे पर रंग रगड़ते हैं और पानी में डुबो देते हैं।

शाम को, वे स्नान करते हैं और अपने दोस्तों और परिवार से मिलने के लिए अच्छे से तैयार होते हैं। वे दिन भर नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। सभी उम्र के लोग होली की विशेष विनम्रता पर गर्व करते हैं।

संक्षेप में, होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशी लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंगीन त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

ऐतिहासिक महत्व – होलिका दहन (History of Holi)

 ऐतिहासिक महत्व - होलिका दहन (History of Holi)

 दानव राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद की कहानी इस त्योहार का निकट संबंधी पौराणिक महत्व है। प्रह्लाद, जो भगवान विष्णु के एक भक्त थे, ने अपने पिता के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया जब बाद वाले ने उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए कहा। राजा ने कई तरीके आजमाए ताकि उसका बेटा अपने भगवान की जगह राजा की पूजा करे।

बहुत सारे सलाहकार और गुरु नियुक्त किए गए ताकि वे राजकुमार को अपने पिता की पूजा करने के लिए मना सकें लेकिन वे सभी असफल रहे। उसके बाद, राजा अपने बेटे को मारने के लिए अलग-अलग तरीके से आया। लेकिन हर बार, प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने बचा लिया। इसके बाद, राजा ने अपनी बहन होलिका के साथ, अपने बेटे को मारने की साजिश रची। होलिका को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह कभी अग्नि की चिता में नहीं समा पाएगी.

होली खेलते समय सावधानियां

 होली खेलते समय सावधानियां

 होली निस्संदेह एक अवसर है जब हम पूर्ण आनंद लेते हैं, हालांकि, हमें कुछ सावधानियों का भी पालन करने की आवश्यकता है। सिंथेटिक के बजाय प्राकृतिक और जैविक रंगों का उपयोग करने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, यदि आप पीले रंग से खेलना चाहते हैं, तो आप ‘हल्दी’ का उपयोग कर सकते हैं। सिंथेटिक रंग उनकी आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।

होली का महत्व

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली.

“ सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों के शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथा घोड़े सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

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होली पर छोटा और बड़ा निबंध

हिंदु धर्म में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं उन त्योहारों में होली भी एक त्यौहार है जिसे मनाने वालों की संख्या करोड़ों में है। होली को भारतीय लोग बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। होली का पर्व पूरे भारत के अंतर्गत बनाया जाता है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है।

सभी लोग इस दिन पर अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ कर रखते है और तारे भेदभाव ऊंच-नीच सब खत्म कर देते हैं और हमें प्रेम की राह दिखाते है। अन्य त्योहारों की तरह होली का भी एक अपना महत्व है और एक अपनी कहानी है।

होली का इतिहास जानने के लिए आपको संपूर्ण होली का ज्ञान जानना होगा जो कि मेरे इस लेख में आपको संपूर्ण होली की जानकारी प्राप्त होगी।

उम्मीद करता हूं आपको मेरे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध का लेख अच्छा लगेगा और दोस्तों अगर आपको मेरा लेख अच्छा लगे तो शेयर करना ना भूले, आपके एक शेयर से मुझे बहुत मोटिवेशन मिलती है। होली का त्यौहार स्कूलों कॉलेज और घरों में मनाया जाता है।

आपके लिए: होली की 23 कविता जिस को पढ़कर प्रसन्न हो जायेगा आपका मन

Holi Essay in Hindi For Child

होली के बारे में जानने के लिए संपूर्ण जानकारी आपको यहां मिल जाएगी और साथ में छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से होली पर हिंदी निबंध लिखे गए है।

होली पर निबंध 100, 200, 300, 400, 500, 600, 1000 शब्दों में लिखे गए है। आप अपनी जरूरत के अनुसार इन Holi Essay in Hindi को इस्तेमाल कर सकते है और अपने विद्यालय कॉलेज में इन सभी निबंध का इस्तेमाल कर सकते है।

Essay on Holi in Hindi 100 Words

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होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला त्योहार है। प्रत्येक वर्ष होली फाल्गुन मास  में मनाया जाता है और होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है। होली के दिन रंग-बिरंगे रंगो और पानी के गुब्बारों के साथ खेला जाता है। बच्चों के अंदर होली को लेकर अत्यंत खुशी होती है और यह सुबह से ही शुरू हो जाती है।

जब बच्चे होली खेलने के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं और रास्ते में आने जाने वाले हर किसी के ऊपर  गुब्बारों की बौछार कर देते है। बच्चों को होली मनाना सबसे ज्यादा पसंद होता है।

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होली से 1 दिन पहले छोटी होली आती है जिसे होलिका दहन कहते है। प्राचीन काल से यह प्रथा आज भी कायम है और प्रत्येक वर्ष इस प्रथा को दोहराया जाता है और स्कूलों में भी छोटी होली का त्योहार मनाया जाता है।

बड़ी होली के दिन बच्चे अपने घरों में अपने परिवार के साथ और रिश्तेदारों के साथ मित्रों के साथ होली का त्योहार मनाते है। इस दिन घरों में कई प्रकार के पकवान बनते है और अपने सभी रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर होली के त्यौहार के दिन एक दूसरे के घर जाकर रंगों को लगाया जाता है।

रंग लगाकर और गले मिलकर उन सभी गिले-शिकवे को खत्म किया जाता है। होली का त्योहार इसीलिए रंगों का त्योहार कहलाया जाता है। सभी रंगों में एक दूसरे को देखते है तो एक दूसरे जैसे नजर आते है। इसलिए रंगों का त्योहार एक समानता का त्यौहार भी है।

Hindi Essay on Holi in 200 Words

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होली के त्यौहार को संपूर्ण भारत में मनाया जाता है और होली के त्यौहार के लिए एक प्राचीन कहानी भी है जिस कहानी के सुनने के बाद आपको संपूर्ण जानकारी होली से संबंधित मिल जाएगी।

प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप  नाम का एक असुर हुआ करता था। हिरण्यकशिपु श्री विष्णु भगवान से नफरत किया करते थे लेकिन कुछ समय ऐसा भी था की हिरण्यकशिपु का बेटा प्रह्लाद श्री विष्णु जी का परम भक्त साबित हुआ। निर्णायक सब को यह बात समझ में नहीं आई और गुस्सा आया।

हिरण्यकश्यप ने अत्यंत कोशिश की अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए लेकिन वह नाकाम साबित हुआ। अंत में आकर हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन  होलिका को बुलाया और कहा प्रह्लाद को लेकर अग्नि कुंड में बैठ जाओ और जो कि तुम्हें भगवान शिव जी का वरदान है कि तुम्हें अग्नि कुछ नहीं कर सकती है तो तुम तो बच जाओगी लेकिन प्रह्लाद मर जाएगा।

होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गई थी मगर होलिका को वरदान मिला था लेकिन भगवान विष्णु को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने होलिका को उसी आग में जलने दिया। आपको बिना किसी नुकसान के आंख से बाहर निकाल दिया। उसी समय से होलिका का दहन मनाया जाता है।

होलिका दहन के अगले दिन बड़ी होली का त्योहार मनाया जाता है और यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के अंतर्गत मनाया जाता है। मनाने वालों की संख्या करोड़ों में होती है।

होली पर एक निबंध 400 शब्दों में

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प्राचीन काल से ही प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म का त्यौहार है। प्रत्येक हिंदू, प्रत्येक भारतवासी इस दिन को खुशियों के साथ मनाते है।

होली के दिन सभी रंगों के साथ खेलते है जैसे कि गुलाल, गुब्बारे, रंग बिरंगे पानी के साथ खेला जाता है। लोगों के कपड़े और सबकी हालत रंग बिरंगी नजर आती है और सभी लोग आपसी भेदभाव, मनमुटाव, दुश्मनी को भुलाकर होली का त्यौहार एक साथ मिल कर मनाते है और कहा जाता है कि होली के दिन सभी पड़ोसी एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरों को रंग लगाते हैं।

होली के दिन सुबह से ही लोग होली खेलना शुरू कर देते है और कोई भी किसी के भी साथ होली खेल सकते है। होली के दिन एक दूसरे को रंग लगाया जाता है और यह समानता का प्रतीक साबित किया जाता है।

Holi Story in Hindi

होली से 1 दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है। इस दिन होलिका का दहन किया जाता है। होलिका में जब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका  का दहन हुआ था तब से ही छोटी होली मनाई जाती है। होलिका हिरण्यकश्यप की छोटी बहन थी और हिरण्यकश्यप प्रहलाद के पिता थे। अपने आप को भगवान मानता था।

प्रह्लाद श्री हरि विष्णु जी का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप कि लाख कोशिशों के बाद भी प्रह्लाद श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना करना नहीं भूला अंत में आकर्षण हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रवीण कुमार ने लाख कोशिश की लेकिन असफल रहा। उसी में एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन होलिका से कहा कि होलिका दहन में इस बार तुम अब प्रह्लाद को लेकर बैठना होगा क्योंकि भगवान शिव जी का आपको वरदान है कि आपको कोई भी अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती है तो आप तो बच जाओगे लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि में जल कर भस्म हो जाएगा।

लेकिन विष्णु जी को यह बात पसंद नहीं आई और होलिका में होलिका का दहन हुआ और प्रह्लाद का बाल भी बाका नहीं हुआ जिससे श्री विष्णु जी की शक्ति का पता चला और होलिका का दहन की प्रथा चलती है। होलिका के दहन के अगले दिन बड़ी होली मनाई जाती है जिसमें लोग आपस में एक दूसरे को रंग लगाकर एक समानता का उदाहरण देते है।

Very Short Essay on Holi Festival in Hindi

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होली का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। होली का पर्व हिंदू धर्म में मनाया जाता है और होली की मान्यता अपने आप में ही बहुत है। होली का पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। हर भारतवासी होलिका पर हर्ष और उल्लास के साथ होली मनाते हैं। सभी लोग इस दिन पर अपने सारे गिले शिकवे और मनमुटाव को भूल कर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और होली का त्यौहार मनाते है।

रंगों का त्योहार होली खुशियों का त्यौहार है। होली का त्यौहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली का त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली का त्योहार विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ मनाया जाता है। होली के दिन लोग अपने रिश्तेदारों आस-पड़ोस के लोगों के साथ होली का त्यौहार मनाते है।

होली के त्यौहार के दिन गुझिया, पापड़ बनाने की प्रथा है। होली से 1 दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिस दिन होलिका को जलाया जाता है और होली का त्यौहार शुरू किया जाता है।

होलिका दहन में गेहूं के कुछ फल होली की अग्नि में भुनी जाती है और अपने आस-पड़ोस रिश्तेदारों में सभी लोगों को बांटा जाता है इससे गेहूं की फसल पकना शुरू हो जाता है।

होली की कथा

भगवान श्री हरि के भक्त प्रह्लाद जिनके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप अपने आप को राजा मानता था और अपने आप को भगवान मानने लगा था। वह किसी भी व्यक्ति को पसंद नहीं करता था जो भगवान श्री विष्णु जी को मानता था।

हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद जोकि भगवान श्री विष्णु जी का परम भक्त था जब यह बात सबको पता चली तो उसने बहुत कोशिश की कि उसका बेटा प्रह्लाद  विष्णु जी को भगवान मानना बंद कर दे लेकिन प्रह्लाद ने सीधा बोला श्री हरि जी ही सब कुछ है और इस संसार के पालनहार दुख हर्ता श्री विष्णु जी है। तो यह बात हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं आई और उसने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने की बहुत कोशिश कि।

कभी समुद्र में पत्थर बांध के फेंके गए और कभी जलते उबलते हुए तेल में फेंके गए लेकिन श्री विष्णु जी ने हर हाल में अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की। ऐसे  हिरण्यकश्यप ने अपनी छोटी बहन होलिका को बुलाया और कहा कि इस बार होलिका दहन में तुम रात को अपने साथ लेकर भगवान शिवजी का वरदान प्राप्त है कि कोई भी अग्नि आपको कुछ नहीं कर पाएंगी लेकिन लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

होलिका के ऊपर से वह वरदान उठकर प्रह्लाद के सर पर जा गिरा और प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होलिका का दहन हो गया और यह प्रथा आज भी चलती आ रही है।

प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में होलिका का दहन होता है और अगले ही दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली के दिन सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर, सभी प्रकार के दफ्तर को अवकाश प्राप्त होता है। होली के दिन सभी लोग एक दूसरे से सभी प्रकार के भेदभाव और नफ़रतों को भुला कर एक नयी दोस्ती की शुरुआत करते है।

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प्राचीन काल से ही मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण और श्री राम जी के भजन सुनने में आते थे उसी नगरी में लोगों द्वारा भगवान के भजनों को एक समूह बनाकर खाया जाता था और उसमें ढोलक, मंजीरा, बांसुरी आदि के ताल पर भजनों को संगीत और लोकगीत गाए जाते थे। होली के त्यौहार का आनंद लिया जाता था और रंग बिरंगे रंगों एक दूसरे को रंग लगाया जाता था।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानों पर होली

होली के पावन पर्व पर सभी प्रकार के संस्थान, संस्था व कार्य स्थल में अवकाश दिया जाता है लेकिन बड़ी होली के दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहा जाता है। उस दिन स्कूलों में बच्चे तथा कार्य स्थल पर सभी कर्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होलिका की संध्या में मित्रों से मेल-मिला व

छोटी होली के दिन होलिका दहन करने के बाद शाम के समय सभी लोग नए वस्त्र पहनते है और अपने पड़ोसी व मित्रों के साथ उनके घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामनाएं देने के लिए जाते है।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली का पर्व ऐसा पर्व है जिस पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, अनेक विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है। होली के दिन सभी अभिनेता और अभिनेत्री एक दूसरे के घर जाकर होली का त्यौहार मनाते हैं और यह सीधा प्रसारण टीवी  चैनलों पर देखने को मिलता है।

हिन्दुस्तानी बाजारों की हलचल में, होली की परंपरागत रीति कहीं गुम न हो जाए

होली के दिन पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के अबीर, चटकीले रंग, गुलाल, गुब्बारे, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगी पिचकारियों से अपने स्टॉल को भर देते है।

राशन और होली की सामग्री की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पहले के लोग होली के 1 दिन पहले ही घरों में गुझिया बनाना शुरू कर देते है और मीठे मीठे पकवान बनाते थे और सब कुछ अपने खुद के घर में बनाया जाता था लेकिन अब शहरीकरण की वजह से और लोगों की मानसिकता की वजह से सभी प्रकार के पकवान और मिठाइयां बाजार से ही खरीद ली जाती है।

पहले क्या हुआ करता था कि सभी लोग अबीर गुलाल रंगों से खेलते थे लेकिन अब शहरीकरण की वजह से लोग गुब्बारों व अन्य प्रकार के रंगों के साथ खेलने लगे है जो कि सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक साबित होता है जिससे उनकी सेहत पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।

पहले होली के त्यौहार की अलग ही धूम नजर आती थी लेकिन अब लोगों के पास समय ही नहीं रहता कि वह होली का त्योहार मना सकें और लोगों में प्यार बांट सके। परंपरागत विधि से आज इस त्योहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले के लोग होली के त्यौहार का बेसब्री के साथ इंतजार करते थे लेकिन अब होली कब आती है और कब जाती है किसी को नहीं पता होता।

समय के बदलते रुख को देखते हुए यह पता चलता है कि पहले होली का त्यौहार बहुत ही अच्छी तरीके से मनाया जाता था लेकिन अब लोग अपनी होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को भूलते जा रहे हैं और आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहे है। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना, बिना जान पहचान के ही किसी पर भी रंग डाल देना, होली के त्यौहार के दिन शराब आदि का सेवन करना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली का त्योहार सभी के लिए समान तौर पर मनाया जाता है। अब चाहे कोई व्यक्ति होली मनाता हो या ना हो फिर भी उस पर रंग डाल दिया जाता है जैसे कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से निकलना नहीं पता लेकिन फिर भी लोग उनके घरों में जाकर रंग डाल देते हैं और बुरा न मानो होली कह कर निकल जाते है। जैसे कि भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”।

कुछ लोग त्योहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहे पुरुषों महिलाओं को परेशान करते है। यह बिल्कुल गलत है और हमारे इंसान के धर्म के विरुद्ध है। एक इंसान का धर्म होता है लोगों की रक्षा करना ना कि उसे परेशान करना।

होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है, खुशियों के साथ ही मनाया जाना चाहिए ना कि किसी व्यक्ति के साथ मनाना चाहिए जो इसे होली का त्यौहार बिल्कुल पसंद नहीं या फिर वह होली का त्योहार मनाना ही नहीं चाहता।

होली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है। रंगों के साथ लोग अब अपनी मस्ती में डूबे नजर आते है, एक सामान्य व्यक्ति रंगों के साथ खेलता है, स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेता है और एक अनैतिक व्यक्ति अपने तरीके से होली का त्योहार मनाते है।

होली का त्यौहार एक सामाजिक त्योहार है। होली का उद्देश्य ही होता है कि सभी प्रकार के भेदभाव, मनमुटाव, दुश्मनी को भुलाकर एक दोस्ती का रिश्ता बनाया जाए। इसी को होली का त्यौहार कहां जाता है।

होली के त्यौहार की महत्वता बहुत है और होली का त्यौहार एकता और समानता का त्यौहार है। होली की खुशियों को एक दूसरे के साथ बांटना चाहिए और हो सके तो सभी गिले-शिकवे को भुलाकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए।

होली का त्यौहार होता ही ऐसा है कि सभी मतभेदों को भुला देता है और मेरा यह होली पर निबंध अगर आपको अच्छा लगा हो तो शेयर करना ना भूले।

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हैप्पी होली, होली की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय हिंद जय भारत….!

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Holi Essay in Hindi होली पर निबंध

Essay on holi in points.

1. होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। 2. होली जिसे “रंगो के त्योहार” के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और यह त्यौहार भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। 3. मंजीरा, ढोलक, मृदंग की ध्वनि से गूंजता रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। 4. इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुन प्रमुख हैं। 5. लोग होली के कुछ महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। 6. होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है पर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। 7. होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं हम उम्र का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगा उनका आशिर्वाद लेते हैं। 8. दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं। 9. अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलाकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। 10. होली के एक दिन पहले गावं व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का ज्ञान कराती है। 11. होलिका दहन करने के बाद अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 12. होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग (wig) से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। 13. भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। 14. होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है।

Essay On Holi In Details

भूमिका :  होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। होली को बसंत का यौवन भी कहा जाता है। प्रकृति सरसों की पीली साड़ी पहनकर किसी की राह देखती हुई प्रतीत होती है। हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं। बसंत के मौसम में प्रकृति की सुन्दरता भी मनमोहक होती है।

जब सारी प्रकृति यौवन से सराबोर हो जाती है तो मनुष्य भी आनन्द से झूमने लगता है होली पर्व इसी का प्रतीक है। इस रंगीन उत्सव के समय पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है। होली के त्यौहार को मनाने के लिए इस दिन स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में सरकारी छुट्टी होती है।

जिस तरह मुसलमानों के लिए ईद का त्यौहार, ईसाईयों के लिए क्रिसमस का त्यौहार जो महत्व रखता हैं उसी तरह हिन्दुओं के लिए भी होली के त्यौहार का बहुत महत्व होता है। होली का त्यौहार अब इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। भारत के अतिरिक्त बहुत से देशों में अब लोग होली का त्यौहार मनाने लगे हैं।

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बसंत का आगमन :  वसंत में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्यौहार उसका श्रंगार करने आता है। होली एक ऋतू संबंधी त्यौहार है। शीतकाल की समाप्ति और ग्रीष्मकाल के आरम्भ इन दोनों ऋतुओं को मिलाने वाले संधि काल का पर्व ही होली कहलाता है। शीतकाल की समाप्ति पर किसान लोग आनन्द विभोर हो उठते हैं। उनका पूरी साल भर का किया गया कठोर परिश्रम सफल हो उठता है और उनकी फसल पकनी शुरू हो जाती है।

होली के त्यौहार को होलिकोत्सव भी कहा जाता है। होलिका शब्द से ही होली बना है। होलिका शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के होल्क शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ भुना हुआ अन्न होता है। प्राचीनकाल में जब किसान अपनी नई फसल काटता था तो सबसे पहले देवता को भोग लगाया जाता था इसलिए नवान्न को अग्नि को समर्पित कर भूना जाता था। उस भुने हुए अन्न को सब लोग परस्पर मिलकर खाते थे। इसी ख़ुशी में नवान्न का भोग लगाने के लिए उत्सव मनाया जाता था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में इस परम्परा से होलिकोत्सव मनाया जाता है।

ऐतिहासिकता : होली के उत्सव के पीछे एक रोचक कहानी है जिसका काफी महत्व है। पुरातन काल में राजा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका के अहंकार और हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की भक्ति से ही इस उत्सव की शुरुआत हुई थी। हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा द्वारा वरदान स्वरूप बहुत सी शक्तियाँ प्राप्त हुई थीं जिनके बल पर वह अपनी प्रजा का राजा बन बैठा था।

कहा जाता है कि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेता था। प्रहलाद का पिता उसे ईश्वर का नाम लेने से रोकता था क्योंकि वह खुद को भगवान समझता था। प्रहलाद इस बात को किसी भी रूप से स्वीकार नहीं कर रहा था। प्रहलाद को अनेक दंड दिए गये लेकिन भगवान की कृपा होने की वजह से वे सभी दंड विफल हो गए।

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती थी। होलिका अपने भाई के आदेश पर प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गयी। भगवान की महिमा की वजह से होलिका उस चिता में चलकर राख हो गयी, लेकिन प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ था। इसी वजह से इस दिन होलिका दहन भी किया जाता है।

भगवान श्री कृष्ण से पहले यह पर्व सिर्फ होलिका दहन करके मनाया जाता था लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इसे रंगों के त्यौहार में परिवर्तित कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना राक्षसी का वध किया था जो होली के अवसर पर उनके घर आई थी। बाद में उन्होंने इस त्यौहार को गोप-गोपिकाओं के साथ रासलीला और रंग खेलने के उत्सव के रूप में मनाया। तभी से इस त्यौहार पर दिन में रंग खेलने और रात्रि में होली जलाने की परम्परा बन गई थी।

होली दहन की विधि :  होली के दिन एक झंडा या कोई बड़ी डंडी को किसी सार्वजनिक स्थान पर गाडा जाता है। इस डंडे की पूजा कर उसके फेरे लगाकर मंगलकामना की जाती है और होली के मुहूर्त के समय इस डंडे को निकालकर इसके चारों तरफ लकड़ियाँ और उपले इकट्ठे किए जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा के बाद इन लकड़ियों में आग लगाई जाती है और राख से तिलक लगाया जाता है। इसे होलिका दहन का प्रतीक माना जाता है। इस आग में किसान अपने अपने खेत के पहले अनाज के कुछ दानों को सेकते हैं और सब में बांटते हैं। इसी से मिलन और भाईचारे की भावना जागृत होती है।

होली का उत्सव : होली दो दिन का त्यौहार होता है। होली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। होली से पहली रात को होलिका दहन किया जाता है जिस पर घमंड और नकारात्मक प्रवृति का आहुति स्वरूप दहन किया जाता है। होलिका दहन से अगली सुबह फूलों के रंगों से खेलते हुए होली का शुभारम्भ किया जाता है। इस दिन को धुलेंडी भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दुसरे पर रंग, गुलाल डालते हैं। होली को सभी लोग रंग-बिरंगे गुलाल और पानी में रंगों को घोलकर पिचकारियों से एक-दुसरे के उपर रंग डालकर प्रेम से खेलते हैं।

सडकों पर बच्चों, बूढों, लडकियों और औरतों की टोलियाँ गाती, नाचती, गुलाल मलती और रंग भरी पिचकारी छोडती हुई देखी जाती हैं। सबकों के दिलों में प्रसन्नता छाई रहती है। सारे देश में लोग अपनी-अपनी परम्परा से होली मनाते हैं, परन्तु सभी रंग द्वारा अपनी खुशी की अभिव्यक्ति करते हैं। छोटे बच्चे बड़ों को उनके पैरों में गुलाल डालकर प्रणाम करते हैं और बड़े छोटों को गुलाल से टिका लगाकर आशीर्वाद देते हैं। सभी लोग अपने प्रियजनों के घर जाकर पकवान खाते हैं और बधाईयाँ देते हैं। चारों दिशाएं खुशियों से सराबोर हो जाती हैं।

होली का महत्व : होली के दिन का हिन्दुओं में बहुत महत्व होता है। होली का त्यौहार दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। अमीर-गरीब, क्षेत्र, जाति, धर्म का कोई भेद नहीं रहता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंगों के साथ खेलते हैं। दूर रहने वाले दोस्त भी इस बहाने से मिल जाते हैं।

इस दिन सभी लोग अपनी नाराजगी, गम और नफरत को भुला कर एक-दूसरे के साथ एक नया रिश्ता बनाते हैं। समाज में बेहतर गठन के लिए होली की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। होली का त्यौहार अपने साथ बहुत से संदेश लाता है। होली का त्यौहार हमें भेदभाव और बुराईयों से दूर रहने की सलाह देता है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टि : आनन्द का सरोवर व खुशी का खजाना सबके अंत:करण में विद्यमान है, परन्तु वह कुछ बाह्य शिष्टाचार के बंधनों की वजह से पूर्ण-रूपेण व्यक्त नहीं हो पाता है। जब वे बंधन टूट जाते हैं तो खुशी का खजाना फुट जाता है हम एक अतुलित आनन्द की अनुभूति करते हैं। होली के पीछे यही मनोवैज्ञानिक नियम समाविष्ट है, उसमें हम शिष्टाचार के बंधन तोड़ कर एक-दुसरे पर रंग बिखेरते हैं। शब्दों द्वारा कुछ कहकर, खुद नाचकर, गाकर अपने अंत:करण की खुशियाँ व्यक्त करते हैं।

प्रेम और एकता का प्रतीक : होली ही एक ऐसा त्यौहार है जिसमें हम शिष्टाचार के बंधन तोडकर छोटे-बड़े, वृद्ध-बाल, राजा-रंक एक दुसरे का विविध तरीके से उपहास करते हैं, मिलकर गाते हैं, नाचते हैं। होली के इस त्यौहार में हर कोई एकता में बंध जाता है। इस दिन बुरा मानना अनुचित समझा जाता है लेकिन बुरा कहने में कोई रोक नहीं होती है। व्यक्ति एक-दुसरे से गले मिलते हैं और अपने ह्रदय की खुशियों को पूर्ण-रूपेण बिखेर देते हैं । मानो इससे मेल व प्रेम का स्त्रोत बहने लगता है।

आधुनिक दोष : इतनी खुशियों के त्यौहार में  भी कई लोग शराब पीकर और नशे में चूर होकर लड़ाई-झगड़े पर उतर जाते हैं। कई स्थानों पर अपनी शत्रुता का बदला लेने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया जाता है। जिसका फल यह होता है कि रंग का त्यौहार रंज के त्यौहार में बदल जाता है। प्रेम, दुश्मनी में बदल जाता है जिसे कहते हैं रंग में भंग होना।

लेकिन यह स्थिति कहीं-कहीं पर ही होती है। वास्तव में होली का त्यौहार बड़ा ही ऊँचा दृष्टिकोण लेकर प्रचलित हुआ है। लेकिन आज के लोगों ने इसका रूप ही बिगाड़ दिया है। सुंदर और कच्चे रंगों की जगह पर बहुत से लोग काली स्याही और तवे की कालिख का प्रयोग करते हैं।

कुछ मूढ़ लोग तो एक-दुसरे पर गंदगी भी फेंकते हैं। उत्सव के आयोजकों द्वारा इन बुराईयों को कम किया जाना चाहिए। जो लोग होली के महत्व को समझ नहीं पाते हैं वो ही ऐसा करते हैं।

उपसंहार : होली मेल, एकता, प्रेम, खुशी व आनन्द का त्यौहार है। इसमें एक बुजुर्ग या प्रतिष्ठित व्यक्ति भी सबके बीच नाचते हुए दिखाई देते हैं। इस दिन की खुशी नस-नस में नया खून प्रवाहित कर देती है। बाल-वृद्ध सभी में एक नई उमंगें भर जाती हैं। सभी के मन से निराशा दूर हो जाती है।

इस दिन छोटे-बड़ों के गले मिलकर उन्हें एकता का उदाहरण देना चाहिए। असली अर्थों में होली का त्यौहार मनाना तभी सार्थक हो पायेगा। नहीं तो नफरत, द्वेष, और विषमता के रावण को जलाये बिना कोरी लडकियों की होली को जलाना व्यर्थ होता है। जब हम त्यौहारों की रक्षा के लिए जागरूक रहेंगे तभी अपने त्यौहारों का अतुल आनन्द प्राप्त कर सकते हैं।

होली खेलने के लिए लोग ज्यादातर रंगों का प्रयोग करते हैं हमें रंगों के स्थान पर गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। रंग त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक होते है लेकिन गुलाल बहुत ही सुरक्षित होते हैं उनसे ऐसा कुछ होने का डर नहीं रहता है। अगर कोई रंग नहीं लगवाना चाहता हो तो उसके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

Essay On Holi In English

Bhumika :  Holi basant ka ek ullasamaya parv hai. Holi ko basant ka yauvan bhi kaha jata hai. Prakrati sarson ki pili saree pahankar kisi ki raah dekhti huyi pratit hoti hai. Hamare purvajon me bhi Holi tyauhar ko aapsi prem ka pratik mana jata hai. Ismen sabhi chhote-bade log milkar purae bhedbhavon ko bhula dete hain. Holi rang ka tyauhar hota hai or rang aannad pryay hote hain. Basant ke mausam me prakrati ki sundarta bhi manmohak hoti hai.

Jab sari prakrati yauvan se sarabor ho jati hai to manushya bhi aanand se jhumne lagta hai Holi parv isi ka pratik hai. Is rangin utsav ke samay pura vatavaran khushnuma ho jata hai. Holi ke tyauhar ko manane ke liye is din school, college or daftaron me sarkari chhutti hoti hai.

Jis tarah musalmanon ke liye Eid ka tyauhar, yisayiyon ke liye Crissmus ka tyauhar jo mahatva rakhta hai usi tarah hinduon ke liye bhi Holi ke tyauhar ka bahut mahatva hota hai. Holi ka tyauhar ab itna prasiddh ho chuka hai ki yah tyauhar keval Bharat me hi nhin balki videshon me bhi lokpriya hota ja raha hai. Bharat ke atirikt bahut se deshon me ab log Holi ka tyauhar manane lage hain.

Basant ka aagman :  Basant me jab prakrati ke ang-ang me yauvan foot padta hai to Holi ka tyauhar uska shrangar karne aata hai. Holi ek ritu sambndhi tyauhar hai. Sheetkaal ki samapti or grishmkaal ke aarambh in donon rituon ko milane vale sandhi kaal ka parv hi Holi kahlata hai. Sheetkaal ki samapti par kisan log aanand vibhor ho uthte hain. unka puri saal bhar ka kiya gaya kathor parishran safal ho uthta hai or unki fasal pakni shuru ho jati hai.

Holi ke tyauhar ko Holikotsav bhi kaha jata hai. Holika shabd se hi Holi bana hai. Holika shabd ki utpatti Sanskrat ke holk shabd se huyi hai jiska arth bhuna huaa ann hota hai. Prachinkaal me jab kisan apni nayi fasal katta tha to sabse pahle devta ko bhog lagaya jata tha isliye navanna ko agni ko samarpit kar bhuuna jata tha. us bhune huye ann ko sab log paraspar milkar khate the. Isi khushi me navann ka bhog lagane ke liye utsav manaya jata tha. Aaj bhi gramin kshetron me is prampara se holikotsav manaya jata hai.

Aetihasikta :  Holi ke utsav ke piche ek rochak kahani hai jiska kafi mahatva hai. Puratan kaal me Raja Hiranyakashyap or uski bahan Holika ke ahamkar or Hiranyakashyap ke putra Prahlad ki bhakti se hi is utsav ki shuruaat huyi thi. Hiranyakashyap ko Brahma dvara vardan svarup bahut si shaktiyan prapt huyi thi jinke bal par vah apni praja ka raja ban baitha tha.

Kaha jata hai ki bhakt Prahlad bhagvan Vishnu ka name leta tha. Prahlad ka pita use yishvar ka name lene se rokta tha kyonki vah khud ko bhagvan samajhta tha. Prahlad is baat ko kisi bhi rup se svikaar nhin kar raha tha. Prahlad ko anek dand diye gaye lekin bhagvan ki krapa hone ki vajah se ve sabhi dand vifal ho gaye.

Hiranyakashyap ki ek bahan thi jiska name Holika tha. Holika ko yah vardan prapt tha ki use agni jala nhin sakti thi. Holika apne bhai ke aadesh par Prahlad ko apni god me lekar chita par baith gayi. Bhagvan ki mahima ki vajah se Holik us chita me jalkar rakh ho gayi, lekin Prahlad ko kuch nhin huaa tha. Isi vajah se is din Holika dahan bhi kiya jata hai.

Bhagvan Shree Krishna se pahle yah parv sirf holika dahan karke manaya jata tha lekin bhagvan Shree Krishna ne ise rangon ke tyauhar me parivartit kar diya. Bhagvan Shree Krishna ne is din Putna Rakshasi ka vadh kiya tha jo Holi ke avsar par unke ghar aayi thi. Baad me unhone is tyauhar ko gop-gopikaon ke sath rasleela or rang khelne ke utsav ke rup me manaya. Tabhi se is tyauhar par din me rang khelne or ratri me holi jalane ki parampara ban gayi thi.

Holika dahan ki vidhi :  Holi ke din ek jhanda ya koyi badi dandi ko kisi sarvjanik sthan par gadha jata hai. Is dande ki pooja kar uske fere lagakar mangalkamna ki jati hai or Holi ke muhurt ke samay is dande ko nikalkar iske charon taraf lakdiyan or uple ikatthe kiye jate hain. Hindu Dharm ke anusar pooja ke baadin lakdiyon me aag lagayi jati hai or rakh se tilak bhi lagaya jata hai. Ise holika dahan ka pratik mana jata hai. Is aag me kisan apne apne khet ke pahle anaj ke kuch danon ko sekte hain or sab me bantte hain. Isi se milan or bhayichare ki bhavna jagrat hoti hai.

Holi ka utsav :  Holi do din ka tyauhar hota hai. Holi ki taiyariyan kayi din pahle se hi shuru ho jati hain. Holi se pahli raat ko hilika dahan kiya jata hai jis par ghamand or nakaratmak pravrati ka aahuti svarup dahan kiya jata hai. Holika dahan se agli subah fulon ke rangon se khelte huye Holi ka shubharambh kiya jata hai. Is din ko Dhulendi bhi kaha jata hai. Is din log ek-dusre par rang, gulal dalte hain. Holi ko sabhi log rang-birange gulal or pani me rangon ko gholkar pichkariyon se ek-dusre ke upar rang dalkar prem se khelte hain.

Sadakon par bacchon, budhon, ladkiyon or auraton ki toliyan gaati, nachti, gulal malti or rang bhari pichkari chodti huyi dekhi jati hain. Sabke dilon me prasannta chhayi rahti hai. Sare desh me log apni-apni parampara se Holi manate hain, parantu sabhi rang dvara apni khushi ki abhivyakti karte hain. Chhote bacche badon ko unke pairon me gulal dalkar pranam karte hain or bade chhoton ko gulal se teeka lagakar aashirvad dete hain. Sabhi log apne priyajanon ke ghar jakar pakvaan khate hain or badhayiyan dete hain. Charon dishayen khushiyon se sarabor ho jati hain.

Holi ka mahatva : Holi ke din ka hinduon me bahut mahatva hota hai. Holi ka tyauhar dushmanon ko bhi dost bana deta hai. Ameer-garib, kshetra, jaati, dharm ka koyi bhed nhin rahta hai. Is din log ek-dusre ke ghar jate hain or rangon ke sath khelte hain. Door rahne vale dost bhi is bahane se mil jate hain.

Is din sabhi log apni narajgi, gam or nafrat ko bhula kar ek-dusre ke sath ek naya rishta banate hain. Samaj me behtar gathan ke liye Holi ki bahut hi mahatvapurn bhumika hai. Holi ka tyauhar apne sath bahut se sandesh lata hahi. Holi ka tyauhar hamen bhedbhav or burayiyon se door rahne ki salah deta hai.

Manovaigyanik Drashti :  Aanand ka sarovar va khushi ka khajana sabke antahkaran me vidyaman hai, parantu vah kuch bahay shishtachar ke bandhanon ki vajah se purn-rupen vyakt nhin ho pata hai. Jab ve bandhan tut jate hain to khushi ka khajana foot jata hai ham ek atulit aanand ki anubhuti karte hain. Holi ke pichhe yahi manovaigyanik niyam samavisht hai, usmen ham shishtachar ke bandhan tod kar ek-dusre par rang bikherte hain. Shabdon dvara kuch kahkar, khud nachkar, gakar apne antahkaran ki khushiyan vyakt karte hain.

Prem or ekta ka pratik :  Holi hi ek aesa tyauhar hai jismen ham shishtachar ke bandhan todkar chhote-bade, vraddh-baal, raja-rank ek dusre ka vividh tarike se uphas karte hain, milkar gaate hain, nachte hain. Holi ke is tyauhar me har koyi ekta me bandh jata hai. Is din bura manna anuchit samjha jata hai lekin bura kahne me koyi rok nhin hoti hai. Vyakti ek-dusre se gale milte hain or apne hradya ki khushiyon ko purn-rupen bikher dete hain. Mano isse mel va prem ka strot bahne lagta hai.

Aadhunik dosh :  Itni khushiyon ke tyauhar me bhi kayi log sharab pikar or nashe me choor hokar ladayi-jhagde par utar jate hain. Kayi sthanon par apni shatruta ka badla lene ke liye anuchit sadhanon ka prayog kiya jata hai. Jiska fal yah hota hai ki rang ka tyauhar ranj ke tyauhar me badal jata hai. Prem, dushmani me badal jata hai jise kahte hain rang me bhang hona.

Lekin yah sthiti kahin-kahin par hi hoti hai. Vastav me Holi ka tyauhar bada hi uncha drashtikon lekar prachlit huaa hai. Lekin aaj ke logon ne iska rup hi bigad diya hai. Sundar or kachhe rangon ki jagah par bahut se log kali syahi or tave ki kalikh ka prayog karte hain.

Kuch mudh log to ek-dusre par gandgi bhi fenkte hain. Utsav ke aayojakon dvara in burayiyon ko kam kiya jana chahiye. Jo log Holi ke mahatva ko samajh nhin pate hain vo hi aesa karte hain.

Upsanhar : Holi mel, ekta, prem, khushi va aanand ka tyauhar hai. Ismen ek bujurg ya pratishthit vyakti bhi sabke beech nachte huye dikhayi dete hain. Is din ki khushi nas-nas me naya khun pravahit kar deti hai. Baal-vraddh sabhi me ek nayi umangen bhar jati hia. Sabhi ke man se nirasha door ho jati hai.

Is din chhote-badon ke gale milkar unhen ekta ka udaaharan dena chahiye. Asli arthon me Holi ka tyauhar manana tabhi sarthak ho payega. Nhin to nafrat, dvesh, or vishmata ke Ravan ko jalaye bina kori lakdiyon ki Holi ko jalana vyarth hota hai. Jab ham tyauharon ki raksha ke liye jagruk rahenge tabhi apne tyauharon ka atul aanand prapt kar sakte hain.

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Hindi Essay on “Holi ka Tyohar”, “होली का त्यौहार”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

होली का त्यौहार, holi ka tyohar.

Total Essay 4

निबंध नंबर :- 01

होली हिन्दुओं का एक विशेष त्योहार है। होली एक रंग-रंगीला त्योहार है। रंगों से सजा यह त्योहार बहुत ही खुशी का त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

यह त्योहार पूरे देश में बिना धर्म, जाति, भेदभाव के खुशी से मनाया जाता है। होली मनाने की एक कथा है। इसी की याद में होली मनाई जाती है। एक राजा हिरण्यकश्यप था जो कि राक्षसों का राजा था। वह अपने पुत्र प्रहलाद को मारना चाहता था। एक दिन उसने उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका को, प्रहलाद की गोद में लेकर आग में बैठने को कहा। भगवान की कृपा से ईश्वर भक्त प्रहलाद तो बन गया परन्तु होलिका जल गई तभी। से एक दिन पहले होली जलाई जाती है। तथा अगले दिन रंग खेला जाता है।

इस त्योहार के एक सप्ताह पहले से ही गाँव के लोग तरह-तरह के गीत तथा नृत्य करते हैं। औरतें भी गीत गाती हैं तथा नाचती है। बच्चे तथा नौजवान अलग-अलग तरह के खेल खेलते हैं।

इस त्योहार के दिन विशेष खाना बनाया जाता है। रात को आदमी, औरतें तथा बच्चे होलिका दहन देखने जाते हैं।

अगले दिन लोग अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों के घर जाते हैं उनको गुलाल तथा रंग लगाते हैं तथा एक-दूसरे पर पानी डालते हैं। बच्चों को यह त्योहार बहुत अच्छा लगता है। होली के बाद लोग नए कपड़े पहनते हैं व एक-दूसरे को मिठाइयाँ व शुभकामनाएँ देने जाते हैं।

होली मिलन व भाइचारे का त्योहार है। अत: इसे खुशी-खुशी बिना किसी भेदभाव के मनाना चाहिए।

निबंध नंबर:- 02

होली का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह रंगों का त्योहार है। इस दिन सभी लोग-बच्चे, युवा और वृद्ध-एक दूसरे के गले मिल कर रंग और गुलाल लगाते हैं तथा मिठाइयाँ बाँटते हैं। इससे आपस में भाई-चारा बढ़ता है। यह त्योहार हमें आपस में मिल-जुलकर रहने की प्रेरणा देता है।

यह त्योहार भारत में सदियों से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने इस दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को जाने से मारने की कोशिश की थी। क्योंकि प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद की विष्णु-भक्ति के अत्यंत विरोधी थे। उन्होंने अपने पुत्र प्रहलाद को जान से मरवाने के अनन्य प्रयास किए परंतु वह सफल नहीं हो सके। तब एक दिन उन्होंने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के प्राण लेने के लिए कहा। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। उसके पास ऐसी वरदानी चुनरी (दुपट्टा) थी जिसे ओढ़कर वह आग में भी सुरक्षित रह सकती थी। इसलिए वह अपने भाई हिरण्यकश्यप की बात मानकर प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गई

और हिरण्यकश्यप ने उसके चारों तरफ लकड़ियाँ रखकर आग लगा दी। लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया और वरदानी होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई। तभी से होली का यह त्योहार मनाया जाने लगा।

यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोगों को चहिए कि वे होलिका दहन के रूप में अपने अन्दर की सभी बुराइयों को जलाकर नष्ट कर दें और अच्छाइयों को ग्रहण कर लें; जैसे भगवान विष्णु ने दुष्ट होलिका को नष्ट करके अपने भक्त प्रहलाद को बचाया था।

होलिका दहन फाल्गुन (मार्च) माह के अंतिम दिन पूर्णमासी को होता है। उसके अगले दिन हिन्दू नववर्ष के चैत्र माह में होली खेली जाती है। इसी दिन से वसंतोत्सव प्रारंभ होता है। लोग नाचते हैं, गाते हैं और अपने घरों में गुझिया तथा मिठाइयाँ बनाते हैं। सभी लोग मिठाइयों एक-दूसरे को बाँटकर खाते हैं। इसी माह में गेहूँ, चना आदि की नई फसल भी तैयार हो जाती है, इसलिए इस त्योहार की खुशी चौगुनी हो जाती।

निबंध नंबर :- 03

सम्पर्ण भारत में होली का त्योहार उत्साह और उल्लास से मनाया जाता दोली रंगों का त्योहार है। होली फागुन माह की पूर्णिमा को आता है। बोली शरद ऋतु के समाप्त होने और वसन्त ऋतु के आने का सूचक है। होली का त्योहार दो दिवसीय होता है। पहली रात को होलिका दहन होता है जिसे लोग हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के दहन के रूप में मनाते हैं।

अगले दिन को धुलेंदी कहते हैं। इस दिन रंग खेला जाता है। भक्त प्रहलाद के बच जाने की खुशी में लोग हँसते गाते और रंग खेलते हैं। लोग सुबह से सफेद-सफेद कपड़े पहन कर रंग खेलने की तैयारी करते हैं। लाल, बैंगनी, गुलाबी, पीले पानी वाले रंग पिचकारियों से एक-दूसरे पर डाले जाते हैं। हरे, पीले, लाल गुलाल बड़े लोग एक-दूसरे को मलते हैं। लोग झुंडों में एकत्र हो कर शोर मचाते हुये गली-मुहल्लों में निकलते हैं। बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्रियाँ सभी होली के रंग में रंग जाते हैं और हुडदंग मचाते हुए अपने-अपने दोस्तों को रंगों से सराबोर कर देते हैं और गले मिलते है आने वाले मेहमानों का स्वागत मिठाइयों और गुजिया से किया जाता है।

यह वसन्त ऋतु का त्योहार है, अतः इस दिन नई मकई को भूना और खाया जाता है। इस दिन के बाद मौसम गर्म होने लगता है।

होली का त्योहार प्रहलाद से जुड़ा हुआ है। प्रहलाद भगवान का भार था। उसके पिता राजा हिरण्यकश्यप एक राक्षस थे जो चाहते थे कि उनके राज्य में ईश्वर का पूजन न किया जाये। केवल उनकी ही पूजा की जाये। जब वह प्रहलाद को ईश्वर की पूजा करने से नहीं रोक पाये तो उन्होंने उसे मारने के लिये बहुत-से प्रयास किये। मगर हर बार ईश्वर की कृपा से प्रहलाद बच जाता। एक दिन उनकी बहन होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई और अपनी चुन्नी ओढ़ ली ताकि वह वरदान प्राप्त होने के कारण आग से बच जाये और प्रहलाद जल जाये। मगर ईश्वर ने प्रहलाद को बचा लिया। उसी दिन से होलिका दहन किया जाता है।

होली के दिन होलिका दहन के द्वारा सभी बुराइयों, द्वेष एवं वैर भावना का दमन कर दिया जाता है।

पुरानी लड़ाइयाँ और दुश्मनियाँ भुला कर प्यार के रंगों से त्योहार मनाया जाता है।

कुछ लोग कीचड़, गोबर आदि का प्रयोग कर त्योहार को गन्दा करते हैं। गुब्बारों और रसायन युक्त रंगों का प्रयोग भी त्योहार की प्रतिष्ठा में कमी लाता है।

निबंध नंबर :- 04

होली अपने साथ मस्ती और रंगीनी का आलम लेकर आती हैं। भारत में प्रति वर्ष अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। ये ऋतुएँ अपने साथ कोई-न-कोई त्यौहार लेकर आती हैं। त्यौहार जीवन में मनोरंजन, आनंद और उल्लास उत्पन्न करते हैं। होली भी भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह नृत्य, संगीत और रंगों का त्यौहार कहा जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा का मनाया जाता है। इस समय बसंत ऋतु का साम्राज्य चारों ओर छाया रहता है। होली और दिवाली मात्र हिंदों बहार नहीं हैं, बल्कि अन्य समुदाय के लोग भ पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाते को यह थोडा हेर-फेर के साथ संसार के कई देशों में मनाया जाता है।

अन्य त्यौहारों के समान ही होली के साथ भी कुछ कथाएँ, जुड़ी हुई है। और घोर अत्याचारी तथा क्रूर राजा हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को ह-तरह की यातनाएँ देता रहता था, क्योंकि वह स्वयं को भगवान मानता था, और पहलाद ईश्वर-भक्त था। जब वह किसी भी प्रकार से प्रह्लाद को न मार सका, तो उसने अपनी बहिन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश करे। होलिका को वरदान मिला था, कि वह आग में नहीं जलेगी। होलिका प्रह्लाद को आग मे लेकर बैठ गई। होलिका तो आग में जलकर मर गई. परंतु प्रहलाद बच गया। बुराई करने वाले को उसका फल मिल गया था। इसलिए होली के त्यौहार पर लोग रात में होली जलाते हैं तथा उसमें तरह-तरह के गोबर के पुतले बनाकर डालते हैं। जो बुराई के अंत का प्रतीक है। अगले दिन इस त्यौहार पर सब एक दूसरे पर रंग घोल कर डालते हैं अथवा गुलाल-अबीर मलते हैं। ग्रामीण लोग नाच-गाकर इस उल्लास भरे त्यौहार को मनाते हैं। कृष्ण गोपियों की रास-लीला भी होती है। इसके बाद संध्या समय नए-नए कपड़े पहन कर लोग अपने मित्र गणों से मिलते है, एक दूसरे को मिठाई आदि खिलाते हैं और अपने स्नेह संबंधियों को पुनर्जीवित करते हैं। एक दूसरे के गले मिलते हैं, नाचते, गाते तथा खुशियां मनाते हैं। होली का हुडदंग मचाने वाले, टोलियाँ बनाकर घरों से बाहर निकल पड़ते हैं और जो भी सामने पड़ता है, उसी पर रंग डाल देते हैं। उनके डर से लोग खिसकने लगते हैं और कुछ घरों में छिपकर बैठ जाते हैं, परंत गाती-बजाती ये मंडलियाँ शहर में घमती रहती हैं। गांव में होली का रंग और भी नये प्रकार का होता है। विवाहित नव-यौवनाएँ हाथों में कठोर रस्सियां लेकर पुरूषों को मारती हैं। पुरूष उन पर गंदा पानी या कीचड़ तक डालते हैं। कुछ मुँह पर कालिख मल देते हैं और भी कई तरह के अभद्र व्यवहार करते हैं, जो कि अनुचित है। होली रंगों का त्यौहार है, अतः गोबर, कीचड़ अथवा कालिख का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुछ लोग इस दिन भांग, मदिरा आदि नशीली वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं, जिनके परिणाम कभी भी अच्छे नहीं होते। ऐसे शुभ पर्व को इन कार्यों से अपवित्र करना अशोभनीय है।

होली रंगों का त्यौहार ही नहीं बल्कि पारस्परिक प्रेम और राष्ट्रीय एकता का त्यौहार है। सिक्ख धर्म के अनुयायी भी इस दिन विशेष ‘होली’ मनाते हैं। सिक्खों का यह महत्वपूर्ण पर्व है। होली का पर्व हमें यह संदेश देता है, कि हम अपने पुराने भेदभाव और शत्रुता को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलें और आपस मे स्नेह-प्रेम से घुल-मिलकर रहें। होलिकोत्सव तो हर प्राणी को स्नेह का पाठ सिखाता है इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस कारण सब उत्सवों में यदि इसे “उत्सवों की रानी’ कहा जाए तो अत्यक्ति न होगी।

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holi essay in hindi for 6th class

होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi

Essay on Holi in Hindi

रंगों का त्योहार होली, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार न सिर्फ हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि पूरे देश में सभी धर्मों के लोग इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो सर्दियों के मौसम के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।

होली का अर्थ है जीवन के रंग भरना। इसे भारतीय विरासत में विशेष रूप से मनाया जाता है, जहां रंग, प्यार और हंसी के संगीत में लोग खुशी से नाचते हैं। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है।

होली के पर्व की शुरुआत होलिका दहन के साथ होती है, जिसे होलिका दहन कहा जाता है। इस अवसर पर लोग मिलकर होलिका की प्रतिमा को जलाते हैं, जो हिरण्यकशिपु की बहन और प्रह्लाद की आंतरिक शक्ति होलिका का उपयोग कर उसे नष्ट करने के लिए प्रयास किया था।

होली के दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर और रंग की पाउडर फेंकते हैं। इस दिन के माहौल में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी खुशी, उमंग और प्यार का एहसास करते हैं। इसे ‘फाग मेला’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें लोग गाने और नृत्य के साथ होली का आनंद लेते हैं।

होली का यह पर्व न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि एक साथी सामाजिक संदेश भी देता है। यह एकता, भाईचारा और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देता है। इसे मनाने का एक अनूठा तरीका है कि लोग भूल जाते हैं कि वे किसी भी धर्म या जाति के हैं, और एक-दूसरे के साथ प्यार और समरसता के भाव को महसूस करते हैं।

होली का महत्व (Importance of Holi In Hindi)

होली का महत्व कई रूपों में है:

भाईचारा और सौहार्द (Brotherhood and Harmony):

होली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को आपस में मिलाता है। इस दिन लोग अपने मतभेद भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं। यह त्योहार समाज में सौहार्द और भाईचारे का संदेश देता है।

बुराई पर अच्छाई की विजय (Victory of Good over Evil):

होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक भक्त प्रह्लाद और राजा हिरण्यकश्यप की कथा है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, जबकि हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। भगवान विष्णु ने अपने नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप का वध किया और प्रह्लाद की रक्षा की। अतः होली को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में भी देखा जाता है।

नए जीवन की शुरुआत (Beginning of New Life):

वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होने के नाते, होली नए जीवन की शुरुआत का भी संदेश देती है। जिस प्रकार पेड़-पौधे वसंत में नया जीवन प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार होली हमें भी पुराने गिले-शिकवे भुलाकर नई शुरुआत करने की प्रेरणा देती है।

होली का उत्सव (Celebration of Holi)

होली का उत्सव दो दिनों तक चलता है। पहली रात को लोग होलिका दहन करते हैं, जो बुराई के नाश का प्रतीक है। इसके बाद अगले दिन धुलंडी मनाई जाती है, जिस दिन लोग रंग खेलते हैं, पानी की पिचकारियों से एक-दूसरे को भिगोते हैं, और मिठाई खाते हैं। होली के दौरान ढोल और नाच-गाना का भी खूब धूम रहता है।

होली सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक खास हिस्सा है। यह त्योहार हमें खुशियां बांटने, सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने और नए जोश के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 Words in Hindi)

होली, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह फागुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का महत्व रंग और प्रेम की भावना को उत्सवी रूप में व्यक्त करने में है। इस दिन लोग गुलाल, अबीर और रंग की पाउडर फेंकते हैं। होली के माहौल में सभी खुशी और उमंग से भर जाते हैं। यह त्योहार एकता, समरसता और प्यार का प्रतीक है। होली का उत्सव न केवल रंगों का है, बल्कि एक साथी सामाजिक संदेश भी है। इसे मनाने से हम समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाते हैं। इस प्रकार, होली हमारे जीवन में रंग और प्रेम की भावना को जगाती है।

होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 Words in Hindi)

रंगों का त्यौहार होली, भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।

होली का महत्व कई रूपों में है। यह त्यौहार भाईचारा, सौहार्द, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ, यह त्यौहार नए जीवन की शुरुआत का भी संदेश देता है।

होली का त्यौहार दो दिनों तक चलता है। पहली रात को लोग होलिका दहन करते हैं, जो बुराई के नाश का प्रतीक है। अगले दिन धुलंडी मनाई जाती है, जिस दिन लोग रंग खेलते हैं, पानी की पिचकारियों से एक-दूसरे को भिगोते हैं, और मिठाई खाते हैं।

होली के रंग:

होली के रंगों का भी विशेष महत्व है। लाल रंग प्रेम का प्रतीक है, पीला रंग खुशी का प्रतीक है, और हरा रंग उर्वरता का प्रतीक है।

होली सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक खास हिस्सा है। यह त्यौहार हमें खुशियां बांटने, सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने और नए जोश के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

इसके अलावा:

  • होली के त्यौहार में कई गीत और नृत्य भी होते हैं।
  • होली के त्यौहार के दौरान लोग विशेष प्रकार के व्यंजन भी बनाते हैं।
  • होली के त्यौहार को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

यह त्यौहार हमें सिखाता है:

  • हमें भेदभाव भुलाकर एकजुट होकर रहना चाहिए।
  • हमें हमेशा खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी खुशी देनी चाहिए।
  • हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देना चाहिए।

होली पर निबंध 300 शब्दों में (Essay on Holi in 300 Words in Hindi)

होली, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फागुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है और रंग, प्यार और उत्साह का प्रतीक है। होली का महत्व रंगों की खेलते हैं।

होली के दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर और रंग की पाउडर फेंकते हैं। इस दिन के माहौल में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी खुशी, उमंग और प्यार का एहसास करते हैं।

होली का उत्सव न केवल रंगों का है, बल्कि एक साथी सामाजिक संदेश भी है। यह एकता, भाईचारा और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देता है। इसे मनाने का एक अनूठा तरीका है कि लोग भूल जाते हैं कि वे किसी भी धर्म या जाति के हैं, और एक-दूसरे के साथ प्यार और समरसता के भाव को महसूस करते हैं।

इस प्रकार, होली एक अद्वितीय त्योहार है जो रंग, उमंग और प्यार के साथ हमारे जीवन को रंगीन बनाता है। इस त्योहार को मनाकर हम न केवल समाज में एकता का संदेश देते हैं, बल्कि हम भावनात्मक रूप से भी अपने प्यार और भगवान के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करते हैं।

होली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Holi in 500 Words in Hindi)

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रिय और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च में आता है। होली वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो रंगों, उत्साह और खुशी का त्योहार है।

होली का महत्व:

होली का महत्व कई धार्मिक और सांस्कृतिक कहानियों से जुड़ा हुआ है। एक प्रचलित कहानी के अनुसार, भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे, जबकि उनके पिता हिरण्यकश्यप एक क्रूर राजा थे जो स्वयं को भगवान मानते थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसे बचाया। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त कर चुकी थी, प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई।

लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इसी घटना की याद में होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली के त्यौहार की रस्में:

होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका दहन कहा जाता है। इस दिन लोग लकड़ी और गोबर के ढेर को इकट्ठा करके होलिका का प्रतीक बनाते हैं और शाम को उसे जलाते हैं। इस अवसर पर लोग भगवान विष्णु और प्रह्लाद की पूजा करते हैं।

दूसरे दिन को रंगों वाली होली या धुलंडी कहा जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग, पानी और गुब्बारे फेंककर उत्सव मनाते हैं। बच्चे पिचकारी और रंगों से खेलते हैं, और लोग मिठाइयां और गुझिया जैसी विशेष व्यंजन बनाते हैं।

होली का सामाजिक महत्व:

होली का त्योहार सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार सभी सामाजिक और धार्मिक बाधाओं को मिटाकर लोगों को एकजुट करता है। होली का त्योहार लोगों के जीवन में खुशी, उमंग और उत्साह लाता है।

होली का त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है और उन्हें एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना से जीने के लिए प्रेरित करता है।

होली का त्योहार भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

होली के त्योहार को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि रंगों का त्योहार, वसंत का त्योहार और प्रेम का त्योहार।

होली के त्योहार के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जैसे कि गायन, नृत्य और नाटक।

होली के बदलते स्व रूप:

हाल के वर्षों में, होली के त्योहार में कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। पहले के समय में, प्राकृतिक रंगों, जैसे कि हल्दी, कुमकुम और इंडिगो का इस्तेमाल किया जाता था। ये रंग त्वचा के लिए हानिरहित होते थे और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते थे।

हालांकि, अब बाजार में सिंथेटिक रंगों की भरमार है। ये रंग त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं और आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, ये रंग पर्यावरण प्रदूषण में भी योगदान देते हैं।

इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम होली के पारंपरिक रंगों का उपयोग करने की परंपरा को बनाए रखें। प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।

होली की सुरक्षा:

होली के उत्साह में कभी-कभी सुरक्षा का ध्यान रखना छूट जाता है। तेज आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसे पटाखे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और साथ ही चोट भी पहुंचा सकते हैं।

होली खेलते समय ज्यादा पानी का इस्तेमाल भी कम करना चाहिए। जल संरक्षण आज के समय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। होली को एक सार्थक त्योहार बनाने के लिए हमें पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए।

होली का भविष्य:

होली का त्योहार सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है। यह त्योहार हमें प्रेम, सद्भाव और भाईचारे का संदेश देता है। भविष्य में भी हमें इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते रहना चाहिए, लेकिन साथ ही पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।

Class 5, Class 6 और Class 7 के लिए Holi Par Nibandh

होली (Holi)भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो रंग और प्यार की भावना को साझा करता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह समाज में एकता, सद्भावना और प्रेम की भावना को प्रकट करता है।

होली का उत्सव प्राचीन कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु नामक राक्षस अपने पुत्र प्रह्लाद के प्रति विरोध था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, जिससे उनके पिता को क्रोध आया। उन्होंने अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की, परंतु भगवान की कृपा से प्रह्लाद संरक्षित रहे और होलिका की आग में वहीं खुद जल गई। इसे होलिका दहन कहा जाता है और होली का उत्सव इस घटना की याद में मनाया जाता है।

होली के पर्व के दिन, लोग एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर और रंग की पाउडर फेंकते हैं। यह एक प्रकार का खुशी का उत्सव है, जिसमें सभी भाग लेते हैं। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खेलते हैं और एक-दूसरे को रंगों से रंगते हैं। होली के माहौल में हर कोई खुश होता है और सभी एक-दूसरे के साथ प्यार और खुशी का आनंद लेते हैं।

होली के उत्सव में गीत, नृत्य और रंगों का खेल होता है। सभी गाते हैं, नाचते हैं और आपस में रंग फेंकते हैं। यह एक वास्तविक रंगीन उत्सव है जिसमें सभी भाग लेते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी का आनंद लेते हैं।

समाप्तित में, होली एक ऐसा त्योहार है जो जीवन में रंग और प्यार की भावना को बढ़ावा देता है। इसे मनाने से हम न केवल समाज में एकता का संदेश देते हैं, बल्कि हम भावनात्मक रूप से भी अपने प्यार और भगवान के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करते हैं।

होली पर निबंध 10 लाइन में (Holi Par Nibandh 10 Line Me)

  • होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
  • यह रंगों का उत्सव होता है और फागुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  • होली उत्सव में लोग रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
  • यह त्योहार एकता, सद्भावना और प्यार की भावना को प्रकट करता है।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मिठाईयाँ खाते हैं।
  • इस उत्सव में सभी भाग लेते हैं और रंगों का खेलते हैं।
  • होली के दिन लोग खुशियों की खातिर बदले में आपस में मिलते हैं।
  • यह त्योहार हमें समाज में जुड़ने और एक-दूसरे के साथ प्यार और समरसता की भावना को महसूस कराता है।
  • होली का उत्सव हर साल उत्साह से मनाया जाता है और सभी को खुशियों से भर देता है।
  • यह उत्सव हमें खुशियों का महत्व और साझा करने की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

होली दो दिन तक क्यों मनाई जाती है.

होली दो दिन तक मनाई जाती है, जिसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं।

पहला दिन (First Day):

  • होलिका दहन (Holika Dahan):  यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भक्त प्रह्लाद को उनकी भक्ति के कारण आग में जलने के लिए भेजा गया था, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वे बच गए, जबकि उनकी बुआ होलिका जल गईं। इस घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है।

दूसरा दिन (Second 2) :

  • धुलंडी (Dhulandi):  यह दिन रंगों का त्योहार है। यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवीनीकरण का समय है। लोग एक दूसरे पर रंग डालकर खुशियां मनाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर भाईचारा स्थापित करते हैं।

अन्य कारण :

  • पूर्णिमा:  होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। पूर्णिमा को चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है, जो खुशियों और समृद्धि का प्रतीक है।
  • लोककथाएं:  होली से जुड़ी कई लोककथाएं भी हैं, जो इस त्योहार को दो दिन तक मनाने का कारण बताती हैं।

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें?

1. प्रस्तावना:.

होली के बारे में निबंध लिखने के लिए सबसे पहले एक आकर्षक प्रस्तावना लिखें। इसमें होली के त्योहार का महत्व, इसकी उत्पत्ति और इसके विभिन्न नामों का उल्लेख करें।

2. त्योहार का महत्व:

होली के त्योहार के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझाएं। भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी का उल्लेख करें। होली को वसंत ऋतु के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताएं।

3. त्योहार की रस्में:

होली के त्योहार की विभिन्न रस्मों का वर्णन करें। होलिका दहन, रंगों वाली होली, धुलंडी, मिठाइयों का वितरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उल्लेख करें।

4. सामाजिक महत्व:

होली के त्योहार का सामाजिक महत्व पर प्रकाश डालें। यह त्योहार सामाजिक समरसता, भाईचारा, और प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार सभी सामाजिक और धार्मिक बाधाओं को मिटाकर लोगों को एकजुट करता है।

5. पर्यावरण और सुरक्षा:

होली के त्योहार के दौरान पर्यावरण और सुरक्षा का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने और तेज आवाज वाले पटाखों से बचने पर जोर दें।

6. निष्कर्ष:

होली के त्योहार के बारे में सारांश लिखें। यह त्योहार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और हमें इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते रहना चाहिए।

होली: रंगों का त्योहार

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।

होली का महत्व

होली का त्योहार कई धार्मिक और सांस्कृतिक कहानियों से जुड़ा हुआ है। एक प्रचलित कहानी के अनुसार, भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे, जबकि उनके पिता हिरण्यकश्यप एक क्रूर राजा थे जो स्वयं को भगवान मानते थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसे बचाया। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त कर चुकी थी, प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई।

होली की रस्में

दूसरे दिन को रंगों वाली होली या धुलंडी कहा जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग, पानी और गुब्बारे फेंककर उत्सव मनाते हैं। बच्चे पिचकारी और रंगों से खेलते हैं, और लोग मिठाइयां और गुझिया जैसी विशेष व्यंजन बनाते हैं। शाम के समय लोग एकत्रित होकर होली के गीत गाते हैं और नाचते हैं। होली के दौरान कई क्षेत्रों में विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

होली का त्योहार सामाजिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार सभी धर्म, जाति और वर्गों के लोगों को एक साथ लाता है। रंगों के इस उत्सव में लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर खुशियां मनाते हैं। होली का त्योहार हमें यह संदेश देता है कि जीवन में प्रेम और सद्भाव का होना कितना जरूरी है।

पर्यावरण और सुरक्षा:

हालांकि होली खुशियों का त्योहार है, लेकिन हमें पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। पहले के समय में प्राकृतिक रंगों, जैसे कि हल्दी, कुमकुम और इंडिगो का इस्तेमाल किया जाता था। अब बाजार में सिंथेटिक रंगों की भरमार है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं और पर्यावरण को भी प्रदूषित करते हैं। इसलिए, होली के त्योहार को मनाते समय प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए। साथ ही, तेज आवाज वाले पटाखों से बचना चाहिए और पानी की बर्बादी भी कम करनी चाहिए।

होली का त्योहार रंगों, खुशियों और उल्लास का प्रतीक है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम तथा सद्भाव का संदेश देता है। भविष्य में भी हमें होली के इस पर्व को परंपरागत तरीके से मनाते रहना चाहिए और पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए।

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आज आपके लिए लेकर आएं हैं Essay on Holi in Hindi. जिसमे आपको 10 Lines on Holi in Hindi, Paragraph on Holi in Hindi के साथ साथ Short Essay on Holi in Hindi और Long Essay On Holi In Hindi भी मिलेगा।

यह निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 तक के विद्यार्थी उपयोग में ला सकते हैं।

Table of Contents

10 Lines On Holi In Hindi

Set-1. यह Set कक्षा 1,2,3,4 और 5 के विद्यार्थियों के लिए है।

  • होली पर्व प्रति वर्ष भारत मे हिंदुओं के द्वारा मनाया जाता है।
  • होली का पर्व प्रतिवर्ष मार्च महीने में मनाया जाता है , कभी कभी यह त्यौहार दो दिनों से भी ज्यादा चलता है।
  • हर प्रदेश में होली पर्व अलग अलग तरीक़े से मनाया जाता है।
  • होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
  • होलिका दहन के दिन लोग लकड़ी इकट्ठा करके आग जलाते है और उसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं।
  • होली एक खुशी का त्यौहार है जो सबके जीवन मे प्रसन्नता लाता है।
  • ग्रंथो के आधार पर होली की शुरुआत कृष्ण और राधा रानी ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार , दोस्त से मिलते हैं, उन्हें रंग लगाते है।
  • होली के दिन उत्तर भारत मे गाना गाने का रिवाज है।
  • होली के लिए कई मिठाईयां बनती है , जिसमे से गुझियाँ सबसे आम है।

Set-2 यह कक्षा 6,7 और 8 के लिए उपयोगी है।

  • होली एक ऐसा त्यौहार जिसे पूरे भारत मे खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • होली एक ऐसा त्यौहार है जो लोगो को जोड़ता है, उनमें भाईचारा बढ़ाता है, जिससे शांति और खुशियाँ बढ़ती है।
  • होली में सब एक साथ मिलकर जश्न मनाते है , जिससे लोगो मे एकता बढ़ती है।
  • यह त्यौहार प्रति वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में मनाया जाता है।
  • फाल्गुन माह को गर्मी और ठंडी का संधिकाल कहा जाता है।
  • होली में कई अलग अलग रंग खेले जाते हैं जो अलग अलग भावनाओं की व्याख्या करते हैं।
  • होली को लेकर एक सबसे प्रचलित बात यह है कि इस दिन लोग अपने दुश्मनों को भी माफ कर देते हैं और उन्हें भी गले लगा लेते हैं।
  • यदि होली का असली रंग देखना है तो शाम को देखना चाहिये जब सबसे ऊपर प्रेम का रंग चढ़ा होता है। सभी एक साथ गाना गाते हैं और नृत्य करते हैं।
  • होली पर्व हमें तीन बड़े संदेश देता है, असत्य कभी अमर नही है, दुख हमेशा नही रह सकता और हमेशा अच्छे की ही जीत होती है।
  • वयस्क लोग एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते है, और बहुत ही मस्ती भरे अंदाज में त्यौहार मनाते हैं।

Paragraph on My Favourite Festival Holi

भारत और नेपाल में मनाया जाने वाला होली एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। होली का पर्व प्रति वर्ष मार्च माह में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग अपने अपने घरों पर मिठाई, गुझिया, नमकीन जैसे तरह तरह के पकवान बनाते हैं।

होली के दिन छोटे बच्चों को यह पूरी छूट रहती है कि वह किसी पर भी रंग डाल सकते हैं, क्योंकि उनके हाथ मे पिचकारी रहती है। हर तरफ नजारा बिलकुल रंगीन होता है , किसी का चेहरा पहचानना बहुत मुश्किल होता है। यही एक ऐसा दिन है जब लोग किसी की शक्ल से ज्यादा प्रेमभाव को अहमियत देते हैं। इस त्यौहार की यही विशेषता है। इसी वजह से होली का पर्व पूरे देश मे इतने उल्लास के साथ मनाया जाता है।

Short Essay On Holi in Hindi (300 Words)

हमारा देश त्योहारों का देश है जहाँ त्यौहार आते ही रहते हैं। लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जिनका सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। ऐसा ही एक त्यौहार होली का त्यौहार है जो आपसी भाईचारे को बढ़ाने वाला त्यौहार है।

प्रतिवर्ष बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक सभी को होली के आगमन का इंतजार रहता है क्योंकि यह त्यौहार है ही कुछ खास जिसका आनंद सभी उठाते हैं।

दो दिन मनाते हैं होली का त्यौहार

होली का उत्सव दो दिनों तक चलता है। इस पावन त्यौहार की शुरुआत होलिका दहन से हो जाती है , जिस दिन प्रतीकात्मक होलिका बनाकर उसका दहन किया जाता है, और सभी लोग ऐसी कामना करते हैं कि होलिका दहन के साथ उनके जीवन के सभी दुखों का भी दहन हो गया है।

कुछ लोग घर मे ही होलिका दहन करते हैं। इसके लिए वो गाय के गोबर से छोटे छोटे गोल आकार के उपले बना लेते हैं और उन्हें सुखवा लेते हैं।

फिर होलिका दहन के दिन उन्ही उपलों का दहन करते हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन रंग, अबीर, गुलाल खेला जाता है।

इस दिन को होली धुलेंडी कहते हैं। इस दिन क्या बच्चे, क्या युवा सभी मस्ती में चूर होते हैं। सुबह से लोग रंग खेलना शुरू कर देते हैं।

लोग सभी के घर जाते हैं, रंग लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं। करीब दोपहर तक रंग खेलने का कार्यक्रम चलता है।

इसके बाद सब लोग नहाकर और नए वस्त्र धारण करते हैं। शाम के वक़्त लोग अपने सगे संबंधियों से मिलते हैं और उन्हें होली पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।

विद्यालयों और कार्यालयों में होली

सभी विद्यालयों में होली के पहले ही छुट्टी घोषित कर दी जाती है, लेकिन बच्चे अपने मित्रों को रंग लगाने से बिलकुल भी नही चूकते।

स्कूल का समापन होने के बाद विद्यार्थी स्कूल प्रांगण में ही जमकर रंगों की बारिश कर देते हैं। जो बच्चे सुबह साफ सुथरे स्कूल परिधान में घर से निकले थे उन्हें अब पहचानना भी बहुत मुश्किल हो रहा होता है।

वही कार्यालयों में लोग मर्यादित रहते हैं। होली के वक़्त जो लोग एक दूसरे से नही मिल पाएंगे वो पहले से ही होली की बधाई दे देते हैं।

माथे पर अबीर और गले लगकर एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन सभी कार्यलयों का अवकाश रहता है।

होली आनंद और मस्ती का त्यौहार है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लोग आपसी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। यही इस त्यौहार की सबसे बड़ी खूबी है।

Essay On Holi in Hindi (600 Words)

रंगों का त्यौहार होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो यह त्यौहार हिंदुओं का त्यौहार है लेकिन फिर भी देश के अलावा विदेशों में भी होली खेली जाती है।

सबसे ज्यादा हिन्दू भारत मे ही रहते हैं। भारत के अलावा नेपाल में भी होली काफी धूमधाम से मनाई जाती है। पाकिस्तान और बाकी के अन्य देश जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक है वहाँ भी होली का पर्व सब मिलजुल कर मनाते हैं।

होली कब मनाई जाती है? | When is Holi celebrated?

हिन्दू कैलेंडर के आधार पर होली का पर्व प्रति वर्ष मार्च के फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यदि आम कैलेंडर के अनुसार देखे तो यह कभी कभी फरवरी में भी पड़ जाता है।

होली एक ऐसा पर्व है जिसमे लोग अपने सभी दुख भूलकर खुलकर हँसते है, मस्ती करते हैं और अपने गिले शिकवे भूलकर गले मिलते है, एक साथ वक़्त गुजारते है और परिवार के लोगो से मिलते जुलते हैं।

होली मनाने के पीछे की वजह | Why we Celebrate Holi in Hindi.

होली त्यौहार मनाने के पीछे की अनेक वजहें है लेकिन सभी का सार यही निकलता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

सच कभी हारता नही है, परेशान भले हो सकता है, लेकिन अंत मे विजय सत्य की ही होती है। फाल्गुन मास में मनाया जाने वाला त्यौहार होली फगवाह नाम से भी जाना जाता है।

होली त्यौहार ठंडी और गर्मी के संधिकाल में मनाया जाता है। इसी दौरान खेतों में फसलें लहराने लगती है, सरसों खेतों में पूरी तरह खिल चुकी होती है।

धान की बालियां अब पक चुकी होती है। होली का संबंध भी फसलों से है। होली शब्द की उत्पत्ति होला से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है भगवान की पूजा करना ताकि नई और अच्छी फसल मिल सकें।

होली से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ | Mythological stories related to Holi.

कोई हिन्दू त्यौहार हो और उसके पीछे कोई पौराणिक कहानी न हो ऐसा बहुत कम होता है। होली से संबंधित भी कई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित है जो निम्नलिखित है:-

होलिका की कहानी

होलिका की कहानी सबसे ज्यादा लोकप्रिय कहानी है होली के संबंध में। बहुत पहले की बात है एक दैत्य था जिसका नाम हिरणकश्यप था, उसकी एक बहन होलिका और पुत्र प्रह्लाद था।

हिरणकश्यप खुद को भगवान मानता था और सभी को यह कहता था कि उसकी पूजा करें लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त थे और उन्ही की आराधना करते थे।

हिरणकश्यप को यह बात बिलकुल भी अच्छी नही लगती, इसलिए वह प्रह्लाद को जान से मारने की कोशिश करने लगा।

इसके लिए पहले उसने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे फिकवाया लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें बचा लिया। इसके बाद उन्हें गर्म तेल के कड़ाहे में डाल दिया पर प्रह्लाद वहाँ भी बच गये।

अपने सारे तरीके असफल होते देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका के पास एक साड़ी थी। उसे पहनकर यदि वो आग में भी बैठ जाती तो भी नही जलती।

इसलिए वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। लेकिन तभी तेज हवाएं चलने लगी और वह साड़ी होलिका के शरीर से अलग हो गई और प्रह्लाद के शरीर से लिपट गई, जिससे प्रह्लाद तो आग से बच गए लेकिन होलिका जल गई।

होलिका का दहन होना इस बात का प्रतीक था कि बुराई कभी भी अच्छाई को हरा नही सकती। इसी वजह से हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है।

कामदेव से जुड़ी एक कहानी

होली और होलिका दहन की एक कहानी कामदेव से भी जुड़ी है। शिव से ध्यान में लीन थे, पार्वती बहुत कोशिश कर रही थी कि शिव ध्यान से उठे क्योंकि उन्हें विवाह करना था लेकिन वह सफल नही हुई।

तब उन्होंने कामदेव से मदद माँगी। कामदेव ने एक पुष्प बाण चलाई, और वह जाकर शिव जी की तीसरी आँख में लग गई।

शिव जी गुस्सा हो गए और तीसरी आँख खोल दी जिससे कामदेव भस्म हो गए। लेकिन उनकी पत्नी रति का रो रो कर बुरा हाल हो गया।

अगले दिन शिव जी का गुस्सा जब शांत हुआ तो उन्होंने कामदेव को वापस जीवनदान दिया। जिस दिन कामदेव भस्म हुए थे उस दिन होलिका दहन मनाई जाने लगी और जिस दिन उन्हें दूसरा जीवन मिला, वह होली के तौर पर मनाई जाने लगी।

कृष्ण और पूतना की कहानी

कंस कृष्ण को मारना चाहता था इसीलिए उसने पूतना को गोकुल भेजा। कृष्ण को मारने के मकसद से पूतना नामक राक्षसी ने कृष्ण को अपनी गोद में लिया और उसे स्तनपान कराने लगी।

स्तनपान के दौरान उसने श्रीकृष्ण को विषपान कराया लेकिन कृष्ण को कुछ नहीं हुआ बल्कि पूतना की मृत्यु हो गई। ऐसा कहा जाता है उसी वक्त से होली का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कृष्ण से जुड़ी नगरी जैसे ब्रज, मथुरा,वृंदावन,बरसाने,काशी आदि शहरों में होली की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है।

महाभारत से जुड़ी एक प्राचीन कहानी

एक कथा महाभारत से भी जुड़ी है एक कथा के मुताबिक युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण को बताया कि जब श्री राम के पूर्वज रघु का शासन हुआ करता था उस वक्त एक महिला को कोई मार नहीं सकता था वह महिला एक असुर थी और बहुत अत्याचार करती थी।

तभी एक दिन गुरु वशिष्ट ने कहा कि उस औरत को भी मारा जा सकता है लेकिन इसके लिए बच्चों को विशेष कार्य करने होंगे।

उन्होंने बताया कि यदि बच्चे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े लें और शहर के बाहर किसी इलाके में जाएं और उन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों को घास से ढक कर उन्हें जला दें और फिर उस जलती हुई आग के चारों तरफ जश्न मनाए, तालियां बजाए, गाने गाए और परिक्रमा करें। जब उन बच्चों ने ऐसा किया तो उस राक्षसी की मृत्यु हो गई।

पहले रासायनिक रंगों का चलन इतना ज्यादा नही था। अधिकतर रंग प्राकृतिक होते थे। लेकिन आज होली में जिन रंगों का उपयोग किया जाता है वो पक्के रंग होते हैं जो महीनों बाद भी नही छूटते। इसलिए होली खेले, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि किसी को यदि रंगों से दिक्कत है तो उसे जबरन न रंगे, किसी पर पक्का रंग न लगाएं और पूरे मर्यादित तरीके से यह त्यौहार मनाएँ।

मेरा प्रिय त्यौहार होली पर निबंध (My Favorite Festival Essay on Holi in Hindi)

होली के त्यौहार में ना सिर्फ लोगों को रंगा जाता है बल्कि यह त्यौहार लोगों के जीवन में नई खुशियाँ लेकर आता है।

भारत जैसे देश में जहां हर माह कोई न कोई त्यौहार आता है, वहां होली जैसे त्यौहार का विशेष तौर पर इंतजार रहता है यह इस बात का घोतक है कि हमारे जीवन में होली का कितना ज्यादा महत्व है।

होली का त्यौहार एक जश्न है, एक उमंग है, एक आशा है, एक उम्मीद की किरण है। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें निर्धन और अमीर के बीच कोई भेद नहीं रहता क्योंकि सभी एक रंग में रंगे नजर आते हैं।

रंगो के इस पवित्र त्यौहार से जुड़ी कई प्राचीन मान्यताएं हैं। वक्त के साथ यह त्यौहार अपने नए-नए रूप भी दिखाता रहा है, त्योहार को मनाने के तौर तरीकों में आज भले ही बदलाव आ गया हो लेकिन भावना वही है जो पहले हुआ करती थी।

होली त्यौहार से जुड़ी कुछ प्राचीन परम्पराएं | Some ancient traditions related to Holi festival.

होली त्योहार से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जिनको जानने के बाद हमें यह पता चलता है कि यह त्यौहार कितना प्राचीन है। इस त्यौहार की जड़े उतनी ही पुरानी है जितना पुराना हमारे देश का इतिहास है।

प्राचीन काल में यह त्यौहार महिलाओं के द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता था। इस त्यौहार के दिन महिलाएं चंद्र देव की पूजा करती थी और अपने घर एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती थी।

धीरे-धीरे यह त्यौहार किसानों के द्वारा भी मनाया जाने लगा। किसान अपने कच्चे अन्न का यज्ञ में दान किया करते थे और उसका प्रसाद लेते थे। ऐसा करने का उद्देश्य था फसल की पैदावार अच्छी हो।

उस जमाने में अन्न को होला नाम से पुकारा जाता था इसी वजह से इस त्यौहार का नाम होलिकोत्सव पड़ गया।

भारतीय कैलेंडर के हिसाब से देखें तो चैत्र नवरात्रि से नव वर्ष प्रारंभ हो जाता है होली का पर्व चैत्र नवरात्रि के कुछ पहले ही मनाया जाता है। इस आधार यह भी कहा जा सकता है कि होली पर्व नवसंवत और वसंत मौसम के आगमन का भी प्रतीक है।

ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन पृथ्वी के प्रथम पुरुष मनु जन्मे थे इसी वजह से इस दिन को मन्वादि तिथि भी कहा जाता है।

भारत में मनाए जाने वाली कुछ विशिष्ट होली | Some special Holi celebrated in India.

मथुरा और वृंदावन में होली का उत्सव.

भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और उनकी लीलास्थली मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही जश्न देखने को मिलता है।

यहां मनाई जाने वाली होली इतनी प्रसिद्ध है कि देश के कोने-कोने से लोग होली के पर्व में सम्मिलित होने के लिए यहां आते हैं।

मथुरा और वृंदावन में मनाई जाने वाली होली प्रेम और भक्ति का अनोखा संगम है, जिसमें होली मनाते वक्त तरह-तरह की प्रेम लीलाएं की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि होली पर्व की शुरुआत श्री कृष्ण और राधा रानी के द्वारा ही की गई थी।

बरसाने की लठमार होली

बरसाना उत्तर प्रदेश का एक गांव है जहां पर मनाई जाने वाली लठमार होली पूरे देश में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके चर्चे हमें हर जगह सुनने को मिल जाते हैं।

बरसाने के आस-पास के गांव में रहने वाले लोग इस होली को देखने के लिए विशेष रूप से होली के दिन एकत्रित होते हैं। यह होली बरसाना और नंदगांव कि महिलाओं और पुरुषों के बीच खेली जाती है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण जब अपने बाल्यावस्था में थे तब वह राधा रानी को देखने के लिए बरसाने आए थे लेकिन इस दौरान उन्होंने राधा रानी को तो परेशान किया ही साथ ही साथ उनकी सखियों को भी छेड़ दिया था जिसके बाद सखियां उनके पीछे दौड़ी थी ऐसा कहा जाता है तभी से यहां लट्ठमार होली की प्रथा चली आ रही है।

इस दिन महिलाएं पुरुषों को लाठी से मारती हैं। इस होली को मनाने के लिए सभी लोग बरसाने की राधा रानी मंदिर में एकत्रित हो जाते हैं। जिसके बाद नंदगांव के चरवाहे बरसाने की महिला चरवाहों के साथ और बरसाने के चरवाहे नंदगांव की महिला चरवाहों के साथ होली खेलते हैं। यह होली देखने में बहुत ही मनोरंजक लगती है।

बंगाल में मनाई जाने वाली डोल पूर्णिमा होली.

यह होली बंगाल और ओडिशा में मनाई जाती है। इस होली की खासियत यह है कि कृष्ण और राधा रानी को होली के दिन पहले एक डोल में बैठाया जाता है, इसके बाद पूरे गाँव मे घुमाया जाता है। साथ में भजन-कीर्तन और रंगों वाली होली भी चलती रहती है।

युगांश होली

भारत के पूर्वी राज्य मणिपुर में पूरे 6 दिनों तक होली मनाई जाती है इस होली को युगांश होली के नाम से जाना जाता है।

इस होली की शुरुआत भी होलिका दहन के दिन से होती है लेकिन यहां होलिका दहन के दिन घासफूस की एक झोपड़ी बनाई जाती है जिसके बाद उसमें आग लगाई जाती है और होलिका दहन मनाया जाता है।

इसके बाद अगले दिन लड़कों की टोलियां लड़कियों की टोलियों के साथ होली खेलते हैं। होली खेलने के बाद वह लड़कियों को उपहार भी देते हैं।

होली के पर्व के दौरान लोग भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में पीले और सफेद रंग के परिधान ही पहन कर जाते हैं और थाबल चोंगबा वाद्ययंत्र के साथ संगीत एवं नृत्य करते हैं।

यहां होली का पर्व विशेष इस वजह से भी होता है क्योंकि होली के पर्व के दिन लड़के-लड़कियों को एक दूसरे से मिलने का अवसर दिया जाता है।

लड़के-लड़कियां एक दूसरे के ऊपर गुलाल लगाते हैं और ढोल-ढोलक-चोलाम नामक नृत्य एक साथ करते हैं।

पंजाब की होली मोहल्ला

होली के अगले दिन पंजाब की एक जगह होलगढ़ में होला मोहल्ला मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सिख गुरु के द्वारा की गई थी होला-मोहल्ला एक तरह का बनावटी हमला है,जिसमें पैदल, घुड़सवार, तीरंदाज दो अलग-अलग गुटों में बढ़ जाते हैं और फिर एक दूसरे पर हमला करते हैं।

होला-मोहल्ला मे मोहल्ला शाब्दिक अर्थ है मय हल्ला जहां पर मय अर्थात बनावटी और हल्ला का मतलब हमला है।

सिख समुदाय के लिए होला-मोहल्ला का बहुत ज्यादा महत्व है। श्री गुरु गोविंद सिंह ने होला-मोहल्ला की शुरुआत इस वजह से की थी ताकि सिख समुदाय के लोगों मैं युद्ध कौशल का विकास हो सके।

मटकी फोड़ होली.

देश के कई राज्यों में मटकी फोड़ होली का बहुत ज्यादा चलन है खासकर महाराष्ट्र और गुजरात मे। मटकी फोड़ होली में एक मटकी को ऊँचाई पर बांध दिया जाता है जो मक्खन से भरी होती है। मटकी ऊँचाई पर टाँगने का काम महिलाएं करती है।

इसके बाद पुरुष टोली बनाकर इस मटकी तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। पुरुषों की कई अलग अलग टोलियाँ इसे छूने का प्रयास करती है, लेकिन सभी सफल नही हो पाते। देखने मे यह बहुत ही दिलचस्प लगता है।

आपसी प्रेम और सद्भाव बढ़ाने वाला त्यौहार बड़ी ही सादगी से मनाया जाना चाहिए। जैसा कि आज हम सब जानते है कि दुनियाँ शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रही है। ऐसे में हमारा यह दायित्व बनता है कि रंगों की जगह गुलाल से होली खेले और बेशकीमती पानी को बचाएं।

Holi Quotes in Hindi

होली का पर्व तभी आनंददायक लगता है जब अपने दोस्तों और परिवार से मिलते हैं, बात करते हैं। लेकिन यदि वो हमसे बहुत दूर रह रहे हो तो फिर शुभकामनाएं संदेश भेजना सबसे बेहतर रहता है। होली त्यौहार से जुड़े कुछ प्रसिद्ध Quotes इस प्रकार है:-

रंगों के त्यौहार में सभी की हो भरमार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार, यही दुआ है भगवान् से हमारी हर बार, होली मुबारक हो मेरे यार|

राधा का रंग और कान्हा की पिचकारी , प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी , ये रंग न जाने कोई जात न कोई बोली मुबारक हो आपको रंग भरी होली !!

ये रंगो का त्यौहार आया है साथ अपने खुशियाँ लाया है हमसे पहले कोई रंग न दे आपको इसलिए हमने शुभकामनाओं का रंग सबसे पहले भिजवाया है हैप्पी होली।।

होलिका दहन क साथ बीते पूरे वर्ष की सारी कड़वी यादों, अनुभवों और दु:खों को जलाकर आने वाले नववर्ष में प्रेम, उल्लास, आनंद, उमंग और भाईचारे के साथ जीवन व्यतीत करें। होली की हार्दिक शुभकामनायें | |

रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो बहार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार, यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार, होली मुबारक हो आपको दिल से हर बार। “Happy Holi

आज की होली में आपके सब सुख दर्द जल जाए और कल की रंगपंचमी के सारे रंग आपके जीवन में खुशियों से भर जाए। “Happy Holi.

इससे पहले की होली की शाम हो जाए, बधाईंयो का सिलसिला आम हो जाए.. और सारा नेटवर्क जाम हो जाए… क्यों ना एडवांस में होली की राम-राम हो जाए।

खाले गुजिया और पीले थोड़ी ठंडाई; सुंदर लगे तू रंगों में नहाई; मेरे संग भी खेल ले होली; और बन जा मेरी लुगाई! हैप्पी होली मुबारक हो!

साधे रंग को गलती से आप ना कोरा समझो, इसी में समाये इन्द्रधनुषी सातों रंग, जो दिखे आपको जिंदगी सादगी भरी किसी की, तो आप यूँ समझो सतरंगी है दुनिया उसकी, होली आयी सतरंगी रंगों की बौछार लायी, ढेर सारी मिठाई और मीठा-मीठा प्यार लायी। “Happy Holi

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Holi Essay in English and Hindi for Students

Holi Essay, recognized as the Festival of Colors, is a lively and inclusive celebration that goes beyond cultural and geographical confines. In this article, we’ll give you some of the best essays on holi for class 3, class 4, class 6, and more!

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October 11, 2023

Holi Essay

Table of Contents

Holi Essay : Holi is a fun and colorful festival celebrated in India. It’s a time when people play with colors, eat delicious sweets, and enjoy time with family and friends. We also remember a story from long ago when a good boy named Prahlad was saved from a bad demoness named Holika.

Before Holi, we light a big fire called “Holika Dahan” to show that good is stronger than bad. On the main day of Holi, we throw colorful powders and water balloons at each other. It’s like a big paint fight, but everyone laughs and has a great time.

Paragraph on Essay on Holi in English

Holi, the Festival of Colors, is a vibrant celebration in India, marking the triumph of good over evil and the arrival of spring. Lasting two days, it begins with Holika Dahan, a bonfire night, and culminates in Rangwali Holi, a day of colourful revelry. The festival breaks down social barriers, fostering unity as people play with coloured powders and water. Holi promotes forgiveness and renewal, symbolised by the diverse colours representing the hues of life. Beyond India, Holi’s popularity has spread globally, emphasising the universal message of joy and unity.

Holi Essay

Class 7 Essay on Holi

Holi, also recognized as the Festival of Colors, stands out as a vibrant and joyful celebration in India, drawing participants of various ages and fostering a sense of community through a burst of colours and exuberance. This springtime festival holds a special significance, promoting unity, joy, and a spirit of togetherness.

Holi’s origins lie in Hindu mythology, featuring numerous legends. Among these, the tale of Prahlad and Holika is prominent, symbolising the triumph of good over evil. The ritual burning of the Holika pyre on the eve of Holi signifies the victory of virtue and the end of darkness.

Spanning two days, Holi commences with Holika Dahan, where people gather to burn effigies of Holika, marking the defeat of malevolent forces. The second day, Rangwali Holi, witnesses vibrant celebrations with the playful use of dry and wet colours, water balloons, and water guns, transforming streets into a colourful spectacle.

Colours hold a pivotal role in Holi, representing the diversity of nature, the onset of spring, and the festive spirit. Participants apply coloured powders, or “gulal,” creating a lively atmosphere. The act of playing with colours also symbolises breaking down social barriers and promoting equality.

Holi transcends religious and social boundaries, bringing together individuals from diverse backgrounds. Irrespective of age, gender, or social status, people unite to revel in the joy of Holi, fostering a sense of community and brotherhood.

Amidst the festive fervour, it is crucial to adhere to safety measures. The use of eco-friendly and organic colours ensures an environmentally friendly celebration. Practising water conservation and respecting consent when applying colours contribute to a responsible and enjoyable Holi celebration.

In summary, Holi extends beyond its religious and cultural origins, spreading joy to people of all backgrounds. The Festival of Colors imparts values of unity, love, and the triumph of good over evil. Amidst the vibrant colours, let us embrace Holi’s underlying message of togetherness and harmony, transcending the lively celebration’s colourful streets.

Essay on Holi for Class 3

Holi, the Festival of Colors, is a joyous celebration in India during spring. It’s a vibrant party where people play with colours, creating a lively atmosphere resembling a giant game of colourful tag.

The essence of Holi lies in the hues that fill the air, turning everything into a lively rainbow. Laughter echoes, and smiles grace every face as people partake in this lively event.

Beyond the colour play, Holi is enriched with fascinating stories. One recounts the victory of the virtuous Prahlad over the malevolent demon aunt Holika, aided by the god Vishnu. Holi, thus, signifies the triumph of goodness over adversity.

Preparing for Holi involves cleaning and decorating homes, donning new attire, and acquiring special colours and water balloons for the impending revelry. It’s a prelude to what promises to be the ultimate celebration.

When Holi arrives, everyone gathers outside, engaging in spirited colour battles. Bright powders and water transform friends and family into living rainbows, while the joy is heightened by the sharing of delectable sweets and snacks.

Holi fosters camaraderie and merriment, providing an opportunity to forge new friendships and revel in the company of old ones. It’s a neighbourhood-wide playdate where disputes are set aside for the shared enjoyment of the festivities.

Amidst the revelry, safety and kindness are paramount. The use of gentle, harmless colours is emphasised, and water play is reserved for those who welcome it. It’s a reminder to play responsibly and respectfully.

In conclusion, Holi is an enchanting time marked by colours, laughter, and companionship. It’s a celebration of goodness and an occasion to revel with everyone around. So, let’s drench ourselves in those vibrant colours, indulge in sweet treats, and create enduring memories during this splendid Festival of Colors!

Essay on Holi in English 150 Words

Holi, the lively festival of colours, is enthusiastically celebrated throughout India with great joy. It symbolises the victory of good over evil and the advent of spring. The festivities kick off with a bonfire on the eve of Holi, representing the defeat of Holika, a demoness. The following day involves people engaging in playful activities with coloured powders and water, spreading joy and camaraderie.

Holi transcends societal divides as individuals of various ages and backgrounds come together to revel in its festive spirit. The streets transform into a vibrant spectacle of colours, resonating with laughter and music. Traditional treats such as gujiya and thandai enhance the festive atmosphere.

However, it is essential to partake in Holi responsibly, respecting the consent of others and utilising eco-friendly colours to safeguard the environment. Holi, with its spirited colours and cultural significance, promotes unity and reflects the diversity that characterises India. It serves as a time to cherish bonds of friendship and family while embracing the liveliness of life.

Essay on Holi 100 Words

Holi, a vibrant festival in India, is a celebration of joy and friendship marking the arrival of spring. Bright coloured powders and water are used, spreading happiness. Holi unites people, breaking down differences and fostering togetherness. Families and friends relish the lively festivities, laughing and celebrating with enthusiasm. It’s a moment when worries are forgotten, and love is shared through vibrant colours. Holi transcends being just a festival; it’s a simple yet beautiful way to bring people closer and spread happiness.

Essay on Holi 500 Words

Holi, a festive celebration in India, is renowned for its vibrant colours and lively ambiance. People of all ages gather to revel in the joyous occasion. This essay delves into the uncomplicated yet delightful facets of Holi, elucidating its universal significance.

Holi stands out for its playful use of colours—powders and water turned into tools for a jubilant paint fight. These hues symbolise the vivacious spirit of spring, uniting individuals of various ages in a festive and inclusive environment.

The festival carries an intriguing narrative featuring Prahlada, a virtuous character, and Holika, a malevolent one. The tale imparts the message of righteousness prevailing over malevolence, emphasising the importance of choosing the path of goodness. This narrative deepens the meaning behind Holi’s festivities.

Holi serves as an occasion for families and friends to unite, sharing laughter and exchanging sweets. Regardless of background, this festival fosters closeness, creating a day where everyone is equal, transcending differences in the spirit of joy and togetherness.

Beyond the colour play, Holi involves diverse traditional customs. The day commences with prayers and offerings, followed by processions and familial gatherings. Traditional dances and music contribute to the festive ambiance, blending merriment with cultural richness.

Holi also doubles as a culinary feast, with families preparing special sweets and snacks. Scents of delicacies like gujiyas and puran poli permeate the air, offering a gustatory delight. Sharing these delectable treats with loved ones adds a special touch to the celebration.

In contemporary times, environmental awareness prompts some to opt for natural and eco-friendly colours during Holi, showcasing a commitment to nature. This evolution highlights how celebrations can adapt and become more sustainable, making Holi a joyous and eco-friendly affair.

Holi, a day of vibrant colours, joy, and unity, is a celebration accessible to all. It encompasses laughter, delectable cuisine, and the warmth of familial and friendly bonds. As the colours settle, Holi leaves behind a lingering sense of happiness and unity, reminding us of life’s simple yet profound joys.

Essay on Holi for Class 6

Holi, the Festival of Colors, is a joyful celebration in India, marking the arrival of spring. It’s more than just colour splashing; it symbolises good triumphing over evil. Exploring Holi’s meaning and traditions can be exciting for a sixth-grader.

Holi has deep historical roots in Hindu mythology, like the stories of Prahlad and Holika. Prahlad’s devotion and Holika’s burning represent the victory of good over evil. Understanding these stories adds richness to the festival.

During Holi, people unite, setting aside differences to celebrate joy and unity. It starts with Holika Dahan, a bonfire symbolising God’s triumph. The next day is full of fun with coloured powders, water balloons, and playful banter.

Colours in Holi have meanings – red for purity, green for vitality, blue for calmness, breaking social barriers, and spreading happiness. Exploring these meanings adds cultural understanding.

Holi brings communities together, promoting togetherness, forgetting differences, fostering harmony, and unity. It teaches us to spread love and joy in our communities.

Celebrating Holi responsibly is crucial. Use natural colours for safety and minimal environmental impact. Save water, a precious resource, during celebrations.

In conclusion, Holi is not just about colours; it celebrates life, love, and unity. Learning about its history, rituals, and symbolism can deepen a sixth-grader’s appreciation for this vibrant festival. When playing with colours, remember the stories behind them and cherish the togetherness that makes Holi special.

Essay on Holi for Class 4

Holi is a vibrant and joyous festival celebrated in India, marking the arrival of spring and the triumph of good over evil. This colourful festival is especially loved by children, who eagerly await the day to indulge in the playful and spirited atmosphere. For a class 4 student like you, Holi is not just about colours; it’s about fun, friendship, and cultural significance.

The festival usually falls in March, and its preparations start well in advance. People clean their houses, buy new clothes, and make delicious sweets to share with friends and family. The excitement builds as the day approaches, and on the day of Holi, the air is filled with laughter and the smell of festive foods.

The most exciting part of Holi for children is, undoubtedly, the playing with colours. Bright powders and water balloons of all hues transform the surroundings into a kaleidoscope of colours. Friends and family chase each other, smearing each other’s faces with colour and sharing hearty laughs. It’s a day when everyone is equal, covered in colours that erase differences and promote a sense of unity.

One of the traditional aspects of Holi is the lighting of a bonfire the night before, known as Holika Dahan. This ritual symbolises the victory of good over evil, commemorating the tale of Prahlad and Holika from Hindu mythology. Families gather around the bonfire, sing songs, and pray for the well-being of their loved ones.

Apart from the sheer joy of playing with colours, Holi also brings people together. It is a time to forget differences, forgive past grievances, and renew relationships. The saying “Bura Na Mano Holi Hai” (Don’t mind, it’s Holi) captures the essence of the festival, encouraging a spirit of forgiveness and camaraderie.

However, amidst all the fun, it’s essential to play Holi responsibly. Using safe, eco-friendly colours ensures that the celebration doesn’t harm the environment or anyone’s health. It’s also crucial to respect the personal space and consent of others, ensuring that the festivities remain enjoyable for everyone.

In conclusion, Holi is much more than just a festival of colours. It’s a celebration of life, love, and the triumph of good over evil. As a class 4 student, cherish these moments of joy and friendship, and remember the cultural and spiritual significance that makes Holi a truly special occasion. 

Holi Essay in Hindi

Below we are providing a Holi Essay in Hindi for Students. it will help you to enhance your knowledge and also help in school essay writing competition.

होली, रंगों का त्योहार, भारत में मनाए जाने वाले सबसे रंगीन और खुशियों भरे त्योहारों में से एक है। यह आमतौर पर मार्च महीने में आता है और बसंत के आगमन का संकेत देता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत और एकता की भावना के बारे में भी है।

होली की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में निहित है, खासकर होलिका और प्रहलाद की कहानी में। होलिका, दानवी राक्षस, ने प्रहलाद को भगवान विष्णु के भक्त को आग में जलाने की कोशिश की। हालांकि, भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की, और होलिका को आग  में नष्ट कर दिया। इस घटना का संकेत अच्छाई की जीत की ओर है, और होली की रात को “होलिका दहन” के नाम से जाने वाले एक बोनफायर को इस जीत का प्रतीक बनाने के लिए जलाया जाता है।

स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन होली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस त्योहार के दौरान गुजियाएं, आटे से बनी जिनमें मिठाई भराई होती है, एक प्रसिद्ध मिठाई होती हैं। ठंडाई, दूध, द्रव्यों, और मसालों से बनी एक पारंपरिक पेय, कई लोगों द्वारा आनंदिति से ली जाती है। लोग इन मिठाईओं को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ आपसी सौहार्द के रूप में विनम्रता के भावना के साथ विनिमय करते हैं।

होली सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, यह प्यार और खुशियों को फैलाने के बारे में भी है। दोस्त और परिवार सभी एक साथ आकर्षित होते हैं, और क्षमा त्योहार का महत्वपूर्ण तत्व है। लोग आपसी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और प्यार और मित्रता के नए बंधनों के साथ फिर से आरंभ करते हैं।

मनोरंजन और उत्सवों के अलावा, होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है। यह वक्त होता है जब लोग मंदिरों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन के एक समृद्ध और समान्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ भारत के क्षेत्रों में, होली को पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ मनाया जाता है, जो इस त्योहार की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।

हाल के वर्षों में, होली भारत की सीमाओं के पार भी पॉपुलैर हो गई है और इसे विभिन्न राष्ट्रीयताओं और संस्कृतियों के लोग दुनिया भर में मनाते हैं। यह भारत की संगीती सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक बन गया है।

होली एक त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाकर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन को रंगों, मिठाईयों, और संगीत के साथ मनाने के लिए बुलाता है। यह वक्त है कि विभिन्नताओं को भूल जाए, क्षमा की जाए, और प्यार और मित्रता के बंधनों को पुनः नवीनतम बनाने का। होली का महत्व इसकी खेलने की प्राकृतिक नईरूप में होने के परे जाता है, क्योंकि यह हमारे जीवन में अच्छाई की महत्वपूर्ण होने का भी एक स्मरण है।

Holi Essay FAQs

Holi is a colorful and joyful festival celebrated in India, signifying the arrival of spring and the victory of good over evil.

Holi usually falls in March, on the full moon day of the Hindu month of Phalgun.

Holi signifies the triumph of good over evil, celebrated through the story of Holika and Prahlad, and it promotes unity and forgiveness.

People play with colored powders, water balloons, and exchange sweets. Bonfires called "Holika Dahan" are lit on the eve of Holi.

Traditional Holi sweets include gujiyas (sweet pastries) and thandai (a spiced milk drink).

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi 2024 (Holi par Nibandh)

Holi Essay in Hindi 2024: हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार (festival of colours) भी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम विद्यार्थियों के लिए होली पर हिंदी निबंध लेकर आए हैं। यहाँ से students अपनी पसंद और आवश्यकता के अनुसार होली पर निबंध का चयन कर सकते हैं। यदि आपने भी अपने स्कूल में होली के अवसर पर निबंध लेखन प्रतियोगिता (Essay writing competition) में भाग लिया है तो आप हमारे द्वारा प्रस्तुत कराए गए essays की मदद से होली पर एक शानदार निबंध लिख सकते हैं। Essay on Holi in Hindi for students.

Holi Essay in hindi

होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते हैं।

दीपावली की तरह होली जैसे त्यौहार पर भी स्कूल आदि में शिक्षकों (Teachers) द्वारा बच्चों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है ऐसे में सभी विद्यार्थी एक उत्कृष्ट निबंध (Excellent essay) लिखने की कोशिश करते हैं।

इस आर्टिकल में हमने 1 से 12 कक्षा के विद्यार्थियों के लिए होली पर छोटे, बड़े, आसान और सरल निबंध प्रस्तुत कराए है जो छात्रों की होली पर निबंध लिखने में बहुत सहायता कर सकते हैं।

  • 1.1 Holi Essay in Hindi 2024 (निबंध 1) of 50 Words
  • 1.2 होली पर निबंध 2 (100 Words)
  • 1.3 Beautiful Essay on Holi in Hindi font for kids
  • 1.4 My Favourite Festival Holi Essay in Hindi
  • 1.5 Holi Essay In Hindi 10 Lines
  • 1.6 Short Essay on Holi in Hindi for Class 1, 2, 3, 4 to 5 Students
  • 1.7 Paragraph On Holi in Hindi (150 words)
  • 1.8 10 Lines on Holi Festival in Hindi Language
  • 1.9 Holi par nibandh in hindi
  • 1.10 Holi Essay hindi mein (200 Words)
  • 1.11 Sample Essay on Holi in Hindi language
  • 1.12 Holi par Essay in Hindi
  • 1.13 Simple Essay on Holi in Hindi for Children
  • 1.14 How to Write an Essay on Holi in Hindi (250 Words)
  • 1.15 Essay Writing on Holi in Hindi
  • 1.16 Short and Long Essay on Holi in Hindi (300 Words)
  • 1.17 Write a Short Essay on Holi in Hindi
  • 1.18 Holi Essay in Hindi for Students and Children
  • 1.19 Essay on Holi in Hindi (350 Words)
  • 1.20 Holi Festival Essay in Hindi (400 Words)
  • 1.21 Best Essay on Holi in Hindi (450 Words)
  • 1.22 Essay on Festival of Colours in Hindi (500 Words)
  • 1.23 निष्कर्ष, (Conclusion)

होली पर हिन्दी निबंध (Holi Essay in Hindi for Students, Essay on Holi 2024 in Hindi, Holi par nibandh hindi mein)

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Holi Essay in Hindi 2024 (निबंध 1) of 50 Words

होली का त्यौहार बच्चों के लिए विशेष रूप से मजेदार और आनंदमय होता है। होलिका दहन के दिन लकड़ी एकत्र की जाती है। सभी महिलाएं होलिका दहन के दिन शाम को होली जलाने से पहले होली की पूजा करती हैं।

सभी धर्मों के लोग एक साथ होली मनाते हैं। होली के दिन हर कोई एक-दूसरे को रंग (colour) लगाकर एक-दूसरे के प्रति प्यार जताता है।

होली पर निबंध 2 (100 Words)

होली हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। यह हिंदू धर्म का त्योहार है लेकिन सभी धर्मों के लोगों द्वारा इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन सभी एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन (holika dahan) किया जाता है, जो रात में होता है।

होलिका दहन के पीछे एक पौराणिक कथा (mythology) है जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। होली के दिन, लोग सभी शिकायतों को भूल जाते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। होली का त्यौहार एक साथ मिलजुल कर मनाया जाता है।

Beautiful Essay on Holi in Hindi font for kids

होली का त्यौहार एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार (beautiful festival) है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है। इसे रंगोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। होली दो दिन का त्योहार है। इस दिन हम शाम को होलिका दहन करते हैं और दूसरे दिन हम एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाते हैं।

यह होली का त्यौहार वसंत के मौसम (Spring season) के आगमन पर मनाया जाता है। हमारे भारत में, यह त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हम इस त्योहार पर रंगों और गुलाल से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।

इस दिन हमारी माँ विशेष मिठाइयाँ बनाती हैं। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

My Favourite Festival Holi Essay in Hindi

होली एक प्रसिद्ध त्योहार (famous festival) है। यह रंगों का त्योहार है। होली दो दिवसीय त्योहार है। हम पहले दिन की रात को होलिका दहन करते हैं। दूसरे दिन लोग रंगों से खेलते हैं। होली हर साल फालुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।

यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है। इस दिन सभी लोग पके हुए खाद्य पदार्थों जैसे गुझिया, पापड़, दही भल्ले आदि का सेवन करते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु ने अपने महान भक्त प्रह्लाद को होलिका से बचाया था। होली बुराई पर अच्छाई की जीत को चिन्हित करता है।

Holi Essay In Hindi 10 Lines

होली पूरे भारत में और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। होली रंगों का त्यौहार है और लोग इस दिन रंग लगाते हैं। होली खुशी का त्योहार है जो वसंत के आगमन का प्रतीक है।

होली को आशा और आनंद का प्रतीक माना जाता है। यह एक अच्छी फसल के लिए धन्यवाद के रूप में मनाया जाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

यह त्योहार मार्च के महीने में और कभी-कभी फरवरी के महीने में आता है। होली का त्यौहार हम सभी को मिलकर मनाना चाहिए।

Short Essay on Holi in Hindi for Class 1, 2, 3, 4 to 5 Students

होली रंगों का त्योहार है। यह हिन्दुओं के त्योहार के रूप में है, लेकिन अब हर कोई एक-दूसरे पर रंग उड़ाने के माध्यम से प्यार को साझा करने की इस सुंदर संस्कृति में लिप्त है।

होली प्यार में एक दूसरे को रंग देने का प्रतीक है। होली को सभी संस्कृतियों और राज्यों (Cultures and states) द्वारा व्यापक रूप से भारत में मनाया जाता है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार (fun festival) है।

छोटे बच्चे पानी के रंगों के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छा भोजन और पल साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग होली के इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

Paragraph On Holi in Hindi (150 words)

होली का त्यौहार एक हिंदू त्यौहार (hindu festival) है जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है। रंगों का त्योहार प्रेम, हंसी, दोस्ती, आशा और खुशी का उत्सव (celebration of happiness) है।

यह व्यापक रूप से भारत (India) के सबसे रंगीन त्योहार (colorful festival) के रूप में जाना जाता है, और इसे आमतौर पर गुलाल, रंगीन पाउडर के साथ वसंत के रंगों की नकल करते हुए मनाया जाता है।

आमतौर पर हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन (मार्च) की पहली पूर्णिमा को मनाया जाता है, होली सभी उम्र के लोगों के लिए एक बहुत अच्छा पर्व है।

एक ऐसा पर्व जो एक दूसरे के साथ जुड़ने, एक दूसरे के साथ गाने और नृत्य करने, भोजन साझा करने के लिए, और आगे आने वाले दिनों की आशा जगाता है। अब इसे पूरे विश्व में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

10 Lines on Holi Festival in Hindi Language

होली वसंत के मौसम में हर साल मनाया जाने वाला रंगों का त्यौहार है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भूल जाते हैं और होली के दौरान एक दूसरे के साथ रंगों से खेलते हैं।

होलिका दहन पूर्णिमा के दिन शाम को किया जाता है जहाँ होलिका दहन के प्रतीक के रूप में लकड़ी का एक बड़ा ढेर जमीन पर जलाया जाता है। महिलाएं इस दौरान पारंपरिक गीत (traditional songs) गाती हैं।

अगले दिन सुबह लोग रंगों से खेलते हैं। छोटे बच्चे (small children) रंगीन पानी से गुब्बारे (balloons) भरते हैं और एक दूसरे पर फेंकते हैं। लोग इस त्योहार का आनंद गाते हुए, नाचते हुए और स्वादिष्ट भोजन (delicious food) करके लेते हैं।

हर कोई इस दिन परिवार (family) और दोस्तों (friends) से मिलता है और अपनी खुशी का इजहार करता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

Holi par nibandh in hindi

होली को रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों (important festivals) में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में हिन्दू धर्म के अनुयायियों (followers) द्वारा उत्साह और उमंग के साथ होली मनाई जाती है।

जो लोग इस त्यौहार को मनाते है वे हर साल रंगों के साथ खेलने और मनोहर व्यंजनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है।

लोग अपनी परेशानियों को भूल जाते है और भाईचारे का त्योहार मनाने के लिए इस त्यौहार का आनंद लेते है। दुसरे शब्दों में हम अपनी दुश्मनी भूल जाते है और त्यौहार की भावना में खो जाते है।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों के साथ खेलते है और त्यौहार के सार में रंग पाने के लिए उन्हें एक दुसरे के चेहरे पर लगाते है।

Holi Essay hindi mein (200 Words)

हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्यौहार सारे देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

होली प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन रात में होलिका दहन होता है। होलिका दहन के अगले दिन सुबह सभी एक दुसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं।

प्रत्येक घरों में मिठाइयाँ और पकवान बनाए जाते हैं। बच्चे उन्हें खाकर बहुत प्रसन्न होते हैं। रंग खेलने के बाद सभी नहा धोकर नए-नए वस्त्र पहनते हैं। सभी इर्ष्या-द्वेष भुलाकर एक-दुसरे के घर जाकर आपस में गले मिलते हैं।

इस दिन लोग एक दुसरे को होली की बधाई देते हैं। होली का कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह तक चलता है। जगह-जगह होली मिलन समारोहों का आयोजन होता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो समाज में प्रेम और भाईचारे को बनाए हुए है।

Sample Essay on Holi in Hindi language

परिचय: भारत मेलों और त्योहारों का देश है। हिन्दुओं, मुसलमानों और ईसाईयों के अपने त्योहार हैं। होली हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह खुशी और दोस्ती का त्योहार (festival of friendship) है।

उत्सव का समय: यह मार्च-वसंत के मौसम में मनाया जाता है। वसंत वर्ष के सभी मौसमों में सबसे अच्छा है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है।

इसके पीछे की पौराणिक कथा: यह भक्त प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। उसे ईश्वर पर बहुत भरोसा था। उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे यातनाएं दीं लेकिन उसने भगवान में अपना विश्वास नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रह्लाद के साथ अग्नि की ज्वाला में बैठने को कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद ने लपटों से अछूते को हटा दिया।

यह कैसे मनाया जाता है: शहर के कई स्थानों पर रात में होली जलाई जाती है। ढोल पीटा जाता है। लोग नाचते और गाते हैं। वे गुलाल से एक-दूसरे का मुंह रंगीला बना देते हैं। वे खाते हैं, पीते हैं, नाचते हैं और आनंद लेते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। उन्होंने घर में तैयार मिठाइयों को साझा किया।

निष्कर्ष: वास्तव में, होली रंगों का त्योहार है। अगर हमारे दिल में उमंग और खुशी है।

Holi par Essay in Hindi

होली हिंदुओं का लोकप्रिय त्योहार (popular festival) है। यह प्रत्येक वर्ष पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह बहुत ही मनोहर त्यौहार है। एक-दुसरे पर रंग डालने और अपने साथियों के चेहरे को रंगीन बना देने में बड़ा आनंद आता है।

यह त्यौहार सभी के लिए ख़ुशी और मौज-मस्ती का त्यौहार है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन शाम को किसी चौराहे पर लकड़ी आदि जलाते हैं।

इस दिन किसान (farmers) अन्न के नये दाने होलिका की अग्नि में चढ़ा कर नया अन्न खाना शुरू करते हैं। रंग के दिन लोग एक-दुसरे पर गुलाल डालते हैं। इस दिन बड़ा मजा आता है।

बच्चे इस मौके का बेसब्री से इंतजार करते हैं कि कब वो अपने दोस्तों को रंग सके। होली मेल व एकता का पर्व है इसलिए इस मौके पर किसी पर कीचड़ आदि फेंकना या शराब पीना अनुचित है।

केवल प्यार से रंग खेलना चाहिए, मतलब होली का त्यौहार मनाना चाहिए। स्वादिष्ट पकवानों का मिलकर आनंद लेना चाहिए और दुश्मनों को भी दोस्त बना लेना चाहिए। इस त्यौहार की सभी को मुबारकबाद देनी चाहिए।

Simple Essay on Holi in Hindi for Children

होली हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ मनाई जाती है। होली का त्यौहार पुरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। होली का त्यौहार लोग आपस में गले लगकर और एक दुसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फाल्गुन गीत (phalgun song) भी गाये जाते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास (ancient history) है। प्राचीन समय में हिरनकश्यप नाम का एक असुर था जो भगवान् विष्णु विरोधी था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था।

कश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान् विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे इसी कारण कश्यप ने अपनी बहन होलिका से पुत्र प्रहलाद को जान से मारने के लिए आग में लेकर बैठने को कहा क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था।

उसके बाद होलिका प्रहलाद को लेकर चिता में बैठ जाती है लेकिन प्रहलाद आग में सुरक्षित बच जाते हैं जबकि होलिका आग में चलकर भस्म हो जाती है।

How to Write an Essay on Holi in Hindi (250 Words)

होली हँसी-खुशी का त्यौहार है। यह एकता और भाई -चारे, मिलन और खुशी का प्रतीक है। होली का त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णमासी को मनाया जाता है। इसमें एक-दुसरे पर रंग डालते हैं। सूखा, गुलाल रंग भी मलते हैं। रंग पानी में घोलकर पिचकारी चलाने से बड़ा आनंद आता है।

सबके मन मस्त हो जाते हैं। लोग नाचते-गाते हैं और विभिन्न प्रकार के स्वांग रचते हैं। आपस में गले मिलते है। कहते हैं कि, प्रहलाद ईश्वर भक्त था। उनके पिता हिरण्यकश्यप कहता था कि “मुझे ईश्वर मानो।” परन्तु उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था।

पिता के कहने पर भी प्रहलाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहिन होलिका थी जिसे आग से नहीं जलने का वरदान प्राप्त था। अत्याचारी हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी पर होलिका तो जल गई, प्रहलाद बच गया।

होली उस प्राचीन घटना (ancient event) की भी याद दिलाती है। कई बच्चे और कई बड़े भी मिट्टी उड़ाते हैं, गुब्बारे मारते हैं, कालिख मलते हैं, गालियाँ बकते हैं और भद्दे शब्द (ugly words) बोलते है। इससे कभी-कभी लड़ाई-झगड़ा भी हो जाता है।

कुछ लोग नशा करते हैं। ये बुरी बातें हैं। होली ख़ुशी मनाने का पर्व है। इस दिन पुरानी दुश्मनी भूल जानी चाहिए। रूठे हुए लोगों को मनाना चाहिए और इस तरह प्रेम प्रीति का जीवन (life of love) व्यतीत करने का संकल्प करना चाहिए।

Essay Writing on Holi in Hindi

होली एक रंगों का त्योहार है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संदेश वाहक (संदेशवाहक = संदेश लाने वाला) है। इसके आगमन पर सभी प्राणी (creature) और यहाँ तक कि प्रकृति भी आनंद और उमंग से इठला जाती है। हिन्दू लोग इसे हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

यह त्यौहार एकता, मिलन और पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस त्यौहार को किसान लोग बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इन दिनों किसानों की वर्ष भर के परिश्रम (labor) से उगाई गई फसल पक कर तैयार होती है। वे अपनी फसल को लहराई हुई देखकर फुले नहीं समाते हैं।

सभी किसान मिलकर नाचते गाते हैं। इस दिन सभी लोग रात को नए अनाज की बालों को होली की आग में भूनकर उसके दानों को सब में बाँटते हैं और आपसी बैर-भाव को भुलाकर एक दुसरे से गले मिलते हैं। संध्या समय महिलाएं और बच्चे होली की पूजन करते हैं।

होली का अगला दिन दुल्हैंडी का होता है। इस दिन लगभग दोपहर के दो बजे तक रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। इस होली के रंग, गुलाल में बच्चे, जवान और बूढ़े पुरुष-महिलाएं सभी हिस्सा लेते हैं। कुछ लोग गुलाल की जगह चंदन का टिका लगाते हैं और आपस में गले मिलते हैं।

गली-मुहल्लों और सड़कों पर अनेक टोलियाँ नाचती-गाती दिखाई पड़ती है। ब्रज की होली बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन लोग पकवान बनाते हैं और दुसरे लोगों को मिष्ठान आदि खिलाते है। होली के दिन कुछ लोग तो भांग आदि का भी सेवन करते हैं।

Short and Long Essay on Holi in Hindi (300 Words)

होली रंगों का त्योहार है। यह एक मौसमी त्योहार (seasonal festival) है और हिंदुओं के लिए सबसे सुखद त्योहार है। यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। यह मार्च के महीने में चैत के पहले दिन मनाया जाता है। इसकी पृष्ठभूमि में एक कहानी (story) है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राजा (tyrannical king) था। वह ईश्वर में विश्वास नहीं करता था। उसने अपनी प्रजा को भगवान की पूजा करने से प्रतिबंधित कर दिया।

उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान का भक्त था। दुष्ट राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जिंदा जलाने का आदेश दिया। एक दिव्य उपहार के अनुसार, होलिका आग में नहीं जल सकती थी, लेकिन भगवान की महिमा अद्भुत है। होलिका जल गई और प्रह्लाद का कुछ नहीं हुआ। होलिका दहन उसी घटना को मनाने के लिए होली से एक रात पहले किया जाता है।

होलिका दहन के बाद का दिन हास्य और रंग का होता है। सभी बच्चे, लड़के और लड़कियां रंगों में खेलते हैं। लोग सड़कों पर और सड़कों पर, ड्रम बजाते हुए, गाने गाते हुए समूहों में हँसते, गाते और नाचते हैं। हास्य विनोद अपनी सीमा तक पहुँचता है।

वे अवीर लेते हैं (लाल, हरा, पीला रंग जिसे लोग होली के दिन माथे पर लगाते हैं, इसे अवीर कहा जाता है।) अपने हाथों में और इसे अपने दोस्तों और परिवारों के माथे पर लगाते हैं। शाम को लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं। होली आनंद देने वाला त्यौहार है।

यह त्योहार लोगों को चिंतामुक्त (tension free) करता है। लोग विभिन्न ढंग से अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर कीचड़ और गंदे पानी डालते हैं। यह उचित नहीं है। कुछ लोग नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं। गंदे गाने गाते है और नारियों का अपमान करते हैं।

असामाजिक तत्व इस अवसर को गन्दा बनाते हैं। होली का त्योहार हमें प्रेम की शिक्षा देता है। इसे उचित ढंग से मनाना चाहिए। हम लोगों को सभी नागरिक की तरह व्यवहार करना चाहिए। यह त्यौहार हमें भाईचारे का पाठ पढ़ाता है।

Write a Short Essay on Holi in Hindi

होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस समय ग्रीष्म ऋतु (summer season) की शुरुआत हो जाती है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। एक कथा है, प्राचीन काल में हिरनकश्यप नाम का एक असुर राजा हुआ करता था। वह खुद को ईश्वर से भी महान समझता था। उसका पुत्र प्रहलाद परम ईश्वर भक्त था।

हिरनकश्यप ने प्रहलाद को ईश्वर भक्ति छोड़कर अपनी भक्ति करने का आदेश दिया लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता का आदेश नहीं माना तो हिरनकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने का निश्चय किया। हिरनकश्यप की एक बहन भी थी जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था जिससे उस पर आग का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता था।

इसलिए असुर राजा ने अपनी बहन को प्रहलाद को लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका अपने भाई का आदेश मानकर प्रहलाद को आग में लेकर बैठ गई। मगर हुआ यूँ कि, प्रहलाद को आग भी नहीं जला सकी, जबकि होलिका आग में न जलने का वरदान प्राप्त होते हुए भी आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गया।

इस कहानी के आधार पर होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है। इसलिए सभी लोग मिलजुल कर होली का त्यौहार मनाते हैं। होली के दिन रंगों से खेलते हैं, सभी एक-दुसरे पर रंग मलते हैं। बच्चे पिचकारियों में रंग भर कर एक दुसरे पर रंग की पिचकारी मारते हैं।

छोटे-बड़ो की टोलियाँ हर गली-मोहल्लों में गाते -बजाते निकलती हैं और बुरा ना मान होली है, कहकर सब पर रंग छिड़कते हैं। इस दिन सभी कटुता को भूलकर प्रेम के रंग में रंग जाते हैं।

इसलिए होली को मेल-मिलाप का त्यौहार भी कह सकते हैं। होली का त्यौहार हमारे लिए एक संदेश हैं कि, अपने मन की बुराइयों को खत्म करके अच्छाईयों को अपनाओ, यही प्यार भरे जीवन की राह है।

Holi Essay in Hindi for Students and Children

होली रंगों का त्यौहार है जो हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करने के लिए रंग और गुलाल लगाते हैं। यह उत्साह और भाईचारे से भरा त्योहार है। इस दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, हलवा आदि बनाया जाता है और आपस में खाते हैं।

इस त्योहार को मनाने के पीछे एक भक्त की कथा है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ करता था जो अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए कहता था और खुद को दिव्य मानता था। गरीब लोग डर से राजा की पूजा करते थे, लेकिन राजा का पुत्र, जिसका नाम प्रहलाद था, भगवान विष्णु का परम भक्त था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और अपने पुत्र को विष्णु की पूजा करने से मना करता था। सभी प्रयासों के बाद, जब प्रह्लाद ने विष्णु की पूजा करना बंद नहीं किया, तो एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन के साथ, जिसका नाम होलिका था, भक्त प्रहलाद को आग में जलाने की योजना बनाई।

होलिका को ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जलेगी। होलिका प्रहलाद को जलती हुई अग्नि में लेकर बैठ जाती है, लेकिन प्रह्लाद का बाल बांका नहीं हुआ और होलिका उसी अग्नि में अपने बुरे कर्मों से भस्म हो गयी।

इस तरह, भगवान द्वारा भक्त की स्मृति में और सत्य पर असत्य की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया गया। तब से लेकर आज तक, होली से एक दिन पहले हर कोई होलिका दहन करता है और दूसरे दिन रंगों के साथ होली का त्योहार मनाता है।

Essay on Holi in Hindi (350 Words)

त्यौहार जीवन की एकरसता को तोड़ने और उत्सव के द्वारा नई रचनात्मक स्फूर्ति हासिल करने के लिए हुआ करते हैं। संयोग से मेल-मिलाप का अनूठा त्यौहार होने के कारण होली में यह स्फूर्ति हासिल करने और साझेपन की भावना को विस्तार देने के अवसर ज्यादा हैं। देश में मनाए जाने वाले धार्मिक व सामजिक त्योहारों के पीछे कोई न कोई घटना अवश्य जुड़ी हुई है।

शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण तिथि हो, जो किसी न किसी त्यौहार या पर्व से संबंधित न हो। दशहरा, रक्षाबंधन, दीपावली, रामनवमी, वैशाखी, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, बुद्ध पूर्णिमा आदि बड़े धार्मिक त्यौहार है। इनके अलावा कई क्षेत्रीय त्यौहार भी है। भारतीय तीज त्यौहार साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं।

रंगों का त्यौहार होली धार्मिक त्यौहार होने के साथ-साथ मनोरंजन का उत्सव (entertainment festival) भी है। यह त्यौहार अपने आप में उल्लास, उमंग और उत्साह लिए होता है। इसे मेल व एकता का पर्व भी कहा जाता है। हंसी ठिठोली के प्रतीक होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार कहलाता है।

इस त्यौहार में लोग पुराने बैरभाव त्याग एक दुसरे को गुलाल लगाकर बधाई देते हैं और गले मिलते हैं। इसके पहले दिन पूर्णिमा को होलिका दहन और दुसरे दिन के पर्व को धुलेंडी कहा जाता है। होलिका दहन के दिन गली-मुहल्लों में लकड़ी के ढेर लगा होलिका बनाई जाती है।

शाम के समय महिलाएं-युवतियां उसका पूजन करती हैं। इस अवसर पर महिलाएं श्रंगार आदि कर सजधज के आती है। बृज क्षेत्र में इस त्यौहार का रंग करीब एक पखवाड़े पूर्व चढ़ना शुरू हो जाता है। होली भारत का एक ऐसा पर्व है जिसे देश के सभी निवासी सहर्ष मनाते हैं।

हमारे तीज त्यौहार हमेशा साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं। यह साझापन होली में हमेशा दिखता आया है। मुगल बादशाहों की होली की महफिलें इतिहास में दर्ज होने के साथ यह हकीकत भी बयां करती है कि रंगों के इस अनूठे जश्न में हिन्दुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं।

मीर, जफर और नजीर की शायरी में होली की जिस धूम का वर्णन है वह दरअसल लोक परंपरा और सामाजिक बहुलता का ही रंग है।

Holi Festival Essay in Hindi (400 Words)

होली एक ऐसा रंग बिरंगा त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग पुरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली रंगों का एक शानदार उत्सव है जो भारत में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व हर साल बसंत ऋतू के समय फाल्गुन महीने में आता है। यह हर साल चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बहुत सुन्दर और रंगीन नजर आते है।

हिन्दू पौराणिक ग्रंथो के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम के एक दुष्ट भाई की एक दुष्ट बहन थी होलिका, जो अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में जलाना चाहती थी। प्रहलाद भगवान् विष्णु के परम भक्त थे, जिन्होंने होलिका की आग से प्रहलाद को बचाया और आग में होलिका को राख कर दिया। तभी से हिन्दू धर्म के लोग शैतानी शक्ति के खिलाफ अच्छाई की विजय के रूप में हर साल होली का त्यौहार मनाते हैं।

होली रंगों का त्योहार है। होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगों का इस्तेमाल करते हैं। पुराने जमाने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे। जिसकी वजह से उनकी स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन अब लोग  रासायनिक आधारित (chemical based) रंग का इस्तेमाल करते हैं। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी -किसी की त्वचा संवेदनशील होती है।

केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। होली का ये उत्सव फाल्गुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है। सभी रात में एक जगह इकठ्ठा होकर लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को जलाकर उसमें हरी खेजड़ी का एक बड़ा लक्कड़ प्रहलाद के रूप में खड़ा करके होलिका दहन की रिवाज को संपन्न करते हैं।

इसमें महिलाएं रीति से संबंधित गीत गाती है और पुरुष भांग लेकर धमाल गाते है और होली खेलने के लिए सुबह का इंतजार करते हैं। इस दिन सभी लोग सामाजिक विभेद को भुलाकर स्वादिष्ट पकवानों और मिठाइयाँ (sweets) बांटकर खुशी का इजहार करते हैं। होली भारत और भारत में रहने वाले हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।

लेकिन होली हिन्दू ही नहीं सभी लोग मनाते हैं क्योंकि होली उत्साह, नई आशा और जोश के साथ मनाई जाती है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक, कार्यालय, विश्व विद्यालय और दुसरे सभी संस्थान बंद रहते हैं।

ताकि सभी लोग अपने परिवार के साथ इस रंगीले त्यौहार का लुप्त उठा सके। यह एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेद को भूल जाते हैं।

Best Essay on Holi in Hindi (450 Words)

होली का पर्व ऋतुराज वसंत के आगमन पर फाल्गुन की पूर्णिमा को आनंद और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दिनों रबी की फसल पकने की तैयारी में होती है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लोग गाते-बजाते, हँसते-हँसाते अपने खेतों पर जाते हैं। वहां से वे जौ की सुनहरी बालियाँ तोड़ लाते हैं। जब होली में आग लगती है तब उस अधपके अन्न को उसमें भुनकर एक-दुसरे को बाँटकर गले मिलते हैं।

होलिका दहन के संबंध में कहानी प्रसिद्ध है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि आगे उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह खुद को ही बड़ा मानता था। उसका बेटा प्रहलाद उसके पिता के विपरीत ईश्वर पर विश्वास करता था। पिता ने उसे ऐसा करने के लिए बार-बार समझाया, किंतु प्रह्लाद पर कोई असर नहीं हुआ।

इससे हिरण्यकश्यप बहुत क्रूद्ध हुआ। उसने अपने पुत्र को तरह-तरह से त्रास दिए, लेकिन प्रहलाद अपने निश्चय से डिगा नहीं। अंत में हिरनकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका के सुपुर्द कर दिया। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। होलिका तो जल गई लेकिन भक्त प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगड़ा। इस प्रकार होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय है।

एक कथा के अनुसार, भगवान् श्रीकृष्ण ने इस दिन गोपियों से रासलीला की थी। इसी दिन नंदगाव में सभी लोगों ने रंग और गुलाल के साथ खुशियाँ मनाई थी। नंदगाव और बरसाने की ब्रजभूमि पर इसी दिन बूढ़े और जवान, स्त्री और पुरुष सभी ने एक साथ मिलकर जो रास-रंग मचाया था, होली आज भी उसकी याद ताजा कर जाती है।

पहले प्रतिभोज का आयोजन होता था, गीतों, फागों क उत्सव होते थे, मिठाइयाँ बाँटी जाती थी। बीते वर्षों की कमियों पर विचार होता था। इसके बाद दुसरे दिन होली खेली जाती थी। छोटे-बड़े मिलकर होली खेलते थे। अतिथियों को मिठाइयाँ और तरह-तरह के पकवान खिलाकर तथा गले मिलकर विदा किया जाता था।

लेकिन आज यह पर्व बहुत घिनौना रूप धारण कर चुका है। इसमें शराब और अन्य नशीले पदार्थों का भरपूर सेवन होने लगा है। राह चलते लोगों पर कीचड़ उछाला जाता है। होली की जलती आग में घरों के किवाड़, चौकी, छप्पर आदि जलाकर राख कर दिए जाते हैं। खेत-खलिहानों के अनाज, मवेशियों का चारा तक स्वाहा कर देना अब साधारण सी बात हो गई है।

रंग के बहाने दुश्मनी निकालना, शराब के नशे में मन की भड़ास निकालना आज होली में आम बात हो गई है। यही कारण है कि आज समाज में आपसी प्रेम के बदले दुश्मनी पनप रही है। जोड़ने वाले त्यौहार मनों को तोड़ने लगे हैं।

होली की इन बुराइयों के कारण सभी और समझदार लोगों ने इससे किनारा कर लिया है। रंग और गुलाल से लोग भागने लगे हैं।

Essay on Festival of Colours in Hindi (500 Words)

भारत मेलों और त्योहारों की भूमि है। शायद ही कोई महीना किसी मेले या त्योहार के बिना गुजरे। होली रंगों का त्योहार है। यह आमतौर पर मार्च के महीने में आता है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। यह मौज-मस्ती और तुच्छता का त्योहार है। यह उल्लास और उमंग का अवसर है। पुरुष, स्त्रीत्व बच्चे सभी उच्च आत्माओं में हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लोग एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे एक दूसरे के चेहरे रंग रगड़ते हैं, गोल पाउडर रंग एक दूसरे पर फेंकते हैं। दिन व्यावहारिक चुटकुले, मजेदार और हँसी द्वारा चिह्नित है। बच्चे अपने हाथों में रंगीन पानी और पानी पंप की बोतलों के साथ सड़कों पर चले जाते हैं।

ड्रमों को पीटा जाता है और गाने गाए जाते हैं और पूरा वातावरण खुशी के जयकारों के साथ बजता है। पुराने लोगों को भी नहीं बख्शा जाता। जो लोग बचते हैं रंग लगवाने से उन पर रंगीन पानी की बाल्टी डाली जाती है। सभी सिर रंग की धूल से भरे हुए हैं, सभी कपड़े रंगीन पानी से गीले हैं और सभी चेहरे रंगीन और पहचान से परे होते हैं।

पानी और रंग फेंकना दोपहर में समाप्त हो जाता है। लोग खुद को साफ करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। स्वादिष्ट व्यंजन ‘भांग’ से तैयार किए जाते हैं, यह माना जाता है कि यह भगवान शिव का पसंदीदा पेय है। लोग खाना खाते हैं, डांस करते हैं।

पारंपरिक शैली में मथुरा और बृंदाबन में होली मनाई जाती है। ‘रास-लीलाएँ’ की जाती हैं और भगवान कृष्ण और उनकी गोपियों की यादें एक हज़ार तरीकों से पुनर्जीवित होती हैं।

वहाँ, इसका धार्मिक स्पर्श है और होली के त्योहार में भाग लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कई मिथक और किंवदंतियाँ होली से जुड़ी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रह्लाद अपने पिता हिरणकश्यप द्वारा यातनाएं देता था, क्योंकि प्रह्लाद को ईश्वर में दृढ़ विश्वास था। महान यातनाओं के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर में अपना विश्वास नहीं छोड़ा।

तब हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रहलाद के साथ दफन चिता में बैठने के लिए कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद आग की लपटों से अछूता नहीं रहा। इस प्रकार होली प्रह्लाद की भक्ति और उनके पिता हिरणकश्यप की क्रूरता को याद करती है।

हर साल एक अलाव जलाया जाता है और खलनायक के लिए होलिका जलाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने पूतना नामक दैत्य का वध किया।

होली का अब तक एक और महत्व है। यह एक मौसमी त्योहार है, यह कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। गेहूं की फसलें खेतों में पकी हुई हैं और होली के तुरंत बाद कटाई शुरू हो जाती है। जो भी होली का महत्व हो सकता है, वह निश्चित रूप से एक रंगीन त्योहार है।

यह हमारे जीवन को मस्ती और आनंद, उल्लास और हंसी के बेहतरीन रंगों से भर देता है, लोग सभी पुरानी दुश्मनी भूल जाते हैं और रंगों के इस त्योहार को मनाते हैं।

निष्कर्ष, (Conclusion)

हमारे द्वारा यहाँ प्रस्तुत कराए गए होली पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होंगे। इनकी सहायता से students होली पर उत्कृष्ट निबंध लिख सकते हैं।

और हाँ, होली के खूबसूरत रंगों की तरह आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत रंगों भरी उमंग भरी शुभकामनायें। Happy Holi 2024.

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  • होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated in Hindi

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by: Jamshed Khan

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होली पर निबंध कक्षा 6 | Holi Essay in Hindi for Class Six

जो छात्र कक्षा 6 मे पढ़ते है, उनको अपने स्कूल मे होली पर निबंध कक्षा 6  Holi Essay in Hindi for Class 6 लिखने को दिया जाता है, तो उन विद्यार्थियो के लिए इस पोस्ट मे होली पर निबंध कक्षा 6 के लिए बताने जा रहे है, जिसकी सहायता से आप अपने क्लास मे होली पर निबंध - Essay On Holi Hindi for Class 6 लिख सकते है। और होली के बारे मे जानकारी देने के लिए इस होली पर निबंध कक्षा 6 Essay on Holi Hindi for Class Six को शेयर भी कर सकते है, और इसे पढ़कर होली के महत्व को भी बता सकते है,

होली पर निबंध कक्षा 6

भारत देश में बहुत से त्योहारों को मनाया जाता है। जिसमे एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार “ होली ” है। Essay on Holi in Hindi for Class 6 आर्टिकल के माध्यम से होली पर निबंध कक्षा 6 नीचे दी जा रही है। होली से सम्बन्धित निबंध व पंक्तियाँ परीक्षा में भी पूछे जाते हैं। अतः होली पर निबंध कक्षा एक से सभी जानकारियों को आर्टिकल में दिया जा रहा है।

होली का त्यौहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है और इसे मनाने वालों की संख्या करोड़ों में है. होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं।

होली के उत्सव के आगमन के लिए हर कोई उत्साहित रहते है, होली के दिन सभी लोग इकट्ठा होकर मौज मस्ती करते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। होली के दिन अलग अलग रंगों से खेलते है उसी में एक लठ मार होली भी होती है।होली बच्चों को बहुत पसंद हैं। इसलिए बच्चे के लिए होली सबसे ज्यादा मौज-मस्ती ओर खुशियों मनाने वाला त्यौहार हैं।

यह यह रंगों का एक विश्व प्रसिद्ध पर्व है। होली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है जिसे हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। सम्पूर्ण भारत में होली का त्यौहार मनाया जाता है।

यह पर्व लोगों में भाईचारे और प्रेम की भावना को पैदा करता है। होली को हर वर्ष बड़े धूम-धाम, नाच-गाने और रंगों के साथ मनाया जाता है। इन दिनों किसानों की फसलें पक जाती है और चारों ओर होली को लेकर पूरे देश में खुशियो का ही माहौल छा जाता है. इस त्यौहार को प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। होली को मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी होली को मनाते हैं।

यह त्यौहार बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के दिन सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर जा कर एक दूसरे पर रंग लगाते हैं। होली की खुशियां को बांटने के लिए सभी हिन्दू धर्म के लोग आस पड़ोस के लोगों के घरों में जाकर रंगों से खेलते है,

होली “प्यार में एक दूसरे को रंगने” का प्रतीक है। हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है। होली के त्यौहार को भारत व अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

होली के लिए सभी सरकारी कर्मचारियों व छात्रों को 6 दिन का अवकाश दिया जाता है। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलाकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं।

भारत के अलग-अलग जगहों पर अलग अलग तरीके से होली मनाई जाती है। जैसे-ब्रज की होली, वृंदावन की होली, बरसाना की लठमार होली, मथुरा की होली, कासी की होली इत्यादि। होली में लोग रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों से मिलते हैं।

इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। समाज में चल रही कुरीतियों को समाप्त करने का भी पर्व हम इसे कह सकते है। लोग महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं।

इस त्यौहार का सबसे ज्यादा आनन्द बच्चे उठाते है, होली के दिन सभी लोग अपने घरों में अलग-अलग पकवानों को बनाते हैं। होली के दिन सभी लोग एक दुसरे के घर में जाकर पकवान खाते हैं और रंग लगाते है।

रंग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की रंग किसी व्यक्ति के आंख, कान, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर ना लगे। यदि किसी को रंगों से एलर्जी हो तो उसे रंग नहीं लगाना चाहिए। सड़क पर जा रहे लोगों एवं वाहनों के ऊपर किसी भी प्रकार के रंग एवं पानी नहीं फेंकना चाहिए नहीं तो सड़क दुर्घटना होने की संभावना होती है।

किसी के ऊपर धूल एवं मिट्टी नहीं फेंकना चाहिए। होली खेलने के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थ (जो त्वचा को नुकसान पहुंचाएं) का उपयोग नहीं करना चाहिए। होली खेलने के लिए ग्रीस तथा पेंट जैसे हानिकारक पदार्थों का उपयोग बिल्कुल भी ना करें।

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं, सभी लोगों को होली के दिन गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। हम अलग-अलग रंगों जैसे नीला, लाल, हरा, नारंगी आदि में होली खेलते हैं। होली एकजुटता का पर्व है। आजकल रंगों के नाम पर होली के त्यौहार पर हानिकारक रसायनों से रंगों का उपयोग करने लगे हैं। जो की स्किन और आँखों के लिए हानिकारक होते हैं।

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Holi Essay in Hindi for Class 6

होली को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। होली एक प्रमुख भारतीय त्योहार है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है।

यह पर्व लोगों में भाईचारे और प्रेम की भावना को पैदा करता है। होली को हर वर्ष बड़े धूम-धाम, नाच-गाने और रंगों के साथ मनाया जाता है। इन दिनों किसानों की फसलें पक जाती है और चारों ओर होली को लेकर पूरे देश में खुशियो का ही माहौल छा जाता है.

इस त्यौहार को प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। होली को मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी होली को मनाते हैं।

होली भारत के साथ साथ दुसरे देशों में भी खूब धूम धाम से बनाया जाता है। होली आनंद का त्योहार है, जिसे हजारों साल से बनाया जा रहा है। सभी इस दिन एक-दुसरे को रंग लगाकर हीन भावना को समाप्त करने का प्रयास करते है।

कुछ असभ्य लोगों के कारण यह त्यौहार किसी के लिए कष्टकारी हो जाती हैं। यह त्यौहार हमें यह बताता है की बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो वह अच्छाई के आगे नहीं टिक सकती है और अंत में अच्छाई की ही जीत होती है।

होली प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक है। होली के दिन हमें वह संकल्प करना चाहिए कि हम सभी के साथ प्रेम व मित्रता का व्यवहार करेंगे। हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है। होली रंगों का त्योहार है जो की सभी के परिवार में खुशियाँ लाता है। होलिका दहन को बुराई ख़त्म करने का प्रतीक माना जाता है।

होली 6 दिन का पर्व है पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन धुलेंडी के रूप में मनाया जाता है। होली त्यौहार के पीछे पौराणिक प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कथा है। होलिका दहन को अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में जाना जाता है,

भक्त प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति से असुरों पर सफलता प्राप्त की (बुराई पर अच्छाई की जीत) और सभी को प्रेम का संदेश दिया. यह त्यौहार विष्णु जी के परम भक्त प्रहलाद के आग से बचने और होलिका के आग में जलने की ख़ुशी में मनाया जाता है।

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होली का प्रतीक बुराई पर अच्छाई की जीत है। होली की कहानी हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद और श्री विष्णु जी पर आधारित है। होली का त्योहार मनाने के पीछे प्रहलाद और उसके पिता हिरण कश्यप की कथा मानी जाती है। होली के पहले दिन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन की जाती है। इस दिन होलिका का अग्नि में जलकर अन्त हो गया था। तभी से सब होलिका दहन की रसम को पूरा करके होली की अच्छी शुरुआत करते है।

प्रहलाद विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। इसलिए उसे हर प्रकार के संकटों से स्वयं ईश्वर बचाते थे। होलिका दहन के दिन सभी लोग अपने घरो से लकडिया, गोबर के उपले और घर में बने कुछ पकवान अग्नि को समर्पित करते है।

होली के पहले दिन लोगों द्वारा होलिका दहन किया जाता है. इस दिन लोगों अपनी नकारात्मक शक्ति और भावनाओं को आहुति देते है, होली जलाने के लिये सुखी लकड़िया इकट्ठा की जाती है। कई जगह पर गोबर से बने उपलों के खिलोनो की माला डाली जाती है। होली दहन के पहले सभी स्त्रियां होली की पूजा और परिक्रमा करती है। होली का पर्व दो दिन के लिए आता है पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन होली का दिन होता है।

बच्चे पानी के पिचकारिया छोड़ते हैं और गुब्बारे फोड़ते हैं। छोटे बच्चे गुब्बारे में पानी भर कर किसी के भी ऊपर फेंक देते है और बुरा न मानो होली है कह कर आगे बढ़ जाते है। होली के दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई आदि पकवान बनाये जाते हैं।होली पर सभी लोग हँसी और ख़ुशी के साथ एक दुसरे को रंग लगाकर होली त्यौहार का पूरा आनंद लेते है.

तो आप सभी को यह आर्टिकल होली पर निबंध कक्षा 6 - Essay on Holi in Hindi for Class 6 जरूर पसंद आया होगा, जिसे आप 6स्तो के साथ शेयर कर सकते है और अपने क्लास 6 मे होली पर 60 पंक्तियाँ निबंध भी लिख सकते है। तो आपको यह आर्टिकल कैसा लगा, कमेन्ट मे जरूर बताए, और इस निबंध को शेयर भी जरूर करे।

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Essay on Holi in Hindi for Class 6 FAQ’s

होली का क्या अर्थ है ? 

उत्तर – होली का त्यौहार बसंत के आगमन और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसे एक खेल की मान्यता के रूप में भगवान कृष्ण ने दिया, जो अपनी पत्नी राधा और गोपियों, या दूधियों के साथ खेला करते थे।  

होली इस वर्ष (2 024) में किस दिन मनाई जायेगी ?

इस साल 2024 में होली का पर्व 25 मार्च को मनाया जायेगा।

होली के लिए कितने दिन का अवकाश दिया जाता है ?

होली के लिए 2 दिन का अवकाश दिया जाता है।

होली के दिन हमे कैसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए ?

सभी लोगों को होली पर बिना केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

भारत में होली अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है ?

भारत में अलग -अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होली को मनाया जाता है जैसे – हरियाणा में धुलेंडी होली, बंगाल में डोल पूर्णिमा,राजस्थान की तमाशा होली, मध्य प्रदेश की भगौरिया होली, पंजाब में होला मोहल्ला का मेला, महाराष्ट्र में रंगपंचमी आदि इसमें प्रसिद्ध हैं।

होली का इतिहास क्या है ? 

उत्तर – मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप की हत्या कर दी थी। क्यूंकि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और उसका पुत्र प्रह्लाद भगवन विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका नाराज होकर प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। होलिका आग में भस्म हो गई। तभी से इस त्यौहार की मान्यता होली के रूप में है।  

होलिका दहन किस दिन किया जाता है ? होलिका दहन फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है.

होलिका को कौन सा वरदान मिला था ? अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था.

होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं ?

होली पर सभी लोग अपने घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई, आदि पकवान बनाते हैं।

होली पर हमे कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना होता है ?

होली मनाते समय लोगों को कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए जिसकी सूची नीचे दी जा रही है।

  • होली मनाते समय सभी लोग कांच वाले रंगों का प्रयोग ना करें। रोड पर चलते वाहनों पर पानी से भरे गुब्बारों व पिचकारी को ना मारे। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है।
  • होली खेलते समय अपनी आँखों को बचाये व रंगों को लगाते समय चश्मे का प्रयोग करें.
  • होली के दिन ऐल्कोहॉल का सेवन कर के वाहनों को ना चलाएं.

होली का क्या महत्व है ?

होली का महत्‍व - बुराई पर अच्‍छाई की जीत की प्रतीक होली का सामाजिक महत्‍व भी है। यह एक ऐसा पर्व होता है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन अगर किसी को लाल रंग का गुलाल लगाया जाए तो सभी तरह के मनभेद और मतभेद दूर हो जाते हैं। क्‍योंकि लाल रंग प्‍यार और सौहार्द का प्रतीक होता है।

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Essay on Holi for Students and Children

500+ words essay on holi.

Holi is known as the festival of colours. It is one of the most important festivals in India . Holi is celebrated each year with zeal and enthusiasm in the month of March by followers of the Hindu religion. Those who celebrate this festival, wait for it every year eagerly to play with colours and have delectable dishes.

Essay on Holi

Holi is about celebrating happiness with friends and family. People forget their troubles and indulge in this festival to celebrate brotherhood. In other words, we forget our enmities and get into the festival spirit. Holi is called the festival of colours because people play with colours and apply them to each other’s faces to get coloured in the essence of the festival.

History of Holi

The Hindu religion believes there was a devil king named Hiranyakashyap long ago. He had a son named Prahlad and a sister called Holika. It is believed that the devil king had blessings of Lord Brahma. This blessing meant no man, animal or weapon could kill him. This blessing turned into a curse for him as he became very arrogant. He ordered his kingdom to worship him instead of God, not sparing his own son.

Following this, all the people began worshipping him except for his son, Prahlad. Prahlad refused to worship his father instead of God as he was a true believer of Lord Vishnu. Upon seeing his disobedience, the devil king planned with his sister to kill Prahlad. He made her sit in the fire with his son on the lap, where Holika got burned and Prahlad came out safe. This indicated he was protected by his Lord because of his devotion. Thus, people started celebrating Holi as the victory of good over evil.

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The Celebration of Holi

People celebrate Holi with utmost fervour and enthusiasm, especially in North India. One day before Holi, people conduct a ritual called ‘Holika Dahan’. In this ritual, people pile heaps of wood in public areas to burn. It symbolizes the burning of evil powers revising the story of Holika and King Hiranyakashyap. Furthermore, they gather around the Holika to seek blessings and offer their devotion to God.

The next day is probably the most colourful day in India. People get up in the morning and offer pooja to God. Then, they dress up in white clothes and play with colours. They splash water on one another. Children run around splashing water colours using water guns. Similarly, even the adults become children on this day. They rub colour on each other’s faces and immerse themselves in water.

In the evening, they bathe and dress up nicely to visit their friends and family. They dance throughout the day and drink a special drink called the ‘bhaang’. People of all ages relish holi’s special delicacy ‘gujiya’ ardently.

In short, Holi spreads love and brotherhood. It brings harmony and happiness in the country. Holi symbolizes the triumph of good over evil. This colourful festival unites people and removes all sorts of negativity from life.

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