mahatma gandhi biography in hindi short

सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जीवनी

Mahatma Gandhi Biography in Hindi

आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे

“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो!”

और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘ मोहनदास करमचंद गांधी ‘ –  Mahatma Gandhi.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Mahatma Gandhi Biography

महात्मा गांधी जी के बारेमें – Mahatma Gandhi Information in Hindi

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – mahatma gandhi in hindi.

आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi ने अपने अथक प्रयासों के बल पर अंग्रेजो से भारत को आजाद कराया यही नहीं इस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित में लगा दिया। महात्मा गांधी की कुर्बानी की मिसाल आज भी दी जाती है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी  – Mahatma Gandhi के पास सत्य और अहिंसा दो हथियार थे जिन्होनें इसे भयावह और बेहद कठिन परिस्थितयों में अपनाया शांति के मार्ग पर चलकर इन्होनें न सिर्फ बड़े से बड़े आंदोलनों में आसानी से जीत हासिल की बल्कि बाकी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू जी के नामों से भी पुकारा जाता है। वे सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाली शख्सियत थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सदाचार में गुजारा और अपनी पूरी जिंदगी राष्ट्रहित में कुर्बान कर दी। उन्होनें अपने व्यक्तित्व का प्रभाव न सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरी दुनिया में डाला।

महात्मा गांधी महानायक थे जिनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। Mahatma Gandhi- महात्मा गांधी कोई भी फॉर्मुला पहले खुद पर अपनाते थे और फिर अपनी गलतियों से सीख लेने की कोशिश करते थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म, बचपन, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Mahatma Gandhi Childhood

देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश हुकूमत के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, उनके महान विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गांधी जी का विवाह एवं बच्चे – Mahatma Gandhi Marriage And Family

महात्मा गांधी जी जब 13 साल के थे, तब बाल विवाह की कुप्रथा के तहत उनका विवाह एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा मनकजी के साथ कर दिया गया था। कस्तूरबा जी भी एक बेहद शांत और सौम्य स्वभाव की महिला थी। शादी के बाद उन दोनो को चार पुत्र हुए थे, जिनका नाम हरिलाल गांधी , रामदास गांधी, देवदास गांधी एवं मणिलाल गांधी था।

महात्मा गाधी जी की शिक्षा – Mahatma Gandhi Education

महात्मा गांधी जी शुरु से ही एक अनुशासित छात्र थे, जिनकी शुरुआती शिक्षा गुजरात के राजकोट में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। फिर अपने परिवार वालों के कहने पर वे अपने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

इसके करीब चार साल बाद 1891 में वे अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने स्वदेश भारत वापस लौट आए। इसी दौरान उनकी माता का देहांत हो गया था, हालांकि उन्होंने इस दुख की घड़ी में भी हिम्मत नहीं हारी और वकालत का काम शुरु किया। वकालत के क्षेत्र में उन्हें कुछ ज्यादा कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन जब वे एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।

इस दौरान उनके साथ कई ऐसी घटनाएं घटीं जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और इससे लड़ने के लिए 1894 में नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। इस तरह गांधी जी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर रंगभेदभाव के मुद्दे को उठाया।

जब इंग्लेंड से वापस लौटे महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi Returned from England

साल 1891 में गांधी जी बरिस्ट्रर होकर भारत वापस लौटे इसी समय उन्होनें अपनी मां को भी खो दिया था लेकिन इस कठिन समय का भी गांधी जी ने हिम्मत से सामना किया और गांधी जी ने इसके बाद वकालत का काम शुरु किया लेकिन उन्हें इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।

गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका की यात्रा – Mahatma Gandhi Visit to South Africa

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी जी को वकालत के दौरान दादा अब्दुल्ला एण्ड अब्दुल्ला नामक मुस्लिम व्यापारिक संस्था के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इस यात्रा में गांधी जी का भेदभाव और रंगभेद की भावना से सामना हुआ। आपको बता दें कि गांधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचने वाले पहले भारतीय महामानव थे जिन्हें अपमानजनक तरीके से ट्रेन से बाहर उतार दिया गया। इसके साथ ही वहां की ब्रिटिश उनके साथ बहुत भेदभाव करती थी यहां उनके साथ अश्वेत नीति के तहत बेहद बुरा बर्ताव भी किया गया था।

जिसके बाद गांधी जी के सब्र की सीमा टूट गई और उन्होनें इस रंगभेद के खिलाफ संघर्ष का फैसला लिया।

जब गांधी जी ने रंगभेद के खिलाफ लिया संघर्ष का संकल्प –

रंगभेद के अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी ने यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया और इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना शुरु किया।

इसके बाद 1906 में दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों के लिए अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया गया।

गांधी जी की दक्षिणा अफ्रीका से वापस भारत लौटने पर स्वागत – Mahatma Gandhi Return to India from South Africa

1915 में दक्षिण अफ्रीका में तमाम संघर्षों के बाद वे वापस भारत लौटे इस दौरान भारत अंग्रेजो की गुलामी का दंश सह रहा था। अंग्रेजों के अत्याचार से यहां की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी। यहां हो रहे अत्याचारों को देख गांधी – Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला लिया और एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा के साथ वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

स्वतंत्रता सेनानी के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

महात्मा गांधी जी ने जब अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से लौटने के बाद क्रूर ब्रिटिश शासकों द्धारा भारतवासियों के साथ हो रहे अमानवीय अत्याचारों को देखा, तब उन्होंने देश से अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का संकल्प लिया और गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र करवाने के उद्देश्य से खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम में झोंक दिया।

उन्होंने देश की आजादी के लिए तमाम संघर्ष और लड़ाईयां लड़ी एवं सत्य और अहिंसा को अपना सशक्त हथियार बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन लड़े और अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया। वे न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार थे, बल्कि उन्हें आजादी के महानायक के तौर पर भी जाना जाता है।

हमारा पूरा भारत देश आज भी उनके द्धारा आजादी की लड़ाई में दिए गए  त्याग, बलिदान की गाथा गाता है एवं उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है।

गांधी जी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन – Mahatma Gandhi Movements List

महात्मा गांधी के आंदोलनों की सूची निचे दी गयी हैं – 

  • महात्मा गांधी का चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Mahatma Gandhi Champaran and Kheda Andolan

चम्पारण और खेडा में जब अंग्रेज भारत पर शासन कर रहे थे। तब जमीदार किसानों से ज्यादा कर लेकर उनका शोषण कर रहे थे। ऐसे में यहां भूखमरी और गरीबी के हालात पैदा हो गए थे। जिसके बाद गांधी जी ने चंपारण के रहने वाले किसानों के हक के लिए आंदोलन किया। जो चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना गया और इस आंदोलन में किसानों को 25 फीसदी से धनराशि वापस दिलाने में कामयाब रही।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और वे जीत गए। इससे लोगों के बीच उनकी एक अलग छवि बन गई।

इसके बाद खेड़ा के किसानों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा जिसके चलते किसान अपनों करों का भुगतान करने में असमर्थ थे। इस मामले को गांधी जी ने अंग्रेज सरकार के सामने रखा और गरीब किसानों का लगान माफ करने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने प्रखर और तेजस्वी गांधी जी का ये प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों की लगान को माफ कर दिया।

  • महात्मा गांधी का खिलाफत आंदोलन (1919-1924) – Mahatma Gandhi Khilafat Andolan

गरीब, मजदूरों के बाद गांधी जी ने मुसलमानों द्दारा चलाए गए खिलाफत आंदोलन को भी समर्थन दिया था। ये आंदोलन तुर्की के खलीफा पद की दोबारा स्थापना करने के लिए चलाया गया था। इस आंदोलन के बाद गांधी जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता का भरोसा भी जीत लिया था। वहीं ये आगे चलकर गांधी – Mahatma Gandhi जी के असहयोग आंदोलन की नींव बना।

  • महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन (1919-1920) – Mahatma Gandhi Asahyog Andolan

रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के लिए अमृतसर के जलियां वाला बाग में सभा के दौरान ब्रिटिश ऑफिस ने बिना वजह निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा दी जिसमें वहां मौजूद 1000 लोग मारे गए थे जबकि 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना से महात्मा गांधी को काफी आघात पहुंचा था जिसके बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आंदोलन करने का फैसला लिया था। इसके तहत गांधी जी ने ब्रिटिश भारत में राजनैतिक, समाजिक संस्थाओं का बहिष्कार करने की मांग की।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने प्रस्ताव की रुप रेखा तैयार की वो इस प्रकार है –

  • सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार
  • सरकारी अदालतों का बहिष्कार
  • विदेशी मॉल का बहिष्कार
  • 1919 अधिनियम के तहत होने वाले चुनाव का बहिष्कार
  • महात्मा गांधी का चौरी-चौरा काण्ड (1922) – Mahatma Gandhi Chauri Chaura Andolan

5 फरवरी को चौरा-चौरी गांव में कांग्रेस ने जुलूस निकाला था जिसमें हिंसा भड़क गई थी दरअसल इस जुलूस को पुलिस ने रोकने की कोशिश की थी लेकिन भीड़ बेकाबू होती जा रही थी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक थानेदार और 21 सिपाहियों को थाने में बंद कर आग लगा ली। इस आग में झुलसकर सभी लोगों की मौत हो गई थी इस घटना से महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi का ह्रद्य कांप उठा था। इसके बाद यंग इंडिया अखबार में उन्होनें लिखा था कि,

“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मै हर एक अपमान, यातनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं”
  • महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक आंदोलन (1930) – Mahatma Gandhi Savinay Avagya Andolan/ Dandi March / Namak Andolan

mahatma gandhi biography in hindi short

महात्मा गांधी ने ये आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाया था इसके तहत ब्रिटिश सरकार ने जो भी नियम लागू किए थे उन्हें नहीं मानना का फैसला लिया गया था अथवा इन नियमों की खिलाफत करने का भी निर्णय लिया था। आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई अन्य व्यक्ति या फिर कंपनी नमक नहीं बनाएगी।

12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्धारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था उन्होनें दांडी नामक स्थान पर पहुंचकर नमक बनाया था और कानून की अवहेलना की थी।

Mahatma Gandhi – गांधी जी की दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चली। दांडी यात्रा साबरमति आश्रम से निकाली गई। वहीं इस आंदोलन को बढ़ते देख सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिए भेजा था जिसके बाद गांधी जी ने समझौता स्वीकार कर लिया था।

  • महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन- (1942) – Mahatma Gandhi Bharat Chhodo Andolan

ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी ने तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन छेड़ा था। इस आंदोलन को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों’ का नाम दिया गया था।

हालांकि इस आंदोलन में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन देश के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के माध्यम से इस आंदोलन को चलाते रहे उस समय देश का बच्चा-बच्चा गुलाम भारत से परेशान हो चुका था और आजाद भारत में जीना चाहता था। हालांकि ये आंदोलन असफल रहा था।

महात्मा गांधी के आंदोलन के असफल होने की कुथ मुख्य वजह नीचे दी गई हैं –

ये आंदोलन एक साथ पूरे देश में शुरु नहीं किया गया। अलग-अलग तारीख में ये आंदोलन शुरु किया गया था जिससे इसका प्रभाव कम हो गया हालांकि इस आंदोलन में बड़े स्तर पर किसानों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।

भारत छोड़ों आंदोलन में बहुत से भारतीय यह सोच रहे थे कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद उन्हें आजादी मिल ही जाएगी इसलिए भी ये आंदोलन कमजोर पड़ गया।

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन सफल जरूर नहीं हुआ था लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासकों को इस बात का एहसास जरूर दिला दिया था कि अब और भारत उनका शासन अब और नहीं चल पाएगा और उन्हें भारत छोड़ कर जाना ही होगा।

Mahatma Gandhi- गांधी जी के शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

महात्मा गांधी के आंदोलनों की खास बातें – Important things about Mahatma Gandhi’s movements

महात्मा गांधी -Mahatma Gandhi की तरफ से चलाए गए सभी आंदोलनों में कुछ चीजें एक सामान थी जो कि निम्न प्रकार हैं –

  • गांधी जी के सभी आंदोलन शांति से चलाए गए।
  • आंदोलन के दौरान किसी की तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने की वजह से ये आंदोलन रद्द कर दिए जाते थे।
  • आंदोलन सत्य और अहिंसा के बल पर चलाए जाते थे।

समाजसेवक के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as a Social Reformer

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ एक महान समाज सेवक भी थे। जिन्होंने देश में जातिवाद, छूआछूत जैसी तमाम कुरोतियों को दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका सभी जाति, धर्म, वर्ग एवं लिंग के लोगों के प्रति एक नजरिया था।

उन्होंने जातिगत भेदभाव से आजाद भारत का सपना देखा था। गांधी जी ने निम्न, पिछड़ी एवं दलित वर्ग को ईश्वर के नाम पर ”हरि”जन कहा था और समाज में उन्हें बराबरी का हक दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए थे।  

”राष्ट्रपिता” (फादर ऑफ नेशन) के रुप में महात्मा गांधी जी – Mahatma Gandhi as Father of Nation

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि भी दी गई थी। उनके आदर्शों और महान व्यक्तित्व के चलते नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने सर्वप्रथम 4 जून, 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक प्रसारण के दौरान गांधी जी को ”देश का पिता” कहकर संबोधित किया था।

इसके बाद नेता जी ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से एक संदेश प्रसारित करते हुए गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।  वहीं 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी ने भारतवासियों को रेडियो पर उनकी मौत का दुखद समाचार देते हुए कहा था कि ”भारत के राष्ट्रपिता अब नहीं रहे”।

महात्मा गांधी का शिक्षा मे योगदान – Mahatma Gandhi Contribution In To Education.

महात्मा गांधी के शिक्षा मे योगदान को समझने से पहले उनके शिक्षा के प्रती विचार को समझना अत्यंत आवश्यक है, जैसा के;

१. ६ साल से १४ साल तक के बच्चो को अनिवार्य तथा निशुल्क शिक्षा प्रदान की जायेगी। २. शिल्प केंद्रित शिक्षा दी जायेगी। ३. शिक्षा का माध्यम केवल मातृभाषा होगी, अंग्रेजी नही। ४. करघा उद्योग, हस्तकला इत्यादी की शिक्षा दी जायेगी, जिसमे कृषी, लकडी का काम, कताई, बुनाई, ,मछली पालन, उद्यान कार्य, मिट्टी का कार्य, चरखा इत्यादी शामिल होगा।

गांधीजी ने आत्मनिर्भर बनाने की शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, जिससे व्यक्ती का सर्वांगीण विकास हो और खुद्के बलबुते इंसान जीवन मे आगे बढ पाये। इसिलिये उन्हे मुलभूत शिक्षा प्रणाली के जनक के तौर पर देखा जाता है।

शिक्षा संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य गांधीजी ने सबके सामने रखे,जैसा के ;

१. स्वयं के अनुभव से सिखना और करके देखना: – किसी भी चीज को सिखने के साथ खुद्से करके देखने पर गांधीजी का ज्यादा झुकाव था, उनका मानना था स्वयं से करके देखकर सिखना ही उत्तम शिक्षा होती है।आपस मे चर्चा एवं प्रश्न उत्तर के माध्यम को उनके नजर मे काफी सराहनिय माना गया है, वे किताबी शिक्षा से ज्यादा क्राफ्ट/शिल्प इत्यादी को अधिक महत्व देते थे

२. शारीरिक क्रियाकलाप द्वारा शिक्षा पर गांधीजी ने अधिक बल दिया जिसमे सभी आयु वर्ग के बच्चो को उनके क्षमता अनुसार कार्य दिया जाये।जिससे वो जीवन मे आगे बढते समय अधिक मजबूत विचार और शारीरिक बल अर्जित कर सके।

३. सिखने की अनेक क्रिया और प्रकार का समन्वय कर शिक्षा देने पर गांधीजी का अधिक झुकाव था, जैसे के चित्रकला, हस्तकला और शिल्पकला इनका एक दुसरे से नजदिकी संबंध आता है।तो इस तरह से विभिन्न कलाओ का आपस मे तालमेल साध कर शिक्षा दी जाये।

१४ साल से उपर के आयु के बच्चो को पूर्णतः रोजगार पूरक शिक्षा देने पर गांधीजी का अधिक बल था, जिससे वो बच्चे आगे चलकर रोजगार हेतू सक्षम बन पाये।

गांधीजी ने शिक्षा पद्धती मे सहयोगी क्रिया पर पहल तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व पर अधिक कार्य किया, ये निष्कर्ष शिक्षा के लिये स्थापित “झाकीर हुसैन समिति” द्वारा दिया गया है।

गांधीजी शिक्षा मे अनुशासन को बहूत अधिक महत्व देते थे, इसके अलावा छात्रो को आत्मबल अधिक बढाने के साथ, वो अध्यापक वर्ग को ब्रह्मचर्य एवं संयमित जीवन जिने की सलाह देते थे।जिससे के छात्रो के सामने आदर्श एवं उच्च आदर्श का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके।

गांधीजी छात्रो मे एवं अध्यापको मे सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, प्रेम, न्याय और परिश्रम इत्यादी गुणो को विकसित करने पर अधिक बल देते थे।

महात्मा गांधी जी द्धारा लिखी गईं किताबें – Mahatma Gandhi Books

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, अच्छे राजनेता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखन कौशल से देश के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के संघर्ष का बेहद शानदार वर्णन किया है। उन्होंने अपनी किताबों में स्वास्थ्य, धर्म, समाजिक सुधार, ग्रामीण सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लिखा है।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी ने  इंडियन ओपनियन, हरिजन, यंग इंडिया, नवजीवन आदि पत्रिकाओं में एडिटर के रुप में भी कार्य किया है। उनके द्धारा लिखी गईं कुछ प्रमुख किताबों के नाम निम्नलिखित हैं-

  • हिन्दी स्वराज (1909)
  • मेरे सपनों का भारत (India of my Dreams)
  • ग्राम स्वराज (Village Swaraj by Mahatma Gandhi)
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (Satyagraha in South Africa)
  • एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी (An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth (1927) 
  • स्वास्थ्य की कुंजी (Key To Health)
  • हे भगवान (My God)
  • मेरा धर्म(My Religion)
  • सच्चाई भगवान है( Truth is God)

इसके अलावा गांधी जी ने कई और किताबें लिखी हैं, जो न सिर्फ समाज की सच्चाई को बयां करती हैं, बल्कि उनकी दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करती हैं।

महात्मा गांधी जी के स्लोगन – Mahatma Gandhi Slogan

सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व महात्मा गांधी जी के ने अपने कुछ महान विचारों से प्रभावशाली स्लोगन दिए हैं। जिनसे देशवासियों के अंदर न सिर्फ देश-प्रेम की भावना विकिसत होती है, बल्कि उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा मिलती है, महात्मा गांधी जी के कुछ लोकप्रिय स्लोगन इस प्रकार हैं-

  • आपका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं- महात्मा गांधी
  • करो या मरो- महात्मा गांधी
  • शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है, यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है- महात्मा गांधी
  • पहले वो आप पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेगें, और फिर वो आपसे लड़ेंगे तब आप निश्चय ही जीत जाएंगे – महात्मा गांधी
  • अपना जीवन कुछ इस तरह जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसे सीखो जैसे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो- महात्मा गांधी
  • कानों का दुरुपयोग मन को दूषित एवं अशांत करता है- महात्मा गांधी
  • सत्य कभी भी ऐसे कारण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता जो कि उचित हो-महात्मा गांधी
  • भगवान का कोई धर्म नहीं है- महात्मा गांधी
  • ख़ुशी तब ही मिलेगी जब आप, जो भी सोचते हैं, जो भी कहते हैं और जो भी करते हैं, वो सब एक सामंजस्य में हों- महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जी की जयंती – Mahatma Gandhi Jayanti

mahatma gandhi biography in hindi short

2 अक्टूबर को पूरे देश में गांधी जयंती ( Gandhi Jayanti ) के रुप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में जन्में थे। गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे, इसलिए 2 अक्टूबर के दिन को पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

गांधी जयंती के मौके पर स्कूल, कॉलेजों में अन्य शैक्षणिक संस्थानों में तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत कई बड़े राजनेता दिल्ली के राजघाट पर बनी गांधी प्रतिमा पर सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। वहीं गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है।

महात्मा गांधी की कुछ खास बातें – Some special things of Mahatma Gandhi

  • सादा जीवन, उच्च विचार –

राष्ट्रपति महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi सादा जीवन उच्च विचार में भरोसा रखते थे उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें ‘महात्मा’ कहकर बुलाते थे।

  • सत्य और अहिंसा –

महात्मा गांधी के जीवन के 2 हथियार थे सत्य और अहिंसा। इन्हीं के बल पर उन्होनें भारत को गुलामी से आजाद कराया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

  • छूआछूत को दूर करना था गांधी जी का मकसद

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली छुआछूत जैसी कुरोतियों को दूर करना था इसके लिए उन्होनें काफी कोशिश की और पिछड़ी जातियों को उन्होनें ईश्वर के नाम पर हरि ‘जन’ नाम दिया।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु – Death of Mahatma Gandhi

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

एक नजर में महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य – Mahatma Gandhi Short Biography

  • 1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधी जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगों को संघटित करके उन्होंने 1894 में “ नेशनल इंडियन कॉग्रेस ” की स्थापना की।
  • 1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना जरुरी था। इसके अलावा रंग भेद नीती के खिलाफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
  • 1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
  • 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
  • 1920 में नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
  • 1924 में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
  • 1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुआ। नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
  • 1931 में राष्ट्रिय सभा के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
  • 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
  • 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
  • 1934 में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी।
  • 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
  • व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी – Mahatma Gandhi ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः 15 अगस्त 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया।
  • 1948 में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था।

महात्मा गांधी महान पुरुष थे उन्होनें अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काम किए वहीं गांधी जी के आंदोलनों की सबसे खास बात यह रही कि उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी संघर्षों का डटकर सामना किया।

उन्होनें अपने जीवन में हिंदू-मुस्लिम को एक करने के भी कई कोशिश की। इसके साथ ही गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि हर कोई उनसे मिलने के लिए आतुर रहता था और उनसे मिलकर प्रभावित हो जाता था।

मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi   भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।

महात्मा गांधी जी पर बनी फिल्में – Mahatma Gandhi Movie

महात्मा गांधी जी आदर्शों और सिद्धान्तों पर चलने वाले महानायक थे, उनके प्रेरणादायक जीवन पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अन्य देशप्रेमियों और स्वतंत्रता सेनानियों पर भी बनी फिल्मों में गांधी जी का अहम किरदार दिखाया गया है। यहां हम आपको गांधी जी बनी कुछ प्रमुख फिल्मों की सूची उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-

  • फिल्म- ‘गांधी’ (1982)

डायरेक्शन-   रिचर्ड एटनबरो

गांधी जी का किरदार निभाया- हॉलीवुड कलाकार बने किंस्ले

2- फिल्म- ”गांधी माइ फादर”(2007)

डायरेक्टर- फिरोज अब्बास मस्तान

गांधी जी का किरदार निभाया- दर्शन जरीवाला

3- फिल्म- ”हे राम” (2000)

डायरेक्टर-कमल हसन

गांधी जी का किरदार निभाया- नसीरुद्दीन शाह

4- फिल्म- ”लगे रहो मुन्नाभाई”

डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी (2006)

गांधी जी का किरदार निभाया- दिलीप प्रभावलकर

5- फिल्म- ”द मेकिंग ऑफ गांधी”(1996)

डायरेक्टर- श्याम बेनेगल

गांधी जी का किरदार निभाया-रजित कपूर

6- फिल्म- ”मैंने गांधी को नहीं मारा”(2005)

डायरेक्शन- जहनु बरुआ

इसके अलावा भी कई अन्य फिल्में भी गांधी जी के जीवन पर प्रदर्शित की गई हैं।

महात्मा गांधी जी के भजन – Mahatma Gandhi Bhajan

महात्मा गांधी जी के प्रिय भजन जिसे वह अक्सर गुनगुनाते थे-

भजन नंबर 1-

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे ।। पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे ।। सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे ।। वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे ।। वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे ।। समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, पर स्त्री जेने मात रे ।। जिहृवा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे ।। मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ वैराग्य जेना तन मा रे ।। राम नामशुं ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मा रे ।। वण लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्या रे ।। भणे नर सैयों तेनु दरसन करता, कुळ एको तेर तार्या रे ।।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी का यह भजन साल 2018 में वैश्विव हो गया था, इस भजन को 124 देशों के कलाकरों ने एक साथ गाकर बापू जी को श्रद्धांजली अर्पित की थी।

भजन नंबर 2-

रघुपति राघव राजाराम,

पतित पावन सीताराम

सीताराम सीताराम,

भज प्यारे तू सीताराम

रघुपति राघव राजाराम ।।

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,

सब को सन्मति दे भगवान

रात का निंदिया दिन तो काम

कभी भजोगे प्रभु का नाम

करते रहिए अपने काम

लेते रहिए हरि का नाम

रघुपति राघव राजा राम ।।

इस भजन के अलावा भी गांधी जी ”साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।।।……..” आदि भजन भी गुनगुनाते थे ।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जो हम आपको यहाँ बतायेंगे …

महात्मा गांधी के बारे में रोचक और अनसुने कुछ तथ्य – Fact about Mahatma Gandhi

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई ऐसे रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों। जिनके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख के द्धारा बताएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं –

1) गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, इनके पिता करम चंद गांधी कट्टर हिंदू थे और जाति से मोध बनिया थे। गांधी जी गुजारात की राजधानी पोरबंदर के दीवान थे, इसके अलावा वे राजकोट और बांकानेर के दीवान भी रह चुके थे। उनकी मातृभाषा गुजराती थी।

2) आजादी के महानायक महात्मा गांधी को एक बहादुर, साहसी और बोल्ड नेता के रुप में तो सभी जानते हैं, लेकिन आपको बता दें कि उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह बचपन में काफी शर्मीलें स्वभाव के व्यक्ति थे, यहां तक कि वे अपने सहपाठियों से बात करने में भी हिचकिचाते थे।

3) 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को विश्व अंहिसा दिवस के रुप में घोषित किया है, इसलिए उनकी जन्मदिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

4) महात्मा गांधी, पुतलीबाई और करमचंद गाधी जी की सबसे छोटी संतान थे, उनके दो भाई और एक बहन भी थी।

Mahatma Gandhi old photo

5) ऐसा माना जाता है कि 12 अप्रैल साल 1919 को रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने गांधीजी को ‘महात्मा’ कहकर संबोधित किया था। हालांकि इसको लेकर भी विद्धानों के अलग-अलग मत हैं।

6) महात्मा गांधी के बारे मे यह भी काफी रोचक है कि, उन्हें 5 बार नोबल पीस प्राइज के लिए नोमिनेट किया गया, लेकिन यह पुरस्कार कभी वह हासिल नहीं कर सके। क्योंकि साल 1948 में यह पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी गोडसे द्दारा हत्या कर दी गई थी। हालांकि नोबल कमेटी ने यह पुरस्कार उस साल किसी को नहीं दिया था।

7) भारत के राष्ट्रपिता को अमेरिका की टाइम मैग्जीन द्धारा साल 1930 में “Man of the year” पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

8) महात्मा गांधी के बारे में यह अति रोचक तथ्य है कि वे अपने पूरे जीवनकाल में कभी अमेरिका नहीं गए और यह भी कहा जाता है कि 24 साल विदेश में रहने के बाद भी वह कभी एयर प्लेन में भी नहीं बैठे।

9) सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाले गांधी जी हर रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे, उनके जीवनकाल ने इस यात्रा के मुताबिक यह आकलन लगाया जाता है, उनकी पैदलयात्रा पूरी दुनिया के दो चक्कर लगाने के बराबर थी। वहीं साल 1939 में 70 साल की आयु में भी गांधी जी का वजन 46 किलोग्राम था।

10) देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे। आपको बता दें कि कि गांधी जी को 13 बार गिरफ्तार किया गया था।

11) महात्मा गांधी के प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव पूरी दुनिया में है, इसलिए उनके सम्मान में उनके नाम के 53 मुख्य मार्ग भारत में और 48 सड़कें विदेशों में है।

12) जब 15 अगस्त, 1947 को हमारा भारत देश आजाद हुआ तो उस रात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी का भाषण सुनने के लिए महात्मा गांधी मौजूद नहीं थे, वे उस दिन उपवास पर थे। आपको बता दें कि 1921 में महात्मा गांधी से देश के आजादी तक हर सोमवार को व्रत रखने का संकल्प लिया था और उन्होंने अपने जीवन में करीब 1 हजार 41 दिन उपवास रखा।

13) आजादी के आदर्श महानायक गांधी जी ने देश के लिए कई आंदोलन किए, कई बार उन्हें राजनीतिक पद अपनाने के लिए भी प्रस्ताव रखा गया, लेकिन गांधी जी ने अपने पूरे जीवन काल में कभी भी राजनीति पद को नहीं अपनाया।

mahatma gandhi biography in hindi short

14) देश को आजादी करवाने के लिए गांधी जी ने तमाम आंदोलन किए और अंग्रेजी के खिलाफ कई सालों तक लड़ाई भी लड़ी, लेकिन अंग्रेजी सरकार ने ही महात्मा की मौत के 21 साल बाद उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया था, जो कि सराहनीय है।

15) महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवनकाल में तमाम संघर्ष और आंदोलन किए और सफलता भी हासिल की। इसके अलावा वे 4 महाद्दीप और 12 देशों में नागरिक अधिकार आंदोलन के लिए भी जिम्मेदार थे।

16) गांधी जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जब लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने वकालत करना शुरु किया था तो, वे कोर्ट में ठीक तरीके से अपना पक्ष भी नहीं रख पाते थे, यहां तक कि पहला केस लड़ते वक्त वह कांपने लगे और बहस बीच में ही छोड़कर बैठ गए, जिससे वह शुरुआती दौर में वकालत करने में फेल हो गए थे।

mahatma gandhi biography in hindi short

हालांकि बाद में वह एक कुख्यात और सफल वकील भी बने। वहीं दक्षिण अफ्रीका में उन्हें वकालत के लिए 15 हजार डॉलर सालाना मिलते थे, जो आज के करीब 10 लाख रुपए के बराबर हैं, वहीं कई भारतीयों की सालाना आय आज भी इससे कम है।

17) गांधी जी के जीवन के आदर्शों और उनके महान विचारों की वजह से उनके तमाम प्रशंसक थे, लेकिन एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी महात्मा गांधी जी के सम्मान में गोल चश्मा पहनते थे।

18) महात्मा गांधी जी के बारे में एक अति रोचक तथ्य है कि वे नकली दांत लगाते थे, जिसे वह अपने कपड़े के बीच में रखते थे और इसका इस्तेमाल सिर्फ खाना खाते वक्त ही करते थे।

19) महात्मा गांधी जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्हें फोटो खिंचवाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन आजादी की लड़ाई के दौरान वह एक ऐसे महानायक थे, जिनकी सबसे ज्यादा फोटो खींची गई थी।

20) महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को गोडसे द्धारा बिरला भवन के बगीचे में कर दी गई थी। उनकी अंतिम यात्रा में काफी लोगों का हुजुम उमड़ा था, उनकी शवयात्रा करीब 8 किलोमीटर लंबी थी, जिसमें पैदल चलने वालों की संख्या करीब 10 लाख थी, जबकि 15 लाख से भी ज्यादा लोग रास्ते में खड़े होकर उनके अंतिम दर्शन कर रहे थे।

आपको बता दें कि महापुरुष महात्मा गांधी जी की शवयात्रा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा भी कहा गया है।

इनके अलावा भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई ऐसे तथ्य हैं जो कि बेहद रोचक और महत्वपूर्ण है। हालांकि, महात्मा गांधी द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। महात्मा गांधी जैसे शख्सियत का भारतभूमि पर जन्म लेना गौरव की बात है।

अगले पेज पर पढ़िए – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बार में पुछे गये सवाल…

165 thoughts on “सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जीवनी”

' src=

महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। बहुत ही अच्छा लेख लगा एक महान नेता को नमन, धन्यवाद।

' src=

बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने थैंक यू

' src=

gandhi ji ka sampoorn parichay hindi me

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – महात्मा गाँधी सम्पूर्ण जीवन परिचय

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – महात्मा गाँधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान और प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869, को पोरबंदर, काठियावाड़ (भारत के प्रान्त गुजरात) जगह पर हुआ था, इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी जो सनातन धर्म की पंसारी जाति से संबध रखते थे, और ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे।

इनकी माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय की थीं। जो करमचन्द की चौथी पत्नी थी। करमचन्द की पहली तीन पत्नियाँ प्रसव के समय मर गयीं थीं। भक्ति करने वाली माता की देखरेख और प्रभाव के कारण गाँधी जी जैन परम्पराओं के प्रभाव में रहे और बाद में चलकर वही मोहनदास महात्मा गाँधी के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात हो गए। दुर्बलों में जोश की भावना, शाकाहारी जीवन, आत्मशुद्धि के लिये उपवास तथा विभिन्न जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता ये महात्मा गाँधी के कुछ अच्छे विचार थे जिनको वो सभी का बताया करते थे।

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – संछिप्त परिचय – 1869-1948

Mahatma Gandhi Biography In Hindi

पूरा नाम – मोहन दास करमचंद गाँधी अन्य नाम – राष्ट्रपिता, महात्मा, बापू जन्म – 2 अक्टूबर, 1869, को पोरबंदर, काठियावाड़ (भारत के प्रान्त गुजरात) पिता – करमचन्द गाँधी माता – पुतलीबाई परनामी स्कूली शिक्षा – पोरबंदर और राजकोट कॉलेज – शामलदास कॉलेज, यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन, कैरियर – दक्षिण अफ्रीका, प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के सलाहकार के रूप में आंदोलन – चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च), भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भी बहुत सारे आंदोंलन में गाँधी जी ने भाग लिया।

कम उम्र में शादी विवाह –

1883 में साढे 13 साल की उम्र में ही गाँधी जी का विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया। जब गाँधी जी 15 साल के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया, जिसके बाद कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी चल बसी उसी साल गाँधी जी के पिता जी भी चल बसे। बाद में गाँधी जी की चार संताने और हुई जिनके बारे में जानकारी हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900) इस प्रकार है।

महात्मा गाँधी की शिक्षा दीक्षा –

गाँधी जी ने स्कूली शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में पूरी की, उसके बाद वो भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिए गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा सन 1887 में अहमदाबाद से उत्तीर्ण की थी। ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए।

विदेश में शिक्षा और वकालत –

गाँधी जी अपने परिवारक मित्र मावजी दवे की सलाह पर लन्दन से बैरिस्टर की पढाई करने का फैसला किया और वो वर्ष 1888 में यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। वहां गाँधी जी को शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई क्योंकि वहां ज्यादातर लोग मांसाहार पसंद करते थे ऐसे में गाँधी जी को कई दिन भूखे सोना पड़ जाता था। धीरे – धीरे गाँधी जी वहां पर शाकाहारी भोजनालय के बारे में पता किया उसके बाद उनकी खाने पीने की समस्या का समाधान हो पाया। बाद में उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। जून 1891 में गाँधी भारत लौट आये। उसी समय उनकी माँ का स्वर्गवास हुआ था बाद में गाँधी जी बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की मगर उसमे उनको कुछ खास सफलता नहीं मिली, इसके बाद वो राजकोट वापस आ गए। जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का काम किया मगर उसमे भी उनको सफलता नहीं मिली उसके बाद गाँधी जी को सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत करने का मौका मिला।

गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914)

गाँधी जी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका गए। पहली बार वो प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के सलाहकार के रूप में उनका चयन किया गया। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये, वहां उन्होंने अपने जीवन में राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल को विकसित किया वहां उनको गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना भी करना पड़ा एक बार Gandhi Ji ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार कर दिया था जिसके बाद उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। यह सब बातें उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ले ली उसके बाद उन्होंने सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता के लिए काम करने का फैसला लेने का मन बना लिया फिर वे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए कुछ अच्छे कदम उठाने और उनको न्याय दिलाने के बारे में सोचने लगे।

भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के बारे में गाँधी को वहीँ से बिचार आने लगा उस समय हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था गाँधी जी साउथ अफ्रीका में ही मन बना लिए थे की वो अब अपने देश जाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और अपने देश को आजाद करवाएंगे।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945)

1914 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आये। वहां से वापस आने के बाद गाँधी जी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। उस समय कांग्रेस के एक नेता हुआ करते थे जिनका नाम गोपाल कृष्ण गोखले था, उन्हीं के कहने पर गाँधी जी साउथ अफ्रीका से वापस आये थे। दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने के बाद गाँधी जी ने सबसे पहले देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की।

Sabarmati-Ashram

साबरमती आश्रम: गुजरात में गांधी का घर जैसा 

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह –

गांधी जी बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों में पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। बिहार के चंपारण में ब्रिटिश ज़मींदार किसानों को खाद्य फसलों की जगह नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे, और सस्ते मूल्य पर उनसे फसल खरीद लेते थे, जिससे किसानों की हालत दिन बा दिन बिगड़ती जा रही थी, कारण वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। उसी समय एक विनाशकारी अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया।

1918 में गुजरात की एक जगह खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसानों की हालत बहुत ख़राब हो गयी थी, लोग कर माफ़ी की मांग करने लगे खेड़ा में गाँधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए गए, अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार चंपारण और खेड़ा के बाद गांधी की ख्याति देश भर खूब फैली और गाँधी के महान नेता के रूप में पूरे भारत में प्रचलित होने लगे।

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – खिलाफत आन्दोलन

कांग्रेस के अन्दर और मुस्लिमों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गाँधी जी को खिलाफत आन्दोलन के जरिये मिला। यह एक विश्वव्यापी आन्दोलन था, जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध सारी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी। खिलाफत का नेतृत्व ‘आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस’ द्वारा किया गया।

असहयोग आन्दोलन –

असहयोग आन्दोलन में गाँधी जी ने अनेकों कार्य किये जिसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप mahatma gandhi in hindi wikipedia पर जाकर पूरी जानकारी ले सकते है।

स्वराज और नमक सत्याग्रह –

असहयोग आन्दोलन के समय गिरफ्तार गाँधी जी वर्ष 1924 में रिहा हुए और सन 1928 तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। इस दौरान वह स्वराज पार्टी और कांग्रेस के बीच मन मुटाव को कम करने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ भी लड़ते रहे। दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। अंग्रेजी हुकुमत से कोई जबाब न मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया।

बाद में गाँधी जी ने सरकार के खिलाफ नमक पर कर लगाने के कारण नमक सत्याग्रह चलाया उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। जिसका उद्देश्य था स्वयं द्वारा नमक बनाना जिसके चलते उस समय सरकार ने 60 हजार से अधिक लोगों को गिरप्तार कर लिया। बाद में लार्ड इरविन के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने गांधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया, फलस्वरूप गांधी-इरविन संधि पर मार्च 1931 में हस्ताक्षर हुए। इस संधि से ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने पर सहमति जता दी उसके बाद सबको रिहा कर दिया।

उसके बाद कांग्रेस का एक प्रतिनिधि लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया, लेकिन इसमें कुछ खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद गांधी फिर से गिरफ्तार कर लिए गए, सरकार फिर से राष्ट्रवादी आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की। 1934 में गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया उसके बाद गाँधी जी ने भारत को शिक्षित करने, छुआछूत के ख़िलाफ़ आन्दोलन जारी रखने, कताई, बुनाई और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों की आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा प्रणाली बनाने का काम शुरू किया।

हरिजन आंदोलन –

दलित नेता बी आर अम्बेडकर के अथक प्रयासों के बाद भी ब्रिटिश सरकार ने अछूतों के लिए एक नए संविधान के अंतर्गत पृथक निर्वाचन कराने को मंजूरी दे दी जिसके खिलाफ येरवडा जेल में बंद गांधीजी ने इसका विरोध किया 1932 की सुबह से छ: दिन का उपवास गाँधी जी ने किया। सरकार को एक समान व्यवस्था (पूना पैक्ट) अपनाने पर मजबूर किया। 8 May 1933 को गांधी जी ने आत्म-शुद्धि के लिए फिर से 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की। अम्बेडकर जैसे नेता इस आंदोलन से खुश नहीं थे

द्वितीय विश्व युद्ध और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ –

अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को मुबंई में 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल ले जाया गया जहाँ उन्हें दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। इसी समय उनकी पत्नी का देहांत 22 फरवरी 1944 को हो गया। उसके बाद गाँधी जी को मलेरिया हो गया, ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत उनको जेल में नहीं रखी और रिहा कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत को संगठित कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया था की जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाँथ सौंप दी जाएगी।

उसके बाद गाँधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन ख़तम कर दिया और सरकार ने लाखों कैदियों को रिहा कर दिया। उस समय से अंग्रेजों को लगने लगा था की अब भारत को छोड़ देना चाहिए उनके कुछ अफसर और जर्नल ने भारतियों को बताया था की बहुत जल्द भारत को आजादी मिलने वाली है।

देश का विभाजन और आजादी –

Mahatma Gandhi Biography In Hindi, 2nd World War के समाप्त होते-होते ब्रिटिश सरकार ने देश को आज़ाद करने का संकेत दे दिया था। भारत की आजादी में साथ – साथ योग्यदान देने वाले मुस्लिम नेता जिन्ना ने एक अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग करने लगे जिसको आप आज पाकिस्तान के नाम से जानतें है गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे पर ऐसा हो न सका। और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया।

गाँधी जी की हत्या –

Mahatma Gandhi Biography In Hindi, 30 Jan 1948 को महात्मा गाँधी की दिल्ली के ‘ बिरला हाउस ’ में शाम के समय 5:17 पर हत्या कर दी गयी। उस समय गाँधी जी एक सभा को सम्बोधित करने जा रहे थे। उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। इस तरह एक महान नेता का अंत हो गया ऐसा माना जाता है की गाँधी जी में मुख से अंतिम समय में ‘हे राम’ शब्द निकला था। महात्मा गाँधी की मौत के बाद नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया गया बाद में 1949 में में उनको फांसी की सजा सुनाई गयी।

इसे भी पढ़ें – 

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

Swami Vivekananda Biography In Hindi

Mahatma Gandhi Biography In Hindi से जुडी जानकारी कैसी लगी ?

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

hindi parichay

महात्मा गांधी की जीवनी: Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

Information About Mahatma Gandhi in Hindi:  श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी (महात्मा गांधी) – (02 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948) – महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपको नीचे पढ़ने को मिलेगा।⇓

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता, बापू जी, महात्मा गांधी भी कहा जाता है। पूरे भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी को सुपर फाइटर के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होंने कई आंदोलन किये और जीते भी। इन्हे कौन नहीं जानता? पूरे भारत वर्ष में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हे नहीं जानता होगा। आज के इस लेख में हम बात केवल  महात्मा गांधी की जीवनी की ही नहीं उनसे जुड़ी घटनाओं की भी बात करेंगे।

मैं आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ जिन्हें आपको जानने में बहुत आनंद आयेगा।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

महात्मा गांधी जी भारत के मात्र एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे सम्पूर्ण भारत “बापू जी” के नाम से बुलाता है। बापू जी ने हमेशा एक सदाचार जीवन व्यतीत किया था। महात्मा गांधी जी एक साधारण परिवार में जन्मे थे और उन्होने अपना जीवन अपनी जनता के लिए बिताया। साधारण जीवन जीना बेहद ही मुश्किल होता है और ऐसे साधारण जीवन में बड़े बड़े काम कर देना भी कोई आसान काम नहीं है।

अगर मैं बात करू की गांधी जी ने ऐसा किया क्या जिसकी वजह से भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या उन्हे “बापू जी” के नाम से बुलाते है। तो इसे जानने के लिए सम्पूर्ण लेख पढ़ना होगा। बेहद ही आसान शब्दों में  महात्मा गांधी का जीवन परिचय लिखा गया है कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

About Gandhiji in Hindi ( Short Bio )

महात्मा गांधी जी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर जिला में 02 अक्तूबर 1869 को एक साधारण से परिवार में उनका जन्म हुआ था। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी , कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे। गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन पोषण वैष्णव माता को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी अधिक गहरा प्रभाव रहा। जिसकी वजह से इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्म शुद्धि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था और गांधी जी भी इस नियम को मानते थे।

गांधी जी की शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट , यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन से पूरी हुई। पढ़ाई के बाद वो अपने देश भारत वापस लौट आए। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया। विद्यालय में पढ़ने वाले गांधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया था। अब हम Mahatma Gandhi Ke Bare Mein (महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी) विस्तार से जानते हैं।

Topic we cover:

  • Mahatma Gandhi Information in Hindi
  • Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

  • Mahatma Gandhi Speech in Hindi
  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी निबंध

गांधी जी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय पोरबंदर नामक स्थान पर 02 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी जी कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत पोरबंदर के प्रधानमंत्री थे। बाद में वो उनके पिता जी सनातन धर्म की पंसारी जाती से सम्बन्ध रखते थे। वैसे गुजराती भाषा में गांधी का मतलब पंसारी से होता है। इसका मतलब इत्र (perfume) बेचने वाला भी होता है।

Grammarly Writing Support

महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई था और वो परनामी वैश्य समुदाय की थी। महात्मा गांधी जी के पिता की पहले तीन पत्नियां थी और प्रसव पीड़ा के कारण उनकी मृत्यु हुई थी जिस कारण करमचंद गांधी जी का चौथा विवाह करना पड़ा था। उनकी माता पहले से ही भगवान की पूजा पाठ में व्यस्त रहती थी तो उनका ये सकारात्मक प्रभाव गांधी जी पर भी पड़ा। जिसकी वजह से गांधी जी हमेशा कमजोरों में ताकत व ऊर्जा की भावना जगाते रहते थे, शाकाहारी खाना, आत्मा की शुद्धि के लिए व्रत भी किया करते थे।

महात्मा गांधी की शिक्षा: Mahatma Gandhi Education in Hindi

बम्बई यूनिवर्सिटी से मेट्रिक 1887 ई में पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। उनका परिवार उन्हें बैरिस्टरी बनाना चाहता था। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लंदन गए जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन ( University College London ) में दाखिला (ADMISSION) लिया।

गांधी जी शुरू से ही शाकाहारी थे और उन्होंने लंदन में भी इस नियम को बनाए रखा। जिस रवैये ने गांधी जी के व्यक्तित्व को लंदन में एक अलग छवि प्रदान की। गांधी जी ने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्व बंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बोध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

About Mahatma Gandhi in Hindi | ( वकालत का आरम्भ )

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस मुंबई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा। परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi Short

महात्मा गांधी जी का विवाह

महात्मा गांधी जी का विवाह कब और किसके साथ हुआ?

सन् 1883 में उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ। उस समय गांधी जी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा मखंजी जी 14 वर्ष की थी। गांधी जी, “कस्तूरबा”  जी को “बा” कह कर बुलाते थे। यह बाल विवाह उनके माता पिता द्वारा तय करा गया था| गाँधी जी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।

महात्मा गांधी के बेटे का नाम क्या था

  • हरिलाल गांधी (1888 ई)
  • मणिलाल गांधी (1892 ई)
  • रामदास गांधी (1897 ई)
  • देवदास गांधी (1900 ई)

विदेश में वकालत व शिक्षा: महात्मा गांधी का जीवन परिचय

4 सितम्बर 1888 ई को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून (law) की शिक्षा ग्रहण करने व बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गये। भारत छोड़ते वक्त जैन भिक्षु बेचारजी की दी गयी।

सिख व अपनी माता को दिए गये वचन की “मास मदिरा” का सेवन न करने को लंदन में काफी सक्षम रखा।

हांलाकि, महात्मा गांधी जी ने लंदन में रह कर वहां की सभी रीति रिवाजों को अपनाया व अनुभव किया। उदाहरण के लिए गांधी जी वहां पर नृत्य कक्षाओं में भी जाया करते थे। मगर फिर भी उन्होंने कभी भी अपनी मकान मालकिन द्वारा बनाये मास एवं पत्ता गोभी को नहीं खाते थे। वे शाकाहारी भोजन खाने के लिए शाकाहारी भोजनालय जाते थे। उनकी माता से उन्हें काफी लगाव था वो अपनी माता की कही बातों पर बहुत अमल करते थे। इसी वजह से उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन को ही अपनाया।

उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता अपनाई और इस कार्यकारी समिति के लिए उनका चयन भी हो गया। जहाँ उन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नीव भी रखी। बाद में उन्होंने संस्थाए भी गठित की तभी उनकी मुलाकात कुछ शकाहारी लोगों से हुई जो थिओसोफिकल सोसाइटी के सदस्य थे। इस सोसाइटी की स्थापना 1875ई विश्व बंधुत्व को प्रबल करने के लिए बनाई गयी थी और बौध धर्म एवं सनातन धर्म के साहित्य के अध्यन के लिए समर्पित किया गया था।

उन लोगों के विशेष रूप से कहे जाने पर गांधी जी ने श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ा और जाना। लेकिन गांधी जी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई में और अन्य प्रकार की जाती में विशेष रूचि नहीं रखते थे। इंग्लैंड और वेल्स एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद अंशकालिक नौकरी वो भी एक स्कूल में प्रार्थना पत्र भेजा वो भी आस्विकर हो गया जिसके कारण उन्हें जरूरतमंदों के लिए राजकोट को अपने मुकाम बना लिया। मगर एक अंग्रेज अधिकारी की बेवकूफी के कारण उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा।

अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस घटना का वर्णन अपने बड़े भाई की और से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। इसी कारणवश उन्होंने 1893ई में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिण अफ्रीका में, जो उन दिनों ब्रिटिश का भाग होता था, एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन

Mahatma Gandhi History in Hindi

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा

  • महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका कब गए थे
  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आश्रम का नाम
  • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को क्या कहते हैं
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास PDF

दक्षिण अफ्रिका में गांधीजी को भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा।

प्रथम श्रेणी कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया था और तो और पायदान पर बची हुई यात्रा पर एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने पर चालक द्वारा मार भी खानी पड़ी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई तरह की बेइज्जती सही और और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, अफ्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया।

इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी जी दिल और दिमाग पर ले गये जिस कारण आगे गांधी जी ने अपना जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कदम उठाये।

भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : महत्वपूर्ण तथ्य

सन् 1916 ई में गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आये और अपनी कोशिशों में लग गए।

कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी। मगर पहले हम बात करेंगे चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के बारें में।

चंपारण और खेड़ा आंदोलन | महात्मा गांधी का जीवन परिचय

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (CHAMPARAN) और खेडा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जैसी खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। अपने खाने पीने तक का कोई खेती नहीं हो पा रही थी बस कुछ घर पर आता और बाकि पैसा कर्ज में काट लिया जाता था। कम पैसे कमाना और ज्यादा कर भरना किसानों पर जुल्म था जो की गांधी जी देखा नहीं गया।

गाँव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलाने लगी थी। खेड़ा (KHEDA), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। सबसे पहले तो गांधी जी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ।

उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कारवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया। गांधी जी ने अदालत में जमीदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।

Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

खिलाफत आंदोलन कब हुआ | महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जो की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है तो गांधी जी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आन्दोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस  [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी जी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लग गई जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आन्दोलन पूरी तरह से बंद हो गया | गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए’, कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।

असहयोग आन्दोलन सन् 1920 ई | NON COOPERATION MOVEMENT IN HINDI

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब जलियांवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी।

दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आन्दोलन आरंभ किया गया । इस आन्दोलन का अर्थ था की किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस आन्दोलन को गांधी जी का प्रमुख आन्दोलन भी कहा जाता है।  असहयोग आन्दोलन सितम्बर 1920ई – फरवरी 1922 तक चला। गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। गांधी जी को ये भी पता था कि ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती हैं यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

गांधी जी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों को गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आन्दोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा-चौरी के नाम से जानते हैं। जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा और आन्दोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।

चोरा चोरी की घटना कब हुई थी? चौरी चौरा की घटना का क्या महत्व था?

उत्तर प्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया।

गांधी जी का कहना था की “ हमें सम्पूर्ण आन्दोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रकिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं “ जिस के कारण गांधी जी ने अपने आन्दोलन को वापस ले लिया था।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन/ डंडी यात्रा / नमक आन्दोलन सन् 1930 – CIVIL DISOBEDIENCE MOVEMENT / DANDI MARCH / SALT MOVEMENT

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को ना मानना और उस बात की अवहेलना करना। सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी  जी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था।

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नहीं मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे: ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नहीं अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नहीं बनाएगी। तब 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्वारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था। वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उल्लंघन किया था।

गांधी जी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन् 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही। 31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फहराया गया था। इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आजादी का दिन समझ कर मनाया था। यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माना गया था। इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था। 400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था।

गांधी जी सुभाष चन्द्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आजादी की मांग के विचारों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया। इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा। लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया। इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई। सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी।

गांधी जी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन निराशाजनक रहा। इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यकों पर केंद्रित होना था। लार्ड विलिंगटन ने भारतीय राष्ट्रवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी जी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायियों को उनसे मिलने तक भी नहीं जाने दिया। मगर ये युक्ति भी बेकार गयी।

Mahatma Gandhi History in Hindi | हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है?

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछूत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया। इसके विरुद्ध गांधी जी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी। मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया।

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतीयों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है।

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं। गांधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं। पुन संधि में ये साबित हो गया की गांधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता। उस समय छुआछूत सबसे बड़ी समस्या थी। हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था। केरल राज्य का जनपद त्रिशूर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं। गुरुवायुर मंदिर जिसमें  कृष्ण भगवान बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियां है परंतु वहां पे भी हरिजन लोगों को जाने नहीं दिया जाता था।

भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ | QUIT INDIA MOVEMENT IN HINDI

अभी तक के आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था। सन् 1940 के दशक तक सभी लोग बड़े हो या फिर बच्चा सभी अपने देश की आजादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे। उनमें बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा, परंतु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा। प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी। इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

महात्मा गांधी जी की हत्या कब और कैसे हुई थी

Mahatma Gandhi Death Information in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे और उनको गोली मार दी गयी थी।

गांधी जी के हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे था। ये राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया। गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे को केस चला कर जेल भेज कर सजा दी गयी थी। नाथूराम गोड से  को 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी।

राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहां पर गांधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है कहा जाता है की गांधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से ‘हे राम’ निकला था। ऐसा जवाहर लाल नेहरू जी ने रेडियो के माध्यम से देश को बताया था।

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पूरे देश में घुमाया गया। महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 ई को जल में प्रवाह कर दिया था। शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गांधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था। 30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गांधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया।

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है। इस परिवार को पता था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था।

Recommended Books For Mahatma Gandhi Ji in Hindi and English

महात्मा गांधी का जीवन परिचय.

महात्मा गांधी जी का जीवन बहुत ही सीधा और सरल था। उन्हे अहिंसा में विश्वास था उनका मानना था की अगर कोई गाल पर एक चांटा लगा दे तो उसके आगे दूसरा गाल भी कर दो जिससे मरने वाला शर्म के मारे मर जाए और आपसे माफी मांगे। अहिंसा परमों धर्मा गांधी जी का मानना था की अगर किसी समस्या का हल निकालना है तो उसे ठन्डे दिमाग से बिना क्रोध किए निकालने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप अपने गुस्से से किसी समस्या का हल निकलेंगे तो आप ओर भी ज्यादा उस समस्या में फंसते चले जाएंगे।

गांधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई बिना किसी अस्त्र शस्त्र के जीत के दिखाई थी। अपनी बेइज्जती होने के बाद भी गुस्से में गलत कदम नहीं उठाया था उन्होने अपने शिष्यों को भी ऐसी ही सलाह दी थी की जिससे उनका जीवन सफल हो जाए। दोस्तों, गांधी जी के जीतने भी आंदोलन थे सब के सब बिना किसी हिंसा, बिना किसी शोर शराबे के चलाये गए थे।

महात्मा गांधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी का नारा था

“कारों या मारो”
“अहिंसा परमो धर्म”
“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, यतनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”
“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो”
“सादा जीवन उच्च विचार”
बनना है तो गांधी जी के जैसा बनने की कोशिश करो बिना लड़ाई झगड़े के अपने जीवन को बदल के रख दो.

Speech on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गांधी पर भाषण)

2 October Speech in Hindi: महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी राजकोट के दीवान हुआ करते थे। महात्मा गांधी जी की माता श्रीमती पुतलीबाई एक साधारण से जीवन को जीने वाली भारतीय नारी थी। महात्मा गांधी जी की माता बड़े ही सीधे स्वभाव की शांत रहने वाली महिला थी जिनकी वजह से महात्मा गांधी जी का स्वभाव भी ठीक उनकी ही तरह रहा। महात्मा गांधी जी के माता पिता बहुत साधारण व्यक्तित्व के लोग थे उनका जीवन साधारण लोगों की ही तरह था।

महात्मा गांधी जी की शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण हुई थी जिसके बाद महात्मा गांधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। जब महात्मा गांधी जी की वकालत की पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने भारत वापस आ कर अपनी वकालत शुरू की।

महात्मा गांधी जी को एक मुकदमे के चलते भारत छोड़ कर कुछ दिनों के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहां उन्होंने भारतीय लोगों की दूरदसा देखी जिस पर उन्हे ये एहसास हुआ की ये बहुत ही गलत हो रहा है। हम भारतीय लोगों के साथ इसे बदला जाना चाहिए नहीं तो हमारे आने वाले वंश इसी तरह रंग भेद और छुआछूत की बीमारी से ग्रसित रहेंगे।

गांधी जी ने बड़े बड़े आंदोलन चलाए और जीते भी, इन आन्दोलन को जीतने की सबसे बड़ी वजह मानव कल्याण के हित में था। गांधी जी ने सब आंदोलन जीते बिना किसी हथियार के इस्तेमाल से और ना बिना किसी दुर्व्यवहार के ये युद्ध जीता। दोस्तों कहने वाली नहीं मानने वाली बात है की महात्मा गांधी जी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सादे व्यवहार के साथ ब्रिटिशों को भगाया था और भारत में आजादी का तिरंगा फहराया था।

भारत की आजादी के लिए बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने लोहे के चने चबाये थे। कहा जाए तो आज हिंदुस्तान आजाद हुआ है तो केवल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के चलते। देश की आजादी के लिए कभी अंग्रेजों की मार खानी पड़ी तो कभी उनकी divide and rule की वजह से अपने हिन्दू मुस्लिम भाइयों में लड़ाई दंगे होते देखे। गांधी जी को केवल अपने स्वतंत्र भारत की ही सूची है हमेशा।

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। किसी वजह से इनको भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया हैं।

10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

आप सभी की जरूरतों को समझते हुए महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय में कम शब्दों में जानकारी दी गयी है।

गांधी जी सदा जीवन जीने में बहुत विश्वास करते थे। गांधी जी के जीवन में बहुत से संघर्षों से उनका सामना हुआ लेकिन वो बिना रुके आगे बढ़ते गए और आज उनको राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है।

गांधी जी अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा देना तो कोई बाबूजी से सीखें और उनके जीवन की तरह अपना जीवन जरूरत मंदों के नाम करें।

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी हैं।
  • महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • महात्मा गांधी जी के माता पिता का नाम पुतलीबाई और करम चन्द्र गांधी था।
  • महात्मा गांधी जी को बापू और राष्ट्र पिता के नाम से जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी जी को सदा जीवन उच्च विचार पसंद था।
  • महात्मा गांधी जी ने अन्य सभी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर हमारे देश को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाया था।
  • महात्मा गांधी जी ने भारतीय लोगों को सादा जीवन और स्वदेशी अपनाने का विचार दिया था।
  • महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन,और दांडी मार्च जैसे कई महान कार्य किए।
  • महात्मा गांधी जी की हत्या 30 जनवरी, 1948 मे नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी।
महात्मा गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी याद में और राष्ट्रपिता होने की वजह से उनका चित्र भारत की मुद्रा में देखने को मिलता है।

10 Lines on Mahatma Gandhi in English for Class 1 to 12

Mahatma gandhi essay in english in 500 words: Realizing the needs of all of you, the life introduction of Mahatma Gandhi has given less information.

Gandhi always believed in living life. He faced many struggles in the life of Gandhi Ji, but he kept moving without stopping and today he has been given the status of Father of the Nation.

If you spend your whole life in the well-being of the people, then one should learn from Bapuji and like his life, make his life in the name of the needy.

  • Our Father of the Nation is Mahatma Gandhi.
  • Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat.
  • Mahatma Gandhi’s full name is Mohandas Karamchand Gandhi.
  • Mahatma Gandhi’s parent’s names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi.
  • Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.
  • Mahatma Gandhi along with all other revolutionary freedom fighters got rid of our country from British rule.
  • Mahatma Gandhi had given the idea to the Indian people to adopt a simple life and Swadeshi.
  • Mahatma Gandhi Ji did many great works like the Non-Cooperation Movement, Civil Disobedience Movement, Salt Movement, and Dandi March.
  • Mahatma Gandhi was assassinated on 30 January 1948 by Nathuram Godse.
After the death of Mahatma Gandhi, in the memory of him and being the father of the nation, his picture is seen in the currency of India.

Mahatma Gandhi Poem in Hindi for Students

ऊपर मैंने आपको महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताया हैं, अब मैं आपके साथ महात्मा गांधी पर कविताएं  अपडेट करूँगा जो किसी ने ना सुनी हो वो में आपको देने वाला हूँ। कृपया करके इसे पढ़े और अपने मित्रों आदि में शेयर करना ना भूले।

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी जी की वो कविता जिसे दुनिया सबसे ज्यादा प्रिय समझती है।

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर हिन्दी कविता, महात्मा गांधी जयंती पर कविता, gandhi jayanti poem in hindi.

मैं उम्मीद करूंगा की आपको ये लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो देरी ना कीजिए, इस लेख को इतना शेयर कर दीजिये की दुनिया 02 अक्टूबर गांधी जी के जन्मदिन कविताएं को पढ़ कर रो पड़े।

– धन्यवाद

महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) का यह लेख यही समाप्त होता है। मुझे उम्मीद है की आपको सभी जानकारी मिली होगी। अगर आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।

– Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

Table of Contents

Similar Posts

जॉन अब्राहम का जीवन परिचय (भारतीय अभिनेता) – शिक्षा व उनकी फ़िल्में

जॉन अब्राहम का जीवन परिचय (भारतीय अभिनेता) – शिक्षा व उनकी फ़िल्में

नमस्कार प्रिय पाठकों आज मै आपको जॉन अब्राहम की सम्पूर्ण जीवनी बताने जा रहा हूँ| उम्मीद करता हूँ की आपको जॉन-अब्राहम के बारे में सबसे अलग जानकारी मिलेगी जिसे पढ़कर आपको अच्छा लगेगा. भारतीय सितारों में एक सितारा जॉन अब्राहम भी हैं| जॉन ने अपने जीवन में अभी तक कई फिल्मों में काम कर लिया…

पूज्य जया किशोरी जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय

पूज्य जया किशोरी जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय

– Jaya Kishori Biography in Hindi आज के समय में किसी को यकीन नहीं होता की इतनी छोटी सी उम्र में जिस उम्र में लोग पढ़ाई पूरी करते है और मौज-मस्ती करते है उस उम्र की लड़की कहा से कहा पहुँच गई है। भक्ति और अध्यात्म के मार्ग पर चल कर जया किशोरी जी ने…

एक्टर इरफान खान जीवनी, लेटेस्ट न्यूज़, पत्नी, परिवार

एक्टर इरफान खान जीवनी, लेटेस्ट न्यूज़, पत्नी, परिवार

Irrfan khan latest update: #RIPIrrfanKhan pic.twitter.com/BmNVcLFf3j — Himanshu Grewal (@best_himanshu) April 29, 2020 आज आपको इरफान खान जी के बारे में बताया जाएगा। इरफान अली खान जी बॉलीवुड के सितारे है जो बॉलीवुड में एक अहम भूमिका निभाते है। इरफान खान के बारे में अगर कहां जाए तो वो एक Real Hero Irrfan Khan  हैं। इरफान खान…

ईशान खट्टर बायोग्राफी (जीवन परिचय) – Ishaan Khattar

ईशान खट्टर बायोग्राफी (जीवन परिचय) – Ishaan Khattar

आज हम आपको ईशान खट्टर बायोग्राफी बताएँगे| ईशान खट्टर का जीवन परिचय जानकर आपको बेहद अच्छा लगेगा आज के समय में एक नए जोश के साथ एक नया सितारा उभरा है. ईशान ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत तो बहुत समय पहले आई फिल्म “वाह लाइफ हो तो ऐसी” से शुरू कर दी थी| करण जौहर…

यो यो हनी सिंह का जीवन परिचय, शिक्षा, और उनके सुपरहिट गाने

यो यो हनी सिंह का जीवन परिचय, शिक्षा, और उनके सुपरहिट गाने

आज हम बात करने जा रहे है भारत के और विदेशों के चहेते सिंगर, मशहूर गायक, रैपर यो यो हानी सिंह की| दोस्तों जैसा की आप सभी को पता है की यो यो हनी सिंह नौजवानों की जान है, बड़ों की शान है, बच्चों के सुपरमैन है. हनी सिंह ने बहुत ही कम समय में इतने…

सुनील शेट्टी जीवनी, जन्म, शिक्षा, पत्नी और करियर की जानकारी यहां पढ़ें!

सुनील शेट्टी जीवनी, जन्म, शिक्षा, पत्नी और करियर की जानकारी यहां पढ़ें!

सुनील शेट्टी का जीवन परिचय सुनील शेट्टी बॉलीवुड के स्टार रह चुके है। वे अभिनेता, निर्माता, टेलीविजन प्रिजेंटर और एंटरप्रेंयोर हैं. सुनील शेट्टी ने बॉलीवुड में अपना स्थान तो बनाया ही मगर बाहर की दुनिया में भी नाम कमाया है| एक एंटरप्रेंयोर के रूप में| सुनील शेट्टी को लोग अन्ना के रूप में भी जानते…

22 Comments

महात्मा गांधी के बारे में बहुत ही जबरदस्त जानकारी मिली आपकी वेबसाइट को धन्यवाद इतना विस्तार में गांधीजी के बारे में मैंने पहली बार पढ़ा है|

THANK YOU SIR

मुझे बहोत अच्छा लगा मय तुमको गांधी जैसा बनके दिकाउगा ये मेरा आपको वादा है कमसे कम हमारे गावमे तो जररूर बनुगा

अधिक जानकारी मिली। धन्यवाद। ।।।। रामराज सावन

कुछ सही लिखा है कुछ गलत लीखा गया है।

कृपया करके हमे बताये की क्या गलत लिखा है| हम उसको जल्द से जल्द ठीक करेंगे|

Very best news of

Thank-you so much

SAhi ha shaanu

Thank you SIR

Bahut vdia jivan parchey hai

nice blog sir, aapne bhut acha blog likha hai information sari sahi hai & kuch mujhe pata nahi ya bhul gaya tha but aapka blog padhkr aisa laga jaise fir se update ho gaya ho thank you sir kal mujhe apni branch me bolna hai some words about Gandhi g really this artical help me

मुझे ख़ुशी है की आपको जानकारी पसंद आई…!

महात्मागाँधी के जीवनपरिचय एवं सम्पुर्ण्ं ईतिहास सम्बन्धी पुस्तक चाईय

He. Desires. With. Vaish. Community. Really. I. Got. Full. Thank. That. How. Much. People. Can. Greatfull

Hamen bahut Achcha Laga is Kahani Ko Dekhkar

The information given by you is very good and informative and the way you write is also good. Thank you for the information.

This is best for me 🙂😊😺😸

This is best for me

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

close

Biography Online

Biography

Mahatma Gandhi Biography

Mahatma Gandhi was a prominent Indian political leader who was a leading figure in the campaign for Indian independence. He employed non-violent principles and peaceful disobedience as a means to achieve his goal. He was assassinated in 1948, shortly after achieving his life goal of Indian independence. In India, he is known as ‘Father of the Nation’.

“When I despair, I remember that all through history the ways of truth and love have always won. There have been tyrants, and murderers, and for a time they can seem invincible, but in the end they always fall. Think of it–always.”

Short Biography of Mahatma Gandhi

mahatma gandhi

Around this time, he also studied the Bible and was struck by the teachings of Jesus Christ  – especially the emphasis on humility and forgiveness. He remained committed to the Bible and Bhagavad Gita throughout his life, though he was critical of aspects of both religions.

Gandhi in South Africa

On completing his degree in Law, Gandhi returned to India, where he was soon sent to South Africa to practise law. In South Africa, Gandhi was struck by the level of racial discrimination and injustice often experienced by Indians. In 1893, he was thrown off a train at the railway station in Pietermaritzburg after a white man complained about Gandhi travelling in first class. This experience was a pivotal moment for Gandhi and he began to represent other Indias who experienced discrimination. As a lawyer he was in high demand and soon he became the unofficial leader for Indians in South Africa. It was in South Africa that Gandhi first experimented with campaigns of civil disobedience and protest; he called his non-violent protests satyagraha . Despite being imprisoned for short periods of time, he also supported the British under certain conditions. During the Boer war, he served as a medic and stretcher-bearer. He felt that by doing his patriotic duty it would make the government more amenable to demands for fair treatment. Gandhi was at the Battle of Spion serving as a medic. An interesting historical anecdote, is that at this battle was also Winston Churchill and Louis Botha (future head of South Africa) He was decorated by the British for his efforts during the Boer War and Zulu rebellion.

Gandhi and Indian Independence

After 21 years in South Africa, Gandhi returned to India in 1915. He became the leader of the Indian nationalist movement campaigning for home rule or Swaraj .

gandhi

Gandhi also encouraged his followers to practise inner discipline to get ready for independence. Gandhi said the Indians had to prove they were deserving of independence. This is in contrast to independence leaders such as Aurobindo Ghose , who argued that Indian independence was not about whether India would offer better or worse government, but that it was the right for India to have self-government.

Gandhi also clashed with others in the Indian independence movement such as Subhas Chandra Bose who advocated direct action to overthrow the British.

Gandhi frequently called off strikes and non-violent protest if he heard people were rioting or violence was involved.

gandhi-Salt_March

In 1930, Gandhi led a famous march to the sea in protest at the new Salt Acts. In the sea, they made their own salt, in violation of British regulations. Many hundreds were arrested and Indian jails were full of Indian independence followers.

“With this I’m shaking the foundations of the British Empire.”

– Gandhi – after holding up a cup of salt at the end of the salt march.

However, whilst the campaign was at its peak some Indian protesters killed some British civilians, and as a result, Gandhi called off the independence movement saying that India was not ready. This broke the heart of many Indians committed to independence. It led to radicals like Bhagat Singh carrying on the campaign for independence, which was particularly strong in Bengal.

In 1931, Gandhi was invited to London to begin talks with the British government on greater self-government for India, but remaining a British colony. During his three month stay, he declined the government’s offer of a free hotel room, preferring to stay with the poor in the East End of London. During the talks, Gandhi opposed the British suggestions of dividing India along communal lines as he felt this would divide a nation which was ethnically mixed. However, at the summit, the British also invited other leaders of India, such as BR Ambedkar and representatives of the Sikhs and Muslims. Although the dominant personality of Indian independence, he could not always speak for the entire nation.

Gandhi’s humour and wit

During this trip, he visited King George in Buckingham Palace, one apocryphal story which illustrates Gandhi’s wit was the question by the king – what do you think of Western civilisation? To which Gandhi replied

“It would be a good idea.”

Gandhi wore a traditional Indian dress, even whilst visiting the king. It led Winston Churchill to make the disparaging remark about the half naked fakir. When Gandhi was asked if was sufficiently dressed to meet the king, Gandhi replied

“The king was wearing clothes enough for both of us.”

Gandhi once said he if did not have a sense of humour he would have committed suicide along time ago.

Gandhi and the Partition of India

After the war, Britain indicated that they would give India independence. However, with the support of the Muslims led by Jinnah, the British planned to partition India into two: India and Pakistan. Ideologically Gandhi was opposed to partition. He worked vigorously to show that Muslims and Hindus could live together peacefully. At his prayer meetings, Muslim prayers were read out alongside Hindu and Christian prayers. However, Gandhi agreed to the partition and spent the day of Independence in prayer mourning the partition. Even Gandhi’s fasts and appeals were insufficient to prevent the wave of sectarian violence and killing that followed the partition.

Away from the politics of Indian independence, Gandhi was harshly critical of the Hindu Caste system. In particular, he inveighed against the ‘untouchable’ caste, who were treated abysmally by society. He launched many campaigns to change the status of untouchables. Although his campaigns were met with much resistance, they did go a long way to changing century-old prejudices.

At the age of 78, Gandhi undertook another fast to try and prevent the sectarian killing. After 5 days, the leaders agreed to stop killing. But ten days later Gandhi was shot dead by a Hindu Brahmin opposed to Gandhi’s support for Muslims and the untouchables.

Gandhi and Religion

Gandhi was a seeker of the truth.

“In the attitude of silence the soul finds the path in a clearer light, and what is elusive and deceptive resolves itself into crystal clearness. Our life is a long and arduous quest after Truth.”

Gandhi said his great aim in life was to have a vision of God. He sought to worship God and promote religious understanding. He sought inspiration from many different religions: Jainism, Islam, Christianity, Hinduism, Buddhism and incorporated them into his own philosophy.

On several occasions, he used religious practices and fasting as part of his political approach. Gandhi felt that personal example could influence public opinion.

“When every hope is gone, ‘when helpers fail and comforts flee,’ I find that help arrives somehow, from I know not where. Supplication, worship, prayer are no superstition; they are acts more real than the acts of eating, drinking, sitting or walking. It is no exaggeration to say that they alone are real, all else is unreal.”

– Gandhi Autobiography – The Story of My Experiments with Truth

Citation: Pettinger, Tejvan . “ Biography of Mahatma Gandhi” , Oxford, UK.  www.biographyonline.net 12th Jan 2011. Last updated 1 Feb 2020.

The Essential Gandhi

Book Cover

The Essential Gandhi: An Anthology of His Writings on His Life, Work, and Ideas at Amazon

Book Cover

Gandhi: An Autobiography – The Story of My Experiments With Truth at Amazon

Related pages

gandhi

Indian men and women involved in the Independence Movement.

  • Nehru Biography

He stood out in his time in history. Non violence as he practised it was part of his spiritual learning usedvas a political tool. How can one say he wasn’t a good lawyer or he wasn’t a good leader when he had such a following and he was part of the negotiations thar brought about Indian Independance? I just dipped into this ti find out about the salt march.:)

  • February 09, 2019 9:31 AM
  • By Lakmali Gunawardena

mahatma gandhi was a good person but he wasn’t all good because when he freed the indian empire the partition grew between the muslims and they fought .this didn’t happen much when the british empire was in control because muslims and hindus had a common enemy to unite against.

I am not saying the british empire was a good thing.

  • January 01, 2019 3:24 PM
  • By marcus carpenter

Dear very nice information Gandhi ji always inspired us thanks a lot.

  • October 01, 2018 1:40 PM

FATHER OF NATION

  • June 03, 2018 8:34 AM

Gandhi was a lawyer who did not make a good impression as a lawyer. His success and influence was mediocre in law religion and politics. He rose to prominence by chance. He was neither a good lawyer or a leader circumstances conspired at a time in history for him to stand out as an astute leader both in South Africa and in India. The British were unable to control the tidal wave of independence in all the countries they ruled at that time. Gandhi was astute enough to seize the opportunity and used non violence as a tool which had no teeth but caused sufficient concern for the British to negotiate and hand over territories which they had milked dry.

  • February 09, 2018 2:30 PM
  • By A S Cassim

By being “astute enough to seize the opportunity” and not being pushed down/ defeated by an Empire, would you agree this is actually the reason why Gandhi made a good impression as a leader? Also, despite his mediocre success and influence as you mentioned, would you agree the outcome of his accomplishments are clearly a demonstration he actually was relevant to law, religion and politics?

  • November 23, 2018 12:45 AM

web analytics

महात्मा गांधी की जीवनी- Mahatma Gandhi Biography Hindi

आज हम इस आर्टिकल में आपको महात्मा गांधी की जीवनी- Mahatma Gandhi Biography Hindi के बारे बताएंगे।

Mahatma Gandhi जी भारत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे और वे सत्याग्रह के माध्यम से प्रतिकार के अग्रणी नेता थे।

उनकी इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी रखी गई थी।

महात्मा गांधी जी ने भारत को स्वतंत्र कराने में अपनी अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन आदि आन्दोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ थ।

उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो कि सनातन धर्म के पंसारी जाति से संबंध रखते थे।

इनके पिता कट्टर हिंदू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में काठियावाड़ की रियासत पोरबंदर के प्रधानमंत्री थे।

इनकी माता का नाम पुतलीबाई थाऔर वे परनामी वैश्य समुदाय की थी।

महात्मा गाँधी के अन्य नाम बापू, राष्ट्रपति, गांधी जी थ।

गांधी जी का विवाह 1883 में 13.5 वर्ष की आयु में कस्तूरबा से हुआ था।

गांधीजी ” कस्तूरबा” को “बा” कह कर बुलाते थे।

उनका यह बाल विवाह उनके माता -पिता के द्वारा तय किया गया था।

महात्मागांधी के चार पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार है –

  • हरिलाल गांधी (1888ई .)
  • मणिलाल गांधी (1892ई. )
  • रामदास गांधी (1897 ई.)
  • देवदास गांधी (1900ई.)

महात्मा गांधी के शिक्षा

मोहनदास करमचंद गांधी ने 1887 मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से पुरी की और इसके आगे की परीक्षा के लिए भी भावनगर के शामलदास स्कूल में गए।

महात्मा गांधी का परिवार उन्हें बारिस्टर बनाना चाहता था।

सितंबर 1818 ई. को गांधी जी बारिस्टर पढ़ाई के लिए लंदन गए जहां पर उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया ।

गांधी जी ने अपनी मां को दिए हुए वचन के अनुसार अपने  शाकाहारी भोजन ही किया।

गांधीजी शुरू से ही शाकाहारी थे और उन्होंने लंदन में भी अपने इस नियम को बनाए रखा।

गांधीजी के व्यक्तित्व ने उसकी लंदन में एक अलग ही छवि प्रदान की। गांधीजी ने लंदन में थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के मुख्य सदस्यों से मिले। सोसायटी की स्थापना विश्व बंधुत्व के लिए 1875 में हुई थी और तो और इसमें बौद्ध धर्म, सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

वकालत का आरंभ – महात्मा गांधी की जीवनी

इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाए जाने पर गांधीजी वापस मुंबई लौट आए और उन्होंने यही पर अपनी वकालत की पढ़ाई शुरू की।

मुंबई में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी गांधी जी ने कुछ समय के लिए शिक्षक के पद पर काम करने के लिए एक अर्जी दी लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया।अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जी लिखने का काम शुरू करना पड़ा परंतु कुछ समय बाद ही उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा।

1893 ई. में  महात्मा गांधी जी एक वर्ष  के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।

दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका की यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी को भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा।

उन्हें प्रथम श्रेणी उसकी वेध टिकट होने के बाद भी तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इंकार कर दिया गया और उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था।इतना ही नहीं यात्रा करते समय पायदान पर एक अन्य यूरोपीय यात्री के अंदर आने पर उन्हें चालक से मार भी खानी पड़ी। इन्हें अपनी इस यात्रा के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

अफ्रीका के कई होटलों में उनको आने के लिए मना कर दिया गया। इसी तरह ही कई घटनाओं में से यह एक भी थी जिसमें अदालत के न्यायधीश ने उन्हें अपने पगड़ी उतारने का आदेश दे दिया था जिसे उन्होंने मानने से मना कर दिया।

गांधी जी के साथ हुई यही सारी घटनाएं उनके जीवन में एक नया मोड़ ले कर आई और विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरूकता का कारण बने तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने में मददगार साबित हुई।अफ्रीका में भारतीयों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अंतर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा अपने देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाए।

भारतीयों के आजादी के लिए संघर्ष

1916 ई. गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आए और अपनी कोशिशों में लग गए।

उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन पर अपने विचार व्यक्त किए लेकिन उनके विचार भारत के मुख्य मुद्दों, राजनीति तथा उस समय के कांग्रेस दल के प्रमुख भारतीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले पर आधारित थे, जो कि एक सम्मानित नेता थे।

चंपारण और खेड़ा – महात्मा गांधी की जीवनी

गांधी जी को सब अपनी पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह में मिली हालांकि अपने निर्वाह के लिए नील की खेती की खेती करने के बजाय नगद पैसा देने वाली खाद्य फसलों की खेती करने वाली आंदोलन भी महत्वपूर्ण रहे।

जमीदारों की ताकत का दमन करते हुए भारतीयों के नाम पत्र भरपाई बता दिया गया, जिससे वे अत्यधिक गरीबी से गिर गए। गांव में गंदगी अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां फैलाने लगी थी।

खेड़ा, गुजरात में भी यही समस्या थी।

पहले तो गांधीजी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों को उन पर विश्वास हुआ। उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को शोर-शराबे से हुई परेशानियों के लिए थाने में बंद कर दिया गया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया।बिना किसी कानूनी कार्रवाई के गांधी जी को थाने में बंद करने के लिए और उन्हें वहां से छुड़वाने के लिए गांव के लोगों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया।

गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का नेतृत्व किया जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के मार्गदर्शन में उस क्षेत्र के गरीब किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने तथा खेती पर नियंत्रण राजसव में बढ़ोतरी को रद्द करना तथा इसे संग्रहित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

महात्मा गांधी को सबसे पहले पलवल स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था

गांधी जी के नेतृत्व में दिए गए आंदोलन

  • असहयोग आंदोलन(1920)
  • स्वराज और नमक सत्याग्रह, डंडी यात्रा (1930)
  • दलित आंदोलन (1932)
  • द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

महात्मा गांधी के नारे

  • “करो या मरो”
  • “हिंसा परमो धर्म”
  • “आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान यतना पूर्ण बहिष्कार यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं।”
  • “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, और बुरा मत कहो”
  • “सादा जीवन उच्च विचार”

महात्मा गांधी की मृत्यु – महात्मा गांधी की जीवनी

30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में घूम रहे थे और उनको गोली मार दी गई थी।

हत्यारे का नाम नाथु राम गोडसे था यह एक राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टरपंथी हिंदू महासभा के के साथ संबंध थे।

जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया था।

इसे भी पढ़े – मीराबाई की जीवनी – Meerabai Biography Hindi

Jivani Hindi

Related articles, शरद जोशी की जीवनी – sharad joshi biography hindi – copy, करीना कपूर की जीवनी – karina kapoor biography hindi – copy, गायत्री पंडित की जीवनी, राजेंद्र प्रसाद की जीवनी – rajendra prasad biography hindi, नगेन्द्र बाला की जीवनी – nagendra bala biography hindi, निरंजन नाथ वांचू की जीवनी – niranjan nath wanchoo biography hindi, leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sign me up for the newsletter!

HindiKiDuniyacom

महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही सत्य और अहिंसा का स्मरण होता है। एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने किसी दूसरे को सलाह देने से पहले उसका प्रयोग स्वंय पर किया। जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा। महात्मा गाँधी महान व्यक्तित्व के राजनैतिक नेता थे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे। उनके सम्पूर्णं जीवन में उनके इसी विचार की छवि प्रतिबिम्बित होती है। यहीं कारण है कि उन्हें 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र ने राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।

महात्मा गाँधी से संबंधित तथ्य:

पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी अन्य नाम – बापू, महात्मा, राष्ट्र-पिता जन्म-तिथि व स्थान – 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात) माता-पिता का नाम – पुतलीबाई, करमचंद गाँधी पत्नी – कस्तूरबा गाँधी शिक्षा – 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,

  • विद्यालय – बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज
  • इंग्लैण्ड यात्रा – 1888-91, बैरिस्टर की पढाई, लंदन युनिवर्सिटी

बच्चों के नाम (संतान) – हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास प्रसिद्धि का कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस स्मारक – राजघाट, बिरला हाऊस (दिल्ली) मृत्यु – 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली मृत्यु का कारण – हत्या

महात्मा गाँधी की जीवनी (जीवन-परिचय)

महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)

जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवन

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर, गुजरात में करमचंद गाँधी के घर पर हुआ था। यह स्थान (पोरबंदर) पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य का एक तटीय शहर है। ये अपनी माता पुतलीबाई के अन्तिम संतान थे, जो करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थी। करमचंद गाँधी की पहली तीन पत्नियों की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इनके पिता पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें।

महात्मा गाँधी जी का असली नाम मोहनदास था और इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी। इसी कारण इनका नाम पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी पङा। ये अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था, ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’’

गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पङा। यही कारण है कि वे सत्य और अहिंसा में बहुत विश्वास करते थे और उनका अनुसरण अपने पूरे जीवन काल में किया।

गाँधी जी का विवाह (शादी)/ गाँधी जी का वैवाहिक जीवन

गाँधी जी की शादी सन् 1883, मई में 13 वर्ष की आयु पूरी करते ही 14 साल की कस्तूरबा माखन जी से हुई। गाँधी जी ने इनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया और बाद में लोग उन्हें प्यार से बा कहने लगे। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया। ये एक आदर्श पत्नी थी और गाँधी जी के हर कार्य में दृढता से उनके साथ खङी रही। इन्होंने गाँधी जी के सभी कार्यों में उनका साथ दिया।

1885 में गाँधी जी जब 15 साल के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया। लेकिन वह कुछ ही समय जीवित रहीं। इसी वर्ष इनके पिताजी करमचंद गाँधी की भी मृत्यु हो गयी। गाँधी जी के 4 सन्तानें थी और सभी पुत्र थे:- हरीलाल गाँधी (1888), मणिलाल गाँधी (1892), रामदास गाँधी (1897) और देवदास गाँधी (1900)।

गाँधी जी की शिक्षा- दीक्षा

प्रारम्भिक शिक्षा

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता की बदली राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी अपने विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्तर के विद्यार्थी नहीं थे। इनकी पढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। हालांकि गाँधी जी एक एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे, किन्तु किसी किसी प्रतियोगिता और खेल में उन्होंने पुरुस्कार और छात्रवृतियॉ भी जीती। 21 जनवरी 1879 में राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास और गुजराती भाषा का अध्यन किया।

साल 1887 में जैसे-तैसे उन्होंने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया। घर से दूर रहने के कारण वे पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाये और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट आये। यदि आगे की पढ़ाई का निर्णय गाँधी जी पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टरी की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते थे, किन्तु उन्हें घर से इसकी अनुमति नहीं मिली।

इंग्लैण्ड में उच्च स्तर की पढाई

गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार के एक करीबी मित्र भावजी दवे ने उन्हें वकालत करने की सलाह दी और कहा कि बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी होने के कारण उनका दीवानी का पद मिल जायेगा।

उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के कुछ सदस्यों ने उनके विदेश जाने के फैसले का विरोध किया, किन्तु गाँधी जी ने अपनी माँ से वादा किया कि वे शाकाहारी भोजन करेगें। इस प्रकार अपनी माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।

4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुये। यहाँ आने के बाद इन्होंने पढ़ाई को गम्भीरता से लिया और मन लगाकर अध्ययन करने लगे। हालांकि, इंग्लैण्ड में गाँधी जी का शुरुआती जीवन परेशानियों से भरा हुआ था। उन्हें अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया।

बाद में इन्होंने लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। यहाँ इनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई जिन्होंने गाँधी जी को भगवत् गीता पढ़ने को दी। गाँधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और उसकी पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहाँ तीन वर्षों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और 1891 में ये भारत लौट आये।

गाँधी जी का 1891-1893 तक का समय

1891 में जब गाँधी जी भारत लौटकर आये तो उन्हें अपनी माँ की मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उन्हें यह जानकर बहुत निराशा हुई कि वकालत एक स्थिर व्यवसायी जीवन का आधार नहीं है। गाँधी जी ने बंबई जाकर वकालत का अभ्यास किया किन्तु स्वंय को स्थापित नहीं कर पाये और वापस राजकोट आ गये। यहाँ इन्होंने लागों की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरु कर दिया। एक ब्रिटिश अधिकारी को नाराज कर देने के कारण इनका यह काम भी बन्द हो गया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

एक वर्ष के कानून के असफल अभ्यास के बाद, गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के व्यापारी दादा अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 1883 में गाँधी जी ने अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान किया। इस यात्रा और वहाँ के अनुभवों ने गाँधी जी के जीवन को एक महत्वपूर्ण मोङ दिया। इस यात्रा के दौरान गाँधी जी को भारतियों के साथ हो रहें भेदभाव को देखा।

ऐसी कुछ घटनाऐं उनके साथ घटित हुई जिससे उन्हें भारतियों और अश्वेतों के साथ हो रहे अत्याचारों का अनुभव हुआ जैसे: 31 मई 1883 को प्रिटोरिया जाने के दौरान प्रथम श्रेणी की टिकट के बावजूद उन्हें एक श्वेत अधिकारी ने गाडी से धक्का दे दिया और उन्होंने ठिठुरते हुये रात बिताई क्योंकि वे किसी से पुनः अपमानित होने के डर से कुछ पूछ नहीं सकते थे, एक अन्य घटना में एक घोङा चालक ने उन्हें पीटा क्योंकि उन्होंने एक श्वेत अंग्रेज को सीट देकर पायदान पर बैठकर यात्रा करने से इंकार कर दिया था, यूरोपियों के लिये सुरक्षित होटलों पर जाने से रोक आदि कुछ ऐसी घटनाऐं थी जिन्होंने गाँधी जी के जीवन का रुख ही बदल दिया।

नटाल (अफ्रीका) में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिये यह अपमान आम बात थी और गाँधी जी के लिये एक नया अनुभव। यहीं से गाँधी जी के जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई। गाँधी जी ने सोचा कि यहाँ से भारत वापस लौटना कायरता होगी अतः वहीं रह कर इस अन्याय का विरोध करने का निश्चय किया। इस संकल्प के बाद वे अगले 20 वर्षों (1893-1894) तक दक्षिण अफ्रीका में ही रहें और भारतियों के अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष किया।

दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष का प्रथम चरण (1884-1904) –

  • संघर्ष के इस प्रथम चरण के दौरान गाँधी जी की राजनैतिक गतिविधियाँ नरम रही। इस दौरान उन्होंने केवल सरकार को अपनी समस्याओं और कार्यों से संबंधित याचिकाएँ भेजते थे।
  • भारतियों को एक सूत्र में बाँधने के लिये 22 अगस्त 1894 में “नेटाल भारतीय काग्रेंस का” गठन किया।
  • “इण्डियन ओपिनियन” नामक अखबार के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरु की।
  • इस संघर्ष को व्यापारियों और वकीलों के आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

संघर्ष का दूसरा चरण –

  • अफ्रीका में संघर्ष के दूसरे चरण की शुरुआत 1906 में हुई।
  • इस समय उपनिवेशों की राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन हो चुका था, तो गाँधी जी ने नये स्तर से आन्दोलन को प्रारम्भ किया। यहीं से मूल गाँधीवादी प्राणाली की शुरुआत मानी जाती है।
  • 30 मई 1910 में जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।
  • काग्रेंस के कार्यकर्ताओं को अहिंसा और सत्याग्रह का प्रशिक्षण।

महात्मा गाँधी का भारत आगमन

1915 में 46 वर्ष की उम्र में गाँधी जी भारत लौट आये, और भारत की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन किया। गोपाल कृष्ण गोखले (गाँधी जी के राजनीतिक गुरु) की सलाह पर गाँधी जी नें एक वर्ष शान्तिपूर्ण बिना किसी आन्दोलन के व्यतीत किया। इस समय में उन्होंने भारत की वास्तविक स्थिति से रूबरू होने के लिये पूरे भारत का भ्रमण किया। 1916 में गाँधी जी नें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। फरवरी 1916 में गाँधी जी ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में मंच पर भाषण दिया। जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका

चम्पारण और खेडा आन्दोलन (1917-1918)

साल 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में रहने वाले किसानों के हक के लिये गाँधी जी ने आन्दोलन किया। यह गाँधी जी का भारत में प्रथम सक्रिय आन्दोलन था, जिसनें गाँधी जी को पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। इस आन्दोलन में उन्होंने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और इस प्रयोग में प्रत्याशित सफलता भी अर्जित की।

19 वीं शताब्दी के अन्त में गुजरात के खेड़ा जिले के किसान अकाल पड़ने के कारण असहाय हो गये और उस समय उपभोग की वस्तुओं के भी दाम बहुत बढ़ गये थे। ऐसे में किसान करों का भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ थे। इस मामले को गाँधी जी ने अपने हाथ में लिया और सर्वेंट ऑफ इण्डिया सोसायटी के सदस्यों के साथ पूरी जाँच-पड़ताल के बाद अंग्रेज सरकार से बात की और कहा कि जो किसान लगान देने की स्थिति में है वे स्वतः ही दे देंगे बशर्तें सरकार गरीब किसानों का लगान माफ कर दें। ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों का लगान माफ कर दिया।

1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के हक के लिये भूख हङताल

1918 में अहमदाबाद के मिल मालिक कीमत बढने के बाद भी 1917 से दिये जाने वाले बोनस को कम बंद कर करना चाहते थे। मजदूरों ने माँग की बोनस के स्थान पर मजदूरी में 35% की वृद्धि की जाये, जबकि मिल मालिक 20% से अधिक वृद्धि करना नहीं चाहते थे। गाँधी जी ने इस मामले को सौंपने की माँग की। किन्तु मिल मालिकों ने वादा खिलाफी करते हुये 20% वृद्धि की। जिसके खिलाफ गाँधी जी नें पहली बार भूख हङताल की। यह इस हङताल की सबसे खास बात थी। भूख हङताल के कारण मिल मालिकों को मजदूरों की माँग माननी पङी।

इन आन्दोलनों ने गँधी जी को जनप्रिय नेता तथा भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तम्भ के रुप में स्थापित कर दिया।

खिलाफत आन्दोलन (1919-1924)

तुर्की के खलीफा के पद की दोबारा स्थापना करने के लिये देश भर में मुसलमानों द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। यह एक राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था, जो अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिये चलाया गया था। गाँधी जी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। इस आन्दोलन का समर्थन करने का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन में मुसलिमों का सहयोग प्राप्त करना था।

असहयोग आन्दोलन (1919-1920)

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान प्रेस पर लगे प्रतिबंधों और बिना जाँच के गिरफ्तारी वे आदेश को सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली समिति ने इन कडे नियमों को जारी रखा। जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना गया। जिसका पूरे भारत में व्यापक स्तर पर विरोध हुआ। उस विरोधी आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन का नाम दिया गया। असहयोग आन्दोलन के जन्म का मुख्य कारण रोलट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) था।

गाँघी जी अध्यक्षता में 30 मार्च 1919 और 6 अप्रैल 1919 को देश व्यापी हङताल का आयोजन किया गया। चारों तरफ देखते ही देखते सभी सरकारी कार्य ठप्प हो गये। अंग्रेज अधिकारी इस असहयोग के हथियार के आगे बेवस हो गये। 1920 में गाँधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने और इस आन्दोलन में भाग लेने के लिये भारतीय जनमानस को प्रेरित किया। गाँधी जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रत्येक भारतीय ने इसमें बढ-चढ कर भाग लिया।

इस आन्दोलन को और अधिक प्रभावी करने के लिये और हिन्दू- मुसलिम एकता को मजबूती देने के उद्देश्य से गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को खिलाफत आन्दोलन से जोङ दिया।

सरकारी आकडों के अनुसार साल 1921 में 396 हडतालें आयोजित की गयी जिसमें 6 लाख श्रमिकों ने भाग लिया था और इस दौरान लगभग 70 लाख कार्यदिवसों का नुकसान हुआ था। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कालेजों में जाना बन्द कर दिया, वकीलों ने वकालात करने से मना कर दिया और श्रमिक वर्ग हङताल पर चला गया। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय नागरिक ने अपने अपने ढंग से गाँधी जी के इस आन्दोलन को सफल बनाने में सहयोग किया। 1857 की क्रान्ति के बाद यह सबसे बङा आन्दोलन था जिसने भारत में ब्रिटिश शासन के अस्तित्व को खतरें में डाल दिया था।

चौरी-चौरा काण्ड (1922)

1922 तक आते आते यह देश का सबसे बङा आन्दोलन बन गया था। एक हङताल की शान्तिपूर्ण विरोध रैली के दौरान यह अचानक हिंसात्मक रुप में परिणित हो गया। विरोध रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डालने से भीङ आक्रोशित हो गयी। और किसानों के एक समूह ने फरवरी 1922 में चौरी-चौरा नामक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में कई निहत्थे पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी।

इस घटना से गाँधी जी बहुत आहत हुये और उन्होंने इस आन्दोलन को वापस ले लिया। गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (12 मार्च 1930)

इस आनदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था। गाँधी जी और अन्य अग्रणी नेताओं को अंग्रेजों के इरादों पर शक होने लगा था कि वे अपनी औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा को पूरी करेगें भी या नहीं। गाँधी जी ने अपनी इसी माँग का दबाव अंग्रेजी सरकार पर डालने के लिये 6 अप्रैल 1930 को एक और आन्दोलन का नेतृत्व किया जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

इसे दांङी मार्च या नमक कानून भी कहा जाता है। यह दांङी मार्च गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से निकाली। इस आन्दोलन का उद्देश्य सामूहिक रुप से कुछ विशिष्ट गैर-कानूनी कार्यों को करके सरकार को झुकाना था। इस आन्दोलन की प्रबलता को देखते हुये सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिये भेजा। गाँधी जी ने यह समझौता स्वीकार कर लिया और आन्दोलन वापस ले लिया।

भारत छोडो आन्दोलन (अगस्त 1942)

क्रिप्श मिशन की विफलता के बाद गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना तीसरा बङा आन्दोलन छेङने का निर्णय लिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य तुरन्त स्वतंत्रता प्राप्त करना था। 8 अगस्त 1942 काग्रेंस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोङों का नारा दिया गया और 9 अगस्त 1942 को गाँधी जी के कहने पर पूरा देश आन्दोलन में शामिल हो गया। ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया। इस आन्दोलन को दबाने में सरकार को एक वर्ष से अधिक समय लगा।

भारत का विभाजन और आजादी

अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत को दो टुकङों में बाँट दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उन्होंने भारत को आजाद करने के संकेत दे दिये थे। भारत की आजादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की भी माँग होने लगी। गाँधी जी देश का बँटवारा नहीं होने देना चाहते थे। किन्तु उस समय परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण देश दो भागों में बँट गया।

महात्मा गाँधी की मृत्यु (30 जनवरी 1948)

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर बिरला हाउस में गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। जवाहर लाल नेहरु ने गाँधी जी की हत्या की सूचना इन शब्दों में दी, ‘हमारे जीवन से प्रकाश चला गया और आज चारों तरफ़ अंधकार छा गया है। मैं नहीं जानता कि मैं आपको क्या बताऊँ और कैसे बताऊँ। हमारे प्यारे नेता, राष्ट्रपिता बापू अब नहीं रहे।’

गाँधी जी का जीवन-चक्र (टाईम-लाइन) एक नजर मेः-

1879 – जन्म – 2 अक्टूबर, पोरबंदर (गुजरात)।

1876 – गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी की राजकोट में बदली, परिवार सहित राजकोट आना और कस्तूरबा माखन जी से सगाई।

1879 – 21 जनवरी 1879 को राजकोट के स्थानीय स्कूल में दाखिला।

1881 – राजकोट हाई स्कूल में पढाई।

1883 – कस्तूरबा माखन जी से विवाह।

1885 – गाँधी जी के पिता की मृत्यु, इसी वर्ष इनके पहले पुत्र का जन्म और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु।

1887 – राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की, सामलदास कॉलेज (भावनगर) में प्रवेश।

1888 – पहले पुत्र हरीलाल का जन्म, बैरिस्टर की पढाई के लिये इंग्लैण्ड के लिये प्रस्थान।

1891 – बैरिस्टर की पढाई करके भारत लौटे, अपनी अनुपस्थिति में माता पुतलीबाई के निधन का समाचार, पहले बम्बई बाद में राजकोट में वकालात की असफल शुरुआत।

1892 – दूसरे पुत्र मणिलाल गाँधी का जन्म।

1893 – अफ्रीकी व्यापारी दादा अब्दुला के कानूनी सलाहकार का प्रस्ताव को स्वीकार कर अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान, 31 मई 1893 को प्रिटोरिया रेल हादसा, रंग-भेद का सामना।

1894 – दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष के प्रथम चरण का प्रारम्भ, नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना।

1896 – भारत आगमन (6 महीने के लिये) और पत्नी और एक पुत्र को लेकर अफ्रीका वापस गये।

1897 – तीसरे पुत्र रामदास का जन्म।

1899 – बोअर युद्ध में ब्रिटिश की मदद के लिये भारतीय एम्बुलेंस सेवा प्रदान की।

1900 – चौथे और अन्तिम पुत्र देवदास का जन्म।

1901 – अफ्रीकी भारतियों को आवश्यकता के समय मदद करने के लिये वापस आने का आश्वासन देकर परिवार सहित स्वदेश आगमन, भारत का दौरा, कांग्रेस अधिवेशन में भाग और बबंई में वकालात का दफ्तर खोला।

1902 – अफ्रीका में भारतियों द्वारा बुलाये जाने पर अफ्रीका के लिये प्रस्थान।

1903 – जोहान्सवर्ग में वकालात दफ्तर खोला।

1904 – इण्डियन ओपिनियन सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1906 – जुल्लु युद्ध के दौरान भारतियों को मदद के लिये प्रोत्साहन, आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प, एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरोध में प्रथम सत्याग्रह।

1907 – ब्लैक एक्ट (भारतियों और अन्य एशियाई लोगों का जबरदस्ती पंजीयन) के विरोध में सत्याग्रह।

1908 – दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सवर्ग) में पहली जेल यात्रा, दूसरा सत्याग्रह (पुनः जेल यात्रा)।

1909 – दक्षिण अफ्रीकी भारतियों की ओर से पक्ष रखने के इंग्लैण्ड यात्रा, नवम्बर (13-22 तारीख के बीच) में वापसी के दौरान हिन्द स्वराज पुस्तक की रचना।

1910 – 30 मई को जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।

1913 – द ग्रेट मार्च का नेतृत्व, 2000 भारतीय खदान कर्मियों की न्युकासल से नेटाल तक की पदयात्रा।

1915 – 21 वर्ष बाद भारत वापसी।

1916 – साबरमती नदी के किनारे (अहमदाबाद में) आश्रम की स्थापना, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रथम बार गाँधी जी का मंच से भाषण।

1917 – बिहार के चम्पारन जिले में नील किसानों के हक के लिये सत्याग्रह आन्दोलन।

1918 – अहमदाबाद में मिल मजदूरों की हक की लङाई में मध्यस्था

1919 – रोलेट एक्ट और जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में सत्याग्रह छेङा, जो आगे चलकर असहयोग आन्दोलन (1920) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, यंग इण्डिया (अंग्रेजी) और नवजीवन (गुजराती) सप्ताहिक पत्रिका का संपादन।

1920 – जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में केसर-ए-हिन्द की उपाधि वापस की, होमरुल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुये।

1921 – असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत बंबई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई, साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में 5 दिन का उपवास।

1922 – चौरी-चौरा कांड के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस लिया, राजद्रोह का मुकदमा और 6 वर्ष का कारावास।

1924 – बेलगाम कांग्रेस अधिवेसन में अध्यक्ष चुने गये, साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास।

1928 – कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग, पूर्ण स्वराज का आह्वान।

1929 – कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित करके राष्ट्रव्यापी आन्दोलन आरम्भ।

1930 – नमक कानून तोङने के लिये साबरमती आश्रम से दांङी यात्रा जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नाम दिया।

1931 – गाँधी इरविन समझौता, गाँधी जी ने दूसरे गोलमाज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार।

1932 – यरवदा पैक्ट को ब्रिटिश स्वीकृति।

1933 – साबरमती तट पर बने आश्रम का नाम हरिजन आश्रम रखकर देश में अस्पृश्यता विरोधी आन्दोलन छेङा, हरिजन नामक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1934 – अखिल भारतीय ग्रामोद्योग की स्थापना।

1936 – वर्धा में सेवाश्रम की स्थापना।

1937 – दक्षिण भारत की यात्रा।

1940 – विनोबा भावे को पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रुप में चुना गया।

1942 – क्रिप्स मिशन की असफलता, भारत छोङो अभियान की शुरुआत, सचिव मित्र महादेव देसाई का निधन।

1944 – 22 फरवरी को गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी जी की मृत्यु।

1946 – बंगाल के साम्प्रदायिक दंगो के संबंध में कैबिनेट मिशन से भेंट।

1947 – साम्प्रदायिक शान्ति के लिये बिहार यात्रा, जिन्ना और गवर्नल जनरल माउन्टबैटेन से भेंट, देश विभाजन का विरोध।

1948 – बिङला हाउस में जीवन का अन्तिम 5 दिन का उपवास, 20 जनवरी को प्रार्थना सभा में विस्फोट, 30 जनवरी को प्रार्थना के लिये जाते समय नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या।

गाँधी जी के अनमोल वचन

  • “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं”।
  • “जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते है, वह पहले स्वंय में लाये।”
  • “वास्तविक सौन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है|”
  • “अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है|”
  • “गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।”
  • “चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए|”
  • “जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है|”
  • “जब भी आप एक प्रतिद्वंद्वी के साथ सामना कर रहे हैं। प्यार के साथ उसे जीतना।”
  • “अहिंसा, किसी भी प्राणी को विचार, शब्द या कर्म से चोट नहीं पहुंचाना है, यहाँ तक कि किसी प्राणी के लाभ के लिए भी नहीं।”
  • “जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है।”
  • “मैं आपके मसीहा (ईशा) को पसन्द करता हूँ, मैं आपके ईसाइयों को पसंद नहीं करता। आपके ईसाई आपके मसीहा (ईशा) के बहुत विपरीत हैं।”
  • “सबसे पहले आपकी उपेक्षा करते है, तब वे आप पर हंसते हैं, तब वे आप से लड़ते हैं, तब आप जीतते है।”
  • “मैं खुद के लिए कोई पूर्णता का दावा नहीं करता। लेकिन मैं सच्चाई के पीछे एक भावुक साधक का दावा करता हूँ, जो भगवान का दूसरा नाम हैं।”
  • “मेरे पास दुनिया को पढ़ाने के लिए कोई नई बात नहीं है। सत्य और अहिंसा पहाड़ियों के जैसे पुराने हैं। मैंनें पूर्ण प्रयास के साथ विशाल पैमाने पर दोनों में प्रयोगों की कोशिश है, जितना मैं कर सकता था।”
  • “कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते। क्षमा ताकतवर की विशेषता है।”
  • “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
  • “खुशी जब मिलेगी जब जो आप सोचते है, कहते है, और जो करते है, सामंजस्य में हों।”
  • “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।”
  • “किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है|”
  • “कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं|”
  • “जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता|”
  • “विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है|”
  • “यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है|”
  • “चिंता के समान शरीर का क्षय और कुछ नहीं करता, और जिसे ईश्वर में जरा भी विश्वास है उसे किसी भी विषय में चिंता करने में ग्लानि होनी चाहिए।”
  • “हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है|”
  • “काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है|”
  • “लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान इंच भर कदम उठाना है।”
  • “आपका कोई काम महत्वहीन हो सकता है, किन्तु महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।”
  • “मेरी आज्ञा के बिना मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा करता।”
  • “क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।”
  • “क्षणभर भी बिना काम के रहना ईश्वर से चोरी समझो। मैं आन्तरिक और बाहरी सुख का दूसरा कोई भी रास्ता नहीं जानता।”
  • “अहिंसा में इतनी ताकत है कि वह विरोधियों को भी अपना मित्र बना लेती है और उनका प्रेम प्राप्त कर लेती है।”
  • “मैं हिन्दी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता बल्कि उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ।”
  • “एक धर्म सभी भाषणों से परे है।”
  • “किसी में विश्वास करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “बिना उपवास के कोई प्रार्थना नहीं और बिना प्रार्थना के कोई उपवास नहीं।”
  • “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।”
  • “मानवता का सबसे बङा हथियार शान्ति है।”

संबंधित पोस्ट

संत रविदास की जीवनी – biography of sant ravidas in hindi, लाल बहादुर शास्त्री, बाल गंगाधर तिलक, शिवराम हरी राजगुरु.

It's Hindi

महात्मा गांधी.

जन्म : 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात)

मृत्यु : 30 जनवरी 1948, दिल्ली

कार्य/उपलब्धियां: सतंत्रता आन्दोलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।

महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे।

सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और  किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।

प्रारंभिक जीवन

मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे। मोहनदास की माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और अत्यधिक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका प्रभाव युवा मोहनदास पड़ा और इन्ही मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। इस प्रकार मोहनदास ने स्वाभाविक रूप से अहिंसा,  शाकाहार,  आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों और पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।

सन 1883 में साढे 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया। जब मोहनदास 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। उनके पिता करमचन्द गाँधी भी इसी साल (1885) में चल बसे। बाद में मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं – हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900)।

उनकी मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में हुई। शैक्षणिक स्तर पर मोहनदास एक औसत छात्र ही रहे। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की। इसके बाद मोहनदास ने भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया पर ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए।

विदेश में शिक्षा और वकालत

मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था। धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया।

जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा।

आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य  स्वीकार कर लिया।

गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914)

गाँधी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ। दक्षिण अफ्रीका में उनको गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। ये सारी घटनाएँ उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गईं और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत भारतियों के सम्मान तथा स्वयं अपनी पहचान से सम्बंधित प्रश्न उठने लगे।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और सन 1906 के ज़ुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रेरित किया। गाँधी के अनुसार अपनी नागरिकता के दावों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारतीयों को ब्रिटिश युद्ध प्रयासों में सहयोग देना चाहिए।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945)

वर्ष 1914 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आये। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में गाँधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में गाँधी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की।

चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह

बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों ने गाँधी को भारत में पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। चंपारण में ब्रिटिश ज़मींदार किसानों को खाद्य फसलों की बजाए नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और सस्ते मूल्य पर फसल खरीदते थे जिससे किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही थी।  इस कारण वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। एक विनाशकारी अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। कुल मिलाकर  स्थिति बहुत निराशाजनक थी। गांधीजी ने गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया।

सन 1918 में गुजरात स्थित खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसान और गरीबों की स्थिति बद्तर हो गयी और लोग कर माफ़ी की मांग करने लगे। खेड़ा में गाँधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया। इसके बाद अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार चंपारण और खेड़ा के बाद गांधी की ख्याति देश भर में फैल गई और वह स्वतंत्रता आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरे।

खिलाफत आन्दोलन

कांग्रेस के अन्दर और मुस्लिमों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गाँधी जी को खिलाफत आन्दोलन के जरिये मिला। खिलाफत एक विश्वव्यापी आन्दोलन था जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध सारी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी। भारत में खिलाफत का नेतृत्व ‘आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस’ द्वारा किया जा रहा था। धीरे-धीरे गाँधी इसके मुख्य प्रवक्ता बन गए। भारतीय मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए सम्मान और मैडल वापस कर दिया। इसके बाद गाँधी न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के एकमात्र ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव विभिन्न समुदायों के लोगों पर था।

असहयोग आन्दोलन

गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।

गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।

असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया।

स्वराज और नमक सत्याग्रह

असहयोग आन्दोलन के दौरान गिरफ़्तारी के बाद गांधी जी फरवरी 1924 में रिहा हुए और सन 1928 तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। इस दौरान वह स्वराज पार्टी और कांग्रेस के बीच मनमुटाव को कम करने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ भी लड़ते रहे।

इसी समय अंग्रेजी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत के लिए एक नया संवेधानिक सुधार आयोग बनाया पर उसका एक भी सदस्य भारतीय नहीं था जिसके कारण भारतीय राजनैतिक दलों ने इसका बहिष्कार किया। इसके पश्चात दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। अंग्रेजों द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया और कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसके पश्चात गांधी जी ने सरकार द्वारा नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह चलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य स्वयं नमक उत्पन्न करना था। इस यात्रा में हजारों की संख्‍या में भारतीयों ने भाग लिया और अंग्रेजी सरकार को विचलित करने में सफल रहे। इस दौरान सरकार ने लगभग 60 हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

इसके बाद लार्ड इरविन के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने गांधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप गांधी-इरविन संधि पर मार्च 1931 में हस्ताक्षर हुए। गांधी-इरविन संधि के तहत ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए सहमति दे दी। इस समझौते के परिणामस्वरूप गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस और दूसरे राष्ट्रवादियों के लिए घोर निराशाजनक रहा। इसके बाद गांधी फिर से गिरफ्तार कर लिए गए और सरकार ने राष्ट्रवादी आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की।

1934 में गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के स्थान पर अब ‘रचनात्मक कार्यक्रमों’ के माध्यम से ‘सबसे निचले स्तर से’ राष्ट्र के निर्माण पर अपना ध्यान लगाया। उन्होंने ग्रामीण भारत को शिक्षित करने, छुआछूत के ख़िलाफ़ आन्दोलन जारी रखने, कताई, बुनाई और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों की आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा प्रणाली बनाने का काम शुरू किया।

हरिजन आंदोलन

दलित नेता बी आर अम्बेडकर की कोशिशों के परिणामस्वरूप अँगरेज़ सरकार ने अछूतों के लिए एक नए संविधान के अंतर्गत पृथक निर्वाचन मंजूर कर दिया था। येरवडा जेल में बंद गांधीजी ने इसके विरोध में सितंबर 1932 में छ: दिन का उपवास किया और सरकार को एक समान व्यवस्था (पूना पैक्ट) अपनाने पर मजबूर किया। अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए अभियान की यह शुरूआत थी। 8 मई 1933 को गांधी जी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की। अमबेडकर जैसे दलित नेता इस आन्दोलन से प्रसन्न नहीं थे और गांधी जी द्वारा दलितों के लिए हरिजन शब्द का उपयोग करने की निंदा की।

द्वितीय विश्व युद्ध और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’

द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में गांधी जी अंग्रेजों को ‘अहिंसात्मक नैतिक सहयोग’ देने के पक्षधर थे परन्तु कांग्रेस के बहुत से नेता इस बात से नाखुश थे कि जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था। गांधी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आजादी देने से इंकार किया जा रहा था और दूसरी  तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढता गया गांधी जी और कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को तीव्र कर दिया।

‘भारत छोड़ो’ स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई। इस संघर्ष में हजारों की संख्‍या में स्वतंत्रता सेनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार भी कर लिए गए। गांधी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक भारत को तत्‍काल आजादी न दे दी जाए। उन्होंने यह भी कह दिया था कि व्यक्तिगत हिंसा के बावजूद यह आन्दोलन बन्द नहीं होगा। उनका मानना था की देश में व्याप्त सरकारी अराजकता असली अराजकता से भी खतरनाक है। गाँधी जी ने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ करो या मरो (डू ऑर डाय) के साथ अनुशासन बनाए रखने को कहा।

जैसा कि सबको अनुमान था अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को मुबंई में 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल ले जाया गया जहाँ उन्हें दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। इसी दौरान उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत बाद 22 फरवरी 1944 को हो गया और कुछ समय बाद गांधी जी भी मलेरिया से पीड़ित हो गए। अंग्रेज़ उन्हें इस हालत में जेल में नहीं छोड़ सकते थे इसलिए जरूरी उपचार के लिए 6 मई 1944 को उन्हें रिहा कर दिया गया। आशिंक सफलता के बावजूद भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत को संगठित कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया था की जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाँथ सौंप दी जाएगी। गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त कर दिया और सरकार ने लगभग 1 लाख राजनैतिक कैदियों को रिहा कर दिया।

देश का विभाजन और आजादी

जैसा कि पहले कहा जा चुका है, द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते ब्रिटिश सरकार ने देश को आज़ाद करने का संकेत दे दिया था। भारत की आजादी के आन्दोलन के साथ-साथ, जिन्ना के नेतृत्व में एक ‘अलग मुसलमान बाहुल्य देश’ (पाकिस्तान) की भी मांग तीव्र हो गयी थी और 40 के दशक में इन ताकतों ने एक अलग राष्ट्र  ‘पाकिस्तान’ की मांग को वास्तविकता में बदल दिया था। गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया।

गाँधी जी की हत्या

30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की ‘हे राम’ उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी।

Latest Posts

मुथुस्वामी दीक्षितार

मुथुस्वामी दीक्षितार

स्वाथि थिरूनल राम वर्मा

स्वाथि थिरूनल राम वर्मा

एल. सुब्रमण्यम

एल. सुब्रमण्यम

त्यागराज

  • Uncategorized
  • समाज सुधारक
  • शास्त्रीय गायक
  • स्वतंत्रता सेनानी
  • School & Boards
  • College Admission
  • Govt Jobs Alert & Prep
  • Current Affairs
  • GK & Aptitude
  • general knowledge in hindi
  • समसामयिक सामान्य ज्ञान

Gandhi Jayanti 2021: महात्मा गांधी के जीवन का सार

Gandhi jayanti 2021: महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है. उन्हें बापू कहकर भी बुलाया जाता है. उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का राजनितिक और अध्यात्मिक नेता माना जाता है. उनहोने हमेशा अहिंसा के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया. देश को आजाद कराने में उनकी बहुत महतवपूर्ण भूमिका है. आइये इस लेख के माध्यम से महात्मा गांधी जी के बारे में अध्ययन करते हैं.    .

Jagran Josh

Gandhi Jayanti 2021 :  यह दिन प्रार्थना सेवाओं, स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है. 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह आधिकारिक रूप से घोषित राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है और इस वर्ष महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जाएगी.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था इसलिए हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है. 

महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने बिरला हाउस के प्रार्थना स्थल पर तीन गोलियां चलाकर की थी. इसलिए 30 जनवरी को शहीद दिवस या सर्वोदय दिवस हर साल महात्मा गांधीजी की याद में मनाया जाता है. 

पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी जन्म: 2 अक्टूबर, 1869 जन्म स्थान: पोरबंद, गुजरात, भारत मृत्यु: 30 जनवरी, 1948 मृत्यु स्थान: नई दिल्ली पिता का नाम: करमचंद गांधी माता का नाम: पुतलीबाई पत्नी का नाम: कस्तूरबा गांधी संतान: हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास स्मारक: राजघाट, दिल्ली योगदान: भारत की स्वतंत्रता, अहिंसक आंदोलन, सत्याग्रह

महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश शासन को खत्म करने और गरीबो का जीवन सुधारने के लिए सतत परिश्रम किया। उनकी सत्य और अंहिसा की विचारधारा को मार्टिन लूथर किंग तथा नेलसन मंडेला ने भी अपने संघर्ष के लिए ग्रहण किया। महात्मा गांधी ने अफ्रीका मे भी लगातार बीस वर्षो तक अन्याय और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अहिंसक रूप से संघर्ष किया। उनकी सादा जीवन पध्दति के कारण उन्हें भारत और विदेश में बहुत प्रसिध्दी मिली। वह बापू के नाम से प्रसिध्द थे। 

प्रारम्भिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी व माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी का विवाह मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही कस्तूरबा के साथ हो गया था। उनके चार बेटे हरीलाल, मनीलाल, रामदास व देवदास थे।

लंदन प्रस्थान

1888 में महात्मा गांधी कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंदन गये।

दक्षिण अफ्रीका

मई 1893 मे वह वकील के तौर पर काम करने दक्षिण अफ्रीका गये। वंहा उन्होंने नस्लीय भेदभाव का पहली बार अनुभव किया। जब उन्हे टिकट होने के बाद भी ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर धकेल दिया गया क्योंकि यह केवल गोरे लोगों के लिए आरक्षित था। किसी भी भारतीय व अश्वेत का प्रथम श्रेणी मे यात्रा करना प्रतिबंधित था। इस घटना ने गांधी जी पर बहुत गहरा प्रभाव डाला और उन्होंने नस्लीय भेदभाव के विरूध संघर्ष करने की ठान ली। उन्होंने देखा कि भारतीयों के साथ यहां अफ्रीका में इस तरह की घटनाएं आम हैं। 22 मई 1894 को गांधी जी ने नाटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए कठिन परिश्रम किया। बहुत ही कम समय में गांधी जी अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नेता बन गये।

गांधी जी के बारे में दस रोचक तथ्य

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

1915 मे गांधी जी भारत लौट आये और अपने गुरू समान श्री गोपालकृष्ण गोखले के साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये। गांधी जी की पहली बड़ी उपलब्धि बिहार और गुजरात मे चंपारन व खेड़ा के आंदोलन थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन,भारत छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया था।

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या की थी। गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा सदस्य था। उसने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया तथा वह गांधी के अंहिसावादी सिद्धांत का विरोधी था।

गांधी जी एक विपुल लेखक थे। उनके द्वारा लिखी गयी कुछ पुस्तकें निम्न है-

• हिंद स्वराज , 1909 मे गुजराती में प्रकाशित हुई। • उन्होंने हिंदी ,गुजराती और इंग्लिश के अनेक समाचार पत्रों का संपादन किया। जिनमें हिंदी व गुजराती मे हरिजन , इंग्लिश मे यंग इंडिया व गुजराती पत्रिका नवजीवन प्रमुख हैं। • गांधी जी ने अपनी आत्मकथा ‘’सत्य के प्रयोग’’ भी लिखी। • उनकी अन्य आत्मकथओं में दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह , हिंद स्वराज आदि प्रमुख हैं

• टाईम मेगज़ीन ने वर्ष 1930 में मैन ऑफ दी इयर चुना। • 2011 मे टाईम मैगजीन ने गांधी जी को विश्व के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे श्रैष्ठ पच्चीस राजनीतिक व्यक्तियों मे चुना। • हालांकि उन्हे कभी नोबल पुरस्कार नहीं मिला लेकिन वह इसके लिए 1937 से लेकर 1948 तक पांच बार नामित किये गये। • भारत सरकार प्रतिवर्ष सामाजिक कार्यकर्ताओं,विश्व नेताओं व नागरिकों को गांधी शांति पुरस्कार से नवाज़ती है। दक्षिण अफ्रीका मे रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले नेता नेल्सन मंडेला को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। 

गांधी जी पर 1982 बनी फिल्म , जिसमे बेन किंग्सले ने गांधी का रोल किया है, ने ऑस्कर में बेस्ट पिक्चर का पुरस्कार जीता।

गांधी ने अपने अहिंसा के सिध्दांत को सत्याग्रह के रूप में पहचान दिलायी। गांधी जी के सत्याग्रह ने अनेक हस्तियों को प्रभावित किया। स्वतंत्रता,समानता और समाजिक न्याय अपने संघर्ष मे नेल्सन मंडेल व मार्टिन लूथर किंग गांधी जी से प्रभावित थे। सत्याग्रह सच्चे सिध्दांतो व अहिंसा पर आधारित है।

शहीद दिवस पर महात्मा गांधी को क्यों याद किया जाता है?

आजादी के समय किन रियासतों ने भारत में शामिल होने से मना कर दिया था और क्यों?

आप जागरण जोश पर भारत , विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान , सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

  • T20 World Cup 2024
  • BCCI Central Contract 2024
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री
  • क्रिकेट वर्ल्ड कप 2027
  • राम मंदिर अयोध्या
  • लीप डे २०२४
  • Budget 2024 Highlights in Hindi

Trending Categories

  • भारत के व्यक्ति

Latest Education News

Haryana Board Exam 2024: Class 12 Urdu Paper Leaked, Student Apprehended

World Wildlife Day 2024: List of 5 Largest Animal Sanctuaries in the World 2024

Find 3 Differences In 30 Seconds In Family Gardening Scene

JEE Main 2024 Session 2 Registration: Extended Window Closes Tomorrow, Apply at jeemain.nta.ac.in

RFCL Management Trainee Recruitment 2024: Apply for 28 Posts, Check Eligibility

NTPC Deputy Manager Recruitment 2024: Apply Online For 110 Posts, Salary Upto Rs-200000

GK Quiz on WHO: A Trivia Challenge on the World Health Organization

Weekly Current Affairs Quiz Hindi: 26 फरवरी से 03 मार्च 2024

Weekly Current Affairs Questions and Answers: 26 February to 03 March 2024

Can you spot 3 differences between skateboarding pictures in 9 seconds

Find 3 Differences In 25 Seconds In BPO Scene

CBSE Class 12 Physics 3 Marks Important Questions for 2024 Board Exam

Physics Formulas For Class 12: All Concepts and Chapters

CBSE Class 12 Physics Exam 2024: Check Last Minute Tips and Resources for High Score

CBSE Topper Answer Sheet Class 12 Physics, Download PDF

UP Board 12th English Exam 2024: यहां अंग्रेजी पेपर विश्लेषण, प्रश्न पत्र और उत्तर प्राप्त करें, Download PDF

MP Board Class 12 Geography Paper Analysis 2024 with Question Paper and Answer Key PDF

CBSE Class 12 Geography Paper Analysis 2024: Exam Review, Student Feedback and Expert View

CBSE Class 12 Geography Question Paper 2024, All SETs Download PDF Here

CGBSE Class 12th Hindi Question Paper 2024 with Answer Key: Download PDF

Go4prep Logo

Notifications

mahatma gandhi biography in hindi short

महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi History Biography in Hindi

महात्मा गाँधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्राथमिक एवं अग्रणी नेता थे, जिनके विचार हमेशा दुनिया को प्रभावित करेंगे।

Mahatma Gandhi Biography and Essay in Hindi-

महात्मा गाँधी का जन्म भारत के  पोरबंदर में 2 अक्टूबर, 1869  को हुआ था| उन्होंने वकालत का अध्ययन किया, तथा भारत में ब्रिटिश राज्य के अधीन एवं  दक्षिण अफ्रीका  में भारतीय नागरिको के अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाइयां लड़ी।

गांधीजी भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के नेता बने, और उन्होंने शांतिपूर्ण रूप से ब्रिटिश संस्थानों के खिलाफ बहिष्कार का आयोजन किया।  30 जनवरी 1948 में उन्हें कट्टरपंथियों द्वारा मार दिया गया था।

राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी का जीवन परिचय (Life History of Mahatma Gandhi in Hindi)-

भारतीय राष्ट्रवादी नेता मोहनदास करमचंद गाँधी, जिन्हें सामान्यतः महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, काठियावाड़, भारत में हुआ था, जो तब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था,और वह पोरबंदर और अन्य पश्चिमी राज्यों में एक मंत्री के रूप में कार्य करते थे| उनकी माता का नाम पुतलीबाई था, वह एक धार्मिक महिला थी, जो नियमित रूप से भगवान् के पाठ एवं उपवास करती थीं।

गांधी जी हिंदू भगवान विष्णु की पूजा करते हुए और कालांतर में जैन धर्म के पालन के बाद, उन्होंने अहिंसा, उपवास, ध्यान और शाकाहार का प्रबल समर्थन किया|

गांधी जी बचपन में बहुत शर्मीली प्रवृति के थे| ऐसा कहा जाता है की वे इतने डरपोक थे, कि अपनी किशोरावस्था में भी वह रोशनी से सोते थे। 13 वर्ष की उम्र में, उनका विवाह एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा से हुआ, जो आगे चलकर इतिहास में  कस्तूरबा गांधी  के नाम से विख्यात हुईं|

महात्मा गांधी की जीवनी (Mahatma Gandhi Short Biography In Hindi)

Mahatma gandhi information in hindi-.

1885 में, गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी की मृत्यु हो गयी और उसके कुछ समय के पश्चात आपके युवा पुत्र की भी मृत्यु हो गयी| जिससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा| गांधी जी डॉक्टर बनने में रुचि रखते थे, किन्तु उनके पिता करमचंद जी को उम्मीद थी कि वह एक सरकारी मंत्री बन सकते हैं, इसलिए उनके  परिवार  के सदस्यों ने उन्हें कानूनी पेशे में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित किया।

महात्मा गांधी जी ने पश्चिमी संस्कृति के साथ बहुत संघर्ष किया, और इंग्लैंड की राजधानी लंदन में अपने तीन साल के प्रवास के दौरान, वह मांसहीन भोजन के लिए और अधिक प्रतिबद्ध बन गए|

वे लंदन शाकाहारी सोसाइटी की कार्यकारी समिति में शामिल हो गए, और विश्व के  अन्य धर्मों  के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन के लिए विभिन्न पवित्र ग्रंथों को पढ़ना शुरू कर दिया। 1891 में भारत लौटने पर, गांधी जी को पता चला कि उनकी मां पुतलीबाई की मृत्यु कुछ हफ्ते पहले हो चुकी है।

उन्होंने अपने आपको एक वकील के रूप में स्थापित करने के लिए बहुत संघर्ष किये। अपने पहले अदालत के मामले में वह बहुत घबराये हुए थे, यहाँ तक कि उन्होंने गवाह से कोई भी सवाल नहीं पूंछा| उन्होंने तुरंत अपने मुवक्किल कि फीस लौटाई और अदालत से बहार निकल गए|

भारत में काम पाने के लिए संघर्ष करने के बाद, गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में कानूनी सेवाओं के लिए एक साल का अनुबंध प्राप्त किया। एक और बेटे के जन्म के कुछ ही समय बाद, वह दक्षिण अफ्रीकी राज्य नेटाल, डरबन के लिए अप्रैल 1893 में रवाना हुए।

जब गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, तो उन्हें बहुत ही भयावह नस्लीय भेदभाव जैसी कठिनाइयों से जूझना पड़ा| डरबन अदालत में उनकी पहली उपस्थिति पर उनको अपनी पगड़ी को हटाने के लिए कहा गया था। उन्होंने इनकार कर दिया और अदालत छोड़ दिया।

आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता (Mahatma Gandhi as a Spiritual and Political Leader)-

गांधी के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना 7 जून, 1893 को प्रिटोरिया की ट्रेन यात्रा के दौरान हुई, जब एक आदमी ने प्रथम श्रेणी के रेलवे डिब्बे में उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई, हालांकि उनके पास टिकट था।

उस आदमी ने इसलिए गांधी जी को ट्रेन के पीछे डिब्बे में जाने को कहा क्यूंकि गांधी जी अश्वेत (काळा) व्यक्ति थे| उन्होंने गाड़ी के पीछे जाने से इनकार कर दिया| इस बात से नाराज उन लोगों ने गांधी को जबरन हटा दिया और पिटमैरित्ज़बर्ग में एक स्टेशन पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया।

इस घटना के बाद उन्होंने खुद को “रंगभेद की गहरी बीमारी” से लड़ने के लिए समर्पित करने के लिए एक दृढ़ संकल्प उठाया। उन्होंने उस रात को इस समस्या को हल करने और इस प्रक्रिया की कठिनाइयों के बारे में गहन चिंतन किया।

आगे चलकर उस छोटे, नम्र गांधी ने नागरिक अधिकारों के सम्मान के लिए लड़ने के लिए अपने विशाल व्यक्तित्व की पहचान इस सम्पूर्ण संसार को कराइ| भेदभाव से लड़ने के लिए 1894 में गांधी ने नेटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया था।

अपने साल के अनुबंध के अंत में, भारत लौटने से पहले अपनी विदाई पार्टी में उन्होंने नताल विधान सभा में एक विधेयक रखा, जो भारतीयों के मतदान के अधिकार से सम्बंधित था। आप्रवासियों ने गांधी को कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ने और नेतृत्व करने के लिए आश्वस्त किया।

यद्यपि गांधी इस कानून को पास नहीं करा पाए, परन्तु उन्होंने अन्याय और रंगभेद जैसे घोर अपराध पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया।

1896 के अंत में और 1897 की शुरुआत में मोहनदास गाँधी कुछ दिन के लिए भारत आये, और पुनः वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ दक्षिण अफ्रीका लौट गए। कस्तूरबा गाँधी ने दक्षिण अफ्रीका में दो और बेटों को जन्म दिया, एक का जन्म 1897 में और दुसरे का जन्म 1900 में हुआ।

गांधी ने एक संपन्न कानूनी अभ्यास किया, और बोअर युद्ध के शुरू होने पर, उन्होंने ब्रिटिश सरकार को समर्थन देने के लिए 1,100 स्वयंसेवकों का दल भी गठित किया|

उन्होंने यह यह तर्क दिया कि अगर भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्य में नागरिकता के पूर्ण अधिकार प्राप्त करने हैं, तो उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य की मदद करनी ही पड़ेगी|

आगे के वर्षों में गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में ही विश्व धर्मों का अध्ययन करना जारी रखा। उन्होंने अपने समय के बारे में लिखा था, “मेरे भीतर की धार्मिक आत्मा एक जीवंत बल बन गई है”|

उन्होंने खुद को पवित्र हिंदू आध्यात्मिक ग्रंथों में विसर्जित कर दिया और सादगी, तपस्या एवं ब्रह्मचर्य का जीवन अपनाया जो कि भौतिक वस्तुओं से मुक्त था।

1906 में गांधी ने भारतीयों के अधिकारों के लिए अपना पहला सामूहिक असहमति अभियान “सत्याग्रह” (“सच्चाई और दृढ़ता”) का आयोजन किया था। इस विरोध के बाद, सरकार ने 1913 में गांधी जी सहित सैकड़ों भारतीयों को कैद कर के जेल में डाल दिया।

दबाव के तहत, दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने गांधी और जनरल जैन क्रिश्चियन स्मट्स द्वारा बातचीत से समझौता किया| जिसमें हिंदू विवाहों की मान्यता शामिल थी, और भारतीयों के लिए एक सर्वेक्षण कर के उन्मूलन शामिल थे।

जब गांधीजी 1914 में दक्षिण अफ्रीका से घर लौट आए , तो स्मुट्स ने लिखा- “ संत हमारे तटों को छोड़ चुके हैं, मैं हमेशा उनके लिए प्रार्थना करूंगा ”|

भारतीयों की मुक्ति के लिए लड़ाई-

गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में जनप्रिय हो चुके थे, और अब भारतीय राजनीति उनका स्वागत करने के लिए तैयार थी| उस समय  लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक  एवं  गोपाल कृष्ण गोखले  राजनीति के मैदान में ब्रिटिश हुकूमत का डट कर मुकाबला कर रहे थे| उन्होंने गांधी जी का स्वागत किया एवं गांधीजी भारतीय  स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी  बन गए|

गांधी जी ने अहमदाबाद के पास साबरमती के तट पर अपने आश्रम की स्थापना की एवं वहीं से भारत की कोटि-कोटि जनता का मार्गदर्शन करने लगे|

प्रथम विश्व युद्ध  के प्रकोप के समय में लंदन में कई महीने बिताने के बाद, गांधी जी 1915 में भारत लौट आए, जो अभी भी अंग्रेजों के नियंत्रण में था, और सभी जातियों के लिए अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की। एक सरल लंगोली और शाल पहने हुए, गांधी जी प्रार्थना, उपवास और ध्यान के प्रति समर्पित एक सरल जीवन जी रहे थे। आगे चलकर वह “महात्मा” के रूप में जाने गए, जिसका अर्थ है “महान आत्मा।”

सन 1919 में महात्मा गांधी जी का एक राजनीतिक जन्म हुआ, जब एक नया अधिनियम  रोलेट एक्ट  पारित हुआ| जिसमे अंग्रेजों के अधिकारियों ने बिना मुकदमे के ही राजद्रोह के संदिग्ध लोगों को कैद करना प्रारम्भ कर दिया|

इस एक्ट के विरोध में, गांधी ने एक शांतिपूर्ण विरोध और सत्याग्रह अभियान की मांग की। परन्तु इस विरोध में कुछ हिंसा भड़की जो 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलिया वाले बाग़ के नरसंहार में खत्म हुई|  जब ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर की अगुआई में सैनिकों ने मशीन बंदूकों से निहत्थे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलियां चलायीं और लगभग 400 बेगुनाह लोग मारे गए |

जलिया वाले बाग़ की घटना के पश्चात गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी सेवा के लिए अर्जित पदों को वापस लौटा दिया और विश्व युद्ध के लिए भारतीयों का ब्रिटेन के सहयोग का भी विरोध किया|

स्वतंत्रता आंदोलन एवं जेल यात्राएं-

भारत की स्वतंत्रता के लिए गांधीजी ने कई देशव्यापी आंदोलनों को चलाया| उन्होंने चरखे को स्वतंत्रता का प्रतीक बनाया और अहिंसा को इन आंदोलनों का सबसे बड़ा अस्त्र बताया|

स्वतंत्रता आंदोलन के इस कर्मठ सिपाही को अनेक बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ी| उन्होंने सन 1942 ईस्वी में मुंबई अधिवेशन में नारा दिया अंग्रेजों भारत छोड़ो| अब अंग्रेजी हुकूमत ने मन ही मन यह समझ लिया था, कि उन्हें भारत को स्वतंत्र करना ही पड़ेगा और भारत से जाना ही पड़ेगा, अंततः गांधीजी की नीति की विजय हुई और भारत को सन 1947 ईस्वी में स्वतंत्रता प्राप्त हुई|

महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन-

गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद भारत की राजनीति में गांधी युग का प्रारंभ हुआ| गांधी युग में भारत की राजनीति में गांधीजी का स्थान सर्वोपरि था| जीवन के अंतिम समय तक गांधी जी को भारत की जनता का असीमित प्रेम मिलता रहा|

वे भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु थे| 30 मार्च 1919 को दिल्ली में हड़ताल हुई, हड़तालियों पर गोलियां चलायी गई, इसके पश्चात सारे देश में हड़ताल और सभाएं हुई| 13 अप्रैल 1919 ईस्वी को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ और अनेक निर्दोष व्यक्ति मारे गए और घायल हुए|

पंजाब के हत्याकांड से दुखी होकर गांधी जी ने 1920 ईस्वी में असहयोग आंदोलन छेड़ दिया, किंतु चौरी चौरा कांड के कारण 1922 ईस्वी में इसे वापस ले लिया| इस आंदोलन के कारण भारत की जनता में नई चेतना का संचार हुआ और उसमें अंग्रेजी शासन के विरुद्ध घृणा उत्पन्न हो गई|

[ Read more about  Asahyog Andolan in Hindi  ]

महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन-

14 फरवरी 1930 इसवी को साबरमती में कांग्रेस कार्यकारिणी की एक सभा में महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने का अधिकार प्रदान किया गया| मार्च 1930 ईस्वी में गांधी जी ने नमक कानून के विरुद्ध सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया|

गांधी जी ने नमक कानून भंग करने के उद्देश्य से अपने 79 चुने हुए सहयोगियों के साथ इतिहास प्रसिद्ध दांडी यात्रा की थी| 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया इससे जनता में संघर्ष की ज्वाला भड़क उठी| ब्रिटिश सरकार के विरोध में स्थान स्थान पर हड़ताल तथा प्रदर्शन हुए तथा अनेक लोग जेल भी गए|

[ Read more about  सविनय अवज्ञा आंदोलन  ]

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन-

गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अंतिम बार 8 अगस्त 1942 को एक आंदोलन प्रारंभ करने का निश्चय किया| इस आंदोलन को भारत छोड़ो आंदोलन कहा जाता है|

जापान  के  द्वितीय विश्व युद्ध  में भाग लेने के पश्चात भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ गई| अतः गांधी जी ने भारतवासियों को “ करो या मरो (Do Or Die) ” के लिए तैयार होने को कहा|

8 अगस्त 1942 से को महात्मा गांधी के परामर्श बंबई में कांग्रेस के अधिवेशन में भारत छोड़ो प्रस्ताव पास किया गया, किंतु ब्रिटिश शासन इतनी सुगमता से भारत छोड़ने के लिए तैयार नहीं था| अतः वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने प्रस्ताव पास होने के दूसरे दिन ही समस्त प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करा लिया और कांग्रेस पार्टी गैरकानूनी घोषित कर दी गई|

[ Read more about  भारत छोड़ो आंदोलन  ]

महात्मा गांधी के महान आदर्श-

गांधीजी का ईश्वर में अटल विश्वास था और उन्होंने सत्य को ईश्वर का ही दूसरा नाम बताया| उनका मानना था सदाचार ही धर्म होता है और सारे धर्मों में समभाव पैदा करने के लिए सत्याग्रह का सहारा लिया|

उनका यह मानना था की हिंसा को अहिंसा से एवं अन्याय को शांतिमय तरीके से पराजित किया जा सकता है| अपनी अहिंसा की नीति से अत्याचारी ब्रिटिश शासन की मजबूरियों को हिला डाला और अंततः ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़कर जाना पड़ा|

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे परंतु उनकी अहिंसा में गिरता निडरता एवं दृढ़ संकल्प भी विद्यमान थे| सत्य अहिंसा एवं धर्म का राजनीति में प्रयोग करके गांधी जी ने एक अद्भुत आदर्श प्रस्तुत किया था|

उनकी कथनी और करनी में कोई भी अंतर नहीं हुआ करता था| उन्होंने रामराज्य को अपना आदर्श घोषित किया जिसमें आसुरी शक्ति तानाशाही एवं हिंसा का कोई स्थान नहीं था|

गांधीजी के समाज सुधार के कार्य-

गांधीजी का योगदान एक समाज सुधारक के रूप में अतुलनीय है| उन्होंने जातिवाद, छुआछूत,  दहेज प्रथा , पर्दा प्रथा, बहुविवाह नशाखोरी एवं सांप्रदायिक भेदभाव जैसी बुराइयों को मिटाने के लिए निरंतर संघर्ष किया|

जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के लिए उन्होंने सबसे अधिक प्रयास किया और अछूतों को हरिजन (अर्थात हरि के जन) कहकर सामाजिक सम्मान दिलाया|

गांधी जी की मृत्यु-

Mahatma Gandhi Death History in Hindi-

सन 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली और अभी देश की स्वतंत्रता को एक वर्ष भी न बीता था, कि  30 जनवरी सन 1948 ईसवी  की संध्या को नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने अपने रिवाल्वर की गोलियों से गांधीजी की हत्या कर दी|

30 जनवरी सन 1948 ईसवी को भारत का यह महान संत, पीड़ित मानवता का एकमात्र आश्रय और विश्व का महान व्यक्तित्व सदा सदा के लिए संसार से विदा हो गया| उस महानुभाव की मृत्यु से सारा संसार आवाक सा रह गया मानवता चीख उठी किंतु गांधी जी मर कर भी अमर हो गए|

देश के प्रथम प्रधानमंत्री  पंडित जवाहर लाल नेहरु  ने उनकी मृत्यु के बारे में कहा था-  प्रकाश बुझा नहीं क्योंकि वह तो हजारों लाखों व्यक्तियों के हृदय में प्रकाशित हो चुका है|

महात्मा गांधी और भारत का विभाजन-

जैसा की हम जानते हैं की ब्रिटेन ने भारत पर सन 1947 तक हुकूमत की थी, और जब ब्रिटेन के लोग भारत को छोड़कर जा रहे थे, तब वे भारत के सामने एक बहुत गंभीर समस्या को छोड़कर जा रहे थे| वह समस्या थी-  भारत के विभाजन की समस्या|

ब्रिटेन ने मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुसलमानो के समर्थन से भारत को विभाजित करने की योजना बनायीं, और वे इस काम में सफल भी हुए| भारत के विभाजन को लेकर गाँधी जी के क्या मत थे, इस सम्बन्ध में अनेक इतिहासकारों अनेक मत दिए हैं, परन्तु गाँधी जी इस विभाजन के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने अपनी सभाओं में यह कहा की यह देश हर संप्रदाय और धर्म के साथ चल सकता है, और हर धर्म के लोग यहाँ शांतिपूर्वक एक साथ रह सकते हैं।

परन्तु बाद में परिस्थितियों के अनुरूप महात्मा गाँधी इस विभाजन के लिए सहमत हुए, और अंततः भारत दो भागों में विभाजित हो गया|

Brief History of Mahatma Gandhi in Hindi-

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था|
  • जब उनकी उम्र 13 वर्ष की थी तब उनकी शादी कस्तुरबाई मकानजी के साथ हुई थी।
  • उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध करने के लिए नमक मार्च का नेतृत्व किया।
  • महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 5 बार नामांकित किया गया था|
  • गाँधी जी को महात्मा का खिताब सन 1914 में दिया गया था।
  • गांधी ने पांच साल के लिए अपने आहार में सिर्फ फल, नट्स और बीजों को शामिल किया था लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने के बाद पुनः शाकाहारी भोजन को अपनाया।
  • ग्रेट ब्रिटेन, जिस देश के खिलाफ उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी, उस देश ने महात्मा गाँधी की मृत्यु के 21 साल बाद उनको सम्मानित करने के लिए एक टिकट जारी किया।
  • गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी।
  • महात्मा गांधी की अंत्येष्टि में लोगों का जुलूस लगभग 8 किलोमीटर लंबा था|

Mahatma Gandhi quiz questions and answers in Hindi-

इस पार्ट में आप Mahatma Gandhi quiz questions and answers in Hindi में जानेंगे, इसके अतिरिक्त गांधीजी से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों (Mahatma Gandhi GK Questions in hindi) की जानकारी प्राप्त करेंगे-

प्रश्न-  महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु का नाम क्या था? उत्तर-  महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु का नाम गोपाल कृष्ण गोखले था|

प्रश्न-  महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता किसने कहा था? उत्तर-  महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने कहा था| नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में सिंगापुर से रेडियो पर सर्वप्रथम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था| भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी महात्मा गांधी की मृत्यु पर राष्ट्र के संबोधन में उन्हें “राष्ट्रपिता” कहकर पुकारा था।

प्रश्न-  महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में किस पत्रिका का प्रकाशन किया था? उत्तर-  दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए  गांधीजी ने इंडियन ओपिनियन नामक अखबार भी प्रकाशित किया था , यह अखबार हिंदी, गुजराती तमिल और अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित होता था|

प्रश्न-  दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी कितने वर्ष तक रहे थे? उत्तर-  1893 में गांधीजी अफ्रीका गए थे और जनवरी 1915 में भारत वापस लौटे,अर्थात  गांधीजी लगभग 21 वर्ष तक दक्षिण अफ्रीका में थे |

प्रश्न-  टॉलस्टॉय फार्म की स्थापना कब हुई थी? उत्तर-   टॉल्स्टॉय फार्म  1910 में दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल क्षेत्र में गांधी द्वारा शुरू किया गया एक समुदाय था। यह उस समय सत्याग्रह (अहिंसा) के अभियान का मुख्यालय बन गया था।

प्रश्न-  नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना किसने की थी? उत्तर-  नटाल इंडियन कांग्रेस (NIC) एक संगठन था जिसका लक्ष्य दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के खिलाफ भेदभाव से लड़ना था|  महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में 1894 में नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की थी , इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने अन्य सहयोगियों की सहायता से टॉलस्टॉय फार्म की स्थापना की थी|

प्रश्न-  नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी? उत्तर-  सन 1894 में|

प्रश्न-  फीनिक्स फार्म की स्थापना कब, कहां और किसने की थी? उत्तर-  सन 1904 गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में फीनिक्स फार्म की स्थापना की थी|  महात्मा गांधी द्वारा स्थापित प्रथम आश्रम फिनिक्स आश्रम ही था|

प्रश्न-  गांधीजी ने सत्याग्रह की रणनीति में किसे सबसे अंतिम स्थान बताया है? उत्तर-  गांधीजी ने अपनी सत्याग्रह की रणनीति में “ हड़ताल ” को सबसे अंतिम स्थान बताया है जबकि उन्होंने “उपवास” को सबसे अधिक प्रभावकारी अस्त्र घोषित किया था|

प्रश्न-  गांधीजी के अनुसार सत्याग्रही का उद्देश्य क्या होता है? उत्तर-  सत्याग्रही का उद्देश्य शत्रु को पराजित करना होता है|

प्रश्न- परिवार नियोजन के लिए महात्मा गांधी ने कौन सा तरीका बताया था| उत्तर- आत्म नियंत्रण|

प्रश्न-  महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका से वापसी भारत में कब हुई थी? उत्तर-  सन 1915|

प्रश्न-  महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में हिस्सा लिया था? उत्तर-  कोलकाता अधिवेशन, सन 1901 सन 1901 में कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने सर्वप्रथम  राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन  में हिस्सा लिया था और इस अधिवेशन में उनको  सर फिरोजशाह मेहता , लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले जैसे कांग्रेस नेताओं से मिलने का अवसर मिला।

प्रश्न-  महात्मा गांधी ने साबरमती के निकट किस आश्रम को बनाया था? उत्तर-  सत्याग्रह आश्रम| सत्याग्रह आश्रम गुजरात के अहमदाबाद जिले के कोचरब नामक स्थान पर सन 1915 में बनाया गया था|

प्रश्न-  असहयोग आंदोलन कब हुआ था? उत्तर-  1920- 22|

प्रश्न-  भारत में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान सबसे पहले सत्याग्रह किसने किया था? उत्तर-  सन 1917 में   बिहार  के चंपारण से महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान सर्वप्रथम सत्याग्रह प्रारंभ किया था|

प्रश्न-  चंपारण का सत्याग्रह कब हुआ था? उत्तर-  1917 में| सन् 1917-18 में  बिहार के चम्पारण जिले  में एक सत्याग्रह हुआ था, जिसको हम  चंपारण सत्याग्रह  के नाम से जानते हैं|

प्रश्न-  अहमदाबाद मिल हड़ताल कब हुई थी? उत्तर-  फरवरी- मार्च 1918 में|

प्रश्न-  खेड़ा आंदोलन कब हुआ था? उत्तर-  1918 को| ब्रिटिश राज की अवधि के दौरान 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में खेड़ा सत्याग्रह की शुरुआत हुई थी| यह सत्याग्रह मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा प्रेरित तीसरा सत्याग्रह आंदोलन था, यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण विद्रोह था|

प्रश्न-  महात्मा गांधी ने  जॉन रस्किन  की किस पुस्तक का अध्ययन किया था जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा था? उत्तर-   अंटू दिस लास्ट (Unto This Last) | दक्षिण अफ्रीका में लंबी ट्रेन यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की एक दोस्त ने उन्हें जॉन रस्किन द्वारा लिखित अंटू दिस लास्ट पुस्तक दी गई थी, इस पुस्तक का गहरा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा था| इस पुस्तक का संदेश “व्यक्ति का कल्याण सबके कल्याण में निहित है” गांधी जी को बहुत पसंद आया और इसी संदेश ने गांधीजी के जीवन की दशा और दिशा को बदल दिया|

प्रश्न-  विदेशी वस्त्रों की बर्बादी ही उनके साथ सर्वोत्तम व्यवहार है” यह कथन किसका है? उत्तर-  महात्मा गांधी का|

**महात्मा गांधी दार्शनिक अराजकतावाद के समर्थक थे, उनके रामराज्य के युगल सिद्धांत “सत्य और अहिंसा” थे|

**महात्मा गांधी के अनुसार राजनीति का मतलब “जन कल्याण के लिए सक्रियता” था|

**गांधी जी भारत के स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा नहीं थे|

Short Speech on 2nd October (Gandhi Jayanti) in Hindi-

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन, एक महान नेता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की प्राप्ति में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था| महात्मा गांधी का दर्शन और अहिंसा के विचार ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारत के लोगों का नेतृत्व किया|

इसी कारणवश इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी कहा जाता है| गांधी जी की शिक्षाओं के अनुसार अहिंसा विनाश के किसी भी सबसे शक्तिशाली हथियार की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली है। महात्मा गांधी को “राष्ट्र पिता” के रूप में जाना जाता है क्योंकि भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी शिक्षाएं अब भी हर भारतीय के खून में शामिल है।

भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की है| उन्होंने गांधी जयंती के दिन को सरकारी कर्मचारियों के लिए गैर-छुट्टी के दिन के रूप में घोषित किया और उस दिन उनको अपने कार्यालयों में स्वच्छता जागरूकता लाने के निर्देश दिए।

विश्व के सभी देशो  में लोग 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। इस दिन, स्कूल और कॉलेज बंद रहता है लोग अनेक प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और महात्मा गांधी द्वारा किए गए काम पर भाषण देते हैं, जिससे लोगों को महात्मा गांधी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो|

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करम चांद गांधी लोकप्रिय है जिसे बापू के नाम से भी जाना जाता है। 1914 में महात्मा गांधी के प्रयास, भारतीय राहत अधिनियम पारित किया गया था। वह सत्याग्रह आंदोलन के साथ ही  असहयोग आंदोलन  के अग्रणी सदस्य थे।

उन्होंने ऐतिहासिक दांडी मार्च का भी नेतृत्व किया 1942 में, उन्होंने  भारत छोड़ो आंदोलन   भी शुरू किया| उनके द्वारा किए गए कार्यों से ब्रिटिश शासन की जड़े हिल गई और अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली|

whats app share

Related Articales

Recently Posted

भगवान गौतम बुद्ध जीवन परिचय | gautam buddha in hindi, कार्बन के अपररूप allotropes of carbon in hindi, मिश्र धातु किसे कहते हैं उपयोग, नाम, गुण alloy in hindi, गलनांक किसे कहते हैं परिभाषा, उदाहरण melting point in hindi, परिमाप किसे कहते हैं perimeter in hindi, login with google.

Logo

Download Our App (1Mb Only) To get FREE PDF & Materials

Mahatma Gandhi Biography in Hindi | महात्मा गांधी जीवन परिचय

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या महात्मा गांधी धूम्रपान करते हैं ? नहीं (युवावस्था में करते थे)
  • क्या महात्मा गांधी शराब पीते हैं ? नहीं
  • मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर (जिसे सुदामापुरी के नाम से भी जाना जाता है) नामक स्थान पर एक हिंदू मोध बनिये के परिवार में हुआ था।
  • उनके पिता करमचंद गांधी की शैक्षणिक योग्यता सिर्फ प्राथमिक स्तर की थी। फिर भी वह पोरबंदर राज्य के एक कुशल मुख्यमंत्री रहे। पहले, उन्हें राज्य प्रशासन में क्लर्क के रूप में तैनात किया गया था।
  • पोरबंदर के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, करमचंद ने 4 बार शादी की (पहली दो पत्नियों की मृत्यु 1-1 पुत्री को जन्म देने के बाद हो गई थी) करमचंद की तीसरी शादी से कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद 1857 में, करमचंद का चौथा विवाह पुतलीबाई (1841-1891) के साथ हुआ।
  • महात्मा गांधी जी की मां, पुतलीबाई, जुनागढ़ के प्रणामी वैष्णव परिवार से थीं।
  • मोहनदास (महात्मा गांधी) के जन्म से पहले करमचंद और पुतलीबाई के तीन बच्चे थे – बेटा लक्ष्मीदास (1860-1914), बेटी रालियताबेन (1862-1960) और एक बेटा करनदास (1866-1913) ।
  • 2 अक्टूबर 1869 को, पोरबंदर के एक बिना खिड़की वाले अंधेरे कमरे में, पुतलीबाई ने अपनी अंतिम संतान मोहनदास (महात्मा गांधी) को जन्म दिया।
  • गांधी जी की बहन के अनुसार, “गांधी शांत स्वभाव के व्यक्ति थे, उन्हें घूमना बहुत पसंद था, और अपने खाली समय में वह कुत्तों के कानों के साथ खेलते थे।”
  • राजा हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार की पारंपरिक भारतीय कहानियों का गांधीजी के बचपन पर काफी प्रभाव पड़ा। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि, “मैंने बचपन से ही हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व को अपने जीवन में ढाला है, और इन कहानियों से ही मैंने सच्चाई, प्रेम और बलिदान की प्रेरणा प्राप्त की है।”
  • महात्मा गांधी की मां एक पवित्र महिला थीं, वह अपनी माँ से बहुत प्रभावित थे। वह दैनिक प्रार्थनाओं के बिना कभी भी भोजन ग्रहण नहीं करती थीं और लगातार दो तीन उपवास रखना उनके लिए सामान्य था। शायद, उनकी मां के यही गुण थे जिन्होंने गांधी जी को लंबे समय तक उपवास के लिए प्रेरित किया था।
  • वर्ष 1874 में, उनके पिता करमचंद ने पोरबंदर को छोड़ दिया और राजकोट में उन्हें शासक (ठाकुर साहिब) के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 9 वर्ष की आयु में, उन्होंने राजकोट में अपने घर के पास एक स्थानीय स्कूल में प्रवेश लिया।

 महात्मा गांधी बाल्यावस्था में

  • हाई स्कूल के दौरान उनकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़के से हुई , जिसका नाम शेख मेहताब था। शेख मेहताब का व्यक्तित्व काफी आश्चर्यजनक था। एक दिन शेख मेहताब ने मोहनदास को ऊंचाई बढ़ाने के लिए मांस के सेवन के लिए आग्रह किया और उन्हें वेश्यालय ले गया। वह दिन मोहनदास के लिए काफी परेशानी भरा रहा। जिसके चलते मोहनदास का मेहताब के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा और परिणामस्वरूप उन्होंने मेहताब की संगति से दरकिनार कर लिया।
  • मई 1883 में, महज 13 साल की उम्र में उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा माखनजी कपाड़िया (जिन्हें कस्तुरबा और बा कहकर भी पुकारा जाता था) से हुआ। अपने विवाह के दिन को याद करते हुए महात्मा गांधी जी ने कहा कि,” मुझे शादी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, हमारे लिए शादी का मतलब सिर्फ नए कपड़े पहनना, मिठाई खाना और रिश्तेदारों के साथ मौज – मस्ती करना है।” उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि अपनी पत्नी के प्रति उनके अंदर वासना की भावनाएं भी उत्पन्न होती थीं।
  • वर्ष 1885 में, उनके पिता का निधन हो गया, उस समय महात्मा गांधी 16 वर्ष के थे और उसी वर्ष, उनके पहले बच्चे की भी मृत्यु हो गई थी, वह बच्चा कुछ ही दिन जीवत रहा था। बाद में, उनके घर चार बच्चों का जन्म हुआ : हरिलाल (जन्म तिथि 1888), मणिलाल (जन्म तिथि 1892), रामदास (जन्म तिथि 1897), और देवदास (जन्म तिथि 1900)।
  • नवंबर 1887 में, महज 18 साल की उम्र में, उन्होंने अहमदाबाद के हाई स्कूल से स्नातक की डिग्री हासिल की।

युवा महात्मा गांधी

  • 10 अगस्त 1888 को, माविजी दवे जोशीजी (एक ब्राह्मण पुजारी और परिवार मित्र) की सलाह पर, मोहनदास ने लंदन में लॉ स्टडीज के उद्देश्य से पोरबंदर को छोड़ दिया और बॉम्बे चले गए। लोगों ने उन्हें चेतावनी दी कि इंग्लैंड में उन्हें मांस खाने और शराब पीने के लिए उकसाया जाएगा, गांधी जी ने अपनी मां को एक वचन दिया, कि वह शराब, मांस और महिलाओं से दूर रहेंगे।
  • 4 सितंबर 1888 को, वह मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुए।
  • महात्मा गांधी जी ने बैरिस्टर बनने के लिए, उन्होंने लंदन स्थित इनर टेम्प्लेट (Inner Temple) में दाखिला लिया और वहां कानून और न्यायशास्त्र का अध्ययन किया। गांधी जी का बचपन वाला शर्मीलापन लंदन में भी जारी रहा। हालांकि, उन्होंने धीरे-धीरे लंदन में पाश्चात्य संस्कृति को अपनाना शुरू कर दिया था जैसे :- अंग्रेजी बोलना, क्लबों में जाना, पाश्चात्य नृत्य सीखना इत्यादि।

महात्मा गांधी "शाकाहारी सभा" के सद्स्य के रूप में

  • 12 जनवरी 1891 को, उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की।

महात्मा गांधी लंदन में

  • भारत लौटने पर गांधी जी की मुलाकात रायचंदभाई (जिन्हे गांधीजी के गुरु के रूप में जाना जाता है) से हुई।
  • मोहनदास गांधी ने बॉम्बे से कानून का अभ्यास करना प्रारंम्भ किया, हालांकि उनमे गवाहों की पारस्परिक जाँच के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से रणनीति का अभाव था। जिसके कारण वह राजकोट लौट आए। जहां उन्होंने दावेदारों के लिए याचिकाओं का प्रारूप तैयार करके मामूली जीवन जीना शुरू किया। हालांकि, एक ब्रिटिश अधिकारी के साथ विवाद होने के कारण उन्हें अपने काम को बीच में ही बंद करना पड़ा।
  • वर्ष 1893 में, मोहनदास गांधी की मुलाकात एक मुस्लिम व्यापारी दादा अब्दुल्ला से हुई। जिसका दक्षिण अफ्रीका में बहुत बड़ा पोत परिवहन (shipping) का व्यापार था। अब्दुल्ला का चचेरा भाई जोहान्सबर्ग में रहता था, जिसे एक वकील की जरुरत थी। अब्दुल्ला ने उन्हें लगभग 9000 रुपए और अधिक यात्रा खर्च देने पेशकश की, जिसे उन्होंने खुशी से स्वीकार किया।
  • अप्रैल 1893 में, 23 साल की उम्र में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका (जहां उन्होंने 21 साल बिताते हुए, अपने नैतिक मूल्यों और राजनीतिक विचारों को विकसित किया) की यात्रा पर गए।

महात्मा गांधी पीटरमरेट्ज़बर्ग स्टेशन

  • मई 1894 में वह अब्दुल्ला केस के फैसले के लिए दक्षिण अफ्रीका आए।

महात्मा गांधी नटल भारतीय कांग्रेस के संस्थापक

  • 9 जनवरी 1915 को गांधी जी भारत लौटे और वर्ष 2003 से वह दिन (9 जनवरी 1915) भारत में प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

महात्मा गांधी (बाएं) गोपाल कृष्ण गोखले के साथ

  • वर्ष 1918 में, “खेड़ा सत्याग्रह” गुजरात के खेड़ा जिले में ब्रिटिश सरकार के द्वारा किसानों पर कर-वसूली के विरुद्ध एक सत्याग्रह हुआ। यह महात्मा गांधी की प्रेरणा के आधार पर वल्लभ भाई पटेल एवं अन्य नेताओं की अगुवाई में हुआ था। इस सत्याग्रह के फलस्वरूप गुजरात के जनजीवन में एक नया तेज और उत्साह उत्पन्न हुआ। यह सत्याग्रह यद्यपि साधारण सा था परन्तु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इसका महत्व चंपारन के सत्याग्रह से कम नहीं था।

गांधी जी के संपादन में "यंग इंडिया" समाचार पत्र

  • वर्ष 1919 में, प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद, महात्मा गांधी ने तुर्क साम्राज्य का समर्थन किया और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई में मुसलमानों से राजनीतिक सहयोग मांगा।
  • वर्ष 1920-1921 के दौरान, गांधी जी ने खिलाफत और गैर-सहकारिता आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • फरवरी 1922 में, चौरी-चौरा घटना के बाद, गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।

महात्मा गांधी यरवदा जेल में

  • 12 मार्च 1930 को, उन्होंने प्रसिद्ध दांडी मार्च आंदोलन (अहमदाबाद से दांडी तक 388 किलोमीटर) की शुरुआत की। यह आंदोलन नमक कानून तोड़ने के लिए शुरू किया गया था।

महात्मा गांधी के नाम से टाइम पत्रिका

  • विंस्टन चर्चिल (तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री) महात्मा गांधी जी के कट्टर आलोचक थे और उन्होंने गांधी जी को एक तानाशाह एवं एक हिन्दू मुसोलिनी की संज्ञा दी।

  • 28 अक्टूबर 1934 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी से सन्यास लेने की घोषणा की।
  • वर्ष 1936 में, महात्मा गांधी ने वर्धा में सेवाग्राम आश्रम की स्थापना की।

महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू के साथ

  • 8 मार्च 1942 को, बॉम्बे की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को संबोधित करते हुए, गांधी जी ने अपना प्रसिद्ध उद्धरण कहा,”भारतीयों करो या मरो”।

 महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का पार्थिव शरीर

  • वर्ष 1948 में, महात्मा गांधी ने धर्म के आधार पर भारत के विभाजन का विरोध किया।
  • 30 जनवरी 1948 के दिन शाम को महात्मा गांधी जी जब बिरला हाउस (गांधी स्मृति स्थल) में प्रार्थना करने जा रहे थे, उसी समय दक्षिण पंथ के एक कट्टरवादी व्यक्ति – नाथूराम विनायक गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

  • वर्ष 1994 में, जब काले दक्षिण अफ्रीकीयों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ, तब गांधी जी को राष्ट्र नायक घोषित किया गया और तब उनके कई स्मारक बनाए गए।

 महात्मा गांधी और नोबेल पुरस्कार

  • Richard Attenborough की फिल्म “Gandhi 1982” को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।

  • सम्पूर्ण भारत उन्हें “राष्ट्र के पिता” के रूप में वर्णित करता है, लेकिन भारत सरकार द्वारा उन्हें आधिकारिक रूप से यह शीर्षक नहीं दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, 6 जुलाई 1944 को सुभाष चंद्र बोस ने एक रेडियो एड्रेस में (सिंगापुर रेडियो पर) पहली बार इस शीर्षक “राष्ट्रपिता” का इस्तेमाल किया था।

गांधी श्रृंखला बैंक नोट

  • वर्ष 2006 में आई बॉलीवुड कॉमेडी फिल्म “लगे रहो मुन्ना भाई (2006)” में महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों को प्रदर्शित किया गया।
  • वर्ष 2007 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 2 अक्टूबर (गांधी के जन्मदिन) को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।

Radha Mangeshkar Biography in Hindi | राधा मंगेशकर जीवन परिचय

Related Posts

अरुनाचलम मुरुगनांथम

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Story Hindi - Kahani In Hindi

महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी (गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में) - Biography Of Mahatma Gandhi In Hindi) - Mahatma Gandhi Biography In Hindi

महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी (गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में) – Biography Of Mahatma Gandhi In Hindi)

Mahatma Gandhi Biography In Hindi – महात्मा गांधी भारत देश के इतिहास में एक ऐसे इंसान हैं जिन्होंने देशहित के लिए आखरी सांस तक लड़ाई करी। वे स्वतंत्रता के आंदोलन में ऐसे नेता थे जिन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजी शासकों के नाक में दम कर दिया था।

गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी याद किया जाता है। जिनकी सत्य एवं अहिंसा की विचारधारा से मार्टिन लूथर किंग एवं नेलसन मंडेला भी बहुत प्रभावित थे। महात्मा गांधी ने अफ्रीका में रहते हुए भी लगातार 21 सालों तक अन्याय तथा नस्लीभेद टिप्पणी के विरुद्ध अहिंसक रहकर संघर्ष किया, यह अंग्रेजों को अफ्रीका में ही नहीं बल्कि भारत में भी महंगा पड़ गया था।

आज इस लेख के द्वारा हम आपको महात्मा गाँधी की सम्पूर्ण जीवनी बताएगे। तो चलिए जानते है गाँधी जी के बारे में महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में (Mahatma Gandhi Ji Ka Jivan Parichay Hindi Mein)

महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी (Mahatma Gandhi Ki Jivani In Hindi)

हात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर वर्ष 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में हिन्दू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था | महात्मा गाँधी का नाम इनके माता पिता ने मोहनदास रखा था, इसलिए इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी बना।

महात्मा गांधी की मां बहुत धार्मिक महिला थी, इसलिए उनका पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिजनों में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी अत्यधिक प्रभाव रहा। इसी कारण से महात्मा गाँधी ने मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्मशुद्ध तथा शाकाहार को खुद के जीवन में उतारा था।

गांधीजी शिक्षा के दृष्टिकोण से एक औसत दर्जे के छात्र रहे, किन्तु समय-समय पर उनको पुरस्कार और छात्रवृतियां भी मिलीं। वे अंग्रेजी विषय में बहुत होनहार थे, किन्तु भूगोल जैसे विषयों की पढ़ाई में थोड़े कमजोर थे। अंक गणित की पढ़ाई में औसत छात्र थे और लिखावट के मामले में भी ज्यादा अच्छे नहीं थे।

हालांकि गांधी जी, अपने मां बाप की सेवा, घर के कामों में मां का सहयोग करना , आज्ञा मानना , सैर पर जाना, यह सब किया करते थे किन्तु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा के महात्मा गांधी ने अपने जीवन के विद्रोह के वक्त में गुप्त नास्तिकवाद को भी अपनाया, धूम्रपान तथा मांस आहार का सेवन भी किया। किन्तु उसके पश्चात् उन्होंने इन सभी चीजों को जीवन में कभी न दोहराने का दृढ़ संकल्प कर वापस कभी नहीं दोहराया। गांधी जी ने प्रहृलाद और राजा हरिश्चंद्र को आदर्श के रूप माना।

महात्मा गांधी की शादी केवल 13 साल की आयु में ही कर दी थी । जब वे विद्यालय में पढ़ते थे, उसी समय पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा माखनजी से उनकी शादी हुई और केवल 15 साल की उम्र में गांधी जी एक बेटे के पिता बन गए। किन्तु वह बेटा जीवित न रह सका। इस तरह गांधी जी के कुल चार बेटे हरिलाल, मनिलाल, रामदास तथा देवदास हुए।

विवाह के बाद और विद्यालय का जीवन ख़त्म होने पर मुंबई के एक महाविद्यालय में कुछ दिन पढ़ने के पश्चात् वे लंदन चले गए और उनकी आगे की पढ़ाई लंदन में हुई। 3 साल की पढ़ाई के पश्चात् वे बैरिस्टर बने।

वर्ष 1914 में गांधी जी भारत वापस आए। देश की जनता ने उनका भव्य स्वागत किया तथा उन्हें महात्मा बोलना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने आगे के चार साल भारत की स्थिति का अध्ययन करने एवं उन लोगों को तैयार करने में लगाए जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में चल रही सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को समाप्त करने में उनका सहयोग दे सकें।

इस सफलता से प्रेरणा प्राप्त करके महात्मा गांधी ने भारत देश की आजादी के लिए किए जाने वाले दूसरे अभियानों में सत्याग्रह तथा अहिंसा के विरोध जारी रखे, जैसे कि असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च एवं भारत छोड़ो आंदोलन । गांधी जी की इन सभी कोशिशों से भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल गई। ऐसी महान आत्मा महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन पर नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर डाली।

महात्मा गांधी के पहले भी शांति और अहिंसा की के विषय में जनता जानती थी , किन्तु उन्होंने जिस तरीके से सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण दुनिया के इतिहास में देखने को नहीं मिला।उनकी यह यात्रा अहिंसा आंदोलन से शुरू हुई तथा उनके राष्ट्रपिता बनने तक चलती रही और उनके सम्पूर्ण जीवन में चलती रही।

सारांश (Summary)

अब हमे उम्मीद है आपको यह लेख महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी (गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में) – Biography Of Mahatma Gandhi In Hindi अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करे।

इसके साथ ही अगर आप इसी तरह की शिक्षाप्रद, मजेदार, रोमांचक और हास्यप्रद कहानियाँ पढ़ना चाहते है, तो हमारे इस लेख स्टोरी हिंदी (Story Hindi) पर आते रहे है, और मजेदार कहानियों का लुफ्त उठाते रहे। अंत में इस लेख के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

mahatma gandhi biography in hindi short

  • History Classics
  • Your Profile
  • Find History on Facebook (Opens in a new window)
  • Find History on Twitter (Opens in a new window)
  • Find History on YouTube (Opens in a new window)
  • Find History on Instagram (Opens in a new window)
  • Find History on TikTok (Opens in a new window)
  • This Day In History
  • History Podcasts
  • History Vault

Mahatma Gandhi

By: History.com Editors

Updated: June 6, 2019 | Original: July 30, 2010

Mahatma GandhiIndian statesman and activist Mohandas Karamchand Gandhi (1869 - 1948), circa 1940. (Photo by Dinodia Photos/Getty Images)

Revered the world over for his nonviolent philosophy of passive resistance, Mohandas Karamchand Gandhi was known to his many followers as Mahatma, or “the great-souled one.” He began his activism as an Indian immigrant in South Africa in the early 1900s, and in the years following World War I became the leading figure in India’s struggle to gain independence from Great Britain. Known for his ascetic lifestyle–he often dressed only in a loincloth and shawl–and devout Hindu faith, Gandhi was imprisoned several times during his pursuit of non-cooperation, and undertook a number of hunger strikes to protest the oppression of India’s poorest classes, among other injustices. After Partition in 1947, he continued to work toward peace between Hindus and Muslims. Gandhi was shot to death in Delhi in January 1948 by a Hindu fundamentalist.

Mohandas Karamchand Gandhi was born on October 2, 1869, at Porbandar, in the present-day Indian state of Gujarat. His father was the dewan (chief minister) of Porbandar; his deeply religious mother was a devoted practitioner of Vaishnavism (worship of the Hindu god Vishnu), influenced by Jainism, an ascetic religion governed by tenets of self-discipline and nonviolence. At the age of 19, Mohandas left home to study law in London at the Inner Temple, one of the city’s four law colleges. Upon returning to India in mid-1891, he set up a law practice in Bombay, but met with little success. He soon accepted a position with an Indian firm that sent him to its office in South Africa. Along with his wife, Kasturbai, and their children, Gandhi remained in South Africa for nearly 20 years.

Did you know? In the famous Salt March of April-May 1930, thousands of Indians followed Gandhi from Ahmadabad to the Arabian Sea. The march resulted in the arrest of nearly 60,000 people, including Gandhi himself.

Gandhi was appalled by the discrimination he experienced as an Indian immigrant in South Africa. When a European magistrate in Durban asked him to take off his turban, he refused and left the courtroom. On a train voyage to Pretoria, he was thrown out of a first-class railway compartment and beaten up by a white stagecoach driver after refusing to give up his seat for a European passenger. That train journey served as a turning point for Gandhi, and he soon began developing and teaching the concept of satyagraha (“truth and firmness”), or passive resistance, as a way of non-cooperation with authorities.

The Birth of Passive Resistance

In 1906, after the Transvaal government passed an ordinance regarding the registration of its Indian population, Gandhi led a campaign of civil disobedience that would last for the next eight years. During its final phase in 1913, hundreds of Indians living in South Africa, including women, went to jail, and thousands of striking Indian miners were imprisoned, flogged and even shot. Finally, under pressure from the British and Indian governments, the government of South Africa accepted a compromise negotiated by Gandhi and General Jan Christian Smuts, which included important concessions such as the recognition of Indian marriages and the abolition of the existing poll tax for Indians.

In July 1914, Gandhi left South Africa to return to India. He supported the British war effort in World War I but remained critical of colonial authorities for measures he felt were unjust. In 1919, Gandhi launched an organized campaign of passive resistance in response to Parliament’s passage of the Rowlatt Acts, which gave colonial authorities emergency powers to suppress subversive activities. He backed off after violence broke out–including the massacre by British-led soldiers of some 400 Indians attending a meeting at Amritsar–but only temporarily, and by 1920 he was the most visible figure in the movement for Indian independence.

Leader of a Movement

As part of his nonviolent non-cooperation campaign for home rule, Gandhi stressed the importance of economic independence for India. He particularly advocated the manufacture of khaddar, or homespun cloth, in order to replace imported textiles from Britain. Gandhi’s eloquence and embrace of an ascetic lifestyle based on prayer, fasting and meditation earned him the reverence of his followers, who called him Mahatma (Sanskrit for “the great-souled one”). Invested with all the authority of the Indian National Congress (INC or Congress Party), Gandhi turned the independence movement into a massive organization, leading boycotts of British manufacturers and institutions representing British influence in India, including legislatures and schools.

After sporadic violence broke out, Gandhi announced the end of the resistance movement, to the dismay of his followers. British authorities arrested Gandhi in March 1922 and tried him for sedition; he was sentenced to six years in prison but was released in 1924 after undergoing an operation for appendicitis. He refrained from active participation in politics for the next several years, but in 1930 launched a new civil disobedience campaign against the colonial government’s tax on salt, which greatly affected Indian’s poorest citizens.

A Divided Movement

In 1931, after British authorities made some concessions, Gandhi again called off the resistance movement and agreed to represent the Congress Party at the Round Table Conference in London. Meanwhile, some of his party colleagues–particularly Mohammed Ali Jinnah, a leading voice for India’s Muslim minority–grew frustrated with Gandhi’s methods, and what they saw as a lack of concrete gains. Arrested upon his return by a newly aggressive colonial government, Gandhi began a series of hunger strikes in protest of the treatment of India’s so-called “untouchables” (the poorer classes), whom he renamed Harijans, or “children of God.” The fasting caused an uproar among his followers and resulted in swift reforms by the Hindu community and the government.

In 1934, Gandhi announced his retirement from politics in, as well as his resignation from the Congress Party, in order to concentrate his efforts on working within rural communities. Drawn back into the political fray by the outbreak of World War II , Gandhi again took control of the INC, demanding a British withdrawal from India in return for Indian cooperation with the war effort. Instead, British forces imprisoned the entire Congress leadership, bringing Anglo-Indian relations to a new low point.

Partition and Death of Gandhi

After the Labor Party took power in Britain in 1947, negotiations over Indian home rule began between the British, the Congress Party and the Muslim League (now led by Jinnah). Later that year, Britain granted India its independence but split the country into two dominions: India and Pakistan. Gandhi strongly opposed Partition, but he agreed to it in hopes that after independence Hindus and Muslims could achieve peace internally. Amid the massive riots that followed Partition, Gandhi urged Hindus and Muslims to live peacefully together, and undertook a hunger strike until riots in Calcutta ceased.

In January 1948, Gandhi carried out yet another fast, this time to bring about peace in the city of Delhi. On January 30, 12 days after that fast ended, Gandhi was on his way to an evening prayer meeting in Delhi when he was shot to death by Nathuram Godse, a Hindu fanatic enraged by Mahatma’s efforts to negotiate with Jinnah and other Muslims. The next day, roughly 1 million people followed the procession as Gandhi’s body was carried in state through the streets of the city and cremated on the banks of the holy Jumna River.

salt march, 1930, indians, gandhi, ahmadabad, arabian sea, british salt taxes

Sign up for Inside History

Get HISTORY’s most fascinating stories delivered to your inbox three times a week.

By submitting your information, you agree to receive emails from HISTORY and A+E Networks. You can opt out at any time. You must be 16 years or older and a resident of the United States.

More details : Privacy Notice | Terms of Use | Contact Us

Hindi Stories, Hindi Grammar and Much More

Top 10 Mahatma Gandhi Life Story in Hindi

Top 10 Mahatma Gandhi Life Story in Hindi photo 0

Real life incidents of Mahatma Gandhi Life Story in Hindi from his Childhood to Death. Mahatma Gandhi History Story will inspire you how India got its Independence from British rule. MG was one of the thousands of freedom fighters because of them today India is free from British.

Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

Mahatma gandhi childhood story in hindi, महात्मा गांधी की जीवनी, mahatma gandhi married life story, mahatma gandhi london education.

Mahatma Gandhi Life Story in Hindi

Mahatma Gandhi South Africa Train Incident in Hindi

Mahatma gandhi in south africa.

Mahatma Gandhi Returned to India Story in Hindi

Mahatma Gandhi Freedom Fighter Story

महात्मा गांधी निबंध, salt satyagraha – dandi march in hindi story, भारत छोड़ो आंदोलन quit india movement in hindi, mahatma gandhi independence movement story in hindi, mahatma gandhi death – mahatma gandhi life story.

हम में से कई लोग इन्हें Mahatma Gandhi कहकर पुकारते हैं, कई इन्हें बापू बुलाते हैं तथा कई लोग राष्ट्रपिता के रूप में इन्हें जानते हैं।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Best Akbar and Birbal Short Stories in Hindi

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानि मोहनदास करमचंद गांधी, यही उनका पूरा नाम है, महात्मा गांधी का जन्म २ अक्टूबर १८६९ को गुजरात में स्थित काठियावाड़ के पोरबंदर नाम के गाँव में हुआ था। उसे समय भारत में अंग्रेजों की गुलामी का काला अंधकारमय समय था।

उन्हें लोग मोहन के नाम से बुलाते थे। वह छह बच्चों में सबसे छोटे थे। संयुक्त परिवार में उनके चाचा, चाची और चचेरे भाई भी उनके साथ ही रहते थे। मोहन के पिता शहर के दीवान थे। दीवान वो अधिकारी होता है, जो लोगों के बीच की समस्याओं को सुलझाता है। बिलकुल कल एक जज जैसे।

मोहन ने अपनी मां से हिंदू धर्म के बारे में जाना। माँ, उसे एक हिंदू मंदिर में ले जाती थीं। वहां मोहन ने माँ को गरीबों और बीमारों की देखभाल करते हुए देखा। मां धार्मिक पर्वों पर उपवास करती थीं। उपवास वाले दिन वो कुछ भी नहीं खाती थीं। इस पद्धति का उपयोग बाद में गांधी ने अपने जीवन में राजनैतिक कार्य के दौरान किया।

मोहन स्कूल में शर्मीला था, लेकिन वो घर में बहुत शैतानी करता था। वो अपनी बहनों को छेड़ता था और तमाम परेशानियां पैदा करता था। गांधी के पिता का रियासत से कुछ विवाद होने पर घर की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही थी इसलिए उनकी पढ़ाई भी पोरबंदर के सामान्य स्कूल में आम बच्चों की तरह ही हुई।

Famous Swami Vivekananda Life Story in Hindi

Mahatma Gandhi Married Life Story in Hindi

जब मोहन केवल १३ वर्ष का था तब उसका विवाह कस्तूरबाई नामक एक युवा लड़की से हुआ। भारत में बचपन में शादी एक सामान्य बात थी। जब तक कस्तूरबाई ने स्कूल खत्म नहीं किया तब तक दोनों अपने माता-पिता के घरों में अलग-अलग रहे।

गांधी और कस्तूर की आदतों में और भी कई मामलों में मत भिन्‍नता थी। गांधी संकोची स्वभाव के अंतर्मुखी युवक थे और कस्तूर सजने धजने की शौकीन, सबसे निसंकोच बात करने वाली बहिर्मुखी चंचल स्वभाव की युवती। गांधी को उनका यह स्वभाव पसंद नहीं था और कस्तूर को गांधी की पढ़ाई और सादगी से रहने वाली सलाह बेतुकी लगती थी।

गांधी और कस्तूर में कुछ स्वभावगत मतभेदों के बावजूद एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव भी था। यह शायद उन दौनो के भारतीय संस्कारों का प्रतिफल था। गांधी कस्तूर को पढ़ाई के लिए भी संभवतः इसीलिए प्रेरित करते थे जिससे वे भी शिक्षा का लाभ उठा सकें। गांधी जी ने यह प्रयास अंतिम समय तक जारी रखा।

बहुत समय बाद कस्तूरबा जी को भी शिक्षा का महत्व समझ में आया, और उन्होंने विभिन्‍न आश्रमो में रहते हुए काम चलाऊ विधाध्ययन और सवाध्याय किया, जिसके पीछे गांधी की प्रेरणा ही प्रमुख कारण थी।

Inspirational and Motivational Quotes for Students in Hindi

Mahatma Gandhi London Education Story in Hindi

जब वे १९ वर्ष के थे, तब मोहन के परिवार ने उन्हें इंग्लैंड के एक कॉलेज में भेजने का फैसला किया। उस समय, इंग्लैंड का भारत पर शासन था। जब व्यापारी जाति के नेताओं को इसका पता चला, तो वो क्रोधित हुए क्योंकि उनकी जाति का कोई भी व्यक्ति कभी भी पढ़ाई के लिए देश से बाहर नहीं गया था।

Gandhi ji ने कुछ अंग्रेजी रीति रिवाज़ों का अनुसरण तो किया पर वहाँ के मांसाहारी खाने को नहीं अपनाया। उसने अपनी माँ से वादा किया था कि वो मांस नहीं खाएगा और उसने शाकाहारी रहने का निर्णय लिया तथा वहा स्थित शाकाहारी समाज की सदस्यता भी ली।

Top 10 Mahatma Gandhi Life Story in Hindi photo 1

इंग्लैंड में उसे शाकाहारी बने रहने में काफी परेशानी हुई, क्योंकि वहां सभी लोग मांस खाते थे। पहले कुछ महीनों वो रोटी, दलिया पर जीवित रहा। अंत में, उसे एक शाकाहारी रेस्टोरेंट मिला जहाँ उसे मनपसंद भोजन खाने को मिला। मोहन जीवन भर शाकाहारी बना रहा। उसने केवल फल, सब्जियाँ और रोटी ही खाई।

इंग्लैंड में गांधी की पैदल चलने की आदत पड़ी। वो लंदन में हर जगह पैदल चलकर जाता था। इस आदत से उसने पैसे भी बचाए और वो अच्छी सेहत में भी रहा।

जैसे ही उन्हें डिग्री मिली उसके अगले दिन इंग्लैंड के हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराकर तीसरे दिन उन्होंने बम्बई वापसी का जहाज पकड़ लिया। बम्बई पहुँचते ही उन्हें लेने आए बड़े भाई ने उन्हें माँ की मृत्यु का दुखद समाचार दिया। गांधी की पढ़ाई में बाधा न हो यही सोचकर यह खबर अब तक उनसे छिपाई गई थी।

Sandeep Maheshwari Motivational Quotes In Hindi

sMMGMahatma Gandhi South Africa Train Incident in Hindi

गांधी को वकालत की बजाय अफ्रीका के बड़े वकील की सहायता करना अधिक आसान लगा। इस काम के लिए गांधी को फीस भी ठीक ठाक मिल रही थी। यात्रा और वहां रहने का सब खर्च उठाकर १०५ पौंड की रकम तय हुई थी। गांधी को लगा इस रकम को वे भाई को मदद के रूप मे भेज सकते हैं।

दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय के लिए रहना आसान नहीं था। दक्षिण अफ्रीका के कुछ हिस्सों में, भारतीयों के पास न तो जमीन थी और न ही कोई व्यवसाय। उनके लिए रात में नौ बजे के बाद टहलना भी वर्जित था।

एक दिन गांधी फर्स्ट क्लास के टिकट के साथ ट्रेन में सवार हुए। क्योंकि वो गोरे नहीं थे इसलिए उनसे फर्स्ट क्लास का डिब्बा छोड़ने को कहा गया. जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया तो एक पुलिसकर्मी ने गांधी को ट्रेन से फेंक दिया। अब उनके पास सोचने के लिए बहुत समय था। उन्होंने भारतीयों के प्रति इस भेदभाव का प्रतिरोध करने का फैसला किया।

गांधी का अपमान वहां के कोर्ट में भी हुआ जहाँ उन्हें पगड़ी उतारने के लिए कहा गया। गांधी इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें कोर्ट से बाहर आना पड़ा। गांधी ने मजिस्ट्रेट द्वारा किये इस अपमान के विरोध में समाचार पत्रों में पत्र लिखे जो उन्होंने गांधी के पक्ष या विरोध में प्रकाशित भी किये। इस घटना से गाँधी को दक्षिण अफ्रीका में काफी लोग जानने लगे। इस घटना के बाद भी अफ्रीका प्रवास के दौरान गांधी ने अपनी पगड़ी नहीं छोड़ी।

Vegetables name in Hindi and English

इसके बाद सन १९१५ में वे सदैव के लिए स्वदेश लौट आए। जिस समय वह यहाँ पहुंचे उस समय देश में चारों तरफ अंग्रेजों द्वारा अत्याचार हो रहा था। जमींदारों की शक्ति से प्रभावित भारतीयों को बहुत कम भत्ता मिला करता था, जिससे देश में चारों तरफ गरीबी छा गयी थी। सभी गाँवों में गंदगी तथा बीमारी फैल रही थी।

गांधी चाहते थे कि अंग्रेज भारत को, भारतीय लोगों को वापस कर दें। वो चाहते थे कि भारतीय अपने देश पर खुद शासन करें। अपने शेष जीवन में उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम किया।

गांधी सबसे पहले बम्बई (अब मुंबई) आये और न्यायमूर्ति रानाडे से मिले। उन्होंने गांधी को फिरोजशाह मेहता के पास भेजा। मेहता जी के आशीर्वाद से गाँधी ने बम्बई में एक सभा में भाषण दिया जिसे सबकी सराहना और समर्थन मिला। इस सफलता से गाँधी को बहुत संतोष हुआ और उन्होंने पूना जाने का फैसला किया।

महात्मा गांधी ने एक वकील के रूप में काफी पैसे कमाए, लेकिन उन्होंने एक सरल जीवन जीने का फैसला किया। यह काम उनकी पत्नी और परिवार के लिए कठिन था। उन्होंने गरीबों की मदद करने में अपना सारा पैसा लगाया। गांधी हर जगह पैदल चल कर जाते। उनके पास जो एकमात्र कपड़े थे, वो थी सैंडल और एक धोती। उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और लोगों की असली ज़रूरतों का पता लगाया।

Complete Letter Writing in Hindi with 50+ Examples

गुजरात के खेड़ा गाँव की स्थिति भी अकाल तथा अंग्रेजों के दमन के कारण अत्यंत दुखदायी थी। यहीं से गांधी जी की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका प्रारम्भ हो गयी। गुजरात के खेड़ा गाँव में एक आश्रम बनाकर उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने इस गाँव की सफाई का कार्य आरंभ किया, तथा विद्यालय और अस्पताल भी निर्मित किये गए।

खेड़ा सत्याग्रह के कारण महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर यह जगह छोड़ने का आदेश दिया गया, जिसके विरोध में लाखों लोगों ने प्रदर्शन किया। गांधी जी के समर्थक व्‌ हज़ारों लोगों ने रैलियां निकालीं तथा उन्हें बिना किसी शर्त रिहा करने के लिए आवाज़ उठाई जिसके फलस्वरूप उन्हें रिहाई मिली।

Top 10 Mahatma Gandhi Life Story in Hindi photo 2

महात्मा गाँधी अंग्रेजों को भारत से बाहर करना चाहते थे। पर उन्हें डर था कि कहीं जापानी, अंग्रेजों से बदला लेने के लिए भारत पर हमला न कर दें।

गांधी को दंगे भड़काने के लिए फिर से जेल भेज दिया गया। जब वो जेल में थे तब उन्होंने कुछ भी खाना खाने से इनकार कर दिया। माँ की सीख के अनुसार उन्होंने उपवास किया। बहुत दिनों तक उपवास करने के बाद गाँधी बहुत कमजोर हो गए। अंग्रेजों को गाँधी के मरने का डर था। इसलिए उन्होंने गाँधी को रिहा कर दिया।

Latest Real Ghost Stories In Hindi

कारावास के बाद भी गांधी जी ने तरह तरह से देश में हो रही हिंसा तथा अत्याचार को रोकने में प्रयासरत रहे। उनके कारावास के दौरान दो भागों में बंट चुकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी उन्होंने एक करने का हर संभव प्रयास किया।

१९२८ में बापू ने कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में भारतीय साम्राज्य को सत्ता सौंपने की मांग की तथा विरोध करने पर देश को स्वतंत्रता दिलाने हेतु असहयोग आन्दोलन छेड़ने की बात कही। इसके बाद महात्मा गांधी ने १९३० में नमक पर लगे कर (टैक्स) के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ किया, जिसमें दांडी यात्रा (Dandi March) प्रमुख रहा।

इसके बाद देश की जनता को जागरूक होते तथा जोश में देखकर सरकार ने बापू के साथ वार्तालाप किया जिसका नतीजा गांधी-इरविन की संधि के रूप में आया। इस संधि के अनुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समाप्त करने के बदले सभी राजनैतिक भारतीय कैदियों को आज़ाद किया।

Champak Stories in Hindi with PDF चंपक की कहानियाँ

द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने अंग्रेजों को अहिंसात्मक रूप से समर्थन देने की बात कही जिसके पक्ष में कोई न था। बाद में महात्मा गांधी जी ने भी युद्ध में किसी भी ओर की पार्टी बनने से इनकार कर दिया तथा भारत छोड़ो आन्दोलन को और तीव्र किया गया।

इस सर्वव्यापी आन्दोलन में हिंसा तथा गिरफ्तारी भी हुई जिसके पक्ष में बापू कतई नहीं थे। बापू ने संपूर्ण भारत को अहिंसा से करो या मरो द्वारा स्वतंत्रता के लिए लड़ने को कहा। गांधी जी को फिर से गिरफ्तार किया गया। गांधी जी के लिए यह कारावास बहुत घातक रहा। इस समय वह बीमार भी हुए तथा कस्तूरबा का भी देहांत हो गया।

उनके कारावास में रहते हुए भी भारत छोड़ो आन्दोलन चलता रहा तथा सफल भी हुआ। अंग्रेजों ने भारत को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया। परन्तु हिन्दू तथा मुस्लिमों में असंतोष को देखते हुए उन्होंने दिल्‍ली में आमरण अनशन किया तथा पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपए देकर अलग कर दिया गया।

Dr Babasaheb (Br) Ambedkar Short Success Story in Hindi

१९४७ में द्वितीय महायुद्ध के बाद, अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्रता दी। पूरे भारत ने इसका जश्न मनाया। गांधी, अपने अनुयायियों, अपने गोल चश्मे औरअपने चरखे के साथ, भारत की स्वतंत्र का प्रतीक बन गए।

लेकिन गांधी अपने घर पर ही रहे। उन्होंने किताबें पढ़ीं और प्रार्थना की। वह राजनीति से दूर रहे। उसने हमेशा कहा था कि वह १२५ वर्ष तक ज़िंदा रहना चाहता थे, लेकिन अब वो इस बात को लेकर इतने पक्के नहीं थे। वो अब ७८ साल के थे, और जीवन भर कड़ी मेहनत से थक गए थे।

जब भारत स्वतंत्र हुआ तब दो धार्मिक समूहों के बीच लड़ाई छिड़ गई. मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ने लगे। मुसलमान अपना एक अलग देश चाहते थे। गांधी चाहते थे कि सभी लोग शांति से रहें। लेकिन उन शहरों में जहां दोनों धार्मिक समूह रहते थे वहां भयानक लड़ाईया शुरू हुईं।

लेकिन गांधी के प्रयासों के बावजूद, देश का विभाजन हुआ। हिंदू लोग भारत में ही रहे। मुस्लिमानों ने पाकिस्तान नामक एक नए देश बना लिया।

३० जनवरी १९४८ को, गांधी एक प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने गए. उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में उनके अनुयायी और दोस्त वहां मौजूद थे। गांधी मंच तक पहुँचने के लिए लोगों के बीच से गुज़रे।

लोगों का अभिवादन करने के लिए उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़े तभी एक व्यक्ति, जो गाँधी को भारत के विभाजन के लिए गांधी को दोषी मानता था, गांधी के पास आया। उसने पिस्तौल से निशाना साधा और तीन गोलियां चलाई। जैसे ही गांधी अपने दोस्तों की गोद में गिरे, उनके लबों पर भगवान का नाम था।

इस शब्द के साथ, उन्होंने अपने हत्यारे को माफ कर दिया था। लेकिन फिर भी हत्यारे को गिरफ्तार करके मौत की सजा सुना दी।

how many airports in India are there

  • Terms And Conditions
  • Privacy Policy
  • Birthday Wishes
  • Anniversary Wishes
  • Festival Wishes
  • Hindi Slogans
  • जन्मदिन की शुभकामनाएं

Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

  • February 25, 2022

भारत की स्वतंत्रता की बात करते है तो हज़ारों सेनानियों के साथ महात्मा गाँधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। गांधीजी ने भारत को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आइये जानते है अहिंसा और सत्य के सबसे बड़े साथी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जीवन परिचय । Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

वैसे तो गांधीजी के बारे में हर किसी को पता है, चाहे वो स्कूल गया हो या नहीं लेकिन अगर गांधी के बारे में ज्यादा पूछा जाये तो जानकारी नहीं होती है इसलिए इस लेख में हमने संक्षेप में महात्मा गाँधी का जीवन परिचय लिखा है जिसे कोई आसानी से पढ़ कर गांधीजी के जीवन के बारे में जान सकता है।

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय – Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi Short Biography IN HINDI, महात्मा गाँधी का जीवन परिचय

Let’s know and check ‘biography of mahatma gandhi in hindi in short’

Mahatma Gandhi Short Biography IN HINDI

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी, प्रारंभिक जीवन.

गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ है। इनके माता-पिता का नाम पुतली बाई और करमचंद गाँधी था। इनके पिता काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत के दीवान थे।

1883 में गांधीजी का 14 साल की छोटी सी उम्र में कस्तूरबा से विवाह हो गया। इसके बाद इन्होने 1887 में अपनी मैट्रिक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद 1988 में गाँधी कानून की पढाई करने लंदन चले गए। अपनी डिग्री पूरी करने के बाद 1891 में गाँधी पुन: भारत लौट आये।

भारत आने के बाद गांधीजी स्थानीय तौर पर मुकदमे लड़ने लगे, हालाँकि कुछ खास सफल नहीं हो पाए। बाद में गाँधी एक भारतीय फर्म के करार पर 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गए।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी

गाँधी को अफ्रीका जाने के बाद बहुत सारे भेदभावों का सामना करना पड़ा। उन्हें एक बार टिकट होने के बावजूद भी ट्रैन से धक्का देकर उतार दिया गया था। इससे गांधीजी आहत हुए और दक्षिण अफ्रीका में हो रहे नस्लीय भेदभाव के लिए सरकार से प्रश्न उठाने लगे।

वहां हो रहे अन्याय के विरुद्ध इन्होंने लोगों के साथ मिलकर अवज्ञा आंदोलन चलाया और इसकी सफलता के बाद गाँधी 1915 में वापस भारत लौट आये।

गांधीजी का दक्षिण अफ्रीका से भारत आगमन

जब गाँधी अफ्रीका से भारत लौटे तो भारतीय पूरी तरह से अंग्रेजी अत्याचार सह रहे थे, सरकार उनकी एक भी बात नहीं मान रही थी। ऐसे में गाँधी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया और भारतीयों को उनका हक़ दिलाने में जुट गए।

गांधीजी का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना

गांधीजी ने आज़ादी के लिए पांच आंदोलन किये जिनमे से तीन आंदोलन राष्ट्रीय स्तर के रहे। ये आंदोलन असहयोग आंदोलन, अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन थे। इन सभी आंदोलनों को बदौलत देश आज़ाद कराने में गाँधी ने अहम भूमिका निभाई।

  • इसी प्रकार खेड़ा में बाढ़ आने से लोग टैक्स नहीं भर पा रहे थे तो गाँधी ने टैक्स में छूट दिलाने के लिए आंदोलन किया और ब्रिटिश सरकार को टैक्स संबंधी नियमों में किसानों को राहत देने की घोषणा करनी पड़ी
  • खिलाफत आंदोलन – हिन्दू मुस्लिम एकता बढ़ाने और कांग्रेस को मज़बूत बनाने के लिए गाँधी ने यह किया। इसके बाद गाँधी देश में ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव विभिन्न समुदायों के लोगों पर था।
  • चौरा चौरी कांड – असहयोग आंदोलन अहिंसात्मक था लेकिन उत्तर प्रदेश में पुलिस ने लोगों पर गोलियां चला दी। इससे भड़ककर लोगों ने पुलिस थाने को जला दिया और पुलिस वालों की हत्या कर दी। इस हिंसात्मक गतिविधि के कारण गाँधी ने आंदोलन वापस ले लिया।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन / दांडी यात्रा – सन 1930 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ़ इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का मकसद था ब्रिटिश सरकार के कानूनों को नहीं मानना और उन्हें तोडना। ‘नमक कानून’ को तोड़ने के लिए गाँधी ने दांडी यात्रा की और खुद से नमक बनाया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – ‘भारत छोड़ो’ स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया था। गाँधी ने इसमें ‘करो या मरो’ का नारा दिया था। यह आंदोलन असफल रहा और इसमें गांधीजी जेल गए थे। जब गांधीजी जेल में थे, उसी दौरान इनकी पत्नी का निधन हो गया।

इसके बाद 1947 में भारत को आजादी मिल गई।

गांधीजी का सामाजिक जीवन

देश की आज़ादी में अहम भूमिका के साथ साथ गाँधी ने समाज के लिए भी अनुकरणीय काम किये। वे ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के धनी थे। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों जैसे छुआछूत को दूर किया। महिला शिक्षा को बढ़ाया। पिछड़ी जातियों को ‘हरिजन’ नाम दिया और समाज में आगे बढ़ाया।

गांधीजी की मृत्यु

30 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस में नाथुराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गाँधी की हत्या कर दी।

इस प्रकार गांधीजी एक महँ व्यक्ति थे। उनका नाम आज भारत के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज़ है। हमे दिखाए सत्य और अहिंसा के पथ पर चलना चाहिए।

यह भी पढ़ें:

  • महात्मा गाँधी पर भाषण
  • गांधीजी के सम्मान में दमदार शायरियां

अगर आपको महात्मा गाँधी की जीवनी (Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi) का लेख पसंद आया है तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करें।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi was the primary leader of India’s independence movement and also the architect of a form of non-violent civil disobedience that would influence the world. He was assassinated by Hindu extremist Nathuram Godse.

Gandhi

(1869-1948)

Who Was Mahatma Gandhi?

Mahatma Gandhi was the leader of India’s non-violent independence movement against British rule and in South Africa who advocated for the civil rights of Indians. Born in Porbandar, India, Gandhi studied law and organized boycotts against British institutions in peaceful forms of civil disobedience. He was killed by a fanatic in 1948.

Gandhi

Early Life and Education

Indian nationalist leader Gandhi (born Mohandas Karamchand Gandhi) was born on October 2, 1869, in Porbandar, Kathiawar, India, which was then part of the British Empire.

Gandhi’s father, Karamchand Gandhi, served as a chief minister in Porbandar and other states in western India. His mother, Putlibai, was a deeply religious woman who fasted regularly.

Young Gandhi was a shy, unremarkable student who was so timid that he slept with the lights on even as a teenager. In the ensuing years, the teenager rebelled by smoking, eating meat and stealing change from household servants.

Although Gandhi was interested in becoming a doctor, his father hoped he would also become a government minister and steered him to enter the legal profession. In 1888, 18-year-old Gandhi sailed for London, England, to study law. The young Indian struggled with the transition to Western culture.

Upon returning to India in 1891, Gandhi learned that his mother had died just weeks earlier. He struggled to gain his footing as a lawyer. In his first courtroom case, a nervous Gandhi blanked when the time came to cross-examine a witness. He immediately fled the courtroom after reimbursing his client for his legal fees.

Gandhi’s Religion and Beliefs

Gandhi grew up worshiping the Hindu god Vishnu and following Jainism, a morally rigorous ancient Indian religion that espoused non-violence, fasting, meditation and vegetarianism.

During Gandhi’s first stay in London, from 1888 to 1891, he became more committed to a meatless diet, joining the executive committee of the London Vegetarian Society, and started to read a variety of sacred texts to learn more about world religions.

Living in South Africa, Gandhi continued to study world religions. “The religious spirit within me became a living force,” he wrote of his time there. He immersed himself in sacred Hindu spiritual texts and adopted a life of simplicity, austerity, fasting and celibacy that was free of material goods.

Gandhi in South Africa

After struggling to find work as a lawyer in India, Gandhi obtained a one-year contract to perform legal services in South Africa. In April 1893, he sailed for Durban in the South African state of Natal.

When Gandhi arrived in South Africa, he was quickly appalled by the discrimination and racial segregation faced by Indian immigrants at the hands of white British and Boer authorities. Upon his first appearance in a Durban courtroom, Gandhi was asked to remove his turban. He refused and left the court instead. The Natal Advertiser mocked him in print as “an unwelcome visitor.”

Nonviolent Civil Disobedience

A seminal moment occurred on June 7, 1893, during a train trip to Pretoria, South Africa, when a white man objected to Gandhi’s presence in the first-class railway compartment, although he had a ticket. Refusing to move to the back of the train, Gandhi was forcibly removed and thrown off the train at a station in Pietermaritzburg.

Gandhi’s act of civil disobedience awoke in him a determination to devote himself to fighting the “deep disease of color prejudice.” He vowed that night to “try, if possible, to root out the disease and suffer hardships in the process.”

From that night forward, the small, unassuming man would grow into a giant force for civil rights. Gandhi formed the Natal Indian Congress in 1894 to fight discrimination.

Gandhi prepared to return to India at the end of his year-long contract until he learned, at his farewell party, of a bill before the Natal Legislative Assembly that would deprive Indians of the right to vote. Fellow immigrants convinced Gandhi to stay and lead the fight against the legislation. Although Gandhi could not prevent the law’s passage, he drew international attention to the injustice.

After a brief trip to India in late 1896 and early 1897, Gandhi returned to South Africa with his wife and children. Gandhi ran a thriving legal practice, and at the outbreak of the Boer War, he raised an all-Indian ambulance corps of 1,100 volunteers to support the British cause, arguing that if Indians expected to have full rights of citizenship in the British Empire, they also needed to shoulder their responsibilities.

In 1906, Gandhi organized his first mass civil-disobedience campaign, which he called “Satyagraha” (“truth and firmness”), in reaction to the South African Transvaal government’s new restrictions on the rights of Indians, including the refusal to recognize Hindu marriages.

After years of protests, the government imprisoned hundreds of Indians in 1913, including Gandhi. Under pressure, the South African government accepted a compromise negotiated by Gandhi and General Jan Christian Smuts that included recognition of Hindu marriages and the abolition of a poll tax for Indians.

Return to India

In 1915 Gandhi founded an ashram in Ahmedabad, India, that was open to all castes. Wearing a simple loincloth and shawl, Gandhi lived an austere life devoted to prayer, fasting and meditation. He became known as “Mahatma,” which means “great soul.”

Opposition to British Rule in India

In 1919, with India still under the firm control of the British, Gandhi had a political reawakening when the newly enacted Rowlatt Act authorized British authorities to imprison people suspected of sedition without trial. In response, Gandhi called for a Satyagraha campaign of peaceful protests and strikes.

Violence broke out instead, which culminated on April 13, 1919, in the Massacre of Amritsar. Troops led by British Brigadier General Reginald Dyer fired machine guns into a crowd of unarmed demonstrators and killed nearly 400 people.

No longer able to pledge allegiance to the British government, Gandhi returned the medals he earned for his military service in South Africa and opposed Britain’s mandatory military draft of Indians to serve in World War I.

Gandhi became a leading figure in the Indian home-rule movement. Calling for mass boycotts, he urged government officials to stop working for the Crown, students to stop attending government schools, soldiers to leave their posts and citizens to stop paying taxes and purchasing British goods.

Rather than buy British-manufactured clothes, he began to use a portable spinning wheel to produce his own cloth. The spinning wheel soon became a symbol of Indian independence and self-reliance.

Gandhi assumed the leadership of the Indian National Congress and advocated a policy of non-violence and non-cooperation to achieve home rule.

After British authorities arrested Gandhi in 1922, he pleaded guilty to three counts of sedition. Although sentenced to a six-year imprisonment, Gandhi was released in February 1924 after appendicitis surgery.

He discovered upon his release that relations between India’s Hindus and Muslims devolved during his time in jail. When violence between the two religious groups flared again, Gandhi began a three-week fast in the autumn of 1924 to urge unity. He remained away from active politics during much of the latter 1920s.

Gandhi and the Salt March

Gandhi returned to active politics in 1930 to protest Britain’s Salt Acts, which not only prohibited Indians from collecting or selling salt—a dietary staple—but imposed a heavy tax that hit the country’s poorest particularly hard. Gandhi planned a new Satyagraha campaign, The Salt March , that entailed a 390-kilometer/240-mile march to the Arabian Sea, where he would collect salt in symbolic defiance of the government monopoly.

“My ambition is no less than to convert the British people through non-violence and thus make them see the wrong they have done to India,” he wrote days before the march to the British viceroy, Lord Irwin.

Wearing a homespun white shawl and sandals and carrying a walking stick, Gandhi set out from his religious retreat in Sabarmati on March 12, 1930, with a few dozen followers. By the time he arrived 24 days later in the coastal town of Dandi, the ranks of the marchers swelled, and Gandhi broke the law by making salt from evaporated seawater.

The Salt March sparked similar protests, and mass civil disobedience swept across India. Approximately 60,000 Indians were jailed for breaking the Salt Acts, including Gandhi, who was imprisoned in May 1930.

Still, the protests against the Salt Acts elevated Gandhi into a transcendent figure around the world. He was named Time magazine’s “Man of the Year” for 1930.

Gandhi was released from prison in January 1931, and two months later he made an agreement with Lord Irwin to end the Salt Satyagraha in exchange for concessions that included the release of thousands of political prisoners. The agreement, however, largely kept the Salt Acts intact. But it did give those who lived on the coasts the right to harvest salt from the sea.

Hoping that the agreement would be a stepping-stone to home rule, Gandhi attended the London Round Table Conference on Indian constitutional reform in August 1931 as the sole representative of the Indian National Congress. The conference, however, proved fruitless.

DOWNLOAD BIOGRAPHY'S MAHATMA GANDHI FACT CARD

Gandhi Fact Card

Protesting "Untouchables" Segregation

Gandhi returned to India to find himself imprisoned once again in January 1932 during a crackdown by India’s new viceroy, Lord Willingdon. He embarked on a six-day fast to protest the British decision to segregate the “untouchables,” those on the lowest rung of India’s caste system, by allotting them separate electorates. The public outcry forced the British to amend the proposal.

After his eventual release, Gandhi left the Indian National Congress in 1934, and leadership passed to his protégé Jawaharlal Nehru . He again stepped away from politics to focus on education, poverty and the problems afflicting India’s rural areas.

India’s Independence from Great Britain

As Great Britain found itself engulfed in World War II in 1942, Gandhi launched the “Quit India” movement that called for the immediate British withdrawal from the country. In August 1942, the British arrested Gandhi, his wife and other leaders of the Indian National Congress and detained them in the Aga Khan Palace in present-day Pune.

“I have not become the King’s First Minister in order to preside at the liquidation of the British Empire,” Prime Minister Winston Churchill told Parliament in support of the crackdown.

With his health failing, Gandhi was released after a 19-month detainment in 1944.

After the Labour Party defeated Churchill’s Conservatives in the British general election of 1945, it began negotiations for Indian independence with the Indian National Congress and Mohammad Ali Jinnah’s Muslim League. Gandhi played an active role in the negotiations, but he could not prevail in his hope for a unified India. Instead, the final plan called for the partition of the subcontinent along religious lines into two independent states—predominantly Hindu India and predominantly Muslim Pakistan.

Violence between Hindus and Muslims flared even before independence took effect on August 15, 1947. Afterwards, the killings multiplied. Gandhi toured riot-torn areas in an appeal for peace and fasted in an attempt to end the bloodshed. Some Hindus, however, increasingly viewed Gandhi as a traitor for expressing sympathy toward Muslims.

Gandhi’s Wife and Kids

At the age of 13, Gandhi wed Kasturba Makanji, a merchant’s daughter, in an arranged marriage. She died in Gandhi’s arms in February 1944 at the age of 74.

In 1885, Gandhi endured the passing of his father and shortly after that the death of his young baby.

In 1888, Gandhi’s wife gave birth to the first of four surviving sons. A second son was born in India 1893. Kasturba gave birth to two more sons while living in South Africa, one in 1897 and one in 1900.

Assassination of Mahatma Gandhi

On January 30, 1948, 78-year-old Gandhi was shot and killed by Hindu extremist Nathuram Godse, who was upset at Gandhi’s tolerance of Muslims.

Weakened from repeated hunger strikes, Gandhi clung to his two grandnieces as they led him from his living quarters in New Delhi’s Birla House to a late-afternoon prayer meeting. Godse knelt before the Mahatma before pulling out a semiautomatic pistol and shooting him three times at point-blank range. The violent act took the life of a pacifist who spent his life preaching nonviolence.

Godse and a co-conspirator were executed by hanging in November 1949. Additional conspirators were sentenced to life in prison.

Even after Gandhi’s assassination, his commitment to nonviolence and his belief in simple living — making his own clothes, eating a vegetarian diet and using fasts for self-purification as well as a means of protest — have been a beacon of hope for oppressed and marginalized people throughout the world.

Satyagraha remains one of the most potent philosophies in freedom struggles throughout the world today. Gandhi’s actions inspired future human rights movements around the globe, including those of civil rights leader Martin Luther King Jr. in the United States and Nelson Mandela in South Africa.

Martin Luther King

"],["

Winston Churchill

Nelson Mandela

"]]" tml-render-layout="inline">

QUICK FACTS

  • Name: Mahatma Gandhi
  • Birth Year: 1869
  • Birth date: October 2, 1869
  • Birth City: Porbandar, Kathiawar
  • Birth Country: India
  • Gender: Male
  • Best Known For: Mahatma Gandhi was the primary leader of India’s independence movement and also the architect of a form of non-violent civil disobedience that would influence the world. Until Gandhi was assassinated in 1948, his life and teachings inspired activists including Martin Luther King Jr. and Nelson Mandela.
  • Civil Rights
  • Astrological Sign: Libra
  • University College London
  • Samaldas College at Bhavnagar, Gujarat
  • Nacionalities
  • Interesting Facts
  • As a young man, Mahatma Gandhi was a poor student and was terrified of public speaking.
  • Gandhi formed the Natal Indian Congress in 1894 to fight discrimination.
  • Gandhi was assassinated by Hindu extremist Nathuram Godse, who was upset at Gandhi’s tolerance of Muslims.
  • Gandhi's non-violent civil disobedience inspired future world leaders like Martin Luther King Jr. and Nelson Mandela.
  • Death Year: 1948
  • Death date: January 30, 1948
  • Death City: New Delhi
  • Death Country: India

We strive for accuracy and fairness.If you see something that doesn't look right, contact us !

CITATION INFORMATION

  • Article Title: Mahatma Gandhi Biography
  • Author: Biography.com Editors
  • Website Name: The Biography.com website
  • Url: https://www.biography.com/political-figures/mahatma-gandhi
  • Access Date:
  • Publisher: A&E; Television Networks
  • Last Updated: September 4, 2019
  • Original Published Date: April 3, 2014
  • An eye for an eye only ends up making the whole world blind.
  • Victory attained by violence is tantamount to a defeat, for it is momentary.
  • Religions are different roads converging to the same point. What does it matter that we take different roads, so long as we reach the same goal? In reality, there are as many religions as there are individuals.
  • The weak can never forgive. Forgiveness is the attribute of the strong.
  • To call woman the weaker sex is a libel; it is man's injustice to woman.
  • Truth alone will endure, all the rest will be swept away before the tide of time.
  • A man is but the product of his thoughts. What he thinks, he becomes.
  • There are many things to do. Let each one of us choose our task and stick to it through thick and thin. Let us not think of the vastness. But let us pick up that portion which we can handle best.
  • An error does not become truth by reason of multiplied propagation, nor does truth become error because nobody sees it.
  • For one man cannot do right in one department of life whilst he is occupied in doing wrong in any other department. Life is one indivisible whole.
  • If we are to reach real peace in this world and if we are to carry on a real war against war, we shall have to begin with children.

Assassinations

alexei navalny stares forward with a neutral express, he wears a blue puffy jacket and black turtleneck sweater

Martin Luther King Jr.

james earl ray

James Earl Ray

malala yousafzai posing for a photo at a film screening red carpet

Malala Yousafzai

walter cronkite on news, kennedy is shot newspaper clipping, president john f kennedy in motorcade into city from airport, lee harvey oswald mugshot

Who Killed JFK? You Won’t Believe Us Anyway

lee harvey oswald

Lee Harvey Oswald

john f kennedy smiles at the camera, he wears a blue suit jacket, white collared shirt and blue and red striped tie

John F. Kennedy

president abraham lincoln stares into the camera with a slight smile in this black and white photo, he wears a dark colored tuxedo

Abraham Lincoln

malcom x in suit and tie

Julius Caesar

John Wilkes Booth (Lincoln's Assassin) - Antique Engraving - stock illustrationAntique engraved image of John Wilkes Booth - an actor who murdered Abraham Lincoln.

John Wilkes Booth

Talk to our experts

1800-120-456-456

  • Mahatma Gandhi Biography and Political Career

ffImage

Biography of Mahatma Gandhi (Father of Nation)

Mohandas Karamchand Gandhi , more popularly known as Mahatma Gandhi . His birth place was in the small city of Porbandar in Gujarat (October 2, 1869 - January 30, 1948). Mahatma Gandhi's father's name was Karamchand Gandhi, and his mother's name was Putlibai Gandhi. He was a politician, social activist, Indian lawyer, and writer who became the prominent Leader of the nationwide surge movement against the British rule of India. He came to be known as the Father of The Nation. October 2, 2023, marks Gandhi Ji’s 154th birth anniversary , celebrated worldwide as International Day of Non-Violence, and Gandhi Jayanti in India.

Gandhi Ji was a living embodiment of non-violent protests (Satyagraha) to achieve independence from the British Empire's clutches and thereby achieve political and social progress. Gandhi Ji is considered ‘The Great Soul’ or ‘ The Mahatma ’ in the eyes of millions of his followers worldwide. His fame spread throughout the world during his lifetime and only increased after his demise. Mahatma Gandhi , thus, is the most renowned person on earth.

Education of Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi's education was a major factor in his development into one of the finest persons in history. Although he attended a primary school in Porbandar and received awards and scholarships there, his approach to his education was ordinary. Gandhi joined Samaldas College in Bhavnagar after passing his matriculation exams at the University of Bombay in 1887.

Gandhiji's father insisted he become a lawyer even though he intended to be a docto. During those days, England was the centre of knowledge, and he had to leave Smaladas College to pursue his father's desire. He was adamant about travelling to England despite his mother's objections and his limited financial resources.

Finally, he left for England in September 1888, where he joined Inner Temple, one of the four London Law Schools. In 1890, he also took the matriculation exam at the University of London.

When he was in London, he took his studies seriously and joined a public speaking practice group. This helped him get over his nervousness so he could practise law. Gandhi had always been passionate about assisting impoverished and marginalised people.

Mahatma Gandhi During His Youth

Gandhi was the youngest child of his father's fourth wife. Mohandas Karamchand Gandhi was the dewan Chief Minister of Porbandar, the then capital of a small municipality in western India (now Gujarat state) under the British constituency.

Gandhi's mother, Putlibai, was a pious religious woman.Mohandas grew up in Vaishnavism, a practice followed by the worship of the Hindu god Vishnu, along with a strong presence of Jainism, which has a strong sense of non-violence.Therefore, he took up the practice of Ahimsa (non-violence towards all living beings), fasting for self-purification, vegetarianism, and mutual tolerance between the sanctions of various castes and colours.

His adolescence was probably no stormier than most children of his age and class. Not until the age of 18 had Gandhi read a single newspaper. Neither as a budding barrister in India nor as a student in England nor had he shown much interest in politics. Indeed, he was overwhelmed by terrifying stage fright each time he stood up to read a speech at a social gathering or to defend a client in court.

In London, Gandhiji's vegetarianism missionary was a noteworthy occurrence. He became a member of the executive committee in joined the London Vegetarian Society. He also participated in several conferences and published papers in its journal. Gandhi met prominent Socialists, Fabians, and Theosophists like Edward Carpenter, George Bernard Shaw, and Annie Besant while dining at vegetarian restaurants in England.

Political Career of Mahatma Gandhi

When we talk about Mahatma Gandhi’s political career, in July 1894, when he was barely 25, he blossomed overnight into a proficient campaigner . He drafted several petitions to the British government and the Natal Legislature signed by hundreds of his compatriots. He could not prevent the passage of the bill but succeeded in drawing the attention of the public and the press in Natal, India, and England to the Natal Indian's problems.

He still was persuaded to settle down in Durban to practice law and thus organised the Indian community. The Natal Indian Congress was founded in 1894, and he became the unwearying secretary. He infused a solidarity spirit in the heterogeneous Indian community through that standard political organisation. He gave ample statements to the Government, Legislature, and media regarding Indian Grievances.

Finally, he got exposed to the discrimination based on his colour and race, which was pre-dominant against the Indian subjects of Queen Victoria in one of her colonies, South Africa.

Mahatma Gandhi spent almost 21 years in South Africa. But during that time, there was a lot of discrimination because of skin colour. Even on the train, he could not sit with white European people. But he refused to do so, got beaten up, and had to sit on the floor. So he decided to fight against these injustices, and finally succeeded after a lot of struggle.

It was proof of his success as a publicist that such vital newspapers as The Statesman, Englishman of Calcutta (now Kolkata) and The Times of London editorially commented on the Natal Indians' grievances.

In 1896, Gandhi returned to India to fetch his wife, Kasturba (or Kasturbai), their two oldest children, and amass support for the Indians overseas. He met the prominent leaders and persuaded them to address the public meetings in the centre of the country's principal cities.

Unfortunately for him, some of his activities reached Natal and provoked its European population. Joseph Chamberlain, the colonial secretary in the British Cabinet, urged Natal's government to bring the guilty men to proper jurisdiction, but Gandhi refused to prosecute his assailants. He said he believed the court of law would not be used to satisfy someone's vendetta.

Political Teacher of Mahatma Gandhi

Gopal Krishna Gokhale was one of the prominent political teachers and mentors of Mahatma Gandhi. Gokhale, a renowned Indian nationalist leader, played a significant role in shaping Gandhi's political ideology and approach to leadership. He emphasized the importance of nonviolence, constitutional methods, and constructive work in achieving social and political change. Gandhi referred to Gokhale as his political guru and credited him with influencing many of his principles and strategies in the Indian freedom struggle. Gokhale's teachings and guidance had a profound impact on Gandhi's development as a leader and advocate for India's independence.

Death of Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi's death was a tragic event and brought clouds of sorrow to millions of people. On the 29th of January, a man named Nathuram Godse came to Delhi with an automatic pistol. About 5 pm in the afternoon of the next day, he went to the Gardens of Birla house, and suddenly, a man from the crowd came out and bowed before him.

Then Godse fired three bullets at his chest and stomach, who was Mahatma Gandhi. Gandhi was in such a posture that he to the ground. During his death, he uttered: “Ram! Ram!” Although someone could have called the doctor in this critical situation during that time, no one thought of that, and Gandhiji died within half an hour.

How Shaheed Day is Celebrated at Gandhiji’s Samadhi (Raj Ghat)?

As Gandhiji died on January 30, the government of India declared this day as ‘Shaheed Diwas’.

On this day, the President, the Vice-President, the Prime Minister, and the Defence Minister every year gather at the Samadhi of Mahatma Gandhi at the Raj Ghat memorial in Delhi to pay tribute to Indian martyrs and Mahatma Gandhi, followed by a two-minute silence.

On this day, many schools host events where students perform plays and sing patriotic songs. Martyrs' Day is also observed on March 23 to honour the lives and sacrifices of Sukhdev Thapar, Shivaram Rajguru, and Bhagat Singh.

Gandhi believed it was his duty to defend India's rights. Mahatma Gandhi had a significant role in attaining India's independence from the British. He had an impact on many individuals and locations outside India. Gandhi also influenced Martin Luther King, and as a result, African-Americans now have equal rights. Peacefully winning India's independence, he altered the course of history worldwide.

arrow-right

FAQs on Mahatma Gandhi Biography and Political Career

1. What was people's reaction after Nathuram Godse killed Mahatma Gandhi?

When Nathuram Godse killed Mahatma Gandhi, people shouted to kill Nathuram. After killing Mahatma Gandhi, Nathuram Godse tried to kill himself but could not do so since the police seized his weapons and took him to jail. After that, Gandhiji's body was laid in the garden with a white cloth covered on his face. All the lights were turned off in honour of him. Then on the radio, honourable Prime minister Pandit Nehru Ji declared sadly that the Nation's Father was no more.

2. How vegetarianism impacted Mahatma Gandhi’s time in London?

During the three years he spent in England, he was in a great dilemma with personal and moral issues rather than academic ambitions.

The sudden transition from Porbandar's half-rural atmosphere to London's cosmopolitan life was not an easy task for him. And he struggled powerfully and painfully to adapt himself to Western food, dress, and etiquette, and he felt awkward.

His vegetarianism became a continual source of embarrassment and was like a curse to him; his friends warned him that it would disrupt his studies, health, and well-being. Fortunately, he came across a vegetarian restaurant and a book providing a well-defined defence of vegetarianism.

His missionary zeal for vegetarianism helped draw the pitifully shy youth out of his shell and gave him a new and robust personality. He also became a member of the London Vegetarian Society executive committee, contributing articles to its journal and attending conferences.

3. Who was the first person to write a biography of Mahatma Gandhi (Father of The Nation)?

Christian missionary Joseph Doke had written the first biography of Bapu. The best part is that Gandhiji had still not acquired the status of Mahatma when this biography was written.

4. Who was Gandhiji’s favorite writer?

Gandhiji’s favorite writer was Leo Tolstoy.

5. What is Mahatma Gandhi’s date of birth?

Mahatma Gandhi's date of birth is October 2, 1869. We celebrate every year on October 2nd as Mahatma Gandhi Jayanti.

6. Which are the famous Mahatma Gandhi books?

Mahatma Gandhi authored several influential books and writings that have left a lasting impact on the world. Some of his famous books include:

Autobiography

Hind Swaraj or Indian Home Rule

Satyagraha in South Africa

Young India

The Essential Gandhi

These books reflect Gandhi's deep commitment to nonviolence, truth, and social justice, making them essential reads for those interested in his life and principles.

mahatma gandhi biography in hindi short

25,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

mahatma gandhi biography in hindi short

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

mahatma gandhi biography in hindi short

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

mahatma gandhi biography in hindi short

  • Essays in Hindi /

Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

' src=

  • Updated on  
  • जनवरी 22, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।

This Blog Includes:

महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, गांधी जी की शिक्षा, गांधी जी ने उठाई आवाज, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, gandhi jayanti quotes in hindi: गांधी जयंती कोट्स, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, विश्वास , प्रथा .

महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।

  • देश के लिए योग
  • आजादी के लिए निभाया कर्तव्य

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।

1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

mahatma gandhi quotes

Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः

  • “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
  • “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  • “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
  • “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
  • “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
  • “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
  • “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
  • “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।” 
  • “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”

Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

mahatma gandhi essay in hindi

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

mahatma gandhi essay in hindi

सत्य और सत्याग्रह

गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।

हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 

गांधीवादी अर्थशास्त्र

गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।

बौद्ध, जैन और सिख

गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।

मुस्लिम 

गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।

गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।

गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।

अस्पृश्यता और जातियां

गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 

नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा

गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया। 

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

उम्मीद है कि आपको Mahatma Gandhi Essay in Hindi कैसे लिखें, यह पता चल गया होगा। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

' src=

रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

I am very happy

आपका आभार, ऐसे आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

very nice ……lots of information…thanks

आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

25,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

mahatma gandhi biography in hindi short

Resend OTP in

mahatma gandhi biography in hindi short

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

mahatma gandhi biography in hindi short

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

Short Biography

March 3, 2024

Life Story of Famous People

Short Bio » Civil Rights Leader » Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi

Mohandas Karamchand Gandhi was the preeminent leader of the Indian independence movement in British-ruled India. Mohandas Karamchand Gandhi was born on 2 October 1869 to a Hindu Modh Baniya family in Porbandar (also known as Sudamapuri ), a coastal town on the Kathiawar Peninsula and then part of the small princely state of Porbandar in the Kathiawar Agency of the Indian Empire. Employing nonviolent civil disobedience, Gandhi led India to independence and inspired movements for civil rights and freedom across the world.

Gandhi famously led Indians in challenging the British-imposed salt tax with the 400 km (250 mi) Dandi Salt March in 1930, and later in calling for the British to Quit India in 1942. He was imprisoned for many years, upon many occasions, in both South Africa and India. One of Gandhi’s major strategies, first in South Africa and then in India, was uniting Muslims and Hindus to work together in opposition to British imperialism. In 1919–22 he won strong Muslim support for his leadership in the Khilafat Movement to support the historic Ottoman Caliphate. By 1924, that Muslim support had largely evaporated.

Time magazine named Gandhi the Man of the Year in 1930. Gandhi was also the runner-up to Albert Einstein as “Person of the Century” at the end of 1999. The Government of India awarded the annual Gandhi Peace Prize to distinguished social workers, world leaders and citizens. Nelson Mandela, the leader of South Africa’s struggle to eradicate racial discrimination and segregation, was a prominent non-Indian recipient. In 2011, Time magazine named Gandhi as one of the top 25 political icons of all time. Gandhi did not receive the Nobel Peace Prize, although he was nominated five times between 1937 and 1948, including the first-ever nomination by the American Friends Service Committee, though he made the short list only twice, in 1937 and 1947.

Indians widely describe Gandhi as the father of the nation. In 2007, the United Nations General Assembly declared Gandhi’s birthday 2 October as “the International Day of Nonviolence.

More Info: Wiki

Fans Also Viewed

Samaira Kapoor

Published in Historical Figure

swami-vivekananda

More Celebrities

Login Benefits

Reset Password

Back to login

Mocomi Kids

Mocomi Kids

Gandhi Biography - Short Biographies for Kids | Mocomi

mahatma gandhi biography in hindi short

  • Famous People

https://mocomi.com/embed/content.php?c=83831|Mahatma Gandhi Biography|https://mocomi.com/mahatma-gandhi-biography/

Mahatma Gandhi Biography from Mocomi

Mahatma Gandhi Biography

The life of mahatma gandhi.

  • Name : MohanDas Karamchand Gandhi
  • Popular Name : Mahatma, which means a great soul
  • Date of Birth : 2nd October, 1869.
  • Place of Birth : Porbandar, Gujrat, India.
  • Death : Assassinated on 30th January, 1948.

Gandhi and the Indian Freedom Struggle

Mahatma Gandhi’s history had been a mix of unpredictable events that led to a revolution responsible for changing the face of Indian history and it’s eventual independence. The greatness of this man is evident from the fact that he had 5 noble prize nominations during his lifetime.

Let us dig further and look into the time line of Mahatma Gandhi, who is also known as the father of nation in India:

  • Got married in may 1883, to Kasturba Makhanji.
  • In September, 1888, went to university college London for further studies, pursuing philosophical study of religions like Hinduism, Christianity, Buddhism and such.
  • In 1893, went to South Africa, for a year contract to work for an Indian firm in Natal and was in South Africa for 21 years after that. Thrown out of the first class train carriage, even though he had a valid ticket. This was an event that planted the seed of Indian independence in Gandhi’s mind.
  • He founded the Natal Indian Congress which aimed at fighting the injustice to Indians in South Africa. The constitution was set up on 22 august 1894.
  • Returned to India in 1916, started a non-violent civil disobedience and became the voice of the oppressed under the British rule in India.
  • In 1921, he led the Indian National congress and brought about the concept of ‘Swaraj’ or complete political Independence from the British rule.
  • In march, 1922, was arrested for a mass boycott of British goods.
  • In 1930, the British introduced the salt tax, after which Gandhi led a 250-mile salt march to collect his own salt.
  • In 1942, during the Quit India Movement , the Congress party, including Mahatma Gandhi, was arrested which resulted in riots.
  • On 30th January,1948, he was assassinated at the Birla house in New Delhi, by a militant Hindu nationalist, Nathuram Godse.

Mahatma Gandhi Quotes

  • “When violence appears to do good, the good is only temporary; the evil it does is permanent.”
  • “Hate the sin, love the sinner.”
  • “An eye for an eye, makes the whole world blind.”

You can also read:

  • Mahatma Gandhi Speech at the Gowalia Tank in Mumbai on the eve of the Quit India Movement.
  • Gandhi Jayanti festival facts.
  •   6 Shares

RELATED ARTICLES

John Herschel Glenn Jr - Biography – Square Thumbnails

John Herschel Glenn Jr Biography

Sir Isaac Newton Biography - hp

Sir Isaac Newton Biography

Shankar Abaji Bhise Biography Square Thumbnail Image

Shankar Abaji Bhise Biography

Neil Armstrong hp

Neil Armstrong Biography

Paul Smith’s Typewriter Art

Paul Smith’s Typewriter Art

William Shakespeare Biography

William Shakespeare Biography

Stephen Hawking Biography

Stephen Hawking Biography

Alfred Nobel Biography

Alfred Nobel Biography

Harry Houdini – The World’s Handcuffs King

Harry Houdini – The World’s Handcuffs King

Pandit Jawaharlal Nehru - Mocomi – Square Thumbnails

Jawaharlal Nehru Biography

APJ Abdul Kalam Biography - hp

APJ Abdul Kalam

Neerja Bhanot - hp

Neerja Bhanot Biography

Featured articles.

Why do roses have thorns? - Square Thumbnails Image

Why do roses have thorns?

Plastic Bag Alert- Australia banner

Australia is drowning in Plastic Ba

Inside a Cricket Ball - Square Thumbnails Image

Inside a Cricket Ball

Hampi, Karnataka: History and Facts – Square Thumbnails

Hampi, Karnataka

Mahatma Gandhi Biography

Aarey Forest Facts

Ask Coley – Winter Foods for Children Square Thumbnail

Winter Foods To Keep You Warm

Invention of the Sewing Machine Square Thumbnail

Invention of the Sewing Machine

New word is added to the dictionary every two hours – Square Thumbnails

A new word is added to the dictiona

Garlic and Onion are good for you - Square Thumbnails Image

Garlic and Onion are good for you!

What is Onomatopoeia – Square Thumbnails

Onomatopoeia

Recommended articles.

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 39 Square Thumbnail

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 39

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 35

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 35

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 40 Square Thumbnail

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 40

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 38 Square Thumbnail

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 38

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 36 Square Thumbnail

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 36

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 37 Square Thumbnail

Mocomi TimePass The Magazine – Issue 37

Cancel reply.

We are so glad it helped you, Nutan Singh.

This helped me in my project file

Thank you Paromita Singha, we’re glad it helped you!

This helped me out very much for my v.e.d project .it is really a good short biography on mahatma gandhi.????????????

An amazing search helped me thoroughly in my essay

Login or Register above to download the content.

Subscribe to Mocomag magazine

manu-buttom image

IMAGES

  1. Mahatma Gandhi Biography In Hindi

    mahatma gandhi biography in hindi short

  2. Mahatma Gandhi Biography In Hindi

    mahatma gandhi biography in hindi short

  3. महात्मा गाँधी की प्रेरणादायी जीवनी

    mahatma gandhi biography in hindi short

  4. 'Mahatma Gandhi'- Short Biography in Hindi

    mahatma gandhi biography in hindi short

  5. 10 lines of Mahatma Gandhi in (Hindi)

    mahatma gandhi biography in hindi short

  6. Mahatma Gandhi : महात्मा गांधी का जीवन परिचय

    mahatma gandhi biography in hindi short

VIDEO

  1. Mahatma Gandhi, #history

  2. Mahatma gandhi Biography #trending #viral @OURTARGET999

  3. Mahatma Gandhi biography #englishlearning #englishlanguage #shortsvideo

  4. ||Mahatma Gandhi biography || $tudy point 👉👉👆👆👆👆

  5. Short Biography of Mahatma Gandhi in urdu/hindi

  6. Mahatma Gandhi biography #mahatmagandhi #viral #youtubeshorts #motivatinal #krantikari

COMMENTS

  1. महात्मा गांधी

    MAHATMA (In 8 Volumes) By: D. G. Tendulkar (First Edition : January 1954) [The Publications Division, govt. of India, New Delhi] MAHATMA GANDHI -(In 10 Volumes) { The Early Phase to Last Phase } - By Pyarelal & Sushila Nayar [Navajivan Publishing House, Ahmedabad]

  2. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी

    Mahatma Gandhi Biography in Hindi. ... Mahatma Gandhi Short Biography. 1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधी जब दक्षिण ...

  3. Mahatma Gandhi Biography In Hindi

    Mahatma Gandhi Biography In Hindi, 30 Jan 1948 को महात्मा गाँधी की दिल्ली के 'बिरला हाउस' में शाम के समय 5:17 पर हत्या कर दी गयी। उस समय गाँधी जी एक सभा को सम्बोधित ...

  4. महात्मा गांधी का जीवन परिचय

    Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat. Mahatma Gandhi's full name is Mohandas Karamchand Gandhi. Mahatma Gandhi's parent's names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi. Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.

  5. Mahatma Gandhi Biography

    Short Biography of Mahatma Gandhi. Mohandas K. Gandhi was born in 1869, in Porbandar, India. Mohandas was from the social cast of tradesmen. ... Gandhi and Indian Independence. After 21 years in South Africa, Gandhi returned to India in 1915. He became the leader of the Indian nationalist movement campaigning for home rule or Swaraj.

  6. महात्मा गांधी की जीवनी

    महात्मा गांधी की जीवनी. Mahatma Gandhi जी भारत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे और वे सत्याग्रह के ...

  7. महात्मा गाँधी की जीवनी

    जानिए महात्मा गाँधी के बारे में, महात्मा गाँधी की जीवनी, शिक्षा- दीक्षा तथा मोहनदास करमचन्द गाँधी का जीवन चक्र। Biography of Mahatma Gandhi in Hindi.

  8. महात्मा गांधी की जीवनी

    महात्मा गांधी. Dharmendra Singh. on July 20, 2015 at 6:59 am. Mahatma Gandhi Biography in Hindi. स्वतंत्रता सेनानी. जन्म: 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात) मृत्यु: 30 ...

  9. Hindi-Mahatma Gandhi Biography: Facts, Death anniversary, Freedom

    Trending. Mahatma Gandhi biography, life history not only inspires Indians but also several people and places out of India. Mohandas Gandhi was a simple, great man who worked and fought for India ...

  10. महात्‍मा गांधी का जीवन परिचय Mahatma Gandhi Biography in Hindi

    Mahatma Gandhi Biography and Essay in Hindi-. महात्मा गाँधी का जन्म भारत के पोरबंदर में 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था| उन्होंने वकालत का अध्ययन किया, तथा भारत में ब्रिटिश ...

  11. Mahatma Gandhi

    Mahatma Gandhi (born October 2, 1869, Porbandar, India—died January 30, 1948, Delhi) Indian lawyer, politician, social activist, and writer who became the leader of the nationalist movement against the British rule of India. As such, he came to be considered the father of his country.

  12. Mahatma Gandhi Biography in Hindi

    वर्ष 2006 में आई बॉलीवुड कॉमेडी फिल्म "लगे रहो मुन्ना भाई (2006)" में महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों को प्रदर्शित किया गया।. वर्ष 2007 में ...

  13. Mahatma Gandhi

    Mohandas Karamchand Gandhi (ISO: Mōhanadāsa Karamacaṁda Gāṁdhī; 2 October 1869 - 30 January 1948) was an Indian lawyer, anti-colonial nationalist and political ethicist who employed nonviolent resistance to lead the successful campaign for India's independence from British rule.He inspired movements for civil rights and freedom across the world.

  14. महात्मा गांधी की जीवनी इन हिंदी

    Mahatma Gandhi Biography In Hindi - महात्मा गांधी भारत देश के इतिहास में एक ऐसे इंसान हैं जिन्होंने देशहित के लिए आखरी सांस तक लड़ाई करी। वे स्वतंत्रता के आंदोलन में ऐसे ...

  15. Mohandas Gandhi

    Early Life . Mohandas Karamchand Gandhi was born on October 2, 1869, at Porbandar, in the present-day Indian state of Gujarat. His father was the dewan (chief minister) of Porbandar; his deeply ...

  16. Top 10 Mahatma Gandhi Life Story in Hindi

    Mahatma Gandhi Biography in Hindi. Best Akbar and Birbal Short Stories in Hindi. Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानि मोहनदास करमचंद गांधी, यही उनका पूरा नाम है, महात्मा गांधी का जन्म २ अक्टूबर ...

  17. Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

    Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi. February 25, 2022. by Saikol. भारत की स्वतंत्रता की बात करते है तो हज़ारों सेनानियों के साथ महात्मा गाँधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता ...

  18. PDF The Story of My Life

    My father, Karamchand Gandhi, was Prime Minister in Porbandar. He was a lover of his clan, truth-ful, brave and generous, but short-tempered. He never had any ambition to accumulate riches and left us very little property. He had no education. At best, he might be said to have read up to the fifth Gujarati standard. Of his-tory and geography he ...

  19. Mahatma Gandhi

    Mahatma Gandhi was the leader of India's non-violent independence movement against British rule and in South Africa who advocated for the civil rights of Indians. Born in Porbandar, India ...

  20. Mahatma Gandhi| Biography, Life Journey, Political Career

    Mohandas Karamchand Gandhi, more popularly known as Mahatma Gandhi. His birth place was in the small city of Porbandar in Gujarat (October 2, 1869 - January 30, 1948). Mahatma Gandhi's father's name was Karamchand Gandhi, and his mother's name was Putlibai Gandhi. He was a politician, social activist, Indian lawyer, and writer who became the ...

  21. Mahatma Gandhi Essay in Hindi

    Gandhi Jayanti Quotes In Hindi: गांधी जयंती कोट्स. महात्मा गाँधी द्वारा दिए गए कुछ अनमोल वचन. Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे ...

  22. Mahatma Gandhi

    Mahatma Gandhi. October 2, 2022. Mohandas Karamchand Gandhi was the preeminent leader of the Indian independence movement in British-ruled India. Mohandas Karamchand Gandhi was born on 2 October 1869 to a Hindu Modh Baniya family in Porbandar (also known as Sudamapuri ), a coastal town on the Kathiawar Peninsula and then part of the small ...

  23. Mahatma Gandhi Biography

    The Life of Mahatma Gandhi Summary. Name : MohanDas Karamchand Gandhi Popular Name : Mahatma, which means a great soul Date of Birth : 2nd October, 1869. Place of Birth : Porbandar, Gujrat, India. Death : Assassinated on 30th January, 1948. Gandhi and the Indian Freedom Struggle. Mahatma Gandhi's history had been a mix of unpredictable events that led to a revolution responsible for changing ...