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Water Pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर निबंध 1500 शब्दों में

  • by Rohit Soni

Table of Contents

Water Pollution in Hindi, जल प्रदूषण क्या है? कारण, प्रभाव व बचाव के उपाय।

सभी जीव-जन्तुओं की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है जल। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य के साथ-साथ सभी जीव जंतुओं के लिए स्वच्छ जल का होना नितांत आवश्यक है। क्योंकि इसके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। न जाने कितने जीव जन्तु प्रदूषित जल की वजह से बीमार पड़ रहे है और मौत के शिकार हो रहे है।

Water Pollution in Hindi

फिर भी यह सब जानते हुए हम निरंतर जल स्रोतों को प्रदूषित किए जा रहे है। आज हमारे पास स्वच्छ जल के स्रोतों में से नदी, तालाब, कुएँ व झील मौजूद हैं, परंतु हम बिना सोचे-विचारे इन स्रोतों को भी प्रदूषित कर रहे है। हमें मानव सभ्यता को अगर बचाना है तो हमें जल प्रदूषण ( Water Pollution in Hindi) को नियंत्रित करना अत्यंत जरूरी है।

जल प्रदूषण क्या है – What is water pollution?

जीव-जंतुओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण जल में ऐसे हानिकारक तत्व, अपशिष्ट पदार्थ मिलाए जाते है जिससे जल की भौतिक तथा रासायनिक गुणवत्ता में ह्रास होता है। जिसे जल प्रदूषण कहा जाता है। और ऐसे जल जो जीव-जन्तुओं के लिए हानिकारक होते है, ऐसे जल को प्रदूषित जल कहा जाता है। जल प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है और आज सभी देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। यही नही धीरे-धीरे जल प्रदूषण की समस्या उग्र रूप धारण कर रही है।

जल प्रदूषण के कारण – Causes of water pollution

मानवों द्वारा होने वाले क्रिया-कलापो के परिणामस्वरूप जल प्रदूषित तो हो ही रहा है, परन्तु इसमें खुद प्रकृति का भी योगदान सामिल है। नीचे इनके बारे में बताया गया है-

1. जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत

प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण के मुख्य कारण है भू स्खलन के कारण खनिज पदार्थ, पेड़-पौधों की पत्तियों एवं ह्यूमस पदार्थ व जीव-जंतुओं के मल-मूत्र के पानी में मिलने से जल प्रदूषित होता है। इसके अलावा जल जिस जगह पर एकत्रित होता है, यदि उस जगह की भूमि में खनिजो की मात्रा अधिक हो तो वे खनिज जल में मिल जाते हैं। इन खनिजो में आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम एवं पारा आदि जो कि विषैले पदार्थ माने जाते है शामिल है। जब इन खनिजो की मात्रा जल में अधिक हो जाती है तो जल हानिकारक या प्रदूषित हो जाता है।

इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण उससे जहरीले खनिज पदार्थ निकलते है जो जल स्रोतों में मिल जाने पर जल प्रदूषण का कारण बनते है।

2. जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत

मानव की विभिन्न गतिविधियों के कारण कई प्रकार के अपशिष्ट उत्सर्जित होते है जो जल प्रदूषण के मुख्य कारण होते हैं नीचे वर्णित हैं-

1. घरेलू अपशिष्ट : विभिन्न तरह के दैनिक घरेलू क्रिया-कलापो जैसे खाना पकाने, स्नान करने, कपड़ा धोने तथा अन्य साफ-सफाई में कई प्रकार के विषैले पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के सभी घरेलू अपशिष्ट पदार्थ नालियो के माध्यम से बहाकर जल स्रोतो में मिला दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषण होता है इस प्रकार के जल में सड़े हुए फल व सब्ज़ियाँ , रसोई घरों से निकलने वाले राख कूड़ा-करकट, प्लाँस्टिक के टुकड़े, अपमार्जक पदार्थ, गंदा पानी तथा अन्य विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ शामिल है। जो जल प्रदूषण का मेन कारण बनते हैं।

2. वाहित मल : इस प्रकार के जल प्रदूषण में मल-मूत्र को सामिल किया गया है। वाहित मल में कार्बनिक व अकार्बनिक दोनो तरह के पदार्थ होते हैं। कार्बनिक पदार्थ की अधिकता से कई प्रकार के सूक्ष्मजीव व बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ तथा कवक व शैवाल इत्यादि तेजी से वृद्धि करते हैं। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि के कारण मल-मूत्र के भंडारण जल्दी ही भर जाते है। जिसके कारण अब डारेक्ट ही मल-मूत्र को नालियो या गटर में बहा दिया जाता है। जो किसी नदी, तालाब में मिल जाते है जिससे जल प्रदूषण के साथ-साथ वायु में भी दुर्गंध फैलाते है। और कई प्रकार की बीमारियो को जन्म देते हैं।

3. औद्योगिक अपशिष्ट : औद्योगिकीकरण में वृद्धि के कारण विभिन्न प्रकार के कारखानो को स्थापित किया जा रहा है। जिनमें से कई ऐसे होते हैं जो भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। उद्योगो में उत्पादन के दौरान कई प्रकार के अन उपयोगी कचरा बचता है जिसे औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ कहा जाता है।

औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ में मुख्य रूप से अनेक तरह के तत्व, अम्ल, क्षार, लवण, तेल, व वसा इत्यादि विभिन्न प्रकार के रासायनिक विषैले पदार्थ शामिल होते है। जो कि जल को विषैला बना देते हैं। इसके अलावा लुग्दी एवं कागज उद्योग, चीनी उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, शराब उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग तथा रासायनिक उद्योगों से भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैँ। इन सभी को जल स्रोतो में ही मिला दिया जाता है। और इस प्रकार के अपशिष्ट का अपघटन बैक्टीरीय द्वारा होता है, लेकिन यह प्रकिया काफी मंद होती है परिणाम स्वरूप बदबू पैदा होती है। और जल प्रदूषण होता है।

औद्योगिक अपशिष्ट में आर्सेनिक, सायनाइड, पारा, सीसा, लोहा, ताबा, क्षार एवं अम्ल आदि रासायनिक पदार्थ के जल में मिलने से जल के PH मान में कमी आ जाती है। इसके साथ चर्बी, तेल व ग्रीस मछलियाँ व अन्य जलीय जीव को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है।

4. रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक : फसलो के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए रासायनिक उर्वरक तथा फसलो को कीट-पतंगो से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का ज्यादा मात्रा प्रयोग किया जाने लगा है। जिससे यह रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक धीरे-धीरे बहकर तालाबो, पोखरो, व नदियो के जल स्रोतो में मिल जाते हैं और जल प्रदूषण का कारण बनते है।

5. रेडियोएक्टिव अपशिष्ट

सभी देश अपनी-अपनी सुरक्षा के लिए कई प्रकार के परमाणु हथियार विकसित करते रहते है। और समय-समय पर नये-नये हथियारों की टेस्टिग भी करते हैं। जिससे रेडियोएक्टिव अपशिष्ट कण वायुमंडल में दूर-दूर तक फैल जाते हैं। और ये विषैले कण धीरे-धीरे धरातल पर गिरते है। फिर यही अपशिष्ट जल स्रोतों तक पहुँच जाते है जिससे जल प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव – Effects of water pollution

  • प्रदूषित जल पीने से हैजा, पेचिस, क्षय, उदर सम्बंधी आदि विभिन्न घातक रोग उत्पन्न हो जाते है, जिससे स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
  • विभिन्न प्रकार के  परुमाणु परीक्षण समुद्र में किए जाने से समुद्री जल में नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो कि समुद्री जीवों तथा वनस्पतियों को नष्ट कर देते हैं जिससे समुद्र के पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
  •  जल प्रदूषण के कारण पीने योग्य पानी में निरंतर कमी आ रही है जो कि समूचे प्राणी के लिए खतरा बना हुआ है।
  • कल-कारखानो से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल, कैमिकल आदि जल स्रोतों को भारी मात्रा में प्रदूषित करने के साथ-साथ आसपास के वातावरण को भी अधिक गर्म करते है जिससे वहाँ की वनस्पति व जीव-जन्तुओं की संख्या में भारी कमी होती है। यह जलीय पर्यावरण को असंतुलित करता है।
  • कृषि भूमि पर भी जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जिस भूमि से प्रदूषित जल गुजरता है उस भूमि की उर्वरकता को नष्ट कर देता है। तथा प्रदूषित जल से फसलो की सिचाई करने पर अन्न की उत्पादकता में 17 से 30 फीसदी तक कमी आ जाती है।
  • इस प्रकार से जल प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के मानव तथा अन्य जीव-जन्तुओं के साथ-साथ वनष्पतिओं में बहुत घातक प्रभाव पड़ता है। और संपूर्ण जल तंत्र अव्यव्यवस्थित हो जाता है।

जल प्रदूषण को रोकने के प्रभावी उपाय

1. कारखानो से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों को जल में मिलाने से पहले फिल्टर करना चाहिए ताकि उससे हानिकारक पदार्थों को अलग हो जाए। तथा नई टेक्नोलॉजी पर आधारित मशीनों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। इसके अलावा कारख़ानों को जलाशय से दूर स्थापित करना चाहिए।

2. घरेलू क्रिया-कलापो से निकलने वाले अपशिष्ट एवं वाहित मल-मूत्र को एक जगह एकत्रित करके उसे संशोधन यंत्रो द्वारा पूर्ण रूप से विघटित हो जाने पर ही जल स्रोतों में विसर्जत करना चाहिए। साथ स्वच्छ जल भंडारण के स्रोतों जैसे नदी, तालाब आदि में गंदगी के प्रवेश को रोकने के लिए रास्ते में दीवार बनाने का प्रयास करना चाहिए।

3. कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि रासायनिक उर्वरक जल प्रदूषण के साथ धीरे-धीरे भूमि को भी बंजर बना देते हैं। इसके साथ जहाँ संभव हो वहाँ पर कीट नाशको का कम प्रयोग करना चाहिए।

4. समुद्रो में होने वाले विभिन्न प्रकार के अंतराष्ट्रीय परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

5. नदी-तालाबो तथा पोखरो में पालतू पशुओं को स्नान कराने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, साथ ही इन जल स्रोतों पर नहाने, कपड़े धोने, और बर्तन साफ करने जैसे क्रिया-कलापो पर भी पाबंदी होनी चाहिए।

6. समय-समय पर प्रदूषित जल स्रोतों को साफ करना चाहिए। पानी में मौजूद जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।

समय-समय पर समाज व जन सामान्य को जल प्रदूषण के खतरे तथा उसे कम करने के उपाय से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।

धरती पर जीवन को बनाए रखने के लिए जरूरी चीजों में से एक पानी है। इसके अभाव में मानव ही नही बल्कि समस्त जीव-जन्तु तथा वनस्पतियाँ नष्ट हो जाएंगे। और यह हरी-भरी धरती कुछ ही क्षणों में किसी खंडहर में तब्दील हो जाएगी। हमारे धरती पर 75% पानी है जिसमें से केवल 3% पानी ही पीने योग्य है और वह भी लगातार प्रदूषित हो रहा है।  जल प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या है जिसकी वजह से लाखों लोग बीमार पड़ रहे हैं और जान गँवा रहे हैं। हमें जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

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Essay on Water Pollution in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए जल प्रदूषण पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 20, 2023

Essay on Water Pollution in Hindi

जल ही जीवन है, यह सिर्फ एक कथन नहीं है बल्कि मनुष्य के जीवन के लिए सबसे आवश्यक पदार्थ है। जल मानवों द्वारा उपयोग किया जाने वाले सबसे अधिक महत्वपूर्ण रिसोर्स है। यह मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो कि झीलों, नदियों, तालाबों, समुद्र और भूमि से प्राप्त होता है। जल प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Water Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

This Blog Includes:

जल प्रदूषण क्या होता है, जल प्रदूषण पर निबंध लिखते समय किन-किन बिंदुओं को लिखें, जल प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में  , जल प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में   , जल प्रदूषण के कारण, जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव, जल प्रदूषण पर नियंत्रण, जल प्रदूषण पर 10 लाइन्स , जल प्रदूषण पर कोट्स , जल प्रदूषण से जुड़े कुछ तथ्य .

जल के प्रदूषण से यह तात्पर्य नदियों, झीलों, महासागरों और भूजल जैसे जल निकायों में पदार्थों या प्रदूषकों द्वारा प्रदूषण से है क्योंकि ये पानी की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इसके साथ यह पानी पर निर्भर जीवों को नुकसान पहुँचाते हैं। इन पॉल्यूटेन्स में केमिकल्स, इंडस्ट्रियल वेस्ट, सीवेज, आयल स्पिल्स, एग्रीकल्चरल रनऑफ और भी बहुत कुछ तत्व शामिल हो सकते हैं। जल प्रदूषण का पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और एक्वेटिक इकोसिस्टम पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चिंता बन जाता है।

Essay on Water Pollution in Hindi लिखते समय इन बिंदुओं को ध्यान में रखें-

  • अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए रिलेवेंट स्टेटिस्टिक्स और डेटा शामिल करें।  डेटा समस्या की सीमा को मापने और आपकी बातों को अधिक प्रेरक बनाने में मदद कर सकता है।
  • मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए ग्राफ़, चार्ट और छवियों को शामिल करने पर विचार करें।  दृश्य सहायता जटिल जानकारी को आपके पाठकों के लिए अधिक सुलभ बना सकती है।
  • विरोधी दृष्टिकोणों और तर्कों को एक्सेप्ट करें, फिर प्रूफ्स और तर्क के साथ उनका खंडन करें। यह विषय की व्यापक समझ को प्रदर्शित करता है।
  • ग्लोबल लेवल पर जल प्रदूषण पर चर्चा करें।  इस बात पर प्रकाश डालें कि यह किस प्रकार दुनिया भर के देशों को प्रभावित करने वाली समस्या है और इसे संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किस प्रकार आवश्यक है।
  • दिखाएँ कि इंडस्ट्रियलाइजेशन और जनसंख्या वृद्धि के कारण समय के साथ यह कैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
  • स्थानीय या क्षेत्रीय जल प्रदूषण मुद्दों पर चर्चा करके अपने निबंध को अपने दर्शकों के लिए प्रासंगिक बनाएं।  इससे पाठकों को व्यक्तिगत स्तर पर विषय से जुड़ने में मदद मिल सकती है।
  • स्पष्ट, संक्षिप्त और औपचारिक भाषा का प्रयोग करें।  पूरे निबंध में पेशेवर और वस्तुनिष्ठ लहजा बनाए रखें।
  • पैराग्राफ और सेक्शंस के बीच सुचारू बदलाव सुनिश्चित करें।  अपने निबंध के माध्यम से पाठक का मार्गदर्शन करने के लिए वाक्यांशों का उपयोग करें।
  • अपना निबंध सबमिट करने से पहले, व्याकरण संबंधी त्रुटियों, वर्तनी की गलतियों और स्पष्टता के लिए इसे सावधानीपूर्वक प्रूफरीड और एडिटिंग करें। नए सिरे से इसकी समीक्षा करने के लिए किसी और से पूछने पर विचार करें।

हमारे आस पास जल में प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है यह जल प्रदूषण नेचुरल वाटर बॉडी में हानिकारक पदार्थों के प्रवेश के कारण होता है। यह इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज, एग्रिकल्चरल रन ऑफ और सीवेज के इंप्रोपर डिस्पोजल के परिणामस्वरूप हो सकता है। यह संदूषण जलीय इकोसिस्टम, वाइल्ड लाइफ और ह्यूमन हेल्थ के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। पानी में हानिकारक केमिकल और पॉल्यूटेंट जलीय जीवों की मृत्यु का कारण बन सकते हैं, फूड चेन को बाधित कर सकते हैं और जल स्रोतों को पीने योग्य नहीं बना सकते हैं। परिणामस्वरूप, हमारे ग्रह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जल प्रदूषण को संबोधित करना आवश्यक है।  इस समस्या को कम करने और सभी के लिए स्वच्छ और सुरक्षित जल स्रोत सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम, जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन और सार्वजनिक जागरूकता महत्वपूर्ण हैं।

प्लैनेट अर्थ पर लोगों के लिए वाटर अबन्डेन्ट क्वांटिटी में है।  यह अर्थ के सर्फेस के ऊपर और अंडर ग्राउंड दोनों जगहों पर मौजूद मौजूद है।  बड़ी नदियाँ, तालाब, समुद्र और साथ में बड़े महासागर इस पृथ्वी के सर्फेस पर पाए जाने वाले कुछ सबसे अधिक मुख्य वाटर सोर्स हैं। हमारे आस पास इतना अधिक पानी होने के कारण भले ही हमारी दुनिया अपने स्वयं के पानी की भरपाई कर सकती है, समय के साथ, हम मौजूद पानी की प्रचुरता को नष्ट और ठीक तरह से उपयोग नहीं कर रहे हैं। पृथ्वी की सतह पर उसके 70% से अधिक हिस्सा पानी से और सिर्फ 30% जमीन से ढका हुआ है, बहुत सारे करणों की वजह से तेजी से बढ़ रहा जल प्रदूषण मरीन लाइफ और मनुष्यों को प्रभावित करता है। पृथ्वी पर पानी के इस अन एवन डिस्ट्रीब्यूशन और पृथ्वी पर लोगों की बढ़ती आबादी के कारण इसकी बढ़ती मांग को लेकर हर कोई चिंतित होने लगा है।

बड़े शहरों सीवेज और कमर्शियल वेस्ट डिस्चार्ज वाटर पॉल्यूशन में योगदान देने वाले दो सबसे हार्मफुल कारक हैं। मिट्टी या ग्राउंड वाटर सिस्टम के साथ-साथ बारिश के माध्यम से जल आपूर्ति तक पहुंचने वाले कंटामिनेंट जल प्रदूषण के कुछ इंडाइरेक्ट सोर्सेज के उदाहरण हैं।  विजिबल इंप्यूरिटीज की तुलना में केमिकल कंटामिनेंट को वाटर बॉडी से निकालना अधिक खतरनाक और चैलेंजिंग होता है, जिन्हें फिजिकल क्लीनिंग या फ़िल्टरिंग द्वारा आसानी से समाप्त किया जा सकता है। जब पानी में केमिकल मिक्स किए जाते हैं तो पानी की स्पेशियलिटीज पूरी तरह से बदल जाती हैं, जिससे लोगों एक द्वारा इसका उपयोग खतरनाक हो जाता है और शायद यह घातक हो जाता है।

वाटर पॉल्यूशन को रोकने के लिए, नागरिक और सरकार के रूप में हमारे द्वारा कई सारे कदम उठाए जा सकते हैं।  चूंकि वाटर एफिशिएंसी और प्रोटेक्शन सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट के आवश्यक तत्व हैं, इसलिए जल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।  इंटेलिजेंट इरिगेशन सिस्टम और सौर डिसेलिनेशन पानी के मैनेजमेंट और प्रोटेक्शन के लिए क्लीन टेक्नोलॉजी के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

वाटर पॉल्यूशन को रोकने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग और पानी का पुन: किसी तरीके से उपयोग एक उत्कृष्ट तरीका है।  पुनः प्राप्त अपशिष्ट जल और वर्षा जल एकत्र होने के कारण भूजल और अन्य नेचुरल वाटर सोर्स कम तनाव में हो सकते हैं। पानी की कमी से बचने का एक तरीका भूमिगत जल का पुनर्भरण है, जो पानी को सर्फेस वाले जल से भूमिगत जल में ट्रांसफर करने में सक्षम बनाता है।

जल प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में 

Essay on Water Pollution in Hindi 500 शब्दों में निबंध यहां दिया गया है-

जल, हमारी पृथ्वी की जीवनधारा, एक सीमित और अमूल्य संसाधन है जो सभी जीवित जीवों और इकोसिस्टम को बनाए रखता है।  यह हमारे परिदृश्य को आकार देता है, हमारी नदियों और झीलों को भरता है, और हमारी प्यास बुझाता है।  हालाँकि, वह पदार्थ जो जीवन को कायम रखता है, उस खतरे से तेजी से खतरे में है जो भौगोलिक सीमाओं से परे और समय से परे है: जल प्रदूषण।  जल प्रदूषण, असंख्य हानिकारक पदार्थों द्वारा जल निकायों का संदूषण, हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य, जलीय पारिस्थितिक तंत्र की जीवन शक्ति, समुदायों की भलाई और हमारे ग्रह के भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा करता है।  इस निबंध में, हम जल प्रदूषण के कारणों, परिणामों और इस रोकने के बारे में जानिए। 

हमारे आस पास के जल में होने प्रदूषण के कारण निम्न प्रकार से हैं:

  • इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज: फैक्ट्रियां और औद्योगिक सुविधाएं अक्सर जल निकायों में हार्मफुल केमिकल्स, भारी धातुएं और अपशिष्ट छोड़ती हैं, जिससे वे दूषित हो जाते हैं।
  • एग्रिकल्चरल रन ऑफ: किसान खेतों से कीटनाशक, शाकनाशी और उर्वरक नदियों और झीलों में बह सकते हैं, जिससे पोषक तत्व प्रदूषण होता है और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है।
  • सीवेज और वेस्ट वाटर: अपर्याप्त सीवेज उपचार संयंत्र रोगजनकों और प्रदूषकों को लेकर अनुपचारित सीवेज को जल स्रोतों में छोड़ सकते हैं।
  • ऑइल लीकेज: जहाजों और तेल रिगों से किसी न किसी कारण या जानबूझकर ऑइल लीकेज का मरीन इकोलॉजी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
  • माइनिंग एक्टिविटीज: खनन कार्य खतरनाक सामग्री और तलछट को पास के जल निकायों में छोड़ सकते हैं, जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुँच सकता है।
  • इंप्रूपर वेस्ट डिस्पोजल: घरेलू और ठोस कचरे के अनुचित निपटान के परिणामस्वरूप प्रदूषकों का भूजल में रिसाव हो सकता है।
  • नए निर्माण और शहरी अपवाह: शहरी क्षेत्रों से तलछट, निर्माण मलबा और प्रदूषक बारिश के दौरान जल निकायों में प्रवाहित हो सकते हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
  • एटमॉस्फेरिक डिपोजिशन: वायुजनित प्रदूषक, जैसे अम्लीय वर्षा, जल निकायों में गिर सकते हैं, जिससे अम्लीकरण और संदूषण हो सकता है।
  • लैंडफिल: अनुचित तरीके से प्रबंधित लैंडफिल प्रदूषकों और रसायनों को भूजल में प्रवाहित कर सकते हैं, जिससे यह प्रदूषित हो सकता है।
  • हार्मफुल एल्गी एरप्शन: पोषक तत्वों के प्रदूषण से हार्मफुल एल्गी एरप्शन की वृद्धि हो सकती है, जिससे विषाक्त पदार्थ पैदा होते हैं जो पानी की गुणवत्ता और जलीय जीवन को प्रभावित करते हैं।

Essay on Water Pollution in Hindi में अब जानते हैं कि जल प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव क्या-क्या होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

एक्वाटिक इकोसिस्टम को नुकसान:

  • खाद्य श्रृंखलाओं और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का विघटन।
  • ऑक्सीजन के स्तर में कमी के कारण मछली और अन्य जलीय प्रजातियों में गिरावट आ रही है।
  • पोषक तत्वों के प्रदूषण के कारण शैवाल का खिलना और पौधों की अत्यधिक वृद्धि, जो ऑक्सीजन की कमी कर सकती है और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकती है।

वाटर क्वालिटी डिग्रेडेशन:

  • पेयजल स्रोतों का संदूषण, जिससे मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहा है।
  • पीने के पानी में खराब स्वाद और गंध आना।
  • पानी की स्पष्टता और गंदलापन कम हो गया।

मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य जोखिम:

  • सूक्ष्मजीवी संदूषण से जलजनित रोग, जैसे हैजा और पेचिश।
  • जहरीले रसायनों, भारी धातुओं और कार्बनिक प्रदूषकों के संपर्क में आने से कैंसर, प्रजनन समस्याएं और तंत्रिका संबंधी विकार सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

लॉस ऑफ बायोडायवर्सिटी:

  • आवास विनाश और प्रदूषण के कारण जलीय प्रजातियों का ह्रास या विलुप्त होना।
  • प्रभावित जल निकायों में जैव विविधता में कमी।

इकोनॉमिक इंपैक्ट:

  • मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर लोगों की आय और आजीविका का नुकसान।
  • जल उपचार और प्रदूषण सफाई से जुड़ी लागत।

मिट्टी दूषण:

  • जल प्रदूषण से होने वाला अपवाह मिट्टी को प्रदूषित कर सकता है, जिससे कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
  • वायुमंडल में छोड़े गए प्रदूषक अम्लीय वर्षा के रूप में पृथ्वी पर लौट सकते हैं, जो एक्वेटिक इकोसिस्टम और स्थलीय वातावरण को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

प्राकृतिक प्रक्रियाओं का विघटन:

  • पानी के तापमान, पीएच स्तर और ऑक्सीजन सामग्री में परिवर्तन, जो पोषक चक्र और प्रकाश संश्लेषण जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है।

नकारात्मक सौंदर्य प्रभाव:

  • भद्दे और प्रदूषित वाटर बॉडीज़ मनोरंजक गतिविधियों और पर्यटन को बाधित कर सकते हैं।

लॉन्ग टर्म एनवायरमेंट डैdamag

  • समय के साथ संचित प्रदूषण से जलीय पर्यावरण को लंबे समय तक नुकसान हो सकता है और इसे ठीक करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Essay on Water Pollution in Hindi जानने के साथ-साथ वाटर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए कुछ टिप्स यहां दी गई है-

  • घरों में सिंक में खाना पकाने की चर्बी या किसी अन्य प्रकार की चर्बी, तेल या ग्रीस न डालें।  फेट को कलेक्ट करने के लिए सिंक के नीचे एक “फैट जार” रखें और भर जाने पर सॉलिड वेस्ट में फेंक दें।
  • हाउसहोल्ड केमिकल्स या क्लीनिंग एजेंट्स को सिंक या शौचालय में न फेंके।     
  • किसी भी प्रकार की गोलियाँ, लिक्विड या पाउडर वाली दवाएँ या नशीले पदार्थों को शौचालय में न बहाएँ। सभी प्रकार के मेडिकल वेस्ट के उचित निपटान पर अधिक ध्यान दें।
  • टॉयलेट को डस्टबिन बनाकर उसका प्रयोग करने से बचें। छोटे मोटे वेस्ट्स टिश्यू, रैपर, धूल के कपड़े और अन्य कागज के सामान को उचित तरीके से डस्टबिन में फेंक देना चाहिए।  फाइबर रीइनफोर्स्ड क्लीनिंग प्रोडक्ट्स जो अधिक पॉपुलर हो गए हैं उन्हें कभी भी टॉयलेट में नहीं फेंकना चाहिए।
  • गारबेज डिस्पोजल का उपयोग करने से बचें।  सॉलिड वेस्ट को सॉलिड ही रखें जिससे वो वाटर पॉल्यूशन का कारण न बने।  सब्जियों के अवशेषों से खाद का ढेर बनाएं।
  • वाटर एफिशिएंट टॉयलेट स्थापित करें।  इस बीच, प्रति फ्लश पानी के उपयोग को कम करने के लिए स्टैंडर्ड टॉयलेट टैंक में एक ईंट या 1/2 गैलन कंटेनर रखें।
  • डिशवॉशर या कपड़े धोने की मशीन तभी चलाएं जब आपके पास पूरा लोड हो।  इससे बिजली और पानी की बचत होती है।
  • जब आप कपड़ों या बर्तनों को धोते समय डिटर्जेंट और/या ब्लीच की न्यूनतम मात्रा का उपयोग करें।  केवल फॉस्फेट मुक्त साबुन और डिटर्जेंट का उपयोग करें।
  • पेस्टीसाइड्स, हर्बीसाइड्स, फर्टिलाइजर्स का उपयोग कम से कम करें।  इन केमिकल्स, मोटर तेल, या अन्य ऑटोमोटिव लिक्विड सब्सटेंसेज को सैनिटरी सीवर या स्टॉर्म सीवर सिस्टम में न डालें।  दोनों का अंत नदी पर होता है।
  • यदि आपके घर में एक सम पंप या सेलर ड्रेन है, तो इस बात को जरूर सुनिश्चित करें कि यह सैनिटरी सीवर सिस्टम में न बहे। 

वाटर पॉल्यूशन हमारे एनवायरमेंट, एक्वैटिक इकोसिस्टम, ह्यूमन हेल्थ और हमारे प्लैनेट अर्थ की समग्र भलाई के लिए दूरगामी और बहुत अधिक विनाशकारी परिणामों वाला एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है। यह विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होता है, जिनमें इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज, एग्रिकल्चरल रन ऑफ, सीवेज और इंप्रोपर वेस्ट डिस्पोजल शामिल हैं, जो हमारी वाटर बॉडीज के पॉल्यूशन का कारण बनते हैं। वाटर पॉल्यूशन के परिणाम असंख्य और गंभीर हैं, और इनमें इकोलॉजिकल, इकोनॉमिकल और पब्लिक हेल्थ एस्पेक्ट्स शामिल हैं।

पृथ्वी के सबसे कीमती रिसोर्सेज की सिक्योरिटी के लिए वाटर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने और प्रिवेंशन के प्रयास आवश्यक हैं। रेगुलेटरी मीजर्स, वेस्ट जल उपचार, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल प्रैक्टिसेज और पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन इस मुद्दे को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल मीजर्स को लागू करने और लागू करने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करना सरकारों, इंडस्ट्रीज़, कम्यूनिटीज और इंडिविजुअल्स पर निर्भर है।

जल प्रदूषण की गंभीरता के लिए तत्काल और निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है।  यह न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मामला है, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए एक मूलभूत आवश्यकता भी है।  स्वच्छ जल एक मौलिक मानव अधिकार है, और सामूहिक कार्रवाई करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह सभी के लिए सुलभ और प्रदूषण रहित बना रहे।

वॉटर पॉल्यूशन की सीरियसनेस के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है।  यह न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मामला है, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए एक मूलभूत आवश्यकता भी है।  स्वच्छ जल एक मौलिक मानव अधिकार है, और सामूहिक कार्रवाई करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह सभी के लिए सुलभ और प्रदूषण रहित बना रहे।

Essay on Water Pollution in Hindi पर 10 लाइन्स यहां दी गई है-

  • मुख्यतः वाटर रिसोर्सेज के दूषित होने से जल प्रदूषण होता है।
  • नदियों में इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज का सीधा डिस्पोजल नदी के पानी को जहरीला बनाता है।
  • घरों से निकलने वाले जल की निकासी में गंभीर रोगजनक होते हैं जिन्हें नदियों में बहाए जाने पर महामारी फैल सकती है।
  • चट्टानों और मिट्टी में मौजूद आर्सेनिक जैसी भारी धातुएँ पानी को दूषित कर देती हैं और भूजल को जहरीला बना देती हैं।
  • कृषि गतिविधियों में उपयोग किए जाने वाले फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड्स सतह के साथ-साथ भूमिगत जल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • ऑयल स्पिल प्रोसेस से समुद्र में भारी मात्रा में कच्चा पेट्रोलियम निकलता है जिससे मरीन इकोलॉजी प्रभावित होती है।
  • जल प्रदूषण से कोलेरा, टाइफाइड, पेचिश और यहाँ तक कि पॉइजनिंग जैसी कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार जल से होने वाली बीमारियों के कारण हर साल पूरी दुनिया लगभग 842000 मौतें होती हैं।
  • यदि हम जल प्रदूषण से लड़ना चाहते हैं तो एक उचित वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम होना चाहिए।
  • बेवजह पानी की बर्बादी से बचना और अपने आस-पास साफ-सफाई रखना हमें पानी को साफ और सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।

Essay on Water Pollution in Hindi रोकने के लिए कोट्स नीचे दिए गए हैं-

  • पानी और हवा, दो आवश्यक तरल पदार्थ जिन पर सारा जीवन निर्भर करता है, वैश्विक कचरा डिब्बे बन गए हैं।” – जैक्स-यवेस कॉस्ट्यू
  •  “जब कुआँ सूख जाता है, तो हमें पानी की कीमत पता चलती है।”  – बेंजामिन फ्रैंकलिन
  •  “जल जीवन का पदार्थ और मैट्रिक्स, मां और माध्यम है। पानी के बिना कोई जीवन नहीं है।”  – अल्बर्ट सजेंट-ग्योर्गी
  •  “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता तब तक हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता।”  – थॉमस फुलर
  •  “इक्कीसवीं सदी के युद्ध पानी के लिए लड़े जाएंगे।”  -इस्माइल सेरागेल्डिन
  • “हज़ारों लोग प्रेम के बिना जीवित रहे हैं, पानी के बिना एक भी नहीं।”  – डब्ल्यू एच ऑडेन
  •  “सभी मानवीय ज़रूरतों में सबसे बुनियादी ज़रूरत है समझने और समझे जाने की ज़रूरत। लोगों को समझने का सबसे अच्छा तरीका उनकी बात सुनना है।”  – राल्फ निकोल्स
  • “पानी हमारे जीवनकाल और हमारे बच्चों के जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन मुद्दा है। हमारे जल का स्वास्थ्य इस बात का प्रमुख उपाय है कि हम भूमि पर कैसे रहते हैं।”  – लूना लियोपोल्ड
  • “पानी की एक बूंद, अगर वह अपना इतिहास लिख सके, तो हमें ब्रह्मांड की व्याख्या कर देगी।”  – लुसी लारकॉम
  • “अगर हम पर्यावरण को नष्ट कर देंगे तो हमारे पास कोई समाज नहीं होगा।”  – मार्गरेट मीड

Essay on Water Pollution in Hindi जानने के बाद अब जल प्रदूषण से जुड़े कुछ तथ्य नीचे दिए गए हैं-

वाटर स्केरसिटी

  • ग्लोबल लेवल पर लगभग 1.5 अरब (150 करोड़) लोगों के पास सफीशिएंट सीवेज ट्रीटमेंट तक पहुंच नहीं है।  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि दुनिया भर में लगभग 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाएं नहीं हैं, 4.2 अरब लोगों के पास स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, और 3 अरब लोगों के पास बुनियादी हाथ धोने की सुविधाएं नहीं हैं।

घरों में उचित पाइपलाइन का अभाव

  • यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया की लगभग 5% पॉपुलेशन खुले में शौच करने के लिए मजबूर है।  यह आस-पास की वाटर बॉडीज की क्वालिटी से समझौता कर रहा है और अत्यधिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है, खासकर उन क्षेत्रों के लिए जहां उचित स्वच्छता आवश्यकताओं तक पहुंच नहीं है।

शहरों में बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं

  • शहरों में सुरक्षित पीने योग्य जल और आस पास स्वच्छता की कमी के कारण कोलेरा, मलेरिया, पेचिश, टाइफाइड, पोलियो और दस्त जैसी बहुत सारी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।  यूनेस्को के अनुसार, पूरी दुनिया में नौ में से एक व्यक्ति असिंचित और असुरक्षित स्रोतों से पानी पीता है, जिसमें जल प्रदूषक होते हैं।

लोगों के लिए गंदा पानी जानलेवा है

  • किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों में से 3% असुरक्षित या अपर्याप्त पानी, स्वच्छता और स्वच्छता से संबंधित हैं। पूरी दुनिया में अशुद्ध जल स्रोत से होने वाली सामान्य बीमारियाँ हर साल लगभग 485,000 मौतों का कारण बनती हैं।

वेस्ट वाटर का साफ पानी में मिलना

हर दिन, 2 मिलियन टन से अधिक सीवेज और इंडस्ट्रियल और एग्रिकल्चरल वेस्ट पूरी दुनिया के साफ पानी में बहाया जाता है। यह इस ग्रह की पूरी मानव आबादी के कुल वजन के बराबर है। अकेले अमेरिका में, अर्थ आइलैंड जर्नल ने पाया कि 120 मिलियन टन कचरा हर साल लैंडफिल में भेजा जाता है, और उस पूरे कचरे का एक बड़ा हिस्सा पानी के प्राकृतिक निकायों में समाप्त हो जाता है।

पानी की कमी आम होती जा रही है

  • भले ही दुनिया 70% पानी से बनी है, दुनिया भर में 1.1 अरब लोगों के पास साफ पानी तक पहुंच नहीं है, और 2.7 अरब लोगों को हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी महसूस होती है।  विश्व वन्यजीव के अनुसार, वर्ष 2025 में दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा, जो मुख्य रूप से जल प्रदूषण के कारण होगा। पूरी दुनिया वाटर पॉल्यूशन की प्रोब्लम से जूझ रही है और इसमें उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका भी शामिल है।  हालाँकि  अमेरिका की जनता को ऐसा लग सकता है कि यह कोई संघर्ष नहीं है जिससे हमारे देश को निपटना है, लाखों लोग हर दिन पानी की कमी और जल प्रदूषण दोनों से प्रभावित होते हैं।

पेस्टी साइड्स  

  • रिसर्च में पता चला की भूजल में 73 से अधिक विभिन्न प्रकार के पेस्टी साइड्स पाए गए हैं जो अंततः हमारे पीने के पानी में मिल जाते हैं, जब तक कि इसे पर्याप्त रूप से फ़िल्टर नहीं किया जाता है।  पूरे देश में फसल वृद्धि के लिए पेस्टी साइड्स का उपयोग किया जाता है, लेकिन हर्बी साइड्स, पेस्टी साइड्स, रोडेंट साइड और फूंगीसाइड ये सभी भूमिगत जल में रिसने के बाद बेहद हानिकारक हो सकते हैं।
  • डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन सेंटर्स के अनुसार, प्रति वर्ष जलजनित बीमारियों के लाखों मामले होते हैं।

इंडस्ट्रियल वेस्ट  

  • प्रतिवर्ष 1.2 ट्रिलियन गैलन से अधिक अनुपचारित सीवेज, भूजल और इंडस्ट्रियल वेस्ट जल में छोड़ा जाता है।  अगर प्रदूषण इसी दर से जारी रहा तो 2050 तक दुनिया की लगभग 46% आबादी को पीने के पानी की कमी से जूझना पड़ेगा।

हमारे आस पास जल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं- 1. ग्लोबल वार्मिंग 2. डिफोरेस्टेशन  3. इंडस्ट्री, एग्रिकल्चर, लाइवस्टॉक फार्मिंग 4. कूड़ा-कचरा और मल-युक्त पानी डंप करना 5. मैरीटाइम ट्रैफिक 6. फ्यूल स्पिलेज

अपने कार्यों में पेस्टी साइड्स, हेर्बी साइड्स, फर्टिलाइजर्स का उपयोग कम से कम करें। केमिकल्स, मोटर ऑयल, या अन्य ऑटोमोटिव लिक्विड प्रोडक्ट्स को सैनिटरी सीवर या स्टॉर्म सीवर सिस्टम में न डालें। दोनों का अंत नदी पर होता है। यदि आपके घर में एक सम पंप या सेलर ड्रेन है, तो सुनिश्चित करें कि यह सैनिटरी सीवर सिस्टम में न बहे।

पानी के सबसे मुख्य सोर्सेज नदियां, लगूंस, तालाब, वेटलैंड्स, आइस बर्ग्स, ग्लेशियर्स, ग्राउंड वाटर, आइस कैप्स, आइस फील्ड्स हैं। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on Water Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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जल प्रदूषण पर निबंध (Essay on Water Pollution in Hindi)- जल ही जीवन है या पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती जैसी ये पंक्तियाँ हमने कई बार सुनी हैं, पढ़ी हैं और जल प्रदूषण (Jal Pradushan) पर निबंध लिखते समय इनका इस्तेमाल भी किया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अब तक हम इन पंक्तियों का सही अर्थ समझ पाए हैं। अगर समझ गए हैं, तो फिर क्यों आज भी भारत में माता के समान पूजी जानें वाली सबसे पवित्र नदी गंगा या बाकी नदियाँ प्रदूषित होती जा रही हैं। अगर जल से ही इस सृष्टि का उद्भव हुआ है और जल पीकर ही सभी प्राणी जीवित हैं, तो फिर क्यों भूतल से जल का स्तर कम होता जा रहा है। क्यों नदियाँ सूखती जा रही हैं और हमें पीने के लिए स्वच्छ जल प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जल प्रकृति का वो बहुमूल्य धन है जिसकी रक्षा और उपयोग हमें भावी पीढ़ी के लिए भी सोचते हुए करना है।

आप हमारे इस पेज से जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Water Pollution in Hindi), जल प्रदूषण प्रस्तावना, Pollution of Water in Hindi, जल प्रदूषण का कारण, जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव, जल प्रदूषण के उपाय आदि बातों के बारे में जान सकते हैं। इसके अलावा छात्र हमारे इस जल प्रदूषण निबंध (Jal Pradushan Nibandh) की मदद से स्कूल और कॉलजों में होने वाली जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Water Pollution Essay in Hindi) प्रतियोगिता में भाग भी ले सकते हैं और एक सुंदर लेख लिखकर अपनी लेखनी का प्रदर्शन कर सकते हैं। Jal Pradushan in Hindi Essay लिखते समय आप नीचे बताए गए बिंदुओं से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हमारे इस water pollution in hindi और water pollution in hindi essay का मकसद लोगों में जल प्रदूषण के बारे में (about water pollution in hindi) और उसके प्रति जागरूकता फैलाना है। सरल और आसान शब्दों में जल प्रदूषण इन हिंदी (Jal Pradushan in Hindi) पर निबंध नीचे से पढ़ें।

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जल प्रदूषण पर निबंध Water Pollution Essay in Hindi

जल प्रदूषण पर निबंध प्रस्तावना.

यह बात एकदम सही है कि अगर पृथ्वी पर जल ही नहीं होगा, तो जल के बिना सारे जगत में सब कुछ सूना-सूना हो जाएगा। जगत के सभी लोगों के लिए जल वो अनुपम धन है जिसे पीकर इस धरती पर सभी प्राणी, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे जीवित हैं। प्राकृतिक चीज़ों जैसे- नदी, नहर, झील, सरोवर और समुद्र का सौंदर्य भी जल से ही जीवित है। यदि इन्हें जल ही नहीं मिलेगा, तो फिर इनकी सुंदरता का कोई अर्थ नहीं बचेगा। अगर हम इनकी सुंदरता को खोना नहीं चाहते, तो सबसे पहले हमें अपने जल को प्रदूषण से मुक्त कराना होगा। जल इस प्रकृति का वो सौन्दर्य रूप है, जिससे अन्न, फल, फूल और उपवन खिलते हैं, बादलों से अमृत के समान बरसात होती है और जल को बचाकर तथा इसका संरक्षण करके ही हम उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि समय रहते इस बढ़ते हुए जल प्रदूषण की समस्या की ओर हमने ध्यान नहीं दिया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब पूरा देश जल संकट का सामना कर रहा होगा।

यह निबंध भी पढ़ें-

जल प्रदूषण का अर्थ 

जल प्रदूषण की समस्या को जानने से पहले हमें जल प्रदूषण का अर्थ समझना बहुत ज़रूरी है। जब पानी के विभिन्न स्रोत जैसे नदी, झील, कुआँ, तालाब, समुद्र आदि में दूषित तत्व आकर मिल जाएं, तो उस स्थिति को हम जल प्रदूषण कहते हैं। यह दूषित और जहरीले तत्व प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से जल में जाकर मिल जाते हैं और जल को प्रदूषित बनाते हैं, जिस वजह से जल अपना प्राकृतिक गुण खो देता है। आसान शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब हम किसी भी प्रकार के कचरे को सीधा जल में फैंक देते हैं, तो वह जल प्रदूषण पैदा करता है।

जल प्रदूषण क्या है?

अब हम जानते हैं कि जल प्रदूषण क्या है? ऐसे बाहरी पदार्थ जो जल में जाकर मिल जाते हैं और जल के प्राकृतिक गुणों को ऐसे परिवर्तित कर देते हैं कि फिर वो जल न तो पीने लायक रहता है और न ही हमारे किसी दूसरे काम का रहता है। इस तरह का जल हमारे स्वास्थ पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। प्रदूषित जल की उपयोगिता पहले से कम होने के कारण वह कम उपयोगी हो जाता है, इसी को हम जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या सबसे ज्यादा विकसित देशों में देखने को मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पीने के पानी का PH लेवल 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए। अगर देखा जाए, तो पानी में खुद ही साफ होने की क्षमता अधिक होती है, परंतु जब ज़रूरत से ज्यादा मात्रा में प्रदूषण पानी में घुल जाता है, तो फिर जल प्रदूषण होने लगता है। जल प्रदूषण तब होता है जब जल में जानवरों का मल, जहरीले औद्योगिक रसायन, घरों और कारखानों का कचरा, कृषि अपशिष्ट, तेल और तपिश जैसे पदार्थ जाकर मिल जाते हैं। इसी वजह से हमारे प्राकृतिक जल स्त्रोत जैसे झील, नदी, समुद्र, भूमिगत जल स्रोत आदि प्रदूषण का शिकार बन रहे हैं, जिसका मनुष्य और अन्य जीवों पर गंभीर और घातक प्रभाव पड़ रहा है।

जल प्रदूषण की परिभाषा 

जल प्रदूषण की समस्या पर अलग-अलग विचारकों और वैज्ञानिकों ने अपने-अपने शब्दों में परिभाषा दी है और अपने मत प्रस्तुत किए हैं। उन्हीं में से कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं, जैसे-

सी.एस. साउथविक् के अनुसार, “जब प्राकृतिक जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में मानव एवं प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा परिवर्तन होता है, तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं।”

प्रो. गिलपिन के अनुसार, “मानवीय क्रियाओं से जब जल की भौतिक, जैविक एवं रासायनिक विशिष्टताओं में ह्रास हो रहा हो, तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं।”

जल प्रदूषण के कारण 

जल प्रदूषण के मुख्य दो स्रोत होते हैं: 1. प्राकृतिक और 2. मानवीय।

  • जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत- जल में प्राकृतिक रूप से प्रदूषण कई अलग-अलग कारणों से होता है। खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों, ह्यूमस पदार्थ, मनुष्य और जानवरों का मल-मूत्र आदि जब जल में जाकर मिल जाता है, तो प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण होता है। जब जल किसी जमीन पर जमा रहता है और उस जमीन में खनिज पदार्थ की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो वह खनिज फिर उस जल में मिल जाते हैं, जिसे जहरीले पदार्थ कहते हैं। यदि यह ज्यादा मात्रा में होते हैं, तो ये बहुत ही घातक और खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा निकिल, बेरियम, बेरीलियम, कोबाल्ट, माॅलिब्डेनम, टिन, वैनेडियम आदि पदार्थ भी जल में प्राकृतिक रूप से थोड़ा-थोड़ा मिल जाते हैं।
  • जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत- जो अलग-अलग क्रियाएँ या गतिविधियाँ मनुष्य द्वारा की जाती हैं उससे कूड़ा-करकट, गंदा पानी और अन्य तरह के अपशिष्ट पदार्थ जल में जाकर मिल जाते हैं। इन पदार्थों के मिलने की वजह से जल प्रदूषित होने लगता है। ऐसे अपशिष्ट पदार्थ विभिन्न रूप में पैदा हो जाते हैं, जैसे घरेलू कचरा, मनुष्य का मल, औद्योगिक पदार्थ, कृषि पदार्थ आदि। प्राकृतिक स्रोतों से ज्यादा मानवीय स्रोत जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

जल प्रदूषण के प्रकार 

जल प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हमारे सामने आते हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक जल प्रदूषण- जब भौतिक जल प्रदूषण होता है, तो उसकी वजह से जो जल की गन्ध होती है, स्वाद होता है और ऊष्मीय गुण होते हैं उनमें बदलाव हो जाता है।
  • रासायनिक जल प्रदूषण- जब रासायनिक जल प्रदूषण होता है, तो उसके कारण जल में अलग-अलग तरह के कई उद्योगों और अन्य स्रोतों से रासायनिक पदार्थ आकर मिल जाते हैं, जिस वजह से रासायनिक जल प्रदूषण होता है।
  • जैविक जल प्रदूषण- जब जल में अलग-अलग तरह के रोग पैदा करने वाले जीव प्रवेश करते हैं और जल को इतना दूषित कर देते हैं कि वह जल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है, वो ही जैविक जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव 

जल प्रदूषण होने से हमारे सामने विभिन्न तरह के घातक परिणाम सामने आते हैं। अगर हम प्रदूषित जल पीते हैं, तो यह हमारे शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियाँ पैदा करेगा। पहले तो दूषित जल की वजह से गंभीर बीमारियों से सिर्फ गांव के लोग ही प्रभावित हो रहे थे लेकिन आज आलम ये है कि शहर के शहर भी इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। यदि हम गलती से भी प्रदूषित जल का इस्तेमाल कर लेते हैं, तो इससे हमारे शरीर में अलग-अलग तरह की परेशानियाँ होना शुरू हो जाती हैं। शरीर की त्वचा खराब होने लग जाती है, जीन से जुड़ी बीमारी होने लग जाती है, मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने लग जाता है और कभी-कभी तो उसकी मृत्यु तक भी हो जाती है।

जल प्रदूषण का प्रभाव मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पक्षियों और वनों पर भी देखने को मिल रहा है। प्रदूषित तत्वों के जल में मिलने की वजह से भारी मात्रा में जानवरों और पानी में रहने वाले जीवों की मौत के आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं। जल में निवास करने वाली मछलियों के मरने से मछुआरों को अपना पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है। उनकी आय का स्रोत खत्म होता जा रहा है। इसके अलावा जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव किसानों की आजीविका पर भी पड़ रहा है क्योंकि दूषित जल से कृषि योग्य भूमि नष्ट होती जा रही है, वन खत्म होते जा रहे हैं, जोकि एक गंभीर समस्या है। जब प्रदूषित जल किसी भी तरह की कृषि पैदा करने वाली भूमि पर से होकर गुजरता है, तो वह उस भूमि की उर्वरता को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। अगर एक बार किसी कृषि भूमि की उर्वरता नष्ट हो जाती है, तो उसे फिर से उपजाऊ बनाना बहुत मुश्किल होता है। अगर कोई किसान प्रदूषित जल से अपने खेतों की सिंचाई कर देता है, तो उसका दुष्प्रभाव उसे अपनी कृषि पर झेलना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि जब गंदा जल सिंचाई के इस्तेमाल में लिया जाता है, तो भूमि पर ऐसे धातुओं के अंश मिल जाते हैं जो कृषि उत्पादन की क्षमता को कम कर देते हैं। जल प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा चक्र ही बिगड़ जाता है।

जल प्रदूषण समस्या 

वर्तमान समय में जल प्रदूषण की समस्या बहुत बड़ी समस्या बनकर हमारे सामने खड़ी है। जिन नदियों, तालाबों और नहरों का पानी पीकर हम जिंदा रहते हैं, वो जल ही आज हमें गंभीर रूप से बीमार कर रहा है। गांवों और शहरों में करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को झेल रहे हैं। जब कभी हमारे देश के वैज्ञानिक समुद्रों में परमाणु परीक्षण करते हैं, तो उस परीक्षण से समुद्र में ऐसे कण और पदार्थ मिले जाते हैं जो समुद्री जीवों, वनस्पतियों और हमारे पर्यावरण पर बुरा असर डालते हैं। इससे पृथ्वी का पर्यावरण पूरी तरह से असंतुलित हो जाता है।

कारखानों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, रासायनिक तत्व और गर्म जल जब नदी या समुद्र में जाकर मिल जाते हैं, तो वह जल प्रदूषण को तो बढ़ाते ही हैं लेकिन वह पर्यावरण में गर्मी भी पैदा करते हैं। वातावरण गर्म होने की वजह से जीव-जंतु, पेड़-पौधे और वनस्पतियों की मात्रा घटने लग जाती है और इसकी वजह से जलीय पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। ऐसे ही यदि जल प्रदूषण बढ़ता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर स्वच्छ जल के लिए लोगों को तरसना पड़ जाएगा। थोड़ा सा भी जल प्रदूषण बहुत बड़ी मात्रा में हम सभी के जीवन को प्रभावित करता है।

आज के आधुनिक युग में जल प्रदूषण किसी एक इंसान को नहीं बल्कि समूचे संसार को प्रभावित करने पर तुला हुआ है। जल प्रदूषण का प्रभाव भयंकर रूप से पूरे राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। हमारे देश में होने वाली दो तिहाई बीमारियों का कारण प्रदूषित जल है। नवजात शिशु से लेकर बड़े बुज़ुर्ग तक जल प्रदूषण का प्रभाव उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक है।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां  

जल प्रदूषण के लगातार बढ़ने से पूरी दुनिया में तरह-तरह की बीमारियाँ और महामारियाँ भी दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही हैं। कई ऐसी गंभीर और खतरनाक बीमारियां हैं जिसके कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। ये बीमारियाँ मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी अपना शिकार बना रही हैं। उनके स्वास्थ्य पर इनका बुरा असर पड़ रहा है। जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में शामिल हैं टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक, चर्म रोग, पेट रोग, दस्त, उल्टी, बुखार आदि। इन बीमारियों का गर्मी और बरसात के मौसम में फैलने का खतरा और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। इन बीमारियों से बचने के लिए आप नीचे बताए गए उपायों का पालन ज़रूर करें।

जल प्रदूषण से बचने के उपाय

जल प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए और उसको कम करने के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर हर संभव उपायों का पालन ज़रूर करना चाहिए, जैसे-

  • हमें अपने घर और गली-मोहल्लों के नालों और नालियों की नियमित रूप से साफ-सफाई करवानी चाहिए।
  • जल निकास के लिए पक्की नालियों की समुचित व्यवस्था करवानी चाहिए।
  • जो मल, घरेलू पदार्थ और कूड़ा-कचरा जमा हो जाता है, उसे जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए।
  • प्रदूषित जल को साफ बनाने के लिए लगातार अनुसंधान और बदलाव किए जाने चाहिए।
  • नदियों, कुओं, तालाबों आदि में कपडे़ धोने, अंदर घुसकर पानी लेने, पशुओं को नहलाने, मनुष्य के नहाने, बर्तनों को साफ करने जैसी क्रियाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगा देनी चाहिए।  
  • कुओं, तालाबों और अन्य जल स्त्रोतों से मिलने वाले जल में समय-समय पर ऐसी दवा डाली जाए जिससे उसकी उपयोगिकता बढ़ जाए। 
  • जल प्रदूषण जैसी समस्या के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। लोगों तक इसके कारणों, दुष्प्रभावों और रोकथाम के बारे में हर जानकारी पहुँचाई जाए।
  • लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा दी जाए।
  • सरकार द्वारा समय-समय पर तालाबों, नदियों, नालों आदि अन्य जल स्त्रोतों की नियमित रूप से जाँच, परीक्षण, साफ-सफाई और सुरक्षा करवाई जाए।
  • विभिन्न जनसंचार के माध्यमों द्वारा प्रचार-प्रसार करते हुए जल प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में सभी लोगों को बताया जाए।

जल प्रदूषण के निवारण

जल प्रदूषण का पूरी तरह से निवारण हम सभी को मिलकर करना होगा। इसके अलावा जल प्रदूषण के निवारण के लिए केंद्रीय बोर्ड का गठन केंद्रीय सरकार द्वारा जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 की धारा 3 के तहत किया जाता है। जल प्रदूषण की गंभीर समस्याओं और घातक परिणामों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जल-प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम की स्थापना सन् 1974 में की गई थी। इसके बाद एक और जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम सन् 1975 स्थापित किया गया। जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियमों में सरकार द्वारा समय-समय पर कई संशोधन और बदलाव किए गए जिनका उद्देश्य जल की गुणवत्ता में सुधार करते हुए उसे उपयोगी बनाना है।

निष्कर्ष 

जितनी तेजी से जल प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। इसीलिए अब हम सभी को जागरूक होना होगा और अधिक-से-अधिक संख्या में आगे आकर जल प्रदूषण को खत्म करने के लिए काम करना होगा। ये प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह जल प्रदूषण से पृथ्वी को बचाने में अपना योगदान दे और दूसरों को बदलने से पहले वह अपने अंदर बदलाव लाए।

“जल ही जीवन है” जैसी लोकप्रिय पंक्ति निम्नलिखित कविता से ली गई है-

जल ही जीवन है जल से हुआ सृष्टि का उद्भव जल ही प्रलय घन है जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है।।

शीत स्पर्शी शुचि सुख सर्वस गन्ध रहित युत शब्द रूप रस निराकार जल ठोस गैस द्रव त्रिगुणात्मक है सत्व रज तमस सुखद स्पर्श सुस्वाद मधुर ध्वनि दिव्य सुदर्शन है । जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

भूतल में जल सागर गहरा पर्वत पर हिम बनकर ठहरा बन कर मेघ वायु मण्डल में घूम घूम कर देता पहरा पानी बिन सब सून जगत में ,यह अनुपम धन है । जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

नदी नहर नल झील सरोवर वापी कूप कुण्ड नद निर्झर सर्वोत्तम सौन्दर्य प्रकृति का कल-कल ध्वनि संगीत मनोहर जल से अन्न पत्र फल पुष्पित सुन्दर उपवन है । जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

बादल अमृत-सा जल लाता अपने घर आँगन बरसाता करते नहीं संग्रहण उसका तब बह॰बहकर प्रलय मचाता त्राहि-त्राहि करता फिरता, कितना मूरख मन है । जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

– शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

जल प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल- FAQ’s

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प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है in Hindi? उत्तर- जहरीले पदार्थ और दूषित कण जब झीलों, नहरों, नदियों, समुद्रों और दूसरे जल स्रोतों में आकर मिल जाते हैं, तो उससे जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसे पदार्थ पीनी में नीचे जाकर बैठ जाते हैं और जमा हो जाते हैं, जिससे पानी में बीमारियाँ पनपने लग जाती हैं।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है निबंध? उत्तर- मानव जीवन में उपयोग किए जाने वाले जल में जब जहरीले प्रदूषक मिलकर उसे खराब कर देते हैं या पीने के पानी को मैला कर देते हैं, तो उसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण हमारे पर्यावरण के लिये बहुत ही हानिकारक है।

प्रश्न- जल प्रदूषण कैसे होता है? उत्तर- जल प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण होते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानवीय कारण। इसके अलावा जल में अलग-अलग तरह के हानिकारक पदार्थों के मिलने से भी जल प्रदूषण होता है।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है जल प्रदूषण से होने वाली हानियां? उत्तर- जल प्रदूषण से इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी प्रभावित होते हैं। प्रदूषित जल ना तो पीया जाता है और ना ही कृषि तथा उद्योगों के लिए उपयुक्त होता है। यह झीलों और नदियों की सुंदरता को भी कम करता है।

प्रश्न- जल प्रदूषण के स्रोत क्या है? उत्तर- जहरीले पदार्थ, खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों, ह्यूमस पदार्थ, मनुष्य और जानवरों का मल-मूत्र आदि जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है इसके बचाव के उपाय लिखिए? उत्तर- जल प्रदूषण से बचने के लिए हमें नालों, कुओं, तालाबों और नदियों की समय-समय पर सफाई करवानी चाहिए और उन्हें गंदा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जल प्रदूषण से जुड़े सभी कानूनों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है जल प्रदूषण के चार कारण बताइए? उत्तर- रोज़ के घरेलू कार्यों जैसे- खाना पकाना, स्नान करना, कपड़े धोना, साफ-सफाई करना आदि के लिए जिन पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, वो नालियों से होते हुए नदियों में जाकर मिल जाते हैं, जिससे जल प्रदूषण होता है।

प्रश्न- जल प्रदूषण से कौन कौन सी बीमारियां होती हैं? उत्तर- जल प्रदूषण से हमें आमतौर पर लूज मोशन, डायरिया, डिसेंट्री, उल्टियां आदि जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।

प्रश्न- नदियां प्रदूषित क्यों है? उत्तर- जब मनुष्य द्वारा कूड़ा-कचरा, अपशिष्ट पदार्थ, कारखानों से निकलने वाला जहरीला रसायन आदि नदियों में गिराया जाता है, तो नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। सबसे ज़्यादा प्रदूषण गंगा नदी में होता है। 

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day in hindi) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • बाल दिवस पर हिंदी में भाषण
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

यह भी पढ़ें -

  • डॉक्टर कसे बनें
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कैसे संवारें अपना भविष्य

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज
  • नीट के बिना मेडिकल कोर्स
  • भारत की टॉप यूनिवर्सिटी

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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water pollution essay in hindi

जल प्रदूषण के कारण और प्रभाव | Water Pollution in Hindi

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जल प्रदूषण : कारण, प्रभाव एवं निदान (Water Pollution: Causes, Effects and Solution)

‘जल प्रदूषण’ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, 2011 वर्तमान में वर्षा की अनियमित स्थिति, कम वर्षा आदि को देखते हुए उद्योगों को अपनी जल खपत पर नियंत्रण कर उत्पन्न दूषित जल का समुचित उपचार कर इसके सम्पूर्ण पुनर्चक्रण हेतु प्रक्रिया विकसित करनी चाहिए। ताकि जलस्रोतों के अत्यधिक दोहन की स्थिति से बचा जा सके। हम पिछले अध्याय में पढ़ आये हैं कि पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। वास्तव में इसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। इस प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं। जल की गुणवत्ता पर प्रदूषकों के हानिकारक दुष्प्रभावों के कारण प्रदूषित जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता। पीने के अतिरिक्त घरेलू, सिंचाई, कृषि कार्य, मवेशियों के उपयोग, औद्योगिक तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ आदि में बड़ी मात्रा में जल की खपत होती है तथा उपयोग में आने वाला जल उपयोग के उपरान्त दूषित जल में बदल जाता है। इस दूषित जल में अवशेष के रूप में इनके माध्यम से की गई गतिविधियों के दौरान पानी के सम्पर्क में आये पदार्थों या रसायनों के अंश रह जाते हैं। इनकी उपस्थिति पानी को उपयोग के अनुपयुक्त बना देती है। यह दूषित जल जब किसी स्वच्छ जलस्रोत में मिलता है तो उसे भी दूषित कर देता है। दूषित जल में कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों एवं रसायनों के साथ विषाणु, जीवाणु और अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव रहते हैं जो अपनी प्रकृति के अनुसार जलस्रोतों को प्रदूषित करते हैं। जलस्रोतों का प्रदूषण दो प्रकार से होता है :- 1. बिन्दु स्रोत के माध्यम से प्रदूषण 2. विस्तृत स्रोत के माध्यम से प्रदूषण

 ये भी पढ़े :-  काली नदी बनी काल

1. बिन्दु स्रोत के माध्यम से प्रदूषण :-

जब किसी निश्चित क्रिया प्रणाली से दूषित जल निकलकर सीधे जलस्रोत में मिलता है तो इसे बिन्दु स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं। इसमें जलस्रोत में मिलने वाले दूषित जल की प्रकृति एवं मात्रा ज्ञात होती है। अतः इस दूषित जल का उपचार कर प्रदूषण स्तर कम किया जा सकता है। अर्थात बिंदु स्रोत जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उदाहरण किसी औद्योगिक इकाई का दूषित जल पाइप के माध्यम से सीधे जलस्रोत में छोड़ा जाना, किसी नाली या नाले के माध्यम से घरेलू दूषित जल का तालाब या नदी में मिलना।

2. विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण :-

अनेक मानवीय गतिविधियों के दौरान उत्पन्न हुआ दूषित जल जब अलग-अलग माध्यमों से किसी स्रोत में मिलता है तो इसे विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं। अलग-अलग माध्यमों से आने के कारण इन्हें एकत्र करना एवं एक साथ उपचारित करना सम्भव नहीं है। जैसे नदियों में औद्योगिक एवं घरेलू दूषित जल या अलग-अलग माध्यम से आकर मिलना। विभिन्न जलस्रोतों के प्रदूषक बिन्दु भी अलग-अलग होते हैं। 1. नदियाँ :- जहाँ औद्योगिक दूषित जल विभिन्न नालों के माध्यम से नदियों में मिलता है, वहीं घरेलू जल भी नालों आदि के माध्यम से इसमें विसर्जित होता है। साथ ही खेतों आदि में डाला गया उर्वरक, कीटनाशक तथा जल के बहाव के साथ मिट्टी कचरा आदि भी नदियों में मिलते हैं। 2. समुद्री जल का प्रदूषण :- सभी नदियाँ अंततः समुद्रों में मिलती हैं। अतः वे इनके माध्यम से तो निश्चित रूप से प्रदूषित होती हैं। नदियों के माध्यम से औद्योगिक दूषित जल और मल-जल, कीटनाशक, उर्वरक, भारी धातु, प्लास्टिक आदि समुद्र में मिलते हैं। इनके अतिरिक्त सामुद्रिक गतिविधियों जैसे समुद्री परिवहन, समुद्र से पेट्रोलियम पदार्थों का दोहन आदि के कारण भी सामुद्रिक प्रदूषण होता है। जलस्रोतों की भौतिक स्थिति को देखकर ही उनके प्रदूषित होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। जल का रंग, इसकी गंध, स्वाद आदि के साथ जलीय खरपतवार की संख्या में इजाफा, जलीय जीवों जैसे मछलियों एवं अन्य जन्तुओं की संख्या में कमी या उनका मरना, सतह पर तैलीय पदार्थों का तैरना आदि जल प्रदूषित होने के संकेत हैं। कभी-कभी इन लक्षणों के न होने पर भी पानी दूषित हो सकता है, जैसे जलस्रोतों में अम्लीय या क्षारीय निस्राव या मिलना या धात्विक प्रदूषकों का जलस्रोतों से मिलना। इस तरह के प्रदूषकों का पता लगाने के लिये जल का रासायनिक विश्लेषण करना अनिवार्य होता है।

जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थों की प्रकृति मुख्यतः दो प्रकार की होती है-

1. जैविक रूप से नष्ट हो जाने वाले 2. जैविक रूप से नष्ट न होने वाले मुख्यतः सभी कार्बनिक पदार्थयुक्त प्रदूषक जैविक रूप से नष्ट होने वाले होते हैं। ये प्रदूषक जल में उपस्थित सूक्ष्म जीवों के द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं। वास्तव में कार्बनिक पदार्थ सूक्ष्म जीवों का भोजन होते हैं। सूक्ष्म जीवों की इन गतिविधियों में बड़ी मात्रा में जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग होता है। यही कारण है कि जब कार्बनिक पदार्थयुक्त प्रदूषक जैसे मल-जल या आसवन उद्योग का दूषित जल, जलस्रोतों में मिलता है तो उनकी घुलित ऑक्सीजन की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आती है, कई बार ऐसा होने पर यहाँ उपस्थित जलीय जीव जैसे मछलियाँ आदि ऑक्सीजन की कमी के कारण मारे जाते हैं। इसके विपरीत अनेक प्रदूषक होते हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में नष्ट नहीं होते, ऐसे प्रदूषकों में विभिन्न धात्विक प्रदूषक या अकार्बनिक लवणयुक्त प्रदूषक होते हैं।

कुछ प्रमुख प्रदूषक निम्नलिखित हैं :-

1. मल-जल या अन्य ऑक्सीजन अवशोषक प्रदूषक जैसे कार्बनिक अपशिष्ट। 2. संक्रामक प्रकृति के प्रदूषक जैसे अस्पतालों से निकलने वाला अपशिष्ट। 3. कृषि-कार्य हेतु उपयोग में लिये जाने वाले उर्वरक, जिनके पानी में मिलने से जलीय पौधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है। तत्पश्चात ये जलीय वनस्पति पानी में सड़कर पानी में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग कर उसे धीरे-धीरे कम या समाप्त कर देती है। इस प्रकार वनस्पतियों के सड़ने से पानी से दुर्गन्ध आने लगती है। 4. औद्योगिक दूषित जल के साथ विभिन्न रसायन, लवण या धातुयुक्त दूषित जल, जलस्रोतों में मिलता है। 5. कृषि कार्य में उपयोग होने वाले रासायनिक कीटनाशक आदि भी वर्षाजल साथ घुलकर जब स्रोतों में आकर मिलते हैं। ये जटिल कार्बनिक यौगिक प्रकृति में कैंसर कारक (कार्सिनोजेनिक) होते हैं। 6. अनेक विकिरण पदार्थ भी जल के साथ बहकर प्राकृतिक जलस्रोतों में मिलते हैं। 7. अनेक उद्योगों जैसे आसवन उद्योग, पावर प्लांट आदि से निकलने वाले दूषित जल का तापमान अत्यंत उच्च होता है। उच्च तापमान युक्त दूषित जल किसी भी जलस्रोत में मिलकर उसका तापमान भी बढ़ा देते हैं। जिसका सीधा प्रभाव जलीय जीवों एवं वनस्पतियों पर पड़ता है। 8. घरेलू ठोस अपशिष्ट भी जल प्रदूषण का बड़ा कारण बनते हैं। जल प्रदूषक कारकों को इनकी भौतिक अवस्था के आधार पर भी तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है :- 1. जल में निलम्बित अवस्था के आधार पर :- अनेक जल प्रदूषक, जल में निलम्बित अवस्था में रहते हैं। इन कणों का आकार एक माइक्रो मीटर से अधिक होता है। ये जल में निलम्बित अवस्था में होते हैं और पानी को कुछ देर ठहरा हुआ या स्थिर रखने पर ये नीचे बैठ जाते हैं। इन्हें आसानी से छानकर अलग किया जाता है। 2. जल के साथ कोलायडल अवस्था बनाना :- निलम्बित कणों से कुछ छोटे आकार के कण पानी के साथ कोलायडल अवस्था में आ जाते हैं। इन प्रदूषकों को सामान्य छनन प्रक्रिया से पृथक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इनके कण इतने छोटे होते हैं जो फिल्ट्रेशन माध्यम से होकर निकल जाते हैं। 3. घुलित प्रदूषक :- अनेक प्रदूषक पानी में अच्छी तरह घुल जाते हैं। ऐसे प्रदूषकों को सामान्य छनन की प्रक्रिया से पृथक नहीं किया जा सकता। इन्हें रासायनिक विधि से अन्य अभिकारकों की क्रिया के पश्चात ही पृथक किया जा सकता है। प्राकृतिक जलस्रोतों को प्रदूषित करने में मल-जल के अतिरिक्त औद्योगिक दूषित जल भी प्रमुख कारक होते हैं। विभिन्न वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों एवं रसायन वेत्ताओं ने जल प्रदूषकों के आधार पर इन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँटा है। फर्ग्यूसन ने इन्हें सात श्रेणियों में बाँटा है जिनमें मल-जल, कैंसरकारक, प्रदूषक, कार्बनिक रसायन, अकार्बनिक रसायन, ठोस अपशिष्ट, विकिरण पदार्थ तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले प्रदूषक शामिल हैं। इसी प्रकार सन 1972 में इनका वर्गीकरण इनके भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया तथा इन्हें 10 श्रेणियों में बाँटा। इस आधार पर इन्हें इनकी अम्लीयता या क्षारीयता, इनमें उपस्थित खनिजों की सांद्रता, निलम्बित कणों की मात्रा, घुलित ऑक्सीजन का उपयोग करने की प्रवृत्ति विघटन योग्य कार्बनिक पदार्थों की मात्रा, कार्बनिक रसायनों की मात्रा, प्रदूषकों की विषाक्तता, रोग जनक कीटाणुओं की उपस्थिति, रासायनिक यौगिक जैसे नाइट्रोजन एवं फास्फोरस से युक्त रसायनों की उपस्थिति तथा अत्यधिक उच्च ताप का होना शामिल है। पीटर ने इन प्रदूषकों की प्रकृति तथा इनके कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का भी अध्ययन किया। इसे हम निम्नानुसार श्रेणीबद्ध कर सकते हैं :-

उद्योगों से निकलने वाले द्रव अपशिष्टों के अतिरिक्त विभिन्न गतिविधियों में प्रयुक्त होने वाले रसायन या इनसे उत्पन्न होने वाले जल भी स्वयं में हानिकारक पदार्थों को समेटे होते हैं। ये घुलनशील या अघुलनशील पदार्थ जलस्रोतों में मिलकर उसे दूषित या पीने के उपयोग के अयोग्य बना देते हैं। इनमें से कुछ के बारे में हम संक्षिप्त चर्चा करेंगे।  

1. कीटनाशक या जैवनाशक :-

हमारे पारिस्थितिकीय तंत्र में अनेक कीट ऐसे होते है; जो वनस्पतियों या वानस्पतिक उत्पादों पर आश्रित रहते हैं। कीटों के अतिरिक्त फसलों पर पनपने वाले परजीवी बैक्टीरिया या वायरस भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। कीट या अन्य परजीवी जब फसलों पर धावा करते हैं तो देखते ही देखते पूरी फसल को चट कर जाते हैं। इनसे फसलों को बचाने के लिये आवश्यकतानुरूप कीटनाशकों का छिड़काव फसलों पर किया जाता है। कीटनाशकों के रूप में उपयोग में आने वाले ज्यादातर रसायन जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं। अधिकांश ऐसे यौगिक कार्बनिक पदार्थ कैंसरकारक होते हैं। इन रसायनों का छिड़काव करने पर ये पौधों की सतह पर अधिशोषित हो जाते हैं। वर्षा के दिनों में जब पौधों पर पानी पड़ता है तो ये रसायन पानी में घुलित रूप में आ जाते हैं, या पानी के साथ कोलायडल विलयन बना लेते हैं। दोनों ही अवस्था में ये पानी के स्रोत में निकलकर ये उसे दूषित कर हानिकारक बना देते हैं। इसी प्रकार जल का भण्डारण आदि करते समय भी खाद्य सामग्री पर जैव विनाशक का उपयोग किया जाता है। ये जैव विनाशक भी जलस्रोतों को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।ज्यादातर पेस्टीसाइड या बायोसाइड्स क्लोरीनेटेड हाइड्रोकार्बन होते हैं। ये पेस्टीसाइड नॉन बायोडिग्रेडेबल या जैविक रूप से नष्ट न होने वाले रसायन होते हैं। इसीलिये इनके अत्यधिक दुष्प्रभाव जलस्रोतों और जलीय जीवन पर पड़ते हैं।

2. मल-जल अपवहन :-

देश की बढ़ती आबादी के साथ आवासीय कॉलोनियों का विस्तार भी हुआ है। इसी अनुपात में सीवेज अपशिष्ट की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी हुई है। आज भी हमारे देश में मल-जल के उपचार संतोषजनक व्यवस्था नहीं है। परिणाम-स्वरूप बड़ी मात्रा में ये दूषित जल सीधे ही नदियों में जा मिलता है। घरेलू दूषित जल में बड़ी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जो नदियों के जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर जलीय जीवों के लिये जीवन संकट खड़ा कर देते हैं।इसके अतिरिक्त ये रोगों के कारक भी होते हैं। अनेक संक्रामक रोग इनके कारण फैलते हैं।

3. औद्योगिक दूषित जल :-

विभिन्न उद्योगों से अलग-अलग प्रकृति का दूषित जल उत्पन्न होता है। ये प्राकृतिक जलस्रोतों पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। खाद्य उत्पाद आधारित उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अत्यधिक होती है, जिससे जलस्रोतों में घुलित ऑक्सीजन की सांद्रता को ये काफी कम कर देते हैं। इसी प्रकार डिस्टलरीज, पेपर मिल आदि से उत्पन्न दूषित जल भी इसी प्रकार का प्रभाव डालते हैं। रसायन उद्योगों, अभिरंजक तथा औषध निर्माण कारखानों से निकलने वाले दूषित जल की प्रकृति अत्यंत जटिल होती है और ये जलस्रोतों को अनेक प्रकार से दुष्प्रभावित करते हैं। अनेक औद्योगिक निस्रावों में भारी धातुओं की मात्रा अत्यधिक होती है। ये धातुएँ जलीय जीवों और वनस्पतियों पर विपरीत प्रभाव डालती हैं। मानव जीवन पर भी इसका अनेक प्रकार से दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे दूषित जल का उपयोग करने पर तो ये उन्हें सीधे प्रभावित करती ही हैं, साथ ही भारी धातु युक्त वनस्पतियों या इनसे प्रभावित मछलियों आदि के सेवन से भी ये धातुएँ मनुष्य के शरीर में पहुँच जाती हैं। इन भारी धातुओं के दीर्घगामी प्रभाव मनुष्य के शरीर में पड़ते हैं।

4. औद्योगिक एवं घरेलू ठोस अपशिष्ट एवं इनके अपहवन से :-

औद्योगिक या घरेलू ठोस अपशिष्ट को सीधे ही जलस्रोतों में विसर्जित किए जाने से तथा इसके अतिरिक्त इनके लिये बनाये गये निपटान स्थल से बहकर आने वाले जल (रन ऑफ वाटर) या इनसे उत्पन्न लीचेट के सीधे या वर्षाजल के साथ मिलकर जलस्रोतों में मिलने से भी जलस्रोतों का जल प्रदूषित होता है।

5. कृषि अपशिष्टों से :-

कृषि कार्य में सिंचाई हेतु बड़ी मात्रा में जल का उपयोग होता है। कृषि में उपयोग होने वाले पानी के उस भाग को छोड़कर जो कि वाष्पित हो जाता है या भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, शेष बहकर पुनः जल धाराओं में मिल जाता है। इस तरह यह जल खेतों में डाली गई प्राकृतिक या रासायनिक खाद सहित कीटनाशकों, कार्बनिक पदार्थों, मृदा एवं इसके अवशेषों आदि को बहाकर जलस्रोतों में मिला देता है।

6. विकिरणयुक्त रसायनों से :-

जल प्रदूषण

7. तेल अपशिष्ट एवं पेट्रोलियम पदार्थों से :-

सामुद्रिक गतिविधियों में समुद्री जहाजों से रिसाव, तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों के दोहन आदि के दौरान बड़ी मात्रा में समुद्री जल में तेल एवं पेट्रोलियम पदार्थों के अपशिष्ट मिलकर जलस्रोतों को प्रभावित करते हैं।

8. तापीय प्रदूषण :-

ताप विद्युत संयंत्रों से रासायनिक उद्योग एवं अन्य अनेक उद्योगों में जल का उपयोग शीतलन में किया जाता है। बहुधा प्रक्रिया के दौरान भी उच्च ताप युक्त दूषित जल उत्पन्न होता है। इस प्रकार के जल सामान्य जलस्रोतों में मिलकर उसका तापमान सामान्य से कई गुना बढ़ा देते हैं। फलस्वरूप जलीय जीवन एवं पारिस्थितिकीय तंत्र पर विपरीत असर पड़ता है।

9. प्लास्टिक एवं पॉलीथीन बैग्स से प्रदूषण :-

सामान्यतः प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता। इसके कुछ उत्पाद जैसे पॉलीस्टाईरीन आदि का विखंडन हो जाता है, लेकिन विखण्डन के उपरान्त ये निम्न किन्तु हानिकारक उत्पादों में बदल जाते हैं। पॉलीथीन के बैग्स भी जैविक रूप से नष्ट नहीं होते। जलस्रोतों में इन्हें डाले जाने पर इनमें जलीय जन्तुओं के फँसने से वे मर जाते हैं। इसी प्रकार जलीय वनस्पति भी इनमें फँसकर सड़ती हैं और पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

जल प्रदूषण के प्रभाव

जल को अमृत कहा गया है। जल के बिना हम सृष्टि की कल्पना नहीं कर सकते। जीवन के लिये वायु के बाद सबसे प्रमुख अवयव जल ही है। यही जल जो जीवन का अनिवार्य अंग है, जब इसमें हानिकारक, अवांछनीय या विषैले पदार्थ मिल जाते हैं तो ये विष बन जाता है। हमारे देश में नदियों का दैनिक जीवन के साथ ही औद्योगिक दृष्टि से तो विशेष महत्त्व रहा ही है, ये सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती रही हैं। इन्हें मातृ-शक्ति का दर्जा देकर पूजा जाता है। पाँच जीवन दायिनी नदियों ने पंजाब की उपजाऊ भूमि को हरी-भरी फसलों की सौगात देकर वहाँ के किसानों की झोली भर दी। आज भी हम जलस्रोतों के रूप में इन नदियों पर ही सर्वाधिक निर्भर रहते हैं। नदियों के किनारे स्थित भूमि कृषि-कार्य हेतु सर्वथा उपयुक्त होती है। न सिर्फ सिंचाई वरन पेयजल की आपूर्ति के लिये भी हम नदियों पर ही निर्भर करते हैं। नदियों पर एनीकट्स बनाकर पानी को रोका जाना और शहर की पेयजल एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये नदियों के जल का उपयोग आम बात है। विभिन्न औद्योगिक एवं मानवीय कारणों से नदियों के जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। हमारे देश की विशाल एवं पवित्र गंगा, यमुना एवं नर्मदा जैसी नदियाँ भी जल प्रदूषण से अछूती नहीं हैं। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव सीधे-सीधे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ये प्रभाव अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो सकते हैं। कई बार जल प्रदूषण से स्वास्थ्य पर शनैः शनैः प्रभाव पड़ता है और काफी समय बीत जाने पर ज्ञात होता है कि स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव दूषित जल के कारण पड़ रहा है। लेकिन कई बार दूषित जल का उपयोग जानलेवा भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त दूषित जल के सम्पर्क में पेयजल के आने से अनेक ऐसे रोग हो जाते हैं; जिनसे जीवन पर संकट आ जाता है। दूषित जल के दुष्प्रभावों पर चर्चा करने से पहले सन 1953 में जापान के मिनिमाता शहर में घटित घटना पर चर्चा करना उचित होगा। सन 1953 में जापान में मिनिमाता शहर में स्थित विनाइल क्लोराइड बनाने वाले एक रसायन उद्योग जिसमें निर्माण प्रक्रिया के रूप में मरक्यूरिक क्लोराइड एक उत्प्रेरक की तरह उपयोग में आता था, औद्योगिक निस्राव के साथ बड़ी मात्रा में निस्सारित किया गया। एक बड़ी झील में यह निस्राव एकत्र हुआ और मरकरी वहाँ पाई जाने वाली मछलियों के शरीर में पहुँच गई। इन दूषित मछलियों को खाने के कारण लगभग 43 लोग मृत्यु के शिकार हो गए। जाँच एवं परीक्षण से ज्ञात हुआ कि इन सभी के द्वारा यहाँ पाई जाने वाली मछलियों का सेवन किया गया था, जो स्वयं मरकरी को ग्रहण कर चुकी थीं। इस दुर्घटना ने दुनिया भर का ध्यान जल प्रदूषण के ऐसे दुष्प्रभावों की ओर खींचा जिनसे सीधे जल से नहीं वरन जलीय जीवों द्वारा प्रदूषित पानी के माध्यम से हानिकारक पदार्थों को ग्रहण करने और फिर इन्हें खाने पर इनसे होने वाले खतरनाक परिणामों की सम्भावना परिलक्षित होती है। जापान के शहर मिनिमाता में होने वाली इस दुर्घटना के कारण मरकरी विषाक्तता के इस रोग को मिनिमाता-डिसीज के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में केरल स्थित चालियार नदी में स्वर्ण निष्कर्षण एवं रेयान निर्माण इकाइयों से निकलने वाले मरकरीयुक्त दूषित जल के मिलने से चालियार नदी का जल प्रदूषित होने की घटना प्रकाश में आ चुकी है। पारे या मरकरी के साथ ही अनेक भारी एवं विषैली धातुएँ अनेक औद्योगिक प्रक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले दूषित जल में पाई जाती हैं, जिनका हानिकारक दुष्प्रभाव देखने में आता है। यहाँ हम विभिन्न प्रदूषणकारी कारकों एवं उनके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

1. दूषित जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का प्रभाव :-

मल-जल या इसी प्रकार के दूषित जल जिसमें कार्बनिक पदार्थ बड़ी मात्रा में उपस्थित होते हैं, स्वच्छ जलस्रोतों में मिलकर उनका बी.ओ.डी. भार बढ़ा देते हैं। अर्थात कार्बनिक पदार्थों जोकि जैविक रूप से विनष्ट होते हैं, के जलस्रोतों से मिलने से सूक्ष्म जीवाणु की क्रियाशीलता से जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया के पेयजल में वृद्धि करने से डायरिया, हेपेटाइटिस, पीलिया आदि रोगों सहित अनेक चर्म रोगों के होने का खतरा भी बन जाता है। हमारे देश में प्रतिवर्ष पेयजल के प्रदूषित होने से होने वाली इन बीमारियों के कारण अनेक मौतें होती हैं। विशेष कर वर्षाऋतु के समय जबकि रोगाणुओं के पनपने के लिये अनुकूल दशाएँ मिलती हैं। पेयजल से होने वाली बीमारियों का परिमाण भी बढ़ जाता है।स्वच्छ जल में फास्फेट एवं नाइट्रेट युक्त कार्बनिक यौगिकों के मिलने से जल में पोषक तत्वों की वृद्धि के कारण इनमें पाए जाने वाले शैवालों एवं अन्य जलीय पादपों की संख्या में तेजी से एवं अप्रत्याशित वृद्धि होती है। इस घटना को स्वपोषण या ‘यूट्रोफिकेशन’ कहा जाता है। ‘यूट्रोफिकेशन’ शब्द का जन्म ग्रीक शब्द यूट्रोफस से हुआ है। यूट्रोफिक शब्द का अर्थ है पोषित करने वाला। किसी जलस्रोत जैसे तालाब, झील आदि में कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रेट एवं फास्फेट, के मिलने से उनमें इन पोषक तत्वों की सांद्रता बढ़ने के कारण जलीय वनस्पतियों की वृद्धि दर का बढ़ना ही, वास्तव में यूट्रोफिकेशन या स्वपोषण है। यद्यपि यूट्रोफिकेशन या स्वपोषण की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से भी होती है, जब वर्षा के जल के साथ विभिन्न कार्बनिक पदार्थ बहकर किसी जलस्रोत में मिलते हैं। लेकिन ऐसी प्राकृतिक स्वपोषण की घटना में अनेक वर्ष लग जाते हैं। लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण तीव्र स्वपोषण की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। इसी आधार पर इसे दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है। (अ) प्राकृतिक स्वपोषण (ब) उत्प्रेरित स्वपोषण

(अ) प्राकृतिक स्वपोषण :-

सामान्यतया किसी भी झील या तालाब में पोषक तत्वों की संख्या सीमित होती है जो उनके निर्माण, उस स्थान की मिट्टी, पानी की गुणवत्ता उसमें उपस्थित अपशिष्ट आदि पर निर्भर करती है। इस स्रोत के पारिस्थितिकीय तंत्र और जीवन चक्र पर इसमें उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा निर्भर करती है और इसी के द्वारा नियंत्रित होती है। उदाहरणार्थ झील में पाए जाने वाले शैवाल धीरे-धीरे झील में उपस्थित पोषक तत्वों से पोषित होते हैं और उसका उपयोग कर लेते हैं। इसी तरह जब शैवाल सड़कर नष्ट हो जाते हैं तो ये पोषक तत्व झील में पुनः उपलब्ध हो जाते हैं, ताकि अन्य शैवाल या जलीय वनस्पतियों के द्वारा इनका उपयोग किया जा सके। ये चक्र इसी प्रकार चलता रहता है और व्यवस्थित एवं संतुलित रहता है जब तक कि इस झील में किसी बाह्य स्रोत के द्वारा पोषक तत्वों का प्रवेश न हो।

(ब) उत्प्रेरित स्वपोषण :-

बाह्य माध्यम से इन पोषक तत्वों के जलस्रोत में प्रवेश के साथ ही उत्प्रेरित यूट्रोफिकेशन या स्वपोषण की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। इस यूट्रोफिकेशन की प्रक्रिया के आरम्भ होने से स्वाभाविक रूप से जलस्रोत में पाए जाने वाली जलीय वनस्पति की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है और इसी प्रकार इनका विघटन या अपघटन भी काफी तीव्र गति से होने लगता है। लेकिन पोषक तत्वों का जलीय स्रोत में प्रवेश और उनका उपयोग होने के बाद जलीय वनस्पतियों का विष्टीकरण का चक्र जो पूर्व में सन्तुलित था अब वह सन्तुलन छिन्न-भिन्न हो जाता है, क्योंकि पोषक तत्वों का प्रवेश शैवाल आदि वनस्पतियों की वृद्धि को बढ़ा देता है। इनके नष्ट होने पर इनमें जमा पोषक तत्व पुनः उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रकार जलस्रोत में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती जाती है। कार्बनिक पदार्थों की क्रमशः बढ़ती मात्रा धीरे-धीरे जलस्रोतों के तल पर एकत्र होने लगती है और इसी के कारण तलहटी पर जमा अपशिष्टों की मात्रा भी बढ़ने लगती है। जिससे धीरे-धीरे स्वैम्प, बैग्स, मार्श गैसें आदि का निर्माण होता है और अन्ततः जलस्रोत में उपस्थित पानी सड़ने लगता है। जलस्रोत में पोषक तत्व या कार्बनिक पदार्थों के स्रोत भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं।

1. घरेलू दूषित जल या मल-जल अपशिष्ट :-

तालाबों, झीलों आदि जलस्रोतों में स्वपोषण को बढ़ावा देने के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार इसे ही माना जा सकता है।

2. शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों से बहकर आया जल :-

विभिन्न स्थानों से बहकर आए जल में बड़ी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होते हैं। इनमें मृदा के साथ ही भूमिगत पड़े पत्तों की गाद, बगीचों, खेतों आदि में डाले गए उर्वरक, गोबर एवं अन्य जानवरों के अपशिष्ट आदि बहकर आते हैं।इसके अतिरिक्त वर्षा के जल के साथ वातावरण में उपस्थित नाइट्रेट, अमोनिया आदि भी बहकर जलस्रोतों में मिल जाते हैं।

3. औद्योगिक अपशिष्ट :-

कृषि एवं कृषि उत्पाद आधारित उद्योगों से बड़ी मात्रा में कार्बनिक पदार्थयुक्त दूषित जल उत्पन्न होता है, जिसे डिस्टलरीज, शक्कर कारखाने, राइस एवं पोहा मिलें, फूड प्रोसेसिंग या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ आदि। इनके दूषित जल में काफी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होते हैं। जिनमें फास्फेट एवं नाइट्रेट आदि बड़ी मात्रा में उपस्थित होते हैं।इन उद्योगों से उत्पन्न दूषित जल के जलस्रोतों में मिलने से भी ये स्व-पोषण की प्रक्रिया को बढ़ा देते हैं। अतः कहना न होगा कि विभिन्न गतिविधियों के कारण यूट्रोफिकेशन की दर का बढ़ना उत्प्रेरित यूट्रोफिकेशन कहलाता है। ऐसा होने पर झील या तालाब में जलीय वनस्पतियों की वृद्धि दर अचानक बढ़ जाती है। यूट्रोफिकेशन जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुण-धर्मों पर प्रभाव डालता है। जलस्रोत में वनस्पतियों की तीव्र वृद्धि दर जलस्रोत के सामान्य संतुलन की स्थिति को भंग कर देती है। एक ओर तो जलस्रोत में शैवालीय वृद्धि मछलियों के उत्पादन को बढ़ाती है तो कभी-कभी कुछ शैवालों से स्रावित होने वाले या उनके द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले हानिकारक रसायनों या स्रावों से मछलियाँ और जलीय जीव मारे भी जाते हैं। यूट्रोफिकेशन के फलस्वरूप अनियंत्रित रूप से जलीय वनस्पतियों की वृद्धि से झील का पानी गन्दा होने लगता है। जिससे उसका स्वरूप बिगड़ता जाता है और वो सौंदर्य की दृष्टि, पर्यटन अथवा नौकायन आदि के अयोग्य हो जाती है। वनस्पतियों के सड़ने के कारण पानी से दुर्गन्ध आने लगती है। प्रदूषण का स्तर बढ़ जाने से जल की गुणवत्ता खराब होने के साथ-साथ वह जलीय जीव-जन्तुओं के जीवन के लिये भी खतरनाक हो जाती है। धीरे-धीरे ताजे पानी की एक झील प्रदूषित और गन्दी झील में बदल जाती है। इस प्रकार अति अनियंत्रित एवं अनियमित यूट्रोफिकेशन या स्वपोषण जलस्रोत पर अपना विपरीत असर डालते हैं। इन दुष्प्रभावों से झील को बचाने के लिये यूट्रोफिकेशन की प्रक्रिया को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। इस हेतु कार्बनिक पदार्थयुक्त जल को झीलों में मिलने से रोकना, उनमें स्वच्छ एवं ताजे जल का प्रवाह, पोषक तत्वों एवं इनके जमाव को झील से हटाना, पोषक तत्वों से परिपूर्ण जल का अन्यत्र उपयोग कर कम पोषक तत्व युक्त पानी का मिलाना आदि शामिल हैं। इस प्रकार यूट्रोफिकेशन या स्वपोषण की दर को कम किया जा सकता है।

2. दूषित जल में उपस्थित भारी धातुओं का प्रभाव :-

विभिन्न धातु प्रसंस्करण इकाइयों, पेपर मिल, क्लोर-अल्कली इकाइयाँ, गैल्वेनाइजिंग या इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयाँ, धातु निष्कर्षण इकाइयाँ, बर्तन बनाने, बैटरी निर्माण या पुनर्चक्रण, रसायन उद्योग आदि अनेक औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित जल के साथ बड़ी मात्रा में धातुओं का उनके घुलनशील, अर्ध घुलनशील अघुलनशील रासायनिक यौगिकों या मिश्रण के रूप में निस्सारण होता है। निस्सारित जल के नालों के माध्यम से नदी-नालियों में मिलने से ये अशुद्धियाँ नदी जल में पहुँच जाती हैं। जहाँ से ये भोजन श्रृंखला के माध्यम से या सीधे ही पेयजल के माध्यम से हमारे शरीर में पहुँच जाती है। हमारे शरीर में पहुँच कर ये हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों पर विपरीत असर डालती हैं। कभी-कभी ये शरीर में एकत्र होकर धीरे-धीरे भी अपना प्रभाव दिखाती रहती हैं। औद्योगिक अपशिष्टों से लीचेट के रूप में भारी धातुएँ उत्पन्न होती हैं, ये वर्षा के जल के साथ निकलकर जलस्रोतों को प्रदूषित करती हैं वहीं इनका अधिकतर दुष्प्रभाव भूमिगत जलस्रोतों पर देखा जाता है। प्राकृतिक या विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण जलस्रोतों में भारी धातुओं के मिलने से जल पीने योग्य नहीं रह जाता। विभिन्न धातुओं के मानवीय स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निम्नानुसार हैं :-

1. मरकरी या पारा :-

मरकरी या पारा एक अत्यंत विषैली धातु है, जिसका प्रभाव घातक एवं जानलेवा होता है। कार्बनिक एवं अकार्बनिक दोनों ही रूपों में मरकरी के यौगिक अत्यंत विषैले होते हैं। मरकरी, मिथाइल-मरकरी के रूप में खाद्य श्रृंखला में सर्वाधिक स्थाई रूप से रहने वाला प्रदूषणकारी तत्व है। मरकरी विषाक्तता के कारण जापान में एक ही साथ अनेक लोगों के मृत्यु के शिकार होने की घटना से हम परिचित हैं। देश के केरल प्रांत की चेलियार नदी में स्वर्ण निष्कर्षण एवं रेयान निर्माण इकाइयों से निकलने वाले मरकरीयुक्त दूषित जल के चेलियार नदी में मिलने से चेलियार नदी के पानी के वृहद पैमाने पर दूषित होने के सम्बन्ध में भी चर्चा की जा चुकी है। पेयजल में मरकरी की उपस्थिति मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचाती है।

2. कैडमियम :-

धातु निष्कर्षण इकाइयों जैसे जिंक निष्कर्षण इकाइयाँ, लेड-कैडमियम बैटरी उत्पादक या पुनर्चक्रण इकाइयों आदि से कैडमियम बड़ी मात्रा में प्रदूषक के रूप में उत्पन्न होता है। कैडमियम की पेयजल में उपस्थिति से उल्टी, दस्त एवं हृदय रोग हो सकते हैं।

3. क्रोमियम :-

क्रोमियमयुक्त विभिन्न रासायनिक यौगिकों जैसे पोटैशियम बाइक्रोमेट, पोटैशियम क्रोमेट आदि निर्माण इकाइयों से निकलने वाले दूषित जल तथा इसकी निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले लीचेट, इन इकाइयों से बड़ी मात्रा में उत्पन्न होने वाले ठोस अपशिष्ट में क्रोमियम काफी मात्रा में उपस्थित होता है। ये अपने हैक्सावैलेंट रूप में जल में घुलनशील होते हैं फलस्वरूप इस अवस्था में ये अपने दुष्प्रभाव दिखाते हैं। पानी में घुलनशील अवस्थाओं में ये पीला रंग उत्पन्न करते हैं। क्रोमियम के लवण कैंसर कारक होते हैं।

4. आर्सेनिक :-

आर्सेनिक ट्रायवैलेंट अवस्था में घुलनशील रहकर अपनी विषाक्तता प्रदर्शित करता है। प्राकृतिक भूगर्भीय संरचनाओं से भूमिगत जल के आर्सेनिक से प्रदूषित होने की अनेक स्थानों में पाई गई है। अनेक औद्योगिक इकाइयों जहाँ दूषित जल के साथ आर्सेनिक मिला होता है, उनसे भी आर्सेनिक विषाक्तता होती है।

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर सहित देश के अनेक स्थानों में भूमिगत जलस्रोतों में लेड की विषाक्तता पाई गई है। शरीर में लेड के प्रवेश करने पर ये लम्बे समय तक पाचन तंत्र में बना रहता है। एवं अनेक स्वास्थ्यगत परेशानियों को जन्म देता है।

3. दूषित जल में उपस्थित पेस्टीसाईड्स का प्रभाव :-

बाग-बगीचों, खेतों आदि से बहकर आए रासायनिक कीटनाशक एवं उर्वरक जलस्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देते हैं। ज्यादातर कीटनाशक जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो वस्तुतः कैंसर कारक होते हैं। जलस्रोतों में रासायनिक कीटनाशकयुक्त दूषित जल के मिलने से जल की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है साथ ही ये जलीय जीवों पर भी अपना हानिकारक प्रभाव डालते हैं। दूषित जल का उपयोग करने पर ये मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचाते हैं। इनकी अत्यधिक मात्रा में उपस्थिति अनेक रोगों को जन्म देती है। वर्षाजल के बहाव के साथ आने वाले पानी में उर्वरक की उपस्थिति से स्वास्थ्य सम्बन्धी दुष्प्रभाव के अतिरिक्त उत्प्रेरित यूट्रोफिकेशन की स्थिति निर्मित होती है। जिसके सम्बन्ध में पूर्व में विस्तृत चर्चा की जा चुकी है।

4. औद्योगिक दूषित जल की अम्लीयता या क्षारीयता का कृषि भूमि पर दुष्प्रभाव :-

अनेक धात्विक इकाइयों जैसे गैल्वेनाइजिंग इकाइयाँ, एसिड प्लान्ट, फर्टिलाइजर प्लान्ट आदि से निकलने वाले दूषित जल की प्रकृति अम्लीय होती है। ये अम्लीय जल जब भूमि के सम्पर्क में आता है तो उसमें उपस्थित पोषक तत्व में अम्ल या अम्लीय जल में घुल जाते हैं और आवश्यक तत्वों को स्वयं में घोलकर भूमि को अनुपजाऊ या बंजर बना देते हैं। मृदा की सामान्य प्रकृति क्षारीय होती है। अत्यधिक अम्लीय दूषित जल के सम्पर्क में आने से मृदा की क्षारीयता कम हो जाती है। इसी प्रकार अनेक उद्योगों से निकलने वाला दूषित जल अत्यधिक क्षारीय प्रकृति का होता है, जैसे साबुन, कास्टिक सोडा।

जल प्रदूषण की समस्या हेतु निदान

जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत औद्योगिक निस्राव एवं घरेलू स्रोतों से निस्सारित दूषित जल हैं।विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों से बड़ी मात्रा में दूषित जल उत्पन्न होता है। इस दूषित जल में उपस्थित प्रदूषकों की प्रकृति और मात्रा औद्योगिक उत्पादन के अनुसार होती है। कुछ उद्योगों से उत्पन्न होने वाला दूषित जल अत्यंत प्रदूषणकारी प्रकृति का गन्दा या विषैली प्रकृति का होता है। जबकि कुछ उद्योगों का दूषित जल अधिक प्रदूषित नहीं होता। इसके अतिरिक्त शीतलन, बायलर ब्लोडाउन आदि से निकलने वाला जल अधिकतर सामान्य होता है। जिसे या तो किसी अन्य कार्य में लिया जा सकता है या पुनर्चक्रित किया जा सकता है। जल प्रदूषण की स्थिति से बचने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय यही है कि स्वच्छ जलस्रोतों में प्रदूषित जल को मिलने से रोका जाए। इस हेतु प्रत्येक स्रोत से निकलने वाले दूषित जल के समुचित उपचार के उपरान्त उसे किसी अन्य उपयोग में लाना अथवा प्रक्रिया में पुनर्चक्रित करना उचित होगा। निर्धारित मानदंडों के अनुरूप उपचारोपरान्त उपचारित जल को यदि आवश्यक हो तभी जलस्रोत में प्रवाहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त जलस्रोतों में होने वाली प्रदूषणकारी गतिविधियों जैसे नदियों/तालाबों पर शौच आदि क्रियाकलाप; घरेलू कचरा, मूर्तियाँ या पूजन सामग्री का विसर्जन, शवों को नदियों में बहाना आदि पर अंकुश लगाना चाहिए।नदियों में बहकर आने वाली गाद, वर्षा के सामान्य बहाव के द्वारा बाग-बगीचों खेतों में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक फर्टिलाइजर एवं पेस्टीसाइड के बहकर आने से रोकने के उपायों पर भी विचार किया जाना चाहिए। वर्तमान में वर्षा की अनियमित स्थिति, कम वर्षा आदि को देखते हुए उद्योगों को अपनी जल खपत पर नियंत्रण कर उत्पन्न दूषित जल का समुचित उपचार कर इसके सम्पूर्ण पुनर्चक्रण हेतु प्रक्रिया विकसित करनी चाहिए। ताकि जलस्रोतों के अत्यधिक दोहन की स्थिति से बचा जा सके। इस हेतु उद्योगों को दूषित जल उपचार हेतु आधुनिकतम उपचार प्रक्रिया/संयंत्रों को प्रभावकारी ढंग से अपनाना चाहिए तथा यथा सम्भव शून्य निस्राव की स्थिति बनाना चाहिए। इस प्रकार घरेलू दूषित जल को उपचारित कर औद्योगिक उपयोग, वृक्षारोपण, सड़कों, उद्योगों में जल छिड़काव आदि में उपयोग किया जा सकता है। प्राकृतिक जलस्रोतों विशेषकर नदियों को जल प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इनमें दूषित जल के निस्सारण को रोका जाए।

जल-प्रदूषण के स्रोत

जल-प्रदूषण के स्रोत

पानी की शुद्धता इसकी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक अवस्थाओं पर निर्भर करती है। जल प्रदूषण को इसकी सख्तता, अम्लीयता, क्षारीयता, पी0एच0, रंग, स्वाद, अपारदर्शिता, गंध, आक्सीजन मॉंग (रासायनिक एवं जैविक), रेडियो धर्मिता, घनत्व, तापमान आदि गुणों से पहचाना जा सकता है।

प्रदूषण के प्राथमिक अवयव

धनायन- जैसे कैल्सिमय, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीज आदि। ऋणायन- जैसे क्लोराइड, सल्फेट, कार्बोनेट, बाई-कार्बोनेट, हाइड्राक्साइड, नाइट्रेट आदि। आयन रहित- आक्साइड, तेल, फिनोल, वसा, ग्रीस, मोम, घुलनशील गैसे (आक्सीजन, कार्बनडाई आक्साइड, नाईट्रोजन) आदि। सतही-जल की अपेक्षा भूजल अधिक शुद्ध होता है। क्षारीयता (कार्बोनेट, हाइड्राक्साइड), कैल्सिमय, तथा मैग्नीशियम के कारण भूजल में घुलनशील ठोस द्वारा जल की सख्तता बनी रहती है।

जल-प्रदूषण के कारक

समीपवर्ती क्षेत्रों से सिल्ट व सेडिमैंट का बहाव मानव एवं पशुओं द्वारा सीवेज व गंदगी का बहाव शहर की गंदगी, उद्योग-गंदगी एवं कृषि-गंदगी आदि द्वारा अधिकतम नदियों एवं झीलों का प्रदूषण होता है।

जल-प्रदूषण द्वारा उत्पन्न कठिनाइयॉं

घुलनशील आक्सीजन के स्तर में कमी, जिसके कारण जलीय-जीवन (मछली आदि) पर विपरीत असर पड़ता है। नैनीताल झील में घुलनशील आक्सीजन का स्तर 2.5 मिलि ग्राम प्रति लीटर के खतरनाक स्तर तक गिर चुका है। नाइट्रेट स्तर के 350 मि0ग्रा0/ली0 होने पर आरम्भिक यूट्रोफिकेशन स्थिति पैदा हो जाती है। नैनीताल झील में नाइट्रेट स्तर 250 मि0ग्रा0/ली0 होने से अग्रिम-यूट्रोफिकेशन की स्थिति आ चुकी है। झील की तली में विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं। कार्बनिक पदार्थ के कारण पेयजल की गुणवत्ता कम हो जाती है तथा विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं के कारण मानव व पशुओं में जलीय-बीमारियॉं लग जाती है। मिट्टी के सूक्ष्म कणों (सिल्ट, क्ले) तथा अन्य कणों के निलम्बन द्वारा सूर्य की रोशनी पूर्णतः जल में प्रवेश नहीं करती, जिसके कारण जल में पौधों द्वारा खाना बनाने का कार्य (फोटोसिंथेसिस) कम हो जाता है। जल-प्रदूषण के स्रोत बिन्दु स्रोत - जिनका मुख्य स्रोत निश्चित होता है, जैसे अस्पताल, प्रयोगशालाएँ, बाजार, शहरी-गंदगी, होटल, छात्रावास आदि। अ-बिन्दु स्रोत - जिनका मुख्य स्रोत निश्चित नहीं होता है, जैसे कृष्यभूमि से भूक्षरण, पर्वतीय-भूक्षरण, मृत-पशु, खाद, दवाएँ, कीटनाशक आदि।

water pollution essay in hindi

दा इंडियन वायर

जल प्रदूषण पर निबंध

water pollution essay in hindi

By विकास सिंह

essay on water pollution in hindi

जल प्रदूषण का मतलब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जल निकायों (समुद्र, झीलों, नदियों, महासागरों, भूजल, आदि) में प्रदूषण या प्रदूषकों के मिश्रण से है जो पर्यावरण क्षरण का कारण बनता है और पूरे जीवमंडल (मानव, पशु, पौधे और जीव) को प्रभावित करता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, short essay on water pollution in hindi (100 शब्द)

जल प्रदूषण पृथ्वी पर लगातार बढ़ती समस्या बन गया है जो सभी पहलुओं में मानव और पशु जीवन को प्रभावित कर रहा है। जल प्रदूषण मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों द्वारा पीने के पानी का संदूषण है। पूरा पानी कई स्रोतों जैसे शहरी अपवाह, कृषि, औद्योगिक, तलछटी, लैंडफिल से लीचिंग, पशु अपशिष्ट, और अन्य मानवीय गतिविधियों के माध्यम से प्रदूषित हो रहा है।

सभी प्रदूषक पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। मानव आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इस प्रकार उनकी ज़रूरतें और प्रतिस्पर्धा प्रदूषण को शीर्ष स्तर पर ले जा रहे हैं। हमें पृथ्वी के पानी को बचाने के लिए अपनी आदतों में कुछ कठोर बदलावों के साथ-साथ यहाँ जीवन की संभावना को जारी रखने की आवश्यकता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (150 शब्द)

जल प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सबसे खराब रूप है जो जीवन को खतरे में डाल रहा है। जिस पानी को हम रोजाना पीते हैं वह बहुत साफ दिखता है, लेकिन इसमें मौजूद सूक्ष्म प्रदूषकों की स्थिति होती है। हमारी पृथ्वी पानी (लगभग 70%) से आच्छादित है, इसलिए इसमें थोड़ा सा परिवर्तन दुनिया भर के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के उच्च उपयोग के कारण कृषि प्रदूषण का उच्चतम स्तर कृषि क्षेत्र से आता है। हमें कृषि में हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले रसायनों के प्रकार में व्यापक सुधार लाने की आवश्यकता है। तेल पानी को प्रदूषित करने वाला एक और बड़ा प्रदूषक है।

भूमि या नदियों से रिसता हुआ तेल, जहाजों के जरिए तेल परिवहन, जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने, आदि समुद्र या समुद्र में प्रवाहित होते हैं और पूरे पानी को प्रभावित करते हैं। अन्य हाइड्रोकार्बन कण बारिश के पानी के माध्यम से हवा से समुद्र या समुद्र के पानी में बस जाते हैं। लैंडफिल, पुरानी खदानों, डंपों, सीवेज, औद्योगिक कचरे और खेतों के रिसाव के माध्यम से अन्य जहरीले कचरे को पानी में मिलाया जाता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, 200 शब्द:

पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन ताजा पेयजल का स्तर कम होता जा रहा है। पृथ्वी पर पीने के पानी की सीमित उपलब्धता है, लेकिन वह भी मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषित हो रहा है। ताजा पेयजल के अभाव में पृथ्वी पर जीवन की संभावना का अनुमान लगाना कठिन है। जल प्रदूषण, पानी की गुणवत्ता और उपयोगिता को कम करने वाले पानी में कार्बनिक, अकार्बनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल के माध्यम से विदेशी पदार्थों का मिश्रण है।

हानिकारक प्रदूषकों में हानिकारक रसायन, घुलने वाली गैसें, निलंबित पदार्थ, घुलित खनिज और सूक्ष्म जीवाणु सहित विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ हो सकती हैं। सभी दूषित पदार्थ पानी में घुलित ऑक्सीजन के स्तर को कम करते हैं और जानवरों और मनुष्यों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। घुलित ऑक्सीजन पौधों और जानवरों के जीवन को जारी रखने के लिए जलीय प्रणाली द्वारा आवश्यक पानी में मौजूद ऑक्सीजन है। हालांकि जैव रासायनिक ऑक्सीजन अपशिष्ट पदार्थों के कार्बनिक पदार्थों को ऑक्सीकरण करने के लिए एरोबिक सूक्ष्म जीवों द्वारा ऑक्सीजन की मांग है।

जल प्रदूषण दो साधनों के कारण होता है, एक है प्राकृतिक जल प्रदूषण (चट्टानों की लीचिंग के कारण, कार्बनिक पदार्थों का क्षय, मृत पदार्थों का क्षय, सिल्टिंग, मिट्टी का कटाव, आदि) और एक अन्य मानव निर्मित जल प्रदूषण है जैसे वनों की कटाई, बड़े जल निकायों के पास उद्योगों की स्थापना, औद्योगिक कचरे का उच्च स्तर का उत्सर्जन, घरेलू सीवेज, सिंथेटिक रसायन, रेडियो-सक्रिय अपशिष्ट, उर्वरक, कीटनाशक, कीटनाशक आदि।

पानी प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (250 शब्द)

ताजा पानी पृथ्वी पर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। कोई भी जीवित वस्तु भोजन के बिना दिनों तक जीवित रह सकती है, हालांकि पानी और ऑक्सीजन के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। लगातार बढ़ती मानव आबादी पीने, धोने, औद्योगिक प्रक्रियाओं को करने, फसलों की सिंचाई, स्विमिंग पूल और अन्य जल-खेल केंद्रों की व्यवस्था करने जैसे उद्देश्यों के लिए अधिक पानी की मांग को बढ़ाती है।

जल प्रदूषण दुनिया भर में विलासिता की जीवन की बढ़ती मांगों और प्रतियोगिताओं के कारण किया जाता है। कई मानवीय गतिविधियों से अपशिष्ट उत्पाद पूरे पानी को खराब कर रहे हैं और पानी में उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर रहे हैं। इस तरह के प्रदूषक पानी की भौतिक, रासायनिक, थर्मल और जैविक विशेषताओं में परिवर्तन कर रहे हैं और पानी के साथ-साथ अंदर के जीवन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, तो हानिकारक रसायन और अन्य प्रदूषक हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और शरीर के सभी अंगों का काम बिगड़ जाता है और हमारे जीवन को खतरे में डाल देता है। इस तरह के हानिकारक रसायन जानवरों और पौधों के जीवन को भी परेशान करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से गंदे पानी को अवशोषित करते हैं, तो वे बढ़ना बंद कर देते हैं और मर जाते हैं।

जहाजों और उद्योगों से तेल छलकने के कारण हजारों समुद्री पक्षी मारे जा रहे हैं। उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के कृषि उपयोग से निकलने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तर का जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषण का प्रभाव पानी के दूषित होने के प्रकार और मात्रा पर अलग-अलग होता है। पीने के पानी के क्षरण को तत्काल आधार निवारण विधि की आवश्यकता है जो पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के अंत से उचित समझ और समर्थन के द्वारा संभव है।

पानी प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (300 शब्द)

water pollution

पृथ्वी पर जीवन की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत पानी है। यह यहां जीवन के किसी भी रूप और उनके अस्तित्व की संभावना को संभव बनाता है। यह जीवमंडल में पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखता है। पीने, स्नान, कपड़े धोने, बिजली उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, विनिर्माण प्रक्रियाओं और कई और अधिक के उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्वच्छ पानी बहुत आवश्यक है।

मानव आबादी बढ़ने से तेजी से औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण होता है जो बहुत सारे अपशिष्टों को छोटे और बड़े जल निकायों में जारी करते हैं जो अंततः पानी की गुणवत्ता को खराब करते हैं। ऐसे प्रदूषकों को जल निकायों में सीधे और लगातार मिलाने से पानी में उपलब्ध ओजोन (जो हानिकारक सूक्ष्मजीवों को मारता है) में गिरावट से पानी की आत्म शुद्ध क्षमता घट जाती है।

पानी का दूषित होना पानी की रासायनिक, भौतिक और जैविक विशेषताओं को खराब करता है, जो पूरी दुनिया में मनुष्य, जानवरों और पौधों के लिए बहुत हानिकारक है। पानी के दूषित होने के कारण अधिकांश महत्वपूर्ण जानवरों और पौधों की प्रजातियां खो गई हैं। यह विकसित और विकासशील दोनों देशों में जीवन को प्रभावित करने वाला एक वैश्विक मुद्दा है। संपूर्ण जल एक बड़े स्तर पर प्रदूषित हो रहा है क्योंकि खनन, कृषि, मत्स्य पालन, स्टॉकब्रेडिंग, विभिन्न उद्योग, शहरी मानवीय गतिविधियां, शहरीकरण, विनिर्माण उद्योगों की बढ़ती संख्या, घरेलू सीवेज, आदि।

जल प्रदूषण के कई स्रोत (बिंदु स्रोत और गैर-स्रोत या विसरित स्रोत) विभिन्न स्रोतों से छुट्टी दे दी गई अपशिष्ट पदार्थों की विशिष्टता पर निर्भर करते हैं। बिंदु स्रोतों में पाइपलाइन, टांके, सीवर, आदि उद्योगों से, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, लैंडफिल, खतरनाक अपशिष्ट स्थल, तेल भंडारण टैंकों से रिसाव शामिल हैं जो अपशिष्ट पदार्थों को सीधे जल निकायों में वितरित करते हैं।

जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत कृषि क्षेत्र, लाइव-स्टॉक फीड लॉट, पार्किंग स्थल और सतही जल में सड़कें, शहरी सड़कों से तूफान अपवाह इत्यादि हैं, जो बड़े क्षेत्रों के जल निकायों पर अपने प्रदूषित प्रदूषकों को डालते हैं। गैर-बिंदु स्रोत प्रदूषण जल प्रदूषण में अत्यधिक योगदान देता है जिसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल और महंगा है।

जल प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi, (400 शब्द)

जल प्रदूषण दुनिया भर में बड़ा पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा है। यह अब महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), नागपुर के अनुसार, यह नोट किया गया है कि लगभग 70 प्रतिशत नदी का पानी काफी हद तक प्रदूषित हो चुका है। भारत की प्रमुख नदी प्रणालियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, प्रायद्वीपीय, और पश्चिमी तट नदी प्रणालियाँ काफी हद तक प्रभावित हुई हैं।

भारत में प्रमुख नदियाँ विशेष रूप से गंगा भारतीय संस्कृति और विरासत से जुड़ी हैं। आमतौर पर लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और गंगा जल का उपयोग किसी भी त्योहार और उपवास के दौरान भगवान और देवी को भेंट के रूप में करते हैं। वे अपनी पूजा पूरी करने के मिथक में गंगा में पूजा समारोह के सभी कचरे का भी निर्वहन करते हैं।

नदियों में कचरे का निर्वहन करने से पानी की स्व-रीसाइक्लिंग क्षमता कम होने से जल प्रदूषण होता है, इसलिए नदी के पानी को स्वच्छ और ताजा रखने के लिए सभी देशों में सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उच्च स्तर के औद्योगिकीकरण वाले अन्य देशों की तुलना में भारत में जल प्रदूषण की स्थिति बहुत खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा अब भारत की सबसे प्रदूषित नदी है जो पहले अपनी आत्म शोधन क्षमता और तेजी से बहने वाली नदी के लचीलेपन के लिए बहुत प्रसिद्ध थी। लगभग 45 टेनरियां और 10 कपड़ा मिलें अपने अपशिष्ट (भारी कार्बनिक भार और विघटित सामग्री युक्त) का निर्वहन सीधे कानपुर के पास नदी में कर रही हैं। अनुमान के मुताबिक, लगभग 1,400 मिलियन लीटर सीवेज और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक अपशिष्टों को गंगा नदी में दैनिक आधार पर लगातार छुट्टी मिल रही है।

जल प्रदूषण पैदा करने वाले अन्य मुख्य उद्योग हैं चीनी मिलें, डिस्टलरी, ग्लिसरीन, टिन, पेंट्स, साबुन कताई, रेयान, रेशम, यार्न आदि, जो जहरीले कचरे का निर्वहन कर रहे हैं। 1984 में, गंगा जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा गंगा एक्शन प्लान शुरू करने के लिए एक केंद्रीय गंगा प्राधिकरण की स्थापना की गई थी। इस योजना के अनुसार हरिद्वार से हुगली तक प्रदूषण फैलाने वाले 27 शहरों में लगभग 120 कारखानों की पहचान की गई थी।

लखनऊ के पास गोमती नदी में लुगदी, कागज, डिस्टिलरी, चीनी, टेनरी, कपड़ा, सीमेंट, भारी रसायन, पेंट और वार्निश आदि के कारखानों से लगभग 19.84 मिलियन गैलन का कचरा प्राप्त हो रहा है। पिछले चार दशकों में हालत और अधिक खराब हो गई है। जल प्रदूषण को रोकने के लिए सभी उद्योगों को मानक मानदंडों का पालन करना चाहिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सख्त कानून लागू किए जाने चाहिए, उचित सीवेज निपटान सुविधाओं की व्यवस्था, सीवेज और जल उपचार संयंत्र की स्थापना, सल्फ प्रकार के शौचालयों की व्यवस्था और अधिक हो सकती है।

जल प्रदूषण पर निबंध, 500 शब्द:

जल प्रदूषण – अर्थ:.

जल प्रदूषण तब होता है जब विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषक उत्पन्न होते हैं, जल निकायों और प्राकृतिक जल संसाधनों में अपना रास्ता बनाते हैं। मानव कूड़े के कारण कारखानों या प्रदूषकों से विषाक्त रासायनिक उपोत्पाद हवा और बारिश से बह जाते हैं और नदियों, नहरों, झीलों, तालाबों आदि को प्रदूषित करते हैं। प्रदूषक तत्व भी मिट्टी द्वारा अवशोषित हो जाते हैं और भूजल संसाधनों को दूषित करते हैं। इस प्रकार प्रदूषित पानी को उपभोग के लिए बेकार और हानिकारक बना दिया जाता है।

दूषित जल के सेवन या अनुप्रयोग से उत्पन्न जलजनित रोग, वैश्विक स्तर पर मौतों और अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख कारण है। यहां तक ​​कि दूषित पानी के अप्रत्यक्ष सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, उन मछलियों को खाना जो दूषित पानी में रह रही हैं, सालों से दिल की बीमारियों, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

जल प्रदूषण के प्रकार:

विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण, उनके स्रोत के आधार पर प्रतिष्ठित, नीचे दिए गए हैं। प्रदूषक के अंतर के कारण जल प्रदूषण पर प्रत्येक प्रकार के जल प्रदूषण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण और उनके प्रभावों के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

1) भूतल जल प्रदूषण

सतही जल पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी है, जैसे कि नदियाँ, झीलें, वसंत आदि। पृथ्वी की सतह पर मौजूद जल के प्रदूषण को “भूतल जल प्रदूषण” कहा जाता है। सतही जल प्रदूषण के विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे – कारखानों से रासायनिक अपशिष्टों का प्रत्यक्ष विमोचन, मानव बस्तियों द्वारा कचरे का ढेर लगाना आदि।

2) पोषक प्रदूषण

पोषक तत्व प्रदूषण जल निकायों में पोषक तत्वों के अत्यधिक समावेश के कारण होता है। यह यूट्रोफिकेशन नामक एक स्थिति की ओर जाता है, जिसमें खनिजों और पोषक तत्वों की अधिकता के कारण एक जल निकाय में शैवाल की अत्यधिक वृद्धि होती है। पोषक प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण कारणों में सिंथेटिक उर्वरक, जीवाश्म ईंधन, खाद का अत्यधिक उपयोग आदि हैं।

3) समुद्री प्रदूषण

समुद्री प्रदूषण तब होता है जब कारखानों और अन्य मानवीय गतिविधियों से प्रदूषक या मानव बस्तियों से आवासीय अपशिष्ट, नदियों, महासागरों आदि जैसे जल निकायों तक पहुंचते हैं। पानी के इस तरह के संदूषण का समुद्री जीवन पर विभिन्न प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः इसकी कमी हो जाती है।

4) सूक्ष्मजीव प्रदूषण

जल निकायों में पहले से ही कुछ मात्रा में सूक्ष्मजीव मौजूद हैं, जिसमें एरोबिक और एनारोबिक जीव शामिल हैं। जब अधिक बायोडिग्रेडेबल कचरा पानी तक पहुंचता है, तो यह सूक्ष्मजीवों के अधिक विकास का कारण बनता है। ये सूक्ष्मजीव पानी में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और अंततः जलीय जीवन घट जाता है।

5) कीटनाशक प्रदूषण

खरपतवार और कीटों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कृषि उद्योग में कीटनाशकों का उपयोग; जल निकायों के कीटनाशक प्रदूषण में परिणाम। ये कीटनाशक बारिश से जलस्रोतों में धंस जाते हैं या सतह में धंस जाते हैं और भूमिगत जल तक पहुंच जाते हैं, जिससे वे प्रदूषित हो जाते हैं और खपत के लिए हानिकारक हो जाते हैं।

निष्कर्ष:

जल प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता है जिसका सामना दुनिया के कई देशों को करना पड़ता है। यहां तक ​​कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ सबसे विकसित राष्ट्र भी जल प्रदूषण के प्रभाव से सुरक्षित नहीं हैं। कठिन, अविकसित देशों में स्थिति सबसे खराब है जिसके बाद विकसित देशों का स्थान है।

खराब सेनेटरी की स्थिति, पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की अनुपस्थिति और स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में कम जागरूकता जल प्रदूषण और इसके कारण होने वाली बीमारियों के कुछ मुख्य कारण हैं। जल प्रदूषण का समाधान एक बहु आयामी दृष्टिकोण में निहित है जो जल प्रदूषण के विभिन्न कारणों को समाप्त करने के लिए निर्देशित है।

जल प्रदूषण पर निबंध, water pollution essay in hindi (600 शब्द)

प्रस्तावना:.

जल प्रदूषण दुनिया के प्रमुख मुद्दों में से एक है जो पिछले कुछ समय से अस्तित्व में है। हालाँकि, जल प्रदूषण को रोकने के लिए कई तरह की पहल और कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह अभी भी वैश्विक आबादी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। जल प्रदूषण को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है और जल प्रदूषण के स्रोत कई हैं जो मानव और साथ ही अन्य प्रजातियों के जीवन को भारी रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण हैं, जो विभिन्न प्रदूषकों के स्वच्छ पानी में मिल जाने के कारण होते हैं। जल प्रदूषण के प्रमुख प्रकार जो बहुत आम हैं उन्हें नीचे दिया गया है –

सतही जल प्रदूषण: सतही जल प्रदूषण जल प्रदूषण का सबसे आम प्रकार है। आजकल यह झीलों, तालाबों, नदियों और जलस्रोतों में तैरते कचरे, प्लास्टिक की बोतलों और पॉलिथीन की थैलियों आदि का एक बहुत ही आम दृश्य है। ये चीजें न केवल पानी को दूषित करती हैं बल्कि यह इन जल निकायों में रहने वाले जलीय जीवों को भी प्रभावित करती हैं। यह विभिन्न घातक बीमारियों जैसे डायरिया, हैजा, टाइफाइड, पेचिश, कृमि और मच्छर जनित बीमारियों आदि को भी जन्म देता है।

समुद्री जल प्रदूषण: समुद्री प्रदूषण औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट निपटान के कारण समुद्र और महासागरों का प्रदूषण है, जहाजों से तेल फैलता है, समुद्री मलबे आदि। समुद्री प्रदूषण समुद्री जीवों को उनके अस्तित्व के लिए खतरा होने या उनके शरीर में एक नकारात्मक हार्मोनल परिवर्तन को प्रेरित करने से प्रभावित करता है।

भूजल प्रदूषण: भूजल प्रदूषण तब होता है जब किसी विशिष्ट क्षेत्र में भूजल प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से दूषित हो जाता है। आर्सेनिक या फ्लोराइड जैसे प्राकृतिक पाए जाने वाले पदार्थ भूजल के साथ मिल कर इसे विषाक्त बना देते हैं। सेप्टिक टैंक, कीटनाशक और उर्वरक भी भूजल प्रदूषण को बढ़ाते हैं।

पोषक तत्व जल प्रदूषण: नाइट्रेट्स और फॉस्फेट युक्त औद्योगिक कचरे का निपटान और कृषि भूमि से पास के जल निकायों में उर्वरकों को चलाने से खनिजों और पोषक तत्वों के साथ पानी समृद्ध होता है, जिससे ‘शैवाल’ की अत्यधिक वृद्धि होती है। यह एक जगह की जैव विविधता में असंतुलन के कारण जलीय प्रजातियों को प्रभावित करने वाले पानी की ऑक्सीजन सामग्री को कम कर देता है।

जल प्रदूषण के स्रोत:

पानी को प्रदूषित और दूषित करने वाले प्रदूषक विभिन्न स्रोतों से आते हैं। इसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्रोतों के रूप में बड़े पैमाने पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रत्यक्ष स्त्रोत:  प्रत्यक्ष स्रोतों में शहरी सीवेज सिस्टम, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान, रिफाइनरियों से छुट्टी, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, महासागरों में तेल फैल आदि शामिल हैं। जल प्रदूषण के ये स्रोत पहचान योग्य हैं और वे सीधे जल निकायों को प्रदूषित करते हैं। ये भी दुनिया भर में जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं।

अप्रत्यक्ष स्रोत:  जल प्रदूषण के अप्रत्यक्ष स्रोत उर्वरक, कीटनाशक, रासायनिक डंप, सेप्टिक टैंक आदि हैं। ये प्रदूषक बारिश के पानी के माध्यम से मिट्टी में अवशोषित होते हैं और भूजल स्रोतों को दूषित करने वाले एक्वीफर तक पहुंचते हैं। यह निकटवर्ती जल निकायों में भी प्रवाहित हो सकता है और सतही जल को प्रदूषित कर सकता है। पृथ्वी की पपड़ी में आर्सेनिक जैसे रासायनिक तत्वों की मौजूदगी भूजल को पीने के लिए अनुपयुक्त बना सकती है।

हवा के बाद पानी जीवन का महत्वपूर्ण स्रोत है और अगर यह प्रदूषित हो जाता है तो यह इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को चुनौती देगा। यह पहले से ही ज्ञात है कि पृथ्वी पर उपलब्ध केवल 1% पानी पीने के लिए उपयुक्त है और यदि जल प्रदूषण दर बढ़ती रहती है तो वह दिन बहुत दूर नहीं है जब पानी की कमी हमारे अस्तित्व को चुनौती देगी।

तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा की भविष्यवाणी भी सच हो सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमें पानी की प्रत्येक बूंद को बचाना चाहिए और इसे प्रदूषित करने से बचना चाहिए और इसे हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपलब्ध कराना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध, long essay on water pollution in hindi (800 शब्द)

water pollution

जल प्रदूषण हानिकारक और विषाक्त यौगिकों द्वारा प्राकृतिक जल संसाधनों के संदूषण को संदर्भित करता है, मुख्य रूप से विभिन्न मानव गतिविधियों के कारण। जल निकायों में विषाक्त पदार्थों का परिचय, मनुष्यों, जानवरों और जलीय जीवन द्वारा खपत के लिए हानिकारक पानी को प्रस्तुत करता है।

जब प्रगति की अनुमति दी जाती है, तो जल प्रदूषण का किसी स्थान की पारिस्थितिकी पर लंबे समय तक चलने और अवांछित प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप प्रजातियों की कमी, जैव-विविधता का नुकसान, विभिन्न अन्य जटिलताओं के बीच निवास की हानि होती है। आगे के निबंध में हम जल प्रदूषण के कारणों और प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

जल प्रदूषण के कारण:

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं और उनमें से लगभग सभी मानव प्रेरित हैं, अर्थात्, वे मानव गतिविधियों के कारण होते हैं जैसे – औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, कूड़े के ढेर, और कृषि कार्यों के लिए रसायनों का उपयोग आदि, नीचे हम प्रमुख चर्चा करेंगे। जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार मानव प्रेरित कारक।

1) सीवेज डिस्चार्ज

मानव निकायों के आसपास जल प्रदूषण का अनियंत्रित और निरंतर निर्वहन जल निकायों में जल प्रदूषण का मुख्य कारण है। सीवेज डिस्चार्ज में औद्योगिक कचरे के साथ मिश्रित हमारे सिंक, शौचालय और अन्य घरेलू गतिविधियों में उपयोग किया जाने वाला पानी होता है। इसमें विभिन्न स्रोतों से विभिन्न रसायन और ठोस प्रदूषक लकड़ी का कोयला, पारा, प्लास्टिक, कांच आदि शामिल हैं। जल निकायों में डंप किया गया यह अनुपचारित मल जल मनुष्यों के साथ-साथ जलीय प्रजातियों के लिए भी हानिकारक है।

2) लिटरिंग

हमारे जल निकायों के प्रदूषण के पीछे लिटरिंग एक मुख्य कारण है। लोग अपने घरेलू कचरे को सड़क पर फेंक देते हैं, जो खराब अपशिष्ट प्रबंधन के कारण अंततः हवा और बारिश के माध्यम से नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों तक पहुंच जाता है। घरेलू कचरे में मुख्य रूप से प्लास्टिक के रैपर, पॉलीथिन और कांच आदि जैसे गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री होती हैं। इसके अलावा, मनोरंजन के लिए रिवरसाइड या झीलों पर जाने वाले लोग, जमीन पर लिट्टी चिप्स के पैकेट, पानी की बोतलें आदि ले जाते हैं, जो अंततः जल निकाय में अपना रास्ता तलाशते हैं।

3) औद्योगिक अपशिष्ट

औद्योगिक कचरे में विनिर्माण उद्योग और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट शामिल हैं। इसमें उद्योगों के आधार पर विभिन्न प्रदूषक शामिल हो सकते हैं, जैसे – बजरी, रेत, कंक्रीट, गंदगी, गंदगी और रसोई से कचरा, तेल, धातु आदि। औद्योगिक अपशिष्ट जैसे वार्निश, पेंट, पारा और सीसा जैसी धातुएँ, हानिकारक और हानिकारक हो सकती हैं। खतरनाक कचरे की श्रेणी में।

4) कृषि प्रदूषक

कृषि उद्योग को दुनिया भर के जल निकायों का प्रमुख प्रदूषक माना जाता है। कृषि प्रदूषकों में पशुधन से रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और अपशिष्ट होते हैं, जो नदियों और झीलों में बारिश के साथ बह जाते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट रोगाणुओं, वायरस और बैक्टीरिया से समृद्ध है, इस प्रकार पानी को दूषित करता है और इसका उपयोग करना हानिकारक होता है। इसके अलावा, कृषि अपशिष्टों से पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के परिणामस्वरूप जल निकायों में अत्यधिक शैवाल का निर्माण होता है।

6) रेडियोधर्मी जल प्रदूषण

पानी के रेडियोधर्मी प्रदूषण का कारण उद्योगों या शैक्षणिक संस्थानों द्वारा वाणिज्यिक, शैक्षिक या अनुसंधान उद्देश्यों के लिए रेडियोधर्मी पदार्थों से निपटना के तरीके है। रेडियोधर्मी पदार्थ हजारों वर्षों तक पानी में रह सकते हैं और मनुष्यों, जानवरों और जलीय जीवन के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, रेडियोधर्मी पदार्थों के आकस्मिक फैलाव या रेडियोधर्मी हथियारों के परीक्षण से रेडियोधर्मी प्रदूषण का खतरा होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव:

एक स्थान के पारिस्थितिक संतुलन पर जल प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसके परिणामस्वरूप प्रजातियों में कमी और निवास स्थान का विनाश होता है। यह आजीवन जटिलताओं के साथ कुछ गंभीर बीमारियों के कारण मनुष्यों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नीचे, हम जल प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

1) बीमारी और बीमारी

जल प्रदूषण से हैजा, डायरिया, पेचिश आदि कई जल जनित बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है। रासायनिक प्रदूषक जैसे पारा, कीटनाशक और अन्य, अधिक गंभीर चिकित्सा स्थितियों जैसे कि पारा विषाक्तता और अन्य कार्डियो वैस्कुलर या श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

2) जल संसाधन की कमी

मीठे पानी को और अधिक दुर्लभ बनाने वाले प्राकृतिक जल संसाधनों की कमी के कारण जल प्रदूषण में कमी आती है। पीने और खाना पकाने के प्रयोजनों के लिए दूषित झीलों, नदियों और तालाबों के पानी का मनुष्यों द्वारा उपभोग नहीं किया जा सकता है।

3) जलीय जीवन का नुकसान

जल प्रदूषण के कारण विभिन्न कारणों से जलीय जीवन का नुकसान होता है। ठोस के साथ-साथ रासायनिक प्रदूषक मछलियों और अन्य जलीय प्रजातियों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इसके अलावा, कुछ प्रदूषकों में सूक्ष्मजीव होते हैं, अंततः पानी की कम ऑक्सीजन सामग्री होती है क्योंकि सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन का उपभोग करते हैं। यह घटना जलीय जीवन को बहुत जरूरी ऑक्सीजन से वंचित करती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रजातियों का नुकसान होता है।

4) जैव विविधता का नुकसान

सभी जीवित प्रजातियां – जानवर, मनुष्य, पेड़, पौधे, मछलियां, सरीसृप, पक्षी आदि एक जगह के आसपास, काफी हद तक, उनके अस्तित्व के लिए उपलब्ध ताजे जल संसाधनों पर निर्भर करते हैं। यह कहा जा सकता है कि किसी स्थान पर जैविक विविधता उसके जल संसाधन पर निर्भर करती है। दूसरी ओर एक क्षेत्र के आसपास एकमात्र ताजे जल संसाधन के दूषित होने से आवास और जैव विविधता का नुकसान होगा।

5) पर्यावरण का नुकसान

पानी के प्रदूषण के कारण निवास की हानि, प्रजातियों की कमी, जैव विविधता के नुकसान के साथ-साथ कई अन्य अपमानजनक प्रभाव होते हैं। इन सभी प्रभावों को जब एक साथ जोड़ा जाता है तो अंततः पर्यावरणीय हानि होती है, जिसके परिणामस्वरूप आगे चलकर गंभीर परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और अम्लीय वर्षा आदि।

जल प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। यदि स्थिति को ऐसे ही जारी रहने दिया जाता है, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें पीने, भोजन पकाने या अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए पानी नहीं छोड़ा जाएगा। यह ज्ञात होना चाहिए कि, यद्यपि पृथ्वी का 70% से अधिक भाग पानी में समाया हुआ है, लेकिन ताजे पानी का केवल 1% ही बनता है। इसलिए, प्रदूषण के कारण जल संसाधनों के और नुकसान को रोकने की दिशा में वैश्विक पहल करने के लिए उच्च समय है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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water pollution essay in hindi

जल प्रदूषण पर निबंध – Essay On Water Pollution In Hindi

Essay On Water Pollution Essay in Hindi: दोस्तो आज हमने  जल प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

500+ Words Essay on Water Pollution in Hindi

किसी ग्रह पर जीवित रहने के लिए पानी सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। यह हमारे ग्रह – पृथ्वी पर जीवन का सार है। फिर भी यदि आप कभी अपने शहर के आसपास नदी या झील देखते हैं, तो यह आपके लिए स्पष्ट होगा कि हम जल प्रदूषण की बहुत गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। आइए हम खुद को जल और जल प्रदूषण के बारे में शिक्षित करें । पृथ्वी की सतह का दो-तिहाई हिस्सा पानी से ढका है , आपके शरीर का 76% भाग पानी से बना है।

Essay on Water Pollution in Hindi

जल और जल चक्र

जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं कि पानी हर जगह और चारों ओर है। हालांकि, हमारे पास पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा है। यह सिर्फ अपने राज्यों को बदलता है और जल चक्र के रूप में जाना जाता है, एक चक्रीय क्रम से गुजरता है। जल चक्र एक प्राकृतिक प्रक्रिया है कि प्रकृति में निरंतर है। यह वह पैटर्न है जिसमें महासागरों, समुद्रों, झीलों आदि से पानी वाष्पीकृत होकर वाष्प में बदल जाता है। जिसके बाद यह संघनन की प्रक्रिया से गुज़रता है, और अंत में बारिश होने पर या बारिश के रूप में वापस धरती पर आ जाता है।

जल प्रदूषण क्या है?

जल प्रदूषण जल निकायों (जैसे महासागरों, समुद्रों, झीलों, नदियों, जलभृतों और भूजल) का प्रदूषण है जो आमतौर पर मानव गतिविधियों के कारण होता है। जल प्रदूषण किसी भी परिवर्तन, पानी के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में मामूली या प्रमुख है जो अंततः किसी भी जीवित जीव के हानिकारक परिणाम की ओर जाता है । पीने योग्य पानी, जिसे पीने योग्य पानी कहा जाता है, को मानव और पशुओं की खपत के लिए पर्याप्त सुरक्षित माना जाता है।

जल प्रदूषण के स्रोत

  • औद्योगिक अपशिष्ट
  • कीटनाशक और कीटनाशक
  • डिटर्जेंट और उर्वरक

कुछ जल प्रदूषण प्रत्यक्ष स्रोतों, जैसे कारखानों, अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं, रिफाइनरियों, आदि के कारण होते हैं, जो अपशिष्ट और खतरनाक उप-उत्पादों को सीधे उनके इलाज के बिना निकटतम जल स्रोत में छोड़ देते हैं। अप्रत्यक्ष स्रोतों में प्रदूषक शामिल हैं जो भूजल या मिट्टी के माध्यम से या अम्लीय वर्षा के माध्यम से जल निकायों में बहते हैं।

जल के प्रदूषण का प्रभाव

जल प्रदूषण के प्रभाव हैं:

रोग: मनुष्यों में, किसी भी तरह से प्रदूषित पानी पीने या सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर कई विनाशकारी प्रभाव पड़ते हैं। इससे टाइफाइड, हैजा, हेपेटाइटिस और कई अन्य बीमारियां होती हैं।

पारिस्थितिक तंत्र का उन्मूलन: पारिस्थितिकी तंत्र अत्यंत गतिशील है और पर्यावरण में भी छोटे परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करता है। यदि अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो जल प्रदूषण बढ़ने से संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो सकता है।

यूट्रोफिकेशन: एक जल निकाय में रसायन संचय और जलसेक, शैवाल के विकास को प्रोत्साहित करते हैं। शैवाल तालाब या झील के शीर्ष पर एक परत के रूप में। इस शैवाल पर बैक्टीरिया फ़ीड और इस घटना से जल शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है

खाद्य श्रृंखला के प्रभाव: खाद्य श्रृंखला में उथल-पुथल तब होती है जब जलीय जंतु (मछली, झींगे, समुद्री पक्षी, आदि) पानी में विषाक्त पदार्थों और प्रदूषकों का सेवन करते हैं, और फिर मानव उनका उपभोग करते हैं।

जल प्रदूषण की रोकथाम

बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका इसके हानिकारक प्रभावों को कम करना है। ऐसे कई छोटे-छोटे बदलाव हैं, जिनसे हम अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं, जहाँ पानी की कमी है।

जल का संरक्षण: जल का संरक्षण हमारा पहला उद्देश्य होना चाहिए। जल अपव्यय विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है और हम अब केवल इस मुद्दे पर जाग रहे हैं। घरेलू रूप से किए गए साधारण छोटे बदलावों से बहुत फर्क पड़ेगा।

सीवेज का उपचार: जल निकायों में इसे निपटाने से पहले अपशिष्ट उत्पादों का उपचार करने से बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है। कृषि या अन्य उद्योग इस विषैले पदार्थ को अपनी विषाक्त सामग्री को कम करके पुन: उपयोग कर सकते हैं।

पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग: प्रदूषक बनने के लिए न जाने वाले घुलनशील उत्पादों का उपयोग करके, हम एक घर में होने वाले जल प्रदूषण की मात्रा को कम कर सकते हैं।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

जीवन अंततः विकल्पों के बारे में है और इसलिए जल प्रदूषण है। हम सीवेज-बिखरे समुद्र तटों, दूषित नदियों और मछलियों के साथ नहीं रह सकते जो पीने और खाने के लिए जहरीली हैं। इन परिदृश्यों से बचने के लिए, हम पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं ताकि जल निकायों, पौधों, जानवरों, और इस पर निर्भर लोग स्वस्थ रहें। हम जल प्रदूषण को कम करने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत या टीम बना सकते हैं। एक उदाहरण के रूप में, पर्यावरण के अनुकूल डिटर्जेंट का उपयोग करके, नालियों के नीचे तेल नहीं डालना, कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, और इसी तरह। हम अपनी नदियों और समुद्रों को साफ रखने के लिए सामुदायिक कार्रवाई भी कर सकते हैं। और हम जल प्रदूषण के खिलाफ कानून पारित करने के लिए देशों और महाद्वीपों के रूप में कार्रवाई कर सकते हैं। साथ मिलकर काम करने से हम जल प्रदूषण को एक समस्या से कम कर सकते हैं – और दुनिया एक बेहतर जगह।

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जल प्रदूषण पर निबंध- Water Pollution Essay in Hindi

Here we are providing a Water Pollution Essay in Hindi- ( Jal Pradushan ) जल प्रदूषण पर निबंध. What is Water Pollution in Hindi. जल प्रदूषण की समस्या और उसको को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है। Water Pollution Essay in Hindi in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

जल प्रदूषण पर निबंध- Water Pollution Essay in Hindi

Jal Pradushan Par Nibandh 200 words

जब जल की भौतिक, रासायनिक, या फिर जैविक गुणवत्ता में ऐसा परिवर्तन उत्पन्न हो जाए कि जिससे वह जीवों के लिए हानिकारक हो जाए अथवा जल दुरुपयोग किया जाए तो उसे “जल प्रदूषण” कहा जाता है ।

जल प्रदूषण को इतना important क्यों माना जाता है ?

“जल प्रदूषण” आज यह विषय बहुत ही ज्यादा गंभीर बन चुका है। धरती पर जीवन का सबसे बड़ा मुख्य स्त्रोत सिर्फ पानी है, यदि हम आज पानी को नहीं बचाएंगे तो 1 दिन हम भी नहीं बच पाएंगे. जल प्रदूषण सभी के लिए एक गंभीर मुद्दा है जो कई तरीकों से मानव, पशु पक्षी, जलीय जीव और भूमिको बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है । जल प्रदूषक जल की रासायनिक और जैविक विशेषता को बिगाड़ रहा है जो पूरे विश्व में सभी मानव और जानवरों के लिए बहुत खतरनाक है ‌।

जल प्रदूषण को किस तरह से रोका जा सकता है ?

-बड़े बड़े उद्योगों का रसायनिक और गंदा पानी पाइप लाइन के द्वारा नदियों में जाता है , इस रासायनिक पानी को सीधे नदियों में जाने से हमें रोकना पड़ेगा । इसके लिए हम सरकार से अपील कर सकते हैं ।

-नदी और तालाब में पशुओं को स्नान कराने पर पाबंदी होनी चाहिए ।

-कृषि कार्य में आवश्यकता से उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को भी कम किया जाना चाहिए ।

-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिए ताकि जल प्रदूषण को रोका जा सके ।

Water Pollution Essay in Hindi 500 words

भूमिका – जल ही जीवन है क्योंकि इसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। जल मनुष्य की मूल आवश्यकताओं में से एक है। हम हर रोज बहुत से कामों में पानी का इस्तमाल करते है। लेकिन धीरे धीरे मनुष्य की गतिविधियों से जल दुषित होता जा रहा है वैसे भी पृथ्वी पर पीने योग्य जल केवल एक प्रतिशत है और मनुष्य अपने कार्यों से उसे भी दुषित करता जा रहा है। दुषित जल सेहत के लिए भी बहुत ही हानिकारक है। अगर हम इसी तरह पानी को दुषित करते रहेंगे तो एक दिन पीने के लिए भी पानी नही होगा और तीसरा विश्व युद्ध भी पानी को लेकर ही होगा।

जल प्रदुषण के कारण – जल के दुषित होने का कारण पशु,मनुष्य और उनकी गतिविधियां हैं। दुषित जल के निम्नलिखित कारण है-

1. पशुओं के तालाब और नदियों में नहाने से भी जल दुषित होता है। 2. नदियों में मलमूतर के कारण भी पानी दुषित हुआ है। 3. उघोगों से निकलने वाले रसायनों से भी आस पास के नदी तालाब दुषित होते है। 4. लोगों द्वारा पूजा पाठ के नाम पर नदियों में बहाए जाने वाले कुमकुम ,दिए , तेल आदि से भी पानी दुषित होता है। 5. लोगों ने गंगा में भी राख बहाकर उसके जल को दुषित कर दिया जिसकी वजह से उससे जुड़ने वाली नदियों का पानी भी दुषित हो जाता है।

जल प्रदुषण के परभाव – जल जिसे हम खाने ,पीने, नहाने, बर्तन धोने और कपड़े धोने में इस्तमाल करते है वो हमारे स्वास्थय पर बहुत असर डालता है। दुषित जल सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक हैं। इससे होने वाली हानियाँ निम्नलिखित है-

1. दुषित जल के कारण पेट से जुड़ी बहुत सी बिमारियाँ पैदा होती है। 2. अगर हम गंदे पानी से स्नान करेंगे तो त्वचा से जुड़ी खाज खुजली जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाएगी । 3. दुषित जल पीने से पशु पक्शी भी मरते जा रहे है। 4. गंदा पानी होने की वजह से कपड़े भी सही से साफ नहीं हो रहे। 5. गंदे पानी में भोजन पकाने से खाना भी दुषित होता है।

जल प्रदुषण रोकने के उपाय – जीवित रहने के लिए जल को साफ रखना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

1. उघोगों से निकलने वाले तरलीय रसायनों को नदी,तालाब आदि में बहने से रोकना होगा। इसके लिए उघोग नदियों से उचित दूरी पर लगाए जाने चाहिए। 2. हम सबको पशुओं को नहलाने के लिए छोटे छोटे जलाशय बनाने चाहिए ताकि संपूर्ण नदी का पानी दुषित न हो। 3. हमें जगह जगह जाकर कैंप लगाने चाहिए ताकि लोगों को पानी दुषित न करने के लिए जागरूक किया जा सके। 4. तालाब में मुतर विसर्जन करने वालों को सजा दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष – अपनी तरक्की के स्वार्थ में और ना समझी के कारण लोग जल को दुषित करते जा रहे है। जीवन चाहते हो तो जल को साफ रखना ही होगा वरना एक दिन पूरी तरह से दुषित जल इस्तमाल करने की नौभत आ जाएगी ।

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जल प्रदूषण पर निबंध-Essay On Water Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

जल प्रदूषण पर निबंध-essay on water pollution in hindi.

water pollution essay in hindi

जल प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)

धरती पर जीवन के लिये जल सबसे ज़रुरी वस्तु है। यहाँ किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को ये संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को ये बनाये रखता है।

पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज़ के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत ज़रुरी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण तेज औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण बढ़ रहा है जो बड़े और छोटे पानी के स्रोतों में ढेर सारा कचरा छोड़ रहें हैं जो अंतत: पानी की गुणवत्ता को गिरा रहा है।

जल प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)

जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग होता है। पानी हमारे जीवन का एक बहुत ही जरूरी श्रोत होता है इसी वजह से कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में से ही एक होता है।

पिछले दो सौ सालों की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति ने मनुष्य का जीवन बहुत सुविधाजनक बना दिया है। औद्योगिक क्रांति की वजह से करोड़ों लोगों का जीवन खुशहाल बना गया है। नई-नई दवाईयों की खोज की वजह से मनुष्य की उम्र लंबी होती जा रही है और मृत्यु दर कम होती जा रही है।

इस प्रकार हमे पता चलता है कि इस मशीनी युग ने हमें बहुत कुछ दिया है। लेकिन अगर हम अपने आस-पास के वातावरण को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि यह प्रगति ही हमारे जीवन में जहर घोल रही है। इस जहर का एक रूप चारों तरफ फैला हुआ प्रदुषण भी है।

जहाँ पर पानी दूषित हो जाता है वहाँ का जीवन भी संकट में पड़ जाता है। गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता था और उसमे जो भी स्नान कर लेता था उसे पवित्र माना जाता था लेकिन वही गंगा नदी आज कारखानों से निकलने वाले कचरे की वजह से दूषित हो गई है। लेकिन भारत सरकार ने गंगा की स्वच्छता के लिए कानूनों को लागू किया है।

जल प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति जो जल के प्राकृतिक गुणों को इस प्रकार बदल दे की जल स्वास्थ के लिए हानिकारक हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए, तो उसे जल प्रदूषण कहते है|

जल प्रदूषण की परेशानी सबसे अधिक विकसित देशों में होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिने के पानी का PH 7 से 8.5 के मध्य होना चाहिए। जीवन पानी पर निर्भर करता है। मनुष्य एवं जानवरो के लिए पीने के पानी के स्त्रोत नदियाँ, झीले, नलकूप आदि हैं।

जल प्रदूषण का अर्थ : जल का तेजी से अशुद्ध होना ही जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण ज्यादातर उद्योग धंधे एवं रासायनिक पदार्थों के द्वारा निकले गंदे पदार्थ या कचरों के द्वारा होता है। मेरी हम बात करें जल प्रदूषण के बारे में, तो जल प्रदूषण एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पीने योग्य जल भी गंदे होते जा रहे हैं और पृथ्वी पर जल की मात्रा कम होती जा रही है।

पृथ्वी पर जल की मात्रा कम होने का यह अर्थ नहीं है, कि पृथ्वी से जल ही समाप्त हो जाएगा, बल्कि इसका अर्थ यह है, कि पृथ्वी पर पीने योग्य जल नहीं रह जाएगा।

उपसंहार :  पानी के लाभ अद्वितीय हैं. धीरे-धीरे दुनिया पर साफ पानी का परिमाण घटता जा रहा है. इससे मानव सभ्यता के भविष्य के लिए संकट पैदा हो गया है। इसलिए जल संरक्षण और प्रदूषण की रोकथाम के क्षेत्र में सामूहिक कार्रवाई अपरिहार्य है. जल प्रदूषण के खतरों से सभी को अवगत होना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग होता है। पानी हमारे जीवन का एक बहुत ही जरूरी श्रोत होता है इसी वजह से कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में से ही एक होता है।

जल प्रदूषण का समाधान :  हमारी सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएँ। कूड़े-कचरे और प्लास्टिक को समुद्र में न फेंककर उनको रिसाइकल करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा। जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना होगा। समय-समय पर लाल कुओं में लाल दवाईयों का छिडकाव करना होगा। जो पानी गंदा हो गया है उसे फिल्टर की सहायता से पीने योग्य बनाना होगा। जहाँ पर पानी हो वहाँ पर कूड़े-कचरे को फैलने से रोकना होगा।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव :   आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

दूषित जल का सेवन करने से मनुष्य को हैजा, पेचिस, क्षय और उदर से संबंधित समस्याओं का समाना करना पड़ता है। मनुष्य के अंदर केवल दूषित जल ही नहीं बल्कि फीताकृमी और गोलाकृमी भी पहुंच जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य रोग ग्रस्त हो जाता है। जब समुद्रों में परमाणु परिक्षण किये जाते हैं तो उस समय समुद्र में कुछ नाभिकीय कण मिले रह जाते हैं जिसकी वजह से समुद्र के जीव और वनस्पतियों के साथ-साथ समुद्र के पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ जाता है।

उपसंहार :  जल प्रदूषण ने आज के समय में आपतकाल का रूप ले लिया है। ऐसी स्थिति में हमें तुरंत ही बहुत बड़े कदम उठाने होंगे। अगर हम भविष्य में पानी के स्त्रोतों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और अपने देश के लोगों को पीने के लिए साफ पानी देना चाहते हैं तो हमें इसी समय से इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे। अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक घातक सिद्ध होगा।

जल प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : पृथ्वी पर मनुष्य के लिए सबसे आवश्यक चीजों में से एक है, जल। वर्तमान समय में धरती पर जल प्रदूषण लगातार तेजी से वृद्धि कर रहा है। धरती पर लगातार जल प्रदूषण बढ़ने के कारण अनेकों प्रकार की बीमारियां जन्म लेती जा रही हैं।

जल प्रदूषण के कारण सभी जीव जंतु बहुत ही प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण अनेकों ऐसी जातियां हैं, जोकि विलुप्ती के कगार पर भी पहुंच चुकी हैं। मनुष्य की बढ़ती गतिविधियों के कारण उत्पन्न हो रहे जहरीले प्रदूषक पदार्थों को समुद्रों में ही विसर्जित किया जाता है, जिसके कारण धरती पर पीने योग्य जल केवल 0.01 प्रतिशत ही शेष है।

जल प्रदूषण की रोकथाम :   सरकार को कारखानों और उद्योगों पर कचरे को नदियों में डालने के लिए पाबंदी लगानी चाहिए। जो कचरा शहर से निकलता है उसे भी ठीक से परिमार्जित करे बिना पानी में नहीं डालने देना चाहिए। कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की जगह पर जैविक कृषि को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

लोगों के द्वारा नदी या तालाबों पर कपड़ों को धोने पर पाबंदी लगानी चाहिए। धोबी अपने कपड़ों और बर्तनों को तालाबों में धोते हैं उन्हें बढ़ रहे जल प्रदूषण के प्रति सचेत करना चाहिए। ताकि तालाबों के पानी को सुरक्षित किया जा सके और उसे पीने योग्य बनाया जा सके और उसमें रहने वाले जीव-जंतु भी सुरक्षित रह सकें।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव :  आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

जल प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : जल को छोड़कर, कोई जीवन नहीं है, चाहे इंसान हो, जानवर हो या पौधे हर जीवित चीज के लिए जीवन का पहला तत्व है जल। अतीत से, भारतीय जल को जीवन कहा गया है। सभ्यता के विकास के लिए पानी सबसे प्राकृतिक संसाधन है। पानी शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है।

यह शरीर की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सभ्यता की शुरुआत से, मनुष्य प्राकृतिक शुद्ध पानी का उपयोग भोजन और पेय के रूप में करता था; लेकिन सभ्यता और तेजी से औद्योगीकरण के विकास के साथ, पृथ्वी का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

पानी के भौतिक और रासायनिक प्रभाव विभिन्न कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के संदूषण से नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, यह अनुपयोगी हो जाता है. इस विधि को जल प्रदूषण कहा जाता है।

जल प्रदूषित से स्रोत :  जल के प्रदूषित होने का सबसे मुख्य स्रोत उद्योग धंधे एवं रासायनिक संश्लेषण है। उद्योग धंधे के कारण जो कुछ भी कचरे के रूप में निकलता है, उसे जल में ही बहा दिया जाता है, जिसके कारण जल प्रदूषण काफी तेजी से फैल रहा है।

ऐसे उद्योगों में होने वाले रासायनिक संश्लेषण के कारण काफी ज्यादा मात्रा में रसायन युक्त कचरी निकलते हैं, जो कि सीधे जल में बहा दिए जाते हैं, जिसके कारण जल प्रदूषण फैलता है। इन सभी के अलावा कृषि संबंधित मैदान, पशुधन चारा, सड़कों पर जमा हुआ जल, समुद्री तूफान इत्यादि भी जल प्रदूषण के कारण हैं।

समस्याएं :  प्रदूषित जल मानव समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है. इसके दुष्प्रभाव अकल्पनीय हैं. पानी की प्राकृतिक स्थिति को बदलता है। जब पानी प्रदूषित होता है, तो जलीय जीव मर जाते हैं। दूषित पानी विभिन्न संक्रामक रोगों को फैलाता है। दूषित पानी के इस्तेमाल से मानव और अन्य जानवर संक्रमित हो जाते हैं।

प्रदूषित जल कृषि के लिए अनुपयुक्त है। अम्ल और क्षारीय युक्त प्रदूषित पानी मिट्टी के संपर्क में आने पर इसकी उत्पादकता को कम कर देता है। समुद्री प्रदूषण के वजह से समुद्री जीव मरते हैं।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां : जल प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में कई प्रकार की बीमारियाँ और लोगों की मौत हो रही है। इसके कारण लगभग प्रतिदिन 14,000 लोगों की मौत हो रही है। इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

दूषित पानी के सेवन से चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, उल्टीयां, टाइफाईड बुखार आदि रोग हो सकते हैं। गर्मी व बरसात के दिनों में इनके होने का खतरा ज्यादा होता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय : जल प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु नालों की नियमित रूप से साफ सफाई करना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में जल निकास हेतु पक्की नालियों की व्यवस्था नहीं होती है, इस कारण इसका जल कहीं भी अस्त-व्यस्त तरीके से चले जाता है और किसी नदी नहर आदि जैसे स्रोत तक पहुँच जाता है।

इस कारण नालियों को ठीक से बनाना और उसे जल के किसी भी स्रोत से दूर रखने आदि का कार्य भी करना चाहिए। मल, घरेलू त्याज्य पदार्थों एवं कूडे़ कचरे का युक्त वैज्ञानिक परिष्कृत साधनों द्वारा निकास करना चाहिए।

उपसंहार : जल प्रत्येक जीव के लिए अमूल्य सम्पदा है, और जल से ही जीवन है, इसलिए धरती पर जीवन को बचाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को जल प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। और दूसरों को जल प्रदूषित करने से रोकना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण कई तरह का होता है – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण सभी प्रकार का घातक होता है लेकिन जल प्रदूषण ने हमारे देश के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जल प्रदूषण से तात्पर्य होता है नदी, झीलों, तालाबों, भूगर्भ और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो पानी को जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए योग्य नहीं रहता है वह अयोग्य हो जाता है। इसी वजह से हर एक जीवन जो पानी पर आधारित होता है वह बहुत अधिक प्रभावित होता है।

जल प्रदूषण का कारण : जल प्रदूषण का एक सबसे प्रमुख कारण हमारे उद्योग धंधे होते हैं। हमारे उद्योग धंधों, कल-कारखानों के जो रासायनिक कचरा निकलता है उसे सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है। जो कचरा नदियों और तालाबों में छोड़ा जाता है वह बहुत अधिक जहरीला होता है और यह नदियों और तालाबों के पानी को भी जहरीला बना देता है।

नदियों और तालाबों के पानी के दूषित होने की वजह से उसमें रहने वाले जीव-जंतु मर जाते हैं और अगर उस पानी को कोई पशु या मनुष्य पीता है तो पशु मर जाता है और मनुष्य बहुत सी बिमारियों का शिकार बन जाता है। उद्योग धंधों के अलावा बहुत से और कारण हैं जिनकी वजह से जल प्रदूषण होता है।

हमारे शहरों और गांवों से जो कचरा बाहर निकलता है उसे नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है। आज के समय में लोग खेती में भी रासायनिक उर्वरक और दवाईयों का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से पानी के स्त्रोत बहुत प्रभावित होते हैं। जब नदियों का दूषित पानी समुद्र में जाकर मिलता है तो समुद्र का पानी भी दूषित हो जाता है।

प्लास्टिक के ढेर के अधिक बढने पर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है। कभी-कभी जब दुर्घटना हो जाती है तो जहाजों का ईंधन समुद्र में फैल जाता है जिससे जल प्रदूषण अधिक होता है। यह तेल समुद्र में चारों तरफ फैल जाता है और पानी पर एक परत बना देता है। इसकी वजह से समुद्र में रहने वाले अनेकों जीव-जंतु मर जाते हैं।

जब लोग तालाबों में स्नान करते हैं और उसी में शरीर की गंदगी और मल-मूत्र कर देते हैं तो तालाब का जल दूषित हो जाता है। जब नदियों और नालों का गंदा पानी जल में मिल जाता है तो जल दूषित हो जाता है। जब जल को एक जगह पर इकट्ठा किया जाता है और उसमें कूड़ा-कचरा जाने से भी जल दूषित हो जाता है।

लोग कपड़ों और बर्तनों को घरों पर धोने की जगह पर नदी या तालाबों के आस-पास जाकर धोते हैं जिसकी वजह से साबुन, बर्तन की गंदगी, सर्प का पानी सभी नदी और तालाब के पानी में मिल जाते हैं जिस वजह से पानी दूषित हो जाता है और यही विनाश का कारण बनता है।

कुछ लोग बचे हुए या खराब भोजन को कचरे की थैली में बांधकर उसे पानी में बहा देते हैं जिससे वह नदी या तालाब के पानी में मिलकर उसको दूषित कर देता है। जो लोग नदी या जलाशयों के पास बसे होते हैं वो लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसे जलाने की अपेक्षा उसे पानी में बहा देते हैं और लाश के सड़ने से पानी में विषैले कीटाणुओं की संख्या और अधिक बढ़ जाती है और प्रदूषण को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा दिया जाता है।

हवा में गैस और धूल मौजूद होते हैं और ये सब वर्षा के पानी के साथ मिल जाते हैं और जहाँ-जहाँ पर यह पानी जमा होता है वहाँ पर जल प्रदूषण बढ़ता है। जब जल में परमाणु के परिक्षण किये जाते हैं तो इसमें कुछ नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो जल को दूषित कर देते हैं।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

जब जलों में कारखानों से अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल मिलता है तो जल प्रदूषण के साथ-साथ वातावरण भी गर्म होता है जिसकी वजह से वहाँ के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की संख्या कम होने लगती है और जलीय पर्यावरण भी असंतुलित हो जाता है। अगर इसी तरह से जल प्रदूषण होगा तो स्वच्छ जल की आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पायेगी।

जल प्रदूषण का समाधान : हमारी सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएँ। कूड़े-कचरे और प्लास्टिक को समुद्र में न फेंककर उनको रिसाइकल करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा। जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना होगा। समय-समय पर लाल कुओं में लाल दवाईयों का छिडकाव करना होगा। जो पानी गंदा हो गया है उसे फिल्टर की सहायता से पीने योग्य बनाना होगा। जहाँ पर पानी हो वहाँ पर कूड़े-कचरे को फैलने से रोकना होगा।

जल प्रदूषण की रोकथाम : सरकार को कारखानों और उद्योगों पर कचरे को नदियों में डालने के लिए पाबंदी लगानी चाहिए। जो कचरा शहर से निकलता है उसे भी ठीक से परिमार्जित करे बिना पानी में नहीं डालने देना चाहिए। कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की जगह पर जैविक कृषि को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

जानवरों को तालाबों में नहाने से रोकना चाहिए क्योंकि तालाब का पानी स्थिर होता है और जानवरों के नहाने की वजह से वह पानी धीरे-धीरे गंदा होने लगता है और फिर किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं रहता है। लोगों को भी नहाने से मना करना चाहिए क्योंकि वे नहाते समय साबुन या शैम्पू का प्रयोग करते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है।

घरों से जो पानी निकलता है उसमें कम-से-कम कैमिकल का प्रयोग करें जिससे कि वह भूमि में जाकर उसे दूषित न कर सके। शहरों, कस्बों और गांवों में कम-से-कम साल में एक बार तालाबों और नदियों को साफ जरुर करना चाहिए और तालाबों के आस-पास के कचरे को हटा देना चाहिए।

कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन की व्यवस्था होनी चाहिए। इन पदार्थों के निष्पादन के साथ-साथ दोषरहित करने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। समुद्र में होने वाले परमाणु परीक्षणों पर रोक लगानी चाहिए।

उपसंहार : जल प्रदूषण ने आज के समय में आपतकाल का रूप ले लिया है। ऐसी स्थिति में हमें तुरंत ही बहुत बड़े कदम उठाने होंगे। अगर हम भविष्य में पानी के स्त्रोतों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और अपने देश के लोगों को पीने के लिए साफ पानी देना चाहते हैं तो हमें इसी समय से इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे। अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक घातक सिद्ध होगा।

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

प्रदूषण

वह अवांछित तत्व जो किसी निकाय के संतुलन के प्रतिकूल हो और उसकी खराब दसा के लिए जिम्मेदार हो प्रदूषक तत्व कहलाते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियां प्रदूषण कहलाती है। दूसरे शब्दों में “ हमारे द्वारा उत्पन्न वे अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहे हैं, प्रदूषक तत्व तथा उनके वातावरण में मिलने से उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकट की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। ”

प्रदूषण पर 10 वाक्य || प्रदूषण मानवता को कैसे प्रभावित करता है पर निबंध || शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essays on Pollution in Hindi, Pradushan par Nibandh Hindi mein)

प्रदूषण से संबंधित समस्त जानकारियां आपको इस निबंध के माध्यम से मिल जाएगी। तो आईए इस निबंध को पढ़कर पर्यावरण प्रदूषण के बारे में खुद को अवगत कराएं।

प्रदूषण पर निबंध 1 (300 शब्द) – प्रदूषण क्या है

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of Pollution )

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मनुष्यों के लिए छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

प्रदूषण पर निबंध 2 (400 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार

हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।

पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है।

प्रदूषण के प्रकार ( Pradushan ke Prakar )

वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –

  • जल प्रदूषण ( Water Pollution )

घरों से निकलने वाला दूषित पानी बहकर नदियों में जाता है। कल-कारखानों के कूड़े-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ भी नदियों में ही छोड़ा जाता है। कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण से डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, हैजा आदि खतरनाक बीमारियाँ होती है।

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)

कारखानों की चिमनी और सड़को पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएँ में कार्बन मोनो ऑक्साइड, ग्रीन हाउस गैसें जैसै कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं। ये सभी गैसें वायुमंडल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इससे हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा आदि रोग वायु प्रदूषण का ही कारण हैं।

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

मनुष्य के सुनने की क्षमता की भी एक सीमा होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।

  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी  आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।

इन्हे भी पढ़ें: वाहन प्रदूषण पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध || वायु प्रदूषण पर निबंध || मृदा प्रदूषण पर निबंध || जल प्रदूषण पर निबंध || ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध 3 (500 शब्द) – प्रदूषण के कारण

2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।

पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।

प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Reason for Pollution)

प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  • वनों की कटाई (Deforestation)

बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है।  पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।

  • उद्योग-धंधे (Industries)

भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस (मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगों की जान चली गयी थी और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की भी मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।

वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।

बढ़ता प्रदूषण आज समूल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।

Pollution Essay in Hindi

प्रदूषण पर निबंध 4 (600 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार व रोकथाम

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।

प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution)

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

3. भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

5. प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

7. थर्मल प्रदूषण (Thermal Pollution)

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

8. दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर (Most Polluted City of The World)

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय (Tips for Preventing Pollution)

जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

1. कार पूलिंग

2. पटाखों को ना कहिये

3. रीसायकल/पुनरुयोग

4. अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर

5. कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके

6. पेड़ लगाकर

7. काम्पोस्ट का उपयोग किजिए

8. प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके

9. रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर

10. कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर

11. योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य राजधानी नई दिल्ली है।

उत्तर – भारत में सबसे कम प्रदूषित शहर मिजोरम का लुंगलेई शहर है।

उत्तर – विश्व का सबसे कम प्रदूषित देश डेनमार्क है।

उत्तर –जल प्रदूषण की मात्रा BOD (Biological Oxygen Demand) से मापी जाती है। 

उत्तर –भारत में प्रदूषण नियंत्रण “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” के अंतर्गत आता है।

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Essay on water pollution in hindi जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में.

Today we are going to write an essay on water pollution in Hindi जल प्रदूषण पर निबंध। Yes we are going to discuss very important topic i.e essay on water pollution in Hindi. Water pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on water pollution in Hindi is defined in more than 200 and 300 words. Learn an essay on water pollution in Hindi and bring better results.

hindiinhindi Essay on Water Pollution in Hindi

Essay on Water Pollution in Hindi 200 Words

मानव जीवन के लिए पानी बहुत ही जरूरी है। पानी के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। कुछ मानव गतिविधियों और प्राकृतिक घटनाओं के कारण पानी प्रदूषित हो जाता है और पीने के पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। जल निकायों में जहरीले पदार्थों के मिश्रण के कारण पानी प्रदूषित हो जाता है और इसे जल प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। जल प्रदूषण ही पानी की कमी के लिए मुख्य कारण है। ज्वालामुखी विस्फोट, पानी में काई आदि जैसी प्राकृतिक घटनायें ही जल प्रदूषण का कारण है।

कीटनाशकों का अधिक उपयोग, उधोगों में रसायनों का उपयोग अपशिष्ट गंदे पानी को नदियों में छोडना, ये कुछ मानव गतिविधियाँ है जो जल प्रदूषण की ओर ले जाती है। जल प्रदूषण के कारण लोग कोलरा, टाइफाइड, दस्त और कई अन्य बीमारियों से पीड़ित होते है। जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। अगर हम जल निकायों में निर्वहन से पहले पानी के रासायनिक मुक्त करते है और केवल आवश्यक होने पर पानी का उपयोग करते है। बेहतर भविष्य के लिए पानी को संरक्षित करने की जरूरत है अन्यथा पृथ्वी पर कोई जीवन नही होगा।

Essay on Water Pollution in Hindi 300 Words

जल प्रदूषण की समस्या वास्तव में कोई नई समस्या नहीं है। धरती पर जीवन का सबसे मुख्य स्रोत ताजा पानी है लेकिन धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है। जल प्रदूषण सभी के लिये एक गंभीर मुद्दा है जो कई तरीकों से मानव, पशु पंछी, जलीय जीव और भूमि को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। जल प्रदूषक जल की रसायनिक, भौतिक और जैविक विशेषता को बिगाड़ रहा है जो पूरे विश्व में सभी पौड़पौधों, मानव और जानवरों के लिये बहुत खतरनाक है।

जल प्रदूषण के कारण :

जल प्रदूषण दो कारणों से होता है एक प्राकृतिक और दूसरा मानवीय।

1. प्राकृतिक : जिसमें मरे जीवों का जीवाश्म नदी, तालाब और समुद्र में मिल जाना, कार्बनिक पदार्थों का अपक्षय और मृदा अपरदन होने से जल प्रदुषण होता है।

2. मानवीय : इसमें जलीय स्रोतों के आस – पास कल कारखाना लगाना जिससे उससे निकलने वाला कचरा (गंदगी) समद्र, तालाब और नदी में मिल जाना, घरेलु कचरों को नदी या तालाब में फेकॅना, कीटनाशक दवाई का अत्यधिक इस्तेमाल करने से जल प्रदुषण होता है।

जल प्रदुषण से होने वाले नुकसान :

जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं तभी खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और हमें नुक्सान पहुंचाते हैं और हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं। दूषित जल पीने से टाइफाइड, पीलिया, अतिशय, एक्जीमा आदि जैसे भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। एसे प्रदूषित जल पशु और पौधों के जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव कृषि भूमि पर भी पड़ रहा है। प्रदूषित जल जिस कृषि योग्य भूमि से होकर गुजरता है और उस भूमि की उर्वरता को नष्ट कर देता है।

जल प्रदुषण से बचाव :

जल प्रदूषण से बचने के लिये सभी उद्योगों को मानक नियमों को मानना चाहिये, सुलभ शौचालयों आदि का निर्माण करना चाहिये, नदी एवं तालाब में पशुओं को स्नान कराने पर भी पाबंदी होनी चाहिए, कृषि कार्यों में आवश्यकता से अधिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को भी कम किया जाना चाहिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिये ताकि जल प्रदुषण रोका जा सके।

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जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)

जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi Language)

हम इस लेख में आज जल प्रदूषण पर निबंध (Essay On Water Pollution In Hindi) लिखेंगे। जल प्रदूषण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

जल प्रदूषण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Water Pollution In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

जीवन के लिए स्वच्छ जल का होना बहुत आवश्यक है। मनुष्य के शरीर में वजन के अनुसार 60 फीसदी जल होता है। वनस्पतियों में भी काफ़ी मात्रा में जल पाया जाता है। किसी-किसी वनस्पति में 95 प्रतिशत तक जल होता है।

पृथ्वी पर जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, परंतु ताजे जल की मात्रा 2 से 7 प्रतिशत तक ही है, शेष समुद्रों में खारे जल के रूप में है। इस ताजे जल का तीन चौथाई glacier तथा बर्फीली चोटियों के रूप में है। शेष एक चौथाई भाग surface water के रूप में है। पृथ्वी पर जितना जल है उसका केवल 0.3 प्रतिशत भाग ही स्वच्छ एवं साफ़ है।

जल प्रदूषण (Water pollution) क्या है?

जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति जो जल के प्राकृतिक गुणों को इस प्रकार बदल दे की जल स्वास्थ के लिए हानिकारक हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए, तो उसे जल प्रदूषण ( water pollution) कहते है|

जल प्रदूषण की परेशानी सबसे अधिक विकसित देशों में होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिने के पानी का PH 7 से 8.5 के मध्य होना चाहिए। जीवन पानी पर निर्भर करता है। मनुष्य एवं जानवरो के लिए पीने के पानी के स्त्रोत नदियाँ, झीले, नलकूप आदि हैं।

वैसे जल में स्वत: शुद्धिकरण की क्षमता होती है, किन्तु जब शुद्धिकरण की गति से अधिक मात्रा में प्रदूषण पानी में पहुँचता हैं, तो जल प्रदूषण होने लगता है। यह परेशानी तब शुरू होती है जब पानी में पशु का मल, विषाक्त औद्योगिक रसायन, कृषि अपशिष्ट, तेल और तपिश जैसे पदार्थ मिलते हैं।

इनके कारण ही हमारे ज्यादातर पानी के त्रोत, जैसे झील, नदी, समुद्र, समुद्र, भूमिगत जल स्रोत धीरे-धीरे प्रदूषित होते जा रहे हैं। प्रदूषित जल का मानव तथा अन्य जीवों पर घातक प्रभाव पड़ता है|

जल प्रदूषण कैसे होता है?

वर्षा के जल में हवा में उपस्थित गैसों और धूल के कणों के मिल जाने आदि से उसका जल जहाँ भी जमा होता है वह जल प्रदूषित हो जाता है। इसके अलावा ज्वालामुखी आदि भी इसके कुछ कारण हैं। जब कुछ अपशिष्ट पदार्थ भी इसमे मिलते हैं तब भी ये जल गंदा तथा प्रदूषित हो जाता है।

उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान खेतों में chemical fertilizers का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बहुत तेजी से कर रहे है। बढ़ती हुई औद्योगिक इकाइयों के कारण सफाई व धुलाई के नये नये अपमार्जक (डिटरजेण्ट) बाजार में आ रहे हैं और इनका उपयोग भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

पेट्रोल आदि पदार्थों का रिसाव समुद्री जल प्रदूषण का बड़ा कारण है। पेट्रोल का आयात-निर्यात समुद्री मार्गों से किया जाता है। इन जहाजों में से कई बार रिसाव हो जाता है या किसी कारण से जहाज दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसके डूबने आदि से या तेल के समुद्र में फैलने से जल प्रदूषित होता है।

समुद्रों के जल मार्ग में खनिज तेल ले जाने वाले जहाजों की दुर्घटना होने से अथवा उनके द्वारा भारी मात्रा में तेल को पानी के सतह पर छोड़ने से तो जल प्रदूषित होता है| अम्ल वर्षा (acid rain) से जलसाधन प्रदूषित होते हैं, जिससे जल में रहने वाले जीवों में से मछलियाँ सर्वाधिक प्रभावित होती है|

अम्ल वर्षा (acid rain) का एक अन्य कुप्रभाव संक्षारण (Corrosion) के रूप में देखा जाता है। इससे ताँबें की बनी नालियाँ प्रभावित होती हैं और मिट्टी में से अलमुनियम (Al) घुलने लगता है। यही नहीं सीसा (Pb), कैडमियम (Cd) तथा पारद (Hg) भी घुलकर जल को जहरीला बनाते हैं।

मानव एवं पशुओं के शव नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता हैं। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो जाता है। शवों के कारण जल के तापमान में भी वृद्धि होती है।

जल प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएँ

जिस जल स्त्रोत का पानी जरा-भी प्रदूषित होता है, उसके आसपास रहने वाले प्रत्येक जीवन पर जल प्रदूषण का किसी न किसी हद तक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक निश्चित स्तर पर प्रदूषित पानी फसलों के लिए भी नुकसानदेह साबित होता है। इससे जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती है।

कुल मिलाकर जल प्रदुषण कृषि क्षेत्र और देश को भी प्रभावित करता है। समुद्र का पानी प्रदूषित होता है तो उसका बुरा असर समुद्री जीवन पर भी होता है। जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पानी की क्वालिटी में गिरावट होती है। इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

जल प्रदूषण का भयंकर परिणाम राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिये एक गम्भीर खतरा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में होने वाली दो तिहाई बीमारियाँ प्रदूषित पानी से ही होती हैं। जल प्रदूषण का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर जल द्वारा जल के सम्पर्क से एवं जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थों द्वारा पड़ता है।

जल प्रदूषण का गम्भीर परिणाम समुद्री जीवों पर भी पड़ता है। उद्योगों के प्रदूषणकारी तत्वों के कारण भारी मात्रा में मछलियों का मर जाना देश के अनेक भागों में एक आम बात हो गई है। मछलियों के मरने का अर्थ है प्रोटीन के एक उम्दा स्रोत का नुकसान, एवं उससे भी अधिक भारत के लाखों मछुआरों की अजीविका का छिन जाना है।

जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव कृषि भूमि पर भी पड़ रहा है। प्रदूषित जल जिस कृषि योग्य भूमि से होकर गुजरता है, उस भूमि की उर्वरता को नष्ट कर देता है। जोधपुर, पाली एवं राजस्थान के बड़े नगरों के रंगाई- छपाई उद्योग से निःसृत दूषित जल नदियों में मिलकर किनारों पर स्थित गाँवों की उपजाऊ भूमि को नष्ट कर रहा है।

यही नहीं प्रदूषित जल द्वारा जब सिंचाई की जाती है, तो उसका दुष्प्रभाव कृषि उत्पादन पर भी पड़ता है। इसका कारण यह है कि जब गंदी नालियों का एवं नहरों के गंदे जल (दूषित जल) से सिंचाई की जाती है, तो अन्न उत्पादन के चक्र में धातुओं का अंश प्रवेश कर जाता है। जिससे कृषि उत्पादन में 17 से 30 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है।

इस तरह जल प्रदूषण से उत्पन्न उपर्युक्त समस्याओं के विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि, प्रदूषित जल से उस जल स्रोत का सम्पूर्ण जल तंत्र ही अव्यवस्थित हो जाता है।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

जल प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में कई प्रकार की बीमारियाँ और लोगों की मौत हो रही है। इसके कारण लगभग प्रतिदिन 14,000 लोगों की मौत हो रही है। इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

दूषित पानी के सेवन से चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, उल्टीयां, टाइफाईड बुखार आदि रोग हो सकते हैं। गर्मी व बरसात के दिनों में इनके होने का खतरा ज्यादा होता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय

जल प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु नालों की नियमित रूप से साफ सफाई करना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में जल निकास हेतु पक्की नालियों की व्यवस्था नहीं होती है, इस कारण इसका जल कहीं भी अस्त-व्यस्त तरीके से चले जाता है और किसी नदी नहर आदि जैसे स्रोत तक पहुँच जाता है।

इस कारण नालियों को ठीक से बनाना और उसे जल के किसी भी स्रोत से दूर रखने आदि का कार्य भी करना चाहिए। मल, घरेलू त्याज्य पदार्थों एवं कूडे़ कचरे का युक्त वैज्ञानिक परिष्कृत साधनों द्वारा निकास करना चाहिए।

संदूषित वाहित जल के उपचार की विधियों पर निरन्तर अनुसंधान होते रहना चाहिए। विशिष्ट विषों, विषाक्त पदार्थों को नि:स्पन्दन (Filtration) अवसादन एवं रासायनिक क्रियाओं द्वारा निकाल कर बहि:स्त्रावों को नदी एवं अन्य जल स्त्रोतों में मिलाना चाहिए।

कुओं, तालाबों एवं अन्य जल स्त्रोत के साधनों में कपडे़ धोने, अन्दर घुसकर पानी लेने, पशुओ के नहलाने तथा मनुष्य के नहाने, बर्तनों को साफ करनेपर प्रतिबंध लगाना चाहिए। तथा नियम का कठोरता से पालन होना चाहिए।

कुओं, तालाबों एवं अन्य जल स्त्रोतों से प्राप्त जल का जीवाणुनाशन/विसंक्रमण (Sterilization) करना चाहिए।  मानव को जल प्रदूषण के कारणों, दुष्प्रभावों एवं रोकथाम की विभिन्न विधियों के बारे में जानकारी प्रत्येक स्तर पर देकर जागरूक बनाना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण की चेतना का विकास, पर्यावरणीय शिक्षा के माध्यम के द्वारा करना चाहिए। जल स्त्रोतों में इस प्रकार के मछलियों का पालन करना चाहिए ,जो कि जलीय खरपतवार (Weeds) का भक्षण करती हों।

कृषि, खेतों, बगीचों में कीटनाशक, जीवनाशक एवं अन्य रासायनिक पदार्थों, उर्वरकों को कम से कम उपयोग करने के लिए उत्साहित करना चाहिए। जिससे कि यह पदार्थ जल स्त्रोतों में नहीं मिल सकें और जल को कम प्रदूषित करें।

तालाबों एवं अन्य जल स्त्रोतों की नियमित जाँच/परीक्षण, सफाई, सुरक्षा करना आवश्यक है। सिंचाई वाले क्षेत्रों, खेतों में जलाधिक्य, क्षारीयता (alkalinity), लवणीयता (Salinity), अम्लीयता (acidity) आदि विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए उचित प्रकार के जल शोधन, प्रबंधन विधियों का ही उपयोग करना चाहिए।

शासन द्वारा निर्धारित जल प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का कठोरता से पालन करना एवं करवाना चाहिए।

इन्हे भी पढ़े :- 

  • पानी बचाओ पर निबंध (Save Water Essay In Hindi)
  • जल संरक्षण पर निबंध (Water Conservation Essay In Hindi)
  • 10 Lines On Importance Of Water In Hindi Language
  • प्रदूषण पर निबंध ( Pollution Essay In Hindi Language)
  • 10 Lines On Pollution In Hindi Language
  • वायु प्रदुषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi)

तो यह था जल प्रदूषण पर निबंध, आशा करता हूं कि जल प्रदूषण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Water Pollution) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution

Essay on Water Pollution

जल ही जीवन है, लेकिन जब यह जल ही जहर बन जाए तो जीवन खतरे में पड़ सकता है जी हैं हम बात कर रहे हैं जल प्रदूषण की। जल प्रदूषण (Water Pollution) अब एक ऐसी विकराल समस्या बन चुकी है कि अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया जाए और इसके रोकथाम के प्रयास नहीं किए गए तो धरती पर रह रहे मनुष्य, जीव-जन्तु और वनस्पति सभी का जीवन गहरे संकट में पड़ सकता है।

इसलिए आग की तरह फैल रही जल प्रदूषण की समस्या को लेकर जागरूक करने के लिए कई जागरूकता प्रोग्राम चलाने की जरूरत है। इसके साथ ही इसके दुष्प्रभावों को सभी के लिए जानना जरूरी है और यह भी जानना जरूरी है कि जल प्रदूषण की समस्या कैसे पैदा हुई, और यह किस तरह मानव जीवन को प्रभावित कर रही है।

इसलिए इसके लिए हम आपको जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है –

Essay on Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution in Hindi

प्रदूषण यानि कि जब पर्यावरण में कुछ ऐसे दूषित पदार्थों का समावेश हो जाता है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है जिससे न ही शुद्ध हवा मिलती है, न शुद्ध जल नसीब होता है और न ही शांत वातावरण मिलता है तो उसे प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है।

जल के प्राकृतिक स्त्रोतों जैसें, नदी, झील, समुद्र, तालाब, कुंए, नाले समेत अन्य स्त्रोत जहां से जल प्राप्त होता, उसमें दूषित पदार्थ का मिलना ही जल प्रदूषण है। कारखानों से निकलने वाला दूषित पदार्थ नदी-नालों और जल के अन्य स्त्रोतों में मिलकर जल दूषित करता है और कई बीमारियों को न्योता देता है।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जल पर ही समस्त मानव जीवन, जीव-जन्तु और वनस्पति निर्भर है, जल मानव जीवन का अभिन्न आधार है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पदार्थ प्राकृतिक जल स्त्रोतों में मिलकर मानव जीवन को खतरे में डाल रहा है। वहीं जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या दिन ब दिन विकराल रुप धारण करती जा रही है। इसलिए इस समस्या पर गौर करने की जरूरत है।

जल प्रदूषण का सबसे मुख्य कारण ( Jal Pradushan ke Karan ) फैक्ट्रियां और कारखाने है, तेजी से हो रहे औद्योगीकरण से जल प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है।

दरअसल, कारखानों के लगने से इनके अवशिष्ट और दूषित पदार्थों को तालाबों, नदियां, नहरों समेत अन्य प्राकृतिक स्त्रोतों में बहा दिया जाता है और जिससे यह पूरे पानी को जहरीला बना देता है।

वहीं इससे न सिर्फ जल में रहने वाले जीव-जन्तु और पौधों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि इस दूषित पानी से कई तरह की घातक बीमारियां फैलती है और समस्त मानव, जीव-जन्तु और पशुओं का जीवन बीमारियों से घिर जाता है।

इसके अलावा शहरों और गांवों में निकलने वाला कई हजार टन कचरा जो नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। दरअसल, घरों के दैनिक कामों में इस्तेमाल होने वाले जल को स्नान करने, बर्तन धोने और कपड़ा धोना के रुप में नालियों के माध्यम से बाहर बहा दिया जाता है।

जिसमें कई ऐसे डिर्टजेन्ट और कार्बनिक पदार्थ मिल जाते हैं और फिर यह जल जलस्त्रोतों में मिलकर नदियां, नालों के जल को दूषित करते हैं। जिससे जल प्रदूषण सी समस्या पैदा हो रही है।

यही नहीं आलम यह है कि नदी जल का करीब 70 फीसदी हिस्सा प्रदूषित हो जाता है। आपको बता दें कि भारत की मुख्य नदियां जैसे बह्रापुत्र, सिंधु, गंगा, झेलम, सिंधु समेत आदि नदियां बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी हैं।

वहीं भारत की मुख्य नदियां भारतीय परम्परा और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। आमतौर पर लोग पूजा-पाठ की सामग्री नदियों में बहाते हैं, जिसकी वजह से जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

वहीं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड की माने तो भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है। भारत के उत्तप्रदेश राज्य के कानुपर के पास बनी चमड़ा फैक्ट्री और कपड़ा मिलों का भारी मात्रा में कार्बनिक कचरा गंगा नदी में बहाया जाता है।

जिसके चलते यह माना गया है कि, इस पवित्र नदी में रोजाना करीब 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा और करीब 1400 मिलियन लीटर सीवेज का कचरा बहाया जाता है। जिससे यह नदी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है, वहीं इस दिशा में सरकार की तरफ से जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

इसके अलावा गौर करें तो आधुनिक युग में अच्छी खेती और फसल के उत्पादन के लिए कई तरह की नई-नई तकनीकी और पद्धतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके चलते भारी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाइय़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

जिससे फास्फेट एवं नाइट्रेट जैसे विषैले पदार्थों से जल प्रदूषित होने लगता है और खेतो में डाला गया यही जल तालाब, नदी और नालों में पहुंच जाता है जो कि इसके जल में मिलकर पूरा पानी विषैला कर देता है जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या बढ़ रही है।

जहाजों से होने वाला तेल का रिसाव भी जल प्रदूषण की समस्या को बढ़ा रहा है। दरअसल समुद्र में जहाज के तेल का भारी मात्रा में रिसाव होता है, और तो और कई बार तो पूरा तेल टैंकर ही समुद्र में तबाह हो जाता है या फिर जहाज के डूबने से इसमें मिले विषाक्त पदार्थ समुद्र के जल को प्रदूषित कर देते हैं।

जहाजों से निकलने वाला तैलीय अपशिष्टों के अलावा खाना पकाने के बाद बचा हुआ तेल और वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल का इस्तेमाल और उनका अवशेष भी किसी न किसी रुप में नदियों में बहा दिए जाते हैं, जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution को बढ़ावा मिलता है। एक आकलन के मुताबिक हर साल समुद्र में करीब 50 लाख से 1 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों का रिसाव होता है।

वहीं परमाणु विस्फोट की वजह से काफी बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी अपशिष्टों के कण दूर-दूर तक हवा में फैल जाते हैं और यह कई तरीकों से जल स्त्रोतों में मिलकर जल को प्रदूषित कर देते हैं।

जल प्रदूषण की समस्या से बड़े स्तर पर मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, प्रदूषित पानी पीने से कॉलरा, टीवी, उल्टी, दस्त पीलिया जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है। वहीं करीब 80 फीसदी मरीज दूषित पानी की वजह से बीमारियों की चपेट में है इसलिए जल प्रदूषण की समस्या पर गौर करना अति महत्वपूर्ण है।

इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेड़-पौधे लगाने चाहिए जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सके। इसके साथ ही खेती के ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो। इसके अलावा जहरीले कचरे को बहाने के लिए सही तरीकों को अपनाना चाहिए। जल प्रदूषण – Water Pollution को लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना चाहिए, जिससे इस समस्या पर काबू पाया जा सके।

उद्योगों से निकलने वाले विशैले पदार्थों को प्राकृतिक स्त्रोतों में बहाने से रोकना चाहिए और इसके लिए उचित कानून बनाए जाने चाहिए। इसके साथ ही इस दिशा में सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए तभी जल प्रदूषण – Water Pollution जैसी भयंकर समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

  • Water is Life Essay
  • Save Water Slogans

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जल पर निबंध 10 Lines (Essay On Water in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

water pollution essay in hindi

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी, पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व का कारण, ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा है। जल वह जादुई तरल है, जो जानवरों, पौधों, पेड़ों, जीवाणुओं और विषाणुओं को जीवन प्रदान करता है। जल ही वह कारण है जिसके कारण पृथ्वी जीवन का समर्थन कर सकती है और अन्य ग्रह नहीं कर सकते।

मानव शरीर का 60% तक पानी से बना है। जबकि ग्रह पर पानी की बहुतायत है, मनुष्य और जानवरों द्वारा हर चीज का सेवन नहीं किया जा सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पृथ्वी पर केवल 3% पानी ही मीठा पानी है, जो पोर्टेबल और उपभोग करने के लिए सुरक्षित है।

जल निबंध पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Water Essay in Hindi)

  • जल ही वह कारण है जिसके कारण जीवन अस्तित्व में है और पृथ्वी पर फलता-फूलता है
  • पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से बना है जिसमें से केवल 3% मीठा पानी मानव उपभोग के लिए है
  • पानी ग्रह पर जीवन के सभी रूपों का समर्थन करता है
  • मनुष्य पानी का उपयोग पीने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि, उद्योगों और कारखानों में करता है
  • मानव शरीर का 60% से अधिक भाग पानी से बना है
  • जानवर पीने और नहाने के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • पौधे, पेड़ और अन्य विभिन्न जीव अपनी वृद्धि और अस्तित्व के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • यह भविष्यवाणी की जाती है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा यदि मनुष्य ने इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना नहीं सीखा
  • मनुष्य को जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करना सीखना होगा क्योंकि यह एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है
  • सभी देशों की सरकारों को मिलकर नीतियां और कानून बनाने चाहिए जो लोगों को अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद करने से रोकें

जल पर निबंध 100 शब्द (Essay on Water 100 words in Hindi)

पानी पृथ्वी पर हर जीवन रूप की मूलभूत आवश्यकता है। यह पानी ही है जो हमें इस ग्रह पर आरामदायक जीवन जीने में मदद करता है। हमारा शरीर 70% पानी से बना है, इसलिए पानी हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण यौगिक है। जल का उपयोग हम अनेक कार्यों में करते हैं। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने और साफ-सफाई के लिए पानी की जरूरत होती है। जल के बिना, ग्रह पर जीवन असंभव होगा। जल पृथ्वी पर नदियों, महासागरों, समुद्रों, तालाबों, झीलों, नदियों और हिमनदों के रूप में पाया जाता है। जल की संरचना पूरी पृथ्वी पर एक समान रहती है।

इनके बारे मे भी जाने

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  • India Of My Dreams Essay
  • Gender Equality Essay
  • Bhagat Singh Essay
  • Essay On Shivratri

जल पर निबंध 150 शब्द (Essay on Water 150 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी सभी जीवित रूपों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरल है। यह न केवल हमारी जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है बल्कि हमारे ग्रह के कामकाज के लिए भी आवश्यक है। पृथ्वी पर जल तीन अवस्थाओं में उपलब्ध है- ठोस, द्रव और गैसीय। सॉलिड-स्टेट में ग्लेशियर, स्नो कैप, आइस शीट और पोलर आइस रिजर्व शामिल हैं। तरल अवस्था में नदियाँ, समुद्र, झीलें, तालाब, नदियाँ, महासागर और गीज़र शामिल हैं। 

गैसीय अवस्था में वायुमंडल में पाए जाने वाले जलवाष्प शामिल हैं। जल चाहे किसी भी अवस्था में क्यों न हो, जल का संघटन सदैव एक समान रहता है। यह एक शक्तिशाली यौगिक है जो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवन का पोषण करता है। पौधों को प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के लिए पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्यों को परिसंचरण, पाचन, श्वसन और उत्सर्जन जैसी कई अलग-अलग जीवन प्रक्रियाओं के लिए पानी की आवश्यकता होती है, पानी के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव होगा। चूँकि यह इतना महत्वपूर्ण यौगिक है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इसे संरक्षित करें ताकि यह जल्द समाप्त न हो।

जल पर निबंध 200 शब्द (Essay on Water 200 words in Hindi)

पानी किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल हमारे अपने अस्तित्व के लिए बल्कि हमारे ग्रह के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। सभी फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पानी होता है। स्वस्थ रहने के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत होती है, यानी लगभग 3-4 लीटर पानी प्रतिदिन। मानव शरीर को पानी की आवश्यकता होती है, और इसकी कमी से बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अपर्याप्त पानी की खपत के कारण गुर्दे की पथरी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। पानी में चंगा करने की क्षमता है और जीवन के अस्तित्व के लिए जरूरी है। हमारा ग्रह ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां जीवन की कल्पना की जा सकती है क्योंकि पानी और जीवन के लिए अन्य सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं। मंगल, बुध और शुक्र जैसे ग्रह निर्जन हैं। पानी न होने के कारण वे एक उजाड़ रेगिस्तान के समान हैं। जल जीवन के लिए आवश्यक है, और यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद करता है।

जल पर निबंध 250 शब्द (Essay on Water 250 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी एक अनमोल संसाधन है। पानी की कमी मध्य पूर्व और यहां तक ​​कि भारत के कुछ हिस्सों में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक है। पीने के पानी की किल्लत है। जल प्रदूषण ने पृथ्वी की सतह पर सुलभ पीने के पानी की मात्रा को कम कर दिया है, साथ ही पानी की गुणवत्ता को भी नुकसान पहुँचाया है। यह न केवल इंसानों बल्कि जानवरों, पक्षियों और पौधों को भी प्रभावित करता है।

जल की प्रासंगिकता को वर्तमान जल संकट के संदर्भ में देखा जा सकता है। सूखा उन दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में से एक है जो किसी स्थान पर हो सकती है। क्षेत्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिति बुरी तरह प्रभावित होगी। दूसरी ओर, अत्यधिक बारिश लोगों, जानवरों और यहां तक ​​कि किसानों और निर्माताओं के लिए भी चिंता का विषय है। जल को वरदान माना जाता है, लेकिन यह अभिशाप भी हो सकता है।

इसलिए जल के महत्व को समझना जरूरी है। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्या और वनों की कटाई के साथ, ताजा पानी प्रदूषित हो रहा है, और हमारे लिए उपलब्ध मात्रा कम हो रही है। अधिक जनसंख्या के कारण पानी का दुरूपयोग हो रहा है। पानी कई रूपों में दुनिया के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है। पानी प्रकृति की सुंदरता को भी बिखेरता है।

जल पर निबंध 300 शब्द (Essay on Water 300 words in Hindi)

जल जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है और इसके बिना जीवित रहना असंभव है। पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक जीव को अपने शरीर के समुचित कार्य के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यह न केवल हमें जीवित रहने में मदद करता है बल्कि हमारे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी स्वयं 70% जल से बनी है, तथापि, सारा जल उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए, हमें इसके महत्व को समझने और इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता है। जैसा कि हम दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पानी की कमी को देख सकते हैं, इसलिए समय आ गया है कि हम पानी का संरक्षण करना शुरू कर दें।

पानी के कई उपयोग हैं और यह कृषि में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है क्योंकि यह भारत का मुख्य व्यवसाय है। सिंचाई और मवेशियों को पालने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए, किसान पानी का अधिक उपयोग करते हैं और काफी हद तक इस पर निर्भर रहते हैं।

दूसरी ओर, उद्योगों को विभिन्न उद्देश्यों जैसे कुछ वस्तुओं को संसाधित करने, ठंडा करने और निर्माण के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट बड़े पैमाने पर पानी का उपयोग करते हैं। इन सबके अतिरिक्त जल का उपयोग घरेलू कार्यों जैसे पीने, कपड़े धोने, साफ-सफाई, बागवानी आदि में भी किया जाता है। इस प्रकार हमें जीवन के कुछ मूलभूत कार्यों को चलाने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

पौधों और जानवरों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। पानी जीवन का एक अनिवार्य घटक है जो किसी को जीवित रहने और ठीक से काम करने में मदद करता है। हालाँकि, लोग पानी की कमी से अनभिज्ञ हैं और इस प्रकार इसके परिणामों के बारे में सोचे बिना इस प्राकृतिक संसाधन का दोहन करते रहते हैं।

इसलिए सरकार के साथ एकजुट होने और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी के संरक्षण के लिए उपचारात्मक उपाय करने और बहुत देर होने से पहले इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए एक घंटे की आवश्यकता है। पानी बचाने के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और जिनमें से एक वर्षा जल संचयन है- पानी बचाने और विभिन्न उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का एक शानदार तरीका।

जल पर निबंध 500 शब्द (Essay on Water 500 words in Hindi)

जल (रासायनिक सूत्र H2O) एक पारदर्शी रासायनिक पदार्थ है। यह हर जीवित प्राणी के लिए मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है चाहे वह पौधे हों या जानवर। जिस प्रकार पृथ्वी पर जीवन के समुचित विकास और विकास के लिए हवा, सूर्य का प्रकाश और भोजन, पानी की आवश्यकता होती है। हमारी प्यास बुझाने के अलावा, पानी का उपयोग कई अन्य गतिविधियों जैसे सफाई, कपड़े धोने और खाना पकाने के लिए किया जाता है।

पानी मुख्य रूप से अपने पांच गुणों के लिए जाना जाता है। यहाँ इन संपत्तियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

  • सामंजस्य और आसंजन

संसंजन, जिसे अन्य जल अणुओं के लिए जल के आकर्षण के रूप में भी जाना जाता है, जल के मुख्य गुणों में से एक है। यह पानी की ध्रुवता है जिसके कारण यह पानी के अन्य अणुओं की ओर आकर्षित होता है। पानी में मौजूद हाइड्रोजन बांड पानी के अणुओं को एक साथ बांधे रखते हैं।

आसंजन मूल रूप से विभिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच पानी का आकर्षण है। यह पदार्थ किसी भी अणु के साथ बंध जाता है जिसके साथ यह हाइड्रोजन बांड बना सकता है।

  • बर्फ का कम घनत्व

पानी के हाइड्रोजन बंध ठंडे होने पर बर्फ में बदल जाते हैं। हाइड्रोजन बांड स्थिर होते हैं और अपने क्रिस्टल जैसे आकार को बनाए रखते हैं। पानी का ठोस रूप जो बर्फ है तुलनात्मक रूप से कम घना होता है क्योंकि इसके हाइड्रोजन बांड बाहर की ओर होते हैं।

  • पानी की उच्च ध्रुवीयता

पानी में उच्च स्तर की ध्रुवीयता होती है। यह एक ध्रुवीय अणु के रूप में जाना जाता है। यह अन्य ध्रुवीय अणुओं और आयनों की ओर आकर्षित होता है। यह हाइड्रोजन बंध बना सकता है और इस प्रकार एक शक्तिशाली विलायक है।

  • जल की उच्च विशिष्ट ऊष्मा

पानी अपनी उच्च विशिष्ट ऊष्मा के कारण तापमान को मध्यम कर सकता है। जब गर्म होने की बात आती है तो इसमें काफी समय लगता है। गर्मी लागू नहीं होने पर यह लंबे समय तक अपना तापमान बनाए रखता है।

  • पानी की वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा

यह पानी का एक और गुण है जो इसे तापमान को सामान्य करने की क्षमता प्रदान करता है। जैसे ही पानी एक सतह से वाष्पित होता है, यह उसी पर शीतलन प्रभाव छोड़ता है।

पानी की बर्बादी से बचें

हमारे दैनिक जीवन में जिन गतिविधियों में हम शामिल होते हैं उनमें से अधिकांश के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हमें इसका संरक्षण करना आवश्यक है अन्यथा आने वाले वर्षों में हमारा ग्रह ताजे पानी से रहित हो जाएगा। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे पानी को संरक्षित किया जा सकता है:

  • पानी की बर्बादी रोकने के लिए टपकते नलों को तुरंत ठीक करें।
  • नहाते समय शावर के प्रयोग से बचें।
  • अपने दांतों को ब्रश करते समय अपना नल बंद रखें। जरूरत पड़ने पर ही इसे चालू करें।
  • आधे कपड़े धोने के बजाय पूरे कपड़े धोएं। इससे न केवल पानी की बचत होगी बल्कि बिजली की भी काफी बचत होगी।
  • बर्तन धोते समय पानी को बहता हुआ न छोड़ें।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली का प्रयोग करें।
  • गटर की सफाई के लिए पानी की नली का उपयोग करने से बचें। आप इसके बजाय झाडू या अन्य तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।
  • खाना बनाते और खाते समय सही आकार के बर्तनों और अन्य बर्तनों का उपयोग करें। अपनी आवश्यकता से बड़े का उपयोग करने से बचें।
  • स्प्रिंकलर के बजाय अपने पौधों को हाथ से पानी देने की कोशिश करें।
  • तालों को ढक दें ताकि वाष्पीकरण के कारण पानी की कमी से बचा जा सके।

हमें पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसके संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। हमें उन गतिविधियों और योजनाओं का अभ्यास और प्रचार करना चाहिए जो जीवित प्राणियों की वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए जल संरक्षण और इसके स्रोतों की रक्षा करने में मदद करती हैं।

जल पर निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पृथ्वी की सतह का कितना भाग जल से बना है .

पृथ्वी की सतह का 70% से अधिक भाग पानी से बना है जिसमें से केवल 3% पीने योग्य मीठा पानी है

क्या पानी बनाया जा सकता है?

अभी तक, यह संभव नहीं है, लेकिन उचित रासायनिक उपचार के बाद पानी को रिसाइकल और पुन: उपयोग किया जा सकता है

जल के स्रोत क्या हैं?

नदियाँ, झीलें, ग्लेशियर और भूजल तालिका पृथ्वी पर पानी के कुछ स्रोत हैं

विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय कौन सा है?

प्रशांत महासागर विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय है। साथ ही, नील नदी दुनिया में ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको प्रदूषण पर हिंदी और इंग्लिश में दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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Hindi Grammar by Sushil

जल प्रदूषण पर निबंध | Essay on Water Pollution in Hindi

Essay on Water Pollution in Hindi: मानव जीवन के लिए हवा और पानी सबसे महत्वपूर्ण है इन दोनों के बिना तो मानव जीवन की कल्पना ही करना संभव नहीं है और धरती पर लगातार बढ़ता जल प्रदूषण मानव, जीव – जंतु और जानवरों के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है।

वर्तमान में बढ़ता जल प्रदूषण व्यक्ति के दैनिक जीवन में किए जाने क्रियाकलापों, चाहे वह घर में हो , दुकानों में हो,या बड़े बड़े फैक्ट्री और कारखानों से जो कचरा निकलता है, उस कचरे को भले ही व्यक्ति बाहर कचरेदान में फेंक देता है, परंतु वह सब कचरा इकट्ठे होकर किसी नदी नाले तक पहुंच कर पूरे जल को प्रदूषित कर देता है।जिससे समस्त जीवमंडल का जीवन खतरे में आ गया है।

जल प्रदूषण पर निबंध (Essay on Water Pollution in Hindi)

Table of Contents

जल प्रदूषण पर निबंध (Essay on Water Pollution in Hindi)

“जल ही जीवन है” यह वाक्य पूर्णतः सत्य है क्योंकि एक मनुष्य बिना भोजन के तो कुछ समय तक जीवित रह सकता है, परंतु यदि उस मनुष्य को पीने के लिए पानी नहीं दिया गया तो उसका जीवित रहना संभव ही नही है। बिना जल के इस धरती पर मानव और जीव जंतुओं का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं।

आज के समय में मनुष्य अपने सुख सुविधा में यह भूल चुका है कि कारखानों, फैक्ट्रियों , सीवेज लाइनों आदि से निकला हुआ गंदा पानी, अकार्बनिक पदार्थ, विषैली गैसे,आदि जाकर नदियों में मिलकर स्वच्छ जल को भी दूषित कर देती है। प्रदूषण से भयंकर बीमारियां जन्म लेती है, जिससे समस्त धरती के मानव जाति के लिए खतरा बढ जाता है ।

जल प्रदूषण क्या है

जल प्रदूषण आज की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या बन चुकी है। जल में बाहरी पदार्थों की उपस्थिति जैसे- कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला गंदा पानी , विषैले पदार्थ ,कचरा मल मूत्र आदि सब मिलकर जल को दूषित कर देते हैं। जिससे जल की उपयोगिता कम हो जाए और यह जल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रभाव देने लगे तो इसे ही हम “जल प्रदूषण” कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) पीने का जो पानी होता है उसका PH, 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए।को मानव के जीवन के लिए बिल्कुल सही होता है।

जल प्रदूषण का कारण

जल प्रदूषण आज वर्तमान में एक सबसे गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके प्रभाव से समस्त मानव जाति ,जीव- जंतु सभी के जीवन पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। भारत की सबसे पवित्र मानी जाने वाली गंगा और यमुना नदी देश के उत्तरी, केंद्रीय तथा पूर्वी भागों के नदियों,शहरी, एवं बस्तियों से होकर गुजरती है। देश के इन्हे स्थानों पर सबसे अधिक जनसंख्या देखने को मिलती है।

तथा यहां के लोगो द्वारा घर का निकला हुआ कचरा, मलमूत्र और फैक्ट्रियों का गंदा पानी एवं हिंदू धर्म में बीमारी ग्रहित लोगो के शव को पानी में बहाना एवं अनेक प्रकार की विषैले पदार्थ सभी नदियों के पवित्र जल में मिलकर, जल को दूषित कर देते है। और जब वही जल तालाबों, नेहरों नदियों, नालों और झीलों के रूप में आता है तब उस जल का घरेलू इस्तेमाल करने से समस्त मानव जाति को खतरनाक बीमारियां का सामना करना पड़ता है।

जल प्रदूषण के प्रकार

जल प्रदूषण मुख्यत: तीन प्रकार से होता है-

1.भौतिक जल प्रदूषण –

जल प्रदूषण लोगों द्वारा जल में डाले सड़े – गले कचरा, सब्जियों,और मल – मूत्र , गंदा पानी आदि से जल में गंध ,खराब स्वाद और उसके उष्मीय गुणों में परिवर्तन के कारण होता है।

2. रासायनिक जल प्रदूषण-

रासायनिक जल प्रदूषण कारखानों, फैक्ट्रियों , जहाजों और प्रकार के उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ एवं मशीनों से निकले गंदे तेल के कारण रासायनिक जल प्रदूषण होता है।

3. जैविक जल प्रदूषण-

जैविक जल प्रदूषण में जब लोगो द्वारा नदी, तालाबों, नलों कुओं और झीलों को दूषित कर दिया जाता है।तो उसमें विभिन्न रोगों को जन्म देने वाले जीव, कीड़े मकोड़े जन्म ले लेते हैं, जिससे वह जल दूषित होता है और पूरे विश्व में जैविक जल प्रदूषण उत्पन्न होता है।

जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव

जल प्रदूषण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव तो मानव जीवन पर ही देखने को मिलता है। दूषित जल को पीने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति में अनेकों प्रकार की बीमारियां जैसे – हैजा, पेचिश, टाइफाइड, मलेरिया, पीलिया,कालरा, उल्टी – दस्त आदि बीमारियों से पूरे विश्व के लोग शिकार होते है। यह बीमारियां मनुष्य के लिए प्राण घातक भी साबित होती है।

जल प्रदूषण का हानिकारक प्रभाव सिर्फ मानव ही नहीं बल्कि, जल में रहने वाले जीव जंतु जैसे- मछली ,कछुआ, मगरमच्छ तथा अन्य जलीय जीवों पर भी इसका दुष्प्रभाव होता है। और जब मनुष्य द्वारा यह मछलियों का मन से खाया जाता है तो वह मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है जिसके कारण मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।

जल प्रदूषण पर नियंत्रण

  • औद्योगिक इकाइयों की बढ़ती संख्या और उसके प्रयोग से निकलने वाला दूसरे जल और रासायनिक कचरा नदियों के जाल में मिलकर पूरे जल को प्रदूषित कर देता है। इसीलिए यह आवश्यकता है कि छोटे अथवा बड़े सभी गांव शहरों में वाटर ट्रीटमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का अनिवार्य रूप से होना अति आवश्यक है।
  • करने के लिए मिट्टी के कटाव को रोकना भी अति आवश्यक है यदि हमें मृदा को प्रदूषित होने से रोक ले तो हम कुछ हद तक जल प्रदूषण को भी रोका जा सकता हैं। जरूरी है कि हमें अधिक से अधिक के पेड़ पौधे लगाने चाहिए जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हो।
  • सरकार द्वारा जो स्वच्छ भारत अभियान है शुरू किया गया है,उसके लिए यह बहुत जरूरी है कि भारत में जो खुले में शौच का इस्तेमाल कर रहे है, उसमें पूरी तरह से रोक लगाई जाए।और कचरे को सार्वजनिक स्थानों पर ना फेंक कर कचरा दान में ही डाला जाए।
  • मनुष्य अपनी सुख सुविधाओं के लिए जिस तरह नदियों तालाबों को गंदा कर रहा है यह तो यह बहुत जरूरी है की नदियों, तालाबों और समुद्र की नियमित रू प से सफाई की जाए। मनुष्य के द्वारा कम से कम रूप में ही प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाए।
  • घरों की साफ सफाई के लिए जो पानी इस्तेमाल किया जाता है। उसे रोग मुक्त बनाने के लिए क्लोरीन की गोलियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • प्राकृतिक रूप से जो जल की कार्य प्रणाली होती है, उसके साथ हमें छेड़छाड़ या खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
  • विश्व में जल प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले खतरों के बारे में लोगों तथा समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए। ताकि जल प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
  • कृषि के क्षेत्र में जो आज हम खाद और कीटनाशक का प्रयोग करते हैं, वह सब वर्षा के पानी के साथ बहकर जल में मिलकर खतरनाक जल प्रदूषण को जन्म देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक है रिसर्च के अनुसार यह बताया गया है कि दुनिया भर में जो 86 फ़ीसदी जो बीमारियां होती है,वह असुरक्षित एवं दूषित पर जलने से ही होती हैं, वर्तमान के समय में करीब 1600 से अधिक जलीय प्रजातियां हैं जो जल प्रदूषण के कारण लुप्त होती जा रही हैं । पूरे विश्व में करीब 1.10 अरब से ज्यादा लोग इस प्रदूषित जल को पीने के इस्तेमाल में ला रहे हैं वह इसी दूषित जल को पीने के लिए मजबूर है, क्योंकि पानी के बिना तो जीवन का गुजारा ही नहीं हो सकता है। इसलिए हम सबका यह कर्त्तव्य है कि नदियों, तालाबों,झीलों अन्य सभी जल संसाधन की साफ सफाई में अपना योगदान दें और विश्व को जल प्रदूषण से होने वाले खतरे से बचने में मदद करे।

प्रश्न 1- जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत क्या है?

उत्तर – जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत घरेलू सीवेज ,गंदा पानी, औद्योगिक ,अपशिष्ट, खाद और खनिज तेल है।

प्रश्न 2- जल प्रदूषण से कौन सा रोग होता है?

उत्तर – जल प्रदूषण के कारण हैजा , टाइफाइड ,कालरा, पीलिया जैसे बीमारियां होती हैं।

प्रश्न 3- जल प्रदूषण कहां से आता है?

उत्तर -मानवीय गतिविधियों के कारण ही जल प्रदूषण होता है।

प्रश्न 4-सबसे बड़ा जल प्रदूषण क्या है?

उत्तर – सबसे बड़ा जल प्रदूषण एवं सीवेज लाइन है

इन्‍हें भी पढ़ें

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Neha

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मेरा नाम नेहा हैं और मुझे हिंदी में लेख लिखना और पढ़ना बहुत पसंद हैं और मैं इस वेबसाइट के माध्‍यम से हिंदी में निबंध लेखन से संबंधित जानकारी शेयर करती हूँ।

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जल–प्रदूषण पर अनुच्छेद | Paragraph on Water Pollution in Hindi

water pollution essay in hindi

जल–प्रदूषण पर अनुच्छेद | Paragraph on Water Pollution in Hindi!

जल को जीवन माना जाता है । जल क अभाव में जीव – समुदाय जीवित नहीं रह पाएगा । जल का उपयोग हम पीने, नहाने, सिंचाई करन तथा साफ-सफाई में करते हैं । इन कार्यों के लिए हमें स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है । लेकिन इन दिनों हमारे उपयोग का जल प्रदूषित हो गया है । जल में अनेक प्रकार के गंदे तत्व घुल-मिल गए हैं । नालों का गंदगी, प्लास्टिक, सड़े – गले पदार्थ, कीटाणुनाशक आदि मिलने से जल की गुणवत्ता में बहुत कमी आ गई है । गंदे – जल में हानिकारक कीटाणु होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते हैं । अत: हमे जल को प्रदूषित नहीं करना चाहिए । जल के भंडारों में ऐसा कोई पदार्थ नहीं छोड़ना चाहिए जिससे यह गंदा होता हो । नदियों की सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए । जल – प्रदूषण के प्रति सामाजिक जागरूकता फैलानी चाहिए । जल को अमृत कहा गया है इसलिए इसकी स्वच्छता को बनाए रखना हमारा – कर्त्तव्य है ।

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    In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution. Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

  17. Essay on Water Pollution in Hindi जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

    Today we are going to write an essay on water pollution in Hindi जल प्रदूषण पर निबंध। Yes we are going to discuss very important topic i.e essay on water pollution in Hindi. Water pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on water pollution in Hindi is defined in more than 200 and 300 ...

  18. जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)

    यह वेबसाइट पर जल प्रदूषण के क्या है, क्यों होता है, किसी प्रकार होता है, क्या प्रभाव है आदि से पूरा जल प्रदूषण पर निबंध मिलेंगे। इस निबंध को बच्चों और विद्यार्थियों के लिए स्कूल या कॉ

  19. जल प्रदूषण पर निबंध

    यह एक पढ़नी है, जो जल प्रदूषण की प्रकार, कारण, प्रभाव और प्रेरित के बारे में बताता है। जल प्रदूषण की समस्या को जागरूक करने के लिए कई जागरूकता प्रोग्राम चलाने की जरूरत है

  20. जल पर निबंध 10 Lines (Essay On Water in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300

    जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) - पानी, पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व का कारण, ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा है। जल वह जादुई तरल है, जो जानवरों,

  21. प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

    June 1, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English: Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth. but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our ...

  22. जल प्रदूषण पर निबंध

    Essay on Water Pollution in Hindi: मानव जीवन के लिए हवा और पानी सबसे महत्वपूर्ण है इन दोनों के बिना तो मानव जीवन की कल्पना ही करना संभव नहीं है और धरती पर

  23. जल-प्रदूषण पर अनुच्छेद

    जल-प्रदूषण पर अनुच्छेद | Paragraph on Water Pollution in Hindi! जल को जीवन माना जाता है । जल क अभाव में जीव - समुदाय जीवित नहीं रह पाएगा । जल का उपयोग हम पीने, नहाने, सिंचाई करन ...