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  • IGNOU Self Learning Material (SLM)
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  • Education News
  • Hrd Ministry's Online Platform 'shodhganga' To Help Research Scholars Access Study Material

'शोधगंगा' ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से छात्र पूरी कर सकेंगे थीसिस

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, “घर से पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए 'शोध गंगा' मददगार है।''.

shodhganga

रेकमेंडेड खबरें

इस हफ्ते हुआ भारत और पाकिस्तान की आलिया का आमना-सामना, तो गुजराती लड़की पर हॉलीवुड हुआ फिदा

Researchरथ

शोधसिद्धि की ओर अग्रसर.......

700 PhD topics in Hindi Subject, Shodhganga Research Topics Hindi, PhD Research Topics in Hindi, List of Ph.D Done in Hindi, Department of Hindi, Hindi Ph.D Thesis list

हिन्‍दी विषय में शोध करना चाहते हैं । परन्‍तु किस विषय पर? यह समस्‍या से परेशान हैं तो यह सूची आप जैसे की समस्‍याओं को ध्‍यान में रखकर बनायी गई है। शोध विषय के चयन नहीं कर पा रहे हैंं तो यहां पर 700 पी एच डी थीसिस की एक सूची दी गई है। किसी से सीधे सीधे एक शोध विषय पूछ लेने से अच्‍छा है कि आप स्‍वयंं ही 700 टॉपिक में से किसी एक का चयन करें और उसे और गहराई से अध्‍ययन कर शोध के लिए ऐसे क्षेत्र का चयन करें जहां शोध करने की आवयश्‍यता है।

  • अज्ञेय के काव्‍य में बिंब- विधान और प्र‍तीक योजना
  • अज्ञेय के गद्य-साहित्‍य का मनोभाषावैज्ञानिक अनुशीलन
  • अज्ञेय के साहित्‍य में जीवन-मूल्‍य
  • अपभ्रंश कथा काव्‍यों का हिन्‍दी प्रेमाख्‍यानकों के शिल्‍प पर प्रभाव
  • अब्‍दुल बिस्मिल्‍लाह के कथा साहित्‍य में मुस्लिम समाज
  • अब्‍दुल बिस्मिल्‍लाह के कथा साहित्‍य में यथार्थ-बोध
  • अमरकांत की कहानियाँ परिवेश एवं पात्र
  • अमरकांत के कथा साहित्‍य में व्‍यक्ति, परिवार और समाज
  • अमृत लाल नागर के उपन्‍यासों के संवादों की भाषा का समाज शास्‍त्रीय परिशीलन
  • अमृत लाल नागर के प्रमुख औपन्‍यासिक पात्रों का मनोवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • अमृतलाल नागर के उपनयास संवेदना और शिल्‍प
  • अमृतलाल नागर के उपन्‍यास
  • अमृतलाल नागर के उपन्‍यासों में मध्‍यवर्गीय जीवन
  • अमृतलाल नागर के उपन्‍यासों में सामाजिक चेतना का मनोवैज्ञानिक विश्‍लेषण
  • अलका सरावगी का उपन्‍यास साहित्‍य विविध आयाम
  • अवधी लोक साहित्‍य का समाजशास्‍त्रीय अध्‍ययन (स्‍त्री अस्मिता के विशेष संदर्भ में)
  • अश्‍वघोष एवं कालि‍दास के जीवन-दर्शन का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • अष्‍ट छाप काव्‍य में रूप चित्रण
  • अष्‍ट छाप के कवियों की रस साधना (लीलारस के संदर्भ में)
  • अष्‍टछाप कृष्‍णकाव्‍य में लोकतत्त्व
  • अष्‍टछापेत्तर पुष्टिमार्गीय कवियों के काव्‍य का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन (17 वीं शती)
  • अष्‍टछापेत्तर मध्‍ययुगीन काव्‍य में बाल-भाव का साहित्यिक अध्‍ययन
  • आंचलिक उपन्‍यास और फणीश्‍वरनाथ ‘रेणु’
  • आंचलिकता की दृष्टि से रामदरश मिश्र के उपन्‍यासों का मूल्‍यांकन
  • आगम और कबीर
  • आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल का निबन्‍ध साहित्‍य हिन्‍दी नवजागरण और युग चेतना के संदर्भ में
  • आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल की अनुवाद प्रक्रिया तथा बुद्ध-चरित
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्‍य में उदात्त-तत्व
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी व्‍यतित्व और कृतित्त्व
  • आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और हिन्‍दी आलोचना
  • आठवें दशक के हिन्‍दी-उपन्‍यासों में नारी-समस्‍याँ (1971 से 1980)
  • आदिग्रंथ में संगृहीत संत कवियों के सामाजिक आधार का मूल्‍यांकन
  • आदिवासी उपन्‍यास साहित्‍य मूल्‍यांकन के विविध आयाम
  • आदिवासी और हिन्‍दी उपन्‍यास (पीटर पॉल एक्‍का और रणेन्‍द्र के विशेष संदर्भ में)
  • आदिवासी जीवन का साांस्कृदिक पक्ष और हिन्‍दी के उपन्यास
  • आधागाँव, बलचनमा और अल्‍माकबूतरी उपन्‍यासों की भाषाओं का तुलनात्‍मक भाषावैज्ञानिक अध्‍ययन
  • आधी आबादी का सच और मुस्लिम महिलाएं (नासिरा शर्मा के कथा साहित्‍य के विशेष संदर्भ में)
  • आधुनिक अवधी कविता में कृषक जीवन के विविध संदर्भ
  • आधुनिक परिप्रेक्ष्‍य और रामचरितमानस
  • आधुनिक परिप्रेक्ष्‍य में तुलसी काव्‍य के नैतिक-मूल्‍य
  • आधुनिक परिप्रेक्ष्‍य में संत काव्‍य की प्रासंगिकता
  • आधुनिक बाल साहित्‍य की प्रमुख लेखिकाओं के साहित्‍य का मूल्‍यांकन
  • आधुनिक युग में आत्‍म और हिन्‍दी आत्‍म कथा का विकास
  • आधुनिक युग में कबीर की प्रासंगिकता
  • आधुनिक हिन्‍दी कविता में गाँव के बदलते स्‍वरूप के संदर्भ में त्रिलोचन की कविता
  • आधुनिक हिन्‍दी कविता में गीतितत्त्व
  • आधुनिक हिन्‍दी कविता में व्‍यक्तिवाद (1941 से 1970)
  • आधुनिक हिन्‍दी कविता में सामाजिक चेतना (1937 से 1950)
  • आधुनिक हिन्‍दी काव्‍य की कलावादी एवं उपयोगितावादी प्रवृत्तियों का आलोचनात्‍मक अध्‍ययन (1901 से 1920 ई०)
  • आधुनिक हिन्‍दी कृष्‍ण काव्‍य का मनोवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • आधुनिक हिन्‍दी तथा उर्दू की उपन्‍यास-कला का तुलनात्‍मक अध्‍ययन (1947 से 1960)
  • आधुनिक हिन्‍दी तथा उर्दू-पद रचना का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • आधुनिक हिन्‍दी नाटक (1930 से 1960) और लक्ष्‍मीनारायण मिश्र
  • आधुनिकता बोध और निमर्ल वर्मा का कथा-साहित्‍य
  • आधुनिकवाद और नयी कविता (1955 – 1975)
  • आलम व्‍यक्तित्त्व और कृतित्त्व
  • आलोचना के बदलते मानदण्‍ड और हिन्‍दी साहित्‍य
  • इक्‍कसवीं सदी की प्रमुख हिन्‍दी कहानियों में प्रतिरोधी चेतना (2000 से 2015 तक)
  • इक्‍कीसवीं सदी के प्रथम दशक के उपन्‍यासों में मध्‍चवर्गीय जीवन का यथार्थ
  • इलाचन्‍द्र जोशी के उपन्‍यासों की भाषा का समाज सांदर्भिक विवेचन
  • उत्तर आधुनिकता अवधारणा और कथा साहित्‍य में प्रतिफलन के संदर्भ
  • उत्तर आधुनिकतावाद और हिन्‍दी कविता
  • उत्तर मध्‍यकालीन सूफ़ी काव्‍य और नूरमुहम्‍मद
  • उत्तरी भारत के सांस्‍कृतिक विकास में संतों का योगदान (15 वीं से 16 वीं शताब्‍दी)
  • उदय प्रकाश की कहानियों में यर्थाथ बोध
  • उदयशंकर भट्ट काव्‍य और नाटक
  • उदयशंकर भट्ट के उपन्‍यासों में यथार्थबोध
  • उन्‍नीसवीं शताब्‍दी का ब्रज भाषा-काव्‍य
  • उन्‍नीसवीं शताब्‍दी के हिन्‍दी गद्य-साहित्‍य में राष्‍ट्रीय चेतना का स्‍वरूप
  • उन्‍नीसवीं सदी में हिन्‍दी की प्रमुख प्रकाशन संस्‍थानों के संदर्भ में खङ्गविलास प्रेस, बाँकेपुर का हिन्‍दी के विकास में योगदान
  • उपन्‍यासकार भगवतीचरण वर्मा
  • उपन्‍यासकार भगवतीशरण मिश्र गांधीवादी विचारधारा और राजनीतिक परिप्रेक्ष्‍य (शान्तिदूत एवं अथ मुख्‍यमंत्री कथा के विशेष सन्‍दर्भ में)
  • उर्वशी आख्‍यान का विकास-क्रम और दिनकर की उर्वशी
  • ऋग्‍वेद में प्रतीक-विधान
  • ओमप्रकाश वाल्‍मीकि चिन्‍तन और साहित्‍य
  • औपनिवेशिक युग में संत काव्‍य परम्‍परा (पलटूदास के विशेष संदर्भ में)
  • औपनिवेशिक शोषण का प्रतिरोध और हिन्‍दी कहानी
  • कथाकार द्रोणवीर कोहली के उपन्‍यास कथ्‍य एवं शिल्‍प
  • कबीर एवं रैदास के साहित्‍य का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • कबीर साहित्‍य का मूल्‍यांकन और आचार्य परशुराम चतुर्वेदी
  • कबीर साहित्‍य के अध्‍ययन और मूल्‍यांकन की परम्‍परा का अनुशीलन
  • कमलेश्‍वर का कहानी साहित्‍य परम्‍परा और प्रयोग
  • कमलेश्‍वर के उपन्‍यासों में नारी-मीमांसा
  • कमलेश्‍वर के कथा साहित्‍य में चित्रित सामाजिक का यर्थाथ
  • कमलेश्‍वर के कथा-साहित्‍य में आधुनिकता
  • कमलेश्‍वर के कथा-साहित्‍य में परिवेशबोध
  • कवि अज्ञेय का कथा साहित्‍य संवेदना और दृष्टि
  • कवि अज्ञेय की सौन्‍दर्य-दृष्टि
  • कवि नागार्जुन की व्‍यंग्‍य चेतना
  • कविराज सुखदेव मिश्र और उनका साहित्‍य
  • कविवर तरुण के काव्‍य-बिम्‍ब
  • कश्‍मीर विस्‍थापन समस्‍या पर केंद्रित उपन्‍यासों में संवेदना
  • कामायनी और लोकायतन के जीवन-दर्शन का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • कामायनी का महाकाव्‍यतत्व और उसका वैशिष्‍ट्य
  • कामायनी का स्‍वच्‍छन्‍दतावादी मूल्‍यांकन
  • काशी की संत परम्‍परा और रैदास का सामाजिक चिंतन
  • काशीनाथ सिंह का कथा-शिल्‍प
  • काशीनाथ सिंह का गद्य साहित्‍य वस्‍तु निरूपण और शिल्‍प विधान
  • काशीनाथ सिंह के उपन्‍यासों में सामाजिक – राजनैतिक यथार्थ
  • काशीनाथ सिंह के कथा-साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त सामाजिक यथार्थ
  • किसान आनदोलन और प्रेमचन्‍द का साहित्‍य
  • किसान आन्‍दोलन और प्रेमचन्‍द का साहित्‍य
  • कुँवर नारायण के काव्‍य में सांस्‍‍कृतिक चेतना
  • कुंवर नारायण के काव्‍य में मिथक और यथार्थ का अंत संबन्‍ध
  • कुडुख आदिवासी गीत जीवन राग और जीवन संघर्ष
  • कुमार विकल का  काव्‍य संसार संवेदना और शिल्‍प
  • कृष्‍ण काव्‍य की परम्‍परा में कन्‍हावत
  • कृष्‍णा सोबती का कथा-साहित्‍य
  • कृष्‍णा सोबती के उपन्‍यासों में मानवीय संवेदना एवं शिल्‍प
  • केदाननाथ अग्रवाल के काव्‍य में अभिव्‍यक्‍त लोकजीवन
  • केदाननाथ अग्रवाल के काव्‍य में व्‍यक्‍त जनवादी चेतना
  • केदारनाथ सिंह की कविता में सामाजिक यथार्थ
  • खड़ीबोली का आन्‍दोलन (एक विशद् अध्‍ययन)
  • गंगा प्रसाद विमल के कथा साहित्‍य में आधुनिकता बोध
  • गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ विचारक, कवि और कथाकार
  • गिरिराज किशोर के उपन्‍यासों में मल्‍यों के विघटन का अध्‍ययन
  • गिरिराज केशोर का कथा साहित्‍य कथ्‍य और शिल्‍प
  • गीतांजलि श्री का कथा साहित्‍य
  • गुसाईं-गुरूबानी का समीक्षात्‍मक अध्‍ययनन
  • गोपाल सिंह नेपाली के साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त गीत के विविध आयाम
  • गोरखबानी का आलोचनात्‍मक अध्‍ययन
  • गोरखबानी का संत काव्‍य पर प्रभाव
  • गोविनद मिश्र का कथा-साहित्‍य कथ्‍य और शिल्‍प
  • गोविन्‍द मिश्र के उपन्‍यासों में मूल्‍य-बोध
  • गौतम बुद्ध-युग सम्‍बन्‍धी हिन्‍दी के प्रमुख उपन्‍यासों में ऐतिहासिकता, जीवन-दर्शन और उपन्‍यास-शिल्‍प
  • घनानन्‍द की अलंकार योजना
  • चंदायन और लोरिकायन का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • चन्‍द्रकान्‍ता के उपन्‍यासों में समसामयिक विमर्श (‘ऐलान गली जिन्‍दा है’ एवं ‘कथा सतीसर’ के संदर्भ में)
  • चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी और उनकी कारचित्री प्रतिभा
  • चरित्रांकन की दृष्टि से कृष्‍णा सोबती एवं उषा प्रियंवदा के कथा-साहित्‍य का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • चित्ररेखा का दार्शनिक एवं सामाजिक मूल्‍यांकन
  • चित्रा मुद्गल के उपन्‍यासों में नारी-जीवन की समस्‍याएँ
  • चित्रा मुद्गल के कथा साहित्‍य में स्‍त्री-चेतना
  • चित्रा मुद्गल के कथा-साहित्‍य में नारी के विविध रूप
  • छायावाद के पृष्‍टभूमि में भगवतीचरण वर्मा के काव्‍य का अनुशीलन
  • छायावाद यर्थाथवाद के संदर्भ में प्रो० नामवर सिंह की समीक्षा दृष्टि का आलोचनात्‍मक अध्‍ययन
  • छायावाद युग और निराला का पत्र-साहित्‍य
  • छायावाद युगीन महाकाव्‍यों पर गांधीवाद का प्रभाव
  • छायावादी और प्रयोगवादी काव्‍य का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • छायावादी कवियों का समाज-दर्शन
  • छायावादी कवियों की आलोचना दृष्टि एवं हिन्‍दी आलोचना
  • छायावादी कवियों पर अंग्रेजी के रोमांटिक कवियों का प्रभाव
  • छायावादी काव्‍य में स्‍त्री विमर्श
  • छायावादी साहित्‍य में स्‍वातंत्र्य चेतना
  • छायावादोत्तर गीतिकाव्‍य परम्‍परा के विकास में गोपाल सिंह ‘नेपाली’ का योगदान
  • छायावादोत्तर हिन्‍दी कविता बोध एवं संरचना (1936 से 1950 तक)
  • छायावादोत्तर हिन्‍दी काव्‍य बदलते स्‍वरूप एवं मानदण्‍ड (1936 से 1960 तक)
  • छायावादोत्तर हिन्‍दी के प्रमुख जीवनियों का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • छायावादोत्तोर हिन्‍दी कविता स्‍वच्‍छन्‍दतावादी अध्‍ययन
  • छायावादोत्तोर हिन्‍दी गीति-काव्‍च में हरिवंशराय बच्‍चन का योगदान
  • जगदीश चंद्र के उपन्‍यासों में दलित चेतना
  • जगदीश चन्‍द्र के उपन्‍यासों में पंजाब के मजदूर-किसानों के जीवन का यथार्थ
  • जगदीश चन्‍द्र के उपन्‍यासों में सामाजिक परिप्रेक्ष्‍य
  • जयशंकर प्रसाद का कथा साहित्‍य
  • जयशंकर प्रसाद के काव्‍य में चित्रात्‍मकता
  • जयशंकर प्रसाद के नाटकों में इतिहास बोध
  • जयशंकर प्रसाद के नाटकों में वस्‍तु-विधान
  • जयशंकर प्रसाद के नाटकों में सांगीतिक-चेतना
  • जायसी के काव्‍य में सामाजिक चेतना
  • जैन कवि स्‍यंभूदेव कृत पउमचरिउ (अपभ्रंश) एवं तुलसी कृत रामचरितमानस का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • जैनेन्‍द्र कुमार की कहानियों का मनोविश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
  • जैनेन्‍द्र के उपन्‍यासों में सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक चेतना
  • जैनेन्‍द्र के कथा-साहित्‍य में मानव-मूल्‍य
  • जैनेन्‍द्र के कहानी साहित्‍य का मनोवैज्ञानिक विश्‍लेषण
  • डॉ विश्‍वनाथ त्रिपाठी का सृजन-संसार
  • डॉ. रामविलास शर्मा और हिन्‍दी की मार्क्सवादी आलोचना
  • डॉ० कुँवर बेचैन के साहित्‍य में जीवन-मूल्‍य
  • डॉ० गिरिराजशरण के काव्‍य का विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
  • डॉ० नरेन्‍द्र कोहली के उपन्‍यास ‘महासमर’ का आधुनिक परिप्रेक्ष्‍य में मूल्‍यांकन
  • डॉ० रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि
  • तमिल के परणि तथा हिन्‍दी के रासो-काव्‍यों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • तुलसीदास के दोहावली में अभिव्‍यक्‍त जीवन-मूल्‍य
  • तुलसीदास के साहित्‍य में अरण्‍य जीवन और संस्‍कृति
  • त्रिलोचन की कविताओं का समाजदर्शन
  • त्रिलोचन के चतुर्दशपदी काव्‍य-रूप का अनुशीलन
  • दया प्रकाश सिन्‍हा के नाटकों का नाट्य शिल्‍प
  • दलित आत्‍मकथाओं में मानवीय संवेदना और प्रतिरोध (तुलसीदास के विशेष संदर्भ में)
  • दलित आन्‍दोलन का हिन्‍दी उपन्‍यासों पर प्रभाव (1975 से 2000)
  • दलित एवं किसान जीवन का यथार्थ और समकालीन कथा साहित्‍य (शिवमूर्ति के विशेष संदर्भ में)
  • दलित कथा साहित्‍य में स्‍त्री जीवन
  • दलित विमर्श आलोचना के विकाश में डॉ. धर्मवीर का अवदान
  • दलित साहित्‍य में व्‍यक्‍त सामाजिक, राजनीतिक चेतना
  • दलित-विमर्श और नागार्जुन के उपन्‍यास
  • दसवें दशक के हिन्‍दी साहित्‍य भूमण्‍डलीकरण सम्‍बन्धी विमर्श
  • दादू दयाल और संत काव्‍य के विकास में उनकी भूमिका
  • दिनकर के काव्‍य में बिम्‍ब-योजना का आलोचनात्‍मक अध्‍ययन
  • दुष्‍यंत कुमार के साहित्‍य में व्‍यवस्‍थालोचना
  • देवराज ‘दिनेश’ का कृतित्त्व और कर्तृत्त्व
  • देशभक्ति काव्‍य परम्‍परा में मैथिलीशरण गुप्‍त का योगदान समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • नई कवि‍ता की ऐतिहासि‍क पृष्‍ठभूमि और शमशेर बहादुर सिंह का रचना-संसार
  • नई कहानी में मध्‍यवर्गीय चेतना
  • नए काव्‍य प्रतिमानों के संदर्भ में नई समीक्षा
  • नक्‍सलबाड़ी आन्‍दोलन और समकालीन हिन्‍दी कविता
  • नज़ीर अकबराबादी की विचारधारा विविध आयाम
  • नज़ीर अकबराबादी के काव्‍य में आधुनिकता के आयाम
  • नन्‍ददास और सूरदास का तुलनात्‍मक अध्‍ययन काव्‍य, कला व भाषा की दृष्टि से
  • नबे दशक की हिन्‍दी-कहानी में पारिवारिक जीवन की अभिव्‍यक्ति
  • नयी कविता का वैचारिक परिप्रेक्ष्‍य और मार्क्‍सवादी आलोचना दृष्टि
  • नयी कविता का स्‍वच्‍छन्‍दतावादी मूल्‍यांकन
  • नयी कविता के अध्‍ययन में परिमलवत्त का योगदान
  • नयी कहानी आन्‍दोलन के संदर्भ में हिन्‍दी कहानी समीक्षा का विकास
  • नयी कहानी धारा और अमरकान्‍त की कहानियाँ
  • नयी कहानी में बिम्‍ब और प्रतीक
  • नरेन्‍द्र कोहली और रामकुमार भ्रमर के महाभारतमूलक उपन्‍यासों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • नरेश मेहता के काव्‍य का भाषावैज्ञानिक अनुशीलन
  • नागार्जुन के उपन्‍यासों में चित्रित समाज के विविध आयाम
  • नागार्जुन के उपन्‍यासों में चित्रित सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष
  • नाटकों में यथार्थवाद
  • नामवर सिंह का आलोचना कर्म
  • नारी विमर्श के संदर्भ में मन्‍नू भंडारी का लेखन
  • नारी-विमर्श के संदर्भ में मन्‍ने भंडारी का लेखन
  • नारी-विमर्श के संबन्‍ध में रांगेय राघव के उपन्‍यासों का मूल्‍यांकन
  • नार्गाजुन की कविता में राजनीतिक अभिव्‍यक्ति का स्‍वरूप
  • नार्गाजुन के कथा साहित्‍य में युग-बोध
  • नासिरा शर्मा एवं मैत्रेयी पुष्‍पा के उपन्‍यासों की समाज चेतना का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • नासिरा शर्मा के उपन्‍यासों का मनोवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • नासिरा शर्मा के कथा-साहित्‍य में मूल्‍य-बोध
  • निम्‍नमध्‍यवर्गीय जीवन और विनोद कुमार शुक्‍ल के साहित्‍य की अभिनवता
  • निराला का कथा साहित्‍य
  • निराला काव्‍य अपरा में अप्रस्‍तुत विधान
  • निराला काव्‍य में जनतांत्रिक मूल्‍य और स्‍वाधीनता की अवधारणा
  • निराला के कथा-साहित्‍य में स्‍वच्‍छन्‍दतावादी तत्त्व
  • निराला के काव्‍य में अभिव्‍यक्‍त मानववाद
  • निराला के गीत संवेदना और शिल्‍प
  • निराला के निबन्‍धों का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • निराला साहित्‍य पर स्‍वामी विवेकानंद का प्रभाव
  • निराला साहित्‍य में नारी
  • निर्गुन निर्गुण साहित्‍य की सांस्‍कृतिक पृष्‍ठभूमि
  • निर्मल वर्मा के कथा साहित्‍य में जीवन-मूल्‍य
  • निर्मल वर्मा के कथा साहित्‍य में संवेदना एवं शिल्‍प
  • पंडित गोकुलचंद्र शर्मा के काव्‍य में आधुनिकता का स्‍वरूप
  • पंडित नथाराम शर्मा गौड के नाट्यालेख
  • पंत का काव्‍य शिल्‍प
  • पंत के ‘’लोकायतन’’ में चित्रित आधुनिक जीवन और कला का अध्‍ययन
  • पछादों के लोक गीतों का अध्‍ययन (मुरादाबाद जनपद की अमरोहा और सम्‍भल तहसीलों के परिप्रेक्ष्‍य में)
  • पदमसिंह शर्मा कमलेश व्‍यक्तित्त्व और कृतित्त्व
  • पद्माकरोत्तर रीतिकाव्‍य
  • पद्मानन्‍द महाकाव्‍य का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • पद्मावत एवं रामचरितमानस में चित्रित लोकजीवन का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • परमांनन्‍द सागर का भाषा वैज्ञानिक अध्‍ययन
  • परमानंद सागर राधातत्त्व और लीलारस
  • परम्‍परा एवं मौलिकता के निकष पर ‘महासमर’ का मूल्‍यांकन
  • परम्‍परा और प्रगति का संदर्भ तथा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का व्‍यतित्व और कृतित्त्व
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोकगीतों का सामाजिक अध्‍ययन
  • पृ‍थ्‍वीराज रासो का काव्‍यशास्‍त्रीय अनुशीलन
  • प्रगतिशील आलोचना परंपरा में अरुण कमल और राजेश जोशी का आलोचना कर्म
  • प्रगतिशील काव्‍य धारा और अरुण कमल की कविताएँ
  • प्रगतिशील चेतना के परिप्रक्ष्‍य में पं० रामचन्‍द्र शुक्‍ल का पुनर्मूल्‍यांकन
  • प्रगतिशील हिन्‍दी आलोचना और शिवदान सिंह चौहान का आलोचना-कर्म
  • प्रगतिशीलता और केदारनाथ अग्रवाल की कविताएँ
  • प्रताप नारायण मिश्र और हिन्‍दी नवजागरण की चिन्‍ताएँ
  • प्रतापनारायण मिश्र का रचना कर्म
  • प्रबोध चन्‍द्रोदय नाटक के हिन्‍दी रूपान्‍तर और अंत धार्मिक संवाद
  • प्रभा खेतान का कथा साहित्‍य एवं स्‍त्री मुक्ति का प्रश्‍न
  • प्रभा खेतान के कथा साहित्‍य में स्‍त्री-विमर्श के विविध आयाम
  • प्रभा खेतान के साहित्‍य में वैचारिक आयाम
  • प्रमुख पंचायती फैसले और मीडिया एक समाजशास्‍त्रीय अध्‍ययन (पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में)
  • प्रमुख हिन्‍दी समाचार पत्रों में सामाजिक सरोकार एक विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
  • प्रयोगवादी कविता के विकास में दूसरा सप्‍तक के कवियों की भूमिका
  • प्रयोगवादी-काव्‍य में द्वन्‍द्व (तार-सप्‍तक तक)
  • प्रवासी हिन्‍दी कहानी काव्‍य में संस्‍कृति (अमेरिका के विशेष संदर्भ में)
  • प्रवासी हिन्‍दी कहानी संवेदना और मूल्‍य संकट (अमेरिका के विशेष संदर्भ में)
  • प्रवासी हिन्‍दी साहित्‍य स्‍त्री मुक्ति का संघर्ष एवं उनके अनुभव
  • प्रसाद और डॉ० रामकुमार वर्मा के नाटकों में राष्‍ट्रीय-चेतना का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • प्रसाद के नाटकों में प्रयुक्‍त सांस्‍कृतिक शब्‍दावली का ऐतिहासिक अध्‍ययन
  • प्रसाद के नाटकों में विषयतत्व और उनकी नाटकीय अभिव्‍यंजना
  • प्रसाद साहित्‍य के आदर्श पात्र
  • प्रेमचंद की कहानियों में स्‍त्री-जीवन का यथार्थ
  • प्रेमचंद के उपन्‍यास साहित्‍य में परिवार की अवधारणा
  • प्रेमचंद के उपन्‍यासों में मध्‍यवर्ग दशा और दिशा
  • प्रेमचंद के कथा साहि‍त्‍य में ग्रामीण स्‍त्री (भारतीय सामंतवाद और उपनिवेशवाद के विशेष संदर्भ में)
  • प्रेमचंद के कथा साहित्‍य में दलित चेतना
  • प्रेमचंद के साहित्‍य में दलित चेतना का स्‍वरूप
  • प्रेमचंदोत्तर उपन्‍यास साहित्‍य में नूतन नारी की परिकल्‍पना
  • प्रेमचंदोत्तर उपन्‍यासों में प्रगतिशीलता
  • प्रेमचंदोत्तर हिन्‍दी उपन्‍यास में नैतिक बोध
  • प्रेमचंद्रोत्तर हिन्‍दी कहानी एक विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
  • प्रेमचन्‍द और पसाद के उपन्‍यासों की भाषा का तुलनात्‍मक भाषावैज्ञानिक अनुशीलन
  • प्रेमचन्‍द और प्रसाद की जीवन दृष्टि और कहानी-कला
  • प्रेमचन्‍द और भीष्‍म साहनी के उपन्‍यासों का तुलनात्‍मक भाषावैज्ञानिक विवेचन
  • प्रेमचन्‍द का कथेत्तर साहित्‍य
  • प्रेमचन्‍द की कृतियों के सिनेमाई रूपान्‍तरण का अनुशीलन
  • प्रेमचन्‍द के उपन्‍यासों का समाजशास्‍त्रीय अध्‍ययन
  • प्रेमचन्‍द के उपन्‍यासों में संर्दभित सामाजिक, राजनैतिक तथा सांस्‍कृतिक संस्‍थाओं का स्‍वरूप
  • प्रेमचन्‍द के उपन्‍यासों में स्‍त्री-चेतना
  • प्रेमचन्‍द के कथा साहित्‍य में परिवार
  • प्रेमचन्‍द के कथा साहित्‍य में सामासिक संस्‍कृति
  • फणीश्‍वरनाथ रेणु के कथा साहित्‍य का सामाजिक एवं राजनीतिक अध्‍ययन
  • बलदेव वंशी के काव्‍य मे जीवन मूल्‍य
  • बिलग्राम के मुसलमान कवियों का हिन्‍दी साहित्‍य को योगदान (1600 से 1800)
  • बीसवीं शताब्‍दी का हिन्‍दी आत्‍मकथा साहित्‍य
  • बीसवीं शताब्‍दी के नाटकों में प्रतिबिम्बित सामाजिक-चेतना
  • बीसवीं शदी के हिन्‍दी उपन्‍यासों पर अंग्रजी उपन्‍यासों का प्रभाव
  • बीसवीं सदी की हिन्‍दी कहानी प्रवृत्तिगत अध्‍ययन (महेश दपर्ण द्वारा सम्‍पादित प्रतिनिधि कहानियों के  संदर्भ में)
  • बीसवीं सदी के अंति‍म दशक की प्रमुख स्‍त्री कथाकारों की कहानियों में स्‍त्री जीवन
  • बीसवीं सदी के अंति‍म दशक के उपन्‍यासों में जीवन मूल्‍य
  • बुद्धकालीन समाज और धर्म (बौद्ध, जैन और ब्राह्मण साहित्‍य के परिप्रक्ष्‍य में)
  • ब्रज के 17 वीं शताब्‍दी के ब्रजभाषा के अज्ञात कवि (रसिकदास) परिचय व कृतित्त्व
  • ब्रज तथा खड़ी बोली के संधिस्‍थलीय क्षेत्र का भाषा-सर्वेक्षण
  • ब्रजभाषा एवं लोकगीतों में नारी-विमर्श (एक तुलनात्‍मक अध्‍ययन)
  • ब्रज-भाषा काव्‍य में निकुञ्ज्ज-लीला का स्‍वरूप
  • ब्रजलोक काव्‍य में कृष्‍ण का स्‍वरूप
  • भक्‍त शिरोमणि सूरदास एवं महाराष्‍ट्र सन्‍त एकनाथ के श्रीमद्भागवत पुराण के प्रभाव के संदर्भ में
  • भक्‍त-कवि हरिराय जी व्‍यक्तित्त्व और कृतित्त्व
  • भक्ति आन्‍दोलन और कबीर का सामाजिक दर्शन
  • भक्ति कालीन सूफ़ी काव्‍य कवि कल्‍पना, आख्‍यान पद्धति एवं काव्‍य रूपक
  • भक्तिकाल में रीतिकाव्‍य की प्रवृत्तियाँ और सेनापति का विशेष अध्‍ययन
  • भक्तिकालीन कवियों का भाषायी परिवेश
  • भक्तिकालीन कवियों की सामाजिक दृटि और उनके आदर्शो का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • भक्तिकालीन संत और सूफ़ी कवियों का दार्शनिक अनुशीलन
  • भक्तिकालीन सामाजिक संदर्भ और मीरा
  • भक्तिकालीन सूफ़ी काव्‍य में लोक संस्‍कृति मिरगावती, पद्मावत, मधुमालती के विशेष संदर्भ में
  • भक्तिकालीन हिन्‍दी सूफ़ी काव्‍य स्‍त्री जीवन (मृगावती, मधुमालती, पद्यावत और चित्रावली के विशेष संदर्भ में)
  • भगवत रावत का काव्‍य संसार संवेदना और शिल्‍प
  • भगवतीचरण वर्मा के कथा साहित्‍य में समाज और संस्‍कृति
  • भवानी प्रसाद मित्र का साहित्‍य संवेदना और शिल्‍प
  • भवानीप्रसाद मिश्र के काव्‍य में विश्‍व दृष्टि के विविध आयाम
  • भारत विभाजन का ऐतिहासिक  यथार्थ एवं हिन्‍दी उपन्‍यास
  • भारत विभाजन के संदर्भ में हिन्‍दी पत्रकारिता सर्वेक्षण एवं मूल्‍यांकन
  • भारत विभाजन सम्‍बन्‍धी हिन्‍दी, उर्दू तथा पंजाबी कहानियों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • भारतीय काव्‍यशास्‍त्र में औचित्‍य सिद्धान्‍त का विवेचनात्‍मक अध्‍ययन (प्राचीन से आधुनिक चिन्‍तन तक)
  • भारतीय मध्‍यवर्ग और अमरकांत का कथा साहित्‍य
  • भारतीय मुस्लिम समाज का यथार्थ और शानी का कथा साहित्‍य
  • भारतीय संस्‍कृति के विकास में अल्‍वार संतों तथा अष्‍टछाप कवियों का योगदान (विशेष संदर्भ पेरियाल्‍वार और सूरदास का तुलनात्‍मक अध्‍ययन)
  • भारतीय सूफ़ी चिन्‍तन के संदर्भ में नूर मोहम्‍मद का काव्‍य
  • भारतीय स्‍वच्‍छन्‍दतावादी (‍रोमांटिक) उत्‍थान के परिदृश्‍य में छायावाद का अध्‍ययन
  • भारतेन्‍दु के साहित्‍य पर पुष्टि-भक्ति एवं दर्शन का प्रभाव
  • भारतेन्‍दु युगीन साहित्‍य में व्‍यक्‍त परम्‍परा और आधुनिकता की अवधारणाएँ
  • भीष्‍म साहनी का कथा-साहित्‍य कथ्‍य और शिल्‍प
  • भीष्‍म साहनी के कथा स‍ाहित्‍य में विभाजन, विस्‍थापन और मध्‍यमवर्ग
  • भीष्‍म साहनी के कथा-साहित्‍य में जिजीविषा
  • भीष्‍म साहनी के कथा-साहित्‍य में मानवीय संवेदना
  • भीष्‍म साहनी के नाटकों में युगीन संदर्भ
  • भूमण्‍डलीकरण के परिप्रक्ष्‍य में हिन्‍दी उपन्‍यासों का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन (1900 से अद्यावधी तक)
  • भैरव प्रसाद गुप्‍त के उपन्‍यासों में गाँव का बदलता परिदृश्‍य
  • भोजपुरी जनपद की लोकस्‍मृति में 1857 की क्रांति
  • भोजपुरी मुहावरों का समाजभासि‍की अध्‍ययन
  • भोजपुरी लोक-साहित्‍य में निम्‍नवर्गीय चेतना
  • भ्रमरगीत में सूर का लोकदर्शन
  • मंजुल भगत के कथा-साहित्‍य में चरित्र-सृष्टि
  • मंजूर एहतेशाम के उपन्‍यासों में मुस्लिम जीवन का यथार्थ
  • मधुमालती तथा कुतुबन कृत मृगावती की भाषा का शैली तात्विक अध्‍ययन
  • मध्‍य युगीन सूफ़ी प्रेमाख्‍यानक काव्‍यों का समाज दर्शन
  • मध्‍यकालीन कविता में उपमामूलक रूढि़याँ
  • मध्‍यकालीन काव्‍य परिदृश्‍य और रहीम
  • मध्‍यकालीन मुस्लिम भक्‍त कवियों की साधना और लोकजीवन
  • मध्‍ययुगीन कृष्‍ण-भक्ति परम्‍परा और लोक-संस्‍कृति (16 वीं और 17 वीं शताब्‍दी)
  • मध्‍ययुगीन वार्ता-साहित्‍य में चित्रित समाज
  • मध्‍ययुगीन हिन्‍दी संत कवियों की सामाजिक दृष्टि
  • मध्‍यवर्गीय यथार्थ की चुनौतियाँ एवं कमलेश्‍वर का कथा साहित्‍य
  • मनोवैज्ञानिक कथा-साहित्‍य के संदर्भ में प्रसाद का योगदान
  • मनोहर श्‍याम जोशी के उपन्‍यासों में उत्तर आधुनिक समाज
  • मन्‍नू भंडारी का कथा साहित्‍य संवेदना एवं शिल्‍प
  • मन्‍नू भंडारी के कथा साहित्‍य में स्‍त्री पुरुष-संबंध
  • मन्‍नू भंडारी के कथा-साहित्‍य में परिवार का स्‍वरूप
  • मन्‍नू भंडारी के कथा-साहित्‍य में युग-बोध
  • मन्‍मथनाथ गुप्‍त के उपन्‍यासों में युग चेतना
  • ममता कालिया के उपन्‍यास साहित्‍य में स्‍त्री चेतना
  • मराठी सन्‍त वाङ्गमय में चर्चित हिन्‍दी के मध्‍ययुगीन कवि
  • मलिक मोहम्‍मद जायसी की कृतियों का सांस्‍कृतिक अध्‍ययन
  • महादेवी के गद्य साहित्‍य में नारी-चेतना
  • महादेवी वर्मा के काव्‍य में रहस्‍यवाद और यथार्थवाद का द्वन्‍द्व
  • महादेवी-साहित्‍य-दर्शन
  • महाभारत और मैकियावेली के प्रिंस में राजतंत्र (एक तुलनात्‍मक अध्‍ययन)
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा अनुदित साहित्‍य का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • महिला रचनाकारों की आत्‍मकथाओं से उभरता स्‍त्री के संघर्ष का संसार
  • माचवे के साहित्‍य का आलोचनात्‍मक अध्‍ययन
  • मार्कण्‍डेय के कथा साहित्‍य में ग्रामीण जीवन
  • मीरजापुर जनपद के लोकसाहित्‍य का अध्‍ययन (लोकगीत ‘कजली’ के विशेष संदर्भ में)
  • मीराकांत के साहित्‍य संसार में ‘स्‍त्री’
  • मुक्तिबोध एवं धूमिल की कविता में व्‍यवस्‍था विरोध
  • मुक्तिबोध का वैचारिक साहित्‍य
  • मुक्तिबोध के काव्‍य का शैलीवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • मुज़फ्फरनगर लोकसाहित्‍य में बदले हुए स्‍वर
  • मुण्‍डारी आदिवासी गीतों में जीवन राग एवं आदिम आकांक्षाएँ
  • मुल्‍ला दाऊद के काव्‍य में लोक-संस्‍कृति
  • मृगावती की भाषा का ऐतिहासिक अध्‍ययन
  • मृणाल पाण्‍डेय के उपन्‍यासों में स्‍त्री विमर्श
  • मृदुला गर्ग के उपन्‍यास संवेदना और शिल्‍प
  • मेरठ जनपद की लोकोक्तियाँ
  • मैत्रेयी पुष्‍पा के उपन्‍यासों में अभिव्‍यक्‍त स्‍त्री विमर्श
  • मैत्रेयी पुष्‍पा के उपन्‍यासों में लोक जीवन
  • मैथिलीशरण गुप्‍त के काव्‍य का अर्थवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • मैथिलीशरण गुप्‍त के काव्‍य में नारी
  • मैनेजर पाण्‍डेय की आलोचना दृष्टि
  • मोहन राकेश और सुरेन्द्र वमाा के नाटकों में परंपरा और आधुननकता  तुलनात्मक अध्ययन
  • मोहन राकेश के नाटकों के कथा-वस्‍तु स्रोत एवं शिल्‍प
  • मोहन राकेश के नाटकों में आधुनिकता बोध
  • मोहन राकेश के नाटकों में युगीन समस्‍याएँ
  • मोहन राकेश के नाट्य साहित्‍य में सामाजिक यथार्थ
  • मोहन राकेश के नाट्यसाहित्‍य में सामाजिक यथार्थ
  • मोहन राकेश के नारी पात्रों का मनोवैज्ञानिक अध्‍ययन
  • मोहन राकेश के साहित्‍य में महानगरीय बोध
  • मौलाना दाऊद के चांदायन में चित्रित समाज
  • यशपाल उनका कृतित्त्व और दर्शन
  • यशपाल के उपन्‍यास-साहिन्‍य में नारी चेतना
  • यशपाल के उपन्‍यासों का सामाजिक अध्‍ययन
  • यशपाल के उपन्‍यासों में मध्‍यवर्ग
  • यशपाल-साहित्‍य में नारी का स्‍वरूप
  • यात्रा साहित्‍य का वैशिष्‍ट्य और अज्ञेय का यात्रा साहित्‍य
  • युगचेतना के संदर्भ में प्रेमचंद और उनका गोदान
  • रघुवीर सहाय की कविताओं में प्रतिरोध का स्‍वरूप
  • रघुवीर सहाय के काव्‍य में मूल्‍य-चेतना
  • रत्‍नाकर की काव्‍य-भाषा का शैलीतात्त्विक अध्‍ययन
  • रवीन्‍द्र कालिया का कथा साहित्‍य
  • रसखान काव्‍य का भाषा वैज्ञानिक अध्‍ययन
  • रांगेय राघव का उपन्‍यास साहित्‍य
  • रांगेय राघव की अनुवाद प्रक्रिया एक अध्‍ययन (सेक्‍सपियर के नाटकों के संदर्भ में)
  • रांगेय राघव के उपन्‍यासों में द्वन्‍द्व
  • राजेन्‍द्र यादव के सम्‍पादकीय हाशियाकृत समाज
  • राजेश जोशी का काव्‍य संवेदना और शिल्‍प
  • राम हिन्‍दी नाटकों में नारी चित्रण (1937 – 1950)
  • रामचरित मानस में मध्‍ययुगीन वैष्‍णव-संस्‍कृति
  • राम‍चरितमानस एवं रामावतार‍चरित (कश्‍मीरी रामायण) का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • रामचरितमानस के तत्सम शब्‍दों का ऐतिहासिक अध्‍ययन
  • रामदरश मिश्र के उपन्‍यासों में चित्रित ग्रामीण जीवन का यथार्थ
  • रामदरश मिश्र के उपन्‍यासों में मानवीय संबंध और मूल्‍य
  • रामनगर की रामलीला और उसका नाट्यालेख एक आलोचनात्‍मक अध्‍ययन
  • रामविलास शर्मा की कथा-आलोचना प्रतिमान और पद्धति
  • रामाश्‍वमेध का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • रामेश्‍वर लाल खण्‍डेलवाल तरुण के काव्‍य का स्‍वच्‍छन्‍दतावादी मूल्‍यांकन
  • राही (मासूम रजा) और शानी (गुलशेर खाँ) की उपन्‍यास-कला का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • राही मासूम रज़ा के उपन्‍यास संवेदन और शिल्‍प
  • राही मासूम रज़ा के उपन्‍यास संवेदना के आयाम
  • राही मासूम रज़ा के लेखन में उत्तर औपनिवेशिक यथार्थ
  • राही मासूम रज़ा के साहित्‍य का वैचारिक परिप्रेक्ष्‍य
  • राहुल सांकृत्‍यायन के उपन्‍यासों में सांस्‍कृतिक चिंतन
  • राहुल सांकृत्‍यायन के नाटकों में अभिव्‍यक्‍त भोजपुरिया समाज
  • रीतिकाल और आधुनिक काल के सन्धियुगीन हिन्‍दी साहित्‍य की प्रवृत्तियाँ (1763 से 1863)
  • रीतिकालीन कवि और आचार्यों द्वारा प्रतिपादित काव्‍य सिद्धांत
  • रीतिकालीन ग्रंथों में इतिहास और संदर्भ पद्माकर और मान के वीरकाव्‍य
  • रीतिकालीन वीरकाव्‍य एक मूल्‍यांकन (केशव, सूदन, भूषण, लाल और पद्माकर के विशेष संदर्भ में)
  • रीतिकालीन साहित्‍यशास्‍त्र एवं आचार्य कवि प्रताप साहि
  • रैदास के काव्‍य की सामाजिक चेतना
  • लम्‍बी कविताओं का रचना-शिल्‍प
  • ललित किशोरी व्‍यक्तित्‍व और कृतित्‍व
  • ललित निबंध परम्‍परा में विद्यानिवास मिश्र का योगदान
  • लीलाधर जगूड़ी की कविताओं का सांस्‍कृतिक आधार एवं उनका भाषायी स्‍वरूप
  • वक्रोक्ति-चिन्‍तन के संदर्भ में डॉ० धर्मवीन भारती के काव्‍य का अनुशीलन
  • वक्रोक्ति-सिद्धान्‍त के संदर्भ में अयोध्‍या सिंह ‘हरिऔध’ के काव्‍य का अध्‍ययन
  • वर्ग-संघर्ष की अवधारणा के संदर्भ में मुक्तिबोध के काव्‍य का मूल्‍यांकन
  • वर्तमान ऐतिहासिक और सामाजिक समस्‍याओं के संदर्भ में समकालीन हिन्‍दी कविता एक अध्‍ययन (1960 से 1991)
  • वस्‍तु एवं रूप के संदर्भ में मुक्तिबोध के कथा-साहित्‍य का विलेश्‍लेष्‍णात्‍मक अध्‍ययन
  • वारकरी सन्‍तों के हिन्‍दी काव्‍य का आलोचनात्मक अध्‍ययन
  • वाराणसी के नाटककार परम्‍परा और प्रयोग
  • वाल्‍मीकि रामायण और रामचरितमानस के क‍था-स्‍त्रोत एवं कथा-शिल्‍प
  • वाल्‍मीकि, कम्‍बन और तुलसीदास की स्‍त्री-दृष्टि का तुलनात्‍मक अनुशीलन
  • विक्रमोर्वशीयम् और उवर्शी की कथा-संघटना और कथा-संवेदना का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • विजयदेव नारायण साही का आलोचना-कर्म
  • विद्यासागर नौटियाल के कथा साहित्‍य में समाज, राजनीति एवं पर्वतीय जीवन
  • विपिन कुमार अग्रवाल के नाटकों का अध्‍ययन
  • विवेक राय के साहित्‍य में भोजपुरी भाषा और संस्‍कृति एक अध्‍ययन
  • विवेकानन्‍द का दिनकर के साहित्‍य पर प्रभाव
  • विवेकीराय के निबन्‍धों में प्रतिपाद्य एवं शिल्‍प विधान
  • विष्‍णु प्रभाकर के उपन्‍यासों में अभिव्‍यक्‍त मानवीय मूल्‍य
  • शंकर शेष के नाटकों का रचना विधान
  • शब्‍द-शक्ति के संदर्भ में पं० द्वारका प्रसाद मिश्र कृत ‘कृष्‍णायन’ महाकाव्‍य का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • शमशेर बहादुर सिंह के काव्‍य में बिंब एवं प्रतीक
  • शाण्डिल्‍य भक्तिसूत्रों में भक्ति का स्‍वरूप विवेचन
  • शानी के उपन्‍यासों में अभिव्‍यक्‍त भारतीय मुस्लिम समाज एवं उसकी समस्‍याएँ
  • शिवप्रसाद सिंह के उपन्‍यासों में संस्‍कृति-बोध
  • शिवमंगल सिंह सुमन के काव्‍य में स्‍वच्‍छन्‍दतावादी  चेतना का अध्‍ययन
  • शिवानी व्‍यक्त्त्वि और कृतित्त्व
  • शुक्‍लोत्तर आलोचना के विकास में डॉ. नगेन्‍द्र का योगदान
  • शुद्धाद्वैतवाद और सूर की भक्तिभावना का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन
  • शूक्‍ल पूर्व हिन्‍दी आलोचना महत्त्व और विश्‍लेषण
  • शेखर जोशी का कथा साहित्‍य
  • शेखर जोशी की कहानियों में श्रम और संघर्ष
  • श्‍याम बेनेगल और समान्‍तर सिनेमा
  • श्री गुरू ग्रन्‍थ साहिब में उल्लिखित कवियों के धार्मिक विश्‍वासों का अध्‍ययन
  • श्री लज्‍जाराम मेहता व्‍यक्‍तित्व और कृतित्त्व
  • श्रीकांत वर्मा के काव्‍य में इतिहास-बोध
  • श्रीधर पाठक द्वारा अनूदित गोल्‍डस्मिथ के काव्‍य की अनुवाद प्रक्रिया एवं शिल्‍प
  • श्रीमद्भागवत और सूरकाव्‍य का अन्‍तस्‍संबन्‍ध एक आलोचनात्‍मक संबंध
  • श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी के डायरी-साहित्‍य का विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
  • श्रीलाल शुक्‍ल के उपन्‍यासों का समाजशास्‍त्रीय अध्‍ययन
  • श्रीलाल शुक्‍ल के उपन्‍यासों में विसंगति-बोध
  • संचार और मनोभाषिकी (युवा राजनीतिज्ञ संचारकों के विशेष संदर्भ में)
  • संजीव के उपन्‍यासों का सामाजशास्‍त्रीय अध्‍ययन
  • संजीव के उपन्‍यासों में चित्रित समाज का विश्‍लेष्‍ण (सामाजिक विघटन, सामाजिक मानदंड एवं सामाजिक चेतना के संदर्भ में
  • संजीव के उपन्‍यासों में युग-बोध
  • संत कबीर और बंगाल के बाउल एक अध्‍ययन
  • संत साहित्‍य के विविध आयाम
  • संस्‍कृत साहित्‍य विशेषत काव्‍य शास्‍त्र में विश्‍वेश्‍र पर्वतीय का योगदान
  • संस्‍कृति का जातीय स्‍वरूप और आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के निबंध
  • सत्तरोत्तरी हिन्‍दी कविता में युगीन संदर्भ
  • सन्‍त दादूदयाल का काव्‍य-सम्‍पादन
  • सन्‍त साहित्‍य में प्रतिक विधान (16 वीं – 17 वीं शताब्‍दी)
  • सन्‍त साहित्‍य में प्रतीक विधान (16 वीं – 17 वीं शताब्‍दी)
  • समकालीन कथा-साहित्‍य में नासिरा शर्मा का योगदान
  • समकालीन कहानी में आर्थिक एवं राजनैतिक मूल्‍य
  • समकालीन कहानी में दलित चेतना
  • समकालीन महिला कथाकारों की आत्‍मकथाओं का विवेचनात्‍मक अध्‍ययन
  • समकालीन विमर्शों के आलोक में कबीर काव्‍य का पुनर्मूल्‍यांकन
  • समकालीन सामाजिक संरचना के परिप्रेक्ष्‍य में काशीनाथ सिंह के कथा साहित्‍य का अध्‍ययन
  • समकालीन स्‍त्री उपन्‍यासकारों के उपन्‍यास स्‍त्री मुक्ति और आर्थिक स्‍वाधीनता का प्रश्‍न
  • समकालीन स्‍त्री उपन्‍यासकारों के उपन्‍यासों में पितृसत्ता (कृष्‍णा सोबती, चित्रा मुद्गल और मैत्रेयी पुष्‍पा के विशेष संदर्भ में)
  • समकालीन स्‍त्री उपन्‍यासकारों के उपन्‍यासों में स्‍त्री स्‍वाधीनता (प्रभा खेतान और चित्रा मुद्गल के विशेष संदर्भ में)
  • समकालीन हहिंदी रिंगमिंच के पररप्रेक्ष्य में हबीब तनवीर के रिंग-प्रयोग
  • समकालीन हिन्‍दी उपन्‍यास और दलित चेतना
  • समकालीन हिन्‍दी उपन्‍यासों में जनजातीय जीवन
  • समकालीन हिन्‍दी कविता का स्‍त्री स्‍वर और प्रतिरोधी चेतना
  • समकालीन हिन्‍दी कविता में पार्यावरण विमर्श
  • समकालीन हिन्‍दी कविता में सत्ता विमर्श (1990 से 2010 तक)
  • समकालीन हिन्‍दी कहानी (1980 से 2000) सामाजिक—राजनीतिक चेतना
  • समकालीन हिन्‍दी कहानी और आधुनिकता बोध (1970 से 2000)
  • समकालीन हिन्‍दी कहानी संवेदना और शिल्‍प (1980 से अबतक) 2014
  • समकालीन हिन्‍दी लेखिकाओं के उपन्‍यासों में स्‍त्री-पुरूष संबंध
  • समकालीन हिन्‍दी-साहित्‍य में दलित-मुक्ति-संघर्ष (1985 से 2008 तक)
  • समकालील महिला कथाकारों के परिप्रेक्ष्‍य में मंजुल भगत के उपन्‍यासों का मूल्‍यांकन
  • सम्‍प्रदायिकता की समस्‍या और समकालीन हिन्‍दी-कहानी की रचना दृष्टि (1980 से 2000)
  • सरबंगी में अभिव्‍यक्‍त समाज-दर्शन
  • सर्वेश्‍वर दयाल सक्‍सेना के पद्यकृतियों का भाषावैज्ञानिक विवेचन
  • साठोत्तर हिन्‍दी-नाटकों में स्‍त्री-पुरुष सम्‍बन्‍ध
  • साठोत्तरी रंगमंच का स्‍वरूप और प्रवृत्तियाँ
  • साठोत्तरी हिन्‍दी कविता में असंतोष के स्‍वर और धूमिल
  • साठोत्तरी हिन्‍दी कहानी में कथाकार महीप सिंह का योगदान
  • साठोत्तरी हिन्‍दी-उर्दू उपन्‍यासों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • साठोत्तरी हिन्‍दी-महिला उपन्‍यासकारों के उपन्‍यासों में नायिका-भेद
  • साठ्योत्तरी हिन्‍दी कहानियाँ संरचना और चित्रित मानवमूल्‍य
  • सामाजिक क्रांति की दिशाएँ और भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द्र
  • सामाजिक चेतना और प्रेमचंदोत्तर हिन्‍दी उपन्‍यास
  • सामाजिक चेतना के परिप्रेक्ष्‍य में प्रेमचन्‍दोत्तर हिन्‍दी-उपन्‍यासों का गवेष्‍णात्‍मक अध्‍ययन (1936 से 1970)
  • सामाजिक संस्‍कृति की अवधारणा एवं राही मासूम रज़ा का साहित्‍य
  • सामाजिक-राजनीतिक विघटन के परिप्रेक्ष्‍य में मन्‍नू भंडारी के कथा-साहित्‍य का अध्‍ययन
  • साहबराय कायस्‍थ कृत रामायन का अध्‍ययन और सम्‍पादन
  • साहित्‍य का समाज और संजीव के उपन्‍यास
  • साहित्‍यि‍क पत्रकारिता और अमर उजाला 1990 – 2000
  • साहित्‍येति‍हास लेखक के रूप में आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल
  • साहिर लुधि‍यानवी एवं दिनकर के काव्‍य का तुलनात्‍मक अनुशीलन
  • सुन्‍दर कविराय का अभिव्‍यक्ति-विधान
  • सुरेन्‍द्र वर्मा के कथा-साहित्‍य का वस्‍तु एवं शिल्‍पनिष्‍ठ अध्‍ययन
  • सूफ़ी एवं कृष्‍ण भक्‍त कवियों की प्रेम-पद्धति का तुलनात्‍मक अध्‍ययन (15 वीं से 19 वीं शताब्‍दी तक)
  • सूफ़ी कवि नूर मुहम्‍मद की काव्‍य-कृतियों का सांस्‍कृतिक अध्‍ययन
  • सूफ़ी प्रेमगाथाकार कवियों की सौंदर्य-चेतना (17 वीं से 19 शताब्‍दी ई.० तक)
  • सूर काव्‍य के विविध आयाम पुर्नमुल्‍यांकन
  • सूर रचित सूरसागर के भ्रमरगीत की काव्‍य भाषा का शैली वैज्ञानिक अध्‍ययन
  • सूरदास का सौन्‍दर्य बोध और लोक जीवन
  • सूर-पूर्व ब्रजभाषा और उसका साहित्‍य
  • सूरसागर में स्‍वभावोक्ति
  • सूरीनाम की हिन्‍दी गद्य-परम्‍परा के विकास में पुष्पिता अवस्‍थी का योगदान
  • सूर्यकान्‍त त्रिपाठी निराला की लम्‍बी कविताएँ एक अनुशीलन
  • सूर्यबाला का कथा साहित्‍य स्‍त्री नियति और मुक्ति आकांक्षा के संदर्भ में
  • स्‍त्री अस्मिता के सवाल और मैत्रेयी पुष्‍पा का कथा-कर्म
  • स्‍त्री मुक्ति का भारतीय परिप्रेक्ष्‍य और कवि विचारक कात्‍यायनी
  • स्‍त्री मुक्ति के संदर्भ में जैनेन्‍द्र कुमार का कथा साहित्‍य
  • स्‍त्री मुक्ति चेतना का संघर्ष और समकालीन हिन्‍दी उपन्‍यास
  • स्‍त्री विमर्श के संदर्भ में महादेवी का गद्य-साहित्‍य
  • स्‍वच्‍छन्‍दवादिता काव्‍य दृष्टि और अज्ञेय का काव्‍य
  • स्‍वतन्‍त्र्योत्तर समस्‍यामूलक हिन्‍दी उपन्‍यासों का वस्‍तुपरक अध्‍ययन (1947-1960)
  • स्‍वतन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कहानी सामाजिक आधार भूमि (सन् 1950 से 1970)
  • स्‍वयं प्रकाश के कथा साहित्‍य में सामाजिक यथार्थ
  • स्‍वातंत्र्यपूर्व हिन्‍दी निबन्‍धों का सा‍माजिक और सांस्‍कृतिक अध्‍ययन
  • स्‍वातंत्र्योत्तर उपन्‍यासों में लघु मानव की परिकल्‍पना
  • स्‍वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज और शैलेश मटियानी के उपन्‍यास
  • स्‍वातंत्र्योत्तर हिन्‍दी और कोरियाई कहानी का तुलनात्‍मक अध्‍ययन (1947 से 1965)
  • स्‍वातंत्र्योत्तर हिन्‍दी कथा साहित्‍य में वृद्ध पात्रों की उपस्थिति
  • स्‍वातंत्र्योत्तर हिन्‍दी कथा-साहित्‍य एवं श्री लाल शुक्‍ल
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर कालीन राजनीतिक वैचारिक परिप्रेक्ष्‍य में हरिशंकर परसाई के साहित्‍य का कथ्‍य-विश्‍लेषण
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर भारत के सामाजिक-राज‍नीतिक परिवर्तनों के परिप्रक्ष्‍य में राही मासूम रजा के उपन्‍यास साहित्‍य का अध्‍ययन
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर भारत विकास की विसंगतियाँ और वीरेन्‍द्र जैन के उपन्‍यास
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर लम्‍बी कविताओं में वस्‍तु एवं रूप एक अध्‍ययन
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी उपन्‍यास सामाजिक आधारभूमि (1950 से 1980)
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कविता में नवगीत (1961 से 1980)
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कहानी बदलते मानव मूल्‍य और शिल्‍प
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कहानी में परिवार का स्‍वरूप (1947 से 1975 तक)
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कहानी में भय का रूप भीष्‍म साहनी, कृष्‍ण सोबती, अमरकांत, सानी और उदय प्रकाश विशेष संदर्भ में)
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी कहानी सामाजिक संदर्भ
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी गीतिकाव्‍य का शिल्‍प-विधान
  • स्‍वातन्‍त्र्योत्तर हिन्‍दी-पत्रकारिता में राष्‍ट्रीय चेतना (आपातकाल तक)
  • स्‍वाधीन भारत का सामाजिक और राजनैतिक यथार्थ और हरिशंकर परसाई का साहित्‍य
  • स्‍वाधीनता संग्राम की लोकस्‍मृतियाँ भोजपुरी जनपद की विशेष संदर्भ में
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी का भाषा-चिन्‍तन
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्‍यासों में सांस्‍कृतिक चेतना का द्वन्‍द्व
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्‍यासों में सामाजिक-सांस्‍कृतिक चेतना
  • हरिकृष्‍णा प्रेमी के नाटकों का विवेचनात्‍मक अध्‍ययन
  • हरिवंशराय बच्‍चन की आत्‍मकथा संवेदना के विविध आयाम
  • हरिशंकर परसाई का व्‍यंग्‍य साहित्‍य सामाजिक राजनीतिक संदर्भ
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  • हिन्‍दी आलोचना का अध्‍ययन (1980 से 2010 तक)
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  • हिन्‍दी की दलित आत्‍मकथाओं का समाजशास्‍त्र
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  • हिन्‍दी की दलित कविता एक आलोचनात्‍मक अनुशीलन
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  • हिन्‍दी की स्‍त्री आत्‍मकथाओं में स्‍त्री मुक्ति का स्‍वर
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  • हिन्‍दी के लघु उपन्‍यास सामाजिक चेतना और मानवमूल्‍य
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  • हिन्‍दी के संत कवियों का समाज सुधारक स्‍वरूप एक अध्‍ययन
  • हिन्‍दी क्रिया-रूपों का भाषावैज्ञानिक अध्‍ययन
  • हिन्‍दी क्षेत्र की लोकरंग परम्‍पराएँ और समकालीन हिन्‍दी नाटक
  • हिन्दी ग़ज़ल में जातीयता के रंग
  • हिन्‍दी गद्य काव्‍य का उद्गम, विकास एवं विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन
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  • हिन्‍दी जागरण के विकास में प्रेमचन्‍द के विवेचनात्‍मक गद्य की भूमिका
  • हिन्‍दी तथा उर्दू कथा-साहित्‍य का तुलनात्‍मक अध्‍ययन (20 वीं शताब्‍दी में)
  • हिन्‍दी दलित साहित्‍य के समीक्षक के रूप में डॉ० एन सिंह का योगदान
  • हिन्‍दी नवजागरण और कवि मैथिलीशरण गुप्‍त
  • हिन्‍दी नवजागरण और गणेश शंकर विद्यार्थी
  • हिन्‍दी नवजागरण और जयशंकर प्रसाद का कथा-साहित्‍य
  • हिन्‍दी नवजागरण और राधाचरण गोस्‍वामी
  • हिन्‍दी नवजागरण और स्‍त्री-प्रश्‍न (1850 से 1936 के विशेष संदर्भ में)
  • हिन्‍दी नवजागरण में बालमुकुन्‍द गुप्‍त का योगदान
  • हिन्‍दी नाटक और रंगमंच (1960 के पश्‍चात)
  • हिन्‍दी नाटकों में खलनायक
  • हिन्‍दी नाट्य-काव्‍य में सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक चेतना (1950 से 1975 ई०)
  • हिन्‍दी पत्रकारिता और भूमण्‍डलीकरण की भूमिका
  • हिन्‍दी पत्रकारिता और साहित्‍य की भाषा पर वैश्‍वीकरण का प्रभाव (2000 से 2009)
  • हिन्‍दी भाषा एवं साहित्‍यिक चिंतन और इक्‍कीसवीं सदी की ‘आजकल’  पत्रिका
  • हिन्‍दी भाषा और साहित्‍य के क्षेत्र में महावीर प्रसाद द्विवेदी का योगदान
  • हिन्‍दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं साहित्‍य में आर्यसमाज का योगदान
  • हिन्‍दी महिला उपन्‍यासकारों के उपन्‍यासों में नारी-अस्मिता (1980 से 2000)
  • हिन्‍दी महिला कहानीकारों के कहानियों में अभिव्‍यक्‍त जीवन-मूल्‍य (1980 से 2000)
  • हिन्‍दी रंग-परम्‍परा और उपेन्‍द्रनाथ अश्‍क का रंगकर्म
  • हिन्‍दी रीतिपरम्‍परा और आचार्य पदुमनदास
  • हिन्‍दी रेडियो नाट्य-शिल्‍प
  • हिन्‍दी ललित निबन्‍ध और विवेकी राय
  • हिन्‍दी लोकरंग परम्‍परा और हबीब तनवीर के नाटक
  • हिन्‍दी व्‍यावहारिक समीक्षा का विकास
  • हिन्‍दी सगुण काव्‍य की सांस्‍कृतिक भूमिका (संवत् 1375 से 1700)
  • हिन्‍दी सगुण भक्ति काव्‍य में मानवाधिकार संचेतना की अभिव्‍यक्ति (सूर और तुलसी के विशिष्‍ट संदर्भ में)
  • हिन्‍दी साहित्‍य की सांस्‍कृतिक आधारभूमि‍ (11 वीं से 13 वीं शताब्‍दी)
  • हिन्‍दी साहित्‍य की सांस्‍कृतिक आधार-भूमि 14 वीं और 15 वीं शताब्‍दी
  • हिन्‍दी साहित्‍य के निगुर्ण सम्‍प्रदाय में मधुरा भक्ति के तत्त्व (15 वीं और 16 वीं शताब्‍दी)
  • हिन्‍दी साहित्‍य के रीतिबद्ध कवियों की भक्ति-भावना का स्‍वरूप विवेचन (17 वीं – 18 वीं शताब्‍दी)
  • हिन्‍दी साहित्‍य में अलीगढ़ जनपद का योगदान (18 वीं 19 वीं शताब्‍दी)
  • हिन्‍दी साहित्‍य में गौतम बुद्ध
  • हिन्‍दी साहित्‍य में राधा का चारित्रिक विकास
  • हिन्‍दी साहित्‍येतिहास-लेखन की परम्‍परा और डॉ. रामविलास शर्मा की इतिहास-दृष्टि एक अनुशीलन
  • हिन्‍दी सूफ़ी काव्‍य परिवार, समाज और राजसत्ता (मृगावती, मधुमालती, पद्मावत अनुराग बाँसुरी और चित्रावली के विशेष संदर्भ में)
  • हिन्‍दी सूफ़ी प्रेमाख्‍यान परम्‍परा और शेख निसार कृत युसूफ-जुलेखा
  • हिन्‍दी सूफ़ी प्रेमाख्‍यानक काव्‍यों में रहस्‍यवाद
  • हिन्‍दी सूफ़ी साहित्‍य पर नाथपंथ का प्रभाव
  • हिन्‍दी-कृष्‍ण-काव्‍य-धारा में मुसलमान कवियों का योगदान
  • हिन्‍दी-भक्ति-साहित्‍य में बाल-प्रकृति का चित्रण
  • हृदयेश के कथा साहित्‍य में युगीन परिदृश्‍य
  • 16 वीं शती के हिन्‍दी कृष्‍ण-‍भक्ति-काव्‍य पर आलवार भक्‍तों का प्रभाव
  • 21 वीं सदी के हिन्‍दी कथा-साहित्य में किन्नर विमर्श
  • 21वीं सदी के हिन्दी उपन्यासों में आहदवासी जीवन
  • 21वीं सदी के हिन्दी उपन्यासों में संस्कृहि एवं सत्ता का स्वरूप
  • किस्‍स-ए-मेहअफ्रोज व दिलबर’’ का भाषा वैज्ञानिक अध्‍ययन
  • 16 वीं एवं 17 वीं शताब्‍दी के हिन्‍दी साहित्‍य में नारी की सा‍माजिक भूमिका
  • 16 वीं शताब्‍दी के उत्तरार्द्ध में हिन्‍दी साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त संस्‍कृति तथा समाज का समीक्षात्‍मक अध्‍ययन (सूर, तुलसी और दादू के विशेष संदर्भ में)
  • ‘प्रसाद’ के रंगमंचीय संवादों की भाषा
  • अज्ञेय और देवराज के उपन्‍यासों में नारी चरित्र एक तुलनात्‍मक अध्‍ययन
  • अज्ञेय का साहित्‍य चिंतन और समकालीन साहित्‍य पर उनका प्रभाव
  • अज्ञेय की गद्य-भाषा का शैली वैज्ञानिक अध्‍ययन
  • अज्ञेय के कथा-साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त स्‍त्री-पुरुष संबन्‍ध
  • अज्ञेय के कथा-साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त गांव का चरित्र चित्रण
  • अज्ञेय के कथा-साहित्‍य में अभिव्‍यक्‍त प्राचीन भारत का स्‍वरूप
  • 21 वीं सदी के हिन्‍दी कथा-साहित्य में बिहार के गांवों का चित्रण
  • 21 वीं सदी के हिन्‍दी कथा-साहित्य में बनारस के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलाप
  • हिन्‍दी साहित्‍य में गौतम बुद्ध के सामाजिक विचार घारा का निरुपण
  • हिन्‍दी साहित्‍य में गौतम बुद्ध के समाज प्रबंधन के सूत्र

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Thesis and Dissertation are also known as rich and unique sources of information. Often the only source of research works that do not find their way into various publication channels. The thesis and dissertation are overused and underutilized assets, which leads to unnecessary duplication and repetition. In fact, it is opposed to research and the wastage of vast resources, both human and financial.

For many students, the Master’s thesis marks the end of their academic education. The thesis is usually 60 to 80 pages long and is a purely literary work. Master theses are usually written to a high standard and are typically written using experienced authors who are familiar with the intricacies of the relevant subject area.

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So far more than 70 universities have joined Shodhganga started by UGC. Under this scheme, the research papers of all the existing schools around the world are being made online from offline, which will be beneficial that any university will be able to see the research papers.

INFLIBNET company of Information Library located in Ahmedabad has been assigned the task of providing online research material. For this, the university has been asked to provide thesis material to the company. The CD of the thesis will also have to be provided to the UGC for obtaining the Ph.D. degree in the university.

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    Hrd Ministry's Online Platform 'shodhganga' To Help Research Scholars Access Study Material 'शोधगंगा' ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से छात्र पूरी कर सकेंगे थीसिस

  10. 700 PhD topics in Hindi Subject, Shodhganga Research Topics Hindi, PhD

    700 PhD topics in Hindi Subject, Shodhganga Research Topics Hindi, PhD Research Topics in Hindi, List of Ph.D Done in Hindi, Department of Hindi, Hindi Ph.D Thesis list By Dr. Himanshu Pali / 11 February 2024

  11. PDF Research Paradigms in Social Sciences: A Case Study of Shodhganga

    This paper highlights the research paradigms in the field of Social Sciences based on the theses available in Shodhganga. The paper attempts to make a content analysis of Shodhganga online theses repository for exploring the coverage of Social Sciences as a subject to identify the research prospects in the field of Social Sciences.

  12. Shodhganga@INFLIBNET: Hindi Natyalochan ki Parampara ka Anusheelan

    Shodhganga: a reservoir of Indian theses @ INFLIBNET The Shodhganga@INFLIBNET Centre provides a platform for research students to deposit their Ph.D. theses and make it available to the entire scholarly community in open access. ... Hindi Natyalochan ki Parampara ka Anusheelan: Researcher: Pandey, Suvarna: Guide(s): Tripathi, Vashisth Narayan ...

  13. शोध गंगा पर थीसिस कैसे खोजें? /how can download thesis on shodhganga

    कोरोना काल में जो शोधार्थी शोध कार्य कर रहे हैं उनके लिए वर्तमान में ...

  14. Shodhganga Thesis PDF Download

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  15. Shodhganga@INFLIBNET: Search

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  16. Shodhganga Phd Thesis In Sociology In Hindi

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  18. Shodhganga : a reservoir of Indian theses @ INFLIBNET

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