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Jansankhya Visfot Par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) कैसे लिखें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध पर आधारित सैंपल्स

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  • Updated on  
  • अप्रैल 20, 2023

Jansankhya Visfot Par Nibandh

भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जनसँख्या के मामले में चीन को पछाड़ पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। एक साल में भारत की जनसंख्या में 1.56 फीसदी तक बढ़त देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब भारत की आबादी 142.86 करोड़ तक पहुँच गई है जबकि 142.57 करोड़ के साथ चीन दूसरे नंबर पर खिसक चुका है। आईये इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध, jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित सैंपल्स, जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 300 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट किसे कहते हैं?

किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में अचानक निरंतर वृद्धि को जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। यह किसी शहर या देश दोनों में हो सकता है। विश्व की मानव आबादी के सन्दर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जनसँख्या विस्फोट भारत में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि जनसँख्या में वृद्धि से गरीबी और निरक्षरता में बढ़त देखी जा रही है। ऐसे में, देश की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ सकती है। इस समस्या को पहचानते हुए, भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा इसके निवारण के लिए कानून बनाए गए हैं।  

जनसँख्या विस्फोट पर निबंध कैसे लिखें?

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखते समय इन बातों का ध्यान रखें –

  • निबंध की भाषा जनसँख्या विस्फोट विषय के अनुरूप होनी चाहिए।
  • जनसँख्या विस्फोट से संबंधित समस्त तथ्यों की चर्चा की जानी चाहिए।
  • विचारों में क्रमबद्धता एवं तारतम्यता होनी चाहिए।
  • वाक्यों की पुनरावृति से बचना चाहिए।
  • वर्तनी की अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
  • निबंध के अंतिम अनुच्छेद या उप संहार के अंतर्गत पूरे निबंध का सारांश दिया होना चाहिए।
  • निर्धारित शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए निबंध लिखा जाना चाहिए।

जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखने से पहले जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य जान लेना आवश्यक है। 

  • साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। 
  • भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं।
  • उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। 
  • अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
  • केरल राज्य में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। 
  • हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। 

Jansankhya Visfot Par Nibandh

जनसँख्या विस्फोट के मुख्य कारण

जनसंख्या विस्फोट का प्रमुख कारण मृत्यु दर और जन्म दर के बीच बड़ा अंतर होता है, इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं जिनसे जनसंख्या विस्फोट हुआ है जैसे:

  • चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण, हमने जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि और साथ ही मृत्यु दर में कमी देखी है जो लोगों को लंबे समय तक जीने में मदद कर रही है।
  • अशिक्षा के कारण आम जनता में जानकारी और जागरूकता की कमी होने से जनसंख्या में वृद्धि देखी गई है।
  • शिक्षित लोग जन्म नियंत्रण- बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन देश में एक बड़ी आबादी के पास सेक्स एजुकेशन और उचित बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स तक पहुंच नहीं है। 
  • पारंपरिक लोग जो संतान रूप में एक लड़की की अपेक्षा एक लड़के को पसंद करते हैं, परिवार में एक लड़के के पैदा होने तक बच्चे को जन्म देने की कोशिश करते हैं।
  • बाल विवाह भी जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के लिए एक आवश्यक कारक है।

जनसंख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय

जनसँख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय हैं –

  • जनसँख्या निवारण नीतियाँ- योजनाएँ 
  • जनसँख्या विस्फोट के बारे में जागरूकता फैलाना 
  • स्कूल लेवल से ही स्टूडेंट्स को सेक्स एजुकेशन देना 
  • जनसँख्या कानूनों का दृणता से पालन 
  • कानून का उलंघन करने वालों के प्रति कार्यवाही 
  • अलग से एक जनसँख्या मंत्रालय की स्थापना 
  • बाल विवाह प्रतिबंध 
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम का ज़ोर-शोर से प्रचार- प्रसार 

Population Explosion Essay in Hindi 100 शब्दों में

जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होने के कारण भारत चीन को पछाड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिस पर गर्व करना संभव नहीं होगा। यही वजह है कि भारत में 2 चाइल्ड पालिसी को लागू करना कंसीडर किया जा रहा है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी देश की जनसँख्या की मृत्यु दर में कमी होती है, बाल मृत्यु दर में कमी होती है और जन्मदर और जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) में वृद्दि होती है तो इन सबके कंबाइंड इफ़ेक्ट के कारण जनसंख्या में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी देखी जाती है। इसको ही जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। 

यह अक्सर कम विकसित देशों में देखने को मिलता है। भारत में यह स्थिति 1970 के दशक में देखी गई थी। वर्तमान में, भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में कमी आई है। भारत विश्व का सबसे युवा देश माना जाता है। 

यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) 100 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 250 शब्द

भारत के लिए जनसँख्या का विषय काफ़ी चिंताजनक बन चुका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की हर 10 साल के अंतराल में जनगणना की जाती है। इस जनगणना में जनसँख्या वृद्धि दर, जनसँख्या घनत्व, जनसँख्या और उपभोक्ता, मृत्यु- दर, जन्म- दर के आंकड़े भी शामिल होते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। इसके बाद 2021 में अगली जनगणना आयोजित की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। जनसँख्या वृद्धी एक ओर जहाँ देश के विकास में सहायक साबित होती है वहीं यह शोषण का बहुत बड़ा कारण भी बनती है। 

जनसँख्या विस्फोट प्राकर्तिक संसाधनों और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। जनसँख्या में वृद्धि होना, प्राकर्तिक संसाधनों की खपत में वृद्धि से सीधा सम्बंधित है। यह सभी जानते हैं कि चीन को पछाड़कर वर्तमान में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश भारत ही है। भारत दुनिया की 17.5% आबादी के साथ दुनिया के 2.4% भूमि क्षेत्र को घेरता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा अनुमानित है कि 2030 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। 

बाल विवाह, अशिक्षा, गरीबी, रूढ़िवादिता आदि जैसी समस्याओं के निवारण से ही भारत की बढ़ती जनसँख्या दर में रोकथाम संभव है। व्यग्तिगत स्तर पर हम सरकार से आग्रह कर सकते हैं कि जनसँख्या से जुड़े सख्त कानून बनाए जाएं और उनका दृणता से पालन किया जाए। इसके साथ ही हमें जन-जन तक जनसँख्या वृद्धि से सम्बंधित जागरूकता फैलानी चाहिए। 

तो यह था 250 शब्दों में जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) का हमारा सैंपल। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 400 शब्द

किसी भी चीज़ का विस्फोट होना तब कहा जाता है जब वह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है। जब इस तरह इंसानों की जनसँख्या में वृद्धि होती है तो इसे जनसँख्या विस्फोट कहा जाता है। यह चिंताजनक बात है कि जनसँख्या 5 अरब के पार पहुँच चुकी है। इसके साथ ही स्त्री- पुरुष लिंगानुपात में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। 

जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण शिक्षा की कमी, निरक्षरता, उचित सेक्स एजुकेशन की कमी, कर्मकांड, और अंधविश्वास है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को देख लीजिए- यह दोनों राज्य देश के सबसे अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्र हैं और यहीं पर सबसे अधिक अंधविश्वास का प्रचलन होता है। भविष्य में अधिक जनसंख्या संसाधनों के विकास और शोषण की कमी की ओर ले जाती है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक दुनिया में ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

इस तरह की स्थिति में हमारा देश भारत 70 के दशक में फंस गया था। इसके ही कारण है भारत की नीति निर्माताओं द्वारा उस समय “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नशबंदी अभियान चलाया गया था। 

इस प्रकार यह बात स्पष्ट होती है कि जनसँख्या विस्फोट की स्थिति सभी देशों के विकास में बाधक होती है। यह इस तरह की वृद्धि है जिस पर अल्प विकसित देशों को घमंड करने की वजाय शर्म आती है। दूसरी तरफ़ विश्व में जापान, रूस और फ़्रांस जैसे देश हैं जहाँ की जनसँख्या वृद्धि नकारात्मक दौर में पहुँच गयी है। ऐसे देशों की सरकारों द्वारा लोगों से जनसँख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट करी जा रही है और कुछ देशों में एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकार के द्वारा नागरिकों को पैसा भी दिया जा रहा है। 

जनसंख्या विस्फोट में बहुत नकारात्मक तत्त्व हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक देखने को नहीं मिलता है। इसका नियंत्रण करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में इसके प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम और अभियानों को चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जन जागरूकता बढ़ाकर और विभिन्न सख्त जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का आयोजन करके इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर बस इतना करना है कि संभव उपाय करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। 

तो यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) पर 400 शब्दों में हमारा सैंपल। 

एक शोध के अनुसार भारत में प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं।  साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं।

मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण देखा गया है। 

बेबी बूम- जनसँख्या विस्फोट का अच्छा उदाहरण है। अमेरिका में, 1946 और 1964 के बीच जन्म दर में वृद्धि; साथ ही, उस अवधि के दौरान अमेरिका में पैदा हुई पीढ़ी।

आशा करते हैं कि आपको Jansankhya Visfot par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप हिंदी के इसी तरह के और भी आकर्षक ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो आप Leverage Edu Hindi Blogs इस लिंक के द्वारा पढ़ सकते हैं।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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Jansankhya Essay in Hindi

Jansankhya Essay in Hindi: जनसंख्या पर निबंध

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Jansankhya Essay in Hindi

यहां हम आपको “Jansankhya Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Population Essay in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Population Essay in Hindi 100 words 

किसी भी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या सभी के लिए समस्या उत्पन्न करती है। जनसंख्या का अर्थ होता है, किसी देश में रहने वाले लोगों की संख्या। विश्व में ऐसे कई देश है, जो जनसंख्या के मामले में जाने जाते हैं जैसे की चाइना और भारत। पहले चीन जनसंख्या में पहले स्थान पर था। लेकिन अब भारत जनसंख्या में पहले स्थान पर आ चुका है। जनसंख्या बढ़ने के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती है, जैसे कि बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों में कमी आदि। बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों का भी कर्तव्य है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन सख्ती से करना चाहिए।

गर्मी की छुट्टी पर निबंध प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध My School Essay महात्मा गांधी पर निबंध विज्ञान के चमत्कार हिंदी में निबंध

Jansankhya Niyantran Par Nibandh 150 words 

जनसंख्या सभी देशों के लिए महत्व रखती है। जिस देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो उसके लिए यह चिंता की बात होती। जनसंख्या बढ़ने के कारण देश में सुविधाओं की कमी होने लगती है। कम जनसंख्या होने पर सभी लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सारा फायदा मिलता है। इसके अलावा सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मिलता है। भारत आज आबादी में विश्व का पहला देश बन चुका है।

आबादी बढ़ने के कारण सभी सार्वजनिक स्थल जैसे कि अस्पताल, मंदिर ,रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन हवाई अड्डा पर हमेशा भीड़ जमा रहती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। इतनी जनसंख्या का होना देश के लिए चिंता की बात है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन करना चाहिए। सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कर पृथ्वी को बचाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए।

Jansankhya Visfot Par Nibandh 200 words

आज भारत जनसंख्या के मामले में सबसे आगे पहुंच चुका है। भारत में हर साल करीबन एक करोड़ की आबादी जनसंख्या में जुड़ जाती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को काफी तकलीफ हो रही है जैसे कि रहने के लिए आवास की कमी ,खाने के लिए भोजन की कमी, सरकारी सुविधाओं की कमी बेरोजगारी इत्यादि। यदि इस तरह आबादी बढ़ती रही तो एक समय बाद प्राकृतिक संसाधन भी खत्म हो जाएंगे जिसके बाद पृथ्वी पर जीवन जीना संभव नहीं होगा। भारत सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए बताया जा रहा है और लोगों से निवेदन किया जा रहा है कि वे 2 बच्चों से अधिक बच्चों को जन्म ना दें। दूसरी चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि जनसंख्या में ना केवल इंसान बल्कि जानवर भी शामिल होते हैं। लेकिन आज इंसानों की संख्या बढ़ती जा रही है और जानवरों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ने का प्रभाव प्रकृति पर भी दिखाई दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों की सीमा भी सीमित है इसलिए, प्रकृति पर संतुलन बनाए रखने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है।

Jansankhya Essay in Hindi

Increasing Population Essay in Hindi 300 words 

बढ़ती हुई आबादी की समस्या का सामना सभी देशों को करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सारी आबादी का 17% से 19% हिस्सा केवल भारत में है। इसी कारण से भारत आबादी वाले देशों में सबसे पहले नंबर पर है। यह आबादी ना केवल देश के विकास में रुकावट पैदा कर रही है बल्कि प्रकृति के विकास में भी रुकावट पैदा कर रही है। जनसंख्या बढ़ने के कारण इंसानों के अलावा जानवरों को भी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है क्योंकि जहां ज्यादा आबादी होती है वहां सामान्य से अधिक तापमान होता है।

जनसंख्या बढ़ने के नुकसान

जनसंख्या बढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान यह है,कि प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। पृथ्वी पर मौजूद जल भोजन एवं अन्य उपयोगी चीजें सीमित मात्रा में है। अगर हम इसी तरह अंधाधुन इनका इस्तेमाल करते रहे तो 1 दिन यह सब नष्ट हो जाएंगे। जनसंख्या बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। आज भारत में हर शहर में इतनी आबादी है कि विश्व के कुछ देशों में इतनी आबादी नहीं है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी, भुखमरी ,अपराध , अशिक्षा जैसी सभी चीजें उत्पन्न होती हैं।

भारत सरकार द्वारा लगातार लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया जा रहा है। सभी लोगों को अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऐसे कई सारे लोग होते हैं जो किसी कारण बस मां बाप नहीं बन पाते उन्हें बच्चों को गोद लेना चाहिए। इसके अलावा सरकार द्वारा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए निर्देशों का पालन भी करना चाहिए। अगर समय रहते हमने जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया तो 1 दिन ऐसा आएगा कि हमारे पास सांस लेने के लिए खुली हवा तक नहीं होगी। 

Population Explosion Essay in Hindi 500 words

भारत एक प्रगतिशील देश है। जिस तरह भारत देश सभी चीजों में आगे बढ़कर देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है,उसी तरह भारत आबादी में भी आगे बढ़ रहा है। पिछले सालों में भारत में आबादी का कुछ ऐसा विस्फोट हुआ है। जिससे कि भारत की आबादी काफी अधिक बढ़ गई है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इतनी आबादी देश के विकास और देश के लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। बढ़ती हुई आबादी के कारण मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत में जनसंख्या की स्थिति

बात अगर भारत की जनसंख्या की की जाए तो आज 2023 में भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। रिपोर्ट के अनुसार 2011 में हुई जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड़ थी,जो कि विश्व की कुल आबादी का 17% हिस्सा था। भारत की जनसंख्या में हर साल 15% से 17% की वृद्धि हो रही है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में 52% जनसंख्या पुरुषों की है और 48% जनसंख्या महिलाओं की गई। यह जनसंख्या का स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब भारत सरकार को भी अन्य देशों की तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव

बढ़ती हुई जनसंख्या का फायदा तो एक भी नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव कई सारे हैं। जनसंख्या के दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार है, प्राकृतिक संसाधनों की कमी , पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, समाज पर दुष्प्रभाव, सरकारी सुविधाओं पर दुष्प्रभाव, प्राकृतिक खदानों पर दुष्प्रभाव। जैसा कि हम सभी जानते हैं बढ़ती हुई आबादी के कारण हम लगातार वनों की कटाई करते जा रहे हैं जिससे कि वन में रहने वाले प्राणियों का जीवन भी खतरे में पड़ता जा रहा है। मानव अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है लेकिन इसी तरह अगर आबादी बढ़ती रही तो 1 दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

जनसंख्या को बढ़ने से कैसे रोके (Jansankhya Niyantran ke Upay)

जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा। आज भी समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी मानसिकता काफी पुरानी है लोग वंश बढ़ाने के लिए लड़के की चाह में लगातार बच्चे पैदा करते जा रहे हैं। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ आगे बढ़ना होगा। इसके अलावा यौन शिक्षा भी लोगों को देना चाहिए। भारत में सरकार को शादी की उम्र बढ़ा देनी चाहिए। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन के बारे में बताया जाना चाहिए।

सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान देना चाहिए। यदि आज हम समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं देंगे तो अभी समय हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पृथ्वी पर मौजूद सरदार और प्राण देने वाले तत्व सीमित मात्रा में है और बढ़ती आबादी के कारण या तो यह प्रदूषित हो रहे हैं या फिर नष्ट होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब से अधिक हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास रहने के लिए ना तो घर होगा और ना खाने के लिए भोजन।

Population Control Essay in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Jansankhya Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Population Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Jansankhya Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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प्रदूषण पर निबंध

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जनसंख्या पर निबंध, स्कूल के लिए सबसे अच्छा निबंध (Essay on Population in Hindi)

Meghna

जनसँख्या किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. और जिस प्रकार जनसँख्या में दिन के दिन वृद्धि हो रही है यह किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत ही चिंता का विषय बनता जा रहा है, जिसपर गुर करना बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी हो गया है. बात करें भारत की तो जिस तेज़ी से यहां की जनसँख्या में वृद्धि हो रही है, यह देश बहुत ही जल्द सबसे ज़्यादा जनसँख्या वाला देश बन जाएगा. और यह सरकार के लिए एक बहुत ही ज़्यादा विचार करने वाला मुद्दा है.

जनसंख्या पर निबंध

किसी भी देश की जनसंख्या की समस्या संसाधनों के कारण उत्पन्न होती है. ज्यादातर राज्यों में संसाधनों की कमी के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. देशों द्वारा अलग-अलग समय पर विभिन्न जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू किया गया है. जनसंख्या नियंत्रण विधियों को तैयार और कार्यान्वित किया गया है जिसमें जनसंख्या पर लोगों को शिक्षित करना और जन्म नियंत्रण के प्रभावी तरीके शामिल हैं. यहां हमने इस विषय पर आपके लिए एक निबंध पेश किया है, जो आपको बहुत ही मददगार साबित होगा.

क्योंकि जनसँख्या इन दिनों सबसे ज़्यादा विचार करने वाले विषयों में से एक है तो आये दिन छात्रों को इस विषय पर असाइनमेंट भी मिलता है. इस पोस्ट की मदद से हमने आपको जनसँख्या पर एक बहुत ही अच्छा निबंध उपलब्ध कराया है, जो आपको अच्छे अंक हासिल करने में मददगार साबित होगा.

प्रस्तावना : जनसंख्या इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी देश जनसंख्या से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं. ऐसी समस्याओं में निर्णयों को लागू करने में कठिनाई, सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और रोजगार सुनिश्चित करना शामिल है. जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनसंख्या का दबाव है. जनसंख्या दबाव किसी देश में जनसंख्या द्वारा लगाया जाने वाला दबाव है. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था और समाज को जनसंख्या का भार वहन करना होगा.

बढ़ती जनसंख्या से होने वाली समस्या : जनसंख्या में वृद्धि एक राज्य के लिए सभी को न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करना कठिन बना देती है. हालाँकि, दुनिया भर के देशों में जनसंख्या दबाव की समस्या अलग है. दुनिया के धनी देशों में, जनसंख्या का दबाव उसके पास मौजूद धन के कारण प्रबंधनीय है. विकासशील देशों में, समय के साथ जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देश के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल बना देती है.

इसका कारण यह है कि बढ़ी हुई जनसंख्या में अधिकांश ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं और जिनके पास कोई शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा नहीं है. उनके हितों की देखभाल करने के लिए देश व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में विफल रहता है.

बढ़ती जनसँख्या के मुख्य कारण : देश की जनसंख्या दो कारकों-प्रवास और शिक्षा से प्रभावित है. जहां तक ​​प्रवासन का संबंध है, लोग अक्सर विभिन्न कारणों से एक देश से दूसरे देश में प्रवास करते हैं. छात्र अक्सर शिक्षा के लिए दूसरे देशों में चले जाते हैं. युवा अक्सर अपने काम के माध्यम से उन्नत देशों की ओर पलायन करते हैं. ऐसे व्यक्ति आमतौर पर अपने शेष जीवन के लिए ऐसे देशों में बस जाते हैं. उनके बसने का मुख्य कारण सामाजिक सुरक्षा और आय के अवसर हैं. अन्य सुविधाएं भी हैं जो प्रथम विश्व के देशों के लोगों को उनकी अर्थव्यवस्था से मिलती हैं.

सबसे अच्छा जनसंख्या पर निबंध

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घोर गरीबी के कारण, वे अक्सर सोचते हैं कि कई बच्चे होने से उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान हो जाएगा. उनकी ओर से यह विचार इस तथ्य से उपजा है कि उनके बच्चे बड़े होकर जीवन भर उनका भरण-पोषण करेंगे. लेकिन अक्सर वे यह पहचानने में विफल रहते हैं कि इससे पूरे देश पर बोझ पड़ता है. अक्सर विकासशील राष्ट्र अधिक जनसंख्या की समस्याओं और इसके परिणामों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं.

निष्कर्ष : बढ़ती जनसंख्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका जन्म नियंत्रण उपायों में शामिल होना है. इस तरह के उपायों में भारी मात्रा में सामाजिक नियंत्रण के साथ-साथ अन्य चिकित्सा उपकरण शामिल हैं जो किसी देश की जन्म दर को नियंत्रित करते हैं. चिकित्सा प्रक्रियाएं अक्सर जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती हैं, लेकिन ऐसी प्रथाओं को अत्यधिक महत्व नहीं दिया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आमतौर पर किसी व्यक्ति के चिकित्सा अधिकारों पर विचार नहीं करते हैं, और ऐसी प्रक्रियाओं के दौरान मरने की संभावना अधिक होती है.

इसका सबसे अच्छा तरीका यही है की लोगों को जनसँख्या में वृद्धि होने के नुक्सान के बारे में बताया जाए. सख्त कानून भी इस चीज़ को लेकर बनने चाहिए. क्योंकि बहुत सी आबादी अभी भी ऐसी ही है जो न तो शिक्षित है, और न ही कुछ समझना चाहती है. इसीलिए अगर वे कानून का पालन नहीं करते हैं तो उनपर सख्त कारहवाही की जानी चाहिए.

हम उम्मीद करते हैं की आपको यह निबंध ‘जनसंख्या पर निबंध’ पसंद आया होगा. कई अन्य तरह की जानकारियों को हासिल करने के लिए पेज के साथ बने रहें और अपना फीडबैक कमेंट सेक्शन के माध्यम से शेयर करें.

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Jansankhya Vridhi Lesson Plan in Hindi for B.Ed/DELED | जनसँख्या वृद्धि हिंदी निबंध पाठ योजना

Kishan

Hello Friends, हमारी वेबसाइट Pupils Tutor में आपका स्वागत है। कैसे है आप? आशा है कि आप अच्छा कर रहे हैं,

अगर आप Hindi या फिर किसी अन्य विषय की (जनसँख्या वृद्धि  निबंध  पाठ योजना) Jansankhya Vridhi Lesson Plan ढूंढ रहे है तो आप सही जगह पर आये है| यहाँ हमने बी.एड (B.Ed), (डीएलएड ) D.El.Ed, BTC/BSTC और कक्षा 5th से 10th के स्कूल शिक्षकों के लिए हिंदी का जनसँख्या वृद्धि का लेसन प्लान (Lesson Plan In Hindi On Jansankhya Vridhi Ki Samasya ) शेयर किया है|

यह Jansankhya Vridhi Nibandh Lekhan Par Hindi Ki Path Yojna विशेष रूप से बीएड प्रथम और द्वितीय वर्ष (B.Ed 1st And 2nd Year) के छात्रों के लिए बनायीं गई है, लेकिन सभी कक्षाओं के प्रशिक्षु शिक्षक (Trainee Teachers) और स्कूल शिक्षक (School Teachers) इस Sample Lesson Plan की सहायता से अपनी दैनिक शिक्षण योजना (Daily Teaching Plan) बहुत आसानी से तैयार कर सकते हैं।

लेसन प्लान का संक्षिप्त विवरण:

Hindi Lesson Plan on Jansankhya Vridhi Nibandh for Class 6th to 12th / B.Ed and D.EL.ED on Mega and Real School Teaching Skill

Bed / deled hindi essay lesson plan on jansankhya vridhi / jansankhya visfot ( population explosion lesson plan in hindi) for class 6th 7th 8th 9th 10th 11th 12th [page-1].

Jansankhya Vridhi Essay Lesson Plan in Hindi for B.Ed First Year - Second Year - DE.LE.D - DED - M.Ed - NIOS - BTC - BSTC - CBSE - NCERT Download PDF for FREE

बी.एड / डीएलएड मेगा, डिस्कशन और रियल स्कूल टीचिंग हिंदी निबंध लेखन पाठ योजना जनसँख्या वृद्धि के समस्या विषय पर कक्षा 4,5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 aur 12 के लिए [Page-2]

बीएड ,डी एल एड 1st year 2nd year / Semester के विद्यार्थियों के लिए हिंदी की पाठ योजना कक्षा 4, 5, 6 , 7 , 8, 9, 10 , 11 , 12   के लिए जनसँख्या विस्फोट टॉपिक पर

Hindi Nibandh Path Yojna on Jansankhya Vridhi for class 6 th to 12th [Page-3]

Hindi ki Mega Teaching , Discussion Teaching Aur Real School Teaching and Practice Hindi Path Yojana on  Jansankhya Vridhi 6 se 12 tak  k liye

जनसँख्या वृद्धि पर हिंदी का लेसन प्लान [Page-4]

jansankhya vridhi par Lesson Plan in Hindi for BEd and DELED

हिंदी निबंध पाठ योजना जनसँख्या वृद्धि [Page-5]

हिंदी निबंध लेखन पाठ योजना जनसँख्या वृद्धि

Population Explosion Lesson Plan in Hindi for B.Ed DELED Class 4th to 12th [Page-6 ]

Population Explosion Lesson Plan in Hindi for B.Ed DELED Class 4 to 12

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

Friends, we are going to talk about Essay on Population in Hindi. जनसँख्या पर निबंध। What’s the population of India in Hindi? We will tell you everything about Population in Hindi. What is the solution of Jansankhya Vridhi? We added some slogan on Population in Hindi which will help you get good score in exam . Essay on Population in Hindi is one of the most frequently asked questions in school and colleges.

Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words

hindiinhindi Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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Essay on Population in Hindi 500 Words

रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

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Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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student school jansankhya essay in hindi

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दा इंडियन वायर

बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध – दुष्परिणाम

student school jansankhya essay in hindi

By मनीष कुमार साहू

बढ़ती जनसंख्या पर निबंध

जनसंख्या वृद्धि मतलब, एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होना जिसमें लोगों की संख्या ना चाहते हुए भी इतनी ज्यादा हो जाए कि खाने रहने के लिए स्रोतों की कमी पड़ने लगे।

आज विश्व की कुल आबादी 7 अरब से ज्यादा है जिनमें से सबसे ज्यादा चीन और उसके बाद भारत का नंबर आता है। बढ़ती जनसंख्या इतनी बड़ी समस्या है, कि जिसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है।

अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो किसी देश की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी उस देश की में प्राकृतिक संसाधनों और स्त्रोतों की ज्यादा जरूरत होगी।

और इस स्थिति में उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। चीन ने इस समस्या को पहले ही भांप लिया था, इसीलिए कई दशक पहले उसने एक बच्चे से अधिक पैदा करने पर कई तरह के दण्ड लगा दिए थे। जिसकी वजह से ज्यादातर लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे। हालांकि अब इसमें कुछ बदलाव किया गया है।

खैर, कुछ आंकड़ों पर भी नजर डाल लेते हैं। उत्तरी अमेरिका दुनिया के 16 प्रतिशत भू भाग में है जबकि दुनिया की सिर्फ 6% जनता वहां निवास करती है। उससे भी हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया की 45% इनकम उन्ही के पास है।

दूसरी तरफ एशिया दुनिया के 18% भूभाग पर फैला हुआ है जबकि दुनिया की 67 प्रतिशत जनता इसी भू भाग पर निवास करती है। लेकिन फिर भी विश्व के इनकम का सिर्फ 12% हिस्सा इनके पास है। अगर अफ्रीकी देशों की बात करें तो वहां की स्थिति और भी खराब है।

इन आंकड़ों से एक बात जो आसानी से समझी जा सकती है, वह यह कि अतिक्रमी आबादी वाले देशों की आर्थिक सामाजिक स्थिति हमेशा चिंताजनक ही रहती है। उनके नागरिकों को ना सिर्फ भरपेट भोजन मिलने में दिक्कत होती बल्कि जो भोजन मिलता भी है उसकी गुणवत्ता बहुत कम दर्ज की होती है।

इस अतिक्रमी आबादी का दुष्प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, फिलीपींस, भारत और पाकिस्तान में आसानी से देखा जा सकता है।

7 अरब की आबादी वाले विश्व में 1.3 अरब जनसंख्या के साथ भारत आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। और देश की तमाम गंभीर समस्याओं के साथ यह भी एक गंभीर समस्या है। भारत में कई प्रदेशों की जनसंख्या तो विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। और उनमें सबसे आगे है-उत्तर प्रदेश। जिसमें 166 मिलियन यानी 16 करोड़ से भी ज्यादा की जनसंख्या निवास करती। जो की रूस की जनसंख्या से ज्यादा है। क्योंकि रूस की कुल जनसंख्या लगभग 15 करोड़ के आस-पास की है। इसी प्रकार उड़ीसा कनाडा से छत्तीसगढ़ ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा आबादी वाले प्रदेश हैं।

विषय-सूचि

बढ़ती जनसंख्या के कारण

1. मृत्यु दर के मुकाबले जन्मदर में अधिकता.

किसी भी देश की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव के मुख्य और प्राकृतिक कारण होता है, जन्म दर और मृत्यु दर। भारत में अभी स्थिति यह है कि जन्म दर मृत्यु दर के मुकाबले बहुत अधिक है। 2016 के हिसाब से देखें तो 2016 में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। अर्थात किसी एक निश्चित समय अवधि में 1000 लोगों को बीच 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे हैं।

जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के मध्य 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। यानी हर पल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये नही कहा जा रहा है कि मृत्यु दर को बढ़ाया जाए बल्कि ध्यान इसपर देना चाहिये कि जन्मदर को कैसे कम किया जाय।

2. परिवार नियोजन की कमी

भारत में अधिकतर लोगों के पास अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कोई योजना नहीं होती। उन्हें लगता है कि 15 से 45 वर्ष की आयु में कभी भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, और इस प्रकार उनके कई बच्चे हो जाते हैं।

जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर तब पड़ता है, जब वह बच्चे बड़े होने लगते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते ही साड़ी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।

3. धार्मिक रूढ़िवादिता

भारत जैसे देश में आज भी रूढ़िवादी मानसिकता वाले लोगों की कमी नहीं है, जो यह सोचते हैं कि परिवार बढ़ाने की योजना बनाना गलत है। जो कुछ भी है भगवान की देन है।

अधिकतर वह महिला जो बच्चे को जन्म देने वाली है उनसे इस विषय में कुछ नही कर पाती क्योंकि ऐसा करना भगवान के खिलाफ जाने जैसा हो जाता है।

वहीं मुस्लिम धर्म का तो अलग ही फंडा है, हिंदू के मुकाबले मुस्लिमों का जन्मदर कई गुना ज्यादा है।कुछ सर्वेक्षणों की मानें तो पुराने ख्यालात के साथ-साथ अपनी कौम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के चक्कर में मुसलमान दर्जनों का परिवार खड़ा कर लेते हैं।

4. कम उम्र में शादी

कम उम्र में शादी भी जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। आज के इस आधुनिक युग में भी बहुत सारे बच्चे-बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।

उनकी शादी तभी कर दी जाती है, जब वह ना तो शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट होते हैं और ना ही आर्थिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत होते हैं। इस स्थिति में उनके भी कई सारे बच्चे हो जाते हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि को और बढ़ावा देते हैं।

5. गरीबी

गरीबी भी देश की जनसंख्या बढ़ाने में अहम किरदार निभाती है। बहुत सारे परिवार के लोग इसलिए भी कई बच्चे पैदा कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए बच्चों की सहायता की जरूरत पड़ती है।

उनकी गरीबी उनको मजबूर करती रहती है कि वो कई बच्चे पैदा करें। बच्चे तो हो जाते हैं हैं लेकिन उनका भरण-पोषण वो अच्छे से नहीं कर पाते, जिससे वो गरीब से और गरीब होते चले जाते हैं।

6. शिक्षा की कमी

यहाँ तक जो भी कारण अभी बताए गए हैं, उनका एक कारण है शिक्षा की कमी। अगर पर्याप्त शिक्षा मिले तो परिवार नियोजन की कमी, धार्मिक रूढ़िवादिता, कम उम्र में शादी और गरीबी जैसे मुद्दों पर लड़ाई लड़ी जा सकती है। परिवार नियोजन ना सीधे-सीधे अशिक्षा और अज्ञानता की कमी की ओर इशारा करते हैं, खासकर महिलाओं में।

जो लोग अशिक्षित होते हैं उन्हें आँकड़े नही समझ में आते। उनको ये बात समझना मुश्किल हो जाता है कि देश में जनसंख्या विस्फोट से कितनी समस्याओं का जन्म होता है।

ये तो हो गए अतिक्रमी आबादी (जनसंख्या विस्फोट) के कुछ प्रमुख कारण, अब उनके दुष्परिणाम पर नजर डालते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम

1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव.

अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग होंगे तो उनके खाने-पीने से लेकर रहने और पहनने तक के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत पड़ेगी।

सभी चीजों को उपलब्ध कराने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाएंगे और वही जुगाड़ पृथ्वी पर अपना दबाव बनाता रहेगा। फलस्वरुप ग्लोबल वार्मिंग और खाने-पीने की चीजों की कमी जैसे तमाम मुद्दों पर चिंता बढ़ने लगेगी

2. गरीबी में बढ़ोतरी

जाहिर सी बात है कि लोग ज्यादा होंगे तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा होगा। लेकिन प्रकृति भी एक सीमित मात्रा में संसाधन दे सकती है।

उसके अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है। गरीबी के चलते लोगों के बच्चे ना तो पढ़ पाते हैं और ना ही आगे बढ़ पाते हैं। इस दशा में वो गरीब के गरीब ही रह जाते हैं।

3. पलायन की मजबूरी

इस देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां पर पानी खाना जैसी तमाम प्राकृतिक संसाधनों की कमी है लोग पहले से ही गरीब रहते हैं और बढ़ती पीढ़ी के साथ गरीब चले जाते हैं क्योंकि उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है।

लेकिन जब किसी एक विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा लोग निवास करने लगते हैं, वो भी कम संसाधन वाले क्षेत्र में तो जीवन चलना भी दूभर हो जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहाँ के लोगों को मजबूरी वश पलायन करना पड़ता है।

4. अमीर गरीब का अंतर

एक आदमी अपने घर में आधे दर्जन बच्चे पैदा कर लेता है, क्योंकि वह अशिक्षित है। वह शिक्षित इसलिए है क्योंकि वह गरीब था। और कभी भी लिख पढ़ नहीं पाया था।

अब ये जो आधे दर्जन बच्चे हैं यह भी गरीब ही रहेंगे, क्योंकि यह भी पढ़ लिख नहीं पाएंगे और शिक्षित नहीं हो पाएंगे। ये फिर वही पूरी प्रक्रिया दोहराएंगे जो इनके पूर्वजों ने दोहराया था। इस प्रकार वह हमेशा गरीब ही रहेंगे।

वही अमीर शिक्षित हैं और उसे पता है कि परिवार नियोजन के क्या-क्या उपाय हैं। इसलिए सीमित परिवार ही रखेगा और हर बढ़ती पीढ़ी के साथ अमीर होता चला जाएगा। इस प्रकार अतिक्रमी जनसंख्या से अमीर और गरीब के बीच का फर्क भी बढ़ता ही जाता है

तो यह थे समाज के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतिक्रमी जनसंख्या के पड़ने वाले प्रभाव। अब उनके निस्तारण की ओर चला जाए। आज के इस आधुनिक युग में अतिक्रमी जनसंख्या यानी जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगाने में सफलता पा लेने का मतलब है- गरीबी, अशिक्षा बेरोजगारी आर्थिक पिछड़ापन जैसे तमाम समस्याओं से दूर कर देना।

हालांकि यह सब कुछ कर पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

बढ़ती जनसँख्या का समाधान

1. परिवार नियोजन.

एक समृद्ध और खुशहाल देश के लिए यह जरूरी होता है कि उस देश के आम आदमी स्वस्थ रहें और उनकी जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो।

यह तभी संभव है जब उस देश के आम आदमी इस बात को समझेंगे और परिवार नियोजन के उपाय अपनाकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में अपना योगदान देंगे।

2. नियंत्रित दर

नियंत्रित दर का मतलब यह है कि बच्चों के जन्म के बीच निश्चित अवधि का अंतर होना। जो कि बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने पर जन्मदर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।

दो बच्चों के बीच एक निश्चित अवधि का अंतर होता है तो माता-पिता के साथ साथ बच्चों के स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। जब स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उनकी शिक्षा-दीक्षा भी सही रह पाएगी।

3. अल्पायु में शादी

जैसा की हमने अभी बताया था कि कम उम्र में शादी करना भी अतिक्रमी जनसंख्या का बहुत बड़ा कारण होता है, तो अगर कम उम्र में शादी ना हो तो अतिक्रमी जनसंख्या पर नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी।

हालांकि हमारे देश के संविधान में लड़कियों की शादी 18 और लड़कों की 21 वर्ष में शादी का प्रावधान है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी लोग बहुत कम उम्र में शादी कर देते हैं। जो कि समाज के लिए काफी घातक होता है।

4. महिलाओं का सशक्तिकरण

महिलाओं के सशक्तिकरण से देश बढ़ रही जनसंख्या को कम करने में आसानी मिल सकेगी। बहुत सारे मामलों में देखा जाता है कि परिवार बढ़ाने के मामले में महिलाओं की कोई राय नहीं ली जाती।

महिलाओं को तो इतना अधिकार भी नहीं दिया जाता कि वह अपनी राय सबके सामने रख सकें। वो बस बच्चे पैदा करने की मशीन भर बनकर रह जाती हैं।

ऐसे में अगर महिलाओं में सशक्तिकरण का विकास होगा तो उनमें भी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। और उन निर्णयों को अमल में लाने की क्षमता का भी विकास होगा।

5. प्राथमिक स्वास्थ्य में सुधार

वैसे तो सरकारें हमेशा से ही अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का दावा करती है लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही रहता है। जब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में पूरे जोर-शोर के साथ लगेंगे।

और जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी तभी वह अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा, अच्छा खाना और अच्छी परवरिश दे पाएंगे। जब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छी परवरिश मिलेगी तो वो जनसंख्या विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को अच्छे से समझ पाएंगे। और उसको कम करने की कोशिश करेंगे।

6. शिक्षा में सुधार

शिक्षा एक ऐसी कड़ी है जिसके बिना कुछ भी संभव पाना मुश्किल ही है। शिक्षा अगर नहीं है तो समाज के किसी भी वर्ग का उत्थान नहीं हो पाएगा। शिक्षा रहेगी तो लोगों को अच्छे-बुरे में फर्क करना समझ में आ जाएगा।

साथ ही उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा। उदाहरण के तौर पर किसान को ले लेते हैं क्योंकि किसान एक कमजोर आर्थिक स्थिति से आते हैं। अगर उनको अच्छी शिक्षा ना मिली तो वह वैसे ही रह जाएंगे जैसे उनकी पिछली पीढ़ी थी।

लेकिन अगर उनको अच्छी शिक्षा मिली तो अच्छी पढ़ाई करके वो किसान में ही अमूल चूल परिवर्तन करके अच्छा पैसा कमा सकेंगे या फिर किसान के अलावा भी बहुत कुछ कर सकेंगे ऐसे ही समाज के सभी वर्गों में होगा।

अतः अच्छी शिक्षा से जनसंख्या विस्फोट को कम करने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी।

7. जागरूकता फैलाकर

हमारे देश और समाज में एक बड़ी संख्या में ऐसी आयु वर्ग के लोग हैं जिन्हें अब स्कूल भेज पाना मुश्किल है। लेकिन अगर उन्हें अच्छे से समझाया जाय कि अधिक आबादी के दुष्परिणाम क्या होते हैं तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।

अगर देश पिछड़े इलाकों में लोगों के बीच जाकर किसी भी माध्यम (ऑडियो,वीडियो,प्रिंट,नाटक) से उनके दिमाग में ये बात बैठा दी जाय कि जनसंख्या विस्फोट उनके लिए हानिकारक है तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

[ratemypost]

मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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??Tomorrow is my hindi exam hope this topic will come in the exam and I can do my best as I have no hindi tuition in private and so I have taken a idea from this . The writings that are written in the essay is easy and for me it is helpful also. Pray for me for tomorrow’s exam.??

Thanking You Priyanka

Bahut accha

Tomorrow is my hindi half yearly examination and my hindi book has this topic and the language of our book is very difficult so I searched the topic in Google and I guess it’s the easiest way to learn and understand the topic OVER POPULATION..Hope dis will help,,, THANKYOU 💖👍

It’s nice essay very useful

Bhai sahab ye bachche itne kyon paide hotel Hain? Karan bataen👩‍❤️‍💋‍👨

It’s very nice

nice essay well done

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Hindi Essay on “Badhti hui Jansankhya ”, “बढ़ती हुई जनसंख्या”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बढ़ती हुई जनसंख्या

Badhti hui Jansankhya 

भूमिका- भारत 1947 में स्वतन्त्र हुआ था। जो विकास इन 63 वर्षों में होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ। आज भी हमारे देश का नाम पिछड़े हुए देशों के साथ लिया जाता है। आज ही बहुत सी समस्याएं हमारे सामने मुँह खोले खड़ी हैं जिनमें से सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। इसीलिए भारत सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए ‘परिवार नियोजन’ की योजना बनाई है, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है।

प्राचीन- नवीन स्थिति- वेदों में 10 पुत्रों की कामने की गई है। सवित्रि ने यमराज से अपने लिए सौ भाईयों की तथा 100 पुत्रों का वर मांगा था। कौरव भी सौ भाई थे। सन् 1981 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 78.5 करोड़ थी। आजादी के पश्चात हर मास भारत में 10 लाख के लगभग आबादी बढ़ रही है। सन् 2000 में भारत की जनसंख्या 100 करोड़ से भी अधिक हो चुकी थी। सन 2011 में भारत की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ हो चुकी है। इस स्थिति में भोजन, कपड़ा और आवास का तो अभाव हो ही जाएगा, इसके अतिरिक्त और भी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण- बढ़ती हुई जनसंख्या के अनेक कारण हैं जो निम्नलिखित हैं-

  • निर्धन परिवारों में आमोद-प्रमोद के अन्य साधन न होने के कारण आत्म तृप्ति या थकावट दूर करने के नाम पर सन्तान की वृद्धि होती है।
  • अशिक्षित स्त्री-पुरुष सन्तान उत्पन्न करना ही ग्रहस्थ धर्म का लक्ष्य मानते हैं।
  • परिवार नियोजन के अन्र्तगत जो गर्भ निरोधक उपकरण बनाए गए हैं, वे पर्ण तथा सफल नहीं हुए है।
  • अनपढ़, अन्धविश्वासी तथा रूढ़िवादी लोग सन्तान को भाग्य तथा भगवान की देन मानते हैं।
  • कछ लोगों का विचार है कि गर्भ निरोधक के प्रयोग से जीवन हत्या होती है तथा वे लोग इसका विरोध करते हैं।
  • मजदूर वर्ग की धारणा है कि जितने अधिक हाथ होंगे उतनी मजदूरी अधिक मिलेगी। इसीलिए वे सन्तान उत्पन्न करने में विश्वास रखते हैं।

जनसंख्या की वृद्धि कम करने के उपाय- भारत सरकार ने जनसंख्या की बढ़ौतरी को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने विवाह की आयु निश्चित कर दी है। कम उम्र में विवाह करना गैर-कानूनी समझा जाता है। सरकार ने जनसंख्या की वृद्धि को कम करने के लिए परिवार नियोजन पर भी बल दिया है। अविवाहित पुरुषों और स्त्रियों को पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। दम्पति को इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि उनकी सन्तान एक या दो से अधिक न हो। परिवार में लड़का हो या लड़की उसका अन्तर नहीं समझना चाहिए। स्वेच्छा से नसबन्दी करवाने वाले को उचित सुविधाएं और धन दिया जाए। विवाह देर से करवाने पर भी जनसंख्या पर काबू पाया जा सकता है।

परिवार नियोजन का महत्त्व- परिवार नियोजन से मनुष्य को अनेक लाभ होंगे। ‘छोटा परिवार’ को सुखी परिवार कहा गया है, परिवार में अधिक सन्तान होने से बच्चों के पालन-पोषण व शिक्षा-दीक्षा का उचित प्रबन्ध नहीं हो पाता। घर में अधिक सदस्य होने से लड़ाई का माहौल बना रहता है। अधिक सन्तान होने से माँ का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। ज्यादा सन्तान के रहने से उनकी बिमारी पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता जिससे वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

उपसंहार- सारांश में यह कहा जा सकता है कि जनसंख्या की वृद्धि से देश के विकास में वाधा पड़ेगी और अनेक समस्याएं उत्पन्न होंगी। इसके समाधान का प्रमुख साधन परिवार नियोजन ही है। हमें जनता में परिवार नियोजन के प्रति जागृति लानी होगी। हमें केवल सरकार के भरोसे नहीं रहना होगा। इस कार्य में हर नागरिक का सहयोग चाहिए। तभी हम इस समस्या का हल ढूंढ सकेंगे।

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Badhti Jansankhya Essay In Hindi | Essay on Population Growth in Hindi

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Read this article in Hindi to learn about:- 1. जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population) 2. जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution) 3. क्रम पर प्रभाव (Impact on Ecosystem) 4.  भारतीय परिदृश्य (Indian Scenario).

जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population):

पारिस्थितिकविदों के अनुसार जनसंख्या से तात्पर्य समान प्रकार के जीवों का सामूहिक समूह है जो एक निश्चित स्थान पर रहता है । अर्थात् प्रत्येक जीव चाहे वह जीव-जंतु हो, पक्षी हो, वनस्पति हो, सभी की संख्या होती है और यह संख्या पारिस्थितिक चक्र द्वारा परिचालित होती है तथा उस चक्र को प्रभावित करती है ।

वनस्पति एवं जंतुओं की संख्या एवं पारिस्थितिकी से संबंधों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान एवं पारिस्थितिकी विज्ञान में विशदता से किया जाता है । जनसंख्या से तात्पर्य मानवीय जनसंख्या से है जो अपने क्रिया-कलापों से पर्यावरण को प्रभावित करती है और पारिस्थितिक चक्र में व्यवधान उपस्थित कर संकट का कारण बनती है ।

जनसंख्या का निवास एवं वृद्धि पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करता है । आज भी विश्व में अंटार्कटिका जैसा प्रदेश है जहाँ वर्ष भर हिमानी के जमाव के कारण मानव का निवास नहीं है, उच्च पर्वतीय क्षेत्र भी मानव रहित हैं ।

टुंड्रा प्रदेश की विपरीत परिस्थितियाँ एवं विषुवत्‌रेखीय वन न्यूनातिन्यून जनसंख्या के क्षेत्र हैं । शुष्क मरुस्थली क्षेत्रों में भी अपेक्षाकृत कम जनसंख्या है तो दूसरी ओर समतल मैदानी प्रदेश जहाँ उपयुक्त जलवायु है मानव संख्या का वहाँ केन्द्रीकरण है ।

तात्पर्य यह है कि जनसंख्या पर्यावरण के तत्वों द्वारा नियंत्रित है । तकनीकी विकास एवं वैज्ञानिक उपलब्धियां से मानव अनेक क्षेत्रों को अपने रहने योग्य बना लेता है । इसी क्रम में जब वह पर्यावरण से छेड़-छाड़ करता है तो वहाँ की पारिस्थितिकी को प्रभावित करता है जिससे अनेक समस्याओं का जन्म होता है ।

जनसंख्या का पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से सीधा संबंध होता है अर्थात यदि जनसंख्या अधिक होगी तो पर्यावरण का अधिक शोषण होगा और पारिस्थितिक- संकट अधिक हानिकारक होंगे । इस तथ्य की विस्तार से विवेचना से पूर्व जनसंख्या वृद्धि, वितरण, शहरीकरण आदि तथ्यों का विवेचन आवश्यक है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution):

मानव के अस्तित्व में आने के पश्चात् उसकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । प्रारंभ में निश्चित ही जनसंख्या सीमित थी एवं उपयुक्त क्षेत्रों में निवास करती थी, किंतु उसकी क्रमिक वृद्धि आज एक ऐसे बिंदु पर पहुँच गई है कि वह अनेक राष्ट्रों के लिये चिंता का कारण बनी हुई है ।

किसी भी प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि वहाँ की जन्म और मृत्यु दर के अंतर से जानी जाती है । यदि जन्म दर अधिक और मृत्यु दर कम होगी तो जनसंख्या की तीव्र वृद्धि होगी । इसके विपरीत यदि दोनों में आनुपातिक संबंध होगा तो वृद्धि सामान्य होगी एवं यदि जन्म से मृत्यु दर अधिक हो जाती है तो जनसंख्या में कमी आ जाती है ।

ADVERTISEMENTS:

एक प्रदेश अथवा देश में समय के साथ जो जनसंख्या वृद्धि का प्रारूप चलता है उसे नौरिस हैरिस एवं विटेक ने अपनी पुस्तक- ‘Geography : An Introductory Perspective’ में जनसांख्यिकीय संक्रमण का नाम दिया इसकी चार अवस्थायें व्यक्त की हैं । प्रथम अवस्था में जन्म और मृत्यु दर दोनों अधिक होती हैं अत: जनसंख्या वृद्धि नहीं होती या नगण्य होती है । इस अवस्था में वर्तमान में कोई देश नहीं है, यह मात्र इतिहास का उदाहरण है ।

द्वितीय अवस्था वाले देशों में जन्म दर अधिक होती है और मृत्यु दर घटती है, फलस्वरूप तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती है जैसा कि भारत, बोलिवीया, सऊदी अरब आदि में है । तृतीय अवस्था वाले देशों में मंद वृद्धि अर्थात् जन्म दर कम होने की प्रवृत्ति तथा मृत्युदर भी कम होती है जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं ।

चतुर्थ अवस्था वाले देशों में स्थिर जनसंख्या अर्थात् जन्म एवं मृत्यु दर दोनों ही कम होने से वास्तविक वृद्धि कम होती है जैसा कि स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों में है । संपूर्ण विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति है । यह वृद्धि विगत 45 वर्षों में और तीव्र है । स्पष्ट है कि विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है । प्रति सैकण्ड में दुनिया में 117 शिशुओं का जन्म होता है और लगभग 46 व्यक्तियों की मृत्यु अर्थात् वास्तविक वृद्धि 71 की होती है ।

दूसरे शब्दों में प्रतिदिन 200,000 व्यक्तियों की या प्रतिवर्ष 7.5 करोड़ जनसंख्या अधिक हो जाती है । यदि यही क्रम चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब न खाने के लिये पर्याप्त भोजन होगा, न रहने को आवास और यह स्थिति निस्संदेह संपूर्ण विश्व के पारिस्थितिक-तंत्र को झकझोर कर रख देगी ।

विश्व जनसंख्या की एक अन्य महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है सीमित प्रदेशों में जनसंख्या का जमाव अर्थात् जहाँ भी उपयुक्त पर्यावरण होता है वहीं जनसंख्या का केन्द्रीकरण होने लगता है । वर्ष 2011 में विश्व की कुल जनसंख्या 7,167,705,600 अंकित की गई है ।

विभिन्न महाद्वीपों की जनसंख्या तालिका 9.2 के अनुसार निम्न प्रकार से रही :

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जनसंख्या पर निबंध - Essay on Population in Hindi - Jansankhya Essay in Hindi - Jansankhya par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जनसंख्या में वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम - बेरोजागारी - गरीबी - महंगाई - शिक्षा का अभाव - जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार के प्रयास - उपसंहार।

जनसंख्या में वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है।

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हो रहा हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है। यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी कमी हो रही है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकामी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज लोगों को हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं, गर्मी में लू और सर्दी में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों (हवाओं) से बचने के लिए वस्त्र नहीं। खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास-स्थल है।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में आबादी के बढ़ते, देश में लोगों के हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

भारत में महंगाई के बढने के अनेक कारण हैं जैसे जनसंख्या का बढ़ना, उत्पादों की कम आपूर्ति होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी करना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत बढ़ा देना, आदि । महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है जो लगातार बढती जा रही है। जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका साबित होता नजर आ रहा है।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो, देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सकें।

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जनसंख्या विस्फोट पर हिंदी निबंध | jansankhya visphot par hindi nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम जनसंख्या विस्फोटइस विषय पर निबंध जानेंगे।  आज हमारे देश के सामने जो अनेक गंभीर समस्याएँ हैं उनमें एक महत्त्वपूर्ण समस्या हैजनसंख्या। अनेक उपायों के बावजूद जनसंख्या कम होने के बदले दिनोंदिन बढती ही जा रही है। देश की उन्नति में इससे भारी रुकावट तथा अवरोध उत्पन्न होता है। बढती आबादी देश के लिए एक सिरदर्द बन गया है। जनगणना के अनुसार आज भारत की आबादी एक अब्ज की सीमा पार कर चुकी है। देश की प्राकृतिक तथा मानवीय साधनों की तुलना में यह जनसंख्या निश्चित रूप से कई गुना अधिक है। विज्ञान और तंत्रविद्या से जो तरक्की हुई, उसे बढ़ती आबादी ने स्वाहा कर लिया और देश की उन्नति की गाडी जहाँ की तहाँ अडी हुई है। आजादी मिलकर एक जमाना गुजरा लेकिन आज भी हमारा देश विकसनशील देशों में एक है। यहाँ विकास होता है लेकिन बढती आबादी के कारण विकास से प्राप्त होने वाले लाभ कम ही है। जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण हैं । कम आयु में विवाह, उष्ण जलवायु, अत्यधिक निर्धनता, अशिक्षा, अंध-विश्वास, अज्ञान आदि प्रमुख कारण हैं। छोटी आयु में विवाह के कारण जनन गतिविधियों की अवधि बढ जाती है। उष्ण जलवायु के कारण यौवनारंभ जल्दी होता है। दरिद्रता और अंधविश्वास के कारण बच्चे ईश्वर की देन मानी जाती हैं। पुत्र की चाह में भी जनसंख्या बढती रहती हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण देशवासी आज भी अच्छे लाभों से वंचित रहते हैं। अनाज का उत्पादन जितना बढता है उससे अधिक जनसंख्या में वृद्धि होती हैं। इसलिए दूसरे देशों से अनाज की आयात करनी पड़ती है। इसी प्रकार की अनेक जटिल समस्याएँ निर्माण होती हैं। खाद्यान्न, उपभोग्य वस्तुओं, कपडे, आवास, शिक्षा की व्यवस्था आदि पर गंभीर असर होता है। शहरों में मकानों की गंभीर समस्या है। बढती जनसंख्या के लिए अनाज, तेल, मकान, कपडा, पानी, अस्पताल, यातायात आदि की आवश्यकता होगी।

इनकी माँग बढती रहेगी। इनके लिए पैसा, साधनसामग्री कहाँ से आयेगी ? अधिक जनसंख्या के लिए रोजगार कहाँ से निर्माण करेंगे ? योग्यता के अनुकूल रोजगार तथा जरूरी चीजें न मिलने से गुंडागर्दी, चोरी, डकैती, आत्महत्या, जघन्य अपराध जैसे गुनाहों में वृद्धि होगी।

इससे देश की उन्नति में बाधा पडेगी। शांति, समाधान तथा स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा। सर्वत्र अशांति तथा निराशा का माहौल बढेगा। देश की एकता खतरे में आयेगी, असंतोष फैलेगा, आंदोलन बढेंगे। शासन कमजोर होकर राजनीतिक समस्याएँ बढेगी।

देश की एकता तथा स्वतंत्रता भी खतरे में आयेगी।बढती जनसंख्या को रोकने के लिए अनेक कारगर उपाय करना जरूरी है। शासन तथा व्यक्तिगत स्तर पर जाग्रति हो इस गंभीर संकट का मुकाबला करें।

प्रौढ शिक्षा, परिवार नियोजन, सेक्स एज्युकेशन, स्वास्थ्य संबंधि जाग्रति, बालविवाह तथा अल्प आयु विवाह पर रोक लगाना जैसे अनेक उपायों से जनसंख्या पर रोक लगाकर इस गंभीर समस्या का समाधान ढूँढा जा सकता दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।

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Hindi Essay on “Badhti Jansankhya” , ” बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

जनसंख्या: समस्या एंव समाधान Jansankhya Samasya evm Samadhan

Best 5 Hindi Essay on “Badhti Jansankhya”

निबंध नंबर :-01

हमारे देश में अनेकांे जटिल समस्याएँ हैं जो देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती हैं। जनसंख्या वृद्धि भी देश की इन्हीं जटिल समस्याओं में से एक है। संपूर्ण विश्व में चीन के पश्चात् भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। पंरतु जिस गति से हमारी जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब यह चीन से भी अधिक हो जाएगी। हमारी जनसंख्या वृद्धि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह 33 करोड़ से 100 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है।

देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेकों कारण हैं। सर्वप्रथम यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकुल है। इसके अतिरिक्त निर्धनता, अशिक्षा, रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण विचार आदि भी जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारण हैं। देश मे बाल-विवाह की पंरपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में विद्यमान है जिसके फलस्वरूप भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं। शिक्षा का अभाव भी जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण हैं। परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञातवश लोग समझ नहीं पाते हैं। इसके अतिरिक्त पुरूष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतान उत्पन्न कर लेते हैं। परंतु इसके पश्चात् उनका व्यतीत भरण-पोषण करने की सामथ्र्य न होने पर निर्धनता व कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।

देश ने चिकित्सा के क्षेत्र मंे अपार सफलताएँ अर्जित की हैं जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर मंे कमी आई है जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर में कमी आई है। कुष्ठ तपेदिक व कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हुआ है जिसके कारण भी जनसंख्या अनियंत्रित गति से बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या में बढ़ोतरी का मूल कारण है अशिक्षा और निर्धनता। आँकड़े बताते है कि जिन राज्यों मे शिक्षा-स्तर बढ़ा हुआ है और निर्धनता घटी है वहाँ जनसंख्या की वृद्धि दर में भी हास हुआ है। बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रांतो में जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक है क्योंकि इन प्रांतों मे समाज की धीमी तरक्की हुई है।

देश में जनसंख्या वृद्धि की समस्या आज अत्यंत भयावह स्थिति मंे है जिसके फलस्वरूप देश को अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। देश में उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या अधिक होने का दुष्परिणाम यह है कि स्वतंत्रता के पाँच दशकों बाद भी लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रही है। इन लोगों को अपनी आम भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। हमने निस्संदेह नाभिकीय शक्तियाँ हासिल कर ली हैं परंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज भी करोड़ों लोग निरक्षर हैं। देश में बहुत से बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक स्वस्थ भारत की हमारी परिकल्पना को साकार रूप देना कितना दुष्कर कार्य है।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर अकंुश लगाना देश के चहुमुखी विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियंत्रण से दूर हो जाएगी। सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को और विस्तृत रूप दें। जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं अपिंतु सामाजिक, धार्मिक एंव व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं। सभी स्तरों पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जागृति अभियान छेड़ा जाना चाहिए।

भारत सरकार ने विगत वर्षों में इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं परंतु इन्हें सार्थक बनाने के लिए और भी अधिक कठोर उठाना आवश्यक है। देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें कुछ ऐसे निर्णय भी लेने चाहिए जो वर्तमान में भले ही अरूचिकर लगें परंतु दूरगामी परिणाम अवश्य ही सुखद हों – जैसे हमारे पड़ोसी देश चीन की भाँति एक परिवार में एक से अधिक बच्चे पर पांबदी लगाई जा सकती है। अधिक बच्चे पैदा करने वालों का प्रशासनिक एंव सामाजिक स्तर पर बहिष्कार भी एक प्रभावी हल हो सकता है। यदि समय रहते इस दिशा में देशव्यापी जागरूकता उत्पन्न होती है तो निस्संदेह हम विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना सकती हैं।

निबंध नंबर :-02

बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या

Badhti Jansankhya ek bhayanak samasya

     भूमिका – भारत के सामने अनेक समस्याएँ चुनौती बनकर खड़ी हैं | जनसंख्या-विस्फोट उनमें से सर्वाधिक है | एक अरब भारतियों के पास धरती, खनिज, साधन आज भी वही हैं जो 50 साल पहले थे | परिणामस्वरूप लोगों के पास जमीन कम, आय कम और समस्याएँ अधिक बढ़ती जा रही हैं |

     भारत की जनसंख्या – आज विश्व का हर छठा नागरिक  भारतीय है | चीन के बाद भारत भी आबादी सर्वाधिक है | 

     जनसंख्या-वृद्धि के कारण – भारतीय परंपराओं में बाल-बच्चों से भरा-पूरा घर ही सुख का सागर माना जाता है | इसलिए शादी करना और बच्चों की फौज़ जमा करने में हर नागरिक रूचि लेता है | यहाँ के लोग मानते हैं कि पिता का वंश चलाना हमारा धर्म है | ईश्वर-प्राप्ति के लिए पुत्र का होना अनिवार्य मन जाता है | परिणामस्वरूप लड़कियाँ होने पर संतान बढती जाती है |

     दुष्परिनाम – जनसंख्या के दुष्परिणामों की कहानी स्पष्ट और प्रकट है | जहाँ भी देखो, हर जगह भीड़ ही भीड़ का सम्राज्य है | भीड़ के कारण हर जगह गंदगी, अव्यवस्था और हौचपौच है | देश का समुचित विकास नहीं हो पा रहा | खुशहाली की जगह लाचारी बढ़ रही है | बेकारी से परेशान लोग हिंसा, उपद्रव और चोरी-डकैती पर उतर आते हैं |

     समाधान – जनसंख्या-वृद्धि रोकने के लिए आवश्यक है कि हर नागरिक अपने परिवार को सीमित करे | एक-से अधिक संतान को जन्म न दे | लड़के-लड़की को एक समान मानने से भी जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है |

     परिवार-नियोजन के साधनों के उचित उपयोग से परिवार को मनचाहे समय तक रोका जा सकता है | आज जनसंख्या रोकना राष्ट्रीय धर्म है | इसके लिए कुछ भी करना पड़े, वह करना चाहिए |

निबंध नंबर :-03

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम

बढ़ती जनसंख्याः भविष्य के लिए भयानक चुनौती

जनसंख्या विस्फोट: एक समस्या

                विश्व की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से स्वीकार की गई है कि विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर में जो कमी आई है, उसका कारण चीन सरकार द्वारा उठाए गए कारगर कदम हैं। चीन की सरकार यह भतीभँति जानती है कि जनसंख्या को रोक बिना आर्थिक उपलब्धियाँ नहीं हो सकती।

                यदि हम भारत की स्थिति पर विचार करें तो हमें ज्ञात होगा कि 2001 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 100 करोड़ को पार कर गई है। अब यह आँगडा़ 105 करोड़ छू रहा है। इतनी विशाल जनसंख्या को उपयोग की वस्तुएँ उपलब्ध कराना अपने आप में एक समस्या है। भारत एक गरीब देश हैं इसके संसाधन भी सीमित हैं। जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाए बिना देश में आर्थिक सम्पन्नता लाना अत्यंत कठिन है। जनसंख्या वृद्धि से बहुत अधिक समस्याएँ अत्पन्न होती हैं।

                जनसंख्या वृद्धि से अधिक आवासीय स्थजों की आवश्यकता होती है। अधिक मकान बनाने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। इससे भूमि पर दबाव पड़ता है। कृष योग्य भूमि धन के लालच में बेच दी जाती हैै। कृषि-उत्पादन में गिरावट होती है। आज शहरीकरण के कारण सीमाएँ फैलती जा रही हैं। इस प्रवृति को रोका जाना नितांत आवश्यक है।

                अधिक आबादी के लिए अधिक वस्तुओं की आवश्यकता होगी । न केवल उदरपूर्ति के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक संसाधन जुटाने होंगे। यदि साधन पर्याप्त न हुए तो देश की स्थिति विषम हो जायेगी। अधिक आबादी के लिए अधिक अनाज, अधिक तेल, अधिक कपडा़, अधिक पानी, अधिक यातायात के साधनों की आवश्यमता होगी। पेट्रोल की भी अधिक आवश्यकता होगी। यह सब कैसे प्राप्त किया जाएगा? पैट्रलियम उत्पादों के बारे मे विशेषज्ञों का मत है कि वह 40-50 वर्षो में समाप्त हो जायेगे।

                जनसंख्या-वृद्धि  के कारण शिक्षा-सुविधाओं का आभाव महसूस किया जा रहा है। देश की बहुसंख्या को शिक्षा की प्रथमिक सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं। देश में पर्याप्त मात्रा में प्रथमिक स्कूल, माध्यमिक स्कूल, काॅलेज व शैक्षणिक संस्थाओं का आभाव है। जब तक देश के सभी बच्चों को शिक्षा की सुविधा नहीं मिलेगी तब तक इस देश का सर्वांगीय विकास संभव नहीं है। इस देश की समस्त समस्याओं के मूल में अशिक्षा है।

                जनसंख्या-वृद्धि के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की भी बहुत कमी है। देश की अधिकांश जनसंख्या को स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधएँ भी प्राप्त नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों की संख्या सीमित है। जो सरकारी अस्पताल हैं उनमें बहुत अधिक भीड़ है। देश की गरीब जनता निजी अस्पतालों का महँगा खर्च वहन नहीं कर सकती। इस वजह से गरीब लोग इन सुविधाओं के आभाव में मरने को मजबूर हैं।

                हर व्यक्ति चाहता है कि उसे रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ-साथ अधिक संतान उत्पन्न करना भी प्रत्येक व्यक्ति अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। सरकार के लिए यह संभव नही है कि वह नियोजन के बिना सबको रोजगार उपलब्ध कराए। इसके साथ-साथ सबको रोजगार न मिलने पर अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इससे आर्थिक अपराध बढ़ते हैं। समाज मंे अव्यवस्था फैलती है। राज्य के राजस्व पर अधिक बोझ पड़ता है। इससे देश में असंतोष पैदा होता है। शासन-व्यवस्था में अस्थिरता आती है। इससे देश कमजोर होता है और उसकी एकता एवं अखंडता खतरे में पड़ जाती है। छोटी-छोटी सी समस्याओं को लेकर आंदोलन चलते रहते हैं। इसके लिए राजनीतिक दल भी पूरी तरह उत्तरदायी हैं। वे निकृष्टतम हथकंडे अपनाने तक को तैयार हो जाते हैं।

                उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि जनसंख्य-वृद्धि किसी भी दृष्टि से किसी भी देश के लिए हितकर नहीं है। इसे रोकना होगा। देश तभी प्रगति के तथ पर आगे बढ़ सकेगा जब परिवार नियोजित रहें। जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक निर्धन वर्ग में होती है। प्रश्न यह उठता है कि जनसंख्या पर काबू किन उपायों से पाया जा सकता है।

                जनसंख्या रोकने के लिए सर्वप्रथम जागरूकता का होना आवश्यक है। लोगों को यह समझाना होगा कि छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। यदि परिवार छोटा होगा तो माता-पिता अपनी संतान का पालन-पोषण बेहतर ढ़ंग से कर सकंेगे, उन्हें बढ़िया कपडे़ , पौष्टिक भोजन एवं अच्छी शिक्षा दिलाई जा सकती है। बच्चों एवं माताओं के स्वस्थ रहने के लिए परिवार को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।

                लड़के के पैदा होने की कामना भी जनसंख्या को बढ़ाती है। अब हमें लड़के-लड़की को एक समान मानना होगा। समाज में लड़की को सम्मान दिलाने से भेदभाव स्वयं मिट जाएगा। इसके बाद हम लड़की के बाद लड़के की कामना करना स्वयं छोड़ देंगे। ’एक ही संतान काफी है’ -यह विचार परिवार नियोजन के लक्ष्य को पूरा कर सकता है।

निबंध नंबर :-04

भारत की जनसंख्या की समस्या

Bharat ki Jansankhya Samasya 

भारत एक विशाल देश है। उसकी आबादी अधिक है। 1991 की जनगणना के अनुसार देश की आबादी 843,930,861 है। 1981 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार यह 683,810,051  थी। अप्रैल 1971 की जनगणना में देश की आबादी 547,949,809 थी।

जबकि 1961 में लगभग 44 करोड़ और 1951 में लगभग 36 करोड़ थी। पिछले दस वर्षों के दौरान जनसंख्या उल्लेखनीय रूप में बढ़ी है। इस प्रकार जन्म-दर में विशेष गिरावट नहीं आयी है, जबकि मृत्यु-दर में पर्याप्त कमी है। अधिकारिक सूचनाओं के अनसार 1961 से 1970 के बीच जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति 41.1 थी और उसी दौरान मत्य-दर प्रति एक हजार व्यक्तियों पर 18.9 थी। इस बात का पता लगाया जा चुका है कि अप्रैल 1974 में जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति केवल 35.4 थी। किन्तु हमारा पूर्व निश्चित लक्ष्य जन्म-दर को प्रति हजार व्यक्ति 32 करने का है।

अब जन्म-दर 30.05 प्रति हजार है तथा मृत्यु दर 10.02 प्रति हजार है। पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 1000 : 929 है।

इन आंकड़ों से यह प्रकट होता है कि देश एक बहुत बड़ी जनसंख्या सम्बन्धी समस्या का सामना करने वाला है। प्रत्येक बच्चे के विकास के साथ देश के साधन काफी सीमा तक प्रभावित होते हैं। जब वह बड़ा होता है तो उसे रोजगार तथा दूसरी अन्य सुविधाओं की जरूरत होती है, अतः सरकार का सबसे अधिक बल परिवार कल्याण के कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन पर है।

आपातस्थिति के दौरान सरकार परिवार नियोजन के कार्यक्रम को लागू करने की भरपूर कोशिश कर रही थी और मोटे अनुमान के अनुसार लगभग एक करोड़ आदमी उससे प्रभावित हुए थे। उस दौरान हालांकि परिवार नियोजन के क्षेत्र में सरकार को बहुत अधिक सफलता मिली थी, किन्तु अधिकारियों द्वारा अनुचित बल-प्रयोग का भी उसमें बहुत बड़ा हाथ था जिससे प्रजा में रोष फैल गया और त्राहि-त्राहि मच गई।

बाद में परिवार नियोजन कार्यक्रम की पद्धति में परिवर्तन किया गया और कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘परिवार कल्याण कार्यक्रम’ कर दिया गया। सरकार ने उन लोगों की आर्थिक क्षतिपूर्ति भी की जो परिवार नियोजन के असफल आपरेशनों से प्रभावित हुए थे। साथ ही परिवार नियोजन में बल-प्रयोग की भर्त्सना की गई किन्तु विभिन्न प्रचार माध्यमों से लोगों के अन्तःकरण को परिवार नियोजन के महत्त्व के बारे में प्रभावित करने की नीति को अधिक प्रभावी माना गया।

लोग स्वेच्छा से चाहें तो कुछ विशेष जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं या आपरेशन का रास्ता अपना सकते हैं, किन्तु सरकारी प्रचार का माध्यम अखबार व अन्य संचार-साधन ही हैं। उनमें सिर्फ इसी बात का प्रचार किया जाता है कि परिवारों के आकार को छोटा किया जाए। सरकार का ध्येय है कि जनता की भलाई और सरकार किसी भी कार्यक्रम को जनता की इच्छा से ही क्रियान्वित करना बेहतर समझती है।

इसके साथ ही, सरकार योग व जड़ी-बूटियों द्वारा नियन्त्रण करने के साधनों का प्रचार भी कर रही है और चारित्रिक दृढ़ता को भी प्रमुखता दे रही है। इस प्रकार सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करने के लगभग सभी सम्भव प्रयत्न कर रही है, किन्तु इस उद्देश्य के लिये बल-प्रयोग किया जाना बहुत ही कठिन कार्य है। सबसे अच्छा तरीका आत्म-नियन्त्रण तथा अन्य ऐसे ही साधन हैं। अतः वर्तमान सरकार परिवार सीमित करने के कार्यक्रम को लोकप्रिय बना रही है और साथ ही जनसंख्या की वृद्धि के प्रति सचेत भी है।

निश्चय ही जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा, किन्तु केवल प्राकृतिक तरीकों से ही और जनता की स्वेच्छा से ही यह सम्भव हो सकेगा। बल प्रयोग करने से यह उद्देश्य घपले में पड़ जाएगा, जिसके लिए जनसंख्या नियन्त्रण का कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। मनुष्यों को छोटे परिवार के गुणों तथा उनकी अपनी ही भलाई के बारे में अवगत कराया जाएगा।

निबंध नंबर :-05

बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या और समाधान

Badhti hui jansankhya samasya aur samadhan.

आज विश्व की जनसंख्या में जिस तीव्र गति से वद्धि हो रही है उसे देखते हए ऐसा प्रतीत होता है कि शीघ्र ही खाद्य पदार्थों की कमी हो जाएगी । माल्थस के सिद्धान्त के अनुसार जनसंख्या जयामितीय (Geometrical) गति से और उपज अंक-गणितीय (Arithmetical) के हिसाब से बढ़ती है। दोनों की गति में इतना अन्तर है कि एक दूसरे से सन्तुलन नहीं बैठाया जा सकता। भारत की बढती हुई जनसंख्या राष्ट्र की एक भयानक समस्या है । देश की समृद्धि के लिए सरकार द्वारा किए गये कार्यों में गतिरोध उत्पन्न होने का एक प्रमुख कारण जनसंख्या का निरन्तर बढ़ना है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब पचास लाख के लगभग पहुँच चकी है । प्रो. कार साण्डर्स का मत है कि यदि यह वद्धि इसी गति से होता रही तब पाँच सौ वर्षों के पश्चात् विश्व की जनसंख्या इतनी हो जाएगी कि मनुष्यों का रहना तो दूर पृथ्वी पर खड़े होने के लिए स्थान नहीं रहेगा ।

भारत में बढ़ती हुई इस जनसंख्या के अनुपात में यहां के आर्थिक उत्पादन नहीं बढ़ पा रहे हैं । भूमि और अन्य प्राकतिक साधन सीमित है । सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम “ गरीबी हटाओ और उत्पादन बढ़ाओ “ आदि भी इसीलिए विफल हो रहे हैं । औद्योगिक उत्पादन में भी पांच गुना वृद्धि हुई है परन्तु गरीबी जहाँ की तहाँ है । इसका मूल कारण है जनसंख्या में अनियन्त्रित वृद्धि ।

वेदों में दस दस पुत्रों की कामना की गई है । सावित्री ने यमराज से अपने लिए सौ भाइयों तथा सौ पुत्रों का वरदान मांगा था । कौरव सौ भाई थे। पंडित जी भी किसी को वरदान देते समय यही कहा करते थे ‘दूधो नहाओ, पुतों फलो’ या फिर ‘ तुम सात – सात पुत्रों का मुँह धोओ ‘ । यह सब उस समय की बातें हैं जब जनसंख्या इतनी कम थी कि समाज की समृद्धि, सुरक्षा और सभ्यता के विकास के लिए जनसंख्या की वृद्धि की अत्यन्त आवश्यकता थी । आज की स्थिति बिल्कुल विपरीत है । 1981 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 68.4 करोड़ थी । 1991 में यह संख्या 88 करोड़ जा पहुंची है और अब 2000 में हम एक अरब पचास लाख की संख्या पार कर चुके हैं ।

वास्तव में देश की जनसंख्या ही उसकी शक्ति का आधार होती है परन्तु जब यह जनसंख्या अनियन्त्रित एवं असाधारण रूप से बढ़ती है तो यह देश पर एक बोझ ही होगा । सीमा से अधिक आबादी किसी भी देश के लिए गौरव की बात नहीं कही जा सकती है । भारत इस समय विश्व में जनसंख्या की दष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश है । चीन जनसंख्या की दृष्टि से पहला बड़ा देश है । यदि भारत की जनसंख्या इसी प्रकार बढ़ती गई तो ऐसा लगता है भारत चीन से भी आगे बढ़ जाएगा ।

परिवार नियोजन का लक्ष्य है परिवार के स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए उपयुक्त वातावरण बनाना। यह काम और भी सरल हो जाए यानि क्रमिक उन्नति, दाम्पत्य जीवन सम्बन्धी विज्ञान तथा वैवाहिक जीवन में सामंजस और असामंजस्य के कारणों अथवा पारिवारिक जीवन की समस्याओं का अध्ययन किया जाए। परिवार नियोजन का असली लक्ष्य परिवार सीमित करने तक ही सीमित नहीं है । परिवार नियोजन के कार्य में केवल कम बच्चे उत्पन्न करना और उनके जन्म में अन्तर देना ही नहीं वरना ऐसे और भी कार्य हैं जो परिवार के कल्याण के लिए आवश्यक हैं जिससे परिवार की सामंजस्य पूर्ण वृद्धि और उन्नति हो ।

कुछ विद्वानों का विचार है परिवार नियोजन जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए एक अमानवीय उपाय यह है कि जीवन स्तर को गिरा दिया जाए, मृत्यु की दर को बढ़ा दिया जाए परन्तु यह बात एक सभ्य समाज में चल नहीं सकती । भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग हैं । देश में कुछ धार्मिक लोग हिन्दुओं की जनसंख्या घटने के कारण परिवार कल्याण जैसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ईसाई तथा इस्लाम धर्म को मानने वाले भी धार्मिक दृष्टि से ऐसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ऐसी देश विरोधी भावनाओं को देश के हित की दृष्टि से नष्ट करना ज़रूरी है।

आज भी भारत में रहने वाले निर्धन लोग जनसंख्या वृद्धि में गौरव का अनुभव करते हैं । केवल शिक्षित वर्ग ही इस बात को समझता है । इसीलिए वह परिवार कल्याण के कार्यक्रमों में विश्वास रखता है और अपनाता है । सरकार को चाहिए कि एक तो कम आय वाले लोगों और दूसरे दो बच्चों के पश्चात् कानूनी तौर पर नसबन्दी आप्रेशन आवश्यक हो । नहीं तो भारत का मानव केवल भोगवादी बनकर रह जाएगा । भोग में सख और शान्ति प्राप्त नहीं होती ।

अन्त में हम कह सकते हैं कि भारत सरकार ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार नियोजन तथा शिक्षा प्रसार के अनेक प्रयत्न किए हैं । गर्भपात के लिए भी कानून बनाया है तथापि यह स्वीकार करना होगा कि सरकार द्वारा किए गए प्रयलों का फल उतना प्राप्त नहीं हुआ है जितना होना चाहिए । अत: यह आवश्यक है कि सरकार गम्भीरतापूर्वक विचार कर त्रुटियों को दूर करे तथा देश एवं जनता के कल्याण के लिए कठोर नीति अपनाकर दृढ़ता से जनसंख्या नियन्त्रण के उपायों को लागू करे । तभी देश उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है ।

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निबंध (Hindi Essay)

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  10. Jansankhya Vridhi Lesson Plan in Hindi for B.Ed/DELED

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  11. Essay on Population in Hindi or Bharat ki Jansankhya जनसँख्या पर निबंध

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  12. Hindi Essay on "Jansankhya Samasya evm Samadhan ...

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  13. बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध

    बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम. 1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव. अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग ...

  14. Jansankhya Diwas 11 July "जनसंख्या दिवस 11 जुलाई" Hindi Essay

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  15. Hindi Essay on "Badhti hui Jansankhya ", "बढ़ती हुई जनसंख्या", Hindi

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  16. जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

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  17. Badhti Jansankhya Essay In Hindi

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  18. Hindi Essay/Paragraph/Speech on "Jansankhya ki Samasya ...

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  19. जनसंख्या पर निबंध

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  20. जनसँख्या पर निबंध

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  21. jansankhya visphot par hindi nibandh

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  23. ‎हिन्दी निबंध

    ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति ...