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वसंत ऋतु पर निबंध (Spring Season Essay in Hindi)

वसंत ऋतु

वसन्त ऋतु हम सभी को आनंद देने वाला होता है। भारत में वसन्त ऋतु मार्च, अप्रैल और मई के महीने में आती है। यह सर्दियों के तीन महीनों के लम्बे समय के बाद आती है, जिसमें लोगों को सर्दी और ठंड से राहत मिलती है। वसन्त ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है और सभी जगह हरे-भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन दिखाई देता है। वसंत ऋतु के आगमन पर सब लोग वसंत पंचमी का त्यौहार मना खुशियाँ मनाते हैं। वसंत के आने पर सर्दियों का अंत होता है और सब जगह खुशहाली छा जाती है।

वसन्त ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Spring Season in Hindi, Vasant Ritu par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

भारत में वसंत ऋतु को सबसे सुहावना मौसम माना जाता है। प्रकृति में सब कुछ सक्रिय होता है औरहम पृथ्वी पर नए जीवन को महसूस करते हैं। वसंत ऋतु सर्दियों के तीन महीने के लम्बे अन्तराल के बाद बहुत सी खुशियाँ और जीवन में राहत लाती है।

वसंत ऋतु का आगमन

वसंत ऋतु का आगमन सभी देशों में अलग-अलग होने के साथ ही तापमान भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है। कोयल पक्षी गीत गाना शुरु कर देती है और सभी आम खाने का आनंद लेते हैं। प्रकृति में सभी जगह फूलों की खुशबू और रोमांच से भरी हुई होती हैं, क्योंकि इस मौसम में फूल खिलना शुरु कर देते हैं, पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं, आसमान पर बादल छाए रहते हैं, कलकल करती हुई नदियाँ बहती है आदि। हम कह सकते हैं कि, प्रकृति आनंद के साथ घोषणा करती है कि, वसंत आ गया है: अब यह उठने का समय है।

वसंत ऋतू का हमारे जीवन और मानस पर प्रभाव

इस मौसम की सुन्दरता और चारों ओर की खुशियाँ, मस्तिष्क को कलात्मक बनाती है और आत्मविश्वास के साथ नए कार्य शुरु करने के लिए शरीर को ऊर्जा देती है। सुबह में चिड़ियों की आवाज और रात में चाँद की चाँदनी, दोनों ही बहुत सुहावने हो जाते हैं। आसमान बिल्कुल साफ दिखता है और हवा बहुत ही ठंडी और तरोताजा करने वाली होती है। यह किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मौसम होता है, क्योंकि उनकी फसलें खेतों में पकने लगती हैं और यह समय उन्हें काटने का होता है।

बसंत के आगमन पर, किसान नई फसलों के पकने का इंतजार करने लगते हैं। सरसों के पीले-पीले फूल खिल-खिला कर ख़ुशी व्यक्त करते हैं। सिट्टे भी ऐसे लगते हैं जैसे सिर उठाकर ऋतुराज का स्वागत कर रहे हों। सरोवरों में कमल के फूल खिल कर इस तरह पानी को छिपा लेते हैं जैसे मनुष्यों को संकेत देते हैं की अपने सारे दुखों को समेट कर खुल के जिंदगी का आनंद ले। आसमान में पक्षी किलकारियां मारकर बसंत का स्वागत करते हैं।

निबंध 2 (300 शब्द)

भारत में वसंत ऋतु मार्च, अप्रैल और मई के महीने में, सर्दियों और गर्मियों के बीच में आती है। इसे सभी ऋतुओं के राजा के रुप में माना जाता है और युवाओं की प्रकृति के रुप में प्रसिद्ध है।

हरी भरी वसंत ऋतु

पूरी वसंत ऋतु के मौसम के दौरान तापमान सामान्य रहता है, न तो सर्दी की तरह बहुत अधिक ठंडा होता है और न ही गर्मी की तरह बहुत गर्म हालांकि, अन्त में यह धीरे-धीरे गर्म होना शुरु कर देता है। रात को मौसम और भी अधिक सुहावना और आरामदायक हो जाता है।

वसंत ऋतु बहुत प्रभावशाली होती है: जब यह आती है, तो प्रकृति में सब कुछ जाग्रत कर देती हैं; जैसे- यह पेड़, पौधे, घास, फूल, फसलें, पशु, मनुष्य और अन्य जीवित वस्तुओं को सर्दी के मौसम की लम्बी नींद से जगाती है। मनुष्य नए और हल्के कपड़े पहनते हैं, पेड़ों पर नई पत्तियाँ और शाखाएं आती है और फूल तरोताजा और रंगीन हो जाते हैं। सभी जगह मैदान घासों से भर जाते हैं और इस प्रकार पूरी प्रकृति हरी-भरी और ताजी लगती है।

वसंत ऋतु के लाभ

वसंत ऋतु अच्छी भावनाएं, अच्छा स्वास्थ्य और पौधों को नया जीवन देती है। यह सबसे अधिक सुन्दर और आकर्षक मौसम है, जो फूलों के खिलने के लिए अच्छा मौसम है। मधुमक्खियाँ और तितलियाँ फूलों की कलियों के आस-पास मंडराती हैं

और स्वादिष्ट जूस (फूलों की सुगंध) को चूसने का आनंद लेती है और शहद बनाती है। इस मौसम में लोग फलों के राजा, आम को खाने का आनंद लेते हैं। कोयल घने पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर गाना गाती है और सबके दिलों को जीत लेती है।

दक्षिण की दिशा से बहुत ही प्यारी और ठंडी हवा चलती है, जो फूलों की बहुत अच्छी सुगंध लाती है और हमारे दिलों को छूती है। यह लगभग सभी धर्मों के त्योहारों का मौसम है, जिसके दौरान लोग अपने परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर अच्छी तैयारियाँ करते हैं। यह किसानों का मौसम है, जब वे अपनी नई फसलों को अपने घरों में लाते हैं और कुछ राहत महसूस करते हैं। कवियों को कविताओं की रचना करने के लिए नई-नई कल्पनाएं मिलती हैं और वे अच्छी-अच्छी प्यारी कविताओं की रचनाएं करते हैं। इस मौसम में, मस्तिष्क बहुत अधिक कलात्मक और अच्छे विचारों से भरा होता है।

वसंत ऋतु के मौसम की हानियाँ

वसंत ऋतु की कुछ हानियाँ भी है। जैसा कि, ये मौसम सर्दियों के मौसम के अन्त में शुरु होता है और गर्मियों के शुरु होने से पहले आता है, जिसके कारण बहुत अधिक संवेदनशील मौसम होता है। बहुत से महामारी (छूत वाले रोग) वाले रोग, जैसे- सामान्य जुकाम, चेचक, चिकिन-पॉक्स, खसरा आदि होते हैं, इसलिए लोगों को अपने स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त तैयारियाँ करनी पड़ती है।

वसंत ऋतु का मौसम सभी मौसमों का राजा होता है। वसंत ऋतु के दौरान प्रकृति अपने सबसे सुन्दर रुप में प्रकट होती है और हमारे हृदय को आनंद से भरती है। वसंत ऋतु का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए, हमें हमारे स्वास्थ्य की देखभाल पहले से ही करनी चाहिए, जिसके लिए हमें विभिन्न छूत वाली बीमारियों से प्रतिरक्षा के लिए टीके लगवाने चाहिए।

Essay on Spring Season in Hindi

निबंध 3 (400 शब्द)

वसंत ऋतु वर्ष का सबसे पसंदीदा और सबसे अच्छा मौसम होती है। लोग (विशेष रुप से बच्चे) इस मौसम की सुन्दरता, थोड़ी शान्ति और आरामदायक स्वभाव के कारण इसके बहुत अधिक शौकीन होते हैं। यह साल के सभी मौसमों की रानी होती है और इसे कवियों का सबसे पसंदीदा मौसम माना जाता है। यह सर्दियों के मौसम के बाद में और गर्मियों के मौसम से पहले आती है। यह मार्च के महीने से शुरु होती है और मई के महीने पर खत्म होती है। वसंत ऋतु के आगमन पर पृथ्वी पर सब-कुछ मनमोहक और आकर्षक लगता है।

सभी पेड़ नई पत्तियों, के रुप में नए कपड़े प्राप्त करते हैं, फूल महकना शुरु कर देते हैं, पक्षी पेड़ों की शाखाओं पर नाचना और गाना शुरु कर देते हैं, आसमान बादलों के बिना बिल्कुल साफ और नीला होता है, मैदान हरी-भरी घास से भरे होते हैं और प्रकृति में अन्य बहुत से परिवर्तन होते हैं।

वसंत ऋतु फूलों और त्योहारों का मौसम है, इस प्रकार यह बहुत सी खुशियाँ और आनंद लाता है। रंग-बिरंगे और सुन्दर फूल पूरी तरह से दिल जीत लेते हैं और हरी घास हमें टहलने के लिए अच्छा मैदान देती है। सुबह या शाम को सुन्दर तितलियाँ प्रायः हमारे ध्यान को खिंचती है। दिन और रात दोनों ही बहुत सुहावने और ठंडे होते हैं। वातावरण हर सुबह मधुमक्खियों, कोयल और अन्य पक्षियों की मधुर आवाज से आकर्षण से भरा होता है।

आनंद और खुशियों का मौसम

वसंत ऋतु का मौसम महान प्रसन्नता, आनंद और खुशी प्रदान करता है। सर्दियों में बहुत अधिक सर्दी होती है, गर्मी होती है और बरसात के मौसम में चारों ओर मिट्टी और गंदगी हो जाती है, इसी वजह से वसंत ऋतु आनंद और खुशियों का मौसम कही जाती है। सभी इस मौसम का बड़े स्तर पर आनंद लेते हैं और सर्दी और गर्मी के बीच के इस मौसम के सभी आकर्षणों को कैद करना चाहते हैं।

वसंत ऋतु सभी सजीवों के लिए; जैसे- पेड़, पौधे, फूलों, पशुओं, पक्षियों, मनुष्यों आदि के लिए आनंद और खुशियों का मौसम है, क्योंकि यह न तो बहुत अधिक गर्म होता है और न ही बहुत अधिक ठंडा। दिन और रात लगभग समान होते हैं, न तो बहुत अधिक बड़े और न ही बहुत अधिक छोटे। सभी सर्दियों में बहुत अधिक ठंड से, गर्मियों में बहुत अधिक गर्मी से और बरसात में बहुत अधिक मिट्टी और गंदगी से परेशान हो जाते हैं, लेकिन वसंत ऋतु इन सभी का मिश्रण होती है, जो स्वयं में सभी मौसमों की विशेषताओं को धारण करती है।

वसंत ऋतु का वास्तविक सौंदर्य हमारे स्वास्थ्य को पोषण देता है और हम जीवन के सभी दुखों को भूल जाते हैं। यह हमारे हृदय को बहुत अधिक उत्साह, आनंद और खुशी से भर देती है। इसलिए, वास्तव में इस मौसम का आनंद हम सभी जगहों पर आकर्षक दृश्यों को देखकर लेते हैं।

निबंध 4 (600 शब्द)

वसंत ऋतु तीन महीने की होती है हालांकि, इसकी चारों ओर की सुन्दरता के कारण ऐसा लगता है कि, यह बहुत थोड़े समय के लिए ही रहती है। पक्षी वंसत ऋतु के स्वागत में मीठी आवाज में गाना गाना शुरु कर देते हैं। तापमान सामान्य रहता है, इस मौसम में न तो बहुत अधिक सर्दी होती है और न ही बहुत अधिक गर्मी। चारों ओर की हरियाली के कारण यह हमें ऐसा महसूस कराता है कि, पूरी प्रकृति ने स्वंय को हरी चादर से ढक लिया है। सभी पेड़ और पौधे नया जीवन और नया रुप प्राप्त करते हैं, क्योंकि उनकी शाखाओं पर नई पत्तियाँ और फूल विकसित होते हैं। फसलें खेतों में पूरी तरह से पक जाती है और सभी तरफ वास्तविक सोने की तरह दिखती है।

बसंत ऋतु का स्वागत

पेड़-पौधों की शाखाओं पर नई और हल्की हरी पत्तियाँ आना शुरु होती है। सर्दियों की लम्बी खामोशी के बाद, पक्षी हमारे चारों ओर घर के पास और आसमान में चहचहाना शुरु कर देते हैं। वसंत ऋतु के आगमन पर, वे स्वयं को तरोताजा महसूस करते हैं और अपनी खामोशी को मीठी आवाज के द्वारा तोड़ते हैं। उनकी गतिविधियाँ हमें यह महसूस कराती है कि, वे बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं और भगवान को इस अच्छे मौसम को देने के लिए धन्यवाद कह रहे हैं। ये ऋतुएँ एक-एक करके आती हैं और भारत माता का श्रृंगार करती हैं और चली जाती है। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी शोभा होती है।

ऋतुओं का राजा

बसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। बसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है इसी वजह से यह ऋतुओं की राजा मानी जाती है। भारत की प्रसिद्धि का कारण उसकी प्राकृतिक शोभा होती है। लोग अपने आप को धन्य मानते हैं जो इस पृथ्वी पर रहते हैं। इस मौसम की शुरूआत में, तापमान सामान्य हो जाता है, जो लोगों को राहत महसूस कराता है, क्योंकि वे शरीर पर बिना गरम कपड़ों को पहने बाहर जा सकते हैं। अभिभावक सप्ताह के अन्त के दौरान बच्चों के साथ मस्ती करने के लिए पिकनिक का आयोजन करते हैं। फूलों की कलियाँ अपने पूरे शबाव में खिलती है और प्रकृति का स्वागत अच्छी मुस्कान के साथ करती है। फूलों का खिलना चारों ओर खुशबू को फैलाकर बहुत सुन्दर दृश्य और रोमांचित भावनाओं का निर्माण करता है।

मनुष्य और पशु-पक्षी स्वस्थ, सुखी और सक्रिय महसूस करते हैं। लोग सर्दियों के मौसम में बहुत कम तापमान के कारण अपने रुके हुए कार्य और योजनाओं को इस मौसम में करना शुरु करते हैं। वसंत का बहुत ठंडा वातावरण और बहुत सामान्य तापमान लोगों को बिना थके बहुत अधिक कार्य करने के लिए तैयार करता है। सभी सुबह से शाम तक बहुत अच्छे से दिन की शुरुआत करते हैं, यहाँ तक कि, बहुत अधिक भीड़ होने के बाद भी तरोताजा और राहत महसूस करते हैं।

किसान बहुत अधिक खुश और राहत महसूस करते हैं, क्योंकि वे नई फसल को बहुत महीनों की कठिन मेहनत के बाद अपने घर पुरस्कार के रुप में सफलता पूर्वक लाते हैं। हम होली, हनुमान जयंती, नवरात्री और अन्य त्योहार अपने मित्रों, परिवार के सदस्यों, पड़ौसियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर मनाते हैं। वसंत ऋतु, हमारे और पूरे वातावरण को प्रकृति की ओर से बहुत अच्छा तौहफा है और हमें बहुत अच्छा संदेश देती है कि, सुख और दुख एक के बाद एक आते जाते रहते हैं। इसलिए कभी भी बुरा महसूस नहीं करना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि हमेशा काली घनी रात के बाद सुबह अवश्य होती है।

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वसंत ऋतु पर निबंध – 100, 150, 1000 शब्द | Spring Season Essay in Hindi

सभी ऋतुओं में वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है इसलिए इसे ऋतुराज बसंत भी कहते हैं। मार्च में इस ऋतु का आगमन होता है। आज हम वसंत ऋतु पर निबंध लिखने वाले हैं। इस Spring Season Essay in Hindi को class 4, 5, 6,8 से 10 तक के विद्यार्थी अपने होमवर्क या परीक्षा के लिए उपयोग कर सकते हैं।

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बसंत ऋतु पर निबंध 100 शब्द 

सर्दी के मौसम के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है। यह कड़ाके की ठण्ड से राहत दिलाता है और इस मौसम में न तो अधिक ठण्ड होती है न ही अधिक गर्मी। इस ऋतु में पेड़-पैधों में नई पत्तियां आती हैं, चारो ओर पक्षियों की मनमोहक आवाजें सुनाई देतीं हैं। वसंत ऋतु में प्रकृति की खूबसूरती देखते ही बनती है इसलिए इसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है।

बंसत ऋतु के आगमन पर बंसत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बंसत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का जन्मदिवस भी होता है। महाशिवरात्रि, होली, बैसाखी जैसे त्यौहार भी इस ऋतु में आते हैं और बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वसंत ऋतु समस्त प्राणी जगत में एक नयी उर्जा का संचार करता है और यह ऋतु हर किसी को पसंद है।

यह भी पढ़ें: वसंत ऋतु पर 10 वाक्य – 10 lines on spring season in Hindi

बसंत ऋतु पर निबंध 150 शब्द

 भारत में फरवरी और मार्च में वसंत ऋतु आता है। वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज बसंत भी कहा जाता है। इस ऋतु के आने से प्रकृति में कई सारे बदलाव होते हैं। वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते हैं, आम के पेड़ पर बौर लग जाते हैं, सरसों के खेतों में पीले-पीले खूबसूरत फूल खिल उठते हैं। कोयल की कू-कू बड़ी ही प्यारी लगती है। इन दिनों आसमान साफ़ होता है और दिन में पक्षी उड़ते हुए दिखाई देते हैं और रात में चाँद की चांदनी मनमोहक दिखाई देती है।

वसंत ऋतु के आगमन से किसानो की फसलें भी पकने लगतीं हैं। पेड़-पौधे, सभी जीव-जंतु और मनुष्य इस मौसम में जोश और उल्लास से भरे होते हैं। बसंत ऋतु बहुत ही सुहावना होता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा मौसम होता है क्योंकि इन दिनों वातावरण का तापमान सामान्य होता है।

इस समय स्कूल में परीक्षाएं भी होती हैं और परीक्षा खत्म होते ही गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं। वसंत ऋतु में होली का त्यौहार पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के अवसर पर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है और बेहतर भविष्य और खुशहाली की कामनाएं की जातीं हैं।

वसंत ऋतु हिंदी निबंध- Spring Season Essay in Hindi

दोस्तो हर मौसम की अपनी एक सुंदरता होती है, पर बसंत ऋतु खुद में बहुत खूबसूरत होता है। बसंत ऋतु को ऋतुओं मे राजा का दर्जा प्राप्त है। मार्च, अप्रैल और मई का महिना खासतौर से बसंत लेकर आता है और इस समय प्रकृति में मोतियों की भाँति चमक होती है। इस मौसम मे न तो अधिक ठण्ड होती है न अधिक गर्मी ही रहती है, ये नमी वाला मौसम होता है जो हमारे शरीर मे नई ऊर्जा का प्रवाहन करता है।

तीन महीने कड़ाके की ठण्ड पड़ने के बाद भारत मे बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत ऋतु में मद्धम मद्धम ठण्डी हवाएं बहती है जो हम सबको शीतलता का एहसास कराती है। इस तरह से हम यह कह सकते है कि बसंत ऋतु कई मायनों में एक बहुत ही सुन्दर ऋतु है जो अपने साथ एक उत्सव का माहौल लेकर आता है क्योंकि इस दौरान कई ऐसे विशेष त्यौहारों का आगमन होता है जिसे न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

चारो ओर हरियाली छाई रहती है :- 

हरियाली किसे पसंद नही आती है और बसंत ऋतु तो एक ऐसा ऋतु है जो खासतौर पर इसी के लिए जाना जाता है। इस मौसम में रंग बिरंगे फूल प्रकृति की रौनक बढ़ाते है, और हरी भरी पत्तियाँ शाखों में इक नई जान भर देती है जिस से इसकी सुंदरता अत्यंत बढ़ जाती है। इस मौसम मे चिड़िया चहचहाती है, कोयल गुनगुनाती हैं और आसमान बहुत साफ नजर आते है।

ये मौसम किसानों के लिए बहुत उम्मीदों भरा होता है क्योंकि इस समय उनकी फसले पकने लगती है और उसकी कटाई का वक़्त हो जाता है। खेतों मे लगे सरसो के फूल देखने मे बहुत सुंदर प्रतीत होते है और उपवनों की छटा देखने लायक होती है। पशु पक्षियों के लिए बसंत ढेरों उपहार लेकर आता लेकर आता है, उनके पास वृक्षों पर लगे पत्तियाँ एवं स्वादिष्ट फलों को खाने के कई विकल्प होते है, इस प्रकार वो इस मौसम का भरपूर आनन्द उठाते है। 

सुहावने हो जाते है दिन :-

हम सभी में ज्यादातर लोगों को भी ये बसंत ऋतु बहुत प्रिय होता है क्योंकि शीत ऋतु की कई ठण्डी शामे बिताने के बाद वो इन दिनों वो अपने मन पसन्द हल्के कपड़े पहन सकते है एवं राहत भरी हवाओं का लुत्फ़ उठा सकते है। बसंत का हर दिन बहुत सुहावना रहता है, चारों ओर सुंदर नज़ारे दिखाई देते है, बागों मे सुंदर फूल खिल कर अपना पूर्ण आकार ले चुके होते है और ये दिन नई उमंगों से भरे होते हैं।

बसंत कवियों को बहुत सुंदर अनुभूति करता है जिससे प्रभावित होकर वो एक से बढ़कर एक कविताओं की रचना करते हैं, उनका मस्तिष्क इस वक़्त और भी ज्यादा सृजनात्मक हो जाता है क्योंकि बसंत के मौसम मे तन एवं मन दोनों को बहुत सुंदर अनुभूति होती है जिससे दिमाग मे बेहतर विचारों की उत्पति होती है। 

माता सरस्वती का जन्मदिन :- 

बसंत ऋतु की बात हो और माता सरस्वती का जिक्र ना हो बसंत पंचमी तो हम सब मनाते है क्योंकि इस दिन माता सरस्वती के जन्म के रूप में माना जाता है। जिसे हर भारतीय एक पर्व के रूप मे मनाता हैं एवं विधा की देवी माता सरस्वती से स्वस्थ एवं अच्छे मस्तिष्क एवं ज्ञान की कामना करते हैं।

इस दिन जगह जगह सरस्वती माँ की मूर्ति भी स्थापित की जाती है जिसे बहुत पूरी आस्था के साथ सजाया जाता है एवं इसके 2 से 3 दिनों बाद बहुत हर्ष उल्लास से लोगों की एक टोली नाचते गाते मूर्ति विसर्जन के लिए जाती है। ताकि माँ अगले साल फिर आये और हम सब को आशीर्वाद दे। बसंत पंचमी वाले दिन स्कूल एवं कॉलेज जाने वाले विधार्थी पूरे भक्ति भाव से माता सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं ताकि मा सदैव उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखे। ये दिन हिंदू धर्म मे काफी महत्वपूर्ण होता है, पीला रंग सरस्वती माँ का पसन्दीदा रंग है इसलिए बहुत से लोग इस दिन पीले रंग के वस्त्रों को धारण करते हैं।

सबका लोकप्रिय मौसम है बसंत :-

दोस्तो चूंकि बसंत ऋतु शीत ऋतु के बाद आती है, ठण्ड मे कुछ दिन ऐसे भी होते है जो बदन को कपकपा देते हैं और उन दिनों का सामना करने के बाद लोग खुशी खुशी बसंत का स्वागत सत्कार करने लगते हैं एवं लोग अपने ठण्ड के उनी कपड़ों को रखकर हल्के वस्त्र निकाल लेते हैं जो उनके शरीर को राहत दे सके।

इस मौसम मे लोगों मन काफी स्थिर रहता ही इसलिए बहुत से लोग अपने नये काम की भी शुरुवात करते हैं। बच्चों को बसंत और भी ज्यादा प्रिय होता है क्योंकि ये उनके लिए कई उपहार लेकर आता है, जैसे उनकी परिक्षाये खत्म होने के कगार पर होती है और कुछ दिनों के पश्चात उनकी छुट्टियां शुरू हो जाती है और वो फिर खेल कूद मे खुद को व्यस्त कर लेते हैं और मौसम का भी भरपूर आनन्द उठाते हैं। 

बसंत ऋतु के त्यौहार :- 

भारत मे मनाये जाने वाले पर्व पूरे विश्व मे बहुत प्रसिद्ध हैं जो अब भारत के अलावा अन्य देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ की संस्कृति, परम्परा एवं हर स्थान अपने आप मे ही एक कहानी संजोये है जो इतिहास बयाँ करती हैं। बसंत ऋतु मे त्योहारों का आगमन तो बसंत पंचमी से ही हो जाता है जिसके बाद महाशिवरात्रि, बैसाखी और होली जैसे प्रमुख त्यौहार आते हैं जो हर भारतवासी एक उत्सव की तरह मनाता है और पूरा देश खुशियों से झूम उठता है। भारत मे मनाये जाने वाले प्रत्येक त्योहारों की अपनी एक कहानी है जिसे मनाकर हम उस कहानी को जीवंत करने का काम करते हैं। हर त्यौहार मे एक अच्छा संदेश छुपा होता है जिससे हर व्यक्ति को प्रेरणा लेकर अपने जीवन मे उतारना चाहिए। 

बसंत ऋतु एक सुंदर मौसम की भाँति हम सबके जीवन मे प्रवेश करता है और बहुत कुछ अच्छी सीख देकर जाता है। इस मौसम मे हर व्यक्ति को योगा आदि अवश्य करना चाहिए जिससे उनका शरीर स्वस्थ रहे और मन शांत रहे, शरीर कार्यरत रहेगा तो शरीर कई बिमारियाँ से निरोग रहेगा। बसंत ऋतु प्रकृति का एक बहुत सुंदर उपहार है जो हर व्यक्ति को प्राप्त होता है।

  • सभी 6 ऋतुओं के नाम हिंदी अंग्रेजी में एवं जानकारी
  • शीत ऋतु पर निबंध हिंदी में 100, 200 शब्द
  • ग्रीष्म ऋतु पर निबंध – सरल शब्दों में
  • वर्षा ऋतु पर निबंध 100 शब्द

आपको बसंत ऋतु के बारे में निबंध कैसी लगी? हमें जरुर बताएं।

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वसंत ऋतु पर निबंध- Spring Season Essay in Hindi

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Spring Season Essay in Hindi ( Basant Ritu Par Nibandh ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words, 500 words 600 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.

In this article, we are providing information about Spring Season in Hindi | 4 well written essay on Spring Season in Hindi Language. बसंत ऋतु पर पूरी जानकारी जैसे की सामान्य परिचय, प्राकृतिक शोभा, जन-जीवन, लाभ-हानि अदि के बारे बताया गया है। 

10 Lines Essay on Spring Season in Hindi

1. बसंत ऋतु का स्वागत करने हेतु प्रकृति का कण-कण खिल उठता है ।

2. बसंत ऋतु को ‘ऋतुराज’ की उपधि दी गई है।

3. यह पर्व केवल मौसमी ही नही हैं, इसका आर्थिक महत्व भी हैं ।

4. बसंत ऋतु शिशिर ऋतु की समाप्ति पर आती है।

5. बसंत पंचमी और होली बसन्त ऋतु के ही पर्व हैं।

6. बसंत ऋतु के आते ही पेड़-पौधों में नए-नए पत्ते लग जाते हैं।

7. बसंत ऋतु का प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर जन-जन का मन प्रसन्न हो जाता है।

8. हमें इस ऋतु का खुले मन से स्वागत करना चाहिए।

9. बसंत ऋतु हर प्राणी के लिए सुखद और स्वास्थ्यवर्द्धक है।

10. बसंत ऋतु में चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है।

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Basant Ritu Par Nibandh 300 words

अहा ! बसन्त ऋतु आ गई। चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य निखर उठा । प्राणी मोहित हो उठे । शीतल पवन का स्पर्श से लता कुंज महक उठे । सरसों पीले वस्त्रों में सुसज्जित खेतों में नृत्य कर उठी । खेतों की हरियाली फूलों की मुसकान, कोयल को कुहू-कुहू पपीहे का बसन्त राग सुनकर कौन-सा जीव बिना झूमें रह सकता है । बसन्त का स्वागत करने हेतु प्रकृति का कण-कण खिल उठता है ।

भारत की छह ऋतुएं ग्रीष्म, वर्षा, शरद् ,शिशिर, हेतन्त और बसन्त है । इनमें से बसन्त को ‘ऋतुराज’ की उपधि दी गई है। यह हर्ष से भरपूर पर्व प्रति वर्ष भारत में भादवा सुदी पंचमी के दिन मनाया जाता है । इस उवसर पर बच्चे लेकर बूढ़े तक हर मानव पर एक नया रूप छा जाता है । प्रकृति की सुन्दर छवि देख कर सब विभोर हो उठते हैं । सारे घरों में लोग पीतवर्ण के वस्त्र धारण करके प्रकृति की सुन्दरता से मेल रखने की चेष्टा करते हैं। इस दिन नव-युवतियां पीली साड़ियों में लता के समान झूम उठती हैं, इसके अतिरक्त कई प्रकार के नए-नए पकवान तैयार किए जाते हैं । विशेषकर नव-विवाहित रमणियों के लिए तो यह दिवस हर्ष व उल्लास की झोली भर लाता हैं। उन्हें अपने माता-पिता से पीले रंग के सुन्दर वस्त्र मिलते हैं। लोग पीले रंग के चावलों का पुलाव में तो इस दिवस पर एक और विशेष रीति देखने योग्य है। इस दिन सारे आकाश में पतंग ही पतंग उड़ते हुए नीले व पीले रंग के सुन्दर पक्षी से जान पड़ते हैं ।

यह पर्व केवल मौसमी ही नही हैं, इसका आर्थिक महत्व भी हैं । इसे शुभ मानकर कई समारोह इसी दिन निश्चित किए जाते हैं । बसन्त आता है और अपने साथ लाता है रंग भरी होली। इसमें सभी को रंग खेलने का अवसर मिलता है । स्वास्थ्य सुधारने के लिए यह ऋतु विशेष महत्व रखती है । देह में फुर्ती-सी आती है, न तो सर्दी की कंप-कंपी न गर्मी की लू । ऐसे सुन्दर दिन और शीतल रातों का मोह सबको बसन्त की प्रशंसा करने पर बाध्य कर देता है। ऐसे आमोद में बसन्त का पर्व हमारे देश में मनाया जाता है ।

जरूर पढ़े- Summer Season Essay in Hindi

Spring Season Essay in Hindi ( 350 words )

भारत प्रकृति रूपी नटी की क्रीडास्थली है। इसकी प्राकृतिक शोभा को बढ़ाने में ऋतुओं का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में छह ऋतुएँ क्रम से आती हैं। ये हैं- बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर। उनमें सर्वश्रेष्ठ मादक और आकर्षक ऋतु है- बसन्त ऋतु। इसे ‘ऋतुराज’ का ‘ऋतुपति’ भी कहा जाता है।

बसन्त ऋतु शिशिर ऋतु की समाप्ति पर आती है। बसन्त के आते ही प्रकृति में नई उमंग भर जाती है; उसका आँचल विविध प्रकार के फूलों से भर जाता है। वृक्षों, पादपों और लताओं पर नई कोपलें फूटने लगती हैं। आमों पर बौर आने लगते हैं। माधवी लता पर फूल खिलकर भौरों के पास आने का निमंत्रण देते हैं। वनों में खिले हुए लाल-लाल टेसू और खेलों में सरसों के पीले फूल हृदयों में मस्ती और आनन्द का संचार कर देते हैं। गुलाब, गेंदा, चम्पा, चमेली सब की अनुपम शोभा देखते ही बनती है। बसन्त में मौसम बड़ा ही सुहावना हो जाता है। न अधिक गर्मी होती है और न अघि कि सर्दी। फूलों की अधिकता के कारण ही यह ऋतु ‘कुसुमाकर’ बन जाती है।

बसन्त के इस मादक वातावरण से मस्त होकर कोयल मधुर स्वर से कूकने लगती है। प्राणी भी नव जीवन पाकर प्रसन्न हो जाते हैं। बसन्त का शीतल, मन्द, सुगन्ध वायु मानव-मन को हर्षित कर स्फूर्ति से भर देता है।

बसन्त पंचमी और होली बसन्त ऋतु के ही पर्व हैं। बसन्त का आरम्भ बसन्त पंचमी से ही मनाया जाता है। इसे ही ‘श्री पंचमी’ भी कहते हैं। प्राचीन काल में इस दिन नृत्य, गीत, नाटक आदि का आयोजन किया जाता था। इस दिन लोग पीले फूलों से घरों को सजाते हैं। श्री पंचमी का यह दिन अत्यन्त ही शुभ माना जाता है। अतः विवाह, नामकरण आदि कई शुभ कार्य इस दिन किए जाते हैं। बसन्त पंचमी के दिन लोग बसन्त रंग के वस्त्र पहनकर नाचते-गाते हैं। इसी दिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन भी किया जाता है। होली के रंग भरे त्यौहार में इसका सर्वश्रेष्ठ रूप देखने को मिलता है। यह ऋतु वीरों के मन में बलिदान की प्रेरणा भी जगाती है।

वस्तुतः बसन्त उल्लास, उमंग तथा नव जीवन का संचार करने वाली और देश-धर्म के लिए बलिदान एवं त्याग की प्रेरणा देने वाली श्रेष्ठ ऋतु है। इसका नाम ऋतुराज सार्थक ही है।

Basant Ritu Essay in Hindi

Hindi spring season Essay

Long Essay on Spring Season in Hindi ( 600 words )

समय सदा बदलता रहता है। ग्रीष्म के बाद वर्षा उसके बाद जाड़ा आता है। जिस प्रकार हम एक ही प्रकार का भोजन प्रतिदिन करें तो उससे मन ऊबने लगता है, वैसे ही एक ही ऋतु रहने से हमारे जीवन में एकरसता आ जाती है। मौसम बदलने से हमारी नीरसता और एकरसता दूर होती है। अतः ऋतु परिवर्तन बहुत आवश्यक है।

सामान्य परिचय

भारत में कुल छः ऋतुएँ होती हैं। बसंत ऋतु उनमें सबसे श्रेष्ठ ऋतु’मानी जाती है। यह अन्य सभी ऋतुओं से सुन्दर और सुखद ऋतु है। इसलिए इसे “ऋतु राज’ कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय न अधिक जाड़ा पड़ता है और न ही अधिक गर्मी पड़ती है। हर ऋतु दो महीने की होती है। बसंत ऋतु चैत्र और बैसाख महीने में आती है। मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति सभी इसका खूब स्वागत करते हैं।

प्राकृतिक शोभा

बसंत ऋतु शिशिर या पतझड़ ऋतु के बाद आती है। पतझड़ ऋतु में पेड़-पौधों के पत्ते पीले होकर झड़ जाते हैं। प्रकृति में हर ओर उदासी छा जाती है। बसंत ऋतु के आते ही पेड़-पौधों में नए-नए पत्ते लग जाते हैं। चारों और फूल-फल दिखाई देने लगते हैं। शीतल मंद सुगन्ध बयार बहने लगती है। बाग-बगीचों, खेतों में लहलहाती फसलों में फूल खिल जाते हैं। चारों ओर सुगंध फैल जाती है। फूलों पर भौरे गुनगुन गीत गाते मँडराने लगते हैं। अमराइयों में कोयल फूंकने लगती है। फूलों के आस-पास तितलियाँ घूमने लगती हैं। जलाशयों में कमल के फूल खिल जाते हैं जिनकी शोभा अपूर्व होती है। गाँव के बाहर दूर तक फैले खेतों में तीसी, सरसों, अरहर के फूल बासंती हवा के झोकों से झूमने लगते हैं। बसंत का प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर जन-जन का मन प्रसन्न हो जाता है। कहने का अर्थ यह है कि बसंत की प्राकृतिक शोभा अपूर्व होती है।

बसंत ऋतु का प्रभाव मनुष्य के मन पर भी पड़ता है। मनुष्य जितना स्वस्थ और प्रसन्न इस ऋतु में होता है उतना किसी अन्य ऋतु में नहीं। मनुष्य पर्वो’ के माध्यम से आन्नद लेता है। बसंत ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। यद्यपि बसंत ऋतु का काल चैत–बैसाख मास है, किन्तु इसका प्रारंभ माघ शुक्ल पंचमी से ही हो जाता है। इस दिन बसंतोत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग सरस्वती देवी की पूजा करते हैं। माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। इसलिए इस दिन छात्र-छात्राएँ बहुत उल्लास से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। इसके कुछ दिन बाद महाशिवरात्रि का त्यौहार आता है। इस दिन लोग बड़ी श्रद्धा से शिवजी की पूजा करते हैं। फागुन पूर्णिमा को होली का त्यौहार प्रारम्भ होता है। इस दिन होलिका दहन होता है। दूसरे दिन बच्चे, जवान और बूढ़े सभी उत्साह के साथ रंग खेलते हैं। भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में राम नवमी इसी ऋतु में मनाई जाती है। इस पर्व पर भारतीय रामचन्द्रजी के आदर्शों को याद करते है।

बसंत ऋतु में मनुष्य प्रसन्न रहता है। प्रकृति का रूप सुन्दर और आकर्षक होता है। इस वातावरण का प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा पड़ता है। इस ऋतु में लोगों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है। ऐसे समय में व्यायाम करना और प्रातः भ्रमण करना स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होता है। यह ऋतु ग्रामवासियों के लिए अधिक लाभप्रद है, शहर के लिए उतना नहीं। बसंत का प्रभाव नगर वासियों पर अधिक नहीं पड़ पाता है। फिर भी नगरवासी अपनी सीमा में बसंत का आनंद लेते हैं।

उस ऋतु में चेचक का रोग होता है जिसे बसंत रोग कहते हैं। यह रोग विशेषरूप से बच्चों को होता है। इस रोग के कारण अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है और अनेक लोगों के चेहरे विकृत हो जाते हैं। कुछ लोगों की आँखें भी चली जाती हैं।

बसंत ऋतु हर प्राणी के लिए सुखद और स्वास्थ्यवर्द्धक है। कवियों ने इस ऋतु की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस ऋतु में हमें प्राकृतिक उपादानों-नदी, तालाब, समुद्र, झरनों, खेतों, मैदानों आदि के निकट रहना चाहिए। इसी अवस्था में हम बसंत का आनंद ले सकते हैं। हमें इस ऋतु का खुले मन से स्वागत करना चाहिए।

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1 thought on “वसंत ऋतु पर निबंध- Spring Season Essay in Hindi”

basant ritu essay in hindi

बसंत ऋतु के बारे में बहुत ही रोचक एवं विस्तृत जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

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वसंत ऋतु पर निबंध | Essay on Spring Season in Hindi Language

Essay on Spring Season in Hindi Language  प्रिय विद्यार्थियों आज के लेख में हम  वसंत ऋतु पर निबंध  में मेरे प्रिय मौसम एवं ऋतु वसंत पर हिंदी निबंध बता रहे हैं.

ऋतुराज पर यहाँ सरल शब्दों में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 तथा 10 के विद्यार्थियों के लिए 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों में Essay on Spring Season in Hindi Language आपके साथ शेयर कर रहे हैं.

वसन्त ऋतु पर निबंध (Long and Short Essay on Spring Season in Hindi

वसन्त ऋतु पर निबंध (Long and Short Essay on Spring Season in Hindi

हम आपके लिए essays on Spring Season in Hindi language के इस निबंध को 100, 150, 250, 350, 450 और 500 शब्दों की सीमा के साथ यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.

Essay on Spring Season in Hindi Language

बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है. सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ इस ऋतु को हम सभी पसंद करते है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह फरवरी और मार्च महीने में हल्की फुलकी ठंड और गर्मी के हल्के मौसम की सुगबुगाहट में होती हैं.

स्कूल के विद्यार्थियों को वसंत ऋतु के बारे आर्टिकल अथवा निबंध लिखने को कहा जाता है. हमेशा की तरह आज भू हम आपके लिए वसंत ऋतु पर निबंध लेकर आए हैं.

हमने बड़े विस्तार के साथ वसंत ऋतु पर निबंध को आपके सामने रखने की कोशिश की हैं. जिससे आप अपने मनचाहे स्वरूप में इसे याद कर सकते हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 1 कक्षा 1,2 के लिए

एक वर्ष में बारह महीने होते है. तथा छः ऋतुएँ होती है. दो दो महीने की हर एक ऋतु की शोभा निराली हैं. चैत और वैशाख में बसंत ऋतु होती है. अंग्रेजी के मार्च अप्रैल महीने होते है. इस ऋतु में दिन और रात एक जितने होते हैं.

बसंत का मौसम बड़ा ही सुहावना होता है. इस कारण इसे ऋतुराज की संज्ञा भी दी जाती हैं. इस ऋतु में नयें नयें पत्ते और फूल खिलते है, फूलों पर भौरों का गुंजन सभी के मन को भाता हैं. खेतों में हरियाली छा जाती हैं. मंद मंद पवन बहती है.

उसमें एक अजीब सी खुशबु का एहसास होता हैं. पूरा आसमा स्वच्छ व नीले रंग का हो जाता हैं. आम के वृक्ष पर बौर आ जाती है जिस पर बैठी कोयल का मीठी वाणी में कुहू कुहू का मधुर संगीत सभी के मन को भा जाता हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 2, कक्षा 3,4 के लिए

वसंत के दिनों में सब ओर प्रसन्नता और ख़ुशी का माहौल छा जाता है. हिन्दुओं के तीन बड़े पर्व होली, रामनवमी और वैशाखी इसी ऋतु में आते है.

वसंत ऋतु में सैर करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है. तथा शरीर में नयें रक्त का जन्म होता है. शरीर का अंग अंग खिल जाता है और पाले तथा सर्दी का पूरी तरह समापन हो जाता है. भगवान कृष्ण ने गीता में कहा था कि मैं सभी ऋतुओं में वसंत हूँ.

वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर ये भारत की मुख्य ऋतुएँ है जो बारी बारी से आकर हमारे जीवन में नयें उत्साह का संचार करती हैं. इन सभी का काल दो दो माह का ही होता है.

हर एक ऋतु का अपना विशेष महत्व है. सभी का मौसम तथा उल्लास एक दूसरी से पूर्णतया भिन्न होता है. फाल्गुन से चैत्र तक चलने वाला मौसम मनभावन वसंत का होता है. इसमें मानव व सम्पूर्ण जीव जगत प्रसन्न हो जाता हैं. यह ऐसा मौसम होता हैं जिसमें न अधिक सर्दी सताती है न ही गर्मी.

वसंत ऋतु पर निबंध 3 कक्षा 5,6 के लिए

भारत की छः ऋतुएँ वर्षा, ग्रीष्म, शरद, शिशिर एवं हेमंत में सबसे अधिक मनोहर वसंत का मौसम होता है. जो हेमंत के ठीक पश्चात इसकी शुरुआत होती हैं. इसे ऋतुराज की उपाधि प्रदान की गई हैं. अंग्रेजी माह के अनुसार यह दो महीने मार्च और अप्रैल तक होता हैं.

कई बार मौसम चक्र में परिवर्तन के चलते इसकी शुरुआत जनवरी में तथा अंत अप्रैल में भी होता हैं. मुख्य रूप से जनवरी का अंतिम सप्ताह इसके आगमन की आहट दे जाता हैं.

इस मौसम में तापमान सामान्य स्तर का रहता हैं. शिशिर ऋतु के ठंडे झोकों से परेशान मानव जीवन वसंत के आगमन पर चैन की सांस लेता हैं.

वसंत में प्रकृति दुल्हन की तरह सज धजकर तैयार हो जाती हैं. पेड़ों पर नयें पत्ते और फूल आने लगते हैं. फूलों की सुगंध हवा में घुलकर सम्पूर्ण वातावरण को सुगन्धित बना देती हैं. सरसों तथा महुए की सुगंध से हवा में एक अनोखा स्वाद उत्पन्न हो जाता हैं.

इस ऋतु को प्रकृति का उत्सव भी कहा जाता हैं. जिसमें प्रक्रति की सुषमा अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं. यह जीवन में यौवनकाल की तरह आन्न्दायी जीवन होता हैं.

इस ऋतु में चारो ओर आनन्द ही आनन्द रहता हैं. लहलहाते खेतों को देखकर किसान फूला नहीं समाता हैं. अधिकतर भाषाओं के कवियों ने अपने लेखनी में वसंत का बखान अवश्य ही किया हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 4 कक्षा 7,8 के लिए

भारत में वर्ष में छः ऋतुएँ होती है. हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म और शरद, इन सभी में वसंत सबसे सुहावनी होती हैं. इसी कारण इसे कवि कालिदास ने ऋतुराज कहा हैं. इस ऋतु में न गर्मी होती है न ठंड. प्रातःकाल, दोपहर और सायंकाल और रात्रि चारो काल मधुर होते है.

वसंत ऋतु में प्रकृति की शोभा बहुत सुंदर होती हैं. पेड़ पौधों बेलों पर रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं. वन उपवन की छटा आनन्द देती हैं. आम के पेड़ों पर बौर लग जाता हैं. उनकी डाली पर बैठी कोयल कूकती है. खेतों में सरसों के पीले पीले फूल ही दिखाई देते है.

वसंत में शीतल, मंद, सुगन्धित पवन चलती है. वह शरीर को सुखदायी लगती हैं. वसंत में जो सैर का आनन्द आता है वह किसी और मौसम में नहीं.

इस मौसम में हर एक मनुष्य का मन प्रसन्न हो जाता हैं. उदासी दूर हो जाती है. शरीर में नया खून दौड़ने लगता हैं. मन में उत्साह पैदा होता हैं. मुखड़े पर लाली छा जाती हैं.

वसंत में मनुष्य ही नहीं पशी पक्षी भी आनन्द में भरकर मीठी बोली बोलने लगते हैं. फूलों पर भौरें गुंजन करने लगते हैं. रंग बिरंगी तितलियाँ फूल फूल पर जाकर मीठा रस पीती हैं. सचमुच वसंत ऋतुराज हैं.

Essay on Spring Season in Hindi Language In 500 words With Headings

प्रस्तावना- वसंत ऋतु का आगमन हेमंत ऋतु के बाद होता है तथा इसका काल ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रैल तक एवं हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन से चैत्र मास तक होता हैं.

कभी कभी फरवरी के मध्य से लेकर अप्रैल के मध्य तक वसंत का मौसम रहता हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन हर वर्ष माघ शुक्ल पंचमी से होता हैं.

भारत में ऋतुएँ- भारत की धरा प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से विश्व में अनूठा स्थान रखती हैं. विश्व के अन्य देशों में प्रायः तीन ऋतुएँ ही होती हैं. पर भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर तथा वसंत इन छः ऋतुओं का चक्र गतिशील रहता हैं.

ऋतुराज कहलाने का कारण- इस ऋतु में प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती हैं. पेड़ों पर नयें पत्ते उग आते हैं. तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरियाली एवं खूबसूरत फूलों की चादर ओढ़कर अपना श्रृंगार किया हो. इस सुहावने मौसम में जीवन का आनन्द दुगुना हो जाता हैं.

हर तरफ नयें फूलों की सुगंध वातावरण को मनमोहक बना देती हैं. आमों के पेड़ों की सुगंध भरी मादकता का तो कहना ही क्या. कोयल की कूक भी इस मौसम की ख़ास विशेषता हैं. सरसों के पीले फूल जहाँ प्रकृति की स्वर्णमयी होने का आभास कराते है,

वही महुए एवं आम्रमंजरी की मादक गंध से प्रकृति बौराई हुई सी नजर आती हैं, यह स्थिति मन को मोहने के लिए पर्याप्त होती हैं. ऋतुराज वसंत को कवियों एवं लेखकों का विशेष अनुराग प्राप्त होता हैं. लेखकों एवं कवियों ने भी वसंत ऋतु को केंद्र में रखकर रचनाएं की हैं.

हाँ, वसंत की सरस घड़ी है जी करता मैं भी कुछ गाऊ कवि हूँ आज प्रकृति पूजन में निज कविता के दीप जलाऊं

सत्य ही है कि वसंत के आगमन के साथ ही त्योहारों की एक श्रंखला शुरू हो जाती हैं. सरस्वती पूजन से प्रारम्भ हुआ वसंतोत्सव ,शिवरात्रि की उन्माद एवं होली के उत्साह के साथ अपने चरम पर होता हैं.

किन्तु इसका उत्साह काफी पहले से ही लोगों में देखने को मिलने लगता हैं. इस तरह वसंत अपने साथ न केवल प्रकृति की सुंदर छटा बल्कि त्योहारों की सौगात भी लेकर आता हैं. वसंत की इन्ही विशेषताओं के कारण इसे ऋतुराज ऋतुओं का राजा कहा जाता हैं.

प्राकृतिक वातावरण- वसंत ऋतु में वातावरण का तापमान सामान्य बना रहता है. न अधिक गर्मी और न अधिक ठंड होती हैं. शीत ऋतु की समाप्ति के बाद शिशिर ऋतु ठंडी होती हैं. ठंडी हवाओं के झोके से प्राणी सिहरने लगते हैं. इसी के बाद जब वसंत आता है, वातावरण सुहाना हो जाता हैं.

उपसंहार- वसंत ऋतु मानव को यह संदेश देती हैं कि दुःख के बाद एक दिन सुख का आगमन भी होता है. जिस तरह परिवर्तनशीलता प्रकृति का नियम है उसी प्रकार जीवन में भी परिवर्तनशीलता का नियम लागू होता है.

जिस तरह शिशिर ऋतु के बाद वसंत की मादकता का अपना एक अलग ही आनन्द होता है, उसी प्रकार जीवन में भी दुखों के बाद सुख का आनन्द दुगुना हो जाता हैं.

ऋतुराज वसंत पर निबंध, essay on basant ritu in hindi for class 8, Spring Season par nibandh

प्रस्तावना-

भारत भूमि पर विधाता की विशेष कृपा दृष्टि प्रतीत होती है, क्योंकि यहाँ पर समय की गति के साथ ऋतुओं का चक्र घूमता रहता है. इससे यहाँ प्राकृतिक परिवेश में निरंतर परिवर्तन एवं गतिशीलता दिखाई देती है.

सामाजिक चेतना, भौगोलिक सुषमा एवं पर्यावरणीय विकास की दृष्टि से भारत में ऋतु परिवर्तन का अनेक तरह से काफी महत्व माना जाता है. इसमें भी वंसत ऋतु का अपना विशिष्ट सौन्दर्य सभी को आनन्ददायी लगता है.

भारत में ऋतुएँ

हमारे भारत में एक वर्ष में छः ऋतुएँ होती है वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत. प्रत्येक ऋतु का समय दो माह का होता है. जब सूर्य कर्क रेखा पर होता है, तब ग्रीष्म ऋतु पड़ती है. इस ऋतु में भयानक गर्मी और तपन रहती है. फिर सावन भादों में वर्षा ऋतु आती है और चारों ओर जल वर्षण होता रहता हैं.

सूर्य विषुवत रेखा पर रहता है तब शरद ऋतु आती है, दीपावली के बाद शिशिर ऋतु प्रारम्भ होती है. इसमें कड़ाके की ठंड पड़ती है तथा पर्वतीय स्थलों पर बर्फ व पाला गिरता है.

इसके बाद हेमंत ऋतु आती है, इसमें वृक्षों लताओं के पत्ते सूखकर झड़ने लगते है. सूर्य वापिस विषुवत रेखा पर पहुचते ही वसंत ऋतु का आगमन होता है. इस प्रकार भारत में वर्ष भर में छः ऋतुएँ बदल जाती हैं.

ऋतुराज कहलाने का कारण

प्रत्येक ऋतु का अपना अलग महत्व है परन्तु वसंत ऋतु का विशेष महत्व हैं. इस ऋतु में समस्त प्रकृति में सौन्दर्य एवं उन्माद छा जाता हैं. धरती का नया रूप सज जाता है, प्रकृति अपना श्रृंगार सा करती है तथा समस्त प्राणियों के ह्रदय में उमंग, उत्साह एवं मादकता से भर जाते हैं.

इस ऋतु का आरम्भ माघ शुक्ल पंचमी से होता है, होली का त्यौहार इसी ऋतु में पड़ता है. नयें संवत्सर का आरम्भ भी इसी से माना जाता हैं. इन सब कारणों से वसंत को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा कहा जाता हैं. कवियों एवं साहित्यकारों ने इस ऋतु की अनेकश प्रशंसा की हैं.

प्राकृतिक वातावरण

वसंत ऋतु में सभी पेड़ पौधे नयें पत्तों, कोपलों, कलियों एवं पुष्पों से लद जाते हैं. शीतल, मंद एवं सुगन्धित हवा चलती है. न गर्मी और न सर्दी रहती है.

कोयल कूकने एवं भौरें गुंजार करने लगते है. होली, फाग एवं गणगौर का उत्सव किशोर किशोरियों को उमंगित करता है. सारा ही प्राकृतिक वातावरण अतीव सुंदर, मनमोहक एवं मादक बन जाता हैं.

कवियों के कंठ से श्रृंगार रस झरने लगता है. दूर दूर तक सौन्दर्य एवं पीताभ सुषमा फ़ैल जाती है. रात्री का परिवेश भी अतीव मनोरम लगता हैं.

भारत में वैसे सभी ऋतुओं का महत्व है, सभी उपयोगी है और समय परिवर्तन के साथ प्राकृतिक परिवेश की शोभा बढ़ाती है. परन्तु सभी ऋतुओं में वंसत का सौन्दर्य सर्वोपरि रहता है.

इसी से इसे ऋतुराज कहा जाता है. यह ऋतु कवियों, प्रकृति प्रेमियों एवं भावुकजनों को अतिशय प्रिय लगती है.

  • गर्मी का मौसम हिंदी निबंध
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वसंत ऋतु निबंध – Basant Ritu Essay in Hindi

by Editor updated January 16, 2019, 1:43 PM 4 Comments

वसंत ऋतु निबंध | बसंत ऋतु | Basant Ritu Essay in Hindi 

ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ वसंत ऋतु की महिमा का जितना गुणगान किया जाए उतना कम है। प्रकृति की सुंदरता का दर्शन यदि हमें करना हो तो बसंत ऋतु में हम कर सकते हैं। वसंत ऋतु की इसी महिमा को हम निबंध के द्वारा आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। 

वसंत ऋतु निबंध (150 शब्द)

प्रकृति का अगर सौन्दर्य देखना है तो वसंत ऋतु  में देखिये, इस ऋतु के समय प्रकृति अपनी सुंदरता के चरम पर होती है। वसंत ऋतु का आगमन फरवरी से लेकर अप्रैल के मध्य में होता है। भारत में छह मुख्य ऋतुओं में वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।

इस ऋतु के दौरान पेड़ों में नए पत्ते आ जाते हैं, किसानों की फसल पक जाती है और यह समय फसल काटने का होता है, फूलों में नयी कलियाँ खिलने लगतीं हैं, पक्षी बाग-बगीचों में कलरव करने लगते हैं, लोग खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल जाते हैं। इस ऋतु में मौसम बड़ा सुहावना होता है।

कड़ी सर्दी के मौसम के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है, इस समय ना ही अधिक गर्मी पड़ती है और ना ही अधिक सर्दी इसलिए मौसम अत्यंत सुखद होता है और सभी के लिए आनंददायक होता है।

वसंत ऋतु के समय ही वसंत पंचमी, होली और शिवरात्रि त्योहारों को मनाया जाता है। संतुलित मौसम होने के कारण वसंत ऋतु सबकी प्रिय ऋतु होती है।

वसंत ऋतु निबंध (200 शब्द)

वसंत ऋतु भारत की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है जिसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने के मध्य में होता है। इस ऋतु के आते ही प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में आ जाती है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति का सौन्दर्य देखते ही बनता है। हिन्दू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारम्भ भी वसंत ऋतु में होता है। वसंत ऋतु सर्दी के मौसम के बाद आती है इसलिए इस ऋतु के आते ही ठंड कम हो जाती है। पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आ जाते हैं, आम के पेड़ नयी बौरों से लद जाते हैं, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल दिखाई देते है और पुष्पों की कलियाँ खिलने लगतीं हैं।

वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्यूंकी इस समय मनुष्य, पशु पक्षी, पेड़-पौधे सभी नयी ऊर्जा, नया उत्साह और तरो-ताजा मौसम का आनंद लेते हैं। इस ऋतु में वातावरण अत्यंत सुखद और ताजा होता है। शिवरात्रि, होली का त्योहार भी वसंत ऋतु में ही आता है। इस ऋतु को वसंत पचमी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

वसंत ऋतु का आनंद सभी लेते हैं, लोग अपने घरों से निकलकर बाग-बगीचों में सैर करने निकल पड़ते हैं, पक्षी मधुर गुंजन करते हैं, पेड़ हरे-भरे हो जाते हैं, पुष्प वातावरण में अपनी सुगंध फैलाकर माहोल खुशनुमा कर देते हैं। मुझे भी वसंत ऋतु बहुत प्रिय है।

वसंत ऋतु निबंध (300 शब्द)

वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और इसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल माह के मध्य में होता है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति चारों तरफ अपनी सुंदरता को बिखेरती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ऋतु माघ महीने की शुक्ल पंचमी से प्रारम्भ होती है और फाल्गुन व चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे त्योहार भी वसंत ऋतु के समय मनाए जाते हैं।

वसंत ऋतु का आगमन शीत ऋतु के बाद होता है और इस समय सर्दी भी कम हो जाती है और अधिक गर्मी का एहसास भी नहीं होता। एक तरह से इस ऋतु में मौसम संतुलित होता है, ना ही अधिक गर्मी और ना ही अधिक सर्दी।

वसंत ऋतु में मौसम बड़ा ही सुहाना लगता है इसलिए सभी को यह ऋतु प्रिय है। वसंत ऋतु में पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आते हैं, मैदान हरी-हरी घास से आच्छादित हो जाते हैं, फूलों में कलियाँ फूटने लगतीं है और चारों तरफ फूलों की खुशबू महकने लगती है, खेतों में सरसों की फसल पक जाती है जिसमे पीले-पीले फूल आ जाते हैं, पक्षी मधुर स्वर से कलरव करते हैं और लोग इस मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल पड़ते हैं।

वसंत ऋतु के दौरान चारों तरफ एक उत्सव का माहौल हो जाता है, सभी आनंदमय होकर प्रकृति की खूबसूरती को निहारते हैं, एक नयी ऊर्जा, एक नयी चेतना के साथ सभी तरो-ताजा महसूस करते हैं

पुराणों की कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र माना गया है। भगवान कृष्ण ने गीता में वसंत ऋतु का वर्णन करते हुये कहा है की ऋतुओं में मैं वसंत ऋतु हूँ।

वसंत ऋतु में प्रकृति अपनी सोलह कलाओं से खिल उठती है, प्रकृति का यौवन हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलता है। सभी जीवों, पेड़-पौधों को यह ऋतु अपनी ओर आकृष्ट करती है।

वसंत ऋतु निबंध (400 शब्द)

वसंत ऋतु में प्रकृति अपने उत्कृष्ट सौन्दर्य में होती है अतः इस ऋतु को छह ऋतुओं में से सर्वश्रेष्ठ ऋतुओं का राजा कहा गया है। प्रकृति की वास्तविक सुंदरता हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से होता है। यह ऋतु फरवरी, मार्च और अप्रैल में मध्य में प्रारम्भ होती है।

रामायण में वसंत ऋतु का सुंदर चित्रण किया गया है, भगवान श्री कृष्ण गीता में स्वयं को वसंत ऋतु बताते हैं, कवि जय देव ने तो वसंत ऋतु का वर्णन अपनी सुंदर कविताओं से किया है।

वसंत ऋतु के समय मौसम बड़ा ही सुहावना होता है और मनुष्य, पशु-पक्षी सभी को अपनी ओर आकृष्ट करता है। विकट शीत ऋतु के समाप्त होने के बाद और गर्मी शुरू होने से पहले वसंत का आगमन होता है अतः इस समय मौसम संतुलित होता है और सभी प्राणियों के लिए सुखद होता है।

वसंत ऋतु के आगमन होते ही पेड़ों में नए हरे-भरे पत्ते आने लग जाते हैं और सभी वृक्ष नए पत्तों से आच्छादित होकर ताजा हवा का संचार वातावरण में कर देते हैं। बाग-बगीचों में खिल रहे पुष्पों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और चारों तरफ पुष्प अपनी सुगंध फैलाकर मौसम को खुशनुमा बना देते हैं। ठड़ के मौसम से बर्फ की चादर बने नदी, तालाब, झील, जलाशय आदि फिर से बहने लगते हैं। कोयल अपनी कुहु-कुहु की मधुर ध्वनि से गायन करती है, आम के पेड़ नयी बौरों से सज जाते हैं, फसलें पक जातीं हैं और उनके कटने का समय आ जाता है। एक प्रकार से चारों ओर प्रकृति अपने सौन्दर्य को बिखेर देती है।

आम लोगों के लिए वसंत ऋतु घूमने-फिरने का और मौसम का लुफ्त उठाने का समय होता है। इस समय लोग प्रकृति के सौन्दर्य का दर्शन करने के लिए घरों से बाहर निकल पड़ते हैं। स्वास्थ्य के लिए वसंत ऋतु सबसे अच्छी मानी गयी है और एक नयी ऊर्जा का एहसास इस मौसम में हमें होता है।

वसंत ऋतु में ही होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे प्रमुख त्योहारों को मनाया जाता है। पुराणों में वसंत को कामदेव का पुत्र कहा जाता है जिसके आने की खुशी में प्रकृति चारों ओर सुंदरता को बिखेरकर उत्सव मनाती है।

सभी जीवों, पेड़-पौधों को खुशहाली देने वाली वसंत ऋतु की प्रतीक्षा सभी करते हैं क्यूंकी अन्य ऋतुओं में जो कष्ट होता है वो इस ऋतु में समाप्त हो जाता है और सभी एक नयी ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ खड़े हो जाते हैं।

वसंत ऋतु निबंध (600 शब्द)

वसंत ऋतु भारत की मुख्य छह ऋतुओं में से एक है। इस ऋतु को सभी जीवों के लिए अनुकूल और सुखद माना जाता है क्यूंकी इस समय प्रकृति एक नए रंग रूप में उपस्थित होती है। धरती के सभी जीव, पेड़-पौधे इसी ऋतु की प्रतीक्षा करते हैं क्यूंकी इसी ऋतु में उन्हें एक नयी चेतना और ऊर्जा प्राप्त होती है।

वसंत का आगमन

हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से शुरू होता है। फाल्गुन और चैत्र का महिना वसंत ऋतु का माना गया है। हिन्दू पंचांग के साल का प्रारम्भ और अंत भी वसंत ऋतु में होता है। अँग्रेजी कलेंडर के अनुसार वसंत ऋतु फरवरी,मार्च और अप्रैल के मध्य में आती है। शीत ऋतु के समाप्त होते ही वसंत ऋतु आरंभ होती है और अप्रैल महीने में इसका समापन होता है।गर्मी और ठंड के मध्य में वसंत ऋतु आती है।

वसंत ऋतु के समय ही होली, शिवरात्रि और बसंत पंचमी त्योहारों को मनाया जाता है।

ऋतुओं की राजा वसंत

वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा गया है क्यूंकी इस समय प्रकृति अपने सौन्दर्य की चरम सीमा पर होती है। अन्य ऋतुओं में हमें प्रकृति की वो सुंदरता देखने को नहीं मिलती जो वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। प्रकृति का वास्तविक सौन्दर्य अगर हम देखना चाहते हैं तो हमें वसंत ऋतु में देखना चाहिए।

ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी पड़ती है, सावन में अधिक वर्षा और शीत ऋतु में अधिक ठंड, लेकिन वसंत ऋतु में मौसम संतुलित होता है। न ही अधिक ठंड पड़ती है और ना ही अधिक गर्मी।

धरती के सभी प्राणियों के लिए वसंत ऋतु का समय सबसे अनुकूल और सुखद माना गया है। वसंत का सुहावना मौसम सभी को प्रिय है। एक नया उत्साह, नयी ताजगी और स्फूर्ति हमें अपने अंदर देखने को मिलती है।

आम लोग इस ऋतु में अपने घरों से बाहर घूमने निकलते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी वसंत ऋतु को सबसे अच्छा माना गया है क्यूंकी इस समय हरे-भरे वृक्षों से शीतल और ताजा हवा बहती जो हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर देती है।

वसंत ऋतु में प्रकृति का सौन्दर्य

वसंत ऋतु का आरंभ होते ही प्रकृति अपना सबसे सुंदर रूप हमें दिखाती है, प्रकृति अपनी सोलह कलाओं का प्रदर्शन इस समय करती है। ऐसा मनोरम दृश्य चारो तरफ देखने को मिलता है की उसे देखते- देखते आँखें नहीं थकतीं।

वसंत ऋतु के प्रारम्भ होते ही सभी वृक्षों में नए हरे-हरे पत्ते आने लगते हैं और सभी पेड़-पौधे पुनः पत्तों से लद जाते हैं। मैदानों में हरी-हरी घास बिछ जाती है। मुरझाए हुये फूलों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और उनकी सुगंध पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है, कोयल व अन्य पक्षी अपने मधुर स्वर में गायन करते हैं, आम के पेड़ों पर नयी बौरें आ जातीं हैं। ठंड के कारण बर्फ बन गए नदी-तालाब, झरने आदि फिर से शीतल जल से बहने लगते हैं।

खेतों में फसल भी वसंत ऋतु में पक जाती है और उनके काटने का समय आज जाता है। किसानों के चेहरे पर नयी फसल आने की खुशी देखते ही बनती है। चारों ओर खुशहाली का माहौल बन जाता है। हरा-भरा खुशनुमा वातावरण देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरे रंग की चादर ओढ़ ली हो।

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मेरी प्रिय ऋतु : बसंत ऋतु पर हिन्दी निबन्ध (Spring Season)

Meena Bisht

  • July 7, 2020
  • Hindi Essay

मेरी प्रिय ऋतु : बसंत ऋतु  , Essay on My Favourite Season in Hindi (Spring Season)

मेरी प्रिय बसंत ऋतु पर निबन्ध 

Essay on my favourite season in hindi.

Content /विषय सूची /संकेत बिंदु

प्रस्तावना 

  • मेरी प्रिय ऋतु (My Favourite Season)

भारत प्रकृति का सबसे प्यारा व दुलारा देश है। यहां साल भर में छह ऋतुएँ आती जाती हैं। बसंत , ग्रीष्म , वर्षा , शरद , हेमंत और शिशिर। ये ऋतुएँ इसी क्रम में आती हैं। इनमें से हर ऋतु का अपना महत्व है और अपनी विशेषताएं हैं। लेकिन मुझे सबसे ज्यादा पसंद बसंत ऋतु है।

मेरी प्रिय ऋतु

शिशिर ऋतु के खत्म होते ही शीतकाल विदा होने लगता है और साथ में ही कड़ाके की ठण्ड भी। मौसम में धीरे धीरे बदलाव आने लगता हैं। और तापमान में भी परिवर्तन होने लगता हैं। मनुष्य , पशु-पक्षी ,पेड़-पौधे आदि सभी जाड़े की ठिठुरन से छुटकारा पाने लगते हैं।

ठीक इसी वक्त धरती पर ऋतुराज बसंत की सवारी सज धज कर पहुंचती है। ऋतुराज बसंत के आगमन से प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से धरती को सजा देती है।सारा वातावरण खुशबू से महक उठता है। आम व लीची के पौधों में बौर आने लगती हैं जिसकी सुगंध चारों ओर बिखरने लगती हैं।

पेड़ पौधे में नई व कोमल कोपलें फूटने लगती हैं। और लताएं नवजीवन पाकर झूम उठती हैं। भंवरे ऋतुराज बसंत का गुणगान करते हुए गुनगुनाने लगते हैं।रंग बिरंगी तितलियां बगीचों की शोभा में चार चांद लगा देती है। और कोयल अपने मीठे स्वर से गीतों को गाकर वातावरण को और भी संगीतमय बना देती हैं।

ऋतुराज बसंत जन-जन के मन को नई उमंगों व नई आशाओं से भर देता है। प्रकृति की मस्ती का लोगों पर भी बहुत बड़ा असर पड़ता है। बसंत ऋतु में बसंत पंचमी का त्यौहार भी मनाया जाता हैं। लोग ढोलक , मंजिरों की थाप के साथ झूम झूम कर बसंत पंचमी का त्यौहार बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं।

इन दिनों हमारे लोकगीत सबके मन में नई उमंग भर देते हैं। फाग सुनना सभी को अच्छा लगता है। इसीलिए लोग घूम-घूम कर फागुन के फ़ाग गाते हैं।

बसंत ऋतु में आने वाले रंगों का त्यौहार की तो बात ही निराली है। यह त्यौहार बसंत के उल्लास में चार चांद लगा देता है। मौज मस्ती के साथ-साथ ढेरों व्यंजनों बनाये जाते हैं। एक दूसरे के घरों में जाकर महिलाओं व पुरूषों के दवारा होली के गीत गाये जाते हैं। एक- दूसरे को रंग व अबीर गुलाल लगाकर होली का खूब मजा लिया जाता है।

जाड़ों में अत्यधिक ठंड होने के कारण जो लोग घर से बाहर सुबह सैर सपाटे को नहीं निकल पाते हैं। बसंत ऋतु का आगमन होते ही वो रोज सुबह टहलने को निकल जाते हैं। और अपने चारों तरफ खिले हुए फूलों की खुशबू का आनंद उठाते हैं।

मैं भी बसंत ऋतु के मौसम में रोज सुबह घूमने जाता हूं। मेरे घर से कुछ ही दूरी पर एक सुंदर हरा भरा बगीचा है। हरी-भरी घास व फूलों से भरे हुए इस बगीचे की सुंदरता मेरे मन को मोह लेती है।

बसंत ऋतु को यूं ही “ऋतुओं का राजा” या “ऋतुराज” नहीं कहा जाता। यह वाकई में ऋतुराज है। इस ऋतु में धरती फिर से श्रृंगार करने लगती हैं। प्रकृति नए-नए फूलों की सुंदरता से खिल उठती है। और उनकी खुशबू से पूरा वातावरण महक उठता है।

सचमुच बसंत ऋतु बहुत ही मनभावन ऋतु है। इसीलिए यह मेरी प्रिय ऋतु है। और मैं सदा इस के आगमन की प्रतीक्षा करता हूं।

मेरी प्रिय बसंत ऋतु : Essay on My Favourite Season in Hindi

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वसंत ऋतु पर निबंध – Essay on spring season in Hindi

वसंत ऋतु पर निबंध (Essay on spring season in Hindi): प्राचीन विद्वानों ने वसंत ऋतु को ऋतुराज का नाम दिया है. ऋतुओं वसंत राजा है; क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति जगत के सभी सुखों की पूर्ति होती है. फाल्गुन और चैत्र का महीना वसंत का समय है. इस मौसम में उत्तरी हवाएं रुकने से लोग ठंड से सुरक्षित रहते हैं. वसंत ऋतु में, दक्षिण हवा दक्षिण से चलती है, जिससे मनुष्यों और अन्य जानवरों को बहुत खुशी मिलती है.  

भारत प्रकृति की क्रीड़ा स्थली है. प्रकृति के इतने विविध रूप अत्यंत दुर्लभ है. समय-समय पर यहां प्रकृति अपना रूप बदलती रहती है. कभी वह अपना मनोहारी रूप लेकर जन-मन को लुभाने लगती है, तो कभी विभित्स रूप दिखाकर मानव को डरा देती है. कभी शीत होती है तो कभी अत्यंत गर्म हो जाती है. प्रकृति के इन विविध रूप को भारत में छः ऋतुओं में विभक्त किया गया है. इतनी ऋतुएं में अत्यंत दुर्लभ हैं. षट ऋतुओं में प्रथम ऋतु वसंत ऋतु होती है जो अपने सौन्दर्य व मनोहारी दृश्यों के कारण ऋतुराज कहलाती है.

वर्ष का आरम्भ व ऋतुराज

हमारे प्राचीन ऋषियों ने वर्ष के माह व ऋतुओं का इतने सूक्ष्म ढंग से विभाजन किया है कि यह अत्यंत दुर्लभ है. जब प्रकृति अपने विविध रूपों के प्रदर्शन में वर्ष में एक बार अपना सौंदर्य बिखेरती है, तो सबका मन आनंद की अनुभूति करने लगता है. हमारे तत्वदर्शी ऋषियों ने यहीं से वर्ष का आरम्भ किया. भारतीय परम्परा के अनुसार चैत्र, वर्ष का प्रथम माह है जो लगभग 15 मार्च से शुरू होता है. चैत्र व वैशाख के दो माह अर्थात 15 मार्च से 15 मई तक वसंत ऋतु रहती है. कितना सुन्दर व आकर्षक है यह समय. न अधिक गर्म और न अधिक ठंड. प्रकृति अपने पेड़ पौधों के पुराने वस्त्रों को उतार कर नये वस्त्र धारण कर देती है. वसंत ऋतु में सभी ऋतुओं के गुण समाहित हो जाते हैं. मानो प्रकृति ने वसंत ऋतु का निर्माण सभी ऋतुओं के मिश्रण से किया हो. इसीलिए इसको ऋतुराज कहते हैं.

basant ritu par nibandh

प्राकृतिक सौन्दर्य

इस समय प्रकृति के यथार्थ रूप के दर्शन हो जाते हैं. वृक्ष पुराने पत्तों को त्याग कर नये पत्ते धारण कर लेते हैं. पेड़ पौधों में फूल आ जाते हैं. इस मौसम में हर प्रकार के फूलों के पौधे खिल जाते हैं. आम के पेड़ों में भी बौर आ जाते हैं. वन, उपवन खिल उठते हैं. चारों ओर मन्द सुगन्ध हवा बहने लगती है. कोयल अपनी मधुर तान छेड़ कर प्रकृति के सौंदर्य में अमृत का रस घोल देती है. जब प्रकृति सर्वत्र अपना सौंदर्य बिखेरती है तो प्रकृति का पुजारी मानव मन हर्ष से नाच उठता है. इस ऋतु में हर जीव  जन्तु का मन खिल उठता है. प्रत्येक के ह्रदय में आनंद के हिलोरें उठने लगते हैं. हर प्राणी उल्लास से भर जाता है.

पर्वों की ऋतु व कवियों की प्रेरणा

हमारे यहाँ प्रत्येक काम वर्ष के प्रारम्भ में शुरू करते हैं. शुभ कार्यों का शुभारम्भ वसंत ऋतु से शुभ माना जाता है. उन्हीं शुभ तिथियों में पर्व व त्यौहार मनाये जाते हैं. वसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आगमन का सूचक होता है. इस अवसर पर लोग पीले रंग से वसंत का स्वागत करते हैं. रंगों का त्यौहार होली इसी ऋतु का प्रारम्भ करती है. प्रकृति विविध फूलों के द्वारा रंग-बिरंगी हो जाती है. उसी के अनुसार मनुष्य भी पृथ्वी का अनुकरण करते हुए अपने को विभिन्न रंगों से सराबोर कर देता है. वैशाखी का पावन पर्व जब नया अन्न प्राप्त होने लगता है वसंत ऋतु में ही मनाया जाता है. प्रकृति की सुंदरता व मादकता कवियों के मन को झकझोर देती हैं. वसंत के वर्णन में हर भाषा, लोक भाषा के साहित्य भरे पड़े हैं. इसलिए वसंत ऋतु कवियों का प्रेरणा स्रोत माना जाता है.  

भगवान कृष्ण ने अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए अपने को ऋतुओं में वसंत ऋतु कहा. वसंत ऋतु में समग्र जड़ चेतन में सौंदर्य भर जाता है. कविवर सेनापति ने वसंत का वर्णन इन शब्दों में किया है-

चहकि चकोर उठे, करि करि सोर उठे

टेर उठि सारिका विनोद उपजावोने |

चटकि गुलाब उठे लटकि सरोज पुंज |

खटकि मराल ऋतु राज सुनि आवने |  

आपके लिए :-

  • वर्षा ऋतु पर निबंध

ये था वसंत ऋतु पर निबंध (Spring season essay in Hindi) . उम्मीद है आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो ये निबंध को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले निबंध में. धन्यवाद.   

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वसंत ऋतु पर निबंध – Spring Season Essay in Hindi

Spring Season in Hindi : भारत में छ: ॠतुओ को माना जाता है जो सब अपनी अपनी विशेषताओ को दर्शाति है। इन सब में सबसे पहला और सबसे पर्मुख स्थान बसंत ऋतु को प्राप्त हुआ है इसी कारण इस ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है। बसंत ऋतु को वसंत ऋतु के नाम से भी जाना जाता है। नीचे हमने ऋतुओ के राजा बसंत ऋतु पर सरल भाषा में निबंध लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना और अर्थ

ऋतुराज बसंत – spring – king of all seasons, वसंत ऋतु का महत्व और मनाने का तरीका, वसंत ऋतु – खुशी का पर्व, बलिदान और त्याग का पर्व, कवियों का प्रेरणा स्त्रोत वसंत ऋतु, बसंत ऋतु पर दस लाइन: 10 line on spring season, essay on spring season in hindi: वसंत ऋतु पर निबंध.

Spring Season Essay in Hindi वसंत ऋतु पर निबंध

बसंत संस्कृत के शब्द बस धातु से निकला है बस का अर्थ होता है चमकना। बसंत का अर्थ हुआ चमकता हुआ। प्रकृति के चमकते हुए रूप को बसंत ऋतु कहते है। प्राचीनकाल मे किसी भी शुभ कार्य का श्री गणेश बसंत ऋतु से होता था। क्योंकि बसंत, शुभ और शगुन का प्रतीक माना जाता है। वैदिक युग मे विद्या प्राप्ति का कोई भी काम व महाजनो का अनुष्ठांण इसी ऋतु से प्रारंभ होता था। हमारे प्राचीन ऋषियों ने ॠतुओ का सूक्षम अध्यन कर वर्ष का प्रारम्भ बसंत ऋतु से किया। भारतीय परंपरा के अनुसार चैत्र माह वर्ष का पहला महीना है। इसलिए चैत्र, बैसाख दो माह बसंत ऋतु कहलाते है। हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार वसंत ऋतु मार्च और अप्रैल महीने में आती है ।

बसंत ऋतु को ॠतुओ का राजा या ऋतुराज भी कहा जाता है। प्रकृति का श्रृंगार इसी ऋतु में होता है। इस महीना मे प्रकृति क्रीड़ा करती है। प्रकृति ने मानो सभी ऋतुओ के गुणों का मिश्रण से इस ऋतु का निर्माण किया। हम यह भी कह सकते है कि सभी ॠतुओ ने अपने अपने अंश के द्वारा अपने राजा की रचना की हो। बसंत ऋतु में सभी ॠतुओ के गुण शामिल है। इसलिए इस ऋतु को ऋतुराज की उपाधि दी गई है। यह ऋतु प्रकृति का मुकुट है। जिसमे सभी उल्लास के रंग बिखरे हुए है। यही कारण है बसंत ऋतु भारत में सभी ॠतुओ मे महान मानी जाती है।

इस ऋतु का शुभारंभ बसंत पंचमी से होता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं , जो की उल्लास का प्रतीक मना जाता है। घरों में तरह तरह के पकवान बनाए जाते है। कुछ स्थानो पर बसंत मेलो का आयोजन भी होता है, जो बड़ा ही मनमोहन लगता है। इस ऋतु में लोग सहज भाव से आनंद विभोर होकर नाचते और गाते है। इसलिए रंगों का त्योहार होली भी इसी ऋतु में आता है। इस त्योहार पर लोग अपने दिलों के रंगों को बाहर के रंगों में रंग देते है। लोग रंगों को अपनी खुशियों के रूप मे दूसरों पर बिखेर देते है। आनन्द के इस पावन महीने में चारों और आंनद ही आंनद देखने को मिलता हैं।

बसंत ऋतु मे प्रकृति के सारे रूप हर्ष व्यक्त करते हुए दिखाई देते है। जब प्रकृति के सभी रंग खुशियाँ मानते है, तो मानव जाति इसका लुत्फ़ से वछित कैसे रह सकती है। प्रकृति का पुजारी कह लाने वाली मानव जाति इस ऋतु का खुब लाभ उठाती आई है इस ऋतु में सभी का मन स्वभाविक रूप से हर्षित रहता है चाहे वो पशु पक्षी हो या मनुष्य ।

किसी ऋतु में अधिक गर्मी होती है तो किसी मे सर्दी या वर्षा, इस कारण मानव मन आशांत रहता है। किसी भी कार्य को करने मे असमर्थ सा दिखाई देता है किंतु बसंत ऋतु में ऐसा बिल्कुल नहीं होता इस ऋतु में न तो अधिक सर्दी होती है न अधिक गर्मी। इन दिनों बरसात भी समान रूप से होती है जिस वजह से किसी भी कार्य को करने की रुचि भी अधिक होती है। इन दिनों बच्चो नौजवानों से लेकर बुजर्गो में भी उल्लास भर उठता है। ठंडी और सुगंधित वायु का आंनद लेने के लिए लोग प्रात काल उठकर सैर करने के लिए निकल जाते है।

अपने शरीर को स्वस्थ बनाने हेतु भी यह ऋतु काफी लाभप्रद होती है। हमारे जीवन मे प्रात काल की शुद्ध वायु बहुमुल्य ओषद्धि का कार्य करती है , और हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। बसंत ऋतु में सभी लोगों के मुख पर प्रसनता छाई होती है, इसलिए इस ऋतु को हर्ष और उल्लास का सूचक माना गया है।

बसंत का यह पर्व हमे एक ऐतिहासिक घटना की याद भी दिलाता है। इस दिन वीर बालक हकीकत राय ने अपना शीश काटकर अभूतपूर्व बलिदान किया था। उसी पावन दिन को स्मरण करते हुए उसकी समाधि पर हर वर्ष शाम के समय मेला लगाया जाता है। पहले यह मेला लाहौर में लगता था, परंतु अब ये नई दिल्ली हिंदू महासभा भवन में लगता है। इसी कारण यह दिन बलिदान और त्याग का पर्व भी कहलाता है।

पुराने वर्षों से बसंत ऋतु ने सबसे ज्यादा कवियों को प्रेरित किया है। कवियों में ऐसा कोई नहीं हो सकता जिसकी कलम बसंत ऋतु पर ना उठी हो। सभी महान कवियों ने जैसे कि कालिदास, बाल्मीकि, तुलसीदास , व्यास ,भवभूति आदि कवियों ने इस ऋतु पर संस्कृत मे कविताओं की रचना की है।

हिंदी कवियों ने भी इस ऋतु राज से प्रभावित होकर कितनी ही कविताओं को रचा है। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि महादेवी वर्मा, दिवाकर, निराला, प्रसाद ये सब भी बसंत ऋतु से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। इन सभी कवियों के ह्रदय मे वसंत ने अपनी अनुपम सुंदरता का स्त्रोत बहाया है। इनमें नई धड़कन पैदा करके उमंग का संचार किया। फलसवरूप इन सब महान कवियों के हृदय से नयी कविताओं का निर्माण हुआ।

यह ऋतु सभी जनजाति मे नवयौवन का संचार करती है । गीता का उपदेश देते समय भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने आप को सभी ॠतुओ मे बसंत बताया है। इस ऋतु में जड़ चेतन्य का संचार होने लगता है। इसी कारण बसंत ऋतु को उल्लास से भरा और हर्षित करने वाला पर्व कहते हैं।

  • बसंत ऋतु ऋतुओ मे सबसे सर्वोत्तम माना गया है। भारत में यह ऋतु सभी ॠतुओ से महान कहलाती है।
  • इस ऋतु को ॠतुओ का राजा भी कहते हैं।
  • बसंत शब्द की रचना संस्कृत के बस धातु से हुई है बस का अर्थ होता है चमकना। इस प्रकार बसंत का अर्थ हुआ चमकता हुआ।
  • इस ऋतु को भारतीय सभ्यता के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।
  • बसंत ऋतु मे प्राकृतिक सुंदरता को निखर प्राप्त होता है।
  • यह ऋतु मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी ही लाभदायक सिद्ध होती है।
  • यह ऋतु मनुष्यों के लिए अनेकों त्योहारो का आगमन करती है, बसंत पंचमी का पर्व भी इसी माह में मनाया जाता है।
  • इस ऋतु को हम वीर बालक हकीकत राय द्वारा शीश बलिदान दिवस के रूप मे भी मानते हैं। जो कि एक ऐतिहासिक घटना है
  • भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता का उपदेश देते हुए अपने आप को इसी ऋतु मे बताया है।
  • बसंत ऋतु मन मे नया उल्लास भर देने वाला पर्व है।

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वसंत ऋतु पर निबंध (Spring Season Essay In Hindi)

वसंत ऋतु पर निबंध (Basant Ritu Essay In Hindi Language)

आज के इस लेख में हम वसंत ऋतु पर निबंध (Essay On Basant Ritu In Hindi) लिखेंगे। वसंत ऋतु पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वसंत ऋतु पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Basant Ritu In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

वसंत ऋतु पर निबंध (Basant Ritu Essay In Hindi)

बसंत ऋतु में कण कण में नवजीवन का संचार हो जाता है। व्रक्ष की शाखाओं पर पक्षियो का कर्णप्रिय कलख सुनाई पड़ता है। पवन सुगन्धित से पागल हो कर छेड़छाड़ करने लगता है।वसंत की हवा एक मदमस्त हाथी के समान चलकर आती हुई शोभायमान होती है।

भवरों की गुजार पवन रूपी हाथी के गले मे बंधी, बजती हुई घण्टियों के समान लगती है। चारो ओर खिले हुए पुष्पों से हाथी के मद-जल के समान पुष्प रस टपकता है। बिहारी लिखते है।

रनिज भ्रन घण्टावली, झरित वान मधु नीरू। मन्द-मन्द आवतु चलायो, कुंजरू कुंज समीर।।

बसंत के बाद पुनः वही ऋतु चक्र प्रारम्भ हो जाता है।

प्रकृति का रूप चित हर्षक

प्रकृति का तो प्रत्येक रूप चित हर्षक है और प्रकृति नर्तकी हर पल नई-नई अदाएं दिखाती है। प्रकृति के जिस रूप दृष्टिपात करो, वही ह्रदय को अपने मोह पाश में बांध लेता है। प्रकृति सजीवता, मोहकता, कौतूहलता के लिए मानव के निकट आती है और उनमें एक पुलक भर देती है।

तब मनुष्य प्रकृति के झर-झर बहती नदियों, गगन चुम्बी पहाड़ो, पाताल सदृश्य खाईयो, छाया देते व्रक्ष, जगमगाते जुगनुओं, अपना सर्वस्व लुटाते पुष्पो, मुस्कराती कलियों के विस्तृत क्षेत्र को त्यागकर स्वयं को मानव सौंदर्य की सकुंचित सिमा में कैद नही करना चाहता। इसलिए तो पन्त ने कहा है की..

“छोड़ द्रमो की भृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी भाया, बाले तेरे बाल जाल में कैसे उलझा दु लोचना।”

अतः स्पष्ट है कि मानव-सौंदर्य की अपेक्षा प्रकृति सौंदर्य अधिक मनोहारी है।

वसंत को ऋतु का राजा कहते है

वसंत के मौसम को ऋतुराज इसलिए कहते है, क्योंकि यह सभी ऋतुओ का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति पूरे यौवन होती है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते है।

पंचतत्व-जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते है। पेड़ो में नए पत्ते आने लगते है, आप बोरो से लड़ जाते है और खेत सरसो के फूलों से भरे पिले दिखाई देते है। सरसों के पीले फूल ऋतुराज के आगमन की घोषणा करते है।

खेतों में फूली हुई सरसो, पवन के झोकों से हिलती ऐसी दिखाई देती है, मानो सामने सोने का सागर लहरा रहा हो। कोयल पंचम स्वर में गाती है और सभी को कुहू-कुहू की आवाज से मंत्रमुग्ध करती है। इस ऋतु में उसकी छठा देखते ही बनती है। इस ऋतु में कई प्रमुख त्यौहार मनाये जाते है, जैसे वसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली आदी।

वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव और महत्व सभी ऋतुओ से बढ़कर होता है। वसंत ऋतु का महत्व और प्रभाव कितना बड़ा होता है, इस पर विचार करते है तो हम यह देखते है कि यह सचमुच में ऋतुओ का शिरोमणि है।

वसंत ऋतु का आगमन

सर्वप्रथम वसंत का आगमन होता है। पौराणिक वसंत कामदेव का पुत्र बतलाया जाता है। रूप – सौंदर्य के कामदेव के घर में पुत्रउत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति नृत्यरत हो जाती है।उसकी देह प्रफुलता से रोमांचित हो उठती है।

भांति-भांति के पुष्प उसके आभूषणों का कार्य करते हैं। हरियाली उसके वस्त्र तथा कोयल की मधुर पंचम स्वर्ग वाली कुक उसका स्वर्ग बन जाती है। रुपयोवन संपन्न प्रकृति इठलाते ओर मदमाते हुए पुत्र बसंत का सजधज के स्वागत करती है।

तुम आओ तुम्हारे लिए वसुधा में हृदय पर मंच बना दिए हैं। पथ में हरियाली के सुंदर-सुंदर पाँवड़े भी बिछवा दिए हैं। चारों ओर पराग भरे सुमनों के नए विरवा लगवा दिए हैं। ऋतुराज! तुम्हारे ही स्वागत में सरसों के दिए जलवा दिए हैं।

सुंदर – सुखद, आकर्षक, सर्वाधिक रोचक ऋतु बसंत ऋतु है। इसका समय 22 फरवरी से 22 अप्रैल तक होता है। भारतीय गणना के अनुसार इसका समय फाल्गुन से वैशाख माह तक होता है।

सचमुच इस ऋतु का सौंदर्य सर्वाधिक होता है। इस ऋतु में प्रकृति के सभी अंग मस्ती में हंसने लगते हैं। सारा वातावरण मस्ती से झूम उठता है। वन में, उपवन में, बाग में, कुंज में, गली – गली में, गांव -घर और सब जगह बसंत ऋतु की छटा देखते ही बनती है। प्रकृति का नया रूप हर प्रकार से आकर्षक, सुहावना और मस्ती से भरा हुआ दिखाई देता है।

किसानों के लिए वसंत ऋतु का महत्व

किसानों के लिए बसंत ऋतु सुख का संदेश लाता है। अपने खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर किसान खुशी में झूम उठते हैं।धरती के पुत्रों के लिए धरती माता सोना उगलती है।किसान आने वाले कल के सुंदर सुहावने सपने ले रहा होता है। धरती ही किसान की संपत्ति है।

अपने परिश्रम का फल वह अपनी आंखों के सामने देखकर फूला नहीं समाता। उसका मन मयूर की तरह नाच उठता है। खेतों में सरसों ऐसी प्रतीत होती है, मानो धरती ने पीली ओढ़नी ओढ़ रखी हो। धरती इस प्रकार नई नवेली दुल्हन सी दिखाई देती है।

वसंत ऋतु के प्रमुख त्यौहार

बसंत ऋतु को ऋतुपति कहते हैं। इस ऋतु के अंतर्गत ही संवत ओर सौर वर्ष का नया चक्र प्रारंभ होता है। इस ऋतु के अंतर्गत पड़ने वाले दो प्रमुख त्योहार होली और रामनवमी का अत्यधिक महत्व और सम्मान है। ये दोनों ही त्यौहार लोकप्रिय है और इनको मनाकर मन प्रसन्न हो उठता है।

कवियों की दृष्टि से यह ऋतु बहुत ही प्रेरणादायक, उत्साहवर्धक और रोचक ऋतु है। इसकी प्रशंसा में अनेकानेक रचनाएं रची गई है। सचमुच इस ऋतु के आनंद को भला हम कैसे भूल सकते हैं। मनुष्य ही नहीं, देवता भी इस ऋतु का आनंद प्राप्त करने के लिए तरसते रहते हैं।

नवरात्रि का व्रत, उपवास और अनेक प्रकार की देव आराधना इस ऋतु के अंतर्गत होती हैं। उनमे देव शक्तियां प्रभावित होती है। वे अपनी प्रसन्नता के सौभाग्य पूर्ण इस ऋतु की सभा को निखारने में मनुष्य को अपना योगदान देते हैं। वास्तव में वसंत को ऋतुराज, ऋतुपति आदि नाम देना सार्थक ही है।

बसंत ऋतु का त्यौहार केवल मौसमी पर्व ही नहीं, इसका धार्मिक महत्व भी माना जाता है। लोग इस दिन को शुभ मानते हैं और कई समारोह इसी दिन निश्चित किए जाते हैं। बसंत आता है और साथ लाता है रंग भरी होली, जिसमें बच्चों, नवयुवक, नवयुवतिया और यहां तक की बुजुर्गों को भी रंग खेलने का मन ललक उठता है।

बसंत ऋतु की शोभा इसके द्वारा दुगुनी हो जाती है। स्वास्थ्य सुधारने के लिए यह ऋतु विशेष महत्व रखता है। देह में फुर्ती सी आ जाती है, ना तो सर्दी की कंप-कँपी और ना गर्मी की लूं। ऐसे सुंदर दिन और शीतल रात्रि का मौह सबको बसंत की प्रशंसा करने पर बाध्य कर देता है।

वसंत ऋतु की सुंदरता देखते ही बनती है। हर जगह हरियाली और सुन्दर फूलो की भरमार होती है। इस मौसम में लोग घूमने फिरने का आनंद भी बहुत लेते है। जब धरती पर प्राकृतिक तौर पर सुंदरता छाई हो तो कोन नही चाहेंगा की इस सुंदरता को नजदीकी से देखा जाए।

इसलिए लोग जगह- जगह घूमते फिरते दिख जाते है। सरसो की पीली-पीली चुनरी मानो कोई नई नवेली दुल्हन हो। वाकई धरती की सुंदरता हम सभी का मन मोह लेती है।

वसंत पंचमी को ऋतुराज के आगमन में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन लोग खेलते है, झूला झूलते है और अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते है। हर घर मे वसंती हलवा, केसरिया खीर बनती है। इस दिन लोग पिले रंग के वस्त्र पहनते है और बच्चे पिले रंग की पतंग उड़ाते है।

फाल्गुन की पंचमी को वसंत पंचमी का मेला लगता है। इस दिन लोग सुबह से लेकर शाम तक पतंगे उड़ाते रहते है। होली को भी बंसत ऋतु का ही त्यौहार माना जाता है। उस दिन सारा वातावरण रंगीन हो जाता है और सभी आनंद से मगन होते है।

इस दिन पिले वस्त्र धारण करके माँ सरस्वती की आराधना मन्दिरो ओर घरो में की जाती है और उनसे आशीर्वाद मांगते है की है-विद्या की देवी हमे विद्या प्रदान करे। साथ ही इस दिन अपने कलम पुस्तक सभी की पूजा की जाती है।

आखिरकार विद्या की देवी ही तो है जो हमे ज्ञानवान बनाती है। वसंत पंचमी के इस त्यौहार को सभी हर्षोउल्लास के साथ मनाते है ओर सरस्वती देवी की आराधना करते है। इस दिन माँ सरस्वती की आरती आदि का पाठ करते है।

अतः यह कहा जा सकता है कि मनुष्य प्रकृति सौंदर्य से स्वयं को उदासीन नही रख सकता है। यदि मनुष्य प्रकृति सौंदर्य को ह्रदय के आँखों से देखे तो उसे सर्वत्र आनंद ही आनंद बिखरा दिखाई देगा। अन्यथा वह अपने ही घरों में  कैद होकर रह जाएगा।

प्रकृति सौंदर्य हर उस प्राणी के लिए है, जो प्रकृति की गोद में आए। इसलिए महादेवी वर्मा का यह कथन अक्षरसः सत्य है की तारों से भरी चांदनी रात रोगी को नर्स से अधिक सुख दे सकती है, यदि वह उसकी भाषा समझने में समर्थ हो।

ऋतुराज वसंत सृष्टि में नवीनता का प्रतिनिधि बनकर आता है। यह बड़ा आनंददायक ऋतु है। इस ऋतु में ना अधिक गर्मी होती है ओर ना अधिक ठंडक। यह देवदूत वसंत जन-जन की नवनिर्माण और हास-विलास के माध्यम से धर्म,अर्थ, काम और मोक्ष के पथ पर अग्रसर होते रहने की प्रेरणा प्रदान करता है।

कभी अपने पथ पर चल कर कोई गलत कार्य ना करे और वसंत ऋतु के मौसम का दिल से स्वागत करे और इसका आनंद ले।

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तो यह था वसंत ऋतु पर निबंध, आशा करता हूं कि वसंत ऋतु  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Basant Ritu) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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वसंत ऋतु पर निबंध / Essay on Spring Season in Hindi!

वसंत शीत के बाद आती है । भारत मे फरवरी और मार्च मे इस ऋतु का आगमन होता है । बहुत सुहावनी ऋतु है यह । इस ऋतु में सम जलवायु रहती है अर्थात् सर्दी और गर्मी की अधिकता नहीं होती है । इस ऋतु में प्रकृति में कई प्रकार से सुखद बदलाव दृष्टिगोचर होते हैं । इसलिए इसे ऋतुओं का राजा या ऋतुराज कहा जाता है ।

वसंत ऋतु मनमोहक ऋतु होती है । इस ऋतु में गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, सरसों आदि के फूल बहुतायत में फूलते हैं । हवा में इन फूलों की सुगंध और मादकता का

प्रवेश होने लगता है । रंग-बिरंगे फूलों को देखकर आँखें तृप्त हो जाती हैं । पेडों की पुरानी पत्तियाँ झड़ती हैं और उनमें नई कोमल पत्तियों उग आती हैं । उधर टेसू के फूल और इधर आम की मंजरियाँ । नवकिसलयदल पेड़ों की शोभा में चार चाँद लगा देते हैं । खेतों में सरसों के पीले फूलों से तो समूचा परिदृश्य बदल जाता है ।

वसंत वनस्पति जगत ही नहीं, प्राणी जगत को भी प्रभावित करता है । समस्त जीवजगत एक नई स्कूर्ति से युक्त दिखाई देता है । मानव समुदाय रजाई-चादर और ऊनी वस्त्रों के आवरण से निकल कर स्वस्थ अंगड़ाई लेने लगता है । वसंत में वृद्धों और बीमारों में भी नवजीवन के संकेत दिखाई देने लगते हैं । जनसमूह नए उल्लास से भर जाता है । इसी उल्लास का प्रतीक है-वसंत पंचमी और होली का त्योहार । ललनाएँ वसंत पंचमी में प्रकृति से सामंजस्य बिठाते हुए पीली साड़ी पहनती हैं । किसान होली के गीत गाते हैं । लोकगीतों की धुन पर सब नाच उठते हैं ।

मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी बहुत खुश हैं । तितलियाँ फूलों पर मँडरा रही हैं, आम की मंजरियों से मुग्ध होकर कोयल ‘ कुहू-कुहू ‘ का रट लगा रही है । भौंरे क्यों चुप रहें, वे गुन-गुन करते हुए बागों में डोल रहे हैं । पिंजड़ा से ही सही तोतों का स्वर सुनाई पड़ ही जाता है । समशीतोष्ण ऋतु का सब आनंद उठा रहे हैं ।

ADVERTISEMENTS:

कामदेव को वसंत का दूत माना जाता है । कामदैव उल्लास और उमंग के प्रतीक हैं । वे जीवन में उत्साह भरते हैं । इसी उत्साह से जीवन के सभी क्रियाकलाप संचालित होते हैं । इसी से श्रम करके जीने की चाह उत्पन्न होती है । वसंत ऋतु की इन्हीं खूबियों के कारण गीता में भगवान कृष्ण ने कहा था-ऋतुओं में मैं बसंत हूँ । इस ऋतु में वे ब्रजधाम में गोपियों के साथ नाचते रहे होंगे । इस ऋतु में राधा शृंगार करते हुए कृष्ण के साथ रास करती होंगी ।

आज की शहरी संस्कृति में वसंत पुराने समय जैसा उत्साह लेकर नहीं आता । एक तो प्राकृतिक वनस्पति का अभाव तो दूसरी तरफ यहाँ का प्रदूषित वातावरण । ऊपर से काम की आपाधापी, लोग वसंत की शोभा देखने की फुर्सत कम ही निकाल पाते हैं । वसंत कब आता है, कब चला जाता है, कुछ पता ही नहीं चलता । पेड़ों के पत्ते कब झड़े, कब नए पत्ते उगे, कब कलियों ने अपना जादू चलाया, कब तितलियों और भौंरों ने इनका रसास्वादन किया, कुछ ज्ञात नहीं । प्रकृति से दूर होता जा रहा मनुष्य अपनी मिट्‌टी की खुशबू नहीं पहचान पाता है । फिर भी वसंत अपनी छटा तो बिखेरता ही है । भले उसकी कोई कद्र करे या न करे ।

वसंत ऋतु प्रकृति का उपहार है । यह बीमारियों को दूर भगाने का काल है । इस ऋतु में मच्छरों तथा अन्य हानिकारक कीटाणुओं का प्रकोप घट जाता है । लोग बिना

थके अपना काम कर सकते हैं । रबी की फसल इस ऋतु में लगभग पक जाती है । बाजार में नए अनाज और नई सब्जियों आती हैं । लोग इनका पूरा आनंद लेते हैं ।

वसंत ऋतु का सीधा संबंध प्रकृति से है । पेड़ों, पहाड़ों, नदियों और झीलों से है । बाग-बगीचों की मौजूदगी से है । अत: प्रकृति की देखभाल जरूरी है । पेड़ों की कम कटाई हो और नए पेड़ ओं । नदियों में स्वच्छ जल प्रवाहित हो । धरती पर बाग-बगीचों की भरमार हो । सब लोग खुशहाल हों । लोगों की पीड़ा घट जाए, वसंत यही चाहता है । वसंत सौंदर्य, उन्नति और नवयौवन का दूसरा नाम है ।

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Nibandh

वसंत ऋतु पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - प्रकृति की विचित्र देन - वसंत ऋतु का आगमन – स्वास्थ्यप्रद ऋतु - ऋतुओं का राजा - वसंत के मेले और उत्सव - जीवन के विभिन्न रंगों का त्योहार - उपसंहार ।

वसंत की व्याख्या है, 'वसन्त्यस्मिन् सुखानि।' अर्थात् जिस ऋतु में प्राणियों को ही नहीं, अपितु वृक्ष, लता आदि को भी आनंदमय करने वाला मधुरम प्रकृति से प्राप्त होता है, उसको ' वसन्त' कहते हैं। वसंत ऋतु का आगमन सभी देशों में अलग-अलग होता है। यह सर्दियों के तीन महीनों के लम्बे समय के बाद आती है, जिसमें लोगों को सर्दी और ठंड से राहत मिलती है। वसन्त ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है और सभी जगह हरे-भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन दिखाई देता है। भारत में वसंत ऋतु मार्च, अप्रैल और मई के महीने में, सर्दियों और गर्मियों के बीच में आती है। वसंत पुरे संसार को लीन करके समूची धरती को पुष्पाभरण से सजाकर मानव-चित्त की कोमल वृत्तियों को जागरित करता है। इसलिए 'सर्वप्रिये चारुतरं बसन्ते' कहकर कालिदास ने वसंत का अभिनन्दन किया है।

प्रकृति की विचित्र देन है कि वसंत में बिना पानी के बरसे ही वृक्ष, लता आदि बढ़ते होते हैं। फरथई, काँकर, कवड़, कचनार, महुआ, आम और अत्रे के फूल अवनि-अंचल को ढक लेते हैं। पलाश तो ऐसा फूलता है, मानों पृथ्वी माता के चरणों में कोटि-कोटि सुमनांजलि अर्पित करना चाहता हो | घने रूप में उगने वाला कमल -पुष्प जब वसंत ऋतु में अपने पूर्ण युवावस्था के साथ खिलता है। आमों पर नौर आने लगते हैं आदि फूलो जैसे गुलाब, गंधराज, म्थलकमल, कर्माफूल के गुल्म महकते हैं। तो दूसरी और रजनीगंधा, अनार, नींबू, के खेत ऐसे लहरा उठते हैं, मानों किसी ने हरी और पीली मखमल बिछा दी हो ।

वसंत ऋतु का आगमन सभी देशों में अलग-अलग होने के साथ ही तापमान भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है। पेड़-पौधों की शाखाओं पर नई और हल्की हरी पत्तियाँ आना शुरु होती है। वृक्षों पर नव पल्लव अंकरित हो जाते हैं और कलियाँ खिलकर फूलों का रूप धारण कर लेती हैं । वसंत के आगमन पर आमों पर बौर आ जाते हैं । पुष्पों से पराग झड़ने लगता है । फलों पर भँवरे मंडराने लगते हैं और उद्यानों में तितलियाँ नृत्य करने लगती हैं । वसंत ऋतु में हमे एक खुशनुमा माहौल मिलता है। हवाओं में अनोखी सुगंध होती है। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी शोभा होती है।

वसंत स्वास्थ्यप्रद ऋतु है। इसके शीतल-मन्द-सुगंध पुरे शरीर को नीरोग कर देता है। थोड़ा-सा व्यायाम और योग के आसन मानव को 'लम्बी उम्र ' का वरदान देते हैं। इसीलिए आयुर्वेद- शास्त्र में वसंत को “स्वास्थ्यप्रद ऋतु' विशेषण से सजाया गया है। कालिदास ने वसंत के उत्सव को 'ऋतुत्सव' माना है। माघ शुक्ल पँचमी (वसंत पँचमी) से आरंभ होकर फाल्गुन-पूर्णिमा (होली) तक पूरे चालीस दिन, ये उत्सव चलते हैं । आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी इसे मादक-उत्सवों का काल कहते हैं । उनका कहना है कि 'कभी अशोक-दोहद के रूप में, कभी मदन देवता की पूजा के रूप में, कभी कामदेवायन-यात्रा के रूप में, कभी होली के हुड़दंग के रूप में, कभी होलाका (होला), आदि के रूप में समूचा वसंत काल नाचने - गाने उठता है। वसंत ऋतु का प्रथम उत्सव वसंत-पँचमी विद्या और कला की देवी सरस्वती का पूजा भी करते है।

वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इसी कारण इसे 'ऋतुराज' भी कहा जाता है । प्रकति ऋतुराज वसंत का हृदय की सम्पूर्ण भावनाओं से स्वागत करती है। वसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। वसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है इसी वजह से यह ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु का समशीतोष्ण वातावरण सभी को प्रिय लगता है। वसंत का नाम ही उत्कंठा है। ' मादक महकतो वासंती बयार' में, 'मोहक रस पगे फूलों की बहार' में, भौरों की गुंजा' और कोयल की कूक में मानव-हृदय अतिप्रसन्न जाता है। प्राणियों के मनों में मदन-विकार का प्रकट होता है।

कई जगह वसंत के मेले तथा उत्सव भी मनाए जाते है। वसंत के उत्सव का विशेष आकर्षण होता है -- नृत्य-संगीत, खेलकूद प्रतियोगिताएँ तथा पतंगबाजी जैसे खेल खेले जाते है। बच्चो अपने दोस्त के साथ अपने घरो के छत तथा मैदानों में पतंगबाजी का आनंद लेते है। वसंत-पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर सभी अपना खुशी प्रकट करते है। वसंती हलुआ, पीले चाबल तथा केसरिया खीर का आनंद लिया जाता है।

वसंत ऋतु में वसंत-पचमी का त्योहार आता है । इस दिन अनेक स्थलों पर माँ सरस्वती की पूजा - अर्चना करते है। समस्त बंगाल , उडीसा असम तथा बिहार में लोग विद्या तथा कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा - उपासना करते हैं । इसी दिन कई लोग वसंती कपड़े पहन कर ऋतुराज के आगमन पर अपनी प्रसन्न व्यक्त करते हैं। वसंत ऋतु त्याग और बलिदान का प्रेरक है । इस ऋतं में गरु गोविन्द सिंह के नन्हे बच्चों ने धर्म के गौरव की रक्षा के लिए बलिदान दिया था । वसंत पंचमी के दिन वीर हकीकत राय ने भी अपने जीवन पुष्प को धर्म की वेदी पर समाप्त कर दिया था। वसंत ऋतु सर्दियों के तीन महीने के लंबे इंतिजार के बाद सुनहरा मौसम आता है।

वसंत ऋतु का वास्तविक सौंदर्य हमारे स्वास्थ्य को पोषण देता है जिससे हमारा शरीर को लम्बी आयु मिलता है। इस प्रकार वसंत ऋतु आते ही सभी के जीवन में खुशहाली लाती है। जिसका बच्चो, युवाओं, तथा बूढ़े इंतिजार करते है। खासकर के किसानों इसका बड़ी बेसब्री से इंतिजार करते है, क्योंकि वे नई फसल को बहुत महीनों की कठिन मेहनत के बाद अपने घर पुरस्कार के रुप में सफलता पूर्वक लाते हैं। यही है वसंत ऋतु जो जन–जन में नवजीवन का संचार कर देती है और सभी के जीवन में नयी उर्जा प्रदान करती है।

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बसंत ऋतु पर निबंध | Essay on Basant Ritu (Spring Season) in Hindi

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Hindi Essay and Paragraph Writing – Basant Ritu  (वसंत ऋतु) for classes 1 to 12

वसंत ऋतु पर निबंध – इस लेख में हम वसंत ऋतु बसंत ऋतु का महत्त्व, बसंत ऋतु की विशेषताएं आदि  के बारे में जानेंगे | मौसम को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता हैं – ग्रीष्म ऋतु,  शीत ऋतु,  वर्षा ऋतु,  बसंत ऋतु,  शरद ऋतु,  शिशिर ऋतु | इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में वसंत ऋतु पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में वसंत ऋतु पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350 और 1500 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

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वसंत ऋतु  पर 10 लाइन 10 lines on Basant Ritu in Hindi

  • वसंत एक खूबसूरत मौसम का ऋतु है, जिसके आगमन से प्रकृति जीवंत हो उठती है।
  • वसंत ऋतु की शुरुआत फरवरी और मार्च के महीने से होती है।
  • वसंत ऋतु सर्दियों के जाने की और गर्मियों के आने की आहट देता है। 
  • वसंत ऋतु में पहला त्यौहार बसंत पंचमी होता है जो वसंत के मौसम के आगमन को दर्शाता है।
  • वसंत ऋतु में महाशिवरात्रि और होली का भी त्यौहार मनाया जाता है।
  • वसंत ऋतु फूलों के खिलने और कायाकल्प का समय होता है।
  • वसंत ऋतु में ही आम के पेड़ बौरो से लद जाते है।
  • वसंत ऋतु में हमेशा ठंडी ठंडी हवाएं बहती रहती है।
  • वसंत ऋतु में आसमान बहुत ही साफ रहता है और चारो तरफ हरियाली रहती हैं।
  • वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा या ऋतुराज और कुसुमाकर भी कहा जाता है।

Short Essay on Basant Ritu in Hindi वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

वसंत ऋतु पर निबंध – वसंत ऋतु खुशी, उत्सव और नई शुरुआत का मौसम है। यह एक ऐसा मौसम है जो नए सिरे से शुरुआत करने का प्रतीक है। वसंत हमें और हमारे आस-पास के वातावरण को फिर से जागृत करता है, सब कुछ वापस जीवन में लाता है। रंग-बिरंगे फूल, उत्सव और प्रकृति में प्रचुर विकास जीवन के चक्र का प्रतीक हैं। 

वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

वसंत ऋतु छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो भारत में फरवरी मार्च और अप्रैल के बीच में आता है। इस ऋतु के आने पर मौसम बहुत सुहावना हो जाता है। न ज्यादा सर्दी लगती है और न ज्यादा गर्मी लगती है, मौसम सामान्य रहता है। मौसम सामान्य रहने से पेड़-पौधे, फूल, पत्तियां, फसलें पूरी तरह से खिल उठते हैं। आम के पेड़ों पर बौर आ जाता है और बौर से लदे हुए आम के पेड़ देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगते हैं। खेतों में लगे सरसों में पीले फूल खिल जाते है। जिससे प्रकृति की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। अत: वसंत ऋतु को प्रकृति की सुंदरता का ऋतु कहा जाता है।

वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि वसंत ऋतु सभी ऋतुओं से बेहतर होती है। अन्य देशों में केवल तीन ऋतुएँ होती है जबकि भारत में कुल छ: ऋतुएँ होती है। जिसमें से एक वसंत ऋतु होता है। यह ऋतु मार्च और अप्रैल के मध्य में आता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के पीले फूलों से भरे दिखाई देते हैं I तितली, भौंरे बागों में मंडराने लगते है। कोयल की कू कू की आवाज सुनाई देने लगती है। इसके अलावा, वसंत पंचमी और होली के त्यौहार भी इस मौसम में मनाये जाते हैं। वसंत पंचमी जो पूरी तरह से माँ सरस्वती को समर्पित होता है, जबकि होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। यह दोनों पर्व को लोग बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।

वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

भारत में 6 ऋतुएँ होती हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत। इनमें से सबसे श्रेष्ठ, सुन्दर और आकर्षक ऋतु है- वसंत ऋतु । इस ऋतु का आरंभ माघ महीने की शुक्ल पंचमी से होता है। इस ऋतु के आने पर पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है। इस मौसम में हवा में एक अलग ही ताजगी आ जाती है। खेतों में लहलहाती फसल और बगीचों में फूलों की सुगंध, वातावरण को खुशनुमा बना देती है। इस ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति में कई बदलाव होते है। पतझड़ के कारण झड़ चुके वृक्षों पर नव-पल्लव अंकुरित होने लगते है और कली खिलकर पुष्प बन जाती है। मैदानों में हरी-हरी घास उग आती है। वृक्षों पर पक्षी घोंसला बनाते हैं और सुबह सवेरे उनकी चहचहाहट पूरे वातावरण में गुंजायमान रहती है। पूरी धरती दुल्हन की तरह श्रृंगार कर लेती है। सरसों के खेत सोने की तरह चमकने लगते हैं और किसान फसलों को काटने की तैयारी में जुट जाते है। बसंत पंचमी का त्योहार भी इसी ऋतु में ही मनाया जाता हैं। इस दिन बच्चे माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना करते हैं और सरस्वती वंदना गाकर उन्हें मनाते हैं। बहुत से लोग बसंत पंचमी के दिन पतंग भी उड़ाते हैं। बसंत पंचमी हिंदू धर्म के लोगों का मौसमी त्योहार है, जो वसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है। वसंत का मौसम सर्दियों के जाने की और गर्मियों के आने की आहट देता है। तभी तो वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।

वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

वसंत ऋतु भारत की छः: मुख्य ऋतुओं में से एक है। यह आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च की शुरुआत में शुरू होता है और मई तक चलता है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर आसमान साफ और मौसम सुहावना हो जाता है। सर्दी की सर्द हवाएँ धीरे-धीरे सुखद गर्मी का मार्ग प्रशस्त करती हैं। पक्षियों की चहचहाहट पूरी हवा में गूंजने लगती है। प्रकृति भी अपनी नींद से जागती है और पेड़-पौधे पर नए पत्ते और फूल उगने लगते हैं। जीवंत और रंग-बिरंगे फूल खिलकर वातावरण को महकाते है। 

वसंत ऋतु के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बसंत पंचमी का त्योहार है, जो ज्ञान, कला और संगीत की देवी, सरस्वती माता के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन, लोग पीले रंग की पोशाक पहनते हैं, क्योंकि यह सरसों के खेतों के खिलने और वसंत के आगमन का प्रतीक है। छात्र आशीर्वाद के लिए सरस्वती से प्रार्थना करते हैं और उनकी वेदी पर अपने संगीत वाद्ययंत्र, किताबें और कलम चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनका आशीर्वाद लेने से व्यक्ति के ज्ञान और रचनात्मक क्षमताओं में वृद्धि होती है। उत्सवों के अतिरिक्त, वसंत ऋतु का भारत के कृषि क्षेत्र में बहुत महत्व है। किसान इस मौसम के दौरान अपनी फसलें बोना शुरू कर देते हैं, क्योंकि अनुकूल मौसम की स्थिति विभिन्न प्रकार की फसलों के विकास को बढ़ावा देती है। खेत हरी-भरी हरियाली से जीवंत हो उठते हैं । इसके अलावा, वसंत ऋतु का आगमन लोगों के जीवन में ताजगी और पुनर्जीवन की भावना भी लाता है। ठंड और निराशाजनक सर्दियों को सहन करने के बाद, वसंत की गर्मी और सुंदरता आत्माओं को ऊपर उठाती है और आशावाद की भावना को प्रेरित करती है। लोग सुहावने मौसम का अधिकतम लाभ उठाने और प्रकृति की सुंदरता में डूबने के लिए पिकनिक, क्रिकेट मैच और प्रकृति की सैर जैसी बाहरी गतिविधियों की ओर रुख करते हैं।   Top  

Hindi Essay Writing Topic – बसंत ऋतु (Basant Ritu)

मौसम को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता हैं – ग्रीष्म ऋतु,  शीत ऋतु,  वर्षा ऋतु,  बसंत ऋतु,  शरद ऋतु,  शिशिर ऋतु |

इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है | सभी ऋतुओं में यह सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं | इस ऋतु के आते ही धरती अपना श्रंगार करती है और हरियाली की चादर ओढ़ लेती है | पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है | इस मौसम में हवा में एक अलग ही ताजगी आ जाती है | खेतों में लहलहाती फसल और बगीचों में फूलों की सुगंध, वातावरण को खुशनुमा बना देती है | इस ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति में कई बदलाव होते है | पतझड़ के कारण झड़ चुके पेड़ों में नई कोपले आ जाती हैं और फूल आने लगते है | मैदानों में हरी-हरी घास उग आती है | वृक्षों पर पक्षी घोंसला बनाते हैं और सुबह सवेरे उनकी चहचहाहट पुरे वातावरण में गुंजायमान रहती है | पूरी धरती दुल्हन की तरह श्रंगार कर लेती है | सरसों के खेत सोने की तरह चमकने लगते हैं, इसी मौसम में किसान फसल काटने की तैयारी में जुट जाते है |  

भारत में बसंत ऋतु का आगमन प्रायः मार्च महीने से हो जाता हैं और मई के अंत तक रहता है |   

बसंत ऋतु का महत्त्व

बसंत का अपना महत्त्व है | जिस प्रकार हम पुराने वस्त्र उतारकर नए वस्त्र धारण करते हैं, ठीक उसी प्रकार धरती बसंत ऋतु में अपना श्रंगार करती है | इसी मौसम में पेड़ो पर फल लगते हैं, नए फूल आते हैं | जिन पर भवरे, मधुमक्खियाँ, तितलियाँ बैठकर रस का पान करते हैं | 

किसानो के लिए इस ऋतु का अपना महत्त्व है | इस मौसम के आने तक फसल पककर तैयार हो जाती है और कटाई की जाती है | जिससे  किसान का पेट भरता है | 

बसंत ऋतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होती है | इस समय शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है |  

बसंत ऋतु की विशेषताएं

नीचे हमने बसंत ऋतू की कुछ विशेषतायें संक्षिप्त में लिखी हैं – 

  • इस मौसम में ना तो ज्यादा ठंडी रहती हैं ना तो ज्यादा गरमी | दिन सुहावने होते हैं |
  • यह ऋतु सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं |
  • इस मौसम में शरीर और मन दोनों में नई चेतना का संचार होता हैं |
  • वातावरण शुद्ध हो जाता हैं |
  • तापमान संतुलित रहता हैं | 
  • इस मौसम में मानव, पशु पक्षी पेड़ पौधे सभी नव ऊर्जा से भर जाते हैं |

बसंत ऋतु के आगमन पर ही बसंत पंचमी मनाई जाती हैं | पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसीलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है | माँ सरस्वती को विद्या एवं बुध्दि की देवी माना जाता है | बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुध्दि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगते है | इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर पीले फूलों से माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते है | 

माँ सरस्वती को भागिश्वरी, भगवती, शारदा, वीनावादिनी, वाग्देवी के नाम से भी पूजा जाता है |

बसंत पंचमी का महत्त्व

बसंत पंचमी का दिन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरम्भ के लिए बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है | माना जाता है कि इस दिन से शिक्षा प्रारंभ होने से बच्चे ज्ञानवान बनते हैं और बुध्दि तीव्र होती है | बच्चों के अन्नप्राशन के लिए भी यह दिन बहुत शुभ होता है | गृह प्रवेश और नए कार्य भी इसी दिन से शुरू किये जाते है | 

पौराणिक महत्त्व

पौराणिक कथा के अनुसार जब स्रष्टि की रचना की तब उस समय वातावरण में नीरसता, उदासी थी | ऐसा लग रहा था मानो किसी की वाणी नहीं हैं, सभी मूक हिं | भगवन विष्णु को यह देखकर अच्छा नहीं लगा, फिर उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जल कणों के छिडकते ही पेड़ो से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जो अपने दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी | साथ ही एस देवी के हाथों में पुस्तक और मोती की माला थी | इस देवी ने ही समस्त प्राणियों को वाणी प्रदान की | जिसके बाद से ही इन्हें सरस्वती कहा गया | यह देवी विद्या और बुध्दि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए इन्हें विद्यादायिनी भी कहा जाता हैं | 

साहित्य में बसंत

जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में योवन आता है उसी प्रकार बसंत, प्रकृति का यौवन हैं | इसलिए यह मौसम हमेशा से काव्य प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा हैं और हिंदी भाषा के कई सुकुमार कवियों ने बसंत ऋतु पर कविताएँ लिखी है | इन कविताओ के माध्यम से कवि-लेखकों ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया हैं बल्कि देश भक्ति की भावना का प्रचार प्रसार भी किया हैं | हिंदी भाषा की महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना भी कुछ इस प्रकार हैं – 

आ रही हिमालय से पुकार 

है उदधि गरजता बार बार

प्राची पश्चिम भू नभ अपार 

सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत

वीरों का कैसा हो बसंत

फूली सरसों ने दिया रंग 

मधु लेकर आ पंहुचा अनंग 

वधु वसुधा पुलकित अंग अंग 

है वीर देश में किन्तु कान्त 

वीरो का कैसा हो बसंत 

भर रही कोकिला इधर तान

मारू बाजे पर उधर गान 

रंग और है रण का विधान 

मिलने आये हैं आदि अंत

वीरों का कैसा हो बसंत         

इस कविता के माध्यम से सुभद्रा कुमारी चौहान ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है बल्कि हमारे देश के वीर जवानों की व्यथा का भी मार्मिक चित्रण किया है जो अपनी जान की परवाह किये बिना सीमा पर पहरा देते हैं और देश की रक्षा करते हैं |

इसी प्रकार प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पन्त ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास चिदंबरा से बसंत ऋतु पर एक सुन्दर कविता लिखी है –

फिर बसंत की आत्मा आई,

मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण

अभिवादन करता भू का मन !

दीप्त दिशाओं के वातायन,

प्रीति साँस-सा मलय समीरण,

चंचल नील, नवल भू यौवन, 

फिर बसंत की आत्मा आई, 

आम्र मौर में गूँथ स्वर्ण कण,

किंशु, को कर ज्वाल वसन तन ! 

चंचल पग दीप-शिखा से धर 

गृह, मग, वन में आया बसंत !

सुलगा फाल्गुन का सूनापन 

सौन्दर्य शिखाओं में अनन्त !

इनके अलावा अनेकों कविओं ने बसंत ऋतु पर मनोभावन कविताएं लिखी हैं।

देखो देखो बसंत ऋतु आई चारों तरफ हरियाली छाई।

रंग बिरंगे फूल खिलाए

खेतों में सरसों लहराए।

फूलों पर भंवरे मंडराएं

मस्ती से तितली भी नाचे भी  पीले वस्त्र पहन के बच्चे

नाचे गाए खुशी मनाएं।

अलसी की शोभा निराली कोयल कूके डाली डाली

कैसी कैसी मस्ती है छाई

देखो देखो बसंत ऋतु आई।

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Basant Ritu Essay in Hindi - बसंत ऋतु पर निबंध  

Basant Ritu Essay in Hindi – वसंत ऋतु पर निबंध  

Table of Contents

Spring Season Essay in Hindi

वसंत ऋतु कब आती है, वसंत ऋतु का शब्द चित्र, वसंत ऋतु में आने वाले त्यौहार, वसंतु ऋतु पर कविता, वसंत पर बिहारी की कविता.

छकि रसाल-सौरभ सने मधुर गंध, ठौर-ठौर झौरत झंपत झौर झौर मधु अंध.

वसंत पर मैथिलीशरण गुप्त की कविता

काली काली कोयल बोली होली होली होली हंसकर लाल-लाल होठों पर हरियाली हिल-डोली, फूटा यौवन, फाड़ प्रकृति की पीली-पीली चोली. अलस कमलिनी ने कलरव सुन उन्मद अंखियां खोली मल दी ऊषा ने अम्बर में दिन के मुख पर रोली. होली-होली-होली

निराला की सखि बसंत आया कविता

सखि बसंत आया भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया. किसलय वसना, नव-वय लतिका मिली मधुर प्रिय उर तरु पतिका, मधुप-वृन्द बन्दी पिक-स्वर नभ सरसाया.

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Spring season in hindi – वसंत ऋतु पर निबंध.

Hello guys today we are going to discuss about Spring Season in Hindi. What is spring season? We have written an essay on Basant Ritu in Hindi. Now you can take an example to write spring season in Hindi in a better way. Spring Season in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Essay on Basant Ritu in Hindi or Spring Season in Hindi. वसंत ऋतु पर निबंध।

Spring Season in Hindi

hindiinhindi Spring Season in Hindi

Essay on Spring Season in Hindi 700 Words

संसार में ऐसा कोई भी देश नहीं जहाँ वर्ष में छह ऋतुएं आती हैं और अपने-अपने समय पर आकर अपना रंग दिखाती हैं और प्रकृति का श्रृंगार करती हैं। भारत में हर ऋतु अपने समय पर आकर सबके मन में नई उमंग और काम करने का उत्साह भरता है। इसलिए भारत की भूमि को स्वर्ग के समान सुंदर माना जाता है।

‘रंग-रंग की ऋतुएं आँगन में आती, मेरे भारत को रंगों में रंग जाती।’

हेमंत, शिशिर, बसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद। इनमें से बसंत ऋतु फाल्गुन-चैत्र मास/फरवरी-मार्च महीने में आती है। इन दिनों में न अधिक गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी । दिन-रात लगभग बराबर होते हैं। इससे पहले शरद ऋतु में कड़ाके की सर्दी पड़ती है और इसको धरती की हरियाली सहन नहीं कर पाती। हेमंत ऋतु में फूल मुरझा जाते हैं, पत्ते पीले पड़ जाते हैं। पतझड़ होता है तथा पत्ते झड़ जाते हैं। इसके बाद ऋतुराज बसंत का आगमन होता है।

बसंत, जिसमें संपूर्ण प्रकृति सौंदर्यमयी हो उठती है, पेड़ों पर नए-नए पत्ते निकल आते हैं, फूल खिल उठते हैं। इस ऋतु में सरसों के फूल पूरे यौवन पर होते हैं। आम के पेड़ों पर सुनहरा बौर आ जाता है तथा कोयल की कूक सुनाई देने लगती है। उद्यानों में रंग बिरंगे फूल खिलकर अपनी सुंदरता बिखेरते हैं। भंवरे और रंग-बिरंगी तितलियाँ उनके आस-पास मँडराने लगती हैं। सरसों के फूलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों पृथ्वी ने पीली चादर ओढ़ ली हो। अनार, कचनार, ढाक आदि के फूलों से प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है।

इस समय चारों और हरियाली छा जाती है। बसंत ऋतु सभी ऋतुओ में से उत्तम एवं प्रिय ऋतु मानी जाती है। इसके आगमन पर चारों ओर प्रसनन्ता छा जाती है। इसलिए इस ऋतु को ऋतुराज, बसंत, मधुऋत फूलों का त्योहार और कुसुमाकर भी कहते हैं।

‘महक रही है डाली-डाली, धरती की है छटा निराली. कोयल का भी मन हर्षाया, आया सखी बसंत आया।’

बसंत पंचमी के त्योहार का इतिहास

बसंत पंचमी का पौराणिक संबंध त्रेता युग के प्रभु राम से है जब प्रभु राम शबरी के पास गए थे, तब बसंत पंचमी का ही दिन था।

इस दिन वीर हकीकत राय ने हिंदू धर्म की बलिवेदी पर अपने प्राणों की बलि दी थी। यह पावन दिन शहीदी मेले के रूप में मनाया जाता है। हकीकत राय को नवाब ने इस्लाम धारण करके मुसलमान बन जाने को कहा लेकिन हकीकत राय ने मानने से इंकार कर दिया। फलस्वरूप 1798 को उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया। |

महाराजा रणजीत सिंह भी बसंत पंचमी के पर्व पर दरबार सजाया करते थे। तभी तो बसंत पंचमी का त्योहार हर धर्म के लोगों में बड़ी उत्सुकता और उल्लास से मनाया जाता है।

मनाने का ढंग

यह त्योहार समस्त भारत में हर्ष एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, सरस्वती पूजन करते तथा पीला हलुआ चावल बाँटते और खाते हैं। स्थान-स्थान पर बसंत मेलों का आयोजन किया जाता है। बसंत ऋतु में कवियों की भावना-शक्ति भी बढ़ने लगती है। इसलिए इन दिनों विशेष कवि सम्मेलन करवाये जाते हैं।

सरस्वती पूजा बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु । राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु ||

पंजाब में शहर पटियाला, लुधियाना, जालन्धर एवं अमृतसर में बसंत पंचमी के त्योहार की निराली छटा देखने को मिलती है। इस दिन शहरों और गाँव में पतंगबाजी की जाती है। लाउडस्पीकर इत्यादि लगाकर लोग रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं। एक-दूसरे की पतंग काटने की होड़ में जो उत्साह होता है वह देखते ही बनता है। आसमान में उड़ते पतंग अद्भुत दृश्य पेश करते हैं।

प्रकृति में बदलाव

बसंत पंचमी मूलरूप से प्रकृति का उत्सव है। इसे आनंद का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन से धार्मिक, प्राकृतिक तथा सामाजिक जीवन के कामों और आध्यात्मिक दृष्टि से साधना आरंभ करने का भी पर्व है। इस ऋतु में मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी भी इस ऋतु में खुशी से उछलते, कूदते और नाचते हैं। सभी प्राणियों, जीवजंतुओं, पेड़-पौधों में नवजीवन का संचार हो जाता है।

बसंत ऋतु को सबसे उत्तम ऋतु माना गया है क्योंकि इस ऋतु में न अधिक सर्दी होती है न अधिक गर्मी। बसंत ऋतु सौन्दर्य, स्वास्थ्य एवं उल्लास की ऋतु है इसलिए इसे ऋतुराज कहना भी उचित है।

बसंत को लेकर प्रसिद्ध कवि ने खूब कहा है : ‘आई बसंत, पाला उड्त।’

Essay on Spring Season in Hindi 800 Words

प्रकृति के यौवन को उभार कर सबके सामने प्रकट कर देने वाली वसंत ऋतु को ‘ऋतुराज’ कहना उपयुक्त ही है। प्रकृति का उभरा रोम-रोम, चहचहाते पक्षी वृन्द, कुहकती कोयल और मादक सुगंध से परिपूर्ण होकर यहाँ-वहाँ डोलता फिरता आवारा पवन, स्वयं ही ‘ऋतुराज’ की सूचना कोने-कोने तक दे दिया करते हैं; ताकि छोटे-बड़े आवाल वृद्ध, सब उसका स्वागत करने के लिए प्रसन्नता से विह्वल-व्याकुल हो उठे।

वसंत का आगमन प्रकृति के लिए एक नए विकास का आशीर्वाद लेकर आता है। यह जड़, चेतन प्रकृति के प्रत्येक रूप, पदार्थ और प्राणी में जीवन की नई उमंग भर देता है। सभी को किसी नये अनुभव से कुछ गुनगुनाने और गा उठने के लिए बाध्य कर देता है। सच तो यह है कि सभी गुनगुनाने एवं मुस्करा भी उठते हैं। वसंत का आगमन उस समय होता है, जब अत्यधिक शीत की ठिठुरन प्रकृति के कण-कण को, रोम-रोम को ठिठुरा कर कँपकँपा देती है। उस कँपकँपी के परिणामस्वरूप पेड़-पौधों के पत्ते पीले पड़ कर झड़ जाते हैं, आवारा पवन उन झड़े पत्तों को रूखा-सूखा बना कर, उड़ाता हुआ कहीं दूर जा कर फेंक आया करता है। अर्थात् ऋतुक्रम से जब पतझड़ अथवा शिशिर का प्रकोप प्रकृति को बिल्कुल निर्वस्त्र करके रख देता है, तब उसके लिए विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूल-पत्तों के वस्त्र लेकर, मस्ती से झूमता और गुनगुनाता हुआ ऋतुराज वसंत आकर प्रकृति को अपने ही हाथों से संवार देता है। उसके यवन को अचानक गुदगुदा कर खिला देता है। ऐसे प्रकृति के हरे-भरे कोमल अंगों (फूलों) से रस और सुगंध चुरा कर छलिया पवन खुद तो रसिक होकर झूम उठता है; साथ ही उस रसीली खुशबू को दशों दिशाओं में दूर-दूर तक भी फैला देता है। इससे सारी दिशाएँ हरी-भरी, मस्त और रंगीन हो जाती हैं। ऐसा प्रभाव होता है वसंत के आगमन का।

‘आया वसंत, पाला उडन्त’ कहावत के अनसार वसंत ऋतु पाले अर्थात शीत ऋत के अन्त होने की खबर लेकर भी आती है। तब धीरे-धीरे सर्दी का प्रभाव और रंग गुलाबी पड़ कर समाप्त होता जाता है। सर्दियों में शरीर पर लदे रहने वाले वस्त्र एक-एक करके उतरने लगते हैं। शरीर नई स्फूर्ति एवं चेतना का अनुभव करने लगता है। अंग-प्रत्यंग मस्ती-सी छलकाते हुए स्पष्ट होने लगते हैं। ऐसे समय में कहीं दूर अमराइयों के झुण्ड से अचानक पूँज कर, कोयल की कुहुक, रोम-रोम में एक अलक्षित-सा, अश्रव्य-सा संगीत भरने लगती है। इसके साथ ही-साथ युवा मन भी चहक-महक उठता है, मुख में अलक्षित सा राग, पैरों में अलक्षित सी ठुमक भर कर अपने-आप ही एक थिरकन बन जाती हैं। विरह-पीड़ित प्रेमियों के हृदयों की धड़कनें तो दुगुनी हो जाया करती हैं। जैसे भंवरे खिले फूल-कलियों की तरफ खिंचे चल जाते हैं, उसी तरह युवा मन भी रूप-यौवन का पान करने की ललक से भरपूर हो जाता है।

वसंत ऋतु के प्रभाव से सरसों के खेत पीले पुष्पों से लहरा कर, पवन के थपेड़ों से झूम कर सारे वायुमण्डल और वातावरण में एक नए सौन्दर्य का संचार करने लगते हैं। इन फूलों की सुगंध एक नई मस्ती का संदेश देने वाली प्रतीत होती है। प्रकृति के इस अनुपम सौन्दर्य का आनंद लेने के लिए, प्राचीन भारत में वसंत ऋतु की चांदनी रातों में, प्रमुखतया: वसंत ऋत के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से लेकर पूर्णमासी तक ‘कौमुदी महोत्सव’ राजसी ठाठ-बाट के साथ, राज्य की ओर से की गई व्यवस्था के अंतर्गत मनाया जाता था। इसमें सामंत, राजा, उच्च वर्ग, आम प्रजा जन आदि सभी समान रूप से भाग लिया करते थे। आजकल वसंत ऋत का त्योहार ‘वसंत पंचमी’ के नाम से प्रायः पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन नवयुवतियाँ पीले वस्त्रों में सज-संवर कर मेला-स्थल पर जाती हैं। घरों में केसरिया रंग के चावल, हल तथा अन्य मिष्ठान्न बनाए और खाए-खिलाए जाते हैं। कुछ लोग वसंत पंचमी के दिन उपवास भी रखते हैं।

वसंत ऋतु के सारे त्योहारों में से होली ही वास्तव में वसंत ऋतु के मस्ती और रंगों को प्रकट करने वाला त्योहार है। होली के दिन कई तरह के रंगों से लिपट कर लोग-बाग वास्तव में वसंत ऋतु के सारे प्राकृतिक रंगो से धुल-मिल जाने का अभिनय करते हैं। वसंत ऋतु में हरी-भरी डालियों पर चहकते रंग-बिरंगे, फूलों और उन फूलों कलियों पर गुनगुना कर मंडराते भंवरे, उड़ती तितलियाँ मन-मस्तिष्क में एक नितांत नया भाव-सौंदर्य एवं संगीत जगा देती हैं। दिशाओं का खुलापन और आकाश में निर्मल वातावरण की सजल उज्वलता, सभी कुछ बड़ा ही आकर्षक एवं मोहक बनकर सामने आता है। यही वजह है कि हर देश और वहाँ की भाषाओं के कवियों ने वसंत ऋतु का अपने काव्यों में भी भरपूर चित्रण किया है। इसे सौन्दर्यसंगीत और यौवन का सजीव स्वरूप कहा गया है।

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बसंत ऋतु पर निबंध-Essay On Basant Ritu In Hindi

बसंत ऋतु पर निबंध :.

basant ritu essay in hindi

भूमिका : भारत को अनेक ऋतुओं का देश माना जाता है। भारत में सर्दी-गर्मी, बरसात-पतझड़, वसंत-ग्रीष्म आदि छ: ऋतुएँ आती जाती रहती हैं। साल में आने वाली बसंत ऋतु सबकी प्रिय होती है। बसंत ऋतु के आने पर पूरा प्राणी जगत हर्ष और उल्लास से झूम उठता है। बसंत ऋतुओं का राजा होती है इसी वजह से इसे ऋतुराज बसंत के नाम से जाना जाता है।

ऋतुओं का राजा :- भारत की प्रसिद्धि का कारण उसकी प्राकृतिक शोभा होती है। लोग अपने आप को धन्य मानते हैं जो इस पृथ्वी पर रहते हैं। ये ऋतुएँ एक-एक करके आती हैं और भारत माता का श्रृंगार करती हैं और चली जाती है। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी शोभा होती है। लेकिन बसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। बसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है इसी वजह से यह ऋतुओं की राजा मानी जाती है।

बसंत ऋतु की विशेषता :- बसंत के समय में ऋतु बहुत सुहावनी होती है। सर्दी खत्म और गर्मी शुरू होने वाली होती हैं। इस समय में न ही तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही ज्यादा गर्मी होती है। प्रत्येक व्यक्ति बाहर घूमने का इच्छुक होता है। यह इस मीठी ऋतु की विशेषता होती है। सब जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों में नव जीवन का संचार हो जाता है।

वृक्षों के नए-नए पत्ते लद जाते हैं। फूलों का सौंदर्य और हरियाली की छटा मन को भा जाती है। आमों के पेड़ों पर बौर आने लगता है और कोयल भी मीठी आवाज में कुहू-कुहू करने लगती है। इस सुगंधित वातावरण में सैर करने से बहुत सी बीमारियाँ  दूर हो जाती है। ठंडी-ठंडी हवा चलती रहती है जिससे मनुष्य की उम्र और बल में वृद्धि होती है। बसंत ऋतु पतझड़ और शिशिर के बाद आती है।

देखा जाये तो बसंत फाल्गुन मास से ही शुरू हो जाती है। इसके वास्तविक महीने चैत्र और बैसाख होते हैं। 15 फरवरी से लेकर 15 अप्रैल तक का समय बसंत ऋतु का ही होता है। बसंत ऋतु में मौसम बहुत सुहावना होता है। प्रकृति में चारों ओर बसंत का प्रभाव दिखाई देने लगता है।

बसंत ऋतु का स्वागत :- बसंत के आगमन पर नई फसलें पकने लगती हैं। सरसों के पीले-पीले फूल खिल-खिला कर खुशी व्यक्त करते हैं। सिट्टे भी ऐसे लगते हैं जैसे सिर उठाकर ऋतुराज का स्वागत कर रहे हों।

सरोवरों में कमल के फूल खिल कर इस तरह पानी को छिपा लेते हैं जैसे मनुष्यों को संकेत देते हैं कि अपने मन को खोल कर हंसों और सारे दुखों को मन में समेट लो। आसमान में पक्षी किलकारियां मारकर बसंत का स्वागत करते हैं।

प्राणी जगत में उल्लास :- प्राणी जगत में इस ऋतु के आने से उल्लास और उमंग का संचार होता है। पशु-पक्षी जोश, उत्साह और उल्लास से भर जाते हैं। कोयल अपने मधुर स्वर से गीत गाती है जो पूरी अमराईयों में गूंजता है। मनुष्य जाती उमग से भरकर नाचने लगती है। किसान का मन अपनी फसल को देखकर खुशी से भर जाता है।

कवि और कलाकार इस ऋतु से प्रभावित होकर नई कविताएँ बनाते हैं। इस ऋतु का सबसे अच्छा प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। शरीर में नए रक्त का संचार होता है और स्वास्थ्य में उन्नति होती है। बसंत ऋतु के आने से दिशाएं साफ हो जाती हैं और आसमान निर्मल हो जाता है।

चारों ओर प्रसन्नता से जड़ में भी चेतना आ जाती है। सूर्य भी अधिक तीव्र नहीं होता हैं। दिन रात एक जैसे होते हैं। बसंत ऋतु में हवा दक्षिण से उत्तर की तरफ बहती है। दक्षिण से आने वाली हवा शीतल, मंद और मतवाली होती है।

बसंत पंचमी :- बसंत पंचमी को ऋतुराज के आगमन में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन लोग खेलते हैं झूला झूलते हैं और अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते हैं। हर घर में वसंती हलवा, केसरिया खीर बनते हैं। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और बच्चे पीले रंग के पतंग उड़ाते हैं।

फाल्गुन की पंचमी को बसंत पंचमी का मेला लगता है। इस दिन लोग सुबह से लेकर शाम तक पतंगें उड़ाते रहते हैं। होली को भी बसंत ऋतु का ही त्यौहार माना जाता है। इस दिन सारा वातावरण रंगीन हो जाता है और सभी आनंद से मगन होते हैं।

बसंत ऋतु की ऐतिहासिकता :- बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन सरस्वती पूजन किया जाता है। इसी दिन वीर हकीकत राय की भी मृत्यु हुई थी। वीर हकीकत राय के कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।

वीर हकीकत राय जी का बलिदान हमें अपने धर्म पर अडिग रहने का संदेश देता है। हमें सभी धर्मों से प्रेरणा लेनी चाहिए और किसी भी धर्म के प्रति नफरत नहीं रखनी चाहिए। वीर हकीकत राय जी की याद में हर साल मेला लगता है। इस दिन वीर हकीकत राय जी को श्रद्धांजली दी जाती है।

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What is the best food in Sonipat? (Sonipat ka sabse acha khana kon sa hai)

basant ritu essay in hindi

Sonipat ka sabse acha khana kon sa hai : हरियाणा के दिल में बसा सोनीपत एक ऐसा शहर है जो इतिहास, संस्कृति और जीवंत पाक परंपराओं में डूबा हुआ है। स्ट्रीट फूड स्टॉल से लेकर बढ़िया डाइनिंग रेस्तरां तक, सोनीपत स्वादिष्ट व्यंजनों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करता है जो हर तालू को पूरा करते हैं। आइए सोनीपत के पाक परिदृश्य में उतरें और इस शहर में मिलने वाले सबसे अच्छे भोजन की खोज करें।

Sonipat ke sabse ache khane ki Dish kon si hai (What is the best food in Sonipat)

Paranthas at sukhdev dhaba murthal (sonipat).

सोनीपत के खाद्य परिदृश्य की कोई भी खोज मुरथल में प्रतिष्ठित ढाबों का उल्लेख किए बिना पूरी नहीं होती है। अपने मुँह में पानी लाने वाले पराठों के लिए जाने जाने वाले, ये सड़क के किनारे के भोजनालय विभिन्न प्रकार के भरे हुए पराठे परोसते हैं जिन्हें शुद्ध देसी घी में पूरी तरह से पकाया जाता है। चाहे आप आलू, पनीर, या मिश्रित शाकाहारी पराठे पसंद करें, मुरथल की यात्रा हर भोजन उत्साही के लिए जरूरी है।

Chole Bhature at Bhagat Ji (Sonipat)

एक हार्दिक और परिपूर्ण भोजन के लिए, सोनीपत में भगत जी के पास जाएँ, जहाँ आप शहर के सबसे अच्छे छोले भटूरे का स्वाद ले सकते हैं। मसालेदार और तीखे छोले के साथ जोड़े गए रूखे भटुरा एक स्वादिष्ट संयोजन बनाते हैं जो आपको और अधिक के लिए लालायित कर देगा। यह प्रतिष्ठित व्यंजन स्थानीय लोगों और आगंतुकों के बीच समान रूप से पसंदीदा है।

Samosas at Gulshan Sweets (Sonipat)

जब स्ट्रीट फूड की बात आती है, तो सोनीपत निराश नहीं करता है। गुलशन स्वीट्स में अपना रास्ता बनाएँ और उनके कुरकुरा और स्वादिष्ट समोसे का आनंद लें। चाहे आप उन्हें मसालेदार चटनी या तीखी इमली की चटनी के साथ पसंद करें, अच्छाई के ये सुनहरे पार्सल निश्चित रूप से एक त्वरित और स्वादिष्ट नाश्ते के लिए आपकी लालसा को संतुष्ट करेंगे।

Paneer Tikka at Spice Route (Sonipat)

यदि आप कुछ और बेहतर करने के मूड में हैं, तो सोनीपत के एक लोकप्रिय रेस्तरां स्पाइस रूट पर जाएं, जो अपने स्वादिष्ट उत्तर भारतीय व्यंजनों के लिए जाना जाता है। उनका रसीला पनीर टिक्का, सुगंधित मसालों के मिश्रण में मैरीनेट किया जाता है और पूरी तरह से ग्रिल किया जाता है, एक सच्चा भोजन आनंद है जो आपके स्वाद की कलियों को आकर्षित करेगा।

Lassi at Bikaner Sweet Shop (Sonipat)

सोनीपत में कोई भी भोजन बिना तरोताजा करने वाले लस्सी के गिलास के पूरा नहीं होता है। बीकानेर मिठाई की दुकान पर जाएँ और उनकी मलाईदार और झागदार लस्सी का आनंद लें, जो ताजे दही से बनाई जाती है और इलायची या गुलाब के अर्क से सुगंधित होती है। यह पारंपरिक पंजाबी पेय सोनीपत के माध्यम से आपकी पाक यात्रा को समाप्त करने का सही तरीका है।

Rajma Chawal at Prem Dhaba (Sonipat)

एक आरामदायक और घरेलू भोजन के लिए, प्रेम ढाबा जाएं और उनके स्वादिष्ट राजमा चावल का स्वाद लें। सुगंधित बासमती चावल के साथ मलाईदार किडनी बीन करी, एक क्लासिक संयोजन है जिसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा समान रूप से पसंद किया जाता है। एक अतिरिक्त सुखद स्पर्श के लिए ऊपर घी का एक टुकड़ा डालें।

Jalebis at Om Sweets (Sonipat)

सोनीपत की अपनी पाक कला की खोज को ओम स्वीट्स की गर्म और कुरकुरा जलेबी की थाली के साथ एक मीठे नोट पर समाप्त करें। मीठा के ये गहरे तले हुए, सिरप से लथपथ सर्पिल सोनीपत में एक लोकप्रिय मिठाई विकल्प हैं और एक कप मसाला चाय के साथ गर्म पाइपिंग का सबसे अच्छा आनंद लिया जाता है।

अंत में, सोनीपत एक पाक स्वर्ग है जो आपके स्वाद की कलियों को लुभाने के लिए मुँह में पानी लाने वाले व्यंजनों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करता है। चाहे आप स्ट्रीट फूड के शौकीन हों या बढ़िया भोजन के शौकीन, इस शहर में सभी के लिए कुछ न कुछ है।

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बसंत ऋतु पर निबंध – Essay on Basant Ritu in Hindi

Basant ritu par nibandh.

भारत प्राकृतिक बदलावों की क्रीड़ा स्थली है। यहां प्रकृति विभिन्न रूपों में उपस्थित रहती है। साथ ही प्रकृति की शोभा बढ़ाने में ऋतुओं का योगदान महत्वपूर्ण है। अन्य देशों में तीन ग्रीष्म, वर्षा और शीत ऋतुएं होती हैं, किन्तु भारत ही ऐसा देश है, जहां छह ऋतुएं अपने श्रृंगार से उसकी शोभा को अत्यधिक बढ़ा देती हैं। इनमें सबसे श्रेष्ठ मादक, सुंदर और आकर्षक ऋतु है बसंत ऋतु। इसे ऋतुराज और कुसुमाकर भी कहते हैं। मानव जीवन की तरह प्रकृति भी परिवर्तनशील है। जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में भिन्न भिन्न काल आते हैं, उसी प्रकार प्रकृति भी शैशव, यौवन और वृद्धा अवस्था की स्थिति को प्राप्त करती है। बसंत प्रकृति का यौवन है। बसंत आया और प्रकृति खिल उठी। वृक्षों पर नव पल्लव अंकुरित हो गए और कली खिलकर पुष्प बन गई।

बसंत ऋतु का आगमन

बसंत ऋतु को मधु ऋतु भी कहते हैं। तभी तो बसंत आने पर प्रकृति में माधुर्य, मादकता और सौंदर्य भर जाता है। शिशिर की कड़ी ठंड के पश्चात् प्रकृति खिल उठना चाहती हैं। प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि शैलै ने कहा है यदि शिशिर आएगा तो क्या बसंत दूर रहेगी। नहीं ! नहीं ! वह तो शिशिर की अनुगमिनी है। अवश्य ही शीत ऋतु के आगमन की घोषणा करता है। बसंत में प्रकृति नववधू की भांति शोभायमान हो जाती है। कोयल कूंकने लगती है। चारों ओर फूल खिल उठते हैं। उनकी सुगंध वातावरण में छा जाती है। बसंत के आते ही आमों पर बौर आ जाते हैं  पुष्पों से मधु टपकने लगता है। बागों के भंवरों के उल्लासमय गीत और तितलियों के नाच प्रारंभ हो जाते हैं। वनों में पलाश के लाल – लाल फूल शोभित होने लगते हैं। पीली सरसों की शोभा तो बहुत ही निराली होती है। धरती ने मानों पीले फूलों की साड़ी पहने हो। उसकी शोभा से आकृष्ट हो अनंग भी मुग्ध हो जाता है।

बसंत ऋतु के रूप

बसंत ऋतु त्याग और बलिदान की भी ऋतु है। गुरु गोविन्द सिंह के अबोध बच्चे देश और धर्म की बलिदेवी पर न्योछावर हो गए थे। वीर हकीकत ने अपने जीवन पुष्प को धर्म की वेदी पर अर्पित कर दिया था। ऐसे में आज भी बसंत ऋतु चमकौर दुर्ग की मिट्टी की उन वीर शहीदों के रंग से रंगी मालूम होती है और नवयुवकों में स्फूर्ति भरती हुई प्रतीत होती है। बसंत पंचमी पर मेले लगते हैं। साथ ही इन दिनों लोक गीत बसंत बहार का रंग बिखेर देते हैं पर प्रकृति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए ऐसा सुंदर रूप अपनाती है। बसंत पंचमी के दिन बग प्रदेश, असम और बिहार के कुछ भागों में लोग विद्या और कला की देवी सरस्वती की पूजा उपासना करते हैं। इस पर्व पर बसंती रंग के सरसों के फूलों से घर बाहर सज जाते हैं और बसंती रंग के कपड़े पहनकर प्रकृति के रूप और कार्य के साथ मिलकर प्रसन्नता प्रकट करते हैं।

वसंत ऋतु में आने वाले त्योहार

हिंदू संवत के अनुसार, वसंत ऋतु से ही नए साल का शुभारंभ होता है। वसंत ऋतु अपने साथ हरियाली और खुशहाली लेकर आती है। इस दौरान पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं और खेतों में पीली सरसों लहराती है। हिंदू धर्म में वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह ऋतु हर वर्ष मार्च-अप्रैल यानि फाल्गुन और चैत के महीने में पड़ती है। जिसमें हिंदू धर्म के अनेक महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाए जाते हैं। जोकि निम्न प्रकार हैं:-

  • होली – हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है। इसे रंग धुलेंडी और रंगों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। होली के दिन सभी लोग एक दूसरे से गिले शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं और रंग लगाते हैं। होली का त्योहार आपसी भाईचारे का त्योहार है, जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। होली के आने से पहले ही भारतीय घरों में पकवान और पापड़ बनने शुरू हो जाते हैं और होली से एक दिन पहले गुजिया बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। होली का त्योहार दो दिन तक मनाया जाता है। जिसके अगले दिन सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर उन्हें होली की बधाई देते हैं। इस प्रकार, वसंत ऋतु की शुरुआत रंगों के त्योहार होली से होती है।
  • बसंत पंचमी – वसंत ऋतु में ही बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से हिंदुओं द्वारा विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का चलन है। उत्तर भारत में कई स्थानों पर बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाई जाती है।
  • महाशिवरात्रि – भगवान शिव को हिंदू धर्म का प्रमुख देवता माना गया है। जिनकी महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। शंकर भगवान का यह पवित्र त्योहार वसंत ऋतु में ही मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर भक्तों द्वारा शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा और दूध आदि चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है।
  • बैसाखी – मुख्य रूप से यह पर्व सिख समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ खेतों की रौनक वापिस लेकर आता है। ऐसे में बैसाखी पर नई फसल की कटाई को सबसे पहले ईश्वर के चरणों में अर्पित करके फिर उसको लोगों द्वारा ग्रहण किया जाता है।
  • रामनवमी – वसंत ऋतु में ही रामनवमी मनाई जाती है। कहा जाता है इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम ने जन्म लिया था। रामनवमी से पहले नवरात्रि मनाई जाती है, जिस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिनों में भक्तों द्वारा व्रत का भी पालन किया जाता है और रामनवमी वाले दिन कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। रामनवमी वाले दिन भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता को पूजा जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

इसके अलावा, वसंत ऋतु में अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती, हनुमान जयंती, नवरात्रि आदि त्योहार भी मनाए जाते हैं। वसंत ऋतु जोकि अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य लेकर आती है, उसका महत्व उपरोक्त त्योहारों के चलते और अधिक बढ़ जाता है।

बसंत ऋतु जिन रंग बिरंगे फूलों से प्रकृति को सजाती है, उन्हीं रंगों को भारत की जनता होली के पर्व पर एक दूसरे को उड़ेल देती है। बसंत का पीला रंग खेतों में फूली हुई सरसों की फसल पर छा जाता है। जहां तक दृष्टि जाती है, बासन्ती परिधान में प्रकृति अपना रंग जमा कर देखने वालों के हृदय को आकर्षित करती है। सुखद बसंत ऋतु फूलों से प्रकृति के यौवन का श्रृंगार करती प्रतीत होती है। इस ऋतु का पूर्ण प्रभाव होली के उत्सव में दिखाईं देता है। जिसमें प्रकृति के साथ मनुष्य भी मस्ती से झूम उठते हैं।

इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Basant Ritu Par Nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।

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अंशिका जौहरी

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2 Best Vasant Ritu Essay in Hindi | वसंत ऋतू पर निबंध

ऋतुओं का राजा: वसंत.

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Vasant Ritu in Hindi पर 2 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं ।

Vasant Ritu Essay in Hindi (450 Words)

शिशिर ऋतू आयी, पथिकों के प्राण संकट में पड़े। ‘शिशिर’ संज्ञा की सार्थकता भी इसी में है कि जिसमें शैत्य के कारण पथिकों को शश अर्थात् खरगोश की तरह भागना पड़े। माघ और फाल्गुन वाली इस ऋतु में अतिशीत के कारण अपार कष्ट था। कहा गया है न, ‘अति सर्वत्र वर्जयेत् !’ हमारी प्रकृतिरानी ने इसीलिए माघ-श्रीपंचमी को ऋतुराज वसन्त के पास निमंत्रण भेजा।

माघ-श्रीपंचमी को वसन्तपंचमी कहने का यही रहस्य है। ऋतुराज ने अपने आगमन की स्वीकृति दे दी। फिर क्या था ! जन-जन में आनन्द की बाँसुरी बज उठी। जनता ने अपने वसन्त महाराज के स्वागत में आम्र-पल्लव के बन्दनवार लटकाये और फालान पूर्णिमा के दिन उल्लास में रंग-अबीर से दिग्दिगन्त को रंगीन कर दिया। जनता के स्वागत से ऋतुराज सचमुच बड़ा प्रसन्न हुआ और एक-दो दिन की बात कौन कहे, पूरे दो महीने-चैत और वैशाखभर के लिए उसने पड़ाव डाल दिया। शीर्णा शिशिर गयी और जग पड़ी मधुमास ऋतु-‘मैं शिशिर शीर्णा चली, अब जाग तू मधुमास आली !’

अब क्या था? जहाँ राजा ही हो, वहीं राजधानी उतर आयी-‘तहँइ अवध जहँ राम निवासू ।’ प्रकृति रानी रंग-बिरंगे परिधानों से अपने राजा को आकृष्ट करने लगी, अनगिन हाव-भावों से मन मोहने लगी। और, फिर क्या था ! इस मदन-सखा की रास के लिए मदनोत्सव मनाया जाने लगा; क्योंकि वह सौन्दर्य-देवता कामदेव का सबसे बड़ा सहायक है। जिस उर्वशी के अपरूप रूप-निर्माण में वेद पढ़-पढ़कर पथराये खूसट वृद्ध ब्रह्मा असफल रहे, उसके निर्माण में कुसुमाकर वसंत सफल हो सका। यही कारण है कि कवियों ने इस ऋतुराज के स्वागत में अपने हृदय उन्मुक्त कर दिये और असंख्य कविताएँ लिखीं। कविवर दिनकर की ये पंक्तियाँ देखें

हाँ! वसन्त की सरस घड़ी है, जी करता मैं भी कुछ गाऊँ, कवि हूँ, आज प्रकृति-पूजन में निज कविता के दीप जलाऊँ। उफ ! वसन्त या मदनबाण है? वन-वन रूप-ज्वार आया है; सिहर रही वसुधा रह-रहकर, यौवन में उभार आया है। कसक रही सुन्दरी, ‘आज मधु-ऋतु में मेरे कन्त कहाँ?’ दूर द्वीप में प्रतिध्वनि उठती, ‘प्यारी और वसन्त कहाँ ?

वसन्त का नाम ‘पुष्प-समय’ है, अर्थात् इसमें रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। इसे ‘माधव’ कहते हैं, यानी यह मधुवाला है। अर्थात्, सर्वत्र मिठास-ही-मिठास भरी रहती है। वसुन्धरा इसी ऋतु में धनधान्य से परिपूर्ण होकर अपनी सार्थकता सिद्ध करती है और सब अन्नपूर्णा धरती की गोद में इन्द्रपुरी का सुख लूटते हैं।

अब हम शिशिर के शर से विद्ध नहीं होते, Basant की मादक सुरभि से प्रफुल्लित होते हैं। वस्तुतः, वसन्तऋतु में प्रकृति एक चिरन्तन रहस्य का उद्घाटन करती है कि यदि हम शिशिर में कष्ट-सहन का साहस रख सकें, तो फिर हमारे जीवन में वसन्त अवश्य उतरेगा, यदि हम पतझड की उदासी बर्दाश्त कर सकें. तो वसन्त की रंगीनी का मजा जरूर लूटेंगे।

यहि आसा अटक्यो रहयो, अलि गुलाब के मूल। ह्हें बहरि वसन्त ऋत, इन डारिन वे फल। – बिहारीलाल

ऋतुओं की रानी वर्षा पर निबंध – यह भी पढ़े

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Vasant Ritu Essay in Hindi (750 Words)

जिसके आगमन का समाचार सुनते ही मन-प्राणों की क्यारी-क्यारी लहलहा उठती है, अंतरआत्मा की डाली-डाली मुस्कुरा उठती है- वह है ऋतुओ का राजा Vasant Ritu । ऋतुराज का आविर्भाव होते ही सर्वत्र स्वर्गिक माधुरी का प्याला छलकता दीखता है; वातावरण दुग्धधवल हास्य के झोके से अनुगुंजित होता दीखता है। उदास-निराश पहाड़ियां का सुहाग जग उठता है और वे लाल चूनर पहने नई-नवेली दलहनों-सी सजी दीखती है।

वृक्ष अपने तन से पुराने पत्तों के जीर्ण वस्त्र को त्यागकर, नवीन कोंपलों का परिधान धारण कर, नवजीवन की अगड़ाइयाँ लेते दीखते हैं। गुलाब-फल में अटकानेवाले भौरे नई खिली कलियों का आमंत्रण पाकर गुनगुनाना आरंभ करते हैं। न तो तनं को विद्युत-तरंग मारनेवाला शीत है और न नागिन की तरह जिहाए खोलनेवाली लू की लपटों की आशंका ही।

एक हलका गुलाबी जाड़ा-तन-मन में गजब स्फूर्ति भरनेवाला ! न तो शीत-निशिचर के कठोर स्पर्श का उत्पीड़न है और न ग्रीष्म-दैत्य का उत्तप्त अत्याचार। अब यामिनी प्रमोदिनी हो गई है, उषा मधुरहासिनी। पादप-पत्रों के आनत अधरों का सोया संगीत जग उठता है। पारे-सी पारदर्शी नदियाँ मोटापा दूर होने के कारण जैसे किसी की आगमनी से नाचने लगती हैं और तब लगता है-वसंत सचमुच वसंत है, जिसमें आनंद, केवल आनंद का ही वास है। इसीलिए तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से अपने को ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ (ऋतुओं में मैं वसंत हूँ) कहकर इसकी महत्ता सिद्ध की थी।

Vasant Ritu के आते ही प्रकृति रानी नई वेशभूषा, नई विच्छित्ति में उपस्थित होती हैं। उसके परिधान में रंग-बिरंगे फूल टँके होते हैं। उसके स्वागत के लिए अलिकुल वाद्यवादन करते दौड़ पड़ते हैं, शिखिसमूह नर्तन करते दीख पड़ते हैं। चंपा उसके मस्तक पर छत्र धारण करता है। आम्रमंजरियाँ उसके मुकुट हैं।

पक्षिसमूह उसका अभिषेक-मंत्र पढ़ता है। पुष्पराग उड़कर चंदोबा-सा टॅग जाता है। मलयपवन उसके ऊपर पंखा झलता है। कुंदतरु निशान धारण करते हैं। पाटल के पत्ते ही उसके तरकस हैं, अशोक के पत्ते ही बाण। पलाश के पुष्प उसके धनुष हैं, लवंगलता उसकी प्रत्यंचा। मधुमक्षिकाओं की विशाल सेना सजाकर राजा वसंत ने जैसे शिशिर की पूरी सेना को परास्त कर दिया है।

खेतों में दूर-दूर तक गेहूँ के गोरे गालों पर रूपसी तितलियाँ बल खा रही हैं-तीसी के मरकती तथा सरसों के पुखराजी फूलों पर भ्रमरों की पंक्तियाँ मँडराती हैं। मालतीलताओं को मतवाले भौरे चूम रहे हैं और उनकी कोमल कलियाँ मंद-मंद पवन के हिंडोले पर झूल रही हैं। कहीं सुग्गे की चोंच के समान टेसू के फूल खिले हैं, तो कहीं हल्दी के रंग के कनेर के फूल। रूई के फाहे की तरह कुंद-कलियाँ, आम्रमंजरियों से इत्र को मात करनेवाली भीनी-भीनी महक, दिलफरेब चाँदनी, मस्तानी काकली, गंधमाती हवा, उन्मादक गुंजार – कष्टभरे जीवन के लिए अनोखे रसायन हैं।

ऐसी मनमोहक ऋतु में गौतम बुद्ध का कथन ‘सर्वं दुःखं दुःखम्, सर्वं क्षणिक क्षणिकम्’ मिथ्यावचन प्रतीत होता है। लगता है, जीवन में केवल आनंद का ही पारावार लहरा रहा है, सम्मोहन का साम्राज्य और अनुराग का ऐश्वर्य ही पग-पग पर लुट रहा है, उन्मुक्त यौवन की रसवंती धारा कूल-किनारा तोड़ रही है, उच्छल उत्साह की सरिता उमड़ चली है। सचमुच वासंती सुषमा की एक बाँकी चितवन पर लाख-लाख स्वर्गिक सुख न्योछावर हैं।

यही कारण है कि संसार के प्रसिद्ध कवियों ने इसी Vasant Ritu को सर्वाधिक पसंद किया और अक्षरबद्ध कर अक्षर बना दिया, श्लोकबद्ध कर पुण्यश्लोक कर दिया। महाकवियों ने आत्मा-परमात्मा या नायक-नायिकाओं का प्रेम-मिलन कराया, तो इसी हृदयावर्जक ऋतु में। जयदेव ने राधा-कृष्ण का मिलन इसी ऋतु में कराया, तो गोस्वामी तुलसीदास ने राम-सीता का मिलन उस जनक की पुष्पवाटिका में कराया, जहाँ वसंत ऋतु लुभाकर रह गई थी।

त्रिपुरासुर के विनाश के लिए जब कामदेव ने योगिराज शंकर की समाधि भंग करनी चाही थी, तब उसे वसंत की सहायता लेनी पड़ी थी। क्या वाल्मीकि, क्या कालिदास, क्या सूरदास, क्या तुलसीदास, क्या पंत, क्या विद्यापति, क्या रवींद्रनाथ ठाकुर, क्या सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ सभी ने वसंत पर कविताए लिखी हैं। अंगरेजी के महान कवियों में शेक्सपियर, मिल्टन, टेनीसन, ब्राउनिग, थॉमसन-सबने वसंत का गुणगान अपनी कविताओं में किया है।

Vasant Ritu प्रतीक है आनंद का, उल्लास का, रूप और सौंदर्य का, मौज और मस्ती का, जवानी और रवानी का, स्फूर्ति और संचेतना का; किंतु क्या पृथ्वी के मन में इस संजीवन वसंत में भी आनंद और उल्लास का स्रोतस्विनी उमड़ पड़ती है? कदापि नहीं। तभी हमें डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी के वैयत्तिक निबंध ‘वसंत आ गया’ की पंक्ति याद हो आती है, “Vasant Ritu आता नहीं ले आया जाता है।

यदि हम भी रूढ़ियों, अधविश्वासों, कुसंस्कारों के जीर्ण-शीर्ण पत्रों को त्यागकर नवीनता और प्रगतिशीलता के नूतन किसलयों से अपना श्रंगार कर सकें, तो सचमुच Vasant Ritu हमारे जीवन में वर्ष में केवल एक बार ही नहीं, वरन बार-बार लहराता रहेगा, इसमें संदेह नहीं।

तो दोस्तों आपको यह Vasant Ritu in Hindi पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

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Basant Ritu Essay In Hindi | बसंत ऋतु पर निबंध

January 29, 2019 by Pankaj Goyal Leave a Comment

Basant Ritu Essay In Hindi | Vasant Ritu Par Nibandh | वसंत ऋतु तीन महीने की होती है हालांकि, इसकी चारों ओर की सुन्दरता के कारण ऐसा लगता है कि, यह बहुत थोड़े समय के लिए ही रहती है। पक्षी वंसत ऋतु के स्वागत में मीठी आवाज में गाना गाना शुरु कर देते हैं। तापमान सामान्य रहता है, इस मौसम में न तो बहुत अधिक सर्दी होती है और न ही बहुत अधिक गर्मी। चारों ओर की हरियाली के कारण यह हमें ऐसा महसूस कराता है कि, पूरी प्रकृति ने स्वंय को हरी चादर से ढक लिया है। सभी पेड़ और पौधे नया जीवन और नया रुप प्राप्त करते हैं, क्योंकि उनकी शाखाओं पर नई पत्तियाँ और फूल विकसित होते हैं। फसलें खेतों में पूरी तरह से पक जाती है और सभी तरफ वास्तविक सोने की तरह दिखती है।

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Basant Ritu Essay In Hindi

Basant Ritu Essay In Hindi

पेड़-पौधों की शाखाओं पर नई और हल्की हरी पत्तियाँ आना शुरु होती है। सर्दियों की लम्बी खामोशी के बाद, पक्षी हमारे चारों ओर घर के पास और आसमान में चहचाना शुरु कर देते हैं। वसंत ऋतु के आगमन पर, वे स्वंय को तरोताजा महसूस करते हैं और अपनी खामोशी को मीठी आवाज के द्वारा तोड़ते हैं। उनकी गतिविधियाँ हमें यह महसूस कराती है कि, वे बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं और भगवान को इस अच्छे मौसम को देने के लिए धन्यवाद कह रहे हैं।

इस मौसम की शुरआत में, तापमान सामान्य हो जाता है, जो लोगों को राहत महसूस कराता है, क्योंकि वे शरीर पर बिना गरम कपड़ों को पहने बाहर जा सकते हैं। अभिभावक सप्ताह के अन्त के दौरान बच्चों के साथ मस्ती करने के लिए पिकनिक का आयोजन करते हैं। फूलों की कलियाँ अपने पूरे शबाव में खिलती है और प्रकृति का स्वागत अच्छी मुस्कान के साथ करती है। फूलों का खिलना चारों ओर खूशबू को फैलाकर बहुत सुन्दर दृश्य और रोमांटिक भावनाओं का निर्माण करता है।

मनुष्य और पशु-पक्षी स्वस्थ, सुखी और सक्रिय महसूस करते हैं। लोग सर्दियों के मौसम में बहुत कम तापमान के कारण अपने रुके हुए कार्य और योजनाओं को इस मौसम में करना शुरु करते हैं। वसंत का बहुत ठंडा वातावरण और बहुत सामान्य तापमान लोगों को बिना थके बहुत अधिक कार्य करने के लिए तैयार करता है। सभी सुबह से शाम तक बहुत अच्छे से दिन की शुरुआत करते हैं, यहाँ तक कि, बहुत अधिक भीड़ होने के बाद भी तरोताजा और राहत महसूस करते हैं।

किसान बहुत अधिक खुश और राहत महसूस करते हैं, क्योंकि वे नई फसल को बहुत महीनों की कठिन मेहनत के बाद अपने घर पुरस्कार के रुप में सफलता पूर्वक लाते हैं। हम होली, हनुमान जंयती, नवरात्री और अन्य त्योहार अपने मित्रों, परिवार के सदस्यों, पड़ौसियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर मनाते हैं। वसंत ऋतु, हमारे और पूरे वातावरण को प्रकृति की ओर से बहुत अच्छा तौहफा है और हमें बहुत अच्छा संदेश देती है कि, सुख और दुख एक के बाद एक आते जाते रहते हैं। इसलिए कभी भी बुरा महसूस नहीं करना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि हमेशा काली घनी रात के बाद सुबह अवश्य होती है।

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वसंत ऋतु पर निबंध – Spring Season Essay in Hindi

आज का यह पोस्ट बहुत ही शानदार होने वाला हैं क्युकी आज के इस पोस्ट में हम ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ वसंत ऋतु के बारे में जानने वाले हैं।

जैसा की हम सभी जानते है की सभी ऋतुओं में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला ऋतु, वसंत ऋतु (Spring Season) ही हैं इसीलिए आज के इस नए पोस्ट में हम ऋतुराज वसंत पर हिंदी में निबंध पढ़ेंगे।

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वसंत ऋतु पर निबंध हिंदी में – Basant Ritu Par Nibandh in Hindi Language

हमारा देश भारत अनेक प्रकार के ऋतुओं का देश हैं जिसमे वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु आदि हैं।

इन सभी ऋतुओ का आनंद हमारे देश के निवासी उठाते हैं। वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है उसके पश्चात वसंत ऋतु का आगमन होता हैं और अंत में ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता हैं।

वसंत का आगमन हिंदी महीने अनुसार फागुन में होता हैं और वह चैत मास तक ठहरता है। सभी ऋतुओं का ऐसा आकर्षक चक्र हमारे देश के अलावा और किसी देश में देखने को नहीं मिलता हैं।

वसंत ऋतू के आगमन से ही शीत ऋतू का भयंकर प्रकोप भाग जाता हैं। वसंत ऋतू में पकृति अपने सबसे मनमोहक रूप में दिखाई देती हैं। चारो तरफ नए-नए फूल खिलते हैं सभी पेड़-पौधे में नए पत्तियां आने लगती हैं।

इस ऋतू के आगमन से ही हमारी धरती का सम्पूर्ण वातावरण हरियाली से भर जाता हैं। गेहूँ के खेतो में रंग-बिरंगी तितलियाँ उरने लगती है।

आम के पेड़ो पर मंजर आने लगते हैं उसके प्रभाव से कोयल के भी कंठ फुट जाते हैं। कोयल की प्यारी कुक चारों और सुनाई पड़ने लगती है।

लोगों के जीवन में एक नया उमंग-सा भर जाता हैं। बसंत ऋतू में मौसम पूरा खुशनुमा बना रहता है। न ही शरद ऋतू की कठोरता और ग्रीष्म ऋतू का भयंकर ताप रहता हैं।

वसंत ऋतू में प्रकृति के कण-कण में नवजीवन का संचार हैं। वसंत ऋतू के समय ही होली का त्यौहार आता हैं इसीलिए होली को वसंतोत्सव भी कहा हैं।

इस समय में खेतों में पकी हुयी फ़सलें हवा के प्रभाव से लहराती हुई रहती है। सभी ऋतुओं में सबसे ज्यादा प्रशंसा बसंत ऋतू की जाती हैं।

वसंत ऋतू पर निबंध हिंदी में (Essay on Spring Season in Hindi Language)

वसंत वर्ष के चार मौसमों में से एक है और इसे नवीकरण और विकास के मौसम के रूप में जाना जाता है। यह वह समय है जब पृथ्वी अपनी लंबी सर्दियों की नींद से जागती है और जीवन में वापस आती है।

पेड़ और फूल खिलने लगते हैं, पक्षी अपने सर्दियों के प्रवास से लौट आते हैं और मौसम गर्म हो जाता है। दिन लंबे हो जाते हैं, और सूरज तेज चमकता है। वसंत नई शुरुआत और नए अवसरों का समय है।

वसंत के सबसे खूबसूरत पहलुओं में से एक इस मौसम में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूलों की कतार है। ट्यूलिप, डैफोडील्स और चेरी ब्लॉसम कई प्रकार के फूलों में से कुछ हैं जो बगीचों और पार्कों में देखे जा सकते हैं।

इन फूलों की ताजा, मीठी सुगंध हवा भरती है, वसंत को बाहर रहने के लिए अविश्वसनीय रूप से सुखद समय बनाती है।

वसंत में गर्म मौसम भी विभिन्न प्रकार की बाहरी गतिविधियों के लिए अनुमति देता है। पार्क में लोगों को सैर, बाइकिंग और पिकनिक के लिए जाते देखा जा सकता है।

बच्चों को बाहर खेलते, पतंग उड़ाते और धूप का आनंद लेते देखा जा सकता है। वसंत एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं।

वसंत ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा, यह मौसम कई छुट्टियों और उत्सवों से भी जुड़ा हुआ है। ईस्टर, फसह और मई दिवस सभी वसंत के दौरान मनाए जाते हैं। ये छुट्टियां परिवारों और दोस्तों को नई शुरुआत और गर्मियों के आने का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाती हैं।

कुल मिलाकर, वसंत नवीनीकरण और विकास का मौसम है। यह एक ऐसा समय है जब पृथ्वी अपनी लंबी सर्दियों की नींद से जागती है और जीवन में वापस आती है। खूबसूरत फूल, गर्म मौसम, और विशेष छुट्टियां वसंत को पोषित करने और आनंद लेने का मौसम बनाती हैं।

Final Thoughts – 

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आपने वसंत ऋतू पर हिंदी में निबंध पढ़ा। अगर आपको यह निबंध अच्छा लगा तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरुर कीजिए।

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  • वर्षा ऋतू पर निबंध हिंदी में – Essay on Rainy Season in Hindi 

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