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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) जनसंख्या वृद्धि एक विकट समस्या पर निबंध (2) जनसंख्या वृद्धि की समस्या और निदान पर निबंध (3) बढ़ती जनसंख्या एवं घटते साधन पर निबंध (4) जनसंख्या वृद्धि के कारण एवं निवारण पर निबंध (5) परिवार नियोजन की अनिवार्यता पर निबंध (6) निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या एवं समाधान पर निबंध (7) जनसंख्या समस्या पर निबंध (8) जनसंख्या की समस्या पर निबंध (9) जनसंख्या का नियंत्रण क्यों जरूरी है पर निबंध

पहले जान लेते है जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1)  प्रस्तावना (2) भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण (3) जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियां (4) जनसंख्या नियंत्रण से लाभ (5) हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण विषयक प्रगति (6) जनसंख्या नियंत्रण के उपाय (7) उपसंहार

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रेलवे के टिकटघर की खिड़की हो अथवा बस स्टैण्ड का टिकटपर, राणन की दुकान है अथवा नाई की दुकान, विद्यालय में प्रवेश हेतु बच्चों के आवेदन पत्र हो अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार की पंक्ति, सर्वत्र ‘एक बुलाया सत्तर आए की कहावत चरितार्थ होती है।

इने सबका एकमात्र कारण हैं जनसंख्या की अतिशय वृद्धि होना, जनसंख्या का विस्फोटन।

हमारे देश में संसार की आबादी का छठवाँ भाग निवास करता है।

जनसंख्या दिनों दिन बढ़ रही है, यह हमारे लिए अति कष्टदायिनी स्थिति है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या विस्फोट के अनेक कारण हैं जिनमें से यहाँ कुछ का उल्लेख किया जा रहा है।

इनमें प्रमुख कारण है-बाल विवाह, बह विवाह, मनोरंजन के साधनां का अभाव, दरिद्रता, गर्म जलवायु, अशिक्षा, संतति निरोध के विषय में जागरूकता का अभाव, परिवार नियाजन के नवीनतम साधनों से अनभिज्ञता तथा पुत्र-प्राप्ति की बलवती इच्छाएँ आदि।

हमारी अशिक्षा और अंधविश्वास जनसंख्या वृद्धि में प्रति वर्ष एक आस्ट्रेलिया जोड़ देते हैं ।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियाँ

जहाँ जनसंख्या बढ़ेगी वहाँ यह निश्चित है कि महँगाई बढेगी तथा अनेक दरिद्रता विषयक व्याधियाँ पैदा हो जायेंगी। भूमि सीमित है।

यदि जनसंख्या अधिक बढ़ गयी तो खाद्यान्न संकट पेदा होगा, लोग भूखों मरने लगेंगे।

कृषि भूमि की कमी, मारपीट, छीना डाफ्टी चोरी- डुकैतियाँ बढ़ेंगी। जीवन-स्तर में बुरी तरह से गिरावट आयेगी ।

अधिक जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, रोटी, कपड़ा और मकान की सही व्यवस्थाएँ नहीं हो सकेंगी।

हमारे देश के लिए तो जनसंख्या वृद्धि अभिशाप बन चुकी है।

इसीलिए तो भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट विषयक हानियों को दृष्टिगत रखते हुए कहा था-

“जनसंख्या के तीव्र गति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना बहुत कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है, जिसे बाढ़ का पानी बराबर बहाए ले जा रहा है।”

जनसंख्या नियन्त्रण से लाभ

इस जनसंख्या वृद्धि से जो हानियाँ हैं, वे ही जनसंख्या के नियन्त्रित करने पर लाभों में परिवर्तित हो जायेंगी।

सभी मनुष्य सुखी एवं व्यवस्थित रहेंगे, पारिवारिक व्यय नियन्त्रित होगा, सीमित पारिवारिक आय के साधनों से सीमित परिवार की प्रगति होगी छोटा परिवार सुखी परिवार होता है।

शिक्षा, यातायात, भोजन, वस्त्र एवं मकान सभी को सुलभ होंगे। अस्पतालो की समुचित व्यवस्था हो सकेगी।

जनसंख्या नियन्त्रित होने पर सुख, शान्ति, समृद्धि एवं शालीनता का विकास होगा

मानवता के सकारात्मक गुण-ब्रह्मचर्य, दया, क्षमत करुणा, सेवा, मैत्री तथा वृद्ध जन सम्मान आदि स्वतः विकसित होंगे।

भाई-चारा, सद्भाव बढ़ेगा, आतंकवाद एवं अलगाववाद से भी मुक्ति मिल जायेगी।

नियन्त्रित जनसंख्या होगी तो आरक्षण की भी आवश्यकता नहीं होगी।

सभी को नौकरियाँ सर्वसुलभ होंगी, कोई भूखा नही मरेगा। देश का जीवन स्तर उन्नत होगा।

महँगाई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

माता-पिता का सभी सम्मान करेगे। कम बच्चे होने पर परिवार का मुखिया उन पर बिशेष ध्यान देगा समाज शान्त रहेगा। चोरी-डकैतियों से मूक्ति मिल जायेगी।

इसलिए इस प्रकार के बेष्ठ सर्वसम्मत एवं कारगर उपाय किये जाएँ जिनसे जनसंख्या की अनियन्त्रित वृद्धि रुक सके।

जनसंख्या वृद्धि तो होगी ही अतः गणितीय आधार पर हो, रेखागणितीय आधार पर नहीं। उसका विस्फोट नहीं होना चाहिए, इसे रोकने के उपाय किये जाएँ।

हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक प्रगति

हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक क्रिया-कलाप सरकार द्वारा किये गये। यह कार्य प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत रखा गया।

प्रथम पंचवर्षीय योजना में यह कार्यक्रम नगर एवं उपनगरों तक ही सीमित रह गया। केन्द्र सरकार ने 146 तथा राज्य सरकारों ने 205 परिवार नियोजन केन्द्र स्थापित किये।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना मे इस कार्य को ग्रामों तक बढ़ाया गया।

तृतीय पंचवर्षीय योजना में सरकार ने ग्रामीणों को परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसके महत्त्व का ज्ञान कराया साथ ही ग्रामों में ग्रामीणों से इसे अपनाने के लिए कहा गया। पुराने केन्द्रों पर ही सुविधाएँ प्रदान की गयीं ।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन को राष्ट्रीय स्तर का महत्त्व प्रदान किया गया तथा परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनाने वाले दम्पत्ति को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित भी किया गया।

जनसंख्या विस्फोट नियन्त्रण हेतु सरकार ने गर्भपात अधिनियम बनाया, अनचाहे गर्भ से मुक्ति प्राप्त करने हेतु वैधानिक, समर्थन दिया।

छठी, सातवीं एवं आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं में सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया लेकिन अशिक्षा एवं अन्धविश्वास सर्वत्र आड़े आये।

गाँव-गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने तथा सम्बन्धित नर-नारियो को पूर्ण सुविधाएँ प्रदान करने के आश्वासन दिये।

जगह-जगह शिविर लगाकर नवीनतम पद्धतियों के विषय में समझाकर जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण कार्यक्रम को गति दी गयी।

आज बर्तन, रुपये तथा भूमिरहित व्यक्ति को भूमि का पट्टा आदि देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने की चेष्टा हो रही है।

जनसंख्या नियन्त्रण के उपाय

जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-

1. बाल विवाह पर रोक लगाई जाये तथा सभी जाति एवं वर्ग हेतु बहुपत्नी प्रथा पूर्णरूपेण समाप्त की जाय।

2. परिवार नियोजन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये।

3. विवाह की आयु का सम्यक् निर्धारण होना चाहिए। लड़की का विवाह 20-21 से ऊपर तथा लड़के का विवाह 25 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही किया जाये।

4. सभी को शिक्षित बनाया जाये, शिक्षितो को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता प्रदान की

5. ‘बच्चे एक या दो ही अच्छे’ और उनके मध्य कम-से-कम पाँच वर्ष का अन्तराल होना चाहिए।

6. एक पुत्र अथवा पुत्री वाले माता-पिता को सम्मानित किया जाये तथा उसे निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाये और अन्य सुविधाएँ रक्षण पालन विषयक दी जायें।

7. अधिक संततियों वाले माता-पिताओं को हतीत्साहित करने के नियम बनाये जायें। उन्हें शासकीय सुविधाओं से वंचित रखा जाये।

8. जनता को परिवार नियोजन साधन अपनाने हेद्र प्रोत्साहित किया जाये।

हमारे देश में अशिक्षा एवं अन्धविश्वास ही जनसंख्या वृद्धि का मूल है। हमें कुरीतिरयाँ मिटानी होंगी तथा शिक्षा प्रसार करना होगा।

सरकार तो प्रयत्नशील दिखाई देती है लेकिन इस भावनाओं एव अन्धविश्वास से जुड़े मामले में उसे उतनी सफलता नहीं मिल रही है जितनी मिलनी चाहिए।

असल में हमें देशवासियों को जागृत करना होगा जिससे जनसंख्या विस्फोट का सामना कर उससे मुक्ति प्राप्त कर सकें।

हम देशवासियों का भी दायित्व है कि हम इस विषय में कभी लापरवाह न हो तथा लघु सीमित परिवार रखें।

“कभी न हों हम लापरवाह, रखें लघु परिवार सुंचाह। चमके सूरज एक अपार, बढ़े नहीं परिवार-कुमार ॥”

अन्य निबन्ध पढ़िये

दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi कैसा लगा ।

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Jansankhya Essay in Hindi

Jansankhya Essay in Hindi: जनसंख्या पर निबंध

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Jansankhya Essay in Hindi

यहां हम आपको “Jansankhya Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Population Essay in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Population Essay in Hindi 100 words 

किसी भी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या सभी के लिए समस्या उत्पन्न करती है। जनसंख्या का अर्थ होता है, किसी देश में रहने वाले लोगों की संख्या। विश्व में ऐसे कई देश है, जो जनसंख्या के मामले में जाने जाते हैं जैसे की चाइना और भारत। पहले चीन जनसंख्या में पहले स्थान पर था। लेकिन अब भारत जनसंख्या में पहले स्थान पर आ चुका है। जनसंख्या बढ़ने के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती है, जैसे कि बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों में कमी आदि। बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों का भी कर्तव्य है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन सख्ती से करना चाहिए।

गर्मी की छुट्टी पर निबंध प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध My School Essay महात्मा गांधी पर निबंध विज्ञान के चमत्कार हिंदी में निबंध

Jansankhya Niyantran Par Nibandh 150 words 

जनसंख्या सभी देशों के लिए महत्व रखती है। जिस देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो उसके लिए यह चिंता की बात होती। जनसंख्या बढ़ने के कारण देश में सुविधाओं की कमी होने लगती है। कम जनसंख्या होने पर सभी लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सारा फायदा मिलता है। इसके अलावा सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मिलता है। भारत आज आबादी में विश्व का पहला देश बन चुका है।

आबादी बढ़ने के कारण सभी सार्वजनिक स्थल जैसे कि अस्पताल, मंदिर ,रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन हवाई अड्डा पर हमेशा भीड़ जमा रहती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। इतनी जनसंख्या का होना देश के लिए चिंता की बात है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन करना चाहिए। सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कर पृथ्वी को बचाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए।

Jansankhya Visfot Par Nibandh 200 words

आज भारत जनसंख्या के मामले में सबसे आगे पहुंच चुका है। भारत में हर साल करीबन एक करोड़ की आबादी जनसंख्या में जुड़ जाती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को काफी तकलीफ हो रही है जैसे कि रहने के लिए आवास की कमी ,खाने के लिए भोजन की कमी, सरकारी सुविधाओं की कमी बेरोजगारी इत्यादि। यदि इस तरह आबादी बढ़ती रही तो एक समय बाद प्राकृतिक संसाधन भी खत्म हो जाएंगे जिसके बाद पृथ्वी पर जीवन जीना संभव नहीं होगा। भारत सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए बताया जा रहा है और लोगों से निवेदन किया जा रहा है कि वे 2 बच्चों से अधिक बच्चों को जन्म ना दें। दूसरी चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि जनसंख्या में ना केवल इंसान बल्कि जानवर भी शामिल होते हैं। लेकिन आज इंसानों की संख्या बढ़ती जा रही है और जानवरों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ने का प्रभाव प्रकृति पर भी दिखाई दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों की सीमा भी सीमित है इसलिए, प्रकृति पर संतुलन बनाए रखने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है।

Jansankhya Essay in Hindi

Increasing Population Essay in Hindi 300 words 

बढ़ती हुई आबादी की समस्या का सामना सभी देशों को करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सारी आबादी का 17% से 19% हिस्सा केवल भारत में है। इसी कारण से भारत आबादी वाले देशों में सबसे पहले नंबर पर है। यह आबादी ना केवल देश के विकास में रुकावट पैदा कर रही है बल्कि प्रकृति के विकास में भी रुकावट पैदा कर रही है। जनसंख्या बढ़ने के कारण इंसानों के अलावा जानवरों को भी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है क्योंकि जहां ज्यादा आबादी होती है वहां सामान्य से अधिक तापमान होता है।

जनसंख्या बढ़ने के नुकसान

जनसंख्या बढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान यह है,कि प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। पृथ्वी पर मौजूद जल भोजन एवं अन्य उपयोगी चीजें सीमित मात्रा में है। अगर हम इसी तरह अंधाधुन इनका इस्तेमाल करते रहे तो 1 दिन यह सब नष्ट हो जाएंगे। जनसंख्या बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। आज भारत में हर शहर में इतनी आबादी है कि विश्व के कुछ देशों में इतनी आबादी नहीं है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी, भुखमरी ,अपराध , अशिक्षा जैसी सभी चीजें उत्पन्न होती हैं।

भारत सरकार द्वारा लगातार लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया जा रहा है। सभी लोगों को अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऐसे कई सारे लोग होते हैं जो किसी कारण बस मां बाप नहीं बन पाते उन्हें बच्चों को गोद लेना चाहिए। इसके अलावा सरकार द्वारा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए निर्देशों का पालन भी करना चाहिए। अगर समय रहते हमने जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया तो 1 दिन ऐसा आएगा कि हमारे पास सांस लेने के लिए खुली हवा तक नहीं होगी। 

Population Explosion Essay in Hindi 500 words

भारत एक प्रगतिशील देश है। जिस तरह भारत देश सभी चीजों में आगे बढ़कर देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है,उसी तरह भारत आबादी में भी आगे बढ़ रहा है। पिछले सालों में भारत में आबादी का कुछ ऐसा विस्फोट हुआ है। जिससे कि भारत की आबादी काफी अधिक बढ़ गई है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इतनी आबादी देश के विकास और देश के लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। बढ़ती हुई आबादी के कारण मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत में जनसंख्या की स्थिति

बात अगर भारत की जनसंख्या की की जाए तो आज 2023 में भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। रिपोर्ट के अनुसार 2011 में हुई जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड़ थी,जो कि विश्व की कुल आबादी का 17% हिस्सा था। भारत की जनसंख्या में हर साल 15% से 17% की वृद्धि हो रही है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में 52% जनसंख्या पुरुषों की है और 48% जनसंख्या महिलाओं की गई। यह जनसंख्या का स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब भारत सरकार को भी अन्य देशों की तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव

बढ़ती हुई जनसंख्या का फायदा तो एक भी नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव कई सारे हैं। जनसंख्या के दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार है, प्राकृतिक संसाधनों की कमी , पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, समाज पर दुष्प्रभाव, सरकारी सुविधाओं पर दुष्प्रभाव, प्राकृतिक खदानों पर दुष्प्रभाव। जैसा कि हम सभी जानते हैं बढ़ती हुई आबादी के कारण हम लगातार वनों की कटाई करते जा रहे हैं जिससे कि वन में रहने वाले प्राणियों का जीवन भी खतरे में पड़ता जा रहा है। मानव अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है लेकिन इसी तरह अगर आबादी बढ़ती रही तो 1 दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

जनसंख्या को बढ़ने से कैसे रोके (Jansankhya Niyantran ke Upay)

जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा। आज भी समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी मानसिकता काफी पुरानी है लोग वंश बढ़ाने के लिए लड़के की चाह में लगातार बच्चे पैदा करते जा रहे हैं। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ आगे बढ़ना होगा। इसके अलावा यौन शिक्षा भी लोगों को देना चाहिए। भारत में सरकार को शादी की उम्र बढ़ा देनी चाहिए। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन के बारे में बताया जाना चाहिए।

सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान देना चाहिए। यदि आज हम समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं देंगे तो अभी समय हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पृथ्वी पर मौजूद सरदार और प्राण देने वाले तत्व सीमित मात्रा में है और बढ़ती आबादी के कारण या तो यह प्रदूषित हो रहे हैं या फिर नष्ट होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब से अधिक हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास रहने के लिए ना तो घर होगा और ना खाने के लिए भोजन।

Population Control Essay in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Jansankhya Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Population Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Jansankhya Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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Jansankhya Visfot Par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) कैसे लिखें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध पर आधारित सैंपल्स

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  • Updated on  
  • अप्रैल 20, 2023

Jansankhya Visfot Par Nibandh

भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जनसँख्या के मामले में चीन को पछाड़ पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। एक साल में भारत की जनसंख्या में 1.56 फीसदी तक बढ़त देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब भारत की आबादी 142.86 करोड़ तक पहुँच गई है जबकि 142.57 करोड़ के साथ चीन दूसरे नंबर पर खिसक चुका है। आईये इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध, jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित सैंपल्स, जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 300 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट किसे कहते हैं?

किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में अचानक निरंतर वृद्धि को जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। यह किसी शहर या देश दोनों में हो सकता है। विश्व की मानव आबादी के सन्दर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जनसँख्या विस्फोट भारत में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि जनसँख्या में वृद्धि से गरीबी और निरक्षरता में बढ़त देखी जा रही है। ऐसे में, देश की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ सकती है। इस समस्या को पहचानते हुए, भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा इसके निवारण के लिए कानून बनाए गए हैं।  

जनसँख्या विस्फोट पर निबंध कैसे लिखें?

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखते समय इन बातों का ध्यान रखें –

  • निबंध की भाषा जनसँख्या विस्फोट विषय के अनुरूप होनी चाहिए।
  • जनसँख्या विस्फोट से संबंधित समस्त तथ्यों की चर्चा की जानी चाहिए।
  • विचारों में क्रमबद्धता एवं तारतम्यता होनी चाहिए।
  • वाक्यों की पुनरावृति से बचना चाहिए।
  • वर्तनी की अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
  • निबंध के अंतिम अनुच्छेद या उप संहार के अंतर्गत पूरे निबंध का सारांश दिया होना चाहिए।
  • निर्धारित शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए निबंध लिखा जाना चाहिए।

जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखने से पहले जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य जान लेना आवश्यक है। 

  • साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। 
  • भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं।
  • उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। 
  • अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
  • केरल राज्य में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। 
  • हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। 

Jansankhya Visfot Par Nibandh

जनसँख्या विस्फोट के मुख्य कारण

जनसंख्या विस्फोट का प्रमुख कारण मृत्यु दर और जन्म दर के बीच बड़ा अंतर होता है, इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं जिनसे जनसंख्या विस्फोट हुआ है जैसे:

  • चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण, हमने जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि और साथ ही मृत्यु दर में कमी देखी है जो लोगों को लंबे समय तक जीने में मदद कर रही है।
  • अशिक्षा के कारण आम जनता में जानकारी और जागरूकता की कमी होने से जनसंख्या में वृद्धि देखी गई है।
  • शिक्षित लोग जन्म नियंत्रण- बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन देश में एक बड़ी आबादी के पास सेक्स एजुकेशन और उचित बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स तक पहुंच नहीं है। 
  • पारंपरिक लोग जो संतान रूप में एक लड़की की अपेक्षा एक लड़के को पसंद करते हैं, परिवार में एक लड़के के पैदा होने तक बच्चे को जन्म देने की कोशिश करते हैं।
  • बाल विवाह भी जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के लिए एक आवश्यक कारक है।

जनसंख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय

जनसँख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय हैं –

  • जनसँख्या निवारण नीतियाँ- योजनाएँ 
  • जनसँख्या विस्फोट के बारे में जागरूकता फैलाना 
  • स्कूल लेवल से ही स्टूडेंट्स को सेक्स एजुकेशन देना 
  • जनसँख्या कानूनों का दृणता से पालन 
  • कानून का उलंघन करने वालों के प्रति कार्यवाही 
  • अलग से एक जनसँख्या मंत्रालय की स्थापना 
  • बाल विवाह प्रतिबंध 
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम का ज़ोर-शोर से प्रचार- प्रसार 

Population Explosion Essay in Hindi 100 शब्दों में

जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होने के कारण भारत चीन को पछाड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिस पर गर्व करना संभव नहीं होगा। यही वजह है कि भारत में 2 चाइल्ड पालिसी को लागू करना कंसीडर किया जा रहा है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी देश की जनसँख्या की मृत्यु दर में कमी होती है, बाल मृत्यु दर में कमी होती है और जन्मदर और जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) में वृद्दि होती है तो इन सबके कंबाइंड इफ़ेक्ट के कारण जनसंख्या में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी देखी जाती है। इसको ही जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। 

यह अक्सर कम विकसित देशों में देखने को मिलता है। भारत में यह स्थिति 1970 के दशक में देखी गई थी। वर्तमान में, भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में कमी आई है। भारत विश्व का सबसे युवा देश माना जाता है। 

यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) 100 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 250 शब्द

भारत के लिए जनसँख्या का विषय काफ़ी चिंताजनक बन चुका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की हर 10 साल के अंतराल में जनगणना की जाती है। इस जनगणना में जनसँख्या वृद्धि दर, जनसँख्या घनत्व, जनसँख्या और उपभोक्ता, मृत्यु- दर, जन्म- दर के आंकड़े भी शामिल होते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। इसके बाद 2021 में अगली जनगणना आयोजित की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। जनसँख्या वृद्धी एक ओर जहाँ देश के विकास में सहायक साबित होती है वहीं यह शोषण का बहुत बड़ा कारण भी बनती है। 

जनसँख्या विस्फोट प्राकर्तिक संसाधनों और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। जनसँख्या में वृद्धि होना, प्राकर्तिक संसाधनों की खपत में वृद्धि से सीधा सम्बंधित है। यह सभी जानते हैं कि चीन को पछाड़कर वर्तमान में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश भारत ही है। भारत दुनिया की 17.5% आबादी के साथ दुनिया के 2.4% भूमि क्षेत्र को घेरता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा अनुमानित है कि 2030 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। 

बाल विवाह, अशिक्षा, गरीबी, रूढ़िवादिता आदि जैसी समस्याओं के निवारण से ही भारत की बढ़ती जनसँख्या दर में रोकथाम संभव है। व्यग्तिगत स्तर पर हम सरकार से आग्रह कर सकते हैं कि जनसँख्या से जुड़े सख्त कानून बनाए जाएं और उनका दृणता से पालन किया जाए। इसके साथ ही हमें जन-जन तक जनसँख्या वृद्धि से सम्बंधित जागरूकता फैलानी चाहिए। 

तो यह था 250 शब्दों में जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) का हमारा सैंपल। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 400 शब्द

किसी भी चीज़ का विस्फोट होना तब कहा जाता है जब वह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है। जब इस तरह इंसानों की जनसँख्या में वृद्धि होती है तो इसे जनसँख्या विस्फोट कहा जाता है। यह चिंताजनक बात है कि जनसँख्या 5 अरब के पार पहुँच चुकी है। इसके साथ ही स्त्री- पुरुष लिंगानुपात में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। 

जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण शिक्षा की कमी, निरक्षरता, उचित सेक्स एजुकेशन की कमी, कर्मकांड, और अंधविश्वास है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को देख लीजिए- यह दोनों राज्य देश के सबसे अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्र हैं और यहीं पर सबसे अधिक अंधविश्वास का प्रचलन होता है। भविष्य में अधिक जनसंख्या संसाधनों के विकास और शोषण की कमी की ओर ले जाती है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक दुनिया में ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

इस तरह की स्थिति में हमारा देश भारत 70 के दशक में फंस गया था। इसके ही कारण है भारत की नीति निर्माताओं द्वारा उस समय “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नशबंदी अभियान चलाया गया था। 

इस प्रकार यह बात स्पष्ट होती है कि जनसँख्या विस्फोट की स्थिति सभी देशों के विकास में बाधक होती है। यह इस तरह की वृद्धि है जिस पर अल्प विकसित देशों को घमंड करने की वजाय शर्म आती है। दूसरी तरफ़ विश्व में जापान, रूस और फ़्रांस जैसे देश हैं जहाँ की जनसँख्या वृद्धि नकारात्मक दौर में पहुँच गयी है। ऐसे देशों की सरकारों द्वारा लोगों से जनसँख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट करी जा रही है और कुछ देशों में एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकार के द्वारा नागरिकों को पैसा भी दिया जा रहा है। 

जनसंख्या विस्फोट में बहुत नकारात्मक तत्त्व हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक देखने को नहीं मिलता है। इसका नियंत्रण करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में इसके प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम और अभियानों को चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जन जागरूकता बढ़ाकर और विभिन्न सख्त जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का आयोजन करके इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर बस इतना करना है कि संभव उपाय करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। 

तो यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) पर 400 शब्दों में हमारा सैंपल। 

एक शोध के अनुसार भारत में प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं।  साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं।

मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण देखा गया है। 

बेबी बूम- जनसँख्या विस्फोट का अच्छा उदाहरण है। अमेरिका में, 1946 और 1964 के बीच जन्म दर में वृद्धि; साथ ही, उस अवधि के दौरान अमेरिका में पैदा हुई पीढ़ी।

आशा करते हैं कि आपको Jansankhya Visfot par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप हिंदी के इसी तरह के और भी आकर्षक ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो आप Leverage Edu Hindi Blogs इस लिंक के द्वारा पढ़ सकते हैं।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध – दुष्परिणाम

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By मनीष कुमार साहू

बढ़ती जनसंख्या पर निबंध

जनसंख्या वृद्धि मतलब, एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होना जिसमें लोगों की संख्या ना चाहते हुए भी इतनी ज्यादा हो जाए कि खाने रहने के लिए स्रोतों की कमी पड़ने लगे।

आज विश्व की कुल आबादी 7 अरब से ज्यादा है जिनमें से सबसे ज्यादा चीन और उसके बाद भारत का नंबर आता है। बढ़ती जनसंख्या इतनी बड़ी समस्या है, कि जिसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है।

अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो किसी देश की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी उस देश की में प्राकृतिक संसाधनों और स्त्रोतों की ज्यादा जरूरत होगी।

और इस स्थिति में उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। चीन ने इस समस्या को पहले ही भांप लिया था, इसीलिए कई दशक पहले उसने एक बच्चे से अधिक पैदा करने पर कई तरह के दण्ड लगा दिए थे। जिसकी वजह से ज्यादातर लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे। हालांकि अब इसमें कुछ बदलाव किया गया है।

खैर, कुछ आंकड़ों पर भी नजर डाल लेते हैं। उत्तरी अमेरिका दुनिया के 16 प्रतिशत भू भाग में है जबकि दुनिया की सिर्फ 6% जनता वहां निवास करती है। उससे भी हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया की 45% इनकम उन्ही के पास है।

दूसरी तरफ एशिया दुनिया के 18% भूभाग पर फैला हुआ है जबकि दुनिया की 67 प्रतिशत जनता इसी भू भाग पर निवास करती है। लेकिन फिर भी विश्व के इनकम का सिर्फ 12% हिस्सा इनके पास है। अगर अफ्रीकी देशों की बात करें तो वहां की स्थिति और भी खराब है।

इन आंकड़ों से एक बात जो आसानी से समझी जा सकती है, वह यह कि अतिक्रमी आबादी वाले देशों की आर्थिक सामाजिक स्थिति हमेशा चिंताजनक ही रहती है। उनके नागरिकों को ना सिर्फ भरपेट भोजन मिलने में दिक्कत होती बल्कि जो भोजन मिलता भी है उसकी गुणवत्ता बहुत कम दर्ज की होती है।

इस अतिक्रमी आबादी का दुष्प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, फिलीपींस, भारत और पाकिस्तान में आसानी से देखा जा सकता है।

7 अरब की आबादी वाले विश्व में 1.3 अरब जनसंख्या के साथ भारत आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। और देश की तमाम गंभीर समस्याओं के साथ यह भी एक गंभीर समस्या है। भारत में कई प्रदेशों की जनसंख्या तो विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। और उनमें सबसे आगे है-उत्तर प्रदेश। जिसमें 166 मिलियन यानी 16 करोड़ से भी ज्यादा की जनसंख्या निवास करती। जो की रूस की जनसंख्या से ज्यादा है। क्योंकि रूस की कुल जनसंख्या लगभग 15 करोड़ के आस-पास की है। इसी प्रकार उड़ीसा कनाडा से छत्तीसगढ़ ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा आबादी वाले प्रदेश हैं।

विषय-सूचि

बढ़ती जनसंख्या के कारण

1. मृत्यु दर के मुकाबले जन्मदर में अधिकता.

किसी भी देश की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव के मुख्य और प्राकृतिक कारण होता है, जन्म दर और मृत्यु दर। भारत में अभी स्थिति यह है कि जन्म दर मृत्यु दर के मुकाबले बहुत अधिक है। 2016 के हिसाब से देखें तो 2016 में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। अर्थात किसी एक निश्चित समय अवधि में 1000 लोगों को बीच 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे हैं।

जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के मध्य 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। यानी हर पल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये नही कहा जा रहा है कि मृत्यु दर को बढ़ाया जाए बल्कि ध्यान इसपर देना चाहिये कि जन्मदर को कैसे कम किया जाय।

2. परिवार नियोजन की कमी

भारत में अधिकतर लोगों के पास अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कोई योजना नहीं होती। उन्हें लगता है कि 15 से 45 वर्ष की आयु में कभी भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, और इस प्रकार उनके कई बच्चे हो जाते हैं।

जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर तब पड़ता है, जब वह बच्चे बड़े होने लगते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते ही साड़ी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।

3. धार्मिक रूढ़िवादिता

भारत जैसे देश में आज भी रूढ़िवादी मानसिकता वाले लोगों की कमी नहीं है, जो यह सोचते हैं कि परिवार बढ़ाने की योजना बनाना गलत है। जो कुछ भी है भगवान की देन है।

अधिकतर वह महिला जो बच्चे को जन्म देने वाली है उनसे इस विषय में कुछ नही कर पाती क्योंकि ऐसा करना भगवान के खिलाफ जाने जैसा हो जाता है।

वहीं मुस्लिम धर्म का तो अलग ही फंडा है, हिंदू के मुकाबले मुस्लिमों का जन्मदर कई गुना ज्यादा है।कुछ सर्वेक्षणों की मानें तो पुराने ख्यालात के साथ-साथ अपनी कौम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के चक्कर में मुसलमान दर्जनों का परिवार खड़ा कर लेते हैं।

4. कम उम्र में शादी

कम उम्र में शादी भी जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। आज के इस आधुनिक युग में भी बहुत सारे बच्चे-बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।

उनकी शादी तभी कर दी जाती है, जब वह ना तो शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट होते हैं और ना ही आर्थिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत होते हैं। इस स्थिति में उनके भी कई सारे बच्चे हो जाते हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि को और बढ़ावा देते हैं।

5. गरीबी

गरीबी भी देश की जनसंख्या बढ़ाने में अहम किरदार निभाती है। बहुत सारे परिवार के लोग इसलिए भी कई बच्चे पैदा कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए बच्चों की सहायता की जरूरत पड़ती है।

उनकी गरीबी उनको मजबूर करती रहती है कि वो कई बच्चे पैदा करें। बच्चे तो हो जाते हैं हैं लेकिन उनका भरण-पोषण वो अच्छे से नहीं कर पाते, जिससे वो गरीब से और गरीब होते चले जाते हैं।

6. शिक्षा की कमी

यहाँ तक जो भी कारण अभी बताए गए हैं, उनका एक कारण है शिक्षा की कमी। अगर पर्याप्त शिक्षा मिले तो परिवार नियोजन की कमी, धार्मिक रूढ़िवादिता, कम उम्र में शादी और गरीबी जैसे मुद्दों पर लड़ाई लड़ी जा सकती है। परिवार नियोजन ना सीधे-सीधे अशिक्षा और अज्ञानता की कमी की ओर इशारा करते हैं, खासकर महिलाओं में।

जो लोग अशिक्षित होते हैं उन्हें आँकड़े नही समझ में आते। उनको ये बात समझना मुश्किल हो जाता है कि देश में जनसंख्या विस्फोट से कितनी समस्याओं का जन्म होता है।

ये तो हो गए अतिक्रमी आबादी (जनसंख्या विस्फोट) के कुछ प्रमुख कारण, अब उनके दुष्परिणाम पर नजर डालते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम

1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव.

अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग होंगे तो उनके खाने-पीने से लेकर रहने और पहनने तक के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत पड़ेगी।

सभी चीजों को उपलब्ध कराने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाएंगे और वही जुगाड़ पृथ्वी पर अपना दबाव बनाता रहेगा। फलस्वरुप ग्लोबल वार्मिंग और खाने-पीने की चीजों की कमी जैसे तमाम मुद्दों पर चिंता बढ़ने लगेगी

2. गरीबी में बढ़ोतरी

जाहिर सी बात है कि लोग ज्यादा होंगे तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा होगा। लेकिन प्रकृति भी एक सीमित मात्रा में संसाधन दे सकती है।

उसके अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है। गरीबी के चलते लोगों के बच्चे ना तो पढ़ पाते हैं और ना ही आगे बढ़ पाते हैं। इस दशा में वो गरीब के गरीब ही रह जाते हैं।

3. पलायन की मजबूरी

इस देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां पर पानी खाना जैसी तमाम प्राकृतिक संसाधनों की कमी है लोग पहले से ही गरीब रहते हैं और बढ़ती पीढ़ी के साथ गरीब चले जाते हैं क्योंकि उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है।

लेकिन जब किसी एक विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा लोग निवास करने लगते हैं, वो भी कम संसाधन वाले क्षेत्र में तो जीवन चलना भी दूभर हो जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहाँ के लोगों को मजबूरी वश पलायन करना पड़ता है।

4. अमीर गरीब का अंतर

एक आदमी अपने घर में आधे दर्जन बच्चे पैदा कर लेता है, क्योंकि वह अशिक्षित है। वह शिक्षित इसलिए है क्योंकि वह गरीब था। और कभी भी लिख पढ़ नहीं पाया था।

अब ये जो आधे दर्जन बच्चे हैं यह भी गरीब ही रहेंगे, क्योंकि यह भी पढ़ लिख नहीं पाएंगे और शिक्षित नहीं हो पाएंगे। ये फिर वही पूरी प्रक्रिया दोहराएंगे जो इनके पूर्वजों ने दोहराया था। इस प्रकार वह हमेशा गरीब ही रहेंगे।

वही अमीर शिक्षित हैं और उसे पता है कि परिवार नियोजन के क्या-क्या उपाय हैं। इसलिए सीमित परिवार ही रखेगा और हर बढ़ती पीढ़ी के साथ अमीर होता चला जाएगा। इस प्रकार अतिक्रमी जनसंख्या से अमीर और गरीब के बीच का फर्क भी बढ़ता ही जाता है

तो यह थे समाज के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतिक्रमी जनसंख्या के पड़ने वाले प्रभाव। अब उनके निस्तारण की ओर चला जाए। आज के इस आधुनिक युग में अतिक्रमी जनसंख्या यानी जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगाने में सफलता पा लेने का मतलब है- गरीबी, अशिक्षा बेरोजगारी आर्थिक पिछड़ापन जैसे तमाम समस्याओं से दूर कर देना।

हालांकि यह सब कुछ कर पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

बढ़ती जनसँख्या का समाधान

1. परिवार नियोजन.

एक समृद्ध और खुशहाल देश के लिए यह जरूरी होता है कि उस देश के आम आदमी स्वस्थ रहें और उनकी जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो।

यह तभी संभव है जब उस देश के आम आदमी इस बात को समझेंगे और परिवार नियोजन के उपाय अपनाकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में अपना योगदान देंगे।

2. नियंत्रित दर

नियंत्रित दर का मतलब यह है कि बच्चों के जन्म के बीच निश्चित अवधि का अंतर होना। जो कि बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने पर जन्मदर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।

दो बच्चों के बीच एक निश्चित अवधि का अंतर होता है तो माता-पिता के साथ साथ बच्चों के स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। जब स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उनकी शिक्षा-दीक्षा भी सही रह पाएगी।

3. अल्पायु में शादी

जैसा की हमने अभी बताया था कि कम उम्र में शादी करना भी अतिक्रमी जनसंख्या का बहुत बड़ा कारण होता है, तो अगर कम उम्र में शादी ना हो तो अतिक्रमी जनसंख्या पर नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी।

हालांकि हमारे देश के संविधान में लड़कियों की शादी 18 और लड़कों की 21 वर्ष में शादी का प्रावधान है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी लोग बहुत कम उम्र में शादी कर देते हैं। जो कि समाज के लिए काफी घातक होता है।

4. महिलाओं का सशक्तिकरण

महिलाओं के सशक्तिकरण से देश बढ़ रही जनसंख्या को कम करने में आसानी मिल सकेगी। बहुत सारे मामलों में देखा जाता है कि परिवार बढ़ाने के मामले में महिलाओं की कोई राय नहीं ली जाती।

महिलाओं को तो इतना अधिकार भी नहीं दिया जाता कि वह अपनी राय सबके सामने रख सकें। वो बस बच्चे पैदा करने की मशीन भर बनकर रह जाती हैं।

ऐसे में अगर महिलाओं में सशक्तिकरण का विकास होगा तो उनमें भी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। और उन निर्णयों को अमल में लाने की क्षमता का भी विकास होगा।

5. प्राथमिक स्वास्थ्य में सुधार

वैसे तो सरकारें हमेशा से ही अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का दावा करती है लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही रहता है। जब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में पूरे जोर-शोर के साथ लगेंगे।

और जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी तभी वह अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा, अच्छा खाना और अच्छी परवरिश दे पाएंगे। जब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छी परवरिश मिलेगी तो वो जनसंख्या विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को अच्छे से समझ पाएंगे। और उसको कम करने की कोशिश करेंगे।

6. शिक्षा में सुधार

शिक्षा एक ऐसी कड़ी है जिसके बिना कुछ भी संभव पाना मुश्किल ही है। शिक्षा अगर नहीं है तो समाज के किसी भी वर्ग का उत्थान नहीं हो पाएगा। शिक्षा रहेगी तो लोगों को अच्छे-बुरे में फर्क करना समझ में आ जाएगा।

साथ ही उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा। उदाहरण के तौर पर किसान को ले लेते हैं क्योंकि किसान एक कमजोर आर्थिक स्थिति से आते हैं। अगर उनको अच्छी शिक्षा ना मिली तो वह वैसे ही रह जाएंगे जैसे उनकी पिछली पीढ़ी थी।

लेकिन अगर उनको अच्छी शिक्षा मिली तो अच्छी पढ़ाई करके वो किसान में ही अमूल चूल परिवर्तन करके अच्छा पैसा कमा सकेंगे या फिर किसान के अलावा भी बहुत कुछ कर सकेंगे ऐसे ही समाज के सभी वर्गों में होगा।

अतः अच्छी शिक्षा से जनसंख्या विस्फोट को कम करने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी।

7. जागरूकता फैलाकर

हमारे देश और समाज में एक बड़ी संख्या में ऐसी आयु वर्ग के लोग हैं जिन्हें अब स्कूल भेज पाना मुश्किल है। लेकिन अगर उन्हें अच्छे से समझाया जाय कि अधिक आबादी के दुष्परिणाम क्या होते हैं तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।

अगर देश पिछड़े इलाकों में लोगों के बीच जाकर किसी भी माध्यम (ऑडियो,वीडियो,प्रिंट,नाटक) से उनके दिमाग में ये बात बैठा दी जाय कि जनसंख्या विस्फोट उनके लिए हानिकारक है तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

[ratemypost]

मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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it is very nice

??Tomorrow is my hindi exam hope this topic will come in the exam and I can do my best as I have no hindi tuition in private and so I have taken a idea from this . The writings that are written in the essay is easy and for me it is helpful also. Pray for me for tomorrow’s exam.??

Thanking You Priyanka

Bahut accha

Tomorrow is my hindi half yearly examination and my hindi book has this topic and the language of our book is very difficult so I searched the topic in Google and I guess it’s the easiest way to learn and understand the topic OVER POPULATION..Hope dis will help,,, THANKYOU 💖👍

It’s nice essay very useful

Bhai sahab ye bachche itne kyon paide hotel Hain? Karan bataen👩‍❤️‍💋‍👨

It’s very nice

nice essay well done

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

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Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words

hindiinhindi Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

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Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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student school jansankhya essay in hindi

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1 Best Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Jansankhya Vriddhi Par Nibandh | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं ।

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है या अच्छा निबंध पढ़ना चाहते है तो – Essay Writing in Hi ndi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi

विगत 50 वर्षों से भारत में बहुत तेजी से Jansankhya Vriddhi हो रही है। चीन को छोड़कर भारत की जनसंख्या विश्व के किसी भी देश से अधिक है यदि हम पूर्व सोवियत संघ अमेरिका ग्रेट ब्रिटेन स्वीडन आस्ट्रेलिया और घाना इन 6 देशों की कुल संख्या को जोड़ने तो भारत की जनसंख्या थोड़ी अधिक हिट होती है किंतु विचित्र विडंबना है कि यदि क्षेत्रफल का अवलोकन करें तो भारत का क्षेत्रफल अमेरिका के क्षेत्रफल का एक तिहाई ही होगा।

1921 के पश्चात तो जनसंख्या में वृद्धि ही है किंतु उसी दशक के दौरान मृत्यु दर अधिक हो जाने से जनसंख्या में कमी आ गई लेकिन तब से आर्थिक विकास और वैज्ञानिक साधनों के कारण मृत्यु दर पर रोक लगी और इस समय या दर घटकर 13 प्रति हजार रह गया है तथा वर्तमान में जन्म दर 34 प्रति हजार है जन्मदर और मृत्युदर के बीच की खाई ही जनसंख्या विस्फोट है। देश में मानव और जीवन निर्वाह संसाधनों के मध्य संतुलन निरंतर स्खालित होता जा रहा है।

भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल भूभाग का 2.4 प्रतिशत है जबकि जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 15% है। Jansankhya Vriddhi का ही आर्थिक विकास पर प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि विकास का भी जनसंख्या पर प्रभाव पड़ता है किसी भी देश की जनसंख्या का वहां के आर्थिक विकास से गहरा संबंध है

जनसंख्या का ना केवल परिणाम आत्मक पहलू भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है कि देश की जनसंख्या का कितना भाग कार्यशील है और निर्भरता अनुपात कितना है कार्यशील लोगों में कितने लोग कार्य कुशल हैं इसका भी बहुत असर पड़ता है यदि जितनी जनसंख्या बढ़ती है और उस बढ़ती हुई जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध होता है देश का उत्पादन बढ़ रहा हो तथा कोई भी व्यक्ति अनूप आदत नहीं है तो यह कोई जनसंख्या समस्या नहीं कही जा सकती लेकिन अपने देश की स्थिति तो प्रदीप उल्टी है।

देश में केवल 33 परसेंट लोग कार्यशील हैं और उनमें भी अधिकांश और कुशल कार्य करता है यहां उत्पादन करने वाले कम तथा उपयोग करने वाले अधिक लोग हैं पर अब जी भी ज्यादा हैं फल स्वरुप आर्थिक विकास के लिए जितना विनियोग किया जाता है उसका 65% जनसंख्या विनीयोग (Population Investment) अर्थात सम्प्रति जनसंख्या के जीवनस्तर को बनाए रखने में ही लग जाता है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण – Jansankhya Vriddhi ke Karan

अतः आर्थिक विकास के लिए केवल 35% भाग ही बचता है जिससे विकास दर का नीचा होना स्वाभाविक है और जन वृद्धि का हमारी आर्थिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विस्मय कारी तथ्य है कि भारत की जनसंख्या बाढ़ क्यों नहीं थम रही है? अनेक कारण उत्तरदाई है। इनमें यहां के लोगों की गरीबी एवं उनके साथ अनिवार्य रूप से जुड़े कारक जैसे अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

आमतौर पर निर्धन लोगों के अधिक बच्चे होते हैं, गरीब लोगों का कोई निश्चित जीवन स्तर नहीं होता है। बौद्धिक स्तर नीचा होने के कारण निर्धन व्यक्ति के संतान सामाजिक और निजी व्यय को भली प्रकार समझ नहीं पाते। आम धारणा होती है कि ईश्वर ने यदि संतान दी है तो आहार देगा ही। विवाह, प्रजनन धार्मिक एवं सामाजिक बंधन माने गए हैं। विवाह प्रथा के व्यापक चलन के अतिरिक्त देश में अपेक्षाकृत छोटी आयु में ही विवाहित जीवन प्रारंभ हो जाता है। जनन क्षमता का अनियंत्रित रूप से उपयोग होता है।

इस कारण जन्मदर ऊंची है। औद्योगिकरण की कमी, बाल श्रम का उपयोग, संयुक्त परिवार प्रणाली तथा सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का संतोषजनक ना होना आदि जन वृद्धि के मूल कारकों में है। साक्षरता और शिक्षा के स्तर का प्रभाव भी समाज पर पड़े बिना नहीं रहता है। आज जो शिक्षा की व्यवस्था है, वह दोषपूर्ण एवं अवैज्ञानिक है। यदि वर्तमान शिक्षा स्तर में तीव्र गति से वृद्धि लाई जाए तो निश्चितमेव जन-नियंत्रण में सहायता मिलेगी।

देश में आधे पुरुष और तीन चौथाई स्त्री अभी भी अशिक्षित हैं। कुल जनसंख्या में लगभग 66% लोग अभी भी अशिक्षित हैं, उच्च शिक्षा प्रतिशत के साथ-साथ जनसंख्या प्रतिशत भी घटा चला जाता है। ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और पश्चिमी जर्मनी में शिक्षा का प्रतिशत लगभग 99% है यही कारण है कि वहां जनसंख्या वृद्धि का प्रतिशत 1% से भी नीचा है। भारत के केरल प्रांत में साक्षरता भारत के साक्षरता औसत की दुगनी है।

Jansankhya Vriddhi को रोकने के उपाय

यही कारण है कि जन वृद्धि दर यहां बहुत कम है। जन वृद्धि में यह हर्ष बिना जोर-जबर्दस्ती के लोगों की स्वेच्छा से है इसलिए जन वृद्धि की बाढ़ को थामने के लिए अधिक से अधिक लोगों को साक्षर करना होगा। सामंती व्यवस्था भी जनवृद्धि का मूल कारण है। पर्दा प्रथा होने के कारण भारतीय स्त्रियां घर में ही रहती है और उनका मुख्य व्यवसाय बच्चा उत्पन्न करना है। हालांकि अब कुछ स्त्रियां खेती कार्यों और नौकरी में भी लग गई है।

यदि वे खेतों पर, उद्योगों में तथा नौकरियों में लग जाए तो अधिक बच्चे के पालन पोषण के उत्तरदाई से स्वयं ही दूर भागने लगेगी। पश्चिमी देशों में स्त्रियों का आर्थिक क्रियाओं में भाग लेना वहां की कम जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदाई है। ना केवल सरकार को अपितु समाज सुधारक को तथा जन सामान्य को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए कि कम से कम 18 वर्ष की लड़की तथा 21 वर्ष से कम आयु के लड़के की शादी नहीं की जाए।

भारत की परिस्थितियों में जनसंख्या नीति को मुल्त: संतति निग्रह का रूप देना होगा। ताकि कम से कम समय के भीतर जन वृद्धि को यथासंभव कम किया जा सके। इसके लिए परिवार नियोजन के संबंध में सुनिश्चित कार्यक्रम निर्धारित करना होगा। और कारगर तौर से उसे अमल में लाना होगा। परिवार नियोजन के संबंध में देश भर के लोगों को समुचित जानकारी देनी होगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 80% लोग बसे हुए हैं।ध्यातव्य है कि जनसंख्या समस्या एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

दलीय भावना से ऊपर उठकर एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। विरोधी दलों को चाहिए कि अपने निहित स्वार्थ के लिए जनता को गुमराह ना करें। ऐसा करना राष्ट्र विरोधी कार्य होगा लोगों के सक्रिय सहयोग के अभाव में जनसंख्या कार्यक्रम को आसानी से नहीं चलाया जा सकता है।

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1 thought on “1 Best Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध”

I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.

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जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ अत्यधिक जनसँख्या हैं। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि। यह या तो किसी शहर में या फिर किसी भी देश में हो सकता है।

जनसंख्या विस्फोट पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Population Explosion in Hindi, Jansankhya Visfot par nibandh Hindi mein)

जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

जब हमारे परिवार में एक बच्चा पैदा होता है, तो हम बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं और हम इस अवसर को मनातेहैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही समय में पूरी दुनिया में कितने बच्चे पैदा होते हैं? शोध में, यह पाया गया है कि प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं। संभवतः यह आपके लिए एक हो सकता, मगर वे जनसंख्या के मामले में कई हो जाते हैं।

जनसंख्या के बारे में कुछ तथ्य

साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं। केरल वह राज्य है, जहाँ देश में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।

जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण

भारत में दुनिया की आबादी का 17.7 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि है जो 135.79 मिलियन वर्ग किमी है। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और चीनदूसरे स्थान पर है। भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है।जनसंख्या के बारे में ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2036 तक इसके 1.52 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है।

अपने दैनिक जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं जैसे हमारे घर के सफाईकर्मी से, खाना बनाने वाले से, आदि। हमें जनसंख्या विस्फोट की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हम इस जानकारी को उनके साथ भी साझा कर सकते हैं और इस तरह से, हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

यूट्यूब पर देखें => Jansankhya visfot par nibandh

निबंध 2 (400 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

भारत को सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। विकास करना वाकई बहुत ही अच्छा है लेकिन इसके कई आयाम होने चाहिए। विकास होना चाहिए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। एक राष्ट्र का विकास अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा, व्यापार, आदि जैसे कई तरीकों से तय होता है।

जनसंख्या विस्फोट क्या है

जनसंख्या में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या खराब नहीं है लेकिन जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो यह अच्छी बात नहीं है।

हर दिन हजारों बच्चे जन्म लेते हैं और मृत्यु दर में विकास के कारण जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। हालाँकि, यह एक अच्छी बात है, कई मायनों में, इसने हमारी आबादी को प्रभावित किया है। चीन और भारत ऐसे पहले दो देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

जब संसाधन कम और लोग अधिक होते हैं और वे आवश्यक चीजें प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह एक चेतावनी है, यह सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास को भी प्रभावित करता है। जब तक वहां रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक एक राष्ट्र विकसित नहीं होगा। ये सुविधाएं शिक्षा, रोजगार, उचित भोजन और अच्छा रहने की जगह हैं। जनसंख्या विस्फोट इन सभी कारकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

  • उचित विज्ञापन द्वारा: विभिन्न जन्म नियंत्रण विधियों का उचित विज्ञापन होना चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सम्बन्ध में कुछ जानते भी नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो इससे सम्बंधित किसी तरह की बात करने या किसी से पूछने में शर्म महसूस करते हैं। जब लोगों के बीच उचित ज्ञान होगा, तो वे इसके बारे में सोचेंगे और इसका उपयोग भी करेंगे।
  • नारी शिक्षा: राष्ट्र के कई ऐसे हिस्से हैं जहाँ लोग महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं लेकिन यह कई मायनों में बहुत आवश्यक है। एक शिक्षित महिला अपने भविष्य के बारे में सोच सकती है और वह निर्णय ले सकती है जो जनसंख्या विस्तार को रोकने में कई मायनों में मददगार है। अत्यधिक जनसंख्या के पीछे अशिक्षा एक बड़ा कारण है।
  • कुछ सरकारी पहल: ऐसे कई देश हैं जो केवल पहले दो बच्चों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। इसी तरह, केंद्र सरकार भी पहले दो बच्चों को विभिन्न लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह हर जगह अपनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर एक उचित अभियान भी चलाना चाहिए।

अत्यधिक जनसँख्या निश्चित रूप से एक समस्या है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह काफी हद तक सही है कि सरकार को कुछ बड़ी बातें करनी चाहिए फिर भी हमें अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। कॉलेजों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों को लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

Essay on Population Explosion

निबंध 3 (600 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट: कारण और कमियां

जब कोई भी चीज निरंतर रूप से अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है। जब यह मनुष्यों के संदर्भ में होता है तो इसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। मनुष्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब जनसंख्या 5 अरब से अधिक हो गई है; सिर्फ इतना ही नहीं स्त्री और पुरुष के लिंगानुपात में भी बहुत बड़ा अंतर है।

जनसंख्या विस्फोट के पीछे कारण

जनसंख्या विस्फोट के पीछे विभिन्न कारण हैं जिनमें से कुछ के बारे में मैंने यहाँ नीचे चर्चा की है:

  • मृत्यु दर में कमी: चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण मृत्यु दर में कमी देखी गई है। हालांकि यह कई मायनों में अच्छा है, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मृत्यु दर जितनी कम होगी जनसंख्या उतनी ही बढ़ेगी।
  • निरक्षरता: निरक्षरता बढ़ती जनसंख्या के पीछे एक और कारण है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। इसके अलावा, एक ऐसा देश जहां बालिकाओं की हत्या आम है और इस परिदृश्य में, बहुत कम लोग हैं जो अपनी बेटी की शिक्षा की देखभाल करते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि कई महिलाएं आज भी निरक्षर हैं। इसलिए, वे परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझती हैं और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं।
  • नए सिद्धांतों का अभाव: ऐसे कई देश हैं जहाँ बच्चों के लिए नियम और कानून हैं। जैसे कि लोगों के एक या दो से अधिक बच्चे नहीं हो सकते। भारत में ऐसा कुछ नहीं है और परिणामस्वरूप, लोग स्वतंत्र हैं और उनके कई बच्चे हैं।
  • कुछ सांस्कृतिक पदानुक्रम: कभी-कभी परिवारों में 5 बच्चे भी होते हैं, क्योंकि हर किसी को एक लड़के की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे हर साल एक बच्चा पैदा करते रहते हैं, जब तक कि वह लड़का न हो। बालिकाओं की हत्या के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। पितृसत्तात्मक समाज ने लड़कों को श्रेष्ठ बनाया है, हालांकि लड़कों के बारे में कुछ खास नहीं है। आज भी, कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विश्वास अभी भी जीवित है और यह भी हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या विस्फोट की कमियां

किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है या तो यह विटामिन और मिनरल्स हो या फिर आबादी। वे समाज में कुछ ऐसा असंतुलन पैदा करते हैं जो कई मायनों में सही नहीं होता है।

  • गरीबी: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप बड़ी संख्या में गरीबों को देख सकते हैं। जितने अधिक सदस्य एक परिवार में होंगे, उतना ही परिवार को कमाने की आवश्यकता होगी और जब वे चीजों को प्रबंधित करने में विफल होते हैं, तो यह स्वतः ही यह उन्हें कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में व्यवधान डालता है। इससे गरीबी को बढ़ावा मिलता है। हालांकि भारत एक विकासशील राष्ट्र है लेकिन यहाँ कई समान रूप से गरीब हैं।
  • बेरोजगारी: यह मुख्य समस्याओं में से एक जो आसानी से देखी जा सकती है। आजकल जनसंख्या की तुलना में बहुत कम नौकरियां रह गयीं हैं। जब ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे तो यह अपने आप गरीबी की ओर ले जाएगा। हर चीज में संतुलन होना चाहिए तभी समाज में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  • अपराध में वृद्धि: हम कह सकते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी सीधे अपराध के समानुपाती हैं। यह साफ़ है कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा और इसे कमाने का कोई स्रोत भी नहीं होगा, तो निश्चित रूप से वे कुछ नकारात्मक कृत्यों की ओर रुख करेंगे। और आजकल आप आयेदिन अख़बारों और टीवी में डकैती या लूट की खबरें रोज पढ़ और देख सकते हैं। अपराध की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या विस्फोट में कई कमियां हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न अभियान चलाया जाना चाहिए।

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विश्व जनसंख्या दिवस 2022 : विश्व जनसंख्या दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है| जैसा की हम जानते ही है की पृथ्वी पर धीरे धीरे जनसंख्या रेट बढ़ता जा रहा है जिसके वजह से बहुत सी समस्या उत्पन्न हो गई है| इसकी वजह से भारी मात्रा में पेड़ काटे जा रहे है जिसके चलते प्रदुषण बढ़ता जा रहा है और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बनने लगा है| हर साल पूरे विश्व में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है| इस दिवस को मनाने का मुख्या कारण सभी लोगो को जनसंख्या संतुलन और बढ़ती आबादी एक बारे में जागरूक करवाना है| आज के इस पोस्ट में हम आपको वर्ल्ड पापुलेशन डे पर एस्से, विश्व जनसंख्या दिवस इंग्लिश निबंध, वर्ल्ड पापुलेशन डे एस्से इन हिंदी, विश्व जनसंख्या दिवस पर एस्से इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के स्पीच प्रतियोगिता, debate competition, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

विश्व जनसंख्या दिवस निबंध

World population day theme 2020: इस साल की विश्व जनसंख्या दिवस 2020 थीम है “Family Planning is a Human Right” यानी की “पारिवारिक योजना एक मानव अधिकार है”| आज हमारे द्वारा दिए गए वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर कुछ संक्षिप्त निबंध (short essays) और लंबे निबंध (long essays), Posters on World Population Day with Slogans , essay writing in school, ये विश्व जनसंख्या दिवस पर भाषण , विश्व जनसंख्या दिवस पर स्पीच, विश्व जनसंख्या दिवस पर नारे , जागतिक लोकसंख्या दिवस निबंध, विश्व जनसंख्या दिवस पर कविता , एस्से ओं वर्ल्ड पापुलेशन डे, Pictures of world population day , topic on world population day, विश्व जनसंख्या निश्चित रूप से आयोजन समारोह या बहस प्रतियोगिता (debate competition) यानी स्कूल कार्यक्रम में स्कूल या कॉलेज में निबंध में भाग लेने में छात्रों की सहायता करेंगे। इन वन महोत्सव पर हिंदी स्पीच हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

11 जुलाई को सालाना पूरे विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में एक महान कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में जनसंख्या मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इसको आगे बढ़ाया गया था जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब (बिलीयन) के आसपास हो गयी थी। 2012 विश्व जनसंख्या दिवस उत्सव के थीम (विषय) के द्वारा पूरे विश्व भर में ये संदेश “प्रजनन संबंधी स्वास्थय सुविधा के लिये सार्वभौमिक पहुँच” दिया गया था जब पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 7,025,071,966 थी। लोगों के चिरस्थायी भविष्य के साथ ही ज्यादा छोटे और स्वस्थ समाज के लिये सत्ता द्वारा बड़े कदम उठाये गये थे। प्रजनन संबंधी स्वास्थ देख-रेख की माँग और आपूर्ति पूरी करने के लिये एक महत्वपूर्णं निवेश किया गया है। जनसंख्या घटाने के द्वारा सामाजिक गरीबी को घटाने के साथ ही जननीय स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये कदम उठाये गये थे। ये विकास के लिये एक बड़ी चुनौती थी, जब वर्ष 2011 में पूरे धरती की जनसंख्या 7 बिलीयन के लगभग पहुँच गयी थी। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद के फैसले के अनुसार, ये अनुशंसित किया गया था कि हर साल 11 जुलाई को वैश्विक तौर पर समुदाय द्वारा सूचित करना चाहिये और आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाना चाहिये तथा जनसंख्या मुद्दे का सामना करने के लिये वास्तविक समाधान पता करना चाहिये। जनसंख्या मुद्दे के महत्व की ओर लोगों का जरुरी ध्यान केन्द्रित करने के लिये इसकी शुरुआत की गयी थी।

Vishwa Jansankhya Diwas Par Nibandh

विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है : संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस जिसे वर्ल्ड पापुलेशन डे भी कहते हैं प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है| इस साल भी यह दिन 11 जुलाई 2020 को मनाया जाएगा| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध लिखें| यहाँ हमने हर साल 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 व 2020 के अनुसार World Population Day essay for school, world population day essay pdf, essay on world population day in 150 words, Thoughts on World Population Day in Hindi , paragraph on world population day, Vishwa Jansankhya Diwas nibandh , विश्व जनसंख्या दिवस पर लेख, विश्व जनसंख्या दिवस 2020 का थीम, essay on world population day for class 9, world population day essay for class 5, world population day essay for students, world population day essay 500 words, वर्ल्ड पापुलेशन डे एस्से, world population day essay hindi दिया हुआ जिसे आप अपने स्कूल कम्पटीशन में लिख सकते है|

विश्व जनसंख्या दिवस आज 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व आबादी से जुड़े मुद्दों और जागरुकता को लेकर मनाया जाता है। यूं तो मानव ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। नए-नए तकनीकि अविष्कार ने मानव जीवन को बिल्कुल बदल कर रख दिया है, लेकिन इस अंधाधुंध विकास के बीच के कई समस्याएं भी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हुई हैं। इनमें एक समस्या है तेजी से बढ़ती जनसंख्या। इसको नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं, लेकिन बावजूद इसके जनसंख्या में वृद्धि लगातान बढ़ती जा रही है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट गहरी चिंता का विषय है। कब हुई शुरुआत विश्व जनसंख्या दिवस की शुरूआत 11 जुलाई 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा की गई थी। उस वक्त विश्व की जनसंख्या लगभग 5 अरब थी। इस जनसंख्या की ओर ध्यान देते हुए 11 जुलाई 1989 को वर्ल्ड पॉपूलेशन डे की घोषणा की गई। क्यों और कैसे मनाया जाता है इस दिवस का उद्देश्य ये है कि विश्व का हर नागरिक इस ओर ध्यान दे और जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के समाधान और इस ओर जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रियाकलाप किए जाते हैं। इनमें शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, सेमिनार और चर्चा शामिल हैं। इन क्रियाकलापों द्वारा परिवार नियोजन और गर्भ से जुड़ी तमाम जानकारियों से लोगों को जागरुक किया जाता है। जनसंख्या से जुड़े भारत के आंकड़े भारत जनसंख्या वृद्धि में दुनिया के कई देशों से बहुत आगे। बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है। आजादी के वक्त (1947) भारत की आबादी 34.20 करोड़ थी जो आज बढ़ कर 1 अरब 25 करोड़ से भी ऊपर पंहुच चुकी है। भारत में दुनिया की 15 फीसद आबादी रहती है और भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भू- भाग है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जनसंख्या वृद्धि किस तरह एक विकराल समस्या है।

Essay on World Population Day in Hindi language

यद्यपि आपको इस कारण के बारे में पता होना चाहिए कि हमने क्यों यहां सबको इकट्ठा किया है लेकिन उन सभी के लिए जो अभी भी यहाँ मौजूद होने के बारे में सोच रहे हैं मैं जल्दी ही इस मीटिंग के उद्देश्य को आपके साथ साझा करूँगा। असल में हमें इस साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किए गए विश्व जनसंख्या दिवस के जश्न के लिए स्थानीय एजेंसियों से एक पत्र प्राप्त हुआ है। यह दिन हर साल 11 जुलाई को लोगों के अधिकारों के प्रचार के लिए मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है और साथ ही उन्हें अपने परिवार की बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद करने के लिए मनाया जाता है। यह लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए घटनाओं, गतिविधियों और सूचनाओं का समर्थन करता है ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें और अपने परिवार के बारे में उचित निर्णय ले सकें। हमारा संगठन पूरे शहर में उत्साहपूर्वक विश्व जनसंख्या दिवस का जश्न मनाने के लिए प्रसिद्ध है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि स्थानीय और साथ ही राज्य सरकार ने हमें अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने और पारिवारिक नियोजन के बारे बात करने के लिए हमारी प्रशंसा की है। सौभाग्य से इस बार हमारे पास लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के अलावा व्यापक योजनाएं हैं। हम उन्हें उन कुछ बीमारियों के बारे में भी सूचित करेंगे जो आपके परिवार के गैर-नियोजन के कारण आक्रमण कर सकती हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में छोटी उम्र में लड़की का विवाह करना अभी भी प्रचलित है। लड़कियों की शादी करने के बाद से ही उनसे बच्चों को जन्म देने की उम्मीद की जाती है और अगर वे लड़की को जन्म देते हैं तो उनसे लड़के को जन्म देने की उम्मीद की जाती है। यह प्रयास उस समय तक चलता है जब तक वे एक लड़के को जन्म नहीं दे देती। दुर्भाग्य से हमारे देश में लिंग असमानता अभी भी एक प्रमुख मुद्दा है। लोगों को शायद ही कभी यह महसूस हो कि अगर एक नाबालिग़ लड़की गर्भवती हो गई तो उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है और यह अंततः उसके अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है जिसे वह जन्म देने वाली है। कुपोषण ऐसी गर्भावस्था से उत्पन्न सबसे प्रमुख रोगों में से एक है।

World Population Day Essay in Hindi

World Population Day Essay in Hindi

आज 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व आबादी से जुड़े मुद्दों और जागरुकता को लेकर मनाया जाता है। यूं तो मानव ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। नए-नए तकनीकि अविष्कार ने मानव जीवन को बिल्कुल बदल कर रख दिया है, लेकिन इस अंधाधुंध विकास के बीच के कई समस्याएं भी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हुई हैं। इनमें एक समस्या है तेजी से बढ़ती जनसंख्या। इसको नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं, लेकिन बावजूद इसके जनसंख्या में वृद्धि लगातान बढ़ती जा रही है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट गहरी चिंता का विषय है। विश्व जनसंख्या दिवस की शुरूआत 11 जुलाई 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा की गई थी। उस वक्त विश्व की जनसंख्या लगभग 5 अरब थी। इस जनसंख्या की ओर ध्यान देते हुए 11 जुलाई 1989 को वर्ल्ड पॉपूलेशन डे की घोषणा की गई। इस दिवस का उद्देश्य ये है कि विश्व का हर नागरिक इस ओर ध्यान दे और जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के समाधान और इस ओर जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रियाकलाप किए जाते हैं। इनमें शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, सेमिनार और चर्चा शामिल हैं। इन क्रियाकलापों द्वारा परिवार नियोजन और गर्भ से जुड़ी तमाम जानकारियों से लोगों को जागरुक किया जाता है। भारत जनसंख्या वृद्धि में दुनिया के कई देशों से बहुत आगे। बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है। आजादी के वक्त (1947) भारत की आबादी 34.20 करोड़ थी जो आज बढ़ कर 1 अरब 25 करोड़ से भी ऊपर पंहुच चुकी है। भारत में दुनिया की 15 फीसद आबादी रहती है और भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भू- भाग है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जनसंख्या वृद्धि किस तरह एक विकराल समस्या है।

World population day short essay in Hindi

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विश्व जनसंख्या 11 जुलाई को मनाया जाता है और आज इसे दुनिया भर में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य वैश्विक जनसंख्या मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाना है। लोगों को परिवार के नियोजन, मातृ स्वास्थ्य, गरीबी के महत्व जैसे विभिन्न मुद्दों से अवगत होना चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक 2016 तक विश्व की आबादी 7 अरब तक पहुंच गई है जो वाकई विश्व के लिए एक गंभीर मुद्दा है। ईश्वर की कृपा से हमें पृथ्वी पर कई संसाधनों का आशीर्वाद मिला है लेकिन क्या हम वास्तव में उन संसाधनों को बनाए रखने में सक्षम हैं या हम इस तरह के संसाधनों को संभाल सकते हैं। नहीं हम इतना सब कुछ नहीं कर सकते। अच्छे भविष्य के लिए हमें इस बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की जरूरत है। इस दिन का जश्न मनाने के उद्देश्य को भी स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जोड़ा जाता है क्योंकि हर साल महिलाएं प्रजनन अवधि में प्रवेश कर रही हैं और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देना जरूरी है। लोगों को परिवार नियोजन, गर्भ निरोधकों और सुरक्षा उपायों के उपयोग के बारे में पता होना चाहिए जो सेक्स से संबंधित मुद्दों को रोक सकते हैं। हाल के अध्ययन के अनुसार यह देखा गया था कि 15-19 आयु वर्ग के बीच के युवा यौन संबंध बनाने की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिससे यौन संचारित बीमारियों का जन्म हो रहा है।

World population day essay in English

Welcome to the celebration of 7th World Population Day. As you know, like every year we are celebrating this day with equal enthusiasm and new theme. In 1989, the Governing Council of United Nations Development Programme recommended to celebrate World Population Day on 11th July with the objective to highlight the importance and urgency to population related issues. As you all know that every year our NGO selects a theme based on population and try to create awareness about the same. So this year’s theme would be gender equality and protection of girl child. Since our establishment, we have been fighting against female foeticide. Girls are equally important as that of boys and perhaps even more because the entire humanity owes its existence to them and they help strike a social balance in our society. There was a great reduction in the number of women compared to men, till few years ago. Due to an increase in crimes rate against women such as dowry deaths, female foeticide, rape, forced illiteracy, gender-based discrimination, etc women have always been suppressed. In order to equalize the boy-girl ratio, it is important that people start saving the girl child. We travel in rural and semi-urban areas in order to identify such cases where women unfortunately become the victims of evil forces in our society. Female trafficking, domestic violence, forced prostitution and female foeticide have become serious threats for the safety of women. Therefore, we try to provide possible assistance to women who are living under deprived conditions so that they can liberate themselves from these inhuman conditions. We also try to make them aware of various acts implemented by the government such as gender equality, protection of women from domestic violence act 2005, proper education, ban of female infanticide, immoral traffic (prevention) act, etc in order to protect them in the society. World population day essay in Malayalam 7-ാം ലോക ജനസംഖ്യാ ദിനത്തിൻറെ ആഘോഷത്തിലേക്ക് സ്വാഗതം. നിങ്ങൾക്ക് അറിയാവുന്നതുപോലെ, ഓരോ വർഷവും ഞങ്ങൾ സമാനമായ ആവേശവും പുതിയ തീമഹാസവും ആഘോഷിക്കുന്നു. 1989-ൽ ഐക്യരാഷ്ട്ര വികസന പരിപാടിയുടെ ഭരണസംവിധാന സമിതി ജനസംഖ്യാ സംബന്ധമായ പ്രശ്നങ്ങളിൽ പ്രാധാന്യം നൽകിക്കൊണ്ട് ജനാധിപത്യ ദിനാചരണം ജൂലൈ 11 ന് ആഘോഷിച്ചു. എല്ലാ വർഷവും നമ്മുടെ എൻജിഒ ജനസംഖ്യാടിസ്ഥാനത്തിലുള്ള ഒരു തീം തിരഞ്ഞെടുക്കുകയും അത് സംബന്ധിച്ച് അവബോധം സൃഷ്ടിക്കാൻ ശ്രമിക്കുകയും ചെയ്യുമെന്ന് നിങ്ങൾക്ക് അറിയാം. ഈ വർഷത്തെ തീം ലിംഗ സമത്വവും പെൺകുട്ടിയുടെ സംരക്ഷണവും ആയിരിക്കും. നമ്മുടെ സ്ഥാപനം മുതൽ, നമ്മൾ പെൺ ഭ്രൂണഹത്യയ്ക്കെതിരേ പോരാടുകയാണ്. പെൺകുട്ടികൾ ആൺകുട്ടികളുടേതുപോലും ഒരുപോലെ പ്രാധാന്യമർഹിക്കുന്നു. കാരണം, മുഴു മനുഷ്യവർഗ്ഗവും അവരുടെ നിലനിൽപ്പിന് കടപ്പെട്ടിരിക്കുന്നതിനാൽ അവർ സമൂഹത്തിൽ ഒരു സാമൂഹിക ബാലൻസ് നിർത്താൻ സഹായിക്കുന്നു. സ്ത്രീകളെ അപേക്ഷിച്ച് വളരെ കുറവ് സ്ത്രീകളായിരുന്നു. സ്ത്രീധന മരണങ്ങൾ, സ്ത്രീ ഭ്രൂണഹത്യ, ബലാത്സംഗം, നിർബന്ധിത നിരക്ഷരത, ലിംഗഭേദം അടിസ്ഥാനത്തിലുള്ള വിവേചനങ്ങൾ മുതലായവ സ്ത്രീകൾക്കെതിരായ കുറ്റകൃത്യ നിരക്ക് വർദ്ധിച്ചതിനാൽ എല്ലായ്പ്പോഴും അടിച്ചമർത്തപ്പെട്ടിട്ടുണ്ട്. ആൺകുട്ടികളുടെ അനുപാതം തുല്യമാക്കുന്നതിന് പെൺകുട്ടി കുഞ്ഞിനെ സംരക്ഷിക്കാൻ തുടങ്ങും. നമ്മുടെ സമൂഹത്തിലെ ദുർബല ശക്തികളുടെ ഇരകളായ സ്ത്രീകളെ അത്തരം സാഹചര്യങ്ങളിൽ തിരിച്ചറിയുന്നതിനായി ഗ്രാമീണ, അർധനഗര മേഖലകളിൽ ഞങ്ങൾ സഞ്ചരിക്കുന്നു. സ്ത്രീകളെ കടത്തൽ, ഗാർഹിക അതിക്രമങ്ങൾ, നിർബന്ധിത വേശ്യാവൃത്തി, പെൺ ഭ്രൂണഹത്യ എന്നിവ സ്ത്രീകളുടെ സുരക്ഷയ്ക്കായി ഗുരുതരമായ ഭീഷണി ഉയർത്തുന്നു. അതുകൊണ്ട്, ദുർബലമായ സാഹചര്യങ്ങളിൽ ജീവിക്കുന്ന സ്ത്രീകൾക്ക് ഈ മനുഷ്യത്വരഹിതമായ സാഹചര്യങ്ങളിൽ നിന്നും തങ്ങളെ മോചിപ്പിക്കുവാൻ കഴിയുമെന്ന് ഞങ്ങൾ ശ്രമിക്കുന്നു. 2005 ലെ ഗാർഹിക അതിക്രമങ്ങൾ, സ്ത്രീകൾക്ക് സംരക്ഷണം, വനിതാ ശിശുഹത്യ നിരോധനം, അധാർമിക ട്രാഫിക് (പ്രിവൻഷൻ) നിയമം മുതലായവയിൽ നിന്നും സംരക്ഷിക്കുന്നതിനായി ഗവൺമെൻറ് നടപ്പിലാക്കിയ വിവിധ പ്രവൃത്തികളെക്കുറിച്ച് അവരെ ബോധവാനായി ശ്രമിക്കുന്നു. സമൂഹം.

World population day essay in gujarati

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7 મી વર્લ્ડ પોપ્યુલેશન ડેની ઉજવણીમાં આપનું સ્વાગત છે. જેમ તમે જાણો છો, દર વર્ષે આપણે સમાન ઉત્સાહ અને નવી થીમ સાથે આ દિવસ ઉજવણી કરીએ છીએ. 1989 માં, યુનાઈટેડ નેશન્સ ડેવલપમેન્ટ પ્રોગ્રામની ગવર્નિંગ કાઉન્સિલે વસ્તી સંબંધિત મુદ્દાઓની મહત્વ અને તાકીદને પ્રકાશિત કરવાના ઉદ્દેશ સાથે 11 મી જુલાઇએ વિશ્વ વસતી દિવસની ઉજવણી કરવાની ભલામણ કરી હતી. જેમ તમે બધા જાણો છો કે દર વર્ષે અમારા એનજીઓ વસ્તી પર આધારિત થીમ પસંદ કરે છે અને તે વિશે જાગૃતિ લાવવાનો પ્રયાસ કરો. તેથી આ વર્ષની થીમ જાતિ સમાનતા અને છોકરીનું રક્ષણ કરશે. અમારી સ્થાપનાથી, અમે સ્ત્રી ભ્રૂણ હત્યા સામે લડતા છીએ. છોકરાઓ એ છોકરાઓની જેમ અને કદાચ વધુ મહત્વનું છે કારણ કે સમગ્ર માનવતા તેમના અસ્તિત્વને બાકી છે અને તેઓ આપણા સમાજમાં સામાજિક સંતુલનને હડતાલ કરવા માટે મદદ કરે છે. પુરૂષોની તુલનામાં સ્ત્રીઓની સંખ્યામાં ઘણો ઘટાડો થયો હતો, થોડા વર્ષો પહેલા. દહેજની મોત, સ્ત્રી ભ્રૂણહત્યા, બળાત્કાર, ફરજ પડી નિરક્ષરતા, લિંગ આધારિત ભેદભાવ વગેરે જેવી સ્ત્રીઓ સામે ગુનાખોરીના દરમાં વધારો થવાને કારણે મહિલાઓ હંમેશા દબાવી દેવામાં આવી છે. છોકરા-છોકરીના ગુણોત્તરને સરખાવવા માટે, તે મહત્વનું છે કે લોકો બાળકને બચાવવા શરૂ કરે છે. અમે આવા કિસ્સાઓ ઓળખવા માટે ગ્રામીણ અને અર્ધ-શહેરી વિસ્તારોમાં મુસાફરી કરીએ છીએ જ્યાં મહિલાઓ કમનસીબે આપણા સમાજમાં દુષ્ટ બળોના ભોગ બને છે. મહિલા વેપાર, ઘરેલું હિંસા, ફરજિયાત વેશ્યાગીરી અને સ્ત્રી ભ્રૂણહત્યા મહિલાઓની સલામતી માટે ગંભીર જોખમ બની ગઇ છે. તેથી, અમે વંચિત પરિસ્થિતિઓ હેઠળ જીવેલા સ્ત્રીઓને શક્ય સહાય પૂરી પાડવાનો પ્રયાસ કરીએ છીએ જેથી તેઓ પોતાને આ અમાનવીય પરિસ્થિતિઓથી મુક્ત કરી શકે. અમે તેમને સરકાર દ્વારા અમલમાં આવતાં વિવિધ કૃત્યો જેમ કે જાતિ સમાનતા, ઘરેલુ હિંસા અધિનિયમ 2005, યોગ્ય શિક્ષણ, સ્ત્રી બાળહત્યા પર પ્રતિબંધ, અનૈતિક ટ્રાફિક (નિવારણ) અધિનિયમ, વગેરેના રક્ષણ માટે તેમને પરિચિત બનાવવાનો પ્રયત્ન પણ કરીએ છીએ. સમાજ.

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Nibandh

जनसंख्या पर निबंध - Essay on Population in Hindi - Jansankhya Essay in Hindi - Jansankhya par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जनसंख्या में वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम - बेरोजागारी - गरीबी - महंगाई - शिक्षा का अभाव - जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार के प्रयास - उपसंहार।

जनसंख्या में वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है।

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हो रहा हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है। यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी कमी हो रही है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकामी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज लोगों को हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं, गर्मी में लू और सर्दी में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों (हवाओं) से बचने के लिए वस्त्र नहीं। खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास-स्थल है।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में आबादी के बढ़ते, देश में लोगों के हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

भारत में महंगाई के बढने के अनेक कारण हैं जैसे जनसंख्या का बढ़ना, उत्पादों की कम आपूर्ति होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी करना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत बढ़ा देना, आदि । महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है जो लगातार बढती जा रही है। जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका साबित होता नजर आ रहा है।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो, देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सकें।

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Hindi Essay on “Badhti Jansankhya” , ” बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

जनसंख्या: समस्या एंव समाधान Jansankhya Samasya evm Samadhan

Best 5 Hindi Essay on “Badhti Jansankhya”

निबंध नंबर :-01

हमारे देश में अनेकांे जटिल समस्याएँ हैं जो देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती हैं। जनसंख्या वृद्धि भी देश की इन्हीं जटिल समस्याओं में से एक है। संपूर्ण विश्व में चीन के पश्चात् भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। पंरतु जिस गति से हमारी जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब यह चीन से भी अधिक हो जाएगी। हमारी जनसंख्या वृद्धि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह 33 करोड़ से 100 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है।

देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेकों कारण हैं। सर्वप्रथम यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकुल है। इसके अतिरिक्त निर्धनता, अशिक्षा, रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण विचार आदि भी जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारण हैं। देश मे बाल-विवाह की पंरपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में विद्यमान है जिसके फलस्वरूप भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं। शिक्षा का अभाव भी जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण हैं। परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञातवश लोग समझ नहीं पाते हैं। इसके अतिरिक्त पुरूष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतान उत्पन्न कर लेते हैं। परंतु इसके पश्चात् उनका व्यतीत भरण-पोषण करने की सामथ्र्य न होने पर निर्धनता व कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।

देश ने चिकित्सा के क्षेत्र मंे अपार सफलताएँ अर्जित की हैं जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर मंे कमी आई है जिसके फलस्वरूप जन्मदर की वृद्धि के साथ ही साथ मृत्युदर में कमी आई है। कुष्ठ तपेदिक व कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हुआ है जिसके कारण भी जनसंख्या अनियंत्रित गति से बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या में बढ़ोतरी का मूल कारण है अशिक्षा और निर्धनता। आँकड़े बताते है कि जिन राज्यों मे शिक्षा-स्तर बढ़ा हुआ है और निर्धनता घटी है वहाँ जनसंख्या की वृद्धि दर में भी हास हुआ है। बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रांतो में जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक है क्योंकि इन प्रांतों मे समाज की धीमी तरक्की हुई है।

देश में जनसंख्या वृद्धि की समस्या आज अत्यंत भयावह स्थिति मंे है जिसके फलस्वरूप देश को अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। देश में उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या अधिक होने का दुष्परिणाम यह है कि स्वतंत्रता के पाँच दशकों बाद भी लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रही है। इन लोगों को अपनी आम भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। हमने निस्संदेह नाभिकीय शक्तियाँ हासिल कर ली हैं परंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज भी करोड़ों लोग निरक्षर हैं। देश में बहुत से बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक स्वस्थ भारत की हमारी परिकल्पना को साकार रूप देना कितना दुष्कर कार्य है।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर अकंुश लगाना देश के चहुमुखी विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियंत्रण से दूर हो जाएगी। सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को और विस्तृत रूप दें। जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं अपिंतु सामाजिक, धार्मिक एंव व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं। सभी स्तरों पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जागृति अभियान छेड़ा जाना चाहिए।

भारत सरकार ने विगत वर्षों में इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं परंतु इन्हें सार्थक बनाने के लिए और भी अधिक कठोर उठाना आवश्यक है। देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें कुछ ऐसे निर्णय भी लेने चाहिए जो वर्तमान में भले ही अरूचिकर लगें परंतु दूरगामी परिणाम अवश्य ही सुखद हों – जैसे हमारे पड़ोसी देश चीन की भाँति एक परिवार में एक से अधिक बच्चे पर पांबदी लगाई जा सकती है। अधिक बच्चे पैदा करने वालों का प्रशासनिक एंव सामाजिक स्तर पर बहिष्कार भी एक प्रभावी हल हो सकता है। यदि समय रहते इस दिशा में देशव्यापी जागरूकता उत्पन्न होती है तो निस्संदेह हम विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना सकती हैं।

निबंध नंबर :-02

बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या

Badhti Jansankhya ek bhayanak samasya

     भूमिका – भारत के सामने अनेक समस्याएँ चुनौती बनकर खड़ी हैं | जनसंख्या-विस्फोट उनमें से सर्वाधिक है | एक अरब भारतियों के पास धरती, खनिज, साधन आज भी वही हैं जो 50 साल पहले थे | परिणामस्वरूप लोगों के पास जमीन कम, आय कम और समस्याएँ अधिक बढ़ती जा रही हैं |

     भारत की जनसंख्या – आज विश्व का हर छठा नागरिक  भारतीय है | चीन के बाद भारत भी आबादी सर्वाधिक है | 

     जनसंख्या-वृद्धि के कारण – भारतीय परंपराओं में बाल-बच्चों से भरा-पूरा घर ही सुख का सागर माना जाता है | इसलिए शादी करना और बच्चों की फौज़ जमा करने में हर नागरिक रूचि लेता है | यहाँ के लोग मानते हैं कि पिता का वंश चलाना हमारा धर्म है | ईश्वर-प्राप्ति के लिए पुत्र का होना अनिवार्य मन जाता है | परिणामस्वरूप लड़कियाँ होने पर संतान बढती जाती है |

     दुष्परिनाम – जनसंख्या के दुष्परिणामों की कहानी स्पष्ट और प्रकट है | जहाँ भी देखो, हर जगह भीड़ ही भीड़ का सम्राज्य है | भीड़ के कारण हर जगह गंदगी, अव्यवस्था और हौचपौच है | देश का समुचित विकास नहीं हो पा रहा | खुशहाली की जगह लाचारी बढ़ रही है | बेकारी से परेशान लोग हिंसा, उपद्रव और चोरी-डकैती पर उतर आते हैं |

     समाधान – जनसंख्या-वृद्धि रोकने के लिए आवश्यक है कि हर नागरिक अपने परिवार को सीमित करे | एक-से अधिक संतान को जन्म न दे | लड़के-लड़की को एक समान मानने से भी जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है |

     परिवार-नियोजन के साधनों के उचित उपयोग से परिवार को मनचाहे समय तक रोका जा सकता है | आज जनसंख्या रोकना राष्ट्रीय धर्म है | इसके लिए कुछ भी करना पड़े, वह करना चाहिए |

निबंध नंबर :-03

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम

बढ़ती जनसंख्याः भविष्य के लिए भयानक चुनौती

जनसंख्या विस्फोट: एक समस्या

                विश्व की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से स्वीकार की गई है कि विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर में जो कमी आई है, उसका कारण चीन सरकार द्वारा उठाए गए कारगर कदम हैं। चीन की सरकार यह भतीभँति जानती है कि जनसंख्या को रोक बिना आर्थिक उपलब्धियाँ नहीं हो सकती।

                यदि हम भारत की स्थिति पर विचार करें तो हमें ज्ञात होगा कि 2001 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 100 करोड़ को पार कर गई है। अब यह आँगडा़ 105 करोड़ छू रहा है। इतनी विशाल जनसंख्या को उपयोग की वस्तुएँ उपलब्ध कराना अपने आप में एक समस्या है। भारत एक गरीब देश हैं इसके संसाधन भी सीमित हैं। जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाए बिना देश में आर्थिक सम्पन्नता लाना अत्यंत कठिन है। जनसंख्या वृद्धि से बहुत अधिक समस्याएँ अत्पन्न होती हैं।

                जनसंख्या वृद्धि से अधिक आवासीय स्थजों की आवश्यकता होती है। अधिक मकान बनाने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। इससे भूमि पर दबाव पड़ता है। कृष योग्य भूमि धन के लालच में बेच दी जाती हैै। कृषि-उत्पादन में गिरावट होती है। आज शहरीकरण के कारण सीमाएँ फैलती जा रही हैं। इस प्रवृति को रोका जाना नितांत आवश्यक है।

                अधिक आबादी के लिए अधिक वस्तुओं की आवश्यकता होगी । न केवल उदरपूर्ति के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक संसाधन जुटाने होंगे। यदि साधन पर्याप्त न हुए तो देश की स्थिति विषम हो जायेगी। अधिक आबादी के लिए अधिक अनाज, अधिक तेल, अधिक कपडा़, अधिक पानी, अधिक यातायात के साधनों की आवश्यमता होगी। पेट्रोल की भी अधिक आवश्यकता होगी। यह सब कैसे प्राप्त किया जाएगा? पैट्रलियम उत्पादों के बारे मे विशेषज्ञों का मत है कि वह 40-50 वर्षो में समाप्त हो जायेगे।

                जनसंख्या-वृद्धि  के कारण शिक्षा-सुविधाओं का आभाव महसूस किया जा रहा है। देश की बहुसंख्या को शिक्षा की प्रथमिक सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं। देश में पर्याप्त मात्रा में प्रथमिक स्कूल, माध्यमिक स्कूल, काॅलेज व शैक्षणिक संस्थाओं का आभाव है। जब तक देश के सभी बच्चों को शिक्षा की सुविधा नहीं मिलेगी तब तक इस देश का सर्वांगीय विकास संभव नहीं है। इस देश की समस्त समस्याओं के मूल में अशिक्षा है।

                जनसंख्या-वृद्धि के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की भी बहुत कमी है। देश की अधिकांश जनसंख्या को स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधएँ भी प्राप्त नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों की संख्या सीमित है। जो सरकारी अस्पताल हैं उनमें बहुत अधिक भीड़ है। देश की गरीब जनता निजी अस्पतालों का महँगा खर्च वहन नहीं कर सकती। इस वजह से गरीब लोग इन सुविधाओं के आभाव में मरने को मजबूर हैं।

                हर व्यक्ति चाहता है कि उसे रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ-साथ अधिक संतान उत्पन्न करना भी प्रत्येक व्यक्ति अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। सरकार के लिए यह संभव नही है कि वह नियोजन के बिना सबको रोजगार उपलब्ध कराए। इसके साथ-साथ सबको रोजगार न मिलने पर अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इससे आर्थिक अपराध बढ़ते हैं। समाज मंे अव्यवस्था फैलती है। राज्य के राजस्व पर अधिक बोझ पड़ता है। इससे देश में असंतोष पैदा होता है। शासन-व्यवस्था में अस्थिरता आती है। इससे देश कमजोर होता है और उसकी एकता एवं अखंडता खतरे में पड़ जाती है। छोटी-छोटी सी समस्याओं को लेकर आंदोलन चलते रहते हैं। इसके लिए राजनीतिक दल भी पूरी तरह उत्तरदायी हैं। वे निकृष्टतम हथकंडे अपनाने तक को तैयार हो जाते हैं।

                उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि जनसंख्य-वृद्धि किसी भी दृष्टि से किसी भी देश के लिए हितकर नहीं है। इसे रोकना होगा। देश तभी प्रगति के तथ पर आगे बढ़ सकेगा जब परिवार नियोजित रहें। जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक निर्धन वर्ग में होती है। प्रश्न यह उठता है कि जनसंख्या पर काबू किन उपायों से पाया जा सकता है।

                जनसंख्या रोकने के लिए सर्वप्रथम जागरूकता का होना आवश्यक है। लोगों को यह समझाना होगा कि छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। यदि परिवार छोटा होगा तो माता-पिता अपनी संतान का पालन-पोषण बेहतर ढ़ंग से कर सकंेगे, उन्हें बढ़िया कपडे़ , पौष्टिक भोजन एवं अच्छी शिक्षा दिलाई जा सकती है। बच्चों एवं माताओं के स्वस्थ रहने के लिए परिवार को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।

                लड़के के पैदा होने की कामना भी जनसंख्या को बढ़ाती है। अब हमें लड़के-लड़की को एक समान मानना होगा। समाज में लड़की को सम्मान दिलाने से भेदभाव स्वयं मिट जाएगा। इसके बाद हम लड़की के बाद लड़के की कामना करना स्वयं छोड़ देंगे। ’एक ही संतान काफी है’ -यह विचार परिवार नियोजन के लक्ष्य को पूरा कर सकता है।

निबंध नंबर :-04

भारत की जनसंख्या की समस्या

Bharat ki Jansankhya Samasya 

भारत एक विशाल देश है। उसकी आबादी अधिक है। 1991 की जनगणना के अनुसार देश की आबादी 843,930,861 है। 1981 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार यह 683,810,051  थी। अप्रैल 1971 की जनगणना में देश की आबादी 547,949,809 थी।

जबकि 1961 में लगभग 44 करोड़ और 1951 में लगभग 36 करोड़ थी। पिछले दस वर्षों के दौरान जनसंख्या उल्लेखनीय रूप में बढ़ी है। इस प्रकार जन्म-दर में विशेष गिरावट नहीं आयी है, जबकि मृत्यु-दर में पर्याप्त कमी है। अधिकारिक सूचनाओं के अनसार 1961 से 1970 के बीच जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति 41.1 थी और उसी दौरान मत्य-दर प्रति एक हजार व्यक्तियों पर 18.9 थी। इस बात का पता लगाया जा चुका है कि अप्रैल 1974 में जन्म-दर प्रति हजार व्यक्ति केवल 35.4 थी। किन्तु हमारा पूर्व निश्चित लक्ष्य जन्म-दर को प्रति हजार व्यक्ति 32 करने का है।

अब जन्म-दर 30.05 प्रति हजार है तथा मृत्यु दर 10.02 प्रति हजार है। पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 1000 : 929 है।

इन आंकड़ों से यह प्रकट होता है कि देश एक बहुत बड़ी जनसंख्या सम्बन्धी समस्या का सामना करने वाला है। प्रत्येक बच्चे के विकास के साथ देश के साधन काफी सीमा तक प्रभावित होते हैं। जब वह बड़ा होता है तो उसे रोजगार तथा दूसरी अन्य सुविधाओं की जरूरत होती है, अतः सरकार का सबसे अधिक बल परिवार कल्याण के कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन पर है।

आपातस्थिति के दौरान सरकार परिवार नियोजन के कार्यक्रम को लागू करने की भरपूर कोशिश कर रही थी और मोटे अनुमान के अनुसार लगभग एक करोड़ आदमी उससे प्रभावित हुए थे। उस दौरान हालांकि परिवार नियोजन के क्षेत्र में सरकार को बहुत अधिक सफलता मिली थी, किन्तु अधिकारियों द्वारा अनुचित बल-प्रयोग का भी उसमें बहुत बड़ा हाथ था जिससे प्रजा में रोष फैल गया और त्राहि-त्राहि मच गई।

बाद में परिवार नियोजन कार्यक्रम की पद्धति में परिवर्तन किया गया और कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘परिवार कल्याण कार्यक्रम’ कर दिया गया। सरकार ने उन लोगों की आर्थिक क्षतिपूर्ति भी की जो परिवार नियोजन के असफल आपरेशनों से प्रभावित हुए थे। साथ ही परिवार नियोजन में बल-प्रयोग की भर्त्सना की गई किन्तु विभिन्न प्रचार माध्यमों से लोगों के अन्तःकरण को परिवार नियोजन के महत्त्व के बारे में प्रभावित करने की नीति को अधिक प्रभावी माना गया।

लोग स्वेच्छा से चाहें तो कुछ विशेष जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं या आपरेशन का रास्ता अपना सकते हैं, किन्तु सरकारी प्रचार का माध्यम अखबार व अन्य संचार-साधन ही हैं। उनमें सिर्फ इसी बात का प्रचार किया जाता है कि परिवारों के आकार को छोटा किया जाए। सरकार का ध्येय है कि जनता की भलाई और सरकार किसी भी कार्यक्रम को जनता की इच्छा से ही क्रियान्वित करना बेहतर समझती है।

इसके साथ ही, सरकार योग व जड़ी-बूटियों द्वारा नियन्त्रण करने के साधनों का प्रचार भी कर रही है और चारित्रिक दृढ़ता को भी प्रमुखता दे रही है। इस प्रकार सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करने के लगभग सभी सम्भव प्रयत्न कर रही है, किन्तु इस उद्देश्य के लिये बल-प्रयोग किया जाना बहुत ही कठिन कार्य है। सबसे अच्छा तरीका आत्म-नियन्त्रण तथा अन्य ऐसे ही साधन हैं। अतः वर्तमान सरकार परिवार सीमित करने के कार्यक्रम को लोकप्रिय बना रही है और साथ ही जनसंख्या की वृद्धि के प्रति सचेत भी है।

निश्चय ही जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा, किन्तु केवल प्राकृतिक तरीकों से ही और जनता की स्वेच्छा से ही यह सम्भव हो सकेगा। बल प्रयोग करने से यह उद्देश्य घपले में पड़ जाएगा, जिसके लिए जनसंख्या नियन्त्रण का कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। मनुष्यों को छोटे परिवार के गुणों तथा उनकी अपनी ही भलाई के बारे में अवगत कराया जाएगा।

निबंध नंबर :-05

बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या और समाधान

Badhti hui jansankhya samasya aur samadhan.

आज विश्व की जनसंख्या में जिस तीव्र गति से वद्धि हो रही है उसे देखते हए ऐसा प्रतीत होता है कि शीघ्र ही खाद्य पदार्थों की कमी हो जाएगी । माल्थस के सिद्धान्त के अनुसार जनसंख्या जयामितीय (Geometrical) गति से और उपज अंक-गणितीय (Arithmetical) के हिसाब से बढ़ती है। दोनों की गति में इतना अन्तर है कि एक दूसरे से सन्तुलन नहीं बैठाया जा सकता। भारत की बढती हुई जनसंख्या राष्ट्र की एक भयानक समस्या है । देश की समृद्धि के लिए सरकार द्वारा किए गये कार्यों में गतिरोध उत्पन्न होने का एक प्रमुख कारण जनसंख्या का निरन्तर बढ़ना है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब पचास लाख के लगभग पहुँच चकी है । प्रो. कार साण्डर्स का मत है कि यदि यह वद्धि इसी गति से होता रही तब पाँच सौ वर्षों के पश्चात् विश्व की जनसंख्या इतनी हो जाएगी कि मनुष्यों का रहना तो दूर पृथ्वी पर खड़े होने के लिए स्थान नहीं रहेगा ।

भारत में बढ़ती हुई इस जनसंख्या के अनुपात में यहां के आर्थिक उत्पादन नहीं बढ़ पा रहे हैं । भूमि और अन्य प्राकतिक साधन सीमित है । सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम “ गरीबी हटाओ और उत्पादन बढ़ाओ “ आदि भी इसीलिए विफल हो रहे हैं । औद्योगिक उत्पादन में भी पांच गुना वृद्धि हुई है परन्तु गरीबी जहाँ की तहाँ है । इसका मूल कारण है जनसंख्या में अनियन्त्रित वृद्धि ।

वेदों में दस दस पुत्रों की कामना की गई है । सावित्री ने यमराज से अपने लिए सौ भाइयों तथा सौ पुत्रों का वरदान मांगा था । कौरव सौ भाई थे। पंडित जी भी किसी को वरदान देते समय यही कहा करते थे ‘दूधो नहाओ, पुतों फलो’ या फिर ‘ तुम सात – सात पुत्रों का मुँह धोओ ‘ । यह सब उस समय की बातें हैं जब जनसंख्या इतनी कम थी कि समाज की समृद्धि, सुरक्षा और सभ्यता के विकास के लिए जनसंख्या की वृद्धि की अत्यन्त आवश्यकता थी । आज की स्थिति बिल्कुल विपरीत है । 1981 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 68.4 करोड़ थी । 1991 में यह संख्या 88 करोड़ जा पहुंची है और अब 2000 में हम एक अरब पचास लाख की संख्या पार कर चुके हैं ।

वास्तव में देश की जनसंख्या ही उसकी शक्ति का आधार होती है परन्तु जब यह जनसंख्या अनियन्त्रित एवं असाधारण रूप से बढ़ती है तो यह देश पर एक बोझ ही होगा । सीमा से अधिक आबादी किसी भी देश के लिए गौरव की बात नहीं कही जा सकती है । भारत इस समय विश्व में जनसंख्या की दष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश है । चीन जनसंख्या की दृष्टि से पहला बड़ा देश है । यदि भारत की जनसंख्या इसी प्रकार बढ़ती गई तो ऐसा लगता है भारत चीन से भी आगे बढ़ जाएगा ।

परिवार नियोजन का लक्ष्य है परिवार के स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए उपयुक्त वातावरण बनाना। यह काम और भी सरल हो जाए यानि क्रमिक उन्नति, दाम्पत्य जीवन सम्बन्धी विज्ञान तथा वैवाहिक जीवन में सामंजस और असामंजस्य के कारणों अथवा पारिवारिक जीवन की समस्याओं का अध्ययन किया जाए। परिवार नियोजन का असली लक्ष्य परिवार सीमित करने तक ही सीमित नहीं है । परिवार नियोजन के कार्य में केवल कम बच्चे उत्पन्न करना और उनके जन्म में अन्तर देना ही नहीं वरना ऐसे और भी कार्य हैं जो परिवार के कल्याण के लिए आवश्यक हैं जिससे परिवार की सामंजस्य पूर्ण वृद्धि और उन्नति हो ।

कुछ विद्वानों का विचार है परिवार नियोजन जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए एक अमानवीय उपाय यह है कि जीवन स्तर को गिरा दिया जाए, मृत्यु की दर को बढ़ा दिया जाए परन्तु यह बात एक सभ्य समाज में चल नहीं सकती । भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग हैं । देश में कुछ धार्मिक लोग हिन्दुओं की जनसंख्या घटने के कारण परिवार कल्याण जैसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ईसाई तथा इस्लाम धर्म को मानने वाले भी धार्मिक दृष्टि से ऐसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं । ऐसी देश विरोधी भावनाओं को देश के हित की दृष्टि से नष्ट करना ज़रूरी है।

आज भी भारत में रहने वाले निर्धन लोग जनसंख्या वृद्धि में गौरव का अनुभव करते हैं । केवल शिक्षित वर्ग ही इस बात को समझता है । इसीलिए वह परिवार कल्याण के कार्यक्रमों में विश्वास रखता है और अपनाता है । सरकार को चाहिए कि एक तो कम आय वाले लोगों और दूसरे दो बच्चों के पश्चात् कानूनी तौर पर नसबन्दी आप्रेशन आवश्यक हो । नहीं तो भारत का मानव केवल भोगवादी बनकर रह जाएगा । भोग में सख और शान्ति प्राप्त नहीं होती ।

अन्त में हम कह सकते हैं कि भारत सरकार ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार नियोजन तथा शिक्षा प्रसार के अनेक प्रयत्न किए हैं । गर्भपात के लिए भी कानून बनाया है तथापि यह स्वीकार करना होगा कि सरकार द्वारा किए गए प्रयलों का फल उतना प्राप्त नहीं हुआ है जितना होना चाहिए । अत: यह आवश्यक है कि सरकार गम्भीरतापूर्वक विचार कर त्रुटियों को दूर करे तथा देश एवं जनता के कल्याण के लिए कठोर नीति अपनाकर दृढ़ता से जनसंख्या नियन्त्रण के उपायों को लागू करे । तभी देश उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है ।

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बढ़ती जनसंख्या

Badhti Jansankhya

Hindi-Essays

Essay No. 1

आज स्वतंत्र और विकासशील भारत की सबसे बड़ी समस्या है उसकी जनसंख्या। इस समस्या से जुड़े अन्य अभिशाप हैं गरीबी और बेरोजगारी ।

भारत में हर एक मिनट में 47 बच्चे जन्म लेते हैं।  भारत भूमि पर जीवन निर्वाह के लिए साधन वही हैं जितने पहले थे। बढ़ती आबादी का बोझ सीमित अन्न-धन पर पड़ने से विकास कार्यों की गति भी धीमी हो जाती है।

अनपढ वर्ग में यह समस्या अधिक है क्योंकि उन्हें लगता है कि जितने हाथ होंगे, उतनी ही कमाई करेंगे। साक्षर लोगों में इस समस्या का मूल कारण लड़के और लड़की का भेद है क्योंकि उन्हें पुत्रियों के बाद पुत्र की कामना होती है।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों में बढ़ते रोग, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, मॅहगाई, चोरी आदि हैं। हर स्थान पर बढ़ती भीड़, गंदगी और अव्यवस्था खुशहाली के विपरीत लाचारी ला रही है।

लड़के और लड़की की समानता और एक या दो बच्चों के नियम को बढ़ावा देना ही इस समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। सीमित जनसंख्या ही देश के विकास का भरपूर लाभ उठा सकती है।

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप

Badhti Jansankhya ka Bhayavah Roop

Essay No. 2

विचार-बिन्दु- • जनसंख्या वृद्धि-एक भयावह समस्या  • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है-जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 120 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या का पहला कारण है-अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चों को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ता जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही है।लोगों का बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि वह परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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Jansankhya vridhi ki samasya essay in hindi.

दोस्तों आज का हमारा टॉपिक बेहद खास है यह टोपिक है jansankhya vriddhi essay in hindi दोस्तों आज जनसंख्या वृद्धि तेजी से बढती जा रही हैं आज हमारे देश में जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है,किसी भी देश में इतनी तेजी से जनसंख्या नहीं बढ़ी,

Jansankhya vridhi ki samasya essay in hindi

जनसंख्या वृद्धि हमारी बहुत सारी समस्याओं में से एक है कहते हैं किसी भी चीज की अति बहुत बुरी होती है हम किसी भी क्षेत्र में देखें अति तो बुरी होती है इसी तरह जनसंख्या वृद्धि होना हमारे लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या है,सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए लेकिन फिर भी जनसंख्या बहुत ही तेजी से बढ़ रही है,दोस्त पहले के मुकाबले जनसंख्या बहुत ही तेज गति से बढ़ रही है इस और सरकार ने भी बहुत से कदम उठाए हैं.

जनसंख्या के संदर्भ में बहुत सारे नारे भी दिए हैं हम दो हमारे दो और साथ में बहुत से प्रशिक्षण केंद्र भी खोले हैं साथ में देश के लोगों को टी वी चैनल रेडियो के माध्यम से इसके बारे में जानकारी दी जाती है,दरअसल एक बहुत ही गंभीर समस्या है,आज हमारे देश में वैसे भी बेरोजगारी है सोचीये कि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा,हमें इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

कुछ लोग तो ऐसा मानते हैं कि बच्चे भगवान की देन होते हैं उन्हें समझाने की जरुरत है जनसंख्या नियंत्रण करना हमारे हाथ में ही है,दोस्तों एक अनुमान के अनुसार 2025 तक भारत की जनसंख्या लगभग 15 अरब हो जाएगी,अगर जनसंख्या इतनी बढ़ेगी तो कितनी समस्या हमारे देश में पैदा होंगी आज हम देखें तो पूरी दुनिया में सबसे बड़ी आबादी बाला एक देश है चीन लेकिन एक अनुमान के अनुसार 2025 या 2030 तक भारत चीन से भी जनसंख्या के मुकाबले में आगे निकल जाएगा क्योंकि भारत की वृद्धि दर बहुत ही तेजी से है.

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दोस्तों लोगों को सोच बदलने की जरूरत है जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसानों के बारे में सोचने की जरूरत है दरअसल यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है कहते हैं एक से कुछ नहीं होता है लेकिन अगर हर एक इंसान अपने आप को बदलने की कोशिश करें तो देखते हुए पूरी दुनिया बदल सकती है

इसलिए हम सभी को बारी-बारी से इस ओर सोचने की जरूरत है और हम दो हमारा एक जैसे नारे की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि अगर जनसंख्या बढ़ेगी तोह हमारे देश में बेरोजगारी होगी,अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो बच्चों को पढ़ाने की समस्याएं आएंगी,अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो खेती-किसानी हमारे देश में लोगो की जरुरत के हिसाब से कम होती जाएगी जिससे लोग खेती किसानी पर डिपेंड नहीं रह सकेंगे.

दोस्तों हमारे देश में पहले के मुकाबले में बहुत सारी सेवाएं जेसे की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से बेहतर हैं लेकिन जनसंख्या वृद्धि बढ़ती जा रही है इसको रोकने की जरूरत,आज हम इस दुनिया में हैं तो हमारी जरूरत भी हैं और उन जरूरतों को पूरा होना भी जरूरी है लेकिन अगर जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो सोचिये हमारी जरूरते कैसे पूरी होंगी क्योंकि इतने संसाधन हमारे बीच में नहीं पहुंच पाएंगे जिससे हमारी पूरी आवष्यकताओं की पूर्ति कर सकें

दोस्तों हमको इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और जनसंख्या विस्फोट होने से पहले इसे रोकने की जरूरत है वरना लोगों के सामने रहने की प्रॉब्लम हो सकती है खाने की प्रॉब्लम आ सकती है और तो और परिवार में लड़ाई झगड़े की समस्या आ सकती है.

दोस्तों जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि अशिक्षित होना हैं जिसके कारण लोग बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं उनको उसके नुकसान के बारे में जानकारी नहीं है उनको नुकसान के बारे में जानकारी होना चाहिए और इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए तभी हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि कम हो सकती है इसके अलावा लोगों को रोजगार,अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में सोचने की जरूरत है अगर ज्यादा बच्चे होंगे तो उनकी पढ़ाई और उनकी देखरेख की जिम्मेदारी घरवाले सही से नहीं कर पाएंगे लेकिन अगर कम बच्चे होंगे तो उनकी जिम्मेदारी मां बाप अच्छे से निभा सकेंगे,इससे उनका और उनके बच्चों का भविष्य बन सकेगा लेकिन अगर जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो हम सब का भविष्य खराब हो सकता है

जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारी जमीन भी कम होती जाएगी जैसे जैसे बहुत सारे लोग आते जाएंगे जमीन भी कई हिस्सों में विभाजित होती चली जाएगी जिससे लोगों में झगड़े हो सकते हैं और रहने और कृषि करने के बारे में बहुत सी प्रॉब्लम आ सकती हैं इस ओर हम सभी को विशेष रुप से सोचना चाहिए,इससे हमारे देश में जनसंख्या नियंत्रण हो सके.

दोस्तों जनसंख्या विस्फोट की तरह हैं और अगर इसे ना रोका गया तो दुनिया के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में सबसे पहला नाम हमारा होगा क्योंकि जनसँख्या वृद्धि हमारे भारत देश की बहुत तेज है इस और हम सभी को सोचने की जरूरत है और पढ़े लिखे लोगों को अनपढ़ गरीब लोगों को इस और जानकारी देने की जरूरत है जिससे लोग इस और लोग ध्यान दे और आने वाली जनसंख्या प्रॉब्लम को रोका जा सकता सके.

ये भी पढें- गरीबी एक अभिशाप निबंध Hindi essay on garibi ek abhishap

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

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  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

  • केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
  • नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
  • एनवीएस एडमिशन कक्षा 9

जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

Automation test engineer.

An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
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  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
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  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
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  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
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  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
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  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
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  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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