Hindi Nibands for ICSE Students: Top 20 Hindi Essays

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List of popular Nibands for ICSE Students in Hindi Language!

स्वामी विवेकानंद पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

महाराणा प्रताप पर निबन्ध | Essay on Maharana Pratap in Hindi

गुरु नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

कंप्यूटर : आज की आवश्यकता पर निबन्ध | Essay on Computer : Todays Necessity in Hindi

विज्ञान: एक अभिशाप पर निबन्ध | Essay on Science : A Curse in Hindi

दैनिक जीवन में विज्ञान का प्रभाव पर निबन्ध | Essay on Impact of Science in Daily Life in Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

विज्ञान : एक वरदान पर निबन्ध | Essay on Science : A Blessing in Hindi

ADVERTISEMENTS:

टेलीविजन (दूरदर्शन) पर निबन्ध | Essay on Television in Hindi

छत्रपति शिवाजी पर निबन्ध | Essay on Chatrapati Sivaji in Hindi

हमारा प्यारा देश पर निबन्ध | Essay on Our Beloved Country in Hindi

भारत के गाँव पर निबन्ध | Essay on Indian Village in Hindi

मेरा गाँव पर निबन्ध | Essay on My Village in Hindi

समाचार-पत्र पर निबन्ध | Essay on News Paper in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध | Essay on Environmental Pollution in Hindi

चलचित्र (सिनेमा) पर निबन्ध | Essay on Cinema in Hindi

गाँव भला कि शहर पर निबन्ध | Essay on Village Life Versus City Life in Hindi

हमारा शहर पर निबन्ध | Essay on Our Town in Hindi

इंटरनेट और सूचना प्रौद्योगिकी पर निबन्ध | Essay on Internet and Information Technology in Hindi

बिजली के चमत्कार पर निबन्ध | Essay on The Miracle of Electricity in Hindi

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 1

स्वामी विवेकानंद भारत के एक महापुरुष थे । उन्होंने भारत के लोगों को उनके प्राचीन गौरव का स्मरण कराया । वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के लोगों को स्वधर्म के प्रति जागरूक किया । वे सच्चे लोकसेवक एवं महान संत थे ।

विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्र दल था । वे 12 जनवरी, सन् 1863 ई. में कोलकाता के एक क्षत्रिय परिवार में जन्मे थे । उनके 184 पिता विश्वनाथ दल कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध वकील थे । विवेकानंद की आरंभिक शिक्षा कोलकाता में ही हुई ।

मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर वे कोलकाता के ‘जनरल असेंबली’ कॉलेज में दाखिल हुए । यहाँ उन्होंने साहित्य इतिहास दर्शन आदि विषयों का अध्ययन किया । अपने छात्र जीवन में वे ईश्वर और धर्म को शंका की दृष्टि से देखते थे । अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए वे ब्रह्म समाज के सदस्यों के निकट गए ।

सत्रह वर्ष की आयु में उनकी भेंट रामकृष्ण परमहंस से हुई । उन्होंने नरेंद्र के विचारों पर बहुत प्रभाव डाला । नरेंद्र ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु माना इनसे दीक्षा ली । इसी बीच नरेंद्र के पिता की मृत्यु हो गई । परिवार का दायित्व उनके कंधों पर आ गया ।

वे गुरु की शरण में गए । गुरु परमहंस ने कहा, ”माँ काली से जो माँगना है, माँग ले । वे अवश्य ही तेरे दु:खों को दूर करेंगी ।” नरेंद्र काली माँ के मंदिर में गए । परंतु वे धन-संपत्ति माँगने की जगह उनसे श्रद्धा भक्ति और बुद्धि माँग बैठे ।

रामकृष्ण ने एक दिन अपनी आत्मिक शक्ति से नरेंद्र को तेज और आध्यात्म बल प्रदान किया । उन्हें नरेंद्र से विवेकानंद बना दिया । रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद स्वामी विवेकानंद कोलकाता छोड़कर बराद नगर के आश्रम में जाकर रहने लगे । यहाँ उन्होंने धर्म-शास्त्रों का अध्ययन किया ।

इसके बाद वे भारत भ्रमण पर निकल पड़े । उन्होंने लोगों के मन में धर्म के प्रति आस्था उत्पन्न की । भारतवासियों को उनके आत्मगौरव का ज्ञान कराया । सन् 1893 ई. में वे विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका के नगर शिकागो गए ।

उन्हें सम्मेलन में सबसे अत में बोलने की अनुमति मिली । परतु उनका प्रथम भाषण ही इतना प्रभावशाली था कि अमेरिका में खलबली मच गई । उन्हें सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी । विवेकानंद जी ने लोगों को धर्म का असली स्वरूप बताकर उनकी जिज्ञासा शांत की ।

शिकागो सम्मेलन के बाद विवेकानंद ने अमेरिका में अन्य स्थानों की यात्राएँ कीं । उन्होंने यूरोपीय देशों का भी भ्रमण किया । उनके भाषणों, लेखों आदि का वहाँ के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा । पश्चिमी देशों के कुछ लोग उनके शिष्य हो गए । चार वर्षों तक विदेशों में भ्रमण के बाद विवेकानंद भारत लौट आए ।

भारत लौटने पर उनका विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत हुआ । उन्होंने भारत के लोगों को वीरता बलिदान और त्याग की शिक्षा दी । भारत के गरीबों, दलितों, पीड़ितों की सेवा को उन्होंने ईश्वर की पूजा बताया । वे भारत की गरीबी परतंत्रता एवं दीन-हीन दशा देखकर बहुत दुखी थे ।

स्वामी जी ने मानवता की भलाई के लिए ‘रामकृष्ण मिशन’ नामक संस्था की स्थापना की । इस मिशन की सफलता के लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किया । इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा । 4 जुलाई, 1902 ई. के दिन मात्र 39 वर्ष की आयु में इस महान पुरुष ने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया । परंतु उनका यह संदेश सदैव हमें प्रेरणा देता रहेगा कि उठो, जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक चैन से मत बैठो ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 2

महाराणा प्रताप की गिनती भारत के गिने-चुने सपूतों में की जाती है । वे बड़े ही स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति थे । वे जीवन भर अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए जूझते रहे । ऐसे समय जबकि भारत पर मुगल साम्राज्य का बोलबाला था महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि चित्तौड़ की रक्षा का प्रण लिया था ।

महाराणा प्रताप का जन्म 31 मई 1539 ई. के दिन हुआ था । इनके पिता का नाम उदय सिंह था । प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे । जिस समय इन्हें मेवाड़ का महाराणा बनाया गया उस समय तक राज्य के अनेक भागों पर अकबर का शासन था ।

महाराणा को अकबर जैसे शक्तिशाली मुगल सम्राट से जूझना पड़ा । परंतु महाराणा प्रताप ने हिम्मत नहीं हारी । इन्होंने अकबर की सेना का दृढ़ता से मुकाबला किया । कई प्रयत्नों के बाद भी अकबर मेवाड़ को जीतने में सफल नहीं हुआ ।

तब अकबर ने सेनापति मान सिंह के नेतृत्व में एक विशाल सेना को मेवाड़ पर आक्रमण के लिए भेजा । हल्दीघाटी में मान सिंह और महाराणा प्रताप के बीच महासंग्राम हुआ । प्रताप के पास सैनिकों की संख्या काफी कम थी ।

फिर भी घमासान युद्ध हुआ । राणा के सैनिक सिंह के समान गर्जना करते हुए शत्रु सेना पर टूट पड़े । मान सिंह के अधीन मुगल सेना ने भी पलटकर वार किया । प्रताप की सेना हार गई परंतु वे स्वयं मुगलों की पकड़ में नहीं आए ।

युद्ध स्थल से लौटते समय उनके प्रसिद्ध चेतक घोड़े ने दम तोड़ दिया । वे दूसरे घोड़े पर सवार होकर किसी सुरक्षित स्थान में चले गए । बाद में प्रताप ने अनेक कष्ट सहे इन्हें सपरिवार जंगल में शरण लेनी पड़ी । इन्होंने घास की रोटियाँ खाना स्वीकार किया परंतु मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की ।

इस दौरान इन्होंने मुगलों से छापामार युद्ध किया । वे फिर से सैनिकों को संगठित करने में जुट गए । इस कार्य में मेवाड़ के गौरव भामाशाह ने बहुत मदद की । इन्होंने अपनी सारी धन-संपत्ति राणा प्रताप को भेंट कर दी ।

इन्होंने शत्रुओं के कब्जे वाले कई दुर्ग फिर से जीत लिए । वे जीवन भर मेवाड़ की रक्षा के प्रति समर्पित रहे । 15 जनवरी, 1597 ई. के दिन इनका स्वर्गवास हो गया । महाराणा प्रताप देश के स्वाभिमान के लिए अपना सभी सुख त्याग देने वाले एक महान शासक थे ।

युद्ध के मैदान में वे सैकड़ों शत्रुओं को पराजित करने की क्षमता रखते थे । इनके रक्त में राजपूताना पराक्रम था । इनकी रण-कुशलता का लोहा इनके विरोधी भी मानते थे । इस अमर सेनानी पर भारतवासियों को गर्व है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 3

भारत महापुरुषों एवं संतों की भूमि है । भारत संपूर्ण जगत को धर्म और आध्यात्म की शिक्षा देता आया है । हमारे महापुरुषों ने मनुष्य समुदाय को ईश्वर प्राप्ति का सच्चा मार्ग बताया है ।

गुरु नानक देव जी का नाम भी इसी श्रेणी के महान व्यक्तियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है । गुरु नानक का जन्म 20 अक्तूबर, 1469 ई. में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक गाँव में हुआ था । तलवंडी अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है जिसे ननकाना साहब के नाम से जाना जाता है ।

इनके पिता का नाम कालूचंद था जो पटवारी का कार्य करते थे । इनकी माता श्रीमती तृप्ता देवी एक धर्मपरायण महिला थीं । नानक जी बचपन से ही ईश्वर भक्त थे । इनका अधिकांश समय ईश्वर भजन एवं स्मरण में बीतता ऊा । खेतों में गाय-भैंसों को चराते तथा ईश्वर-भजन भी करते थे ।

इन्होंने संस्कृत और अरबी-फारसी भाषा का भी अध्ययन किया । कुछ बड़े हुए तो पिता नेऊ व्यापार करने को कहा । कुछ रुपए देकर सच्चा सौदा करने के लिए कहा । नानक बाजार की ओर चल पड़े । रास्ते में कुछ भूखे साधु-सत मिले । पिता से मिले रुपए इन साधु-संतों को खिलाने-पिलाने में खर्च कर दिए ।

वापस लौट कर पिता से कहा ”साधु-संतों की सेवा से बढ्‌कर सच्चा सौदा और क्या हो सकता है ।” सोलह वर्ष की उम्र में नानक ने एक अनाज की दुकान में नौकरी कर ली । जो भी धन मिलता उसे भूखे लोगों एवं साधुओं पर खर्च कर देते थे ।

अठारह वर्ष की आयु में इनका विवाह सुलक्षणा देवी से हुआ । इन्हें दो पुत्र भी हुए । परंतु इनेका मन गृहस्थी में न रमा । ये घर-बार छोड़कर धर्म के प्रचार के लिए निकल पड़े । अपनी यात्रा के दौरान वे जहाँ भी ठहरते लोगों को उपदेश देते उन्हें सच्चे धर्म की शिक्षा देते ।

वे मुसलमानों के पवित्र तीर्थस्थल मक्का-मदीना भी गए । वहाँ के लोग भी नानक से बहुत प्रभावित हुए । वे लोगों को निर्गुण एवं निराकार ईश्वर की भक्ति करने का उपदेश देते थे । उन्होंने छुआछूत मूर्तिपूजा कर्मकांड आदि का विरोध किया । उन्होंने लोगों को अपना संदेश बहुत ही सरल भाषा में दिया ।

सच्चे मन से प्रभु का भजन परिश्रम संयम आदि को उन्होंने उन्नति का मार्ग बताया । सत्य बोलो दूसरों की निंदा मत करो मधुर वाणी बोलो क्रोध मत करो आदि उनके प्रमुख उपदेश थे । गुरु नानक देव की वाणी ‘गुरु ग्रंथ साहब’ में संकलित है । अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे करतारपुर में रहने लगे ।

वहाँ सत्संग और लंगर का कार्यक्रम चलता रहता था । नानक ने ‘लक्षणा’ को अपना परम शिष्य बनाकर उसका नाम अंगद रखा । गुरु अंगददेव ने नानक के बाद उनका स्थान ग्रहण किया । 2 सितंबर सन् 1539 ई. के दिन उनका देहावसान हो गया । गुरु नानक के शिष्यों ने सिक्स धर्म का प्रचार किया । गुरु नानक सिक्सों के पहले गुरु माने जाते हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 4

वर्तमान समय में कप्यूटर घर-घर की उपयोगी वस्तु बन गया है । हमारे दैनिक जीवन में इसका उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है । इसके बढ़ते प्रयोग के कारण आज कंप्यूटर शिक्षा का महत्त्व बढ़ गया है ।

कंप्यूटर का प्रयोग सभी छोटे-बड़े कार्यालयों, सरकारी तथा निजी संस्थानों तथा आम लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जा रहा है । इंटरनेट इसी का एक विकसित रूप है जिसे सूचना और जानकारी का खजाना कहा जाता है । कंप्यूटर के बिना बैंकों कार्यालयों उद्योगों एवं व्यापार से जुड़े स्थानों का काम-काज नहीं चलाया जा सकता ।

यह भारी से भारी गणना शीघ्र कर देता है । व्यापारी इसमें खातों का हिसाब-किताब रखते हैं । कंप्यूटर के प्रयोग ने टिकट खिड़की पर लोगों की भीड़ कम कर दी है । इसने पुस्तकों के शीघ्र प्रकाशन में मदद की है । इसने भाषाओं के विकास में मदद की है । इसने आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है ।

कंप्यूटर आज की एक आवश्यकता बन गया है । यही कारण है कि विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य हो गई है । स्कूलों तथा शिक्षा संस्थाओं में कप्यूटर की शिक्षा एक विषय के रूप में दी जाती है । पढ़े-लिखे युवा कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर सरलता से नौकरी प्राप्त कर सकते हैं ।

कप्यूटर ज्ञान उन्हें अपना कोई निजी व्यवसाय खोलने में भी मदद कारता है । आजकल विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं में कंप्यूटर प्रशिक्षित व्यक्तियों की माँग अधिक है । कंप्यूटर का ज्ञान लोगों को सूचनाओं के बड़े जगत से जोड़ देता है । यह खेल और मनोरंजन के रूप में भी उपयोगी है ।

हमारे देश में उच्च शिक्षा प्राप्त कंप्यूटर विशेषज्ञों की एक बड़ी संख्या है । बहुत से लोग साफ्टवेयर निर्माण में लगे हुए हैं । अनेक व्यक्तियों को कंप्यूटर निर्माण उद्योग तथा इसके रखरखाव में रोजगार मिला हुआ है । कंप्यूटर की शिक्षा देने वाले संस्थानों की भी एक बड़ी संख्या है ।

इनमें कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है । हमारे देश के कंप्यूटर इंजीनियरों ने पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा सिद्ध कर दी है । सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में भारतीय कंप्यूटर प्रशिक्षित व्यक्तियों ने बड़ी भूमिका निभाई है । हमारे देश के कंप्यूटर विशेषज्ञ दुनिया भर में फैले हुए हैं क्योंकि विभिन्न विकसित एवं विकासशील देशों में इनकी बड़ी माँग है ।

कंप्यूटर शिक्षा विद्यार्थियों के लिए बहुत आवश्यक है । इससे उनके ज्ञान के क्षितिज का विस्तार होता है । यह एक रोजगार परक शिक्षा है अत: सभी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाना वर्तमान युग की आवश्यकताओं के अनुरूप ही है ।

जैसे-जैसे वैज्ञानिक विकास हुआ, मानव का जीवन बदलता चला गया । आज हम कंप्यूटर और इंटरनेट युग में जी रहे हैं । इसे ‘साइबर युग’ कहा जाता है । इस युग में कंप्यूटर का कोई विकल्प नहीं है । बड़ी-बड़ी कंपनियों का कारोबार कंप्यूटर की सहायता से ही होता है । हमने सुपर कंप्यूटर बना लिए हैं क्योंकि हमें भी अन्य राष्ट्रों की तरह विकास की नई मंजिलें तय करनी हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 5

आधुनिक मानव सभ्यता का आधार विज्ञान है । वेज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे लिए सुख-सुविधा के ढेरों साधन जुटाए हैं । चिकित्सा कृषि अंतरिक्ष दूरसंचार उद्योग यातायात आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की पहुँच है ।

विज्ञान के बल पर हमने सभी क्षेत्रों में उन्नति की है परतु यही विज्ञान आज कई कारणों से हमारे लिए अभिशाप बनता जा रहा है । विज्ञान के कुप्रभाव सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं । आज हम श्रम का महत्व भूल गए हैं और दिनों-दिन मशीनों पर निर्भर होते चले जा रहे हैं ।

उद्‌योग-धंधों के विकास का परिणाम यह हुआ है कि पृथ्वी पर ऊर्जा के परपरागत साधनों का अभाव होता जा रहा है । छोटे-बड़े उद्योगों तथा पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के कारण पृथ्वी का पर्यावरण दिनों-दिन दूषित होता जा रहा है ।

महानगरों में वायु-प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यहाँ के वातावरण में साँस लेना भी कठिन हो गया है । औद्योगिक कचरे तथा घरेलू उपयोग में लाए गए गंदे जल नदियों झीलों एवं जल के अन्य भंडारों को प्रदूषित कर रहे हैं । ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में भी विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण पर्यटन को तो बढ़ावा मिला है परंतु इसके कारण सुंदर पर्यटन स्थलों पर कूड़ा-कचरा तथा गंदगी भी बड़ी है । हमने कृषि विज्ञान को अपनाकर उत्पादन में तो बढ़ोतरी कर ली है परंतु कृत्रिम उर्वरकों तथा कीटनाशक पदार्थों के छिड़काव के कारण कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति दिनों-दिन घट रही है ।

अनाजों फलों सब्जियों तथा अन्य खाद्य पदार्थों में कीटनाशक तत्व घुल-मिल गए हैं जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है । कागज दियासलाई फर्नीचर आदि उद्योगों का कच्चा माल वनों की लकड़ी होती है । इन उद्योगों के विकास के कारण वनों का नाश हो रहा है ।

वनों के नाश के कारण बाद और सूखे की स्थितियाँ आम हो गई हैं । खतरनाक गैसों के वायुमंडल में छोड़े जाने के फलस्वरूप विश्व के तापमान में वृद्धि होती जा रही है । विज्ञान ने मनुष्यों के हाथ में कई खतरनाक हथियार सौंप दिए हैं ।

आणविक हथियारों के प्रसार के कारण पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है । रासायनिक जैविक तथा अन्य हथियारों से लैस दुनिया किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं रह गई है । विज्ञान ने मनुष्यों को स्वार्थी एवं सुविधाभोगी बना दिया है ।

उसने एड्‌स जैसी भयानक बीमारियों के प्रसार में मदद की है । पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य प्रभावित हो रहा है । इस प्रकार विज्ञान आज हमारे लिए किसी अभिशाप से कम नहीं । हमें वैज्ञानिक आविष्कारों के दुरुपयोग से बचना चाहिए । इसके लिए मिल-जुल कर प्रयास करने की आवश्यकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 6

विज्ञान हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है । यह हमारे दैनिक जीवन को बहुत हद तक प्रभावित कर रहा है । यह सूर्य की रश्मियों के समान हमारे जीवन पर पूरी तरह छा गया है ।

बिजली विज्ञान की एक ऐसी देन है जिसका प्रयोग किए बिना हमारा काम नहीं चल सकता । यह घर-घर की शोभा है । यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का साधन है । टेलीविजन, पंखे, कूलर, वाशिंग मशीन, फ्रिज, वातानुकूलित यंत्र आदि बिजली के बिना बेकार की वस्तु हैं ।

विज्ञान ने हमें अपने कार्य निबटाने के लिए तरह-तरह की मशीनें दी हैं । कंप्यूटर, टेलीफोन, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, घड़ी, रेडियो आदि वैज्ञानिक उपकरणों के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।

यातायात के नवीन साधनों का प्रयोग यदि बंद हो जाए तो हमारे जीवन की गति थम जाएगी । साइकिल, स्कूटर, ऑटो रिकशा, मोटरसाइकिल, कार, बस, ट्रक, रेल, वायुयान, जलयान आदि यातायात के साधन पूर्णतया विज्ञान की देन हैं । इनके प्रयोग के बिना हमारा दैनिक काम-काज नहीं चल सकता है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे दैनिक जीवन यें क्रांति ला दी है । हम कुछ घंटों में ही पृथ्वी के एक कोने में दूसरे कोने तक पहुँच सकते हैं । हम मिनटों में ही दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठे व्यक्ति से संपर्क स्थापित कर सकते हैं ।

विज्ञान ने आधुनिक उद्योग-धंधों के विस्तार में काफी मदद की है । इसके कारण रोजगार के अनेक द्वार खुल गए हैं । हम लोग विज्ञान के कारण आज अधिक सुखी-संपन्न हैं । हमने दैनिक जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पा लिया है । हमने बहुत-सी बीमारियों पर विजय प्राप्त कर ली है ।

हमने दुनिया से गरीबी और भुखमरी काफी हद तक मिटा दी है । विज्ञान की मदद से हमने अधिकांश लोगों को शिक्षित बना दिया है । वैज्ञानिक आविष्कारों एवं साधनों ने लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने की शक्ति प्रदान की है ।

आज हम बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय पीड़ित लोगों की अधिक मदद कर सकते हैं । हम किसानों को मौसम की जानकारी देकर उन्हें कई मुसीबतों से बचा सकते हैं । वैज्ञानिक कृषि प्रणाली अपनाकर हमारे किसान आज पहले से कहीं अधिक सुखी हैं ।

गाँवों तक पक्की सड़कों का फैलाव होने से लोगों के दैनिक जीवन की कई समस्याएँ दूर हो गई है । हमारा दैनिक जीवन विज्ञान पर दिनों-दिन अधिक निर्भर होता चला जा रहा है । यह हमारे लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य कर रहा है । विज्ञान का प्रभाव सर्वव्यापी है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 7

पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गाँधी के परम शिष्य तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे । नेहरू जी भारत के लोगों से बेहद प्यार करते थे । वे सीधे, सच्चे एवं ईमानदार व्यक्ति थे ।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था । इनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे । जवाहरलाल की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई । एक अँगरेज शिक्षक इन्हें घर पर पड़ाने आते थे । बाद में 15 वर्ष की आयु में पढ़ाई के लिए इन्हें पिता ने इंग्लैंड भेज दिया ।

वहाँ इन्होंने पहले हैरो स्कूल में तथा बाद में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की । 1912 ई. में बैरिस्टर परीक्षा पास कर वे भारत लौट आए । सन् 1915 ई. में इनका विवाह कमला जी के साथ हुआ । नेहरू जी ने भारत आकर वकालत शुरू की परंतु इस कार्य में मन नहीं लगा । वे महात्मा गाँधी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता आदोलन में कूद पड़े ।

इन्होंने रौलेट एक्ट का विरोध किया तथा असहयोग आदोलन में भाग लिया । महँगा विदेशी कपड़ा उतारकर खादी का मोटा कपड़ा पहनना आरंभ किया । अनेक बार जेल गए । अपने जेल जीवन के दौरान इन्होंने अपार कष्ट सहे । माता-पिता और पत्नी की मृत्यु के दु:खों को झेला परंतु देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों से मुँह न मोड़ा ।

नेहरू जी 1929 ई. के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए । इस दौरान इन्होंने देश के लिए पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य रखा । सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो आदोलन’ में भाग लेकर इन्होंने तीन वर्ष के कारावास की सजा पाई । गाँधी जी नेहरू जी तथा अन्य महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयत्नों से भारत 15 अगस्त 1947 ई. में आजाद हुआ ।

पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने । सन् 1952 के चुनाव के बाद वै पुन: देश के प्रधानमंत्री बने । इसके बाद वे आजीवन भारत के प्रधानमंत्री बने रहे । नेहरू जी ने भारत के विकास की नींव रखी । इन्होंने भारत में कई बड़े उद्योगों की स्थापना की ।

इन्होंने कृषि तथा औद्योगिक विकास पर बल दिया । इन्होंने भारत में लोकतंत्र की मजबूत परपरा कायम की । विश्व शांति के लिए भी वे हमेशा प्रयत्नशील रहे । पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की । इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर पड़ोसी देश चीन से मित्रता का संबंध बना ।

परंतु: 1962 ई. में चीन ने भारत पर आक्रमण कर भारत के साथ विश्वासघात किया । नेहरू जी इस आक्रमण से बड़े दु:खी हुए । 27 मई 1964 ई. के दिन भारत के इस महान नेता का निधन हो गया । नेहरू जी को बच्चों से अछूत प्यार था । इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है । नई दिल्ली के ‘शांति वन’ में नेहरू जी की समाधि बनी हुई है । राष्ट्र अपने इस ‘लाल’ को सदैव याद रखेगा ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 8

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है । यह विज्ञान का ही प्रभाव है कि मनुष्य ने ब्रह्मांड के अनेक रहस्यों का पता लगा लिया है । विज्ञान के विकास ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रभाव डाला है । विज्ञान हमारे लिए सचमुच एक वरदान है ।

विज्ञान का प्रवेश हमारे दैनिक जीवन में है । बड़े पैमाने पर बिजली तथा ऊर्जा के अन्य साधनों का प्रयोग विज्ञान की ही देन है । सड़कों पर दौड़ते विभिन्न प्रकार के वाहन, पटरियों पर हुत गति से चलती रेलें, वायु मार्ग से उड़ते हवाई जहाज, जल मार्ग पर चलते पानी के आधुनिक जहाज आदि विज्ञान के चमत्कार हैं ।

बड़े-बड़े उद्योग-धंधे, बड़े-बड़े बाँध, छोटी-बड़ी मशीनें, सड़कें, फ्लाईओवर, पुलें, रेल की पटरियाँ, वाहनों के टायर आदि विज्ञान की प्रगति के प्रतीक हैं । आधुनिक छपाई कला, कागज का बड़े पैमाने पर उत्पादन, घड़ी, घरेलू उपकरण, कंप्यूटर, विद्युत के उपकरण ये सभी वैज्ञानिक आविष्कारों के उदाहरण हैं ।

यातायात और संचार के नवीनतम साधनों ने आने-जाने तथा दुत गति से संदेश पहुँचाने के कार्य में हमारी बहुत मदद की है । आज दुनिया बहुत छोटी हो गई है । टेलीविजन रेडियो सिनेमा आदि मनोरंजन के साधनों का विकास विज्ञान की ही देन है ।

टेलीफोन मोबाइल फोन आदि संचार के साधनों ने दूरियाँ घटा दी हैं । चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी अनेक आविष्कार हुए हैं । इन आविष्कारों के कारण लाखों लोगों को असमय में मरने से बचाया जा सका है । अनेक लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव हो सका है । लोगों को स्वस्थ रखने में विज्ञान की भूमिका दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने कृषि के विकास में बहुत मदद की है । वैज्ञानिक ख्या से की जाने वाली कृषि के कारण उत्पादन में कई गुणा वृद्धि हुई है । लोग पहले की तरह अब अकाल के कारण नहीं मर रहे । आधुनिक बीजों, उर्वरकों तथा कृषि कार्य में उपयोगी मशीनों ने किसानों की मुश्किलें सरल कर दी हैं ।

विज्ञान के विकास ने बड़े पैमाने पर शिक्षा को सुलभ कर दिया है । इसने लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं । इसने नगरीय सभ्यता के विकास में मदद की है । अणु शक्ति का विकास कर मानव ने ऊर्जा उत्पादन में सफलता पाई है ।

हमने कृत्रिम उपग्रह बनाकर अंतरिक्ष में छोड़े हैं जो हमें मौसम की जानकारी देते हैं । ये पृथ्वी की विभिन्न हलचलों की जानकारी देते हैं । सचार के क्षेत्र में भी इनका उपयोग है । मानव ने विज्ञान की मदद से चंद्रमा की यात्रा की है । हमने अंतरिक्ष के कई रहस्यों का पता लगाया है ।

विज्ञान न होता तो हम अंधकार युग में जी रहे होते । विज्ञान के न होने से हमारा जीवन पहले की तरह कष्टमय एवं सुख-सुविधाओं से रहित होता । विज्ञान के वरदानों के हम आभारी हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 9

टेलीविजन या दूरदर्शन हमारे दैनिक जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है । यह शहरी क्षेत्रों में प्राय: सभी घरों में विराजमान है । ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग एक-चौथाई परिवारों तक टेलीविजन अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है ।

यह मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बन गया है । यह शिक्षा और जानकारी का भी उत्तम साधन है । टेलीविजन पर मनोरंजन और शिक्षा के विविध कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं । टेलीविजन के चैनलों की संख्या भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।

पहले हमारे देश में दूरदर्शन ही एक मात्र टी.वी. चैनल था; अब हमारे देश में सौ से अधिक चैनल हैं । इन पर फिल्में तथा फिल्मों से संबंधित अनेक कायम दिखाए जाते हैं । मनोरंजन के चैनलों पर धारावाहिकों तथा कहानियों को भी दिखाया जाता है ।

स्पोर्ट्स चैनल पर हर समय खेल-कूद के कार्यक्रमों को एवं विभिन्न खेलों का सीधा प्रसारण दिखाया जाता है । समाचार चैनलों पर दुनिया भर के समाचार दिखाए जाते हैं । कई चैनल रहस्य-रोमांच से भरपूर दुनिया से हमें अवगत कराते हैं । कई चैनल शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों को मनोरंजक ढंग से प्रसारित करते हैं ।

जे.एल. बेयर्ड द्वारा आविष्कृत टेलीविजन हमारे दैनिक जीवन को बहुत प्रभावित करता है । यह लोगों के खाली समय का सबसे अच्छा साथी बन गया है । टेलीविजन करोड़ों लोगों को उनकी पसंद का कार्यक्रम दिखाकर घर बैठे ही उनका मनोरंजन कर रहा है ।

इसके कारण थियेटर में जाकर सिनेमा देखने वालों की संख्या घटी है । टेलीविजन का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर कम ध्यान दे रहे हैं । अधिक टी.वी. देखने से उनकी आँखें कमजोर हो जाती हैं तथा उनके कोमल मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।

बच्चे टेलीविजन से इस तरह चिपक जाते हैं कि उनके खेलने-कूदने के कार्यक्रम भी स्थगित होने लगे हैं । टेलीविजन पर दिखाई जाने वाली हिंसा बच्चों को भी हिंसक बना रही है । टेलीविजन के प्रचार-प्रसार में संचार उपग्रहों का बहुत बड़ा योगदान है ।

केबल टी.वी. और डी.टी.एच. प्रणाली पूरी तरह संचार उपग्रहों पर निर्भर है । डी.टी.एच. अर्थात् डायरेक्ट टू होम सेवा प्राप्त करने के लिए एक विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है । यह प्रणाली बिना केबल के ही कार्य करती है । संचार उपग्रहों में कई ट्रांसपोंडर लगे होते हैं जो ध्वनि एवं चित्रों को प्रसारित करते हैं ।

टेलीविजन ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है । इसके प्रसार के कारण लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है । हजारों कलाकारों की कला को टेलीविजन ने लोगों तक पहुँचाया है । गीतकार, गजल, गायक विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजाने वाले शास्त्रीय नृत्य एव संगीत के कलाकार आदि टेलीविजन के माध्यम से अपनी कला आम लोगों तक पहुँचा सकते हैं । इस पर प्रसारित विज्ञापनों ने उद्योग और व्यापार को काफी बढ़ावा दिया है । टेलीविजन आधुनिक विज्ञान का चमत्कार है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 10

छत्रपती शिवाजी भारत के एक महान एवं तेजस्वी पुरुष थे । उन्होंने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा का कार्य किया । वे अपने समय के एक कुशल प्रशासक, वीर सेनानी एव प्रजा के हित की चिंता करने वाले व्यक्ति थे ।

शिवाजी का जन्म 10 अप्रैल सन् 1627 ई. के दिन महाराष्ट्र के शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था । उनके पिता का नाम शाहजी तथा माता का नाम जीजाबाई था । शिवाजी के जन्म के बाद शाहजी ने दूसरा विवाह कर लिया । इसके बाद जीजाबाई अपने पुत्र के साथ पूना आ गईं ।

जीजाबाई ने पुत्र शिवाजी के मन में अच्छे संस्कार डाले । उनके अंदर देशभक्ति को भावना जागृत हुई । माता जीजाबाई उन्हें बचपन में रामायण और महाभारत की कहानियों सुनाती थीं । संतों की संगति में उन्हें धर्म की शिक्षा प्राप्त हुई ।

शिवाजी ने दादाजी कोंडदेव से युद्ध-कला एवं शासन-प्रबंध सीखा । शिवाजी ने पूना की जागीर सँभाली । उन्होंने मराठों को एकत्रित कर एक अच्छी सेना भी तैयार की । शिवाजी ने बीजापुर के एक दुर्ग को जीतकर अपनी विजय यात्रा आरंभ की ।

इसके बाद उन्होंने रायगढ़ पुरंदर तथा राजगढ़ के किलों को जीतकर अपनी शक्ति बढ़ाई । इन विजयों से उन्हें काफी धन-संपत्ति प्राप्त हुई । इसका उपयोग उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ाने में किया । जब बीजापुर के शासक ने अफजल खाँ को एक बड़ी सेना के साथ शिवाजी को मारने भेजा तो उसे मुँह की खानी पड़ी । अफजल खाँ की फौज भाग खड़ी हुई ।

इधर-मुगल शासक औरंगजेब बढ़ती हुई मराठा शक्ति से चिंतित था । औरंगजेब ने शाइस्ता खाँ को दक्षिण भारत भेजा । शाइस्ता खाँ ने पूना सहित कई किलों पर अधिकार कर लिया । शिवाजी ने एक बरात के रूप में चार सौ सैनिकों के साथ पूना में प्रवेश किया और मुगलों पर अचानक आक्रमण कर दिया ।

शाइस्ता खाँ किसी तरह जान बचाकर भागा । इसके बाद औरंगजेब ने राजा जय सिंह को शिवाजी पर आक्रमण करने भेजा । शिवाजी ने राजा जय सिंह से संधि कर ली । जय सिंह ने शिवाजी को औरंगजेब के दरबार में चलने के लिए मना लिया ।

आगरे वे दरबार में शिवाजी को अपमानित कर उन्हें औरंगजेब ने कैदखाने में डाल दिया । परंतु शिवाजी चतुराई से यहाँ से निकल भागे । इसके बाद शिवाजी ने कई किले तथा दुर्ग जीते । उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली । उन्होंने कर के रूप में चौथ प्रणाली शुरू की । 1674 ई. में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ ।

इन्होंने ‘हिंदू पद पादशाही’ की स्थापना की । अपने शासनकाल में उन्होंने लगातार कई विजय प्राप्त की । उनके राज्य का विस्तार कर्नाटक तक हो गया । 5 अप्रैल 1690 ई. के दिन इस महान योद्धा की मृत्यु हो गई । शिवाजी एक स्वाभिमानी तथा आदर्श पुरुष थे । भारत को इन पर गर्व है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 11

प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश से प्यार होता है । वह अपनी मातृभूमि से इतना लगाव रखता है कि कभी-कभी वह इसके हित के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है ।

अपने देश की फिाई वहाँ की आवोहवा उसे सदैव आकर्षित करती है । हमारा देश भारतवर्ष दुनिया के सभी देशों से बहुत न्यारा है । यह संत-महात्माओं एवं महापुरुषों की जन्मभूमि है । राम कृष्ण महावीर बुद्ध नानक जैसे महानायकों ने इस धरती पर जन्म लिया है ।

अशोक चाणक्य वाल्मीकि कबीर शिवाजी महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की कर्मभूमि भारत दुनिया को सच्चाई ईमानदारी और वीरता का पाठ पढ़ाता आया है । भारत की सभ्यता एवं संस्कृति उच्च आदर्शों से युक्त रही है । यह तपोभूमि और कर्मभूमि है । कवि जयशंकर प्रसाद लिखते हैं:

”अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा । ”

भारत को प्रकृति ने बड़े ही सुंदर ढग से सजाया-सँवारा है । यहाँ विश्वविख्यात पर्वत शृंखला हिमालय है जिसकी ऊंची-ऊंची धवल चोटियाँ सदियों से भारत की पहरेदारी करती आई हैं । हिमालय क्षेत्र का प्राकृतिक वातावरण योगियों एवं ध्यानियों को आकर्षित करता रहा है ।

हिमालय क्षेत्र से निकली गंगा, यमुना आदि नदियाँ उत्तर भारत के मैदानों को सिंचित करती रहती हैं । स्वर्ग से उतरी गंगा नदी भारत के लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक है । यह पापनाशिनी नदी कहलाती है । भारत के सुरम्य पर्वतीय स्थल नदियाँ जलप्रपात, झरने, झील, सरोवर आदि बड़े मनमोहक हैं ।

यहाँ के मैदान, पठार, एवं, समुद्र तट बेहद आकर्षक हैं । यहाँ के वृक्ष पौधे फल-फूल वन एवं वन्य जीवन हमें लुभाते हैं । भारत की धरती प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है । भारत का जनजीवन विविधताओं से भरा हुआ है । यहाँ विभिन्न धर्मों जातियों एवं संप्रदायों के लोग निवास करते हैं । यहाँ के लोगों में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे की भावना कूट-छूट कर भरी हुई है ।

हमारा देश दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश देता आया है । यहाँ के लोगों की धार्मिक आस्था देखते ही बनती है । व्रत, उपवास, पर्व-त्योहार, पूजा-अर्चना आदि का पर्याप्त महत्व है । ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात् पूरा विश्व ही एक परिवार है, यह हमारा आदर्श है ।

भारत की इन्हीं महानताओं के आधार पर कवि इकबाल ने कहा था:

‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा ।’

एक ओर जहाँ हमारा देश धर्म के क्षेत्र में विश्व का सिरमौर रहा है वहीं हम आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को अपनाने में भी किसी से पीछे नहीं हैं । आजादी के बाद हमारे देश का तेजी से विकास हुआ है । कृषि, उद्योग, व्यापार आदि क्षेत्रों में हम नई-नई तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं ।

हम परमाणु-शक्ति से संपन्न हैं । हम शीघ्र ही विश्व के विकसित देशों की पंक्ति में खड़े होने में अवश्य सफल होंगे । हमारे किसान, मजदूर, वैज्ञानिक, इंजीनियर एवं आम नागरिक बहुत परिश्रमी हैं । भारत विश्व का एक महान देश है । हमारी विशाल आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति है । हमारी आस्था, हमारे धर्म, हमारे विचार तथा हमारी मान्यताएँ उच्च हैं । हमें अपने देश से असीम लगाव है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 12

भारत गाँवों का देश कहलाता है । हमारी संस्कृति ग्रामीण मान्यताओं पर आधारित है । हालाँकि आजादी के बाद शहरों की संख्या में तथा यहाँ की आबादी में बहुत वृद्धि हुई है परतु आज भी भारत के लगभग दो-तिहाई लोग गाँवों में निवास करते हैं ।

हमारे गाँवों की दशा आज पहले जैसी नहीं है । पहले भारत के गाँवों में अधिकांश कच्चे मकान हुआ करते थे । बहुत से लोग मिट्टी एवं घास-फूस का घर बनाकर उसमें रहते हैं । आज हमारे गाँवों के अधिकांश घर पक्के हैं । अधिकतर गाँवों तक पक्की सड़क जाती है । गाँवों की गलियाँ पक्की बनाई जा रही हैं । प्राय: सभी गाँवों में बिजली पहुँचा दी गई है ।

गाँवों तक टेलीफोन की तारें भी गई हैं । गाँवों के लोग आधुनिक संचार व्यवस्था से जुड़ गए हैं । यहाँ के का मोबाइल फोन का प्रयोग करने लगे हैं । प्राय: सभी गाँवों में एक प्राथमिक विद्यालय है । कुछ गाँवों में सरकारी डिस्पेंसरी भी खोली गई है । भारत के बहुत से गाँवों में शहरों जैसी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं ।

गाँवों के बहुत से व्यक्ति अब पढ़े-लिखे हैं । परंतु भारत के बहुत से गाँव ऐसे भी हैं जहाँ इक्कीसवीं सदी में भी विकास की एक किरण तक नहीं पहुँची है । यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं का पूर्णतया अभाव है । इस गाँवों तक पहुँचना बरसात के दिनों में कठिन हो जाता है ।

यहाँ अंधविश्वासों एवं गलत सामाजिक प्रथाओं का बोलबाला है । अनेक भारतीय गाँवों में जातिगत भेदभाव अब भी चरम सीमा पर है । लोग परस्पर लड़ते-झगड़ते रहते हैं । अब भारतीय गाँवों में पहले जैसी नैतिकता एवं धार्मिकता नहीं रह गई है । ग्रामीण युवा नशे के गुलाम होते जा रहे हैं ।

अधिकांश ग्रामीण युवक-युवतियों को शहरों में जाकर छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़ रही है । ग्रामीण मजदूरों का शहरों की ओर पलायन जारी है । अनपढ़ ग्रामीण शहरों में जाकर या तो मजदूरी करते हैं अथवा रिकशा चलाते हैं । उन्हें महानगरों की झुग्गी-झोपड़ियों में शरण लेनी पड़ती है ।

पिछले पच्चीस-तीस वर्षो में गाँवों की आर्थिक दशा में काफी सुधार हुआ है । खेती-बारी के आधुनिक तौर-तरीकों के प्रयोग से ग्रामीण भारत के किसानों ने देशवासियों के लिए अन्न एवं खाद्य सामग्रियों का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा दिया है । आज गाँवों में कृषि कार्य के लिए हैक्टरों का प्रयोग किया जा रहा है ।

बाँध आदि बनने से बहुत से गाँवों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं । ट्‌यूबवैल से भी सिंचाई हो रही है । कृषि कार्य में मशीनों का प्रयोग बढ़ रहो है । इन उपायों से किसानों की दशा में काफी सुधार हुआ है । कृषि के साथ-साथ पशुपालन मुरगीपालन मधुमक्खीपालन मछलीपालन जैसे कार्य ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे हैं । गाँवों में अनाज पीसने चावल तैयार करने जैसे कार्य मिलों के द्वारा होने लगे हैं ।

यद्यपि गाँवों की सुधरी है परतु अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है । गाँवों में रोजगार के साधनों की वृद्धि करनी होगी ताकि ग्रामीणों का शहरों की ओर पलायन न हो । ग्रामीणों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करने की भी आवश्यकता है ।

गाँवों में बायो गैस ऊर्जा सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा । गाँवों की नष्ट हो चुकी हरित पट्टी को फिर से स्थापित करनी होगी । वहाँ वृक्षारोपण एवं बागवानी के विकास की योजनाएँ चलानी होंगी । इन उपायों से ग्रामीण भारत को सुखी-संपन्न एव खुशहाल बनाया जा सकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 13

मेरे गाँव का नाम सिकंदरा है । यह उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जिले में स्थित है । मेरे गाँव की आबादी लगभग एक हजार है । मेरे गाँव के अधिकतर लोगों का व्यवसाय कृषि है । कुछ लोग सरकारी तथा गैर सरकारी सेवाओं में भी कार्यरत हैं ।

मेरा गाँव उत्तर भारत के अन्य गाँवों जैसा ही है । यहाँ का वातावरण शांत एवंग प्राकृतिक छटा से भरपूर है । मेरे गाँव में कई सरोवर एव बाग-बगीचे हैं । मेरे गाँव की भूमि उपजाऊ है परंतु कृषि कार्य के लिए सिंचाई की आधुनिक सुविधाओं का अभाव है । किसान कुओं तथा तालाबों से फसलों की सिंचाई करते हैं ।

कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टरों पंपसेटों तथा अन्य मशीनों का प्रयोग किया जाता है । पेय जल के लिए कुओं तथा हाथपंपों का प्रयोग किया जाता है । मेरे गाँव में खरीफ तथा रबी दोनों प्रकार की फसलें लगाई जाती हैं । धान गेहूँ चना मक्का अरहर मटर तथा सरसों मेरे गाँव की मुख्य उपजें हैं ।

मेरा गाँव पक्की सड़क के द्वारा निकटवर्ती शहर से जुड़ा हुआ है । मेरे गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय एवं पंचायत भवन है । पंचायत भवन में पंचायत की बैठकें होती हैं । मेरे गाँव में एक शिवालय है जहाँ ग्रामीण लोग आकर पूजा-अर्चना करते हैं । मंदिर परिसर में शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है ।

इस मेले में आस-पड़ोस के गाँवों के लोग भी आते हैं । मेले में भारतीय ग्रामीण संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है । मेरे गाँव में राष्ट्रीय एवं धार्मिक त्योहार बहुत ही उल्लासपूर्ण ढंग से मनाए जाते हैं । कई अवसरों पर भजन-कीर्तन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है ।

इनमें हमारे गाँव के युवकों की भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है । मेरे गाँव में सप्ताह में दो दिन ग्रामीण हाट भी लगता है । इसमें निकटवर्ती गाँवों के लोग भी आम उपभोक्ता वस्तुएँ खरीदने या बेचने आते हैं । इस बहाने ग्रामीणों का आपसी संपर्क भी हो जाता है ।

हालाकि बड़े स्तर की खरीदारी के लिए लोग निकट के शहर में जाते हैं । हमारा गाँव टेलीफोन सुविधा से जुड़ा हुआ है । कुछ लोग मोबाइल फोन का भी प्रयोग करने लगे हैं । परंतु हमारे गाँव में रोजगार के साधनों का अभाव है । कृषि कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगे हुए हैं ।

सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होने से कभी-कभी मेरे गाँव के लोगों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ता है । गाँव के बहुत से युवक रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर गए हैं । गाँव के कुछ साधन-संपन्न व्यक्ति निकटवर्ती शहरों में रहने लगे हैं ।

मेरे गाँव के लोग परस्पर मेल-मिलाप से रहते हैं । ग्रामीणों में पर्याप्त भाई-चारा है परंतु कभी-कभी आपसी झगड़े भी होते हैं । ग्रामीण झगड़ों को निबटाने में गाँव के बुजुर्ग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । मुझे अपने गाँव से बहुत लगाव है । मैं अपने गाँव को एक आदर्श गाँव बनाना चाहता हूँ । इसके लिए गाँव के लोगों को सामूहिक प्रयास करना होगा ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 14

समाचार-पत्र जनसंचार का एक पुराना एव लोकप्रिय माध्यम है । इसका जुड़ाव आम लोगों से है । यह समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों के लिए समान रूप से उपयोगी है । यह लोगों तक केवल सूचनाओं को ही उपलब्ध नहीं करता बल्कि यह समाज में जागृति लाने का कार्य भी करता है ।

आज जबकि दुनिया में इंटरनेट टेलीविजन और रेडियो के रूप में जनसंचार के आधुनिक साधन उपलब्ध हैं समाचार-पत्रों की उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है । पढ़े-लिखे लोग आज भी इसे बड़े चाव से पढ़ते हैं । समाचार-पत्र पूरी दुनिया में अलग-अलग भाषाओं में छपते हैं ।

हमारे देश में भी दैनिक समाचार-पत्र हिंदी, अँगरेजी, मराठी, तेलुगू, बंगाली, मलयालम, उर्दू आदि विभिन्न भाषाओं में छपते हैं । हिंदुस्तान टाइम्स द टाइम्स ऑफ इंडिया द हिंदू आदि हमारे देश के प्रमुख अँगरेजी समाचार-पत्र हैं । हिंदुस्तान नवभारत, टाइम्स, पंजाब, केसरी, अमर उजाला, दैनिक जागरण आज आदि हिंदी के प्रमुख समाचार-पत्र हैं ।

इसी तरह अलग- अलग प्रांतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों का प्रकाशन बड़ी संख्या में होता है । समाचार-पत्र को लोकतंत्र का सजग प्रहरी कहा जाता है । समाचार-पत्रों में भ्रष्टाचार धोखाधड़ी तथा षड्‌यंत्र की खबरें छपती हैं जो आम लोगों को जागरूक बनाती हैं ।

सरकार पर भी इसका प्रभाव पड़ता है । वह बदनामी के डर से सजग हो जाती है । दोषी मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ता है । भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होती है । समाचार-पत्रों में अनेक प्रकार के विज्ञापन छपते हैं । रोजगार संबंधी विज्ञापन युवाओं के लिए बड़े उपयोगी होते हैं ।

सरकारी विज्ञापनों से आम लोगों को सरकार की योजनाओं एव उपलब्धियों की जानकारी मिलती है । समाचार-पत्रों में विभिन्न परीक्षाओं के परीक्षाफल भी प्रकाशित होते हैं जो परीक्षार्थियों के हित में होते हैं । समाचार-पत्रों पर मौसम संबंधी जानकारी छपती है जिसका लाभ आम लोगों को होता है । इन पर विभिन्न खबरों का विस्तार से उल्लेख होता है । लोग देश-दुनिया के समाचारों से अवगत होते हैं ।

समाचार-पत्रों पर विभिन्न लेख एव सम-सामयिक गतिविधियों पर संपादकीय भी छपे होते हैं जिसका लाभ विद्यार्थियों तथा आम जनता को प्राप्त होता है । राजनीति खेल कृषि रोजगार साहित्य संस्कृति अर्थ जगत व्यापार आदि से संबंधित खबरें समाज के विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों को प्रभावित करती हैं ।

कृषि बागवानी आदि से संबंधित नई-नई जानकारियों का लाभ उठाकर किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं । व्यापीरियो को बाजार के रुझान की जानकारी मिलती है । समाचार-पत्र हमारा मनोरंजन भी करते हैं । इन पर कहानियाँ कार्टून चुटकुले तथा फिल्मी दुनिया के चटपटे समाचार छपते हैं ।

इनके रंगीन पृष्ठों पर आकर्षक तस्वीरें छपी होती हैं । त्योहारों उत्सवों एव सांस्कृतिक कार्यक्रमों से संबंधित आलेख हमारा स्वस्थ मनोरंजन करते हैं । समाचार-पत्र अपने पाठकों की प्रतिक्रिया भी छापते हैं । इस प्रकार समाचार-पत्र हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़े होते हैं । यह हमारे लिए सुबह के चाय-नाश्ते का सबसे अच्छा साथी है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 15

पर्यावरण प्रदूषण आधुनिक युग की एक बड़ी समस्या है । यह केवल भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है । यह समस्या मनुष्यों द्वारा प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ और अनियंत्रित ढंग से किए गए विकास का परिणाम है ।

हमारे चारों ओर की परिस्थितियों में पिछले सौ वर्षों की वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण अनेक परिवर्तन आ गए हैं । औद्योगिक विकास के लिए कोयला, पैट्रोल, डीजल आदि ऊर्जा के साधन बड़ी मात्रा में काम में लाए गए हैं ।

इनके उपयोग से हमारी वायु में कार्बन डायऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा बढ़ गई है । इन गैसों की वायु में बढ़ोतरी आधुनिक यंत्रचालित वाहनों के कारण भी हुई है । वायु में इन खतरनाक गैसों की उपस्थिति वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

वायु के अतिरिक्त पृथ्वी पर मौजूद जल भी प्रदूषित हो गया है । नदियों तालाबों तथा झीलों में शहरों के नालों का जल छोड़ दिया जाता है । इसके कारण हमारे देश की सभी बड़ी नदियों का जल इतना गंदा हो गया है कि यह पीने लायक नहीं रह गया है ।

दुनिया की आबादी पिछले पचास वर्षो में बड़ी तेजी से बड़ी है । जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है वैसे-वैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग भी बढ़ती है । वनों का कटाव इसी का परिणाम है । पृथ्वी का पर्यावरण असंतुलित हो गया है ।

वन्य जीवों की संख्या में कमी, भूमि का कटाव, भूस्खलन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, वायु प्रदूषण आदि वन विनाश के परिणाम कहे जा सकते हैं । पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव को कवि केदारनाथ सिंह ने इन शब्दों में व्यक्त किया है –

”भयानक सूखा है मवेशी खड़े हैं एक दूसरे का मुँह ताकते हुए कहते हैं पिता ऐसा अकाल कभी नहीं देखा ऐसा अकाल कि बस्ती में दूब तक झुलस जाए । ”

वायु में हानिकारक गैसों की वृद्धि पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि के लिए जिम्मेदार है । इस घटना को ‘ग्लोबल वार्मिग’ का नाम दिया गया है । पृथ्वी के तापमान में वृद्‌धि के कारण पहाड़ों एव ध्रुवीय क्षेत्रों की बरफ पिघल रही है ।

बरफू के पिघलने से कई छोटे-छोटे द्वीपों के समुद्र में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है । यह वायु प्रदूषण का ही परिणाम है कि वायुमंडल में ओजोन गैस की परत में छेद हो गया है । ओजोन गैस की परत हमें सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों से बचाती है ।

पर्यावरण प्रदूषण के कई रूप हैं । भूमि का प्रदूषण भी पर्यावरण प्रदूषण की श्रेणी में आता है । भूमि पर औद्योगिक तथा घरेलू कचरों का फैलाव होता जा रहा है । भूमि में कई खतरनाक रसायन घुल-मिल गए हैं । खेतों में कीटनाशकों के छिड़काव के कारण कई ऐसे कीड़े भी मर जाते हैं जो भूमि को उपजाऊ बनाते हैं । भूमि के द्वारा कीटनाशक पदार्थ खाने-पीने के पदार्थो में भी चले आते हैं । ये हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं ।

हमें पृथ्वी के पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए । इसके लिए हमें अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी । हमें इस ढग से विकास करना चाहिए जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचे । हमें जनसख्या को नियंत्रण में रखना चाहिए । पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता लाने की भी आवश्यकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 16

चलचित्र आधुनिक युग में मनोरंजन का एक सर्वप्रिय साधन है । इसका इतिहास लगभग सौ वर्ष पुराना है । जब चलचित्र या सिनेमा का प्रचलन आरभ हुआ तो मनोरंजन के पुराने साधनों का प्रयोग धीरे-धीरे कम होने लगा । नाटक नौटंकी तथा लोक कलाओं का स्थान चलचित्र ने ले लिया ।

सबसे पहले मूक फिल्में बननी आरंभ हुईं । इसमें ध्वनि या आवाज नहीं होती थी केवल चित्र दिखाई देते थे । बाद में सवाक् फिल्में बनीं जिसमें कलाकार बोलते भी थे । इस तरह फिल्मों में गीत और संगीत भी आ गया । परंतु ये फिल्में श्वेत-श्याम थीं अर्थात् सफेद और काले चित्र ही दिखाई देते थे ।

जब रंगीन फिल्में बननी आरंभ हुईं तो सिनेमा का आकर्षण और भी बढ़ गया । हमारे देश में सत्य हरिश्चंद्र के नाम से पहली मूक फिल्म बनी । तब से लेकर आज तक भारतीय सिनेमा ने एक लंबा सफर तय किया है । भारत में विभिन्न भाषाओं में लगभग एक हजार फिल्में प्रत्येक वर्ष बनती हैं ।

इन फिल्मों के माध्यम से समाज की विभिन्न समस्याओं, रीति-रिवाजों, लोगों के रहन-सहन, सामाजिक मान्यताओं आदि को दर्शाया जाता है । बहुत-सी फिल्मों में हिंसा अश्लीलता जैसे कई ऐसे दृश्य दिखाए जाते हैं जिनसे दर्शकों पर गलत प्रभाव पड़ता है ।

परंतु कई फिल्में अच्छी भी बनती हैं जिनसे लोगों का स्वस्थ मनोरंजन होता है । अच्छी फिल्मों से हमें सामाजिक कुरीतियों से लड़ने की प्रेरणा मिलती है । इनसे हमें परोपकार, दया, सामाजिक सहिष्णुता जैसे मानवीय गुणों के विकास में भी मदद मिलती है ।

फिल्म निर्माता दहेज प्रथा, ऊँच-नीच, जाति-पाँति, भ्रष्टाचार, धार्मिक झगड़े जैसी समस्याओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से उठाते हैं । इनसे हमें सामाजिक बुराइयों से दूर रहने तथा अच्छे रिवाजों को अपनाने की शिक्षा मिलती है ।

सिनेमा को समाज का आइना कहा जा सकता है । जो कुछ समाज में घटित होता है उसे सिनेमा के रूप में दिखाया जाता है । परंतु सिनेमा मूल रूप से एक मनोरंजन का ही साधन है । सिनेमा का प्रभाव युवा वर्ग पर विशेष रूप से पड़ता है ।

सिनेमा के अभिनेता एवं अभिनेत्रियाँ युवा वर्ग के लोगों के आदर्श बनकर सामने आ रहे हैं । यह वर्ग कलाकारों के चाल-चलन कपड़ों आदि की नकल करने में सबसे आगे है । कई युवा सिनेमा की नकल कर चोरी डकैती अपहरण बलात्कार जैसे अपराधों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं ।

सिनेमा के गीत-संगीत आधुनिक समय में बड़े ही लोकप्रिय हैं । गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर चलचित्र के देशभक्तिपूर्ण गीत बजाए जाते हैं । विभिन्न धार्मिक उत्सवों समारोहों तथा शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर फिल्मी गानों पर थिरकते लोगों को देखा जा सकता है । सिनेमा आज समाज के हर वर्ग के लोगों की पसँद है ।

सिनेमा आज एक उद्योग का रूप ले चुका है । आज सिनेमा बनाने में करोड़ों रुपए व्यय किए जाने लगे हैं । परंतु बहुत सी फिल्में दर्शकों द्वारा नकार दी जाती हैं । ऐसे में चलचित्र बनाने वाले को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है । वास्तव में यह एक जुआ ही है जिसमें कभी लाभ तो कभी क्षति उठानी पड़ती है ।

चलचित्र का आनंद घर बैठे टेलीविजन पर भी उठाया जा सकता है । टेलीविजन के बहुत से चैनल प्रतिदिन फिल्मों को दिखाकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं । ऐसे में देखने योग्य फिल्मों का चुनाव करना कठिन हो जाता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 17

हमारे देश में ग्रामीण जीवन को शहरी जीवन की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ माना जाता है । गाँव भारतीय समाज की एक इकाई हैं । यहाँ के हरे-भरे खेत कुंज लताएँ बाग-बगीचे देवालय तथा शांत वातावरण हमें अपार सुख देते हैं ।

ग्रामीण समाज की आवश्यकताएँ भी नियंत्रित होती हैं । अधिकतर आवश्यकताओं की पूर्ति खेत-खलिहानों एवं पालतू मवेशियों के द्वारा हो जाती है । शुद्ध वायु और जल के लिए यहाँ के लोगों को नगरों के निवासियों की तरह परेशान नहीं होना पड़ता ।

दूध दही घी आदि यहाँ शुद्ध रूप में प्राप्त हो जाता है । ताजी-हरी सब्जियाँ आसानी से प्राप्त हो जाती हैं । ग्रामीण जलवायु स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल होती है । दूसरी ओर शहरी जीवन के भी कई सुख हैं । शहर बच्चों की शिक्षा की दृष्टि से उपयुक्त होते हैं ।

यहाँ आवागमन के आधुनिक साधन होते हैं । यहाँ सभी प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं । यहाँ के लोगों को बिजली तथा आधुनिक संचार व्यवस्था की उपलब्धता के कारण जीवन-यापन में आसानी होती है । शहरों के निवासियों को अपने निवास-स्थान के निकट ही रोजगार मिल जाया करता है ।

यहाँ के निवासियों को कार्यालय कारखानों आदि में नियत समय पा जाना होता है अत: उनकी दिनचर्या नियमित होती है । शहरों में घूमने-फिरने तथा मनोरंजन के विविध साधन मौजूद होते हैं । यहाँ सड़कें एव गलियाँ पक्की होती हैं अत: बरसात में गाँवों की तरह कीचड़ एवं गंदगी नहीं होती है ।

शहर व्यापार एवं उद्योग के केंद्र होते हैं । यहाँ लोगों को अपनी उन्नति के अनेक साधन होते हैं । यही कारण है कि पिछले सौ वर्षों में भारत का तेजी से शहरीकरण हो रहा है । फिर भी शांतिप्रिय लोगों के लिए ग्रामीण जीवन ही अधिक अच्छा है ।

शहरों के दमघोंटू वातावरण में जीना एक तरह से प्रकृति की अवहेलना ही है । शहरों का तनाव यहाँ की भाग-दौड़ यहाँ की उपभोक्तावादी संस्कृति व्यक्ति को स्वार्थी आत्मकेंद्रित तथा भोगवादी बना देती है । यहाँ के निवासी हर समय धन की ही चिंता करते देखे जाते हैं । लोगों को पड़ोसियों से भी मिलने-जुलने का अवसर प्राप्त नहीं होता है ।

जीवन को आनंददायी बनाने के लिए सामाजिक मेल-मिलाप एवं आपसी भागीदारी का बहुत महत्त्व है जिसका कि शहरों में अभाव होता है । ग्रामीण जीवन सादगी से पूर्ण होता है । लोग तनावमुक्त रहकर प्राकृतिक जीवन का आनंद उठाते हैं । ग्रामीण त्योहारों एवं उत्सवों का भरपूर लुल्क उठाते हैं । गाँव में जाकर कवि प्रसन्न होकर यह कविता रचता है:

”बहूत दिनों के बाद अब की मैंने जी भर भोगे गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भू पर बहूत दिनों के बाद । ”

फिर भी कुछ लोगों की दृष्टि में ग्रामीण जीवन कोई आदर्श जीवन नहीं है । यहाँ चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधाओं का अभाव है । यहाँ के लोग परस्पर विद्वेष रखते हैं । ग्रामीण आपसी झगड़ों एवं मुकदमेबाजी में उलझे रहते हैं । यहाँ जाति प्रथा का बोलबाला है ।

यहाँ बेकारी और निर्धनता है । गाँवों के बेरोजगार लोग व्यर्थ के वार्तालाप नशेबाजी जुआ तथा लड़ाई-झगड़े में अपना समय नष्ट करते हैं । यहाँ अंधविश्वास चरम सीमा पर है । उपर्युक्त कारणों से गाँवों का जीवन शहरों की तुलना में श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता ।

निष्कर्षत : कहा जा सकता है कि गाँव एवं शहर दोनों का ही अपना-अपना महत्त्व है । सुयोग्य व्यक्ति जहाँ भी रहता है वह वहाँ के जीवन का आनंद उठाता है । अच्छा नागरिक अपने निवास-स्थान को सुंदर एवं आदर्श बनाने का प्रयास करता है । गाँव हो या शहर उसके मस्तिष्क में हर समय अपनी जन्मभूमि एव देश के हित की भावना होती है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 18

मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली में रहता हूँ । यह एक प्राचीन शहर है । वर्तमान समय में यह हमारे देश की राजधानी है । केंद्रीय सरकार के सभी प्रमुख कार्यालय यहीं पर स्थित हैं । यहाँ कई दर्शनीय स्थल एवं ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान हैं ।

दिल्ली के पुराने स्वरूप को पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है । वर्तमान में पुरानी दिल्ली एक तंग एवं घनी आबादी वाला स्थान है । जामा मस्जिद और लाल किला यहीं स्थित है । हर वर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण करते हैं ।

शाहजहाँ द्वारा बनाया गया लाल किला आज भारत के गौरव का प्रतीक बन गया है । इसकी भव्यता आज भी बरकरार है । यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है । दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है । यहाँ भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों तथा देश के प्रमुख नेताओं का निवास स्थान है ।

राष्ट्रपति प्रसिद्ध राष्ट्रपति भवन में निवास करते हैं । राष्ट्रपति भवन एक सुंदर एवं आकर्षक इमारत है जिसे अँगरेजों ने बनवाया था । राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन बसंत ऋतु में दर्शकों के लिए खोल दिया जाता है । यहाँ विभिन्न फूलों को देखा जा सकता है र खासकर गुलाब के फूलों की अलग-अलग किस्में अत्यंत शोभायमान होती हैं ।

राष्ट्रपति भवन के ठीक सामने कुछ दूरी पर इंडिया गेट है । यहाँ अमर जवान ज्योति जलती रहती है । इस क्षेत्र की सभी इमारतें दर्शनीय हैं । दिल्ली स्थित संसद भवन एक गोलाकार इमारत है । यह भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है । दिल्ली के अन्य दर्शनीय स्थलों में लोटस टेंपल पुराना किला बिड़ला मंदिर छतरपुर मंदिर राष्ट्रीय संग्रहालय अभूघर प्रगति मैदान चिड़ियाघर आदि प्रमुख हैं । कनाट प्लेस यहाँ का प्रमुख बाजार है । यहाँ कई कंपनियों के कार्यालय भी हैं ।

हमारे महानगर दिल्ली की आबादी लगभग सवा करोड़ है । यहाँ देश के सभी क्षेत्रों के लोग निवास करते हैं । दिल्ली को भारत की मिली-जुली संस्कृति का आदर्श नमूना कहा जा सकता है । इस नगर का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा है । लोगों के आवागमन के लिए सड़क मार्ग और मेट्रो रेल मार्ग बने हुए हैं ।

चौड़ी सड़कों पर विभिन्न प्रकार के वाहनों का ताँता लगा रहता है । सड़क यातायात पर दवाब को कम करने के लिए पूरी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा का विस्तार किया गया है । दिल्ली की मेट्रो रेल सेवा संसार की आधुनिकतम नगरीय यातायात व्यवस्था है ।

दिल्ली की आबादी तेजी से बढ़ रही है । यहाँ भारत के दूरदराज क्षेत्रों के लोग रोजगार की तलाश में आते हैं । यही कारण है कि यहाँ जगह घनी आबादी है । आबादी बढ़ने के साथ-साथ गंदगी भी बढ़ है । बिजली और पानी जैसी मूल सुविधाओं का अभाव होता जा रहा ।

छोटे-बड़े उद्योग-धंधों एवं वाहनों के कारण वातावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है । ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी यहाँ जटिल होती जा रही । दिल्ली की सरकार इन समस्याओं को दूर करने का हर संभव प्रयास रही है । दिल्ली को सुंदर एव हरा-भरा बनाने में आम लोगों की भागीदारी भी बहुत महत्त्वपूर्ण है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 19

इंटरनेट को मनुष्य के इतिहास में संचार के क्षेत्र की सबसे बड़ी खोज कहा जा सकता है । इक्कीसवीं सदी में इंटरनेट जीवन के हर पहलू से जुड़ी हुई है । यह व्यवसाय, अर्थ जगत, शिक्षा, मनोरंजन और जानकारी जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों से गहराई से जुड़ता जा रहा है ।

इंटरनेट से केवल सूचनाओं का ही आदान-प्रदान नहीं होता इस पर धन का लेन-देन, घरेलू खरीदारी, रेल एवं हवाई यात्रा का आरक्षण आदि सब कुछ संभव है । यह बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का एक उपयोगी माध्यम है ।

यह विभिन्न भाषाओं के विकास का भी एक अच्छा उपकरण है । इंटरनेट किसी भी स्थानीय भाषा को बहुत कम समय में ही दुनिया भर में प्रचलित कर सकता है । भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को दुनिया भर में फैलाने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जा रहा है ।

कंप्यूटर के क्षेत्र में आज चारों ओर इंटरनेट का बोलबाला है । यह सूचना प्रौद्योगिकी का एक विकसित रूप है । शिक्षा मनोरंजन प्रशासन दूरसंचार आदि जीवन के हर क्षेत्र में इंटरनेट की भागीदारी बढ़ती जा रही है । सूचना चाहे किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हो वह इंटरनेट पर मौजूद है ।

इंग्लैंड में विश्वविद्यालयों की कितनी संख्या है, दुनिया में कौन-कौन से प्रमुख पर्यटन स्थल हैं आदि लाखों सूचनाओं को बटन दबाकर घर बैठे ही प्राप्त किया जा सकता है । दुनिया भर के प्रमुख अखबारों को इंटरनेट पर पढ़ा जा सकता है ।

इंटरनेट दुनिया भर के कंप्यूटर नेटवर्कों को जोड़कर बनाया गया सबसे बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क है । इस पर लाखों सूचनाओं का आदान-प्रदान पलक झपकते हो जाता है । इंटरनेट ने सूचना प्रौद्योगिकी को आम लोगों तक पहुँचा दिया है ।

इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी शहर से घर बैठे संपर्क स्थापित कर सकता है । परतु इसके लिए एक कंप्यूटर और टेलीफोन की आवश्यकता होती है । यदि किसी व्यक्ति ने अपने कंप्यूटर को इंटरनेट सुविधा से जोड़ लिया है तो उसके लिए किसी भी तरह की जानकारी हासिल करना एक सरल कार्य है ।

इंटरनेट ने व्यापार जगत की कई समस्याएँ हल कर दी हैं । अब कोई व्यक्ति घर बैठे ही दुनिया के किसी भी हिस्से से व्यापारिक संपर्क स्थापित कर सकता है । कोई व्यक्ति यदि अमेरिका में बनी कोई कार खरीदना चाहता है तो उसे अब अमेरिका जाने की जरूरत नहीं ।

वह इंटरनेट पर ही अपना आर्डर दे सकता है । वह बिलों का भुगतान भी इंटरनेट पर कर सकता है । आधुनिक युग प्रतियोगिता का युग है । इस युग में सूचना तकनीक का बहुत महत्त्व है । आधुनिक शिक्षा प्रणाली कंप्यूटरीकृत होती जा रही है ।

हमारी जनसख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है उसी अनुपात में सामूहिक शिक्षा का भी महत्त्व बढ़ गया है । इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से विद्यार्थियों के एक बड़े समूह को शिक्षित किया जा सकता है । सूचना प्रौद्योगिकी की आधुनिक विधियों का प्रयोग कर हम रोजगार की संभावनाएँ बढ़ा सकते हैं ।

युवा वर्ग के लोग साइबर कैफे आदि खोलकर आम लोगों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान कर रहे हैं । इस प्रकार इंटरनेट ने हमारे जीवन को विभिन्न तरीके से प्रभावित किया है । भारत में इसके विकास की अपार संभावनाएँ हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 20

बिजली ऊर्जा के विभिन्न रूपों में से सबसे प्रचलित रूप है । जो स्थान मानव शरीर में रक्त का है वही स्थान आधुनिक जीवन में बिजली का है । यह आधुनिक सभ्यता का आधार है । बिजली के बिना जीवन की गति थम जाती है, जनजीवन लगभग ठप पड़ जाता है ।

यह बिजली का ही चमत्कार है कि महानगरों में रात के समय दिन के समान उजाला रहता है । शहरों कस्बों तथा गाँवों में भी आज बिजली घर-घर की उपयोगी वस्तु बन चुकी है । महानगरीय तथा शहरी जीवन का तो आधार ही बिजली है । यदि बिजली नहीं तो अँधेरा ही अँधेरा । घर के दैनिक कार्य बिजली के बिना नहीं हो सकते । विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए बिजली चाहिए ।

टेलीविजन देखना हो पंखे की हवा खानी हो कूलर की ठंडी हवा का मजा लेना हो अथवा वातानुकूलित संयंत्र चलाकर चैन की नींद सोनी हो तो बिजली चाहिए ही । फ्रिज, वाशिंग मशीन, गीजर, कंप्यूटर, जलपंप आदि कितनी ही मशीनें किसी काम की नहीं यदि बिजली न हो ।

अनेक उद्योग-धंधे बिजली पर निर्भर हैं । इसे बिजली का ही चमत्कार कहा जाएगा कि इसने आधुनिक युग में किसी भी वस्तु के बड़े पैमाने पर उत्पादन को संभव बनाया है । बिजली की जगमगाती रोशनी के बीच ही बड़े-बड़े कारखानों में रात-दिन काम होता है ।

हालांक कल-कारखानों में कोयला, पैट्रोल, डीजल आदि ऊर्जा के अन्य रूपों का भी प्रयोग होता है परंतु बिजली से चालित मशीनों का प्रयोग अधिक सुविधाजनक है । कंप्यूटर इंटरनेट आदि बिजली उपलब्ध होने पर ही कार्य कर पाते हैं ।

बिजली आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति का आधार है । इसका जुड़ाव हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से है । उत्सव समारोह त्योहार पार्टियाँ आदि बिजली की चकाचौंध के बीच ही अच्छी लगती हैं । किसानों को फसलों की सिंचाई करने में बिजली की आवश्यकता होती है ।

अनेक रेलगाड़ियाँ बिजली से चलती हैं । यदि बिजली नहीं होती तो यातायात के आधुनिक साधनों का प्रयोग असंभव हो जाता । वायुयानों रेलगाड़ियों तथा सड़कों पर चलनेवाले वाहनों को रात के समय नहीं चलाया जा सकता । बिजली का चमत्कार आज सर्वत्र दिखाई दे रहा है । यही कारण है कि सभी देश बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन करते हैं । जिन देशों में अधिक बिजली उपलब्ध होती है वहाँ अधिक तेजी से प्रगति होती है ।

हमारे पास बिजली का कोई विकल्प नहीं है । बिजली के उत्पादन के लिए भट्टियों में कोयला जलाया जाता है । जल के तेज बहाव से भी बिजली उत्पादित की जाती है । परमाणु शक्ति का प्रयोग भी बिजली उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है ।

बिजली घर-घर की उपयोगी वस्तु है । इसका अपव्यय नहीं करना चाहिए । इसका उचित उपयोग कर हम इसके चमत्कार को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं । बिजली की वस्तुओं का प्रयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए अन्यथा यह हमारे लिए जानलेवा भी हो सकता है ।

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ICSE Class 7 Hindi Notes PDF Download

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Chapter Wise Class 7 ICSE Hindi Notes PDF

The class 7 ICSE Hindi notes PDF are created by our subject matter experts which are available on Selfstudys website. Through this students can easily access all the chapters of class 7 Hindi and can prepare for the upcoming exams accordingly. It is easily accessible as the portable document format (PDF) of class 7 Hindi can be downloaded from their own comfort zone. 

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What are the Benefits of Referring to the ICSE Class 7 Hindi Notes?

Major benefit of referring to the ICSE class 7 Hindi notes is that students can improve their recalling power that is they can hold the information for longer period of time; apart from this there are more benefits, those are explained below: 

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When is the Right Time to Refer to ICSE Class 7 Hindi Notes PDF?

The right time to refer to the ICSE class 7 Hindi notes PDF generally depends on the students learning style and preferences, but it is better to follow the below tips: 

  • In the Beginning of the Preparation: Students should start referring to the ICSE class 7 Hindi notes from the beginning of the preparation so that they can complete the topic well ahead of time. 
  • While Studying Concept: In the process of completing each concept, students go through the class 7 ICSE Hindi notes and can complete the concepts quickly. 
  • To Solve Questions: Question is defined as a sentence or phrase which asks for answers, students need to be an expert while solving questions of Hindi. However, to be an expert, students can refer to the class 7 Hindi notes. 
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Strategies for Acing the Exam With the Help of ICSE Class 7 Hindi Notes

Preparing for the final exam can be a difficult one but with the help of ICSE class 7 Hindi notes, the process can be much easier, strategies to do better in exams are discussed below: 

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Why is it Important to Refer to the ICSE Class 7 Hindi Notes PDF?

Referring to the ICSE class 7 Hindi notes PDF can be extremely important and can be helpful for several reasons, those reasons are discussed below: 

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Benefits of essay writing:

To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.

Essay wiring in Hindi:

It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.

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  • साहित्य समाज का दर्पण है पर निबंध
  • मन के हारे हार मन के जीते जीत पर निबंध
  • सच्चा धर्म पर निबंध
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  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा निबंध
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  • प्लासी का युद्ध
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  • सामूगढ़ का युद्ध
  • करनाल का युद्ध
  • खानवा का युद्ध
  • घाघरा का युद्ध
  • चौसा का युद्ध
  • कन्नौज का युद्ध
  • तराइन का दूसरा युद्ध  – 1192
  • तराइन का प्रथम युद्ध
  • एस.एस राजामौली
  • कोरोना: एक वैश्र्विक चुनौती
  • अनियन्त्रित भ्रष्टाचार : कारण और निवारण
  • भ्रष्टाचार उन्मूलन : समस्या समाधान

Conclusion:

It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.

FAQs:      

  • Who need to write Hindi essays?

Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.

  • What is beneficial for Hindi essay writing?

Answer. Students should focus on learning Hindi language from the basic level with which they can understand the pattern and style of essay writing completely.

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Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

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Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन (Nibandh Lekhan). Hindi Vyakaran contents are in updated format according to CBSE Curriculum 2023-24. Sample Nibandh are given below so that students can take the hints from these Nibandh. State board students also take the benefits of these grammar contents for class 7 as it is based on State board Syllabus also.

  • कक्षा 7 के लिए हिन्दी व्याकरण – निबंध लेखन

निबंध का अर्थ है-बँधा हुआ। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध किसी विषय-विशेष पर केंद्रित वाक्य-संरचना होती है। निबंध-लेखन से पहले यह सुनिश्चित कर लेना होता है कि हम इस विषय पर क्या कहना चाहते हैं। अपने विचारों को पहले बिंदुओं में विभाजित कर लेना चाहिए, फिर अपनी बात को विस्तार देना चाहिए। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध लिखते समय भाव-सामग्री को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। इसकी भाषा सरल, प्रवाहमयी, सरस व रोचक होनी चाहिए। निबंध लिखते समय दिए गए विषय के सभी पक्षों पर क्रमानुसार प्रकाश डालना चाहिए। सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक विषयों पर लिखे गए गंभीर लेख भी निबंध की श्रेणी में ही आते हैं। साहित्यिक लेख भी निबंध कहे जा सकते हैं, परंतु उनकी भाषा शैली अधिक आकर्षक होती है। निबंध-लेखन के संबंध में ध्यान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • 1. सबसे पहले विषय पर समग्र विचार करके बिंदुओं को मन में बिठा लेना चाहिए।
  • 2. इसे प्रभावपूर्ण बनाने के लिए छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • 3. भाषा सरस व सुबोध होनी चाहिए जो पढ़ने वाले को रुचिकर लगे।
  • 4. इसकी शैली रोचक होनी चाहिए जो पढ़ने वाले पर प्रभाव डाल सके।
  • 5. इसकी भाषा में विराम-चिह्नों का समुचित प्रयोग होना चाहिए।
  • 6. मुहावरों के प्रयोग से भी निबंध सशक्त बनता है। इससे निबंध की भाषा शैली में निखार आता है और वह रोचक बन जाता है।

एक अच्छे निबंध के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं:

  • आरंभ, भूमिका या प्रस्तावना
  • मध्य भाग या कलेवर
  • उपसंहार, निष्कर्ष या अंत

निबंध की शुरुआत भूमिका या प्रस्तावना से ही होनी चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। इसे लिखते समय दिए गए विषय से नहीं हटना चाहिए।

इस भाग में दिए गए विषय के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। विषय से संबंधित सभी बिंदुओं का क्रमानुसार वर्णन इसी भाग के अंतर्गत आता है। छोटे-छोटे वाक्यों में विषय के बिंदुओं को पिरोना चाहिए। भाषा सरल एवं सहज रखनी चाहिए।

इस भाग में निबंध का सार तथा निष्कर्ष लिखना चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। आइए, विविध विषयों पर दिए गए निबंधों को पढ़ें और लिखने का अभ्यास करें

महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध सूक्ति है-“शरीर मायं खलु धर्मसाधनम्।” अर्थात् धर्म का पहला साधन शरीर है। स्वस्थ हो तो वह सभी धर्मों का निर्वाह कर सकता है। स्वस्थ व बल-संपन्न शरीर का स्वामी ही जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस का सिद्धांत ही सदा से प्रचलन में रहा है। शक्तिशाली ही पृथ्वी पर राज्य करता है। सारांश यह है कि शारीरिक बल की बड़ी महिमा है और शारीरिक बल का प्रमुख साधन है-व्यायाम। वे सभी विशिष्ट शारीरिक क्रियाएँ जो शरीर को स्वस्थ व चुस्त-दुरुस्त बनाती हैं, व्यायाम कही जाती हैं। व्यायाम के अनेक भेद हैं। विभिन्न प्रकार के आसन, दंड, बैठक, घुड़सवारी, तैराकी आदि ऐसे व्यायाम हैं, जिन्हें व्यक्ति किसी अन्य की सहायता के बिना अकेला ही कर सकता है। लेकिन हॉकी, कबड्डी, कुश्ती आदि व्यायाम के ऐसे प्रकार हैं जिनमें अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की सहायता आवश्यक होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। व्यायाम करने से व्यक्ति क्रियाशील बना रहता है तथा उसका शरीर सुडौल व सुगठित बना रहता है। रक्त-संचार तथा पाचन शक्ति ठीक रखने में व्यायाम सर्वाधिक सहायक होता है। व्यायामशील व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्त रहता है। व्यायाम न करने से मनुष्य को अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियाँ (बीमारियाँ)घेर लेती हैं। पाचन शक्ति का बिगड़ जाना, शरीर के जोड़ों में पीड़ा होना, पेट का बढ़ जाना, माँसपेशियों का लटक जाना, सिर में पीड़ा होना आदि शारीरिक कष्ट व्यायाम न करने से हो जाते हैं। व्यायाम से होने वाले लाभों तथा व्यायाम न करने से होने वाली हानियों को देखते हुए यह आवश्यक है कि व्यायाम के विविध साधनों का समुचित विकास किया जाए।

बाल, युवा और वृद्ध सभी की अपनी-अपनी शारीरिक क्षमताएँ और सीमाएँ होती हैं। अतः यह आवश्यक है कि ऐसी व्यायामशालाओं तथा व्यायाम-साधनों का विकास किया जाए जो हर आयु वर्ग के मनुष्यों के अनुकूल हों। छात्रों के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर व्यायामशालाओं की व्यवस्था की जा सकती है तथा अन्यों के लिए सार्वजनिक पार्कों आदि में व्यायाम के साधन जुटाए जा सकते हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नागरिक ही किसी समाज या राष्ट्र की समृद्धि का आधार बनते हैं। अतः आवश्यक है कि हम अपने देश के नागरिकों में व्यायाम के लिए रुचि उत्पन्न करें ताकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

भारत एक विशाल देश है। यह कटक से कच्छ तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह प्रदेशों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से मिलकर राष्ट्र का रूप धारण करता है। उसमें भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मों, रीति-रिवाजों के लोग रहते हैं। यह देश एक ऐसे हार की भाँति है जिसके रंग-बिरंगे फूलों के समान राज्यों, लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया गया है। अनेकता में एकता इस राष्ट्र की विशेषता है। देश का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब कभी विघटनकारी शक्तियों ने अपना सिर उठाया-कभी धर्म, कभी जाति, कभी भाषा तो कभी प्रांत के नाम पर घृणा को उभारा-हमारी एकता को कमजोर करने का प्रयत्न किया तो हमें बहुत हानि उठानी पड़ी। अंग्रेजों द्वारा “फूट डालो, राज करो” की नीति से इस देश का विभाजन किया गया। आज भी कश्मीर समस्या मुँह बाए खड़ी है। राष्ट्र की उन्नति उसकी एकता पर आधारित होती है। आज इस एकता में कई बाधक तत्व स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता के विष जैसी संकुचित भावना ने हमारे देश को कई बार कमज़ोर करने का प्रयत्न किया है। पाकिस्तान का प्रमाण हमारे सामने स्पष्ट है। यही धार्मिक कट्टरता आज देश को कमज़ोर कर रही है। कश्मीर समस्या तथा अन्य सांप्रदायिक झगड़ों के लिए राजनैतिक दल भी जिम्मेदार हैं।

हम भारतवासियों को राष्ट्रीय एकता के बल पर बाधक तत्वों को मुँह-तोड़ जवाब देना चाहिए। राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्वों में भाषा समस्या का विशेष हाथ है। इस आधार पर पंजाब व हरियाणा का निर्माण हुआ। गुजरात और महाराष्ट्र की एकता में दरार पड़ सकती है। यदि हम भारतीय भाषाओं में एकता के दर्शन करें तो भावात्मक एकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हमारे ग्रंथ, समाज, संस्कृति तथा भाषा सबको एक लड़ी में पिरोने का काम कर रहे हैं। प्रांतीयता और जातिवाद हमारे राष्ट्र की एक ऐसी समस्या है जिसके कारण हमारे देश को बहुत हानि हुई है। इन्हीं के कारण भारत को विविधताओं का देश भी कहकर पुकारा जाता है। हम सब भारतीयों को मिल-जुलकर रहना चाहिए तथा सरकार के साथ मिलकर इस समस्या को सुलझाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय एकता बनी रहे।

हम स्वार्थ, त्याग, धैर्य, सत्य, सहनशीलता, प्रेम, भाईचारे के बल पर अपने देश में राष्ट्रीय एकता को मजबूत करके अच्छे राष्ट्र, प्रांत या समाज के लिए संगठित रहें। हममें उतनी जागरूकता होनी चाहिए कि शत्रु पर कब और कितनी शक्ति के साथ लोहा लेना है। राष्ट्रीय एकता और एकजुटता के साथ हम अपने देश के सामने आने वाली समस्याओं का दृढ़ता के साथ मुकाबला करें। मिल-जुलकर रहते हुए एक-दूसरे की भलाई को ध्यान में रखकर जीने को एकता कहते हैं। यही एकता जब राज्यों या प्रातों में झलकती है तो वह भावनात्मक या राष्ट्रीय एकता कहलाती है। राष्ट्रीय एकता शक्ति को प्रकट करती है। वर्तमान काल में प्रत्येक कठिनाई एकता अर्थात् शक्ति से हल की जा सकती है। अतः हमें छोटी-छोटी बातें भूलकर अपनी तथा देश की भलाई के लिए राष्ट्रीय एकता बनाए रखनी चाहिए।

भारत-भूमि स्वर्ग के समान सुंदर है। यहाँ छह ऋतुएँ बारी-बारी से आकर प्रकृति का श्रृंगार करती हैं। प्रत्येक ऋतु का अपना-अपना महत्त्व है। इन सभी ऋतुओं में बसंत को “ऋतु राज” कहा गया है। बसंत ऋतु सचमुच प्रकृति का यौवन है। इस ऋतु में जिधर भी दृष्टि जाती है, पृथ्वी यौवन के भार से दबी प्रतीत होती है। बसंत ऋतु फरवरी-मार्च के महीनों में आती है। इन दिनों में शरद ऋतु का प्रभाव कम हो जाता है तथा न अधिक गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी। इस ऋतु में दिन-रात लगभग बराबर होते हैं। शरद ऋतु की कड़ाके की सर्दी को धरती की हरियाली सहन नहीं कर पाती।

फूल मुरझा जाते हैं और पत्ते पीले पड़ जाते हैं। हेमंत ऋतु में पतझड़ होता है तथा पत्ते झड़ जाते हैं। इसके बाद ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। पृथ्वी का रोम-रोम सिहर उठता है। समस्त प्रकृति में माधुर्य एवं सुंदरता भर जाती है। पेड़ों पर नए-नए पत्ते निकल आते हैं। आम पर सुनहरा बौर आ जाता है तथा कोयल की कूक सुनाई देने लगती है। उद्यानों में रंग-बिरंगे फूल अपनी सुंदरता बिखेरते हैं तथा भौरे और रंग-बिरंगी तितलियाँ उनके आस-पास मँडराने लगती हैं। ऐसा लगता है मानो वे उनके साथ अठखेलियाँ कर रही हों। सरसों के फूलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो पृथ्वी ने पीली चादर ओढ़ ली हो। यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उत्तम है। इस ऋतु में शीतल एवं सुगंधित पवन चलती है जिसमें भ्रमण करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस ऋतु में शरीर में नए रक्त का संचार होता है।

बसंत ऋतु का आरंभ बसंत पंचमी के त्योहार से होता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यह त्योहार समस्त उत्तर भारत में हर्ष एवं उल्लास से मनाया जाता है। बसंत पंचमी को ही ज्ञान की देवी सरस्वती जी का जन्म हुआ था। इसी दिन वीर हकीकत राय ने हिंदू धर्म की बलिवेदी पर अपने प्राणों की बलि दी थी। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं। सरस्वती-पूजन करते हैं तथा पीला हलुआ बाँटते हैं। स्थान-स्थान पर बसंत मेलों का आयोजन किया जाता है। “पतंग-उड़ाना” भी इस दिन का महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम होता है। बसंत वास्तव में ऋतुओं का राजा है। प्रकृति का कोना-कोना रोमांचित तथा पुलकित लगता है। मानो यह ऋतुराज का स्वागत कर रहा हो। बसंत के सौंदर्य से प्रेरणा पाकर ही भगत सिंह ने गाया था, “मेरा रंग दे बसंती चोला।“ कवियों ने बसंत ऋतु की प्रशंसा में अनेक कविताएँ लिखी हैं। बसंत उत्साह, उमंग, स्फूर्ति, चेतना एवं उल्लास की ऋतु है।

मनुष्य अपने जीवन का प्रत्येक क्षण आनंद और उल्लास से बिताना चाहता है। वह स्वभाव से विनोदप्रिय प्राणी है। वैसे तो सभी त्योहार जीवन में नया उल्लास व नई उमंग भरते हैं लेकिन विशेष रूप से होली हर्ष और आनंद का त्योहार है। यह आशा और आनंद का त्योहार है। इसे सभी जातियों के लोग बड़े प्रेम से मनाते हैं। होली के त्योहार का संबंध पौराणिक कथा के साथ जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि सतयुग में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलवान, अहंकारी और दुष्ट नास्तिक राजा था। वह अपने-आपको ईश्वर समझता था। उसने अपने राज्य में यह घोषणा करवा दी थी कि कोई भी भगवान की पूजा न करे। सभी उसी की उपासना करें। प्रजा डर के मारे उसकी पूजा करने लगी। परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर-भक्त था। गुस्से में आकर पिता ने पुत्र को मार डालने के लिए अपनी बहन होलिका की शरण ली। होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर जलती आग में बैठ गई। देखते-ही-देखते होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का बाल भी बाँका न हुआ। यह कथा सच्ची है अथवा कल्पित इसे कह नहीं सकते। परंतु इससे यह पता चलता है कि पाप और अत्याचार की सदा पराजय होती है और न्याय, धर्म तथा सत्य की विजय होती है। होली के दूसरे दिन लोग सवेरे-सवेरे रंग-गुलाल लेकर निकल पड़ते हैं। लोग पिचकारियों से रंग छोड़ने जाते हैं। एक-दूसरे के गले मिलते हैं। इस प्रकार सारा दिन मौज और मस्ती में गुजरता है।

परंतु आजकल होली के इस पवित्र त्योहार में कुछ बुराइयाँ पैदा हो गई हैं। लोग अक्सर शराब पीने लगे हैं। इस त्योहार से गलत परंपराएँ जुड़ती जा रही हैं। लोग रंग-गुलाल की जगह पेंट-वार्निश, कीचड़ आदि का प्रयोग करने लगे हैं जिससे यह भय का पर्व बन गया है। होली भारत का सांस्कृतिक त्योहार है। यह सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है। दुर्व्यसनों में पड़कर हमें त्योहार के वास्तविक महत्त्व को नहीं भूलना चाहिए। हमें होली इस तरह मनानी चाहिए जिससे अपने साथ-साथ सभी को आनंद मिले। तभी हम इस उत्सव की सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रख सकते हैं।

दिल्ली एक महानगर है जिसकी जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक है। दिल्ली वासियों के समक्ष यातायात की समस्या बनी रहती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए 24 दिसम्बर 2002 को दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ किया गया। प्रारंभिक चरण में यह सेवा शाहदरा से तीस हजारी तक थी जिसकी लंबाई 8.3 कि. मी. है। तत्पश्चात् इस सेवा का विस्तार विश्वविद्यालय, रिठाला, द्वारिका तथा केन्द्रीय सचिवालय तक कर दिया गया। इस योजना के विस्तार का कर्म युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसे नौएडा, गुड़गाँव, वैशाली, फरीदाबाद तथा अन्य कई स्थानों तक पहुँचा दिया गया है।

दिल्ली की मेट्रो सेवा दुनिया की आधुनिकतम सेवा है। इसके सभी दरवाजे स्वचालित हैं। इसकी यात्रा के लिए स्वचालित किराया वसूली प्रणाली को अपनाया गया है। यह सेवा या तो भूमिगत है या खंबों के ऊपर ताकि वर्तमान यातायात व्यवस्था में कोई रुकावट न आ सके। इसके कोच में 80 से 100 यात्री सफर कर सकते हैं तथा कोच पूर्णतः वातानुकूलित हैं। मेट्रो रेल में यात्रियों की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखा गया है। स्टेशन परिसरों में खाद्य वस्तुओं, दवाइयों, अखबारों आदि की सुविधा के लिए बूथ बनाए गए हैं। यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड तथा टोकन लेने की व्यवस्था की गई है। यह सारा काम स्वचालित ढंग से संपन्न किया जाता है।

मेट्रो रेल से यात्रा अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक, प्रदूषण रहित, समय की बचत एवं कम खर्च वाली है। इस व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए हमें पूर्ण सहयोग देना चाहिए। इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, समय की बचत होगी तथा हम उन्नति की राह पर चलेंगे। हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हम विश्वस्तरीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व है। आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी निर्माता है। वैसे तो व्यक्ति जीवन-भर कुछ न कुछ सीखता ही रहता है, लेकिन विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है, उसी पर उसका भावी जीवन निर्भर होता है। विद्यार्थी और अनुशासन का आपस में गहरा संबंध है। बिना अनुशासित हुए विद्यार्थी ठीक से विद्या ग्रहण नहीं कर पाता। अनुशासन ही उन्नति का द्वार है। अनुशासित व्यक्ति के मन की चंचलता समाप्त हो जाती है। उसकी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं हो पाता। अतः वह दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति करने लगता है।

आजकल हमारी नवयुवा पीढ़ी अनुशासन से विमुख हो रही है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। आज शिक्षण-संस्थाओं का भी प्रबंध अच्छा नहीं है। अध्ययन के लिए उपयोगी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण छात्रों में पढ़ाई के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने के कई कारण हैं- अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संपर्क का अभाव, अध्यापकों का अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक न रहना आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने लगी है।

अनुशासनहीनता बहुत हद तक दूर हो सकती है। जैसे- शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करके ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थियों का नैतिक, चारित्रिक विकास हो सके, ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थी जीविकोपार्जन के योग्य बन सकें, होनी चाहिए। इन सबसे विद्यार्थियों में असंतोष बहुत हद तक दूर हो जाएगा। उनमें अनुशासन के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। अभिभावक और अध्यापक दोनों मिलकर छात्रों के नैतिक सुधार की ओर विशेष रूप से ध्यान देंगे। अंत में, कहा जा सकता है कि यदि हमें राष्ट्र को अनुशासित बनाना है तो नई पीढ़ी को अपने छात्र जीवन से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाना होगा। उसी पर स्वस्थ समाज और दृढ़ राष्ट्र की नींव डाली जा सकती है।

लेखन तथा गणना के क्षेत्र में विगत पाँच दशकों में आश्चर्यजनक प्रगति हुई है। कंप्यूटर भी इन्हीं आश्चर्यजनक आविष्कारों में से एक है। आज दफ्तरों, स्टेशनों, बड़ी-बड़ी कंपनियों, टेलीफोन एक्सचेंजों आदि अन्य अनेक ऐसे कल-कारखानों में जहाँ गणना करने अथवा काफी मात्रा में छपाई का काम करने की जरूरत होती है, वहाँ भी कंप्यूटर लगाए गए हैं ताकि मानवों की संख्या में कटौती की जा सके। कंप्यूटर अब वह काम भी करने लगे हैं जो मानव के लिए काफी श्रम-साध्य तथा समय लेने लगे हैं। वैसे तो कंप्यूटर का इतिहास काफी प्राचीन माना जा सकता है। कुछ लोगों का अनुमान है कि मानव ने लगभग 25000 वर्ष पहले वस्तुओं को गिनना सीखा होगा और तभी से कंप्यूटर के आविष्कार की नींव पड़ी होगी। किंतु यह कहना कहाँ तक तर्कसंगत है। गिनने के लिए उस समय कंकड़-पत्थर, लकीरों अथवा अन्य किन्हीं सहज उपलब्ध वस्तुओं को उसने अपनाया होगा। कंप्यूटर की पहली परिकल्पना सन् 1642 में साकार हुई जब जर्मन वैज्ञानिक ब्लेज पॉस्कल ने संसार का पहला सरल कंप्यूटर तैयार किया था। इस कंप्यूटर में ऐसी कोई खास जटिलता नहीं थी, फिर भी अपने समय में यह आम लोगों के लिए एक कौतूहल का विषय अवश्य था।

वर्तमान कंप्यूटर डॉ. हरमन के प्रयासों का अति आधुनिक विकसित रूप है।कंप्यूटर का निरंतर विकास हो रहा है। ई. सी. जी., रोबोट, मानसिक कंपन, रक्तचाप तथा न जाने कितने जीवन-रक्षक कार्यों के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मन, रूस, हालैंड, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन जैसे-स्मृद्ध देशों में इसका स्थान मनुष्य के दूसरे दिमाग के रूप में माना जाता है। भारत में भी कंप्यूटर विज्ञान की निरंतर प्रगति होती जा रही है। अब भारत भी इस क्षेत्र में समुन्नत देशों की बराबरी करने लगा है। कंप्यूटर एक जटिल गणना प्रणाली का नाम है। इस प्रणाली के अनेक रूप हैं। वर्ड प्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर तथा उसमें मेमॉरी आदि का प्रावधान कंप्यूटर चालन के सिद्धांतों पर आधारित है। कल-पुर्जे तैयार करने, डाक छाँटने, रेल पथ संचालन हेतु संकेत देने, अंतरिक्ष अनुसंधान, वायुयान की गति, ऊँचाई आदि का निर्देशन, टिकट बाँटने, मुद्रण, वीडियो खेल आदि अनेकानेक कार्यों के लिए कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है।

हमारे देश में सर्वप्रथम सन् 1961 में कंप्यूटर आया था। तब से आज तक अनेक समुन्नत देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभप्रद सिद्ध हुई है। अब हम स्वदेश में ही अनेक प्रकार के कंप्यूटर बनाने में सक्षम होते जा रहे हैं। हजारों की संख्या में, विविध कार्यों के लिए कंप्यूटरों का सहारा लिया जा रहा है। बिजली के बिल, वेतन बिल, टिकट वितरण तथा बैंकिग कार्यों के लिए कंप्यूटरों का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग तथा विविध परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले सहस्रों लोगों की अंक-तालिकाएँ, रोल नंबर आदि तैयार करना कंप्यूटर की वजह से ही सुसाध्य तथा संभव हो सका है।

आज कंप्यूटर के विविध तथा बहुक्षेत्रीय उपयोग हो रहे हैं। भारत में कंप्यूटर कितने लाभप्रद तथा कितने अलाभकारी हैं- इस पर भी विचार करना जरूरी है। यह बात तो हमें स्वीकार कर ही लेनी चाहिए कि कंप्यूटर भी मानव-निर्मित उपकरण है, जिसमें आंकड़े, सूचनाएँ, अंक, हिसाब-किताब आदि मानव द्वारा ही भरे जाते हैं। अतः यदि मानव से कोई त्रुटि हो जाए तो वह कंप्यटूर में बार-बार तब तक होती रहेगी जब तक वह सुधारी न जाए। अतः यह कहना कि कंप्यूटर गलती नहीं करता, एक गंभीर तथ्य को अस्वीकार करना है। हमारा देश निर्धन देश है जहाँ प्रतिवर्ष हजारों नहीं लाखों की संख्या में बेकार युवक बढ़ते जा रहे हैं। बेकारी घटने का उचित तरीका तो यही होगा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाए। उन्हें विविध उत्पादक कार्यों में लगाया जाए ताकि देश में युवा लोगों का उपयोग हो सके।

कंप्यूटर विज्ञान का उपहार है जिसे प्रयोग न करना आज के युग में संभव नहीं है। इसलिए कंप्यूटरीकरण भी आज समय की माँग बन चुका है। भारत में लगभग सभी निजी व्यावसायिक संस्थानों, बैंकों, कई सरकारी संस्थानों व सेवाओं को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है। भविष्य में भी यह उन्नति जारी होगी।

देशभक्ति का शाब्दिक अर्थ है- देश के प्रति प्रेम, उसके प्रति अनुराग। ये धरती ऊँची पर्वतश्रेणियाँ, ये खेत-खलिहान यही सब कुछ मिलकर देश बनता है! पर देश का सच्चा स्वरूप उसके रोड़े-पत्थरों में नहीं है, वह उसके निवासियों में विद्यमान है। जो व्यक्ति देशभक्त होता है, वह अपने व्यक्तिगत हितों, अपने परिवार के हितों, अपने नगरवासियों के हितों और अपने देश के लोगों के हितों की रक्षा अवश्य करता है। किंतु जहाँ देशहित पर आँच आती है, वहाँ वह अपने सर्वहितों का विचार एकदम भूल जाता है। देशभक्त के सामने सबसे ऊपर एक ही विचार रहता है और वह है देश का विचार। इसके अनेक पहलू उसकी आँखों के सामने रहते हैं- देश की एकता, देश का गौरव, देश का सम्मान, देश की समृद्धि और देश की निरंतर प्रगति। देशभक्त किसी की बपौती नहीं है। इसके लिए न धनी होना आवश्यक है न शक्तिशाली होना। धनी या निर्धन, शक्तिशाली या निर्बल हरेक व्यक्ति देशभक्त हो सकता है। देशभक्ति का संबंध मनुष्य की भावना से है। जिसके मन में राष्ट्रहित की जितनी प्रबल भावना होती है वह उतना ही बड़ा देशभक्त है।

सामान्य अवस्था में देशभक्ति की भावना को समझने से पूर्व इतना जान लेना आवश्यक है कि देशभक्ति एक तरह से कर्तव्य का ही दूसरा नाम है। दूसरे शब्दों में, अच्छा नागरिक अच्छा देशभक्त हो सकता है। सामान्य स्थिति में कर्तव्य की भावना का स्तर मंद अथवा शांत रहता है। वही विशेष स्थिति में, अर्थात् संकट की घड़ी में अधिक मुखर हो जाता है। ऐसा आदर्श नागरिक जो राष्ट्र के प्रति वफादार हो, सच्चे अर्थों में देशभक्त कहा जाएगा। जो व्यक्ति देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव और अपना सम्मान समझता है, वह बड़ा देशभक्त है। इसके विपरीत, जो देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव, सम्मान नहीं समझता, वह उतना ही बड़ा देशद्रोही है। जो सैनिक देश की शत्रुओं से रक्षा करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो किसान निष्ठा के साथ अन्न और धान्य उपजाकर देशभर का भरण-पोषण करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो उद्योगपति, मिल-मालिक अथवा व्यापारी ईमानदारी से धन संग्रह करता है, वह देशभक्त है। मिल-मजदूर, फैक्ट्री का कर्मचारी या दुकान का नौकर जब ईमानदारी से अपना काम करता है तो वह भी देशभक्त का दर्जा पाने का अधिकारी है। यदि वह परिवार के निजी हितों को, समाज के लिए पारिवारिक हितों को और राष्ट्र के लिए निजी, पारिवारिक और सामाजिक हितों को गौण समझता है तो वह सच्चा देशभक्त है। जो अध्यापक छात्रों को बिना भेदभाव के विद्यादान देता है, सच्चा राष्ट्रसेवक है।

इसी प्रकार किसी भी पेशे का व्यक्ति, जिसे अपने देश से प्यार है और जो देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने से नहीं चूकता, देश का सच्चा सेवक होता है। एक रेलवे इंजन-ड्राइवर, एक बस-कंडक्टर, एक क्लर्क, एक पोस्टमेन, एक दुकानदार, एक जमादार, जो लोग ईमानदारी से अपने-अपने काम को अंजाम देते हैं- ये सभी के सभी परोक्ष रूप में देश की महान सेवा करते हैं। अभिप्राय यह है कि अपनी निष्ठा के रहते, चपरासी भी महान देशभक्त होता है, और देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व से भ्रष्ट होकर मंत्री तक भी देशद्रोही की संज्ञा पा सकता है। हम अपने प्रति सच्चे रहें, अपने कुल-परिवार के लिए सच्चे रहें और इससे बढ़कर हम अपने देश के प्रति सच्चे रहें; यही देश-प्रेम का महान आदर्श है। सभी भेदभाव भुलाकर, सभी पूर्वाग्रहों को मन से निकालकर अपने देशवासियों के प्रति हमारे मन में भाईचारे की भावना जागृत हो; यही सच्चे राष्ट्र-प्रेम की निशानी है। हमारा देश एकजुट होकर उन्नति करे, हमारे देश का नाम अमर रहे, हमारा झंडा ऊँचा रहे। हम किसी से दबें नहीं, हम किसी से झुकें नहीं। भले ही हमारे धर्म और संप्रदाय अलग-अलग हैं, हमारे गाँव, नगर और प्रदेश अलग-अलग हैं, पर हम सब एक महान देश के नागरिक हैं। हम अपने देश के प्रति सच्चे रहेंगे- यह भावना देशभक्ति की ही भावना है। बच्चो, आप भी बड़े होकर ईमानदारी से काम करना। ऐसा कोई काम न करना जिससे हमारे देश को हानि हो। तब तुम भी देशभक्त कहलाओगे।

हमारा देश भारत बहुत बड़ा है। आकार को ध्यान में रखते हुए इस देश की जनसंख्या कहीं ज्यादा है। यह चीन के बाद सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है। भारत में इस समय भी आवास, भोजन, रोजगार की काफी कमी है। यही नहीं हवा, पानी जैसी प्रकृति-प्रदत्त सुविधाएँ भी निरंतर प्रदूषित होती जा रही हैं। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। प्रत्येक देश के लिए उतनी ही जनसंख्या काफी होती है जितनी कि रहने के लिए आवास, भोजन, वस्त्र तथा रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। देशवासियों की खुशहाली से एक अच्छी सामाजिक व्यवस्था सुदृढ़ होती है। देश में महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी एवं चरित्र का गिरना यह सूचित करता है कि हम अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या की थाड़ा भी परवाह नहीं कर रहे हैं।

जिन देशों की सीमाएँ लंबी-चौड़ी हैं, उनके पास भू-भाग बहुत हैं तथा वन-संपदा एवं भू-संपदा की कमी नहीं है। उन देशों में यदि जनसंख्या बढ़ती है तो कोई चिंता की बात नहीं है। किंतु जहाँ स्थिति विपरीत हो वहाँ नागरिकों तथा सरकार का यह सबसे पहला कर्तव्य होता है कि पूरे मन से जनसंख्या में हो रही वृद्धि को नैतिक, प्राकृतिक एवं वृहत्रिम उपायों से जरूर रोका जाए। कुछ अन्य देश ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या ज्यादा है, जैसे जापान, इंग्लैड आदि। किंतु इन छोटे-छोटे देशों ने उद्योग धंधे के क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति कर ली है कि उन्हें जनसंख्या की वृद्धि की ज्यादा चिंता नहीं है। इसके अतिरिक्त व्हाँ के लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में अपना योगदान देते हैं। हमारे देश में संसाधनों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जो वृद्धि हो रही है, जनसंख्या में वृद्धि उससे कहीं ज्यादा हो रही है। यदि इसी रफ्तार से वृद्धि होती रही तो संसाधनों की कमी पड़ जाएगी।

जनसंख्या में होने वाली वृद्धि से जो समस्याएँ पैदा होती हैं, वे अलग-अलग प्रकार की होती हैं। इसके अलावा 0-7 वर्ष के आयु वर्ग में 15,78,63,145 बच्चे हैं। क्या उनके लिए दूध एवं खाद्य पदार्थों की जरूरत नहीं पड़ेगी? कपड़ा आवास, औषधियाँ बच्चों के लिए जरूरी होते हैं। साधन न होने से इनकी कमी कैसे पूरी की जा सकेगी? जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार तथा जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा, तभी इसमें सफलता मिल पाएगी। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन के लिए अपार धनराशि निर्धारित करनी पड़ेगी। गर्भ निरोधक औषधियाँ, स्वास्थ्य संबंधी परामर्श की व्यवस्था इतने अंतर पर करनी चाहिए ताकि दंपतियों तथा छोटे बच्चों को उचित सलाह लेने के लिए भागना न पड़े।

सरकारी लाभों को सीमित करके जैसे सरकार की तरफ से ऐसा ऐलान होना चाहिए कि राशन, चिकित्सा, ऋण आदि की सुविधाएँ केवल उन दंपतियों को मिलेंगी जिनकी केवल दो संतानें होंगी। सरकारी नौकरी में भी उन्हीं को तरक्की दी जानी चाहिए जिनके दो से अधिक बच्चे न हों। यदि इस प्रकार के कुछ नियम बनाए जाएँ तथा कुछ अवरोध लगाया जाए, तो एक दशक के भीतर जनसंख्या को काफी सीमा तक काबू किया जा सकता है।

Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

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ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper_00.1

ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper

ICSE Hindi Question Paper 2024 and ICSE Hindi Answer Key 2024 is very helpful for students to Analyse their performance. Review all Question of ICSE Hindi Specimen Paper 2024 here.

ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper_20.1

Table of Contents

The ICSE Hindi Paper 2024 will be administered by the Council for Indian School Certificate Examinations (CISCE) on 20th March 2024. At 11 a.m., the ICSE board Hindi exam has started. The ICSE board exam 2024 for ICSE Hindi concluded at 1:00 p.m. The instructors will supply the answer sheet separately to write the answers. For the first fifteen minutes, you cannot write the answers to the ICSE Hindi Question Paper 2024. The ICSE Hindi Board Paper 2024 was of moderate level according to students.

ICSE Hindi Question Paper 2024

Students are generally keen to obtain the ICSE Hindi Question Paper 2024 and ICSE Hindi answer key 2024 after the exam. We will provide an ICSE Class 10 Hindi Answer Key and the question paper on this page to make things easier for students. The ICSE Hindi Important Questions of the specimen paper are listed below for students to review.

Hindi ICSE Board Paper 2024

Students have two hours to finish the 80-mark Hindi ICSE Board Paper 2024. It is required to respond to every question in Section A. Section B asks 4 questions. Try any four questions from Section B, answering at least one question from each of the two books you’ve read and any two questions from those same books. Let’s examine the salient features of the ICSE Hindi Specimen Paper 2024.

ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper_30.1

Class 10 ICSE Hindi Paper Analysis 2024

The brief reviews provided by the teachers and students on ICSE Hindi Question paper 2024 are updated here

  • According to students who took the CBSE Class 10 Hindi Board exam 2024, the paper was moderate.
  • Although the paper was as per expectations and not very tough or tricky, it was somewhat a lengthy paper.
  • students somehow managed to complete the paper in time.
  • According to teachers , The paper wasn’t tough but it wasn’t a very easy, direct scoring paper also.
  • Section B of the class 10 Hindi paper took a long time because students had to provide descriptive answers.
  • Other educator said, The paper was well-balanced. However, due to the less practice of writing the language, the students may find it to be a lengthy paper.
  • Some parts of the paper were easy for them to complete.
  • No questions were asked outside of the syllabus.

ICSE Hindi Question Paper 2024 Pattern

We have given you a detailed rundown of the ICSE Class 10 Hindi board exam 2024, including the question paper design, theory exam marking scheme, and the internal assessment evaluation in this table.

ICSE Hindi Answer Key 2024

The ICSE Hindi answer key 2024 is available on this page. Students can identify proper and incorrect answers with the aid of the ICSE Hindi Answer Key. Having the right answers validates knowledge and effort, which boosts confidence and motivation. We will include comments on the paper from students and subject matter experts in addition to the ICSE Hindi answer key. Here are the first few questions from the Hindi class 10 question paper 2024 together with their corresponding answer codes. Every response is precise and backed up by evidence. If learners continue to believe that any of the answers are wrong, kindly post a comment below.

ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2024 Solution

You’ve come to the correct spot if you’re seeking the ICSE Hindi paper solution. You can compare all of your answers to the ICSE Hindi Answer Key 2024 to determine how many were right and wrong. Soon after the exam, our team will upload the unofficial ICSE Hindi Answer Key 2024 for every set on this website. Follow us for further updates.

SECTION A (Question 4)

जिसके द्वारा मानव हिंसात्मक और सर्वनाशकारी युद्धों तक को रोक सकता है और शातिके गपूर्वक जीवन बिता सकता है तथा दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन सकता है 100 विधा और लाओस करिथा है और पहले इन दोनों देशों के आपसी संबंध में? (1) कौनसी नदी इन दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण यी बौर क्यों? (iii) एक दिन अचानक महमा बुद्ध कहाँ पहुंच गए थे वर्ग जाकर उन्होंने अपने पास किसे और यो बुतामा? (१०) अंत में स्वोडिया और लाओस के बीच की समस्या को किस प्रकार मुलाया गया? (२) इस कहानी में मिलने वाली उनको लिलिए जो आज के समय में भी कि में शांति बनाए रखने में काम आ सकती है।

Answer the following according to the instructions given below निम्नलिक्षित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिसिए [8] (i) ‘आजार’ का विलोम बताइर (a) कर (b) निखार (e) माँसाहार (d) उफार

Answer – (b) निखार

ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper_40.1

(iv) पत्थर का विषय बताइए (a) पथरी (b) पावरी (c) कापरसमला (d) पथरीला

Answer – (d) पथरीला

(v) पतीवरता’ शब्द का शुद्ध रूप बताइए (a) सीता (b) पतिक्ता (c) पतिकर्ता (d) प्रतिवता

Answer –  (c) पतिकर्ता

(vi) उन्नीस बीस का अन्तर मुसरे का अर्थ बताइए (a) आधिक अन्तर होना (b) गिनती का अहर होता (c) एक सत्र-ओता (d) बहुत कम अन्तर होना

Answer – (d) बहुत कम अन्तर होना

(vii) निर्देशानुसार उचित वाक्य बताक्षर कई बार देश की रक्षा से जुड़े फैसलों को गुप्त रखा जाना आवश्यक होता है। (रेशाक्ति क्या हेतु उपयुक्त शब्द का प्रयोग किस विकल्प में हुआ है।) (३) कई बार देश की रक्षा से जुड़े फैसले रहस्यमयी होते हैं। (b) कई बार देश की रक्षा से जुड़े फैसले गुप्तचर होते हैं। (७) कई बार देश की रक्षा से जुड़े फैसले गोपनीय होते है।

Answer – (c) कई बार देश की रक्षा से जुड़े फैसले गोपनीय होते हैं।

ICSE Hindi Question Paper 2024 with Answer key & Specimen Paper_50.1

Hindi ICSE Class 10 Question Paper 2024 PDF

Students can download the Hindi question paper from the given link below without any registration and match their answers. Students who are going to take the exam next year can use this question paper as specimen.

ICSE Hindi Specimen Paper 2024

You can access the Hindi specimen paper 2024 ICSE by clicking the following link. Examine the questions and answers; these will be crucial for students taking the test the next year. You can improve your exam preparation by many folds in the Class 10 Council for the Indian School Certificate Examinations by revising the specimen paper of Hindi Class 10 ICSE 2024 solved.

Download Link – Specimen Paper of Hindi Class 10 ICSE 2024 PDF Download

Specimen Paper of Hindi Class 10 ICSE 2024 Solved

  • निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 250 शब्दों में संक्षिप्त लेख लिखिए: (i) जीवन में खेलकूद मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ सुख समृद्धि भी देते हैं। विद्यार्थी जीवन में इसकी उपयोगिता बहुत अधिक है। अपने किसी प्रिय खेल का वर्णन करें तथा यह खेल भविष्य में आपको कैसे लाभान्वित कर सकता है, निबंध में अपनी भविष्य की योजनाएं भी बताइए। (ii) ‘परोपकार की भावना लोक-कल्याण से पूर्ण होती है।’ हमें भी परोपकार से भरा जीवन ही जीना चाहिए। विषय को स्पष्ट करते हुए अपने विचार लिखिए। (iii) ‘स्वच्छता अभियान में सरकारी तंत्र की अपेक्षा नागरिकों की जागरूकता अधिक प्रभावपूर्ण मानी जाती है’ जनता के सहयोग से ही देश स्वच्छ सुन्दर बन सकता हैं, आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट करें। (iv) एक मौलिक कहानी लिखो, जिसके अंत में ये स्पष्ट हो “जाको राखे साइयाँ। मार सके न कोय।”
  • निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए: (i) आपका छोटा भाई अपना अधिकांश समय मोबाइल फोन के उपयोग में बिताता है। मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से होने वाली हानियों का उल्लेख करते हुए उसे पत्र लिखिए। (ii) आपके क्षेत्र में मलेरिया तथा डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है। इसकी रोकथाम के लिए नगर-निगम के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।
  • निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए : ‘दोनों घंटों साथ बैठते, बातें करते’ । [‘बात अठन्नी की’- सुदर्शन] [‘Baat Athanni Ki’-Sudarshan] (i) ‘दोनों’ शब्द से किस-किस की ओर संकेत हैं ? (ii) वे दोनों किस-किस के यहाँ काम करते थे ? (iii) वे दोनों जिन लोगों के यहां काम करते थे, उनमें कौन-सी बात समान थी ? (iv) किस घटना से स्पष्ट होता है कि दोनों में बहुत मैत्री थी ?
  • निम्नलिखित अवतरण को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए : मीनू के हृदय में हीन भावना के कारण जो दुख के भाव थे, खुशी में परिवर्तित हो गए। प्रथम श्रेणी में पास होने पर फूली नहीं समाई। (i) मीनू के हृदय में हीन भावना ने क्यों स्थान बना लिया था ? (ii) मीनू को अपने परीक्षा परिणाम की सूचना कहां मिली थी ? (iii) नीलिमा और मीनू के बीच क्या संबंध थे? मीनू नीलिमा को किस बात की सूचना देने आई थी और क्यों ? (iv) मीनू के मन में प्रसन्नता, उदासी और पुनः प्रसन्नता के भाव कब और किस प्रकार जागृत हुए ?

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How can I get ICSE Hindi Question Paper 2024 with answers?

ICSE Hindi Paper 2024 with solution is uploaded in this page on 20th March.

What are the full marks of ICSE Hindi Question Paper?

The full marks of ICSE hindi paper is 80.

How is the the pattern of ICSE Hindi Question Paper?

There are two sections in ICSE Hindi Question Paper 2024 , both section A and B asked 40 marks questions each.

  • Question Paper

CBSE Class 12 Accounts Answer Key 2024

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ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2024 PDF with Answer Key

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Atul Rawal

ICSE 10th Hindi Question Paper 2024: The Class 10 Indian Certificate of Secondary Education (ICSE) Hindi Exam 2024, conducted from 11:00 a.m. to 2:00 p.m. on March 20, 2024, served as a significant assessment of students' proficiency in the Hindi language. With a total weightage of 80 marks, the exam comprised two sections: Section A for language and Section B for prescribed text. The paper was designed to check students’ comprehension, writing, and analytical skills in both sections. The examination aimed to evaluate students' understanding of Hindi grammar, vocabulary, and literature, as prescribed by the ICSE curriculum. 

ICSE Class 10 Board Exam 2024: Key Highlights

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ICSE Class 10 Hindi Answer Key 2024

Students can check their answers from the provisional answer key provided here. Our experts are working on the solutions and that will be updated gradually. 

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ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2024 PDF with Answer Key

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ICSE 10th Hindi Question Paper 2024: The Class 10 Indian Certificate of Secondary Education (ICSE) Hindi Exam 2024, conducted from 11:00 a.m. to 2:00 p.m. on March 20, 2024, served as a significant assessment of students' proficiency in the Hindi language. With a total weightage of 80 marks, the exam comprised two sections: Section A for language and Section B for prescribed text. The paper was designed to check students’ comprehension, writing, and analytical skills in both sections. The examination aimed to evaluate students' understanding of Hindi grammar, vocabulary, and literature, as prescribed by the ICSE curriculum. 

Here, you will see the complete exam analysis for the ICSE 10th Hindi exam 2024, along with the paper pattern, students’ reactions, question paper PDF, and provisional answer key. 

ICSE Class 10 Board Exam 2024: Key Highlights

For some basic details related to the ICSE Hindi Board exam 2024 check the table below:

ICSE 10th Hindi Exam 2024: Paper Format

The ICSE Hindi paper for Class 10 was for 80 marks. The 20 marks are allocated for internal assessment. The 80 marks were distributed equally among the two sections to check different skills related to this language subject. Check out the complete paper pattern below to understand the design. 

ICSE Class 10 Hindi Paper 2024: Student Reaction

As per students, the ICSE 10th Hindi Paper 2024 was easy and had expected questions. A bit of twist was given in the comprehensive passage, but the rest was fine. The one concern that students always point out is the length of the question paper, which makes them write long answers in the given time. Overall, the paper was based on the specimen paper 2024 released by the CISCE Board in terms of format. The difficulty level can be rated as easy to moderate.

ICSE Class 10 Hindi Question Paper PDF 2024

The latest 2024 ICSE 10th Hindi question PDF is provided here. The PDF can be downloaded for free from the link given in the box below:

ICSE Class 10 Hindi Answer Key 2024

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ICSE Class 10 Hindi Provisional Answer Key 2024

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ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2024 PDF with Answer Key

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