नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language
In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.
जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi
( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi
नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।
प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।
आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।
हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।
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( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध
प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।
हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।
महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।
महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।
महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।
# Nari Shakti Essay in Hindi
Essay on Women in Indian society in Hindi
Essay on Women Education in Hindi
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6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”
I love it. It is very very very nice essay
Hi I like the essay
Very good 👌👌
Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha
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नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi)
आज हम नारी शक्ति पर निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) लिखेंगे। नारी शक्ति पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
नारी शक्ति पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।
नारी में सहनशीलता, प्रेम, धैर्य और ममता जैसे गुण मौजूद है। किसी भी समाज की कल्पना नारी के बिना नहीं की जा सकती है। जब कोई नारी कोई भी चीज़ करने की ठान लेती है, तो वह कर दिखाती है।
नारी की हिम्मत और सहनशीलता पुरुषो से भी अधिक है। नारी अपने वादे से पीछे नहीं हटती है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है।
देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ो के खिलाफ निडर होकर जंग लड़ी थी। उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी।
नारी ने अपने हर रूप में यह साबित किया है कि वह अबला नारी नहीं है। वक़्त आने पर वह अपने हालातों से लड़ भी सकती है और उसे काबू में भी ला सकती है। नारी चाहे वह माँ हो, या बहन, या फिर पत्नी, उसके हर रूप में उसका सम्मान करना चाहिए।
घर संभालना और अपनों की देखभाल
नारी के गर्भ से जीवन का आरम्भ होता है। नारी अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। वह एक दिन में बिना थके घंटो काम करती है। वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख करती है। परिवार के लोगो को अच्छी सलाह देती है।
जब परिवार का कोई भी सदस्य कभी बीमार पड़ता है, तो वह उसकी देख भाल करती है। जब घर का कोई सदस्य थक कर घर आता है, तो महिलाएं खाना परोसती है और कोई भी परिवार के सदस्य की चिंता और थकान अपने बातों से दूर कर देती है।
वह बच्चो की शिक्षक बन जाती है और उन्हें पढ़ाती है और अपने घरेलू नुस्खों से परिवार के सदस्यों का इलाज़ भी करती है। वह बिना शर्त रखे सभी काम करती है और अपनों को खुश रखती है। वह औरो के जिन्दगी में ख़ुशी लाने के लिए बलिदान भी करती है।
महिलाएं अब नहीं है कमज़ोर
आज महिलाएं कमज़ोर नहीं है। वह शिक्षित हो रही है। वह अपने विचारो को घर – बाहर निडर होकर रखती है। वह सम्मान और मर्यादा में रहना जानती है। वह संस्कारो का पालन करती है। उन्हें कोई भी असम्मान करे, तो अब वह चुप नहीं रहती है। महिलाओं ने अपने अधिकारों को पहचान लिया है और हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है।
प्रेरणादायक स्रोत
इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, सरोजिनी नायडू जैसी महान शख़्सियत ने अपने आपको अपने क्षेत्र में ना केवल साबित किया, बल्कि लोगो के लिए वे प्रेरणादायक स्रोत भी बनी।
आत्मनिर्भर और स्वयं निर्णय लेना
पहले के जमाने में लड़कियों का पढ़ना लिखना अच्छा नहीं माना जाता था। उन्हें घर के चार दीवारों में जैसे कैद कर लिया जाता था। वह अपना कोई भी निर्णय खुद नहीं ले पाती थी। आज नारी शिक्षित हो रही है।
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं काम ना कर रही हो। आज महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। पुरुषो से किसी मामले में वह कम नहीं है। किसी किसी स्थान में महिलाओं ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया है।
आजकल महिलाएं उच्च पदों पर काम कर रही है और घर चला रही है। वह घर और दफ्तर दोनों को बराबर संभाल रही है। महिलाएं खुद अपने पाँव पर खड़ी हो रही है और घर का खर्चा चला रही है।
आत्मविश्वास के साथ जिन्दगी जीना
नारी शिक्षित हो गयी है और आज देश में महिलाओं के प्रगति के लिए अभियान चलाये जा रहे है। नारी आत्मविश्वास के साथ सभी मुश्किलों का सामना करके आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में वह सफलता प्राप्त कर रही है।
अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना
जिस देश में जहां देवी की पूजा की जाती है, वहाँ कुछ लोग ऐसे भी है जो महिलाओं का असम्मान करते है। कुछ घरो और समाज में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार होता है। आज वर्त्तमान युग में नारी पहले से अधिक जागरूक और समझदार हो गयी है।
जब उनपर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह उसके खिलाफ विरोध करना भी जानती है। बेवक़ूफ़ है वह लोग जो महिलाओं को कमज़ोर समझते है।अब वक़्त आ गया है कि पुरुष भी महिलाओं के सोच और उनके विचारधाराओ का सम्मान करे। महिलाओं को जो इज़्ज़त मिलनी चाहिए, उसे समाज और घर उन्हें अवश्य दे।
जब जब महिलाओं पर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह काली माँ जैसा रूप धारण कर लेती है और अपराधियों का सर्वनाश कर देती है। जो लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते है और उन्हें कमज़ोर समझते है, वह नारी शक्ति के प्रभावशाली शक्ति से परिचित नहीं होते है।
नारी शक्ति के कई उदहारण है और वर्त्तमान युग में महिलाओं ने अपनी शक्ति और मज़बूती का परिचय भी समय समय पर दिया है।
नारी और उसका स्वभाव
नारी बहुत ही साधारण और मीठे स्वभाव की होती है। जितनी सहनशीलता नारी में है, उतनी सहनशीलता पुरुषो में नहीं है। वह हर हालत को सोच समझ कर और धैर्य के साथ संभाल लेती है। पहले के जमाने में लड़की को सिर्फ बोझ समझा जाता था।
पहले के ज़माने में लोग नारी को घर के कामो में संलग्न कर देते थे। घर वाले सोचते थे की लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, आगे जाकर उन्हें शादी करनी है और घर संभालना है। उस ज़माने में लड़कियों के सोच को अहमियत नहीं दी जाती थी।
संघर्ष करने की शक्ति
नारी में संघर्ष करने की अपार शक्ति होती है। वह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल लेती है। जब भी घर में मुश्किल हालत पैदा होते है, तो महिलाएं सभी सदस्यों को संभालती है और संयम के साथ सबको सलाह देती है।
जब कोई उनके संयम की परीक्षा लेना चाहता है और उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा परेशान करता हैं, तो वह नारी शक्ति का रूप धारण कर लेती है। पहले के ज़माने में महिलाओं को अपने ससुराल में रहकर ताने सुनने पड़ते थे।
वह सहमी हुयी रहती थी। अशिक्षित होने के कारण वह विवश रहती थी। लेकिन आज इक्कीसवी सदी में हालातों में परिवर्तन आ गया है। अब महिलाओं को बोझ नहीं उन्हें एक प्रभावशाली नारी शक्ति के रूप में देखा जाता है।
रानी लक्ष्मीबाई नारी शक्ति का जीता जागता उदाहरण है। उनका विवाह कम उम्र में हो गया था। वह बचपन से ही अन्याय के विरुद्ध लड़ना जानती थी। जब उनके पति की मृत्यु हुयी, तब उन्होंने झांसी को संभाला और अंग्रेज़ो के खिलाफ आखरी दम तक जंग लड़ी। उन्होंने अंग्रेज़ो के विरुद्ध लड़ते हुए अपने साहस का परिचय दिया।
आज की नारी मज़बूत है और उनके आँखों में कई सपने है। आज की नारी शिक्षित और वह पहले के कुप्रथाओ से बाहर निकलकर आ चुकी है। आज नारी डॉक्टर है, इंजीनियर है, शिक्षक भी है।
वह पुरुषो से किसी मामले में ना तो कमज़ोर है और ना ही कम है। आजकल कई जगहों में महिलाओं के साथ अत्याचार और अन्याय हो रहे है और वह चुप चाप सहन कर रही है। नारी आगे बढ़ रही है और कई क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर रही है। अब वक़्त आ गया कि सभी पुरुष नारी और उनके सोच का सम्मान करे।
नारी को देवी माँ का स्वरुप माना जाता है। अब परिवारों और समाज को भी नारी और उसके अस्तित्व का सम्मान करना होगा। आज नारी हर कार्य में पुरुषो से भी बेहतर साबित हो रही है और अपनी एक अलग पहचान बना रही है। सदियों से चल रही कुप्रथाओ को तोड़कर वह हौसलों की नई उड़ान भर रही है।
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तो यह था नारी शक्ति पर निबंध (Women Power Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि नारी शक्ति पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Nari Shakti) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।
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नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi
बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।
नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द)
नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ
सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।
नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है।
सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।
नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)
महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी
भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।
भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’
एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”
नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में
हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।
महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।
महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।
एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।
पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।
नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words
हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं।
कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।
नारी सशक्तिकरण का अर्थ
नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।
भारत की संस्कृति में नारी का स्थान
समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी
भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।
समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।
भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत
भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।
प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।
महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका
भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
- महिला शक्ति केंद्र योजना
- उज्जवला योजना
- पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
- महिला हेल्पलाइन योजना
- सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन
भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।
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नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi
Essay & speech on nari shakti (woman empowerment in india) in hindi – नारी शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण पर भाषण और निबंध.
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि “एक राष्ट्र हमेशा ही अपने यहाँ की महिलाओं से सशक्त बनता है , वह माँ , बहन और पत्नी की भूमिकाओं में अपने नागरिकों का पालन पोषण करती है और तब जाकर यह सशक्त नागरिक , एक सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन दर्शाता है कि देवीयता प्राप्त नारी कभी माँ के रूप में तो कभी बेटी के रूप में ईश्वर का दिया एक अमूल्य धन है जो बिना परिश्रम लिए अत्यंत आत्मीयता से सभी परिवार जनों की सेवा करती है और जिसने जमीन से आसमान तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। बावजूद इसके समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे है जो महिलाओं को अबला नारी कहते है और मानसिक व शारीरिक रूप से उसका दोहन करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते है।
प्रसिद्द लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा है कि – “वास्तव में स्त्रियाँ जन्म से अबला नहीं होती, उन्हें अबला बनाया जाता है।” पेशे से एक डॉक्टर तसलीमा नसरीन ने उदाहरण के रूप में इस तथ्य की ब्याख्या की है – “जन्म के समय एक ‘स्त्री शिशु’ की जीवनी शक्ति का एक ‘पुरुष शिशु’ की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है, लेकिन समाज अपनी परम्पराओं और रीति – रिवाजों एवं जीवन मूल्यों के द्वारा महिला को “सबला” से “अबला” बनाता है।”
इसका मतलब है की व्यक्तित्व को निखारने के लिए प्रकृति लिंग का भेदभाव नहीं करती है। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हमें महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लिए महिलाओं को एहसास दिलाना होगा कि उनमें अपार शक्ति है, उनको अपनी आंतरिक शक्ति को जगाना होगा। क्योंकि जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख के सहारे उड़ना संभव नहीं है, वैसे ही किसी राष्ट्र की प्रगति केवल शिक्षित पुरुषों के सहारे नहीं हो सकता है।
राष्ट्र की प्रगति व सामाजिक स्वतंत्रता में शिक्षित महिलाओं की भूमिका उनती ही अहम् है जितना की पुरुषों की और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब नारी ने आगे बढ़कर अपनी बात सही तरीके से रखी है, समाज और राष्ट्र ने उसे पूरा सम्मान दिया है और आज की नारी भी अपने भीतर की शक्ति को सही दिशा निर्देश दे रही है यही कारण है कि वर्तमान में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती है।
आज समाज में लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से भी लोगों की सोच में बहुत भारी बदलाव आया है। अधिकारिक तौर पर भी अब नारी को पुरुष से कमतर नहीं आका जाता। यही कारण है कि महिलाएं पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी हैं और आत्मबल, आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाती है।
वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है। आज की नारी पढ लिखकर स्वतंत्र है अपने अधिकारों के प्रति सजग भी है | आज की नारी स्वयं अपना निर्णय लेती है। आज की नारी ‘शक्ति’ का सघन पुंज है। यह शक्ति जिस रूप में प्रकट होती है, वह उसी रूप में परिलक्षित होती है।
आज की नारी जब अपने अबोध एवं नवजात बालक को स्तनपान कराती है तो वह वात्सल्य एवं ममता का साकार रूप होती है। जब वह अपने केंद्र पर खड़ी होकर हुंकार भरती है तो वह दुर्गा एवं कालीरुपा बन जाती है, फिर उसकी दृढ़ता एवं साहस के सामने कोई नहीं टिकता है। जब नारी अपनी सुकोमल सम्वेदनाओं के संग विचरती है तो सृष्टि में सौंदर्य की एक नई आभा, एक दिव्य प्रकाश बिखर जाता है।
वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चयर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है। समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है।
आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएँ हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है। हालांकि यहां तक का सफर तय करने के लिए महिलाओं को काफी मुश्किलों एवं संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए अभी मिलों लम्बा सफर तय करना है, जो कंटकपूर्ण एवं दुर्गम है लेकिन अब महिलाएं हर क्षेत्र में आने लगी है।
आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो चुकी है। वह अपनी शक्तियों को पहचानने लगी है जिससे आधुनिक नारी का वर्चस्व बढ़ा है। व्यापार और व्यवसाय जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में जिस प्रकार उसने कदम रखा है और जिस सूझ – बूझ एवं कुशलता का परिचय दिया है, वह अद्भुत है। बाजार में नारियों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। तकनीकी एवं इंजीनियरिंग जैसे पेचीदा विषयों में उसका दखल देखते ही बनता है।
किसी ज़माने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का जरिया समझा जाता था। उन्हें घर की चारदीवारी में रहना पड़ता था और ऐसे में नारी की उपलब्धियों को इतिहास के पन्नों में ढूढ़ना पड़ता है।
जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समेट दिया गया था, वह अपनी इस चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है। इक्कीसवीं सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएँ लेकर आई है। नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है।
शक्ति स्वरूप नारी की सफलता के आँकड़ो का वर्णन करें तो शायद उसे समेट पाना संभव नहीं होगा, परंतु विश्लेषण करने पर पता चलता है कि नारी की प्रकृति बड़ी अनोखी और बेजोड़ होती है। उसमे अनगिनत तत्व एक साथ समाए होते हैं। हरेक तत्व की अपनी खास विशेषता होती है।
नारी करुणा भी है तो निष्ठुरता भी है, वात्सल्य भी है तो भोग की चरम कामना भी है, त्याग भी है तो मोह का प्रचंड चक्रवात भी उमड़ता – घुमड़ता है। इसमें प्रेम भी समाहित है और घृणा भी शामिल है। इसी में भक्ति के साथ बहिरंग का आकर्षण भी है। इसी में सौंदर्य के साथ विभत्सता भी है। इसमें पवित्रता और कुटिलता दोनों सम्मिलित हैं | ये दोनों विपरीत तत्व बड़ी तीव्रता एवं बहुलता में नारी में उपस्थित हैं।
नारी शक्ति की पहचान “मीरा” ने भक्तितत्त्व को बढ़ाया था। उनने पाँच हजार वर्ष पूर्व के कृष्ण को, राधा के समान उपलब्ध कर लिया। गार्गी, घोषा, अपाला ने ज्ञानतत्व को विकसित किया था और वे इतनी पारदर्शी ज्ञानी बन गई कि उन्हें ऋषिकाओं के नाम से संबोधित करते हैं।
- नारी जीवन पर तीन प्रेरक कविता
- महिला सशक्तिकरण पर बेहतरीन नारे एवं सुविचार
- नारी अस्मिता पर प्रेरक कविता
- नारी शिक्षा पर कविता
- भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध
माता देवकी ने कठोर तप किया था और इसी कारण उनके दिव्य गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।
कालितत्व भी नारी में ही समाहित है। इसे बढ़ाने वाली थी क्षत्रा क्षत्राणीयाँ, जिनके कोमल करों में तलवारे खनकती थीं। घोड़ों की पीठ पर वे बिजली के समान कौंधती थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसी वीरता का परिचय दिया था। Malala Yousafzai जिन्हें उत्कृष्ट कार्यों के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल प्राइज मिला।
वर्तमान समय में नारियों की दक्षता, कुशलता, और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी बढ़ती प्रतिभा में उनके अंदर निहित विशिष्ट तत्वों के विकसित होने के कारण ही उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।
आज के दौर में स्त्री परिवार को चुनौती देती हुयी महत्वाकांक्षा के सपने संजोती हुई अपने विकास को अवरुद्ध करने वाली सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ती आर्थिक रूप से स्वतंत्रा प्राप्त करती तथा स्त्रियों की पारंपरिक भूमिका से भिन्न खड़ी अपनी अलग जमीन तलाशती स्त्री के रूप में हमारे सामने आती है। जो अपने व्यक्तित्व से अथाह प्रेम करती है और उसे कही कुंठित नहीं होने देती। आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के प्रयास के साथ वह अपनी अस्तिमा के प्रति पूरी तरह सजग है।
इसी कारण स्वामी विवेकानंद ने कहा था –
“नारी का उत्थान स्वयं नारी ही करेगी। कोई और उसे उठा नहीं सकता। वह स्वयं उठेगी। बस, उठने में उसे सहयोग की आवश्यकता है और जब वह उठ खड़ीं होगी तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। वह उठेगी और समस्त विश्व को अपनी जादुई कुशलता से चमत्त्कृत करेगी।”
अगर आज की सभी नारी स्वयं को पहचानने, अपनी आंतरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगा दे तो विकास की गति कई गुना बढ़ सकती है। शक्ति तो शक्ति है, वह जहाँ पर लगेगी, अपना परिचय देगी। ठीक इसी प्रकार नारी शक्ति है, उसे और अधिक पददलित, शोषित और बेड़ियों में नहीं बाँधा जा सकेगा। उसे स्वयं में पवित्रता और साहस, शौर्य को फिर बढ़ाना होगा, जिससे कि उसे भोग्या के रूप में न देखा जा सके। यदि वह अपने स्वरुप को पहचान सकेगी तो वह आज के अश्लील मार्केट में बिकने से बच सकेगी।
( परीक्षा उपयोगी और महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहाँ click करे )
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3 thoughts on “ नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi ”
Kya speech di me to 1st price Paula thanks you are giving speech
Bahut hi accha likha hai apne thanks
Bahut hi Acha ..padhak bahut hi Acha laga baki post ki tarah aapki yah post bhi achi hai …
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Essay on nari shakti in hindi नारी शक्ति पर निबंध women power essay in hindi.
Today, we are sharing essay on Nari Shakti in Hindi नारी शक्ति पर निबंध for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 66, 7, 8, 9, 10, 11, 12. Read नारी शक्ति पर निबंध – Essay on Nari Shakti in Hindi (Women Power Essay in Hindi).
नारी शक्ति पर निबंध Essay on Nari Shakti in Hindi
Essay on Nari Shakti in Hindi 800 Words
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:!!
अपमान मत करना नारियों का, इनके बल पर जग चलता हैं, पुरुष जन्म लेकर तो, इन्हीं की गोद में पलता हैं!
नारी का मूल रूप जननी-यानी धरती का है, जो नर-मादा सभी प्रकार की फसलों को न केवल जन्म देती है, बल्कि अपने अंतर के अमृत से पाल-पोसकर बड़ा भी करती है, सुखी-समृद्ध भी बनाती है। अत: नारी सत्ता के पूर्ण अस्तित्व की सामान्य स्वीकृति और सहयोग के बिना किसी राष्ट्र के नव-निर्माण की तो क्या, उसके मूल अस्तित्व की कल्पना और रक्षा तक कर पाना संभव नहीं है।
परंपरा के अनुरूप नारी का स्थान यदि घरपरिवार तक ही सीमित मान लिया जाए, तब भी वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वह इसलिए कि देश, समाज और राष्ट्र आदि सभी की सत्ता का उदमग घर-परिवारों के साकार अस्तित्व से ही हुआ करता है। वह नींव है, बुनियाद है, जिसकी उपेक्षा एंव अभाव में किसी भी प्रकार के निर्माण की बात तक नहीं सोची जा सकती।
गृहस्वामिनी के क्षेत्र एंव अधिकार तक सीमित रहकर भी यदि नारी हमें सृजनात्मक लालन-पालन एंव दृष्टिकोण दे पाएगी, तभी तो देशीयता, जातीयता और राष्ट्रीयता का भाव जाग सकेगा कि जो हमेशा युगानुकूल नव-निर्माण का ज्वलंत प्रश्न बना रहा करता है। घर में रहकर नारी ही पुरुष और अन्य सभी सदस्यों को वह संस्कार के भाव और विचार, वह प्रेरणा और सक्रियता प्रदान कर सकती है कि जो घर से बाहर जीवन, समाज एंव राष्ट्र-निर्माण के लिए परम आवश्यक ही नहीं, बुनियादी शर्त है।
अत: नव-निर्माण द्वारा प्रगति एंव समृद्धि का अकांक्षा रखने वाला कोई भी व्यक्ति और राष्ट्र नारी की उपेक्षा नहीं कर सकता। मध्यकालीन विषम परिस्थितियों के कारण और प्रभाव से भारत ने ऐसा किया, तो आज तक उस सबका दुष्परिणाम भी पराधीनता, अव्यवस्था, अराजकता और पिछड़ेपन के रूप में भोगा है। आज भी व्यवहार के स्तर पर नारी के प्रति पुरुष समाज के दृष्टिकोण में कोई विशेष अंतर नहीं आ पाया है, इसी कारण हमारे घर-परिवार विघटित होकर बिखर रहे हैं।
कहने को आज का युग विचार, भाव और क्रिया आदि सभी स्तरों पर आमूल-चूल परिवर्तित हो चुका है। पुरानी मान्यताए, मध्यकालीन मानमूल्य और नैतिकतांए आज व्यर्थ हो चुकी हैं। प्रतिदिन, प्रति क्षण और प्रति पग नवमूल्यों का सृजन हो रहा है। फिर आज विश्व के किसी भी देश में नारी का संसार केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं रह गया।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय होकर वह अपनी अदभुत प्रतिभा और कार्यक्षमता का परिचय दे रही है। स्कूल-टैक्सी-बस-ड्राइवरी से लेकर वायुयान उड़ाने तक का कठिन उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य वह निर्भय होकर कर रही है। अत: अब नारी के प्रति मध्यकालीन कवियों वाला वह दृष्टिकोण नहीं चल सकता कि जिसके अनुसार उसे खुला नहीं छोड़ना चाहिए, ताकि वह इत्र की तरह कहीं उड़ न जाए। या उसे खुले नरम-गरम वातावरण में नहीं जाने देना चाहिए, ताकि माखन की टिकिया के समान वह गर्मी पाकर पिघल और सर्दी पाकर जम न जाए। भीषण तपते रेगिस्तानों और हिमालय के उच्चतम शिखरों की तूफानी ठंडक में भी वह अपने-आपको भरा-पूरा रखकर पुरुष से भी कहीं अधिक शक्तिशाली, कार्य-कुशल सिद्ध कर चुकी है।
अपनी इन गतिविधियों से वह निश्चिय ही राष्ट्र की प्रगति के कदमों को आगे बढ़ा रही है। फिर अब तो उसके कदमों के माध्यम से राष्ट्र के कदम दक्षिण धुरव की सघन एंव पथरीली शीतलता तक भी स्पर्श कर आए हैं। नारी के कोमल हाथ सभी प्रकार के उद्योग-धंधे भी कुशलता से चला रहे हैं। फिर उसे पुरुष से कम क्योंकर कहा और समझा जा सकता है?
हमारे चारो ओर के जीवन में नारी-सक्रियता से स्पष्ट है कि आज की नारी बीते कल वाली नहीं, बल्कि आने वाले कल की उन्नतम संभावना है। वह प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे रही है। फिर भी खेद के साथ यह स्वीकारना ही पड़ता है कि भारतीय पुरुष समाज का व्यवहार के स्तर पर नारी के प्रति दृष्टिकोण आज भी मध्ययुगीन एंव सामंती ही हैं।
इसे हम संक्रमण काल की मानसिकता कह सकते हैं, किंतु इसकी उपेक्षा नहीं कर सकते। उपेक्षा करना उचित भी नहीं। पुरुष समाज को इस गंदे एंव संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकल नारी के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। उसे भोज्या से बहुत अधिक मानना होगा। उससे सम्मानपूर्वक सहयोग मांगना होगा। उसकी एकाग्रता के गुण से संयत कार्यक्षमता का सर्वत्र उचित उपयोग करना होगा।
ऐसा करके ही हम उसे राष्ट्र-निर्माण में सहयोगिनी बना सकते हैं। राष्ट्र का चरम विकास भी तभी संभव हो सकेगा, जब नारी शक्ति का समूचित उपयोग कर पाना हम सीख लेंगे। उसे अब किसी भी प्रकार के बंधन में बांध रख पाना संभव नहीं। अत: उसके लिए सहयोग-सहकार के द्वारा उन्मुक्त होने चाहिए। तभी वह अपनी अदभुत अंतरंग शक्तियों का वास्तविक परिचय दे सकेगी।
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Nari Sashaktikaran Essay in Hindi: जानिए नारी सशक्तीकरण पर निबंध हिंदी में
- Updated on
- फरवरी 22, 2024
छात्रों को नारी सशक्तिकरण के बारे में जानना चाहिए क्योंकि यह लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और एक अधिक समावेशी समाज को बढ़ावा देता है। नारी सशक्तिकरण के महत्व को समझने से छात्रों को लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसरों और अधिकारों के मूल्य को पहचानने में मदद मिलती है। नारी सशक्तिकरण के बारे में छात्रों को शिक्षित करने से महिलाओं के अनुभवों और चुनौतियों के प्रति सम्मान और समझ को बढ़ावा मिलता है। इसलिए कई बार छात्रों को नारी सशक्तीकरण पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
नारी सशक्तीकरण पर निबंध 100 शब्दों में, नारी सशक्तीकरण पर निबंध 200 शब्दों में, वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता, देश की महिलाओं को सशक्त कैसे बनाएं , नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स.
नारी सशक्तिकरण महिलाओं को समाज में उनकी स्वायत्तता, अवसर और अधिकार प्रदान करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं तक समान पहुंच मिले। महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से लाभ होता है बल्कि सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास भी होता है।
शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से, महिलाएं रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बाधाओं को कम करने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनती हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे परिवार कल्याण, सामुदायिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
ऐसे माहौल को बढ़ावा देना जारी रखना जरूरी है जहां महिलाएं आगे बढ़ने और नेतृत्व करने के लिए सशक्त महसूस करें। महिला सशक्तिकरण में निवेश करके, समाज अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया बना सकते हैं।
Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:
नारी सशक्तीकरण महिलाओं को जीवन पर नियंत्रण और अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है। नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। सशक्त नारी को अपनी इच्छानुसार पढ़ने और काम करने अनुमति होती है। वे कमजोरियों पर काबू पाने और अधिक आत्मविश्वासी होती हैं। क्योंकि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी हैं, इसलिए उनका विकास सामाजिक कल्याण, आर्थिक समृद्धि और वैश्विक प्रगति के लिए आवश्यक है। सशक्त महिलाएँ खुशहाल परिवारों के पोषण और सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
लोगों के द्वारा लगाए गए अवरोध अक्सर नारी सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं। कई बार उन्हें घरेलू भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। नारियों को सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बाधाएँ पैदा करती हैं।
फिर भी, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता साबित की है, रूढ़िवादिता को दूर किया है और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। नारी सशक्तिकरण को बढ़ाने के प्रयासों में बाल विवाह को समाप्त करने और दहेज प्रथा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। एक निष्पक्ष और समान समाज बनाने के लिए लैंगिक पूर्वाग्रहों को खत्म करना और शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के बीच सहयोग का होना भी महत्वपूर्ण है।
नारी सशक्तीकरण पर निबंध 500 शब्दों में
Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:
सशक्त महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति होती है। लंबे समय से महिलाओं को उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यहाँ तक कि महिलाओं को मतदान जैसे बुनियादी अधिकारों से भी दूर रखा जाता है। समय के साथ, महिलाओं ने अपनी ताकत को पहचाना और अपना सशक्तिकरण करना शुरू कर दिया। नारी सशक्तीकरण का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उन्हें पुरुषों से स्वतंत्र रूप से समाज में अपनी जगह बनाने के लिए प्रोत्साहित करना था। क्योंकि महिला समाज का आधा हिस्सा होती हैं उस देश की तरक्की के लिए नारी का सशक्त होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
पूरे इतिहास में, दुनिया भर में महिलाओं ने आज अपनी स्थिति हासिल करने के लिए दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। पश्चिमी देशों में प्रगति में सशक्त महिलाओं की भागीदारी को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भारतीय इतिहास में भी नारियों की अहम भूमिका रही है। लेकिन वर्तमान समय में भारत और कई देश अभी भी महिलाओं को सशक्त बनाने में पीछे हैं।
ऑनर किलिंग जैसी प्रथाओं के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएँ व्याप्त हैं, जहाँ परिवारों का मानना है कि महिलाओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए उन्हें नुकसान पहुँचाना स्वीकार किया जाता है। प्रतिबंधों से भरे सामाजिक मानदंड महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता को सीमित करते हैं। जिससे अक्सर कम उम्र में विवाह और पुरुष के वर्चस्व को बढ़ावा दिया जाता है। घरेलू हिंसा एक और अहम मुद्दा है। समाज में ये अवधारणाएं भी हैं की महिलाएं महज़ संपत्ति हैं। इसके अलावा दफ्तरों पर लिंग को लेकर भेदभाव बरकरार है, महिलाओं को अक्सर समान काम के लिए कम वेतन मिलता है।
महिलाओं को बोलने और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। यह दबाव बनाने वाली प्रथाओं को खत्म करने और सभी लिंगों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने का समय है।
महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके हैं और इसके लिए व्यक्तियों और सरकार दोनों के प्रयासों की आवश्यकता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, लड़कियों की शिक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य होनी चाहिए कि उन्हें अपना जीवन बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त हो।
लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसर आवश्यक हैं, जिसमें समान कार्य के लिए उचित वेतन भी शामिल है। लड़कियों को सशक्त बनाने और उन्हें अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए बाल विवाह को समाप्त करना महत्वपूर्ण है।
महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्रता के लिए कौशल सिखाने के लिए कार्यक्रम उपलब्ध होने चाहिए, जिससे उन्हें किसी भी आर्थिक समस्या से निपटने में मदद मिल सके।
महिलाओं को सामाजिक फैसले के डर के बिना अपमानजनक रिश्तों को छोड़ने में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। माता-पिता को अपनी बेटियों को सिखाना चाहिए कि खतरनाक स्थिति को किस प्रकार से सुलझाया जाए।
महिलाओं को सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है बल्कि सामाजिक प्रगति और समानता के लिए भी एक आवश्यकता है। शिक्षा, समान अवसर और सहायता प्रणालियों तक पहुंच सुनिश्चित करके, हम महिलाओं की सहायता कर सकते हैं। हम सभी के लिए अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं। महिलाओं के लिए यह बाधाओं को तोड़ने, रूढ़िवादिता को चुनौती देने और हर जगह अधिकारों की बात करने का समय है। आइए हम सब मिलकर एक ऐसी दुनिया की ओर प्रयास करें जहां हर महिला के पास अपनी किस्मत खुद बनाने और मानवता की भलाई में योगदान करने की शक्ति हो।
नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:
- महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।
- नारी सशक्तीकरण में सभी क्षेत्रों में समान जीवन के लिए महिलाओं को अवसर और अधिकार सुनिश्चित करना शामिल है।
- महिलाओं को लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और सामाजिक प्रगति में योगदान देना है।
- नारी सशक्तीकरण में महतवपूर्ण कार्य महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच शामिल है।
- भेदभाव को कम करने के लिए महिला को आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है।
- नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी उठाने और निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाता है।
- नारी सशक्तीकरण महिलाओं को सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
- महिलाओं के पास पुरूषों के प्रति समान अधिकार होने चाहिए।
- एक विकासशील समाज में महिलाओं के मूल्य और योगदान को पहचाना जाता है।
- महिलाओं को सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समृद्ध दुनिया बनानी चाहिए।
महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति, स्वायत्तता और अवसर प्रदान करने की प्रक्रिया से है, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता हासिल करने और समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम हो सकें।
महिला सशक्तिकरण सामाजिक प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और सामाजिक स्थिरता में योगदान देता है। सशक्त महिलाएँ परिवारों के पोषण और सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
कई कारक महिला सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं, जिनमें सांस्कृतिक मानदंड और लैंगिक रूढ़ियाँ शामिल हैं जो महिलाओं की भूमिकाओं और अवसरों को सीमित करती हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी, भेदभावपूर्ण कानून और प्रथाएं, लिंग आधारित हिंसा और असमान आर्थिक अवसर और वेतन।
व्यक्ति और सरकारें महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने वाली नीतियों और पहलों को लागू करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समुदायों और संस्थानों के भीतर सम्मान, समावेश और लैंगिक समानता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है।
आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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नारी शक्ति पर निबंध हिंदी में
दोस्तों क्या आप नारी शक्ति पर निबंध – Nari Shakti Essay in Hindi जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट एकदम सही है आपके लिए
इस पोस्ट में मैंने आपको नारी शक्ति पर हिंदी में दो निबंध बताए हैं. आपको जो अच्छा लगे आप उसे चुन सकते हैं तो आइए पढ़ते हैं
1) नारी शक्ति पर निबंध – Essay on Nari Shakti in Hindi
“हर पथ को रोशन करने वाली शक्ति का नाम नारी है काबिलता के साथ निभाती वो हर इक जिम्मेदारी है”
जीवन के हर पथ को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी, आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर हैं. महिलाओं के बिना मनुष्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. नारी के बिना इस सृष्टि को चलाने में पुरुष पूर्णतः असमर्थ है
हमारा देश भारत एक विकासशील देश है और देश की आर्थिक स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है. भारत में पुरुष प्रधान समाज का प्रचलन है. पुरुषों को यह समझना जरूरी है कि महिलाएं भी इस देश की आधी शक्ति है और पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने से देश की पूरी शक्ति बन सकती है
एक दिन जब देश की पूरी शक्ति काम करना शुरु कर देगी, तो कोई भी अन्य देश भारत से अधिक शक्तिशाली नहीं होगा. पुरुष ये नहीं जानते कि भारतीय महिलाएं कितनी शक्तिशाली हैं
सभी भारतीय पुरुषों के लिए बहुत आवश्यक है कि वो महिलाओं की शक्ति को समझे और उन्हें स्वंय को आत्मनिर्भर और देश, परिवार की शक्ति बनाने के लिए आगे बढ़ने दें
भारत में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए लैंगिक समानता पहला कदम है. पुरुषों को ये नहीं सोचना चाहिए कि महिलाएं केवल घर व परिवार संभालने के लिए हैं. पुरुषों को भी उनकी जिम्मेदारियों में हाथ बटाना चाहिए जिससे महिलाओं को खुद के और अपने कैरियर के बारे में सोचने के लिए कुछ समय मिल सके
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बहुत से कानून भी हैं किंतु कुछ प्रभावशाली और कड़े नियम होने चाहिए जिनका सभी के द्वारा अनुसरण किया जाए. ये केवल हमारी सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, ये प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है
प्रत्येक भारतीय को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने और महिला सशक्तिकरण के लिए बनाये गए नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है
महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता देने की आवश्यकता है ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. महिलाओं को भी अपनी पूर्वधारणाओं को बदलने की जरुरत है कि वो कमजोर हैं
इसके बजाय उन्हें ये सोचने की आवश्यकता है कि उनमें पुरुषों से अधिक शक्ति है और वो पुरुषों से बेहतर कर सकती हैं. वो योग, मानसिक कला, कूगं-फू, कराटे आदि को अपने सुरक्षा मानकों के रुप में सीखकर शारीरिक रुप से भी शक्तिशाली हो सकती हैं
देश में विकास को आगे बढ़ाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण तत्व है. समाज में महिलाओं के अहम योगदान को भूलना नहीं चाहिए और समाज हम सब लोगों से मिलकर बना हैं. अगर हम औरत का सम्मान करेंगे, उनकी इज्जत करेंगे तो वे समाज को यानि हमारी दुनिया को खूबसूरत बना सकती हैं
“दुनिया को मिला इक खूबसूरत उपहार है समाया इक नारी में सम्पूर्ण सृष्टि का सार है”
2) नारी शक्ति पर निबंध – Nari Shakti Essay in Hindi
“नारी गौरव है, सम्मान है आदि शक्ति का दूजा नाम है नारी के ही द्वारा रचा ये विधान है हे नारी शक्ति तुझे शत-शत प्रणाम है”
नारी समाज का एक अभिन्न अंग है. नारी के बिना हम समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे अनगिनत गुण विद्यमान होते हैं
वह बहुत से क्षेत्रों में पुरुषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है. नारी हमारे समाज और राष्ट्र के विकास की धुरी है. नारी का विकास किए बिना राष्ट्र विकास असम्भव है इसीलिए नारी को जगत जननी कहा जाता हैं
नारी ही माता के रूप में बच्चों को पालती हैं, पत्नी और बेटी के रूप में सेविका का कार्य करती हैं और देश की आन-बान शान के लिए वह वीरांगना के रूप में रक्षा भी करती है. इसीलिए सम्पूर्ण नारी जाति को “नारी शक्ति” की संज्ञा दी जाती है
प्राचीन काल में नारी शक्ति
प्राचीन समय से ही स्त्री ने समाज के विकास एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हालांकि उस समय स्त्री की दशा बहुत शोचनीय थी. बहुत सी सामाजिक कुरीतियां उनपर थोपी गयी थी
उस समय राजा राम मोहन राय, ईश्वरचंद विद्यासागर जैसे महान समाज सुधारकों ने नारी स्वाधीनता हेतु आवाज़ उठाई जिससे स्त्रियां जागृत हुईं एवं अपनी विद्या, बुद्धि एवं कर्तव्य शक्ति के बल पर उन्होंने समाज में विशेष पहचान बनाई
झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है
“अबला नहीं सबला है, शक्ति का नाम नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी उससे हारी है”
आधुनिक युग की नारी शक्ति
आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है
आज की महिला कोमल और मधुर होने के साथ-साथ जागरूक भी है उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है. लेकिन फिर भी वह आज पूर्णतया सुरक्षित नहीं है
आज भी पुरुष वर्ग के कुछ लोग नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझते हैं. वह नारी को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देते हैं, नारी का पल-पल अपमान करते हैं लेकिन ऐसे लोगों को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि अगर नारी की सहनशीलता कहीं खत्म हो गई और नारी ने शक्ति का रूप ले लिया तो उसके अस्तित्व को मिटाने से कोई भी नही बचा सकता
इतिहास गवाह है जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय अवश्य आई है. आज रूढ़िवादी मान्यताओं और पुरुष प्रधान विचारों को महिलायें लगातार चुनौती दे रही हैं और हर क्षेत्र में अपने हुनर को आजमा रही हैं
आज समाज के पढ़े लिखे लोग लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं और शिक्षित महिलायें देश के विकास में अपना अहम योगदान दे रही हैं
भारत देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है. वेद पुराणों में कहा गया है किसी देश की संस्कृति को समझना है तो सबसे पहले हमें उस देश की महिलाओं के बारे में जरूर जानना चाहिए
आज के युग में नारी शक्ति एक अहम विषय बन चुका हैं. जिस देश की महिलाओं का विकास नहीं हुआ, वह देश आगे विकास ही नहीं कर सकता
देश और समाज का उन्नति का एक ही रास्ता है वह है महिलाओं और बेटियों को जागरूक करना. एक शिक्षित नारी अपने परिवार के साथ समाज का भी उद्धार करती है अतः नारी शक्ति को सशक्त बनाकर देश के विकास में योगदान करना चाहिए
“मुस्कुरा के, दर्द भुला के, रिश्तों में बांध के दुनिया सारी हर पथ को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी”
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