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Law and Justice Essay In Hindi | Kaanoon Aur Nyaay Nibandh | कानून और न्याय निबंध हिंदी में

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Law and Justice Essay In Hindi : भारत जैसे ही अजाद हुआ वैसे ही भारत के विद्वानों ने विचार किया कि देश को चलाने के लिए नियम और कानून की आवश्यकता होगी और तुरतं ही कानून बनाने की तैयारी कर दी उन्हें मालूम था कि बिना किसी भी कानून के कोई   सँगठित देश नही चलाया जा सकता है , आजकल तो घर चलाने के लिए भी कानून बनते है और जब बात देश की हो तो कानून और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

Table of Contents

लॉ ( नियम ) और जस्टिस क्या हैं – (Law aur Justice Kya Hai)

क्योंकि हर व्यक्ति की सोच अलग – अलग होती है और वो चाहता है कि सब उसके कहे अनुसार या उसके सोचे अनुसार हो तो ये संभव नही है क्योंकि हर दूसरा व्यक्ति भी यही सोचता है कि सब उसके हिसाब से हो बिना उचित या अनुचित का अंतर जाने तब इन लोगो की सहूलियत ले लिए कानून जरूरी होते है कि जो हमे हमारी सीमाएं और सही – गलत के बारे में बताती है इन्हें ही नियम कहते है , कानून हम सभी की सहूलियत के लिए सभी के हित में होते है जहां सभी को बराबर कानून का पालन करना होता है।

किसी किताब में लिखा था कि आपकी सीमाएं वहां खत्म हो जाती है जहां से किसी और कि नाक शुरू होती है , मतलब सभी को बराबर जीने का अधिकार है चाहें वो अमीर हो या गरीब , चाहे वो काला हो या गोरा , बिना नियम के संग़ठन में रहना मुमकिन ही नही है।

जस्टिस की बात करें तो कानून का उल्लंघन करने वाले लोगो के लिए उनके अपराध के हिसाब से सजा दी जाती है और जिसके साथ अपराध होता है उसे तब मिलता है न्याय , लेकिन प्रक्रिया धीमी होने के कारण लोगो का विश्वास कम हो रहा है कानून पर और न्याय व्यवस्था पर।

( और   पढ़ें – स्वच्छ भारत मिशन पर   निबंध   इन   हिंदी )

कब बना कानून – (Kab Bana Kaanoon)

भारत का संबिधान ( कानून )2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में बन पाया जहां विदेशों में लागू अच्छे कानूनों को भी संबिधान में शामिल किया गया और साथ मे कई नए नियमो को जोड़ा गया , जहां हर व्यक्ति के हित को ध्यान में रखकर कानून का निर्माण किया गया और आज तक जनता के हित को ध्यान में रखकर कानूनों को जोड़ा और हटाया जाता है।

चूंकि संबिधान में विदेशो के अच्छे कानूनों को भी स्थान दिया गया है जिससे भारत का कानून और भी अलग और न्यायप्रिय बन जाता है लेकिन भारत के कानून को सिर्फ और सिर्फ न मानना या कानून का दुरुपयोग ही निराश कर रहा है।

क्यों जरूरी है लॉ ( नियम )-(Kyu Jaroori Hain Law)

हर जगह कानून की आवश्यकता होती है क्योंकि बिना कानून के कोई भी काम नही सकता और हमारे देश मे तो कानून अतिमहत्वपूर्ण हैं क्योंकि हमारे यहां व्यक्ति स्वमं   के हित में किसी और का हित देखता ही नही है , अगर कानून नही होंगे तो कोई भी कुछ कर सकता है ये कानून ही है जो हमे बांधे रहता हैं कुछ गलत करने या देखने से।

अगर सही मायनों में देखे तो कानून हमारे गार्जियन के समान है जो हमारे अच्छे या गलत कामो पर हमें सजा देकर उनमें सुधार के लिए प्रेरित करता है।

भारत मे लॉ ( कानून ) की स्थित – (Bharat Mein Law Ki Stith)

वैसे लिखित में जो भारत का कानून है वो कई देशों के कानूनों और अपनी सोच समझ के हिसाब से बनाया गया है तो वो और भी सर्वश्रेष्ठ हो जाता है लेकिन असल मे जो कानून की स्थित भारत मे है शायद वो कहीं नही होगी , यहां हम सिर्फ बात सरकारी कार्यालयों या लोगो की नही कर रहे बल्कि आम जनता ही क़ानून को अपने हिसाब से चलाना चाहती है , यहां देश के कानून या देश की तरक्की से किसी को कोई लेना देना नही है बस सभी को स्वमं की तरक्की ही चाहिए चाहे वो कानूनी हो या गैर – कानूनी।

यहां कानून को लोग अपने हिसाब से जीते है अगर उनके हित में है तो कानून और खिलाफ है तो मानना ही नही , कानून होता है ताकि लोगो मे   कानून का डर रहे और वो उचित कार्य ही करें लेकिन कानून जितना शख्त होना चाहिए शायद उतना नही है क्योंकि हर वर्ष जाने कितने रेप , मर्डर , चोरी होती ही रहती है और सभी को पता होता है कि चोरी या मर्डर किसने किया है फिर भी बस केस चलता रहता है और मिलती रहती है सिर्फ अगली तारीख , इसमें कोई भी दोहराए नही भारत की कानूनी प्रक्रिया धीमी है , जिस हिसाब से कानून है उस हिसाब से न्याय भी जल्द हो तो अपराधों की संख्या में कमी आएगी।

भारत मे जस्टिस – (Bharat Mein Justice )

भारत मे अपराधों की संख्या अधिक है और न्यायालय , न्यायधीश कम जिस कारण किसी को भी न्याय मिलने में समय लगता है लेकिन अगर यही प्रणाली अच्छी हो जाए तो जल्दी फैसले होंगे और लोगो को न्याय मिलेगा जिससे अपराधों में कमी आएगी और जनता का कानून के प्रति सम्मान भी बढ़ेगा।

कोई केश के सालों तक चलता रहता है और उन्हें न्याय नही मिलता कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि व्यक्ति बूढ़ा होकर मर जाता है लेकिन केस चलता रहता है जिसमे बहुत सुधार की आवश्यकता है , कानून व्यस्थाओ में बड़े कानूनों को शामिल किया जाना चाहिए और अगर व्यक्ति सच मे दोषी है तो उसे तुरंत सजा मिलनी चाहिए।

कानून को दे सम्मान – (Kaanoon Ko De Saaman)

हमे कानून को सम्मान देना होगा क्योंकि जब तक हम कानून का सम्मान नही करेंगे जब तक हम नही मानेंगे कानून तब तक हमारे साथ न्याय कैसे हो सकता है , हमे अपने औऱ दूसरे लोगो के अधिकार और कानून पर हक़   को ध्यान में रखना होगा।

कानून किसी एक का नही है ये सबका है और सभी को बराबर मन्ना होगा तभी साथ मे खुश रह सकते हैं आपको याद रखना होगा कि आपकी बजह से किसी और को कष्ट न पहुचें।

कानून में सुधार की आवश्यकता – (Kaanoon Mein Sudhar Ki Aavashyakata)

  • कानून को सख्त करें ।
  • न्याय प्रणाली कम समय में न्याय दे।
  • न्याय बिना किसी भेदभाव से मिलना चाहिए।
  • न्यायप्रणाली में भृष्ट करचरियों को हटाया जाए।
  • न्याय प्रणाली में जितनी अधिक पारदर्शिता लाई जाए उतना ठीक रहेगा।
  • नियमो को तोड़ने वालों के खिलाफ शख्त कदम उठाएं जाने चाहिए।
  • किसी भी राजनेता को कानूनी प्रणाली में हस्तक्षेप न करने दिया जाए।
  • समय – समय पर कानून प्रणाली को जांचा जाए कि कहीं कुछ गलत तो नही हो रहा।
  • रिश्वतखोरी को बड़ा जुर्म बना दिया जाए और ऐसा करते पाए जाने पर कड़ी सजा दी जाए।
  • न्याय प्रणाली में काविल लोगों को कमहि स्थान दिया जाए।
  • कानून को सर्वोपरि किया जाए।

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भारतीय कानून की जानकारी | परिभाषा, अधिकार, नियम | Indian Law in Hindi

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आज जब हम आधुनिक युग की बात करें या फिर प्राचीन समय की दोनों ही कालो में हमें कानून के बारे में देखने और सुनने का मौका मिलता है, लेकिन अक्सर आम जन इन कानूनों के बारे में या तो अनभिज्ञ रहता है या तो थोड़ा बहुत जानता है जिसका कारण हमारे कानूनों की भाषा का जटिल होना | दोस्तों हम इसी बात को ध्यान में रख कर आपके लिए लाये हैं आपके अपने इस लॉ पोर्टल Nocriminals.org   पर “कानून की जानकारी”   आसान भाषा में, इस पेज पर आपको न केवल IPC , CrPC के जटिल प्रावधानों को आसानी से समझया गया है बल्कि इसके साथ ही संविधान तथा और अन्य अधिनियम से सम्बंधित जानकारियां  विस्तार से आम जान की भाषा में बताया गया है जिससे सभी लोग अपने कानून और अधिकारों से परिचित हो सकें | 

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असंज्ञेय अपराध (Non Cognizable) क्या है

हम पोर्टल के इस सेगमेंट में आपको IPC, भारतीय संविधान , CrPC व सभी भारतीय कानूनों के बारे में सटीकता के साथ जानकारी देने का प्रयास करेंगे जिसमे प्रोफेशनल वकील की भाषा के साथ सामान्य व्यक्ति भी समझ का भी ध्यान रखा जायेगा | आप यहाँ भारतीय कानून की जानकारी और कानून  की परिभाषा, नागरिको के अधिकार, कानून के नियम इन सबके बारे में आसानी से समझेंगे | आपको बताते चले कि लोकतन्त्रीय आस्थाओं, नागरिकों के अधिकारों व स्वतन्त्रओं की रक्षा करने और सभ्य समाज के निर्माण के लिए कानून का शासन बहुत जरूरी है, या यूँ  कहें कि इसका कोई अन्य विकल्प नहीं है। कानून का शासन का अर्थ है कि कानून के सामने सब समान होते हैं । यह सर्व विदित है कि कानून राजनीतिक शक्ति को निरंकुश बनने से रोकती है और समाज में सुव्यवस्था भी बनाए रखने में मदद करती है।

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कानून की जानकारी

जब आपको अपने कानून और  भारतीय संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के बारे में पता रहता है तब ही केवल आप इनका प्रयोग कर सकते हैं परन्तु दुर्भाग्यवश कानून के बनने के इतने दिनों बाद भी आज तक लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं | इस पेज पर हमने यही प्रयास किया है कि ऐसे  कानूनों और अधिकारों की चर्चा की जाये जो कि साधारण लोगों  को शोषण से बचाये |

1. ड्राइविंग के समय यदि आपके 100ml ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा मिलता है तो पुलिस बिना वारंट आपको गिरफ्तार कर सकती है | ये बात मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन -185,२०२ के तहत बताई गई है |

2. किसी भी महिला को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नही किया जा सकता है | ये बात दंड प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46 में निहित है |

3. पुलिस अफसर FIR लिखने से मना नही कर सकते, ऐसा करने पर उन्हें 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है| ये आता है (Indian Penal Code) भारतीय दंड संहिता , 166 A के अंतर्गत |

4. कोई भी शादीशुदा व्यक्ति किसी अविवाहित लड़की या विधवा महिला से उसकी सहमती से शारीरिक सम्बन्ध बनाता है तो यह अपराध की श्रेणी में नही आता है | (Indian Penal Code) भारतीय दंड संहिता व्यभिचार, धारा ४९८

5. यदि दो वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो यह गैर कानूनी नही है | और तो और इन दोनों से पैदा होने वाली संतान भी गैर कानूनी नही है और संतान को अपने पिता की संपत्ति में हक़ भी मिलेगा | इसको (Domestic Violence Act) घरेलू हिंसा अधिनियम , 2005 के अंतर्गत बताया गया है 

6. कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती, ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है| ये मातृत्व लाभ अधिनियम, १९६१के अंतर्गत आता है |

7. तलाक निम्न आधारों पर लिया जा सकता है : हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कोई भी (पति या पत्नी) कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे सकता है। व्यभिचार (शादी के बाहर शारीरिक रिश्ता बनाना), शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, नपुंसकता, बिना बताए छोड़कर जाना, हिंदू धर्म छोड़कर कोई और धर्म अपनाना, पागलपन, लाइलाज बीमारी, वैराग्य लेने और सात साल तक कोई अता-पता न होने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है। इसको हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) की धारा-13 में बताया गया है |

 8. कोई भी दुकानदार किसी उत्पाद के लिए उस पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक रुपये नही मांग सकता है परन्तु उपभोक्ता, अधिकतम खुदरा मूल्य से कम पर उत्पाद खरीदने के लिए दुकानदार से भाव तौल कर सकता है | अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014

संज्ञेय अपराध (Cognisable Offence) क्या है

आप यहाँ हमसे कोई भी कानून से सम्बंधित सीधा सवाल भी पूछ सकते है, नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की सहायता से आप अपना क्वेश्चन पोस्ट कर सकते है जिसका हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे | यदि क्वेश्चन के अलावा और  कुछ भी शंका कानून को लेकर आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |

जज (न्यायाधीश) कैसे बने

6 thoughts on “भारतीय कानून की जानकारी | परिभाषा, अधिकार, नियम | Indian Law in Hindi”

498 a agar koi patni apne pati ke uper galat tarike se fasana chahe to bachane ke liye kya kare

Tab uski baat man lo

यदि पुलिस fir नहीं लिखतिह् तो उसके खिलाफ कहा शिकायत करें जिससे उस पर कार्यवाही हो सके आपके दवारा दी गई जानकारी बहुत अच्छी लगी।

1. संज्ञेय अपराध होने पर भी यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है तो आपको वरिष्ठ अधिकारी के पास जाना चाहिए और लिखित शिकायत दर्ज करवाना चाहिए.

2. अगर तब भी रिपोर्ट दर्ज न हो, तो CRPC (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) के सेक्शन 156(3) के तहत मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में अर्जी देनी चाहिए. मैट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के पास यह शक्ति है कि वह FIR दर्ज करने के लिए पुलिस को आदेश दे सकता है.

3.सर्वोच्च न्यायालय ने प्राथमिकी अर्थात FIR दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए हैं. न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी है कि FIR दर्ज होने के एक सप्ताह के अंदर प्राथमिक जांच पूरी की जानी चाहिए. इस जांच का मकसद मामले की पड़ताल कर अपराध की गंभीरता को जांचना है. इस तरह पुलिस इसलिए मामला दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती है कि शिकायत की सच्चाई पर उन्हें संदेह है.

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जानिए, क्या है कानून-व्यवस्था

कानून व्यवस्था सामाजिक तौर पर महत्वपूर्ण होती है. यह एक अच्छे समाज और माहौल का निर्माण करती है. आइए जानते हैं क्या होती है कानून व्यवस्था..

कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर

परवेज़ सागर

  • 30 दिसंबर 2015,
  • (अपडेटेड 07 जनवरी 2016, 7:11 PM IST)

law essay in hindi

कानून व्यवस्था एक ऐसा शब्द है जो आए दिन खबरों के माध्यम से आप सुनते और पढ़ते हैं. यह शब्द केवल खबरों के लिहाज से ही नहीं बल्कि सामाजिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है. बेहतर कानून व्यवस्था अच्छे समाज और माहौल का निर्माण करती है.

क्या है कानून व्यवस्था किसी भी राज्य, शहर अथवा क्षेत्र में शांति बनाए रखना, अपराधों को कम करना और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना कानून व्यवस्था का मुख्य अंग है. अक्सर जहां भी कहीं राजनीतिक या सामाजिक बवाल या टकराव होता है, या फिर माहौल तनावपूर्ण हो जाता है, तो कानून व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाता है. यानी किसी क्षेत्र में अशांति या हिंसा होना भी कानून व्यवस्था का सकंट ही होता है.

कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी भारत का गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए उत्तरदायी है. यह आपराधिक न्‍याय प्रणाली के लिए कानून अधिनियमित करता है. देश में पुलिस बल को सार्वजनिक व्यवस्था का रख-रखाव करने और अपराधों की रोकथाम और उनका पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का अपना अलग पुलिस बल है. राज्यों की पुलिस के पास ही कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है.

कानून व्यवस्था में केंद्र की भूमिका भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं. अपराध रोकना, पता लगाना, दर्ज करना, जांच-पड़ताल करना और अपराधियों के विरुद्ध अभियोजन चलाने की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों और खासकर पुलिस को दी गई है. संविधान के मुताबिक ही केन्द्र सरकार पुलिस के आधुनिकीकरण, अस्त्र-शस्त्र, संचार, उपस्कर, मोबिलिटी, प्रशिक्षण और अन्य अवसंरचना के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है.

एनसीआरबी है मददगार कानून व्यवस्था और अपराधों से संबंधित घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्रीय सुरक्षा और सूचना एजेंसियां राज्य की कानून और प्रवर्तन इकाईयों को नियमित रूप से जानकारी देती हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) गृह मंत्रालय की एक नोडल एजेंसी है, जो अपराधों को बेहतर ढंग से रोकने और नियंत्रित करने के लिए राज्यों की सहायता करती है. और राज्यों को अपराध संबंधी आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करने का कार्य करती है.

सीसीआईएस भी है सहायक अपराध अपराधी सूचना प्रणाली (सीसीआईएस) के तहत देश के सभी जिलों में जिला अपराध रिकार्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) और राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एससीआरबी) को कंप्यूटरीकृत प्रणाली से जोड़ दिया गया है. यह प्रणाली अपराध रोकने, उनका पता लगाने और सेवा प्रदाता तंत्रों में सुधार करने में सहायक है. इसकी मदद के पुलिस और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां अपराधों, अपराधियों और अपराध से जुड़ी संपत्ति का राष्ट्र स्तरीय डाटाबेस रखती हैं.

कानून व्यवस्था को मजबूत करेगी ओसीआईएस एनसीआरबी के दिशा निर्देश में संगठित अपराध के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के मकसद से एक और नई प्रणाली स्थापित की जा रही है. जिसे संगठित अपराध सूचना प्रणाली यानी ओसीआईएस का नाम दिया गया है. इसके तहत विभिन्न अपराधों से संबंधित आंकड़े आसानी से उपलब्ध होंगे जो कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहायक साबित होंगे.

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मौलिक अधिकारों पर निबंध (Fundamental Rights Essay in Hindi)

मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) भारतीय संविधान का अभिन्न अंग हैं। सभी नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकारों को मौलिक अधिकारों के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के भाग-III में यह कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के लिंग, जाति, धर्म, पंथ या जन्म स्थान की स्थिति के आधार पर भेदभाव ना करके उन्हें ये अधिकार दिए जाते हैं। ये सटीक प्रतिबंधों के अधीन न्यायालयों द्वारा लागू होते हैं। इन्हें नागरिक संविधान के रूप में भारत के संविधान द्वारा गारंटी दी जाती है जिसके अनुसार सभी लोग भारतीय नागरिकों के रूप में सद्भाव और शांति में अपना जीवन-यापन कर सकते हैं।

मौलिक अधिकारों पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Fundamental Rights in Hindi, Maulik Adhikaron par Nibandh Hindi mein)

मौलिक अधिकारों पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मौलिक अधिकार ऐसे मूलभूत अधिकार है जो लोगों को सुगमता से जीवन जीने के लिए शक्ति प्रदान करते है। मौलिक अधिकार भारत के संविधान में निहित अधिकार है, जो प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार प्रदान करते है। फ्रेंच क्रांति और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के बाद नागरिकों को मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) प्रदान करने की आवश्यकता महसूस हुई।

मौलिक अधिकारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

फ्रांसीसी नेशनल असेंबली द्वारा 1789 में “दी डिक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स ऑफ़ मैन” को अपनाया गया था। अमरीकाके संविधान में मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) पर एक सेक्शन भी शामिल था। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाया जिसे दिसंबर 1948 में बनाया गया था। इसमें लोगोंके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल थे। भारत में नागरिकों के मूल अधिकारों के रूपमें धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों को शामिल करने का सुझाव 1928 में नेहरू समिति की रिपोर्ट ने दिया था।

मौलिक अधिकारोंका महत्व

1947 में स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने भविष्य के सुशासन के लिए शपथ ली। इसने एक संविधान की मांग की जो भारत के सभी लोगों को – न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता, नौकरी के समान अवसर, विचारों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, विश्वास, संघ, व्यवसाय और कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधीन कार्रवाई की गारंटी देता है। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जाति के लोगों के लिए विशेष सुविधाओं की गारंटी भी दी गई।

संविधान में व्यक्त समानता का अधिकार भारत गणराज्य में लोकतंत्र की संस्था के प्रति एक ठोस कदम के रूप में है। भारतीय नागरिकों को इन मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) के माध्यम से आश्वासन दिया जा रहा है कि वे जब तक भारतीय लोकतंत्र में रहेंगे तब तक वे अपने जीवन को सद्भाव में जी सकते हैं।

यूट्यूब पर देखें : मौलिक अधिकारों पर निबंध

निबंध – 2 (400 शब्द)

भारतीय संविधान में शामिल मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि लोग देश में सभ्य जीवन जीते हैं। इन अधिकारों में कुछ अनोखी विशेषताएं हैं जो आमतौर पर अन्य देशों के संविधान में नहीं मिलती हैं।

मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) के विशिष्ट लक्षण

मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) पूर्ण नहीं हैं वे उचित सीमाओं के अधीन हैं। वे एक व्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा के बीच स्थिरता को निशाना बनाते हैं लेकिन उचित प्रतिबंध कानूनी समीक्षा के अधीन हैं। यहां इन अधिकारों की कुछ विशिष्ट विशेषताओं पर एक नजर डाली गई है:

  • सभी मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) को निलंबित किया जा सकता है। देश की सुरक्षा और अखंडता के हित में आपातकाल के दौरान स्वतंत्रता के अधिकार को स्वचालित रूप से निलंबित कर दिया जाता है।
  • अनेक मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) भारतीय नागरिकों के लिए हैं लेकिन कुछ मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) का फायदा देश के नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के द्वारा उठाया जा सकता है।
  • मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) में संशोधन किया जा सकता है लेकिन उन्हें समाप्त नहीं किया जा सकता है। मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) को खत्म करने से संविधान की बुनियादी नीवं का उल्लंघन होगा।
  • मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) दोनों सकारात्मक और नकारात्मक हैं। नकारात्मक अधिकार देश को कुछ चीजें करने से रोकते हैं। यह देश को भेदभाव करने से रोकता है।
  • कुछ अधिकार देश के खिलाफ उपलब्ध हैं। कुछ अधिकार व्यक्तियों के विरुद्ध उपलब्ध हैं।
  • मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) न्यायसंगत हैं। अगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) का उल्लंघन होता है तो वह न्यायालय में जा सकता है।
  • कुछ बुनियादी अधिकार रक्षा सेवाओं में काम करने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि वे कुछ अधिकारों से प्रतिबंधित हैं।
  • मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) प्रकृति में राजनीतिक और सामाजिक हैं। भारत के नागरिकों को कोई आर्थिक अधिकार की गारंटी नहीं दी गई है हालांकि उनके बिना अन्य अधिकार मामूली या महत्वहीन हैं।
  • प्रत्येक अधिकार कुछ कर्तव्यों से सम्बन्धित है।
  • मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) का एक व्यापक दृष्टिकोण है और वे हमारे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक हितों की रक्षा करते हैं।
  • ये संविधान का एक अभिन्न अंग हैं। इसे आम कानून से बदला या हटाया नहीं जा सकता।
  • मौलिक अधिकार हमारे संविधान का अनिवार्य हिस्सा हैं।
  • चौबीस आर्टिकल इन बुनियादी अधिकारों के साथ शामिल हैं।
  • संसद एक विशेष प्रक्रिया द्वारा मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) में संशोधन कर सकती है।
  • मौलिक अधिकार का उद्देश्य व्यक्तिगत हित के साथ सामूहिक हित बहाल करना है।

ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिससे संबंधित कोई दायित्व नहीं है। हालांकि यह याद रखने की बात है कि संविधान ने बड़े पैमाने पर अधिकारों का विस्तार किया है और कानून की अदालतों के पास अपनी सुविधा के अनुरूप कर्तव्यों को मरोड़ना-तोड़ना शामिल नहीं है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

भारत का संविधान अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) की गारंटी देता है और नागरिकों के पास भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार हो सकता है लेकिन इन अधिकारों से जुड़े कुछ प्रतिबंध और अपवाद भी हैं।

मौलिक अधिकार  पर रोक

एक नागरिक पूरी तरह से मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) का प्रयोग नहीं कर सकता लेकिन कुछ संवैधानिक प्रतिबंध के साथ वही नागरिक अपने अधिकारों का आनंद उठा सकता है। भारत का संविधान इन अधिकारों को इस्तेमाल में लाने पर कुछ तर्कसंगत सीमाएं लागू करता है ताकि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य बरकरार रहे।

संविधान हमेशा व्यक्तिगत हितों के साथ-साथ सांप्रदायिक हितों की भी रक्षा करता है। उदाहरण के लिए धर्म का अधिकार सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और स्वास्थ्य हित में राज्य द्वारा सीमाओं के अधीन है ताकि धर्म की स्वतंत्रता अपराध या असामाजिक गतिविधियां करने के लिए इस्तेमाल में ना लाई जाए।

इसी प्रकार अनुच्छेद -19 द्वारा अधिकारों का तात्पर्य पूर्ण स्वतंत्रता की गारंटी नहीं है। किसी भी वर्तमान स्थिति से पूर्ण व्यक्तिगत अधिकारों का आश्वासन नहीं दिया जा सकता है। इसलिए हमारे संविधान ने देश को उचित सीमाएं लागू करने के लिए अधिकार दिया है क्योंकि यह समुदाय के हित के लिए आवश्यक है।

हमारा संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक नियंत्रण के बीच संतुलन को रोकने और एक कल्याणकारी राज्य स्थापित करने का प्रयास करता है जहां सांप्रदायिक हित व्यक्तिगत हितों पर महत्व देता है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी राज्य द्वारा अपमान, अदालत की अवमानना, सभ्यता या नैतिकता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, अपमान के लिए उत्तेजना, सार्वजनिक व्यवस्था और भारत की अखंडता तथा संप्रभुता के रखरखाव के लिए तर्कसंगत प्रतिबंधों के अधीन है।

सभा करने की स्वतंत्रता भी राज्य द्वारा लगायी जाने वाली उचित सीमाओं के अधीन है। सभा अहिंसक और हथियारों के बिना होनी चाहिए और सार्वजनिक आदेशों के हित में होनी चाहिए। प्रेस की स्वतंत्रता, जो अभिव्यक्ति की व्यापक स्वतंत्रता में शामिल है, को भी उचित सीमाओं के अधीन किया जाता है और सरकार प्रेस की स्वतंत्रता पर देश के बेहतर हित में या अदालत की अवमानना, मानहानि या उत्पीड़न से बचने के लिए प्रतिबंध लगा सकती है।

भारत सरकार के लिए बहु-धार्मिक, बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राष्ट्र में शांति और सद्भाव बनाए रखना परम कर्तव्य है। 1972 में मौजूद सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस चिंता को समझा जा सकता है – जब बांग्लादेश की आजादी का युद्ध खत्म हो चुका था और देश उस वक़्त भी शरणार्थी अतिक्रमण से उबरने की कोशिश कर रहा था। उस समय के दौरान शिवसेना और असम गण परिषद जैसे स्थानीय और क्षेत्रीय दलों में अधिक असंतोष उत्पन्न हो रहा था और आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी जैसे धार्मिक-सांस्कृतिक संगठन के स्वर और कृत्य हिंसक हो गए थे। फिर भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत सरकार ने इन सबसे निपटने में आईपीसी के सेक्शन लागू करने के बारे में अधिक प्रतिक्रिया दिखाई।

कोई स्वतंत्रता बिना शर्त या पूरी तरह से अप्रतिबंधित नहीं हो सकती है। हालांकि लोकतंत्र में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाए रखना और रक्षा करना आवश्यक है इसलिए भी सामाजिक आचरण के रखरखाव के लिए इस आजादी पर कुछ हद तक प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। तदनुसार अनुच्छेद 19 (2) के तहत सरकार सार्वजनिक व्यवस्था, संप्रभुता और भारत की अखंडता की सुरक्षा के हित में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अभ्यास पर या न्यायालय की अवमानना ​​के संबंध में व्यावहारिक प्रतिबंधों को लागू कर सकती है।

Essay on Fundamental Rights in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द)

कुछ बुनियादी अधिकार हैं जो मानव अस्तित्व के लिए मौलिक और मानव विस्तार के लिए महत्वपूर्ण होने के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन अधिकारों की अनुपस्थिति में किसी भी आदमी का अस्तित्व बेकार होगा। इस प्रकार जब राजनीतिक संस्थाएं बनाई गईं, उनकी भूमिका और जिम्मेदारी मुख्य रूप से लोगों को (विशेषकर अल्पसंख्यकों को) समानता, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जीने के लिए केंद्रित की गयी।

मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) का वर्गीकरण

मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) को 6 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। य़े हैं:

समानता का अधिकार

स्वतंत्रता का अधिकार

शोषण के खिलाफ अधिकार

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

संवैधानिक उपाय करने का अधिकार

आईये जानते हैं अब हम संक्षिप्त में इन 6 मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) के बारे में:

इसमें कानून के सामने समानता शामिल है जिसका मतलब है कि जाति, पंथ, रंग या लिंग के आधार पर कानून का समान संरक्षण, सार्वजनिक रोजगार, अस्पृश्यता और टाइटल के उन्मूलन पर प्रतिबंध। यह कहा गया है कि सभी नागरिक कानून के सामने समान हैं और किसी के साथ किसी भी तरीके का कोई भेदभाव नहीं हो सकता है। यह अधिकार यह भी बताता है कि सभी की सार्वजनिक स्थानों पर समान पहुंच होगी।

समान अवसर प्रदान करने के लिए, सरकार की सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के सिवाय सैनिकों की विधवाएँ और शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को कोई आरक्षण नहीं होगा। यह अधिकार मुख्य रूप से अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए बनाया गया था जिसका दशकों से भारत में अभ्यास किया गया था।

इसमें भाषण की अभिव्यक्ति, बोलने की स्वतंत्रता, यूनियन और सहयोगी बनाने की स्वतंत्रता तथा भारत में कहीं भी यात्रा करने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की स्वतंत्रता और किसी पेशे का चयन करने की स्वतंत्रता शामिल है।

इस अधिकार के तहत यह भी कहा गया है कि भारत के किसी भी नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में संपत्ति खरीदने, बेचने और बनाए रखने का पूर्ण अधिकार है। लोगों को किसी भी व्यापार या व्यवसाय में शामिल होने की स्वतंत्रता है। यह अधिकार यह भी परिभाषित करता है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार दोषी नहीं ठहराया जा सकता है और उसे स्वयं के खिलाफ गवाह के रूप में खड़ा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

इसमें किसी भी तरह की जबरन मजदूरी के खिलाफ़ प्रतिबंध शामिल है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खानों या कारखानों, जहां जीवन का जोखिम शामिल है, में काम करने की अनुमति नहीं है। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह से दूसरे व्यक्ति का फायदा उठाने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार मानव तस्करी और भिखारी को कानूनी अपराध बनाया गया है और इसमें शामिल पाए गए लोगों को दंडित किए जाने का प्रावधान शामिल है। इसी तरह बेईमान उद्देश्यों के लिए महिलाओं और बच्चों के बीच दासता और मानव तस्करी को अपराध घोषित किया गया है। मजदूरी के लिए न्यूनतम भुगतान को परिभाषित किया गया है और इस संबंध में किसी भी तरह के समझौता करने की अनुमति नहीं है।

इसमें कहा गया है कि भारत के सभी नागरिकों के लिए विवेक की पूर्ण स्वतंत्रता होगी। सभी को अपनी पसंद के धर्म को स्वतंत्र रूप से अपनाने, अभ्यास करने और फैलाने का अधिकार होगा और केंद्र और राज्य सरकार किसी भी तरह के किसी भी धार्मिक मामलों में किसी भी तरह से बाधा उत्पन्न नहीं करेगा। सभी धर्मों को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थानों को स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार होगा और इनके संबंध में अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करने के लिए स्वतंत्र होगा।

यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है क्योंकि शिक्षा को प्रत्येक बच्चे का प्राथमिक अधिकार माना जाता है। सांस्कृतिक अधिकार कहता है कि हर देश अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहता है। इस अधिकार के अनुसार सभी अपनी पसंद की संस्कृति को विकसित करने के लिए स्वतंत्र हैं और किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसी भी व्यक्ति को उसकी संस्कृति, जाति या धर्म के आधार पर किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा। सभी अल्पसंख्यकों को अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार है।

यह नागरिकों को दिया गया एक बहुत खास अधिकार है। इस अधिकार के अनुसार हर नागरिक को अदालत में जाने की शक्ति है। यदि उपर्युक्त मौलिक अधिकारों में से किसी भी अधिकार की पालन नहीं की गई तो अदालत इन अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ एक गार्ड के रूप में खड़ी है। अगर किसी भी मामले में सरकार बलपूर्वक या जानबूझकर किसी व्यक्ति के साथ अन्याय करती है या किसी व्यक्ति को बिना किसी कारण या अवैध कार्य से कैद किया जाता है तो संवैधानिक उपाय करने का अधिकार व्यक्ति को अदालत में जाने और सरकार के कार्यों के खिलाफ न्याय प्राप्त करने की अनुमति देता है।

नागरिकों के जीवन में मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये अधिकार जटिलता और कठिनाई के समय बचाव कर सकते हैं और हमें एक अच्छे इंसान बनने में मदद कर सकते हैं।

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विधियों और उसके नियमों की व्याख्या

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यह लेख नोएडा के एमिटी लॉ स्कूल की  छात्रा Pooja Kapoor द्वारा लिखा गया है।  उसने प्रासंगिक मामले कानूनों के साथ विधियों की व्याख्या के अर्थ और नियमों पर चर्चा की है।इस लेख का अनुवाद Srishti Sharma द्वारा किया गया है।

Table of Contents

व्याख्या का अर्थ

यह शब्द लैटिन शब्द ‘इंटरप्रेटरी’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है कि व्याख्या करना, विस्तार करना, समझना या अनुवाद करना।  व्याख्या किसी भी पाठ या किसी भी चीज़ को लिखित रूप में समझाने, उजागर करने और अनुवाद करने की प्रक्रिया है।  इसमें मूल रूप से उस भाषा के वास्तविक अर्थ की खोज का एक कार्य शामिल है, जिसका उपयोग क़ानून में किया गया है।  उपयोग किए गए विभिन्न स्रोत केवल लिखित पाठ का पता लगाने और यह स्पष्ट करने के लिए सीमित हैं कि लिखित पाठ या विधियों में उपयोग किए गए शब्दों द्वारा वास्तव में क्या संकेत दिया गया है।

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विधियों की व्याख्या कानून की सही समझ है।  यह प्रक्रिया आमतौर पर अदालतों द्वारा विधायिका के सटीक इरादे को निर्धारित करने के लिए अपनाई जाती है।  क्योंकि अदालत का उद्देश्य केवल कानून को पढ़ना नहीं है, बल्कि इसे मामले से मामले में सूट करने के लिए सार्थक तरीके से लागू करना भी है।  इसका उपयोग विधायिका की वास्तविक मंशा के साथ किसी अधिनियम या दस्तावेज के वास्तविक अर्थ का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।

क़ानून में शरारत हो सकती है जिसे ठीक करना आवश्यक है, और यह व्याख्या के विभिन्न मानदंडों और सिद्धांतों को लागू करके किया जा सकता है जो कई बार शाब्दिक अर्थ के खिलाफ जा सकते हैं।  व्याख्या के पीछे का उद्देश्य विधियों में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करना है जो कि स्पष्ट नहीं हो सकता है।

साल्मंड के अनुसार, “व्याख्या” वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय विधायी के अर्थ का पता लगाने के लिए आधिकारिक रूपों के माध्यम से पता लगाना चाहता है जिसमें यह व्यक्त किया गया है।

निर्माण अर्थ

सरल शब्दों में, निर्माण उन विषयों के निष्कर्ष निकालने की प्रक्रिया है जो पाठ की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति से परे हैं।  न्यायालय पाठ या विधियों में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ का विश्लेषण करने के बाद निष्कर्ष निकालते हैं।  इस प्रक्रिया को कानूनी व्यय के रूप में जाना जाता है।  न्यायालय के सामने कुछ तथ्य लंबित हैं और निर्माण इन तथ्यों के निष्कर्ष का आवेदन है।

उद्देश्य विधायिका की वास्तविक मंशा निर्धारित करने में न्यायिक निकाय की सहायता करना है।  इसका उद्देश्य कानूनी पाठ के कानूनी प्रभाव का पता लगाना भी है।

व्याख्या और निर्माण के बीच अंतर

विधियों का वर्गीकरण.

संहिताबद्ध वैधानिक कानून को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है-

संहिताबद्ध करना

इस तरह के क़ानून का उद्देश्य किसी विशेष विषय पर कानून के नियमों का एक आधिकारिक विवरण देना है, जो कि प्रथागत कानून है।  उदाहरण के लिए- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956।

समेकित क़ानून

इस तरह के क़ानून एक स्थान पर किसी विशेष विषय पर सभी कानून को शामिल और संयोजित करते हैं जो अलग-अलग स्थानों पर बिखरे और पड़े हुए थे।  यहां, पूरे कानून का गठन एक ही स्थान पर किया जाता है।  उदाहरण के लिए- भारतीय दंड संहिता या आपराधिक प्रक्रिया संहिता।

घोषणा करने योग्य क़ानून

इस तरह की क़ानून अदालत द्वारा दी गई व्याख्या के आधार पर कानून को हटाने, स्पष्टीकरण देने और सुधारने का कार्य करती है, जो संसद के दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं हो सकता है।  उदाहरण के लिए- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के माध्यम से गृह संपत्ति की परिभाषा को आयकर (संशोधन) अधिनियम, 1985 के तहत संशोधित किया गया है।

उपचारात्मक विधियों

किसी के अधिकारों को लागू करने के लिए नए उपायों को प्रदान करना उपचारात्मक विधियों के माध्यम से किया जा सकता है।  इस प्रकार की विधियों का उद्देश्य व्यवस्था के माध्यम से सामाजिक सुधार लाने के लिए सामान्य कल्याण को बढ़ावा देना है।  इन विधियों की उदार व्याख्या है और इस प्रकार, सख्त साधनों के माध्यम से व्याख्या नहीं की जाती है।  उदाहरण के लिए- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, कामगार मुआवजा अधिनियम, 1923 आदि।

विधियों को सक्षम करना

इस क़ानून का उद्देश्य एक विशेष आम कानून को बढ़ाना है।  उदाहरण के लिए- भूमि अधिग्रहण कानून सरकार को जनता के उद्देश्य के लिए सार्वजनिक संपत्ति का अधिग्रहण करने में सक्षम बनाता है, जो अन्यथा स्वीकार्य नहीं है।

विधियों को अक्षम करना

यह सक्षम क़ानून के तहत प्रदान की गई वस्तु के विपरीत है।  यहां आम कानून द्वारा प्रदत्त अधिकारों में कटौती की जा रही है और उन्हें नियंत्रित किया जा रहा है।

इन क़ानूनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अपराधों की भरपाई की जाती है और इन प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए।  उदाहरण के लिए- भारतीय दंड संहिता, 1860।

कर लगाने वाले क़ानून

कर राजस्व का एक रूप है जो सरकार को भुगतान किया जाना है।  यह या तो आय पर हो सकता है जो एक व्यक्ति कमाता है या किसी अन्य लेनदेन पर।  इस प्रकार एक कर संविधि, ऐसे सभी लेनदेन पर कर लगाती है।  इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स, सेल्स टैक्स, गिफ्ट टैक्स इत्यादि हो सकते हैं, इसलिए टैक्स तभी लगाया जा सकता है, जब इसे किसी क़ानून द्वारा विशेष रूप से व्यक्त और प्रदान किया गया हो।

व्याख्यात्मक क़ानून

व्याख्यात्मक शब्द ही बताता है कि इस प्रकार का क़ानून क़ानून की व्याख्या करता है और क़ानून के अधिनियमन में पहले छोड़ी गई किसी भी चूक को ठीक करता है।  इसके अलावा, पाठ में अस्पष्टताओं को भी स्पष्ट किया जाता है और पिछली विधियों पर जाँच की जाती है।

विधियों में संशोधन

वे क़ानून जो सुधार करने के लिए मूल कानून को बदलने के लिए अधिनियमितियों के प्रावधानों में बदलाव करने के लिए काम करते हैं और उन प्रावधानों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए जिनके लिए मूल कानून पारित किया गया था, उन्हें संशोधित क़ानून कहा जाता है।  उदाहरण के लिए- आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 ने 1898 के कोड में संशोधन किया।

दोहराए जाने वाले क़ानून

निरस्त क़ानून वह है जो पहले की क़ानून को समाप्त करता है और क़ानून की स्पष्ट या स्पष्ट भाषा में किया जा सकता है।  उदाहरण के लिए- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 ने MRTP अधिनियम को निरस्त कर दिया।

उपचारात्मक या निरस्त करने वाले क़ानून

इन विधियों के माध्यम से, कुछ कार्य जो अवैध रूप से अवैध होंगे, को अवैधता का हवाला देकर मान्य किया जाता है और कार्रवाई की एक विशेष रेखा को सक्षम बनाता है।

व्याख्या के नियम

शाब्दिक या व्याकरणिक नियम.

यह व्याख्या का पहला नियम है।  इस नियम के अनुसार, इस पाठ में प्रयुक्त शब्द उनके प्राकृतिक या साधारण अर्थ में दिए या दिए गए हैं।  व्याख्या के बाद, यदि अर्थ पूरी तरह से स्पष्ट और अस्पष्ट है, तो परिणाम एक कानून के प्रावधान को दिया जाएगा, चाहे परिणाम कुछ भी हो। मूल नियम यह है कि किसी भी प्रावधान को बनाते समय अभिप्राय विधायिका के पास था, जिसे शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया गया है और इस प्रकार व्याकरण के नियमों के अनुसार व्याख्या की जानी है।  यह विधियों की व्याख्या का सबसे सुरक्षित नियम है क्योंकि विधायिका की मंशा शब्दों और प्रयुक्त भाषा से काट दी जाती है। इस नियम के अनुसार, न्यायालय का एकमात्र कर्तव्य यह प्रभाव देना है कि अगर क़ानून की भाषा स्पष्ट है और इसके परिणाम के बारे में देखने के लिए कोई व्यवसाय नहीं है जो उत्पन्न हो सकता है।  अदालत का एकमात्र दायित्व कानून को उजागर करना है जैसा कि यह है और यदि कोई कठोर परिणाम सामने आते हैं तो इसके लिए उपाय की तलाश की जाएगी और विधायिका द्वारा देखा जाएगा।

मकबूल हुसैन बनाम स्टेट ऑफ बॉम्बे, इस मामले में, अपीलकर्ता, हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद भारत के नागरिक ने यह घोषणा नहीं की कि वह अपने साथ सोना ले जा रहा है।  उनकी खोज के दौरान, सोना उनके कब्जे में पाया गया क्योंकि यह सरकार की अधिसूचना के खिलाफ था और समुद्र सीमा अधिनियम की धारा 167(8) के तहत जब्त किया गया था।

बाद में, उन्हें विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम, 1947 की धारा 8 के तहत भी आरोपित किया गया। अपीलकर्ता ने इस मुकदमे को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(2) के तहत हिंसक होने की चुनौती दी।  इस लेख के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दंडित या मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।  इसे दोहरा खतरा माना जाता है। यह अदालत द्वारा आयोजित किया गया था कि सीज़ अधिनियम न तो अदालत है और न ही कोई न्यायिक न्यायाधिकरण।  इस प्रकार, तदनुसार, उस पर पहले मुकदमा नहीं चलाया गया था।  इसलिए, उनका मुकदमा वैध माना गया।

मनमोहन दास बनाम बिशन दास, एआईआर 1967 SC 643 मामले में मुद्दा यूपी कंट्रोल ऑफ रेंट एंड एविक्शन एक्ट, 1947 की धारा 3(1)(c) की व्याख्या के बारे में था। इस मामले में, एक किरायेदार सबूत के लिए उत्तरदायी था, अगर उसने बिल्डिंग में बिना इसके अतिरिक्त और वैकल्पिक किया हो  उचित प्राधिकारी और अनधिकृत धारणा के रूप में भौतिक रूप से आवास में परिवर्तन किया गया है या इसके मूल्य को कम करने की संभावना है।  अपीलकर्ता ने कहा कि केवल संविधान को कवर किया जा सकता है, जो संपत्ति के मूल्य को कम करता है और शब्द ‘या’ को भूमि के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।

यह माना जाता था कि शाब्दिक व्याख्या के नियम के अनुसार, ’या ‘शब्द का अर्थ यह दिया जाना चाहिए कि एक विवेकशील व्यक्ति समझता है कि घटना के आधार वैकल्पिक हैं और संयुक्त नहीं हैं।

केरल राज्य बनाम मथाई वर्गीज और अन्य, 1987 एआईआर 33 SCR (1) 317 , इस मामले में एक व्यक्ति नकली मुद्रा “डॉलर” के साथ पकड़ा गया था और उस पर धारा 120(बी), 498(ए), 498(सी) और 420 धारा के तहत पढ़ा गया था।  जाली मुद्रा रखने के लिए भारतीय दंड संहिता की 511 और 34।  आरोपियों ने अदालत के समक्ष दलील दी कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498(ए) और 498(बी) के तहत एक आरोप केवल भारतीय मुद्रा नोटों के जालसाजी के मामले में लगाया जा सकता है, न कि विदेशी मुद्रा नोटों के जालसाजी के मामले में।  अदालत ने माना कि मुद्रा नोट या बैंक नोट शब्द उपसर्ग नहीं किया जा सकता है।  व्यक्ति को चार्जशीट किए जाने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया था।

शरारत का नियम

1584 में मिसडिफ नियम हेयडन के मामले में उत्पन्न हुआ था। यह उद्देश्यपूर्ण निर्माण का नियम है क्योंकि इस नियम को लागू करते समय इस क़ानून का उद्देश्य सबसे महत्वपूर्ण है।  इसे हेयडन के नियम के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह 1584 में हेयडन के मामले में लॉर्ड पोक द्वारा दिया गया था। इसे शरारत नियम कहा जाता है क्योंकि ध्यान शरारत को ठीक करने पर है।

हेयडन के मामले में, यह आयोजित किया गया था कि सामान्य रूप से सभी विधियों की सही और सुनिश्चित व्याख्या के लिए चार चीजें हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • अधिनियम बनाने से पहले आम कानून क्या था।
  • वह कौन सी शरारत थी जिसके लिए वर्तमान क़ानून बनाया गया था।
  • संसद ने किस उपाय की मांग की थी या हल किया था और आम लोगों की बीमारी को ठीक करने के लिए नियुक्त किया था।
  •   उपाय का सही कारण।

इस नियम का उद्देश्य शरारत को दबाना और उपाय को आगे बढ़ाना है।

स्मिथ बनाम हग्स, 1960 WLR 830, 1960 के दशक के आसपास इस मामले में, वेश्याएं लंदन की सड़कों पर याचना कर रही थीं और यह लंदन में एक बड़ी समस्या पैदा कर रही थी।  इससे कानून-व्यवस्था बनाए रखने में बड़ी समस्या पैदा हो रही थी।  इस समस्या को रोकने के लिए, सड़क अपराध अधिनियम, 1959 लागू किया गया।  इस अधिनियम के लागू होने के बाद, वेश्याएं खिड़कियों और बालकनियों से आग्रह करना शुरू कर दिया।

इसके अलावा, वेश्याएं जो सड़कों और बालकनियों से एकांत में ले जा रही थीं, उन पर उक्त अधिनियम की धारा 1(1) के तहत आरोप लगाए गए थे।  लेकिन वेश्याओं ने निवेदन किया कि उन्हें सड़कों से नहीं हटाया गया।

अदालत ने कहा कि हालांकि वे सड़कों से याचना नहीं कर रहे थे, फिर भी वेश्याओं द्वारा याचना को रोकने के लिए शरारत नियम लागू किया जाना चाहिए और इस मुद्दे पर गौर करेंगे।  इस प्रकार, इस नियम को लागू करते हुए, अदालत ने माना कि खिड़कियों और बालकनियों को शब्द सड़क का विस्तार माना जाता था और चार्जशीट को सही माना जाता था।

प्यारे लाल बनाम राम चंद्रा इस मामले के आरोपी को मिठाई वाली सुपारी बेचने के लिए मुकदमा चलाया गया था, जिसे कृत्रिम स्वीटनर की मदद से मीठा किया गया था।  उस पर खाद्य अपमिश्रण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया।  प्यारे लाल ने कहा था कि सुपारी कोई खाद्य पदार्थ नहीं है।  अदालत ने कहा कि शब्दकोश का अर्थ हमेशा सही अर्थ नहीं होता है, इसलिए, शरारत नियम लागू होना चाहिए, और जो व्याख्या उपाय को आगे बढ़ाती है उसे ध्यान में रखा जाएगा।  इसलिए, अदालत ने कहा कि शब्द ‘भोजन’ मुंह और मौखिक रूप से खाने योग्य है।  इस प्रकार, उनका अभियोजन वैध होने के लिए आयोजित किया गया था।

क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त बनाम श्री कृष्णा मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, AIR 1962 SC 1526 , इस मामले में मुद्दा, यह था कि संबंधित प्रतिवादी एक फैक्ट्री चला रहा था जहाँ चार इकाइयाँ विनिर्माण के लिए थीं।  इन चार इकाइयों में से एक धान मिल के लिए थी, अन्य तीन में आटा मिल, आरा मिल और कॉपर शीट यूनिट शामिल थे।  कर्मचारियों की संख्या 50 से अधिक थी। आरपीएफसी ने कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952 के प्रावधानों को लागू किया, जिससे कर्मचारियों को लाभ देने के लिए कारखाने को निर्देशित किया गया।

संबंधित व्यक्ति ने पूरे कारखाने को चार अलग-अलग इकाइयों में अलग कर दिया, जिसमें कर्मचारियों की संख्या 50 से नीचे आ गई थी, और उन्होंने तर्क दिया कि प्रावधान उन पर लागू नहीं थे क्योंकि प्रत्येक इकाई में संख्या 50 से अधिक है।  यह अदालत द्वारा आयोजित किया गया था कि शरारत नियम लागू किया जाना है और सभी चार इकाइयों को एक उद्योग के रूप में लिया जाना चाहिए, और इसलिए, पीएफए ​​की प्रयोज्यता को बरकरार रखा गया था।

सुनहरा नियम(गोल्डन रूल)

इसे स्वर्णिम नियम के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह व्याख्या की सभी समस्याओं को हल करता है।  नियम कहता है कि हमारे साथ शुरू करने के लिए शाब्दिक नियम से जाना जाएगा, हालांकि, अगर शाब्दिक नियम के माध्यम से दी गई व्याख्या कुछ या किसी भी तरह की अस्पष्टता, अन्याय, असुविधा, कठिनाई, असमानता की ओर ले जाती है, तो ऐसे सभी घटनाओं में शाब्दिक अर्थ है।  त्याग किया जाएगा और व्याख्या इस तरह से की जाएगी कि विधान का उद्देश्य पूरा हो।

शाब्दिक नियम क़ानून में प्रयुक्त शब्दों के प्राकृतिक अर्थ की व्याख्या करने की अवधारणा का अनुसरण करता है।  लेकिन अगर प्राकृतिक अर्थ की व्याख्या करने के लिए किसी भी तरह के प्रतिशोध, गैरबराबरी या कठिनाई की तलाश की जाती है, तो न्यायालय को अर्थ को अन्याय या गैरबराबरी की सीमा तक संशोधित करना चाहिए और परिणाम को रोकने के लिए आगे नहीं बढ़ना चाहिए।

यह नियम बताता है कि व्याख्या के परिणाम और प्रभाव बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे विधायिका और उसके इरादे से इस्तेमाल किए गए शब्दों के सही अर्थ का सुराग हैं।  कई बार, इस नियम को लागू करते समय, की गई व्याख्या पूरी तरह से शाब्दिक नियम के विपरीत हो सकती है, लेकिन सुनहरे नियम के कारण इसे उचित ठहराया जाएगा।  यहाँ अनुमान यह है कि विधायिका कुछ वस्तुओं का इरादा नहीं रखती है।  इस प्रकार, ऐसी कोई भी व्याख्या जो अनपेक्षित वस्तुओं की ओर ले जाती है, अस्वीकार कर दी जाएगी।

तीरथ सिंह बनाम बचित्तर सिंह, एआईआर 1955 एससी 850 इस मामले में, चुनाव अधिनियम में शामिल भ्रष्ट आचरण के संबंध में, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 99 के तहत नोटिस जारी करने के संबंध में एक समस्या थी।

नियम के अनुसार, उन सभी व्यक्तियों को नोटिस जारी किया जाएगा जो चुनाव याचिका के पक्षकार हैं और साथ ही उन लोगों के लिए भी हैं जो इसके पक्षकार नहीं हैं।  तीरथ सिंह ने कहा कि उक्त प्रावधान के तहत उन्हें ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।  नोटिस केवल उन लोगों को जारी किए गए थे जो चुनाव याचिका के गैर-पक्ष थे।  इसे इस विशेष आधार पर अमान्य होने की चुनौती दी गई थी।

अदालत ने माना कि जो चिंतन किया जाता है वह सूचना और सूचना दे रहा है, भले ही वह दो बार दिया गया हो, समान है।  याचिका के पक्ष में पहले से ही याचिका के संबंध में नोटिस है, इसलिए, धारा 99 को सुनहरे नियम को लागू करने के लिए इतनी व्याख्या की जाएगी कि गैर-पार्टियों के खिलाफ केवल नोटिस की आवश्यकता है।

मध्य प्रदेश राज्य बनाम आज़ाद भारत वित्तीय कंपनी, एआईआर 1967 SC 276, मामले के मामले निम्नानुसार हैं।

एक परिवहन कंपनी सेब का पार्सल ले जा रही थी और उसे चुनौती दी गई थी।  ट्रांसपोर्टिंग कंपनी का ट्रक सेब के साथ ही पार्सल में अफीम था।  उसी समय, परिवहन के लिए दिखाए गए चालान में केवल सेब शामिल थे।

अफीम अधिनियम 1878 की धारा 11 , सभी वाहनों, जो कंट्राबेंड लेखों को परिवहन करती हैं, उन्हें जब्त किया जाएगा और लेख जब्त किए जाएंगे।  यह परिवहन कंपनी द्वारा जब्त किया गया था कि वे इस तथ्य से अनजान थे कि ट्रक में सेब के साथ अफीम भरी हुई थी।

अदालत ने कहा कि यद्यपि उक्त अधिनियम की धारा 11 में निहित शब्द प्रदान करते हैं कि वाहन को जब्त कर लिया जाएगा, लेकिन इस प्रावधान के लिए व्याख्या के शाब्दिक नियम को लागू करने से यह अन्याय और असमानता के लिए अग्रणी है और इसलिए, इस व्याख्या से बचा जाएगा।  शब्दों को ‘जब्त किया जाएगा’ की व्याख्या की जानी चाहिए क्योंकि ‘जब्त किया जा सकता है’।

पंजाब बनाम क्विज़ेर जेहान बेगम, एआईआर 1963 SC 1604 में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1844 की धारा 18 के तहत, सीमा की अवधि निर्धारित की गई थी, कि मुआवजे की घोषणा के 6 महीने के भीतर पुरस्कार की घोषणा के लिए अपील दायर की जाएगी।  पुरस्कार क्वेसेर जहान के हक़ में पारित किया गया था।  यह उसके वकील द्वारा इस बारे में छह महीने की अवधि के बाद उसे सूचित किया गया था।  अपील छह महीने की अवधि से परे दायर की गई थी।  निचली अदालतों द्वारा अपील को खारिज कर दिया गया था।

अदालत ने यह कहा कि छह महीने की अवधि को उस समय से गिना जाएगा जब क्वेश्चन जहान को ज्ञान था क्योंकि व्याख्या गैरबराबरी की ओर ले जा रही थी।  अदालत ने सुनहरा नियम लागू करके अपील की अनुमति दी।

सामंजस्यपूर्ण निर्माण

व्याख्या के इस नियम के अनुसार, जब एक ही क़ानून के दो या अधिक प्रावधान एक-दूसरे के लिए निरस्त होते हैं, तो ऐसी स्थिति में, यदि संभव हो तो, अदालत दोनों के लिए प्रभाव देने के लिए इस तरह से प्रावधानों को बाधित करने का प्रयास करेगी।  दोनों के बीच सामंजस्य बनाए रखकर प्रावधान।  यह प्रश्न कि एक ही क़ानून के दो प्रावधान अतिव्यापी हैं या परस्पर अनन्य हैं, यह निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है।

विधायिका, क़ानून के प्रावधान में प्रयुक्त शब्दों के माध्यम से अपनी मंशा स्पष्ट करती है।  इसलिए, यहां सामंजस्यपूर्ण निर्माण का मूल सिद्धांत यह है कि विधायिका स्वयं विरोधाभास का प्रयास नहीं कर सकती थी।  संविधान की व्याख्या के मामलों में, सामंजस्यपूर्ण निर्माण का नियम कई बार लागू होता है।

यह माना जा सकता है कि यदि विधायिका ने एक के द्वारा कुछ देने का इरादा किया है, तो वह इसे दूसरी ओर ले जाने का इरादा नहीं करेगी क्योंकि दोनों प्रावधानों को विधायिका द्वारा फंसाया गया है और कानून के समान बल को अवशोषित किया है।  एक ही अधिनियम का एक प्रावधान दूसरे प्रावधान को बेकार नहीं कर सकता।  इस प्रकार, किसी भी परिस्थिति में विधायिका से खुद के विरोधाभास की उम्मीद नहीं की जा सकती।

ईश्वरी खेतान शुगर मिल्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य , इस मामले में, राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश चीनी उपक्रमों (अधिग्रहण) अधिनियम, 1971 के तहत चीनी उद्योगों का अधिग्रहण करने का प्रस्ताव रखा। इस आधार पर चुनौती दी गई कि इन चीनी उद्योगों को नियंत्रित घोषित किया गया था।  उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत संघ द्वारा एक। और तदनुसार, राज्य के पास संपत्ति के अधिग्रहण की शक्ति नहीं थी जो संघ के नियंत्रण में थी।  सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अधिग्रहण की शक्ति पर उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 का कब्जा नहीं था। राज्य के पास प्रविष्टि 42 सूची III के तहत एक अलग अधिकार था।

एम.एस. शर्मा बनाम कृष्णा सिन्हा, एआईआर 1959 एससी 395 मामले के तथ्य इस प्रकार हैं- 

संविधान का अनुच्छेद 19(1)(क) अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है।  अनुच्छेद 194(3) संसद को अपनी अवमानना ​​के लिए दंडित करने के लिए प्रदान करता है और इसे संसदीय विशेषाधिकार के रूप में जाना जाता है।  इस मामले में, एक समाचार पत्र के एक संपादक ने संसद की कार्यवाही का शब्द-शब्द-शब्द रिकॉर्ड किया, जिसमें उन हिस्सों को भी शामिल किया गया था जिन्हें रिकॉर्ड से बाहर निकाल दिया गया था। उन्हें संसदीय विशेषाधिकार के उल्लंघन के लिए बुलाया गया था।

उन्होंने कहा कि उन्हें भाषण और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार था।  यह अदालत द्वारा आयोजित किया गया था कि अनुच्छेद 19(1)(ए) ही उचित स्वतंत्रता के बारे में बात करता है और इसलिए बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केवल उन हिस्सों से संबंधित होगी जो रिकॉर्ड पर नहीं बल्कि उससे परे नहीं निकाले गए हैं।

हर एक देश की अपनी न्याय व्यवस्था होती है, जिसका उद्देश्य सभी को न्याय प्रदान करना है।  अदालत का उद्देश्य कानून की इस तरह व्याख्या करना है कि हर एक नागरिक  के लिए न्याय सुनिश्चित हो। ये वे नियम हैं जो विधायिका की असली इरादों को निर्धारित करने के लिए विकसित किए गए हैं।

यह आवश्यक नहीं है कि किसी क़ानून में इस्तेमाल किए गए शब्द हमेशा स्पष्ट और साफ़ अर्थ वाले हों, ऐसे मामलों में अदालतों के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि वे विधायिका और उसी समय इस्तेमाल किए गए शब्दों या वाक्यांशों का स्पष्ट और शुद्ध अर्थ निर्धारित करें। समय सभी शंकाओं को दूर करता है यदि कोई हो।  इसलिए, न्याय प्रदान करने के लिए लेख में बताए सभी नियम महत्वपूर्ण हैं।

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अपराध और अपराधी पर निबन्ध | Essay on Crime and Criminals in Hindi

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अपराध और अपराधी पर निबन्ध | Essay on Crime and Criminals in Hindi!

प्रस्तावना:

कोई भी व्यक्ति अपराध जानबूझ कर नहीं करता वरन् उसके अपराधी कार्य के पीछे कोई न कोई कारण ऐसा होता है जिसके वशीभूत हो यह गलत कार्यों अथवा अपराधिक कार्यो की ओर अग्रसर होता है ।

कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि वह अपराध कर अपराधी बने और समाज उसे तिरस्कृत नजरों से देखे । हमारी विद्यमान सामाजिक, कानूनी, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं जो व्यक्ति को अपराधी बनने हेतु मजबूर करती हैं ।

चिन्तनात्मक विकास:

अपराध वास्तव में क्या है ? इस सम्बंध में अनेक विचारकों ने अपराध की परिभाषा अपने-अपने दृष्टिकोणों से दी है । किसी का मत है कि ‘अपराध एक साभिप्राय कार्य है’, अथवा किसी विचारक का मानना है कि यह एक ‘असामाजिक कार्य’ है आदि ।

अनेक विचारकों ने कानूनी, गैर-कानूनी एवं सामाजिक शब्दों में अपराध को परिभाषित किया है जहाँ तक अपराधी का सम्बंध है तो उसके अपराधिक व्यवहार को अच्छी तरह से समझने के लिए क्लासिक, जैविकीय, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक आधारों पर व्याख्या की गई है ।

हमारे समाज में आज विघटनकारी प्रवृत्तियाँ अत्यन्त प्रबल हैं । व्यक्ति को चारों ओर से कुण्ठाओं एवं तनावों ने घेर रखा है । राजनीतिक व्यवस्था उस पर हावी है परिणामस्वरूप वह सामाजिक एवं कानूनी प्रतिमानों का उल्लंघन कर रहा है, जिससे की समाज का स्वरूप विकृत होता जा रहा है ।

दिन-प्रतिदिन अपराध और अपराधियों की संख्या में वृद्धि हो रही है । भारत में प्रतिवर्ष भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत लगभग 14.5 लाख संज्ञेय अपराध होते हैं और लगभग 37.7 लाख अपराध स्थानीय एवं विशेष कानूनों के तहत होते हैं । हमारे समाज में अपराध को समाप्त करने एवं अपराधियों को दण्डित करने अथवा उपचार हेतु कारावास एवं परिवीक्षा कारावास की व्यवस्था की गई है ।

वस्तुत: समाज से इस समस्या को समाप्त करने हेतु अनेंक उपाय किये गए हैं किन्तु इसमें सन्देह ही है कि वास्तव में अपराध खत्म हो सकता है । अत: आज आवश्यकता इस बात की है कि जो भी उपाय व्यवस्था द्वारा अपनाये गये हैं उन्हें कारगर ढंग से लागू किया जाये, कठोरता से अपनाया जाये । कई संस्थाएँ भी इस ओर अग्रसर हैं ।

उन्हें भी अपने प्रयासों को संगत बनाने हेतु और अधिक रुचि दिखलानी पड़ेगी । कानूनी व्यवस्था को भी कड़े कदम उठाने पड़ेगे ताकि समाज से बुराई को दूर किया जा सके । अपराध किसे कहते हैं ? अपराध क्या हैं ? अपराधी कौन होते हैं ? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर देने से पूर्व हमारे लिए ‘अपराध और अपराधी’ इन दोनों तत्वों की परिभाषा देना अत्यावश्यक है ।

ADVERTISEMENTS:

पॉल टप्पन ने अपराध की परिभाषा इस प्रकार दी है कि यह ‘एक साभिप्राय कार्य है या अनाचरण है जो दण्ड कानून का उल्लंघन करता है और जो बिना किसी सफाई और औचित्य के किया जाता है ।’  इस परिभाषा में पाँच तत्व महत्वपूर्ण हैं; प्रथम, किसी क्रिया को किया जाये या किसी क्रिया को करने में चूक होनी चाहिए, यानि कि किसी व्यक्ति को उसके विचारो के लिए दण्डित नहीं किया जा सकता ।

द्वितीय, क्रिया स्वैच्छिक होनी चाहिए और उस समय की जानी चाहिए जबकि कर्ता का अपने कार्यों पर नियन्त्रण है । तृतीय, क्रिया साभिप्राय होनी चाहिए, फिर चाहे अभिप्राय सामान्य हो अथवा विशेष । एक व्यक्ति का विशेष अभिप्राय चाहे दूसरे व्यक्ति को गोली मारना व उसको जान से मारना न हो, परन्तु उससे इस जानकारी की आशा की जाती है कि उसकी क्रिया से दूसरों को जोट लग सकती है ।

चतुर्थ, वह क्रिया फौजदारी कानून का उल्लंघन होनी चाहिए जोकि गैर-फौजदारी कानून या दीवानी या प्रशासनिक कानून से भिन्न है जिससे कि सरकार अभियुक्त के विरुद्ध कार्यवाही कर सके । पंचम, वह क्रिया बिना किसी सफाई या औचित्य के की जानी चाहिए । इस प्रकार यदि यह सिद्ध हो जाता है कि क्रिया आत्मसुरक्षा के लिए या पागलपन में की गयी थी, तो उसे अपराध नहीं माना जायेगा चाहे उससे दूसरों को हानि हुई हो या चोट लगी हो ।

कानून की अनभिज्ञता को अधिकतर बचाव या सफाई नहीं माना जाता है । हाल जिरोम की परिभाषा के अनुसार अपराध ‘कानूनी तौर पर वर्जित और साभिप्राय कार्य है, जिसका सामाजिक हितों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जिसका अपराधिक उद्देश्य है और जिसके लिए कानूनी तौर से दण्ड निर्धारित है ।’

इस प्रकार उसकी दृष्टि में किसी कार्य को अपराध नहीं माना जा सकता जब तक उसमें ये पाँच विशेषताएँ न हों; पहली, कानून द्वारा वह वर्जित हो । दूसरी, वह साभ्रिपाय हो । तीसरी, वह समाज के लिए हानिकारक हो । चौथी, उसका अपराधिक उद्देश्य  हो । पाँचवी, उसके लिए कोई दण्ड निर्धारित हो ।

अपराध की परिभाषा गैर-कानूनी और सामाजिक शब्दों में भी की गई है । मोरर ने उसे एक असामाजिक कार्य कहा है । काल्डवेल ने उसकी यह कहकर व्याख्या की है दवे कार्य या उन कार्यो को करने में चूक जोकि समाज में प्रचलित मानदण्डों की दृष्टि में समाज के कल्याण के लिए इतने हानिकारक हैं कि उनके संबंध में कार्यवाही किसी निजी पहलशक्ति या अव्यवस्थित प्रणालियों को नहीं सौंपी जा सकती, परन्तु वह कार्यवाही संगठित समाज द्वारा परीक्षित प्रक्रियाओं के अनुसार’ की जानी चाहिए ।’

थौर्सटन सेलिन ने उसे ‘मानकीय समूहों के व्युवहार के आदर्श नियमाचारों का उल्लंघन कहा है ।’ मार्शल क्लिनार्ड ने यह दावा किया है कि मानदण्डों के सभी विचलन अपराध नहीं होते । वह तीन प्रकार के विचलन की बात करते हुँ (1) सहन किये जाने वाले विचलन, (2) विचलन जिसकी नरमी से निन्दा की जा सकती है, (3) विचलन जिसकी कड़ी निन्दा की जाती है । वह तीसरे प्रकार के विचलन को अपराध मानते हैं ।

‘अपराध’ की उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सभी विचारकों ने इसकी परिभाषा अपने-अपने दृष्टिकोण से दी है । किसी ने इसे स्पष्ट करने के लिए समाजशास्रीय आधार लिया है, तो किसी ने कानूनी । अपराध की कानूनी और सामाजिक परिभाषाओं के मध्य समाधानात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुये रीड ने कहा है कि कानूनी परिभाषा का अपराध के आकड़ों का संकलन करने के लिए और अपराधी का लेबिल देने के लिए उपयोग किया आ सकता है, परन्तु अपराध के कारणों के अध्ययन के लिए किये जा रहे अध्ययनों में ऐसे व्यक्तियों को भी अपराधियों के प्रतिदर्शो में सम्मिलित किया जाना चाहिए जो अपना अपराध स्वीकार करते हैं, परन्तु न्यायालय से दोषी सिद्ध नहीं हुये हैं ।

जहाँ तक अपराधी का सम्बंध है तो वह किसी न किसी कारण के वशीभूत हो अपराध करता है । यह आवश्यक नहीं कि किसी अपराध के पीछे कोई ठोस कारण ही हो क्योंकि कई बार अनजाने में ही किसी व्यक्ति द्वारा अपराध हो जाता है परिणामस्वरूप वह ‘अपराधी वर्ग’ के अन्तर्गत आ जाता है ।

अत: यह जरूरी हो जाता है कि किसी व्यक्ति के अपराधी व्यवहार के पीछे कारणों पर गहनता से विचार किया जाए । कोई भी व्यक्ति स्वतन्त्र इच्छा शक्ति के वशीभूत हो अपराधी व्यवहार नहीं करता अपितु नियति के वशीभूत हो अपराध कर बैठता हे ।

हमारी सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था ही ऐसी है कि वह अपराध करने को मजबूर कर देती है । कानून एवं उसकी व्यवस्था भी किसी हद तक किसी निरपराधी को अपराधी में परिवर्तित कर देती है । प्राय: दण्ड नीति भी कई बार किसी को अपराध करने के लिए प्रेरित करती है ।

अपराधिक व्यवहार की सैद्धान्तिक व्याख्याओं को मुख्यत: छह वर्गों में विभाजित किया गया है: (1) जैविक या स्वभाव-सम्बंधी व्याख्याएं, (2) मानसिक अव-सामान्यता, बीमारी और मनोवैज्ञानिक-रोगात्मक व्याख्याएं, (3) आर्थिक व्याख्या, (4)स्थलाकृतिक व्याख्या, (5) मानव पर्यावरणवादी व्याख्या और (6) ‘नवीन’ और ‘रैडिकल’ व्याख्या ।

रीड ने सैद्धान्तिक व्याख्याओं का इस प्रकार वर्गीकरण किया है; (1) क्लासिकल और सकारात्मक व्याख्याएं, (2) शारीरिक, मनश्चिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त, और (3) समाजशास्त्रीय सिद्धान्त । इन्होंने समाजशास्रीय सिद्धान्तों को पुन: दो वर्गो में बांटा है: (1) सामाजिक संरचनात्मक सिद्धान्त, (2) सामाजिक प्रक्रिया सिद्धान्त । अपराधिक व्यवहार सम्बंधी इन सभी सिद्धान्तों को मुख्यत: चार भागों में वर्गीकृत कर समझा जा सकता है । (1) क्लासिक, (2) जैविकीय, (3) मनोवैज्ञानिक,  (4) सामाजिक ।

‘अपराध और दण्ड’ सम्बधी क्लासिक विचारधारा इटेलियन विचारक बैकेरिया द्वारा अठारहवीं शताब्दी के दूसरे अर्ध में विकसित की गई थी । क्लासिक विचारधारा यह मानती थी कि (क) मानव प्रकृति तार्किक एवं स्वतन्त्र है और अपने स्वार्थ से निर्धारित होती है, (ख) सामाजिक व्यवस्था मतैक्यता और सामाजिक अनुबंध पर आधारित है, (ग) अपराध सामाजिक प्रतिमानों का उल्लंघन नहीं बल्कि कानून संहिता का उल्लंघन है, (घ) अपराध का वितरण सीमित है और उसका पता उचित प्रक्रिया से लगाना चाहिए, (ड) अपराध व्यक्ति की तार्किक प्रेरणा से होता है, व अपराधी को दण्ड देते समय ‘संयम’ का सिद्धान्त अपनाना चाहिए ।

क्लासिक व्याख्या की कुछ कमियाँ थी जैसे; पहली, सब अपराधियों के साथ बिना उनकी आयु, लिंग अथवा बुद्धि में भेद करके समान व्यवहार किया जाना । दूसरी, अपराध की प्रकृति को कोई महत्व नहीं दिया गया (अर्थात अपराध साधारण है अथवा जघन्य) । इसी प्रकार अपराधी के प्रकार को भी महत्व नहीं दिया गया (अर्थात् उसका प्रथम अपराध था, या आकस्मिक अथवा पेशेवर अपराधी था) ।

तीसरी, एक व्यक्ति के व्यवहार की व्याख्या केवल ‘स्वतन्त्र इच्छा-शक्ति’ के सिद्धान्त पर करना और ‘उपयोगितावाद’ के सिद्धान्त पर दण्ड प्रस्तावित करना अव्यावहारिक दर्शन है जो अपराध को अमूर्त मानता है और जिसके निष्पक्ष एवं आनुभविक मापन में वैज्ञानिक उपागम का अभाव है ।

चौथी, न्यायसंगत अपराधिक कार्यो के लिये उसमें कोई प्रावधान नहीं था । पांचवीं, इन्हें फौजदारी कानून में सुधार करने में अधिक रुचि थी, बजाय अपराध को नियन्त्रित करने और अपराध के सिद्धान्तों का विकास करने में दण्ड की कठोरता को कम करना, जूरी व्यवस्था के दोषों को हटाना, देश निकाला और फांसी देने के दण्ड को समाप्त करना और कारागृह दर्शन को अपनाना, और नैतिकता को नियमित करना ।

क्लासिक सिद्धान्त में नव-कलासिकवादी अंग्रेज अपराधशासियों ने संशोधन कर यह सुझाव दिया कि अपराधी की आयु, मानसिक दशा ओर लघुकारक परिस्थितियों को महत्व दिया जाना चाहिए । सात वर्ष से कम आयु के बच्चों और मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को कानून से मुक्त रखना चाहिए । जैविकीय व्याख्या के अन्तर्गत ‘नियतिवाद’ के सिद्धान्त पर बल दिया गया ।

लोझासो, केरी और गेरीफलो प्रमुख प्रत्यक्षवादी थे । जिन्होने अपराधिक व्यवहार के जैविकी से उत्पन्न होने वाले और वंशानुगत पहलुओं पर बल दिया । लोखासों को ‘अपराधशास्त्र का पिता’ कहा जाता हे । इनका मत था कि अपराधी का शारीरिक रूप गैर-अपराधी के शारीरिक रूप से भिन्न होता है, जैसे असममित चेहरा, बडे कान, बहुत लम्बी बाहे पिचकी हुई नाक, पीछे की ओर मुड़ा हुआ ललाट, गुच्छेदार और कुचित बाल, पीड़ की तरफ संज्ञाहीनता, आँखों में खराबी और अन्य शारीरिक अनूठेपन ।

साथ ही इन्होने उन विशेषताओं का भी जिक्र किया जो अपराध की किस्मों के अनुसार अपराधियो में भेद दर्शाते हैं । यद्यपि जीवन के अन्तिम दिनों में इन्होने अपने सिद्धान्त में परिवर्तन कर कहा कि द्र अपराधी जन्मजात’ नहीं होते वरन् साधारण अपराधी’ (जो सामान्य शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बनावट के व्यक्ति होते हैं), आकस्मिक अपराधी और संवेगात्मक अपराधी भी होते हैं ।

इनके सिद्धान्त की भी कुछ आलोचनाएँ हुईं जैसे, इनके तथ्यों का संकलन जैविक कारकों तक सीमित था और इन्होंने मानसिक और सामाजिक कारकों पर ध्यान नहीं दिया, इनका सिद्धान्त वर्णनात्मक था, प्रयोगात्मक नहीं, पूर्वाजानुरूपता सिद्धान्त और विकृति सम्बंधी सामान्यीकरणों ने सिद्धान्त और तथ्य के बीच एक दरार बना दी । सिद्धान्त को ठीक दर्शाने के लिए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया । यह अवैज्ञानिक क्योंकि इनका सामान्यीकरण एक अकेले प्रकरण से प्राप्त किया गया था ।

अपराध और अपराधी सम्बंधी मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त मन्द बुद्धिमता पर बल देता है, मनश्चिकित्सीय सिद्धान्त मानसिक रोगों पर बल देता है, और मनोवैश्लेषिक सिद्धान्त अविकसित अहम् या प्रेरणाओं और मूल प्रवृत्तियो या अपराध भावनाओं या हीन भावना पर बल देता है ।

हेनरी गोडर्ड ने विचलन और अपराध का सबसे बडा अकेला कारण मन्द बुद्धिमता बताया । इन्होने कहा कि मन्द बुद्धिमत्ता वशागत होती है और जीवन की घटनाओ से बहुत कम प्रभावित होती है । यहाँ इस बात पर बल दिया गया कि अपराधी पैदा नहीं होता वरन् बनाया जाता है । किन्तु वह इस बात में विश्वास नहीं करते थे कि प्रत्येक मन्दबुद्धि वाला व्यक्ति अपराधी होता है ।

वह सम्भावित अपराधी हो सकता है, परन्तु उसके अपराधी बनने का निर्धारण दो कारक करते हैं; उसका स्वभाव और उसका पर्यावरण । इसलिए मन्द बुद्धिमत्ता वंशानुगत हो सकती है, परन्तु अपराधिकता वंशानुगत नहीं है । इसके विपरीत समाजशास्त्री यह तर्क देते हैं कि अपराधिक व्यवहार सीखा जाता है और सामाजिक पर्यावरण के परिस्थितिवश होता है ।

समाज की परिस्थितियाँ अथवा वातावरण ऐसा होता है जिसके कारण व्यक्ति अपराध कर बैठता है । उदाहरणार्थ, आर्थिक परिस्थिति के अन्तर्गत जैसे पूंजीवादी व्यवस्था में आदमी केवल स्वयं पर ही सकेन्द्रित रहता है और इससे उसमे स्वार्थपरता उत्पन्न होती है । आदमी की रुचि केवल अपने ही लिये पैदा करने में होती है, विशेष रूप से अधिशेष प्राप्त करने में जिसका विनिमय वह लाभ से कर सकता है ।

उसे अन्य व्यक्तियों की आवश्यकताओं में रूचि नहीं होती । इस प्रकार पूजीवाद सामाजिक दायित्वहीनता को जन्म देता है, और परिणामस्वरूप अपराध होता है भौगोलिक व्याख्या अपराध का आकलन भौगोलिक कारको जैसे जलवायु, तापमान और आर्द्रता के आधार पर करती है । वस्तुत: इस बात मे कोई सन्देह नहीं है कि ‘अपराध और अपराधी’ सम्बधी सभी सिद्धान्तों मे कहीं न कहीं एवं कुछ न कुछ कमियां अवश्य हैं । कोई भी सिद्धान्त स्वयं मे पूर्ण नहीं है ।

हमारे समाज में प्राय: सभी श्रेणियों मे अशान्ति बढ रही है क्योकि सामाजिक सम्बधों एवं सामाजिक बंधनो मे विघटन हो रहा है । युवाओ, किसानों, औद्योगिक श्रमिकों, छात्रों, सरकारी कर्मचारियों और अल्पसंख्यको में अशान्ति व्याप्त है । यह अशान्ति तनावों और कुण्ठाओं में वृद्धि करती है जिससे कानूनी और सामाजिक प्रतिमानो का उल्लघन होता है ।

अत: हमारे समाज की विद्यमान उप-व्यवस्थाओं औ२ संरचनाओ का सगठन और कार्यप्रणाली अपराध की वृद्धि हेतु उत्तरदायी है । भारत में एक घंटे मे लगभग 175 संज्ञेय अपराध भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत और 435 अपराध स्थानीय और विशेष कानूनो के तहत होते हैं ।

एक दिन में लगभग 900 चोरियों, 250 दगों, 400 डकैतियो और सेध लगाकर चोरियो और 2,500 अन्य फौजदारी अपराधों से पुलिस जूझती रहती है (क्राइम इन इंडिया, 1990 : 14) । 1970 और 1980 के मध्य अपराध में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 1980 और 1990 के बीच अपराध केवल 80 प्रतिशत बढ़ा (1990 : 10) ।

अपराध की उठती हुई तरंग जनता मे भय उत्पन्न कर सकती है, परन्तु हमारी पुलिस और राजनीतिज्ञ बिगड़ती हुई कानून और व्यवस्था की स्थिति से अप्रभावित एवं अछूते रहते हैं । विपक्षी राजनैतिक दल इन आँकडों में रूचि तभी लेते हैं जब इन्होंने सत्ताधारी दल की नीतियों की आलोचना करनी होती है ताकि उन्हें सत्ता से हटाया जा सके ।

वास्तव में समाजशास्त्री और अपराधशास्री ही अपराध के कारणों का पढ़ा लगाने, अपराध को कम करने, दण्ड एवं न्याय व्यवस्था को प्रभावशाली बनाने में रूचि दिखलाते हैं और इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य करते हैं ।

हाल ही में कुछ उग्र विचारो वाले विद्वानों ने अपराध सम्बंधी कानूनो को पारित करवाने, पुलिस व्यवस्था को सुधारने, न्यायिक सक्रियता, उत्पीडितों के हितो की सुरक्षा, कारागृह की स्थिति मे सुधार और विचलित व्यक्ति को मानवीय बनाने के सम्बंध में प्रश्न उठाये हैं ।

हमारे समाज में अपराधियों को दण्ड देने एवं उपचार हेतु मुख्यत: दो तरीके अपनाए जाते हैं-प्रथम कारावास, द्वितीय परिवीक्षा पर मुक्ति । यद्यपि कुछ भयंकर अपराधियों को फांसी की सजा भी दी जाती है और कुछ पर जुर्माने भी किये जाते हैं ।

1919-20 तक भारतीय कारावासों में स्थितियाँ भयावह थीं । 1919-20 की भारतीय रेल सुधार कमेटी के सुझावों के अचात् ही अधिकतम सुरक्षा कारागृह जैसे केन्द्रीय जेल, जिला जेल और उप-जेल में परिवर्तन किये गये । इन परिवर्तनों में शामिल थे वर्गीकरण, कैदियो का पृथक्करण, शिक्षा, मनोरंजन, उत्पादन कार्य का देना और परिवार एवं समाज में सम्पर्क रखने के अवसर ।

बाद में तीन राज्यों में तीन मध्यम-सुरक्षा कारागृह या आदर्श कारावास भी स्थापित किये गए जिनमें पंचायत राज, स्व-संचालित केन्टीन और मजदूरी पद्धति पर बल दिया गया, किन्तु इन्हें केन्द्रीय कारागृह मे परिवर्तित कर दिया गय । कारागृह सामान्यत: समान पोशाक पहनने वालों का ससार है । जहाँ के प्रत्येक निवासी पर कलंक लगा होता है और उसे अपरिचित साथियो के साथ निर्धारित कार्यो को नियत समय में करना होता है ।

इन्हे किसी भी प्रकार की आजादी, सुविधाओं, भावात्मक सुरक्षा और विषमलिगींय संबंधों से वचित किया जाता है । इन मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करने के लिए वही निवासी कैदी व्यवस्था की कैदी सहिता का पालन करते हैं, जोकि कारागृह पद्धति की औपचारिक संहिता के बिल्कुल विपरीत होती है ।

कैदियों को कारावास के द्वारा दण्डित करने एव उनका उपचार करने हेतु एक उदार और कठोर सन्तुलित नीति को अपनाना चाहिए । जेल व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने हेतु और अपराधियो को सुधारने के लिए जिन अन्य उपायो की आवश्यकता है ।

वे है, विचाराधीन कैदियो को सजायाफ्ता कैदियों के साथ एक ही जेल में नहीं रखना चाहिए, कैदियो को उनकी फाइलें प्राप्त करानी चाहिए, कैदियो को बैरक निर्धारण अथवा काम देने से पूर्व उनका उपयुक्त निदान होना चाहिए, कैदियो को अपनी इच्छानुसार कार्य चयन की स्वतन्त्रता होनी चाहिए, पैरोल पर रिहा करने को अधिक सरल एव प्रभावी बनाना चाहिए, निजी उद्योगों को कारागृह में लाने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए ।

कैदियों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए प्रभावी माध्यम उपलब्ध कराने चाहिए, अनिश्चित सजा प्रणाली लागू करनी चाहिए, कैदियों को छ: माह से कम समय के लिए कारागृह भेजने को हतोत्साह करना चाहिए, राज्यस्तर पर एक जेल उद्योग ब्यूरो स्थापित करना चाहिए ।

अत: ऐसे कार्यक्रम बनाये जाने चाहिएं जो कैदियों को नया जीवन प्रारम्भ करने के लिए प्रोत्साहित करें । एक अन्य विकल्प है-परिवीक्षा कारागृह । परिवीक्षा कारागृह से आशय है अदालत द्वारा अपराधी की सजा को स्थगित करना और कुछ शर्तो पर उसे रिहा करना, जिससे वह समाज में परिवीक्षा अधिकारी की देख-रेख में या उसके बिना समाज में रह सके ।

कारागृह प्रणाली की अपेक्षा परिवीक्षा कारागृह में कुछ लाभ हैं । ये हैं; परिवीक्षा पर रिहा किये गए अपराधी पर कोई कलंक नहीं लगता, परिवीक्षार्थी का आर्थिक जीवन भंग नहीं होता, उसके परिवार को कष्ट नहीं सहन करना पड़ता, अपराधी भी कुंठित नहीं होता और यह आर्थिक रूप से कम महंगी है । इसमें कुछ कमियाँ हें जैसे, अपराधी उसी वातावरण में रहता है जहाँ उसने अपराध किया है, उसे दण्ड का कोई भय नहीं होता । किन्तु यह कमियां तर्कसंगत नहीं हैं ।

इसके अतिरिक्त परिवीक्षा को नये उपायों से अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है जैसे, परिवीक्षा की अवधारणा को परिवर्तित करना और उसको सजा का स्थगन मानने के स्थान पर सजा का विकल्प मानना, उन सब प्रकरणों में जिनमे अपराधियों को परिवीक्षा पर छोड़ दिया जाता है, उनके सामाजिक अन्वेषण को अनिवार्य करना, रिहाई की शती को लचीला बनाना, अनिश्चित सजा प्रणाली को लागू करना और परिवीक्षा सेवाओं को किसी अन्य विभाग से न जोड़ कर राज्य स्तर पर उनका एक अलग निदेशालय स्थापित करना ।

निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि सुधार व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने हेतु प्रबंधकी: रुचि एवं मानवतावादी रुचि को ही अपनाकर व्यवस्था में सुधार निश्चित है ।

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Rule of law in Hindi and English

  • In India “Rule of law” concept came from England and has been made part of the Right to Equality under Article 14 of the Indian Constitution.  भारत में “कानून का शासन” की अवधारणा इंग्लैंड से आई है और इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का हिस्सा बनाया गया है।
  • This concept was given by A.V DICEY . यह अवधारणा A.V DICEY द्वारा दी गई थी।
  • However, Laws are made for the welfare of the people to maintain harmony between the conflicting forces in society. हालाँकि, समाज में परस्पर विरोधी ताकतों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए लोगों के कल्याण के लिए कानून बनाए जाते हैं।
  • One of the prime objectives of making laws is to maintain law and order in society and develop a peaceful environment for the progress of the people. कानून बनाने का एक प्रमुख उद्देश्य समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की प्रगति के लिए शांतिपूर्ण वातावरण का विकास करना है।

What is the Rule of Law in India? कानून का शासन क्या है?

rule of law in india definition

  • It means “ Law Is Supreme ” i.e “ Lex Supremus ” and absolute supremacy of the law against the arbitrary powers. इसका अर्थ है “कानून सर्वोच्च है” यानी “लेक्स सुप्रीमस” और मनमानी शक्तियों के खिलाफ कानून की पूर्ण सर्वोच्चता।
  • Only the adoption of the Rule of Law has changed the concept of Rex Lex (King is Law) to Lex Rex (Law is King) which is very much essential for the right to equality & stability in India. केवल कानून के शासन को अपनाने ने Rex Lex ( King is Law ) की अवधारणा को Lex Rex (Law is King) में बदल दिया है जो भारत में समानता और स्थिरता के अधिकार के लिए बहुत आवश्यक है।

rule of law in india

  • Explanation: Lex- Law Rex- King
  • Lex is Rex- Law is King (Now)
  • Rex is Lex- King is Law (In Past)
  • Constitution under Article 32 and Article 226 empowers Supreme Court and High Court to enforce the Rule of Law against executives and legislators. अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 के तहत संविधान सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को कार्यपालकों और विधायकों के खिलाफ कानून का शासन लागू करने का अधिकार देता है।
  • The Supreme Court also held that the Rule of Law is a part of the basic structure of the Constitution in India and also a part of the Right to equality . It cannot be destroyed even by an amendment. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि कानून का शासन भारत में संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है और समानता के अधिकार का भी एक हिस्सा है। इसे संशोधन द्वारा भी नष्ट नहीं किया जा सकता।

Three principles of Rule of law in Hindi कानून के शासन के तीन सिद्धांत

  • No man shall be punished or made to suffer except for a violation of Law and such violation should have been established in an Ordinary court of Law. कानून के उल्लंघन के अलावा किसी भी व्यक्ति को दंडित या पीड़ित नहीं किया जाएगा और इस तरह के उल्लंघन को एक साधारण अदालत में स्थापित किया जाना चाहिए था।
  • All persons are subjected to the Ordinary Law of land without any distinction i.e all can sue or get sued before the court. सभी व्यक्ति बिना किसी भेद के भूमि के साधारण कानून के अधीन हैं अर्थात सभी अदालत में मुकदमा कर सकते हैं या मुकदमा कर सकते हैं। Can sue or get sued – means anyone can start legal proceedings against someone and also vice-versa. Can Sue or get sued – इसका मतलब है कि कोई भी किसी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकता है और इसके विपरीत भी।
  • It says that all the laws passed by the legislature must be consistent with the provisions of the constitution. इसमें कहा गया है कि विधायिका द्वारा पारित सभी कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए।

Exceptions to rule of law in Hindi कानून के शासन के अपवाद

  • The President or the Governor is not answerable to any court for the exercise of the powers and duties of his office. राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं।
  • Members of Parliament (M.P), ministers, and other executive bodies are also given wide discretionary powers. संसद सदस्यों (एमपी), मंत्रियों और अन्य कार्यकारी निकायों को भी व्यापक विवेकाधीन शक्तियां दी जाती हैं।

Frequently Asked Questions (FAQ) अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

What is the basic structure of the constitution संविधान की मूल संरचना क्या है.

judicial review

  • The Basic Structure of the constitution consists of those parts and features of the constitution without which the constitution loses its character. संविधान की मूल संरचना में संविधान के वे भाग और विशेषताएं शामिल हैं जिनके बिना संविधान अपना चरित्र खो देता है।
  • The Supreme Court did not define exhaustively the basic structure of the constitution but in various judgments, we keep knowing them. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की मूल संरचना को विस्तृत रूप से परिभाषित नहीं किया लेकिन विभिन्न निर्णयों में, हम उन्हें जानते रहते हैं। Example: Judicial Review , Secularism , Sovereignty , Federalism, the mandate to build a welfare state, etc. उदाहरण : न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संप्रभुता, संघवाद, कल्याणकारी राज्य बनाने का जनादेश, आदि।

Example: Judicial Review , Secularism , Sovereignty , Federalism, the mandate to build a welfare state, etc.

बधाई हो, आपने पूरा लेख पढ़ा। यदि आपके कोई संदेह या प्रश्न हैं, तो बेझिझक नीचे टिप्पणी करें। हम जितनी जल्दी हो सकेगा संपर्क करेंगे।

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वकील पर निबंध | Essay On Lawyer In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम Essay On Lawyer In Hindi में वकील पर निबंध लेकर आए हैं. Short Essay Advocate In Hindi में हम वकील बेरिस्टर व एडवोकेट के बारे में पढेगे, जिन्हें हिंदी में अधिवक्ता कहा जाता हैं.

आपसी विवादों के निप टान और न्यायालय में कानूनी सुनवाई का कार्य वकील का होता हैं. इस निबंध, स्पीच भाषण अनुच्छेद पैराग्राफ में हम वकील के कार्य और मेरा लक्ष्य वकील बनना पर शोर्ट निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं.

Essay On Lawyer In Hindi

हम उस व्यक्ति को वकील के रूप में जानते है जो कानूनों मुकदमों में हमारा पक्ष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करता हैं. काले कोट एवं सफेद कमीज पेंट की विशिष्ट पोशाक इनकी विशेषता हैं.

अधिवक्ता, अभिभाषक या वकील ऐडवोकेट आदि रूप में इन्हें जाना जाता हैं. वकील को न्यायालय वाद प्रतिपादन तथा दलील रखने का कानूनी अधिकार हैं.

कानून में विशेष्यज्ञता की डिग्री प्राप्त व्यक्ति जिसे कानून का पूर्ण ज्ञान होने के साथ साथ अपनी बात को प्रभावी ढ़ंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति भी जरुरी होती हैं.

आम बोलचाल की भाषा में एडवोकेट को हम लॉयर और बैरिस्टर मान लेते हैं. मगर इन शब्दों के खेल में उलझीये मत. हिंदी में जिसे हम अधिवक्ता यानी किसी तरफ से बोलने वाला कहते है उसे अंग्रेजी में एडवोकेट कहते हैं.

लॉयर वह व्यक्ति कहलाता हैं जिसके पास कानून की डिग्री एलएलबी हो. प्रत्येक लॉयर एडवोकेट नहीं होता है उन्हें यह उपाधि लेने के लिए बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित एक परीक्षा को उतीर्ण करना पड़ता हैं.

अब हम वकील और बैरिस्टर के अंतर को समझते हैं. ये दोनों ही कानून की डिग्री प्राप्त व्यक्ति होते हैं जबकि अंतर यह है कि जो स्वदेश में रहकर कानून की डिग्री करता है वह लॉयर या वकील कहलाता हैं

जबकि जो इंग्लैंड आदि देशों से वकालत की पढाई करके आते है उन्हें बैरिस्टर कहा जाता हैं. यह पुरानी रुढ़िवादी परम्परा भर हैं हैसियत के लिहाज से इनमें कोई फर्क नहीं हैं.

देशभर हर साल हजारों स्टूडेंट्स कानून में स्नातक करते हैं. विभिन्न न्यायिक विषयों में गहन अध्ययन और अभ्यास के बाद ही एक वकील बना जा सकता हैं. यह पेशा अधिक ज्ञान की आवश्यकता एवं चुनौतियों से भरा हैं.

दशकों पूर्व तक इस पेशे को धनाढ्य वर्ग से जुड़े लोग ही अपनाते थे. वर्तमान में इसका सामान्यीकरण हो चूका हैं. बदलते वैश्विक परिदृश्य में वकालत पेशा सेवा के व्यवसाय के रूप में उभर रहा हैं.

आपने गौर से किसी व्यक्ति को कोर्ट से निकलते देखा हो तो वह हमेशा काला कोट पहने नजर आएगा, वकीलों की विशेष ड्रेस से जुडी यह परम्परा इंग्लैंड से शुरू हुई.

कहा जाता है कि 1865 में जब इंग्लैड के शाही परिवार ने किंग्‍स चार्ल्‍स द्वितीय की मृत्यु हुई तो राजकीय आदेश जारी किया गया कि न्यायालय में वकील और जज सभी काला कोट पहनेगे.

ब्रिटेन से शुरू हुई  परम्परा आज दुनियाभर में सभी वकील अपनाते हैं. हमारे देश में 1961 के तहत वकीलों के लिए ब्लैक कोट अनिवार्य कर दिया गया था, यह उनके अनुशासन व आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता हैं.

हर व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ बनकर सेवा कार्य करना चाहता है. मेरा भी सपना है कि मैं एक दिन वकील बनकर शोषित पीड़ित समाज की मदद कर सकू. आज के संसार में हर व्यक्ति बिका हुआ हैं.

कानून व न्याय का क्षेत्र भी अछूता नहीं हैं. हमारे सिस्टम में वही पीसता है जो गरीब होता है. एक वकील के रूप में पूर्ण ईमानदारी और सेवा के भाव से काम करते हुए सिस्टम तथा धनी लोगों द्वारा सताए गरीब लोगों को न्याय दिलाने में मुझे सबसे अधिक ख़ुशी प्राप्त होगी.

देरी से मिला न्याय अन्याय के बराबर ही होता हैं. हमारी न्याय व्यवस्था की यही सच्चाई है दशकों तक मुकदमों को वकील चाहकर लम्बा खीचते हैं. अपराधी कई बार इस समय का दुरूपयोग कर सबूतों को मिटाकर बरी भी हो जाते हैं.

यदि मैं वकील बन पाया तो न्यायालय द्वारा लोगों को जल्दी न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करुगा. अधिकतर न्यायालय में आने वाले मामले छोटे मोटे परिवारिक झगड़े होते हैं. एक वकील के रूप में मैं सामाजिक कार्यकर्ता बनकर आपसी सुलह के लिए पहल कर सकता हूँ.

मैं एक वकील बनकर यह चाहूँगा कि लोग न्याय में विशवास करे तथा इसे बिकाऊ न समझे. हमें आमजन का भरोसा अपने न्यायालयों के लिए जगाना हैं. यह तभी हो सकता है जब न्यायिक तंत्र में धन तथा ताकत के वर्चस्व को तोडा जाए.

आम लोगों को सामर्थ्यवान बनाया जाए जिससे वे अपराधियों के खिलाफ बेझिझक गवाही देने के लिए आगे आए.

एक वकील के रूप में मैं हमारी कानून व्यवस्था को धन के बल छूटने वाले अपराधियों पर काबू पाने में हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार रहूँगा.

  • अधिवक्ता, वकील पर सुविचार
  • LLB क्या होता है, वकील बनने के लिए क्या करे
  • न्याय पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों Essay On Lawyer In Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा. यदि आपकों वकील पर एस्से निबंध में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

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छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

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  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

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अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

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जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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Exam preparation: get over self-doubt with these effective measures, gandhian principles can aid mental well-being, every student should build on these must have skills, arduous dance holding on and letting go your teens, competition and comparison: how can parents help kids to avoid the maze, building a support system: help and assistance available for the orphaned youth, homeostasis: maintenance of internal balance, trigonometry: where do we see it being used in real-life, artificial rain: concept and techniques, upcoming school exams, national institute of open schooling 12th examination.

Exam Date : 11 March,2024 - 27 March,2024

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Kerala Secondary School Leaving Certificate Examination

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Karnataka Secondary School Leaving Certificate Examination

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Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Geotechnical engineer

The role of geotechnical engineer starts with reviewing the projects needed to define the required material properties. The work responsibilities are followed by a site investigation of rock, soil, fault distribution and bedrock properties on and below an area of interest. The investigation is aimed to improve the ground engineering design and determine their engineering properties that include how they will interact with, on or in a proposed construction. 

The role of geotechnical engineer in mining includes designing and determining the type of foundations, earthworks, and or pavement subgrades required for the intended man-made structures to be made. Geotechnical engineering jobs are involved in earthen and concrete dam construction projects, working under a range of normal and extreme loading conditions. 

Cartographer

How fascinating it is to represent the whole world on just a piece of paper or a sphere. With the help of maps, we are able to represent the real world on a much smaller scale. Individuals who opt for a career as a cartographer are those who make maps. But, cartography is not just limited to maps, it is about a mixture of art , science , and technology. As a cartographer, not only you will create maps but use various geodetic surveys and remote sensing systems to measure, analyse, and create different maps for political, cultural or educational purposes.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Product Manager

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Operations manager.

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Bank Probationary Officer (PO)

Investment director.

An investment director is a person who helps corporations and individuals manage their finances. They can help them develop a strategy to achieve their goals, including paying off debts and investing in the future. In addition, he or she can help individuals make informed decisions.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

An expert in plumbing is aware of building regulations and safety standards and works to make sure these standards are upheld. Testing pipes for leakage using air pressure and other gauges, and also the ability to construct new pipe systems by cutting, fitting, measuring and threading pipes are some of the other more involved aspects of plumbing. Individuals in the plumber career path are self-employed or work for a small business employing less than ten people, though some might find working for larger entities or the government more desirable.

Construction Manager

Individuals who opt for a career as construction managers have a senior-level management role offered in construction firms. Responsibilities in the construction management career path are assigning tasks to workers, inspecting their work, and coordinating with other professionals including architects, subcontractors, and building services engineers.

Urban Planner

Urban Planning careers revolve around the idea of developing a plan to use the land optimally, without affecting the environment. Urban planning jobs are offered to those candidates who are skilled in making the right use of land to distribute the growing population, to create various communities. 

Urban planning careers come with the opportunity to make changes to the existing cities and towns. They identify various community needs and make short and long-term plans accordingly.

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Naval Architect

A Naval Architect is a professional who designs, produces and repairs safe and sea-worthy surfaces or underwater structures. A Naval Architect stays involved in creating and designing ships, ferries, submarines and yachts with implementation of various principles such as gravity, ideal hull form, buoyancy and stability. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Veterinary Doctor

Pathologist.

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Speech Therapist

Gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

Hospital Administrator

The hospital Administrator is in charge of organising and supervising the daily operations of medical services and facilities. This organising includes managing of organisation’s staff and its members in service, budgets, service reports, departmental reporting and taking reminders of patient care and services.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Videographer

Multimedia specialist.

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Linguistic meaning is related to language or Linguistics which is the study of languages. A career as a linguistic meaning, a profession that is based on the scientific study of language, and it's a very broad field with many specialities. Famous linguists work in academia, researching and teaching different areas of language, such as phonetics (sounds), syntax (word order) and semantics (meaning). 

Other researchers focus on specialities like computational linguistics, which seeks to better match human and computer language capacities, or applied linguistics, which is concerned with improving language education. Still, others work as language experts for the government, advertising companies, dictionary publishers and various other private enterprises. Some might work from home as freelance linguists. Philologist, phonologist, and dialectician are some of Linguist synonym. Linguists can study French , German , Italian . 

Public Relation Executive

Travel journalist.

The career of a travel journalist is full of passion, excitement and responsibility. Journalism as a career could be challenging at times, but if you're someone who has been genuinely enthusiastic about all this, then it is the best decision for you. Travel journalism jobs are all about insightful, artfully written, informative narratives designed to cover the travel industry. Travel Journalist is someone who explores, gathers and presents information as a news article.

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

Merchandiser.

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Metallurgical Engineer

A metallurgical engineer is a professional who studies and produces materials that bring power to our world. He or she extracts metals from ores and rocks and transforms them into alloys, high-purity metals and other materials used in developing infrastructure, transportation and healthcare equipment. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

ITSM Manager

Information security manager.

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

Business Intelligence Developer

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Essay in Hindi (Hindi Nibandh) | 200 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – 200 Hindi Essay Topics

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Hindi Essay Topics:निबंध (Nibandh) एक विस्तृत लेख होता है जो किसी विषय के बारे में विस्तार से लिखा जाता है। इसमें आमतौर पर लेखक अपने विषय के बारे में अपने विचार, अनुभव, विश्लेषण और संदर्भ देता है। निबंध लेखन के दौरान लेखक की उद्देश्य होती है कि वह अपने पाठकों को अपनी बात समझाए और उन्हें विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करे। निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण लेखन कौशल होता है जो विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, लेखकों और संवाददाताओं को सीखना चाहिए।

  • 1 निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।
  • 2 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics
  • 3 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 10 Short Hindi Essay Topics
  • 4 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 1 7 Long Hindi Essay Topics
  • 5.1 हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
  • 5.2 दीर्घ निबंध विषय:
  • 5.3 लघु निबंध विषय:
  • 6 हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:
  • 7 हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:

निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।

  • विषय चुनें: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के लिए एक विषय चुनें। आपको उस विषय के बारे में विस्तार से जानना होगा ताकि आप एक संपूर्ण और स्पष्ट निबंध लिख सकें।
  • निबंध का ढांचा बनाएं: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के ढांचा को तैयार करें। आप अपने निबंध के लिए विभिन्न विषयों को एकत्रित कर सकते हैं और उन्हें एक अनुक्रम में रख सकते हैं।
  • विस्तारपूर्वक लिखें: निबंध लिखते समय, अपने विषय को विस्तारपूर्वक विवरण दें। आप अपने निबंध में अधिकतम जानकारी देने का प्रयास करें ताकि आपके पाठक उस विषय को समझ सकें।
  • आकर्षक शीर्षक: अपने निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाने के लिए एक उत्तेजक शीर्षक चुनें। शीर्षक उन शब्दों का एक समूह होता है जो आपके निबंध के मुख्य विषय को सार्थकता से दर्शाते हैं।
  • निष्कर्ष लिखें: अपने निबंध के अंत में एक निष्कर्ष लिखें जिसमें आप अपने विषय के बारे में अपनी मत का विवरण देते हैं।

निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics

  • नरेंद्र मोदी पर निबंध   (Essay on Narendra Modi )
  • डाकिया पर निबंध  ( Essay on Post Man )
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध  (Essay on Road Safety )
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution)
  • कंप्यूटर पर निबंध  ( Computer Essay )
  • ईंधन संरक्षण पर निबंध  (Essay on Fuel Conservation )
  • महा शिवरात्रि पर निबंध (Essay on Maha Shivaratri Festival )
  • ताजमहल पर निबंध ( Essay on Taj Mahal )
  • प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है निबंध (All Love is Expansion and Selfishness )
  • हैप्पी न्यू ईयर पर निबंध (Essay on Happy New Year Celebration )
  • यात्रा पर निबंध ( Essay on Travelling)
  • भारत में जल संकट पर निबंध  (Water Crisis in India )
  • प्यार पर निबंध ( Essay on Love )
  • अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (International Friendship Day (Date, History, Importance, Celebration)
  • गुरु गोबिंद सिंह जयंती ( Guru Gobind Singh Jayanti : Significance, History) लोहड़ी पर्व पर निबंध  ( Essay on Lohri Festival)
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस पर निबंध (Essay on World Health Day )
  • गुरु तेग बहादुर पर निबंध( Essay on Guru Tegh Bahadur )
  • ईमानदारी सबसे अच्छी नीति क्यों है पर निबंध (Essay on Why Honesty is the Best Policy )
  • महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर निबंध  ( Essay on Moral Values and Principles of Mahatma Gandhi )
  • मौलिक कर्तव्यों पर निबंध  ( Essay on Fundamental Duties of India )
  • जितिया पूजा पर निबंध  ( Essay on Jitiya Puja/Jitiya Festival )
  • अजीब सपना पर निबंध  (Essay on Strange Dream )
  • ई-कूटनीति पर निबंध  (Essay on E-Diplomacy )
  • मैंने अपनी सर्दी की छुट्टी कैसे बिताई पर निबंध  (Essay on How I Spent My Winter Vacation )
  • मोर पर निबंध  ( Essay on Peacock)
  • सोशल मीडिया पर निबंध – स्कूल के लिए वरदान या अभिशाप ( Essay on Social Media)
  • सोशल नेटवर्किंग के फायदे और नुकसान ( Advantages and Disadvantages of Social Networking)
  • खराब मूड को कैसे हराया जाए पर निबंध  (Essay on How to Beat Bad Mood )
  • कला और संस्कृति हमें कैसे जोड़ती है पर निबंध  (Essay on How Art and Culture Unifies )
  • विपत्ति कैसे एक व्यक्ति को बदल सकती है पर निबंध  (Essay on How Adversity can Change a Person)
  • प्रदूषण कैसे नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है पर निबंध ( Essay on How Pollution is Negatively Affecting Humanity)
  • किसान क्यों महत्वपूर्ण हैं पर निबंध ( Essay on Why are Farmers Important )
  • निबंध ऐतिहासिक स्मारक का दौरा ( Essay on a Visit to Historical Monument)
  • पशु हमारे लिए कैसे उपयोगी हैं इस पर निबंध  (Essay on How Animals are Useful to us)
  • चिड़ियाघर की यात्रा पर निबंध  (Best 10 Essay on A Visit to Zoo )

निबंध – Nibandh In Hindi – Best 10 Short Hindi Essay Topics

  • पौधे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध  (Essay on Why Plants are so Important for us )
  • पारसी नव वर्ष पर निबंध ( Essay on Parsi New Year )
  • भारत में उच्च शिक्षा पर निबंध (Essay on Higher Education in India )
  • नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर निबंध (Essay on Growing Pollution in Rivers)
  • महात्मा गांधी पर निबंध ( Essay on Mahatma Gandhi)
  • भारत में आपातकाल पर निबंध (Essay on Emergency in India )
  • इसरो पर निबंध ( Best 10 Essay on ISRO)
  • मैं एक इंजीनियर क्यों बनना चाहता हूँ पर लंबा निबंध ( why i want to be an engineer)
  • सावन माह पर निबंध  (best 10 Essay on Sawan Month )
  • दशहरा निबंध ( Dussehra Essay in )

निबंध – Nibandh In Hindi – Best 1 7 Long Hindi Essay Topics

  • क्रिसमस निबंध (Christmas Essay )
  • ईद मुबारक निबंध (Eid Mubarak Essay In Hindi )
  • Aids Essay In Hindi  (एड्स निबंध )
  • Importance Of Yoga Essay ( योग का महत्व निबंध )
  • दुर्गा पूजा निबंध (Durga Puja Essay )
  • गणेश चतुर्थी निबंध ( Ganesh Chaturthi Essay )
  • रक्षाबंधन निबंध ( Raksha Bandhan Essay)
  • teacher’s Day Essay (शिक्षक दिवस निबंध )
  • Independence Day Essay (स्वतंत्रता दिवस निबंध हिंदी में)
  •  Essay on Hindi Diwas (हिंदी दिवस पर निबंध)
  •  Essay On Labour Day In Hindi (मजदूर दिवस निबंध)
  • Essay on world population day (विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध)
  • International yoga day Essay ( अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस निबंध )
  • world health day Essay ( विश्व स्वास्थ्य दिवस निबंध)
  • children’s day (बाल दिवस निबंध )
  • Essay on My school ( मेरे स्कूल पर निबंध )
  • ज्ञान पर निबंध ( Best 10 Essay on Knowledge)

 स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण कौशल है। निबंध लिखते समय ध्यान रखने वाली बातें हैं:

  • विषय का चयन: सबसे पहले, आपको उस विषय का चयन करना होगा जिसके बारे में आप लिखना चाहते हैं। आपको एक ऐसा विषय चुनना चाहिए जो आपके अध्ययन से संबंधित होता हो। उस विषय के बारे में आपके पास पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आप इसे अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकें।
  • निबंध की योजना बनाएं: निबंध की योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने निबंध के लिए एक तालिका बनाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल हों:
  • शुरुआती अनुच्छेद (जो आपके निबंध का परिचय देता है)
  • मुख्य विषयों की सूची (जो आप अपने निबंध में विस्तार से विश्लेषण करेंगे)
  • निष्कर्ष (जो आप अपने निबंध से निकालेंगे)
  • संरचना: निबंध में संरचना बहुत महत्वपूर्ण होती है।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

दीर्घ निबंध विषय:.

  • भारत का इतिहास
  • स्वतंत्रता संग्राम
  • ग्लोबल वार्मिंग
  • पर्यावरण संरक्षण
  • महिला शिक्षा एवं उनका सम्मान
  • बेरोजगारी की समस्या
  • स्वास्थ्य समस्याएँ और उनका समाधान
  • दुर्घटनाओं की समस्या और समाधान
  • संचार के विकास और इसके प्रभाव
  • राजनीति और नागरिक अधिकार

लघु निबंध विषय:

  • मेरे परिवार का सदस्य
  • मेरे प्रिय शिक्षक
  • मेरी प्रिय फसल
  • मेरा प्रिय खेल
  • मेरी सड़क सुरक्षा
  • मेरा प्रिय त्योहार
  • मेरा स्वच्छ भारत
  • मेरी प्रिय किताब
  • मेरी प्रिय शहर

हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:

  • प्रस्तावना: इसमें निबंध के विषय को परिचय दिया जाता है और पाठक का ध्यान आकर्षित किया जाता है।
  • मुख्य भाग: यहां पर निबंध का मुख्य विषय विस्तार से विवरण दिया जाता है। इसमें विषय के बारे में जानकारी, अभिप्राय और समर्थन के आधार पर अपने विचार प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • निष्कर्ष: इस भाग में निबंध के मुख्य विषय के बारे में संक्षिप्त विचार एवं समाप्ति वाक्य दिए जाते हैं।
  • संदर्भ: इसमें उन सभी स्रोतों का उल्लेख किया जाता है जिनसे निबंध के लिए जानकारी प्राप्त की गई है।
  • संलग्नक: इसमें निबंध में प्रयोग किए गए चित्र, आंकड़े, चार्ट, टेबल, आदि का संलग्न किया जाता है।

इन सभी भागों को स्पष्ट, संगठित एवं अंतर्वस्तृत ढंग से लिखा जाना चाहिए ताकि पाठकों को निबंध का संदेश समझ में आ सके।

हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:

  • “भ्रष्टाचार का उच्चाटन” – विषय: भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई
  • “भारत की संस्कृति” – विषय: भारतीय संस्कृति और उसका महत्त्व
  • “स्वच्छ भारत अभियान” – विषय: स्वच्छता और इसका महत्त्व
  • “जीवन में सफलता के मूल मंत्र” – विषय: सफलता के लिए जरूरी मंत्र
  • “मेरा विद्यालय” – विषय: अपने विद्यालय का वर्णन और महत्त्व
  • “जल ही जीवन है” – विषय: जल के महत्त्व और उसके संरक्षण के उपाय
  • “स्त्री शिक्षा” – विषय: स्त्रियों के लिए शिक्षा के महत्त्व और उसके लिए समाज की जिम्मेदारी
  • “स्वतंत्रता दिवस” – विषय: भारत की स्वतंत्रता का महत्त्व और उसकी अर्थपूर्ण विशेषताएं
  • “विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि” – विषय: भाषा के महत्त्व और विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि

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Jessica Grose

A.i. is making the sexual exploitation of girls even worse.

An illustration that includes a photo of a cellphone with a blurred image on its screen.

By Jessica Grose

Opinion Writer

On Tuesday, Kat Tenbarge and Liz Kreutz of NBC News reported that several middle schoolers in Beverly Hills, Calif., were caught making and distributing fake naked photos of their peers: “School officials at Beverly Vista Middle School were made aware of the ‘A.I.-generated nude photos’ of students last week, the district superintendent said in a letter to parents. The superintendent told NBC News the photos included students’ faces superimposed onto nude bodies.”

I had heard about this kind of thing happening to high school girls , which is horrible enough. But the idea of such young children being dehumanized by their classmates, humiliated and sexualized in one of the places they’re supposed to feel safe, and knowing those images could be indelible and worldwide, turned my stomach.

I’m not a technophobe and have, in the past, been somewhat skeptical about the outsize negative impact of social media on teen girls. And while I still think the subject is complicated, and that the research doesn’t always conclude that there are unfavorable mental health effects of social media use on all groups of young people, the increasing reach of artificial intelligence adds a new wrinkle that has the potential to cause all sorts of damage. The possibilities are especially frightening when the technology is used by teens and tweens, groups with notoriously iffy judgment about the permanence of their actions.

I have to admit that my gut reaction to the Beverly Hills story was rage — I wanted the book thrown at the kids who made those fakes. But I wanted to hear from someone with more experience talking to teens and thinking deeply about the adolescent relationship with privacy and technology. So I called Devorah Heitner, the author of “Growing Up in Public: Coming of Age in a Digital World,” to help me step back a bit from my punitive fury.

Heitner pointed out that although artificial intelligence adds a new dimension, kids have been passing around digital sexual images without consent for years. According to a 2018 meta-analysis from JAMA Pediatrics, among children in the 12 to 17 age range, “The prevalence of forwarding a sext without consent was 12.0 percent,” and “and the prevalence of having a sext forwarded without consent was 8.4 percent.”

In her book, Heitner offers an example in which an eighth-grade girl sends a topless photo to her boyfriend, who circulates it to his friends without her permission. After they broke up, but without her knowledge, “her picture kept circulating, passing from classmate to classmate throughout their middle school,” and then “one afternoon, she opened her school email to find a video with her image with sound effects from a porn video playing with it.”

That kind of situation is already sickening, but the creation of fake nude images adds another layer of transgression. In the Beverly Hills case, according to NBC News, not only were middle schoolers sexualizing their peers without consent by creating the fakes, they shared the images, which can only compound the pain.

“If you’re creating an image of someone else and doing it without their consent,” Heitner told me, “whether it’s real or fake, you are violating that person and violating their privacy, violating their safety.” In these situations, she said, girls may feel that their sense of social acceptance has been lost. They may feel a sense of torturous humiliation from not knowing who among their peers has seen these types of images and who hasn’t. In her book, Heitner describes situations in which girls stop going to school altogether.

But Heitner also cautioned against over-punishing the perpetrators when they are younger children. “It’s important to understand that a 12- or 13-year-old is developmentally different than an adult,” she said. While it may be appropriate to suspend that child or move them to a different school if their victims no longer want to be around them, they shouldn’t be indefinitely barred from all participation in school or cast out of society. They are redeemable; they can make amends and become adults who know better. (It should be noted that in the Beverly Hills case, according to NBC News, the superintendent of schools said that the students responsible could face suspension to expulsion, depending on how involved they were in creating and sharing the images.)

Kids need to be better educated, starting in elementary school, about technology and consent before things like this happen. If you think grammar school is too young to learn about such things, remember that these days it’s typical for kids to get their own cellphones at around 11 or 12, and many kids even younger than that have access to a family iPad with image creation and sharing capabilities. As Heitner writes in her book:

Teach your child the importance of never sharing an explicit message or photograph of another person — especially without that person’s consent. Explain to them that regardless of how they came across the explicit image or message, passing it on to someone else is unethical, perpetuates that person’s violation, and is very likely illegal in their state (especially if the image is of a minor).

The relevant laws apply most directly to real photos, though. In some states, A.I.-generated nudes exist in more of a legal gray area. There is no federal law that protects victims of deepfakes, and, according to reporting by Tenbarge and Melissa Chan, “Politicians and legal experts say there are few, if any, pathways to recourse for victims of A.I.-generated and deepfake pornography” — almost all of whom are women, according to a 2019 study. School districts and our legal system need to move quickly to come up with policies that deal with these issues, because they are not going away and they are only going to become more pervasive as technology evolves and proliferates.

Heitner also emphasized the importance of getting to the root of this kind of behavior. “We actually need to lean into teaching kids about empathy and respecting one another’s humanity,” she said, and also look at “the misogyny and homophobia in society that seems to be giving these kids license to bully along these very sort of gendered lines and police one another’s bodies.”

I regularly hear from people who say they’re perplexed that young women still feel so disempowered, given the fact that they’re earning the majority of college degrees and doing better than their male counterparts by several metrics. At a certain level, it’s not that complicated: Girls frequently feel less-than because they know that some of their peers have the impression that they’re allowed to be thoughtlessly degrading. And further, they know that a portion of society values them only as objects . They walk through the world with that weight on their shoulders, and it’s up to all of us to help lift it.

Jessica Grose is an Opinion writer for The Times, covering family, religion, education, culture and the way we live now.

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