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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

essay on pollution 100 words in hindi

Table of Contents

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था। इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द (Pollution Essay 200 Words in Hindi)

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।

यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।

इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी

प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi)

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।

प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द (Pollution Essay 500 Words in Hindi)

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।

इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि “प्रदूषण” एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। इसके अलावा, कारखानों, उद्योगों, प्लास्टिक और पत्तियों के जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने और रेफ्रीजरेशन उद्योग के सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

ध्वनि प्रदूषण: सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या और ध्वनि प्रदूषण में भारी योगदान करते हैं। यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है और तनाव और चिंता के कारण हो सकता है।

जल प्रदूषण: कचरे को नदियों और समुद्रों में डालने के कारण जल प्रदूषण होता है। यह समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है और पीने योग्य पानी की कमी का कारण बन सकता है।

मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।

विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: त्योहार मनाते समय पटाखों का इस्तेमाल न करें। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी दुश्मनीकारक प्रभाव डालता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें और सार्वजनिक परिवहन का प्रयास करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: हमें अपने घर के आस-पास क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना हमारी जिम्मेदारी है। कचड़ा कूड़ा फेंकने की बजाय, हमें कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग करें: कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें ठीक से डिकम्पोज करें या रिसाइकल के लिए भेजें।

पेड़ लगाएं : पेड़ों की कटाई वातावरणिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण बन रही है, इसलिए हमें अधिक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।

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  • Types of Pollution

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • प्रदूषण विवादित प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने की प्रक्रिया है।
  • प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • प्राकृतिक प्रकोपों के साथ-साथ मानव गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगलों के जलने और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं हैं।
  • प्रदूषण एक ग्लोबल समस्या है, राष्ट्रीय नहीं।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग करना, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं, जैसे कि सौर पैनल।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध FAQs

हिंदी में प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें.

प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए, आप प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, और निवारण के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण की समस्या पर निबंध लिखने के लिए, आपको इसके कारण, प्रभाव, और समाधान के बारे में विस्तार से लिखना होगा।

प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

प्रदूषण का मुख्य कारण है वाहनों, उद्योगों, और अन्य जैविक और अजैविक कारकों से निकलने वाले विषाणु, धूल, ध्वनि, और अन्य जलवायु प्रदूषक।

प्रदूषण का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे की डायरिया, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य बीमारियाँ। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है।

प्रदूषण के बारे में आप कैसे लिखते हैं?

मैं प्रदूषण के खतरों, उसके प्रकारों, और निवारण के उपायों के बारे में लिखता हूँ।

प्रदूषण को 100 शब्दों में क्या कहते हैं?

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसमें वायु, पानी, और भूमि के प्रदूषक वातावरण को हानि पहुंचाते हैं। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है।

प्रदूषण का निष्कर्ष क्या है?

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सभी मिलकर काम करना होगा। हमें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी से उपायों पर विचार करना होगा।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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प्रदूषण पर निबंध – Essay On Pollution in Hindi

आजकल की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकास की दिशा में हो रहे प्रयासों के साथ-साथ, प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम प्रदूषण पर 10 महत्वपूर्ण पंक्तियाँ देखेंगे और 100, 250 और 500 शब्दों के 3 प्रदूषण पर निबंध / पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध पढ़ेंगे।

प्रदूषण पर 10 लाइन – 10 Lines on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण बढ़ रहा है।
  • वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण के प्रमुख प्रकार हैं।
  • वायु प्रदूषण श्वासन रोगों का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।
  • मिट्टी प्रदूषण फसलों की नरकटी उर्वरता को कम करता है।
  • ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  • प्रकाश प्रदूषण नैसर्गिक संतुलन को बिगाड़ता है।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है।
  • औद्योगिकीकरण प्रदूषण का मुख्य कारण है।
  • हम सभी को प्रदूषण को कम करने के लिए सहयोग करना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध - 10 Lines on Pollution Essay

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में – Easy Essay on Pollution in 100 Words

Pollution / प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यह विभिन्न प्रकारों में होता है जैसे कि वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश प्रदूषण। यह मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न होता है, जैसे कि उद्योग, वाहन, और बढ़ती जनसंख्या। इसके कारण हमारा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है और जीवों के लिए खतरा बढ़ रहा है। हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ानी चाहिए और स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए।

250 शब्दों में प्रदूषण निबंध – 250 Words Pollution Essay

प्रदूषण आजकल की एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। यह वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश के रूप में प्रकट होता है। वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले नाकारात्मक गैसों का प्रसार है, जो वायुमंडल में प्रदूषण का कारण बनती हैं। यह गैसें हमारे वायुमंडलीय संरक्षण को नुकसान पहुंचाती हैं और उष्मागति में वृद्धि करके जलवायु परिवर्तन को तेज करती हैं।

जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है और उचित जलवायु सिस्टम को प्रभावित करके सामाजिक और आर्थिक असंतुलन उत्पन्न करता है। मिट्टी प्रदूषण के कारण खेती में कमी आती है और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित होती है। ध्वनि प्रदूषण जीवन की गुणवत्ता को कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

प्रकाश प्रदूषण का कारण है अत्यधिक विद्युतीकरण और असुरक्षित प्रकाश स्रोतों का उपयोग। यह नैसर्गिक संतुलन को प्रभावित करता है और वायुमंडलीय परिवर्तन को तेज करता है।

समाधान: प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ऊर्जा संरक्षण के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण को अपनाना चाहिए, स्वच्छता के अभ्यास का समर्थन करना चाहिए और स्व च्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

Also Read – नवीकरणीय ऊर्जा पर निबंध (Essay on Renewable Energy in Hindi)

500 शब्दों में प्रदूषण पर निबंध – 500 Words Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक विकट चुनौती बनकर उभरा है जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण के संतुलन को खतरे में डालता है। यह निबंध प्रदूषण के बहुमुखी पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें इसके प्रकार, कारण, प्रभाव, संभावित समाधान, व्यक्तिगत जिम्मेदारी और जागरूकता बढ़ाने का महत्व शामिल है।

प्रदूषण विभिन्न रूपों में मौजूद है, जिनमें वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण सबसे प्रमुख हैं। प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण की अपनी अनूठी विशेषताएं और प्रभाव होते हैं, जो औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु की गुणवत्ता में गिरावट से लेकर अनुपचारित अपशिष्ट निर्वहन के माध्यम से जल निकायों को दूषित करने तक फैले हुए हैं। ध्वनि प्रदूषण शहरी जीवन की शांति को बाधित करता है, जबकि अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है, जो पर्यावरण और मानव सर्कैडियन लय दोनों को प्रभावित करता है।

प्रदूषण के कारण आधुनिकीकरण और तीव्र औद्योगिक विकास के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक जलना, वाहन उत्सर्जन, अनुचित अपशिष्ट निपटान और कृषि में रसायनों का अंधाधुंध उपयोग कुछ मुख्य दोषी हैं। ये मानवीय गतिविधियाँ हवा, पानी और मिट्टी में हानिकारक प्रदूषक छोड़ती हैं, जिससे कई प्रकार के हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं।

Representative Image for Pollution

प्रदूषण के प्रभाव दूरगामी और महत्वपूर्ण हैं। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा करता है, श्वसन संबंधी बीमारियों और हृदय संबंधी समस्याओं में योगदान देता है। जल प्रदूषण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालता है और पीने के पानी के स्रोतों को प्रदूषित करता है, जिससे जलजनित बीमारियाँ होती हैं। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है और प्राकृतिक श्रवण वातावरण को बाधित करता है। प्रकाश प्रदूषण वन्यजीवों और मानव दोनों की नींद के पैटर्न में खलल डालता है, जिससे रात के आकाश की सुंदरता कम हो जाती है।

प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन से वायु प्रदूषण में काफी कमी आ सकती है। उद्योगों के लिए कड़े उत्सर्जन मानक और टिकाऊ परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है। उचित अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज उपचार सुविधाओं के कार्यान्वयन से जल और मिट्टी प्रदूषण से निपटने में मदद मिल सकती है। शहरी नियोजन और शोर कम करने के उपाय ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकते हैं। प्रकाश का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग प्रकाश प्रदूषण को कम कर सकता है।

व्यक्तिगत जिम्मेदारी

प्रदूषण को रोकने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाना, ऊर्जा की खपत को कम करना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। दैनिक जीवन में सचेत विकल्प चुनकर, व्यक्ति प्रदूषण के स्तर को कम करने और भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण के परिणामों और निवारक उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शैक्षिक पहल, सार्वजनिक अभियान और सामुदायिक भागीदारी लोगों को प्रदूषण की गंभीरता को समझने और कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करने में सशक्त बना सकती है। सरकारों, उद्योगों और व्यक्तियों को टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

प्रदूषण के दूरगामी प्रभाव हमें इस्पे तत्काल ध्यान देने और ठोस कार्रवाई करने की मांग करते हैं।  इसके विभिन्न रूपों को जानकर, कारणों की पहचान करके, प्रभावों को समझकर और प्रभावी समाधान अपनाकर हम एक स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हमारे पर्यावरण के जिम्मेदार प्रबंधकों के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाएँ। सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम करें जहाँ प्रदूषण कम से कम हो और हमारे ग्रह की सुंदरता आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

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  • Essays in Hindi /

प्रदूषण पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 21, 2023

Essay on Pollution in Hindi

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जिसका जन्म विज्ञान से हुआ है जिसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसका विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

This Blog Includes:

प्रदूषण क्या होता है, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर, प्रदूषण कम करने के उपाय, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 300 शब्द, प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदुषण पर उद्धरण.

प्रदूषण(संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

pradushan par nibandh

प्रदूषण के प्रकार 

essay on pollution in hindi

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

Pollution Essay in Hindi वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

एयर क्वालिटी इंडेक्स को इंग्लिश में Air Quality Index AQI कहा जाता है जो कि एक इंडेक्स होता है। इसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि लोकल एयर क्वालिटी उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।

Pollution Essay in Hindi में एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

essay on pollution in hindi

हमें इस बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिए गए कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते हैं-

  • पटाखों को ना कहिए
  • अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
  • कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
  • काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
  • प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
  • कड़े इंडस्ट्रियल नियम-कानून बनाकर

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द 

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 300 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।     

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

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दा इंडियन वायर

प्रदूषण पर निबंध

essay on pollution 100 words in hindi

By विकास सिंह

essay on pollution in hindi

प्रदूषण शब्द का तात्पर्य पर्यावरण में प्रदूषकों (प्रदूषकों) की शुरूआत से है, जिनसे इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव प्रेरित कारकों जैसे – औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई , अकुशल अपशिष्ट निपटान आदि के कारण होता है। प्रदूषण को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , प्लास्टिक प्रदूषण , भूमि प्रदूषण , प्रकाश प्रदूषण, रेडियो प्रदूषण इसलिए प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों – जल, वायु आदि या समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली घटना है।

प्रदूषण पर निबंध, short essay on pollution in hindi (100 शब्द)

प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों में अवांछित पदार्थों की उपस्थिति को संदर्भित करता है; उन्हें प्रदूषित करना और समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन होते हैं, इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करना पर्यावरण और पृथ्वी पर जीवन को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करने वाले प्रमुख कारक मानव जनित हैं – जीवाश्म ईंधन का उत्पादन और दहन वायु को प्रदूषित करता है, कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी प्रदूषित होती है, प्लास्टिक के प्रदूषण से महासागरों और जल निकायों का अपव्यय होता है, वनों की कटाई से वायु प्रदूषण होता है आदि ग्रह पर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं लेकिन उन्हें प्रदूषित करने वाले कारक कई हैं। प्राकृतिक संसाधनों की बहाली और संरक्षण की दिशा में तत्काल पर्याप्त उपाय करने की वैश्विक आवश्यकता है, इससे पहले कि वे वापसी के बिंदु तक क्षतिग्रस्त हो जाएं।

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

प्रदूषण पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में कुछ हानिकारक या जहरीली सामग्रियों का मिश्रण है। यह प्राकृतिक जीवन चक्र को परेशान करके इस ग्रह पर प्रजातियों के सामान्य जीवन को प्रभावित करता है।

प्रदूषण के प्रकार:

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि। दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है क्योंकि ऑटोमोबाइल की बढ़ती संख्या, जहरीली गैसों की रिहाई, औद्योगिक कंपनियों से धुआं, सूक्ष्म रूप से घुलित ठोस, तरल वायुमंडल में वायुमंडल आदि। हर पल सांस लेने वाली हवा फेफड़ों के कई विकारों का कारण बनती है।

इस तरह से पीने के पानी में सीवेज के पानी (रोगाणु, वायरस, हानिकारक रसायन आदि) के मिश्रण से मिट्टी और जल प्रदूषण भी होता है और कुछ खतरनाक एग्रोकेमिकल्स जैसे कीटनाशक, कवकनाशी, शाकनाशी, ईथर जैसे कार्बनिक यौगिक भी होते हैं। बेंजीन और मिट्टी में रेडियम और थोरियम, ठोस अपशिष्ट (औद्योगिक राख, कचरा, कचरा) सहित कुछ रेडियोधर्मी सामग्री आदि।

निष्कर्ष:

हमें प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों की जांच के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी उपायों का पालन करने की आवश्यकता है। हमें प्रदूषण रोकने के लिए वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए, पानी बचाना चाहिए, जैविक कृषि प्रणाली का पालन करना चाहिए आदि।

प्रदूषण पर निबंध, 150 शब्द:

पर्यावरण प्रदूषण वह स्थिति है जब हमारे पर्यावरण का प्राकृतिक चक्र गड़बड़ा जाता है और हमें परेशान करता है। धुएं, ठोस या तरल कचरे के रूप में हमारे द्वारा बनाए गए कुछ हानिकारक पर्यावरणीय दूषित तत्व पर्यावरण में मिल जाते हैं और इसे प्रदूषित कर देते हैं। कुछ खराब रासायनिक रचनाएँ, जिनका हम दैनिक आधार पर उपयोग करते हैं, पर्यावरण में उलझ जाती हैं और इसकी प्राकृतिक कार्यप्रणाली और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विचलित कर देती हैं जो सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

पर्यावरण प्रदूषण को कैसे रोकें:

यह केवल मानव है जो अपनी खराब गतिविधियों को सीमित करके पर्यावरण प्रदूषण की जांच कर सकता है। हम अधिक पेड़ लगाकर और मौजूदा लोगों की देखभाल करके पर्यावरण प्रदूषण को रोक सकते हैं। वाहनों का उपयोग कम करें, वस्तुओं का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करें, कचरे का उचित निपटान करें, पॉलिथीन को ना कहें और हमारे आस-पास की स्वच्छता और स्वच्छता बनाए रखें, इससे प्रदूषण भी कम हो सकता है।

हमारा पर्यावरण और हम, दोनों एक-दूसरे की मदद के बिना अधूरे हैं। अनजाने में हम सभी पर्यावरण के लिए समस्याएं और चुनौतियां पैदा कर रहे हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्राकृतिक प्रक्रियाओं को आसानी से जारी रखने के लिए स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें।

प्रदूषण पर निबंध, 200 शब्द:

प्रस्तावना :.

प्रदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योंकि इसने हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए बहुत सारे स्वास्थ्य खतरे पैदा कर दिए हैं। हाल के वर्षों में औद्योगिक रूप से अपशिष्ट पदार्थों को मिट्टी, वायु और पानी में सीधे मिलाने के कारण प्रदूषण की दर बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद, लोग अभी भी प्रदूषण और इसके प्रभावों के बारे में कम से कम चिंतित हैं। समय आ गया है जब इसे बहुत गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को बहुत नुकसान होगा।

वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि जैसे प्राकृतिक संसाधनों से प्रभावित होने के अनुसार प्रदूषण को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण भी हैं जो हमारे लिए हानिकारक हैं और साथ ही साथ हमारी प्राकृतिक जैव विविधता भी इसका शिकार हो रही है।

प्रदूषण के कारण:

वनों के निरंतर कटाव, उच्च वाहन उपयोग, तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण के माध्यम से बड़े उत्पादन ने प्राकृतिक पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित किया है। ऐसी गतिविधियों से उत्पन्न हानिकारक और जहरीले कचरे से मिट्टी, हवा और पानी में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं जो अंततः जीवन को दर्द की ओर धकेल देते हैं। अधिक पैसा कमाने और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने के लिए मनुष्य के स्वार्थ के कारण प्रदूषण की दर भी बढ़ रही है।

पर्यावरण प्रदूषण किसी एक देश की समस्या नहीं है; यह पूरी दुनिया का मुद्दा है, इसलिए इसे रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। यदि इसे नियंत्रण में नहीं लिया जाता है, तो यह भविष्य में पूरे ग्रह को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है और मानव अस्तित्व का सवाल भी पैदा करेगा।

प्रदूषण पर निबंध, 250 शब्द:

पर्यावरण प्राकृतिक आवास की तुलना में प्रदूषण किसी भी विदेशी या जहरीले पदार्थों का पर्यावरण में बहुत तेज गति से होना है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है जो दुनिया के लगभग हर देश द्वारा सामना किया जा रहा है।

कारण:

इस मुद्दे के प्रमुख कारण औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण आदि हैं। कई गतिविधियों के उप-उत्पाद जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा हैं, इस मुद्दे को भी जोड़ते हैं। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान कर रहे हैं, वे हैं जहरीली गैसें (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजेन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, ग्रिट), एग्रोकेमिकल्स (कीटनाशक, जड़ी बूटी) आदि।

फोटोकैमिकल ऑक्सीडेंट (फोटोकैमिकल स्मॉग, पेरोक्सीसेटाइल नाइट्रेट, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड), उद्योगों से कार्बनिक यौगिक (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), रेडियोधर्मी सामग्री (रेडियम, थियम), कुछ ठोस अपशिष्ट (राख, कचरा) आदि भी जिम्मेदार हैं। प्रदूषण पैदा करने के लिए।

प्रभाव:

वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण प्रदूषण के सबसे खतरनाक रूप हैं जो मानव को सीधे स्वास्थ्य विकार पैदा करते हैं। हमारे पास न तो सुरक्षित पीने का पानी है, न ही शुद्ध हवा में साँस लेना और न ही फ़सल को प्रदूषण मुक्त भूमि। औद्योगिक विकास और ग्रीन हाउस प्रभाव ने जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। मानवीय लालच और स्वतंत्रता का दुरुपयोग उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के गंभीर क्षरण और कुप्रबंधन की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

भविष्य में ग्रह पर जीवन के स्वस्थ अस्तित्व के लिए इस व्यापक रूप से फैलने वाले प्रदूषण को नियंत्रण में लेने की आवश्यकता है। अगर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर वातावरण और एक बेहतर दुनिया देना चाहते हैं तो हमें प्रदूषण को रोकने के लिए और पृथ्वी को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi (250 शब्द)

पृथ्वी को पूरे ब्रह्मांड में जीवन अस्तित्व के लिए उपयुक्त एकमात्र ग्रह माना जाता है, लेकिन हानिकारक पदार्थों के साथ प्राकृतिक संसाधनों के दूषित होने से प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराता है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन प्रभावित होता है। सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और तेजी से औद्योगिकीकरण से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वे पर्यावरण में जहरीली गैसों की भारी मात्रा को जोड़ते हैं।

प्रदूषण हमें और हमारे पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है

प्रदूषण निम्नलिखित तरीकों से हमें और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है:

अम्ल वर्षा:  हानिकारक रसायनों, जहरीली गैसों और हवा में धूल की रिहाई एसिड बारिश के माध्यम से पृथ्वी पर वापस आती है और फसलों और जीवन के विकास को नुकसान पहुंचाती है। एसिड बारिश किसानों के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों और जानवरों के लिए कई हानिकारक प्रभावों का कारण बनती है।

कृषि प्रदूषण:  समुद्र, झीलों, नदियों, तालाबों और अन्य जल निकायों में औद्योगिक तरल कचरे के सीधे जल निकासी के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। इस पानी का उपयोग किसानों द्वारा बढ़ती फसलों में प्रकृति में विषाक्त हो सकता है और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन:  प्रदूषण की बढ़ती मात्रा ने ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है जो कई समस्याओं का मूल है। इससे जलवायु परिवर्तन भी हुआ है जो पृथ्वी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है और विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण बना है।

प्रदूषण ने पृथ्वी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र और एक जगह की जैव विविधता को अत्यधिक प्रभावित किया है। यदि प्रदूषण की बढ़ती दर को अभी रोका नहीं गया तो यह भविष्य में बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकता है और गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरण की गिरावट को जन्म दे सकता है।

प्रदूषण पर निबंध, 300 शब्द:

प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है क्योंकि हर कोई अपने दैनिक जीवन में बहुत सारे स्वास्थ्य खतरों का सामना कर रहा है। औद्योगिक कचरा और अन्य गतिविधियों से विभिन्न प्रकार के प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे हवा, पानी, मिट्टी आदि को दूषित कर रहे हैं। मिट्टी, हवा और पानी में मिलाने के बाद, वे सीधे मनुष्य और जानवरों को प्रभावित कर रहे हैं और विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों का कारण बन रहे हैं उनकी सेहत।

शहरों में प्रदूषण:

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण:

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम:

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

मानव निर्मित तकनीकी प्रगति सभी प्रकार के प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रदूषण के मुद्दे पर खतरे की रेखा को पार करने से पहले हमें प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए सख्त और त्वरित कदम उठाने चाहिए और अपनी मातृ प्रकृति और पर्यावरण को और अधिक खराब होने से बचाना चाहिए। हमारा एकजुट दृष्टिकोण ही हमें प्रदूषण से लड़ने और पर्यावरण को इसके खतरों से बचाने में मदद कर सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण आज इस ग्रह पर पूरी मानव बिरादरी के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। हम अपनी लापरवाह गतिविधियों के माध्यम से अनजाने में पर्यावरण में लगातार अशुद्धियाँ जोड़ रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण मानव की प्राकृतिक प्रक्रियाओं और रहन-सहन को प्रभावित करता है। जब हम पर्यावरण के प्राकृतिक चक्रों से खेलते हैं, जिसमें वायु, पृथ्वी, जल, भूमि, पौधे और जानवर शामिल हैं, तो यह निश्चित रूप से हमारे लिए बड़ी चुनौती है और स्वस्थ जीवन को लगभग असंभव बना देता है। यह मानव और प्रकृति दोनों के अस्तित्व को एक साथ रखता है क्योंकि दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रदूषण के प्रमुख कारण:

प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

पेड़ों की कटाई:  पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा मुद्दा शहरी विकास के लिए जंगलों को हटाना है। दिन-प्रतिदिन पेड़ों की घटती संख्या पर्यावरण में जहरीली गैसों के स्तर को बढ़ाती है क्योंकि पेड़ पर्यावरण में मौजूद अधिकांश कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।

औद्योगिकीकरण और परिवहन:  तेजी से औद्योगिकीकरण और परिवहन भी वायु प्रदूषण के कारण पर्यावरण में उत्सर्जित जहरीली गैसों का बहुत अधिक कारण बनता है। झीलों और नदियों में इन उद्योगों का अनुचित अपशिष्ट निपटान जल गुणवत्ता को प्रभावित करता है और जलीय जानवरों को मारता है।

उर्वरक और कीटनाशक:  किसान उच्च पैदावार के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का बहुत अधिक उपयोग करते हैं जिससे भूजल सहित जल निकायों का प्रदूषण होता है। जब इस पानी का उपयोग उपभोग के लिए किया जाता है तो यह विभिन्न घातक बीमारियों की ओर ले जाता है।

हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सांस लेने के लिए ताजी और शुद्ध हवा की जरूरत होती है, खाने के लिए अनियंत्रित भोजन और पीने के लिए साफ पानी लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने हमारे लिए सब कुछ काफी मुश्किल बना दिया है। हमें प्रभावित करने के अलावा, प्रदूषण ने कई पारिस्थितिक समस्याओं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और कई प्रजातियों के विलुप्त भी कर दिया है।

हमें प्रदूषण के मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेना होगा और यह बहुत जल्द हमें नष्ट कर देगा। सभी को आगे आना चाहिए और प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए और हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और शुद्ध बनाना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध, 400 शब्द:

तकनीकी प्रगति की आधुनिक दुनिया में, प्रदूषण पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करने वाला एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। प्रदूषण निस्संदेह पूरे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है और इस प्रकार जीवन की सामान्य गुणवत्ता। पृथ्वी पर हमारा स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-प्रतिदिन मनुष्यों के मूर्खतापूर्ण कार्यों से बिगड़ रहा है और विडंबना यह है कि वे स्वयं अपने कर्मों से प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदूषण के कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण हैं। प्रमुख प्रकार के प्रदूषण नीचे दिए गए हैं:

वायु प्रदुषण:  वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों, कारखानों और खुले जल की बढ़ती संख्या से आने वाली हानिकारक और जहरीली गैसों का भारी उत्सर्जन है। अधिकांश वायु प्रदूषण दैनिक आधार पर परिवहन प्रणाली द्वारा किया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हवा को प्रदूषित करने वाली जहरीली गैसें हैं और पर्यावरण में ऑक्सीजन के स्तर को कम करती हैं।

कुछ अन्य आदतें जैसे घर का कचरा जलाना और फसलों का बचा होना आदि भी वायु की गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं। वायु प्रदूषण से मनुष्यों में फेफड़ों के कैंसर सहित श्वसन संबंधी विकार होते हैं।

जल प्रदूषण:  जल प्रदूषण भी सीधे समुद्री जीवन को प्रभावित करने वाला एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि वे केवल अपने जीवित रहने के लिए पानी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर करते हैं। समुद्री जीवन का धीरे-धीरे गायब होना वास्तव में इंसानों और जानवरों की आजीविका को प्रभावित करेगा। कारखानों, उद्योगों, सीवेज सिस्टम, खेतों आदि से निकलने वाले हानिकारक कचरे को सीधे पानी के मुख्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और महासागरों में डाला जाता है जिससे पानी दूषित हो जाता है। दूषित पानी पीने से विभिन्न जल जनित रोग हो सकते हैं।

मिट्टी प्रदूषण:  मृदा प्रदूषण उर्वरकों, फफूंदनाशकों, शाकनाशियों, कीटनाशकों और अन्य रासायनिक यौगिकों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है। यह मिट्टी पर पैदा होने वाली फसल को दूषित करता है और जब इसका सेवन किया जाता है तो इससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:  ध्वनि प्रदूषण का स्रोत भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि से उत्पन्न शोर है जो सुनने में समस्या और कभी-कभी बहरापन का कारण बनता है। शोर प्रदूषण बुजुर्ग लोगों को अत्यधिक प्रभावित करता है और इससे दिल का दौरा और अवसाद भी हो सकता है।

हर प्रकार का प्रदूषण खतरनाक है और इसके परिणामस्वरूप बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हमें प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। सभी को प्रदूषण के मुद्दे पर नियंत्रण पाने के लिए एक संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है ताकि हम एक स्वस्थ और अनियोजित वातावरण प्राप्त कर सकें। पृथ्वी पर अन्य निर्दोष प्रजातियों को बचाने और उनके लिए पर्यावरण को उपयुक्त बनाने के लिए प्रदूषण को रोकना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषकों का मिश्रण है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं और चक्रों में गड़बड़ी पैदा करता है। विभिन्न प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण को जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पिछले दशक से, प्रदूषण के स्तर में काफी वृद्धि हुई है और परिदृश्य पहले की तुलना में बदतर हो गया है। यह प्रदूषण से लड़ने और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को इसके प्रभावों से बचाने का समय है।

प्रदूषण के प्रभाव:

पर्यावरण में सभी प्राकृतिक गैसें एक दूसरे पर प्रतिक्रिया करके अपना संतुलन बनाती हैं। उनमें से कुछ पौधों और पेड़ों द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड। लेकिन, जरा सोचिए कि जब पौधे और वनस्पति नहीं होंगे तो क्या होगा। पौधों और पेड़ों की घटती संख्या कार्बन डाइऑक्साइड के कम उपयोग का कारण बनती है जो पर्यावरण में केंद्रित हो जाती है और बदले में पर्यावरण के तापमान के स्तर को ग्लोबल वार्मिंग की ओर ले जाती है जो समस्याओं का केंद्र है।

प्रदूषण कैसे रोकें:

वर्तमान समय में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन गया है और इसे एक राक्षस का चेहरा लेने से पहले अब जांचने की आवश्यकता है। नीचे दिए गए उपायों से हम निश्चित रूप से प्रदूषण को रोक सकते हैं:

अधिक पेड़ लगाना:  प्रदूषण से लड़ने के लिए सबसे अच्छे तरीकों में से एक है वृक्षारोपण या वृक्षारोपण। जितना अधिक हम पेड़ लगाते हैं उतना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें वायु को स्वच्छ बनाने वाले वातावरण से अवशोषित हो जाती हैं।

वाहनों का उपयोग कम करें:  हम जितना कम वाहनों का उपयोग करते हैं उतना ही कम हानिकारक धुआं पर्यावरण में जाता है जिससे प्रदूषण का स्तर कम होता है। कम दूरी के लिए साइकिल का उपयोग एक बेहतर विकल्प है।

उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली:  उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली उद्योगों के विषैले तत्वों को पर्यावरण में जाने से रोकने में मदद करेगी और हवा और पानी को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी। यह नदी और महासागरों में जलीय जानवरों को भी बचाएगा और उन्हें बिना किसी खतरे के फलने-फूलने में मदद करेगा।

उर्वरकों और कीटनाशकों का सीमित उपयोग:  किसानों को कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को प्रतिबंधित करना चाहिए और फसलों की उपज में सुधार करने के लिए जैव उर्वरकों और प्राकृतिक खाद का चयन करना चाहिए। यह मिट्टी की उर्वरता को बचाने में मदद करेगा और भूजल को दूषित होने से भी बचाएगा।

रीसायकल और पुन: उपयोग:  प्रदूषण से लड़ने के लिए रीसाइक्लिंग सबसे अच्छा तरीका है। यह अपशिष्टों के कूड़े को कम करने में मदद करता है जिससे हमारे पर्यावरण को हानिकारक उत्पादों से साफ और सुरक्षित रखा जाता है।

हमारे पास अभी भी अपना पारिस्थितिक तंत्र बचाने के लिए समय है और हमें जो भी चाहिए वह प्रत्येक और हर व्यक्ति से एकतरफा प्रयास है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है और हम में से हर एक को अपनी गलतियों को समझना चाहिए और उन चीजों को रोकना चाहिए जो हम आमतौर पर जानबूझकर या अनजाने में करते हैं जिससे प्रदूषण होता है। हमें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और अपने ग्रह के साथ-साथ अन्य प्रजातियों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए काम करना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध, long essay on pollution in hindi (1600 शब्द)

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक चिंता बन गया है। इसने हमारी खूबसूरत पृथ्वी का चेहरा बदल दिया है। यह धीरे-धीरे हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और यहां जीवित रहना मुश्किल है। प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव के कारण वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कई अन्य विलुप्त होने के कगार पर हैं।

इसकी प्रकृति के आधार पर प्रदूषण को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हमारे ग्रह को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचा रहे हैं। यहां प्रदूषण के प्रकार, उनके कारण, प्रभाव और उन्हें कम करने के लिए किए जा सकने वाले उपायों पर एक नज़र है।

यहां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, उनके कारणों और पृथ्वी पर पर्यावरण और जीवन पर प्रभाव पर एक नज़र है।

वायु प्रदुषण:  वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण कहा जाता है। इस प्रदूषण का प्राथमिक कारण औद्योगिक और वाहनों का धुआं है। इन स्रोतों द्वारा उत्सर्जित हानिकारक गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं और सांस लेना मुश्किल कर देती हैं। कारखानों और वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। इसने कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के रोग वायु प्रदूषण के कारण होने वाली दो सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं।

वायु प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देकर पर्यावरण को भी खराब कर रहा है।

जल प्रदूषण:  औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट अक्सर नदियों और अन्य जल निकायों में अपना रास्ता तलाशते हैं, जिससे उन्हें प्रदूषण होता है। हमारे एक बार शुद्ध और पवित्र जल निकाय अब कई रोगों के लिए एक प्रजनन भूमि बन गए हैं क्योंकि इनमें बड़ी संख्या में अपशिष्ट प्लास्टिक उत्पाद, रासायनिक अपशिष्ट और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे से भरे हुए हैं। पानी में मिश्रित ये प्रदूषक हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। जल प्रदूषण विशेष रूप से समुद्री जीवों के लिए खतरा बन गया है। इस प्रदूषण के परिणामस्वरूप उनमें से कई प्रतिदिन मर जाते हैं।

भूमि प्रदुषण: जिस औद्योगिक और घरेलू कचरे को पानी में नहीं डाला जाता है वह जमीन पर पड़ा रहता है। हालांकि इसे नष्ट या पुन: चक्रित करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन इसकी एक बड़ी राशि का निपटान नहीं किया जाता है। यह भूमि प्रदूषण का कारण बनता है जो मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए एक प्रजनन भूमि बन जाता है जो विभिन्न घातक बीमारियों का कारण बनता है।

यह अपशिष्ट उत्पादों के कारण मिट्टी के संदूषण को भी संदर्भित करता है जो अंततः विषाक्त हो जाता है। कीटनाशकों, कीटनाशकों और अन्य मजबूत रसायनों के नियमित उपयोग के कारण मिट्टी प्रदूषण भी होता है। इस प्रकार के प्रदूषण को अक्सर मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण:  कारखानों में स्थापित मशीनों द्वारा उच्च तीव्रता की ध्वनि के कारण शोर प्रदूषण होता है। यह सड़क पर वाहनों के कारण, पटाखे फोड़ने और लाउड स्पीकरों पर बजने वाले संगीत के कारण भी होता है। शोर प्रदूषण तनाव पैदा कर सकता है और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इससे श्रवण दोष भी हो सकता है।

प्रकाश प्रदूषण:  प्रकाश प्रदूषण एक विशेष क्षेत्र पर एक अतिरिक्त, अवांछित या अनुचित प्रकाश है। प्रकाश प्रदूषण शहरी चमक के रूप में हो सकता है- शहरी क्षेत्र पर अत्यधिक अवांछित चकाचौंध, अतिचार, बिना इच्छा के प्रकाश का गिरना, इरादे या आवश्यकता, चकाचौंध – अत्यधिक प्रकाश या उज्ज्वल प्रकाश और अव्यवस्था- रोशनी का एक अवांछित समूह जैसे एक अधिक रोशनी में शहरी क्षेत्र।

रेडियोधर्मी प्रदूषण: रेडियोधर्मी प्रदूषण से तात्पर्य वायुमंडल में अवांछित रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति से है। रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडियोधर्मी हथियार विस्फोट या परीक्षण, खनन और रेडियोधर्मी पदार्थों को संभालने या रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में दुर्घटनाओं का परिणाम हो सकता है। वायुमंडल में मौजूद रेडियोधर्मी पदार्थ प्राकृतिक जल संसाधनों को भी प्रदूषित करते हैं, जो उन्हें उपभोग या घरेलू उपयोग के लिए हानिकारक बनाते हैं।

ऊष्मीय प्रदूषण:  थर्मल प्रदूषण जल निकायों के तापमान में अचानक परिवर्तन को संदर्भित करता है; एक ऐसा परिवर्तन जो इसके पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ने के लिए काफी बड़ा है। विभिन्न उद्योगों में कूलेंट के रूप में पानी का उपयोग थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। जब शीतलक के रूप में उपयोग किए जाने वाले पानी को अचानक जलस्रोतों में वापस छोड़ दिया जाता है, तो इसकी समग्र ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है, क्योंकि गर्म तरल पदार्थों में गैसें कम घुलनशील होती हैं; परिणामस्वरूप जलीय जीवन तापमान और ऑक्सीजन की कमी के कारण अचानक बदल जाता है।

दृश्य प्रदूषण:  मानव द्वारा निर्मित कुछ भी, जो आपके दृष्टिकोण को बाधित करता है, दृश्य प्रदूषण का गठन करता है। इसमें बिल बोर्ड, साइन बोर्ड, एंटेना, कचरा डिब्बे, बिजली के खंभे, टॉवर, तार, वाहन, भवन आदि शामिल हैं। दृश्य प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से आंखों की थकान, तनाव और अवसाद हो सकता है। निवास का अनियोजित और गैर विनियमित निर्माण दृश्य प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित शहर

जबकि दुनिया भर के कुछ शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम रखने में कामयाबी हासिल की है, जबकि अन्य प्रदूषण के खतरनाक स्तर के लिए जाने जाते हैं। दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित स्थानों में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, शीज़ीयाज़ूआंग, हेज़, चेरनोबिल, बामेंडा, बीजिंग और मॉस्को शामिल हैं।

ये शहर खराब वायु गुणवत्ता और भारी भूमि और जल प्रदूषण के लिए जाने जाते हैं। इन शहरों में जीवन दयनीय हो गया है और इसका मुख्य कारण इन स्थानों के लोगों और सरकार की लापरवाही है। यह समय है कि वे प्रदूषण के निम्न स्तर वाले शहरों से क्यू लें और उनके प्रदूषण स्तर को नीचे लाने के लिए इसी तरह की रणनीतियों को शामिल करें।

प्रदूषण कम करने के तरीके

अब जब हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारणों और प्रभावों को जानते हैं, तो आइए समझते हैं कि इसे कम करने की दिशा में हम कैसे योगदान कर सकते हैं। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे हम प्रदूषण स्तर को नीचे ला सकते हैं:

कार पूल:  वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ, प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। कार पूलिंग से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। कार पूलिंग का अर्थ है अपनी कार या अपने सहयोगी के काम के लिए यात्रा करते समय स्थान साझा करना। यदि हम हर बार अपनी कारों के माध्यम से यात्रा करने के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं तो इसे नीचे लाया जा सकता है।

पटाखों को नो कहें:  दीवाली, दशहरा और नए साल जैसे त्योहारों के दौरान जलाए जाने वाले पटाखों से बहुत अधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। ये विशेष रूप से छोटे शिशुओं, बुजुर्गों और जानवरों के लिए परेशान कर रहे हैं। हमें जिम्मेदार इंसानों की तरह काम करना चाहिए और अनावश्यक प्रदूषण से बचने के लिए पटाखे फोड़ना बंद करना चाहिए।

रीसायकल / पुन: उपयोग:  अपशिष्ट प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामान भूमि और पानी पर प्रदूषण को जोड़ता है। इसके उपयोग से बचकर इसे लाना होगा। यदि हम उनका उपयोग करते हैं, तो हमें उन्हें बंद नहीं करना चाहिए और नए लोगों को तुरंत खरीदना चाहिए, हमें उन्हें बंद करने से पहले एक-दो बार फिर से उपयोग करना चाहिए। हमें रीसाइक्लिंग के लिए ऐसी उपयोग की गई चीजों को भेजने का भी प्रयास करना चाहिए।

परिवेश को साफ रखें:  हमें कचरे के उत्पादों को कूड़ेदान में फेंकने की बजाए भूमि पर या जल निकायों में फेंककर अपने आस-पास को साफ रखना चाहिए। हम एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं यदि हम में से प्रत्येक पर्यावरण को साफ रखने के बारे में विशेष रूप से बना रहे।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

जीवन की तीन अनिवार्य आवश्यकताओं वायु, जल और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं हैं। इनमें भी वायु यानी हवा सबसे अनिवार्य है क्योंकि भोजन और पानी के बिना तो जीव कुछ समय तक जिंंदा रह सकता है, लेकिन हवा के बिना दो मिनट भी जीवित रहना मुश्किल है। वायु गैसों का मिश्रण है, स्वच्छ वायु में लगभग 78% प्रतिशत भाग नाइट्रोजन और 21% भाग ऑक्सीजन और बाकी कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, आर्गन, जल वाष्प की मात्रा रहती है। अगर इनमें खासकर कार्बन, मिथेन, नाइट्रोजन की मात्रा में बदलाव हुआ तो ये वायु प्रदूषित हो जाती है। वर्तमान समय में वायु में इसी तरह की गैस और धूलकणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है जिससे वैश्विक स्तर पर इसको लेकर चिंता बढ़ी है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) - वायु प्रदूषण क्या है? (What is Air Pollution?)

वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कितने प्रकार का होता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण के कारण, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कैसे कम किया जा सकता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - कुछ विचार और नारे, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - उपसंहार.

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

औद्योगीकरण की तेज रफ़्तार ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) को जन्म दिया है। वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के माध्यम से हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution in hindi) से इस विकट समस्या को जहां समझने में आसानी होगी, वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों से भी परिचित हो सकेंगे। इससे स्कूली छात्रों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Hindi Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution hindi) से छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on World Environment Day in hindi) लिखने में भी यह लेख उनकी सहायता करेगा।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on air pollution in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से हमें सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि वायु प्रदूषण क्या है? मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते हैं और वायु में ऐसे प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। जब वायु में प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं, तो कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।

अन्य लेख पढ़ें-

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वायु प्रदूषण के प्रकार को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है -

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं, बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं। तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है, जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के इस भाग में अब हम वायु प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानेंगे। वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

विभिन्न प्रकार के ईंधनों के दहन से संबंधित मानवजनित स्रोत (मानव गतिविधि) और प्राकृतिक स्रोत।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक मानवीय गतिविधियाँ हैं। विद्युत संयंत्र, कल-कारखाने, लकड़ी, कोयले और उपले या अन्य सामग्रियों के दहन से निकले वाली गैस और वाहनों से निकलने वाला धुँआ आदि इसका एक प्रमुख कारण है।

कभी-कभी वायु प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला धुँआ या धूल की वजह से भी होता है, तो कई बार वनों में लगने वाली आग से निकलने वाला धुँआ भी इसके लिए जिम्मेदार होता है।

इसे भी देखें- होली पर निबंध

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों का होना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 2014 में लगाए गए अनुमान के अनुसार हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की असमय मौत होती है। मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 88 लाख तक हो सकती है। पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। दिसंबर 2013 में चीन में प्रत्येक साल वायु प्रदूषण से लगभग 500,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था। इस तरह हम देख सकते हैं कि वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना होगा, बल्कि निभाने की भी जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) के इस अहम भाग में हम वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म या कम करने के कुछ उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

कल-कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गतिविधियों को सीमित या बंद किया जाए।

नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों तथा इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहर और रिहायशी इलाकों से दूर रखना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना, जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

उम्मीद है कि वायु प्रदूषण पर निबंध (वायु प्रदूषण पर लेख) विशेष इस लेख के माध्यम से वायु प्रदूषण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली होगी और हम सब वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) में बताई गई जानकारियों का उपयोग कर वायु प्रदूषण को कम कर बेहतर पर्यावरण के निर्माण की दिशा में अपना छोटा लेकिन बेशकीमती योगदान देंगे।

वायु प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरल शब्दों में नारे (स्लोगन) तैयार किए जाते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रहते हैं। प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण के बारे में नीचे हमने कुछ नारे संकलित किए हैं, जिनका उपयोग लोगों को जागरूक करने और वायु प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।

नीचे कुछ वायु प्रदूषण पर नारे हिंदी में दिए गए हैं -

1. स्वच्छ वायु के लिए कुछ कर दिखाना होगा; पेड़ों, बाग-बगीचों को कटने से बचाना होगा।

2. तरक्की की क्या खूब हमने गढ़ी कहानी है, वायु प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी निशानी है।

3. जागरूक नागरिक बनिए, वायु प्रदूषण फैलाने से बचिए।

4. आओ वायु प्रदूषण को मिलकर हटाएँं, हम सब मिलकर पड़े लगाएँ।

5. कुछ पाने की हमने बड़ी कीमत चुकाई, अपनी साँसों को खुद हमने जहरीली हवा पिलाई।

6. जागो तुम, जागेगा भारत, शुद्ध हवा पाएगा भारत।

7. स्वच्छ हवा को अगर पाना है, सबको पेड़ लगाना है।

8. अपना नहीं भविष्य का सोचो, वायु प्रदूषण को आज ही रोको।

9. सबका एक ही नारा, प्रदूषण मुक्त हो देश हमारा।

11. स्वस्थ और बलशाली लोग भी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं।– जेन लैपिंग

12. धरती माता अपने सभी बच्चों के साथ गैस चैंबर की ओर जा रही हैं- स्टीवन मैगी

स्वार्थपरता से ऊपर उठकर दुनिया के सभी देशों को इसमें अपनी भूमिका का सक्रियता से निर्वहन करने की जरूरत है। दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों ने ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण किया है इसलिए इसकी रोकथाम करने की दिशा में भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनकी ही बनती है, क्योंकि न केवल जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता के कारण ये ऐसा करने में सक्षम हैं, बल्कि इनके ही कर्मों की सजा पूरी दुनिया को भुगतनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण दुनिया में तेजी से बढ़ रही एक गंभीर समस्या है, जिसकी रोकथाम करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी इसमें अहम भूमिका निभाएँगे। हम सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा, केवल तभी वायु प्रदूषण की समस्या पर लगाम कसी जा सकेगी।

हम उम्मीद करते हैं कि वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) विशेष इस लेख से आपको न सिर्फ वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध (Air Pollution Essay in hindi) लिखने में ही सहायता मिलेगी, बल्कि आप वायु प्रदूषण को लेकर काफी जागरूक भी हुए होंगे। धन्यवाद।

Frequently Asked Question (FAQs)

मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। वायु में प्रदूषक तत्वों के उपस्थित होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है-

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वलीकार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं। बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में  लगभग 88 लाख लोगों की असमय मौत होती है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।   

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय कई तरह के हो सकते हैं। वायु प्रदूषण रोकने कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाई ऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

  • नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी वायु प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाएँगे। सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण के कुछ व्यक्तिगत उपाय नीचे दिए गए हैं- 

  • अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना।
  • पेड़ों, बाग-बगीचों को नुकसान न पहुँचाएँ और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
  • छोटे-मोटे आयोजन कर आस-पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने वालों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना।
  • वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए आदि।
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Maharashtra School Leaving Certificate Examination

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Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Geotechnical engineer

The role of geotechnical engineer starts with reviewing the projects needed to define the required material properties. The work responsibilities are followed by a site investigation of rock, soil, fault distribution and bedrock properties on and below an area of interest. The investigation is aimed to improve the ground engineering design and determine their engineering properties that include how they will interact with, on or in a proposed construction. 

The role of geotechnical engineer in mining includes designing and determining the type of foundations, earthworks, and or pavement subgrades required for the intended man-made structures to be made. Geotechnical engineering jobs are involved in earthen and concrete dam construction projects, working under a range of normal and extreme loading conditions. 

Cartographer

How fascinating it is to represent the whole world on just a piece of paper or a sphere. With the help of maps, we are able to represent the real world on a much smaller scale. Individuals who opt for a career as a cartographer are those who make maps. But, cartography is not just limited to maps, it is about a mixture of art , science , and technology. As a cartographer, not only you will create maps but use various geodetic surveys and remote sensing systems to measure, analyse, and create different maps for political, cultural or educational purposes.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Product Manager

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Operations manager.

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Bank Probationary Officer (PO)

Investment director.

An investment director is a person who helps corporations and individuals manage their finances. They can help them develop a strategy to achieve their goals, including paying off debts and investing in the future. In addition, he or she can help individuals make informed decisions.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

An expert in plumbing is aware of building regulations and safety standards and works to make sure these standards are upheld. Testing pipes for leakage using air pressure and other gauges, and also the ability to construct new pipe systems by cutting, fitting, measuring and threading pipes are some of the other more involved aspects of plumbing. Individuals in the plumber career path are self-employed or work for a small business employing less than ten people, though some might find working for larger entities or the government more desirable.

Construction Manager

Individuals who opt for a career as construction managers have a senior-level management role offered in construction firms. Responsibilities in the construction management career path are assigning tasks to workers, inspecting their work, and coordinating with other professionals including architects, subcontractors, and building services engineers.

Urban Planner

Urban Planning careers revolve around the idea of developing a plan to use the land optimally, without affecting the environment. Urban planning jobs are offered to those candidates who are skilled in making the right use of land to distribute the growing population, to create various communities. 

Urban planning careers come with the opportunity to make changes to the existing cities and towns. They identify various community needs and make short and long-term plans accordingly.

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Naval Architect

A Naval Architect is a professional who designs, produces and repairs safe and sea-worthy surfaces or underwater structures. A Naval Architect stays involved in creating and designing ships, ferries, submarines and yachts with implementation of various principles such as gravity, ideal hull form, buoyancy and stability. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Veterinary Doctor

Pathologist.

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Speech Therapist

Gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

Hospital Administrator

The hospital Administrator is in charge of organising and supervising the daily operations of medical services and facilities. This organising includes managing of organisation’s staff and its members in service, budgets, service reports, departmental reporting and taking reminders of patient care and services.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Videographer

Multimedia specialist.

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Linguistic meaning is related to language or Linguistics which is the study of languages. A career as a linguistic meaning, a profession that is based on the scientific study of language, and it's a very broad field with many specialities. Famous linguists work in academia, researching and teaching different areas of language, such as phonetics (sounds), syntax (word order) and semantics (meaning). 

Other researchers focus on specialities like computational linguistics, which seeks to better match human and computer language capacities, or applied linguistics, which is concerned with improving language education. Still, others work as language experts for the government, advertising companies, dictionary publishers and various other private enterprises. Some might work from home as freelance linguists. Philologist, phonologist, and dialectician are some of Linguist synonym. Linguists can study French , German , Italian . 

Public Relation Executive

Travel journalist.

The career of a travel journalist is full of passion, excitement and responsibility. Journalism as a career could be challenging at times, but if you're someone who has been genuinely enthusiastic about all this, then it is the best decision for you. Travel journalism jobs are all about insightful, artfully written, informative narratives designed to cover the travel industry. Travel Journalist is someone who explores, gathers and presents information as a news article.

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

Merchandiser.

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Metallurgical Engineer

A metallurgical engineer is a professional who studies and produces materials that bring power to our world. He or she extracts metals from ores and rocks and transforms them into alloys, high-purity metals and other materials used in developing infrastructure, transportation and healthcare equipment. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

AWS Solution Architect

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वायु प्रदूषण पर निबंध 10 Lines,100,150, 200, 350, शब्दों मे ( Air Pollution Essay in Hindi)

essay on pollution 100 words in hindi

Essay on Air Pollution in Hindi – पर्यावरणीय परिवर्तन हानिकारक प्रदूषकों की प्राकृतिक या कृत्रिम सामग्री के कारण होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र पर अस्थिरता, अशांति या प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकते हैं। Air Pollution Essay वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण के कारण पृथ्वी और उसका पर्यावरण अधिक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। पर्यावरणीय क्षति अनुचित संसाधन प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) इसलिए, कोई भी गतिविधि जो पर्यावरण की मूल प्रकृति का उल्लंघन करती है और गिरावट की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों की उत्पत्ति को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषकों के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर भी किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण वायु में कोई भी भौतिक, रासायनिक या जैविक परिवर्तन है। गैस का एक निश्चित प्रतिशत वायुमंडल में मौजूद है। इन गैसों की संरचना में वृद्धि या कमी अस्तित्व के लिए हानिकारक है। गैस संरचना में यह असंतुलन वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बनता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) पर्यावरणीय परिवर्तन हानिकारक प्रदूषकों की प्राकृतिक या कृत्रिम सामग्री के कारण होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र पर अस्थिरता, अशांति या प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकते हैं। वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण के कारण पृथ्वी और उसका पर्यावरण अधिक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। पर्यावरणीय क्षति अनुचित संसाधन प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। इसलिए, कोई भी गतिविधि जो पर्यावरण की मूल प्रकृति का उल्लंघन करती है और गिरावट की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों की उत्पत्ति को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषकों के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर भी किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण का परिचय (Introduction to air pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) पृथ्वी और उसके पर्यावरण को वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण से गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है-पृथ्वी की महत्वपूर्ण जीवन समर्थन प्रणाली। पर्यावरण को नुकसान संसाधनों के अनुचित प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होता है। इसलिए कोई भी गतिविधि जो प्रकृति के मूल चरित्र का उल्लंघन करती है और उसके क्षरण की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों के स्रोतों को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषण के प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करके भी किया जा सकता है। 

78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और अन्य सभी गैसों के 1% के साथ वायु पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करती है। सामान्य रूप से गैसों के नियमित प्रतिशत और उनकी संरचना को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं होती हैं।

वायु प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Air Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

 1) वायु प्रदूषण के लिए हानिकारक गैसों, विषैले तत्वों, एलर्जेन आदि का वायु में प्रवेश उत्तरदायी है।.

2) वायु प्रदूषण वायु की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित करता है, जिससे यह मानव अस्तित्व के लिए खतरनाक हो जाता है।

3) औद्योगिक, वाहन उत्सर्जन और ज्वालामुखी विस्फोट वायु प्रदूषण के कुछ कारण हैं।

4) अत्यधिक प्रदूषित हवा क्षेत्र के पौधे और वनस्पति को भी प्रभावित कर सकती है।

5) 2012 में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 6 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

6) वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण मानव निर्मित गतिविधियाँ हैं।

7) स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषक है जो आंखों और गले में जलन पैदा कर सकता है, फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और यहां तक ​​कि अस्थमा के हमलों को भी जन्म दे सकता है।

8) उद्योगों और वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने वायु प्रदूषण को जन्म दिया।

9) जीवाश्म ईंधन के जलने में कमी, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग, पुनर्वनीकरण आदि वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

10) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करने से पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

इनके बारे मे भी जाने

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वायु प्रदूषण निबंध 100 शब्द (short Essay on Air pollution 100 words in Hindi)

पूरी दुनिया में मौजूदा समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर खतरा बन गया है। औद्योगीकरण के विशाल स्तर के कारण, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी, सल्फर डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक पदार्थ हवा में मिल जाते हैं। मोटर वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसें, जीवाश्म ईंधन के जलने से भी वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण से ओजोन परत बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जिससे पर्यावरण को गंभीर गड़बड़ी हो रही है।

वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह हमें भी नुकसान पहुंचाता है। इससे सिरदर्द, त्वचा में जलन, फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, श्वसन रोग आदि हो सकते हैं। बच्चे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया से पीड़ित होते हैं। सरकार और नागरिकों को आगे आना चाहिए और वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

वायु प्रदूषण निबंध 150 शब्द (Air pollution essay 150 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – आज के समय में प्रदूषण की बहुत चर्चा होती है। इसका वास्तव में मतलब पूरे वातावरण में जहर घोलना है। बेशक, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हैं। वायु प्रदूषण इन्हीं प्रकारों में से एक है। हवा प्रदूषित होती है और जीवन और सभ्यता के लिए खतरा है। वास्तव में, यह खतरा बहुत ही भयानक है और इसे नियंत्रित करना आसान नहीं है।

इस प्रदूषण का मुख्य कारण लापरवाह औद्योगीकरण है। अनेक मिलें और फैक्ट्रियां लगातार धुआं छोड़ती हैं और ऊपरी वातावरण में जहर घोलती हैं। फिर से, वाहनों के चलने से गैसों और गंदगी को बाहर फेंका जाता है और फैलाया जाता है। इसके अलावा, थर्मल स्टेशनों और घरेलू उद्देश्यों के लिए जलाए गए कोयले से काफी मात्रा में जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है।

वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य को अत्यधिक प्रभावित करता है। यह विभिन्न फेफड़ों और हृदय रोगों का कारण बनता है। इसकी किसी भी कीमत पर जांच होनी चाहिए। हानिकारक गैसों के प्रसार को रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए और उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। सभी के लिए स्वच्छ और स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए पेड़ भी लगाए जाने चाहिए।

वायु प्रदूषण निबंध 200 शब्द (Air pollution essay 200 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – पर्यावरण प्रदूषण आधुनिक जीवन की एक बड़ी समस्या है। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत घर, उद्योग और कृषि हैं। घर में लकड़ी, कोयला, रसोई गैस और अपशिष्ट उत्पादों को जलाने से गैस निकलती है जो हवा को प्रदूषित करती है। औद्योगिक क्षेत्रों में, इंजनों, भट्टियों और औद्योगिक कालिख से निकलने वाले निकास से हवा प्रदूषित हो जाती है। कारखानों से निकलने वाला धुआं, रासायनिक धुएं और धूल भी गंभीर प्रदूषण पैदा करते हैं।

परमाणु रिएक्टर प्रतिष्ठानों, बिजली संयंत्रों और परमाणु विस्फोटों द्वारा छोड़े गए परमाणु कचरे से धूल हवा को गंभीर रूप से प्रदूषित करती है और वे स्वास्थ्य खतरों के संभावित स्रोत हैं। इसके अलावा, भूसी मिलों में जले हुए ईंधन, ऑटोमोबाइल से निकलने वाले निकास के कारण हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें जमा हो जाती हैं। ये सभी जीवों के लिए हानिकारक हैं।

सबसे ज्यादा नुकसान वायु प्रदूषण के कारण होता है। अशुद्ध हवा में सांस लेने से हमारे फेफड़ों को बहुत नुकसान होता है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों को निमोनिया और ब्रोंकाइटिस होने का भी खतरा होता है। हमें वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक और सावधान रहना चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार और नागरिकों के संयुक्त प्रयास ही इस समस्या को काफी हद तक हल कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण निबंध 250 शब्द (Air pollution essay 250 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – वायु प्रदूषण आधुनिक दुनिया की गंभीर समस्याओं में से एक है। वर्तमान में हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह पहले की तरह साफ नहीं है। यह कई कारकों से प्रदूषित हो रहा है। वायु में ऐसे रसायनों, पार्टिकुलेट मैटर्स या जैविक पदार्थों का प्रवेश जो मनुष्यों या अन्य जीवित जीवों को नुकसान या असुविधा का कारण बनते हैं, वायु प्रदूषण कहलाते हैं।

मानव गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने, उद्योगों और कारखानों से उत्सर्जन, कृषि गतिविधियों और अपशिष्ट उत्पादन के कारण जनसंख्या और शहरीकरण की बढ़ती वृद्धि में, गैसों और रसायनों को हवा में छोड़ा जाता है। एक अन्य कारण ज्वालामुखी विस्फोट और जंगल की आग है जो प्राकृतिक घटनाएं हैं जो वातावरण में कार्बन गैसों को छोड़ती हैं। नतीजतन, वायु प्रदूषण होता है।

हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से अम्लीय वर्षा, स्मॉग, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन रिक्तीकरण आदि का अनुभव हो रहा है। ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है, वायु प्रदूषण के कारण समाप्त होती जा रही है। एसिड रेन के कारण ताजमहल और लोटस टेंपल जैसे स्मारक प्रभावित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, निमोनिया, श्वसन रोग, त्वचा में जलन और कई अन्य हैं।

जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसे स्वच्छ बनाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने के संभावित उपाय अधिक पेड़ लगाना, पर्यावरण के अनुकूल वाहन और जनता में जागरूकता पैदा करना है। आइए हम आराम से जीने के लिए अपना हिस्सा करें।

वायु प्रदूषण पर निबंध 350 शब्द (Air pollution essay 350 words in Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध – पहले हम जिस हवा में सांस लेते थे वह शुद्ध और ताजा होती थी। लेकिन, बढ़ते औद्योगीकरण और वातावरण में जहरीली गैसों की सघनता के कारण हवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जा रही है। साथ ही ये गैसें सांस और अन्य कई बीमारियों का कारण होती हैं। इसके अलावा, तेजी से बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

वायु प्रदूषण के कारण

इसके कारणों में जीवाश्म ईंधन और जलाऊ लकड़ी का जलना, कारखानों से निकलने वाला धुआं, ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग, बमबारी, क्षुद्रग्रह, सीएफ़सी (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), कार्बन ऑक्साइड और कई अन्य शामिल हैं।

इसके अलावा, कुछ अन्य वायु प्रदूषक हैं जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, बिजली संयंत्र, थर्मल परमाणु संयंत्र, आदि।

ग्रीनहाउस प्रभाव

ग्रीनहाउस प्रभाव भी वायु प्रदूषण का कारण है क्योंकि वायु प्रदूषण से वे गैसें उत्पन्न होती हैं जिनमें ग्रीनहाउस शामिल होता है। इसके अलावा, यह पृथ्वी की सतह के तापमान को इतना बढ़ा देता है कि ध्रुवीय टोपियां पिघल रही हैं और अधिकांश यूवी किरणें आसानी से पृथ्वी की सतह में प्रवेश कर रही हैं।

स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य में कई त्वचा और श्वसन विकारों का कारण है। साथ ही इससे हृदय रोग भी होता है। वायु प्रदूषण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और कई अन्य बीमारियों का कारण बनता है।

इसके अलावा, यह फेफड़ों की उम्र बढ़ने की दर को बढ़ाता है, फेफड़ों के कार्य को कम करता है, श्वसन प्रणाली में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके (ways to reduce air pollution in Hindi)

Air Pollution Essay in Hindi – हालांकि वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर बिंदु पर पहुंच गया है। लेकिन, अभी भी ऐसे तरीके हैं जिनसे हम हवा से वायु प्रदूषकों की संख्या को कम कर सकते हैं।

वृक्षारोपण- अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हवा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है क्योंकि वे हवा को साफ और फिल्टर करते हैं।

उद्योगों के लिए नीति- देशों में गैस फिल्टर से संबंधित उद्योगों के लिए सख्त नीति पेश की जाए। इसलिए, हम कारखानों से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों को कम कर सकते हैं।

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वायु प्रदूषण पर निबंध अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है.

हाँ, वायु प्रदूषण का अस्तित्व सभी ग्रह लोगों के लिए ज्वलंत प्रश्न है। इस जोखिम भरे माहौल में न रहें वरना आप किसी लाइलाज बीमारी को मात देने के लिए तैयार हैं।

यदि आप वायु प्रदूषण को नहीं रोकेंगे तो क्या होगा?

यदि आप वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों को नहीं रोकते हैं, तो फेफड़ों से संबंधित समस्या को संभालना आसान नहीं है। इतना ही नहीं आपको सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

हम वायु प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

अपने दैनिक जीवन के काम में साहसिक कदम उठाते हुए, वायु प्रदूषण के प्रभाव को संभालना आसान हो जाता है। कार या मोटरबाइक पर कम ही सवारी करें। बाइक का प्रयोग करें और पैदल चलें। वह ईंधन खरीदें जो कम ईंधन दक्षता के रूप में हो।

वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?

वायु प्रदूषण का आपके स्वास्थ्य पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इस पर कोई सटीक स्पष्टीकरण नहीं है। अप्रत्यक्ष संबंध अंग पर पड़ता है। हालांकि, कुछ अंगों का प्रमुख प्रभाव। थकान, चिंता और सिरदर्द तंत्रिका तंत्र क्षति आंखों, नाक और शरीर के किसी अन्य संवेदनशील अंग में जलन

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200 - 500 शब्दों में

Updated On: December 28, 2023 05:14 pm IST

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं। 

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण:  वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण:  वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण:  जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण:  भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है।  प्रकाश प्रदूषण:  बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण:  ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण:  ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें:  वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें:  एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं:  कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।       

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi  : आज हमने वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध में  हमने वायु प्रदूषण के बारे में बताया है.

Air Pollution पर निबंध  इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुएअलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Get some Air Pollution Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12th Students

Best Air Pollution Essay in Hindi 100 Words

वायु प्रदूषण वातावरण में घुलने वाली हानिकारक गैसों के कारण होता है. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है इसके कारण कई ऐसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो कि जीवन भर मानव के शरीर का साथ नहीं छोड़ती हैं और अंत में उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर बड़े-बड़े उद्योग धंधों, मोटर वाहनों इत्यादि से जहरीली गैसें निकलती है.

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Air Pollution Essay in Hindi 200 Words

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है. आज दुनिया भर में सब लोग सिर्फ अपने उद्योग धंधों की तरफ दे रहे हैं वह इतने स्वार्थी हो गए हैं कि पर्यावरण की उनको जरा भी चिंता नहीं है.

वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. वायु प्रदूषण के कारण कैंसर, दमा, हार्ट अटैक श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही है.

यह भी पढ़ें –  ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise Pollution Essay in Hindi

इसके कारण हमारे पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिसके कारण सूर्य की हानिकारक कितने हमारी पृथ्वी पर सीधी पड़ती है और कई बीमारियों को जन्म देती है.

वायु प्रदूषण के कारण आज जीव जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. इसी के कारण आज मानव का जीवन काल भी कम हो गया है पहले मानव 100 साल तक जीवित रहता था लेकिन आजकल 70 वर्ष की अवधि भी पार करना मुश्किल हो रहा है.

वायु प्रदूषण उद्योग धंधे, मोटर वाहनों, ज्वालामुखी फटने इत्यादि के कारण बढ़ रहा है इसको कम करने के लिए हमें जल्द से जल्द पेड़ पौधे लगाने होंगे और ऊर्जा के लिए नए संसाधन ढूंढने होंगे जिनसे वायु प्रदूषण न के बराबर हो.

Vayu Pradushan Essay in Hindi 500 Words

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार की तरफ से कोई पुख्ता कदम उठाई जा रहे हैं और ना ही आम आदमी इसके बारे में कोई चिंता कर रहा है.

पृथ्वी पर रहने वाला एक जीव या मानव भोजन और जल के बिना तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें प्राण दाई ऑक्सीजन को प्रदूषित नहीं करना चाहिए.

वायु प्रदूषण के कारण हमारी पृथ्वी पर भी बदलाव आ रहा है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का वातावरण बहुत तेजी से गरम हो रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. वायु प्रदूषण हमारी पूरी पृथ्वी के वातावरण को नष्ट कर रहा है.

वायु प्रदूषण होने के दो प्रमुख कारण है जिसमें एक प्राकृतिक है और एक मानव जनित है –

यह भी पढ़ें –  Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi

वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है जैसे की ज्वालामुखी का फटना, जंगलों में आग लगना, धूल उड़ना, रेत संकुचन, महासागर की लवणता बढ़ना, आंधी-तूफान, धूमकेतु स्प्रे, पराग अनाज, विषाणु, बैक्टीरिया इत्यादि कारण है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण का मानव निर्मित कारण –

पृथ्वी पर वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से मानव द्वारा किया जा रहा है इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है – बड़े उद्योग धंधे, कल कारखाने, मोटर वाहन, धूम्रपान, लकड़ियों का धुँआ, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, खरपतवार को हटाने के लिए और फसल को रगड़ो से मुक्त करने के लिए गैसों का छिड़काव, फसल काटने के बाद बची हुई घास को जलाना, पार्टिकुलेट पदार्थ, बम विस्फोट, परमाणु विस्फोट, खुले में शौच करना, कोयले का दोहन, निर्माण कार्य से उड़ती धूल इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में फैलता है.

इन सभी कारणों से हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाती है यह सभी कैसे हमारे वायुमंडल के लिए हानिकारक है.

पृथ्वी पर इन सभी गैसों की मात्रा बढ़ने के कारण कैंसर, दमा, दिल की बीमारियां, पेट की बीमारियां, आंखें खराब होना जैसी लाइलाज बीमारियां अत्यधिक मात्रा में बढ़ रही है. अगर जल्द ही वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.

यह भी पढ़ें – दिवाली पर स्लोगन – Slogan on Diwali in Hindi

वायु प्रदूषण से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उद्योग धंधों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित करना चाहिए, हमें परमाणु ऊर्जा के स्थान पर नई ऊर्जा के स्त्रोत खोजने चाहिए जिनसे प्रदूषण कम हो, हमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए, घरों में लकड़ियों के स्थान पर गैस का इस्तेमाल होना चाहिए,

निर्माण कार्य करते समय पानी का छिड़काव करके या फिर कपड़े से ढककर निर्माण कार्य करना चाहिए और सबसे अधिक और जरूरी कार्य में अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Latest Air Pollution Essay in Hindi 2500 Words

प्रस्तावना –

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया भर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है. वायु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए प्रथम आवश्यकता है लेकिन इसमें जब हानिकारक गैसें मिल जाती है तब यह धीमे जहर की तरह काम करता है. पूरी दुनिया भर में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैल रहा है.

जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां जन्म ले रही है वायु प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. जो वस्तुएं हमें प्रगति की ओर ले कर जा रही है असल में वह हमें दुगनी रफ़्तार से दुर्गति की ओर लेकर जा रही है क्योंकि हम जितनी भी वस्तुए काम में लेते है-

जैसे मोटर वाहन, हवाई जहाज, कल कारखाने, ऊर्जा के लिए कोयले का इस्तेमाल आदि इन से जहरीली गैसे बनती है जो कि हमारे वातावरण और हमारे लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदूषण को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत जरूरी है.

वायु प्रदूषण क्या है –

हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है जिसमें मानव और एवं अन्य सजीव जीव जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि वातावरण में लगभग 24% है. लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है.

साधारण शब्दों में बात करें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण के कारण –

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है तब से वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन मानव सभ्यता के आने से पहले वायु प्रदूषण बहुत कम मात्रा में होता था लेकिन मानव जनित कार्यों के कारण वायु प्रदूषण 2 से 3 गुना अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है.

दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है. जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है.

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण मे प्राकृतिक कारणों और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है जिसको हमने विस्तारपूर्वक नीचे बताया है

(1) ज्वालामुखी का फटना – हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है. हाल ही में अभी इंडोनेशिया में एक ज्वालामुखी फटा था जिसका धूल का गुबार करीब 4000 मीटर तक फैल गया था. जिससे वहां के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु समाप्त हो गए थे और इसके कारण करीब 1400 लोग मारे गए थे.

(2) जंगल में आग लगना – पृथ्वी पर बहुत से बड़े बड़े जंगल हैं जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतिया है जिनके कारण जंगलों में बहुत सी जलाऊ लकड़ी पाई जाती है यह थोड़ी सी आग की चिंगारी से जलने लग जाते है. ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है.

(3) धूल उड़ना – हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. धूल मोटर वाहनों और अन्य बड़े वाहनों के चलने के कारण धूल उड़ती है.

(4) बैक्टीरिया – पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं यह में खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है. यह हानिकारक बैक्टीरिया केमिकल फैक्ट्री और अन्य हानिकारक वस्तु से निकलते रहते है.

(5) फूलों के परागण – दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है. जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है.

(6) धूमकेतु / उल्का पिंड – पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है.

(7) पशुओं द्वारा – हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है कुछ लोग उनसे दूध निकालते हैं तो कुछ उनको बाहर के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.

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वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –

(1) उद्योग धंधे/ कल कारखाने – बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है.

बड़े उद्योगों में रासायनिक केमिकल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है दोनों ही हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है. इन उद्योगों के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन सही से कानून की पालना नहीं होने के कारण वायु प्रदूषण दुगनी तेजी से फैल रहा है.

(2) वनों की अंधाधुंध कटाई – वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती हो और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है

इसका मुख्य कारण है कि हम बहुत तेजी से वनों को काट रहे है लेकिन उतनी तेजी से पेड़ पौधे लगा नहीं रहे है. इसी कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है और पूरे वातावरण में बदलाव आ रहे है.

(3) जनसंख्या वृद्धि – वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की मात्रा का उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

(4) पराली जलाना – फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेत अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है. जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है

जिसके कारण लोगों को सांस लेने और दिखाई देने में दिक्कत होने लग जाती है. इसका उदाहरण हम दिल्ली राज्य से ले सकते हैं जहां पर हर साल नवंबर दिसंबर माह में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है यह मात्रा इतनी ज्यादा अधिक होती है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है.

वायु प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई में मापी जाती है जो कि 0 से 50 एक्यूआई तक अच्छी मानी जाती है लेकिन दिल्ली में इसकी मात्रा 400 एक्यूआई से भी अधिक चली जाती है जो कि बहुत ही हानिकारक होती है

(5) मोटर वाहन – जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है.

(6) परमाणु परीक्षण – पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है इसे हम एक उदाहरण के तहत समझ सकते हैं जब दुसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने नागा शाकी नाम की जगह पर परमाणु बम गिराया था तो वहां पर जिंदगी का नामोनिशान मिट गया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है वहां की हवा आज भी प्रदूषित है

(7) सूखा कचरा जलाना – प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है

(8) मरे हुए मवेशी – हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के व्यक्तित्व उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है. कभी-कभी तो इन के कारण बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती है.

(9) रासायनिक पदार्थ – वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है जिंदगी वस्तुओं में रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है.

(10) धूम्रपान – पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की सोच व प्रदूषित हो रही है.

(11) कीटनाशक – वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो हवा में कीटनाशक दवा बन जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है.

(12) लकड़ी का अत्यधिक उपयोग – भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. हालांकि सरकार ने गांव में भी गैस पहुंचाने के लिए उज्जवला योजना प्रारंभ की है लेकिन इस योजना का लाभ अभी कुछ लोग ही ले पाए है.

(13) ताप ऊर्जा – बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है कोयला सत्ता होने के कारण आज भी 70% बिजली कोयले से ही बनाई जाती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.

(14) औद्योगिक निर्माण – पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव –

(1) ओजोन परत का क्षरण होना – जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियां हो रही है.

(2) बीमारियों को निमंत्रण – पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और मनुष्य को स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसके बिना वे एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं अगर हवा प्रदूषित होगी तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है.

(3) ऑक्सीजन की कमी – हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है.

(4) जीव जंतुओं की असमय मृत्यु – स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.

(5) वातावरण प्रभावित होना – वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है इसके कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है. आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा.

(6) अम्लीय वर्षा – वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक ऐसे मिल जाती हैं जिनमें सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है यह हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है

जिससे अम्लीय वर्षा होती है जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती है और यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं.

(7) पृथ्वी के तापमान में वृद्धि – वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है.

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

(1) पेड़ पौधे लगाना – अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है.

(2) जनसंख्या नियंत्रण – आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है.

(3) कल कारखाने कम करना – हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए कि से अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयो की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो.

(4) ऊर्जा के नए स्रोत खोजना – हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी.

(5) नियमों के अनुसार निर्माण कार्य करना – हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है. जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो.

(6) पुराने वाहनों को बंद करना – हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है. एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है. सरकार को नए नियम लागू पुराने वाहन बंद कर देनी चाहिए जिसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके/

(7) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग – अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा जिससे कम से कम प्रदूषण होगा.

(8) कानूनी नियंत्रण – वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदुषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) की सख्ती से पालना करवानी चाहिए.

(9) जन जागरण – किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर है अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए. हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है.

हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है.

उपसंहार –

वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा. जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है.

क्योंकि हमारी सरकार हर गली मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें  आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है.

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8 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi”

Good , I like it. Help me like this always please.

Thank you Kritika Singh for appreciation.

Thanks 😊😘😊😊😊😊😊 Bahut accha essay hai

Atharv, sarahna ke liye dhanyawad aise hi hindi yatra par aate rahe.

It’s very nice, thanks alot to write it, it’s very useful for me.

Welcome Rahul Kumar Saini keepvisiting hindiyatra.com

Thanks apne bahut sahi kiya jo y essay diya esko padkar mujhe bahut santuste hue h thanks

Welcome Sakshipal and thank you for appreciation.

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essay on pollution 100 words in hindi

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध

इस लेख / निबंध में आप प्रदूषण की समस्या और प्रदूषण को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है।प्रदूषण आज दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए है हमे मिलकर इसका सामना करना होगा। Here we providing Essay on Pollution in Hindi- you will get know-What is Pollution, type of pollution,  Causes of pollution &  Measures to Prevent Pollution, Pollution Essay in Hindi for class 5,6,7,8,9,10,11,12

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध ( पोल्लुशन पर एस्से )

essay on pollution 100 words in hindi

प्रदूषण पर निबंध in 100 words

प्रदुषण आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है और इसका उत्पन्न मनुष्य की गतिविधियों से हुआ है। उसने अपनी प्रगति के लिए कारखानों वाहनों का निर्माण किया जिससे निकलने वाला धुआँ वातावरण को प्रदुषित करता है। प्रदुषण के कारण स्वास्थय पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें बढ़ते हुए प्रदुषण को रोकने की आवश्यक्ता है जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेडय लगाने चाहिए और पर्यावरण को दुषित करने वाली चीजें जैसे पॉलीथीन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण को प्रदुषण मुक्त बनाना हमारा कर्तव्य है।

Pollution Essay in Hindi ( 150 words )

पर्यावरण- प्रदूषण का अर्थ है- वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वाय-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूबर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही है।परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसले मिलती है और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपूओं, फैक्टरियों रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। प्रदषण से मुक्ति के उपाय हैं आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को काम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनपान करना। घातक बीमारियां पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना अदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।

Pradushan essay in Hindi ( 200 words )

प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिससे हमारा समस्त वातावरण दुषित होता जा रहा है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी जैविक और अजैविक चीजों पर पड़ता है। पृथ्वी में भौतिक और रसायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण प्रदुष होता है यानि कि किसी भी चीज का दुषित होना प्रदुषण कहलाता है। प्रदुषण चार प्रकार होता है जैसे वायु प्रदुषण, दल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण। इसके कारण जलवायु में भी परिवर्तन होता है बहुत सी बिमारियाँ भी फैलती हैं। मनुष्य के क्रिया कलापों के कारण ही वातावरण में प्रदुषण की मात्रा बढ़ी है। पेड़ काटने, खुले में कचरा फेंकने, पॉलीथिन आदि के प्रयोग से प्रदुषण में वृद्धि हुई है।

प्रदुषण के कारण लोगौं का जीवन दुष्वार होता जा रहा है और हमें इस बढ़ते प्रदुषण को रोकने की आवश्यकता है अन्यथा एक दिन वनस्पति और मनुष्य का जीवन खतरे में आ जाऐगा। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और पर्यायवरण के लिए हीनिकारक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रदुषण को रोकने का उपाय हम सबको मिलकर करना होगा और वातावरण को सुरक्षित रखना होगा। प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi ( 800 words )

भूमिका – मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आँखें खोलीं तो उसने अपने चारों ओर उज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान पाया। वन प्रदेशों की मनोहर हरियाली में उसने जीवन के मधुरतम सपने देखे। उसका पेड़-पौधों से, फल, फूलों से, चहकते पक्षियों से, प्रभात और संध्याबेला से नित्य का संबंध था। प्रकृति के आंगन में खेलते हुए उसने पाया पुष्ट , निरोग शरीर और उत्साह-उल्हास से लबालब तनावहींन मानस। किन्तु धीरे-धीरे उसके मन में प्रकृति पर शासन करने की लालसा जागी। उसने प्रकृति को माँ के स्थान से हटाकर दासी के स्थान पर धकेलना चाहा। इसको नाम दिया गया ‘वैज्ञानिक-प्रगति।” आज वैज्ञानिक युग में मानव जीवन के सामने अनेक समस्याएं है। विज्ञानं ने जहा एक और सुख सुविद्याएँ उत्पन करके मानव जीवन को सुखी बनाया, वहां मनुष्य के जीवन में अनेक दुखो को भी जनम दिया है। अंत: विज्ञानं अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। आज प्रदूषण विज्ञानं का प्रमुख अभिशाप है जिसे संसार के अधिकतर लोगो को भोगना पड़ रहा है। प्रदूषण की यह समस्या सारे संसार में फैल चुकी है।

प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution )

आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं –

1. जल प्रदूषण ( Water Pollution ) – जल मानव-जीव के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परंपरागत स्रोत हैं- कुएँ तालाब, नदी तथा वर्षा का जल । प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जल स्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अकथनीय है। गंगा यमुना, गोमती सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी है।

2. वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) -वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वादु निरंतर शरीर में जाती है। आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा खंड प्रलय मचाते रहते हैं।

3. खाद्य प्रदूषण ( Food pollution ) -प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशुपक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

4. ध्वनि प्रदूषण ( Noise pollution ) -आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्यक्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति की किरपा के फलसरूप आज मनुष्य कर्कश, असहनीय और श्रवणशक्ति को क्षींण करने वाली ध्वनियों के समुद्र में रहने को मजबूर है। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर आदि सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

प्रदूषण बढ़ने के कारण ( Causes of pollution )

-प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्ध के लिये हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति  तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। चर्म उद्योग, कागज़ उद्योग, छपाई उदयोग, वस्तर उदयोग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखों लीटर की मात्रा में रोज़ नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जोकि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलीन हो गया है।

वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में गरल घोल रही हैं। प्रगति और समृद्ध के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछुंदर जैसी हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय ( Measures to Prevent Pollution )

– प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन न भी हो सके तो इसे हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे।

प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिये। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिये।

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति भी तभी मिलेगी जब कि वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।

उपसंहार- प्रदूषण की समस्या मनुष्य का अदृश्य शत्रु है। धीरे धीरे यह मानव-जीवन को निगलने के लिये बढ़ी आ रही है। यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिये तरस जायेगा। प्रशासन और जनता दोनों प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। गंगा सफ़ाई अभियान प्रशासन का ऐसा ही प्रयास था, किंतु ये आयोजन सिर्फ एक प्रशासकीय फैशन या तमाशा बन कर नहीं रह जाएं। एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।

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Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध

September 23, 2017 by essaykiduniya

Get information about Pollution in Hindi. Here you will get Paragraph & Short Essay on Pollution in Hindi Language / Pradushan par Nibandh / Pradushan ke Karan in Hindi for students of all classes in 150, 250, 500, 600 and 1000 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रदूषण पर निबंध मिलेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 150 words )

हमारे चारों ओर की चीज़ों को पर्यावरण कहा जाता है। यह जीवित प्राणियों और वनस्पतियों की दुनिया के साथ भूमि, पानी, हवा का संयोजन है। प्रकृति द्वारा बनाए गए पर्यावरण में एक अद्भुत संतुलन रहा है, और यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखता है। लेकिन मनुष्य जो की सबसे बुद्धिमान प्राणी है, ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का शोषण करने की कोशिश की है। उन्होंने संसाधनों का उपयोग अपने तरीके से करने के लिए आविष्कारक कौशल लागू किया है। इसने प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक संतुलन वितरित किया है। हमारी तथाकथित प्रगति और समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की हमारी इच्छा ने हमें अपने पर्यावरण को नष्ट कर दिया है जिससे हमारे लिथोस्फीयर, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हम निश्चित रूप से भविष्य में परेशानी में होंगे। इसलिए, हमें किसी भी कीमत पर अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 250 Words ) 

यह सही कहा जाता है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन मनुष्य ही है वह इतना स्वार्थी हो गया है कि वह प्रकृति का शोषण कर रहा है। आज मनुष्य द्वारा बनाई गई सबसे गंभीर समस्या पर्यावरण प्रदूषण है। दूर के अतीत में कोई भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं देता, लेकिन आज यह एक भयानक समस्या बन गई है। प्रदूषण की समस्या के लिए औद्योगिकीकरण की तेजी से प्रगति के साथ आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हर जगह हम अपने साँस को दबाने के अंधेरे बादलों को देख सकते हैं। सड़कों में वाहनों से भीड़ होती है जो जहरीली गैसों का उत्सर्जन करती हैं। कारखानों और कार्यशालाओं की चिमनी से निकलने वाले धुएं के कारण स्थिति बढ़ गई है।

व्यस्त सड़क पर कुछ मिनट के लिए भी चलना मुश्किल है। यह लोगों की एक आम शिकायत है कि उनकी आँखें अंधी हैं, कान बहरे हुए हैं और नाक की रासायनिक धूल और धुआं लापरवाह वनों की कटाई के परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और अनियमित मानसून में हुई है। आक्सीजन इन दिनों दुर्लभ हो रहा है। दिन दूर नहीं हैं जब हमें श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना होगा। रसायन उर्वरकों, कीटनाशकों और दवाइयों के अत्यधिक उपयोग ने हमारी धरती को जहरीली बना दिया है। पीने के पानी खतरनाक रसायनों से भरे हुए हैं।

वायु प्रदूषण भी चर्चा करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विज्ञान ने कई घातक बीमारियों का इलाज पाया है लेकिन प्रदूषण ने घातक रोगों की सूची में कई बीमारियों को शामिल किया है। इन बीमारियों को कभी भी नहीं सुना था। अब स्थिति ऐसे पास से आई है जहां मनुष्य, पशु और वनस्पति का हर अस्तित्व राज्य में है। हमें जागना और प्रदूषण को रोकना चाहिए अन्यथा यह बहुत देर हो जाएगी।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 500 Words )

प्रदूषण का अर्थ है वातावरण या वायुमंडल का दूषित होना। प्रदूषण की समस्या आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन है। इस समस्या से विश्व के अधिकांश देश ग्रसित हैं। प्रकृति ने मानव की जीवन-प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल और वनस्पति तथा भूमि प्रदान की है। परंतु जब किन्हीं कारणों से ये सब दूषित हो जाती हैं तो मानव तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार से हानिकारक हो जाती हैं।

प्रदूषण चार प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। आधुनिक वैज्ञानिक युग में आर्थिक प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार के छोटेबड़े कल-कारखानों और उद्योगों का विकास मानव ने अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कर लिया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों ने बढ़ना आरंभ कर दिया है। वन क्षेत्र को काटकर आवास की समस्या हल की जा रही है। उत्पादन और सुरक्षा के लिए ऐसे यंत्रों का निर्माण किया जा रहा है जो रात-दिन ध्वनि और धुआँ उगलते रहते हैं। नदियों पर बा रहे हैं। परिवहन की सुविधा उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण राज उगलते रहते हैं। नदियों पर बाँध बनाए जा बड़ी संख्या में नगरों-महानगरों की ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग अपने उद्योगधंधा का गांव की ओर बढ़ा रहे हैं। इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है।

कल-कारखानों का दुषित और अनियंत्रित जल-मल बाहर निकलकर दुयु गैस फैलाला है। कारखानों की धुआँ गलती हुई चिमनियाँ दूर-दूर तक वातावरण को दूषित करती हैं, इनसे वायुमंडल दषित हो जाता है। इससे सॉस और फेफड़ा के रोग पनपते हैं, आँखें खराब होती हैं। वाहनों और मशीनों के शोर, यातायात के साधनों के हार्मों की चिल्ल-पों, चीखते लाउडस्पीकर, तेज आवाज़ में चलते टेलीविज़न, रेडियो, टेपरिकार्डर आदि से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। सुनाई देना कम हो जाता है, रक्तचाप बढ़ जाता है। शारीरिक व मानसिक रोग पनपते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जा स्रोतों में नहाने, कपडे धोने, मल-मूत्र त्यागने, जानवरों के नहलाने, शवा की राख बहाने आदि से भी जल प्रदूषित हो जाता है जिससे हैजा, आंत्रशोथ तथा पेचिश जैसे रोग हो जाते हैं। उपज बढ़ाने के लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया।

जा रहा है जिससे भूमि प्रदूषण होता है। ऐसी प्रदूषित भूमि में उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न, साग-सब्ज़ियाँ भी प्रदूषित हो जाती हैं। इनके खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। हमारे देश में ही नहीं, विश्व के अन्य देशों में भी प्रदूषण की समस्या निर्बाध रूप से बढ़ रही है। यह ठीक है कि विज्ञान की प्रगति के साथ औद्योगीकरण का विकास भी अनिवार्य हो गया है। यही रास्ता है जिस पर चलकर कोई देश आर्थिक रूप से संपन्न हो सकता है। किंतु फिर भी हमें आधुनिक सभ्यता के पर्याय ध्वनि विस्तारक यंत्र, आँखों को चौंधियाती बत्तियाँ, रसायनों से बने खाद्य और वस्त्र, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन के साधनों की अनिवार्यता पर अंकुश लगाना पड़ेगा।

इसके अतिस्क्ति मानव निर्मित कृत्रिम वातावरण व प्रकृति द्वारा प्रदत्त वातावरण में संतलन कायम करना होगा। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना पड़ेगा। वन क्षेत्र बढाने के लिए वृक्ष लगाने होंगे। जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा। खतरनाक रसायनों को कम-से-कम प्रयोग करना पड़ेगा। अणुबमों के विकास तथा परीक्षण पर रोक लगानी पड़ेगी, तभी आधुनिक सभ्यता में जीने वाला मानव स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत कर सकेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 600 Words )

प्रदूषण मानव जाति के लिए सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है| प्रदूषण को बहुत बड़ी मात्रा में पर्यावरण में जहरीले और अवांछित पदार्थों के अलावा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तीन तरह के प्रदूषण-हवा, पानी और मिट्टी है विभिन्न ऑटोमोबाइल और उद्योगों द्वारा वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे विषाक्त गैसों का उत्सर्जन, जीवन देने वाले ऑक्सीजन की असंतुलन का कारण बनता है। इस प्रकार हवा प्रदूषित हो जाता है और सांस लेने के लिए अयोग्य है। उद्योगों से अपशिष्ट जल और उनके तरल पदार्थों को नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है।

वे जल प्रदूषण करने के अलावा समुद्री जीवन को भी मारते हैं, तटीय और नदी के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं और पेयजल संसाधनों को नष्ट करते हैं। मक्खियों जो इन प्रदूषकों पर फ़ीड अपने शरीर पर जहर बरकरार रखता है। जब मनुष्य इन मछलियों का उपभोग करते हैं तो उन्हें जहर मिलता है।  पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत गंभीर विषय है| कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक और गैर-जिम्मेदार उपयोग से मिट्टी प्रदूषण का कारण बनता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि पौधे केवल उर्वरक या कीटनाशक का एक निश्चित मात्रा ले सकता है अतिरिक्त मात्रा मिट्टी में जाती है जिससे मिट्टी के पुनरुत्थान की शक्तियों को नष्ट हो जाता है और इसे बांझकर बना दिया जाता है। बारिश के दौरान अक्सर यह अतिरिक्त उर्वरक और कीटनाशक के पास के तालाबों और नहरों में प्रवाह होता है, जो इस प्रकार ज़हर हो जाते हैं।

नवीनतम प्रदूषक जो हवा, पानी और मिट्टी की धमकी दे रहा है वह परमाणु अपशिष्ट और उत्सर्जन है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में कोई भी दुर्घटना मिट्टी, वायु, अनाज, पानी इत्यादि में उत्पन्न होती है, जिससे उन्हें सभ्यता के लिए अयोग्य बनाते हैं। वैसे, सबकुछ नष्ट नहीं हुआ है। हाल ही में तकनीकी प्रगति ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पारिस्थितिकी को अपने मूल गुणवत्ता में लौटाना संभव बना दिया है। इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिटीटेटर्स या औद्योगिक उत्सर्जन, ऑटोमोबाइल उत्सर्जन के लिए उत्प्रेरक कन्वर्टर्स, औद्योगिक अपशिष्ट जल और तरल पदार्थों के लिए पौधों को रीसाइक्लिंग और कृषि प्रयोजनों के लिए जैव उर्वरक और कीटनाशकों आदि आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जो प्रकृति को अपनी पवित्रता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों की उपस्थिति में अब जो जरूरी है वह जनता है और राजनीतिक दृढ़ संकल्प को छूटेगा, ताकि हम एक बार फिर साफ वातावरण में रह सकें।

शोर प्रदूषण का भी पर्यावरण और लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि कई बीमारियां शोर प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे कि सुनवाई हानि, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और भाषण हस्तक्षेप। औद्योगिक शोर भी पशुओं के जीवन को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, जहाज़ों की आवाज़ के कारण व्हेल नेविगेशन प्रणाली टूट जाती है| इसके अलावा, औद्योगिक शोर जंगली प्रजातियों को अधिक जोर देने के लिए संवाद करता है जिससे अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है और उनकी जीवन अवधि कम हो जाती है। जनसंख्या और तकनीकी प्रगति का विकास पृथ्वी के पारिस्थितिक अवस्था पर आधारित है।

प्राकृतिक स्रोतों, कारखानों और पौधों का काम, और मानव गतिविधि के अन्य उत्पादों का निष्कर्षण परिणामस्वरूप विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं में होता है। पानी, वायु और ध्वनि का प्रदूषण हमारे पर्यावरण पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण के प्रभाव में एसिड बारिश, हानिकारक बीमारियों और लोगों और जानवरों की बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग शामिल है। पर्यावरण प्रदूषण वैश्विक समस्या है जो पर्यावरण संरक्षण और पुनर्वास के लिए कट्टरपंथी कार्यों की मांग करता है। इसके अलावा, वैश्विक समुदाय के एकजुट प्रयासों द्वारा इस समस्या का वैश्विक स्तर पर हल किया जाना चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 1000 Words )

‘प्रदूषण’ शब्द को लैटिन शब्द ‘प्रदूषण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गंदी बनाना’ प्रदूषण पर्यावरण को बनाने की प्रक्रिया है, अर्थात्, भूमि, पानी और हवा में हानिकारक पदार्थों को जोड़कर गंदा। पर्यावरण में प्रदूषण असंतुलन का कारण बनता है। इस असंतुलन ने जीवन के सभी रूपों के बहुत अस्तित्व को खतरा बताया है यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है| पर्यावरण निष्पादन सूचकांक 2012 में भारत 132 देशों में से कम 125 में स्थान रखता है। यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के साथ मिलकर येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की जाती है। पर्यावरण प्रदूषण औद्योगिक समाज की एक गंभीर समस्या है औद्योगिक विकास और हरित क्रांति ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

लोगों ने पूरे जीवन की जीवन-प्रणाली को अपने संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है और प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन में काफी परेशान किया है। मानवीय लालच को संतुष्ट करने के लिए संसाधनों का अति प्रयोग, दुरुपयोग और कुप्रबंधन के कारण गंभीर गिरावट और कमी ‘का कारण रहा है। पर्यावरण प्रदूषण को हमारे परिवेश के प्रतिकूल परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मानवीय गतिविधियों का उप-उत्पाद है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण में होने वाले बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। ये परिवर्तन भूमि, वायु या पानी के शारीरिक, रासायनिक या जैविक विशेषताओं में हो सकते हैं जो मानव जीवन और अन्य जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। जनसंख्या विस्फोट, तेजी से औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, अनियोजित शहरीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

भारत के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण के अधीन है। पृथ्वी के तीन-चौथाई पानी होते हैं, फिर भी पिटबुल पानी की कमी होती है भारत में, नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं जैसे पानी के सभी स्रोत प्रदूषित हैं और पीने के लिए अयोग्य हैं। उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के परिणामस्वरूप, नदियों, समुद्र और महासागर हानिकारक प्रदूषक के साथ दूषित हो गए हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 500 टन से अधिक पारा महासागर में प्रवेश करता है। तेल की सफ़ाई, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों, सीवेज और उर्वरकों ने जल जीवन को भी धमकी दी है। औद्योगिकीकरण ने शहरीकरण के लिए नेतृत्व किया है।

काम की तलाश में शहरों में ग्रामीण आबादी का उत्थान एक अस्वस्थ वातावरण बनाता है। यह झुग्गी क्षेत्रों की भीड़-भाड़ और स्थापना के लिए प्रेरित हुआ है। कस्बों और शहरों में धुएं, गंदगी, धूल, बकवास, गैसों, गंध और शोर से भरे हुए हैं। वायु प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक रूप है। यह उद्योगों से गैस उत्सर्जन, थर्मल पावर स्टेशन, घरेलू दहन, आदि से निकलता है। वायु प्रदूषण के कारण, हवा की संरचना पूरी दुनिया में बदल रही है। ज्यादातर गैस और वायु प्रदूषण ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं। कोयले की जलन कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि उत्पन्न करती है, जो अम्ल वर्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जो प्रणोदक और रेफ्रिजरेंट के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, ओजोन की कमी के कारण होता है। परमाणु विस्फोट और परमाणु परीक्षण, जो दिन से बढ़ रहे हैं, हवा में रेडियोधर्मी सामग्री फैलाएं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण मानव में कैंसर, असामान्य जन्म और उत्परिवर्तन हो सकता है। आगरा में ताजमहल , मथुरा रिफाइनरी से उत्सर्जित धुएं से प्रभावित है। रिपोर्टों का अनुमान है कि रिफाइनरी से हानिकारक उत्सर्जन के कारण स्मारक बीस वर्षों के अंतराल के भीतर विलीन हो जाएगा।

जल प्रदूषण में पानी की गुणवत्ता में भारी प्रभाव पड़ता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को परेशान करता है और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का कारण बनता है। पानी अकार्बनिक और जैविक या जैविक पदार्थों की मौजूदगी या इसके अलावा के द्वारा प्रदूषित हो जाता है। नदियों में फेंकने वाले औद्योगिक अपशिष्ट जल को जल प्रदूषण के स्तरों में जोड़ देते हैं। शोर भी प्रमुख प्रदूषकों में से एक है। मेगा शहरों में सामान्य शोर स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है शोर मुख्यतः लाउडस्पीकर, एयरक्राफ्ट और अन्य मोटर वाहन, जुलूस और रैलियों के कारण होता है|

मृदा प्रदूषण आम तौर पर कृषि पद्धतियों से और अमानवीय आदतों से ठोस और अर्द्ध ठोस अपशिष्टों के निपटान से निकलता है। खतरनाक सामग्री और सूक्ष्म जीवों द्वारा मिट्टी को अत्यधिक प्रदूषित किया जाता है, जो खाद्य श्रृंखला या पानी में प्रवेश करते हैं और कई स्वास्थ्य खतरा पैदा करते हैं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में जलवायु परिवर्तन हुआ है।

प्रदूषण की वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई है। प्राकृतिक और मानव गतिविधि दोनों के परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के तापमान में ग्लोबल वार्मिंग औसत वृद्धि है जलवायु परिवर्तन का शब्द अक्सर ग्लोबल वार्मिंग शब्द के साथ एक दूसरे शब्दों में प्रयोग किया जाता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ टोपी तेजी से पिघल शुरू हो गई है इससे समुद्र और महासागरों के जल स्तर के उदय में वृद्धि हुई है। अंटार्कटिका में ‘घास अंकुरण’ और संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तान में बर्फबारी, ग्लोबल वार्मिंग के सभी चेतावनी संकेत हैं। ये ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होते हैं|

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, लेकिन जंगलों के विनाश के कारण जलवायु परिवर्तन में बदलाव आया है। इससे वन्य जीवन की कई दुर्लभ प्रजातियों के विलुप्त होने का भी कारण बन गया है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण बनता है वायु प्रदूषण एलर्जी, अस्थमा, फेफड़े के कैंसर और ब्रोंकाइटिस का कारण बनता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण श्वसन समस्याओं, पक्षाघात, कैंसर और अन्य बीमारियों का कारण है। अत्यधिक शोर प्रदूषण के कारण बधिरता, चिंता, तनाव, दिल की धड़कन की दर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। ओजोन परत की कमी के कारण त्वचा रोग भी हो सकते हैं। प्रदूषण के इस खतरे से लड़ने के लिए, जोरदार प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदूषण विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए, सीवेज और कारखाना कचरे को उचित तरीके से इलाज और साफ करने से पहले साफ किया जाना चाहिए। हर जगह और वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंधों की जागरूकता, इन समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने और विनाश से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया के सभी देशों को पर्यावरण पर नियंत्रण रखने के लिए जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए प्रदूषण। इस दिशा में एक कदम संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन है, जो दुनिया के सभी सदस्य देशों को एक मेज पर मंथन करने के लिए लाता है, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके अपनाता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध )को पसंद करेंगे।

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Essay on pollution in hindi प्रदूषण पर निबंध.

Students today we are going to discuss very important topic i.e essay on pollution in Hindi. What is pollution? How can we control pollution? Write an essay on pollution in Hindi as Pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Pollution in Hindi is defined in more than 200, 300, 500, 700, 800, 1000 words. Learn essay on pollution in Hindi for class 10 and think how you can control pollution. Essay on pollution in Hindi is asked in 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. प्रदूषण एक समस्या और प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध (Pradushan Par Nibandh).

hindiinhindi Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • भूमिका • विकट समस्या • कारण • निवारण।

प्रदूषण का अर्थ है – दूषित होना। पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ है-वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। शुद्ध जलवायु में दूषित तत्वों का मिल जाना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है – वायु-प्रदूषण, जल – प्रदूषण तथा धवनि प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदूषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है – बढ़ती जनसँख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ में साँस लेना दूभर हो जाता है। जल-प्रदूषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही हैं। परिणामस्वरूप हमे प्रदूषित फसलें मिलती हैं और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपुओं, फैक्टरियों और मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति के उपाय हैं – आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को कम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनयापन करना। घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना। परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाना आदि।

Essay on Pollution in Hindi 300 Words

पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों की उपस्तिति अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे- वायुप्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण इत्यादि। प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है,जो कि ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण औद्योगीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण, और प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पादों का सामान्य जीवन में इस्तेमाल का बढ़ना है।

पुरातन कल में, प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी। उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग मानव जाती के लिए इतनी बड़ी समयस्या खड़ी कर सकता है। हम जितना भी प्रकृति से लेते थे, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती थी। ऐसा लगता था कि प्रकृति का भंडार असीमित है जो कभी ख़त्म ही नहीं होगा लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ता ही चला गया। वनों को अंधाधुन्द काटा जाने गया, अपनी जरुरतो के लिए प्रकति को नुकसान पहचाया गया। मानव दवारा मशीनों के निर्माण ने इस काम में और तेजी ला दी।

औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा। जंगल खत्म होने लगे। उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कल-कारखाने खुलने लगे और प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई, जिसे कम करना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है, हलाकि सरकार निरंतर इस प्रयास में जुड़ी है।

वायु प्रदुषण – जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों की उपस्तिति, औद्योगिक कंपनियों का धुआं इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती जा रही है।

जल प्रदूषण भी विभिन्न कारणों से होता है। जैसे की पीने के पानी में जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित तत्वों का होना, कुछ खतरनाक कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित औद्योगिक राख, कचरा, मलबा इत्यादि जो कि पीने के पानी को भी जहर बनाती जा रही है।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होने वाला शोरगुल, कल-कारखानों से निकली आवाज़, वाहनों का शोर, उपकरणों की आवाज़ और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी चरम सीमा को पार कर रहा है।

प्रदुषण से अलग-अलग तरह की खतरनाक बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, पार्किंसंस रोग, दिल का दौरा, सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन, और एलर्जी आदि बढ़ती ही जा रही है। जबतक हम स्वयं प्रदुषण की रोकथाम के लिये कोई कदम नहीं उठाते तबतक हम इस समस्या को दूर नहीं कर सकते। अतः सिर्फ सरकार पर निर्भर ना रहते हुए हम सभी को मिलकर इसे कम करने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा मानव जाती का बच पाना बहुत ही मुश्किल होगा।

Essay on Pollution in Hindi 500 Words

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है। प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मृदा प्रदूषण। हाल के वर्षों में ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में भी देखा जा रहा है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण किसी भी प्रकार के हानिकारक पदार्थों जैसे कल कारखानों और परिवहन से निकलने वाली धुंआ, कचरे को जलाने से निकलने वाली धुंआ और प्रदूषित गैस को वातावरण में मिलाना है जिससे ताजी हवा प्रदूषित होती है। वायु प्रदूषण से मनुष्य का स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता आदि बड़े स्तर पर प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण से कई सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण से अभिप्राय यह है कि जल निकायों जैसे कि नदियों, झीलों, समुद्रों, और भूजल के पानी के दूषित होने से है। जल प्रदूषण कई कारणों से होता है जैसे की कारखानों का कचरा समुद्र और झीलों में जाकर मिल जाना, लोगो द्वारा कचरा समुद्रों में फेका जाना इत्यादि। धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जीव-जन्तुओं को प्रभावित कर रही है।

मृदा प्रदूषण : मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं और मानव जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। उचित ज्ञान के बिना रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। जैसे कि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, औद्योगिक कचरों आदि के इस्तेमाल के द्वारा छोड़े गये जहरीले तत्वों के माध्यम से मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है जिससे भूमि की उर्वरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

ध्वनि प्रदूषण : पश्चिमीकरण ने जोर से संगीत की सनक को जन्म दिया है जो की ध्वनि प्रदूषण का एक घटक है। अत्यधिक शोर मानव स्वास्थ्य और जीव जंतुओं के लिये हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण इन कारणों से होता है:- घरेलू मशीनों से निकलने वाली शोर, निर्माण गतिविधियों, परिवहन, तेज आवाज में संगीत सुनना आदि के द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान कान को होता है जिससे कभी-कभी कान के परदे खराब हो जाने के कारण हमेशा के लिये सुनने की क्षमता चली जाती है।

यह सभी तरह के प्रदूषण मानव और जीव जंतुओं के लिए एक अभिशाप की तरह काम कर रहा है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के बीमारी जैसे की कैंसर, उच्च रक्तचाप, सांस की बीमारी, गुर्दा रोग महामारी त्वचा रोग आदि होने का कारण है।

हमें प्रदूषण को गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को बहूत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम करने की आवश्यकता है ताकि लोग प्रदूषण से होने वाले नुकसान को जान सकें और अपना व पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

हमें प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रह सकें।

Long Essay on Pollution in Hindi 700 Words

“देकर शुद्ध हवा फल-फूल, हम सबको सुख बाँटते हैं। मत काटो इन पेड़-पौधों को, ये हम सबके दुःख काटते हैं।”

सृष्टि की रचना के उपरान्त मनुष्य ने कुदरत की गोद में आँखें खोली तो चारों तरफ स्वच्छ वायु, निर्मल जल और उज्वल प्रकाश का वरदान पाया। मनुष्य ने हिंसक पशुओं की मार से बचने के लिए, उनसे शीतल छाया लेने के लिए वृक्षों का सहारा लिया। झोंपड़ी बनाकर मनुष्य ने स्वयं को गर्मी, आँधी, वर्षा, सर्दी के संकट से तो बचाया ही साथ ही फ़ल-सब्जियां खाकर पत्तों का आवरण बनाकर जीवन बसर किया।

प्रदूषण के कारण

आज विज्ञान के युग में मनुष्य ने पृथ्वी, आकाश तथा जल पर अपना आधिपत्य जमा लिया है तथा मनुष्य की सुख-सुविधा के लिए अनेक मशीनों एवं आविष्कारों को जन्म दिय जो कि प्रदूषण के प्रमुख कारण बन गए। लेकिन मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में इसे दूषित कर दिया है। आज विकास तो हो रहा है परन्तु मनुष्य के स्वास्थ्य के बदले, प्रदूषण के बदले, गैस काण्डों तथा एटम शक्ति के खतरे के बदले।

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण मुख्य चार प्रकार के हैं –

1. वायु प्रदूषण 2. जल प्रदूषण 3. ध्वनि प्रदूषण 4. भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

मनुष्य ने कपड़ा, लोहा, सीमेंट, कागज़, कल – पुर्जे, बिजली आदि निर्माण के लिए बड़े-बड़े कारख़ाने तैयार किए। इन कारखानों एवं महानगरों में ट्रैफ़िक द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में धुआँ निकलता है, जो वायुमंडल को दूषित करता है। विषैली गैसें वातावरण में तापमान को बढ़ाती हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना अनेक रोगों को जैसे रक्तचाप, कैंसर, टी. वी., श्वास रोग को आमंत्रण देता है। सुविधाभोगी जिन्दगी जीने की चाह ने वातावरण की ओजोन परत में छेद कर दिया जो कि वायु प्रदूषण का ही प्रभाव है।

“जीवन देने वालों को, न तुम बलि चढ़ाओ। संरक्षण देकर इन्हें, स्वजीवन सुखी बनाओ।”

कारख़ानों के उत्पादन के बाद बचे हुए रासायनिक पदार्थों और कचरे को नदियों में बहाने से तालाब आदि जलाशय दूषित होते हैं। प्रतिदिन करीब बीस हजार (20,000) लोग गंदा पानी पीने से मर रहे हैं। 80 फ़ीसदी बीमारियाँ डाइरिया, मलेरिया, पीलिया आदि जल प्रदूषण की ही देन है।

ध्वनि-प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है। यातायात के साधन, कल-कारख़ानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें, लाउड-स्पीकर, रेडियो, वायुयानों का शोर आदि। आज का मनुष्य हवाई जहाज़, रेलगाड़ी, मोटर, कारों, टी. वी. और रेडियो के असहनीय शोर में रहने को मजबूर | है। जिससे सिरदर्द, बहरापन आदि रोग हो जाते हैं।

भूमि (मिट्टी) प्रदूषण

भूमि-प्रदूषण ने पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुँचाई है। रासायनिक तत्वों के मिट्टी में मिलने से भू-प्रदूषण होता है। कागज़, लकड़ी आदि सड़-गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, प्लास्टिक मिट्टी में नहीं मिलती। प्लास्टिक की वस्तुएँ मिट्टी को साँस नहीं लेने देती जिससे मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो जाती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी प्रदूषण, भू-स्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा दिया है।

रोकथाम / उपाय

अगर चिमनियों से निकलने वाली विषैली गैसों, वाहनों से निकलने वाले धुएँ की रोकथाम न की गई तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भी टॉकियो की तरह भारत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ऑक्सीजन के सिलेंडर लगाने पड़ेंगे और मुँह पर पट्टी बाँध कर चलना होगा। वैसे तो भारत सरकार द्वारा कठोर नियम लागू किए गए हैं। वृक्ष लगाने और प्रदूषण हटाने, उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के बाद ही विसर्जित किया जाये आदि। फिर भी हमारा निजी सहयोग आवश्यक है। जल प्रदूषण के संकट से बचने के लिए हमें जल संरक्षण की तरफ ध्यान देना होगा। उसे गन्दा न करने का और प्रयुक्त पानी को साफ़-स्वच्छ जल में न मिलाने का प्रण लेना होगा। ध्वनि-प्रदूषण से तभी मुक्ति मिलेगी जब वाहनों के प्रयोग में कमी लाकर साइकिल का प्रयोग किया जाएगा तथा रेडियो और लाउड-स्पीकरों को धीमी आवाज़ में सुना जाएगा। जब तक पर्यावरण सुरक्षा हेतु आम जनता जागरूक नहीं होती, तब तक यह संकट नहीं टलेगा। कवियत्री ने क्या खूब कहा है :

“सुखी रहना हो गर तो पर्यावरण का रखो ध्यान, निर्मल-स्वच्छ जल, चारों ओर उगाओ बागान। जीवन देने वालों को बलि मत चढ़ाओ-पूजन रचाओ, संरक्षण नत मस्तक हो-मिलकर वन महोत्सव मनाओ।”

भविष्य में वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकने, प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ का निषेध करने, नये वृक्ष लगाने और उनका संरक्षण करने आदि का प्रण करके हम समाज और राष्ट्र को सुरक्षित कर सकते हैं।

Essay on Pollution in Hindi 800 Words

रूपरेखा : पर्यावरण का अर्थ, हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता, मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन, प्रदूषण के प्रकार – वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण। शहरों का निरंतर विस्तार, शहरों में बढ़ते विविध प्रकार के प्रदूषण, प्रदूषण की रोकथाम के उपाय, प्रदूषण से हानियाँ, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, उपसंहार।

‘पर्यावरण’ का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है, हमें ढके-लपेटे हुए है उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव के लिए एक सुखद आवरण बनाया था। साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए साफ़ पानी, कोलाहल रहित शांत प्रकृति, हरे-भरे वन, उनमें बसने वाले पशु पक्षी। इन सबके रूप में प्रकृति ने मानव को कितना कुछ दिया, किंतु मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध लाभ उठाकर उसका शोषण किया और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोरगुल, धुआँ, ज़हरीली गैसें वायुमंडल में भर दीं, यही नहीं समुद्र आदि के जल को भी विषाक्त कर दिया।

वायु हमारे प्राणों का आधार है। इसीलिए वायु का एक नाम प्राण भी है, किंतु आजकल, विशेषकर शहरों में हम जिस वायु में साँस ले रहे हैं वह प्राणों के लिए हानिकर है। उसमें धूल, धुआँ, राख, कालिख जैसे पदार्थ हैं जिनमें कार्बन मोनो-ऑक्साइड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं। यही वायु प्रदूषण है। इसी प्रदूषण के कारण आँख, गले, फेफड़े के रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

बढ़ता हुआ शोर भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। वाहनों कारखानों का शोर कान फाड़ने वाला होता है। घरों में ऊँचे स्वर से रेडियो-टी.वी सुनना, लाउडस्पीकरों का मनमाना प्रयोग, जोरों से चीखना-चिल्लाना सब शोर के ही उदाहरण हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण से न केवल सुनने की शक्ति पर कुप्रभाव पड़ता है, इससे सिर दर्द, रक्तचाप, अनिद्रा जैसे रोग भी हो जाते हैं।

जल का दूसरा नाम जीवन है। प्राणी जल के बिना जीवित नहीं रह सकता। आज स्वच्छ जल मिलना दूभर हो गया है, क्योंकि जल-स्रोतों को ही प्रदूषित कर दिया गया है। नगरों और शहरों की गंदगी तथा कारखानों के ज़हरीले रसायन नदियों और तालाबों में छोड़े जाते हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल प्रदूषित हो गया है।

अज्ञान और सुविधाओं के अभाव के कारण मलमूत्र त्याग, पशुओं को नहलाने, वस्त्र धोने, कूड़ा-कचरा पानी में गिराने से भी जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसा प्रदूषित जल पीने से हैज़ा, अतिसार, पीलिया, टाइफ़ाइड जैसे रोग फैलते हैं।

वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ मृदा प्रदूषण का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। रासायनिक खादों के अतिशय प्रयोग से मिट्टी का स्वाभाविक रूप विकृत होता जा रहा है। परिणामस्वरूप, उत्पादित वस्तुओं का पौष्टिक तत्त्व नष्ट होता जा रहा है। साग-सब्ज़ी और फल स्वादहीन होते जा रहे हैं।

आज की सभ्यता को शहरी सभ्यता कह सकते हैं। भारत के कुछ बड़े महानगरों की जनसंख्या एक करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। इस कारण शहरों की दुर्गति हो गई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में हर प्रकार का प्रदूषण पाँव पसार रहा है। लाखों लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में निवास करते हैं, जहाँ खुली धूप, वायु और जल तक का प्रबंध नहीं है। यहाँ की सड़कों के वाहन रोज लाखों गैलन गंदा धुआँ उगलते हैं। वृक्षों के अभाव में यह धुआँ नागरिकों के फेफड़ों में जाता है और उनका स्वास्थ्य खराब कर देता है। नगरों में जल के स्रोत भी दूषित हो चुके हैं। दिल्ली में बहने वाली यमुना पवित्र नदी नहीं, विशाल नाला बन चुकी है। शोर का कहना ही क्या ! इसके कारण शहरी जीवन तनावग्रस्त हो गया है। प्रदूषण को रोकने का सर्वोत्तम उपाय है – जनसंख्या पर नियंत्रण। सरकार को चाहिए कि वह नगरों की सुविधाएँ गाँवों तक पहुँचाए ताकि शहरीकरण की अंधी दौड़ बंद हो। हरियाली को यथासंभव बढ़ावा देना चाहिए। प्रदूषण बढ़ाने वाली फैक्टरियों के प्रदूषित जल और कचरे को संसाधित करने का उचित प्रबंध करना चाहिए। शोर को रोकने के कठोर नियम बनाए जाने चाहिए तथा उन पर अमल किया जाना चाहिए।

खेद की बात है कि सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति की धरोहर को नष्ट कर रहे हैं और अपने पैरों में स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यदि पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया गया तो मानवजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक वृक्ष लगाने होंगे और कल-कारखानों को वायुमंडल में विषैले तत्त्व छोड़ने से रोकना होगा। वाहनों की भी जाँच करनी होगी और ऐसे ईंधनों का प्रयोग करना होगा जो प्रदूषण न फैलाएँ। कारखानों को नदीतालाबों में हानिकारक रसायन छोड़ने से रोकना होगा। जल स्रोतों की सफ़ाई करते रहनी होगी। ध्वनि प्रदूषण रोकने के भी उपाय करने होंगे। वाहनों की बनावट ऐसी हो कि वे शोर न करें। व्यर्थ हॉर्न बजाने से लोगों को रोकना होगा। मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग पर बल देना होगा। सभी प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक है कि लोगों के सोचने के ढंग में बदलाव लाया जाए।

जैसे हमारी एक निश्चित आयु है, उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की भी। यदि हम उनको बिगाड़ेंगे या उनसे छेड़छाड़ करेंगे तो हमारा अपना अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। इसलिए भलाई इसी में है कि हम पर्यावरण का संरक्षण करें, ताकि हमारा अस्तित्व बना रहे।

Essay on Pollution in Hindi for Class 10 in 1000 Words

प्रकृति ने हमारे लिए एक स्वस्थ एवं सुखद पर्यावरण का निर्माण किया था, परंतु मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में उसे दूषित कर दिया है। वाहनों तथा कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ, रासायनिक गैस एवं कोलाहल पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं। मनुष्य के स्वार्थ के कारण और प्राकृतिक संपदा के शोषण और दोहन के कारण इस प्रदूषण के परिणाम और भी भयावह होते जा रहे हैं।

प्रदूषण मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं – जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनिप्रदूषण तथा अणु-प्रदूषण। हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है तथा किसी न किसी रूप में रोगों की वृद्धि करता है, जीवन में तनाव तथा मानसिक और शरीरिक व्यग्रता को बढ़ावा देता है। प्रदूषण के अनेक कारण हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायु में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बन-डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। नगरों, महानगरों में वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ तथा कल कारखानों की चिमनियों से निकले धुएँ से वायु-प्रदूषण हो रहा है। सभी व्यवसाय जिनमें प्रचुर मात्र में धूल उड़ती है : जैसे-सीमेंट, चूना, खनिज आदि तथा वे व्यवसाय जो दुर्गंधयुक्त भाप उत्पन्न करते है : जैसे पशुवध, चमड़ा तैयार करना, साबुन या चर्बी के उद्योग आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इस प्रदूषित वायु के कारण अनेक रोग जैसे – रक्तचाप, हृदय रोग, श्वास रोग तथा नेत्र रोग आदि बढ़ रहे हैं। बालू के महीन कणों से ही तपेदिक आदि रोगों के होने की संभावना रहती है।

जल मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता है। स्वच्छ एवं निरापद पीने का पानी न मिलने के कारण, गाँवों तथा शहरों की घनी आबादी में रहने वाले लोग अनेक गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक व्यक्ति जल-प्रदूषण से उत्पन्न रोगों के कारण मर रहे हैं। गाँवों तथा शहरों की गंदी नालियों का पानी जलाशय, नदी आदि में गिरकर पानी को प्रदूषित करता है। मनुष्य द्वारा जल स्त्रोतों के पास मल-मूत्र त्याग करने, तालाबों आदि में पालतू जानवर नहलाने, तालाब या नदियों के किनारे कपड़े धोने से जल प्रदूषित होता है। इसी तरह आसपास के वृक्षों के पत्तों तथा अन्य कूड़े-करकटों के जल में गिरकर सड़ने, कारखाने से निकलने वाले अवशिष्ट विषैले पदार्थों एवं गंदे जल के नदियों में गिराने आदि से जल प्रदूषण होता है। जल-प्रदूषण के कारण होने वाले अनेक भयंकर रोगों जैसे – हैजा, टाइफ़ॉइड, पीलिया आदि से लोग ग्रसित हो जाते हैं।

जल-प्रदूषण के समान ही ध्वनि प्रदूषण भी आधुनिक जीवन की समस्या है। वह आवाज़ जो असुविधाजनक हो, अनुपयोगी हो तथा अनावश्यक महसूस होती हो – शोर है। यह शोर ही ध्वनि-प्रदूषण का कारण है। शोर कई तरह से उत्पन्न होता है। एक व्यक्ति के लिए संगीत आनन्ददायक है, किंतु वही संगीत दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो सकता है। रेलगाड़ी की आवाज, सड़कों पर मोटरों की पोंपों, ट्रकों की धड़-धड़ कारखानों में मशीनों के चलने की तेज़ आवाज़, हवाई जहाजों का भीषण गर्जन, सड़कों पर विज्ञापन का प्रचार करने वाले लाउड स्पीकरों का शोर, और टी-वी एवं रेडियो का शोर भी ध्वनि-प्रदूषण के कारण है। ध्वनि-प्रदूषण मानव के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यहाँ तक कि अधिक समय तक ज्यादा शोर में रहने के कारण कई बार लोगों की श्रवण शक्ति खराब हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य केवल श्रवण दोष से ग्रसित ही नहीं होता, उसे रक्तचाप, अलसर, अनिद्रा के रोगों का शिकार भी होना पड़ता है।

आज संसार के सभी देशों में आणविक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा मची हुई है ताकि दूसरा देश उन्हें कमजोर न समझे। अणु शक्ति के निश्चित अवधि से पूर्व निष्क्रिय करने तथा शत्रु देश पर उसका प्रयोग करने के कारण आणविक प्रदूषण होता है। इससे लाखों लोग अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं, अनेक अपंग हो जाते हैं, वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं। ऊपर लिखे विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रदूषण चाहे वायु का हो, जल का हो या ध्वनि और अणु का हो, हमारे लिए अत्यधिक हानिकारक है।

इस समस्या का निवारण हर देश की सरकार और जनता दोनों ही कर रही हैं। फिर भी हमारी दृष्टि में प्रदूषण के निवारण के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं – वायु-प्रदूषण को अधिकाधिक वनों का संरक्षण करके रोका जा सकता है क्योंकि वन कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। भू-स्खलन, भू-क्षरण, रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए, जल स्त्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उपाय करने चाहिएं। इसके लिए वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए हमें अधिक वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध लगाने होंगे। बदबू फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण करना होगा। कारखानों में ऊँची-ऊँची चिमनियाँ तथा राख एकत्रित करने की मशीनों का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

जल-प्रदूषण को रोकने के लिए तालाबों, नदियों, कुओं आदि के जल की समय-समय पर सफ़ाई की जाए, रासायनिक क्रियाओं द्वारा परिशोधन किया जाए। इसका प्रावधान जल-प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 में किया गया है।

ध्वनि-प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक-प्रसारक यंत्रों (लाउड स्पीकरों) के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिए जाएँ। यही नहीं, जिन कारणों से शोर बढ़ता है, उन पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।

उपर्युक्त उपायों को कार्यान्वित करने से प्रदूषण का निराकरण और निवारण किया जा सकता है। इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर आवश्यक उपाय करने चाहिएं।

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essay on pollution 100 words in hindi

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Air Pollution in Hindi, Vayu Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

वायु प्रदूषण की परिभाषा

हमारे जीवन के लिए अनिवार्य वायु का, दूषित हो जानावायु प्रदुषण कहलाता है।वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है।

वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव

फैक्टरियों , वाहनों आदि से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है। ओज़ोन परत का क्षय होना और पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का कारन है। वायु हमारे श्वसन के लिए अनिवार्य है। वायु का दूषित होना हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है। 

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लहणे चाहिए। हमें पेट्रोलियम की जगह प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करना हम सब का दायित्व है। वायु प्रदुषण एक विकराल समस्या है , जो हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह है। अतः सरकार के साथ ही साथ प्रत्येक नागरिक को इस प्रदुषण से निजाद पाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Air Pollution in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाह्य तत्वों, विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़-पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है, जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों (कार्बन ऑक्साइड, हलोगेनटेड और गैर- हलोगेनटेड हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसें, अकार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक और कार्बनिक अम्ल, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) का मिश्रण है, जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाये जाते और पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन के लिये बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जोकि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है। वायु प्रदूषण की संख्या बढ़ने के कारण इसे दो प्रकार में बांटा गया, प्राथमिक प्रदूषण, और द्वितीयक प्रदूषण। प्राथमिक प्रदूषण वो है जो प्रत्यक्ष रुप से ताजी हवा को प्रभावित करता है और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होता है। द्वितीयक प्रदूषक वो हैं जो वायु को अप्रत्यक्ष रुप प्राथमिक कारकों के साथ रासायनिक क्रिया करके जैसे सल्फर ट्राई ऑक्साइड, ओजोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि से प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

Essay on Air Pollution in Hindi

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको प्रदूषण पर हिंदी और इंग्लिश में दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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Hindi Essay

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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Essay on Pollution in 100 words, 200 words, 300 words, 400 words, 500 words and 1000 words

Impact of pollution on our planet in concise essays of 100 to 1000 words. Explore causes, effects, and solutions to tackle this global issue.

Pollution, Garbage Dump, Waste

Pollution is the introduction of harmful substances or pollutants into the environment, resulting in adverse effects on living organisms and ecosystems. It is a pressing global issue that poses significant threats to the well-being of both the natural world and human society. Various forms of pollution exist, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution. Each form of pollution has its own set of causes, which can range from industrial activities and transportation to improper waste disposal and excessive use of chemicals. Understanding the causes of pollution is crucial in developing effective strategies and solutions to mitigate its harmful effects. In this article, we will explore the concept of pollution, delve into its causes, and discuss the importance of addressing this issue for a sustainable future.

Table of Contents

Essay on Pollution in 100 Words

Pollution is a grave issue as harmful substances and pollutants contaminate the environment, causing harm to living organisms and ecosystems. It exists in various forms, including air, water, soil, and noise pollution.

Air pollution occurs due to the release of harmful gases and particles into the atmosphere from industrial activities and vehicles. Water pollution happens when industrial waste, sewage, and chemicals enter water bodies. Soil pollution results from the infiltration of toxins into the soil, affecting plant growth and the food chain. Noise pollution refers to excessive noise levels that disrupt human well-being.

To address pollution, stricter regulations and sustainable practices are necessary. Individuals must conserve resources, manage waste responsibly, and adopt eco-friendly habits.

Essay on Pollution in 200 Words

Pollution has become a critical issue in today’s world as harmful substances and pollutants are introduced into the environment, causing detrimental effects on living organisms and ecosystems. Various forms of pollution exist, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution.

Air pollution occurs when harmful gases and particulate matter are released into the atmosphere, primarily from industrial activities and vehicular emissions. These pollutants degrade air quality and pose risks to human health, leading to respiratory problems and allergies.

Water pollution is the contamination of water bodies such as rivers, lakes, and oceans due to the discharge of industrial waste, sewage, and chemicals. It affects aquatic life and poses significant risks to human health, as consuming or using polluted water can lead to various waterborne diseases.

Soil pollution arises when harmful chemicals or toxins seep into the soil, affecting plant growth and the overall health of the ecosystem. Contaminated soil also has adverse effects on the food chain, as plants and crops absorb these pollutants, which can then transfer to animals and humans upon consumption.

Noise pollution refers to excessive noise levels that disrupt the peace and well-being of human beings and wildlife. Sources include construction activities, transportation, industrial machinery, and loud music. Prolonged exposure to high levels of noise can lead to stress, hearing loss, and other health issues.

Pollution has severe consequences for both human health and the environment. It causes respiratory diseases, allergies, and even cancer in humans. Wildlife and ecosystems suffer from the disruption of natural habitats, decline in biodiversity, and imbalances in ecological systems.

To combat pollution, we must raise awareness and take proactive measures. Governments, industries, and individuals must work together to implement stricter environmental regulations and promote sustainable practices. This includes reducing emissions, adopting cleaner energy sources, practicing responsible waste management, and conserving natural resources.

In conclusion, pollution poses a significant threat to our planet and its inhabitants. The various forms of pollution have far-reaching effects on human health, wildlife, and the environment. Taking immediate and collective action is crucial to minimize pollution and create a healthier and sustainable world for future generations.

Essay on Pollution in 300 Words

Pollution has become a critical issue in today’s world as harmful substances and pollutants are introduced into the environment, causing detrimental effects on living organisms and ecosystems. Pollution exists in various forms, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution.

Air pollution occurs when harmful gases and particulate matter are released into the atmosphere, primarily from industrial activities and vehicular emissions. These pollutants contribute to the degradation of air quality and pose risks to human health, leading to respiratory problems and allergies.

Water pollution is the contamination of water bodies such as rivers, lakes, and oceans due to the discharge of industrial waste, sewage, and chemicals. This pollution not only affects aquatic life but also poses significant risks to human health. Consuming or using polluted water can lead to various waterborne diseases.

Soil pollution arises when harmful chemicals or toxins seep into the soil, affecting plant growth and the overall health of the ecosystem. The contamination of soil can also have adverse effects on the food chain, as plants and crops absorb these pollutants, which then transfer to animals and humans upon consumption.

Noise pollution refers to excessive noise levels that disrupt the peace and well-being of human beings and wildlife. Sources of noise pollution include construction activities, transportation, industrial machinery, and loud music. Prolonged exposure to high levels of noise can lead to stress, hearing loss, and other health issues.

Pollution has severe consequences for both human health and the environment. It can cause respiratory diseases, allergies, and even cancer in humans. Wildlife and ecosystems suffer from the disruption of natural habitats, decline in biodiversity, and imbalances in ecological systems.

To combat pollution, it is crucial to raise awareness and take proactive measures. Governments, industries, and individuals must work together to implement stricter environmental regulations and promote sustainable practices. This includes reducing emissions, adopting cleaner energy sources, practicing responsible waste management, and conserving natural resources.

In conclusion, pollution poses a significant threat to our planet and its inhabitants. The various forms of pollution, including air, water, soil, and noise pollution, have far-reaching effects on human health, wildlife, and the environment. By taking immediate and collective action, we can strive to minimize pollution and create a healthier and sustainable world for future generations.

Essay on Pollution in 400 Words

Pollution is a significant concern in our world today as harmful substances and pollutants are introduced into the environment, causing detrimental effects on living organisms and ecosystems. There are various forms of pollution, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution.

Air pollution occurs when harmful gases and particulate matter are released into the atmosphere. Industrial activities and vehicular emissions are major contributors to air pollution. These pollutants, such as carbon dioxide, sulfur dioxide, and nitrogen oxides, degrade air quality and pose risks to human health. Prolonged exposure to polluted air can lead to respiratory problems, allergies, and even cardiovascular diseases.

Water pollution is the contamination of water bodies such as rivers, lakes, and oceans. Industrial waste, sewage, and chemicals are discharged into water sources, rendering them polluted and hazardous. Water pollution not only affects aquatic life but also poses significant risks to human health. Consuming or using polluted water can lead to various waterborne diseases, such as cholera, typhoid, and gastrointestinal disorders.

Soil pollution is the contamination of soil by harmful chemicals or toxins. This contamination often occurs through improper disposal of industrial waste, excessive use of pesticides and fertilizers, and accidental spills. Polluted soil adversely affects plant growth, reduces agricultural productivity, and disrupts the balance of the ecosystem. These pollutants can also enter the food chain, posing health risks to humans and animals.

Noise pollution refers to excessive noise levels that disturb the peace and well-being of human beings and wildlife. Sources of noise pollution include construction activities, transportation, industrial machinery, and loud music. Prolonged exposure to high levels of noise can lead to stress, hearing loss, and other health issues. It also disrupts natural habitats and communication patterns for wildlife, impacting their survival and behavior.

Pollution has severe consequences for both human health and the environment. It not only directly affects our well-being but also disrupts ecosystems, leading to a decline in biodiversity and imbalances in ecological systems. Addressing pollution requires collective effort and proactive measures.

To combat pollution, stricter environmental regulations and sustainable practices are necessary. Governments, industries, and individuals must work together to reduce emissions, promote cleaner energy sources, and practice responsible waste management. This includes adopting technologies that minimize pollution, conserving natural resources, and promoting recycling and reuse.

Individuals also have a crucial role to play in mitigating pollution. We can make a difference by conserving resources, using eco-friendly products, reducing our carbon footprint, and promoting awareness in our communities. By making conscious choices and adopting sustainable habits, we contribute to the preservation of our environment and the well-being of future generations.

In conclusion, pollution poses a significant threat to our planet and its inhabitants. The various forms of pollution, including air, water, soil, and noise pollution, have far-reaching effects on human health, wildlife, and the environment. It is imperative that we take immediate and collective action to reduce pollution through stricter regulations, sustainable practices, and individual responsibility. By doing so, we can create a healthier and more sustainable world for ourselves and future generations.

Essay on Pollution in 500 Words

Pollution is a pressing global issue that poses significant threats to the environment and human health. It occurs when harmful substances or pollutants are introduced into the ecosystem, causing adverse effects on living organisms and natural resources. Pollution manifests in various forms, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution.

Air pollution is one of the most prevalent and concerning forms of pollution. It results from the release of harmful gases and particulate matter into the atmosphere, primarily caused by industrial activities, transportation, and the burning of fossil fuels. Pollutants like carbon monoxide, sulfur dioxide, nitrogen oxides, and particulate matter not only degrade air quality but also have severe health implications. Prolonged exposure to polluted air can lead to respiratory diseases, cardiovascular problems, allergies, and even premature death.

Water pollution is another critical environmental issue. It involves the contamination of water bodies, such as rivers, lakes, and oceans, due to the discharge of industrial waste, sewage, agricultural runoff, and chemicals. Water pollutants include heavy metals, pesticides, fertilizers, and microbial pathogens. This pollution not only harms aquatic ecosystems and wildlife but also poses serious health risks to humans. Consuming or using polluted water can lead to waterborne diseases, such as cholera, dysentery, and gastrointestinal illnesses.

Soil pollution, also known as land pollution, occurs when harmful substances or toxins enter the soil. It is caused by industrial activities, improper waste disposal, excessive use of pesticides and fertilizers, and accidental spills. Soil pollutants include heavy metals, industrial chemicals, radioactive substances, and agricultural chemicals. Soil pollution affects soil fertility, reduces crop yields, and disrupts the balance of the ecosystem. These pollutants can enter the food chain, endangering human and animal health.

Noise pollution is an often overlooked but significant form of pollution. It refers to excessive noise levels that disturb the peace and well-being of individuals and wildlife. Sources of noise pollution include transportation, construction activities, industrial machinery, and urbanization. Prolonged exposure to high levels of noise can lead to stress, hearing loss, sleep disturbances, and other health issues. Noise pollution also disrupts natural habitats, affecting the behavior and communication patterns of wildlife.

Pollution has far-reaching consequences for both the environment and human society. It disrupts ecosystems, leads to a decline in biodiversity, and damages natural resources. It also poses serious health risks, causing respiratory problems, cardiovascular diseases, neurological disorders, and various cancers. Additionally, pollution has detrimental socio-economic impacts, affecting tourism, agriculture, and overall quality of life.

Addressing pollution requires collective efforts and proactive measures from governments, industries, communities, and individuals. Stricter environmental regulations and enforcement are necessary to limit emissions, control industrial waste disposal, and promote sustainable practices. Industries must adopt cleaner technologies, improve waste management, and reduce their carbon footprint. Governments should incentivize and support the transition to renewable energy sources and promote sustainable transportation systems.

Individuals also play a crucial role in combating pollution. We can make a difference by practicing responsible consumption, conserving resources, reducing waste, and adopting eco-friendly habits. Simple actions like recycling, conserving water, using energy-efficient appliances, and opting for sustainable transportation contribute to reducing pollution levels.

Education and awareness are vital in addressing pollution. Educating the public about the causes, effects, and preventive measures of pollution can foster a sense of responsibility and inspire positive action. It is essential to promote environmental education in schools, organize awareness campaigns, and engage communities in sustainable initiatives.

In conclusion, pollution is a significant threat to the environment, human health, and overall well-being. The various forms of pollution, including air, water, soil, and noise pollution, have detrimental effects on ecosystems and society. However, through collective action, stringent regulations, sustainablepractices, and individual responsibility, we can mitigate pollution’s impact. By prioritizing the protection of the environment, promoting sustainable development, and adopting eco-friendly lifestyles, we can work towards a cleaner and healthier planet for present and future generations.

Essay on Pollution in 1000 Words

Pollution is a global environmental issue that poses significant threats to the well-being of both ecosystems and human society. It refers to the introduction of harmful substances or pollutants into the environment, resulting in adverse effects on living organisms and natural resources. Pollution exists in various forms, including air pollution, water pollution, soil pollution, and noise pollution. Each form of pollution has its own set of causes, consequences, and potential solutions. Understanding and addressing pollution is crucial for the preservation of our planet and the health of future generations.

Air Pollution:

Air pollution is one of the most pressing and widespread forms of pollution. It occurs when harmful gases, particulate matter, and pollutants are released into the atmosphere. The main sources of air pollution include industrial activities, transportation, power plants, and burning fossil fuels. Pollutants such as carbon monoxide, sulfur dioxide, nitrogen oxides, and particulate matter can have severe health implications. Prolonged exposure to polluted air can lead to respiratory diseases, cardiovascular problems, allergies, and even premature death. Air pollution also contributes to climate change by increasing greenhouse gas emissions and depleting the ozone layer.

Water Pollution:

Water pollution is another critical environmental issue that affects water bodies such as rivers, lakes, and oceans. It occurs when pollutants, including industrial waste, sewage, agricultural runoff, and chemicals, contaminate the water sources. Water pollutants include heavy metals, pesticides, fertilizers, oil spills, and microbial pathogens. Water pollution not only harms aquatic ecosystems and wildlife but also poses serious health risks to humans. Consuming or using polluted water can lead to waterborne diseases such as cholera, dysentery, and gastrointestinal illnesses. It is essential to protect water bodies and ensure access to clean and safe drinking water for all.

Soil Pollution:

Soil pollution, also known as land pollution, refers to the contamination of soil by harmful substances or toxins. It is caused by industrial activities, improper waste disposal, excessive use of pesticides and fertilizers, and accidental spills. Soil pollutants include heavy metals, industrial chemicals, radioactive substances, and agricultural chemicals. Soil pollution affects soil fertility, reduces crop yields, and disrupts the balance of the ecosystem. These pollutants can enter the food chain, endangering human and animal health. Soil conservation practices, responsible waste management, and sustainable agricultural practices are crucial for preventing and mitigating soil pollution.

Noise Pollution:

Noise pollution is often overlooked but has significant impacts on human well-being and wildlife. It refers to excessive noise levels that disturb the peace and tranquility of individuals and ecosystems. Sources of noise pollution include transportation, construction activities, industrial machinery, and urbanization. Prolonged exposure to high levels of noise can lead to stress, hearing loss, sleep disturbances, and other health issues. Noise pollution also disrupts natural habitats, affecting the behavior and communication patterns of wildlife. Reducing noise pollution requires implementing noise control measures, promoting sound insulation in buildings, and considering noise reduction in urban planning.

Consequences of Pollution:

Pollution has far-reaching consequences for both the environment and human society. It disrupts ecosystems, leads to a decline in biodiversity, and damages natural resources. Air pollution not only affects human health but also contributes to climate change, global warming, and the depletion of the ozone layer. Water pollution poses risks to aquatic life and human health, impacting the availability of clean drinking water and threatening ecosystems. Soil pollution reduces soil fertility, affects crop productivity, and contaminates the food chain. Noise pollution affects human well-being, causing stress, sleep disturbances, and hearing loss while disrupting the behavior of wildlife.

Solutions to Pollution:

Addressing pollution requires collective efforts and proactive measures from governments, industries, communities, and individuals. Stricter environmental regulations and enforcement are necessary to limit emissions, control industrialwaste disposal, and promote sustainable practices. Governments should prioritize investment in renewable energy sources, promote energy efficiency, and encourage the use of cleaner technologies. Industries must adopt cleaner production processes, improve waste management, and reduce their carbon footprint.

Individuals also play a crucial role in combating pollution. We can make a difference by practicing responsible consumption, conserving resources, reducing waste, and adopting eco-friendly habits. Simple actions like recycling, conserving water, using energy-efficient appliances, and opting for sustainable transportation contribute to reducing pollution levels. Education and awareness are vital in addressing pollution. Educating the public about the causes, effects, and preventive measures of pollution can foster a sense of responsibility and inspire positive action. It is essential to promote environmental education in schools, organize awareness campaigns, and engage communities in sustainable initiatives.

In conclusion, pollution is a significant threat to the environment, human health, and overall well-being. The various forms of pollution, including air, water, soil, and noise pollution, have detrimental effects on ecosystems and society. However, through collective action, stringent regulations, sustainable practices, and individual responsibility, we can mitigate pollution’s impact. By prioritizing the protection of the environment, promoting sustainable development, and adopting eco-friendly lifestyles, we can work towards a cleaner and healthier planet for present and future generations.

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